Monday, May 24, 2010

कामुक कहानिया एक गाँव की कहानी--6

raj sharma stories राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स ,

एक गाँव की कहानी - पार्ट 06


हरिया ने अपना खड़ा लंड आशा की रिस्टी हुई चूत पे रखा और एक ही ज़ोरदार झटके में आशा की चूत की गहराइयों को छ्छू गया. आशा सुख के मारे चीख उठी.

हरिया: "दर्द हुआ क्या मेरी रांड़!!!"

आशा: "जानबूझके ज़ोर्से डाल के पुचहता है दर्द हुआ है क्या , मगर कसम से बहुत मज़ा आया इस धक्के में, ज़ोर का झटका इश्स बार लगा भी बहुत ज़ोर से. अयाया बस रफ़्तार धीमी मत कर, चोद्ते चोद्ते जेया बासव आअहह ऐसे ही मेरे चुड़क्कड़ भैया. छोड़ते जेया मैं तेरी ग्युलम बनके रहूंगी भैया , तेरी छिनाल बन के रहूंगी, तेरे मूट में नहुँगी, तेरा मूट पियूंगी, तेरी टट्टी ख़ौँगी, अपनी सारी सहेलियों को तुझसे चड़वौनगी, तेरे सारे दोस्तों से चुड़जवँगी, बस तू मुझे ऐसे ही ज़िंदगाई भर चोद्ते जेया आआहह आआहह ओउूऊच. मार धक्के मरते जेया और ज़ोर से और ज़ोर सी हां बस ऐसे ही रुक मत, आहह मैं झाड़ रही हूँ आहह अहहह."

हरिया : "क्या दीदी, हरा दिया ना तुझे इस बार , पिछली बार तूने हराया था इसबार मैने. अब बोल कहाँ छोड़ूं अभी लंड में बहुत दूं बाक़ी है. बोल तेरे कौँसे च्छेद में अपना मूसल पेलूँ."

आशा: "अब तो बस गांद में पेलवना रह गया है, हमेशा गांद छुड़वाने की बहुत आरज़ू थी मगर तेरे मूसल को ड्कः कर अब दर्र लग रहा है. बहुत दर होगा क्या रे हरिया?"

हरिया: "मुझे लड़की की गांद मारने की बहुत ख्वाइश थी, मगर मैं भी तेरी इतनी सकरी गांद को देखकर दर्र रहा हूँ, कहीं मेरे लॉड की चाँदी च्चिल तो नहीं जाएगी."

आशा(हिम्मत कर के बोली): "हिम्मत-ए-मर्दान तो मदद-ए-खुदा. बस हिम्मत कर के लॉडा डाल दे अपनी बहें की कुँवारी गांद में जो होगा देखा जाएगा. बाकी सब भगवान पे छ्चोड़ दे. भगवान का नाम लेके डाल घुसा दे मेरी गांद में, मगर धीरे से घुसा, ताकि तुझे और मुझे दोनो को दर्द कम हो और मज़ा ज़्यादा आए."

हरिया: "हे भगवान हमारी मदद कर, एक भाई अपनी बहें की गांद पहली बार मारने जेया रहा है, हमारी मदद कर."

भगवान का नाम लेते हुए हरिया अपना मूसल आशा की गांद के च्छेद पे रखता है और धीरे धीरे उसकी गांद में पेलने लगता है. हरिया का सुपाड़ा अंदर नहीं जेया रहा था, ज़ोर लगाने से दर्र रहा था.

आशा: "दर्र मत मेरे चोदु भैया, अच्छा चल ज़रा सा सरसों का तेल ले आ और मेरी च्छेद पे और अपने लॉड पे माल और फिर डाल."

हरिया तेल ले आया और अपने लंड पे और आशा की गांद में खूब लगा दिया.

आशा: "चल अब डाल दे कुच्छ नहीं होगा, घुसा दे मेरी गांद के अंदर धीरे धीरे."

हरिया इश्स बार हिम्मत करके धीरे धीरे अपना लंड आशा की गांद में घुसाने लगा , तेल की वजह से सूपड़ा थोड़ी ही देर में आशा की गांद में घुस गया. आशा की तो जैसे जान ही निकल गयी और इधर हरिया भी दर्द से चीख उठा.

आशा : "हाअययययययययी राआं, आआअहह बहुत दर्द हो रहा है रे मदारछड़ बहुत दर्द हो रहा है, मगर निकाल मत अंदर ही अंदर घुसता जेया, निकाल मत दर्द को बर्दाश्त कर फिर बहुत मज़ा आएगा. दर्द को बर्दाश्त कर ले, मुझे भी बहुत दर्द हो रहा है, ऐसा लग रहा है गांद फाटजाएगी मगर तू लंड निकाल मत. भगवान अपने साथ है, बस तू अंदर ही अंदर घुसते जेया."

