Monday, May 24, 2010

सेक्सी कहानिया उषा की कहानी - पार्ट 4

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उषा की कहानी - पार्ट 4


रमेश अपनी सास की बात सुन सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और ज़ोर ज़ोर
से अपने सास की चूत मे अपना लंड पेलने लगा. थोरी देर के बाद
रमेश को लगा की अब वो झाने वाला है तो उसने अपनी सास से
बोली, "सासू मा मै जाड़ने जर आहा हूँ." तो रजनी जी बोली, "राजा,
प्लीज़ मेरी चूत के अंदर ही जारो" और रमेश अपना लंड पूरा पूरा
का अपनी सास की चूत मे थॅन्स कर लंड की पिचकारी छोर दिया. थोरी
देर के रजनी जी बिस्तर पर उठ खरी हुए और सीधे बाथरूम मे जा
कर घुस गयी. थोरी देर के बाद अपनी चूत धो कर रजनी जी
फिर से कमरे घुसी और मुस्कुरा कर अपने दामाद से बोली, "है! मेरे
राजा आज तो तुमने कमाल ही कर दिया. तुंटो सिर्फ़ एक झारे लेकिन मै
तुम्हारी चुदाई से तीन बार झारी हूँ. इतना जोरदार चुदाई मैने
कभी नही की. मेरी चूत तो अब दुख रहा है." तभी उषा, जो की
अपने पति और अपने मा की चुदाई देख रही थी, बोली, "मा अपने
दामाद का लंड अपनी चूत मे पिलवा कर मज़ा आया? मेरी शेड की पहली
रात तो मै बिल्कुल मार सी गयी थी और अब इस लंड से बिना चुड़वा
कर मेरी तो रात को नीड ही नही आती. मै रोज़ कम से कम एक बार
इस मोटा टगरा लंड से अपनी चूत ज़रूर चुड़वती हूँ या अपनी गॅंड
मरवती हूं." तभी रमेश ने अपने सास को अपने बाहों मे भर कर
बोला, "माजी, एक बार और हो जाए आपकी चूत की चुदाई. मै जब तक
काम से काम दो या तीन बार नही चोद लेता मेरा मन्नाही भरता."
रजनी जी बोली, "अरे थोरा रूको, मेरी चूत तुम्हारी चुदाई से तो अब
तक कल्ला रही है. अब तुम एक बार उषा की चूत चोद डालो." "नही
माजी, मै तो इस वक़्त आपकी चूत या गॅंड मे अपना पेलना चाहता हूँ.
आपकी लर्की की चूत तो मै रोज़ रात को चोद्ता हूँ, मुझे तो इस
समय आपकी चूत या गॅंड चोदने की इक्च्छा है." तब उषा अपने मा
से बोली, "मा चुड़वा ना लो और एक बार. अगर चूत बाहित कल्ला रही
है तो अपने गॅंड मे ले लो अपने दामाद का लंड. कसम से बहुत मज़ा
मिलेगा." तब रजनी जी बोली, "तीख है, जब तुम दोनो की एही इक्च्छा
है, तो काहलो मै एक बार फिर से चुड़वा लेती हूँ. लेकिन इस बार मै
गॅंड मे रमेश का लंड लेना चाहती हूँ. और दो मिनूट रुक जाओ,
मिझे बहुत प्यास लगी है मै अभी पानी पी कर आती हूँ." तब
उषा अपने मा से बोली, "अरे मा रमेश का लंड बहुत देर से खरा
है ऑरा ब पानी पीने जा रही हो? इन्हा बिस्तर पर लेटो मै
तुम्हारी प्यास अपनी मूत से बुझा देती हूँ."

इतना सुनते ही रजनी जी बोली, "ठीक है अपनी मूत ही मुझे पीला
मै प्यास से मारी जा रही हूँ" और वो बिस्तर पर लेट गयी. मा को
बिस्तर पर लिटा देख कर उषा भी बिस्तर पर चार गयी और अपने
दोनो पैर मा की सर के दोनो तरह करके बौत गयी और अपनी चूत
रजनी जी के मुँह से भीरा दिया. रजनी जी भी अपनी मुँह खोल दिया.
