चाचा चाची की चुदाई--7
हल्लो फ्रेंड आप कहानी का मज़ा लो ओर अपने हाथों को हिलाते रहो मतलब हेंड प्रेक्टिस करते रहो क्योकि कहानी आप लोगों
को बहुत पसंद आ रही है मुझे लगातार मैल आ रहे है की राज भाई कहानी को जल्दी से जल्दी पूरी कर दो
अब मई आपका ओर ज़्यादा टाइम खराब करूँगा क्योकि मई जानता हूँ की आप कहानी पढ़ने के लिए उताबले हो रहे हैं
कालू ने अगले तीन दीनो तक निशा को जानवरो की तरह चोडा. निशा उसको चाचिजी से ज़्यादा मज़े देना चाहती थी. तीन दीनो बाद सूरज, चाचिजी और गीता आ गये. " क्यू मेमसाहिब कैसा है मेरा बेटा चुदाई मे? कैसा लगा उसका लंड?" गेटा ने निशा से पूछा. " मेरे हज़्बेंड से तो हर मामले मे अच्छा है,' निशा बोली. " अब मुझे सिर्फ़ वो ही चोदेगा उसको ही मे एक बच्चे का बाप बनौँगी,' निशा ने सॉफ कह दिया. "लेकिन सूरज बाबू?" गीता ने पूछा. " उन्होने चार बच्चे दो चुतो से पैदा कर दिए तुमको तुम्हारी बेटी को तुम्हारी मा को अपनी चाची को और और भी ना जाने कितनी चूटे उन्होने चोदि होगी अब वो मुझे कैसे रोकेंगे? वो अपनी चाची को चोदे मेरी चूत तो अब नये लंड ही खाएगी,' निशा बोली.
गीता ने जा कर सारी बात चाचिजी और सूरज को बता दी,'अब आप की और चाचिजी के चुदाई और आपसे उनके दो बच्चो के बारे मे मे कुछ नही कहूँगी लेकिन अगर मेरी चुदाई को लेकर आप कुछ बोले तो मे दुनिया को ये सब बता दूँगी,' निशा ने सूरज को बता दिया. अब ये तय हो गया की एक कमरे मे कालू निशा को चोदेगा तो दूसरे मे सूरज चाचिजी को. गीता दोनो कमरो मे आ जा सकती थी. कालू को चाचिजी को चोद्नेने की मनाही थी. अपनी मा को वो चोद सकता था. कालू ने अपने मोटे अंडकोषो का पानी निशा की चूत मे खाली करना जारी रखा. कोई दो महीनो बाद ये कन्फर्म हो गया की निशा के पेट मे कालू का बच्चा ठहर गया है. निशा उसको जन्म देने पीहर चली गयी. उसको लरका हुआ. बच्चा होने के बाद भी वो कोई साल भर तक वही रही. सूरज को पता चला की वो अपने मोहल्ले की रांड़ बन गयी थी. दो बच्चो के बाद उसने नसबंदी करा लीथी.
