Thursday, May 27, 2010

बदले की आग (भाग - 6)

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बदले की आग (भाग - 6)

रूचि को मैं उस'की एक सहेली के घर भेज चुका था. मेरे बाद'ले की आग का दूसरा शिकार कामिनी की छोटी चचेरी बहन मधु थी. वह कामिनी से टीन साल छोटी है यानी की मधु अभी 19 साल की हुई है. बरी मस्त 19 साल की पूरी जवान छ्हॉक'री थी और मैं उसे अब चोद'ने की तैयारी में था. फिर मधु ने ही बताया था की अभी तक वह चुदी नहीं है तो यह सोच सोच के ही मेरा लॉरा फुंफ'कार रहा था.

मैं उस'की टाँगों के बीच में आ गया. आप'ने लंड को उस'की चूत पर मसल'ने लगा. वह सिसक रही थी क्योंकि मैं आप'ने लौऱे को उस'के भगोष्ट पर घुमा रहा था. फिर मैने आप'ने लौऱे का सुपारा उस'की चूत में फँसा के धीरे से तेल'ने लगा और मेरा लंड उस'की चूत में जेया'ने लगा. वह चिल्ला तो नहीं रही थी. पर दर्द उस'की बर्दास्त से बाहर हो रहा था क्योंकि उस'ने आप'ने होन्ठ कस के भींच रखे थे. जब मेरा लंड कुच्छ और अंदर गया तो मैने पाया की वह सचमुच में कुँवारी थी और मेरे लौऱे को उस'की चूत की झिल्ली रोक रही थी.

अंदर से मैं आप'ने नसीब पर खुशी से फूला नहीं समा रहा था. आज फिर एक कुँवारी चूत चोद'ने को मिली थी. वो भी कई अरसे के बाद. फिर इस चूत को मैं आप'ने बाद'ले की आग में चोद रहा था. मैने निश्चय काइया की जो हो मैं इसे बऱी बेरहमी से चोदून्गा. मैने अपने लौऱे को ज़रा सा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झट्के से अंदर तेल दिया. मेरा लंड उस'के कौमार्या की धज़ियाँ उऱा'ते हुए उस'की चूत में चला गया. उस'की चीख निकल गयी..

ओईईई. मैं मार गयी.. मेरी चूत फॅट गई... विशाल, बहुत दर्द हो रहा है. हा'य ! निकालो आप'ने इस मूसल को मेरी फुददी से. हा'य ! निकालो ना आप'ने लौऱे को. वरना मैं मार जाउन्गीईईइ. बहुत दर्द हो रहा है अब. मैं कहाँ उस'की सुनता. मेरा लंड उस'की चूत की गहराइयों में उतार चुका था. मैने उसे कहा की,

बस मधु अब मेरा लंड तुम्हारी चूत में पूरा जा चुका है. अब दर्द नहीं होगा. मैने कहा था ना की यदि तुम कुँवारी निक'ली तो तुम्हें बऱे प्यार से लूँगा और मधु, तुम सचमुच में बिल्कुल कोरी हो. मैं कुच्छ वक़्त तक धक्का नहीं लगाऊँगा. इस तरह तुम्हारी चूत कुच्छ खुल जाएगी. फिर तुम्हें दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा मिलेगा और मैं उस'के ऊपर लेट गया. उस'के होंठों को आप'ने मूँ'ह में ले चूस रहा था. फिर उस'की चूचियों को आप'ने मूँ'ह में लिया और चूस'ने लगा. कुच्छ वक़्त लगा उसे नॉर्मल होने में. अब उस'ने सिस'कारियाँ लेनी शुरू की. वह उत्तेजना में कह रही थी.

