Monday, May 24, 2010

कामुक कहानिया एक गाँव की कहानी--7

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एक गाँव की कहानी - पार्ट 07


सुरिंदर उठा और आशा के मुँह से अपना मुँह भिड़ा दिया, दोनो ज़ोर ज़ोर से चुम्मा छाती कर रहे थे, ऐसे जैसे जन्मों के प्यासे हों. आशा अपने बापू का मुँह ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी, वो अपना ही मूट का स्वाद अपने बाप के मुँह से ले रही थी, साथ साथ बापू की थूक का स्वाद भी उसे बहुत अच्छा लगा रहा था.

आशा ने चूमते चूमते ही अपना बाप का लॉडा धोती में से निकाल के अपने हाथ में ले लिया और उसे मसलने लगी. सुरिंदर का लॉडा अपनी सग़ी बेटी के हाथ के स्पर्श से सिहर उठा और जोश में तंन कर लोहा हो गया. आशा अपने घुटनों पे बैठ गयी और सुरिंदर का लॉडा अपने मुँह मे ले लिया और चूसना शुरू कर दिया. पहले सुरिंदर के सूपदे पे अपनी जीभ फेर कर उस लंड को च्छेद रही थी. फिर धीरे धीरे पुर लंड को अपने मुँह में ले लिया और एक छ्होटी बच्ची जैसे लॉलिपोप चुस्ती है उसी तरहसे ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी. सुरिंदर ने बहुत रांडों से अपना लंड चुस्वाया था मगर अपनी सग़ी बेटी के मुँह से चुसवाने का मज़ा वो शब्दों में बता नहीं सकता था. आशा एक बाज़ारु चिनार की तरह लंड चूस्ते ही जेया रही थी, उसकी गरम गरम साँसें लॉड को मखमली एहसास दे रही थी. कल तक जो लड़की अंगूठा चूसा करती थी आज इतनी बड़ी चिनार बन गयी है के अपने बाप का लॉडा इसेफ्रूइत जैसा चूस सकती है. अब सुरिंदर को सहन नहीं हो रहा था, वो पानी छ्चोड़ने ही वाला था मगर उसने अपनी बेटी को आगाह कर दिया के अब वो झड़ने वाला है.

सुरिंदर: "देख आशा अब मैं झड़ने वाला हूँ, तू चाहती है तो मुँह हतले , तू मेरा पानी पिए यह ज़रुरू नहीं है, तेरी मर्ज़ी अगर तुझे नहीं पीना है तो अपना मुँह मेरे लंड से हतले, मैं झड़ने वाला हूँ."

आशा: "बापू तूने अभी तक मुझे ठीक से पहचाना नहीं, मैं इस गाओं की सबसे गंदी और चुड़क्कड़ रंडी हूँ. अरे लॉड का पानी तो बहुत मामूली चीज़ है मैं तो तेरे शरीर से निकली हुई हर चीज़ अपने मुँह मे ले सकती हूँ, फिलहाल तो तू बस मेरे मुँह में झाड़ जेया, मैं एक मर्द के लंड के पानी की प्यासी हूँ, सुबह हरिया का पानी पिया था मगर मेरी प्यास अभी बुझी नहीं तू बस झाड़ जेया मेरे मुँह में और अपनी सग़ी बेटी को अपनी रांड़ बना ले"

और एक हल्की सी सिसकारी के साथ सुरिंदर अपनी बेटी के मुँह में झाड़ गया, बहुत दिनों बाद इतने ज़ोर से सुरिंदर ने पानी छ्चोड़ा था. आशा भी एक पक्की रांड़ की तरह अपने बापू के लंड का सारा माल गतक गयी. आशा को हरिया के पानी से ज़्यादा अपने बापू के पानी का स्वाद ज़्यादा अच्छा लगा क्यूंकी यह ज़्यादा गढ़ा था और इसका स्वाद भी काफ़ी मज़ेदार था. वो एक एक बूँद चाट गयी. अब सुरिंदर तक गया था मगर आशा की चुड़क्कड़ प्यास अभी कहाँ बुझी थी, अबी तो उसे अपने बाप का लंड अपनी चूत और गांद में लेना थ.आउर इसी इरादे से वो फिर सुरिंदर का लंड चूसने लगी.

