Monday, May 24, 2010

कामुक कहानिया एक गाँव की कहानी--8 last

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एक गाँव की कहानी - पार्ट 08 एंड
आशा(आशा ने देखा हरिया खिड़की से झाँक रहा है): "हां बापू बनूँगी मैं तेरे बच्चों की मया, मैं पलूंगी तेरे बच्चों को अपनी कोख में. अगर लड़का हुआ तो वो मुझे छोड़ेगा और लड़की होगी तो मैं उसे तुमसे छुड़वा दुन्गि.Mऐन वो सब कुच्छ करूँगी जो इश्स दुनिया की किसी भी बेटी या बहें ने नहीं किया होगा. आज से मैं तुम दोनो बाप भाई के लिए एक चुदाई की मशीन हूँ , तुम दोनों को जब जी चाहे मुझे इस्तेमाल कर सकते हो, दिन हो या रात हो, एक हो या सात हो, घर हो या बारात हो, कमरा हो या बाज़ार हो बस मुझे वहीं लिटा के मेरे चूत और गांद में अपना अपना लॉडा पेल दो और चोद डालो मुझे वहीं, तुम्हें मेरी मर्ज़ी पूछने की भी कोई ज़रूरत नहीं है. चाहे तो मुझसे लंड चुसवालो, चाहे तो मुझसे गांद चटवालो, चाहे तो मेरे मुँह में पेशाब कर लो या फिर मेरे मुँह अपनी गांद का हलवा डाल दो मुझे कोई फराक नहीं पड़ता, मुझे बस चुदाई चाहिए , आआहह हर दिन हर रात हर पल हर घड़ी."

यह कहते हुए आशा ने सुरिंदर के मुँह पे थूक दिया, यह देखकर सुरिंदर ने अपना मुँह खोल दिया. आशा उसका इशारा समझ गयी और उसने अपने बाप के मुँह के अंदर अपने मुँह का सारा माल थूक दिया. सुरिंदर आशा की सारी थूक गतक गया, फिर आशा ने अपने पसीने से भीगी हुई बगलों को सुरिंदर के मुँह के पास रख दिया, सुरिंदर तो पहले ही हवस से पागल हो चुका था और उसपे आशा के बगलों की पसीने की बदबू, वो पागलों की तरह उसे सूँघे जेया रहा था, उसके बगलों को छाते जा रहा था और अपनी बेटी की चूत को और टेक्स से छोड़े जेया रहा था.

इतना सब सुनके और देखके किसी नमार्द का लंड भी हवस से तंन जाता, हरिया तो फिर भी एक जवान हटता कटता नौजवान था. हरिया का लंड तो इतना तंन गया था के प्यज़ामे को फाड़ के बाहरा आ सकता था. हरिया को अंदर जाने का मॅन कर रहा था मगर अपने बापू के बारे में सोच के बहुत घबरा रहा था. वो अपने बाप से बहुत दरर्ता था और उनकी इज़्ज़त भी खूब करता था. इसीलिए वो अंदर जाने से कटरा रहा था, मगर इतना सब कुच्छ देखने और सुन ने के बाद उसे काग़ा के अब बापू से कोई ख़तरा नहीं है.

हरिया ने हिम्मत करके दरवाज़े को एक झटका दिया और कमरे का दरवाज़े खुल गया. सुरिंदर घबरा गया अपने बेटे को अपने सामने देखकर, वो जानता था के उसके बेटा उसकी बहुत इज़्ज़त करता है इसीलिए सुरिंदर को बहुत शरम महसूस हुई के वो अपने बेटे के सामने नंगा लेता है और इतना ही नहीं उसका लंड उसकी अपनी सग़ी बेटी की चूत में अंदर बाहर हो रहा है. सुरिंदर को लगा के जो कुच्छ भी इज़्ज़त हरिया के मॅन में उसके लिए थी आज के बाद ख़तम हो जाएगी.

आशा समझ गयी के बाप और बेटे के मॅन में क्या चल रहा है इसीलिए उसने पहल की और कहा :"भैया, देखो कैसे बापू मेरी चूत का भोसड़ा बना रहे हैं, मुझे बचलो भैया इश्स मदारचोड़ बाप से, मुझे बचा लो, मैं इनसे अपनी चूत नहीं मरवाना चाहती." मगर आशा ने अपनी चुदाई को बाँध नहीं किया, बल्कि अब तो वो और ज़ोर ज़ोर से छुड़वाने लगी.