मुँह खुलते ही उषा ने पिशब की धार अपने मा की मुँह पर छोर दिया
और रजनी जी अपनी बेटी की मूत आबरे छाब से पीने लगी. पिशब पूरा
होने पर उषा अपने मा के ऊपर से उठ खरी हो गयी और रजनी जी
के बगल मे जा कर बैठ गयी. तब रमे ने अपने सास के बाहों को
पकर कर उनको बिस्तर पर उल्टा लेता दिया और उनके कमर को पकर कर
उनके चूटर को उपर कर दिया. जैसे रजनी जी घोरी बन कर बिस्तर
पर आसान लिया तो रमेश अपने मुँह से थोरा सा थूक निकाल कर अपने
सास की गॅंड मे लगा दिया और अपना लंड को अपने हाथों से पकर कर
अपनी सास की गॅंड की छेड़ मे लगा दिया. रजनी जी तब अपनी हाथों से
अपनी बेटी की चूनचेओं को मसालते हुए बोली, "रमेश मेरे राजा, मैने
आज तक कभी गॅंड नही चुडवाया है और मुझको पता है की गॅंड
मरवाने मे पहले बहुत दर्द होता है. इसलिया तुम आराम आराम से मेरी
गॅंड मे अपन लंड डालना. जैसे ही रमेश ने ज़ोर लगा कर अपना लंड
का सुपरा अपनी सास की गॅंड मे घुसेरा तो रजनी जी चिल्ला
उठी, "आआआः ऊऊऊऊः आआआआः क्या कर रहे हो, मार जाओं
गी, राजा तुम ने मेरी गांद फार के रख दोगे, ने पहले
कभी गांद नहीं मरवाई प्लीज़ मेरे लाला आहिस्ता से करो." अपनी मा
को चिल्लाते देख उषा ने रमेश से बोली, "क्या कर रहे हो, धीरे
धीरे आराम आराम से से पेलो ना अपनी लंड. देख नही रहे हो मेरी मा
मारी जा रही है. मा कोई भागी थोरी ना जा रही है." रमेश इतना
सुन कर अपनी बीवी से बोली, "क्यों चिंता कर रही हो. तुमको अपनी बात
याद नही. जब मैने पहली बार अपना लंड तुम्हारी गॅंड मे पेला था
तो तुम कितना चिल्लई थी और बाद तुम्ही मुझसे बोल रही थी, और
ज़ोर से पेलो, पेलो जितना ताक़त है फार दो मेरी गॅंड, मुझको बहुत
मज़ा मिल रहा और मै तो बा ऑज़ तुमसे अपनी गॅंड मे लंड पीलवौनगी."
उषा अपने पति की बात सुन कर अपनी मा से बोली, "मा थोरा सा सबर
करो. अभी तुम्हारी गॅंड की दर्द ख़तम हो जाएगा और तुमको बहुत
मज़ा मिलेगा. रमेश जैसा लंड पेल रहा है उसको पेलने दो." तब
रजनी जी बोली, "वो तो ठीक है, लेकिन अभी तो मेरा गॅंड फटा जर
आहा है, और मुझको अब पिशब भी कर्मा है." रमेश अपनी सास की बात
सुन कर उषा से बोला, "उषा तुम जल्दी से किचन मे से एक जुग लेकर
आओ और उसको अपनी की चूत के नीचे पाकारो." उषा जल्दी से किचन
मे से एक जुग उठा कर लाई और उसको अपनी मा की चूत के नीचे
रख कर मा से बोली, "लो अब मूत्ो. तुम भी मा एक अजीब ही हो. उधर
तुम्हारा दामाद अपना लंड तुम्हारे गॅंड मे घुसेर रखा है और तुमको
पिशब करनी है." रजनी जी कुछ नही बोली और अपने एक हाथ से जुग
को अपनी चूत के तीक नीचे लाकर चार चार करके मूतने लगी.
