Thursday, May 27, 2010

बदले की आग (भाग - 2)

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बदले की आग (भाग - 2)

मैं कमरे को थोरा सा खोल के अंदर का नज़ारा देख रहा था. कामिनी कौशल की बाँहों में थी लेकिन वह खुद को छुराने की कोशिश कर रही थी. वह छट'पटा रही थी और लग'ता था की वह आप'नी इच्च्छा से आप'ने चचेरे भाई कौशल की बाँहों में नहीं थी. तभी मैने कामिनी की आवाज़ सुनी.

कौशल मुझे छोड़ दो तुम यह क्या कर रहे हो? मैं अब शादी शुदा हून. छ्होऱ दो मुझे. लेकिन वह तो मस्त हो गया था. उस'ने आप'ने दोनों हाथ ज्योन्ी मेरी बीवी के मुम्मों पर दबाए तो कामिनी'ने गुस्से में उसे कहा की,

कुत्ते छोऱ मुझे, वरना मैं तेरी जान ले लूँगी. उस'ने पास परा हुआ गुल्दान उठा लिया.. कौशल'ने डर कर उसे छोऱ दिया. ज़रा सा पीच्चे हट गया. अब कामिनी गुस्से में उसे गालियाँ निकाल रही थी.

हरामी तुम'ने पहले मुझे नींद की गोलियाँ दे'कर मेरा बलात्कार किया था. तुम्हारी इसी कमिनी हरकत से मेरी ज़िंद'जी खराब हो जाती लेकिन मेरा पति मेरी बात पर यक़ीन कर लिया की मैं कुँवारी थी. मुझे पता है की वह सब समझ गये हैं लेकिन उन्हों'ने मुझे कुच्छ नहीं कहा वह बहुत अच्च्चे हैं. अब कभी तुम'ने दुबारा मेरी तरफ गंदी नज़र से देखा तो मैं तुम्हें मार दूँगी. कुत्ते इंसान! पहले जो कुच्छ भी हुआ वह बलात्कार था. मुझे पता है, इस में तुम्हारी बहनें भी शामिल थी. उन्हों'ने ही तुम्हारी मदद की थी.

साले तुम'ने आप'नी दोनों बहनों की मुझे बर्बाद कर'ने में मदद ली थी. उन'के पास भी तो वह सब कुच्छ था, तो फिर उन'पर ही क्यों नहीं चढ गये. यही तो सगे और पराए में फ़र्क़ है. वह तो मैं परिवार का इज़्ज़त का ख़याल कर'के चुप रह गई. मुझे शक़ है तुम्हारी मा भी तुम नालायक औलादों जैसी कमिनी है. शायद उसे भी इस बात का पता है. लेकिन अब तुम कुच्छ भी नहीं कर सकोगे मेरा विशाल एक एक को देख लेगा. मैं दरवाज़े से हट गया. वापिस टीवी लाउंज में चला गया.

लेकिन मैं सोच रहा था की कामिनी के साथ बहुत बुरा हुआ. मेरे दिल में उस'के लिए प्यार और भर गया. उस में कामिनी की क्या गाल'ती थी. उसे तो अंजाने में नींद की गूलियन खिला कर उस'का बलात्कार किया गया था. मेरा गुस्सा बढ़'ता जा रहा था. मेरा दिल कर रहा था की कौशल का खून कर दूँ पर मैं होश खोना नहीं चाह'ता था, ना ही इतनी आसानी से उसे छोऱ देना चाह'ता था. मैं उसे ऐसी सज़ा देना चाह'ता था की वह सारी ज़िंद'जी याद रखे. मैं आप'ने ख़यालों में ही खोया था की कामिनी कम'रे में आई वह नॉर्मल लग रही थी लेकिन उस'की आँखों में अभी भी गुस्से की झलक थी. वह मेरे पास आई और बोली,

विशाल चलो घर चल'ते है. बहुत देर हो गयी है. मैने वक़्त नहीं ज़ाया कर'ते हुए अंकल और आंटी से इज़ाज़त माँगी और निकल पऱे. रास्ते में मुझे कामिनी पर बहुत प्यार आ रहा था. मैने उस'का हाथ पकऱ कर होठों से लगाया तो वह चौंक उठि. मैने फिर उस'के हाथ पर चूमा तो वह बोली ,

