Monday, May 24, 2010

सेक्सी कहानिया उषा की कहानी - पार्ट 5

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उषा की कहानी - पार्ट 5

जैसे ही रमेश ने अपनी मा की पेटिकोट उपर उठाया तो उसको मा की
चूत दिखने लगा. रमेश ने देखा की मा की चूत पर झांतों का
नामो निशान नही है और उनकी चूत बिल्कुल साफ सुथरा है. गिरिजा
जी की चूत की की घुंडी (क्लिट) इस समय बहुत तनी हुई थी और
उनके चूत से लास लासा सा पानी निकाल रहा था. रमेश अपनी मा की
चूत को देखते ही समझ गया की मा इस समय बहुत चुदासी है
और लंड ख़ान एके लिए टायर है. रमेश ने आगे बरह कर गिरिजा जी
जी चूत पर अपना मुँह भीरा दिया और उसको चूमा. चूमने के बाद
रमेश ने अपना हाथों से अपनी मा की चूत के पुट्टीओं को खोला और
अपना जीव निकाल कर मा की चूत मे डाल दिया. जीव घुसते ही
स्नेहलाता सीसीया उठी और अपने हाथों से अपने बेटे का सर पकर कर
अपने चूत से सटा दिया. अब रमेश ज़ोर ज़ोर से जीव से अपनी मा की
चूत को चोद रहा था और कभी कभी वो उनकी चूत को चाट रहा
था. अब गिरिजा जी से बर्दस्त नही हुआ और वो अपने बेटे को ज़मीन
पर लेता कर उसका खरा हुआ लंड अपनी चूत से भीरा कर अपने बेटे
पर चार बैठी. थोरी देर बैठने के बाद गिरिजा जी अपने दोनो हाथ
रमेश के छाती के दोनो तरफ रख कर अपनी कमर उठा उठा कर अपने
बेटे का लंड अपने चूत के अंदर बाहर करने लगी. उसकी गर्मी देख
कर गौतम अपने जगह से उठ खरा हो गया और गिरिजा जी से
बोला, "मा जी लगता है आप की चूत बहुत दीनो से भूखी है और
बहुत दीनो से आप ठीक तरीके से चूड़ी नही है. क्टा बाबूजी आप
को नही चोद्ते?" "नही बेटा एह बात नही है. तुम्हारे बाबूजी तो
रोज रात को हुमारी चूत मे अपना लंड डाल कर चोद्ते हैं और कभी
कभी वो दिन को भी चोद लेते हैं. कभी कभी तो तुम्हारे बाबूजी
मेरी गॅंड भी मारते हैं. आज ऐसा हुआ की पार्टी मे बहुत से लोगों से
मिल कर, उनसे बोल कर और बहुतों को चूम कर मेरी चूत बहुत देर
से गीली हो रही थी और लंड ख़ान के लिए तरस रही थी. और
फिर रही सही कसर तुमने और कैलाश ने मेरी चूंची को मसल
के और चूस के पूरा कर दिया है" स्नेहलाता बोली. "अच्छा अब चुप
करो और मुझे मेरे बेटे का लंड से अपनी चूत मरवाने दो" स्नेहकता
फिर से बोली. फिर गिरिजा जी थोरा झुक कर अपनी कमर उछाल उछाल
कर अपने बेटे का लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी.
थोरी देर तक स्नेहलाते जी ने अपने बेटे को उपर चढ़ कर चोदा और
फिर थक कर रमेश के उपर लेट गयी.

