ओओओओःह्ह्ह.. भाभी --4
गतांक से आगे...........................
जब भाभी ने मुझे उठा कर चाइ दी तो आठ बाज चुके थे. भाबी बोली “जल्दी से उठ कर कपड़े पहन लो, आशा आती होगी.” मैने भाभी को पकर कर अपने पास लिटा लिया और एक गरमा-गरम चुम्मा ले लिया. भाबी बोली, “आने दो उसे, तुम तो बस मेरे पास ही रहो. देखो ना सपने मे भी तुम ही आती रही और लंड देवता फिर से फर-फारा रहें है.” भाभी किसी तरह अपने को छुरा कर खरी हो गयी और जाते हुए बोले, “लगता है कि तुम्हारे लिए पर्मनेंट चूत का बंदोबस्त जल्दी ही करना होगा. खैर वो भी कर दूँगी. पर अभी तो छोड़ो मुझे. वादा करती हूँ कि आशा के जाते ही तुम्हारी प्यास बुझा दूँगी.”“भाभी आशा को भी पटा लो ना? फिर साथ साथ मज़े लेंगे, वो भी कितनी मस्त है. कल रत की पिक्चर की बात याद है ना? तुम भी मज़े लेना आशा के साथ.” “शैतान कहीं के, एक चूत का मज़ा क्या मिल गया चारो तरफ नज़र डालने लगे. वैसे तुम्हारे बात मे दम है, वो लगती है चालू और आसानी से पट सकती है. मौका देख कर कोशिश करूँगी. पर आज तो बस हम और तुम दूसरा कोई नही,” कहते हुए भाभी बाहर चली गयी. भाभी के जाने के बाद मैं उठ कर बाथरूम मे घुस गया. नहा कर तौलिया लप्पेट कर बाहर निकला कि देखा कि आशा बिस्तेर ठीक कर रही है. चादर पर परे मेरे लंड और भाभी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रही है.आशा झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी. मेरी तो उपर की सांस उपर और नीचे की सांस नीचे रहा गयी. मेरे कदमो की आहट सुन कर आशा उठ गयी और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी. फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोले, “लगता है रात देवर भाभी ने जम कर खाट कब्बड़ी खेली है.” मैं हिम्मत कर के बोला, “क्या मतलब?” वो मुझसे सॅट-ती हुई बोली, “इतने भोले मत बनो. सब समझ रहे हो और चादर भी रात की सारी कहानी सुना रही है. अब इसकी कहानी मैं सुनौन्गी सबको.” मैं बौखला गया, एह तो हमे बदनाम कर देगी. फिर मैने गौर्से देखा उसको. मस्त लौंडिया थी. स्वामली सा रंग, छरहरा बदन. उठी हुई मस्त चूंचिया. उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर मे दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूंची और उभर कर सामने आ गयी थी. वो बात करते करते मुझसे एक दम सॅट गयी और उसकी तनी तनी चूंची मेरी नंगी छाती से छूने लगा. जब वो बोलते तो उसकी साँसे मेरी सांस से टकरा जाता.
मेरा लंड जोश मे फरफारा उठा. मुझे सुबह भाभी की बात याद आ गयी और मैने सोचा कि इससे ज़्यादा अक्च्छा मौका फिर नही मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे आई हुई है. मैने हिम्मत कर के उसे कमर से पकर लिया और अपनी पास खीच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल रानी एक पकड़ तेरे साथ भी हो गये, फिर तू सुनाना कहानी सबको.” वो एकद्ूम से घबरा गयी और अपने को छुराने की कोशिश करने लगी. पर मैं उसे कस कर पकड़ते हुए चूमने की कोशिश करने लगा. वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर मेरी मज़बूत पकड़ के सामने वो बेबस थी. उसके गालों को चूम ही लिया मैने और उसे लिए हुए बिस्तेर गिर परा. उसे बिस्तेर पर पटक कर मैं उसेके उपर चढ़ गया और उसकी दोनो हाथ फैला कर मज़बूती से से जाकड़ लिया. फिर नीचे झुक कर उसके होटो को चूमने की कोशिश करने लगा. वो अपना चहेरा इधर उधर घुमा रही थी पर मैने उसके होठों को चूमने मे कामवाब् हो गया. लेकिन तुरंत उसने अपना चहेरा घुमा लिया जिससे चुंबन अधूरा रहा गया. मैने उसके हाथ छोर दिए और चहेरा को दोनो हाथों से पकर कर होठों के रस पीने लगा. कुछ देर को वो शांत हुए मानो थक गये हो और फिर मेरे बालों को पकर कर मुझे दूर करने की कोशिश करने लगी. वो किसी तरह से मेरे नीचे से निकलने मे कामवाब् हो गयी और बिस्तेर से उठ कर खरी होने लगी. पर मैने फिर से उसे पीछे कमर मे हाथ डाल कर बिस्तेर पर लेटा लिया. हम दोनो की हाथापाई मे मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 10” का फंफनता हुआ लाउडा आज़ाद हो गया. उसे बिस्तेर पर लिटा कर अपना लंड उसकी गंद मे दबाते हुए मैने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया.
