Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-10

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-10

उसने दरवाजे और खिद्लियाँ बंद की और नेहा की अलमारी को खोलकर कुछ ढूँढने की कोशिश करने लगा. उसने उसकी अलमारी में से दो तौलिये निकाल लिए. एक को उसने पलंग पर सर की तरफ बिछा दिया और दूसरी को पैरों की तरफ. जब मैंने उसे यह सब करते हुए देखा तो मैं समझ गयी कि आज रात का प्लान पिलानी में पढ़ रहे इंजिनियर का बनाया हुआ है. मैं सोच सोचकर ही उत्तेजित ही जा रही थी कि उसके मन में आखिर चल क्या रहा है? जब उसकी तय्यारी पूरी हो गईं तो वो मेरे पास आया और बोला, "जूही, यहाँ आओ. मैं तुम्हे किस करना चाहता हूँ और पूरा नंगा देखना चाहता हूँ"

उसकी एकदम स्पष्ट मांग सुनकर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. और उसने मेरे मुह और होंठों पर किस करना शुरू कर दिया. उसके चुम्बनों में एक तरह कि जल्दबाजी सी दिख रही थी. किस करते समय उसकी दोनों हथेलियों ने मेरे हिप्स को पीछे से पकड़ रखा था. मैं भी उसे किस करे जा रही थी और उसके हिप्स पर अपनी हथेलियाँ लगा लीं थी.

उसके किस अब मेरी गर्दन और कन्धों पर होने लगे थे और जैसे ही उसने मेरी छाती पर किस करना चाहा, मेरी टी शर्ट रास्ते में आ गयी."उतारो इसे..", वो बोला और टी शर्ट को उतार दिया.

मैंने अपने हाथ ऊपर कर लिए जिससे उसे टी शर्ट उतारने में दिक्कत न हो. और जैसे ही टी शर्ट उतारते समय मेरे मुह पर आयी उसने उसे वही रोक दिया. और अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट कर मेरे दोनों निप्पलस पर किस जड़ दिए.

मुझे बिजली का सा झटका लगा और जैसे कि मुझे हर बार कामुकता महसूस करने पर लगता था, जैसे कि मैं यही चाहती थी. रोहित मेरे स्तनों को बार बार चूमता रहा और मेरी दोनों निप्पलों को भी एक एक करके चूसता रहा.

मैं हॉट महसूस करने लगी थी। पर टी शर्ट मेरे सर में अभी भी फंसी हुयी थी जिससे मुझे थोडा असुविधाजनक लग रहा था सो मैंने उसे कहा, "रोहित, टी शर्ट पूरी उतार दो और फिर पूरी तरह से करो न,॥"
उसने टी शर्ट उतार दी, कमर से ऊपर मैं पूरी तरह से नंगी थी अब. टी शर्ट उतारने के बाद उसने मुझे पलंग के एक सिरे पर बिठा दिया. और बोला, "अब मैं तुम्हारे दोनों बूब्स को lick और suck करूँगा." मैं समझ पा रही थी की वो भी बहुत उत्तेजित हो चूका था. उसने टोवल के नीचे अंडर वेअर नहीं पहना हुआ था. उसका लिंग पूरी लम्बाई में खडा हो चूका था जो की उसके तौलिये में टेंट बना दे रहा था. मेरे से रहा नहीं गया और मैंने अपना सर उसकी गोदी में रख दिया और उसके लिंग के आकार और गर्माहट को महसूस करने लगी. मैंने अपने हाथों में उसके लिंग को लिया और सहलाया. मुझे ऐसा करते देख वो बोला ,"क्या तुम चाहती हो इसे?"

"हाँ....प्लीज़ !",मैंने कहा.

वो उठा और उठकर मेरे सामने खडा हो गया. मैंने धीरे से उसका तौलिया थोडा नीचे खिसकाया और उसके लिंग को अपने हाथों में ले लिया. वो गरम था और थरथरा रहा था. मैंने अपनी बायीं हथेली में उसे पकडा और बाहर की और खींच लिया. मैंने अपना चेहरा नीचे किया और उसके लिंग मुंड को किस कर दिया.

वो आर्श्चय से मुझे देख रहा था ..वो पूछने लगा, "क्या तुम मेरे लिंग को चूसना चाहती हो?"