गिरिजा जी के लेट ते ही गौतम जो अब तक चुप छाप अपना खरा लंड
पकर कर मा बेटे की चुदाई देख रहा था आगे बरहा और अपने लॉर
पर थोरा सा थूक लगा कर अपना लंड गिरिजा जी की गॅंड की छेड़ पर
रख दिया. गॅंड पर लंड की सुपरा लगते ही गिरिजा जी एक बार अपना
चेहरा घुमा कर देखी और मुस्कुरा कर बोली, "गौतम, क्या इरादा
है, क्या चूत छोर कर अब तुम्हारी नज़र मेरी गॅंड पर हो
गये?" "क्या करे आंटी, आप तो अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड पिलवा
रहें है और मेरा लंड खरा हो गया है. अब इस समय मै तो इस
लंड को आपके गॅंड मे ही पेलुँगा" गौतम ने अपने लंड को थोरा सा
धक्का देते हुए कहा. गिरिजा जी ने तब अपने बेटे को फिर से चोद्ते
हुए बोली, "ठीक है, लेकिन थोरा स्महल कर. तुम्हारा लंड तुम्हारे
बाबूजी से लूंबा और मोटा, मेरी गॅंड मत फार देना." इतना सुनने के
बाद गौतम अपने हाथों से गिरिजा जी की बरी बरी चूटरों को अपने
हाथों से पकर कर एक धक्का मारा और उसका आधा लंड गिरिजा जी की
गॅंड मे घुस गया.
जैसे ही गौतम का आधा लॉरा गिरिजा जी की गॅंड मे घुसा, गिरिजा
जी बोली, "साले मदारचोड़, तुमको मैने क्या बोली, धीरे धीरे मेरी
गॅंड मारना और तुम जो है की एक ही झटके मे अपना मूसल जैसा लंड
का आधा पेल दिया." मा की बातों को सुन कर रमेश नीचे से अपना
लंड अपनी मा की चूत मे प्रलता हुआ बोला, "मा, तुम कैसी बातें कर
रही हो? लगता है की तुम्हारा जवान बहुत गंदा हो गया है." तब
गिरिजा जी बोली, "बेटा, जब चूत और गॅंड मे दो दो जवान लंड घुसा
हो तो जवान अपने आप गंदी हो जाती है और इससे छोड़ने वेल का और
चुफ्वानव वेल का जोश और भी बरह जाता है. वैसे मुझे चूत
मरवाते वक़्त गली देना अक्च्छा लगता है. क्या तुमको मेरी जवान से
गली अक्च्ची नही लगी?" "नही वो बात नही है. मैने कभी तुम्हारे
जवान से गली नही सुनी इसी लिए मुझे कुछ अटपटा सा लगा" रमेश
अपनी मा की चूंची को मसालते हुए कहा. रमेश की बात सुन कर
गिरिजा जी बोली, "मदारचोड़, क्या तूने इसके पहले कभी अपनी मा की
चूत मे अपना लंड घुसेरा है? क्या तुम्हारा दोस्त अपना लंड तुम्हारी
मा की गॅंड मे पेला है? साले चोद्ना है तो चुप छाप चोद और बातें
करनी है तो सिर्फ़ गलिओं से बात कर. समझा गन्दू?" तब रमेश अपनी
मा की चूत मे नीचे से धक्के मारते हुए बोला, "समझा मेरी छीनाल
मा. आज तेरी चूत और तेरी गॅंड दोनो दोस्त की लंड से फटने वाला
है. आज हुमलोग देखते हैं की तू कितनी चुड़दकर है." गिरिजा जी
तब अपने बेटे से बोली, "सबाश मेरा बेटा सबाश. तेरी गली मुझको
बहुत अक्च्ची लगी. तू बस ऐसे ही गली देता जा और मुझको चोद्ता
जा." गौतम अब तक जो की मा बेटे की बातें सुन रहा था, गिरिजा जी
की बात सुन कर उनकी भारी भारी चुटाओं को अपने दोनो हाथों से पकर
कर अपना कमर चला कर एक ज़ोर डर धक्का मारा और अपना पूरा का
पूरा लंड गिरिजा जी की गॅंड मे घुसेर दिया.