दोनो हाथों से चूंचियो को पकर कर मसालते हुए बोला, “नखरे क्यों दिखती है? खुदा ने हुस्न दिया है क्या मार ही डालॉगी, अरे हमे नही दोगी तो क्या आचार डालॉगी? चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का का मज़ा ले और कुछ अपने यारों को भी दे.” “नही नही मुझे छोर दो नही तो अभी भाभी को बुलाती हूँ.” “बुला ले जिसे बुलाना है पर आज मैं तो बिना चोदे नही छोड़ने वाला,” कहते हुए उसके ब्लाउस को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटिकोट के अंदर घुसा दिया और उसकी चिकनी चिकनी जाँघो को सहलाने लगा. धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया. पर वो तो दोनो जांघों को कस कर दबाई हुए थी. मैं उसकी चूत को उपर से कस कस कर मसल्ने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अंदर डाल दिया. उंगली अंदर होते ही वो कस कर छटपताई और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. इससे उसका पेटिकोट उपर उठ गया. मैने कमर पीछे लंड को नंगे चूतर की दरार मे लगा दिया. क्या फूले फूले चूतर था. अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूंची पर से हटा कर उसके चूतर को पकर लिया और अपना लंड से उसकी गंद की दरार मे ही तेज़ी शॉट लगाने लगा.अब उसकी चूत को मैं उंगली से चोद्ते हुए गंद की दरार मे लंड धंसा रहा था. कुछ ही देर मे वो ढीली पर गयी और जांघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीछे की चुदाई का मज़ा लेने लगी. “क्यों रानी मज़ा आ रहा है?” मैने धक्का लगाते हुए पूछा. “हाँ बाबू मज़ा आ रहा.” उसने जंघे फैला दी जिससे की मेरी उंगली आसानी से अडर-बाहर होने लगी. फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकर लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोले, “हाई इतना मोटा लंड. कोन इससे चुडाने को इनकार करेगा. चलो मुझे सीधा होने दो,” कहते हुए वो चित लेट गयी. अब हम दोनो अगाल बगल लेते हुए थे. मैने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और लंड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चुन्चिओ को चूसने लगा. पठार जैसा सख़्त थी उसकी चूंची. एक हाथ से उसकी चूंची मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत चोद रहा था. वो भी लगातार मेरे लंड को पकर कर अपनी जांघों पर घिस रही थी. जब हम दोनो पूरी जोश मे आगये तब आशा बोले, “अब मत तर्पाओ राज्ज्ज्जा. चोद दो मुझे अब.”मैने झटपट उसकी सारी और पेटिकोट को कमर से उपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया.
