एक गाँव की कहानी - पार्ट ०5
आशा हरिया को और उकसाना चाहती थी, यही सोचते हुए वो हरिया को लेकर कमरे में चली गयी और दरवाज़ा बंद कर लिया. जैसे ही आशा दरवाज़ा बंद करके पलटी तो हरिया उसे अपनी बाहों में भरके अपनी छ्चाटी से उसके मॅमन को दबाने लगा. आशा को बहुत मज़ा आरहा था, मगर उसने अपने अप पर काबू पाया और अपने भाई को धकेल दिया, "भैया यह क्या कर रहे हो, मैं तुम्हारी बड़ी बहें हूँ, तुम्हारी रांड़ नहीं जो ऐसे दबोच रहे हो. कुच्छ तो शरम करो. चलो डोर हटो मुझसे"
हरिया परेशन हो उठा, यह अचानक आशा को क्या होगआया है, बाहर तो सब के सामने मुझसे चुम्मचाती कर रही थी, अंदर आते ही सती सावित्री बन गयी.
हरिया: " क्या हुआ आशा दीदी, तुम जानती हो मैं तुम्हारा कितना दीवाना हो चुका हूँ. अब तो तुम्हें छोड़े मगर मैं ज़िंदा नहीं रह सकता. और तुम भी मेरा लॉडा अपनी च्छेदों में लेने के लिए तरस रही थी. बाहर तो बाज़ाअरू छिनारों की तरह मुझसे लिपट रही थी, कमरे में आते ही अचानक तुम बदल कैसे गयी."
आशा हरिया को एहसास दिलाना चाहती थी, के वो अपनी सग़ी बहें को छोड़ने जेया रहा है, दुनिया का सबसे बड़ा पाप वो करने जेया रहा है, और वो जानती थी के पाप करने में कितना मज़ा आता है, वो हरिया को उस मज़ा का एहसास दिलाना चाहती थी.
आशा: "शरम कर बहेनचोड़, मैं तेरी बहें हूँ, सग़ी बहें. तू और मैं एक ही बाप के लॉड के पानी से बने हैं, एक ही मया की भोसरे से निकले हैं और तू मेरी चूत और गांद में लंड पेलकर छोड़ना चाहता है, चीए तू कितना गंदा है, पापी!!!"
हरिया कलौदा जो ज़रा मुरझगया था, अब फिर से आशा की मसालएडार बातें सुनके तंन हो गया. वो समझ गया की आशा उसे और उकसाने की कोशिश कर र्ही है. वो भी इस खेल में शामिल हो गया.
हरिया: " हां आशा आइडी, मैं तुझे अपनी छिननार बनाना चाहता हूँ, तू मेरी रांड़ बन कर रहेगी. पहले तो मैं तुझे खूब छोड़ूँगा, तेरी चूत को भोसड़ा और तेरी गांद को चूत बनौँगा. फिर मैं तेरे मुँह में खूब मुतुँगा, तुझसे अपनी गांद चत्वौनगा. अब तू मुझसे नहीं बच सकती."
