अफ़रोज़ की पड़ोसन संगीता--05
संगीता का मूह हल्के-हल्के चोद्ते अफ़रोज़ बोला,"अफ साली क्या मस्त चुस्ती है तू संगीता,और अन्दर लेके चूस मेरा लंड मेरी रानी." अपना लंड संगीता के मूह मई घूमाते अफ़रोज़ आगे बोला,"संगीता कैसा है मेरा लंड बताओ?"संगीता बिना बोले लंड चूसने लगती है.लंड चूसने से उसका मूह दुखने लगता है.लंड से ज़रा पानी निकलके उसके मूह मई गिरता है तो वो लंड मुहसे निकाल ने की कोशिश करती.लेकिन अफ़रोज़ उससे लंड निकालने नही देता उल्टा उसके माममे दबाते लंड उसके मूह मई घुसता है.संगीता का सिर पकड़के उसका मूह ज़ोर्से चोदने लगता है.अफ़रोज़ अब ज़ड़नेवाला है इसलिए संगीता के मूह मई ज़ड़ना चाहता है.कासके सिर पकड़ते अफोर्ज़ बोला,"ले और चूस मेरा लंड संगीता,तेरे मूह की गर्मी इससे पागल बना रही है मेरी रानी.और मस्ती से चूस मेरा लॉडा संगीता."संगीता अब जी-जान से अफ़रोज़ के हाथ से छूटने की कोशिश करती है.इतना लंड घुसने से उसका मूह फाट रहा था और उससे बहुत दर्द होता है.पर अफ़रोज़ बेरहम बनके उससे छूटने नही देता उल्टा उससे और कासके पकड़के उसका मूह और जल्दी-जल्दी चोदने लगता है****का लंड जब पानी छोड़ने लगता है वैसे अफ़रोज़ पूरा लंड संगीता के मूह मई घुसके अपनी गंद आगे पीछे करते संगीता के मूह मई ज़दते बोला,"उफफफ्फ़ आआअहह संगित्त्ताआ ले ले मेरा पानी ले साली.साली तारे गर्म मूह ने बड़ी जल्दी मारे लंड को ज़ड़वा दिया संगीता. तेरा मूह इतना गर्म है तो चूत कैसे होगी रानी?" ज़िंदगी मई पहले बार मूह मई लंड के ज़दने के बाद संगीता लंड मुहसे निकलती है.मूह से काफ़ी पानी संगीता के नंगे सिने पे गिरता है.मूह मई जितना पानी था उससे बाजू मई ठूकते बोली, "उम्म्म्म उफफफफ्फ़ ओह,अफ़रोज़ यह क्या किया तुमने?मारे मूह मई यह पानी कैसे आया?क्या तूने पिशब की मारे मूह मई?श्िीिइ, कितना गंदा लग रहा है मुझे." संगीता बार-बार ठूकते सब पानी मूह से निकालने लगती है.सीना पे गिरा पानी संगीता के मम्मो पे रगड़ते अफ़रोज़ बोला,"संगीता,यह पिशब नही,मेरा पानी है,आज यह पानी तारे मूह मई डाला है,जब तेरी चूत मई डालूँगा तब तू मारे बcचे पैदा करेगी." अफ़रोज़ का हाथ सिने से हटाने की कोशिश करते संगीता ज़रा गुस्से से बोली,"श अफ़रोज़ मुझे छोड़ो मुझे.तुम बहुत गंदे हो." अफ़रोज़ संगीता को नही छोड़ता उल्टा लंड संगीता के मम्मो पे घूमते बोला,"क्यों गंदा हून मई?आइसा क्या किया मैने रानी?" संगीता अभी भी बहुत गर्म है पेर शर्मा रही है.वो अफ़रोज़ से नज़र भी नही मिला पा रही थी.अपने सिने पे हाथ रखते वो शरमाते बोली,"और नही तो क्या?देखो तुमने मुझे गांडा कर दिया.अफ देखो क्या किया है तूने मारे सिने पे पानी डालके."संगीता के हाथ उसके ही माममे पे दबाते और अपना लंड फिर संगीता के चहेरे पे घूमते अफ़रोज़ अब प्यार से बोला,"क्या गंदा किया मैने संगीता?आरे तारे सिने पे तो मैने तो अपने प्यार की निशानी दी है.देखो इसमे गांडा कुछ नही,सब पति पत्नी आइसे ही करते है समझी मेरी रानी?" दिल मई तो संगीता को खूब गल्लिया डटे अफ़रोज़ सोचा की साली रांड़ कल तुझे देख कैसे छोड़ूँगा, छीनाल मुझे बहुत तडपया है तूने.'संगीता ज़रा नाराज़ी से बोली,"अफ़रोज़ यह सब मुझे अछा नही लगा.