Thursday, May 27, 2010

बदले की आग (भाग - 1

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बदले की आग- (भाग - 1 )
नहीं पिताजी ऐसी तो कोई बात नहीं. यहाँ किसी से इत'नी अभी जान पहचान भी नहीं हुई है. यहाँ सारा माहॉल कुच्छ नया नया लग'ता है. अभी 4 साल पह'ले ही मैं पहली बार इंग्लेंड गया था. उस'के बाद अभी अपने देश भारत में आना हुआ. आते ही अप'ने पूराने दोस्तों में ऐसे रम गया जैसे की यह कल की ही बात हो. यह तो पिताजी ने बहुत ज़ोर दिया तब मैं इस पार्टी में आ गया, नहीं तो मैं अप'ने कॉलेज के दोस्तों में ही सारा समय व्यतीत कर'ता था.

अच्च्छा कोई दोस्त बनाया की नहीं? चलो मैं तुम्हें अप'ने दोस्त के परिवार से मिलाता हून. मैं उन के पीच्चे चल परा. उन्हों'ने अप'ने दोस्त से मेरा परिच'य कराया.

बेटा यह अंकल यशपाल हैं और यह आंटी रागिनी हैं, इन की बीवी. अंकल और आंटी बऱे तपाक से मिले और फिर अंकल'ने आवाज़ दी..

कामिनी बेटी ज़रा इधर तो आओ. वह धीमी चाल से चलती हुई आई और मुझ पर एक नज़र डाल कर अप'ने चाचा की तरफ मुर कर देखा.

क्या बात है, चाचा आप'ने मुझे क्यों आवाज़ दी?

बेटा मैं तुम्हें अप'ने पुरा'ने दोस्त और इन के बेटे से मिलाना चाह'ता हून. उस'ने पिताजी और मुझे सलाम किया. फिर वापिस अप'ने दोस्तों की तरफ जेया'ने लगी तो अंकल'ने उसे कहा की,

Bएटी विशाल को अप'ने दोस्तों से मिलाओ और इन्हें कंपनी दो. मैने दिल में अंकल को दुआ दी. 'काश कुच्छ और भी माँग'ता तो मिल जाता आज'. वा मुझे अप'ने दोस्तों से मिला'ने ले गयी. उस के दोस्तों'ने मुझे बहुत पसंद किया. फिर हँसी मज़ाक होने लगा. उधर पता नहीं अंकल और पिताजी में क्या बातें होने लगी थी. वा हम दोनों को देख'ते और मुस्करा देते. वा तो घर वापिस आ के पता चला की पिताजी और अंकल'ने हमारा रिश्ता पक्का कर दिया है. , क्योंकि मुझे वापिस भी इंग्लेंड जाना था.

हमारी शादी अग'ले सप्ताह होनी थी. फिर शादी भी हो गयी. सुहाग रात आई. ( जहाँ से मेरी बदक़िस्मती शुरू हुई ) जब मैं कम'रे में आया तो वह बिस्तर पर बैठी थी. मैं दिल में अरमान लिए उस'के पास पाहूंचा और हमारे बीच 'हेलो हा'य' हुई और मैने उस'का घून्घट उठाया, वाउ! क्या नज़ारा था? जैसे आस'मान का चाँद ज़मीन पर उतर आया हो. मैने उसे मूँ'ह देखाई में एक सोने का सेट दिया जो की उसे बहुत पसंद आया.

उस'ने शुक्रिया के साथ सेट ले लिया और फिर हम बातें कर'ने लगे और साथ साथ मैं उस'के बदन पर हाथ फेर'ता रहा जिस'से वह गरम होने लगी. मैने उस'का चेह'रा अप'ने हाथों में ले कर उस'के होठोन पर एक चुंबन लिया और साथ ही अपनी जीभ उस'के मूँ'ह में घुसा दी. वा मेरी जीभ चूस'ने लगी. मेरे हाथ उस'की चूचियाँ पर चल'ने लगे और मैने उस'की चूचियाँ को दबाना शुरू कर दिया जिस'से उस'ने हल्की सी सिसकी ली..

