Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-11

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-11

ोहित के जाने के बाद मैंने अपना बैग संभाला और दरवाजा अन्दर से लाक कर लिया. जाते जाते मुझे रोहित की बात भी याद आ रही थी जो कि कह गया था कि घर पहुंचकर वो छत पर मिलने का प्रोग्राम बना चूका था. मम्मी की नजर से बचकर छत पर बिना रुकावट के सेक्स के लिए मैं अभी से रोमांचित हुए जा रही थी और डर भी लग रहा था.

मैं एक घंटे तक सोती रही. सोकर जब उठी तो सोचा कि क्यूँ न अपनी पूसी को देखा जाए...मैंने एक मिरर लिया और चेयर पर टाँगे फैला कर बैठ गयी. उसके बाद बायें हाथ से अपने पूसी लिप्स को खोला, और मैंने देखा.....

वो गुलाबी थी...और मैं अपनी पूसी (बिना बालों की) को इतने गौर से देख रही थी. Pussy Mound area थोडा डार्क था और जगह के रंग से.

फिर मैं उठी और सारे कपडे धोने और रूम को साफ़ करने का सोचा. वैसे भी हमारे किये गए सेक्स की गंध पूरे कमरे में फ़ैली हुयी थी. मैंने कभी बेडशीट नहीं धोयीं थी, इसलिए मेरे लिए यह मुश्किल था. फिर मैंने भी नहा लिया और एक कुरता और पायजामा पहन लिया. मैं जानती थी की मेरे घर पर पहुँचने के बाद रोहित का जो प्लान था उसके लिए कुरते पायजाम सबसे ठीक पहनावा था. कपडे सूखते ही मैंने उन्हें तह किया और नेहा की अलमारी में रख दिया. मैं एक कपडा लिया और किचन को भी साफ़ किया. उस टेबल को भी, जहाँ रोहित ने मुझे लिटा के fuck किया था.

जैसे ही मैंने अपना काम ख़तम किया, फ़ोन की रिंग बजी. उस तरफ मम्मी थी, बोली, "जूही, रोहित यहाँ आया हुआ है, अच्छा रहेगा कि तुम यहाँ वापस लौट आओ."

मैंने आर्श्चय जताया और मम्मी को कार भेज देने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि, "ठीक है...बीस मिनट में कार पहुँच जायेगी." तब मैंने कहा, "मम्मी, जरा रोहित से बात कराईए"

वो लाइन पर आया और बोला, "अरे जूही, कहाँ हो...यार...कभी घर पर भी मिला करो...जब भी आता हूँ , तुम बाहर ही मिलती हो."

मैंने उसे जवाब दिया,"बदमाश लड़के....अब मुझे बुलाकर मुझे और मेरी पूसी को फिर से तंग करना चाहते हो...u naughty.."

"चलो अब जल्दी से आ जाओ...हम लोग लंच पर तुम्हारा इन्तजार कर रहे हैं.", उसने फ़ोन रखने से पहले बोला.

कार बीस मिनट में आ गयी। मैंने अपना बैग कार में रखा, नेहा के रूम पर ताला लगाया और फिर करीब चालीस मिनट में मैं अपने घर वापस पहुँच गयी.

जब मैं घर पहुंची तो मैंने डोर बेल बजाई, नौकरानी ने दरवाजा खोला और मैं पहली मंजिल पर बने हुए लिविंग एरिया से होती हुयी बालकोनी में पहुँच गयी जहाँ मम्मी रोहित के साथ बैठ कर बातें कर रही थीं. मैं रोहित के पास आकर रुकी और उससे बोली, "क्या बात है, कुछ खाते पीते नहीं हो, बड़े कमजोर लग रहे हो?"

वो अपनी जगह से खडा हुआ और मेरा वेल्कम किया, और मैं भी वहीँ एक चेयर लगा कर बातें करने बैठ गयी. कुछ देर हम लोग बातें करते रहे. जल्दी ही मम्मी किचन में खाने की तय्यारी के लिए चली गईं. उनके जाने के बाद रोहित ने पुछा, "कल रात के बाद से कैसा फील कर रही हो?"

"अच्छा ...पर थकान बहुत है.", मैंने जवाब दिया. जल्दी ही लंच भी लग गया. मम्मी ने रोहित के लिए कई सारी डिशेज बनाई थीं. हम दोनों ही भूंखे थे. खाना खाने के बाद मम्मी ने कहा कि दोपहर हो गयी है और वो सोने जा रही हैं , "जूही, रोहित का ख्याल रखना".

