Monday, May 24, 2010

सेक्सी कहानिया उषा की कहानी - पार्ट 3

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उषा की कहानी - पार्ट 3


गौतम और उषा की चुदाई देखते हुए सुमन ने उषा से बोली, "क्यों
छिनार उषा, गौतम का लंड पसंद आया की नही? मै ना बोल रही
थी की गौतम का लंड बहुत ही शानदार है और गौतम बहुत अक्च्ची
तरह से चोद्ता है? अब जी भर लार चुड़वा ले अपनी चूत गौतम के
लंड से. मै भी अपनी चूत रमेश से चुड़वा रही हूँ." रमेश
जोरदार धक्कों के साथ सुमन को चिड़ाते हुए बोला, "यार गौतम, ये
ए औरत बरी चुदसी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद
कर इनकी चूतो को भोसरा बनाता हूँ. तभी इनकी चूतो की खुजली
मितेगी." इतना कह कर रमेश सुमन की चूत पर पिल परा दाना दान
चोदने लगा. गौतम भी पीछे नही था, वो अपना हाथों से उषा की
दोनो चूंची पाकर कर अपनी कमर के झटकों से उषा की चूत
चोदना चालू रखा. थोरी देर ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनो
जोरे अपने अपने साथिओ के जाम कर चुदाई चालू रखी और थोरी देर
के बाद दोनो जोरे जोरे ही झार गये. जैसे ही रमेश और गौतम सुमन
और उषा की चूत के अंदर झरने के बाद अपना अपना लंड बाहर निकाला
तो दोनो का लंड सफेद सेफ पानी से साना हुआ था और उधर सुमन और
उषा की चूतो से भी सफेद सफेद गाढ़ा पानी निकल रहा था. झट
से सुमन और उषा उठ कर अपने अपने पतिओं का लंड अपने मुँह मे भर
कर चूस चूस कर साफ किया और फिर एक दूसरे की चूत मे मुँह लगा
कर अपने अपने पतिओं का बीर्ज़ चाट चाट कर साफ किया. थोरी देर के
बाद रमेश और गौतम का सांस नॉर्मल हुआ और उठ कर एक दूसरे के
गले लग गये और बोले. "यार एक दूसरे की बीब्िओन को चोदने का मज़ा
ही कुछ अलग है. अब जब तक हुमलोग एक साथ है बीबीओ को अदल बदल
करके हे चोदेन्गे."

तो दोस्तो गोतम का मन चूत मारकर अभी भरा नही था गौतम
रमेश ने फिर चुदाई शुरू कर दी रमेश ने सुमन को कुतिया की तरह
खड़ा होने को कहा .सुमन अपनी गंद उपर कर कुतिया की तरह हो गयी
रमेश ने सुमन की गंद अपना रखा एक ज़ोर धक्का
मारा उसके का सुमन की गंद घुस सुमन ज़ोर से उठी
थोरी देर के बाद रमेश थोरा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका
पूरा का पूरा लंड सुमन की गंद मे घुस गया और वो झुक कर एक हाथ
से सुमन की चूंची सहलाने लगा और दूसरी हाथ से सुमन की चूत
मे उंगली करने लगा. लेकिन सुमन मारे दर्द के छटपटा रही थी
और बोल रही थे, "आबे साले भारुए गौतम, देखो तुम्हारे सामने
तुम्हारी बीबी की गंद कैसे तुम्हारा दोस्त ज़बरदस्ती से मार रहा है.
तुम कुछ करते क्यों नही. अब मेरी गंद आज फॅट जाएगी. लग रहा
है आज इस चोदु रमेश मेरी गंद मार मार कर मेरी गंद और बुर एक
कर देगा. गौतम प्लीज़ तुम रमेश से मुझे बचाओ." तब रमेश अपने
उंगलेओं से सुमन की चूत मे उंगली करते हुए सुमन से बोला, "अरे
सुमन रानी, बस थोरी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गॅंड
मरवाने ने तुम्हे कितनी मज़ा मिलता है. आज मै तुम्हारी गंद मार कर
तुम्हारी चूत की पानी निकालूँगा. बस तुम ऐसे ही झुक कर खरी
रहो." रमेश की बात सुन कर गौतम अपना लंड से उषा की चूत
चोद्ता हुआ सुमन से बोला, "रानी, आज तुम रमेश का मोटा लंड अपनी
गंद डलवा कर खूब मज़े , मै भी अभी अपना लंड रमेश की
नये बीवी की गंद मे घुसेरटा हूँ उषा की गंद मरता हूँ. मै
की गंद मार कर तुम्हारी गंद मारने का बदला निकलता हूँ." उषा
जैसे ही गौतम की बात सुनी तो बोल पारी, "अरे वा क्या हिसाब है,
रमेश आज मौका पा कर सुमन की गंद मार रहा है और उसकी कीमत
मुझे अपनी गंद मरवा कर चुकानी परेगी. नही मै तो अपनी गंद मे
लंड नही पिलवाती. गौतम तुम मेरी गंद के बजय रमेश की गंद मार
कर अपना बदला निकालो." गौतम तब उषा से बोला, "नाहे मेरी
चुड़दकर रानी, जिस तरह से रमेश ने मेरी बीवी की गंद मे अपना
लंड घुसेर कर मेरी बीवी की गंद मार रहा है, मै भी उसी तरह से
रमेश की बीवी की गंद मे अपना लंड घुसेर कर रमेश की बीवी की
गंद मारूँगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा." इतना कह कर गौतम ने
अपना लंड उषा की चूत से निकाल लिया और उसमे फिर से तोरा र्हुक
लगा कर उषा की गंद से भीरा दिया. उषा अपनी कमर इधर उधर
घूमने लगी लेकिन गौतम ने अपने हाथों से उषा का कमर पकर कर
अपना लंड का आधा सुपरा उषा की गंद की छेड़ मे डाल दिया. उषा दर्द
के मारे छटपटाने लगी.