वो बोली, “पहले कपारे तो उतारो.” मैं बोला, “नही तुझे आध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, ईस्सईलिए पहेली पकड़ तो कपरो के साथ होगी.” फिर मैने उसकी टाँगे अपनी कंधों पर रखी और उसने मेरा लंड पकर कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोले, “आओ राजा, शुरू हो जाओ.” मैने कमर आगे कर के ज़ोर दर धक्का दिया और मेरा आधा लंड दनदनाता हुआ उसकी चूत मे धँस गया. वो बोली, “हाई राज जिओ, क्या शॉट लगाया है.” मैने उसकी सख़्त चूंची को पकर कर मसलते हुए दूसरा शॉट लगाया और मेरा बचा हुआ लॉरा भी जड़ तक उसकी चूत मे धँस गया. मारे दर्द के उसकी आह निकल गयी और बोले, “बरा जालिम है तुम्हारा लॉरा. किसी कुमारी छोकरी को चोदोगे तो वो मर जाएगी. संभाल कर चोदना.”मैं उसकी चुन्चिओ को पकर कर मसल्ते हुए धीरे-धीरे लंड चूत के अंदर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट लग रही थी. जैसे भाभी ने सिखाया था, वैसे ही लंड को पूरा बाहर निकाल लेता और दोबारा झटके से अंदर डाल देता. जैसे जैसे उसकी मस्ती बढ़ने लगी वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवब देने लगी. मैने धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार तेज़ किया और वो भी उसी हिसाब से चूतर उछाल उछाल कर जवाब देने लगी. कंधे पर टांग रखी होने से उसकी चूत पूरी तरह से फैल गयी थी और मेरा लंड सटा-सॅट उसकी चूत मे पूरा का पूरा अंदर-बाहर हो रहा था. लुंबी चुदाई से उसकी चूत पानी छोर रही थी और ढीली सी लग रही थी. ईस्सईलिए थोरी देर तक इस आसान मे चोदने के बाद मैने आशा की टाँगे नीचे कर दी और उसके उपर लूंबा होकर चोदने लगा. अब उसकी चूत थोरी कस गयी और मेरा लंड घर्षण के साथ अंदर-बाहर होने लगा जिससे मज़ा दोगुना हो गया. अब आशा ने मेरी गर्दन मे बाहें डाल कर मेरा सिर नीचे किया और अपनी चूंची को मेरे मुँह मे देकर चूसाने लगी. सच आशा की चूंची तो भाभी से भी ज़्यादा रसीले और मजेदार थी. आशा साथ साथ मुझे बढ़ावा दे रही थी, “चोद लो मेरे राज्ज्जा, चोद लो. चार दिन की जवानी है. मेरा सारा बदन तुम्हारे हवाले है. जी भर कर मज़े ले लो.
हाई! राज्ज्जा क्या मस्त लॉरा है तुम्हारा. पहेला पता होता तो कबकि चुदवा चुकी होती.”मेरी साँसे फूल रही थी, पर पीछले दो रातों की चुदाई की वजह से लंड झरने का नाम नही ले रहा था. आशा अबतक तीन बार झार चुकी थी पर मेरा लंड की ताक़त देख कर अभिभि मैदान मे डटी हुई थी और मस्ती के साथ चूतर उछाल उछाल कर लंड अपने चूत मे निगल रही थी. मैने सुसताने की ख़याल से अपनी रफ़्तार थोरी धीमी कर दी और उसके सिने पर सिर रख कर आराम करने लगा. आशा ने प्यार से मेरे माथे पर से पसीना पोंचा और मेरी पीठ सहलाते हुए मेरे होंटो को चूमने लगी. कुछ देर तक यूँही परे रहने के बाद आशा बोली, “आओ राजा अब मैं तुम्हे दूसरा मज़ा दूँगी.” आशा ने मुझे अपने उपर से उठा कर घुटनो और कोहनी के बल झुक कर लेटने को कहा. मैं बिस्तेर पर चौपाया बन गया. फिर आशा मेरे पीछे आई और मेरे चूतर को फैला कर अपनी चूत मेरी गंद के छेद पर लगा दी. फिर दोनो हाथों मेरे बगल से नीचे ले जाकर मेरे लौरे को पकर कर हिलाते हुए कमर चलानी शुरू कर दी. मैं तो मस्ती से झूम उठा. गंद पर आशा की चूत की रगर मुझे पागल बना रही थी. वो मेरी पीठ से कस कर चिपकी हुई थी जिससे की उसकी खरी खरी चूंचिया मेरी पीठ पर रगर रही थी. वो मेरे कान पर फूस-फूसा कर बोले, “क्यों राजा मज़ा आ रहा है चूत से गंद मारने मे?”मैं मस्ती के आलम मे था. उसकी गीली गीली चूत से रस मेरी गंद मे लग रहा था.
