Monday, May 31, 2010

मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-2

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मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-2


गतान्क से आगे.................

मैने सोचा कि अब हमारी खैर नही पीछे मुड़केर देखा तो भाभी खड़े-खड़े अपनी चूत खुज़ला रही है.
मैने कहा –क्यों भाभी चूत चुदवाने को खुज़ला रही हो.
भाभी- हाँ ननद रानी अब आपसे क्या च्छुपाना, मेरी चूत बड़ी खुज़ला रही है. मन कर रहा कि कोई मुझे पटक कर छोड़ दे.
मैने कहा --पहले कहती तो किसी को रोक लेती जो तुम्हे पूरी रात चोद्ता रहता. खैर कोई बात नही कल शाम तक रूको तुम्हारी चूत का भोसड़ा बन जाएगा. उन पाँचों के इरादे है हमे चोदने के और वो सला रमेश तो ममीज़ी को भी चोदना चाहता है.अब देखेंगे मामी को किस तरह से चोद्ते है यह लोग.
अगली सुबह जब मैं सो कर उठी तो देखा कि सभी लोग सोए हुए थे सिर्फ़ भाभी ही उठी हुई थी और विश्वनथजी का लंड जो की नींद में भी तना हुआ था और भाभी गौर से उनके लंड को ही देख रही थी.
उनका लंड धोती के अंदर तन कर खड़ा था, करीब 10’’ लंबा और 3’’ मोटा, एकद्ूम रोड की तरह. भाभी ने इधर-उधर देख कर अपने हाथ से उनकी धोती को लंड पर से हटा दिया और उनके नंगे लंड को देख कर अपने होंटो पर जीभ फिराने लगी. में भी बेशार्मो की तरह जाकेर भाभी के पास खड़ी हो गयी और धीरे से कहा "उईइ मा ".
भाभी मुझे देख कर शर्मा गयी और घूम कर चली गयी. में भी भाभी के पीछे चली और उनसे कहा देखो कैसे बेहोश सो रहे हैं.
भाभी- चुप रहो
में – क्यों भाभी, ज़्यादा अच्छा लग रहा है
भाभी- चुप भी रहो ना.
में- इसमे चुप रहने की कौन सी बात है जाओ और देखो और पकड़ कर मुह्न मे भी ले लो उनका खड़ा लंड, बड़ा मज़ा आएगा.
भाभी- कुच्छ तो शर्म करो यू ही बके जा रही हो.
में- तुम्हारी मर्ज़ी, वैसे उपेर से धोती तौ तुमने ही हटाई है.
भाभी- अब चुप भी हो जाओ, कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा.
फिर हम लोग रोज़ की तरह काम में लग गये. करीब दस बज़े विश्वनथजी कुच्छ समान लेकर आए और हमारे मामा के हाथ में समान थमा कर कहा नाश्ते के लिए कहा. और कहा आज हमारे चारों दोस्त आएँगे और उनकी दावत करनी है यार.इसलये यह समान लाया हूँ भैया, मुझे तो आता नही है कुच्छ बनाना इसलये तुम्ही लोगों को बनाना पड़ेगा.और हां यार तुम पीते तो हो ना? विश्वनथजी ने ममाजी से पूचछा.[ मीन्स दारू पीते हो ना?]
मामा- नही में तो नही पीटा हूँ यार
विश्वनथजी- अर्रे यार कभी-कभी तो लेते होगे
मामा-हाँ कभी-कभार की तो कोई बात नही
विश्वनथजी- फिर ठीक है हमारे साथ तो लेना ही होगा.
मामा- ठीक है देखा जाएगा.
हम लोगों ने समान वग़ैरह बना कर तैय्यार कर लिया. 2 बज़े वो लोग आ गये.में तो उस फिराक में लग गयी कि यह लोग क्या बातें करते है.
मामा मामी और भाभी ऊपेर के कमरे में बैठे थे. में उन चारों की आवाज़ सुन कर नीचे उतर आई. वो पाँचो लोग बहेर की तरफ बने कमरे मे बैठे थे. मैं बराबर वाले कमरे की किवाडो के सहारे खड़ी हो गयी और उनकी बातें सुनने लगी.
विश्वनथजी- दावत तो तुम लोगों की करा रहा हूँ अब आगे क्या प्रोगराम है?
पहला- यार ये तुम्हारा दोस्त दारू-वारू पीएगा कि नही?
विश्वनथजी- वो तो मना कर रहा था पेर मैने उसे पीने के लिए मना लिया है
दूसरा- फिर क्या बात है समझो काम बन गया. तुम लोग ऐसा करना कि पहले सब लोग साथ बैठ कर पीएँगे फिर उसके ग्लास में कुच्छ ज़्यादा डाल देंगे. जब वो नशे में आ जाएगा तब किसी तरह पटा कर उसकी बीवी को भी पीला देंगे और फिर नशे में लेकर उन सालियों को पटक-पटक कर चोदेन्गे,
प्लान के मुताबिक उन्होने हमारे मामा को आवाज़ लगाई.
हमारे मामा नीचे उतर आए और बोले राम-राम भैया.
मामा भी उसी पंचायत में बैठ गये अब उन लोगों की गुपशुप होने लगी. थोड़ी देर बाद आवाज़ आई की मीना बहू ग्लास और पानी देना.
जब भाभी पानी और ग्लास लेकर वहाँ गयी तो मैने देखा की विश्वनथजी की आँखे भाभी की चूचियों पर ही लगी हुई थी. उन्होने सभी ग्लासस में दारू और पानी डाला पर मैने देखा कि ममाजी के ग्लास में पानी कम और दारू ज़्यादा थी. उन्होने पानी और मँगाया तो भाभी ने लोटा मुझे देते हुए पानी लाने को कहा. जब में पानी लेने किचन में गयी तो महेश तुरंत ही मेरे पीछे-पीछे किचन मे आया और मेरी दोनो मम्मों को कस कर दबाते हुए बोला- इतनी देर में पानी लाई है चूत्मरानि, ज़रा जल्दी-जल्दी लाओ. मेरी सिसकारी निकल गयी
विश्वनथजी ने ममाजी से पूच्छ वो तुम्हारा नौकेर कहाँ गया.
मामा-वो नौकेर को यहाँ उसके गाओं वाले मिल गये थे सो उन्ही के साथ गया है जब तक हम वापस जाएँगे तब तक मे वो आ जाएगा.
फिर जब तक हम लोगों ने खाना लगाया तब तक में उन्होने दो बॉटल खाली कर दी थी. मैने देखा कि मामा कुच्छ ज़्यादा नशे में है, मैं समझ गयी कि उन्होने जान बुझ कर मामा को ज़्यादा शराब पिलाई है. हम लोग खाना लगा ही चुके थे. ममीज़ी सब्ज़ी लेकर वहाँ गयी मे भी पीछे-पीछे नमकीन लेकर पहुँची तो देख की रमेश ने ममीज़ी का हाथ थाम कर उन्हे दारू का ग्लास पकड़ना चाहा. ममीज़ी ने दारू पीने से मना कर दिया. मे यह देख कर दरवाज़े पर ही रुक गयी. जब ममीज़ी ने दारू पीने से मना किया तो रमेश ममाजी से बोला- अरे यार कहो ना अपनी घरवाली से वो तो हमारी बे-इज़्ज़ती कर रही है.
मामा ने मामी से कहा –रजो पी लो ना क्यों इन्सल्ट करा रही हो.
ममीज़ी- में नही पीती
रमेश- भाय्या यह तो नही पी रही है, अगर आप कहें तो में पीला दूँ.
मामा- अगर नही पी रही है तो साली को पकड़ कर पिला दो.
ममाजी का इतना कहना था कि रमेश ने वहीं ममीज़ी की बगल में हाथ डाल कर दोसोरे हाथ से दारू भरे ग्लास को ममीज़ी के मुह्न से लगा दिया और ममीज़ी को ज़बरदस्ती दारू पीनी पड़ी. मैने देखा कि उसका जो हाथ बगल में था उसी से वो ममीज़ी की चूचियाँ भी दबा रहा था.और जब वो इतनी बेफिक्री से ममीज़ी के बॉब्बे दबा रहा था तो बाकी सभी की नज़रें[ एक्सेप्ट ऑफ कोर्स ममाजी] उसके हाथ से दब्ते हुए ममीज़ी के बोब्बों पर ही थी. यहाँ तक की उनमे से एक ने तौ गंदे इशारे करते हुए वहीं पर अपना लंड पॅंट के उपेर से ही मसलना शुरू कर दिया था. ममीज़ी के मुह्न से ग्लास खाली करके मामीजी को छ्चोड़ दिया. फिर जब ममीज़ी किचन मे आई तो मैने जान बुझ कर मेरे हाथ मे जो समान था वो ममीज़ी को पकड़ा दिया.
ममीज़ी ने वो समान टेबल पर लगा दिया. फिर रमेश ने ममीज़ी के मना करने पेर भी दूसरा ग्लास ममीज़ी को पीला दिया. ममीज़ी मना करती ही रह गयी पर रमेश दारू पीला कर ही माना.और इस बार भी वोही कहानी दोहराई गयी यानी कि एक हाथ दारू पीला रहा था और दूसरा हाथ मम्मे दबा रहा था और सब लोग इस नज़ारे को देख कर गरम हो रहे थे. मामाजी की शायद किसी को परवाह ही नही थी क्योंकि वो तो वैसे भी एक दम नशे मे तुन्न हो चुके थे.
अब ग्लास रख कर रमेश ने ममीज़ी के चूतदों पर हाथ फिराया और दूसरे हाथ से उनकी चूत को पकड़ कर दबा दिया. ममीज़ी सिसकी लेकर रह गयी.
ममीज़ी को सिसकारी लेते देख कर मेरी भी चूत में सुरसुरी होने लगी. हम लोग ऊपेर चले गये. फिर नीचे से पानी की आवाज़ आई. ममीज़ी पानी लेकेर नीचे गयी.तब तक रमेश किचन में आ पहुँचा था. ममीज़ी जो पानी देकर लौटी तो रमेश ने ममीज़ी का हाथ पकड़ कर पास के दूसरे कमरे में ले जाने लगा. ममीज़ी ने कहा, अर्रे ये क्या कर रहे तो बोला, चलो मेरी रानी उस कमरे चल कर मज़ा उठाते हैं. ममीज़ी खुद नशे में थी इसलिए कमज़ोर पड़ गयी और ना-ना करती ही रह गयी पर रमेश उन्हे खींच कर उस कमरे में ले गया.मेरी नज़र तो उन दोनो पर ही थी इसलिए जैसे ही वो कमरे में घुसे मैं तुरंत दौड़ते हुए उनके पीछे जाकेर उस कमरे के बहेर छुप कर देखने लगी कि आगे क्या होता है.
रमेश ने ममीज़ी को पकड़ कर पलंग पर डाल दिया और उनके पेटिकोट में हाथ डाल कर उनकी चूत में उंगली करने लगा.
ममीज़ी- है यह क्या कर रहे हो. छ्चोड़ो मुझे नही तो में चिल्लाउंगी.
रमेश- मेरा क्या जाएगा, चिल्लओ ज़ोर से ,बदनामी तो तुम्हारी ही होगी. नही तो चुपचाप जो मैं करता हूँ वो करवाती रहो.
ममीज़ी : पर तुम करना क्या चाहते हो.
रमेश " चुप रहो, तुम्हे क्या मालूम नही है कि में क्या करने जा रहा हूँ. साली अभी तुझे चोदून्गा. चिल्लाई तो तेरे सभी रिश्तेदार यहाँ आके तुझे नंगी देखेंगे और सोचेंग कि तू ही हमे यहाँ अपनी चूत मरवाने बुलाई हो".

