Friday, August 15, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--16

FUN-MAZA-MASTI

 बदलाव के बीज--16
अब आगे....
 दूध पिने के बाद मैंने वो गिलास चारपाई के नीचे रख दिया और जैसे ही मैं गिलास रख के उठा, भाभी ने अपने दोनों हाथों से मेरा मुँह पकड़ा और एक जबरदस्त चुम्बन मेरे होठों पे जड़ दिया... ये मेरे लिए ऐसा प्रहार था जिसके लिए मैं बिलकुल भी तैयार नहीं था| उन्होंने अपने मुँह में मेरे होंठों को जकड़ लिया था... उनके मुँह से मुझे दूध की सुगंध आ रही थी ... और भाभी ने मेरे होंठों से खेलना शुरू कर दिया था|मेरा भी अपने ऊपर से काबू छूटने लगा था... मैंने भी भाभी के पुष्प जैसे होठों को अपने होठों के भीतर भर लिया और उनका रसपान करने लगा| सर्वप्रथम मैंने उनके ऊपर के होंठ को चूसना शुरू किया....दूध की सुगंध ने उनके होठों मैं मिठास घोल दी थी जिसे मैं हर हाल में पीना चाहता था... जब मैं भाभी का ऊपर का होंठ चूसने में व्यस्त था तब भाभी ने अपने नीचे वाले होंठ से मेरे नीचले होंठ का रसपान शुरू कर दिया| करीब पांच मिनट तक हम दोनों एकदूसरे के होंठों को बारी-बारी चूसते रहे.... और पूरे कमरे में "पुच .....पुच" की धवनि गूंजने लगी थी... बीच-बीच में भाभी और मेरे मुख से "म्म्म्म्म्म...हम्म्म्म " की आवाज भी निकलती थी| मैं अब वो चीज करना चाहता था जिसके लिए मैं बहुत तड़प रहा था... मैंने अपनी जीभ का प्रवेश भाभी के मुख में करा दिया.... मेरी जीभ का स्वागत भाभी ने अपने मोतियों से सफ़ेद दाँतों से किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने दाँतों में भर लिया... और अपनी जीभ से उसे स्पर्श किया| इस अनुभव ने मेरे शरीर का रोम-रोम खड़ा हो गया... वासना मेरे अंदर हिलोरे मारने लगी थी| भाभी ने मेरी जीभ को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया था.. मेरा मुख सिर्फ उनके बंद मुख के ऊपर किसी निर्जीव शरीर की तरह पड़ा था परन्तु गर्दन से नीचे मेरा शरीर हरकत में आ चूका था.... मेरे लंड में तनाव आ चूका था और ऐसा लगता था जैसे वो चॆख०चॆख के किसी को पुकार रहा हो!

भाभी कभी-कभी मेरी जीभ को अपने दाँतों से काटती तो मेरे मुख से "मम्म" की हलकी से सिसकारी छूट जाती| अगर ऊपर भाभी आक्रमण कर रही थीं तो नीचे से मेरे हाथ उनके स्तनों को बारी-बारी से गूंदने और रोंदने लगे थे.... जैसे ही भाभी ने सिसकारी के लिए अपने मुख को खोलो मैंने अपनी जीभ उनके चुंगल से छुड़ाई और कमान अपने हाथों में ले ली और ऊपर तथा नीचे दोनों तरफ से हमला करने लगा| सबसे पहले मैंने अपनी जीभ से भाभी के दाँतों को स्पर्श किया ... इसका उत्तर देने के लिए जैसे ही भाभी की जीभ मेरे मुख में दाखिल हुई मैंने उनकी जीभ को अपने दाँतों में भर के एक जोर दार सुड़का मारा....और उसे चूसने लगा ... भाभी के हाथ मेरे हाथों को अपने वक्ष पे दबाने लगे थे.... पर मुझे उनके मुख से आरही दूध की सुगंध इतना मोहित कर रही थी की मैं उन्हें चूमना-चूसना छोड़ ही नहीं रहा था| लग रहा था की मैं आज सारा रसपान कर ही लूँ... मेरा मस्तिष्क मुझे सूचित कर रहा था की बीटा अगर इसी में समय बर्बाद किया तो सुहागरात पूरी नहीं होगी!