उधर सूरज चाचिजी और गीता को चोद चोद कर बोर हो गया था. गीता और चाचिजी भी नया लंड तलाश रही थी. एक दिन गीता ने कहा की उनका कोई रिश्तेदार नेपाल से काम करनेवालो को लाता है. चाचिजी ने उस से कहा की हो सके तो पूरा परिवार ले आओ ताकि सबकी चुदाई हो सके. कोई एक महीने बाद नेपाल से एक परिवार उनसे मिलने आया. कोई 45 साल का आदमी था, उसकी वाइफ 40 की होगी, एक लरका था 16 साल का, दो लरकिया, 18 और 14 की. सब गोरे चित्ते और चिकने थे. गीता ने आँख मारी,' देखो हुमारे यहा पेर भी बहुत सारा काम रहता है तुम चाहो तो हुमारी पीछे के सेवन्त क्वॉर्टर मे रह जाना. चाचिजी का साबुन और पेपड बनाना का धंधा था. काम मे बहुत सारी औरते और आदमियो की ज़रूरत पड़ती थी. चाचिजी आदमी को बड़ा बहादुर और उनके लरके को छ्होटा बहादुर कहती थी. बड़ी लर्की को वो बार्की और छ्होटी को चुटकी कहती थी. कोई 3-4 महीनो मे पूरा परिवार वाहा सेट हो गया. गीता की भी उनसे दोस्ती हो गयी. " अभी भी तुम्हारी चुदाई चलती हा क्या?" गीता ने एक दिन उस औरत से पूछा,' इतने छ्होटे कमरे मे चुदाई की सुविधा ही नही मिलती,' वो औरत बोली. उसका नाम अनुराधा था. गीता ने बतो बतो मे उसके पति के औज़ार और उसकी ताक़त का पूछ लिया,' देखो, मेमसाहब बिल्कुल मस्त है, तुम्हारा मूड हो तो मुझे बता देना, मे उनसे कह दूँगी तुम बंगले मे आ कर कमरे मे चुदाई कर लेना,' उसने कहा. अनुराधा ने अपने पति को ये बताया, दोनो चुदाई को तरस रहे थे, उसने गीता से कह दिया. उसी दिन रात मे गीता ने उनको छत वाले कमरे की चाबी दी और कहा,' देखो तुम दोनो अंडर चले जाना, मे बाहर से ताला बुन्द कर दूँगी, जुब चुदाई हो जाए तो दरवाज़ा खटखटा देना मे खोल दूँगी.' दोनो अंडर गये गीता ने ताला लगा दिया. उसने पहले ही दरवाज़े मे बड़ा च्छेद कर रखा था. चाचिजी को भी बुला लिया. उधर बहादुर ने आव देखा ना ताव अपनी पॅंट खोली और अपनी पत्नी का पेटिकोट अप्पर कर दिया. एक ही मिनिट मे भूखा बहडूर बीवी पेर टूट पड़ा. वो ऊहह आ करती रही. उत्तेजित बहादुर एक ही मिनिट मे झाड़ गया. " गीता इसका लंड तो चिकना और मज़बूत है, मोटाई भी अच्छी है सिर्फ़ ज़िसे 6 इंच से ज़्यादा नही है,' चाचीज़ बोली. " दूसरी बार की चुदाई देख ले मेमसाहिब उस से पता चल जाएगा चलता कितना है,' गीता बोली. दो मिनिट मे बहादुर का लंड फिर से खड़ा था इस बार उसने कोई 15-20 मिनिट तक अपनी बीवी की मारी,' पास हो गया ये मर्द, बाक़ी हुम्से सीख जाएगा,' गीता को चाचिजी ने कहा. बहादुर ने दरवाज़ा खटखटाया और गीता ने खोल दिया. उसने बहादुर को आँख मारी बहादुर उसका मतलब समझ गया
बहादुर और उसकी बीवी अब दो दिन मे एक बार चाबी लेकर चुदाई करते रहे. एक दिन गीता ने बहादुर को बुलाया और बोली,' बहडूर तुम चुदाई तो बहुत अच्छी करते हो मैने और चाचिजी ने छुप छुप कर कई बार देखी है,' बहादुर शर्मा कर हस्ने लगा. गीता को कोई शर्म नही थी, उसने नीचे बेठे बठे ही अपना पेटिकोट उँचा किया और अपनी बालो वाली मोटी चूत बहादुर को दिखा कर बोली ,' अब मेरी चूत मे अपना लंड कब डालोगे?" बहडूर शर्मा कर चला गया मगर उसने आज तक ऐसी औरत नही देखी थी जो खुद का पेटिकोट अप्पर कर के लंड माँगे. उसकी पत्नी तो बहुत शरमाती थी. बहादुर को अब दिन रात ख़यालो में गीता की बालो वाली चूत दिखाई देने लगी. उधर गीता सही मौके का इंतज़ार करने लगी, एक दिन उसने बहादुर को छत के कमरे की सफाई के लिए बुलाया और कुण्डी लगा दी. गीता ने बहादुर को कस कर पकड़ा और हाथ नीचे ले जाकर उसकी पॅंट के उप्पेर से ही उसके लंड को आटे की तरह मसालने लगी. जैसी ही उसके हाथो मे बहादुर का लंड सामने नही लगा वो बिस्तेर पेर लेटी और अपना पेटिकोट उप्पेर कर के पाव चौडे कर दिए,' आजा राजा चोद अपनी इस रानी को.' बहादुर अब रुक नही सकता था. उसने अपना गोरा लंड गीता की चूत मे डाला जो रस से पूरी गीली थी और मशीन की तरह उसको चोदने लगा. " चोद राजे चोद निकाल मेरे भोस्डे की गर्मी तेरे नेपाली लंड से,' वो बोली. बहादुर हॅफ्टा हुआ दो मिनिट मे ही झद गया. गीता ने अब लगभग हर रोज़ बहादुर को चोद्नना शुरू कर दिया. जब दोनो बिल्कुल खुल गये तो गीता बोली,' आज रात को तुम हुमारे घर मे ही सोना कुछ काम का बहाना कर के मे तुझे मेमसाहिब को चुदवाउ गी.'