मुझसे आजके बाद ऐसा मॅट करना कभी ठीक है?" अफ़रोज़ भी प्यार से बोला,"ओक मेरी रानी नही करूँगा,ठीक है?पर मुझसे मिलने तो आओगी ना कल मारे घर?" संगीता हॅंकी से अपना नंगा सीना अफ़रोज़ के सामने सॉफ करने लगती है.सीना सब जगह चिप छिपा हुआ था उसका पर अफ़रोज़ की हरकत सोचके उससे अक्चा भी लग रहा था. वो ज़रा नाराज़ी से बोली,"अब नही आयूंगी अफ़रोज़ तुमसे अकेली मिलने.तुम बहुत गंदे हो,कुछ भी कही भी कर डालते हो मारे साथ." अफ़रोज़ संगीता की हॅंकी खिचके दूर फेकटे उसके माममे सहलाते बोला, "आगर तू नही आयागी तो तुझे अभी जाने ही नही दूँगा समझी संगीता?रातभर तुझे यही रुकके रखते खूब मस्ती करूँगा तारे जिस्म से,बोल आएगी ना?" संगीता को अफ़रोज़ से मसलके लाने फिर अछा लगता है.अफ़रोज़ अब उसके निपल चोस्टे उसकी चूत सहलाता है. संगीता अफ़रोज़ के हाथ का खिलोना बनते जिस्म अब फिर से उसके हवाले करते बोली,"अफ़रोज़ मुझे जाने दो प्लीज़,ऐसा मॅट करो.उम्म नही अफ़रोज़ तुम मेरे साथ ये गंदा करते हो ना इसलिए मई नही आयूंगी.मुझे नही पता था तुम ऐसा करोगे नही तो मई तुमसे कभी बात नही करती." इस बात पे गुस्सा होते अफ़रोज़ संगीता की पनटी मई हाथ डालके उसकी छूट सहलाते माममे बेरहमसी से मसालते और उससे किस करते बोला,"ठीक है मत आना,लेकिन अब मई तुझे जाने ही नही दूँगा तो क्या करेगी?बोलो आओगी या नही संगीता मुझसे मिलने कल मारे घर?"अपने जिस्म से हो रही मस्ती संगीता को बहुत आक्ची लग रही थी.वो 'ना-ना' करते खेल का माज़ा ले रही थी.10 मिनिट अपना जिस्म ऐसे ही मसालते लाने के बाद संगीता अफ़रोज़ के इस खेल के सामने हारके हल्की आवाज़ मई बोली,"ह हाआँ आज़ौंगी,प्लीज़ मुझे छोड़ो,आह उहीई.अब बस करो अफ़रोज़,मई कल आयूंगी बोला ना?अब मेरा जिस्म और मॅट मस्लो." संगीता के पुर जिस्म से खेलते अफ़रोज़ बोला,"तू क्या बोली,मुझे कुछ समझा नही,ज़रा ठीक से उँची आवाज़ मई बताओ मुझे संगीता रानी." संगीता को अब बहुत मज़ा आता है और दर्द भी होता है अफ़रोज़ के मसालने से पर वो बोली,"अफ़रोज़ तुमसे मई कल मिलूंगे तारे घर आके.उूुउउफ़फ्फ़ अहह मुझे छोड़ो ना अब अफ़रोज़,दर्द हो रहा है अब."आख़िर मई संगीता की बात मनके अफ़रोज़ उससे छोड़ता है.संगीता अपना माममे ब्रा मई भरके,शर्ट के बटन लगती है.अपना हुलिया ठीक करके जैसे वो जाने लगती है अफ़रोज़ उससे पकड़के किस करके और उसके माममे मसलके कल दोपहर को मिलने का वादा लेता है.संगीता को भी यह खेल का और मज़ा लेना था इसलिए उससे कसम खाए की वो कल ज़रूर आयगी और फिर अपने घर गये.संगीता उस रात सो ना सकी.अपना जिस्म से उससे अजीब से फीलिंग आ रही थी.मर्द का स्पर्श इतना अछा हो सकता है यह उससे पता नही था.वो खुद अपना जिस्म मसलके ले रही थी अपने हाथो.अफ़रोज़ का अपने माममे और चूत का मसलना, गांद पे लंड रगड़ना और फिर उसका लंड चूसना अभी भी बड़ा याद आ रहा था.बिस्तर पे लाते के वो यह सब सोच रही थी की कल अफ़रोज़ और क्या-क्या करेगा उसके जिस्म के साथ.वाहा अफ़रोज़ भी कमसिन संगीता के बारे मई सोचके लंड मसल रहा था****ने ठन ली की कल वो संगीता को चोद्के ही रखेगा.जिस हिसाब से आज उसने लंड चूसना था अफ़रोज़ समझ गया की ज़रसा प्रेशर डालने से संगीता कोई भी बात मान लेती है****ने टाई किया की कल वो संगीता को डॉमिनेट करके उसके चूत चोद्के रखेगा.