विशाल, मेरे दूध चूसो ना. फिर मैने देखा की अब उसे मज़ा मिल रहा है तो मैने लंड ज़रा सा बाहर निकाला और फिर धीरे से वापिस तेल दिया, उस'की चूत में. अब उस'ने एक मज़े से भारी हुई सिस'कारी ली.. उन्न्न्न.... और उस'ने कहा की,

विशाल चोदो अपनी मधु को. 24 घन्टे और हैं. तुम बस मुझे चोद'ते ही रह'ना. कल तक एक पल भी नहीं रुकना. चोदो मुझे. मैने भी अब धक्के लगाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उस'की सन्कऱी चूत में बऱी मुश्'किल से अंदर बाहर हो रहा था. कुँवारी चूत का अपना ही मज़ा होता है. दोस्तों क्या सन्कऱी चूत थी? ऐसे लगता था की मेरा लंड दो पत्थरों के बीच में आ गया है क्योंकि अब उसे मज़ा मिल रहा था तो उस'की चूत से लार निकल रही थी. जिस की वजह से अब मेरा लंड आराम से उस'की चूत में आ जेया रहा था. उस'के मूँ'ह से सिर्फ़ कामुक सिस'कारी निकल रही थी..

चोदो, ऊह.. विशाल, चोदो. मुझे रन्डि की तरह चोद. आज मुझे इतना चोदो के मैं चल भी नहीं सकूँ. एयाया... मेरे अंदर से कुच्छ बाहर आना चाह रहा है.. विशाल ई आम कमिंग. मैं झऱ'ने वाली हून हाय..्ओ हो... और वह झऱ गयी लेकिन मैं तो अभी झऱ'ने के करीब तो क्या डोर भी नहीं था.. मैने चुदाई जारी रखी और 10 मिनिट बाद वह फिर से चिल्ला'ने लगी..

विशाल तुम पुर मारद हो. मैं फिर से हवा में उड़ रही हून.. ऊह.. चोदो विशाल. बहुत मज़ा मिल रहा है.. मैने उसे कहा की,

अभी तुम'ने देखा क्या है मेरी रानी. अभी तो तुम्हें और भी मज़ा मिलेगा और मैने अपना लंड उस'की चूत से निकाल लिया और उसे कहा की,

चल अब कुतिया की तरह आप'ने हाथों और पाँवों पर हो जाओ जैसे कुतिया हो. अब मैं तेरी चूत पीच्चे से मारूँगा. चल साली कुतिया बन जा. वह कुतिया की तरह चारों हाथ पाँव पर हो गयी. इस अंदाज़ में साली के फूले हुए चुत्तर बऱे मस्त लग रहे थे. घान्ड का गोल च्छेद बिल्कुल कसा हुआ दिख रह था. पर अभी तो मेरा ध्यान उस'की चुदाई पर था, गान्ड कहाँ भाग के जाने वाली थी. मैं उस'के पीच्चे जाके उस'की चूत में फिर से अपना लंड डाल दिया. उसे चोद'ने लगा उस'के मूँ'ह से फिर सिस'कारियाँ निकल रही थी..

ऊह.. ओह..... विशाल क्या मज़ा मिलता है इस काम में.. ज़ोर से चोदो मेरी चूत को, फाऱ दो, और तेज़ और तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ चोदो. आ... विशाल चोदो. ऊह.. उः.. और मैं आप'ने पुर वेग से उसे चोद रहा था. कुच्छ वक़्त उसे एक कुत्ती की तरह पीच्चे चढ कर चोद'ने के बाद वह फिर झऱ'ने वाली थी. अब मेरा लंड अकऱ गया और लावा बाहर आने के लिए उबाल'ने लगा.. मैने उसे कहा की.

मधु साली मैं झऱ'ने वाला हून. मैं तेरी चूत में झऱ रहा हून और वह भी झऱ रही थी. साथ साथ कह रही थी..

विशाल मेरी चूत में झऱो. मेरी चूत को आप'ने माल से भर दो. मुझे चोदो. भरो मेरी चूत को और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और अपना सारा माल उस'की चूत में झाऱ दिया. साथ ही वह भी सिस'कारियाँ ले रही थी. झऱ रही थी..