एब ही तरह की सनसनी पूरे बदन पर दौर रही थी. मैं अपनी गंद जायदा से जायदा फैला कर उसकी चूत की नोक अपनी गंद मे लेने की कोशिश कर रहा था. आशा एक साधे हुए चिड़ू की तरह से सतसट धक्के लगा रही थी. मैं भी कमर हिला हिला कर एक चुदस औरत की तरह मज़े ले रहा था. ऐसा लगता था मानो आशा एक मर्द हो जोकि अपने माशुका की चुदाई कर रहा हो. मेरा लंड आशा के हाथों मे तना जा रहा था. लगता था कि अब झारा की तब. कुछ देर तक इसी तरह मेरी गंद मारने के बाद आशा उठ कर मेरे बगल मे ही चौपाया बन गयी और बोले, “आऊ राजा अब पीछे से ले लो मेरी.” मैं उठ कर आशा के पीछे आया और लंड पाकर कर उसकी चूत पर रगार्ने लगा. उसके उभरे उभरे चूतर को देख कर मेरा इरादा बदल गया. मैने पहले अपने हाथो की चारो उंगलेआ उसकी चूत मे डाल कर निकाल ली. उसका लसलसा पानी मेरे हाथों मे लग गया. अब इससे उसकी गंद पर रगर्ते हुए अपना लंड भी जड़ तक आशा की चूत मे पेल दिया. दो-चार बार अंदर-बाहर करने के बाद लंड बाहर निकाला तो देखा कि लंड उसकी चूत के पानी से पूरी तरह चिकना हो गया है. अब दोनो हाथों से उसकी गंद को चौरा करके सुपरा आशा की गंद पर रखा और जब तक आशा कुछ समझे, सटाक से धक्का लगा कर लंड का सुपरा गंद के अंदर दाखिल कर दिया. सुपरा गंद मे घुसते ही आशा ज़ोर से चीखी और बोली, “हाई! जालिम, मेरी गंद फार दी.” आशा कमर आगे करके मेरा लंड निकालने की कोशिश करने लगी पर मैं मजबूती से उसकी रसीली चूतर को दनादन शॉट मारने लगा. अब मेरा लंड पूरा का पूरा आशा की गंद मे घुस गया था. गंद मारने मे आशा को बहुत दर्द हुआ और बार बार बिन्ती करने लगी की मैं अपना लौरा उसकी गंद से बाहर निकाल लूँ. पर मैने एक ना सुनी. मैं अपनी उंगलेआ उसकी चूत मे अंदर-बाहर करते हुए तान तान कर शॉट मारने लगा. थोरी देर मे आशा को भी मज़ा आने लगा और वो भी कमर हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी. उसकी गंद मारने मे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फूले फूले चूतर, मखमली गद्दो जैसा लग रहा था.
उसकी गंद मे लंड डाल चोद्ते चोद्ते मेरी मंज़िल आ गयी और मैने पूरा रस उसकी गंद मे उरेल दिया. मेरी उंगलिओ से चुद्व कर आशा भी झार गयी. जब मैने उसकी गंद से अपना लौरा बाहर खींचा तो ‘पाक’ की आवाज़ के साथ बाहर निकल आया मानो बोतल से काक निकली हो.