बहडूर रात का इंतज़ार करने लगा. चाचिजी मे अभी भी डम था. बड़े बड़े बूब्स मोटी गांद सूजे हुए होतो वाली चूत और पूरा जोश. रात मे बहादुर को गीता ने बेडरूम मे बुलाया. बहादुर अंडर गया तो उसने देखा की चाचिजी गाउन पहने लेटी हुई थी. ' बहादुर मेमसाहिब के बदन मे बहुत दर्द है आ जा तू और मे दोनो मिल कर मालिश कर देते है.' गीता ने एक पिंडली और बहादुर ने दूसरी पिंडली पेर मालिश शुरू कर दी. गीता बड़ी उस्ताद थी मालिश करते करते उसने चाचिजी का गाउन उनकी गॅंड तक सरका दिया था,' चाचिजी उप्पेर भी दर्द है क्या?" उसने पूछा,' हा गीता पूरे बदन मे दर्द है,' चाचिजी बोली.' लेकिन बहादुर है,' गीता बोली,' अरे बहादुर घर का ही आदमी है इस से क्या शरमाना,' चाचिजी उल्टे लेट हुए बोली.
गीता ने चाचिजी का गाउन कमर तक उप्पेर कर दिया. " मे गाउन उतार ही देती हू,' चाचिजी बोली. उन्होने गाउन उतारा और चड्डी और ब्रा मे ही लेट गयी. चाचिजी ने काली चॅड्डी और काली ब्रा पहनी हुई थी. उल्टी लेते चाचिजी की पहाड़ जैसी मोटी गेंड देख कर बहादुर का लंड बेक़ाबू हो गया. गीता को उसका फूला हुआ पॅंट देख कर सब पता चल रहा था पेर वो चाहती थी लोहा गरम हो तभी हाथोरे की चोट हो. गीता अब चड्डी की साइड से चाचिजी की गेंड भी मसालने लगी. उसने धीरे से चाचिजी की चड्डी को उनकी गेंड की छेद मे डाल दिया. अब चाची जी की गेंड के दोनो चूतर सॉफ दिख रहे थे,' बहादुर एक गॅंड तुम मसालो एक मे मसलती हू,' बहादुर चाचिजी की गेंड मसल्ने लगा. उसका लंड एकद्ूम गीला हो चुक्का था. " बहादुर तुम्हारे कपड़े तेल से गीले हो जाएँगे तुम उप्पेर के सारे कपड़े उतार दो सिर्फ़ चड्डी पहन कर ही मालिश कर दो,' गीता बोली और बोलते बोलते खुद के सारे कपड़े उतार दिए. बहादुर की हालत पतली हो गयी एक औरत पूरी नंगी थी दूसरी आधी. बहादुर ने अपना शर्ट और बनियान उतार दिया लेकिन पॅंट पहनी हुई थी गीता ने उसके पॅंट की ज़िप खोली और जबरन उसे नीचे खेचने लगी, बहादुर ने खुद ही उसको नीचे खिसका दिया. बहादुर अब धरीदार कछे मे था जिसमे से उसका सीधा खड़ा लंड सॉफ दिख रहा था. गीता ने चाचिजी की चड्डी नीचे खेच दी. चाचिजी ने जैसे ही गेंड उप्पेर की बहादुर ने उनकी सॉफ चूत की झलक देखी. चाचिजी ने चूत के सारे बॉल सॉफ कर रखे थे.