मैंने अपने लबों को उनके लबों से जुदा किया... और उनकी गोरी-गोरी गर्दन पे अपने दांत गड़ा दिए| एक पल के लिए भाभी सिंहर उठी...

"स्स्स्स्स्स्स्स्स..... मानु ..... म्म्म्म्म "

उनके मुख से अपना नाम सुन मैं और जोर से उनके गर्दन पे काटा... प्यार की भाषा में इसे "लव बाईट" कहेंगे.... मैंने उनकी गर्दन को काट और चूस रहा था .... क्या सुखद एहसास था वो मेरे लिए...!!! मैं उनकी गर्दन को चूमते हुए नीचे आया.... और उनके वक्ष के पास आके रुक आया | मेरे हाथ अब भी भाभी के स्तनों को मसल रहे थे और भाभी के मुख पे पीड़ा और सुख के मिले-जुले भाव थे| जब उन्होंने देखा की मैं रुक गया हूँ तो उन्होंने आँखें खोली और स्वयं अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगीं... ये समय मेरे लिए बड़ा ही उबाऊ था ... मैं सोच रहा था की कब भाभी के स्तन इस ब्लाउज की जेल से आजाद होंगे? जब भाभी ने सभी बटन खोले तो मैं देख के हैरान हो गया की भाभी ने आज ब्रा पहनी थी! अब मेरे मन में एक तीव्र इच्छा ने जन्म लिया... वो ये थी की मैं उनकी ब्रा खुद उतारना चाहता था| जैसे ही भाभी ने अपने हाथ ब्रा की ओर ले गेन मैंने भाभी को तुरंत चुम लिया.... अपने लबों में उनके लैब कैद कर के मैं अपने हाथ उनकी पीठ पे ले गया ओर भाभी को ब्रा के हुक खोलने से रोक दिया| भाभी अपने हाथ अब मेरी पीठ पर फेरने लगीं .. और उधर मैं अपनी उँगलियों से भाभी की ब्रा के हकों को महसूस करने लगा| वो गिनती में तीन थे... मुझे डर था की कहीं मैं उन्हें तोड़ ना दूँ इसलिए मैं एक-एक कर उनके हुक खोलने लगा| और इधर भाभी ने अपने होंठ मेरी पकड़ से छुड़ा लिए थे और अब वो मेरे होंठों को चूस और अपनी जीभ से चाट रहीं थी| मैंने एक-एक कर तीनों हुक बड़ी सावधानी से खोल दिए और अपने को भाभी के होंठों से जैसे ही दूर किया तो भाभी की ब्रा उचक इ सामने आ गई| मैंने ऊपर से भाभी की ब्रा को स्पर्श किया तो उस का मख्मली एहसास ने मेरी कामवासना को और भड़का दिया!


भाभी ने अभी तक अपनी ब्रा को अपने स्तनों पे दबा रखा था... जैसे की वो मुझसे कुछ छुपाना चाहती हों... तब मुझे एहसास हुआ की दरअसल वो मेरे सुहागरात वाले तोहफे को अच्छी तरह से महसूस करना और कराना चाहती थीं| इसीलिए वो बिलकुल एक नई नवेली दुल्हन जिसे मैं प्यार करता हूँ और ब्याह के लाया हूँ ऐसा बर्ताव कर रहीं थी| मैंने अपने हाथ उनके वक्ष की और बढ़ाये और बड़े प्यार से उनकी ब्रा को पकड़ा और धीरे-धीरे अपनी और खींच के उनके बदन से दूर करने लगा| जैसे ही ब्रा उनके बदन से दूर हुई उन्होंने अपनी नजरें झुका दीं और अपने हाथ से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश करने लगीं| मैंने अभी तक कपड़े पहने हुए थे.... इसलिए सर्वप्रथम मैंने अपना सफ़ेद कुरता उतार दिया और उसे नीचे फैंक दिया| अब मैं और भाभी दोनों ऊपर से नग्न अवस्था में थे|