स्नेहला जी की गॅंड मे जैसे गौतम का लंड घुसा, वो आगे झुक कर
अपनी गॅंड को और ऊपेर उठा दिया और झुक कर अपनी चूत से अपने
बेटे का लंड खाने लगी और ज़ोर ज़ोर से गली बकने लगी. गिरिजा जी
बोल रही थी, "साले मदारचोड़ गबड़ु, मार मार और ज़ोर से मार मेरी
चूत और मेरी गॅंड. बहुत अक्च्छा लग रहा है. साले मुझको ऐसा लग
रहा जैसे की तुम दोनो मिल कर मेरी गॅंड और बुर दोनो की छेड़ एक
करड़ेगे. कोई परवाह नही, अभी बस तुम दोनो मेरी चूत और मेरी
गॅंड मे अपना अपना लंड पेलते रहो. बहुत मज़ा आ रहा है. है मेरे
प्यारे पति देव और मेरी प्यारी बहू देखो, देखो कैसे मेरा बेटा और
उसका दोस्त मेरी चूत और गॅंड की धुनाई कर रहें है." रमेश और
गौतम दोनो गिरिजा जी की बातों को सुन कर दोनो और भी गरमा गये
और दोनो अपनी अपनी कमर हिला हिला कर सबहलाता जी की चूत और
गॅंड मस्त हो कर चोदने लगे.

उधर गिरिजा जी अपनी चूत और गॅंड से रमेश और गौतम के लंड
खा रही थी और उनकी चुदाई देख देख कर उषा, गोविद्जी और
किलष गरम हो रहे थे. इतनी गरम चुदाई देख कर उषा अपने आस्री
के अप्पर से अपनी चूत पर हाथ चला रही थी और गोविंदजी और
कैलाश भी अपना लंड कपों के अप्पर से मसल रहे थे. एह देख कर
गिरिजा जी अपनी चूत और गॅंड चुड़वते हुए बोली, "बेटी उषा, तू
क्यों शरम कर रही है. चल तू अपने कपारे उतार कर अपने ससुर
और अपने भाई के लंड से मज़ा लूट. क्या मेरी चुदाई देख कर तेरी
चूत से पानी नही निकाल रहा है?" उषा अपनी सास से बोली, "है मा
जी आपकी चूत और गॅंड दोनो से जाग निकाल रहा है, और हाँ मेरी
चूत से भी पानी निकाल रहा है." गिरिजा जी बोली, "जब तेरी चूत
से पानी निकाल रहा है तो देरी किस बात की, उतार दे पाने कपारे और
अपने भाई और ससुर को भी नंगा करके टब ही अपनी चूत और गॅंड
चुड़वा और मज़े लूट. क्या तुझको अपने भाई के सामने कपारे तार ने मे
शरम लग रहा है क्या?" "हाँ, मैने आज तक भाई के सामने कभी
नंगी हुए हूं, आज कैसे नंगी हो पौँगी" उषा अपनी सास की
चुदाई देखती हुई बोली. तब गिरिजा जी मूर कर कैलाश से
बोली, "क्यों कैलाश, क्या तुम अपनी बहन को नंगी देखना चाहते हो,
क्यट उम अपनी बहन की चूत चोद्ना चाहते हो?" "हन मा जी हन,
मै अपनी बहन उषा को नंगी कर के उसकी चूत चोद्ना चाहता हूँ.
एह तो मेरा पूरी जिंदगी का अरमान है. लेकिन क्या करूँ, उषा नंगी
नही हो रही है तो मै कैसे उसको चोद सकता हूँ" कैलाश अपने लंड
को अपने कपरों के उपर से मसालते हुए बोला. कैलाश की बातों को सुन
कर गोविंदजी अपने जगह से उठ खरे हो गये और अपनी बाहू उषा के
पास जा कर उसको पहले चूम लिया और फिरे एके क करके उषा के
कपारे उतरने लगे. उषा आनाकानी करती रही और गोविंदजी एके क
करके उषा के कपारे उतार कर उषा को नंगी कर दिया.

