Monday, May 24, 2010

rajsharma ki kahaniya चाचा चाची की चुदाई--09

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चाचा चाची की चुदाई--09

हालाँकि साधु का कंट्रोल मशहूर था मगर पहली बार लंड चूस्ते देख वो बेहद उत्तेजित था और 4-5 मिनिट मे उसने अपना गढा क्रीम निशा के पेट मे उतार दिया,' पी जमेरा पानी भेंचोड़ बुझा अपनी प्यास चुड़क्कड़ रांड़, ये कहते हुए वो छ्छूट गया. " निशा के मूह मे चूँकि उसका लंड था इसलिए वो बोल तो कुछ भी नही पाई मगर कालू चुप नही था,' हा उस्ताद ये रंडी आंडरास की शौकीन है, खाली कर दो अपने चीकु इसके अंडर,' वो बोला. उधर निशा कालू के मूह पेर झड़ने को थी,' हा कालू चोद मेरी चूत , चॉड भद्वे चोद्ता जा रुक मत,' ये कह कर वो गांद उप्पेर नीचे करने लगी. कालू ने एक हाथ से तो उसकी चूत के बाहर के हॉट फैलाए हुए थे दूसरे से वो उसकी गांद मे उंगली कर रहा था. निशा की गांद एकद्ूम चिकनी थी. एक सेकेंड मे पूरी उंगली सॅट्ट से भीतेर सरक जाती थी. गांद पेर एक भी बॉल भी नही था. कालू उसकी क्लाइटॉरिस को सॉफ्ट्ली चबा रहा था जो फूल कर किसी बच्चे के लंड जितनी बड़ी हो गयी थी. निशा ने ज़ोर से चीख लगाई, इतनी ज़ोर से की उसके पति और सास को दूसरे कमरे मे सॉफ सुनाई दी,' ये रंडी चुदाई मे हम सबको पीछे छ्चोड़ देगी,' चाचिजी बोली.

निशा तो झाड़ गयी मगर कालू अब दुबारा तय्यार था. उधर साधु का लंड दुबारा खड़ा होने मे टाइम लेता था मगर वो इस वक़्त का इस्तेमाल करना चाहता था. अब उस्ताद के कहे अनुसार कालू नीचे लेट गया निशा उस पेर उल्टी लेट गयी. कालू उसकी चूत चाट रहा था और वो कालू के लंड को तय्यार कर रही थी. साधु एक और कला मे माहिर था. वो गांद ऐसे चाटता था जैसे कोई प्यासा जानवर तालाब का पानी पीता हो. उसने कालू के मूह के अप्पर पड़ी निशा की गोरी मगर मज़बूत गांद का गुलाबी च्छेद ढूँढा और उसके च्छेद पेर अपनी जीभ लगा दी. निशा को सनसनी हुई , कोई पहली बार उसकी गांद के च्छेद को ऐसे चाट रहा था. साधु ने धीरे धीरे अपने थूक और उंगली से उसकी गांद को खोलना शुरू कर दिया, निशा को लगने लगा आज साधु उसकी गांद फड़ेगा. उसे पता चल गया दोनो कुत्ते अपने अपने च्छेद ढूंड चुके है. कोई 5 मिनिट मे साधु ने अपनी तीन उंगलियो से निशा की गांद चोदना शुरू कर दिया. निशा की गांद ऐसे खुल गयी थी जैसे कोई कमल का फूल सुबह सुबह खिलता हो. कोई 4-5 मिनिट बाद साधु ने आलू जैसे मोटे सुपरे को निशा की गांद के च्छेद मे सरका दिया. दर्द और एग्ज़ाइट्मेंट मे उसने कालू के लंड को काट लिया,' भांचोड़ रंडी मुझे हिजड़ा बनाएगी क्या ,' कालू बोला. कालू की आँखो के बिल्कुल उप्पेर उसके चुदाई के उस्ताद की आंड झूल रहे थे जिनको द्देख उसके मूह मे पानी आ रहा था. साधु धीरे धीरे अपना औज़ार निशा की गांद मे अड्जस्ट करने लगा.निशा चीखने लगी,' कालू ये बुद्धा मदारचोड़ मेरे गांद फाड़ देगा उसको रोक,' वो बोली.' उस्ताद रंडी को मज़ा आ रहा है पूरा थुस दो,' कालू बोला. साधु ने पूरा लंड घुसा दिया था. निशा चीख पड़ी.