मैंने भाभी के मुख को ऊपर उठाया ... भाभी की आँखें अब भी बंद थीं| मैंने आगे बढ़ कर उनकी आँखों पे अपने होंठ रखे और उन्हें खोलने की याचना व्यक्त की| भाभी ने अपनी आँखें खोली और मुझे अपने समक्ष पहली बार बिना कपड़ों के देख उन्होंने अपने स्तनों पर से हाथ हटाया और मुझे कास के अपने आलिंगन में जकड लिया| उनके स्तन आज पहली बार मेरी छाती से स्पर्श हुए तो मेरे बदन में आ लग गई| भाभी के निप्पल कड़े हो चुके थे और वो मेरे छाती में तीर की भाँती गड रहे थे| भाभी मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर रहीं थी और मैं उनकी पथ पर हाथ फेर रहा था| मैं उनकी हृदय की धड़कन सुन पा रहा था और वो मेरे हृदय की धड़कन को सुन पा रहीं थी... वो एक गति में तो नहीं परन्तु बड़े जोर से धड़क रहे थे| अब और समय गवाना व्यर्थ था .. इसलिए मैंने भाभी को आलिंगन किये हुए ही अपना वजन उनपे डालने लगा ताकि वो लेट जाएँ| जब वो लेट गईं तब उन्होंने मुझे अपनी गिरफ्त से आजाद किया... आज मैं पहली बार भाभी को अर्ध नग्न हालत में देख रहा था| उनके 36 D साइज के स्तन (मेरा अंदाजा गलत भी हो सकता है|) मुझे मूक आमंत्रण दे रहे थे... मैं भाभी के ऊपर आ गया ... भाभी का शरीर ठीक मेरी दोनों टांगों के बीच में था| मैंने सर्वप्रथम शिखर से शुरूरत की.. मैंने अपना मुख को ठीक उनके बाएं निप्पल के आकर से थोड़ा बड़ा खोला और उन्हें मुख में भर लिया| न मैंने उनके निप्पल को अपने जीभ से छेड़ा और न हीं उसे चूसा... केवल ऐसे ही स्थिर रहा| भाभी मचलने लगीं और अपने हाथ से मेरे सर को अपने स्तन पे दबाव डालने लगीं.. मैं उन्हें और नहीं तड़पना चाहता था इसलिए मैंने उनके निप्पल को अपने होंठन से थोड़ा भींचा ... उसके बा उसे मुख में भर के ऐसे चूसने लगा जैसे की अभी उसमें से दूध निकल जायेगा| भाभी अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकडे अपने बाएं स्तन पे दबाने लगीं... और मैं भी बड़े चाव से उनके निप्पल को चूसने लगा... और बीच-बीच में काट भी लेता| जब मैं काटता तो भभु चिहुक उठती :

"अह्ह्हह्ह ....स्स्स्सस्स्स्स "

करीब 5 मिनट तक उनके निप्पल को चूसने के बाद मैंने उनके स्तनों पे अपने लव बाईट की छप छोड़ दी थी और उनका बयां स्तन बिलकुल लाल हो चूका था| अब मैं और नीच बढ़ने लगा....

