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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-12
मेने अपने हिप्स ऊपर उठाये और उसने दोनों तरफ से पायजामे को पकडा और मेरे घुटनों तक खींच दिया और बोला, "अपनी टाँगे फैलाओ, मुझे तुम्हारी पूसी देखनी है", कहकर उसने मेरे घुटने पकडे और उन्हें साइड में फैलाने लगा पर मेरी पय्जामी मेरे घुटनों में फंसी होने के कारण ऐसा हो नहीं पा रहा था.
उसके बाद उसने मेरी जाँघों पर हाथ फेरना शुरू किया और मेरी पूसी लिप्स तक फेरने लगा. पर वो इस बात का पूरा ध्यान रख रहा था कि उसकी उंगलियाँ पूसी लिप्स के अन्दर जाने न पाएं. मैं तिलमिला कर रह जाती जब जब उसकी उंगलियाँ मेरी पूसी लिप्स पर से गुजरती..मन करना कि हाथ पकड़ कर उसकी उंगलियाँ जबरदस्ती अन्दर डलवा लूँ. "तुम अपनी कमीज उतार लो.", मैंने उसे कहा.
उसने तुंरत ही उसे उतार दिया. मैं उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में कराह रही थी. उसने मेरे हिप्स के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे कि मेरी टाँगे और खुल गयी और पूसी एकदम खुलकर उसके सामने आ गयी.उसके बाद वो नीचे झुककर मुझे फिरसे किस करने लगा. उसने मेरी अंदरूनी जाँघों को चूमना शुरू किया और मेरी पूसी कि तरफ बड़ा और बोला, "now I will eat your pussy!".
'कोई हमें देख लेगा...प्लीज मेरे ऊपर आकर मुझे छिपा लो।" मैंने उससे रेकुएस्ट की.
उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पूसी लिप्स को खोला और बोला, "लेटी रहो, और मुझे तुम्हारी छोटी सी इस क्लिट (क्लिटोरिस) को किस करने दो."
उसने अपनी जीभ से मेरी क्लिटोरिस को छूना शुरू कर दिया. मेरे मुह से बस उत्तेजनावश रुक रूककर आहें निकल रही थी. उसके बाद उसने मेरी खुली हुयी पूसी लिप्स के अन्दर अपनी जीभ लगा दी और वहां फेरने लगा. मुझे बड़ी गुगुदी सी हो रही थी. साथ ही उसके हाथ मेरे स्तनों पर उन्हें मसलने में लगे हुए थे. जब भी उसकी उंगलियाँ मेरी निप्पलस को छूकर निकलती तो मेरी पूसी और गीली हो जाती.
मुझे कहना ही पड़ा, "रोहित, now Fuck me...please !"
वो उठा और मेरे कुरते और पायजामे को मेरे शरीर से बिकुल हटा कर मेरे को पूरा नंगा कर दिया. मैं अपने ही घर की छत पर अपने कजिन भाई के सामने नंगी थी. वो मेरी जाघों के बीच में आया और बोला, "Yes juhi....now i will fuck you."
और फिर उसने अपने लिंग को मेरी पूसी की ओर बढाना शुरू किया और जैसे ही उसके लिंग ने मेरी पूसी को छुआ, उसने उसे अपने हाथ से पकड़ कर मेरी पूसी की गीली हो चुकी स्लिट पर फेर दिया. फिर उसके लिंग ने एक या दो बार मेरी क्लिटोरिस को भी दबाया. मैं ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी और बोली, "यार...अब अन्दर डाल दो..मैं बहुत गीली हो चुकी हूँ."
उसका लिंग खून के दवाब से एकदम सख्त और मोटा हो गया था. उसने हल्का सा धक्का दिया और लिंग का आगे का हिस्सा अन्दर चला गया.
चाहे उसने कई बार अब तक लिंग मेरी पूसी में डाला हो, पर इस बार उसका प्रवेश एक surprise था. मेरे मुह से "Hnnnnnnnn. Sssssssssssss." निकल पड़ा. उसने अपने लिंग को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे. और हर बार के धक्के में उसका लिंग आधा आधा इंच अन्दर जाता जा रहा था.