राज्ञी को वाकई ही बहुत पिशब लगी थी क्योंकि जुग करीब करीब
पूरा का पूरा भर गया. जब रजनी जी का पिशब रुक गया तो उषा ने
जुग हटा लिया और जुग को उठा कर अपने मुँह से लगा कर अपनी माआ की
पिशब पीने लगी. एह देख कर रमेश रजनी जी से बोला, "अरे क्या
कर रही हो, थोरा मेरे लिए भी छोर देना. मुझको भी अपने सेक्सी
सास की चूत से निकाला हुआ मीित पीना है." उषा तब बोली, "चिंता
मत करो, मै तुमहरे लिए आधा जुग छोर देती हूँ."

थोरी देर के बाद रजनी जी ने अपने दामाद से बोली, "बेटा मै फिर से
तय्यार हूँ, तुम मुझे आज एक रंडी के तरह चोदो. मेरी गॅंड फाड़
दो. मै बहुत ही गरम हो गयी हूँ. मेरी गॅंड भी मेरी चूत की
तरह बिल्कुल प्यासी है." "अभी लो मेरी सेक्सी सासू मा, मै अभी
तुम्हारी गॅंड अपने लंड के चोटो से फारता हूँ" और एह कह कर
रमेश ने अपना लंड फिर से अपने सास की गॅंड मे पेल दिया. गॅंड मे
लंड घुसते ही रजनी जी फिर ज़ोर से चिल्लाने लगी, "है! फाड़ डाल
मेरी गॅंड फार डाला. अरे कोई मुझे बाकहो, मेरी दामाद और मेरी बेटी
दोनो मिल कर मेरी गॅंड फ़रवा डाला." तब उषा अपने मा से बोली, "अरे
मा क्यों एक छीनाल रंडी की तरह चिल्ला रही हो, चुप हो जाओ और
चुप चाप अपने दामाद से अपनी गॅंड मे लंड पिलवओ. थोरी देर के बाद
तुमको बहुत मज़ा मिलेगा." अपनी बेटी की बात सुन कर रजनी जी चुप हो
गये लेकिन फिर भी उसकी मुँह से तरह तरह की आवाज़ निकाल रही
थी. "….आआहह……
यययौउू….उूुउउफफफफ्फ़…..ईईईईीीइसस्स्स्स्स्स्शह….ऊऊओ हह….यययौउ…..उउउ
फफफफफ्फ़……एह…..लंड बहुत मोटा और लूंबा है.
ऊऊऊओंम्म्मममाआआआहह…है! मई मारी जा रही हूँ.
उूुउऊहह……प्लेअसससे….आआआआअ….ऊऊऊफफफफफफ्फ़ ….धीरे…ज़रा धीरे
पेलो मै मारी जा रही हूँ. अरे बेटी, अपने पति से बोल ना की वो ज़रा
मेरी गॅंड मे अपना लंड धीरे धीरे पेले. मुझे तो लग रहा की मेरी
चूत और गॅंड दोनो एक हो जाएँगे." थोरी देर के बाद रमेश अपना
हाथ अपने सास के सामने ले जाकर उनकी चूत को सहलाने लगा और फिर
अपनी उंगलेओं से उनकी चूत की घुंडी को पकर कर मसालने लगा.
अपनी चूत पर रमेश का हाथ पारट ही रजनी जी बिलबिला उठी और
अपनी कमर हिला हिला कर रमेश के लंड पर ठोकर मारने लगी.

एह देख कर रमेश ने उषा से कह, "देख तेरी रंडी मा कैसे अपनी
कमर कमर चला कर मेरे लंड को अपने गॅंड मे पिलवा रही है.
क्या तुम्हारी एही मा अभी थोरी देर पहले अपनी गॅंड मरवाने पर
चिल्ला रही थी?" एह सुन कर उषा बोली, "श रमेश! क्या बात है!
देखो मेरी मा क्या मज़े से अपनी गॅंड से तुम्हारा लंड खा रही है.