आशा समझ गयी के हरिया को उसका खेल समझ में आ चुका है और वो मॅन ही मॅन खुषहोटे हुए बोली, "साले रांड़ के जाने, तू मुझे अपनी रांड़ बनाएगा, अपनी सग़ी बहें को गाओं की रंडी बनाएगा, भद्वे तुझे ज़रा भी शरम नहीं आई ऐसा कहते हुए, मैं मार जौंगी मगर कभी तेरे लंड को अपनी इश्स चूत(ल़हेंगा उठाके चूत की तरफ इशारा करते हुए) या गांद (पीछे मूड के गांद में उंगली डालते हुए बोली) के पास भी भटकने नहीं दूँगी. समझा, और तेरा मूट पीने का तो सवाल ही नहीं उठता, तू क्या समझता है मैं तेरा लंड खुशी खुशी अपने मुँह में लेके तेरा मूट पियूंगी, सपने देखना छ्चोड़ दे. तूने क्या सोच तू मेरी तरफ गांद कर्क बोलेगा "चाट" और मैं तेरी गंदी बदबूदार गांद में जीभ डालके पूरी गांद चाट लुन्गि.आइस कभी नही होगा, मैं अपनी मया की चूत की कसम ख़ाके कहती हूँ"
हरिया तो अब हवस से पागल हो रहा था, वो आशा की ओर लपका और उसे अपनी मजबूत बाहों में भर के उसके मुँह में अपनी जीभ डालके उसका मुँह के अंदर चाटने लगा. फिर अपने हाथों को नीचे जाने दिया और उसके गोल गोल छूटरों को मसालने लगा. आशा को एहसास हुआ के लोहा गरम हो चुका है, अब तो बस उसे रास्ता दिखाने की ज़रूरत है.
आशा: " भैया छ्चोड़ मुझे, बस बहुत होगआया, तूने मेरा मुँह चूस लिया यही बहुत है. अब मेरी चोली उतार के मेरे मॅमन को मुँह में लेके मत चूस. अपनी सग़ी बहें के मॅमन को कोई भाई ऐसे नहीं मसलता."
हरिया समझ गया के आशा उसे अपने मम्मे चूसने और मसालने को कह रही है. उसने अपने हाथ आशा के नितंबों से हटाकर उसकी चोली पे डाल दिया और एक ही झटके में उसे फाड़ दिया. आशा के दो खूबसूरत कबूतर बाहर निकल आए जो किसी भी मर्द को खून क़त्ल करने पर भी मजबूर कर सकते थे. बस हरिया की तो बोलती बंद हो गयी थी आशा के मॅमन को देख के, वो खुद को कोसने लगा ऐसा फाटका घर में होते हुए वो लड़की की तलाश में कहाँ कहाँ भटकता रहा, कितने ही लीटर पानी मुत्ह मारके बर्बाद कर दिया. अब तो दुनिया की कोई भी ताक़त उसे अपनी बहें की जवानी लूटने से रोक नहीं सकता था. वो फॉरेन उसका एक निपल मुँह में लिया और ज़ॉरज़ोर से चूसने लगा और दूसरे मम्मे को बेरहमी से मसालने काग़ा. आशा को दर्द होने लगा पर मज़ा भी बौट आने लगा. वो भी कहाँ शरीफों वाला प्यार चाहती थी, उसे भी ऐसी ज़ोर ज़बरदस्ती वाली चुदाई की तमन्ना थी. वो सिसकारियाँ मार्टी हुई अपने भाई की चूसा का मज़ा ले रही थी.
आशा|: "क्या करता है भैया, ऐसा मत कर दर्द होता है. ऊओह आआहह क्या चूस्ता है मेरे राजा, और चूस अंदर तक मुँह में लेके चूस, मसल दे, बहुत तदपि हैं मेरे मम्मे एक मर्द के हाथों के लिए. अब पूरी तरह से मिटा दे इनकी तड़प. आअहह आहह. मगर एक बात बताए देती हूँ, अपने दूसरे हाथ को नीचे ले जाके मेरी गांद में उंगली मत कर, मुझे गांद में उंगली करवाना बिल्कुल पसंद नहीं."
हरिया इशारा समझ गया और अपने एक हाथ को आशा की कमर के नीचे जाने दिया और उसका ल़हेंगा उठाके उसकी गांद के च्छेद में उंग्लिदाल कर अंदर बाहर करने लगा. काफ़ी चिकनी और सकरी थी आशा की कुँवारी गांद. अब तक किसी मर्द की सख़्त उंगलियाँ उसकी गांद के च्छेद में नहीं घुसी थी. आशा को जन्नत में ताहेलने का एहसास हो रहा था . एक ओर जहाँ उसके मॅमन को चूसा जेया रहता वहीं दूरी तरफ उसकी गांद में पहली बार एक मर्द की उंगलियाँ घुस रही थी. बस वो समझ गयी थी अब ज़िंदगी में कुच्छ करना है तो बस चूड़ना छुड़ाना है. ज़िंदगी में चुदाई के सिवा कुच्छ नहीं रखा है.