क्या बात है? विशाल आज बहुत प्यार आ रहा है. मैने कहा की,

मुझे तो हमेशा तुम पर प्यार आता है. तुम हो ही इतनी खूब'सूरत के दिल करता है तुम्हें दुनियाँ की नज़रों से च्छूपा लून और साथ ही मैने झुक कर उस'के होंठों को चूमा तो वह बोली,

मेरे प्यारे पति देव शाब आप अभी बहक रहे हैं., नज़र रास्ते पर रखें और घर जाके आप खूब अरमान निकाल लीजिएगा और मैने फिर रास्ते पर नज़र कर ली. हम थोऱी देर में घर पाहूंछ गये. मैने उतार कर कार बाँध की और कामिनी की तरफ आया और कुच्छ कहे बगैर मैने उसे अपनी बाँह में उठा लिया और उस'के होंठों पर चूमा. वह बोली ,

क्या बात है? आज आप को क्या हो गया है? घर के अंदर तो चलें कोई देख लेगा. आप क्या कर रहे हैं.. मुझे नीचे उतारएं.

नहीं मैं तुम्हें नीचे नहीं उतारूँगा और अगर किसी'ने देख लिया तो क्या, तुम मेरी बीवी हो और मैं उसे उठाए हुए घर के अंदर चला गया. मैं उसे सीधे आप'ने बेड रूम में ले गया. रास्ते भर मैने उस'के होंठों को चूमता रहा. बेड रूम में मैने उसे बिस्तर पर लिटय और मैं उस'के ऊपर हो गया. वह अब मेरे नीचे थी. मैं पागलों की तरह उस'पर चुंबन की बार'सात कर रहा था. वह भी काफ़ी गरम हो चुकी थी. उस'ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. वह बोली,

मुझे कप'रे तो चेंज कर'ने दें.

नहीं कामिनी आज मैं तुम्हें ऐसे ही प्यार करूँगा, सारी रात और मैने फिर आप'ने होठों से उस'के होठों को चूम लिया.. मेरे हाथ उस'की चूचियों को मसल रहे थे. मैने फिर आप'ने हाथ से उस'की साड़ी को ऊपर उठाय और अब मेरे हाथ उस'की पनटी पर थे. उस'ने एक सिस'कारी ली.. मैने उस'की पनटी के ऊपर से ही उस'की चूत को मसलना शुरू कर दिया जिस'से वह गरम हो गयी. कामुक सिस'कारी पर सिसकारी ले रही थी..

ऊह.. विशाल. आप को आज क्या हो गया है.. मेरे घर पर ऐसा क्या हो गया की आप एक दम से बदल गये. फिर मैने अपना हाथ उस'की पनटी में डाल दिया. मेरा हाथ उस'की चूत पर था. अब मैने सहज होने के लिए उस'की पनटी को उतार दिया. पनटी को ज़मीन पर फेंक दिया. मैं उस'की गुलाबी रंगत की चूत पर हाथ फ़ायर रहा था. वह सिसक रही थी. फिर मैने उस'की चूत के होठों को अपनी बीच की अंगुल से मसाला और फिर उस'के भगोष्ट पर जब मेरी अंगुली गयी तो वह मदहोश हो गयी. मुझे अपनी बाँह में कस लिया और बोली.

ऊह.. विशाल आप आज मुझे पागल कर देंगे.. आह.... विशाल छोऱो ना, और मैने कुच्छ देर उस'के भगोष्ट को अपनी अंगुल से मसला. फिर मैने अपनी अंगुल उस'की चूत में डाल'नि शुरू की. वाउ! उस'की चूत बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी. मेरी अंगुल जैसे मक्खन में गरम च्छुरी जाती है वैसे ही चली गयी. उस'ने फिर एक ज़ोरदार सिस'कारी ली..

विशााआल! आप'ने मुझे पागल कर दिया है. . अब मुझ से रहा नहीं गया. मैने अपनी पॅंट को खोला, लंड बाहर निकाला और पॅंट को उतारे बगैर मैने अपना लंड उस'की गीली चूत पर रख दिया. एक ज़ोरदार धक्का दिया. मेरा लंड 4इंच तक उस'की चूत में घुस गया. उस'ने एक गहरी कराह ली..