हरिया को सब पता था के आशा ऐसा क्यूँ कह रही है, वो जानता था के आशा बापू और उसके बीच की दूरियाँ मिटाना चाहती थी.

हरिया(हिम्मत करके बोला): "यह क्या कर रहे हो बापू, तुम अपनी सग़ी बेटी को चोद रहे हो, तुम्हें ज़रा भी शरम नहीं आई, मैं तो तुम्हें कितना शरीफ समझता था और तुम इतने बेगैरत निकले, क्या तुमने लॉडा पेलने से पहले एक पल के लिए भी नहीं सोच के यह तुम्हारी अपनी बेटी की चूत है. मुझे नफ़रत है तुमसे बापू, मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी."

सुरिंदर(शरम से पानी पानी होता हुआ बोला): "हरिया, मैं जानता हूँ मुझसे ग़लती हुई है, मगर आशा ने खुद मुझे उकसाया था, मैं क्या करता , बस उसकी हरकतें ही ऐसी तीन के मैं उसकी तरफ खींचता चला गया."

हरिया (सख़्त आवाज़ में बोला): "अरे आशा तो फिर भी बच्ची है, चूत की प्यास के मारे उसने तुझे उकसाया होगा, मगर भद्वे सेयेल तुझे शरम नहीं आई के जिस चूत के लिए तुझे लंड ढूँढना था उसी चूत में तूने अपने लंड पेल दिया, मदर चोद कहीं का."

अपने ही बेटे के मुँह से अपने लिए गालियाँ सुनके सुरिंदर के लंड में और जोश आया और वो और तेज़ी से आशा की चूत में लंड मारने लगा.

सुरिंदर: "मुझे बड़ी बातें सुना रहा है बहेनचोड़ मगर सुबह से तूने जो आशा की चूत और गांद मार मार के फाड़ दी है उसका क्या, तुझे शरम नहीं आई अपनी ही सग़ी बहें की चूत में लंड पेलते हुए? अब तू मुझे समझा रहा है!!"

हरिया: " हां रे मैं जवान हूँ, चूत और गांद के स्वाद का प्यासा हूँ. जब गाओं में कोई औरत नहीं मिली छोड़ने के लिए तो अपनी बहें की चूत और गांद में मुँह मार दिया, मगर तू तो शहेर जाकर वहाँ की रंडियों को खूब छोड़ता है, तू क्यूँ अपनी बेटी की चूत में लंड घुसेड रहा है??"

आशा: "अरे अब तुम दोनो झगड़ा बंद करोगे या नहीं, तुम दोनो से मैने चुडवाया है और मैं इसकी ज़िम्मेदार हूँ. मुझे तुम दोनो का लॉडा चाहिए था और मैने वोही किया जो मेरी चूत ने कहा. अब सही है या ग़लत भगवान जाने, मगर मैं इतना जानती हूँ के भगवान ने हूमें यह चूत और लंड दिया है तो उसकी माँगें भी तो हमें ही पूरी करनी पड़ेंगी. सही है या ग़लत इसका फ़ैसला ऊपरवाला करेगा, हम तो बस चूत और लंड की आज्ञा का पालन कर सकते हैं."

सुरिंदर और हरिया को आशा की बात जाच गयी और दोनों ने मिलके आशा के होंठों को चूम लिया. सुरिंदर और हरिया को बहुत गर्व महसूस हो रहा था के उनकी इतनी कामुक और गंदी होने के बावजूद इतनी धार्मिक है.

हरिया: "आशा क्या मैं तुम्हारी गांद की पूजा कर सकता हूँ??"

आशा: "पूजा का क्या मतलब है तुम्हारा?"

हरिया: "दीदी क्या मैं तुम्हारी गांद को चूस सकता हूँ, चूस चूस के उसमें च्छूपा हुआ सारा माल निकालना चाहता हूँ, खाना चाहता हूँ??"