भाभी: मानु.... इसे भूल गए ? (अपने दायें स्तन की ओर इशारा करते हुए|)

मैं: नहीं तो.... इसकी बारी अभी नहीं आई|

मैं नीचे उनकी नाभि पर पहुँचा और उसमें से मुझे गुलाब जल की महक आने लगी... मैं अपने मुख को जितना खोल सकता था उतना खोला और उनके नाभि के ठीक ऊपर काट लिया... मेरे पूरे दातों ने अपने लव बाईट का काम कर दिया था| मेरी इस हरकत से भाभी बुरी तरह मचल रही थी.. जैसे की जल बिन मछली तड़पती है|

मैं और नीचे आय तो देखा की मैं भाभी की साडी तो उतारना ही भूल गया! मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहता था क्योंकि मुझे पता था की अगर अजय भैया रसिका भाभी के पास सम्भोग करने के लिए पहुँच गए या कहीं चन्दर भैया ने दरवाजा खटखटा दिया तो बहुत बुरा होगा| इसलिए मैंने जल्दी जैसी भाभी की साडी खींचने लगा... भाभी मेरी मदद करना चाहती थी परन्तु मैं बहुत बेसब्र था| मुझे एक तरकीब सूझी... मैंने भाभी की साडी बिलकुल उठा दी और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.... और एक झटके में उसे नीचे खींच दिया| साडी काफी हद तक ढीली हो गई और फिर मैंने उसे भी खींच-खींच के पूरी तरह से खोल दिया| मैं ऐसे साडी खोल रहा था जैसे किसी बच्चे को उसके जन्मदिन पे किसी ने गिफ्ट दिया हो और उस गिफ्ट पे 2 मीटर कागज़ चढ़ा रखा हो| तब वो बच्चा बड़ी बेसब्री के साथ उस कागज़ को फाड़ना शुरू कर देता है... कुछ ऐसी ही हरकत मैंने की थी|

भाभी ने आज पैंटी भी पहनी है? खेर सबसे पहले मैंने भाभी की योनि को पैंटी के ऊपर से सूँघा और उसी अवस्था में एक चुम्बन लिया| मुझे उम्मीद नहीं थी की पैंटी के ऊपर से मुझे भाभी की योनि की सुगंध आएगी परन्तु मैं गलत था... भाभी की योनि से आ रही मादक महक मुझे मोहित करने लगी थी| मैंने धीरे-धीरे अपनी उँगलियाँ उनकी पैंटी की इलास्टिक में डाली और उसे पकड़ के नीचे खींच दिया और भाभी के शरीर से दूर कर दिया| अब मेरे समक्ष भाभी का पूरी तरह से नग्न शरीर था.... मैं टकटकी लगाये उन्हें निहारने लगा ... क्योंकि आज मैंने पहली बार भाभी को इस अवस्था में देखा था | भाभी ने शर्म के मारे अपने चेहरे को हाथों से छुपा लिया... मुझे मालुम था की भाभी का हाथ कैसे हटाना है ....मैं नीचे झुका और उनकी योनि पे अपने होंट रख दिए और आणि जीभ की नोक से उनके भगनासा को एक बार कुरेद दिया| भाभी मेरी इस प्रतिक्रिया से उचक गईं.....

"अह्ह्ह्हह्ह .... मानु प्लीज !!!!"

अब भाभी ने अपने मुख से हाथ हटा लिया और मुख पे यातना के भाव थे... मुझे उन पर दया आ गई और मैं पुनः उनकी योनि पे झुक गया और रसपान करना शुरू किया| सर्वप्रथम मैंने अपनी जीभ से भाभी की योनि नापी और जितना हो सकता था अपनी जीभ को भाभी की योनि में प्रवेश कराता गया| एक बार जीभ अंदर पहुँच गई तब मैंने भाभी की योनि के अंदर अपनी जीभ से उत्पात मचाना शुरू कर दिया| मैं अपनी जीभ को उनकी योनि के भीतर गोल-गोल घूमने लगा.... जैसे की मैं उनकी योनि में खुदाई कर रहा हूँ| भाभी के भाव बदल चुके थे... वो छटपटाने लगीं थी.... और रह रह के अपनीकमर उठा के पटकने लगीं थी| मैं भी ज्यादा देर तक ये खेल नहीं खेल सका क्योंकि मुंह दर्द होने लगा था... मैंने अपनी जीभ से भाभी के भगनासा को पुनः कुरेदना शुर कर दिया और बीच-बीच में मैं अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी योनि में दाल 4-5 बार गोल घुमा देता और भाभी फिर छटपटाने लगती| भाभी की योनि ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया था... और वो तरल रह-रह के बहार निकलने लगा था... जैसे ही वो बहार आता तो मैं किसी भालू की भाँती अपना मुख भाभी की योनि से लाग उनके रस को चाटने लगता| मैंने भाभी की योनि के दोनों कपालों को अपने मुख में भर चूसने लगा.... और इधर भाभी का छटपटाने से बुरा हाल था..... वो कभी अपना सर बार-बार तकिये पे पटकती ... तो कभी अपने हाथ से मेरे सर को अपनी योनि पे दबाती, मनो कह रही हो की "मानु रुको मत !!!" मुझे भी उनकी योनि चूसने-चाटने में अजब आनंद आने लगा था| मैं कभी उनके बहगनासा को अपने मुख में भर लेता और उसे चुस्त... चाटता... और कभी-कभी तो उसे हलके से काट लेता| जब मेरे दांत भाभी के भगनासा को स्पर्श होते तो वो सिंहर उठती और कमान की तरह अपने शरीर को अकड़ा लेती|