उषा अपनी गंद से गौतम का लंड को निकालने की कोशिश कर रही
थी और गुतम अपने लंड को उषा की गंद मे घुसरने की कोशिस कर
रहा था. इसी दौरान गौतम ने एकबार उषा की कमर को कस कर पकर
लिया और अपना कमर करके एक धक्का मारा तो उसका लॉर का सुपरा
उषा की गंद की छेड़ मे घुस गया. फिर गौतम ने जल्दी से एक और
जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड उषा की गंद मे घुस
गया और गौतम की झांते उषा की चूटर को चुने लगा. अपनी गंद ने
गौतम का लंड को घुसते ही उषा एक ज़ोर से चीखी और चिल्ला कर
बोली, "साले बहँचोड़, दूसरे की बीवी की गंद मुफ़्त मे मिल गया तो क्या
उसको ज़रूरी है? भोसरि के निकाल अपना मूसर जैसा लंड मेरी
गंद से और जा अपना लंड अपनी मा की गंद मे या उसकी बर मे डाल. अरे
रमेश तुम्हे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गंद फार रहा
है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नही तो गौतम मेरी गंद
मार मार कर मुझे गन्दू बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोर कर
के मेरी गंद ही मारना." रमेश अपना लंड सुमन की गंद के अंदर
बाहर करते उषा से बोला, "अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो. गौतम
तुम्हे अभी छोर देगा और एक-दो गंद मरवाने से कोई गन्दू नही बन
जाता है. देखो ना मै भी कैसे गौतम की बीवी की गंद ने अपना लंड
अंदर बाहर कर रहा हूँ. तुमको अभी थोरी देर के बाद गंद मरवाने
मे भी बहुत मज़ा मिलेगा. बस चुपचाप अपनी गंद मे गौतम का लंड
पिलवती जाओ और मज़ा लुटो. इतना सुनते ही गौतम ने अपना हाथ आगे
बरहा कर उषा की एक चूंची पकर कर मसालने लगा और अपना कमर
हिला हिला कर अपना लंड उषा की गंद के अंदर बाहर करने लगा.
थोरी देर के उषा को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला
कर गौतम का लंड अपनी गंद से खाने लगी. थोरी देर के बाद रमेश
और गौतम दोनो ही सुमन और उषा की गंद मे अपना लंड के पिचकारी
से भर दिया और सुस्त हो कर सोफा मे लेट गये.