देखो मेरी मा कैसे गॅंड मरवा रही है. मारो, मारो रमेश, मेरी
मा की गॅंड मे अपना लंड खूब ज़ोर ज़ोर से पेलो. इसकी पूरे बदन मे
लंड के लिए खुजली भारी पारी है. चोदो रमेश साली की गॅंड
मारो बड़ी खुजला रही थी!" रजनी जी अपनी गॅंड मे दामाद का लंड
पिलवा कर सातवे आसमान पर थी और बार्बरा रही थी, "ऑश! देखो
उषा मेरी बेटी! तुम्हारी मा गॅंड मे लंड लेकर चुड़वा रही है! तुम
आख़िर अपने मर्द से मेरी चूत, गॅंड चॉडा ही ली! देखो साला रमेश
कैसे चोद रहा है! सला सच्चा मर्द है! डाल औट डाल रे! चोद !
मेरी गांद मार! मेरे बेटी को दिखा! आहह ऊहह चोद चोद चोद
आईईइ!" रमेश अपनी बीवी और अपनी सास की बात संटॅन रहा और अपना
कमर चला चला कर अपनी सास की गॅंड मे अपना लंड पेलता रहा.
थोरी देर तक रजनी जी की गॅंड मारने के बाद रमेश एक बार ज़ोर से
अपना पूरा का पूरा लंड रजनी जी की गॅंड घुसेर दिया और रजनी जी
को ज़ोर से अपने हाथों से जाकर कर अपना लंड का पानी अपने सास की
गॅंड ने छोर दिया. झरने के बाद रमेश ने अपना लंड अपने सास की
गॅंड से खींच कर निकाल लिया और लंड को बाहर निकलते ही रजनी
जी एकाएक उठ कर बैठ गयी और अपने दामाद का लंड को अपने मुँह मे
भर कर चूसने लगी. थोरी देर तक चूसने के बाद रमेश का लंड
बिल्कुल साफ हो गया और फिर से खरा भी हो गया. तब रमेश ने अपना
खरा लंड अपने बीवी, उषा, की चूत मे पेल कर खरे खरे चोद्ना
चालू कर दिया और थोरी देर तक उषा को चोद कर फिर से उषा की
चूत मे झार गया.

थोरी देर के बाद तीनो की साँस फिर से शांत हो गयी और उषा उठ
कर बिना कोई कपारे पहने हुए किचन मे जाकर चाइ बनाना लगी.
कित्चें मे जाते वक़्त उषा अपनी मा की पीशब से आधी भारी जुग भी
उठा कर ले गयी. जब उषा चाइ बना कर नंगी ही फिर से कमरे
मे दाखिल हुए तो देखा उसकी मा नंगी ही अपने दामाद की गोदी मे
बैठी हुए है और रमेश उनकी एक चूंची की निपल अपने मुँह मे
लेकर चूसा रहा है और दूसरे हाथ से रजनी जी की चूत मे उंगली
कर रहा है और रजनी जी अपने दामाद का लंड को अपने हाथों से
पकर कर सहला रही है. छाई आते ही रजनी जी और रमेश दोनो
अलग अलग बैठ गये और तीनो मे नंगे रहा कर ही चाइ पीते रहे.
छाई पीते वक़्त रमेश ने उषा से पूछा, "चाइ तो आज बहुत अक्च्चे
है, इसमे क्या डाला है?" तो उषा अपनी मा को आँख मार कर बोली, "आज
चाइ तुमको इसलिए अक्च्ची लग रही है, क्योंकी आज चाइ मे पानी
नही है, एह चाइ तुम्हारी सास की मूट से बनी हुए है." रजनी जी
अपनी बेटी की बात सुन हंस पारी और रमेश से बोली, "लो, आज तुमने
मेरी चूत और गॅंड मारी और मेरी बेटी ने तुमको मेरा मूट पीला दिया.
कोई बात नही मै भी कभी तुम्हारा मूट पी लनंग और हुमलोगों का
हिसाब बराबर हो जाएगा." इस तरह से मा, बेटी और बेटी की पति
तीनो मिल कर जाम कर चुदाई का आनंद उठाया और एक दूसरे को दिया.
जब तक रमेश अपने ससुराल मे रहा तब तक वो दोनो मा और बेटी को
घर के अंदर नंगी ही राखयता था और जब मन चाहा वो किसी भी एक
को पकर लेता था और उनकी चूत या गॅंड मे अपना लंड पेलता था.