सुरिंदर: "नहीं बेटी बस आज के लिए इतना काफ़ी है, मैं अब कुच्छ नहीं कर सकता. कल करेंगे. आज तेरे मुँह में इतने ज़ोर से झाड़ा हूँ के ऐसा लगता है के मैने सारा लंड का रस तेरे मुँह में उडेल दिया है, अब मेरे लंड में कुच्छ भी बचा नहीं है. आज तू मुझे छ्चोड़ दे."

आशा: "नहीं बापू, अब तुझसे चूत और गांद मरवके ही तुझे छ्चोड़ूँगी. आज हो जाने दो जो होना है. देखती हूँ कैसे खड़ा नहीं होता तेरा लॉडा. आज की रात मैं तुझसे अपनी चूत और गांद फड़वाके ही रहूंगी. सुबह में हरिया से फदवाया था और रात को तुझसे फदओौनगी मदारचोड़. चल देख अब कैसे तेरी चिनार बेटी तेरा यह 2 इंच का लॉडा चूस के 8 इंच का बनाती है."

यह कहते हुए आशा अपने बापू के लंड के सूपदे को धीरे धीरे चूसना शुरू करती है, मगर सुरिंदर का लॉडा उठता नहीं है. अब आशा पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में घुसा लेती है, इतना अंदर ले लेती है के उसे मतली सी आने लगती है, जैसे वो उल्टी कर देगी मगर फिर अपने आप को रोक लेती है. ऐसा जुनून देखकर सुरिंदर हैरान हो जाता है के कोई औरत इतनी चुड़क्कड़ हो सकती है क्या. उसने काई छिनाल औरतों को छोड़ा था मगर आशा उन सबसे बड़ी लग रही थी. अब उसका लंड धीरे धीरे उतना शुरू हो गया था. आशा अपने बाप के लंड पर खूब थूकती जेया रही थी और फिर उसी थूक को लंड से चाट रही थी. फिर उसने धीरे से अपनी एक उंगली अपने बाप की गांद में घुसा दी और अपने बाप की गांद को अपनी उंगली से धीरे धीरे छोड़ने लगी. सुरिंदर को बहुत मज़ा आरहा था. इतना मज़ा तो उसे तब भी नहीं आया था जब 16 साल की उमर में उसने अपनी 14 साल की बहें उमा को पटक पटक के छोड़ा था. फिर सुरिंदर ने देखा की आशा उसकी गांद में से उंगली निकाल कर उसे अपनी नाक से सूंघने लगती है और थोड़ी देर सूंघने के बाद फिर से गांद में घुसा देती है. इश्स हरकत ने सही तरीके से सुरिंदर के लंड को 5 इंच तक उठा दिया था. मगर अब भी 8 इंच तक खड़ा होना मुश्किल लग रहा था.

सुरिंदर: "आशा तूने तो कमाल कर दिया, मैने तो आज हार मान ली थी के अब मेरा लॉडा उठने वाला नहीं है मगर तूने अपनी छुदास भारी मेहनत से इसे इतना खड़ा कर दिया. मगर मेरी भोसदचोड़ बेटी आशा, तुझे 5 इंच के लंड से कितना मज़ा आएगा? मेरी उमर हो चली है इसीलिए लंड को फिर से पहले जितना खड़ा करना मुश्किल है.ईसिल्ये कहता हूँ आज रहने दे, कल तेरी जमकर चूत और गांद मारूँगा."

आशा: "बहेनचोड़ भद्वे मुँह बंद रख अपना, और देख कैसे यह तेरी चिनार बेटी इश्स 5 इंच के लंड को 8 इंच का लोहा बनाती है. अब तो मैं इसे ऐसा खड़ा करूँगी के इतना खड़ा यह कभी ज़िंदगी में नहीं हुआ होगा. तू बस देखता जेया."

फिर आशा उठ के खड़ी होगआई और अपने बाप के कंधों पे ज़ोर डालके उसे ज़मीन पे बिता दिया और अपनी गांद उसके मुँह की पास रख दी और कहा, "चल बापू मेरी गांद को अच्छी तरह से फैला कर, अपना यह बेशरम चेहरा मेरी गंद में डाल और मेरी गांद की बदबू को सूंघ."