आशा: "बहेनचोड़ हरिया, तुझे शरम नहीं आती किसी लड़की की गंद में उंगली करते हुए, जानते नहीं यह वो च्छेद है जिसमें से हम लड़कियाँ हागती हैं, टट्टी निकलती है हमारी यहाँ से, और तुम उसी च्छेद में उंगली घुसा रहे हो और वो भी तब जब वो लड़की तुम्हारी अपनी सागिइ बड़ी बहें है.. तुम बड़े हररामी हो. ना जाने कितनोे सुअरों को चोद के मेरी मया ने तुझे जन्मा है. अब क्या उंगली निकाल के नाक से सूँघेगा और मुँह में डालके चातेगा."
हरिया ने ठीक वैसे ही, आशा की गांद में से उंगली निकाली और उसकी बदबू सूंघने लगा और फिर उसे अपने मुँह से चाटने लगा. आशा को बहुत खुशी हुई के उसका भाई बिल्कुल स्के इरादों पे खरा उतार रहा है. उसकी हवस इतनी बढ़ चुकी थी के वो उस से कुच्छ भी करवा सकती थी.
आशा: "चीईईईईईई, कितने गंदे बहेनचोड़ भाई है मेरा, मेरी गांद में उंगली करके उसेकि बदबू सूंघ रहा है, उस उंगली पे लगी मेरी टट्टी को चाट रहा है. कैसी लगी मेरी गांद की बदबू और उसका स्वाद?"
हरिया: "दीदी क्या मस्त बू है तेरी गांद का, तेरा पाद तो बहुत बार सूँघा है मगर तेरे गांद की बदबू इतने करीब से कभी नहीं सूँघी. कसम से दीदी क्या बदबू है , सौ बार भी झाड़ जाने पर ,अगर इसकी बदबू सूँघले कोई तो उसका लॉडा फिर से खड़ा हो जाएगा और इसका स्वाद लाजवाब है, ज़्यादा तो कुच्छ मुँह में नहीं आया पर अब तो पूरा का पूरा हलवा खाने को मॅन कर रहा है."
आशा: " क्या तू मेरे गांद में पके हुए हलवे को खाने की सोच रहा है, मैं तो समझी की गांद की इतनी खराब बदबू सूँघकर तू मेरी गंद से डोर भागेगा पर तू तो हवस में इतना पागल हो चुका है के तुझे मेरी गांद का हलवा खाने का मॅन कर रहा है, कलयुग है घोर कलयुग है. अब चल अलग हो जाते हैन.Bअस बहुत हो गया. ऐसे क्या देख रहा है, मेरे कबूतर भी चूस लिए और गांद में उंगली भी कर ली अब क्या चूत चतेगा मेरी. चल गाओं में जाके किसी रांड़ को चोद."
हरिया: "गाओं की सबसे चुड़क्कड़ छिननार और रांड़ तो मेरे ही घर में मेरे सामने चोली फड़वाकर खड़ी है. अब इस से अच्छी चूत मुझे चाटने को कहाँ मिलेगी. चल मुझे अपना ल़हेंगा खोलने दे"
आशा: "कमीने वहाँ से भगवान देख रहा है सब कुच्छ, तू पाप कर रहा है. एक लड़की अपना चूत सिर्फ़ अपने पति को दिखाती है, अपने भाई को नहीं. यह ग़लत है न्हैया. तुझे पाप लगेगा. मुझे अपनी रांड़ मत बना, चाहे तो एक बार फिर मेरी गांद में उगली कर ले मफ़ॅर मेरी चूत बक्ष दे. मैं तुझे यह चूत चाटने और छोड़ने के लिए नहीं दे सकती. भगवान के लिए छ्चोड़ दे मुझे."
