Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-13

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-13

मैं अपने रूम में चली गयी और जाकर पलंग पर लेट गयी और कुछ ही देर में नींद के आगोश में समां गयी.

सुबह मैं देर से उठी, मैंने फटाफट एक टॉप और स्कर्ट पहन कर तैयार हुयी और स्कर्ट के नीचे के पैंटी भी पहन ली. ब्रा भी मैंने कॉटन की बनी हुयी पहनी थी. रोहित भी देर से उठा और नहाने की तयारी में लगा हुआ था जबकि मैं मम्मी के साथ कित्चें में खड़ी होकर उन्हें बता रही थी कि रातभर रोहित आसमान में तारे देखता रहा और ब्रहमांड के बारे में बाते भी चलती रहीं, जिससे कि मुझे काफी बोरियत भी हुयी. वो कुछ नहीं बोली बस अपना सर हिलाती रही.

रोहित तैयार हो चूका था और उसकी ट्रेन शाम को थी. दोपहर के खाने के बाद रोहित बोला कि क्यों न मेरे कमरे में बैठ कर थोडी बातचीत हो जाए. मैं उसका मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी.

मैं तुंरत अपनी कुर्सी से खड़ी हुयी और थोडा जोर से बोलने लगी, "मम्मी, सुना आपने? रोहित मुझे अभी भी बिलकुल आराम नहीं करने देना चाहता जबकि इसने मुझे सुबह तीन बजह तक जगा कर रखा. और अब यह फिरसे मुझे कोई थियोरी समझायेगा."

"जूही, तमीज से बोलो...वो तुम्हारा इतना ख्याल रखता है और तुम ऐसी बातें करती हो।जाओ और रोहित को अपने कमरे में ले जाओ और अगर तुम्हे थकान है तो लेट जाना और लेते लेते इसकी बातें सुनती रहना.", मम्मी ने कहा."ओके बाबा...चलो रोहित बाबू , पर अगर तुमने कोई फालतू की बातें की तो मैं कुछ नहीं सुनूंगी और सो जाउंगी." मैंने अनमना भाव दिखाते हुए कहा. और हम दोनों मेरे कमरे के लिए चल दिए.

जैसे ही मैंने कमरे में अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया और चटकनी लगाई, उसने मुझे पीछे से पकडा और अपनी और खींच लिए. और मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसने पुछा, "जूही बेटा, तुमने दरवाजा लाक क्यूँ किया...इसका मतलब तुम्हे पता था कि we are going to have another round of sex?"

"नहीं...!", मैंने जवाब दिया और उसकी पकड़ से अपने आप को छुडाने लगी.

वो बोला,"जूही में तुम्हे इतना उत्तेजित कर देना चाहता हूँ कि तुम्हारी योनी से juice निकलकर तुम्हरी पैंटी में आ जाये. और वो खूब गीली हो जाए. तुमने पैंटी पहनी भी है या नहीं?"

"हाँ..पहनी है..!", मैंने कहा और मुस्कुरादी.

उसने मुझे अपनी बाहों में जकडा और बोला, "you are too hot today!"

उसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे पूरे शरीर पर चूमना शुरू कर दिया. मैं जानती थी कि वो अब foreplay में जुट गया है और या तो इसका अंत अब एक और सेक्स राउंड पर होगा या ओर्गास्म की एक श्रृंखला मुझे होने वाली है.

उसने मेरे टॉप को एक बार में उतार दिया और मेरे स्तन मेरे बूब्स में से झलक आये. "यह ब्रा तुमने कितनी देर से पहनी हुयी है?"

"दो घंटे से..", मैंने जवाब दिया.

"अच्छा...तुमने कोई परफ्यूम तो उसे नहीं किया न? क्योंकि में तुम्हारी गंध चाहता हूँ न कि किसी परफ्यूम की!", उसने जवाब दिया.
"चलो अब अपनी ब्रा खोलो और मुझे तुम्हारे स्तनों से खेलने दो." उसने कहा.