शरम नाम की चीज़ अब इस घर मे रही नही. कभी कभी तो रजनी
जी अपने दामाद का लंड पकर कर हिलती थी और अपने बेटी सामने ही
उसको अपने मुँह मे भर कर चुस्ती थी और जब लंड खरा हो जाता
तो बेटी के सामने ही अपने दामाद के आगे झुक कर दामाद का लंड पीछे
से अपनी चूत मे भर कर खूब मज़े से चुड़वती थी. रत को तीनो
लोग नंगे हो होकर एक ही पलंग पर सोते थे और खूब लंड की लरआई
करवाते थे. कभी कभी तो मा और बेटी दोनो भीर जाते थे और एक
दूसरे की चूत चटा करते थे.
करीब 15 दिन के बाद रमेश अपने ससुराल से वापिस अपने घर चला
आया. घर पहुँचते ही वो अपने काम पर चला गया और गोविंदजी फिर
अपने बहू को पकर लिया और उसकी सारी, पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और
चढ़ी उतार कर अपने बहू को चोद्ना चालू कर दिया. उषा भी अपने
ससुर को अपने हाथ और पैरों से बाँध करके अपनी चूटर यूटा यूटा
कर अपने ससुर के धक्को का जबाब देती रही. गोविंदजी भी अपनी
बहू की दोनो चूंची अपने हाथों से दबाते हुए अपनी बहू की चूत
चोद्ते रहे. थोरी देर के बाद गोविंदजी ने उषा से पूछा, "बहू,
इतने दीनो तक के तुम सिर्फ़ अपनी पति, रमेश, से चुड्ती रही या
और कोई मिल गया था तुम्हारी चूत चोदने के लिए?" उषा अपने ससुर
के धक्कों का जबाब देती हुए बोली, "हाँ, बाबूजी इन दीनो मै तो
सिर्फ़ अपने पति से ही अपनी चूत चुड़वा रहीं हूँ. लेकिन, आपका बेटे
ने इन दीनो मेरी मा, याने अपने सास की चूत मे भी अपना लंड पेल
चक्का है." "वो कैसे?" गोविंदजी ने उषा से पूछा. तब उषा ने सब
का सब बातें अपने ससुरजी को बता दिया. उषा की बात सुन कर
गोविंदजी ने से बोले, "वा! बहू, तुम्हारी मा भी तुम्हारी भी
तुम्हारी तरह चुड़दकर है. ठीक है, अब जब मौका मिलेगा मै भी
अपने लंड से तुम्हारी मा की चूत चोदुन्ग. तुम्हे तो कोई इतराज
नही होगी?" "नही मुझे क्यों इतराज होगी? अब मेरी मा बेचारी
बिडब्वा हो गयी हैं और उनका उमर भी हो गया है. इस समय अगर
उनको आप जैसा कोई चोदु इनसेन मिल जाए तो क्या कहनाए. हाँ मेरी
चूत की खुराक की कमी नही होनी चाहिए" उषा ने अपने ससुर से
बोली. तब गोविंदजी अपने बहू की चूत मे पूरा का पूरा घुसेर कर
चोद्ते हुए बोले, "नही मेरी चुड़दकर बहू, हम और चाहे और
किसिको भी छोड़े तुम्हारा चूत की भूक मै हमेश मिटाता रहूँगा.
अब चलो अपनी टॅंगो को और फैलाओ मै अब ज़ोर ज़ोर से चोद कर झरने
वाला हूँ." "क्यों, इतनी जल्दी झरना क्यों चाहते हैं? कहीं किसी
और को अपने टाइम दे रखा है क्या?" उषा अपने ससुर को मुस्कुराते हुए
पूछी. तब गोविंदजी ने अपने बहू से बोले, "नही ऐसे कोई बात
नही है. बात एह है की मेरा एक दोस्त आज विदेश से आया है और मै
उससे मिलने जाना चाहता हूँ. और कोई बात नही है." इतना कह कर
गोविंदजी ने अपने बहू की दोनो चूनचेआन कस कर पकर लिया और ज़ोर
ज़ोर से धक्का मारने लगे और थोरी देर के बाद वो झार गये. झरने
के बाद दोनो मिल कर बाथरूम मे जाकर अपने अपने लंड और चूत धोया
और अपने अपने कपारे पहन कर दोनो कमरे मे जाकर बैठ गये.