मैने साथ ही उस'के कप'रे उतार'ने शुरू कर दिए. जब मैने उस'की कमीज़ उतारी तो पागल सा हो गया. उस'का कोरा बदन देख के, क्या बदन था? गोरा और उस'ने काली ब्रासियर पहनी हुई थी. मैने उसे उतार'ने में वक़्त नहीं लगाया और क्या नज़ारा था? उस'के 36 आकार के मुममें मेरे हाथों में थे. क्या मुममें थे. गुलाबी चूचुक और बऱे अंगूर के बराबर चूचुक का आकार था. देख'ते ही चूम'ने और चाट'ने का दिल कर रहा था. मैने वाक़त बर्बाद नहीं किया. उस'के चूचुकों को चूसना शुरू कर दिया जिस'से वह मस्त हो गयी. आहें भर'ने लगी.

ओह... ओह.... विशाल क्या कर रहे हो बहुत मज़ा आ रहा है. चूसो, काटो. चूसो, यह सब तुम्हारा है. विशाल. ऊईइ.... ओह.. और मैं वहाँ पर ही नहीं रुका मेरा हाथ बल्कि अब उस'की छूट पर पाहूंछ चुका था. वाउ! क्या चूत थी. बिल्कुल सॉफ एक भी बॉल नहीं था. जब मैने अंगुली उस'की चूत के होठों पर घुमाई तो वह सिस'कारी लेने लगी.

उः... विशाल ! मत छेऱो ना. मैने उस'की चूत के होठोन को दो अंगुलियों से खोला और मेरी बीच की अंगुल उस'के भगोष्ट पर फिरानी शुरू कर डी जिस'से वह और मस्त हो गयी. मुझ से कह'ने लगी.

विशाल डार्लिंग. क्या कर दिया है? तुम'ने मेरे सारे जिस्म में गरमी भर दी है.. मैने कहा की,

फिकर मत करो वह गरमी मैं ही निकालूँगा डार्लिंग! और मैने उस'की चूचियाँ को छोऱ कर उस'की चूत की तरफ जाना शुरू किया. बीच में उस'का पेट आया, जिस'को चाँद चुंबन दे के मेरे होत उस'की चूत पर पहूच गये. फिर क्या था? मैने ना आव देखा ना ताव. दोनों हाथों से उस'की चूत के होठोन को एक दूसरे से अलग किया. मेरी ज़ुबान से उस'की चूत को चाट्न शुरू किया. साथ ही उस'की सिसकियों का दौर शुरू हुआ.

विशाल क्या कर रहे हो? बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊईइ.... ओह.. और चूसो. विशाल मैं तुम्हें बहुत प्यार कर'ती हून.. चूसो, मैं पागल की तरह उस'की चूत चाट रहा था. चूत पर चुंबन देने लगा, क्या मज़ा था? फिर क्या था? कुच्छ की वाक़त में वह झऱ'ने लगी..

विशाल मैं झऱ रही हून. उस'ने मेरा सिर अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया. मुझे साँस लेने में मुश्'किल हो रही थी. वह अप'नी ही मस्ती में थी. मैं भी रुका नहीं और वह एक गहरी कराह के साथ ही स्खलित हो गयी. उस'का हाथ मेरे सिर पर ढीला पऱ तो मैने फॉरन अपना सिर वहाँ से हटाया और एक गहरी साँस ली. वा कुच्छ देर तक मस्ती में ही रही. मैने वाक़त नहीं बार'बाद कर'ते हुए अप'ने सारे कप'रे उतार दिए. मैं पूरी तरह नंगा हो गया. जब उस'की नज़र मेरे 9 ½ आकार के लौऱे पर पऱी तो उस'की आँखें खुल गयी. जब वह शॉक से बाहर निकली तो सिर्फ़ इतना ही बोल पाई.

क्या यह लंड किसी गढ़े या घोरे का है. इतना बरा, मेरी चूत तो आज फॅट जाएगी. क्या इतना बऱ मेरी चूत में घुस जाएगा? नहीं यह बहुत बऱ है नहीं बाबा यह तो मेरी चूत में बिल्कुल नहीं जाएगा. मैने कहा की,

फिकर मत करो मैं घुसा लूँगा और तुम्हारी छूट इसे पूरा अप'ने अंदर ले भी लेगी.