डर के मारे ममीज़ी चुपचाप पड़ी रहीं और रमेश ने अपने सारे कपड़े उतार कर अपने खड़े लंड का ऐसा ज़ोर का ठप मारा की उसका आधा लंड ममीज़ी की चूत में घुस गया.
ममीज़ी- उईईई मा में मरी.
ममीज़ी नशे में होते हुए भी सिसकियाँ ले रही थी. तभी रमेश ने दूसरा ठप भी मारा कि उसका पूरा लंड अंदर घुस गया.
ममीज़ी उईईईईईईइइम्म्म्मममा अरे जालिम क्या कर केर्रहा है थोड़ा धीरे से कर कहती ही रह गयी और वो एंजिन के पिस्टन की तरह ममीज़ी की चूत [जो की पहले ही भोसड़ा बनी हुई थी} उसके चीथड़े उड़ाने लगा. इतने में मैने विश्वनथजी को ऊपेर की तरफ जाते देखा. में भी उनके पीछे ऊपेर गयी और बहेर से देखा की भाभी जो कि अपना पेटिकोट उठा कर अपनी चूत में उंगली कर रही तो उसका हाथ पकड़ कर विश्वनथज ने कहा 'है मेरी जान हम काहे के लिए हैं, क्यों अपनी उंगली से काम चला रही, क्या हमारे लंड को मौका नही दोगि.
अपनी चोरी पकड़े जाने पर भाभी की नज़रें झुक गयी थी और वो चुपचाप खड़ी रह गयी.
विषवनथजी ने भाभी को अपने सीने से लगा कर उनके होंटो को चूसना शुरू कर दिया. साथ ही साथ वो उनकी चूचियों को भी दबा रहे थे.भाभी भी अब उनके वश में हो चुकी थी.उन्होने अपन धोती हटा कर अपना लंड भाभी के हाथो में पकड़ा दिया भाभी उनके लंड को, जो की बाँस की तरह खड़ा हो चुका था, सहलाने लगी.
उन्होने भाभी की चूचियाँ छ्चोड़ कर उनके सारे कपड़े उतार दिए, और भाभी को वहीं पर लेटा दिया और उनके चूतड़ के नीचे तकिया लगा कर अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा.
पर कुच्छ विश्वनथजी का लंड बहुत बड़ा था और कुकछ भाभी की चूत बहुत सिकुड़ी थी इसलिए उनका लंड अंदर जाने के बज़ाय वहीं अटक कर रह गया.इस पर विश्वनथजी बोले लगता है कि तेरे आदमी का लंड साला बच्चों की लुल्ली जितना है तभी तो तेरी चूत इतनी टाइट है कि लगता है जैसे बिन चुदी चूत मे घुसाया है लंड" और फिर इधेर उधेर देख कर वहीं कोने मे रखी घी की कटोरी देख कर खुश हो गये और बोले "लगता है साली चट्मरेनी ने पूरी तय्यारि कर रखी थी और इसीलिए यहाँ पर घी की कटोरी भी रखी हुई है जिस से की चुद्वने मे कोई तकलीफ़ ना हो" इतना कह कर उन्होने तुरंत ही पास रखी घी की कटोरी से कुच्छ घी निकाला और अपने लंड पर घी चुपद कर तुरंत फिर से लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा. इस बार लंड तो अंदर घुस गया पर भाभी के मुँह से जोरो की चीख निकल पड़ी ' अहह मैईज़ञ मरी, हाई जालिम तेरा लंड है या बाँस का खुट्टा'
इसके बाद विश्वनथजी फॉर्म में आ गये और और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे. भाभी ' हाई राजा मर गयी, उईईइमा , थोड़ा धीमे करो ना केरती ही रह गयी और वो धक्केपे धक्के मारे जा रहे थे. रूम में हचपच हचपच की ऐसी आवाज़ आ रही थी मानो 110 किमी की रफ़्तार से गाड़ी चल रही हो. कुच्छ देर के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा और वो कहने लगी ' हाई राजा और ज़ोर से मारो मेरी चूत, हाई बड़ा मज़ा आ रहा है, आअहहााआ बस ऐसे ही करते रहो आहहााअ औक्ककककककचह और ज़ोर से पेलो मेरे राजा , फाड़ दो मेरी बुर को आअहहााआ , पर यह क्या मेरी चूचियों से क्या दुश्मनी है , इन्हे उखाड़ देने का इरादा है क्या, है ज़रा प्यार से दबओ मेरी चूचियों को.
मैने देखा की विश्वनथजी मेरी भाभी की चून्चियो को बड़ी ही बेदर्दी से किसी हॉर्न की तरह दबाते हुए घचघाच पेले जा रहे थे.
तब पीछे से सुरेश ने आकेर मेरे बगल में हाथ डाल कर मेरी चूचियाँ दबाते हुए बोला, अरी छिनाल तुम यहाँ इनकी चुदाई देख कर मज़े ले रही और में अपना लंड हाथ में लिए तुम्हे सारे घर में ढूँढ रहा था. इधेर मेरी भी चूत भाभी और ममीज़ी की चुदाई देख कर पनिया रही थी. मुझे सुरेश बगल वाले कमरे में उठा ले गया और मेरे सारे कपड़े खींच कर मुझे एकद्ूम नानी कर दिया, और खुद भी नंगा हो गया. फिर मुझे बेड पर लेटा कर मेरी दोनों चूचिया सहलाने लगा, और कभी मेरे निपल को मुँह मे लेकर चूसने लगता.इन सबसे मेरी चूत में चीटिया सी रेंगने लगी, और बुर की पूतिया [क्लाइटॉरिस] फड़फड़ने लगी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रखा और में उसके लंड को सहलाने लगी. मैं जैसे-जैसे उसके लंड को सहला रही थी वैसे ही वो एक आइरन रोड की तरह कड़क होता जा रहा था. मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था और में उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा रही थी कि किसी तरह से ये जालिम मुझे चोदे, और वो था कि मेरी चूत को उंगली से ही कुरेद रहा था.
शरम छ्चोड़ कर में बोली हाईईइ राजा अब बर्दाश्त नही हो रहा है, जल्दी से करो ना. मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी. अंत में मैं खुद ही उसका हाथ अपनी बुर से हटा कर उसके लंड पर अपनी चूत भिड़ा कर उसके ऊपेर चढ़ गयी और अपनी चूत के घस्से उसके लंड पर देने लगी. उसके दोनो हाथ मेरे मम्मो को कस कर दबा रहे थे और साथ में निपल भी छेड़ रहे थे.अब में उसके ऊपेर थी और वो मेरे नीचे. वो नीचे उचक-उचक कर मेरी बुर में अपने लंड का धक्का दे रहा था और में ऊपेर से दबा-दबा कर उसका लंड सटाक रही थी.
कभी कभी तो मेरी चूचियों को पकड़ कर इतनी ज़ोर से खींचता कि मेरा मुँह उसके मुँह तक पहुँच जाता और वो मेरे होन्ट को अपने मुँह में लेकर चूसने लगता. मैं जन्नत में नाच रही थी और मेरी छूट में खुजलाहट बढ़ती ही जा रही थी. मैं दबा दबा कर चुद रही थी और बोल रही थी, है मेरे चोदु सेयियैयेयाया और जोरो से चोदो मेरी फुददी, भर दो अपने मदन रस से मेरी फुददी, आआआअह्ह्ह्ह्ह्हाआआ बड़ा मज़ा आ रहाहै, बस इसी तरह से लगे रहो, हाआआईईईइ कितना अच्छा चोद रहे हो, बस थोडा सा और, में बस झड़ने ही वाली हू और थोड़ा धक्का मारो मेरे सरताज.................... अह्हाआआ लो मे गयी, मेरा पानी निकला...
और इस तरह मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. मुझे इतनी जल्दी झड़ते देख , सुरेश खूब भड़क गया और, " साली छूटमरनी, मुझसे पहले ही पानी छ्चोड़ दिया, अब मेरा पानी कहाँ जाएगा.
सुरेश - अब तेरी पिलपीली चूत में क्या रखा है, क्या मज़ा आएगा भैरी चूत में पानी निकलने का अब तो तेरी गंद में पेलुँगा. और उसने तुरंत अपने लंड को मेरी बुर से बहेर खींचा और मुझे नीचे गिरा कर कुत्ति बनाया और मेरे उपर चढ़ कर मेरी गंद को पकड़ कर अपना लंड गंद के छेद पर रख कर ज़ोर का ठप मारा. बुर के रस में भीगे होने के कारण उसके लंड का टोपा फट से मेरी गंद में घुस गया और में एकदम से चीख पड़ी. उउउउउउउईईईईईईइ माआआ मर गयी, है निकालो अपना लंड मेरी गंद फट रही है हहााआ
तब उसने दूसरी ठप मेरी गंद पर मारी और उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी गंद में घुस गया. और में चिल्ला उठी ' आरीई राम , थोड़ा तो रहम खाओ, मेरी गंद फटी जा रही हएरए जालिम थोडा धीरे से , आरीईए बदमाश अपना लंड निकाल ले मेरी गंद से नही तो मैं मर जाऊंगी आज ही,
सुरेश- अररी च्छुप्प, साली च्चिनाल, नखरा मत कर नही तो यहीं पर चाकू से तेरी चूत फाड़ दूँगा, फिर ज़िंदगी भर गंद ही मरवाते रहना, थोड़ी देर बाद खुद ही कहेगी कि है मज़ा आ रहा है, और मारो मेरी गंद.
और कहते के साथ ही उसने तीसरा ठप मारा कि उसका लंड पूरा का पूरा समा गया मेरी गंद में. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे और में दर्द को सह नही पा रही थी. मैं दर्द के मारे बिलबिला रही थी. मैं अपनी गंद को इधर-उधर झटका मार रही थी किसी तरह उसका हल्लाबी लंड मेरी गंद से निकल जाए.लेकिन उसने मुझे इतना कस के दबा रखा था कि लाख कोशिशों के बावज़ूद भी उसका लंड मेरी गंद से निकल नही पाया.
अब उसने अपना लंड अंदर-बाहर करना हुरू किया. वो बहुत धीरे-धीरे धक्का मार रह था, और कुच्छ ही मिनूटों में मेरी गंद भी उसका लंड आराम से अंदर करने लगी. धीरे-धीरे उसकी स्पीड बहती ही जा रही थी, और अबवो थपथाप किसी पिस्टन की तरह मेरी गंद में अपना लंड पेल रहा था.मुझे भी सुख मिल रहा था, और अब में भी बोलने लगी, है आज़ाज़ा आ रहा है, और ज़ोर से मारो, और मारो और बना दो मेरी गंद का भुर्ता, और दबओ मेरे मम्मा, और ज़ोर दिखाओ अपने लंड का और फाड़ ओ मेरी गंद. अब दिखो अपने लंड की ताक़त.
सुरेश- हाईईईई जानी अब गया, अब और नही रुक सकता, ले साली रंडी, गंदमारानी, ले मेरे लंड का पानी अपनी गंद में ले. कहते हुए उसके लंड ने मेरी गंद में अपने वीर्य की उल्टी कर दी.वो चूचियाँ दबाए मेरी कमर से इस तरह चिपक गया था मानो मीलों दौड़ कर आया हो. थोड़ी देर बाद उसका मुरझाया हुआ लंड मेरी गांद में से निकल गया और वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए उठ खड़ा हुआ, और मुझे सीधा करके अपने सीने से सटा कर मेरे होंटो की पप्पी लेने लगा. तभी महेश आकेर बोला ‘ आबे किसी और का नंबर आएगा आ नही, या सारा समय तू ही इसे चोद्ता रहेगा.
महेश- नही यार तू ही इसे संभाल अब में चला.
यह कह कर सुरेश ने मुझे महेश की तरफ धकेला और बहेर चला गया.
महेश ने तुरंत मुझे अपनी बाहों में समा लिया और मेरे गाल चूमने लगा. और एक गाल मुँह में भर कर दाँत गाड़ने लगा., जिससे मुझे दर्द होने लगा और में सीस्या उठी.
वो मेरी दोनो चूचियों को कस कर भोंपु की तरह दबाने लगा. कहा मेरी जान मज़ा आ रहा है कि नही.
और मुझे खींच कर पलंग पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे पास आया, और वहीं ज़मीन पर पड़ा हुआ मेरी पेटिकोट उठा कर मेरी बुर् पोंचछते हुए कभी मेरे गालो पर काटने लगा और मेरी चूचियाँ जोरो से दबा देता.जैसे-जैसे वो मेरे मम्मों की पंपिंग कर रहा था, वैसे ही उसका लंड खड़ा हो रहा था मानो कोई उसमे हवा भर रहा हो.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और मुझे अपने लंड सहलाने का इशारा किया.मैने अपना हाथ उसके लंड से हटा लिया तो उसने पूचछा ' मेरी जान अच्छा नही लगा रहा है क्या?'
में इनकार करते हुए बोली' नही यह बात नही है पर हुमको शर्म आ रही है.' वो बोला ' चूत मरेनी, भोसदीवाली, दो दिनों से चूत मरवा रही है , और अब कहती है कि शर्म आ रही है. मादार-चोद , चल अच्छे से लंड सहला नही तो तेरी बुर में चाकू घोंप कर मार डालूँगा.
मैं डर कर उसके लंड को सहलाने लगी. जैसे-जैसे लंड सहला रही थी मुझे आभास होने लगा कि महेश का लंड सुरेश के लंड से करीब आधा इंच मोटा अओर 2 इंच लंबा है. मैने भी सोच जो होगा देखा जाएगा. उसका लंड एक लोहे के रोड की तरह कड़ा हो गया था.
अब वो खड़ा होकेर पास पड़ा तकिया उठा कर मेरे छूतदों के नीचे लगाया और फिर ढेर सारा थूक [स्पिट] मेरी बुर के मुहाने पर लगा कर अपना लंड मेरी चूत के मुँह पेर रख कर ज़ोर का धक्का मारा. उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी बुर में घुस गया. में सीस्या उठी. जबकि में कुच्छ ही देर पहले सुरेश से चूत और गंद दोनों मरवा चुकी थी फिर्र भी मेरी बुर बिलबिला उठी.उसका लंड मेरी बुर में बड़ा कसा-कसा जा रहा था. फिर दुबारा ठप मारा तो पूरा लंड मेरी बुर में समा गया.
मैं जोरो से चिल्ला उठी ' हाईईईईईई में दर्द से मारी, ............. दर्द हो रहा है, प्लीज़ थोड़ा धीरे डालो , मेरी बुर फटी जा रही है
महेश - अर्रे चुप साली, तबीयत से चुदवा नही रही है और हल्ला कर रही है, मेरी फटी जा रही है, जैसे की पहली बार चुदवा रही है.अभी- अभी चुदवा चुकी है चुटमारानी और हल्ला कर रही है जैसे कोई सील बंद कुँवारी लड़की हो.
अब वो मुझे पकड़ कर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बहेर करने लगा.मेरी बुर भी पानी छ्चोड़ने लगी. बुर भीगी होने के कारण लंड बुर में आराम से अंदर बहेर जाने लगा, और मुझे भी मज़ा आने लगा.
महेश ने मुझे पलटी देकर अपने ऊपेर किया और नीचे से मुझे चोदने लगा. जब वो नीचे से उपर उचक कर अपने लंड को मेरी बुर में ठासता था तो मेरी दोनो चूचियाँ पकड़ कर मुझे नीचे की ओर खींचता था जिस से लंड पूरा चूत के अंदर तक जा रहा था. इस तरह से वो चोदने लगा और साथ-साथ मेरे मम्मे भी पंपिंग कर रहा था, और कभी मेरे गालों पर बॅट्का भर लेता था तो कभी मेरे निपल अपने दाँतों से काट ख़ाता था.पर जब वो मेरे होंटो को चूस्ता तो में बहाल हो जाती थी और मुझे भी खूब मज़ा आता था.
मैं मज़े में बड़बड़ा रही थी - है मेरे रज़ाआआअ मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो और बना दो मेरी चूत का भोसड़ा..............
और साथ ही मैने भी अपनी तरफ से धक्के मारने शुरू कर दिया, और जब उसका लंड पूरा मेरी बुर के अंदर होता था तो में बुर को और कस लेती थी, जब लंड बहेर आता था तौ बुर को ढेला छ्चोड़ देती थी.वो कुच्छ रुक-रुक कर मुझे चोद रहा था.
में बोली ' हाई राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आएगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चूत.
जब मुझसे रहा नही गया तो में खुद ही उपेर से अपनी कमर के धक्के उसके लंड पर मारने लगी
इतनी देर में देखा की दूसरे रूम से विश्वनथजी नंगे ही [ मेरी प्यारी भाभी की चूत, जिसे भोसड़ा कहना ज्याद ठीक होगा, चोद कर } हमारे रूम में घुसे और मुझे चूड्ता हुआ देखा कर बोले ' यहाँ चूत मरा रही , साली नंद रानी, इसकी भाभी को तो पेल कर आ रहा हूँ चलो इस से भी लंड चुस्वा लूँ, क्या याद रखेगी कि एक साथ दो-दो लंड मिले थे इसे.'
और इतना कह कर तुरंत मेरे पास आकर खड़े हुए और अपना लंड, जो कि तब पूरी तरह से खड़ा नही था , मेरे मुँह में घुसा दिया. मैने भी पूरा मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर किया और फिर धक्को की ताल पर ही उसे चूसने लगे. विश्वनथजी साथ-साथ में मेरी चूचियाँ भी मसल रहे थे. कुच्छ ही देर में उनका लंड भी पूरा खड़ा हो गया और मुझे अपने हलक में फँसता हुआ सा महसूस होने लगा. पर मैने उनका लंड छ्चोड़ा नही और बराबर चूस्ति ही रही. यह पहली बार था की मेरी बुर और मुँह में एक साथ दो-दो लंड थे और में इसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इस दोहरी चुदाई और चूसा में.
कुच्छ ही देर में महेश के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और उसके कुच्छ ही पलों बाद विश्वनथजी के लंड ने भी मेरे मुँह में पानी की धार छ्चोड़ दी. जब मैने उनके लंड को मुँह से निकलना चाहा तो उन्होने कस कर मेरे चेहरे को अपने लंड पर दबे रखा और जब तक में पूरा स्पर्म पी नही गयी उन्होने मुझे छ्चोड़ा नही. इसके बाद वो भी निढाल से वहीं पर पड़ गये.