हरिया: "मैं अगर तुझे भगवान के लिए छ्चोड़ दिया तो मैं किसको छोड़ूँगा, मेरा लॉडा तेरी चूत का भूखा है. बचपन में ही मया भगवान के लिए हमें छ्चोड़कर चली गयी. अब क्या तुझे भी भगवान के लिए छ्चोड़ दूं. नहीं तू तो बस मेरी पर्सनल रांड़ है" कहते हुए हरिया ने आशा के ल़हेंगे का नाडा खींच लिया और आशा पूरी की पूरी मदरजात नंगी खड़ी थी अपने सगे भाई के सामने, जिसपल का आशा को ना जाने काब्से इंतेज़ार था वो पल अब बस कुच्छ ही दूरी पे था. उसकी चुदाई का सपना और वोह्भी अपने भाई, इस से अच्छा और क्या हो सकता था. उसने ना ही अपने चूत च्छुपाने की कोशिष्कार्रही थी ना ही अपने मॅमन को ढकने की. वो तो बस हरिया का अगला कदम उठाने का इंतेज़ार कर रही थी."
हरिया आशा के पास आया, उसे पास वाले खटिया पे धकेल दिया और अपने मज़बूत हाथों से उसकी टाँगें फैला दी, जिस जन्नत के बारे में सोच सोच के ना जाने कितनी रातें तरसा था वो जन्नत का दरवाज़ा उसके आँखों के सामने खुला पड़ा था, आशा की चूत , हवस की प्यास से पानी पानी हो गयी थी. वो हरीयाकी आँखों में चमक देखकर बहुत खुश हुई. पर वो कुच्छ नहीं बोली, वो देखना च्चतिथि के हरिया क्या करेगा और कैसे करेग.ःअरिअ अपना चेहरा आशा की चूत के पास ले गया और अपनी नाक उसके चूत पे रख कर गोल गोल घूमने लगा और चूत की खुश्बू का मज़ा लेने लगा. आआआहह क्या खुश्बू थी वो, एक जवान लड़की की रिस्टी हुई चूत से आती हुई खुश्बू दुनिया की सबसे अच्छी बू होती है. हरिया उस खुश्बू को कुत्ते की तरह सूंघ रहा था, आशा से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और बोल पड़ी, "अरे मदारचोड़, जल्दी से जीभ डालडे मेरी चूत में और छत मेरी चूत को, बर्दाश्त नहीं हो रहा है हरिया, डाल दे अंदर तक डालके चाट, चूस चूस के लाल कर दे मेरी चूत को. आअहह आहह ऊवन्न्ननणणनह म्म्म्मममममममम क्या चूस्ता है रे तू आहह मज़ा आगेया, मेरी सारी सहेलियों से चूत चुस्वा चुकी हूँ मगर आज तक ऐसा मज़ा नहीं आया, जन्नत दिख रहा है मुझे आआआआआअहह"
हरिया: "मुझे पता होता के तू इतनी चुदसी है तो कभी इतने दिन नहीं लगता दीदी, आज देखना ऐसा मज़ा दूँगा तुम्हें के तुम्हें यह ज़िंदगी की पहली चुदाई मरते दूं तक याद रहेगी. आअहह क्या कसैला स्वाद है दीदी तुम्हारी चूत रस का, एक क्लाद्की की चूत रस चाटने का सपना देखते थे हम सब डोदट, आज मेरा यह सपना मेरी बहें खुद सच कर रही है, ओउम्म्म्म म्म्म्मममम स्ल्ल्लर्र्र्र्प स्लर्ररूऊर्रप."
आशा: "अब क्या सिर्फ़ मेरी चूत चातेगा , गांद से क्या तेरी दुश्मनी है, चल चाट मेरी गांद चाट और दिखा दे के तू मुझ जैसी गंदी छिंनाल का भाई है, चल डाल अपना मुँह मेरे गांद में."