विशाल आज तो तुम मुझे मार ही डालोगे. तुम्हारा जोश तो दिन प्रति दिन बढ़'ता ही जा रहा है. और मैने एक और धक्का दिया. मेरा लॉरा 6" तक चूत के अंदर घुस गया. मुझे इतना जोश आया हुआ था की मैं चाह'ता था की पूरा लंड एक ही धक्के से उस'की चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर से उसे चोदून लेकिन लंड कुच्छ बऱ था. इस'लिए एक धक्के में अंदर नहीं जा रहा था. तकरीबन 5 या 7 धक्कों के बाद मेरा पूरा लंड कामिनी की चूत में था क्योंकि उस'की चूत बहुत गीली हो चुकी थी. लंड आसानी से पूरा चला गया. उसे ज़्यादा दर्द भी नहीं हुआ और वह भी बहुत जोश में थी.

बस फिर क्या था? हम ऐसे एक दूसरे में खो गये जैसे दो जान'वार आपस में संभोग में लिप्त होते हैं.. वह अपनी चूत को ऊपर उठा उठा के मेरे धक्कों का स्वागत कर रही थी. मैने उस'के होंठों को चूम'ना शुरू कर दिया. साथ ही साथ ज़ोरदार तरीके से उसे छोड़ रहा था. मैने जोश में आ के उस'का ब्लाउस फाऱ दिया. साथ ही उस'की ब्रा भी फाऱ दी. अब उस'की चूचियाँ मेरे मूँ'ह में थे. उस'के गुलाबी चूचुकों को चूसना शुरू किया. वह सिसक रही थी..

विशाल.... आप'ने मुझे पागल कर दिया है. मैं तुम्हें बहुत प्यार कर'ती हून. विशाल तुम मुझे कभी नहीं छ्होरना वरना मैं मार जवँगी. मैं तुम्हारे बिना अब एक पल भी अकेली नहीं रह सक'ती. तुम्हें पहले दिन देख'ते ही मैं तुम पर दिल हार चुकी थी. मैं तुम्हें बहुत चाह'ती हून. विशाल.... उस'की बातों'ने मुझे मदहोश कर दिया था. फिर थोऱी देर के बाद ही वह झऱ'ने वाली थी.

ऑश विशाल मैं झऱ'ने वाली हून.. ऊह.. विशाल और ज़ोर से छोड़ो अपनी कामिनी को और वह झऱ गयी. अब मैं भी झऱ'ने वाला था. मैने कहा,

कामिनी मैं भी झऱ'ने वाला हून और उस'ने अपनी दोनों टाँगों से मेरी कमर को पकऱ लिया और अपनी चूत को ऊपर की तरफ धक्का देने लगी. मैने एक ज़ोरदार दाहका लगाया. मेरा लंड उस'की चूत में गहराई तक उतार गया. मैने उस'की चूत में सारा वीरया छोऱ दिया. फिर मैं उस'के बदन पर गिर गया. हम दोनों गहरी साँसें ले रहे थे जैसे कुत्ते हाँप'ते हों. मैं उस'की नंगी छ्चाटी पर परा हुआ था. उस'की चूचियाँ मेरी छ्चाटी से डब रही थी. हमें कुच्छ होश नहीं था. शादी के इन 10 दिनों में यह पहली बार हुआ था की हम'ने इतनी ज़ोरदार चुदाई की थी की होश भी नहीं रहा और हमें पता भी नहीं चला कब हम सो गये. सुबह जाके हम दोनों की आँख खुली. वह अब भी मेरे नीचे ही थी. मेरा लंड उस'की चूत में था. मैं उस'के ऊपर से हट गया. उस'ने मेरी आँखों में देख'ते हुए कहा,

विशाल आप'ने क्या जादू कर दिया था. रात को मुझे होश ही नहीं रहा. मैने उस'के होठों को चूमा और बोला,

कामिनी डार्लिंग तुम'ने भी तो मुझे मदहोश कर दिया था. अब जाके होश आया है.

अच्च्छा, अब ज़्यादा मस्का नहीं लगाना. चलो उठेन,

कितना वक़्त हो गया है? मेरी नज़र जब घऱी पर पऱी तो दिन के 11 बाज'ने वाले थे. मैं एक झट्के से उठा तो वह भी उठ गयी लेकिन जब उस'की नज़र अपनी साड़ी पर पऱी तो उस'की तो हालत खराब थी. (शाडी की बात कर रहा हून.) वह बोली,

आप'ने मेरी कीमती साड़ी फाऱ डी है. पूरे 20,000 र्स की थी. मैने कीट'नी चाहत से खरीदी थी.