चुदाई और चूसा का यह प्रोग्राम रात भर इसी तरह चलता रहा और ना जाने में और भाभी और ममीज़ी कितनी बार चुद होंगी उस रात.अंत में तक हार कर हम सभी यूँ ही नंगे ही सो गये.
सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि में नंगी ही पड़ी हुई हूँ. मैं जल्दी से उठी और कपड़े पहन कर बाहर किचन की तरफ गयी तो देखा कि भाभी भी नंगी ही पड़ी हुई हैं. मुझे मस्ती सूझी और में करीब ही पड़ा बेलन उठा कर उस पर थोडा सा आयिल लगा कर उनकी बुर में घोंप दिया. बेलन का उनकी चूत में घुसना था कि वो आआआअहह्ा करते हुए उठ बैठी, और बोली ' यह क्या कर रही हो'.
मैं बोली ' मैं क्या कर रही हूँ, तुम चूत खोले पड़ी थी में सोची तुम चुदासि हो, और चोदने वाले तो कब के चले गये,इसलिया तुम्हारी बुर में बेलन लगा दिया.
भाभी' तुम्हे तो बस यही सूझता रहता है'.
मैने उनकी बुर से बेलन खींच कर कहा' चलो जल्दी उठो, वरना मामा मामी आ जाएँगे तो क्या कहेंगे. रात तौ खूब मज़ा लिया, कुकच्छ मुझे भी तो बताओ क्या किया?
भाभी- बाद में बताऊंगी कि क्या किया' कह कर कपड़े पहनने लगी तो में ममीज़ी को उठाने चली गयी.
मामी भी मस्त चूत खोले पड़ी थी.मैने उनकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हे हिलाया और उठाया और कहा ' मामी यह तुम कैसे पड़ी हो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.'
वो जल्दी से उठी और कपड़े पहनने लगी, फिर मेरे साथ ही बाहर निकल गयी.
मामा उल्टे मुँह किए सो रहे थे और उधर विश्वनथजी भी मामा के पास ही पड़े हुए थे.ऐसा मालूम होता था मानो रात को कुच्छ हुआ ही नही था.सब लोग उठ कर फारिग हुए और खाना बनाया और खाना खाया. खाना खाते हुए विश्वनथजी कभी मुझे और कभी भाभी को घूर कर देख रहे थे.
में बोली' भाभी विश्वनथजी ऐसे देख रहे हैं कि मानो अभी फिर से तुम्हे चोद देंगे'
भाभी- मुझे भी ऐसा ही लग रहा है बताओ अब क्या किया जाए.
मई बोली-' किया क्या जाए, चुप रहो, चुद-वाओ और मज़ा लो'
भाभी- तुम्हे तो हर वक़्त चुदाई के सिवाए और कुच्छ सूझता ही नही है
मैं बोली- अक्च्छा बन तो ऐसी शरिफजादी रही ही जैसे कभी चुडवाया ही नही हो, चार दिनों से लोंडो का पीचछा ही नही छ्चोड़ रही और यहाँ अपनी शराफ़त की मा चुद रही हो.'
भाभी- अब बस भी करो , मैने ग़लती की जो तुम्हारे सामने मुँह खोला. चुप करो नही तो कोई सुन लेगा.
और इस तरह हमारी नोंक-झोंक ख़तम हुई.