ऊह.. विशाल मैं झऱ रही हून.. आह तुम्हारा माल मेरी चूत में चला गया है. मुझे महसूस हो रहा है, कितना गरम है.. उ.... ओह और वह बिस्तर पर गिर गयी. मैं उस'के ऊपर गिर गया. मेरा लंड उस'की चूत में ही रहा. मैं उस'के ऊपर ही लेट रहा. कुच्छ देर के बाद मेरा लंड सिकुऱ'ना शुरू हुआ और फिर उस'की चूत से निकल आया. मैं उस'के ऊपर से हट गया. उस'के बगल मैं आ गया. हमारी साँसें अब भी तेज़ चल रही थी. मैने उसे अपनी साइड पर किया. उस'के होठों को चूम लिया..

क्या मस्त चूत है तेरी मधु आज तुम औरत बन गयी हो. साली मुझे नहीं पता था की तू कुँवारी है. साली पहले मैं तुम्हें छोड़ता, रूचि को नहीं, चलो देर आए द्रुस्ट आए. मैने वक़्त देखा तो मैं चौंक गया. हमें चुदाई कर'ते हुए 2 घन्टे से ज़्यादा हो चुका था. पता भी नहीं चला जब'की हम बेड रूम मैं आए थे तो 3 बाज रहा था. अब 5 बाज रहे थे. मैने उसे कहा की,

चलो शवर ले लेते हैं और तुम अपनी चूत से खून को धो लो. मेरा लंड भी उस'के खून से साना हुआ था. हम दोनों पुर नंगे बात रूम में चले गये. ठन्ड गरम पानी सेट कर'के शवर चालू किया और पूरी मस्ती में शवर लिया. हम एक डूस'रे के बदन के हर भाग को हाथों से रगऱ रगऱ धो रहे थे. फिर वापिस बिस्तर पर आ गये. फिर मैने उस'के मुम्मों से खेल'ते हुए उस से पूचछा की,

मधु एक बात सच सच बताना की कामिनी को बार'बाद कर'ने में तुम्हारा कितना हाथ है? तुम'ने भी तो आप'ने भाई की मदद की थी तो वह बोली,

हन, रूचि दीदी ने मुझे सब बता दिया है. बहन को बर्बादी से रोक'ने के लिए मैं सब कुच्छ जान'ते हुए भी तुम्हारे पास आई हून. हन, मैने कौशल भाई की इस'में मदद की थी. पर मुझे नहीं पता था की भाई और रूचि दीदी ऐसा करें'गे. मुझ से सिर्फ़ कहा था की चाय मैं यह डॉवा डाल देना और फिर तुम सोने चली जाना लेकिन वह तो मुझे बाद मैं पता चला के भाई'ने रूचि की मदद से कामिनी को छोड़ा था.

क्या उस समय रूचि भी कौशल के साथ थी?

नहीं, पर वह आस पास ही कहीं बाहर थी और यदि हालत बेकाबू हो जाते तो वह बात संभाल लेती.

क्या आंटी और अंकल को भी इस बात का पता है?

पापा को तो पता होने का सवाल ही नहीं. नहीं तो कौशल भाई को वे शायद घर से ही निकाल देते. पर मम्मी को इस बात का पता लग गया.

मम्मी'ने कौशल को कुच्छ नहीं कहा की उस'ने ऐसा क्यों किया?

नहीं. उन्हों'ने ने तो खानदान की इज़्ज़त की दुहाई देके कामिनी को सम'झा लिया था. वह तो खुद चाह'ती थी की किसी तरह कामिनी का रिस्ता मम्मी के ससुराल में हो जाय. क्योंकि वह मा बाप की ऐक्लोटी औलाद है. उस'के बाप का सारा हिस्सा शादी के बाद या तो कामिनी माँग लेती या फिर उस'के ससुराल वाले. पर फिर आप लोग आए और पापा ने कामिनी की शादी आप से कर डी. मैने कुच्छ नहीं कहा. मैं कुच्छ और ही सोच रहा था. फिर हम लोग सो गये. मेरी जब आँख खुली तो रात के 10 बाज रहे थे. मैने उसे उठाय और हम'ने खाना खाया. मधु को मैने रसोई में सब कुच्छ ठीक ताक कर'ने की हिदायत दे डी और खुद कम'रे मैं आ गया.


















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