इसतरह से रमेश और उषा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके
रहे तब तक दोनो दोस्त एक दूसरे की बिविओन की चूत चोद चोद कर
मज़ा मरते रहे. कभी कभी तो दोनो दोस्त उषा या सुमन को एक साथ
चोद्ते थे. एक बिस्तेर पर लेट कर नीचे से अपना लंड चूत मे डालता
था और दूसरा अपना लंड ओपेर से गंद मे डालता था. उषा और सुमन
भी हर समय अपनी चूत या गंद मरवाने के लिए रहती थी.
जब सब लोग घर के अंदर रहते थे तो सभी नंगे ही रहते थे.
उषा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाइ या खाना बनाती थी और
जब भी रमेश या गौतम उनके पास आता था तो वो झुक कर उनका लंड
अपने मुँह मे भर कर चुस्ती थी और जैसे ही लंड खरा हो जाता
था तो खुद अपने हाथों से खरे लंड को अपनी चूत से भीरा कर
खुद धक्का मार कर अपनी चूत मे भर लेती थे. एक हफ़्ता तक उषा
और रमेश अपने दोस्त के घर बने रहे और फिर वापस अपने घर के
लिए चल परे.

जब प्लनर मे रमेश और उषा अपने घर के लिए जा रहे थे तो रमेश
ने उषा से पूछा, क्यों उषा रानी, एक बात सही सही बताओ, क्यों ज़्यादा
अच्छा चोद्ता है, मै, गौतम या पिताजी?" रमेश का बात सुन कर
उषा बिलकूल अचम्भित हो गये, फिर उसने धीरे से पूछी, "पिताजी
से चुदाई की बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहग्रत पर ड्यूटी
पर थे?" तब रमेश धीरे से उषा को चूमते हुए बोला, "हाँ, तुम
ठीक कह रही हो, मिझे उस दिन ड्यूटी पर जाना परा. जब हम अपनी
ड्यूटी से करीब एक घंटे के बाद लौटा तो देखा तुम पिताजी का लंड
पकर चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत मे अपनी उंगली पेल
रहें है. एह देख मै चुप चाप कमरे के बाहर खरा हो कर तुम्हे
और पिताजी का चुदाई ख़तम होते वक़्त तक देखा और फिर लौट गया
और सुबह ही घर पर आया." "क्या तुम मुझसे नाराज़ हो" उषा धीरे से
रमेश से पूछी. "नही, मै तुम से बिल्कुल भी नाराज़ नही हूँ.
तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बरा उपकर किया है"
रमेश बोला. उषा एह सुन कर बोली, "वो कैसे". तब रमेश बोला, "अरे
हुमारी माताजी अब बूढ़ी हो गयी हैं और उनको उठाने मे
तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैं. उनको अगर घर
पर चूत नही मिलता तो वो ज़रूर से बाहर जाकर अपना मुँह मारते.
उसमे हम लोगो की बदनामी होती. हो सकता की पिताजी को कोई बीमारिी
हो जाती. लेकिन अब एह सब न्ही होगा क्योंकी उनको घर पर ही तुम्हरी
चूत चोदने को मिल जया करेगा." "तो क्या मुझको पिताजी से घर मे
बराबर चुड़वाना परेगा?" उषा पलट कर रमेश से पूछी. "नही
बराबर नही, लेकिन जब उनकी मर्ज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से
माना मत करना." "लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?" उषा
ने पूछी. "तब की बात तब देखी जाएगी" रमेश ने कह.
फिर उषा और रमेश अपने घर आ गये और उन्होने अपने अपने काम पर
लग गये. रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात तो उषा को
नंगी करके खूब चोद्ता था. गोविंदजी भी कभी कभी उषा को
मौका देख चोद लेते थे. फिर कुछ दीनो के बाद उषा और रमेश साथ
साथ उषा के मैके पर गये. ससुराल मे रमेश का बहुत अब-भगत
हुआ. उषा के जिट्नी रिश्तेदार थे उन सभी ने रमेश और उषा को
खाने पर बुलाया. रमेश और उषा को मज़े ही मज़े थे. अपने ससुराल
पर भी रमेश उषा को रात को दो-तीन दफ़ा ज़रूर चोद्ता था और
कभी मौका मिल गया तो दिन को उषा को बिस्तर पर लेता कर चुदाई
चालू कर देता था. एक दिन रमेश पास के किसी दुकान परा गया हुआ
था. उषा कमरे मे बैठ कर पेपर पारह रही थी. एकाएक उषा को
अपनी मा, रजनी जी जी, की रोने की आवाज़ सुनाई दिया. उषा भाग कर
अंदर गयी तो देखा की रजनी जी भगवंजी के फोटो सामने खरी
खरी रो रही है और भगवंजी से बोल रही है, "भगवान तुमने
ये क्या किया. तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों उठा लिई और अगर
उनको उठा लिए तो मेरी बदन मे इतना गर्मी क्यों भर दिया. अब मै
जब जब अपनी लर्की और दामाद की चुदाई देखता हूँ तो मेरी शेरर मे
आग लग जाती है. अब क्या करूँ? कोई राष्टा तुम्ही दिखला दो, मै
अपनी गरम शेरर से बहुत परेशन हो गयी हूं." उषा समझ गयी
की क्या बात है. वो झट अपनी मा के पास जाकर मा को अपने बाहों मे
भर लिया और पीछे से चूमते हुए बोली, "मा तुमको इतना दुख है तो
मुझसे क्यों नही बोली?" रजनी जी अपने आपको उषा से चुराते हुए
बोली, "मै अगर तुझसे बता तो तू क्या कर लेती? तब ही तो मेरी तरह
से एक औरत ही है?" "अरे मुझसे से कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा
दामाद तो है? तुम्हारा दामाद ही तुमको शांत करता" उषा अपनी मा को
फिर से पकर कर च्छुमते हुए बोली. "क्या बोली तू, अपने दामाद से मै
अपनी जिस्म की भूख शांत कार्ओौनगी? तेरा दिमाग़ तो ठीक है?" रजनी
जी ने अपनी बेटी उषा से बोली. तब उषा अपने हाथों से अपनी मा की
चूनचेओं को पक्र कर दबाते हुए बोली, "इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म की
भूख से मारी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारी जिस्म की भूक को
मिटा सकता है, अगर तुम्हारे जगह मै होती तो मै अपने दामाद के
सामने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दमदज़ई मेरे पास
आओ और मेरी जिस्म की बुझाओ." "चल हट बरी चुड़दकर बन रही है,
मुझे तो एह सोच कर ही शरम आ रही है, की मै अपनी दामाद के
सामने नंगी लेट कर अपनी तंग उतौँगी और वो मेरी चूत मे अपना
लंड पेलेगा" रजनी जी मूर कर अपनी बेटी की चूनचेओं को मसालते हे
बोली.

