Friday, May 21, 2010

जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-8

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जूही : एक लड़की के अनछुए सेक्सुअल अनुभव part-८


"अपने पांव को एकदम फैला दो, मैं तुम्हारी पूसी के मुह हो एकदम खुला चाहता हूँ।"मैंने ऐसे ही किया और वो मेरे दोनों पाँव के बीच में आ गया. मैं उसके हिलते से लिंग को देख पा रही थी. उसके लिंग में से कुछ गीला गीला सा pre-cum भी निकल आया था.उसने जल्दी से मेरी पूसी पर भी क्रीम लगा दी और उसे मलते हुए मुस्कुराया.उसके बाद उसने बटर का टुकडा लिया और उसे मेरे स्तनों पर निप्पल मर मलने लगा....मेरे से नहीं रहा गया और मैं बोला पड़ी, "क्या है...रोहित॥? अब बस हो गया... फक मी प्लीज़.""रुको न...पहले जरा इन स्तनों को थोडा प्यार दे दूं....चिंता मत करो....फक भी करेंगे." वो बोला.मैं भी देख पा रही थी कि धैर्य तो उसका भी समाप्त होने लगा था, वो बड़ी जल्दी जल्दी मेरे स्तनों पर मसाज दे रहा था. और फिर अंत में उसने थोडा सा बटर और लेकत मेरी पूसी mound पर मलना शुरू कर दिया. मेरी पूसी तो पहले से ही स्पर्श के लिए तड़प रही थी और संकुचन से हो रहे थे...!!मेरी पूसी में कंपकंपाहाट सी शुरू हो गयी थी और मैं एक ओर्गास्म की ओर बड़ रही थी.उसने थोडा सा बटर मेरी पूसी की दरार पर और क्लिटोरिस पर भी मल दिया.वो मेरी बिना बालों वाली पूसी को देखकर बड़ा खुश था...और जैसे ही मेरी ओर्गास्म की शुरुआत हुयी और मेरी पूसी के लिप्स खुलने और बंद से होने लगे, तो मन किया कि मैं अपनी जाघें सिकोड़ लूँ और पूसी की muscles को यूज करते हुए अपनी ओर्गास्म को ओर बड़ा दूं. मैं उससे बोली, "रोहित, ऊँगली से करो....जल्दी करो..!!"उसने तुंरत ही अपनी बीच वाली उंगली अन्दर डाल दी और finger fucking शुरू करदी. पूरे शांत कमरे मैं मेरे मुह से निकली सिसकारी और अत्यधिक गीलेपन और finger fucking के कारण मेरी पूसी से चप चप चप की आवाज गूंज रही थी.

और मुझे एक बहुत जोर का ओर्गास्म हुआ. climax के समय मैं अपने हिप्स को बार बार ऊपर हिला रही थी. और मेरी पूसी से तीन चार बार पानी जैसी छोटी छोटी धार निकली...लगा जैसे की मेरी पेशाब निकल गयी हो....पर वो तो ओर्गास्म का आनंद था...जो बड़ी मुश्किल से नसीब होता है.सब कुछ धीरे धीरे शांत हो रहा था...मैं भी पूसी की muscles को आराम दे रही थी.उसकी ऊँगली अभी भी अन्दर थीं. मैंने उसे ऊँगली बाहर निकालने को कहा. मैंने कहते हुए उसके चेहरे की ओर देखा तो वो एक भेड़ की तरह शर्माता सा बैठा था. बोला," आयी ऍम सॉरी जूही, मैं रुक नहीं पाया..बस अभी निकल ही गया."मैं उसके लिंग की तरफ देखा तो पाया की वो शांत हो चूका था और सारा वीर्य मेरे पेट पर निकला हुआ था. मैं अपने ओर्गास्म में इतनी मग्न हो गयी थी की कब उसका वीर्य मेरे ऊपर निकल आया मुझे पता ही नहीं चला.मुझे उस पर बड़ा प्यार आया. मैंने उसे अपनी ओर खींच कर बोला, "सॉरी तो मुझे बोलनी चाहिए रोहित, मुझे तुम्हारा लिंग अन्दर डाल लेना चाहिए था..""पर मैं भी चाहता था कि तुम्हारे दिन कि शुरुआत एक अच्छे ओर्गास्म से हो. जिससे कि मैं तुम्हे फिर अच्छी तरह से फक कर सकूं."मैंने उसके गाल पर किस किया और बोला, "रोहित तुम बहुत प्यारे हो...!"
कुछ देर तक हम लोग शांत रहे, करीब दस मिनट बाद उसके हाथ मेरी निप्पलस पर चलने लगे और उसके लिंग भी फिर से उत्तेजित हो रहा था. वो मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया और बोला, अपनी टाँगे फैलाओ. मैंने थोडी सी टाँगे फैला दी, पर वो बोला, "थोडी और..!"