हरिया ने अपना मुँह आशा की चूत से हटाकर उसकी गांद की तरफ ले गया, कितनी प्यारी और कामुक लग रही थी आशा की गांद का च्छेद. हरिया ने पहले खूब उस च्छेद को सूँघा, फिर आशा से कहा, "दीदी एक पाद छ्चोड़ो ना, तुम्हारी गांद की हवा अपने चेहरे पे महसूस करना चाहता हूँ, एक करारी पाद छ्चोड़ ना दीदी."
आशा : "हां रे तेरे लिए कुच्छ भी छ्चोड़ूँगी पाद क्या चीज़ है, चल अपनी नाक डाल दे गांद के च्छेद में और तैयार हो जेया मेरी बदबूदार पाद सूंघने के लिए."
फिर कुछ देर बाद आशा के ज़ोर लगाने पर एक मीठी सी धुन लिए एक पाद आशा की गांद से निकल कर हरिया के मुँह पे जेया लगी. उसकी गांद की बदबू मदहोश करदेने वाली थी. आशा की गांद की हवा अपने चेहरे पे लेकर हरिया का लॉडा तो और भी तंन गया, इतना सख़्त उसका लॉडा पहले कभी नहीं हुआ था. फिर क्या था, उसने आशा की गांद को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा, इतना ज़ोर ज़ोर से की अगर आशा की गांद में कुच्छ माल होता तो तेज़ी से बाहर आकर हरिया के मुँह में गिरता मगर आशा अभी 1 घंटे पहले ही हॅग चुकी थी अपने बाप के सामने इसीलिए हरिया बस चूस्ते ही रह गया.
आशा: "इतनी ज़ोर ज़ोर से क्यूँ चूस रहा है हरिया, क्या कुछ खाने को चाहिए.?"
हरिया: "हां दीदी, तुम्हारी गांद का हलवा खाने को बहुत दिल कर रहा है, उसी हलवे के लिए तुम्हारी गांद इतनी ज़ोर ज़ोर से चूस रहा हूँ ,मगर मेरी किस्मत कुच्छ नहीं निकल रहा है."
आशा: "अभी एक घंटे पहले ही संडास कर चुकी हूँ, जो हमारे कुत्ते ने खा भी लिया. अब मैं तुझे कुच्छ खिला नहीं सकती मगर वादा करती हूँ के शाम को या रात को ज़रूर तुझे तेरा मनपसंद हलवा खिलौंगी. और अब तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है मेरी गांद का हलवा खाने के लिए. खूब खिलौंगी, अपना ही नहीं अपनी सारी सहेलियों का हलवा तुझे खिलूंगी. चल अब अपना लॉडा मेरी चूत में डालकर छोड़ना शुरू कर, बस अब रहा नहीं जाता."
हरिया उठा अपनी धोती निकली और अहसा की गांद में क़ुस्स्स से लॉडा पेल दिया, आशा ज़ोर से चिल्लाई "दर्द हुआ क्या दीदी?", "हां रे मगर इसी दर्द में तो मज़ा है, तू बस धक्के मारते जेया ज़ोर ज़ोर से, बस चिथड़े उड़ जाने चाहिए आज मेरी चूत के. बस चोद आआहह ऐसे ही दूं लगाके, चोद चोद आअहह आअहह मेरे बहेनचोड़ भद्वे चोद अपनी छिनाल बहें की चूत का भोसरा बना दे. हां ऐसे ही ऐसे ही आउच आअहह." कहते कहते आशा ने अपनी उंगलियाँ हरिया की गांद में घुसा दी. कहते हैं मर्द की कमज़ोरी उसके लॉड और गांद में होती है, सामने जहाँ हरिया का लॉडा मस्त चुदाई का आनंद ले रहा था, वहीं पीछे आशा की उंगलियाँ उसकी गांद में जादू कर रही थी. फिर क्या था 5 मीं. में ही हरिया आशा की चूत में झाड़ गया. आशा को तो अभी अभी मज़ा आना शुरू हुआ था, मगर हरिया के लंड से इतना आनंद बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने पानी छ्चोड़ दिया. हरिया निराश हुआ के वो आशा के इरादों पर खरा नहीं उतरा. मगर आशा जानती थी के अब क्या करना है.