अगले दिन हमारी ममीज़ी ने कहा कि उनके पीहर के यहाँ से बुलावा आया है और वो दो दिन के लिए वहाँ जाना चाहती हैं. इस पर ममाजी बोले भाई मैं तो काफ़ी थका हुआ हूँ और वहाँ जाने की मेरी कोई इच्छा नही है. विश्वनथजी तो जैसे मौका ही तलाश कर रहे थे ममीज़ी के साथ जाने का, [यह फिर मामी को चोदने का चान्स पाने का क्योंकि कल के दिन विश्वनथजी मामी को चोद नही पाए थे] तुरंत ही बोले कोई बात नही भैसाहेब, मैं हूँ ना, मैं ले जाऊँगा भाभिजी को उनके मयके और दो दिन बिता कर हम वहाँ से वापिस यहाँ पर आ जाएँगे. विश्वंतजी की यह बेताबी देख कर भाभी और मैं मुँह दबा कर हंस रहे थे. जानते थे कि विश्वनथजी मौका पाते ही ममीज़ी की चुदाई ज़रूर करेंगे. और सच पूच्छो तो मामीजी भी ज़रूर उनसे चुदवाना चाह रही होंगी इसलिए एक बार भी ना-नुकूर किए बिना तुरंत ही मान गयी.
अब हमारी मामी और विश्वनथजी के जाने के बाद हमारे लिए रास्ता एक दम सॉफ था. शाम के वक़्त हम तीनो याने में, मेरी भाभी और हमारे ममाजी घूमने निकले. याने की मेला देखने {और मेला देखने के बहाने अपनी चूची गंद और चूत मसलवाने} निकले..अबकी बार मामाजी ने और उनके दोस्त राज शर्मा ने भी अपनी बहू और भांजी को चोदा और मज़ा लिया अब कैसे चोदा ये सब फिर कभी बताउन्गि