थोरी देर के बाद गोविंदजी उठ कर उषा को अपने बाहों मे लेकर चूमा
और अपने कमरे मे जाकर सो गये. उषा भी तब अपने कमरे मे जाकर
मॅक्सी पहन कर लेट गयी और थोरी देर के बाद सो गयी.

इसी तरह से उषा की जिंदगी चलती रही. वो रोज रात को अपने
पति, रमेश, से अपनी चूत छुउड़वती थी और दिन को उषा के ससुर
उषा की चूत चोद्ता था. रमेश कभी कभी रात मे उषा को नंगी
करके उसकी गॅंड भी मरता था. जब रमेश और उषा की सास घर पर
नही होते तो उषा अपने ससुर का कहना मान कर घर पर नंगी ही
रहती और नंगी ही रह कर खाना बनती और सारा घर का कम कॅज़
नंगी ही रहा कर पूरा करती. जब उषा नंगी हो कर घर पर
खाना बनती ती तो गोविंदजी घूम फिर कर उषा की चूंचियाँ मसल
देते और कभी कभी उषा की गॅंड मे अपनी उंगली पेलते थे. कभी
कभी उषा भी अपने ससुर का लंड पकर कर चुस्ती और फिर अपने ही
हाथों से अपने ससुर का लंड पकर कर अपनी चूत से भीरा कर अपनी
कमर हिला हिला कर अपनी चूत चुड़वती थी.

कुछ दीनो के बाद उषा के सास की एक किताब छाप कर प्रेस से निकली
और उस किताब की काफ़ी बिक्री हुई. प्रेस वेल को काफ़ी फायेदा हुआ और
उषा की सास की नाम काफ़ी मशहूर गया और इसी कुशी से प्रेस वेल
ने उषा की सास की सम्मान मे एक पार्टी का अरेंज्मेंट किया. पार्टी के
लिए रमेश ने अपने दोस्त और उसकी बीवी, गौतम और सुमन, को इन्वाइट
किया और उषा ने अपने मम्मी और अपने भाईओं को भी बुलाया.

पार्टी के दिन रमेश का दोस्त गौतम आ गया लेकिन उसकी बीवी, सुमन,
नही आ पे क्योंकि उसकी तबीवत ठीक नही थी. उधर उषा के
घर से उसका सिर्फ़ बरा भाई, कैलाश, ही आया क्योंकि रजनी जी और
उषा के भहःिों की तबीयत ठीक नहिी थी. पार्टी के दिन गिरिजा जी
बहुत सजी सँवरी घूम रही थी. सूब के सूब लोग उनको बधाई दे
रहे थे और गिरिजा जी सुबसे मुस्कुरा कर बाते कर रही थी. पार्टी
मे जितनी भी औरतें अओई थी वो सूब गिरिजा जी की सफलता पर
उनसे मन ही मन ईर्षा कर रही थी और जिट्नी मर्द आए थे वो सूब
स्नहलता जी को घेर कर उनसे बातें कर रहें थे. खैर पार्टी बरा
बहुत अक्च्छा था. पार्टी मे जिट्नी भी लोग आए वो सब के सब स्नहलता
जी की टॅरिफ कर रहे थे और उनको बधाई दे रहे थे. इसी तरह से
पार्टी करीब रात के दो बजे ख़तम हुआ.

पार्टी के बाद उषा और रमेश अपने कमरे मे सोने के लिए चले गये.
कमरे मे जाकर उषा और रमेश ने अपने अपने कपारे बदले और सोने
की टायारी करने लगे. सोने से पहले उषा बाथरूम मे पिशब करने
के लिए गयी और थोरी देर के बाद बाथरूम से आकर अपने पति
रमेश से बोली, "सुनो मेरे साथ आओ, मै तुम्हे एक नयी चीज़
दिखौँगी" "क्या नयी चीज़ धीखागी, मैने तुम्हारे चूत और गॅंड
बहुत बार देख चक्का हूँ और उन्हे चोद चक्का हूँ, अब क्या नयी
चीज़ दिखलाओगी" रमेश बोले. तब उषा बोली, "अरे आओ तो मेरे साथ,
आओ चुप चाप मेरे पीछे चले आऊ." रमेश उठ कर अपनी बीवी के
पीछे पीछे कमरे के बाहर निकाल कर चलने लगा. उषा चुप चाप
रमेश को लेकर अपने सास और ससुर के कमरे के सामने कर खरा
कर दिया और धीरे से बोली, "चुप चाप पर्दे के किनारे से कमरे मे
झाँको."