तभी रमेश, जो की बाहर गया हुआ था, कमरे मे घुसा और घुसते
घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन लिया. रमेश ने
आगे बरह कर अपने सास के सामने घुटने के बलबैठ गया और अपनी सास
के चूटरों को अपने हाथों से घेर कर पाकरते हुए सास से बोला, "मा
आप क्यों चिंता कर रही हैं, मै हूँ ना? मेरे रहते हुए आपको अपनी
जिस्म की भूख की चिंता नही करनी चाहिए. अरे वो दामाद ही बेकार
का है जिसके होते हुए उसकी सास अपनी जिस्म की भूख से पागल हो
जाए." "नही, नही, चोरो मुझे. मुझे बहुत शरम लग रही है"
रजनी जी ने अपने आप को रमेश से छुराते हुए बोली. तभी उषा ने
आगे कर अपनी मा की चूंची को पकर कर मसालते हुए उषा
अपनी मा से बोली, "क्यों बेकार का शरम कर रही हो मा. मान भी जाओ
अपने दामाद की बात और चुप चाप जो हो रहा उसे होने दो." तब थोरी
देर चुप रहने के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ देख कर
बोली, "तीख है, जैसे तुम लोगो की मर्ज़ी. लेकिन एक बात तुम दोनो
कन हॉल कर सुन लो. मै अपने दामाद के सामने बिल्कुल नंगी नही हो
पौँगी. आगे जैसा तुम लोग चाहो." इतना सुन कर रमेश मुस्कुरा कर
अपने सास से कह, "अरे ससुमा आप को कुछ नही कर्मा है. जो कुछ
कर्मा मै ही करूँगा, बस आप हुमारा साथ देती जाए."