जैसे ही उषा नंगी हो कर अपने भाई कैलाश और अपने ससुर
गोविंदजी के सामने खरी हुई तो कैलाश आगे बरह कर उषा की दोनो
चूंचीोन को अपने दोनो हाथों मे भर कर मसालने लगा और गोविंदजी
भी उषा की आगे ज़मीन पर बैठ कर उषा की चूत से अपना मुँह
लगा दिया. उषा अपने शरीर पर दोहरा अटॅक से मस्त हो गयी और
अपने हाथों से अपने भाई का खरा लंड पकर कर मारोर्ने लगी और
और कमर आगे करके अपनी चूत को अपने ससुर को खिलाने ल्गी. तब
कैलाश ने अपनी बहन उषा को अपने हाथों से उठा कर अपने गोद मे ले
लिया और फिर उषा को ज़मीन पर बिछी कालीन पर लिटा दिया. कालीन
पर लेट ते ही उषा ने अपने टाँगे घुटने से मोर कर उपर उठा दिया
और कैलाश अपनी बहन की चूत पर अपना मुँह रख दिया. अपने चूत
एप्र भाई का मुँह छूटे ही उषा ने अपने कमर को उठा दिया और अपनी
चूत को जीव से चोदने के लिए कैलाश को बोलने लगी. उषा बोल
रही थी, "हाँ, हाँ भाई ऐसे ही अपनी जीव मेरी बुर मे घुसेरो.
बरा मज़ा आ रहा है. शेड के पहले तुम मुझको देखते थी, लेकिन
मै तुमको लिफ्ट नही डटे थी. क्या करूँ, मै डरती थी, की
कहीं मेरी पॉल पट्टी मा खुल जाए. आज तुम्हारे सामने मेरी चूत
बिल्कुल खुली हुए है. आज तुम जो चाहो कर सकते हो. जो भी कर्मा
है जल्दी करो, मेरी शेरर और मेरी चूत मे आग लगी हुई है.
श! श! भाई जल्दी से अपना मस्त लंड मेरी चूत मे डालो. मई
चूत की खाज के मारे मारी जा रहीं हूँ." कैलाश अपनी बहन की
बातों को संटॅन रहा और उसकी चूत को चाटना नही छोरा. थोरी देर
तक उषा चुप छाप अपनी चूत अपने भाई से चुस्वती रही लेकिन जब
उसकी चूत की खुजली बहुत बरह गयी तो उषा ने अपने भाई से
बोली, "साले बहँचोड़, अभी अभी तो बोल रहा था की मेरी चूत
चोद्ना तेरी सारी जिंदगी की क्वश. अब जब मै अपनी चूत नंगी
करके तेरे सामने लेती हुईं हूं तो तू सिर्फ़ चूत ही छत रहा है.