कोई बात नहीं डार्लिंग मैं तुम्हें इस से भी अच्च्ची साऱियान ले के दूँगा और मैने उस'के होठों को चूमा. हम'ने साथ ही शवर लिया और वह रसोई में चली गयी नाश्ता बना'ने को और मैं फिर गहरी सोच में गिर गया. सोच'ने लगा की मुझे कामिनी की चचेरी बहनें और उस हरामी कौशल के परिवार से कामिनी का बदला लेना है. प्लान सोच'ने लगा की इट'ने में मुझे कामिनी की आवाज़ आई और मैं अपनी सोचों से बाहर आया. वह मुझे नाश्ते के लिए बुला रही थी. मैं नीचे डाइनिंग हॉल को चल परा. वह मेरा इंत'ज़ार कर रही थी. मैं उस'के पास बैठ गया. हम'ने नाश्ता किया. फिर मैने कामिनी से कहा की,

चलो शॉपिंग के लिए चल'ते हैं तो वह बोली,

मैं तो मज़ाक कर रही थी. शाडी का मेरे पास बहुत स्टॉक है. आप फिकर नहीं करें.

नहीं कामिनी मैं आज तुम्हें अपनी पसंद का तोहफा देना चाह'ता हून. हम लोग शॉपिंग के लिए निकल पऱे. जब हम शॉपिंग कर रहे थे तो मेरी नज़र एक सोने की सेट पर पऱी. मैने फ़ौरन वह खरीद लिया और कामिनी को उप'हार में दिया. वह बोली,

आप भी पागल हैं., इतना कीमती सेट लेने की क्या ज़रूरत थी.

कामिनी तुम्हारे लिए तो मैं जान भी दे सक'ता हून. यह सेट क्या चीज़ है तो वह फ़ौरन बोली,

आप को मेरी उमर भी लग जाए. आप फिर कभी ऐसी बात नहीं करना प्लीज़.

अच्च्छा बाबा नहीं करूँगा, चलो माफ़ कर दो. हम जब शॉप से बाहर निकले और फिर मैने दो अच्च्ची सी साऱियान कामिनी को दिलवाई. हम'ने सोचा की चलो पहले कामिनी के चाचा के घर जाते हैं जो पास ही था और फिर लंच किसी अच्च्चे से रेस्टोरेंट में कर'ते हुए घर वापिस जाएँगे. अंकल आंटी'ने हमारा बऱे तपाक से इस्टाकबाल किया. अंकल ने कहा,

विशाल बेटे जब तक यहाँ हो, आते रहो. अब तो तुम्हारे पिताजी भी इंग्लेंड वापस चले गये हैं. कामिनी बेटी के चले जाने से घर सूना सूना लग'ता है. तुम दोनों को देख लेने से ही दिल खुश हो जाता है. चलो खाना तो खाओगे ना हमारे साथ तो कामिनी फ़ौरन बोली,

नहीं चाचजी, हम लोगों'ने आज खाना बाहर खा'ने का सोचा है. हन चाय ज़रूर ले लेंगे और वह चाची के साथ रसोई में चली गयी. मैं और अंकल बातें कर'ने लगे. कुच्छ वक़्त के बाद कामिनी और आंटी चाय ले कर आई और हम सब'ने चाय पी और फिर हम रेस्टोरेंट के लिए निकल पऱे. रेस्टोरेंट में हम'ने कोने वाली तबले ली. खा'ने का ऑर्डर दे'ते हुए जब मेरी नज़र दर'वाजे पर पऱी तो कामिनी की चचेरी बहनें रेस्टोरेंट में दाखिल हो रही थी. लग'ता है वह भी शॉपिंग कर के आई थी. कामिनी की नज़र उन पर गयी तो बोली,

ये दोनों यहाँ क्या कर रही हैं? और उन दोनों'ने हमें देख लिया और हमारी तबले पर आ गयी थी. हम'ने उन्हें बैठ'ने के लिए कहा और दोनों'ने बैठ'ने में दायर नहीं लगाई. मैने उन के लिए भी खा'ने का ऑर्डर दिया. खा'ने के बाद जब हम सब रेस्तूरंत से बाहर आए तो मैने पूचछा,