क्रमशः......................


दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा


मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-1

मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-2






MELE KE RANG SAAS, BAHU AUR NANAD KE SANG-2

gataank se aage.................

Maine socha ki ab hamari khair nahi.Peechhe mudker dekha tau bhabhi khade-khade apni choot khujla rahi hai.
Maine kaha –kyon bhabhi choot chudwane ko khujla rahi ho.
Bhabhi- haan nand rani ab aapse kya chhupana, meri choot badi khujla rahi hai. Man ker raha ke koi mujhe patak ker chod de.
Maine kaha --pehle kehti tau kisi ko rok leti jo tumhe poori raat chodta rehta. Khair koi baat nahi kal sham tak ruko tumhari choot ka bhosda ban jayega. Un panchon ke irade hai hume chodne ke aur woh sala ramesh tau mamiji ko bhi chodna chahta hai.Ab dekhenge mami ko kis tarah se chodte hai yeh log.
Agli subah jab main so ker uthi tau dekha ki sabhi log soye huye the sirf bhabhi hi uthi hui thi aur vishwanathji ka lund jo ki neend mein bhi tana hua tha aur bhabhi gaur se unke lund ko hi dekh rahi thi.
Unka lund dhoti ke ander tan ker khada tha, kareeb 10’’ lamba aur 3’’ mota, ekdum rod ki tarah. Bhabhi ne idhar-udhar dekh ker apne hath se unki dhoti ko lund per se hata diya aur unke nange lund ko dekh ker apne honto per jeebh phirane lagi. Mein bhi besharmo ki tarah jaaker bhabhi ke paas khadi ho gayi aur dheere se kaha "uiii maa ".
Bhabhi mujhe dekh ker sharma gayi aur ghoom ker chali gayi. Mein bhi bahbhi ke peechhe chali aur unse kaha dekho kaise behosh so rahe hain.
Bhabhi- chup raho
Mein – kyon bhabhi, jyada achha lag raha hai
Bhabhi- chup bhi raho na.
Mein- isme chup rahne ki kaun si baat hai jao aur dekho aur pakad ker muhn mei bhi le lo unka khada lund, bada maza aayega.
Bhabhi- kuchh tau sharm karo yu hi bake jaa rahi ho.
Mein- tumhari marzi, waise uper se dhoti tau tumne hi hatayi hai.
Bhabhi- ab chup bhi ho jao, koi sun lega tau kya sochega.
Phir hum log roz ki tarah kaam mein lag gaye. Kareeb dus baze vishwanathji kuchh saman lekar aaye aur hamare mama ke hath mein saman thama ker kaha nashte ke lye kaha. Aur kaha aaj hamare charon dost aaayenge aur unki dawat karni hai yaar.islye yeh saman laya hun bhaiya, mujhe tau aata nahi hai kuchh banana islye tumhi logon ko banana padega.aur haan yaar tum peete tau ho na? Vishwanathji ne mamaji se poochha.[ means daru peete ho na?]
Mama- nahi mein tau nahi peeta hun yaar
Vishwanathji- arre yaar kabhi-kabhi tau lete hoge
Mama-han kabhi-kabhar ki tau koi baat nahi
Vishwanathji- phir theek hai hamare sath tau lena hi hoga.
Mama- theek hai dekha jaayega.
Hum logon ne saman wagairah bana ker taiyyar ker liya. 2 baze woh log aa gaye.mein tau us phirak mein lag gayi ki yeh log kya baatein karte hai.
Mama mami aur bhabhi ooper ke kamre mein baithe the. Mein un charon ki awaz sun ker neeche utar aayi. Woh pancho log baher ki taraf bane kamre mei baithe the. Mei babrber wale kamre ki kiwadon ke sahare khadi ho gayi aur unki baten sunne lagi.
Vishwanathji- dawat tau tum logon ki kara raha hoon ab aage kya programmme hai?
Pehla- yaar ye tumhara dost daru-varu peeyega ki nahi?
Vishwanathji- woh tau mana ker raha tha per maine use peene ke liye mana liya hai
Doosra- Phir kya baat hai samjho kaam ban gaya. Tum log aisa karna ki pehale sab log saath baith ker peeyenge phir uske glass mein kuchh jyada dal denge. Jab woh nashe mein aa jayega tab kisi tarah pata ker uski biwi ko bhi pila denge aur phir nashe mein laker un saliyon ko patak-patak ker chodenge,
Plan ke mutabik unhone hamare mama ko awaz lagayi.
Hamare mama neeche utar aaye aur bole ram-ram bhaiyaa.
Mama bhi usi panchayat mein baith gaye ab un logon ki gupshup hone lagi. Thodi der baad awaz aayi ki meena bahu glass aur pani dena.
Jab bhabhi pani aur glass lekar wahan gayi tau maine dekha ki Vishwanathji ki aankhe bhabhi ki choochiyon per hi lagi hui thi. Unhone sabhi glasses mein daru aur pani dala per maine dekha ki mamaji ke glass mein paani kam aur daru jyada thi. Unhone paani aur mangaya tau bhabhi ne lota mujhe dete hue paani lane ko kaha. Jab mein paani lene kitchen mein gayi tau mahesh turant hi mere peechhe-peeche kitchen mei aaya aur meri dono mammon ko kas ker dabate hue bola- itni der mein paani layi hai chootmarani, jara jaldi-jaldi lao. Meri siskari nikal gayi
Vishwanathji ne mamaji se poochh woh tumhara nauker kahan gaya.
Mama-woh nauker ko yahan uske gaon wale mil gaye the so unhi ke sath gaya hai jab tak hum wapas jaayenge tab tak mei woh aa jaayega.
Phir jab tak hum logon ne khana lagaya tab tak mein unhone do bottle khali ker di thi. Maine dekha ki mama kuchh jyada nashe mein hai, main samajh gayi ki unhone jan bujh ker mama ko jyada sharab pilayi hai. Hum log khana laga hi chuke the. Mamiji sabzi lekar wahan gayi mei bhi peechhe-peechhe namkeen lekar pahunchi tau dekh ki ramesh ne mamiji ka hath tham ker unhe daru ka glass pakdana chaha. Mamiji ne daru peene se mana ker diya. Mei yeh dekh ker darwaze per hi ruk gayi. Jab mamiji ne daru peene se mana kiya tau ramesh mamaji se bola- are yaar kaho na apni gharwali se woh tau hamari be-izzati ker rahi hai.
Mama ne mami se kaha –rajo pee lo na kyon insult kara rahi ho.
Mamiji- mein nahi peeti
Ramesh- bhaiyya yeh tau nahi pee rahi hai, agar aap kahen tau mein pila doon.
Mama- agar nahi pi rahi hai tau Sali ko pakad ker pila do.
Mamaji ka itna kehna tha ki ramesh ne wahin mamiji ki bagal mein hath dal ker dosore hath se daru bhare glass ko mamiji ke muhn se laga diya aur mamiji ko jabardasti daru peeni padi. Maine dekha ki uska jo hath bagal mein tha usi se woh mamiji ki choochiyan bhi daba raha tha.Aur jab woh itni befikri se mamiji ke bobbe daba raha tha tau baki sabhi ki nazren[ except of course mamaji] uske hath se dabte hue mamiji ke bobbon per hi thi. yahan tak ki unme se ek ne tau gande ishare karte hue wahin per apna lund pant ke uper se hi maslana shuru kar diya tha. Mamiji ke muhn se glass khali karke mamji ko chhod diya. Phir jab mamiji kitchen me aayi tau maine jan bujh ker mere hath mei jo saman tha woh mamiji ko pakda diya.
Mamiji ne woh saman table per laga diya. Phir ramesh mamiji ke mana karne per bhi doosra glass mamiji ko pila diya. Mamiji mana karti hi reh gayi per ramesh daru pila ker hi mana.Aur is bar bhi wohi kahani dohrayi gayi yani ki ek hath daru pila raha tha aur dusra hath mamme daba raha tha aur sab log is nazare ko dekh ker garam ho rahe the. mamji ki shayd kis ko parwah hi nahi thi kyonki woh tau waise bhi ekdum nashe mei tunn ho chuke the.
Ab glass rakh ker ramesh ne mamiji ke chootdon per hath phiraya aur doosre hath se unki choot ko pakad ker daba diya. Mamiji siski lekar reh gayi.
Mamiji ko siskari lete dekh ker meri bhi chut mein sursuri hone lagi. Hum log ooper chale gaye. Phir neeche se pani ki awaz aayi. Mamiji pani leker neeche gayi.Tab tak ramesh kitchen mein aa pahuncha tha. Mamiji jo pani dekar lauti tau ramesh ne mamiji ka hath pakad ker paas ke doosre kamre mein le jaane laga. Mamiji ne kaha, arre ye kya ker rahe tau bola, chalo meri rani us kamre chal ker maza uthate hain. mamiji khud nashe mein th isliye kamzor pad gayi aur na-na karti hi reh gayi per ramesh unhe kheench ker us kamre mein le gaya.Meri nazar tau un dono per hi thi isliye jaise hi woh kamre mein ghuse main turant daudte hue unke peechhe jaaker us kamre ke baher chhup ker dekhne lagi ki aage kya hota hai.
Ramesh ne mamiji ko pakad ker palang per dal diya aur unke petticoat mein hath dal ker unki choot mein ungli karne laga.
Mamiji- hai yah kya ker rahe ho. chhodo mujhe nahi tau mein chilloongi.
ramesh- mera kya jaayega, chillao jor se ,badnami tau tumhari hi hogi. nahi tau chupchap jo main karta hoon woh karwati raho.
Mamiji : per tum karna kya chahte ho.
Ramesh " Chup raho, tumhe kya maloom nahi hai ki mein ya karne jaa raha hoon. saali abhi tujhe chodoonga. chillayi tau tere sabhi rishtedar yahan aake tujhe nangi dekhenge aur socheng ki tu hi hame yahan apni choot marwane bulayi ho".