हरिया: "आआआअहह दीदी बहुत दर्द हो रहा है, लंड की चाँदी च्चिल रही है, मगर तुम कहती हो तो नहीं निकालता. आअहह आआअहह."

दो मिनिट में हरिया का लॉडा पूरा का पूरा आशा की गांद निगल चुकी थी.

आशा : "बस अब हो गया, आअहह अब दर्द नहीं होगा, तू बस धीरे धीरे धक्के मारते जेया, आराम से कर."

और हरिया आशा की बात मानते हुए धीरे धीरे आशा की गांद मारने लगा. कुच्छ मिनिट बाद दर्द की जगह सुख ने लएल ली थी, अब ऑनो को गांद मारने और मरवाने का मज़ा आ रहा था.

हरिया: "आआहह दीदी बहुत मज़ा आरहा है, तुम्हारी गांद मेरे लॉड को बहुत मस्त चोद रही है, अच्छा हुआ दीदी मैने तुम्हारी बात मान ली वरना गांद मारने का सुख मैं गँवा बैठता. आअहह मेरी भोसदचोड़ी बहना क्या टाइट गांद है तेरी म्‍म्म्मम मज़ा आगेया. ज़िंदगी का मज़ा तो धक्के में ही है."

आशा: "हां रे मुझे भी बहुत मज़ा आरहा है, कुटिया बन के मैं तुझसे गांद मरवा रही हूँ , तेरा लॉडा मेरी गांद को मस्त चोद रहा है, और तेरे दोनो टटटे(बॉल्स) जब मेरी चूत को रगड़ते हैं तो कसम से मैं बता नहीं सकती के कितना मज़ा अरहा है. ज़िंदगी में मुझे तुझसे कुच्छ नहीं चाहिए हरिया ,तू बस मेरी चूत और गांद का पुजारी मेरा मतलब है छुदारी बन जेया और मैं तेरी ग्युलम बनके तेरी सेवा करूँगी, तू जो बोलेगा वो करूँगी, वो कितना ही गंदा और नीच काम क्यूँ ना हो, बस तू मया की चूत की कसम ख़ाके बोल के कभी ऐसा दिन आने नहीं देगा जब तेरी बहें अपनी चूत और गांद बिना छुड़ाए सोएगी. आअहह मैं फिर से झाड़ रही हूँ म्‍म्म्मममम आहह"

हरिया: "हां दीदी अब मैं भी झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी गांद में झाड़ जौन ??"

आशा: " नहीं मैं अपने मुँह में लूँगी तेरा पानी, निकाल ले अपना लंड मेरी गांद से और मुँह में झाड़ जेया मैं तेरे लॉड का अमृत पीना चाहती हूँ."

हरिया ने अपना लूँ निकाला और आशा के मुँह में दे दिया, आशा उसका लॉडा ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी बस कुच्छ ही पल में हरिया के लंड ने जवाब दे दिया और आशा के मुँह में पानी छ्चोड़ दिया. पूरा का पूरा एक बहेँकीलौदी की तरह आशा अपने भाई का माल निगल गयी.

आशा: "क्या स्वादिष्ट है रे मेरे बहेनचोड़ भाई के लंड का पानी, तुझे कभी भी कहीं भी झड़ना हो, बस मुझे बता देना, मैं अपना मुँह खोलके बैठ जौंगी तेरे लंड के सामने. अपनी छिनाल बहें को रोज़ पिलाएगा ना अपना लंड का माल."

हरिया :" यह भी कोई पूछने या बतानेवाली बात है क्या .." कहते हुए हरिया ने आशा का मुँह चूम लिया, दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहों में मुँह में मुँह डालकर सो गये. दोनो इतने तक गये थे के कब आँख लगी पता ही नहीं चला, कुच्छ देर बाद हरिया मूतने के लिए उठने लगा, तो आशा समझ गयी और कहा, "इधर ही मूट ले, मुझे भी पेशाब आराही है मगर मैं भी यहाँ खाट पे मूट ना च्चती हूँ तू भी यहीं मेरे ऊपर मूट ले, आज मैं एक दूसरे के मूट में नाहकार सोना चाहती हूँ."