कालू के सामने उस्ताद के विशाल आँड नाच रहे थे. उसने अपना हाथ बढ़ाया और साधु की गोटिओ को धीरे धीरे मसालने लगा. साधु उतीजित हो कर निशा की गांद कुत्तो की तरह मारने लगा. " कालू ये भड़वा मेरी गांद फाड़ देगा मे पॉटी तक नही जा पौँगी, इसको कह मेरी चूतड़ छोड़ दे और अपना मूसल वाहा से निकाल दे,' निशा बोली.' " नही मेमसाहबशुरू शुरू मे गांद मे दर्द होगा बाद मे ये भी चूत जितना ही मज़ा देगी,' कालू बोला. साधु अब अपना पूरा लंड बाहर निकलता और फिर उसको पूरा अंडर पेल देता, निशा चीक्ख परटी,' ओह मा मर गयी,' उधर कालू ने अपनी दिशा चेंज कर ली. वो निशा के नीचे आया और उसकी चूत मे अपना लंड अड्जस्ट करने लगा,' ओह चुदु तुम दोनो मेरे दोनो च्छेद एक साथ फड़ोगे क्या?" निशा बोली,' भेंचोड़ रंडी तेरे च्छेद चुड़ाने के लिए ही तो बने है, तू क्या सोचती है हम तेरी गांद और चूत की अगरबत्ती करेंगे,' साधु बोला और उसने स्पीड बढ़ा दी.' कालू अब तक नीचे से पूरा लंड निशा की चूत मे घुसा चक्का था. साधु और कालू के आँड एक दूसरे से टकरा रहे थे. निशा की चूत और गांद के बीच की पतली चमरी से दोनो को एक दूसरे का लंड एक दूसरे के लंड पेर रगारता महसूस हो रहा था. कालू नीचे से निशा को किस जकर रहा था. उधर साधु ने निशा के गोरे लटकते हुए बूब्स दबा रखे थे. वो गांद मारते मारते निशा की गांद पेर ज़ोर ज़ोर से थप्पड़ मारे जा रहा था. पिटाई से निशा की गांद लाल हो गयी थी मगर उसको मज़ा आ रहा था. उसको लग रहा था जैसे दो जंगली जानवर उसकी ऐसी तैसी कर रहे है. " मे मार जौंगी कालू धीरे धीरे लो मेरी, तुम्हारी ही दौलत है मेर चूत और गांद, एक दिन मे ही लूट लोगे क्या?" " साली ये दौलत तो लूटने से बढ़ती है अभी तो पूरी रात बाकी है,' साधु बोला.