विशाल यह अगर मेरे अंदर गया तो मैं तो मर जवँगी. इतना बऱ, हे भगवान मेरी रख्श करो! मेरी चूत का क्या होगा? मैने कहा की,

फिकर क्यों करती हो? मैं बहुत आराम से करूँगा. तुम्हें पता भी नहीं चलेगा. अभी तो तुम मेरे लौऱे को चूसो. इसे तैयार करो, फिर देखना यह कैसे तुम्हारी चूत की चुदाई करता है. मैने अपना लंड उस'के मूँ'ह में दिया. लेकिन मेरा लुन्ड बहुत बऱ था. उसे तकलीफ़ हुई, शुरू में. पर फिर उस'ने तकरीबन आधा लंड मून'ह में ले लिया और उसे चूस'ने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. क्या चूस'ती थी. कभी वह मेरे लौऱे को मूँ'ह से बाहर निकाल'ती और उस पर ज़ुबान फेर'ती और फिर मून'ह में ले लेती. कुच्छ देर के बाद मैने उस'के मून'ह से लंड बाहर निकाला और उस'को बिस्तर पर लिट दिया. मैने साइड तबले से सरसों का तेल लिया और कुच्छ अप'ने लौऱे पर और कुच्छ उस'की चूत पर लगाया और जब मैने अप'ना लंड उस'की चूत पर रगड़ा तो उस'ने सिस'कारी ली..

विशाल शाबास ! बहुत आराम से करना, तुम्हारा बहुत बऱ है. मेरी चूत नन्ही मुनी सी है.

फिकर मत करो कामिनी डार्लिंग और मैने अप'ने लौऱे का सिर उस'की चूत के होठोन में पहंसा के आहिस्ता आहिस्ता दबाव डालना शुरू किया. जैसे ही मेरा लंड का टोपा अंदर हुआ उस'की चीख निकल गयी. वह तो अच्च्छा हुआ की मेरा कमरा ऊपर था. वरना सब ही जमा हो जाते की क्या हो गया है. मैने उसे तस्सल्ली डी की,

बस कामिनी डार्लिंग सबर से काम लो, अब चीख नहीं मार'ना. मैने इस'के साथ ही ज़रा सा और दबाव दिया. उस'की एक और चीख निकल गयी. मैने फॉरन उस'के मूँ'ह पर हाथ रख दिया. साथ ही लंड उस'की चूत में घुसाना शुरू कर दिया. वह मेरे नीचे तऱप रही थी. पर मैने सोचा की विशाल बेटा अब पूरा घुसा के ही दम लेना वरना यह फिर काबू में नहीं आएगी. मैने कुछेक ज़ोर दार झटके मारे जिस'से मेरा लंड अब तकरीबन पूरा उस की चूत में घुस चुका था.

मैने उस'की आँखों में आँसू देखे. मुझे तरस भी आया पर क्या करता लंड तो घुसाना था. जब मैने लंड ज़रा सा उस'की चूत से बाहर निकाला और फिर एक ज़ोरदार झट्क मारा तो वह मेरे नीचे तऱप'ने लगी. वा सिर को दाएँ बाएँ घुमा रही थी. दर्द के मारे उस'की जान निकल रही थी. मेरा पूरा लंड अब उस'की चूत में घुस चुका था. मैने उसे अंदर ही रह'ने दिया. जब 5 मिनिट के बाद वह शांत हो गयी तो मैने उस'के मूँ'ह से हाथ हटा लिया.. उस'ने जो पहला लफाज़ कहा वह था.

तुम बहुत ज़ालिम हो विशाल. तुम'ने मेरी चूत का सत्या नास कर दिया है. मेरी चूत तो फट गयी हो जी. आह्ह्ह क्या दर्द हो रहा है. मैं तो समझी की मैं मर जवँगी. मैने उसे कहा की,

कामिनी डार्लिंग बस जो होना था हो गया. अब तुम्हें दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा ही आएगा और मैने उस'के होठोन पर चुंबन की बार'सात शुरू कर दी. साथ ही साथ उस'की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया जिस'से उसे मज़ा आ'ने लगा और उस'की सिस'कारियाँ निकल'ने लगी..