रोहित उठकर खडा हो गया जब मम्मी अपने बेडरूम कि और जाने लगी. और उनके जाते ही उसने मेरी कलाई पकड़ कर अपनी ओर खींचा और एक किस मेरे गाल पर जड़ दिया. मैं उसे ऐसे करते देख घबरा गयी कि कहीं कोई नौकरानी न देख ले और फिर सब जगह यह खबर फ़ैल जायेगी. मैंने छूटने की कोशिश की तो वो बोला,"पहले एक किस दो नहीं तो कही नहीं जाने दूंगा."

मैंने जल्दी से उसके होंठों पर किस कर दिया और अलग हो गयी,"पता नहीं क्या करते हो...कोई देख लेगा तो दिक्कत हो जायेगी." मेने उससे कहा.

वो बोला,"चलो अब जरा मुझे छत तो दिखाओ..मुझे रात के इंतजाम के लिए कुछ सोचना है."

"उफ़f...तुम कभी संतुष्ट भी होओगे ? तुम एक insatiable imp हो !" मैंने पुछा..तो जवाब में बोला, 'क्यूँ..? तुमसे किसने कहा था इतनी सेक्सी और wet पूसी की मालकिन बनने को?"

मैंने उसे चुप रहने को बोला, और हम लोग जीने में चडने लगे. हम दूसरी मंजिल पर पहुंचे, मम्मी का बेडरूम, मेरा बेडरूम और गेस्ट रूम इसी फ्लोर पर था. और फिर हम खुली छत पर पहुँच गए.
तीसरी मंजिल पर काफी अच्छी धूप आ रही थी. उसने चारों तरफ देखा और मैं आश्चर्यकित हो रही थी की आकिर उसके दिमाग में चल क्या रहा है?

उसने कुछ नहीं बोला और वापस नीचे की और जाने लगा. "क्या हुआ..? क्या प्लान बनाया?" मैंने पुछा.

"दो रास्ते हो सकते हैं, यहाँ आने के. पहला यह कि तुम मम्मी को बोलो कि तुम और मैं यहाँ छत पर बातें करेनेगे और तुम एक चटाई भी ले आना. दूसरा आप्शन यह है कि तुम चटाई ले कर ऊपर आओ और कहो कि मैं खुले आसमान को देखना चाहता हूँ. और तुम बाद में ऊपर आ जाना यह देखने कि मैं क्या कर रहा हूँ?", उसने कहा.

"और उसके बाद?", मैंने पुछा.

"उसके बाद क्या, तुम लेट जाना चटाई पर ....और फिर....हम प्यार करेंगे.", वो शरारती अंदाज में मेरे से बोला.

"है भगवान्...!! और हमें कोई छत पर यह सब करते हुए देख नहीं लेगा..?", मैंने उसके इनते खतरनाक प्लान को सुनकर पुछा.

"तो...तो क्या, देख लेने दो...वो लोग भी तो यह सब करते ही होंगे न...!", वो बिना परवाह के बोला.

"अच्छा ...और अगर इन दोनों आप्शन में से कोई सा भी नहीं चला तो ,..?", मैंने एक और सवाल दागा.

वो कुछ देर सोचता रहा और बोला,"तो फिर...तुम बता देना कि रोहित पागल हो गया है और रात में जयपुर कैसा दीखता है यह देखने के लिए छत पर जाने कि जिद कर रहा है...और मुझे मालूम है कि वो हाँ कर देंगी."

"ठीक है चलो....वो हाँ कर भी देंगी, तो भी...मैं कैसे ऊपर आउंगी.?", मैंने फिर पुछा.

"मेरे हिसाब से अगर वो हाँ कर देती हैं तो तुम ऊपर के दरवाजे की चाबी दे देना, जिससे की मैं उसे सुरक्षा की दृष्टी से बंद कर सकूं. और मेरे ऊपर यह जिम्मेदारी आने पर मामी तुम्हे भी मेरे साथ भेजने की कहेंगी तो तुम इसका विरोध कर देना, की तुम अपनी नींद सितारों को घूरते हुए नहीं बिताना चाहती हो और वो तुम्हे फिर भी घर की सुरक्षा की लिए आखिर मना ही लेंगी."

