अफ़रोज़ खी पड़ोसन संगीता - 02
इतना कहते संगीता वहाँ से निकल गये.Wओह अफ़रोज़ को बहुत चाहती थी और जब अफ़रोज़ ने उससे बहो मै लिया तो उससे बड़ा अक्चा लगा पर ऐसे ओपन जगह मै यह सब करने से वो डर गये थी****दिन संगीता अफ़रोज़ के बारे मै सोचने लगि.ज़ब अफ़रोज़ ने उसके मम्मे दबाए तब अपनी मस्ती की फीलिंग के बारे मै सोचके संगीता बहुत शरमाये****से डर भी लगता है की अब अफ़रोज़ उससे कही और भी अकेले मै ना पक्दे.आब उसके दिमाग़ मै अफ़रोज़ बस गया था.2-3 दिन जब वो अफ़रोज़ को देखती तो अफ़रोज़ उससे आँख मरता और इससे संगीता सर्मति.आब अफ़रोज़ हफ्ते मै 2-3 बार संगीता को आइसे पकड़ते उसका जिस्म मसालते प्यार का इज़हार माँगता और संगीता हर बार कोई ना कोई बहाना बनके वहाँ से भाग जति.Yएह सिलसिला करीब 2 हफ्ते चला पर संगीता कोई जवाब नही दे रही थि.आअखिर मै इस बात का फ़ैसला करने का इरादा अफ़रोज़ ने बनय.आफ्रोz भी संगीता के मस्त जिस्म के बारे मै सोचके अपना लंड सहलाता थ.एक श्याम जब वो घर आ रहा था तो उससे बिल्डिंग के पीछे वाली रोड से संगीता को आते देखा. बिल्डिंग के पीछे अंधेरा था,लोग आते थे उस शॉर्टकट से पर ज़्यादा नही**** रोड के साइड्स मै काफ़ी झाड़िया थि.शन्गित अपने आप से कुछ सोचते आ रही थी और अफ़रोज़ अचानक उसके सामने खड़ा हुअ.आफ्रोz को देखके वो एकद्ूम रुक गये****का दिल ज़ोर्से धड़कने लग.श्मिले करते अफ़रोज़ बोला,"आरे संगीता, कैसे हो तुम?"इस वीरान जगह मै अफ़रोज़ को देखके संगीता कुछ बोल ही नही पये.आप्ने जिस्म पे अफ़रोज़ का स्पर्श क्या करता है वो जानती थि.आब वो यहा रुकी तो अफ़रोज़ क्या कर सकता था कोई भरोसा नही था इसलिए अफ़रोज़ को साइड स्टेप करके अफ़रोज़ की बात का कोई जवाब दिए बिना संगीता जल्दी-जल्दी वाहा से चलने लगि.आफ्रोz भी कचा खिलाड़ी नही था****ने संगीता का हाथ पकड़ते रोड के साइड मै ले जाते कहा, "आरे संगीता,इतना क्यों डर रही है तू?देख मै तुझसे सुकचा प्यार करता हून डियर, मुझसे क्यों भाग रही है तू?"संगीता अब और भी डरते छूटने की कोशिश करते बोली,"मुझे जाने दो अफ़रोज़,मै तुमसे बात नही करना चाहती हून,प्लीज़ मुझे जाने दो."संगीता को बहो मै भरते अफ़रोज़ बोला,"क्यों लेकिन संगीता,मेरा गुनाह क्या है यह तो बताओ?मई तुझे दिलो जान से प्यार करता हून,तू भी मुझे चाहती है तो इकरार करने से क्यों डरती हो?"संगीता को वैसे अक्चा लगा अफ़रोज़ की बहो मै आने से,उसकी बतो से और उसका हाथ अपने जिस्म पे लगा ने से पेर शर्म और डर से वो बोली,"मुझे चोरो ना प्लीज़ अफ़रोज़,यह क्या कर रहे हो?मैने बोला ना अफ़रोज़ मै कितनी छोटी हून तुमसे और इसलिए मुझे डर लगता है.आब मुझे जाने दो." अफ़रोज़ संगीता को और अंदर ले जाता है.ज़ह वो अब खड़े है वो जगा कोई नही देख सक्त.शन्गित को बहो मै भरते अफ़रोज़ उसके गाल चूमते बोला, "संगीता, मै तुझपे प्यार बरसा रहा हून और तू मुझसे दूर भाग रही है.शन्गित,तारे दिल मै कितना प्यार है मारे लिए यह मुझे जानना है आज."