जैसे ही रमेश ने कमरे के अंदर झाँका उसका माथा और लॉरा दोनो
तन्ना गया. कमरे मे रमेश की मा एक सोफे पर सिर्फ़ अपनी लाल रंग
का पेटिकोट पहने बैठी थी और उनके दोनो तरफ गौतम और उषा
का बरा बहाई, कैलाश, बैठे थे और वो दोनो गिरिजा जी की एके क
चूंची पकर कर मसल रहे थी या चूस रहे थे. रमेश के
पिताजी, गोविंद जी, कमरे के एक कोने पर बैठ कर अपनी बीवी की
नंगी रस लीला देख रहे थी. गिरिजा जी अपनी चूनस्िओं को गौतम
और कैलाश से मसलवा रही थी और मुँह से बार्बरा रही
थी, "ऊऊहह… …और जोरे से… ..हाँ डियर और जोरे से दब्ाओ मेरी
चूचियों को…..बड़ा मज़ा आरहा है मुझे… …तुम्हारे हाथ बहुत ही
एक्सपर्ट हैं…. …तुम्हे मालूम है की कैसे औरतों की चूंचीोन को
दबाया जाता है….है! और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूंचीोन को
दब्ाओ….आअहह….हाँ….मुझे बहुत अक्च्छा लग रहा है." और गौतम
और कैलाश दोनो मिल कर गिरिजा जी की चूनचेओं को अपने हाथों से
मसल रहे थी. गौतम और कैलाश जितना ज़ोर से चूंची मसल रहे
थी गिरिजा जी उनको और ज़ोर ज़ोर से दबाने के लिए बोल रही थी.
गिरिजा जी बोल रहें थी, "आअहह… ययूउुउउ… उुउऊहह…ऊओफफफ्फ़.."
रमेश एह सब देख कर जैसे ही उषा के तरफ मुरा तो परदा थोरा
हट गया और गिरिजा जी ने आवाज़ दिया, "बेटे रमेश बाहर क्यों खरा
है, चल अंदर चला आ और अपने साथ अपनी बीवी लेकर आजा." अपनी
मा की बात सुन कर रमेश पहले तो थोरा डरा फिर उस्झा को साथ ले
कर कमरे मे दाखिल गया. रमेश जैसे ही कमरे मे घुसा तो गौतम
और कैलाश दोनो मुस्कुरा कर रमेश को देखा और फिर से अपने अपने
काम पर जुट गये. गिरिजा जी तब रमेश से बोली, "बेटा बाहर खरे
खरे क्या देख रहे थे. आओ मेरे पास आओ. देखो तुम्हारा फ्रेंड और
तुम्हारा साला मेरे दोनो चूनस्िओं से उलझे हुए हैं. ऐसा करो की तुम
मेरी चूत से खेलो. तुमको मेरी चूत पसंद हैं ना?" तब रमेश
धीरे धीरे अपने मा की तरफ बर्हते हुए बोला, "अरे मा क्या कहा
रही हो? मुझको तुम्हारी चूत बहुत आची लगती है. मुझे एह
सपना हर समय मेरी आँखो के सामने होता था की मै एक दिन तुम्हारी
चूत से खेलूँ. आज मेरी वो सपना पूरा होने वाला हैं. मुझे एह
कभी उम्मीद ही नही थी की एक मै तुम्हारी चूत को छू पौँगा और
उससे खेलूँगा." इतना कहा कर रमेश अपनी मा के पैरों के पास बैठ
गया और धीरे से अपने हाथों से मा की पेटिकोट उठाने लगा.

















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