कोई 10 मिनिट तक निशा की भयानक चुदाई हुई कोई 5 बार उसको ऑर्गॅज़म हो गया. वो इंतेज़ार करने लगी की दोनो बेरहम चुड़क्कड़ कब अपने भरे हुए अंडकोष उसके पेट मे खाली करेंगे,' अब निकालो अपना पानी और बुझा दो मेरी चूत और गांद की प्यास,' वो बोली.' गर्र्र्र की आवाज़ करते हुए पहले कालू खल्लास हुआ, उसने इतना पानी छोड़ा को वो निशा की चूत से बह कर उसके काले अंडकोषो को पूरा भिगो गया. उसके बाद ,' ले रंडी मेरा पानी ले तेरी गांद को आज इस से भर दूँगा,' ये कह कर चीख कर साधु निशा की गांद मे झाड़ गया. बिस्तेर पेर वीरया ही वीरया बिखरा हुआ था. चीखे सुन तीनो औरते सूरज को छोड चली आई, पीछे पीछे सूरज भी चला आया, बहादुर बी, पाँचो ने ऐसी भयानक चुदाई का द्रश्य आज तक नही देखा था. उधर साधु का लॉडा देख पाँचो की आँखे फटी रह गयी,' चुदाई पूरी होने के 5 मिनिट बाद तीनो को होश आया. " आओ बेटा तुम्हारा और तुम्हारे इस दोस्त का लंड धो देती हू,' गीता बोली. वो साधु के लंड को इसी बहाने हाथ मे लेना चाहती थी. दोनो मर्द गीता के साथ बाथरूम मे गये तो निशा बोली,' मे तो आपके कमरे मे आकर आपकी चुदाई नही देखती आप यहा क्यू आए?" उसने चाचिजी से पूछा.' बहू हम तो तेरी चीख सुन कर घबरा गये थे,' चाचिजी बोली.' " आप जैसी चुड़क्कड़ औरत क्या चुदाई की चीख नही पहचानती?" निशा ने पूछा. ये सुन कर सूरज और चाचिजी बाहर चले गये. गीता मौके का फयडा उठा कर वही रुक गयी.

चाचिजी बहादुर और सूरज के लंड से अब कहा सन्तुस्ट होने वाली थी? उनकी आँखो के सामने साधु का विकराल लंड घूम रहा था. उस रात उन्होने चुदाई बड़े बुझे मन से की और निशा से उनको खूब ईर्ष्या हुई. सूरज भी अपनी बीवी की गांद और चूत मे मोटे लंड जाते देख हीनभावना से भर गया. चाचिजी को उम्मीद थी की गीता कोई रास्ता निकल लेगी.
उधर निशा के कमरे मे दोनो मर्द लंड सॉफ कर के वापस आ गये थे. साधु दोनो तरफ चलता था. कालू को पता था उसको अपनी गांद का प्रसाद चाड़ना परेगा. उसको लगा वो निशा से कैसे कहे,' मा अब साधु मेरी गांद की ऐसी तैसी करेगा तू इसको थूक या तेल वेल से चिकना कर इसके मुस्टंडे के लिए खोल दे,' ये कह के उसने अपने चुतताड बिस्तेर के कोने पेर उँचे कर दिए. मा अपने ही लाल को उसकी दूरगत के लिए तय्यार कर रही थी. वो अंडर जीभ डाल कर उसकी गांद खोलने लगी, कालू को बड़ा मज़ा आ रहा था. साथ ही वो नीचे हाथ बढ़ा कर अपने बेटे का आधा खड़ा लॉडा भी दबाने लगी और धीरे धीरे उसके आंदियो पेर थपकीया देने लगी.' कालू को बहुत मज़ा आ रहा था,' अब मेरी गांद छोड़ मा,' वो बोला. गीता ने अपनी एक उंगली उसकी गांद मे सरका दी और अंडर बाहर करने लगी,' मा और समान डाल इस भद्वे साधु ने चोद चोद कर मेरी गांद का च्छेद मोटा कर दिया है तेरी एक उंगली का कुछ असर नही होगा,' वो बोला. गीता ने धीरे धीरे अपनी चार उंगलिया डाल दीं अगर कालू शांत नही हुआ,' मा और कुछ डाल गांद की खाज मिटी नही, उसने कहा. गीता ने अब अपना पूरा हाथ कलाई तक कालू की गांद मे सरका दिया. पहली बार उसने इतना बड़ा गांद का च्छेद देखा था,' हा मा अब कुछ महसूस हुआ चोद्ति जा,' कालू ने कहा. गीता अपना हाथ उसकी गांद मे अंडर बाहर करने लगी,' मेरे लाल तेरी गांद का तो इस मदारचोड़ ने भुर्ता बना दिया पता नही कितनी बार किस बेरहमी से चोदा है तुझे,' गीता बोली. " मे तो इसके लॉड का घुलाम हू मा,' कालू ने कहा. " उस्ताद मेरी चूत तुम्हारे हथोदे की चोट के लिए तय्यार है,' कालू साधु से बोला.