गाल चूमने से संगीता हड़बड़ते अफ़रोज़ को हल्का सा धक्का डाके उससे दूर करते बोली,"उम्म्म प्लीज़ चोरो मुझेँअहि अफ़रोज़ यह नही हो सकता की हमारी शादी हो क्योकि मै तुमसे छोटी हून और तुम एक मुस्लिम हो.डूर रहो ना प्लीज़,अफ़रोज़ मुझे डर लगता है.शन्गित के धक्के से अफ़रोज़ ज़रा तोड़ा दूर होता है पर फिर उससे पकड़के गाल किस करते करते अब संगीता के भरे सिने पे हाथ रखते बोला,"संगीता इसमे धरम को क्यों लाती है,देख प्यार दो दिलो का मिलन होता है.Mऐ जनता हून की तू भी मुझे प्यार करती है पर बताने शर्मा रही है. संगीता अभी प्यार की शुरूर्वात ही हुई की तू सीधे शादी की बात तक पौच्ी,क्या सुहग्रात मानने का इरादा है तेरा?"सुहग्रात की बात सुनके और सिने पे अफ़रोज़ का हाथ पके संगीता का चहेरा शर्म से लाल हो गया. वो कुछ बोल ही नही पये.शन्गित के दुविधा का फ़ायदा उठाते अफ़रोज़ उसके शर्ट के 2 बटन ओपन करके मम्मो से भरे ब्रा पे हाथ रखते बोला,"और तुझे कैसा डर संगीता?देख मै तुझसे बहुत प्यार करता हून रनि.शन्गित रानी देख तेरा दिल मारे लिए कितना ज़ोर्से धड़क रहा है,तारे इस दिल मै मारे लिए प्यार है लेकिन तू इसलिए डार्ती है क्योंकि मै मुसलमान हून और तू हिंदू है ना?"अपने शर्ट के अंदर ब्रा के उप्पर अफ़रोज़ का स्पर्श होते ही संगीता का दिल और ज़ोर से धड़कता है. उससे गुदगुदी भी होती है और उसका जिस्म कापने लगता है.आब भी जब संगीता कोई जवाब नही देती तो अफ़रोज़ को बड़ा गुस्सा आता है.Wओह क़िस्सी भी तरह इस कमसिन लड़की को छोड़ना चाहता था इसलिए दिल मै संगीता को गलिया डटे पर संगीता का क्लीवेज मसालते वो बोला,"संगीता रानी देखो क्यों मारे प्यार से इनकार कर रही हो तुम? तुझे मारे मुसलमान होने पे तक़लीफ़ है ना तो मै तारे लिए तो धर्म बदल दूँगा,फिर तुझे कोई तक़लीफ़ नही होगी ना?"इस बात से संगीता खुश होती है****से यकीन होता है की अफ़रोज़ उससे सॅकी मै प्यार करता है. वो अफ़रोज़ की मीठी बातो मै आती है.आप्ने जिस्म पे चल रहा अफ़रोज़ का हाथ उससे बड़ा अक्चा लगता है और वो कहती है,"ऑश अफ़रोज़ उफ़फ्फ़ क्या कर रहे हो तुम?अफ़रोज़ मुझे कुछ नही मालूम प्यार के बारे मै पेर उस्दीन के बाद से तुम्हारा ख़याल बार-बार आया था अफ़रोज़****दिन से मै हर पल तुमको याद करती हून."संगीता के इस जवाब से अफ़रोज़ समझा की संगीता उसकी बतो मै फस गये**** दिन का उसके जिस्म के साथ किया खेल संगीता को अछा लगा था यह जानके अफ़रोज़ अब संगीता के शर्ट के सब बटन खोलते झुकके क्लीवेज चूमते और लेफ्ट मम्मा हल्के से दबाते बोला,"संगीता,मुझपे भरोसा रख रानी,मै तुझे कभी धोका नही दूँगा, ज़िंदगी भर तेरा साथ दुन्ग.आब तो बोल क्या तुझे भी मुझसे उतना ही प्यार है जितना मुझे तुझसे है?क्या तारे इस दिल मै मारे लिए प्यार है संगीता?"संगीता अफ़रोज़ को ना शर्ट खोलने से रुकती है और ना ही अपने मम्मे मसल्ने से.आप्न जिस्म अफ़रोज़ से सहलाने उससे अक्चा लग रहा था****से बस डर था की कोई उनको ना देखे इसलिए अफ़रोज़ को दूर करने की नाकाम कोशिश करते वो बोली,"मुझे नही मालूम अफ़रोज़,प्लीज़ मुझे चोरो,कोई देख लेगा हुमको.""