उसके बाद उसने मेरे पेट को दबाया. मेरा bladder पूरा भरा हुआ था और मेरा शुशु निकलने ही वाला था.मैंने अपनी योनी को संकुचित किया जिससे कि मैं शुशु निकलने से रोक सकूँ. जिससे मेरी योनी और कड़ी हो गयी और उसका लिंग अन्दर बाहर करते समय मेरी कड़ी हुयी योनी से अच्छी तरह से घर्षण करने लगा जिससे मिलने वाला सुख बहुत ही असीम था.
जब वो उसे अन्दर डालता और फिर बाहर निकालता तो मेरे मुह से सिस्कारियां निकल जाती. और मैं उसे और अन्दर डालने से रोकती और वो उसे और अन्दर डाल देता. वैसे तो मैं यही चाहती थी कि वो मेरे अन्दर पूरी तरह से अपने लिंग को डाल दे और फिर अपना वीर्य निकाल दे. और फिर लगभग एक मिनट बाद वो चिल्लाया, "जूही...मेरा निकलने वाला है...ओह जूही.."
"निकाल दो...मेरे अन्दर निकाल दो....Aaaah Oooooh. Hnnnnnn. Aaaa.", मैंने कहा.
मैं उससे भी एक मिनट पहले अपने ओर्गास्म पर पहुँच चुकी थी. उसने अपनी स्पीड एकदम से बडाई और फिर एक बार रुका और लगा कि उसके लिंग में से ज्वालामुखी का लावा सा फूट पड़ा. एक गरम धार मेरी योनी कि दीवारों पर टकराती हुयी साफ़ पता चल रही थी मुझे. वो अपने लिंग को थोडा सा आगे कि ओर करता और फिर उसके शरीर में एक सरसराहट होती और वीर्य की एक धार छोट पड़ती, फिर लिंग को पीछे करता और फिर आगे करता और फिर वीर्य निकलता..ऐसा आठ नौ बार हुआ.
उसके ऐसा करने से मेरे bladder पर दवाब पड़ रहा था और मैं अपनी योनी को भींच रही थी जिससे की कहीं मेरी शुशु न निकल जाए. और उसे ऐसा लगा रहा था की मैं उसके लिंग को निचोड़ने के लिए अपनी योनी को भींच रही हूँ.
हम दोनों शांत हो कर एक दुसरे की बाहों में लेटे रहे. उसके बाद उसने अपने को ऊपर की और खींचा तो उसका लिंग एक "ब्लप" की आवाज के साथ मेरी योनी से बाहर आ गया. मैं भी उठकर बैठ गयी. उसके बाद उसने चादर निकाली और हम दोनों पर डाल ली.क्यूंकि उस वक़्त हम दोनों ही बिलकुल नंगे थे. चादर में आने के बाद मेने उसके कन्धे पर सर रख कर पुछा "कैसा लगा?"
"बहुत अच्छा!" उसने कहा," मैं कल सुबह वापस पिलानी जा रहा हूँ. और मैं बिलकुल भी नहीं चाहता कि तुम किसी और के साथ सेक्स करो...! समझ गयी न तुम जूही..?"
"हाँ...ठीक है", मैंने कहा.
"और हाँ, तुम अपनी पूसी को बिलकुल साफ़ रखना, बिना बालों के..! और हाँ....शेव मत कर लेना..नहीं तो बाल कड़े हो कर आयेंगे अगली बार....सिर्फ क्रीम यूज करना. मैं उसे बिलकुल चिकना चाहता हूँ, जिससे कि मैं उसे lick कर सकूं, suck कर सकूँ, किस कर सकूं, जब भी मैं चाहूँ ", उसने कहा.
"ठीक है , मैं कोशिश करुँगी", मैंने उसे जवाब दिया.
"नहीं...कोशिश नहीं..", उसने कहा.
"ओके..मैं उसे हर समय bald रखूंगी...ठीक है!" कहते हुए मेने उसे एक hug दे दिया और पुछा, "तुम अब जयपुर कब आओगे?"
"जब भी मैं आ सकूँगा...जरूर आऊंगा...पर इस बार तुम हमारे पिलानी में होने वाले स्प्रिंग फेस्टिवल में जरूर आना", उसने कहा.
"क्यूँ....?? क्या अब वहां हॉस्टल में भी मुझे fuck करोगे? ही ही ही...." मेने शरारती अंदाज में उससे कहा.
"हाँ...और कई कई बार...!! हो सकता है सात दिनों तक लगातार..! बिना रुके मैं तुम्हे fuck कर सकता हूँ", रोहित ने बड़े ही इतराते हुए कहा.
कुछ देर इस तरह बात करने के बाद वो बोला, "चलो, एक बार और करते हैं."
"किस पोजीशन में करोगे?", मैंने पुछा.
उसने जवाब में मेरे हाथ अपने आधे हो रखे लिंग पर रख दिए. वो आधा उत्तेजित था. मैंने निश्चय किया कि मुझे उसके लिंग के साथ थोडा खेलना पड़ेगा या मुह में लेकर उसे खडा करना पड़ेगा, जिससे कि फिर से मुझे fuck कर सके.
मेने धीरे से उसके नरम पड़े लिंग को अपने हाथों में लिया और उसकी खाल को ऊपर नीचे करने लगी और जल्दी ही लगभग एक मिनट में उसका लिंग खडा हो चूका था. उसने मुझे दोगी स्टाइल में होने को कहा और मेरे हिप्स को ऊपर कि ओर उठाकर रखने को कहा जबकि सर कि ओर का हिस्सा तकिये से लगाकर रखने को कहा.
उसके बाद उसने चादर पूरी तरह से हटा दी और मेरे हिप्स कि तरफ आकर अपने घुटनों पर खडा हो गया. उसका लिंग मेरी पूसी के मुह पर छू रहा था. वो बोला, "थोडा सा पूसी लिप्स को खोलो"
मैंने अपने एक हाथ को अपने पेट कि तरफ से अपनी पूसी तक ले गयी और दो उँगलियों से पूसी लिप्स को अलग कर दिया. उसने अपने लिंग के आगे के भाग को उस पर रखा और अन्दर कि धक्का दिया. जैसे ही वो अन्दर घुसा, मेरा शरीर नीचे कि तरफ झुक गया. मेरा bladder शुशु से भर चूका था और मुझे अपनी पूसी को संकुचित करना पड़ रहा था उसे रोकने के लिए.
उसने अपने लिंग को एक इंच और अन्दर डाला. फिर निकाला और फिर डाला...इस बार थोडा और अन्दर गया...इसी तरह...
अन्दर....
फिर बाहर....
फिर अंदर..
और बाहर...
और फिर जैसे ही योनी से निकलने वाले रस कि चिकनाहट उसके लिंग पर चढ़ गयी, उसका लिंग एकदम चिकनाहट के साथ पूरी तरह अन्दर बाहर होने लगा और फिर से वही धप धप कि आवाज आने लगी. वो बोला, "जूही ...तुम अपनी क्लिटोरिस को रगडो...तुम्हे अच्छा लगेगा."
मैंने अपनी उँगलियों को अपनी क्लिटोरिस पर लगा दिया जोकि अब तक पूसी लिप्स पकड़ रखी थी.
धप.....धप.....धप....धप.....धप.....ऐसा लगा रहा था कि एक पिस्टन मेरी योनी में चल रहा हो..सच में...
मुझे ओर्गास्म होने वाला था. मेरी पूसी में संकुचन प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी. और कुछ ही पलों में मेरी पूसी ने पानी सा निकालना शुरू कर दिया. उस समय उसका हर झटका मेरी जान ले रहा था..मेरी योनी , जांघें सब गीली हो चुकी थी...और ज्यादा गीलेपण कि वजह से लिंग के अन्दर बाहर होने से निकलने वाली आवाज और तेज हो गयी थी.
एक तो मेरा bladder पूरा भरा हुआ था और ऊपर से मेरी उंगलियाँ मेरी संवेदनशील क्लिटोरिस पर लगी हुयी थी और वो बड़ी ही तेजी से लिंग अन्दर बाहर कर रहा था तो मुझे पांच मिनट के अन्दर ही कई बार ओर्गास्म की श्रृंखला से गुजरना पड़ा. एक लड़की मेरी इस बात को अच्छी तरह से समझ सकती है कि मैं किस एहसास की बात कर रही हूँ.
लगभग एक मिनट बाद वो भी स्खलित हो गया. मैं बिस्तर पर गिर पड़ी और रोहित मेरे ऊपर लेट गया. उसका बदन हर थरथराहट के साथ थोडा थोडा वीर्य एक धार के रूप में मेरी योनी में छोड़ रहा था.
यह पोजीशन ...अगर कहूं...तो बड़ी ही थकान देने वाला था. हम दोनों साथ साथ अगल बगल में आकर लेट गए. और ज्यादा आराम लेने के लिए मेने एक और करवट ले ली. उसने भी अपने शरीर को मेरे पीछे लगा दिया. उसका लिंग मेरे हिप्स की दरार पर अटक रहा था. मेने अपने दायें हाथ को नीचे बढाया और टांगों के बीच में से हाथ डाल कर उसके लिंग को पकड़ लिया और उसे मेरी पूसी के नजदीक लगा दिया. और जैसे ही उसका लिंग सही स्थिति में आ गया, वो और मैं साथ मिलकर एक दुसरे के गुप्तांगों का स्पर्श लेते रहे.
कुछ देर बाद मेने उससे पुछा, "क्यूँ रोहित? अपनी कजिन बहिन के साथ सेक्स करना कैसा लगा?"
"बहुत अच्छा", उसने बोला और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. कुछ देर शांत रहने के बाद वो बोला, "जूही, कल मुझे जाना है पर सच बताऊ तो तुम्हरे बिना जाने का मन नहीं कर रहा. मन तो करता है की तुम्हे भी संग ले जाऊं."
मैं उसकी भावना को समझ गयी और बोली, "रोहित. तुम्हे अपनी पदाई पूरी कर लेनी चाहिए. तुम जानते हो की मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ"
"हाँ मुझे पता है की तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो..जभी तो तुमने pills खानी शुरू कर दी जिससे की मैं बिना कंडोम के तुम्हरे साथ सेक्स कर सकूं", उसने कहा.
उसके बाद वो बोला, "कल तुम साड़ी पहनना! और पैंटी भी. और दिन मैं एक आध बार तो मैं तुम्हे छेड़ ही दूंगा और मुझे विश्वास है की तुम्हारा पूसी जूस भी निकलेगा. भले ही थोडा सा..!! मेरे जाने से पहले तुम अपनी पैंटी और ब्रा उतार कर मुझे दे दोगी. जिससे की मैं तुम्हारी पूसी और बूब्स को याद कर सकूँ."
मैंने उसे हाँ कह दिया. कुछ देर हम शांत बैठे रहे.. मेरे मन में आया की अभी रात पूरी नहीं हुयी है. और मेने उसे कहा, "रोहित , I want to suck your penis."
और उसकी बाहों में से अलग होकर मेने उसके मुरझाये हुए से लिंग को थाम लिया. और फिर हम दोनों ने साइड बाय साइड लेट कर 69 पोजीशन ले ली. रोहित बोला, "जूही अपनी टांग ऊपर उठाओ.." और मेरी एक टांग अपनी कमर पर रखवा ली और फिर मेरी खुली हुयी पूसी दरार को किस करने लगा.
मेरी पूसी दो बार की fucking के बाद बहुत ही sensitive हो गयी थी. मैंने उसके लिंग को अपने मुह में ले लिया. उसका स्वाद इस बार अलग था. शायद उसके वीर्य के साथ साथ मेरी योनी का रस भी था. मैंने उसके लिंग की foreskin को पीछे खींचा, और चूसा. इसी बीच वो मेरी क्लिटोरिस को flick करे जा रहा था. और दो मिनट से ज्यादा समय नहीं लगा की उसका लिंग फिर से खडा हो चूका था और मेरी क्लिटोरिस?
वो आनंद और उत्तेजना से फटने वाली थी. मैं बोली, "मैं गीली हो रही हूँ...कुछ करो..."
उसने मुझे सीधा लिटाया और मेने अपनी टाँगे फैलाकर अपनी पूसी लिप्स को खोल लिया. और एक हाथ से उसके पेनिस को अपनी पूसी के मुह में डाल दिया. और इससे पहले की वो अपने शरीर को नीच की ओर दबाता अपने लिंग को अन्दर तक डालने के लिए, मैंने ही अपने हिप्स को ऊपर की ओर उठा दिया, जिससे की उसका लिंग एक बार में मेरी पूसी में अन्दर तक चला गया.
मैंने फिर अपने घुटनों को अपनी छाती पर मोड़कर लगा लिया और उसने धक्के तेज कर दिए. उन धक्कों में एक ले आ चुकी थी.. और मैं उसे रोकना भी नहीं चाह रही थी. और उसकी स्पीड की वजह से कुछ ही पलों में मैं ओर्गास्म पर पहुँच गयी. पर वो चालू रहा. और कुछ देर बाद अचानक रुका, और स्पीड धीमे कर दी.. मैं समझ गयी की उसका अब निकलने वाला है. मैंने जान भूझकर अपने पैर उसके हिप्स पर लपेट दिए और उन्हें कसकर नीचे दबा दिया जिससे की उसका लिंग फिर से मेरी गरम और गीली हो चुकी योनी में घुस गया. और इस घर्षण मात्र से ही वो स्खलित हो गया. दो तीन बार में उसने अपने वीर्य निकाल दिया.
उसके बाद हम इतने थक गए थे कि कुछ ही पलों में नींद के आगोश में चले गए. लगभग एक घंटे बाद नींद खुली तो सुबह के तीन बज रहे थे. मैंने उसे जगाया और हम लोगो ने अपने कपडे पहन लिए. उसने मेरी ब्रा अपने पास रख ली. मैं जब अपना कुरता पहन रही थी तो मेरे बूब्स ऊपर उठे तो वो उन्हें किस करने लगा. मैंने उसे रोकते हुए कहा, कि जल्दी नीचे चलो अब.
फिर मेने उसे उसका पायजामा दिया और उसके लिंग को कई बार किस किया. तो बोला, "ऐसा मत करो, अगर यह फिर खडा हो गया तो मुझे तुम्हे एक बार और fuck करना पड़ेगा."
एक बार कपडे पहनने के बाद हम लोगो ने छत पर देखा कि कहीं हमारे इस छत वाले सेक्स सेशन कि कोई निशानी तो नहीं छूट गयी वहाँ.
और फिर हम जीने के रास्ते से नीचे आने लगे. और अपने अपने कमरे में जाने लगे.. वो जाते जाते बोला, "जूही..याद रखना , जो मैंने कल के लिए कहा."
कातिल हुस्न निसार अपने यार पर
फिर भी यार का दम निकले हुस्न के दीदार पर
मांगी निशानी दिली हसरते निकालकर
सजा आशियाना मेरा तेरी मुस्कराहटो पर
देना साथ दो कांटे भी चुभे मेरे होटो पर
भर निकाल बूंद, गुलाब खुशबु फुल के लिहाफ पर
काफी मेरी सांसे महकाने को तेरे पास आने तक
नशा बनकर तेरा एहसास मुझे भिगो जायेगी
तड़पती प्रेम अगन को कुछ राहत दे जायेगी
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