हरिया वहीं सोते सोते ही आशा के बदन पर मूतने लगा, और आशा भी हरिया के लंड पे, जांघों पे मूट रही थी. इश्स तरह दोनो भाई बहें खूब चुड़वकर नींद की आगोश में चले गये. जब नींद से होश आया तो शाम हो चुकी थी. आशा ने हरिया को उठाया, दोनो ने घर सॉफ किया, बिस्तर ठीक किया और नाहकार ढंग के कपड़े पहें लिए. फिर कुच्छ रोटियाँ पड़ी हुई थी दोनो ने खा लियऽश की गांद मराई की वजह से ठीक से चल नहीं पा रही थी.

आशा: "बापू के आने का वक़्त हो गया है, गाओं वालों ने सुबह हुँने जो किया था वो बापू को रास्ते में किसी ने बता दिया होगा, घर में हुंगमा हो सकता है तू आज कल्लू के यहाँ चला जेया, मैं खाना वहीं भिजवा दूँगी. तू फिकर मत कर मैं यहाँ सब कुच्छ संभाल लूँगी. "

हरिया: "ठीक है दीदी, मैं चलता हूँ. तुम्हें अकेला छ्चोड़के जाने को मॅन नहीं कर रहा है, मगर तुम कहती हो तो चला जाता हूँ."

कहकर हरिया कल्लू के घर की तरफ निकल गया.

करीब एक घंटे बाद दरवाज़े पे दस्तक हुई, आशा ने दरवाज़ा खोल तो देखा के बापू थे. बापू अंदर आए और बड़े गुस्से में लग रहे थेय..शुरिन्देर हाथ मुँह ढोने चला गया, आशा समझ गयी के बापू को शायद हरिया और उसकी रासलीला के बारे में पता चल गया है. इसीलये ववो चुप रही और देख रही थी के बापू बात कैसे शुरू करते हैं, वो अपनी तरफ से बापू को जवाब देने के लिए बिल्कुल तैयार थी. धोती पहेंकर सुरिंदर आशा के नज़दीक आया और पूछा..

सुरिंदर: "हरिया कहाँ है ?"

आशा: " पता नहीं,अभी अभी गया है, शायद अपने किसी दोस्त के यहाँ चला गया होगा."

सुरिंदर: "सुबह से घर पे था या कहीं बाहर गया था?"

आशा: "नहीं सुबह से घर पे ही था अभी कुच्छ ही ड्र पहले गया है."

सुरिंदर(गंभीर आवाज़ में बोला): "क्या कर रहा था घर पे, कोई काम वाँ ढूँढने नहीं गया आज."

आशा: "नहीं शायद उसकी तबीयत ठीक नहीं थी आज इसीलिए घर पे पड़ा रहा."

सुरिंदर: "और तूने उसकी तबीयत खुश कर दी होगी, क्यूँ?"

आशा(अंजान बनते हुए बोली): "क्या बापू मैं कुच्छ समझी नहीं.."

सुरिंदर आशा के पास आया उसके बालों को पकड़ते हुए बोला: "साली छिनाल सुबह से घर पे अपने भाई से चुड़वति रही और अब भोली बनती है."

आशा(समझदारी से अपने बापू को धीरे धीरे रास्ते पे ला रही थी): "नहीं बापू तुम्हें शायद कोई ग़लत फहमी हुई है, मैं अपने सगे भाई के साथ ऐसा करने की सोच भी नहीं सकती."

सुरिंदर: "भोसड़ी की, सारा गाओं तुम दोनो की चुदाई की कहानी मज़े ले लेकर सुना रहा है और तू यहाँ सती सावित्री बन रही है, बता सच बता क्या पाप किया तुम दोनो ने आज?"

आशा(अब अपने बापू का लॉडा खड़ा करना चाहती थी) : "नहीं बापू ऐसी कोई बात नहीं हुई, तुम ग़लत साँझ रहे हो. मैं अपने भाई से छुड़वाने की सोच भी नहीं सकती, मैं भले कुँवारी मार जौन मगर अपने भाई का लॉडा अपनी चूत या गांद में कभी नहीं ले सकती. चूत तो क्या मैं तो मुँह में भी लेने का पाप भी नहीं कर सकती."

सुन्दर का लॉडा अपनी बेटी के मुँह से ऐसी कामुक बातें सुनकर धोती में उठने लगा. वो समझ रहा था के आशा ऐसी बातें उसे गरम करने के लिए ही कर रही है.

सुरिंदर: "आशा तुझे शरम नहीं आती अपने बाप के सामने ऐसी गंदी बातें करते हुए, जब तू मेरे सामने ऐसी बातें कर सकती है तो सोच सकता हूँ तू ने हरिया को कैसे पाटकर उस से चुडवाया होगा. ची ची ची छीईए इतनी रांड़ काब्से बन गयी तू आशा, तुझे घर की इज़्ज़त का ज़रा भी ख़याल नहीं आया." कहकर उसने एक ज़ोरदार थप्पड़ आशा के गाल पे मार दिया.