मैंने कोई जवाब नहीं दिया. और उसका तौलिया खोल दिया और उसे नीचे गिरने दिया. रोहित मेरे सामने बिलकुल नंगा खडा था. मैंने बाएँ हथेली से उसके लिंग को पकड़ रखा था और दायीं हथेली से उसके टेस्टिस बाल्स को. और फिर धीरे से अपना मुह नीचे किया और उसके लिंग को अपने मुह में लिया.

मैंने उसके नमकीन प्री -कम को महसूस किया और अपनी जीभ लिंग मुंड पर फेरने लगी जो की मेरे मुह के अन्दर था. रोहित की हालत खराब थी....जिन्दगी में पहली बार उसका लिंग किसी लड़की ने मुह में लिया था. उसके मुह से आहे निकल रही थी जैसे जैसे की में उसके लिंग को चूसना शुरू कर रही थी. मैंने अपने मुह से उसके लिंग को अन्दर और बाहर करना शुरू कर दिया और उसके हाथों को मेरे स्तनों पर रख दिया. उसके हाथों ने मेरे स्तनों को पीछे से आकर जकड लिया क्यूंकि मैं तो उसकी और झुकी हुयी थी. मैं जल्दी जल्दी उसके लिंग को मेरे मुह में अन्दर बाहर करने लगी थी. और वो ऐसे तड़प रहा था और मुह से सिस्कारियां निकाल रहा था की मैं समझ गयी की उसे मजा आ रहा है. पर मैं उसके वीर्य को मेरे मुह में न निकाल कर मेरी पूसी में चाहती थी, इसलिए मैं रुकी और उससे बोली, "मेरी पूसी में निकाल लो...!"

उसने मुझे बिस्तर पर से खडा किया और बोला, "अपनी स्कर्ट उतार दो." मैंने अपनी स्कर्ट खोल दी और उसे फर्श अपर गिर जाने दिया. वो थोडा पीछे हटा और मुझे पूरा नंगा देखने लगा, उसे इस तरह घूर कर देखने के कारण मुझे शर्म सी आ गयी और मैंने अपनी एक हथेली अपनी पूसी को ढकने के लिए लगा दी.

फिर उसने मुझे लिया दिया. और अपनी उँगलियों से मेरे स्तनों को छूने लगा. और फिर जब उसने मेरे स्तनों को चूमना शुरू किया तो उसकी उंगलियाँ मेरी पूसी की दरार पर पहुँच गयी और मुझे परेशान करने लगीं. न तो वो उनको अन्दर डाल रहा था और न ही पूरी तरह से बाहर थीं. मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोली, "मेरे पूसी लिप्स को फैला दो और ऊँगली अन्दर करदो."

पर उसने वैसा कुछ भी नहीं किया. उसने अपनी पोजीशन चेंज की और मेरी पूसी लिप्स को किस करने लगा. और फिर अपनी जीभ से मेरी क्लिटोरिस को flick करने लगा. मैं सेक्स उन्माद से पागल हुए जा रही थी और मेरे अन्दर तीव्र इच्छाएं जन्म ले रही थीं. वो थोडा सा झुका और मेरी दोनों टाँगे अपने दोनों कन्धों पर रख लीं और फिर अपनी दोनों हथेलियाँ मेरे हिप्स के नीचे लाकर उन्हें अपने मुह की ओर उठा दिया.मैंने अचरज में थी और बोली, "यह क्या कर रहे हो रोहित ?"

वो कुछ नहीं बोला , बस उसकी जीभ चले जा रही थी. मेरे हिप्स हवा में उठे हुए थे और मेरी पूसी की दरार फ़ैल कर खुल गयी थी. वो अपनी जीभ से लगातार मेरी क्लिटोरिस पर चोट किये जा रहा था. मैं उस असीम ख़ुशी के मारे चिल्ला रही थी जो मेरे दिमाग से मेरी पूसी तक हलचल मचा रही थी. मेरे मुह से "आह माँ , रुको...नहीं.." बस यही सब निकले जा रहा था. और मुझे दो मिनट से जायदा समय नहीं लगा मेरी ओर्गास्म तक पहुँचने में. मैं ओर्गास्म होते ही कंपकंपा गयी और एक आनंद की लहर मेरे शारीर में दौड़ गयी.

पर वो चालू रहा. एक के बाद एक मेरे शरीर में कंपकंपाहट आती रही, मैं इधर से उधर अपने शरीर को हिलाती डुलाती रही और मेरे मुह से fuck me ....fuck me now...जैसे वर्ड निकल रहे थे.