धीरे-धीरे भाभी के शरीर में मच रहे तूफ़ान को भाभी के लिए सम्भालना मुश्किल होता जा रहा था... उन्होंने बड़ी जोरदार सिसकारी ली....

"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.... माआआआआआआआआआआआआआ"

मैं समझ चूका था की भाभी चरम पर पहुँच चुकीं हैं... भाभी का बदन कमान की तरह हवा में उठ गया... उनकी कमर हवा में थी और सर तकिये पे.... इसलिए मैंने भाभी की पूरी योनि अपने मुख में भर ली!!!  


जैसे ही भाभी के अंदर का तूफ़ान बहार आया उन्होंने बिना रोके उसे मेरे मुख के भीतर झोंक दिया| उनके रस की एक-एक बूँद मेरे मुख में समाती चली गई.... मैं भी बिना सोचे-समझे उनके मनमोहक रस को पीता चला गया|

भाभी निढाल होक वापस बिस्तर पे गिर चुकी थी... मुझे खुद पे यकीन नहीं हुआ की केवल दस मिनट में मेरी जीभ ने भाभी का ये हाल कर दिया था| भाभी की सांसें तेज चलने लगी थी ... या ये कहूँ की वो हांफने लगीं थी ..... मैं पीछे होक अपने पंजों पे बैठा था और उनका योनि रस जो थोड़ा बहुत मेरे होंठों पे लगा था उसे मैंने अपनी जीभ से साफ़ कर रहा था, की तभ भाभी ने मुझे इशारे से अपने ऊपर बुलाया| मैं उनके मुख के पास आया तो उन्होंने अपनी बाहें मेरे गले की इर्द-गिर्द डाली और मुझे चूम लिया!

भाभी: मानु... अब और देर मत करो!!! मेरे इस अधूरे शरीर को पूरा कर दो !!!

मैंने अभी भी पजामा पहन रखा था और इस अवस्था में मैं अपने नाड़े को नहीं खोल सकता था.... मेरी मजबूरी भाभी ने पढ़ ली और उन्होंने अपने हाथ नीचे ले जाके मेरे पजामे के नाड़े को खोल दिया.... मैं पीछे हुआ और चारपाई पे खड़ा हो गया.... मेरा पजामा एक दम से फिसल के नीचे गिरा और अब केवल मैं अपने फ्रेंची कच्छे में था| मेरे लंड का उभार भाभी साफ़ देख सकती थी और उसपे सोने पे सुहाग ये की मेरा कच्छा मेरे लंड के रस से भीग चूका था| मैंने अपने आप को कच्छे की गिरफ्त से आजाद किया तो मेरा लंड बिलकुल सीधा खड़ा था ... उसका तनाव इतना था की उसपे नसें उभर आईं थी| मैं वापस भाभी के ऊपर आया ... उनके योनि की दनों पाटलों को अपने दोनों हाथों के अंगूठे से खोला और अपने लंड को भाभी की योनि में धीरे-धीरे प्रवेश कराने लगा| जब मेरे लंड के सुपाड़े ने भाभी की योनि को छुआ तो एक करंट सा मेरे शरीर में दौड़ा ....और उधर भाभी मुझे अपने ऊपर बुला रहीं थी|