उधर निशा साधु को चूस कर उसको कालू के लिए तय्यार कर रही थी. साधु तो नीचे खड़ा था और निशा बिस्तेर पेर बैठी थी,' साले रांदबाज़ ऐसा औज़ार ले करके अब तक कहा च्छूपा हुआ रहा?" निशा ने कहा.' कस्बे की सारी औरते मर गयी थी जो तू आदमियो की गांद मारता फिर रहा था?" उसने कहा और लॉलीपोप की तरह साधु का गुप्तन्ग चाटने चूसने लगी,' चाट भोसड़ी की रंडी चाट मेरा हथोदा,' साधु निशा के बॉल पकर कर बोला. निशा हल्के हल्के उसके विशाल सूपदे पेर दाँत भी गाड़ा रही थी जिससे साधु और उत्तेजित हो रहा था. साधु ने कोई 5 मिनिट मे विकराल रूप धारण कर लिया अब निशा का मूह छ्होटा परने लग गया, वो उसके लंड के चारो तरफ जीभ फिरने लगी, इन अंडू को भी चट ,' ये कह कर साधु ने अपने टटटे उसके मूह मे एक एक कर के डाल दिए. निशा पागल हो रही थी उसकी चूत का रस बह कर उसके घुटनो तक आ गया.
अब साधु को अपनी मंज़िल पता थी. उसने निशा के मूह से लंड हटाया और कालू की गांद के च्छेद पेर रख दिया. गीता ने उसके सूपदे को च्छेद पेर रख कर दबा दिया,' मार मेरे बेटे की गांद मेरे सांड चोद इस भद्वे को,' गीता बोली. साधु लगभग हर रोज़ कालू को चोद्ता था. उसे पता था उसे क्या करना है. उसने एक ज़ोर का झतका दिया और आधा लंड कालू की गांद मे सरका दिया,' मर गया उस्ताद रहम करो,' कालू चीखा. कालू की चीख कम से कम पूरे घर मे सुनाई दी. जिग्यासा वश चाचिजी, सूरज वगेरह सब भी पर्दे के पीछे से देखने लगे. कालू की गांद मे फासे हुए साधु के विकराल लंड को देख उनके पसीने छ्छूट गये,' ये तो कालू को मार डालेगा ज़ालिम,' चाचिजी बोली. मगर साधु रुका नही थोड़ा बाहर खीच कर उसने एक और झटका मारा इस बार तीन चौथाई लंड अंडर था,' छ्चोड़ दो उस्ताद फट जाएगी मेरी गांद,' कालू चीखा.' " तेरी मा और तेरी रंडी बैठी तो है सीलने के लिए तू तो ऐसे नखरे कर रहा है जैसी किसी कुँवारी रांड़ की सुहग्रात हो,' साधु बोला और लंड खिसकता रहा. कोई दो मिनिट बाद उसका पूरा गधे जैसा लंड कालू की गाड़ ने खा लिया,' शॅबहश मेरे लाल जुग जुग जीओ, तूने आज तेरे उस्ताद का पूरा लंड खा लिया,' गीता बोली.' साधु अब चुदाई शुरू कर चक्का था. कालू भी अब पूरी मस्ती मे था,' चोदो उस्ताद फाडो इस भद्वे की गांद,' कालू बोला. साधु की स्पीड बढ़ गयी थी. कालू का मूह लाल था. निशा अपने बेटे के बाप के नीचे सरक गयी और कालू का गीला ओर छ्होटा लंड चूसने लगी, उसे असचर्या था उतीज्न के बावजूद कालू का लंड नरम कैसे था जबकि खूब सारा प्रिकूं उसके सुपरे पेर लगा हुआ था,' तुम्हे अच्छा तो लग रहा है कालू?" निशा ने पूछा.' हा बहुत