क्या तेरा लंड अभी खरा नही हुआ है. ला मै तेरा लंड चूस करके
खरा कर देतीं हूं. और अगर तुझे मेरी चूत पसंद नही है,
तो हट मेरे ऊपर से और मै अपनी चूत अपने ससुर के लंड से
मरवती हूं." इतना सुनते ही कैलाश अपनी बहन पर टूट परा और
उसकी टाँगों को अपने हाथों से फैला कर अपना लंड का सुपरा उसकी
चूत के छेड़ से भीरा दिया. चूत पर लंड का सुपरा भीरते ही उषा
एक बार कांप उठी और फिर अपने हतों को नीचे ले जाकर अपने भाई का
लंड पकर कर अपनी चूत पर रख कर अपनी कमर उचका कर चूत मे
लंड डलवा लिया. चूत मे लंड घुसते ही उषा और कैलाश दोनो थोरी
देर के लिए चुप छाप लेते रहे और फिर थोरी देर के बाद उषा अपनी
कमर उचका कर अपने भाई से चोदने के लिए इशारा किया. कैलाश भी
अपनी बहन का इशारा मिलते ही अपना कमर उठा उठा कर अपना लंड
अपनी बहन की चूत मे पेलने लगा. अपने चूत मे भाई का लंड
पिलवाते हुए उषा ने कैलाश से बोली, "भाई आज अपना अरमान पूरा कर
ले और चूत चोद चोद कर उसको भोसरा बना दे. देख कैसे मेरी
चूत तेरा लंड खा कर फूल गया है. है! भाई बहुत मज़ा आ रहा
है. तू ने पहले ह्यूम क्यों नही चोडा. ट्यू क बार बोलता या इशारा
करता तो मै कब से तेरा लंड अपनी चूत को खिलती. खैर अभी कोई
बात बिग्रा नही है. अब तू जब चाहे मेरे घर आ कर मेरी चूत को
चोद्ना और अगर मन चाहे तो मेरी गॅंड मे भी अपना लंड पेलना. तुझे
मालूम नही है की मुझे गॅंड मरवाने का भी बहूत शौक है और
मै अपनी गॅंड भी अब खूब मरवती हूं." इतना कहकर उषा अपनी
चूटर ज़ोर ज़ोर से उछालने लगी और एह देख कर कैलाश अपनी बहन
से बोला, "एह क्या बात हुए? मई तुझको चोद रहा हूँ या तू मुझको चोद
रही है? तू अपनी चूटर इस तरह से उछाल रही है जैसे कीट
मुझको चोद रही है.
कैलाश की बात सुन कर उषा अपने भाई से बोली, "हाँ भाई मै अपनी
सास को अपनी चूत और गॅंड से दो दो लंड खाते देख कर मै बहुत
गरमा गयी हूं. मेरे लिए अब रुकना बहुत मुहकिल है. चल अब तू
नीचे लेट जा और मै तेरे ऊपेर चढ़ कर तुझको चोद्ती हूँ." इतना
कह कर उषा अपनी भाई को नीचे लेता दिया और खुद ऊपेर चार कर
अपनी गॅंड उठा उठा कर कैल्श को चोदने लगी. उषा अपने भाई पर
झुक कर उसको चोद रही थी और उसकी चूनचे हवा मे झूल रहे थे
और कैलाश को मुँह पर चोट कर रहे थे. थोरी देर तक उषा ऊपेर
से और कैलाश नीचे से एक दूसरे को चोद्ते रहे और फिर उषा थक
कर अपनी भाई पर लेट गयी और कैलाश से बोली, "भाई मै थक
गयी हूँ अब तू मेरे ऊपेर चाड कर मुझको ज़ोर ज़ोर से चोद. आज पहर
दे मेरी चूत को अपने लंड के चोटों से."

कैलाश अपनी बहन की बात सुन कर उषा को नीचे लेता दिया और उषा
के ऊपेर चार कर उसकी दोनो चूंची को अपने हाथों से मसालते हुए
ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. थोरी देर तक फुल स्पीड मे चोद कर वो
धीरे धीरे चोदने लगा और अपनी बहन से बोला, "बहन मै कब से
तेरी चूत को चोदने की ताक मे था. मै पहले भी कई बार इसके लिए
तुझे इशारा भी किया था लेकिन तू मेरा इशारा समझ ना सकी
खैर आज के बाद जब भी मुझे मौका मिलेगा, मै तेरी चूत मे अपना
लंड ज़रूर पेलुँगा और जब तेरी चूत मेरा लंड खा खा कर भिसरा
बन जाएगी तब मै तेरी गॅंड मे अपना लंड पेलुँगा, ठीक है ना?
क्या तू मुझसे अपनी गॅंड मरवेगी?" "हाँ बही हाँ, आज के बाद जब मन
आए तुम इन्हा आ कर मेरी चूत और गॅंड दोनो को चोद्ना. तेरी चुदाई
से मुझे बहुत खुशी होगी" उषा ने अपनी कमर उचकते हुए बोली.