Dar ke maare mamiji chupchap padi rahin aur Ramesh ne apne saare kapde utar ker apne khade lund ka aisa jor ka thap mara ki uska adha lund mamiji ki chut mein ghus gaya.
mamiji- uiiiii maa mein mari.
Mamiji nashe mein hote hue bhi siskiyan le rahi thi. Tabhi ramesh ne doosra thap bhi mara ki uska poora lund ander ghus gaya.
Mamiji uiiiiiiiiimmmmmma are jaalim kya ker kerraha hai thoda dheere se ker kehti hi reh gayi aur woh engine ke piston ki tarah mamiji ki choot [jo ki pehle hi bhosda bani hui thi} uske cheethade udane laga. Itne mein maine vishwanathji ko ooper ki taraf jaate dekha. Mein bhi unke peechhe ooper gayi aur baher se dekha ki bhabhi jo ki apna petticoat utha ker apni choot mein ungli ker rahi tho uska hath pakd ker vishwanathj ne kaha 'hai meri jaan hum kaahe ke liye hain, kyon apni ungli se kaam chala rahi, kya hamare lund ko mauka nahi dogi.
Apni chori pakde jaane per bhabhi ki nazren jhuk gayi thi aur woh chupchap khadi reh gayi.
Vishawanathji ne bhabhi ko apne seene se laga ker unke honto ko chusna shuru ker diya. Sath hi sath woh unki choochiyon ko bhi daba rahe the.Bhabhi bhi ab unke vash mein ho chuki thi.Unhone apn dhoti hata ker apna lund bhabhi ke haton mein pakda diya Bhabhi unke lund ko, jo ki baans ki tarah khada ho chuka tha, sahlane lagi.
Unhone bhabhi ki choochiyan chhod ker unke saare kapde utar diya, aur bhabhi ko wahin per leta diya aur unke chootad ke neeche takiya laga ker apna lund unki choot ke muhane per rakh ker ek jordar dhakka mara.
Per kuchh vishwanathji ka lund bahut bada tha aur kucch bhabhi ki chut bahut sikudi thi isliye uka lund ander jaane ke bazay wahin atak ker reh gaya.Is per vishwanathji bole lagta hai ki tere aadmi ka lund sala bachchon ki lulli jitna hai tabhi tau teri chut itni tight hai ki lagta hai jaise binchudi chut mei ghusaya hai lund" aur phir idher udher dekh ker wahin kone me rakhi ghee ki katori dekh ker khush ho gaye aur bole "lagat hai saali chutmarani ne poori tayyari kar rakhi thi aur isiliye yahan per ghee ki katori bhi rakhi hui hai jis se ki chudwane me koi takleef na ho" itna keh ker Unhone turant hi paas rakhi ghee ki katori se kuchh ghee nikala aur apne lund per ghe chupad ker turant phir se lund ko choot per rakh ker dhakka mara. Is baar lund tau ander ghus gaya per bhabhi ke munh se joro ki cheekh nikl padi ' ahhhhhhhh maijn mari, hai jaalim tera lund hai ya baans ka khutta'
Iske baad vishwanathji form mein aa gaye aur aur tabadtod dhakke marne lage. bhabhi ' hai raza mar gayi, uiiiimaa , thoda dheeme karo na kerti hi reh gayi aur woh dhakkepe dhakke mare jaa rahe the. room mein hachpach hachapach ki aisi awaz aa rahi thi mano 110 km ki raftar se gadi chal rahi ho. Kuchh der ke baad bhabhi ko bhi maza aane laga aur woh kehne lagi ' hai raza aur jor se maro meri chut, hai bada maza aa raha hai, aaahhhhhhhaaaaaa bas aise hi karte raho aahhhhaaaaa oucccccccchhhhhhh aur jor se pelo mere raza , phad do meri bur ko aaahhhhaaaaaa , per yeh kya meri choochiyon se kya dushmani hai , inhe ukhad dene ka irada hai kya, hai jara pyar se dabao meri choochiyon ko.
Maine dekha ki vishwanathji meri bhabhi ki choonchiyon ko badi hi bedardi se kisi horn ki tarah dabate hue ghachaghach pele jaa rahe the.
Tab peechhe se suresh ne aaker mere bagal mein hath dal ker meri choochiyan dabate hue bola, ari chhinal tum yahan inki chudai dekh ker maze le rahi aur mein apna lund hath mein liye tumhe saare ghar mein dhoondh raha tha. Idher meri bhi choot bhabhi aur mamiji ki chudai dekh ker paniya rahi thi. mujhe suresh bagal wale kamre mein utha le gaya aur mere saare kapde kheench ker mujhe ekdum nani ker diya, aur khud bhi nanga ho gaya. phir mujhe bed per leta ker meri donon hoochiyan sahlane laga, aur kabhi mere nipple ko munh mei lekar choosne lagta.In sabse meri choot mein chintiya si rengne lagi, aur bur ki putiya [clitoris] phadphadane lagi. Usne mera hath pakad ker apne khade lund per rakha aur mein uske lund ko sahlane lagi. Main jaise-jaise uske lund ko sahla rahi thi waise hi woh ek iron rod ki tarah kadak hota jaa raha tha. Mujhse bardasht nahi ho raha tha aur mein uske lund ko pakad ker apni choot se bhida rahi thi ki kisi tarah se ye jaalim mujhe chode, aur woh tha ki meri chut ko ungli se hi kured raha tha.
Sharam chhod ker mein boli haiiii raza ab bardasht nahi ho raha hai, jaldi se karo na. Mere munh se siskari nikal rahi thi. ant mein mai khud hi uska hath apni bur se hata ker uske lund per apni chut bhida ker uske ooper chadh gayi aur apni chut ke ghasse uske lund per dene lagi. Uske dono hath mere mamon ko kas ker daba rahe the aur sath mein nipple bhi chhed rahe the.Ab mein ske ooper thi aur woh mere neeche. Woh neeche uchak-uchak ker meri bur mein apne lund ka dhakka de raha tha aur mein ooper se daba-daba ker uska lund satak rahi thi.
Kabhi kabhi tau meri choochiyon ko pakad ker itni jor se kheenchta ki mea munh uske munh tak pahunch jata aur woh mere hont ko apne munh mein lekar choosne lagta. main jannat mein nach rahi thi aur meri chut mein khujlahat badhti hi jaa rahi thi. main daba daba ker huda rahi thi aur bol rahi thi, hai mere chodu saiyaaaa aur joro se hodo meri phuddi, bhar do apne madan ras se meri phuddi, aaaaaaahhhhhhaaaaaa bada maz aa raha , bas si tarah se lage raho, haaaaaaiiiiiii kitna achha chod rahe ho, bas thoda sa aur, mein bas jhadne hi wali hooon aur toda dhakka maro mere sartaz.................... ahhaaaaaa lo amin gayi, mera pani nikla...
aur is taah meri choot ne paani chhod diya. Mujhe itni jaldi jhadte dekh , suresh khub bhadak gaya aur, " sali chootmrani, mujhse pehle hi paani chhod diya, ab mera paani kahan jaayega.
Suresh - ab teri pilpili chut mein kya rakha hai, kya maza ayega bhairi chut mein pani nikalane ka ab tau teri gand mein pelunga. aur une turant apne lund ko meri bur se baher kheench aur mujhe neech gira ker kutti banaya aur mere upar chadh ker meri gand chidor ker apna lund gand ke chhed per rakh ker jor ka thap mara. bur ke ras mein bheege hone ke karan uske lund ka topa phat se meri gan mein ghus gaya ur mein ekdum se cheekh padi. uuuuuuuiiiiiiiiiiiii maaaaaa mar gayi, hai nikalo apna lund meri gand phat rahi hai hhhhhaaaaaa
tab usne doosri thap meri gand per mari aur uska adhe se jyada lund meri gand mein ghus gaya. aur mein chilla uth ' areeee ram , thoda tau raham khao, meri gand phati ja rahi haere jaalim thoda dheere se , areeeee badmash apna lund nil le meri gand se nahi tau main mar jaoongi aaj hi,
Suresh- arri chhupp, sali chhinal, nakhra mat ker nahi tau yahin per chaku se teri chut phad doonga, phir zindagi bhar gand hi marwate rehna, thodi der bad khud hi kahegi ki hai maza a raha hai, aur maro meri gand.
Aur kehte ke sath hi usne teesra thap mara ki uska lund poora ka poora sama gaya meri gand mein. Meri ankhon se ansoo nikal rahe the aur mein dard ko sah nahi paa rahi thi. Main dard ke mare bilbila rahi thi. Mai apni gand ko idhar-udhar jhatka mar rahi thi kisi tarah uska hallabi lund meri gand se nikal jaaye.lekin usne mujhe itna kas ke daba rakha tha ki lakh koshishon ke bawzood bhi uska lund meri gand se nikal nahi paya.
ab usne apna lund aner-baher karna huroo kiya. woh bahut dheere-dgeere dhakaa mar rah tha, aur kuchh hi minuton mein meri gand bhi uska lund karne lagi. dheere-dheere uski speed bahti hi jaa ahi thi, aur abwoh thapathap kisi piston ki tarah meri gand mein apna lund pel raha tha.mujhe bhi sukh mil raha tha, aur ab mein bhi bolne lagi, hai azaza a raha hai, aur jor se maro, aur maro aur bana do meri gand ka bhurta, aur dabao mere mamma, aur jor dikhao apne lund ka aur phad o meri gand. Ab dikho apne lund ki takat.
Suresh- haiiiii jani ab gaya, ab aur nahi ruk sakta, le sali randi, gandmarani, le mere lund ka pani apni gand mein le. kehte hue uske lund ne meri gand mein apne veerya ki ulti ker di.Woh choochiyan dabe meri kamar se is tarah chipak gaya tha mano meelon daud ker aaya ho. tohdi der baa dusk murjhaya hua lund meri gaand mein se nikal gaya aur woh meri choochiyan dabate hue uth khada hua, aur mujhe seedha karke apne seene se sata ker mere honto ki pappi lene laga. Tabhi mahesh aaker bola ‘ abe kisi aur ka number aayega a nahi, ya sara samay tu hi ise chodta rahega.
Mahesh- nahi yaar tu hi ise sambhal ab mein chala.
Yeh keh ker Suresh ne mujhe Mahesh ki taraf dhakela aur baher chala gaya.
Mahesh ne turant mujhe apni bahon mein sama liya aur mere gaal chumne laga. Aur ek gaal munh mein bhar ker daant gadane laga., jisse mujhe dard hone laga aur mein sisya uthi.
Who meri dono choochiyon ko kas ker bhonpu ki tarah dabane laga. Kaha meri jaan maza aa raha hai ki nahi.
aur mujhe kheench ker palang per leta diya aur apne sare kapde utar ker mere paas aaya, aur wahin jameen per pada hua meri petticoat utha ker meri bur ponchhte hue kabhi mere galo per katne laga aur meri choochiyan joro se daba deta.jaise-jaise woh mere mammon ki pumping ker raha tha, waise hi uska lund khada ho raha tha mano koi usme hawa bhar raha ho.
Usne mera hath pakad ker apne lund per rakha aur mujhe apne lund sahlane ka ishara kiya.maine apna hath uske lund se hata liya tau usne poochha ' meri jaan achha nahi laga raha hai kya?'
mein chhinara karte hue boli' nahi yeh baat nahi hai per humko sharm aa rahi hai.' woh bola ' choot marani, bhosdiwali, do dinon se choot marwa rahi hai , aur ab kehti hai ki sharm aa rahi hai. Madherchod , chal achhe se lund sehla nahi tau teri bur mein chaku ghonp ker maar daloonga.
Main dar ker uske lund ko sahlane lagi. jaise-jaise lund sehla rahi thi mujhe abhas hone laga ki mahesh ka lund suresh ke lund se kareeb adha inch mota aour 2 inch lamba hai. maine bhi soch jo hoga dekha jaayega. uska lund ek lohe ke rod ki tarah kada ho gaya tha.
Ab woh khada hoker paas pada takiya utha ker mere chootadon ke neeche lagaya aur phir dher sara thuk [spit] meri bur ke muhane per laga ker apna lund meri choot ke munh per rakh ker jor ka dhakka mara. Uska adhe se jyada lund meri bur mein ghus gaya. mein sisya uthi. jabki mein kuchh hi der pehle suresh se choot aur gand donon marwa chuki thi phirr bhi meri bur bilbila uthi.Uska lund meri bur mein bada kasa-kasa jj raha tha. Phir dubara thap mara tau poora lund meri bur mein sama gaya.
main joro se chilla uthi ' haiiiiiii mein dard se mari, ............. dard ho raha hai, plz thoda dheere dalo , meri bur phati jaa rahi hai
Mahesh - arre chup saali, tabiyat se chudwa nahi rahi hai aur halla ker rahi hai, meri phati jaa rahi hai, jaise ki pehli baar chudwa rahi hai.abhi- abhi chudwa chuki hai chutmarani aur halla kar rahi hai jaise koi seal band kunwari ladki ho.
Ab woh mujhe pakad ker dheere-dheere apna lund meri choot ke ander baher karne laga.meri bur bhi pani chhodne lagi. Bur bheegi hone ke karan lund bur mein aaram se ander baher jaane laga, aur mujhe bhi maza aane laga.
Mahesh ne mujhe palti dekar apne ooper kiya aur neeche se mujhe chodne laga. Jab woh neeche se upar uchak ker apne lund ko meri bur mein thansta tha atu meri dono choochiyan pakad ker mujhe neeche ki or kheenchta tha jis se lund poora chut ke ander tak jaa raha tha. Is tarah se woh chodne laga aur sath-sath mere mamme bhi pumping ker raha tha, aur kabhi mere galon per batka bhar leta tha tau kabhi mere nipple apne danton se kat khata tha.Per jab woh mere honto ko choosta tau mein behal ho jaati thi aur mujhe bhi khoob maza aata tha.
Main maze mein badbada rahi thi - hai mere razaaaaaaa maza aa raha hai, aur jor se chodo aur bana do meri chut ka bhosda..............
aur sath hi maine bhi apni taraf se dhakee marne shuroo kar diya, aur jab uska lund pura meri bur ke ander hota tha tau mein bur ko aur kas leti thi, jab lund baher aata tha tau bur ko dhela chhod deti thi.woh kuchh ruk-ruk ker mujhe chod raha tha.
Mein boli ' hai raza jara jaldi-jaldi karo na, aur maza aayega, itna dheere kyon mar rahe ho meri chut.
Jab mujhse raha nahi gaya tau mein khud hi uper se apni kamar ke dhakke uske lund per marne lagi
Itni der mein dekha ki doosre room se vishwanathji nange hi [ meri pyari bhabhi ki chut, jise bhosda kehna jyad theek hoga, chod ker } hamare room mein ghuse aur mujhe chudta hua dekha ker bole ' yahan chut mara rahi , saali nand rani, iski bhabhi ko tau pel ker a raha hoon chalo is se bhi lund chuswa loon, kya yaad rakhegi ki ek sath do-do lund mile the ise.'
Aur itna keh ker turant mere paaas aaker khade hue aur apna lund, jo ki tab poori tarah se khada nahi tha , mere munh mein ghusa diya. maine bhi poora munh khol ker nke lund ko ander kiya aur phir dhakko ki taal per hi use choosne lage. vishwanathji sath-sath mein meri choochiyan bhi masal rahe the. kuchh hi der mein unka lund bhi pura khada ho gaya aur mujhe apne halak mein phansta hua sa mehsoos hone laga. Per maine unka lund chhoda nahi aur baraber choosti hi rahi. Yeh pehli baar tha ki meri bur aur munh mein ek sath do-do lund the aur mein iska poora maza lena chahti thi, aur mujhe maza bhi bahut aa raha tha is dohri chudai aur chusai mein.
Kuchh hi der mein mahesh ke lund ne pani chhod diya aur uske kuchh hi palon bad vishwanathji ke lund ne bhi mere munh mein paani ki dhar chhod di. jab maine unke lund ko munh se nikalana chaha tau unhone kas ker mere chehre ko apne lund per dabe rakha aur jab tak mein poora sperm pee nahi gayi unhone mujhe chhoda nahi. Iske baad woh bhi nidhal se wahin per pad gaye.