गीता का विचार कुछ अलग था. उसने चाचिजी की गेंड की च्छेद मे खूब सारा तेल डाला और उनकी दरार मे हाथ फिरने लगी. फिर उसने चाचिजी की गेंड के छेद मे तेल डाला और अपनी उंगली अंडर बाहर करने लगी और तेल डालने लगी. बहादुर चाचिजी के विशाल चूटर मसले जा रहा था. चाचिजी की गांद मे धीरे धीरे गीता ने अपनी तीन उंगलिया डाल दी और उनकी गांद चोद्नेने लगी. पता नही गीता को क्या ख़याल आया वो उठी नंगी ही किचन तक गयी और वाहा से एक खीरा उठा लाई. खेरे को उसने तेल पिलाया और चाचिजी की खुली गांद मे उसका मूह घुसा दिया,' ये क्या कर रही है तू गीता?" चाचिजी ने पूछा,' बहादुर के साथ आज आपकी सुहाग रात है चूत तो आपकी चुद चुद कर बड़ी हो गयी गांद मे अभी तक कोई दूसरी चीज़ नही गयी, आज इस से आपकी गान्द मर्वौन्गि,' गीता बोली.' " देख मुझे दर्द हुआ तो मे इसका गरम लंड तेरी सुखी गांद मे डलवा दूँगी,' चाचिजी लेते लेते ही बोली. गीता को पता था अब चाचिजी की गांद पूरी तरह खुल चुकी है उसने बहादुर से कहा,' देर मत कर राजा चोद इस पहाड़ को.' बहडूर ने अपना कच्छा उतारा और चाचिजी की गान्द के च्छेद पेर अपने लंड का गुलाबी सुपरा रखा. गीता ने उसको आगे से पकर कर आधा सुपरा चाचिजी की गांद के च्छेद मे डाल दिया. लंड अपने आप अपना रास्ता खोज लेता है. बहादुर ने थोडा धक्का दिया तो उसका सुपरा चाची की गांद मे पूरा समा गया, चाचिजी दर्द से थोडा चीखी. ये सुन कर बहादुर मे और जोश आया, उसने लंड अंडर खिसकना जारी रखा,' ओह मदारचोड़ तू मेरी कुवारि गांद फाड़ डालेगा क्या भोसड़ी के,' चाचिजी बोली.' हा चाचिजी इसका लंड ही आपकी कुवारि गांद का रास्ता खोजेगा,' गीता बोली. बहादुर तब तक रास्ता समझ चक्का था. अब वो लंड अंडर बाहर करने लगा. चाचिजी भी अपनी गांद हिलाने लगी. गीता दोनो के पीछे आ गयी. एक हाथ से उसने चाचिजी की चूत सहलाना शुरू कर दिया और उनकी क्लाइटॉरिस दबाने लगी और दूसरे हाथ से बहादुर के गुलाबी अंडकोष से खेलने लगी. बहादुर बहुत उत्तेजित था. दो औरते उस से खेल रही थी. उधर चाचिजी चरम सुख मे ज़ोर से चीखी और इधर उनकी गांद मे बहादुर का पानी छुत गया. उस रात बहादुर को दोनो चुड़क्कड़ औरतो ने खूब चोदा.
बहादुर अब तीनो औरतो का सामूहिक चोदन करता रहा. गीता, चाचिजी और अपनी पत्नी तीनो को वो जम कर चोद्ता. उधर सूरज ने बहादुर की पत्नी की चुदाई चालू कर दी. दो आदमी और तीन औरते रोज़ रात दिन चोदने लगे. सूरज की नज़र अब बहादुर की दोनो बेटियो पेर थी. दोनो पति पत्नी जानते थे की अब दोनो बेटी चुदाई ने एक्सपर्ट हो कर रहेगी. मगर एक दिन यकायक निशा वापस घर चली आई. कालू अब कही मज़दूरी करने जाता था. निशा को घर मे घुसते ही पता चल गया की उसकी सास ने बहडूर की और उसके हरामी पति ने उसकी पत्नी की चुदाई शुरू कर दी है और सूरज की नज़र अब दो कुवारि चुतो पर है. कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त कमेन्ट जरुर देना कहानी कैसी लगी
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