मित्रों अब भी सोच रहे होंगे की इस हालत में तो मुझे सब से ज्यादा जल्दी मचानी चाहिए थी.... परन्तु भाभी के प्रति प्यार ने मुझे अब तक थामे रखा था| मुझे डर था की भाभी को अधिक दर्द न हो ... इसलिए मैं सब कुछ बहुत धीरे-धीरे कर रहा था|

मैं धीरे-धीरे भाभी के ऊपर आ गया और मेरा लंड भाभी की योनि में लग भाग पूरा घुस चूका था.... भाभी के मुख पे आनंद और तड़प के मिले-जुले भाव दिख रहे थे| अभी तक मैंने धक्के लगाना शुरू नहीं किया था.... मैं पोजीशन ले चूका था और चाहता था की एक बार भाभी एडजस्ट हो जाएँ तब मैं हमला शुरू करूँ| भाभी ने अपने हाथ मेरी गर्दन के इर्द गिर्द लपेटे.... नीचे से उन्होंने अपने पाँव को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेटा... मैंने जब भाभी के मुख पे देहा तो उनके मुख पे दर्द उमड़ आया था.... मुझे यकीन नहीं हुआ की भाभी को दर्द हो रहा है.... परन्तु ये समय प्रश्नों का नहीं था और वो भी ऐसे प्रश्न जो भाभी को फिर रुला देते| मैंने उनकी इन प्रतिक्रियाओं को उनका आश्वासन समझा और लय-बध तरीके से धक्के लगाना शुरू किया| भाभी की आँखें बाद थीं और मुख खुला....

"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ........ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ..... अह्ह्ह्ह्ह्न्न ......अम्म्म्म्म .... माआअ "

ये सिस्कारियां कमरे में गूंजने लगीं थी.... मेरी गति अभी बिलकुल धीरे थी! मुझे डर सताने लगा था की कहीं भाभी की सिसकारियाँ नेहा को ना जगा दें| इसलिए मैंने उनके लबों को अपने लबों की गिरफ्त में ले उनकी सिसकारियाँ मौन करा दी| मेरी धीमी गति में भाभी की मुख से सिसकारियाँ फुट पड़ीं थी... यदि मैं गति बढ़ता तो भाभी शायद चीख पड़ती| फिर मुझे ये भी अंदेशा था की यदि मैंने गति बढ़ा दी तो मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाऊँगा... और जल्दी चार्म पे पहुँच जाऊंगा| जबकि मेरी इच्छा थी की काम से काम भाभी को दो बार चार्म तक पहुँचाऊँ!!! इसलिए जब मेरे अंदर का सैलाब उमड़ने को होता तो मैं एक अल्प विराम लेता और भाभी के जिस्म को बेतहाशा चूमता| जब सैलाब का उफान काम होता तब मैं वापस अपनी धीमी गति से झटके देता रहता| अब भाभी की कमर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी थी... और उनका डायन स्तन जिसे मैंने प्यार नहीं किया था उसे भी तो प्यार करना बाकी था| इसलिए मैंने एक पल के लिए अल्प विराम लिया और भाभी के दायें स्तन को अपने मुँह में भर चूसने लगा| मैंने उनके निप्पल को अपने दाँतों में ले के हल्का सा काटा तो भाभी छटपटाने लगीं| उन्हें और पीड़ा नहीं देना चाहता था इसलिए मैं उनके स्तन को चूस्ता रहा और बीच-बेच में उनके निप्पल को अपने होंठों से दबा देता... या उनके निप्पल को अपनी जीभ की नौक से छेड़ देता|
 















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