chudai aur chusai ka yeh prograamme raat bhar isi tarah chalta raha aur na jaane mein aur bhabhi aur mamiji kitni bar chud hongi us raat.Ant mein thak haar ker hum sabhi yun hi nange hi so gaye.
Subah meri aankh khuli tau dekha ki mein nangi hi padi hui hoon. main jaldi se uthi aur kapde pehan ker baher kitchen ki taraf gayi tau dekha ki bhabhi bhi nangi hi padi hui hain. Mujhe masti sujhi aur mein kareeb hi pada belan utha ker us per thoda sa oil laga ker unki bur mein ghonp diya. Belan ka unki chut mein ghusna tha ki woh aaaaaaahhhhhhhhhhhhha karte hue uth baithi, aur boli ' yeh kya ker rahi ho'.
main boli ' main kya ker rahi hoon, tum chut khole padi thi mein sochi tum chudasi ho, aur chodne wale tau kab ke chale gaye,isliya tumhari bur mein belan laga diya.
Bhabhi' tumhe tau bas yahi sujhta rehta hai'.
maine unki bur se belan kheench ker kaha' chalo jaldi utho, warna mama mami aa jaayenge tau kya kahenge. Rat tau khub maza liya, kucchh mujhe bhi tau batao kya kiya?
Bhabhi- bad mein bataoongi ki kya kiya' keh ker kapde pehanne lagi tau mein mamiji ko uthane chali gayi.
mami bhi mast chut khole padi thi.maine unki choochiyon per hath rakh ker unhe hilaya aur uthaya aur kaha ' mami yeh tum kaise padi ho koi dekhega tau kya sochega.'
Woh jaldi se uthi aur kapde pehanne lagi, phir mere sath hi baher nikal gayi.
Mama ulte munh kiye so rahe the aur udhar vishwanathji bhi mama ke paas hi pade hue the.Aisa maloom hota tha mano raat ko kuchh hua hi nahi tha.Sab log uth ker pharig hue aur kahan banya aur khana khya. Khana khate hue vishwanathji kabhi mujhe aur kabhi bahbhi ko ghoor ker dekh rahe the.
mein boli' bhabhi vishwanathji aise dekh rahe hain ki mano abhi phir se tumhe chod denge'
Bhabhi- mujhe bhi aisa hi lag raha hai batao ab kya kiya jaaye.
mai boli-' kiya kya jaaye, chup raho, chudwao aur maza lo'
Bhabhi- tumhe tau har waqt chudai ke siwaye aur kuchh sujhta hi nahi hai
mai boli- acchha ban tau aisi sharifjaadi rahi hi jaise kabhi chudwaya hi nahi ho, char dinon se lawdon ka peechha hi nahi chhod rahi aur yahan apni sharafat ki maa chuda rahi ho.'
Bhabhi- ab bas bhi karo , maine galti ki jo tumhare samne munh khola. chup karo nahi tau koi sun lega.
Aur is tarah hamari nonk-jhon khatam hui.