सुरिंदर तो जैसे आशा का ग्युलम हो गया था, जैसे आशा ने कहा वैसे ही उसने अपना मुँह आशा की गांद में घुसा दी और उसकी मदमस्त गांद की खुश्बू सूंघने लगा. अभी वो सूंघ ही रहा था के अचानक से आशा ने चुपके से मगर एक ज़ोरदार बाज़ मार्नेवाली पाध् छ्चोड़ दी. जैसे ही आशा की गांद से निकली हुई पाध् की बदबू सुरिंदर के नातूनों(नॉस्रिल्स) के अंदर गयी, बस और क्या था सुरिंदर का लंड उस महान रंडी आशा की गांद की मदहोश करदेने वाली पाध् को सलामी देने के उठता ही चला गया, उठता ही चला गया. ऐसी मतवाली और सुगंधित पाध् उसने अपनी ज़िंदगी में नहीं सूँघी थी. शायद इसीलिए के उसने पहले कभी एक लड़की को इतना मचलते नहीं देखा था और उस पर वो उसकी अपनी सग़ी बेटी थी, वो बेटी जो कल तक फूल की तरह उसकी गोद में पाली थी, मगर आज वो इश्स दुनिया की सबसे बड़ी चिनार के जैसी अपने बाप को अपनी गंद की मदमस्त बदबू सूँघा रही थी. अब किसी भी मर्द का लंड यह सब महसूस करके खड़ा तो होना ही था और सुरिंदर का भी अब खूब तंन के खड़ा हो गया.

सुरिंदर ने तब मॅन ही मॅन सोचा: "ईश्वर तेरी लीला अपरंपार है, तूने औरत को पाधने का वरदान इसीलिए दिया ताके मुझ जैसे अधेड़ उमर के लोगों का भी लंड उस बदबू को सूंघ के खड़ा हो सके. मेरे लिए तो एक औरत का पाध् वियाग्रा से भी अच्छी डॉवा है लंड खड़ा करने के लिए और वो भी मुफ़्त में. मान गये भगवान तुझे."

मगर आशा इश्स से पूरी तरह खुश नहीं थी. वो अपने बाप के लॉड को और खड़ा करना चाहती थी क्यूंकी वो उसके रणदीपन का इम्तिहान था, वो देखना चाहती थी के वो एक लंड को किस हद तक खड़ा कर सकती है.

अब वो नीचे बैठ गयी और अपने बाप से कहा, "बापू तेरा लंड तो फिर खड़ा हो गया है मगर मैं इसे और बड़ा देखना चाहती हूँ, इसीलिए तुम खड़े हो जाओ और अपनी गांद मेरी तरफ कर दो. और फिर देखो मैं क्या गुल खिलाती हूँ."

सुरिंदर बिना मुँह खोले वोही करता गया जो आशा कहती रही. आशा ने अपने बापू के गांद के चूटरों को चियर के अपना मुँह और अपनी ज़ुबान सुरिंदर की गांद पे जमा दी और ज़ोर ज़ोर से सुरिंदर की गांद चूसने लगी. आशा उसकी गांद ऐसे चूस रही थी जैसे उसे अपने बाप की गांद में किसी चीज़ की तलाश थी और वो चूस चूस के उसे बाहर निकालने की कोशिश कर रही थि.Pहिर क्या था, सुरिंदर इश्स गांद चूसा से इतना तर्की हो गया के उसका लंड 8 इंच से भी बड़ा हो गया था और आशा की चूत और गांद फाड़ने के लिए बिल्कुल तैयार था. उसे अफ़सोस हो रहा था के इतने दिन उसने अपनी बेटी के बारे में इश्स तरह से नहीं सोचा और खुशी इश्स बात की के उसने आशा की शादी नहीं की अब तक. अब तो सुरिंदर ने मॅन बना लिया था के वो आशा की कभी शादी नहीं करेगा और उसे अपने ही घर में एक चुड़क्कड़ रांड़ कुटिया के तौर पे पालेगा जिसे जो चाहे जब चाहे चोद सकता है. बेतं तो बहुत होती हैं मगर ऐसी मदरजात चिनार बेटी बहुत ही किस्मतवलों को मिलती है.

सुरिंदर: "आशा मुझे विश्वास नहीं हो रहा है के तूने मेरे मुरझाए लंड को अपने प्यार से पहले से भी लंबा ताना दिया है, चल अब लेट जेया और मुझे तेरी चूत की पूजा अपने लंड से करने दे. यह पहली बार हमारे खानदान में हो रहा है के एक बाप अपनी बेटी की चूत में लंड पेल रहा हो, बहेनचोड़ तो बहुत हुए हैं मगर बेटीचोड़ बन ने वाला पहला मर्द मैं ही हूँ अपने खानदान में. और बापचॉड़ बन ने वाली पहली छिनाल भी तू ही है आशा. आजा एक नया इतहास बनाते हैं हम आज!!"