अच्छा लग रहा है थोड़ी देर मे तुम्हारे मूह मे पानी छ्चोड़ दूँगा,' कालू ने कहा.' मगर इतने नरम लंड से कैसे पानी छूतेगा?" निशा ने पूछा.' अरे भेंचोड़ जब गांद मे मूसल हो तो लंड खड़ा कैसे होगा? ऐसे ही नरम लंड पानी छ्चोड़ देगा भाडवी,' कालू बोला. निशा कालू के अंडकोष पेर भी उंगलिया फिरने लगी और उन पेर हल्का हल्का दबाव देने लगी. उधर गीता ने साधु के लंड का बेस कस के पाकर लिया और उसकी विशाल गोलियो को एके क कर के दबाने लगी,' अब छ्चोड़ दे मेरे बेटे की गॅंड मे अपना पानी मेरे साड,' गीता बोली.' अभी कहा अभी तो साले को इतना चोदुन्गा की दो दिन तक टट्टी जाना भूल जाएगा,' साधु ने कहा और पूरा बेरहम हो गया.' सूरज की चीखे जारी रही, गीता के उस्ताद हाथ वन कालू का काम आसान कर दिया, साधु इस बार 5 मिनिट मे ही झाड़ गया. उधर कालू नरम लंड से ही निशा के मूह मे झाड़ गया. ये द्रश्य चाचिजी और सूरज के रोंगटे खड़ा कर गया. मदारचोड़ ऐसा चुड़क्कड़ आदमी ये रंडी कहा से ढूँढ लाई? चाचिजी ने कहा.
उस रात चुदाई का भयंकर द्रश्य था घर मे साधु के लंड से चूटे और गांडे चुद चुद कर घायल हो रही थी. मगर चाचिजी को अब हर कीमत पेर साधु का लंड चाहिए था. उनको पता था गीता के सिवई यह काम कोई नही कर पाएगा. गीता मालकिन के लिए साधु के लंड के बंदोबस्त मे अगले दिन से ही लग गयी. एक दिन निशा का अच्छा मूड देख कर वो बोली,' मेमसाहिब, साधु इतना भयंकर चुड़क्कड़ है की एक रात मे आपको और मेरे बेटे को चोद कर संतुष्ट करने के बाद भी कम से कम दो तीन और लोगो की मार ले,' वो बोली. " हा गीता है तो वो मदारचोड़ सांड कुछ ऐसा ही,' निशा ने कहा. " तो फिर आप उस से चाचिजी की बुद्धि चूत क्यू नही चूड़ने देती?" " उसने मेरे पति को मुझसे छ्चीना है उस रंडी को मे कभी चुदाई का असली मज़ा लेते हुए नही देख सकती, जो मुझे चोदेगा वो उस बुद्धि भिस्दी को नही,' निशा ने कहा. कोई दो दिन बाद निशा यकायक गीता से बोली,' सुन गीता में साधु को चाचिजी को चोदने दे सकती हू मगर मेरी एक शर्त है,' उसने कहा.' " क्या शर्त है मेमसाहिब?" गीता ने पूछा. " साधु और कालू सूरज की गांद मारेंगे,' निशा बोली.' और हा चाचिजी को अगर साधु से चूड़ना है तो फिर सूरज का लंड छ्चोड़ना पड़ेगा और उसकी गांद मेरे सांड से मर्वानी पड़ेगी, सूरज अब सिर्फ़ चुड पाएगा, चोद नही पाएगा, ये अगर चाचिजी को मंज़ूर हो तो मुझे बता देना,' निशा बोली.
. कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त कमेन्ट जरुर देना कहानी कैसी लगी





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