and what happened after this ?
coming very soon part -3 of it
small part of it


agle din hamari mamiji ne kaha ki unke peehar ke yahan se bulawa aaya hai aur woh do din ke liye wahan jana chahti hain. Is per mamaji bole bhai main tau kafi thaka hua hoon aur wahan jaane ki meri koi ichha nahi hai. Vishwanathji tau jaise mauka hi talash ker rahe the mamiji ke sath jaane ka, [yah phir mami ko chadne ka chance paane ka kyonki kal ke din Vishwanathji mami ko chod nahi paaye the] turant hi bole koi baat nahi bhaisaheb, main hoon na, main le jaoonga bhabhijee ko unke mayke aur do din bita ker hum wahan se wapis yahan per aa jayenge. Vishwanthji ki yeh betabi dekh ker bhabhi aur main munh daba ker hans rahe the. Jaante the ki vishwanathji mauka paate hi mamiji ki chudai jaroor karenge. Aur sach poochho tau mamaiji bhi jaroor unse chudwana chah rahi hongi isliye ek baar bhi na-nukoor kiye bina turant hi man gayi.
Ab hamari mami aur vishwanathji ke jane ke baad hamare liye rasta ek dum saaf tha. Shaam ke waqt hum teeno yane mein, meri bhabhi aur hamare mamaji ghoomne nikle. Yane ki mela dekhne {aur mela dekhne ke bahane apni choochi gand aur choot masalwane} nikle.
and...........................
.........abki baar mamji ne bhi apni bahu aur bhanji ko choda aur maza liya











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj



























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