आशा : "लगता है बहुत जल्द मेरा गांद का हलवा निकालने वाला है, मगर क्या उसका स्वाद तुझे पसंद आएगा? कहीं तू उसके घिनोने स्वाद से मुँहकार तो नहीं जाएगा.??"

हरिया: "नहीं दीदी तुम्हारे जिस्म से निकली हुई कोई भी चीज़ गंदी या घिनोनी नहीं हो सकती. मैं खुद अपना मुँह तुम्हारी गांद के नीचे सेट करके बैठा हूँ. जल्दी से खिला दो अपनी गांद का हलवा..."

आशा: "तो पूछता क्यूँ है , मैं तो तेरी रांड़ हूँ, अगर तू मुझे चूड़ने को कहेगा तो मैं चुड जौंगी, तू मुझे मरवाने को कहेगा तो मैं मरवा लूँगी और अगर तू मुझे हॅगने को कहेगा तो मैं हॅग जौंगी."

हरिया आशा की गांद के पास जाकर बैठ गया और अपने होंठ आशा की गांद के च्छेद पे लगा के ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा . आशा की चूत नीचे अपने बाप से चुड रही थी और उसके ठीक ऊपर उसका भाई उसकी गांद चूस रहा था. इतना सुख आशा की गांद बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने अपने भाई के मुँह में एक डुआंडार पाध् छ्चोड़ दिया. वो पाध् सीधा हरिया की मुँह के अंदर चला गया और उसकी महक हरिया की नाक में घुस गया. इतनी बदबूदार पाध् थी आशा की कोई और होता तो उस कमरे से ही भाग जाता था , मगर जब हवस का भूत चढ़ता है तो जो चीज़ सबसे गंदी होती है वोही सबसे अच्छी लगती है और हरिया पर भी आशा की पाध् का ऐसा ही असर हुआ, उसकी तारक और बढ़ गयी और वो और ज़ोर ज़ोर से आशा की गांद चूसने लगा.

आशा: "आअहह चूस बहेंकेलौदे चूस अपनी चिनार बहें की गांद, खा ले मेरे पाढ़ों को, सूंघ ले मेरे गांद से निकली हुई हर बदबू का झोंका, आआअहह क्या मस्त चूस्ता है रे मेरे भद्वे भाई, आआहह ऐसे ही चूस्ता जेया चूस्ता जेया आआहह लगता है निकल रहा है, ऊओह आअहह आहह मुँह खोल , मुँह खोल मेरे भाई और खा ले अपनी बहें की गांद में दिनभर पका हुआ हलवा, ख़ासतौर पे तेरे लिए बनाया है खा ले....."

हरिया: "म्‍म्म्मममम आआहह आज मेरा सालों का सपना सच होने जेया रहा है, काब्से एक जवान लड़की का गू खाने को त्रास रहा था, आअज मेरा वो ख्वाब पूरा हो रहा है और वो भी मेरी बहें आशा की गांद का गू आआहह, इश्स दुनिया में मुझसे ज़्यादा खुशनसीब भाई नहीं हो सकता, उूउउम्म्म्मममममममम यह ले मुँह खोल के बैठा हूँ तेरी गांद के नीचे, चल जल्दी से हॅग दे और पूरा कर अपने भाई का सपना.."

और आख़िर वो हो ही गया, आशा की गांद में से पीली पीली एक प्यारी सी मुलायम सी लेंडी बाहर निकली और हरिया के मुँह में गिर गयी, हरिया उसे पूरा अपने मुँह के अंदर लिया और मुँह एक कोने में उसे लगा दिया , फिर और एक छ्होटी सा हलवे का टुकड़ा निकला और हरिया के मुँह में जेया गिरा, उस टुकड़े को भी हरिया ने संभाल कर अपने मुँह में एक कोने में छुपा दिया, इश्स तरह धीरे धीरे हरिया का मुँह आशा की गू से भर गया.
जब आशा ने हगना बंद कर दिया तो हरिया ने अब अपना मुँह चलना शुरू किया, आशा की गांद का हलवा का स्वाद धीरे धीरे उसे महसूस होने लगा, थोड़ी सी कड़वी थी, मगर बदबू ज़बरदस्त थि.उस्क कसैला स्वाद जब उसके ज़हन में चढ़ा तो वो अपना मुँह और ज़ोर ज़ोर से चलाने लगा और अपनी बहें की गू के स्वाद का मज़ा लेने लगा.