दूसरे दिन अफ़रोज़ सिर्फ़ लूँगी और शर्ट मई बैठा था जब संगीता आए.दरवाज़ा खुला ही था और वो घर मई आए.जैसे संगीता आंदार आए अफ़रोज़ ने डोर बंद करके उससे गौर से देखा****के बताने के मुताबिक संगीता ने शॉर्ट रेड त शर्ट और नीचे मिनी ब्लॅक स्कर्ट पहना था.इस ड्रेस मई संगीता का जिस्म बड़ा सेक्सी लग रहा था.संगीता सोफे पे ज़रा डरते नज़र नीचे करके बैठती है.अफ़रोज़ संगीता को बहो मई लेक गाल चूमते बोला,"कैसे है मेरी जान तू?मुझे रात भर नींद नही आए.मई तो बस पूरी रात तारे बारे मई सूच रहा था.मेरी संगीता जान,इतनी डारी क्यों हो तुम रानी?" संगीता अफ़रोज़ का हाथ थमते बोली, "अफ़रोज़ मेरा भी यही हाल था.मुझे भी रात भर तेरी बड़ी याद आए.मई भी रात भर सो ना सकी."संगीता को पास खिचते उसके हूथ चूमते अफ़रोज़ बोला,"आ मेरी जान,तेरी बात सुनके बड़ा अछा लगा मुझे.संगीता अपने इस पहले मिलन की खुशी मई मैने तारे लिए गिफ्ट लाया है.तारे जिस्म पे बिल्कुल अची लगेगी वो गिफ्ट.बड़े प्यार से चुन के लाया हून तारे लिए." अफ़रोज़ के बालो से हाथ फेरते संगीता बोली,"अफ़रोज़ थॅंक्स मारे लिए गिफ्ट लाने.लेकिन सॉरी मैने तारे कुछ नही लाया. नेक्स्ट टाइम मई ज़रोर कुछ ना कुछ लायुंगी तारे लिए." शर्ट के उप्पर से कविता के माममे दबाता अफ़रोज़ बोला,"आरे उसकी कोई ज़रोरत नही रानी,मारे लिए गिफ्ट के बदले तेरा यह जिस्म है ना?इतना सेक्सी और गर्म गिफ्ट है मारे लिए तो मुझे और क्या चाहाए है ना?संगीता तुझे वो गिफ्ट जाके उस अलमारी के उप्पर से उतरना पड़ेगा ठीक है?" अफ़रोज़ के उसके जिस्म के बारे मई की बात सुनके संगीता खुश होती है. अफ़रोज़ के हाथ जैसे उसके माममे पे पड़ते है वो मचलते अफ़रोज़ को लंबा किस करते बोली,"बड़ा शैतान है तू,सीधे-सीधे ऐसे बात करने शर्म नही आती तुझे?अफ़रोज़ गिफ्ट मई जाके उतरके देखती हून."संगीता अलमारी के पास जाती है पर गिफ्ट उसके हाथ नही लगता.वो जैसे पैर उँचे करती है उसका स्कर्ट पीछे से उठ जाता है.अफ़रोज़ इसी वक़्त के इंतज़ार मई था.जैसे ही संगीता का स्कर्ट करीबान उसकी पनटी तक आता है वो झट से उसके पास जाके संगीता की मिनी स्कर्ट के नीचे हाथ डालके उसकी पनटी नीचे खीची.जब तक संगीता को इस बात का अंदाज़ा होता है अफ़रोज़ उसकी पनटी पूरी तरह नीचे खिचता है.संगीता अचानक हुए इस हमले से सावरते नीचे झुकके पनटी उठा ते बोली,"ऑश अफ़रोज़ नहियीई,,यह क्या कर रहे हो?प्लीज़ मुझे छोड़ो नेया,यह मेरी पनटी क्यों उतरी तूने?" जैसे संगीता पनटी उप्पर करने झुकी अफ़रोज़ उसकी नंगी गांद पे हल्के से 2-3 थप्पड़ मारते संगीता की पैरो मई पड़ी पनटी को अपने पैर से दबाता है जिसके वजह से संगीता अब अफ़रोज़ सामने झुककी थी.दूसरे हाथ से झुकी हुई संगीता के माममे दबाते अफ़रोज़ बोला,"उम्म संगीता रानी, गिफ्ट चाहाए तो मुझे पहले तारे इस जिस्म को नंगा करके चोदने का गिफ्ट देना होगा तुझे समझी? आइसे फ्री मई गिफ्ट तो मई किसी को भी नही देता तो तेरी जैसे मस्त माल को कैसे डून रानी?वैसे मई जनता हून की तुझे भी यह सब चाहाए,तेरी यह कमसिन जवानी अब मर्द की बाहू मई सोना चाहती है.बोल गिफ्ट चाहाए तो मुझे तारे मस्त जिस्म को नंगी करके देगी ना संगीता?"..
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