फिर रमेश उठ कर खरा हो गया और अपनी सास को अपने दोनो बाहों मे
जाकर कर चूमने लगा. रजनी जी चुप चाप अपने आप को अपने दामाद के
बाहों मे छोर कर खरी रही. थोरी देर तक अपने सास को चूमने के
बाद रमेश ने अपने हाथों से अपने सास की चूंची पकर कर दबाने
लगा. अपने चूनचेओं पर दामाद का हाथ पारट ही रजनी जी अमरी सच
के बिलबिला उठी और बोलने लगी, "और ज़ोर से दब्ाओ मेरी चुँस्ेवन को
बहुत दिन हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है. मुज़े अपने
दामाद से चूंची मसलवाने मे बहुत मज़ा मिल रहा है. और दब्ाओ.
आ बेटी टब ही आ मेरे पास और मेरे इन चूनचेओं से खेल." अब रमेश
फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी सारी के ऊपेर
से ही उनकी चूत को चूमने लगा. रजनी जी अपने चूत के ओपेर अपने
दामाद के मुँह लगते ही बिलबिला उठी और ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी.
रमेश भी उनकी सारी के ओपेर से ही उनकी चूत को चूमता रहा. थोरी
देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से
बोली, "अरे अब कितना तर्पाओगे. तुम्हे चूत मे उंगली या जीब्न घुसनी
है तो ठीक तरीके से घुसाओ. सारी के ओपेर से क्या कर रहे हो?"
अपनी सास की बात सुन कर रमेश बोला, "मै क्या करता, आपने ही कह
था आप सारी नही उतर्नगे. इसीलिए मै आपकी सारी के ओपेर से ही
आपकी चूत चूम रहा हून." "वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी सारी
उठा कर तो मेरी चूत की चुम्मा ले सकते हो?" रजनी जी ने अपने
दामाद से बोली. अपनी सास की बात सुनते ही रमेश जल्दी से अपनी सास की
सारी को पैरों के पास से पकर कर ओपेर उठना शुरू कर दिया और
जैसे ही सारी रजनी जी की जाँघो तक उठ गया तो रजनी जी मारे
शरम के अपना चहेरा अपने हाथों से दाख लिया और अपने दामाद से
बोली, "अब बस भी करो, और कितना सारी उठहाओगे. अब मुझे शरम आ
रही है. अब तुम अपना सर उंड़र दल कर मेरी चूत को चूम लो."
लेकिन रमेश अपनी सास की बात को उनसुनी करते हुए रजनी जी की सारी
को उनके कमर तक उठा दिया और उनकी नंगी चूत पर अपना मुँह लगा
कर चूत को चूम लिया. थोरी देर तक रजनी जी की नंगी चूत को
चूम कर रमेश अपनी सास की चूत को गौर से देखने लगा और अपने
उंगलेओं से उनकी चूत की पत्टीओं और क्लिट से खेलने लगा. रमेश की
हरकतों से रजनी जी गरमा गयी और उनकी सांस ज़ोर ज़ोर से आने लगी.

अपनी मा की हालत देख कर उषा आगे कर अपनी मा की चुँस्ेवन से
खेलने लगी और धीरे धीरे उनकी ब्लाउस के बटन खोलने लगी. रजनी
ने अपने हाथों से अपने ब्लाउस को पाकरते हुए अपने बेटी से पूछने
लगी, "क्या कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है. छोर दे
बेटी मुझको." उषा अपनी काम जारी रखते हुए अपनी मा से बोली, "अरे
मा, जब तुम अपने दामाद का मस्ट अपने चूत मे पिलवाने जा रही हो तो
फिर अब शरम कैसा? खोल दे अपने इन कपरों को और पूरी तरफ से
नंगी हो कर मेरे पति के लंड का सच अपने चूत से लो. छोरो
मुझको तुम्हारी कपारे खोलने दो." इतना कह कर उषा ने अपनी की
ब्लाउस, ब्रा, सारी और फिर उनकी पेटिकोट भी उतार दिया. अब रजनी
जी अपने दामाद के सामने बिल्कुल नंगी खरी थी. रमेश अपने
नंगी सास को देखते ही उन पर टूट परा और एक हाथ से उनकी
चिंचेओं को माल्टा रहा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को मसलता
रहा. रजनी जी भी गरम हो कर अपने दामाद का कुर्ता और पाइज़मा
उतार दिया. फिर झुक कर अपने दामाद का अंडरवेर भी उतार दिया. अब
सास और दामाद दोनो एक दूसरे के सामने नंगे खरे थे.