कोई नही देखेगा संगीता,यहा इस वक़्त कोई नही आता है.टु मेरी बात का जवाब दे,क्या तारे दिल मै मारे लिए उतना ही प्यार है जितना मारे दिल मै तारे लिए है?" ब्रा के उप्पर से संगीता के मम्मे वो दबा रहा है जिसे संगीता गर्म होती है और उससे अफ़रोज़ टच अछा लगता है.एक मोटे पेड़ से संगीता को सटके अफ़रोज़ अब उसके मम्मे मसालते अपना लंड उसकी चूत पे हल्के-हल्के रगड़ते बोला,"संगीता मै तुझे बहुत प्यार दूँगा मेरी रानी,ज़िंदगी भर तुझपे प्यार की बरसात करता रहूँगा मै."संगीता को बहुत मज़ा आता है बार-बार अफ़रोज़ से मम्मे दबाने से और गुदगुदी भी होती है.आफ्रोz से अपनी चूत पे गर्म लंड रगड़ने से अब वो और गरम होते बोली,"उम्म्म अफ़रोज़,यह क्या कर रहा है? प्लीज़ मुझे जाने दो,कोई देखलेगा प्लेअसे.Mऐ तुमसे बाद मै मिलूँगा,प्लीज़ मुझे अभी जाने दो."अफ़रोज़ भी सोचा की इससे अब ज़्यादा तंग किया तो कही नाराज़ ना हो.ळेकिन फिर भी उसके जिस्म से खेलते वो बोला,"ठीक है चोरँगा रानी तुझे लेकिन उसके पहले तुझे भी मुझसे तू प्यार करती है यह सुनने के बाद,तुझसे प्यार का इज़हार होने के बाद तुझे जाने दुन्ग.शन्गित मुझे तुझसे अकले मै मिलके बहुत सी बाते करनी है,कब मिलेगी मुझे फ़ुर्सत मै?"संगीता अब अफ़रोज़ के हाथ से छूटने की कोशिश करने लगी****से असल मै अफोर्ज़ से जिस्म मसल्ने मै माज़ा आ रहा था पर फिर भी वो बोली,"नही अफ़रोज़ मै तुमसे नही मिलुन्गि.Mउझे डर लगता है तुमसे अकेले मिलने,प्लीज़ अब जाने दो मुझे."संगीता का यह नाटक देख अफोर्ज़ को गुस्सा आय.Pअर अपने आप पे काबू रखते वो ब्रा कप उठाके संगीता के मम्मे नंगे करता है.शन्गित के गोरे टाइट मम्मे देखके अफ़रोज़ खुश होके निपल मसालते बोला,"संगीता अगर तूने प्यार का इज़हार और कल मिलने का वादा नही किया तो मै तुझे अब यही नंगी करूँगा, अब सूच तुझे क्या चाहाए रानी,नंगी होना है या प्यार का इज़हार करोगी?"इतना कहते अफ़रोज़ एक निपल चूसने लग.शन्गित को निपल चुसवाने से गुदगुदी होती है पर अब उसका जिस्म और गर्म होता है.Wओह सिसकारिया लाते बोली,"उम्म आह अफ़रोज़्ज़,नहिी प्लीज़ मुझे चोरो न.आफ्रोz मै हार गये,हन मै तुमसे प्यार करती हून अफ़रोज़,ई लोवे यौ.Pलेअसे देख मैने तेरी बात मान ली अब जाने दे मुझे अफोर्ज़."संगीता की बात सुनके अफ़रोज़ खुश होता है पर अब तड़पने की बारी उसकी होती है.आब वो संगीता को तब ही जाने दनेवाला था जब उसका दिल हो.Mअम्मे लीक करके एक निपल चूस्ते अफ़रोज़ बोला,"ओह थॅंक्स डार्लिंग,मै भी तुझसे बहुत प्यार करता हून.Pअर संगीता यह बता तू कितना प्यार करती है मुझसे?और मुझसे फुरस्त मै कब मिलेगी मारे घर यह भी बताओ रानी?संगीता को बड़ा अक्चा लग रहा थ.Wओह अफोर्ज़ के सिर पे हाथ रखते बोली, "आह अफ़रोज़्ज़्ज़्ज़ मै तुमसे बहुत प्यार करती हून,बहुत प्यार करती हून,मारे दिल मै सिर्फ़ तुम ही तुम है.आफ्रोz मै कल तुमसे मिलुन्गि.Mऐ डूफर को 2 बजे आयूंगी तारे घर.Pलेअसे अफ़रोज़ अब मुझे चोरो ना प्लीज़,कोई देखेगा हुमको तो बड़ी मुश्किल होगी मुझे."
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