हम और जब वह फिर से गरम हो गयी तो मैने आहिस्ता से लंड बाहर निकाला लेकिन टोपा अंदर ही रह'ने दिया. फिर आहिस्ता से उस'की चूत में अंदर तेल दिया. उस'ने हल्की सी दर्द में डूबी सिस'कारी ली. मैं यह अमल कुछ देर तक करता रहा. अब मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. कुच्छेक मिनिट के बाद उसे भी मज़ा आ'ने लगा. उस'ने अप'ने होठों को मेरे होठों पर कस के लगा लिया की जैसे यह अब अलग नहीं हो. जब मैने उस'की चूत मार'ना शुरू किया तो वह अब मस्ती भारी सिस'कारियाँ ले रही थी.

ओउउउउउइ. विशाल और चोदो मेरी चूत का कचूमर निकाल दो. आह क्या लंड पाया है तुम ने. विशाल बहुत मज़ा एयेए रहा है.. विशाल मेरी चूत पर रहम नहीं करना. इसे इतना चोदो की इस की प्यास बुझ जाए. चोदो. ऊईइ.... ओह.. और मैने तेज गति से उस'की चूत चोदना शुरू कर डी जिस'से उसे और भी मज़ा आ'ने लगा और उस'की सिस'कारियाँ और भी तेज़ हो गयी थी.

विशाल मेरे पति देव, मेरे यार, मेरे सब कुछ तुम्ही हो. मेरी चूत रोज ऐसे ही चोद'ना. मेरा सारा बदन तुम्हारा है. तुम इसे जैसे चाहो इस्तेमाल करना. उः.. विशाल मैं झऱ'ने वाली हून. शाबास ! रुकना नहीं, बस चोद'ते रहो. आह आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो और फिर उस'ने अपनी टाँगों को मेरी कमर पर कस लिया.. वा झऱ'ने लगी और फिर वह शांत हो गयी. लेकिन मैं भी झऱ'ने वाला था. कुच्छ झटकों के बाद मैने कहा की ,

आआआ... कामिनी मेरी डार्लिंग. मैं झऱ'ने वाला हून. मैं तुम्हारी चूत में ही झऱून्ग. क्या तुम मेरा वीर्य अपनी इस चूत में भर लो जी. हा'य मेरी रानी! और मैने एक गहरा झट्क दिया. लंड उस'की चूत में आख़िर तक घुसेऱ कर पूरा वीर्य उस'की चूत में छोऱ दिया. फिर उस'के जिस्म पर गिर गया. क्या मज़ा आया था? संकरी चूत का मज़ा ही कुच्छ और होता है. 10 मिनिट के बाद जब मैने अपना लंड उस'की चूत से निकाला तो पहला झट'का मुझे वहाँ ही लगा.

मेरे लौऱे पर सिरफ़ वीर्य था. उस'के खून का कहीं नामो निशान नहीं था. तो क्या यह कुँवारी चूत नहीं थी. हन जब मेरा लंड उस'की चूत में जा रहा था तो किसी चीज़'ने उसे रोका नहीं, सिर्फ़ चूत संकरी थी. लेकिन सील नहीं थी. खून भी नहीं है. क्या मेरे साथ फिर वह ही हुआ है. जो कुच्छ साल पहले हुआ था जब मैने जूली नाम की एक विलायती लऱ'की को चोदा था. वा भी कुँवारी नहीं थी. अब मेरी बीवी, श गोद! मैने कामिनी से कहा,

कामिनी, तुम कुँवारी नहीं हो क्या? तुम्हारी ज़िंद'जी में कोई और भी आया था तो प्लीज़ बता दो. आज हमारी ज़िंद'जी की शुरुआत है. मैं तुम से कुच्छ नहीं छुपऊन्गा ना तुम कुच्छ छुपाना. आज सच सच बता दो. लेकिन वह कहाँ मान'ने वाली थी. वा रो'ने लगी. यह ही कहती रही की मैं कुँवारी ही हून. मैने कुच्छ नहीं कहा. मैने कहा की,