जियसे ही रजनी जी ने रमेश का मोटा मस्त लंड को देखी, रजनी जी
अपने आप को रोक नही पाई और झुक कर उस मस्त लंड अपने मुँह मे
भर कर चूसने लगी. उषा भी चुपचाप खरी नही थी. वो अपनी
मा के चूटर के तरफ बैठ कर उसकी चूत से अपना मुँह लगा दिया
और अपनी मा की चूत को चूसने लगी. रजनी जी अपने दामाद का मोटा
लंड अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपने
जीव से चाटने लगी. लंड को चाटते चाटते हुए रजनी जी ने अपने
दामाद से बोली, "है! रमेश, तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लूंबा
है. पता नही उषा पहली बार कैसे इसको अपनी चूत मे लिया होगा.
चूत तो बिल्कुल फॅट गयी होगी? मेअर तो मुँह दर्द होने लगा इतना
मोटा लंड चूस्ते चूस्ते. वैसे मुझे पता था की तुम्हारा लंड इतना
शानदार है" "कैसे?" रमेश ने अपने सास की चूनचेओं को दबाते हुए
पूछा. तब रजनी जी बोली, "कैसे क्या? तुम जब मेरे घर मे अपने
शादी के बाद आए थे और रोज दोपहर और रात को उषा को नंगी करके
चोद्ते थे तो मै खीरकी से झाँका करता था और तुम्हारी चुदाई
देखा करती था. उनी दीनो से मै जानती थी की तुम्हारा लंड की साइज़
क्या है और तुम कैसे चूत चाटते हो और चोद्ते हो." तब रमेश ने
अपने सास की चूनचेओं को मसालते हुए पूछा, "क्या माजी, आपके पति
याने मेरे ससुरजी का लंड इतना मोटा और लूंबा नही था?" "नही,
उषा के पापा का लंड इतना मोटा और लूंबा नही था, और उनमे सेक्स की
भावना बहुत ही काम था. इसलिया वो मुझको हफ्ते मे केबल एक-दो बार
ही चोद्ते थे" रजनी जी ने बोली.

थोरी देर के रमेश अपनी सास को बिस्तर पर लिटा कर उसकी चूत से
अपना मुँह लगा दिया और अपने जीव से उसकी चूत को चाटना शुरू कर
दिया. चूत मे जैसे ही रमेश का जीव घुसा तो रजनी जी अपनी कमर
उचकते हुए बोली, "उम्म्म्म, आह, ऊई मा, राजा अभी चोरो ना क्यू
तड़पते हो, मै जाल रही हूँ, तुम्हारा लंड मुझे चूसना है.
तुम्हारा लंड तो घोड़े जैसे है, मुझे डर लाग रहा है जब तुम
अंदर मेरे चूत मै डालोगे तो चूत फाट जाईगी, मेरी चूत का मूह
बहूत छोटा है और ज़्यादा चुदि भी नही है. आज तुम पहली बार
मेरी चूत मे अपन लंड डालने जा रहे हो. आराम आराम से डालना और
बारे प्यार से मेरी चूत को चोद्ना"