आशा को पता था उसे अब एक थप्पड़ पड़ने वाला है, इसीलये वो तैयार थी. थप्पड़ पड़ते ही वो कुच्छ इसतरह से घूम के गिर पड़ी के उसका ल़हेंगा पूरा का पूरा उठ गया और उसकी मलाईदार झांगें, और गोल गोल गांद कुकछ पलों के लिए ही सही सुरिंदर को नज़र आई और जब गिरी तो उसकी चोली में से उसकी चुचियाँ आधे से ज़्यादा बाहर्णिकल आईं. सुरिंदर यह नज़ारा देख कर हवस से पागल होने लगा और उसका खड़ा लंड इस बात का सबूत था.

आशा उठी और सुरिंदर के पैरों को पकड़ कर गिड़गिदाने लगी, आशा का चेहरा ठीक सुरिंदर के लंड के पास था, आशा ने जान बूझकर अपना मुँह सुरिंदर के लंड के पास रखा और अपने चेहरे से उसका लंड सहलाने लगी.

आशा(आँखों में आनसुलाते हुए बोली): "बापू माफ़ कर दो मुझे, ग़लती हो गयी मुझसे, मैं क्या करती जवानी मुझसे संभाल नहीं रही थी, कब तक अपनी चूत और गांद में उंगली, केले डालके काम चलाती. लंड की ज़रूरत हर लड़की को महसूस होती है इस उमर में. मेरी भी तो इच्छा होती है एक तगड़े मूसल लंड को चूसने की, उसको जी भर के चाटने की, उसका रस पीनी के, उसे अपनी चूत और गांद में लेकर खूब छुड़वाने की, उसका मूट पीने की. और कितना सबर करती, घर में ज़बरदस्त लंड पड़ा हुआ था, अपने आप को रोक नहीं पाई और ग़लती हो गयी मुझसे. सोचा भी नहीं के जिस लंड से मैं छुड़वा रही हूँ वो मेरे भाई की है या बाप की, बस छुड़वा लिया. मैने हरिया से खूब चुडवाया, चूत भी मरवाई और गांद भी, बहुत मज़ा आया बापू, मगर आयेज से ऐसी ग़लती नहीं होगी."

सुरिंदर का तो हाल बुरा था, वो इतना छुदासी हो गया था के अब तो उसने तान ली के वो आशा को चोद के ही रहेगा.

सुरिंदर: "मैने कभी सपने में भी नाह्न सोचा था के मेरी बेटी ऐसी सुअरनी निकलेगी, लंड के लिए इतना ही तरस रही थी तो मैं तुझे शहर में रनदिखाने में बेच आता . चल उठ जेया अब और निकल जेया मेरे घर से."

आशा: "नहीं बापू ऐसा मत करो, मैं कहाँ जौंगी, बाहर जुंगली भेड़िए हैं बापू, निकल जौंगी तो हर कोई मेरी गांद मार देगा, मैं मार जौंगी. माफ़ कर दो बापू, फिर ऐसा कभी नहीं होगा.."

आशा ने अपना हाथ सुरिंदर के लंड पे रखते हुए बोली," बापू मुझे तुम्हारी कसम है, मुझे इसी घर में रहने दो, यहीं तुम्हारी ग्युलम बन कर सेवा करूँगी आप जो बोलेंगे वो करूँगी. बापू माफ़ कर दो बापू. मुझे तुमसे कुच्छ सीखना चाहिए, तुम्हारी भी तो जवान बहें है, उमा बुआ लेकिन तुमने कभी लंड तो क्या आँख उठाकर भी उसे नहीं देखा और मैं छिनाल साली भाई का लंड देखते ही फिसल गयी. मुझे माफ़ कर दो बापू मैं आयेज से कभी हरिया या तुम्हारे लंड की तरफ देखूँगी भी नहीं."

सुरिंदर साँझ गया के आशा को उसके और उसकी बहें उमा के रिश्ते के बारे में भी मालूम है, वो तो आशा की अकल्मंदी पे हैरान था, कितनी आसानी से उसने सब कुच्छ कह दिया और ऐसे जाता रही थी जैसे खुद कितनी अच्छी और सच्ची है . वो तो आशा का और भी दीवाना हो गया.. आशा भी समझ गयी के बापू पूरा गरम हो गया है और किसी भी वक़्त हत्यार डाल सकता है.