आशा: "इश्स पल का तो मैं कब से इंतेज़ार कर रही थी बापू, आज तुझसे चुड़वकर मैं इश्स गाओं का इतिहास बदलूँगी. मेरी ही तरह हर मया, हर बेटी, हर बहें, हर भाभी और हर बीवी को चिनार बननेकी कसम खाई है. और मुझे ज़िंदगी में जो भी मर्द मिले मैं उन सबसे चड़वौन और इश्स गाओं की सबसे बड़ी कहलवौन बस यही मेरी कोशिश रहेगी बापू. शुरूवात तो सुबह को मैने अपने सगे भाई हरिया को चोद कर , कर दी है मगर अपने बाप का लंड अपनी चूत और गांद में पिलवाकर इश्स गाओं के इतिहास की नींव रचती हुन.आअओ बापू आकर अपनी इश्स फूल सी बच्ची को चोद चोद कर, रग़ाद रग़ाद कर भोसड़ी बना दो, आओ बापू यह लो मैं लेट गयी , अब डाल दो अपना मूसल में प्यासी चूत में. बेटीचोड़ बन जाओ बापू, बेटीचोड़ बन जाओ!!"
उधर दूसरी तरफ जब हरिया कल्लू के झोपड़ी की तरफ जेया रहा था, उसे रास्ते में असलम मिल गया.

हरिया: "असलम तू यहाँ इश्स वक़्त , कहाँ से आ रहा है"

असलम: "अरे तू तो जानता है ना यार, वो मेरी मया और सौुटली मया के बीच में वो ज़मीन को लेकर कोर्ट कचेरी का चक्कर, बस उसी के सिलसिले में वकील से मिलने गया था. और तू बता इश्स वक़्त तो तू हमेशा घर में होता है, यह रात को कहाँ भटका भटका फिर रहा है??"

फिर हरिया ने असलम को सब कुच्छ बता दिया, कैसे आशा ने उसे अपनी गांद की खुश्बू से पटाया, कैसे उसने हरिया से अपनी चूत और गांद मरवाई, वग़ैरह, वग़ैरह..

यह सुनके असलम बहुत उत्सुक हो गया, "यार तूने तो कमाल कर दिया, एक ही दिन में तूने अपनी बहें की चूत और गांद लाल कर दिया!!! कभी हुंसे मिलवा दो अपनी बहें को, कसम से ऐसे छोड़ेंगे ऐसे छोड़नगे यूयेसेस हरमज़ाडी को , के ज़िंदगी भर मुसलमानी लंड के लिए तरसेंगी."

हरिया: "हां यार बहुत मज़ा आया आज मुझे अपनी बहें के साथ ऐश करके, तू फिकर मत कर वो इतनी चुड़क्कड़ है के तुझसे खुशी खुशी छुड़वा लेगी. मगर मुसीबत यह है के, गाओं वालों ने हम दोनो को चूमते चाट ते देख लिया था और अब तक बापू को खबर भी कर दिया होगा. इसीलये आशा ने मुझे घर से बाहर भेज दिया और बेचारी अकेली ही बापू का गुस्सा से रही होगी."

असलम: "अरे यह तो बहुत बुरा हुआ, पता नहीं तेरा बाप उस बेचारी के साथ कैसा सुलूक कर रहा होगा. तुझे तेरी बहें ने इतना प्यार और इतनी खुशी दी है, तेरा फ़र्ज़ बनता है के तू उसका मुसीबत में साथ दे. मेरे ख़याल से तुझे घर जाना चाहिए और अपने बाप के सामने हिम्मत से बोलना चाहिए के तूने तेरी बहें की चूत और गांद मारी है. और तुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं है. इश्स बात के लिए आशा जितनी ज़िम्मेदार है उतना ही तू भी है. मर्द बन यार यह क्या कर रहा है!!"

हरिया को असलम की बात ठीक लगी और बोल पड़ा: " हां यार शायद तू ठीक कहता है, मुझे बुझड़िलों की तरह आशा को अकेले छ्चोड़के नहीं आना चाहिए था, मगर अब भी कुच्छ नहीं बिगड़ा मैं घर वापिस जाता हूँ और बापू को सब कुच्छ बता देता हूँ."

