चाचा चाची की चुदाई--4
सूरज की पत्नी का नाम निशा था. वो 20 साल की कमसिन लड़की थी. कोई 5फ्ट 4 इंच ट, 36, 26, 38 का फिगर और रंग गोरा था. जब रात को सूरज सुहग्रात के लिए कमरे में जाने लगा तो चाचिजी उसको कोने में ले गयी,’ बेटा, उसकी कुँवारी चूत को नर्मी से चोदना, ज़्यादा खून ख़राबा मत करना, ‘ वे बोली. सूरज के लंड को उन्होने पाजामा के उप्पेर ही दबा दिया,’ इतना मोटा हथियार कुँवारी चूत एकद्ूम नही ले पाएगी मेरे राजा,’ उन्होने कहा.
सूरज कमरे में घुसा तो निशा ने उसके पॅव च्छुए और दूध का ग्लास पकरा कर कोने में खड़ी हो गयी. सूरज ने उसे पाकर कर बिस्तेर पेर लिटाया, और धीरे धीरे उसके गहने कापरे उतरने लगा,’ लाइट तो बंड कर दो जी,’ निशा बोली. सूरज ने नाइट लॅंप जला लिया. जब सिर्फ़ ब्रा और चड्डी बचे तो निशा बोली,’ मुझे बहुत शरम आ रही है इनको मत उतारना,’ उसने कहा. सूरज ने अपने कापरे भी उतार दिए और सिर्फ़ चड्डी पहन कर निशा को किस करने लगा. निशा की खुश्बू से सूरज सांड़ की तरह बेक़ाबू हो रहा था. उसने निशा की ब्रा भी उतार फेंकी और उसके बूब्स मसालने लगा चूसने लगा. दूसरे हाथ से वो निशा की चूत को चड्डी के अप्पर से दबा रहा था. जब उसको लगा की निशा की चड्डी गीली हो गयी है तो उसने ज़बरदस्ती उसकी चड्डी उतार फेंकी. निशा ने दोनो हाथो से अपनी चूत को धक दिया. सूरज नीचे आया और उसकी मलाईदार चूत चाटने लगा. निशा उत्तेजना के शिखर पेर थी. सूरज ने लोहे को गरम देख कर हथोदे से वार कर्मा मुनासिब समझा. उसने अपने लंड का मूह उसकी कुवारि चूत के मूह पेर रखा और धीरे धीरे सरकने लगा, निशा दर्द से छटपटा रही थी,’ बस रानी तोड़ा धैर्या रखो इतना सा दर्द सहन कर लो फिर तुम्हे बहुत आनंद मिलेगा,’ वा बोला.’ ऐसा कौनसा ज़रूरी हैजी ये सब,बाद में कर लेना मेरे वाहा बहुत दर्द हो रहा है, निशा बोली. मगर सूरज अपनी ज़िंदगी की पहली सील तोड़ने को बेक़ाबू था. इस से पहले उसने चुदाई तो बहुत कीट ही मगर सील बंद चूत उसको आज पहली बार ही नॅसीब हुई थी. सूरज अपना मज़बूत लंड बेरहमी से सरकता गया,निशा रोटी रही और माना करती रही. सूरज का लंड उसकी छूट के खून से लथपथ था मगर वो रुका नही और बो लंड को कम जगह में ही अंडर बाहर करने लगा. सूरज का आधा लंड ही अंडर गया था. चदडार पूरी की पूरी निशा के खून से भर गयी थी. उधर निशा दर्द से चीखने लगी तो डर कर सूरज को लंड बाहर निकलना पड़ा.’ में मार जौंगी प्लीज़ ये काम फिर कर लेना मुझ पेर रहम करो आज आज,’ निशा गिड़गिदने लगी. सूरज गुस्से से कमरे से बाहर आ गया. चाची वहीं खड़ी थी,’ मैने दरवाज़े के च्छेद से सब कुछ देखा है, बहू की सील तो टूट गयी अब 2-3 रुक कर उसको चॉड्ना , 4-5 चुदाई के बाद वो नॉर्मल होगी,’ उन्होने कहा.’ लेकिन चाची कुँवारी चूत को ये लंड आधा ही चोद पाया, मेरा लंड तो अब नियंत्रण से बाहर है, उसने चाची से कहा. चाची बोली,’ चल बेटा मेरे रूम में तेरी चाची ही तेरे काम आएगी,’ उन्होने कहा. रूम का दरवाज़ा बूँद होते ही सूरज ने चाची का पेटिकोट उप्पेर किया और एक ही स्कोंद में निशा के खून से लाल लंड चाची के भोस्डे में सरका दिया,’ बेटा इस से ज़्यादा मेरी क्या ख़ुशनसीबी होगी कीट उ अपनी सुहग्रात के दिन अपनी चाची को चोद रहा है, जी भर के चाची को चोद, इस सुहग्रात को में याद रखूँगी,’ चाची बोली. चाचजी ने इन दोनो चुदाई करने वालो पेर फूल बरसाने शुरू कर दिए. सूरज को लगा जैसे वो चाची को नही अपनी पत्नी को चोद रहा है चाची को लगा जैसे वो अपने पति के साथ सुहाग रात माना रही है.
शादी के बाद सूरज ने चाचिजी की चुदाई जारी रखी. निशा को भी वो चोद्ता लेकिन उसको बिल्कुल भी मज़ा नही आता था,’ चाचिजी वो चुपचाप लेटी रहती है कुछ भी नही बोलती ऐसा लगता है जैसे किसी लाश को चोद रहा हू,’ सूरज ने चाचिजी से कहा. “ बेटा, में हू ना तेरे गरम लंड के लिए कभी कभी उसको चेंज के लिए चोद दिया कर,’ चाची बोली. निशा शादी के ठीक 4 महीने बाद गर्भवती हो गयी और बच्चा पैदा करने अपने मयके चली गयी, सूरज की चाची- चाचा की चुदाई चलती रही. उधर गीता की मा तो चल बसी थी वो भी अब ज़्यादा काम नही करती थी, उसकी 18 साल की बेटी पूनम अब घर का काम करती थी. वो एकद्ूम काले रंग कीट ही और उसके बूब्स मोटे थे और उसके दुबले पतले बदन पेर अलग से नज़र आते थे. कोई 36-37 का साइज़ होगा. सूरज के मूह में उसके बूब्स देखते ही पानी आअ जाता. वो उसके काले निपल्स की कल्पना करता. पूनम की कमर पतली थी गांद आवरेज थी कोई 34 की होगी. “ चाची पूनम की चुदाई कारवओ ना उसके बूब्स देख कर लंड बेक़ाबू हो जाता है,’ सूरज ने चाची के सामने फरमाइश रखी. अगले दिन गीता को कोने में ले जा कर चाची ने पूछा,’ गीता सूरज का तेरी बेटी को चोद्ने का बड़ा मन है, क्या करे?’ उसने पूछा,’ दो- तीन महीने रुक जाओ चाचिजी, इसका गौना हो गया है, शादी हो जाए फिर कोई दिक्कत नही,’ उसने कहा. कभी कभी गीता के साथ उसका 16 साल का बेटा कालू भी घर आ जाता था. एक दिन गीता ने चाचिजी से कहा,’ चाचिजी कालू का लंड भी तय्यार है, कहो तो आपकी चूत पेर चोट करवा दू?” उसने पूछा, चाची जैसा चुड़क्कड़ कहा मना करने वाला था.
अगले दिन कालू निक्केर पहन कर मा के साथ आया. “ कालू तू चाचिजी के कमरे में जा उनके बदन में दर्द है उनकी मालिश कर आ,’ गीता ने अपने बेटे से कहा. कालू कमरे में गया तो देखा चाचिजी खाली ब्रा और चड्डी पहन कर उल्टी लेटी हुई थी उनकी मोटी गांद कालू को सॉफ दिखाई दे रही थी. बॅक और टाँगो पेर मालिश करते करते कालू का लंड बेक़ाबू था. उसका निक्केर फटा जा रहा था. चाचीजी सीधी हुई. कालू उनकी थाइस और पेट और कंधो पेर मालिश कर रहा था, चाचिजी ने उसका खड़ा लंड देख कर ब्रा उतार दी और बोली,’ ले बेटा थोड़ी इधर भी मालिश कर दे.’ कालू चाची के मोटे मोटे बूब्स मसालने लगा. दो मिनिट बाद ही चाचिजी ने चड्डी नीचे खिसका दी और बोली,’ कालू बेटा इधर भी तेल लगा कर अच्छी मालिश कर दे.’ कालू ने पहली बार असली चूत देखी थी वो भी इतनी नज़दीक से, वो चुपच्छप चूत की मालिश करने लगा.’ बेटा थोड़ी उंगली से इसकी चुदाई भी कर दे,’ चाची बोली. कालू चाचिजी की चूत में अपनी उंगली अंनदर बाहर करने लगा.
कालू चाचिजी की चूत को तेल भरी उंगली से चोदे जा रहा था और चाचिजी उतीजित अवस्था में गांद उपेर किए जा रही थी. चाचिजी ज़्यादा इंतेज़ार नहीं कर सकी उन्होने नेकार के उप्पेर ही कालू का गरम लंड दबा दिया. कालू के निक्केर के साइड से अब चाचिजी ने लंड बाहर निकाला और उसको बेरहमी से मसालने लगी. कालू से भी रहा नहीं गया उसने अपना निक्केर नीचे सरका दिया. उधर चाचिजी झड़ने वाली थी,’ कालू मदारचोड़ चोद्ता जा मेरी चूत, रुक मत भोसड़ी के चोद ज़र ज़ोर से चोद भद्वे..’ कहते कहते चाचिजी झाड़ गयी. उधर कालू का पानी भी चाचिजी के हाथ में छ्छूट गया. कालू ने निक्केर पहना और बाहर भाग गया. गीता अंडर आई और पूछा,’ क्या हुआ बीबीजी?” ‘ कुछ नहीं गीता नया लौंडा है आज तो सिर्फ़ मूठ मारी है कल परसो इसको चोदुन्गि,’ चाचिजी बोली.’ “लंड कैसा है मेरे बेटे का?” गीता ने पूछा.’ अरे अपने बाप पेर गया है, एकद्ूम क़ाला और मोटा है, सुपरा तो एकद्ूम आलू जितना बड़ा और मोटा है, चूत में जाकर फस जाएगा,’ चाचिजी बोली. “ तूने तो अपने बेटे को नहीं चोदा?” चाचिजी ने पूछा.’ नही मालकिन हम सब एक कमरे में सोते हेँ इसके बाप को पता चल जाता तो मेरी चूत में मिर्ची डाल देता,’ गीता बोली.’ “ पेर तेरा मन तो है ना अपने बेटे का लंड लेने का?” चाचिजी ने पूछा. “ हा मन तो बहुत होता है जवान लंड किस औरत को अच्छा नही लगेगा,’ गीता बोली. “ तो ठीक है कोई बहाने से 3-4 रात तुम मा बेटे यहा आ जाओ हम दोनो कालू को चोद चोद कर पागल कर देंगे उसको,’ चाचिजी बोली.’ तेरी बेटी को भी ले आना ताकि सूरज को भी नयी चूत मिल जाए, नहीं तो हम कालू को खुल कर नहीं चोद पाएँगे,’ चाचिजी बोली.
कोई दो नहीने बाद गीता की बेटी की शादी हो गयी. हफ्ते भर वो ससुराल रह कर अपने मयके चली आई. अब सब कुछ तय था. एक दिन गीता अपने बेटे बेटी के साथ चाचिजी के घर चली आई. “ सूरज बेटा अब गीता 4-5 दिन यहीं रहेगी, तू उसकी बेटी को चोद्ने की अपनी इच्छा पूरी कर लेना, लेकिन में भी कालू को चोदुन्गि, वो तुझसे शरमाएगा, इसलिए जब तक वो खुल ना जाए, तू हुमारे कमरे में मत आना,’ चाचिजी बोली. चाचजी को अब बिल्कुल सन्यासी हो चुके थे. जब भी ऐसा कुछ होता वी छत पेर जा कर सो जाते. रात को सबने खाना खाया. गीता, कालू और चाचिजी एक कमरे में चले गये. सूरज और गीता की बेटी दूसरे कमरे में.
कालू मूठ ज़रूर मारता था मगर उसने चुदाई अभी तक नहीं की थी. उसके लंड के आगे की चमरी तक नहीं हटी थी. ग़रीबो को भगवान शायद सारी ताक़त लंड में दे देता है. अमरी लोगो के लंड जहाँ छ्होटे होते हेँ वही ग़रीबों के लंड एकद्ूम मज़बूत ऑरा आंड वीरया से भरे हुए होते हेँ. कालू का लंड एकद्ूम क़ाला था और कोई 7 इंच के था. उसका सुपरा एकद्ूम गोल और फूला हुआ था. गीता कालू और चाचिजी बाथरूम में गये और तीन वन एक सुसरे को रगर रगर कर नहलाया. कालू दो नगी औरतों के साथ नहा रहा था इसलिए उसका लंड तो पूरा खरा था. चाचिजी ने कालू की मुट्ठी मारनी शुरू कर दी और गीता ने उसके आँड पेर साबुन लगाना शुरू कर दिया. बस दो मिनिट में कालू के काले आँड की सफेद मलाई निकल गयी,’ अब ये दूसरे रौंद में ज़्यादा देर चोद सकेगा,’ चाचिजी गीता से बोली.
तीनो कमरे में आ गये. कालू को बिस्तेर पेर लिटाया और चाचिजी ने कालू का लंड चाटना और चूसना शुरू कर दिया,’ गीता इस लौंदे का लंड इस मुरा में इतना मज़बूत है आगे जाकर तो ये औरतों के चूत फाड़ देगा,’ ये कह कर वी थूक गिरा कर कालू का चिकना लंड मसालने लगी. उधर गीता ने अपने बेट एके अंडकोष चाटना शुरू कर दिए,’ कालू बेट एके अंडकोष बड़े रसीले हेँ इनका रस ही हम दोनो की चूत की जलती आग को बुझाएगा,’ गीता बोली. कालू का लंड दो मिनिट में फड़फड़ने लगा.. चाचिजी ने अब अपनी गांद उसके अप्पर रखी और अपनी गीली चूत में कालू का लंड सरका दिया. 10-12 झटकों में कालू का पूरा लंड चाचिजी की चूत में था और वी उसको हुमच मुमच कर चोद रही थी,’ मदारचोड़ क्या लंड है तेरा मेरी चूत का कचूमर बना रहा है,’ चाचिजी बोली. गीता तब तक तेल ले आई थी और अपने बेट एके गोल और काले आंदियो पेर मालिश करने लगी,’ कर दे बेटा इन आंदियो का रस खाली, भर दे इस रांड़ की चूत,’ ये कह कर वो उनको धीरे धीरे मसालने लगी.’ कालू अब बेक़ाबू था,’ मा मेरा पानी छ्छूट रहा है,’ वो बोला.’ चाचिजी की चूत तो इंतज़ार कर रही थी,’ छ्चोड़ पानी भद्वे छ्चोड़ इसको मेरी चूत के अंडर अंडियीयो मे एक बूँद भी बचाई तो उनको काट कर तेरे को हिजड़ा बना दूँगी,’ ये कह कर चाची की स्पीड तेज़ हो गयी.’ कालू ने पानी छ्चोड़ दिया. चाचिजी नीचे उतरी और गीता ने अब अपने बेटे का ताज़ा स्वादिष्ट वीरया चाटना शुरू कर दिया. चाचिजी भी वही आ गयी दोनो औरते कालू के वीरया का मज़ा लेने लगी. गीता ने कालू को खड़ा किया और फिर से उसका लंड चाटने लगी,’ जिस चूत से तू बाहर आया है बेटा अब समय आ गया है इसके अंडर जाने का,’ वो बोली. कालू समझ गया अब वो मदारचोड़ बनने वाला है
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त कमेन्ट जरुर देना कहानी कैसी लगी
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