कंचन --10
रामलाल ने आज तक किसी औरत की चूत पे इतने घने और लंबे बाल नहीं देखे
थे. ऐसी जवानी देख के रामलाल मदहोश हो गया.
" ऊफ़.. पिता जी अपनी बहू को नंगी करते आपको ज़रा भी शरम नहीं
आई. अब ऐसे घूर घूर के क्या देख रहे हैं ?" कंचन शर्मा कर
एक हाथ से अपनी चूत और एक हाथ से अपनी चूचीोन को ढकने की
नाकामयाब कोशिश करती हुई बोली.
" सच बहू आज तक हुमने इतनी मस्त जवानी नहीं देखी. इस बेचारे
लंड को निराश ना करो, थोरा सा तो अपनी चूत का रूस पीला दो. चलो
अगर तुम हुमें नहीं देना चाहती हो तो कोई बात नहीं, हम सिर्फ़ लंड
का सुपरा तुम्हारी चूत में डाल के निकाल लेंगे . बेचारा थोरा सा
पानी पी लेगा. अब तो ठीक है ना?"
" ठीक है पिताजी. हुमें चोदेन्गे तो नहीं ना ?" कंचन जान के
चोदने जैसे शब्द का इस्तेमाल कर रही थी. उसके मुँह से ये सुन के
रामलाल और भी पागल हुआ जा रहा था.
"नहीं चोदेन्गे बहू. तुम्हारी इज़ाज़त के बिना तुम्हें कैसे चोद सकते
हैं."
ये कहते हुए रामलाल ने नंगी कंचन को अपनी बलिष्ठ बाहों में उठा
लिया और बिस्तेर पे पटक दिया. अब वो पागलों की तरह बहू के पूरे
बदन को चूमने लगा. फिर उसने बहू की मोटी जांघें फैला दी. बहू
के जांघों के बीच का नज़ारा देख के उसका कलेजा मुँह को आ गया.
घनी लंबी झांतों के बीच में से बहू की चूत के खुले हुए होंठ
झाँक रहे थे मानों बरसों से प्यासे हों. नंगी कंचन अपने ससुर
के सामने टाँगें फैलाए परी हुई थी. शरम के मारे उसने दोनो
हाथों से अपना मुँह ढक लिया.
" ऐसे क्या देख रहे हैं पिताजी..?"
" हमें भी तो इस जन्नत का नज़ारा देखने दो बहू. बहू तुमने तो
टाँगों के बीच में पूरा जंगल उगा रखा है. कभी सॉफ नहीं
किया? इतनी खूबसूरत चूत को यों घने बालों के पीच्चे क्यों
च्छूपा रखा है?"
" इसलिए की कहीं आपकी नज़र ना लग जाए."
" आए हाई ! बहू तुम्हारी इसी अदा ने तो हमें मार डाला है."
अब रामलाल से ना रहा गया. उसने बहू की मादक चूत को आगे झुक के
चूम लिया. धीरे धीरे वो उसकी चूत चाटने लगा. कंचन के मुँह
से अब सिसकारियाँ निकल रही थी.
ईस्स्स.ऽआआ. .आआआः.. .ईईीीइसस्सस्स. .उउउन्न्ञणणंह. रामलाल की जीभ बहू की
चूत के अंडर बाहर हो रही थी. ऊऊपफ़ ...आआआः.. ..पिताजी. ..आअ
..आईईईई. बहू की चूत बुरी तरह रूस छ्होर रही थी. उसकी लुंबी
लंबी झांटें भी भीग गयी थी. बहू वासना की आग में उत्तेजित हो
के, चूटर उचका उचका के अपनी चूत ससुर जी के मुँह पर रगर रही
थी. रामलाल का पूरा मुँह बहू की चूत के रूस में सन गया. चूत
के बाल रामलाल के मुँह में जा रहे थे. अब बहू को चोदने का टाइम आ
गया था. रामलाल ने बहू के टाँगें मोर के उसकी च्चती से लगा दी.