आशा: "तू उदास मत हो रे भैया, होता है होता है तेरा पहली बार है ना, आती उत्सुकता में तू ज़रा जल्दी झाड़ गया. पर कोई बात नहीं, जब तक यह तेरी रांड़ बहें है तेरे लॉड को कभी मुरझाने नहीं दूँगी. चल अब देख तेरी कुटिया बहें क्या कमाल दिखाती है.
कहते हुए इस बार आशा ने हरिया को खाट पे धकेल दिया और आशा ने अपना नंगा बदन अपने भाई के नागे बदन से मिला दिया, आशा का मुँह हरिया के मुँह के पास था, आशा के मम्मे हरिया की छ्चाटी पर मसल रहे थे, आशा की चूत हरिया के लंड के बिल्कुल ऊपर थी, एक बहें का शरीर अपने भाई के शररेर से मिलन हो रहा था, जो देखने लायक था. फिर आशा ने हरिया के मुँह में अपनी ज़बान डाल दी और उसके मुँह को चाटने लगी, फिर उसके जीभ को चूसने लगी. फिर आशा ने हरिया को मुँह खोलने को कहा, फिर आशा ने उसमें थूक दिया. हरिया का लॉडा अब फिर धीरे धीरे परवान चढ़ रहा था. आशा हरिया के सारे मुँह पर थूकती जेया रही थी, फिर अपने ही थूक को वो चाट चाट के सॉफ कर रही थी. एक औरत का ऐसा रूप हरिया पहली बार देख रहा था. वो तो बस सपनों में ऐसे सुख के बारे में सोचता था मगर यहाँ उसकी अपनी बहें उसके हर सपने को पूरा कर रही थी. फिर आशा ने अपने बालों से भारी बगल को हरिया के मुँह पास रख दिया. पसीएनए से भीगी हुई वो कांखें और उसमें आराही बू हरिया के लॉड को और सख़्त बनाते जेया रही थी. आशा ने कहा, "मेरे पसीने से भीगी हुई कांखें को चाट रे हरिया, औरत के जिस्म का हर रस मधुर होता है, सब का स्वाद लेना चाहिए, तभी चुदाई के खेल का असली आनंद आता है." हरिया को इतना कहने की ज़रूरत नहीं थी वो तो खुद आशा के बदन से निकले हुए पसीने का दीवाना था. वो बदहवास आशा की बगलों से पसीना छाते जेया रहा था. दोनो बगले सॉफ करने के बाद, आशा अब हरिया के पुर च्चती को चाटने लगी, फिर उसकी बगलों को छाता और चूसा, उसे भी मर्द के पसीने की खुश्बू बहुत पसंद थी, वो भी दिल लगाकर हरिया के बालों से भार हुई पस्सेनए से तार हुई बगलों को चाट रही थी. हरिया तो जैसे सुख से आसमान में उड़ रहा थ.आब आशा उर नीचे गयी और हरिया के ताने हुए लंड को अपने हाथ में लिया, और उसे अपनी नाक से सूंघने लगी. एक जवान लड़के की लंड की खुश्बू वो पहली बार सूंघ रही थी. अपने बापू के लवदे की खुश्बू तो वो सूंघ चुकी थी, पर हरिया तो अभी जवान था और बस अभी एक लड़का था, जो आज के बाद मरडबन जाएगा और वो भी अपनी सग़ी बहें आशा को चोद के. फिर अश् ने देखा हरिया के सूपदे पर अभी भी कुछ लुंडरास बाकी था. आशा ने अपनी ज़ुबान निकाल के उसके सुपादे को धीरे धीरे चाटने लगी. जवान लंड रस उसे बहुत पसंद आया, हरिया तो मज़े से पागल हुए जेया रहा था, "आआअहह