असलम: "यह हुई न मर्दों वाली बात, चल जेया घर जेया और बोल दे के तू बहेनचोड़ है और तुझे कोई अफ़सोस नहीं है इश्स बात का. मैं भी अपनी दोनो मया को पटाने की कोशिश करूँगा आज रात से ही. आख़िर तू बहेनचोड़ बन गया है तो मुझे भी मदारचोड़ बन ना ही होगा!!"

दोनो दोस्तों ने इसी बात पे हंसते हुए विदा ली और अपने अपने घर की तरफ चल पड़े...

हरिया हिम्मत कर के अपने घर पहुँचा, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था. उसने सोचा अंदर आशा या तो बापू के हाथों से मार खा रही होगी या फिर एक कोने में बैठ के रो रही होगी. यही सोचकर उसने पहले खिड़की से अंदर झाँकना ठीक समझा और वो खिड़की के अंदर चोरी चोरी चुपके चुपके झाँकने लगा. मगर अंदर का नज़ारा देखकर हरिया डांग रह गया. आँखें फटी की फटी रह गयी.

अंदर बापू खाट पे लेता हुआ था और आशा अपने बापू के लंड पे उकड़ू मारकर बैठी थी और उनका लंबा और तगड़ा लंड से अपनी चूत मरवा छुड़वा रही थी. और बापू नीची से घपा घाप घपा घाप आशा की चूत में लंड पेल रहा था. दोनो ही मदरजात नंगे थे और बहुत जोश के साथ चुदाई कर रहे थे. पहले तो उसे यकीन ही नहीं हुआ के वो जो देख रहा है वो सच है या सपना. फिर तोड़ा सोचने के बाद लगा, अरे आशा जैसी चिनार जब अपने सगे भाई को उकसा उकसा कर छुड़वा सकती है तो अपने बाप से क्यूँ नहीं. यह तो एक ना एक दिन होना ही था. हरिया का लंड उसके प्यज़ामे में गरम हो रहा था, पुच्छ पुच्छ की चुदाई की आवाज़ खिड़की तक आराही थी पर सब से छुदासी बात यह थी के दोनो खूब एक दूसरे को गलियाँ दे दे कर चुदाई का मज़ा ले रहे थे.

आशा: "हां रे बापू चोद दे अपनी बेटी की कसी हुई चूत, बस भर दे इश्स में अपने छोड़न रस, 22 साल तक इश्स चूत को आज तक लंड से संभाल रखा था, मगर अब एक पल के लिए भी बिना लंड के चूत में मैं नहीं रह सकती. छोड़ दे बापू मुझे, भाछोड़ सुबह में हरिया ने मुझे बना दिया था अब तू भी अपने लंड की रागड़ाई से मुझे बापचॉड़ बना दे, रांड़ बना दे मुझे आअहह आआहह , चोद बेटी चोद बापू चोद मुझे और ज़ोर से और ज़ोर से, अब तुझे उमा बुआ के पास जाने की ज़रूरत नहीं है, घर में ही मैं तेरी कुटिया बन कर तुझसे छुड़वा लूँगी, अब बस मेरी ज़िंदगी का मक़सद चुदाई है सिर्फ़ और सिर्फ़ चुदाई."

सुरिंदर: "हां कमीनी, मदारचोड़ आशा , मुझे माफ़ कर दे के मैने आज तक तेरी चूत और गांद को भूखा रखा, मैं समझ सकता हूँ तेरी तड़प को, मगर आज से तू आज़ाद है, जिसके साथ छुड़वाना है छुड़वा ले, जिसके साथ गांद मर्वानी है मरवा ले , अगर कोई नहीं मिले तो मैं और तेरा भाई ढूँढ के लाएँगे लंड तेरे लिए, मगर आज के बाद कभी भी तेरी चूत और गांद प्यासे नहीं रहेंगे. आआअहह क्या कसी हुई चूत है आशा तेरी. कसमा से मज़ा आगेया, जिस लड़की को मैने अपनी बीवी की चूत में रस डालकर पैदा किया था आज उसी के चूत में मैं अपना रस छ्चोड़ूँगा, उसे भी मैं अपने बच्चे की मया बनौँगा, बनेगी ना मेरे बच्चों के मया आशा????"


















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