बहू की चूत उभर आई थी और मुँह फारे लंड का इंतज़ार कर रही
थी. रामलाल ने अपने फौलादी लंड का सुपरा बहू की खुली हुई चूत के
मुँह पे टीका दिया और धीरे धीरे दोनो फांकों के बीच में रगार्ने
लगा. कंचन से अब और सहन नहीं हो रहा था.
" इसस्स्स्स्स्स्स्सस्स. ... पिताजी क्यों तुंग कर रहे हैं ? आपका वो तो हमारी
उसका रूस पीना चाहता है ना. अब डाल भी दीजिए अंडर ". कंचन
का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था. जिस लंड के वो रात दिन सपने
लेती थी अब उसका मोटा सुपरा कंचन की चूत के दरवाज़े पे दस्तक दे
रहा था.
" बहू तुम्हारी चूत तो बिल्कुल डबल रोटी की तरह फूली हुई है."
" आपको अच्छी लगी ?"
" बहुत."
" तो फिर ले लीजिए न..आब डालिए ना प्लीज़..." कंचन अपने चूटर
उचका के लंड अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए बोली..
रामलाल ने लंड के सुपारे को बहू की चूत की दोनो फांकों के बीच के
कटाव में थोरा और रगरा और फिर हल्का सा धक्का लगा दिया. चूत
इतनी गीली थी की लंड का मोटा सुपरा गुपप से अंडर घुस गया.
" आऐईयईई.... ..अयाया पिता जी ..आआ..ऽआप्क तो बहुत ..आआ मोटा है.
मैं मर्र जाउन्गि."
" कुकच्छ नही होगा बहू." रामलाल ने बहू की चूचियाँ मसालते हुए इस
बार एक करारा सा धक्का लगा के एक चौथाई लंड अंडर कर दिया.
"
ऊओइ..ंआआ. .आआआः.. ..आाआऐययईईईई ईईईईईईईईईईईईई. ......... आअहह. .पिताजी
आप तो आ... हुमें चोद रहे हैं. इससस्स...."
" अच्छा नहीं लग रहा तो निकाल लें बहू."
" बहुत अच्छा लग रहा है.ऽआआ.. ..ऊवू.. ..आपने तो कहा था की आप
चोदेन्गे नहीं."
" कहाँ चोद रहें हैं बहू ? इसे सिर्फ़ तुम्हारी चूत का रूस पीला
दें. बिना चूत में जाए ये रूस कैसे पिएगा ?"
रामलाल ने लंड को सुपारे तक बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त
धक्का लगा दिया. इस बार करीब 8 इंच लंड बहू की चूत में समा
गया. कंचन का दर्द के मारे बुरा हाल था.
" आआआआआआआआआ. ......... ..प्लेआआासए. ...आआआ. अह.ऽह.ऽह. .आह आअपका
तो बहुत लंबा है पिताजी. आईयाअ.... हम नहीं झेल पाएँगे.
आआ.....ऽअह. ...अभी और कितना बाकी है ? आहह."
" बस बहू अब तो बहुत थोरा सा ही बाहर है."
" जी हमारी तो फॅट जाएगी."
" नहीं फटेगी बहू. तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे ज़िंदगी में पहली
बार लंड तुम्हारी चूत में गया हो."
" जी मरद का तो काई बार गया है.ऽआआआ. ..... लेकिन गधे का तो आज
पहली बार जा रहा है.....ऽआआआअह. ..."
" बस बहू थोरा सा और झेल लो. उसके बाद तो हम निकाल ही लेंगे."
यह कह कर रामलाल ने बहू की चूत के रूस में साना हुआ लंड पूरा
बाहर खींच लिया और उसकी मोटी मोटी चूचियाँ पाकर के एक बहुत ही
ज़ोर का धक्का लगा दिया. इस बार रामलाल का 11 इंच का मूसल बहू की
चूत को बरी बेरहमी से चीरता हुआ पूरा जर तक अंडर समा गया.
रामलाल के सांड़ जैसे बारे बारे बॉल्स बहू के ऊपर की ओर उठे हुए
विशाल छूटरों से चिपक गये और गांद के च्छेद में गुड गुडी करने
लगे.