दीदी यह क्या कर रही हो, मैं मार जौंगा सुख से आअहह दीदी क्या म,अस्त चाट रही हो मेरे सुपादे को एम्म्म आअहह ऊऊऊओह" . अब आशा ने अपना मुँह खोला और हरिया के पुर लंड को मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और यहाँ हरिया बांवला हो रहा था, इतना सुख उसने ज़िंदगी में कभी नहीं महसूस किया था. तोसी देर चूसने के बाद आशा ने उसकी कमर को और ऊपर किये और हरिया की गांद पे अपना मुँह लगा दिया. पहले तो उसने जी भर के हरिया की गांद की बदबू सूँघी. बहुत रास आई आशा को हरिया की गांद की बदबू. फिर धीरे धीरे अपनी ज़बान हरिया की गांद पे फेरने लगी. हरिया की गांद में थोड़े से बॉल थे, आशा ने उनको अपनी उंगली से बाज़ू में हटाकर धीरे धीरे हरिया की गांद चाटने लगी. और कुच्छ देर बाद अपनी जीभ गांद में अंदर तक डालकर चूसने लगी. फिर क्या था हरिया का सुख अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था.
हरिया: "आआअहह दीदी तुम तो दुनिया की सबसे चिनार बहें हो, मेरा जानम तो तुम्हें पाकर सफल हो गया आहह क्या चुस्ती हो दीदी, और ज़ोर ज़ोर से चूसो मेरी गांद आअहह दीदी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था के तुम इतनी चुड़क्कड़ और तर्की लड़की हो. मगर आज तुमने अपना असली रूवप दिखाकर मुझे अपना ग्युलम बना लिया है दीदी, अब देखो हुमारी ज़िंदगी कितने मौज मस्ती के साथ काट ती है, दीदी मैं तुम्हारे लिए कुच्छ भी करुँग आआहह चूसो दीदी, और अंदर तक ज़बान डालके चूसो मेरी गांद को म्म्म्ममम ऊऊऊहह."
आशा: "भैया लगता है तेरी गांद में भी मुझे खिलाने के लिए कुच्छ नहीं है, क्या अपनी सग़ी बहें को यूँ भूखी रखेगा. कितनी देर से चूस रही हूँ मगर कुच्छ भी तो बाहर नहीं निकल रहा है , एक पाद भी नहीं निकली, मुझे भी तेरी गांद का हलवा खाने का मॅन हो रहा है. कुच्छ निकाल ना बाहर, मैं पूरा का पूरा चाट जौंगी."
हरिया: "आअहह दीदी तुम कितनी अच्छी हो, तुम्हें भी मेरी गांद का हलवा खाने की तमन्ना है वाआहह, मगर सॉरी दीदी मैं भी रास्ते में शहेर से आते वक़्त जंगल के पास संडास कर लिया था, अभी तो कुच्छ भी नहीं है. मगर वादा करता हूँ के रात को जब तुम मुझे आनी प्यारी गांद स खिलाओगी मैं भी तुम्हें भूखा रहने नहीं दूँगा."
इतना सब होने के बाद 80 साल के बूढ़े के लंड में भी जान आजाए, हरिया तो बांका जवान था, उसका लंड पहले से ज़्यादा तंन गया और आशा की चूत की प्यास मिटाने को बिल्कुल तैयार था.
आशा: "तो फिर ठीक है, चल अब दूसरा रौंद के लिए तेरा लंड रेडी हो गया है, अब चढ़ जेया मेरे ऊपर और मेरी चूत का भुर्ता बना दे."
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