उसके बाद वो उठा और मेरे पैर फैला दिए. और मेरी जाँघों के बीच आ गया और बोला, "लो ...मेरे लिंग को पकडो और अपने आप ही अन्दर डाल लो.."

मैं तो बस इसी के इन्तजार में थी. मैंने उसके एकदम सख्त लिंग को अपने दायें हाथ से पकडा और बाएँ हाथ की उँगलियों से मेरी पूसी लिप्स को फैलाकर खोला और उसके लिंग को मेरी पूसी के छेद के और नजदीक ले आयी.

उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर के इर्द गिर्द रख दिए और अपने लिंग को मेरी खुली हुयी पूसी के ऊपर किया.
और जैसे ही उसके लिंग के अगर भाग ने मेरी पूसी के छेद को छुआ मैं बोली, "डाल दो..जल्दी.."

उसने एक जोर का धक्का दिया और एक ही बार में पूरा लिंग अन्दर डाल दिया. उसका मुह अन्दर जाते हुए लिंग के द्वारा उत्पन्न आनंद से खुल गया था और मैं सांस लेने लगी.और फिर उसने कभी हलके तो कभी जोर के झटके देने शुरू कर दिए. कभी वो लिंग को घुमाता हुआ अन्दर डालता तो कभी गहराई तक अन्दर डाल देता था. मेरी सिस्कारियां उसे और उत्तेजित कर रही थी और वो अपनी स्पीड बड़ा रहा था, वो जल्दी जल्दी अपने लिंग को मेरी पूसी से अन्दर और बाहर करे जा रहा था. मैंने भी अपने हिप्स हवा में और ऊपर कर लेती थी जब वो नीचे की ओर धक्का लगा रहा होता था. और फिर ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, मुझे अचानक एक के बाद एक दो बार ओर्गास्म हो गया. मेरी पूसी इनती संवेदनशील हो गयी थी की जरा सा भी स्पर्श बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और अगर स्पर्श होता था तो ओर्गास्म हुए जा रहा था. मेरी हालत खराब थी.

उसके टेस्टिस मेरी आस पर बार बार टकरा रहे थे. वो अपने धक्कों में चालू था...धप धप की आवाज माहोल को और सेक्सी बना रही थीं, और जैसे ही फटने वाला था उसने अपना सारा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और सारा वीर्य मेरी योनी में अन्दर निकाल दिया. उसके वीर्य के निकलने का वेग इतना तेज था की महसूस हुआ की कहीं मुह से बाहर ना आ जाए...(just joking).

वो थोडी देर मेरे ऊपर लेता रहा. उसके बाद उसने अपने ढीले ढाले लिंग को बाहर निकाल लिया. उसके हटते ही मैंने अपने पैर पलंग पर सीधे फैलाकर उन्हें आराm की मुद्रा में कर लिया. मैं देख पा रही थी की अभी भी उसका लिंग सांस सी ले रहा था जैसे की अभी भी उसमे निकलने के लिए कुछ बचा है.

पर शायद हम दोनों ही अभी भी एक दुसरे को फिर से चाहने के लिए तैयार थे. मैंने उसके लिंग को पकडा और उसे प्यार से सहलाने लगी, उसकी खाल को आगे पीछे करने लगी.
वो बड़ा अजीब था...करीब बीस मिनट बाद उसका लिंग फिर से उत्तेजित होने लगा. जब मेने देखा की वो उत्तेजना में आ चूका है तो मैं अपने आप ही फर्श पर बिछी चटाई पर आकर डोगी स्टाइल में हो गयी. वो मेरे पीछे की ओर आया और अपना लिंग मेरी फैली हुयी पूसी पर लगा दिया. और धीरे से अन्दर डाल दिया, अब वो मुझे पीछे से fuck कर रहा था. और करीब बीस पचीस बार अन्दर बाहर करने पर मुझे ओर्गास्म हो गया और मैं चटाई पर गिर पड़ी मेरी जांघें और टांगें, दोनों कांप रहे थे. पर रोहित? उसका अभी नहीं निकला था. अभी अभी ejaculation होके चूका था , शायद इसलिए इतनी जल्दी शायद नहीं निकल पाता.