और जल्दी ही ब्रा भी मेरे स्तनों से हट गयी. उसने मेरे नंगे स्तनों पर चूमा और एक एक करके उन्हें सहलाने लगा. उसके बाद वो भी मेरे बगल में लेट गया. हम दोनों के पैर आपस में खेलने लगे. "चलो में तुम्हारी स्कर्ट उतार देता हूँ, नहीं तो उसमे सलवट पड़ जायेंगी"

पर मैं जानती थी की उसे सलवट से ज्यादा मेरी पूसी को देखने की जल्दी थी. उसने अपने हाथो से स्कर्ट के नीचे का हिस्सा पकडा और उसे नीचे की तरफ खिसकाना शुरू कर दिया. और देखते ही देखते , स्कर्ट मेरी टांगो से बाहर निकाल ली गयी. मैं उसके सामने सिर्फ पैंटी में लेती हुयी थी. मैंने उससे कहा,"तुम भी अपने कपडे उतारो, मुझे तुम्हारा लिंग देखना है."

उसने कोई बहस नहीं की और तुंरत ही कपडे उतार लिए. मैं दंग रह गयी. उसका लिंग कल से भी ज्यादा बड़ा और फूला लग रहा था. क्यूँ? पता नहीं..!! मैं बस यही सोच रही थी की सिर्फ एक रात में ऐसा कैसे हो सकता है?

वो नंगा होकर मेरे पास आकर बैठ गया और बोला, "जूही, आज में तुम्हें कुच्छ ऐसी ख़ुशी देने वाला हूँ, जो तुम्हे कभी न मिली हो." मैं सोचने लगी की सेक्स से भी ज्यादा बड़कर कौनसी ख़ुशी देने वाला है रोहित?
उसने मुझे कहा कि बस जो वो करना चाहे उसे मैं करने दूं. मैंने हामी भर दी. उसके बाद उसने मेरी अलमारी में से मेरी पय्जामी के दो नाड़े मांगे. मैंने उसे दे दिए. उसने मुझे पीन्थ के बल लिटा दिया और मेरी एक टांग एक सिरे पर और दूसरी टांग पालन के दुसरे सिरे पर नाड़े से बाँध दी. मैं पलंग पर एक कसी हुयी व्हाइट कॉटन पैंटी में अपनी दोनों टाँगे फैलाए लेटी थी. मेरी पैंटी इतनी कासी हुयी थी मेरी उत्तेजित पूसी कि बनावट उसमे से झलक रही थी और क्लिटोरिस का एरिया एक बहुत हल्का सा गीला patch लिए हुयी थी.

उसके बाद वो उठा और बैग में से टूथब्रुश निकाल कर लाया. उसे पानी से भिगोया और मेरे पास लौट कर आया. मैं समझ नहीं पा रही थी कि उसके दिमाग में चल क्या रहा था?

उसके बाद वो पलंग पर चदा और मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया. और उसके बाद उसने अपनी उंगलियाँ मेरे योनी प्रदेश में फेरनी शुरू करदी, और फिर उन्हें मेरी क्लिटोरिस से होते हुए मेरी पूसी की दरार (pussy slit) पर ले गया. बहुत ही हल्का दवाब था पर मैं ज्यादा चाहती थी इसलिए जान भूझकर अपने हिप्स ऊपर की ओर उठा रही थी. जबकि मेरा सर बाएँ दायें घूम रहा था.
उसके बाद उसने टूथब्रुश अपने हाथ में लिया और मेरे से मेरे हाथ ऊपर ही रखने को कहा. मैं मन में सोचने लगी, की अब वो क्या करने वाला है? क्या वो उसे मेरी पूसी के अन्दर डालेगा...नहीं यार...बड़ा दर्द होगा ऐसे तो.."

मैंने उससे बोला, "प्लीज़ रोहित, अन्दर मत डालना, दर्द होगा और कट भी जाएगा."