क्या कार लाई हो या टॅक्सी में आई हो तो वह बोली की टॅक्सी पर आई थी. मैने कहा की,

चलो हम तुम्हें छोऱ देंगे घर पर. मैं उन दोनों के करीब होना चाह'ता था की कामिनी का बाद'ला भी तो लेना था. दोनों बहनों को मैं कुच्छ ज़्यादा ही भाव दे रहा था. वह खुश हो रही थी. जब उन को घर उतारा तो बऱी वाली बहन बोली,

आप चाय हमारे साथ पीएन. हम'ने बहूत माना किया पर वह दोनों नहीं मानी और हमें खींच कर घर में ले गयी. अब मैं आप लोगों का दोनों बहन से परिचा'य करा दूँ. Bअऱी वाली का नाम रूचि, आगे 26 साल, फिगर 38 30 36, रंग गोरा और एक बच्चे की मा. इसी लिए उस'की चूचियाँ भारी भारी थी. आकार भी अच्च्छा था. अब छोटी वाली की आगे 19 थी. गोरा रंग और वह भी बहुत सेक्सी थी. Bअऱी बहन के मुकाब'ले च्चर'हरी थी. फिगर 34 28 32 होगा. नाम मधु था. दोनों का परिचा'य इस'लिए करवाया के आप को कहानी में मज़ा आए.

हम दोनों जब बैठक मान गये तो छोटी वाली रसोई में घुस गयी, चाय बना'ने के लिए और बऱी वाली हम से बातें कर'ने लगी. मैने देख लिया की यह तो आराम से छुड़वा ले'जी क्योंकि वह मुझे बार बार देख रही थी. उस'के होंठों पर शरारती सी मुस्कान थी. मैने भी उस'की आँखों में देखा था, कामिनी से नेज़र बचा के. कामिनी कुच्छ देर बाद रसोई में चली गयी. मैने वक़्त नहीं बार'बाद किया और रूचि से कहा की,

आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं, सलवार कमीज़ में. उस'ने शर्मा'ने की आक्टिंग की और बोली,

शुक्रिया, आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हैं और कामिनी और आप की जोऱी बहुत खूबसूरत है. मैने थॅंक्स किया और बोला,

वैसे अगर आप भी होती तो भी खूबसूरत जोऱी होती वह शर्मा गयी और बोली,

मैं तो अब एक बच्चे की मा हून. मैने दर'वाजे की तरफ देखा कोई है तो नहीं. किसी को नहीं पा के मैं अपनी सीट से उठा और उस'के करीब गया. उस'को हाथ से पकऱ कर उठाय और साथ ही उस'के गालों को हाल'के से चूम लिया.. साथ ही मुझे कामिनी की आवाज़ आई, रसोई से. वह बाहर ही आ रही थी. मैं फॉरन अपनी सीट पर वापिस आ गया. रूचि अब भी मुझे देख रही थी. जब हम वापिस घर के लिए निकले तो मैने उस'के करीब हो'ते ही कहा की,

मैं कल तुम्हारा इंत'ज़ार करूँगा. कामिनी आप'नी किसी सहेली को मिल'ने जाएगी. मैं घर में अकेला होऊँगा. तुम 10 बजे आ जाना. वह कुच्छ नहीं बोली. घर पाहूंछ कर मैने कामिनी को सारी रात चोदा और सुबह 9 बजे वह अपनी सहेली के घर चली गयी और बोली,

रात को आप मुझे लेने आना. डिन्नर सहेली के बच्चे की बर्त दे पार्टी में साथ करेंगे. वह मुझे चूम'ते हुए चली गयी. मैने घऱी देखी तो रूचि'के आ'ने में 30 मिनिट बाकी थे. मैं फ़ौरन बेड रूम में गया. अपना हॅंडी कॅमरा सेट किया. लोंग प्ले पर सेट किया. वापिस बैठक में आ गया और टेलिविषन देख'ने लगा.

वक़्त गुजर रहा था. अब 10:15 पर जब दर'वाजे पर घन्टी बाजी तो मैने भाग कर दरवाज़ा खोला तो रूचि को दर'वाजे पर खऱे पाया. मैने उसे अंदर आ'ने को बोला और उसे बैठक में ले आया तो बोली,

आप'ने मुझे क्यों 10.00 बजे आ'ने को बोला था? क्या कोई काम था आप को? मैने उस'की आँखों में देखा और बोला,

हन काम था तुम से और वह काम तुम अच्च्ची तरह करो'जी, मुझे मालूम है.

अच्च्छा वह क्या काम है? मैने कहा,





















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