मैं आश्चर्यकित थी. वो तो प्लानिंग बनाने में बड़ा माहिर था. पर मेरे दिमाग में फिर से एक सवाल कौंधा, "अगर मम्मी ने तुम्हरे सितारों को देखते हुए रात में छत पर रहने की बात को मना कर दिया तो ?"

"मेरा दिमाग मत खराब करो....अगर ऐसा हुआ तो I will enter your room and fuck you in your bed. भले ही तुम्हारे मम्मी और पापा बगल वाले कमरे में ही क्यूँ न हों? जो मुझे चाहिए वो मुझे चाहिए ...बस..!" उसने जवाब दिया.

मेरे शरीर में एक अजीब सिरहन सी दौड़ गयी उसकी चाहत देख कर मेरे लिए.

उसके बाद सारा दिन हंसी मजाक, प्लेयिंग कार्ड्स खेलने और मूवी देखने में निकला. कभी कभी वो मुझे छेड़ देता तो मैं मम्मी से चिल्लाकर उसकी शिकायत कर देती, "मम्मी...जल्दी आओ...रोहित मुझे तंग कर रहा है." पर वो कुछ नहीं बोलती थी.

शाम को जब मैं और रोहित हमारे घर के सामने बने गार्डन में टहल रहे थे तो मेरे से बोला, "जूही, रात में तुम सलवार कमीज पहनना. वो तुम्हारी लाल और नीली वाली कमीज है न, जिसमे सारे खुलने वाले बटन आगे की ओर हैं...वही..वाली...!"

मैंने जान भूझकर उसे पुछा.."क्यूँ..?"...जबकि मैं अच्छी तरह से जानती थी की वो क्या चाहता था? वो कुछ नहीं बोला सिवाय इसके , "और ब्रा मत पहनना !"

मैंने सहमति में अपना सर हिला दिया .

फिर उसने पुछा, "अच्छा जूही, एक बात बताओ. तुम्हे कुछ अंतर महसूस हुआ जब तुमने शुशु बिना जाए (फुल bladder) sex किया और खाली bladder के साथ सेक्स किया?"

मैंने याद किया, सेक्स करते समय जब भी वो नीचे की ओर धक्का लगता था तो मेरे पेट को हर बार दबाता था जिससे की ऐसा लगता था कि पेशाब ही निकल जाएगा. और मैं उसे बाहर निकलने से रोकने कि कोशिश करती थी तो मेरी पूसी की muscles संकुचन करने लगती थीं और सेक्स करना एक सुखद एहसास बन रहा था. मेरे शरीर में फुरफुरी दौड़ गयी उस एहसास को याद करके.

"तुम्हे अच्छा लगा था न... है न..!? आज रात को भी खूब सारा पानी पी लेना और शुशु मत करना.", उसने मेरे को कहा.
उसके बाद मैं अपने बेडरूम में गयी और उस सलवार कमीज को पहन लिया जो की उसने बताई थी. पर मैंने अपनी ब्रा नहीं उतारी, उसे पहने ही रखा..मुझे पता था की मम्मी की नजर पहचान सकती हैं की मेने ब्रा नहीं पहन रखी है. और वैसे भी मेरे स्तन पहले से बड़े होने के कारण pulpy से हो गए थे और बिना ब्रा के उनके movements होने लगते थे. पर मन तो ब्रा उतार देने का ही था , जिससे की वो आसानी से मेरे स्तनों को छू सके, मसल सके या चूम सके.

रात के साड़े नौ बजे रात का खाना शुरू हुआ. मैंने बहुत सारा पानी पिया. खाना खाते हुए मेने मम्मी को बोला, "मम्मी, रोहित खाने के बाद जयपुर के मौसम का मजा छत पर जाकर लेना चाहता है...पागल ही है न..बिलकुल.."

"क्यूँ...रोहित...? सच में...?", मम्मी ने उससे पुछा. रोहित ने हाँ में सर हिला दिया.

उन्होंने तुंरत जवाब दिया, "क्यूँ नहीं...इसमें कोई दिक्कत नहीं है. जूही तुम इस बात का ध्यान रखना की छत का दरवाजा अच्छी तरह बंद करके लाक लगा देना जब रोहित वापस नीचे आ जाए."

मैंने तुंरत भरपूर विरोध किया, "मैं...?? नहीं मम्मी...!! मैं यह सब नहीं करुँगी. रोहित तो पागल है और मैं उसके पागलपन में बिलकुल भी सो नहीं पाउंगी...पता नहीं कब ताला लगेगा और कब यह महाशय नीचे आयेंगे.!"