कुछ देर में उसने मुझे खडा किया, पर उसके सहारे के बिना मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी. इतनी बात ओर्गास्म होने के बाद मैं बड़ी कमजोरी महसूस कर रही थी.मेरे शरीर पर मेरे पसीने के अलावा रोहित का भी पसीना था. उसने मुझे गोदी में उठाया और टेबल पर रख दिया. फिर उसने मेरे दोनों हाथ मेरे पीछे की ओर रखवा दिए जिससे कि मैं पीछे कि ओर न गिर पडूं. और फिर मेरी टाँगे उठाकर अपने कन्धों पर रख दी. उसके बाद अपने लिंग को मेरी पूसी पर फिर से रखा और एक झटके में उसे फिर से अन्दर डाल दिया. उसने जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करना शुरू किया और मैं आनंद के मारे उछलती रही. वो इस पोजीशन में काफी अन्दर तक मेरी पूसी में जा पा रहा था.

और लगभग तीस चालीस धक्कों के बाद, शायद वो इस पोजीशन से ऊब गया और मुझमे लिंग अन्दर डाले हुए ही वो चटाई पर लेट गया और मैं उसके ऊपर थी. मैं समझ गयी कि मुझे क्या करना था. मैंने उसके लिंग के ऊपर अपने को ऊपर नीचे करना शुरू किया. बहुत ही अलग अनुभव था. जैसे ही उसका लिंग मेरे पूसी लिप्स को छूता मेरी उसे अन्दर डालने कि इच्छा बाद जाती और मैं अपने शरीर को नीचे कि ओर दबाती तो उसका लिंग मेरी योनी कि दीवारों से रगड़ खता हुआ अन्दर तक चला जाता, उसका लिंग इतना कदा हो रहा था कि मैं उसके कड़कपन को मेरी योनी में भी महसूस कर रही थी.
मैं अब उसके लिंग पर ऊपर नीचे होते हुए अपने को उछाल रही थी और वो मेरे स्तनों को पकडे हुए उन्हें मसल रहा था. मुझे लग रहा था कि अगर कुछ देर ऐसे ही चला तो मुझे फिर से ओर्गास्म हो सकता है. तभी उसने अपने मुह से मेरा नाम लेना शुरू कर दिया," ओह जूही...आह जूही...", और उसका वीर्य निकल गया. "आह जूही....i love u juhi..", वो बोले जा रहा था.

मैं उसके ऊपर गिर पड़ी. और हमारी साँसे तेज तेज चल रही थीं. कुछ देर शांत लेटने के बाद हम दोनों एक दुसरे से अलग हो गए. अब मुझे वास्तव में बहुत जोर की शुशु लग रही थी, वो भी इतनी जोर की, कि मैं उठकर बाथरूम की ओर गयी और दरवाजे के अन्दर पहुंची ही थी की अपना कण्ट्रोल छोड़ बैठी और खड़े खड़े ही मेरी पूसी से धार निकल पड़ी. और जब तक मैं बैठी तब तक तो मेरी पूसी से बहुत तेज धार के शुशु बाथरूम के फर्श पर गिर रही थी. और रोहित बाहर से यह सब देखकर हंस हंस कर लोटपोट हो रहा था.

फिर हम लोग पलंग पर आ कर लेट गए थे. बहुत रात हो चुकी थी और तेज नींद आ रही थी. हम लोग सो गए. और सोते ही रहे. जब हम सोकर उठे तो सुबह के नौ बजे थे. जागने के बावजूद हम लोग लेते ही रहे. मेरी जाघों के बीच अजीब सा लग रहा था. पर इस अजीबपन को पाने के लिए मैं अपनी हर खुसी त्याग सकती थी पर अपने कजिन भाई रोहित को नहीं..!!!

आखिर वही तो था जिसने मेरे अन्दर छिपी औरत को जगा दिया था. उसने ही मुझे शारीरिक सुख का असली मतलब समझाया था.

हम ११ बजे तक लेटे ही रहे. उसने मुझे सुझाव दिया की वो मुझे पिलानी भी बुलाएगा और मैं उसके हॉस्टल पर भी रुक सकती हूँ. फिर वो तैयार हुआ और बोला, "मैं अब तुम्हारे घर जा रहा हूँ, तुम शाम तक घर पहुँच ही जाना. फिर देखते हैं की वहां कोई मौका मिलता है या नहीं ? बस तुम मना मत करना और न ही शर्माना."

मैं कुछ न बोल पायी और वो चला गया. मैंने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.








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