आशा: "क्या तू अकेला ही ख़ाता रहेगा, मुझे भी तोड़ा सा खिला ना, मैं अपनी ही गांद का हलवा तेरे मुँह से चखना चाहती हूँ, आ इधर आ मेरे पास और चुम्मि दे मुझे. मुझे अपने गू का स्वाद लेना है आजा मदारचोड़ खिला मुझे मेरी ही टट्टी."

हरिया उठकर आशा के पास गया और उसका मुँह में अपना मुँह घुसा दिया, दोनो कस के चुम्मा छाती कर रहे थे, हरिया अपने मुँह के अंदर का गू आशा के मुँह में डालने लगा और आशा भी खुशी खुशी उसके मुँह के अंदर क्ला गू अपने मुँह में चूसने लगी. कुच्छ देर ऐसे ही गू का आदान प्रदान हुआ, फिर आशा ने चुम्मि तोड़ी और कहा
"चल भैया अब और रहा नहीं जाता, लगा दे चल अपना मूसल मेरी गांद में, फाड़ दे मेरी गूस भारी गांद. छोड़े अपनी रंडी बहें की मतवाली गांद, मार दे मेरी गांद भैया, प्लीज़ मार दे मेरी गांद."

हरिया आशा के पीछे गया और उसकी गांद में अपना तन्ना हुआ गरम गरम लोहा घुसा दिया, गू के रस की वजह से आराम से हरिया का लॉडा आशा की गांद में चला गया. हरिया अपने मुँह में आशा का गू चबाते चबाते आशा की गांद मार रहा था.

सुरिंदर: "आशा मुझे भी तेरा गू का स्वाद चखना है, आ मेरे मुँह में थूक दे तेरे मुँह के अंदर का सारा माल, अपने मुँह से खिला दे मुझे अपनी गांद का हलवा. फिर देख और कस कस के छोड़ता हूँ तुझे. चखा दे मेरी प्यारी बिटिया, खिला दे मुझे अपना गू. यह देख मुँह खोल दिया है, डाल दे तेरी गांद का प्रषद."

तब आशा अपने मुँह में जो गू भरा हुआ था, वो अपने बापू के खुले मुँह में थूकती जेया रही थी, फिर अपना मुँह झुकाके सुरिंदर के मुँह में अपनी ज़बान घुसा कर देती है. सुरिंदर अपनी बेटी की ज़ुबान चूस चूस कर आशा की टट्टी का स्वाद लेते हुए नीचे से उसे जाम कर छोड़ने लगता है. उधर पीछे से हरिया अपनी बहें की जम्म कर गांद मार रहा था.

आशा :"क्या मैं स्वर्ग में हूँ, क्या ज़िंदगी इतनी खूबसूरत और्र मज़ेदार हो सकती है. मैं हर सोमवार शिवजी के मंदिर में जाके शिव लिंग को पकड़ कर दुआ मांगती थी के हे ईश्वर मेरी चूत के लिए भी के तगड़ा लिंग भेज दो, जो मेरी खूब रग़ाद रग़ाद कर चुदाई करे. और अब देखो ईश्वरने मेरी सुन ली, बलके एक नहीं दो दो लंड उसने मेरे लिए अपने ही भाई और बाप के रूप में भेज दिया. सच है उसके घर देर है अंधेर नहीं. वो जब भी देता है च्चप्पर फाड़ कर देता है. अब मैं भगवान के दिए इश्स वरदान को गाओं के हर मर्द को दूँगी, ताके उनकी भी प्रार्थना पूरी हो. ना जाने कितने लंड गाओं में चूत और गांद के लिए तरस रहे हैं. मैं उन सब के लंड की खुजली मिथौँगी. आअहह आअहह मैं झाड़ रही हूँ आअहह"

आशा एक ज़ोरदार चीख के साथ झाड़ गयी, और दोनो मर्दों ने भी अपना अपना पानी आशा के जिस्म में उडेल दिया.

और इश्स तरह आशा की ज़िंदगई हमेशा के लिए बदल चुकी थी.

आशा'स एपिसोड कम्ज़ टू एन एंड!!!!














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