"ज्यादा फैला दूंगी तो मेरी टाँगे चिर न जायेंगी ?" , मैंने उसे हंसते हुए कहा.

उसने मेरे दोनों घुटने पकडे और उन्हें फैला दिया. उसके बाद उसने कुछ बटर लिया और उसे मेरी पूसी एरिया, अंदरूनी जाघों पर और सबसे बाद में मेरी पूसी mound पर मल दिया. मैं सोच रही थी कि अब वो मेरी पूसी के लिप्स को खोलेगा और उसके अन्दर भी बटर को मलेगा, पर उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. मैं इस वजह से frustrated हो रही थी और बोल पड़ी, "प्लीज रोहित, सब जगह लगाओ न..."

"ओके !", और ऐसा कहते ही उसने मेरी पूसी के लिप्स को खोला और उन फोल्ड्स के अन्दर बटर मलने लगा. मैंने उत्तेजना के मारे आँखें बंद करलीं. उसने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोला, "अपनी आँखें खोलो, और देखो कि मैं तुम्हारी पूसी के साथ क्या कर रहा हूँ?"

उसने धीरे से मेरी पूसी के लिप्स को अपने बाएँ हाथ की दो उँगलियों से खोला हुआ था और दायें हाथ की बीच वाली ऊँगली में बटर लगा कर उसे ऊपर से नीचे तक मेरी गुदा तक मल रहा था.

मैं सिर्फ उत्तेजना और आनंद से आहे भर रही थी. जल्दी ही वो मेरी क्लिटोरिस (भगान्कुर ) पर बटर मल रहा था और वो उसे उँगलियों में पकड़ने की कोशिश कर रहा था, मेरे लिए यह सब बहुत उत्तेइज्त करने वाला था.
और जैसे की उसकी उंगलियाँ मेरी पूसी पर खेलने में व्यस्त थीं , एक स्थिति ऐसी आ गयी कि मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मेरे मुह से निकल पड़ा, "रोहित...फक्क मी नाओ !"

"तुम जरा सा बटर मेरे लिंग भी लगा दो , इससे यह आसानी से अन्दर जाएगा और अच्छा लगेगा..", उसने मेरे से कहा.

उसने अपने लिंग को मेरे हाथों के नजदीक किया और थोडा सा बटर मेरे हाथ पर दे दिया. मैंने जल्दी से उसके कड़क हो रखे लिंग पर तीन चार बार में बटर मल दिया और उसे चिकना बना दिया. और फिर उसके लिंग को मैंने अपनी पूसी कि तरफ खींचना शुरू कर दिया.

उसने एक बार फिर से मेरे घुटनों को साइड में करके मेरी जाघों को फैला दिया जिससे मेरी पूसी लिप्स फ़ैल गए, अब उसके लिंग को किसी आमंत्रण की जरूरत नहीं थी. उसने अपने को थोडा सा आगे किया और अपने लिंग के अगर भाग को मेरी पूसी के खुले हुए मुह पर रखा और एक हल्का सा धक्का अन्दर की ओर लगाया.

"धप..." की आवाज के साथ वो अन्दर फिसल गया. "ओह्ह माँ ", मेरे मुह से निकला जैसे ही वो अन्दर गया.

रोहित ज्यादा देर इन्तजार नहीं करना चाहता था, उसने मेरे दायें पैर को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर साधा खडा कर दिया और दुसरे हाथ से मेरा दूसरा पैर एकदम सीधा बेद पर लिटा दिया और फिर फक करना शुरू कर दिया. वो बहुत जल्दी जल्दी और छोटे छोटे धक्के लगा रहा थे, ठीक उसी तरह जैसे की डोगी जल्दी जल्दी करता है.

में अपने अन्दर एक और ओर्गास्म का तूफ़ान उठता हुआ महसूस कर पा रही थी. मेरा सर बाएँ दायें हो रहा था. मेरे स्तन उसके धक्कों के हिसाब से आगे पीछे हिल रहे थे. और शायद एक मिनट ही लगा होगा की उसके छोटे छोटे ढकी और ताकतवर होते हाय और वो चिल्लाया, "ओह...जूही...मैं निकलने वाला हूँ...!"

और फिर मैंने महसूस किया की उसका गरम वीर्य मेरी योनी में फैलता जा रहा है. और मेरी योनी की दीवारे उसके लिंग में से छूटते हुए गरम वीर्य के फ़व्वारे महसूस कर रही थी. और उसके मेरे अन्दर वीर्य निकालने और पूर्ण संतुष्टि पा लेने के ख्याल मात्र से ही मुझे भी ओर्गास्म हो गया.















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