दोनो बही बहन अपनी बातों मे मशगूल हो कर चुदाई कर रहे थे और
गोविंदजी अपना लंड पाखारे उनकी चुदाई देख रहे थे. थोरी देर के
बाद गोविंदजी ने अपने बहू से बोले, "उषा, क्या बात है तुम दोनो भाई
और बहन अपनी चुदाई मे इतना मशगूल हो गये की मेरे बारे बिलकूल
भूल गये. अरे भाई मै बहूत देर से अपना लंड थामे तुम दोनो की
चुदाई देख रहा हूं और अपना लंड सहला रहा हूं." गोविंदजी की
बातों को सुन कर गिरजा देवी भी अपनी चूत और गॅंड मरवाते हुए
बोली, "अरे छिनार उषा, क्यट तू अपने भाई का लंड पा कर अपने ससुर
के लंड को भूल गयी? तेरा ससुर कब से अपना लंड थामे तेरी और
तेरे भाई की कूट और लंड कुस्टी देख रहा है. जल्दी से अपने भाई
के लंड का पानी निकाल और अपने चूत मे अपने ससुर का लंड डलवा.
तेरे ससुर का लंड इस समय बिकुल फूल कर टन गया है और तेरी
चूत की आज खैर नही." उषा अपने भाई के लंड चुड़वते हुए
बोली, "माजी आप मुझको छिनार कहा रही हैं और खुद अपने बेटे
और उसके दोस्त का लंड मज़े से अपनी चूत और गॅंड मे पिलवा रही
है. इससे तो आप तो मुझसे ज़्यादा छिनार हुए. रही बात मेरी चूत की,
तो मुझे मालूम है की ससुरजी का लंड खरा हो कर तन्ना रहा है
और अगर आप को अपने पति पर तरस आ रही है तो आप खुद ही उनका
लंड चूस कर उनको झार डिगिए और उनका पानी पी लीजिए. अभी तो मै
अपने भाई का लंड अपनी चूत से खा रही हूँ और अगर मेरे सस्रज़ी
को मेरी गॅंड मे अपना लंड पेलना है तो पेल सकते हैं." अपनी बहू
बात सुन कर गिरिजा देवी थोरी देर के लिए चुप हो गयी और फिर
अपनी बहू से बोली, "साली रंडी, छिनार अपनी सास की चुदाई देख
रही है और अपनी भाई का लंड अपनी चूत से कह रही है. चल
जल्दी से अपने गॅंड मे अपनी ससुर का लंड डलवा." "ठीक है, मै
गॅंड ऊपेर कर रही हूँ और ससुर जी मेरी गॅंड अपना लंड पेल सकते
है" उषा अपनी सास से बोली. इतना कहा कर उषा फिर से अपने भाओ को
नीचे लेता कर कैलाश पर चार गयी और अपनी गॅंड को ऊपेर कर
दिया.

तब गोविंगजी अपने खरे लंड के सुपरे पर थोरा से थूक लगा कर
लंड को अपने बहू, उषा, की गॅंड के छेड़ से भीरा दिया. लंड भिरने
के बाद गोविंदजी अपने दोनो हाथों से उषा के कमर को अपने दोनो
हाथों से पकर कर अपना लंड उषा की गॅंड के छेड़ मे दबाने लगे.
थोरी देर के बाद गोविंदजी का लंड का सुपरा फक से उषा केग आंड की
छेड़ मे घुस गया. तब गोविंदजी उषा की कमर को कस कर पकर कर
अपना कमर हिला कर एक ज़ोर डर धक्का मारा और उनका लंड आधे से
ज़्यादा उषा की गॅंड मे घुस गया. उषा मारे दर्द के बिलबिला उठी और
अपने ससुर से अपना लंड निकालने के बोले. लेकिन गोविंदजी कहाँ सुनने
वेल थे, वो उषा की कमर को कस कर पकर कर पना लंड उषा की
गॅंड के अंदर बाहर करने मे लगे हुए थे. उषा बोल रही
थी, "साले भोसरी के ससुरजी अपना लंड मेरी गॅंड से निकाल ले.