" आाआईयईईईईई. ...आअहह. .आअहह.. .... पिता
जीईईईई. .....इसस्स्स्स्स्स्सस्स स.....ंअर गयी मैं.. ऊऊओ, सुचमुच फॅट
जाएगी हमारी. प्लीज़ हुमें छ्होर दीजिए. आपका तो किसी गधि के लिए
ही ठीक है."
" मेरी जान,अब इतना क्यों चिल्ला रही हो? तुम्हारी चूत ने तो हमारा
पूरा लंड खा लिया है."
" जी इतनी बेरहमी से आपने अंडर जो पेल दिया. ईीइसस्स्स्स्सस्स. ....."
रामलाल ने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. कंचन बिल्कुल
मस्त हो गयी थी.
" आआअहह.... इसस्सस्स... ऊओहााआ. ..पिताजी. .अया आअप तो हुमें सुचमुच
ही चोदने लग गये."
" कहो तो ना चोदे बहू."
" सच आप बहुत ही खराब हैं. औरत को फुसला के चोदना तो कोई
आपसे सीखे. अपना गधे जैसा वो पूरा हमार अंडर पेल दिया , और
अब कह रहे हैं, कहो तो ना चोदे. इसे चोदना नहीं तो और क्या कहते
हैं ?"
" तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा बहू ?" रामलाल आधा लंड बाहर निकाल
के फिर जर तक पेलता हुआ बोला.
" आआआईइ...इस्स्स्स. .जी बहुत अच्छा लग रहा है. काश आप हुमारे
ससुर ना होते ! तो हम आज जी भर के आपसे चुद्वाते.."
" देखो बहू तुम्हें मज़ा आ रहा है और हुमने भी ऐसी जवान और
खूबसूरत औरत को कभी नहीं चोदा. सिर्फ़ आज चोद लेने दो."
" सच आप बहुत चालाक हैं. अभी थोरी देर पहले आपने हुमें बेटी
कहा था, ऑरा अब अपनी बेटी को ही चोद रहे हैं ? बोलिए अब भी हम
आपकी बेटी हैं ? "
" हां बेटी , तुम अब भी हमारी बेटी हो और हमेशा हमारी बेटी
रहोगी." रामलाल एक ज़ोर का धक्का मारता हुआ बोला.
" आआआ...्. .अच्छा जी ! अपनी बेटी को चोदते हुए आपको ज़रा भी शरम
नही आ रही ? लेकिन पिताजी आपका बहुत मोटा है. हुमारी उसको चौरी
कर देगा. चौरी हो गयी तो इन्हें पता लग जाएगा. हम कहीं के नहीं
रहेंगे."
" किसको चौरी कर देगा बहू?"
" हटिए भी आपको पता तो है.ःउमारि जिस चीज़ में ये मूसल घुसा
हुआ है उसी को तो चौरी करेगा ना." कंचन रामलाल के लॉड को अपनी
चूत से दबाती हुई बोली.
" कितनी नादान हो बहू , इतनी जल्दी थोरे ही चौरी हो जाती है. अगर
हम तुम्हें दो टीन साल चोदे तो शायद चौरी हो जाए."
" फिर ठीक है, अब तो आपने चोदना शुरू कर ही दिया है तो आज चोद
लीजिए. लेकिन आज के बाद फिर कभी नहीं चोदने देंगे. ये पाप है.
इन्होने पूचछा चौरी कैसे हो गयी तो कह देंगे खेत में जाते वक़्त
एक गधे ने हुमें ज़बरदस्ती चोद दिया. वैसे ये बात झूट तो है
नहीं. इस वक़्त हुमें एक गधा ही तो चोद रहा है. "
" सच बहू तुम बातें बहुत मीठी मीठी करती हो.. आज तो जी भर
के चोद लेने दो. ऐसी चूत चोद के तो हम धान्या हो जाएँगे. लेकिन
बहू तुम्हें चुदाई सीखना भी हमारा धर्म है. बोलो सीखोगी ना?"
" जी, आप सिखाइए, हम ज़रूर सीखेंगे."
" देखो बहू चुदवाते वक़्त औरत को कोई शरम नहीं करनी चाहिए.
बस खुल के रंडी की तरह चुद्वाओ."
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