तब रमेश ने अपना लंड अपनी सास की चूत के बराबर लगते हुए
बोला, "कोई बात नही माजी, आपकी चूत को जो भी कमी पहले थी अब
उसको मै पूरा करूँगा. मै अब रोज़ आपकी और आपकी बेटी को एक ही बिस्तर
पर लिटा कर अपनलोगों की चूत चोदुन्गा." एह सुनते ही उषा अपने
मम्मी से बोली, "मा अब तो तुम खुश हो? अब से रोज़ तुम्हारा दामाद तुमको
और मुझको नंगी करके हुमारी चूत चोदेगा. हाँ अगर तुम चाहो तो
तुम अपनी गॅंड मे भी अपने दामाद का लंड पिलवा सकती हो." इतना कह
कर उषा ने रमेश से बोली, "मेरे प्यारे पति, अब क्यों देर कर रहे
हो. जल्दी से अपना एह खरा लंड मेरी मा की चूत मे पेल दो और
उनको तबीयत के साथ खूब चोदो. देख नही रहे हो की मेरी मा
तुम्हारा लंड अपनी चूत मे पिलवाने के कितनी बेकरार है. लाओ मै ही
तुम्हारा लंड पकर कर पनी मा की चूत मे डाल देती हूँ," और उषा
ने अपने हाथों से पकर कर रमेश का लंड उसके सास की चूत पर
लगा दिया. रमेश का लंड को चूत से लगते ही रजनी जी ने ने अपनी
कमर हिलना शुरू कर दिया और रमेश निब ही अपना कमर हिला कर
अपना लंड अपने सास की चूत मे दल दिया. रजनी जी की चूत अपने
पति के देहांत के बाद से चूड़ी नही थी और इसलिए बहुत टाइट
थी और उसमे अपना लंड डालने मे रमेश को बहुत मज़ा मिल रहा था.
रजनी जी भी अपने दामाद का लंड अपनी चूत मे पेल्वा कर सातवें
आसमान पर पहुँच गयी थी और वो बार्बरा रही थी, "आआआः
ऊऊऊः आराम से डालो यार, मेरी चूत ज़्यादा खुली नहीं है.
प्लीईेज़ पूरा लंड मत डालो नही तो मेरी चूत फ़त जाएगी, उही मा
मार गई, ओह, आ, हाँ, मेरी चूत फार दो, हाँ, ज़ोर से, और ज़ोर
से, राजा है मातेरचोड़ रमेश आज मेरी चूत फार दो आआआः
आआआः ऊऊऊः ज़ोर से डालो, और ज़ोर से डालो, आज जितना ज़्यादा
मेरी चूत के साथ खेल सकते हो खेलो, राजा यह लंड पूरा
मुझे दे दो, इस के बिना नहीं रह सकती, पूरा लूँ डालो,
उम्म्म्मम अयाया आआआः" "उम्म्म्मम आआआआः फक मे गुड, उम्म्म्ममम आह आह
आह श ओह नो. मै चूत की खाज से मारी जा रही हूँ, मुझे ज़ोर ज़ोर
से धक्के मार मार कर चोदो." थोरी देर के बाद रजनी जी ने अपने
दामाद को अपने चारों हाथ और पैर से बाँध कर बोली, "आआआः
आआआआआः उम्म्म्ममम, चोदो मुझे ज़ोर से उम्म्म्ममममम, उफ़ मातेरचोड़
बोहुत मज़ा आ रहा है, प्लीज़ रुकना नही, ओह मुझे रगर कर
चोदो, ज़ोर से चोदो, अपना लंड पूरा मुझ को दे दो, तुम जैसे
कहोगे वैसे करूँगी लायकीं मुझे और चोदो, तुम बहुत
अक्च्छा चोद्ते हो, मुजाही आज बोहुत ज़यादा चोदो भेंचोड़ तुम्हारा
लंड तो तुम्हारे ससुर से भी बरा है, चोदो मुझे नहीं तो
मार जाओंगी, अभी तो तुम ने मेरी गांद भी मारनी है."
थोरी देर तक रजनी जी की चूत चोदने के बाद रमेश ने अपनी सास से
पूछा, "मा जी अपनी चुदाई आप को कैसी लग रही है?" रजनी अपने
दामाद की लंड के धक्के अपने चूत से खाती हुई बोली, "मेरे प्यारे
दामाद जी बहुत अक्च्छा लग रहा है. मुझे तुम्हारी चुदाई बहुत
अक्च्ची लग रही है. तुम चूत चोदने मे बहुत ही माहिर हो. बड़ाअ
मज़ा आ रहा है मुझे तुमसे चोद्वने में डियर ऊओह डियर तुम
बहुत अच्च्छा चोद्ते हो आआहह उूुुउऊहह ऊऊओफफफफफफफ्फ़
ददीआररर योउ अरे आन एक्सपर्ट. तुम्हे मालूम है की कैसे किसी औरत की
चूत की चुदाई की जाती है और तुम्हे एह भी मालूम है की एक औरत
को कैसे कैसे सुख दिया जेया सकता है. य्यूंन हिी हन ददीआरर
यूंन हिी चोदो मुझे…बॅस जाओ मुझे आब्ब कुच्छ नहीं पुच्च्ो
आअज जीई भार के चोदो मुझे डियर हन डियर जम्म कार छोडई करो
मेरी तुम बाहुत अच्च्चे हो बास्स य्यूँ ही चुदाई करो मेरी…
ऊऊहह….. खूब चोदो मुझे…" और रमेश अपनी सास को अपनी पूरी
ताक़त के साथ चोद्ता रहा.










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