पर उसने मेरी पैंटी के ऊपर ऊपर से ही मेरी क्लिटोरिस से लेकर नीचे मेरी पूसी के लिप्स की दरार पर से उस टूथब्रुश को फेरना शुरू किया...oh my god...what was the sensation...!!

सही में. वो जो एहसास था उसका वर्णन नहीं कर पा रही, पर अगर आप लड़की हो तो कभी अकेले में करके देखना और अगर आप लड़का हो तो अपनी गर्लफ्रेंड या पत्नी के साथ करके देखना..आपको पता लग जाएगा, की मैं उस समय किस आनंद की अनुभूति से गुजरी थी?

मेरे पूरे शरीर में बिजली का सा झटका दौड़ गया. मैं मिल रहे आनंद के कारण कराहने लगी और उसे लगा की मेरे मुह से निकल रही आवाजें मम्मी सुन सकती थी.और उसने पास में पड़ा रुमाल गोलमोल किया और मेरे खुले मुह में लगा दिया.

जैसे जैसे वो ब्रश को मेरे पूसी स्लिट पर रगड़ रहा था मेरे शरीर में ऐंठन बदती जा रही थी. जब भी उसका ब्रश नीचे की तरफ आ रहा होता तो मैं अपने हिप्स ऊपर उठाकर उसका ज्यादा से ज्यादा दवाब अपनी पूसी स्लिट पर पाना चाह रही थी.उसके बाद उसे देखा की मेरे हिप्स और उसके ब्रश की एक लय सी बन गयी है तो उसने जल्दी जल्दी करना शुरू कर दिया और मैं पागल होने लगी, कुछ ही मिनट में मुझे लगा की मेरी पेशाब निकलने वाली है, जबकि में अपने ओर्गास्म को पाने वाली थी और अचानक बाँध टूट गया और मेरी पैंटी पर एक बड़ा गीला धब्बा निखर आया. मेरी पूसी ने पानी छोड़ दिया था. मेरी साँसे तेज चल रही थी. वो रुक गया था.

कुछ देर तक मुझे घूरने के बाद वो बोला, "कैसा लगा?"

"My God. That was incredible. यह तुमने कहाँ से सीखा रोहित?", मैं बोली.

वो कुछ नहीं बोला. और मेरे बंधे पैर खोल दिए. और बिस्तर पर से खडा होकर बोला,"चलो अब चलने का समय हो गया है..मैं तुम्हारी यह पैंटी ले जा रहा हूँ जो की तुम्हारे योनिरस से भीगी हुयी है. "

"और मेरा क्या? मेरे पास क्या है तुम्हे याद करने के लिए?", मेने पुछा.

"तुम बोलो, क्या चाहती हो?" उसने पुछा..

"I want to give one blow job to you.." मैंने उसे कहा. वो तैयार हो गया. हम दोनों 69 की स्थिति मैं आ गए. मेने उसके लिंग को अपने हथ्लियों में जकड़ लिया और उसे मेरी पैंटी उतार लेने को कहा. क्योंकि मैं जानती थी की एक बाद अगर उसने मेरी पूसी को देख लिया तो उसका लिंग तनाव मैं आ जाएगा."

मेने उसके लिंग को चूसना शुरू कर दिया. और वो मेरी पैंटी उतारने लगा. और करीब पांच मिनट के चूसने मैं ही वो स्खलित हो गया. एक के बाद एक बोछार उसने अपने लिंग मैं छोड़ी और मेरा मुह उसके वीर्य से भर गया. वो नमकीन सा स्वाद लिए था.

उसके तुंरत बाद हम दोनों कपडे पहन कर वापस तैयार हो गए. बाहर चाय की तय्यारी हो रही थी.

चाय के समय उसने मेरी मम्मी से मुझे अगली छुट्टियों मैं उसक पास भेज देने के लिए कहा जिसे मम्मी ने भी हामी भरकर स्वीकार कर दिया. और उसके बाद वो उस शाम पिलानी वापस लौट गया.










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