सुरिंदर: "साली छिनाल और कितना उठाएगी मेरा लंड, मैं समझ गया के आज तुझे मुझसे भी छुड़वाना है. चल मैं तेरा दीवाना हो गया हूँ, मुझे अब तुझसे कोई शिकायत नहीं है, बस जल्दिसे अपनी जवानी मुझे सौंप दे. मैं तेरी जवानी का हर रस पीने के लिए मारा जेया रहा हूँ. बस अब और देर मत कर, देख कैसे मेरा लॉड तेरे जिस्म के च्छेदों में जाने के लिए मचल रहा है, बस अब और सहा नहीं जाता." कहते हुए सुरिंदर ने आशा के ल़हेंगा का नाडा खींच लिया और उसकी चोली को फाड़ दिया. आशा अब मदरजात नंगी अपने बाप के सामने खड़ी थी.

सुरिंदरशा को अपनी बाहों में जकड़ते हुए बोला: "अया क्या जवानी दी है ऊपरवाले ने तुझे, मैं खुद नहीं जानता के कसिए अपने आप को इतने दिन रोक पाया हूँ. सुबह जब तुझे संडास करते हुए देखा तभी से दिन भर बस तेरी चूत , तेरी गांद के बारे में ही सोच रहा हूँ, आज तो मैं तान के आया था के मैं तुझे चोद के रहूँगा, आअहह चल आज मुझे बेटीचोड़ बनके तू बापचॉड़ी बन जेया. तू जो बोलेगी मैं वो करूँगा बस तू आज मुझे अपने जिस्म कन्न कन्न का मज़ा लेने दे."

आशा: "अब आया ना बापू लाइन पे, कब से तुझे लाइन दे रही थी और तुझे अब जाके हिम्मत आई है. मैं सुबह ही जानती थी के तू मुझे संडास करते हुए देख रहा है, इसीलिए तो मैं तुझे दिखा दिखा कर हॅग रही थी. क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ, उमा बुआ से भी ज़्यादा?"

सुरिंदर: "हां रे उमा बुआ जितनी चुड़क्कड़ रांड़ मैने ज़िंदगी में नहीं देखी मगर तू तो उस से भी आयेज निकल गयी लगती है, चल बोल कहाँ से शुरू करूँ."

आशा: "बापू अगर मैं तुम्हें गंदी गंदी गालियाँ दूं तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा क्यूंकी मुझे चुदाई के वक़्त गालियाँ बकना अच्छा लगता है."

सुरिंदर: "तू बेझिझक मुझे गालियाँ दे, गंदी गंदी घिनौने गालियाँ दे मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा , बस तू मेरी प्यास बुझा दे आज."

आशा: "ठीक है तो शुरुआत तेरी प्यास बूझकर ही करती हूँ मदारचोड़, चल चूत के पास मुँह खोल के बैठ जेया क्यूंकी मुझे पेशाब आ रही है और मैं तेरे मुँह मियान मूतना चाहती हूँ. तू पिएगा ना अपनी बेटी की चूत से निकली हुई पेशाब?"

सुरिंदर: "अरे तू मूट की बात करती है मैं तो तेरा गू खाने के लिए भी तैयार हूँ, तू बस बता दे तुझे कब हगना है मैं मुँह खोल के बैठ जौंगा तेरी गांद के नीचे."

आशा के चूत के सामने मुँह खोल के सुरिंदर बैठ गया, आशा की चूत से धीरे धीरे मूट की बूँदें निकल ने लगी जो कुच्छ ही पलों में धार का रूप ले लिया. आशा अब ज़ोर से मूतने लगी और सुरिंदर बस आशा का मूट गटकता जेया रहा था.

आशा: "कहो बापू कैसा लगा मेरी चूत का अमृत, मज़ा आया, उमा बुआ से अच्छा है ना?"

सुरिंदर: "अरे आशा बिटिया यह तेरा मूट नहीं हैं शराब है शराब , और इसमें जो नशा है वो तो देसी शराब में भी नहीं है, आहह मुझे खूब पीला रोज़. अगर ऐसी शराब रोज़ घर में ही पीने को मिल जाए तो कम्बख़्त अड्डे पे पना वक़्त और पैसा बर्बाद करेगा. उमा बुआ से भी नशीली चीज़ मूट ती है तू आशा, बस मज़ा आगेया. तेरे मूट में ऐसी बात है तो तेरा हलवा तो मुझे पागल कर देगा. कब खिला रही हो अपनी गांद से मुझे गरम गरम हलवा?"

आशा: "बहुत जल्द ही खिलौंगी बापू, पहले उठकर मेरे मुँह को चूम ले, चूस ले और मुझे अपनी ही पेशाब अपने थूक में मिलके चखा, मैं अपनी पेशाब तेरे मुँह से चखना चाहती हूँ."






























Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator