Monday, May 31, 2010

पंडित & शीला पार्ट--3

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पंडित & शीला पार्ट--3

गतांक से आगे......................

फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..

पंडित: अब अपने चरण सामने करो..

शीला ने पेर सामने कर दिए...पंडित ने उसका पटटीकोआट थोड़ा ऊपर
चड़ाया.....उसकी टाँगों पे गंगाजल छिड़-का....और उसकी टाँगें हाथों से
रगड़नेः लगा..

पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..गंगाजल से
धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता....तुम
शिव का ध्यान करो..

शीला: जी पंडितजी..


पंडित: शीला...यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो....यह तुम
स्वयं कर लो...परंतु वेदों के अनुसार यह कार्य-यह पंडित को ही करना
चाहिए..

शीला: नहीं पंडितजी...यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी
प्रसन्न नहीं होंगे.....और भगवान के कार्य- में लज्जा कैसी ..?..

शीला अंधविश्वासी थी..

पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया...अब शीला की
टाँगें थाइस तक नंगी थी...

पंडित ने उसकी थाइस पे गंगाजल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने
लगा...शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी...

पंडित ने कहा..

पंडित: शीला...अपनी टाँगें खोलो..

शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी.....अब शीला पंडित के सामने
टाँगें खोल के बैठी थी...उसकी ब्लॅक कछि पंडित को सॉफ दिख रही
थी....पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ...और उन्हे गंगाजल से रगड़ने
लगा.....

इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे.....कुछ देर शीला के
आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उनेह तौलिए से सुखानेः
लगा........फिर उसने उंगली में तिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे
लगानेः लगा..

शीला: पंडितजी...यहाँ भी टीका लगाना होता.है...(शीला शरमातेः हुए
बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)

पंडित: हाँ....यहाँ शिवलिंग बनाना होता है..

शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों
से शिवलिंग बना रहा था..

पंडित: शीला...लज्जा ना करना..

शीला: नहीं पंडितजी..

जैसे उंगली से माथे (फोर्हेड) पर टीका लगातेः हैं....पंडित कछि के
ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टीका लगानेः लगा....शीला शर्म से लाल
हो रही थी...लेकिन गरम भी हो रही थी...पंडित टीका लगानेः के बहानेः
5-6 सेकेंड्स तक कछि के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा...

चूत से हाथ हटानेः के बाद पंडित बोला...

पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा...अब तुम इस गंगाजल
को मेरी छाती पे लगाओ..

पंडित लेट गया...

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी...और पेट भी...उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल
हेरलेस और स्मूद थे...शीला गंगाजल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़नेः
लगी.....शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था...उसके
मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल
शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे..

पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से गणेश बना दो.....गणेश इस प्रकार
बनना चाहिए कि मेरे यह दोनो निपल्स गदेश के ऊपर के दोनो खानो की
बिंदुएं हो..

निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी...

शीला ने गणेश बनाया....लेकिन उसने सिर्फ़ गणेश के नीचे के दो खानो की
बिंदुए ही बनाई टिक्के से..

पंडित: शीला....गणेश में चार बिंदुए डालती हैं..

शीला: पंडितजी...लेकिन ऊपर की दो बिंदुए तो पहले से ही बनी हुई हैं..

पंडित: परंतु टीका उन पर भी लगेगा..

शीला पंडित के निपल्स पर टीका लगानेः लगी...

पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का स्त्रोत (सोर्स) होती है...अतेह यहाँ भी
टीका लगाओ...

शीला: जो आग्या पंडितजी..

शीला ने उंगली में टीका लगाया....पंडित की नेवेल में उंगली डाली...और
टीका लगानेः लगी.....पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और
चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई
थी...इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी.....शीला सोच रही थी कि इतनी
चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है....शीला पंडित के बदन की तरफ
खीची चली जा रही थी....ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए
थे...

शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली...पंडित ने अपने थैले
से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली.....लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी....5
इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी...

लकड़ी के एंड में एक छेद था...पंडित ने उस छेद में डाल कर मौलि
बाँधी...

पंडित: यह लो...यह शिवलिंग है...

शीला ने शिवलिंग को प्रणाम किया..

पंडित: इस शिवलिंग को अपनी कमर में बाँध लो.....यह हमेशा तुम्हारे
सामने आना चाहिए...तुम्हारे पेट के नीचे...

शीला: पंडितजी...इससे क्या होगा..?

पंडित: इस से शिव तुम्हारे साथ रहेगा....यदि किसी और ने इसे देख लिया
तो शिव नाराज़ हो जाएगा...अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं.....और
तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है.......सोतेः समय भी....

शीला: जैसा आप कहें पंडितजी...

पंडित: लाओ...मैं बाँध दू..

दोनो खड़े हो गये...पंडित ने वो शिवलिंग शीला की कमर में डाला और उसके
पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधनेः लगा...उसके हाथ शीला की नंगी कमर
को छू रहे थे...गाँठ लगानेः के बाद पंडित बोला..

पंडित: अब इश्स शिवलिंग को अंदर डाल लो..

शीला ने शिवलिंग को अपनेह पेटिकोट के अंदर कर लिया....शिवलिंग शीला की
टाँगों के बीच में आ रहा था...

पंडित: बस...अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जा सकती हो...जो टीका मैने
लगाया है उसे ना हटाना...चाहे तो घर जा कर सारी उतार के सलवार
कमीज़ पहेन लेना.....जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना...

शीला: परंतु स्नान करतेः समय तो टीका हट जाएगा...

पंडित: उसकी कोई बात नहीं....

शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी.....उसने टाँगों के बीच शिवलिंग
पहन रखा था...पूरे दिन वह टाँगों के बीच शिवलिंग लेके चलती फिरती
रही....शिवलिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा...उसकी स्किन को टच करता
रहा....

रात को सोतेः वक़्त शीला कछि नहीं पेहेन्ति थी.....जब रात को शीला
सोनेः के लिए लेटी हुई थी तो शिवलिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में
था...शीला शिवलिंग को दोनो टाँगें टाइट्ली जोड़ के दबानेः लगी...उसे
अच्छा लग रहा था...उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही
थी......उसनेह सलवार का नाडा खोला...शिवलिंग को हाथ में लिया और
शिवलिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबानेः लगी....फिर शिवलिंग को अपनी
चूत पे रगड़नेः लगी....वह गरम हो रही थी......तभी उसे ख़याल आया
"शीला, यह तू क्या कर रही है.....शिवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप
है....".....यह सोच कर शीला ने शिवलिंग से हाथ हटा लिया.....सलवार का
नाडा बाँधा और सोनेः की कोशिश करने लगी....

तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली....उसे अपनी हिप्स के बीच में
कुछ चुभ रहा था....उसने सलवार का नाडा खोला....हाथ हिप्स के बीच में
ले गयी....तो पाया की शिवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फ़सा हुआ
था...शिवलिंग का मूँह शीला के अशोल से चिपका हुआ था....शीला को पीछे
से यह चुभन अच्छी लग रही थी....उसने शिवलिंग को अपने गांद पे और
प्रेस किया......उसे मज़ा आया...और प्रेस किया....और मज़ा आया...उसके गांद
मैं आग सी लगी हुई थी...उसका दिल चाह रहा था कि पूरा शिवलिंग अशोल
में दबा दे.....तभी उसे फिर ख़याल आया कि शिवलिंग के साथ ऐसा करना
पाप है.....उसने यह भी सोचा की "क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना
चाहते हैं?".....डर के कारण उसने शिवलिंग को टाँगों के बीच में कर
दिया....नाडा बाँधा....और सो गयी...

अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहेन करआ
गयी.....

पंडित: आओ शीला....जाओ दूध से स्नान कर आओ....और वस्त्रा बदल लो..

शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया
ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कछि भी पड़ी थी.....उसने
अपनी ब्लॅक कछि उतार के जोगिया कछि पहन ली...नहा के बाहर आई...

पंडित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था....

शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..

पंडित: शीला.....आज तो तुम्हारे सारे वस्त्रा शूध हैं ना..?

शीला थोडा शर्मा गयी..

शीला: जी पंडितजी...


क्रमशः........................





आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj















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