मेरी मम्मी ने मुझे घूरते हुए देखा और बोली, "तो क्या..? वो यहाँ तुमसे मिलने आया है इतनी दूर से. वो चाहता तो दिल्ली जा सकता था पर वो यहाँ आया और तुम अपने भाई के लिए इतना भी नहीं कर सकती हो? shame on you juhi !"

मैंने जवाब में कुछ नहीं बोला और बल्कि रोहित की ओर मुह करके उसे जीभ निकाल कर चिडाने लगी. "तुम चाहे जितने चेहरे बना लो, मैं रात को आकाश में सितारे जरूर देखूंगा और तुमको मेरी देख रेख का भी ख़याल रखना होगा. और तुम्हे भी सारी रात जगाकर रखूँगा...हा हा हा..."

खाना ख़तम हुआ, मैंने नौकरानी को आवाज दी और कहा, "कोमल, जाओ और पतले गद्दे छत पर ले जाकर डाल दो. रोहित को वहां थोडा समय बिताना है, पानी का जग भी रख देना...", कहते हुए मैंने फिर बुदबुदाया, "साथ में मुझे और जागना पड़ेगा...बेवकूफी है...!"

और अपने प्लान को और मजबूत करने की खातिर मैंने मम्मी को जोर से चिल्लाते हुए कहा, "मम्मी, रोहित ही क्यूँ नहीं ताला लगा कर अपने आप नीचे आ सकता? मुझे क्या उसके साथ एक chaperon बन कर रहना पड़ेगा वहां? और मैं ही क्यूँ?"

"मुझे नहीं पता...तुम्हे यह तो करना ही पड़ेगा...आखिर रोहित एक रात के लिए ही तो आया है...!", मम्मी ने जवाब दिया.

कोमल ने लगभग तीन इंच मोटे गद्दे लिए और जीने पर चडते समय पुछा,"दीदी, क्या चादर और तकिया भी ले जाऊं?". मैं जानती थी कि शायद इन चीजो कि भी जरूरत पड़ सकती है इसलिए मैंने जवाब दिया, "हाँ ठीक है, एक तकिया और एक bolster के साथ एक चादर भी ले जाओ."

कोमल ऊपर गयी और सामान ऊपर रख आयी और आकर बताया कि उसने काम पूरा कर दिया है.

जब तक कोमल किचन का काम ख़तम करती और सारे दरवाजे वगेरह बंद होते, हम लोग ग्यारह बजे तक वहीँ बैठ कर बातें करते रहे. पापा मम्मी भी अपने कमरे में चले गए थे, पापा के तो खर्राटे लेने कि आवाज भी आ रही थी. कोमल और दूसरा नौकर भी अपने क्वार्टर में चले गए.

करीब साडे ग्यारह बजे, रोहित बोला, "तो...चले छत पर ?"

मैं उठी और मम्मी के बेडरूम के दरवाजे पर खटखटाकर बोला, "मम्मी...! मम्मी...मैं रोहित को ऊपर ले कर जा रही हूँ. ठीक है..? जब मैं वापस आउंगी तो दरवाजे की आवाज से परेशान मत होना. ज्यादा चिंता मत करना.....पता नहीं क्या क्या करना पड़ रहा है.."

"ठीक है.." कहकर मम्मी वापस लेट गयी और सोने लगी.

रोहित जब अपने रूम में चेंज करने घुसा तो फुसफुसाया, "शुशु करने मत जाना..!".

फिर वो अपने ट्रैक सुइट को पहन कर रूम से बाहर आया. मैंने महसूस किया की उसके पायजामे में एक पेंडुलम के जैसे कुछ हिल रहा था जब वो चल रहा था. मैं समझ गयी कि उसने अपना अंडर वेअर भी उतार दिया होगा, जिससे कि मुझे आसानी रहे. और तो और उसका लिंग उसकी प्यारी पूसी से मिलने के लिए तड़प में अपनी उपस्तिथि भी जताने लगा था.हम दोनों ऊपर चल दिए.

जैसे ही मैंने छत के दरवाजे का दरवाजा खोला, उसके हाथ पीछे कि तरफ से मेरी कमर पर आ लगे और फिर स्तनों को छूता हुआ मेरी नाभि कि ओर बढ चले. और जैसे ही उसके हाथ मेरे स्तनों पर से गुजरे तो उसे ब्रा कि स्ट्रिप महसूस हुयी. वो समझ गया कि मैंने ब्रा नहीं उतारी थी. वो नाराज होते हुए मुझे अलग करते हुए बोला, "तुमने ब्रा नहीं उतारी?"

उसने दरवाजा बंद किया और मुझे फिर से अपनी ओर खींचा, मेरी पींठ को अपनी छाती से सटा कर उसने मेरे दोनों स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और बोला, "अपनी ब्रा उतार दो..". पर मैंने ब्रा उतारने के लिए कोई हरकत नहीं कि, तब उसने मेरे कुरते के आगे के बटन एक एक करके खोलने शुरू कर दिए, और जैसे ही सारे बटन खुल गए उसने मेरी कुरते को पीछे से ऊपर की ओर उठा कर ब्रा के हूक को खोलने लगा. और जैसे ही ब्रा का हूक खुला, इलास्टिक ढीली हो गयी मेरे स्तन बाहर की ओर निकल आये. वो बोला, "मैं इस ब्रा को तुम्हारे पर नहीं देखना चाहता."

मैंने तुंरत ही कन्धों पर से मेरी ब्रा स्ट्रेप हटा दी और ब्रा को नीचे गिरा दिया.

वो खुश था.

उसके बाद उसने मेरी कुरते में आगे से हाथ अन्दर डाला और मेरे स्तनों को थाम कर उनका मर्दन करने लगा. मैंने कंधे पर से अपने बाल हटा लिए. और उनको छोटी बना कर हेयर बेंड में लगाने लगी तो मेरे दोनों हाथ ऊपर हो गए और रोहित को अपने हाथ मेरे स्तनों पर चलाने की जगह मिल गयी.
मुझे लगा की शायद कोई हमें देख रहा हो..."सुनो...कोई हमें इस तरह देख सकता है..!".वो रुका और चारों तरफ देखा. मैंने तुंरत अपनी कुरते को अपने नंगे स्तनों पर ढका पर बटन फिर से लगाने की हिम्मत नहीं हुयी.

"चलो...कोई नहीं.!..आओ बिस्तर बिछा देते हैं." वो बोला.

फिर उसने तकिया सही जगह लगाया और चादर भी सही से बिछा दी. उसकी ऐसी तय्यारी देखकर मेरे घुटनों से मेरी जाँघों तक एक करेंट दौड़ने लगा, फिर उसने मुझे एक गुडिया की तरह गद्दे पर बिठा दिया.

वो मेरे बगल में बैठ गया और बोला, "यह तारे, चंद्रमा और भगवान् आज देखेनेग की यह भाई अपनी बहिन को कैसे फक करेगा?"

उसने धीरे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी कमीज (कुरते) को मेरे कंधे से नीचे कर दिया. मेरी कमीज मेरी कोहनी में आकर अटक गयी. उसने मेरे नंगे स्तनों को देखा और बोला, "तुम्हारे स्तन ...बहुत सुन्दर हैं. इन दोनों को देखते हैं मेरा लिंग उछल पड़ता है..सच जूही.."

"अपना पायजामा उतारो.." मेने उसे सुझाव दिया (मैं भी उसके उत्तेजित लिंग को देखने के लिए मचल रही थी उस समय).

वो खडा हुआ और पायजामे की इलास्टिक पकड़ी और एक ही बार में पायजामे को नीचे खींच दिया. और जैसे की उसने अंडर वेअर नहीं पहना हुआ था सो उसका इरेक्टेड खडा हुआ लिंग मेरे चेहरे के सामने प्रकट हो गया.

मैंने अपनी हथेली ऊपर कीं और उसके testis को बाई हथेली से पकडा और दायीं हथेली से उसके लिंग को. मैंने उसके लिंग की खाल को आगे और पीछे किया जिससे कि उसे उत्तेजना और ज्यादा हो. "तुम्हारा लिंग खूब बड़ा और सख्त है, सच में.."

वो जल्दी से मेरे साथ बैठा और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी. और उसके बाद वो मेरे पूर्णतया नग्न स्तनों पर किस करने लगा. तभी किस करते करते वो रुका और बोला, "लेट जाओ..और पूरी नंगी हो जाओ." उसने मुझे गद्दे पर लिटाया और मेरा सर तकिये पर रख दिया. उसने तुंरत मेरे पायजामे की गाँठ ढूँढ ली और खोल ली.और बोला ," जल्दी करो....अपने हिप्स ऊपर उठाओ , इस पय्जामी को उतारना है." वो बहुत जल्दी में लग रहा था.










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