मेरी गॅंड फटी जा रही है, मै मारे जा रही हूँ. साले गॅंड
मारना है तो जा अपनी बीवी के पास, देख वो कैस ईक साथ दो दो लंड
अपनी चूत और गॅंड मे पिलवा रही है. जा, जाकर अपनी बीवी की गॅंड
मे अपना लंड दल कर उसकी गॅंड मार, मुझे छोर. मिझे अपनी गॅंड
नही मर्वानी है." गोविंदजी अपने बहू की बात सुन कर बोले, "साली
रंडी, आज मै तेरी गॅंड को चोद चोद कर फार दूँगा, कल सुबह उठ
कर्ट टटी नही कर पाएगी क्योंकी तेरी गॅंड फॅट चक्का होगा.
मुझे मालूम है की मेरी बीबी जो की तेरी सास भी है उसको गॅंड
मरवाने ने अक्च्छा लगता है और फफ़्ते मे तीन चार बार उसकी गॅंड
मार देता हुउँ. आज मुझको तेरी कोरी गॅंड मारने को मिला है और आज
मै बिना गॅंड फेयर नही चोरूगा." इतना कह कर गोविंदजी ज़ोर ज़ोर
से अपने लंड से उषा की गॅंड मारने लगे. थोरी देर के बाद कैलाश,
जो अब तक नीचे लेट कर अपना लंड उषा की चूत मे पेल रहा था
झार गया और धीरे से उषा के नीचे से निकाल कर बगल मे खरा हो
कर ससुर और बहू की चुदाई देखने लगा.
जब उषा अपने भाई को अपने पास खरा देखी तो जल्दी से उसका लंड
अपने हाथों मे ले कर सहला सहला कर खरा किया और फिर उसको
अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. अब तक उषा को गॅंड मरवाने मे
मज़ा मिलने लगा और वो मज़े से अपनी गॅंड अपनी ससुर के लंड से
मरवाने लगी और मुँह से अपनी भाई का लंड खाने लगी. उधर
रमेश और गौतम भी गिरिजा देवी की चूत और गॅंड मार कर फारिग
हो चुके थे. थोरी देर के बाद गोविंदजी भी अपना लंड का पानी उषा
की गॅंड मे छोर दिया और अपना लंड उषा की गॅंड निकाल लिया. अब
चारों मर्दों की लंड झार कर सिकुर चक्का था और दोनो औरतों की
चूत और गॅंड चुड चुड कर फूल कर लाल हो गया था. सभी थोरी
देर तक लेट कर सुस्ता लियऽउर तब फिर उषा और गिरिजा देवी नंगी
ही किचन मे जा कर सभी लोगों के लिए चाइ और हल्का नाश्ता
लेकर फिर कमरे मे पहुँच गयी. सभी ने चाइ और नाश्ता किया
और फिर से अपनी अपनी चुदाई मे बिज़ी हो गये. इसी तरह से उस रात
उषा और गिरिजा देवी की चूत और गॅंड सभी ने बरी बरी से चोडा
और सुबह होने तक सभी थक कर सो गये. दूसरे दिन सुबेरा होते ही
गौतम और कैलाश अपने अपने घर के लिए रवाना हो गये और रमेश
और गोविंदजी घर पर गिरिजा देवी और उषा की चूत और गॅंड ने
अपना लंड दल कर चोद्ना कहलू रखा. अब गिरिजा देवी और उषा दोनो
बहुत खुश थी क्योंकी उनकी चूत और गॅंड की प्यास अब हर रोज
सुबह, दोपहर, शाम और रात को रमेश और गोविंदजी के लुंडों से
चुड़वा कर बुझती थी.


एंड
























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