मैने तुम्हारी बात को मान लिया.. मैने देखा की उस'की आँखों में मगरमच्छ के आँसू हैं. लेकिन मैने सोच रखा था की अगर वह कुँवारी नहीं भी है तो क्या हुआ. अगर मुझे सच बोल दे'जी तो मैं उसे माफ़ कर दूँगा पर वह झूट पर झूट बोलती जा रही थी. जिस का मुझे बहुत गुस्सा था. लेकिन मैने जाहिर नहीं होने दिया. मैने उसे बाहों में ले कर चूमना शुरू कर दिया. वा भी समझी के मैं उस'के झाँसे में आ गया. मैने सोचा की चलो मैं कौन सा कुँवारा था. भूल जाओ बेट विशाल और नई ज़िंद'जी की शुरुवत करो और उस रात मैने उसे 4 बार चोदा.

आग'ले दिन पिताजी'ने कहा की वह वापिस इंग्लेंड जा रहे हैं और क्योंकि मेरी 2 महीने की छुट्टी है तो मैं बाद में आ जौन. मैने उन्हें एर पोर्ट पर छोड और वापिस घर आ गया. कामिनी मेरा इंत'ज़ार कर रही थी. हम'ने खाना खाया और फिर चुदाई शुरू हो गयी. हम'ने ना दिन देखा और ना रात, बस चुदाई कर'ते रहे. फिर एक दिन क्या हुआ उस'के चाचा'ने हमें डिन्नर पर बुलाया. हम जब वहाँ पाहूंचे तो उन सब'ने हमारा शानदार इस्तक्बाल किया. उस'की दो चचेरी बहनें थी और एक चचेरा भाई भी. अंकल ज़्यादा उमर के थे. आंटी बहुत खूबसूरत और सेक्सी थी. लगता नहीं था की 3 बच्चों की मा है.

दोनों चचेरी बहनें तो क्या माल थी. देख'ते ही लौऱे में हरकत शुरू हो गयी. पर मैने काबू पा लिया.. लौऱे पर और थपकी दे'कर सुला दिया की बेट अब सब मा बहन है. जब हम सब का परिचा'य हुआ तो पता चला के एक चचेरी बहन की शादी हो चुकी है. एक बच्चा भी है, 3 महीने का. दूसरी छ्छो'ती वाली अभी कुँवारी है. भाई शाब जो है वह जॉब कर'ते हैं और अभी शादी नहीं हुई है. हम सब खाना खा चुके तो सब टीवी लौंगे में आ गये. कॉफी वहाँ ही माँगा ली. कुच्छ देर बाद कामिनी अपनी चचेरी बहनों के साथ उन की मदद कर'ने चली गयी. फिर कौशल उस'का चचेरा भाई, वह भी कुच्छ काम का बहाना कर के चला गया. अब मैं अंकल और आंटी ही रह गये.

हम बातें कर'ने लगे, मुझे टाय्लेट जाना था. मैने अंकल से एक्सक्यूस किया. टाय्लेट का रास्ता पूचछा जो की साथ ही था. टीवी लौंगे से बाहर निकल के दूसरा दर'वाजे में टाय्लेट के लिए चल दिया. जब मैं टाय्लेट से फारिग हो के बाहर आया तो मुझे बगल के कम'रे में कुच्छ बताओं की आवाज़ आई. मैने गौर किया तो वह कामिनी और कौशल की आवाज़ें थी जो की बहुत ही धीमी आवाज़ में बातें कर रहे थे. मैने सोचा की पता नहीं क्या बातें हो रही हैं और वक़्त भी बहुत हो गया है. मैने सोचा कामिनी से कह कर अंकल से घर जेया'ने की इजाज़त लेते हैं और मैने आहिस्ता से जब दरवाज़ा खोला तो क्या देखता हून की कामिनी कौशल की बाँहों में थी. कौशल उस'पर चुंबन की बार'सात कर रहा है. मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन निकल'ती जा रही थी. मैने दर'वाजे को थोऱ सा खुला किया और अंदर का नज़ारा देख'ने लगा.

भाग 2 का इन्त'ज़ार करें.
























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