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
ओओओओःह्ह्ह.. भाभी --1
ओओओओःह्ह्ह.. भाभी --2
ओओओओःह्ह्ह.. भाभी --3
ओओओओःह्ह्ह.. भाभी --4
OOOOHhhh.. Bhabhi --4
jab bhabhi ne mujhe utha kar chai dee to ath baj chuke the. Bhabi boli “jaldi se uth kar kapre pahan lo, Asha aatee hogee.” Maine bhabhi ko pakar kar apne pas lita liya aur ek garma-garam chumma le liya. Bhabi boli, “ane do use, tum to bas mere pas hi raho. Dekho na sapne me bhi tum hi ati rahee aur lund devta phir se phar-phara rahen hai.” Bhabhi kisi tarah apne ko chura kar kharee ho gayee aur jate hue bole, “lagata hai ki tumhare liye permanent choot ka bandobast jaldi hi karna hoga. Khair wo bhi kar dungee. Par abhi to choro mujhe. Wada kartee hun ki Asha ke jate hi tumhari pyas bujha dungee.”“Bhabhi Asha ko bhi pata lo na? Phir sath sath maze lenge, wo bhi kitni mast hai. Kal rat ki picture ki bat yad hai na? Tum bhi maze lena Asha ke sath.” “Shaitan kaheen ke, ek choot ka maza kya mil gaya charo taraf nazar dalne lage. Waise tumhare bat me dum hai, wo lagtee hai chalu aur asani se pat sakti hai. Mauka dekh kar koshish karungee. Par aaj to bus hum aur tum dusra koi nahee,” kahate hue bhabhi bahar chalee gayee. Bhabhi ke jane ke bad mai uth kar bathroom me ghus gaya. Naha kar taulia lappet kar bahar nikla ki dekha ki Asha bister theek kar rahee hai. Chadar par pare mere lund aur bhabhi ki choot ke pani ke dhabbe rat ki kahani suna rahee hai.Asha jhuk kar nishan wali jagah ko sungh rahee thee. Meri to upar ki sans upar aur neeche ki sans neeche raha gayee. Mere kadmo ki ahat sun kar Asha uth gayee aur meri taraf dekhtee hui ada se muskura dee. Phir ithlate hue mere pas aaii aur ankh mar kar bole, “lagta hai rat dewar bhabhi ne jam kar khat kabbadi kheli hai.” Mai himmat kar ke bola, “kya matalab?” Wo mujhse sat-tee hui bole, “itne bhole mat bano. Sab samajh rahe ho aur chadar bhi rat ki sari kahani suna rahee hai. Ab iski kahani mai sunaungee sabko.” Mai baukhla gaya, eh to hume badnam kar degee. Phir maine gaurse dekha usko. Mast laundia thee. Swamlee se rang, charhara badan. Uthi hui mast chunchean. Usne apna pallo samne se lekar kamar me dabaya hua tha, jisse uski chunchee aur ubhar kar samne aa gayee thee. Wo bat karte karte mujhse ek dam sat gayee aur uski tani tani chunchee meri nangi chatee se chune laga. Jab wo bolte to uski sanse meri sans se takra jata.
Mera lund josh me farfara utha. Mujhe subah bhabhi ki bat yad aa gayee aur maine socha ki isse jyada acchha mauka phir nahee milne wala. Sali khud hi to mere aaii hui hai. Maine himmat kar ke use kamar se pakar liya aur apni pas keench kar apne se chipka liya aur bola, “chal rani ek pakar tere sath bhi ho gaye, phir tu sunana kahani sabko.” Wo ekdum se ghabra gayee aur apne ko churane ki koshish karne lagee. Par mai use kas kar pakare hue chumne ki koshish karne laga. Wo mujh se dur hatne ki koshish kartee jarahee thee par meri pakar mazbut pakar ke samne wo bebas thee. Uske galon ko chum kar hi liya maine aur use liye hue bister gir para. Use bister par patak kar mai useke upar char gaya aur uski dono hath faila kar mazbutee se se jakar liya. Phir neeche jhuk kar uske hoton ko chumne ki koshish karne laga. Wo apna chehera idhar udhar ghuma rahee thee par maine uske hothon ko chumne me kamwab ho gaya. Lekin turant usne apna chehera ghuma liya jisse chumban adhura raha gaya. Maine uske hath chor diye aur chehera ko dono hathon se pakar kar hothon ke rus peene laga. Kuch der ko wo shant hue mano thak gaye ho aur phir mere balon ko pakar kar mujhe dur karne ki koshish karne lagee. Wo kisi tarah se mere neeche se niklne me kamwab ho gayee aur bister se uth kar kharee hone lagee. Par maine phir se use peeche kamar me hath dal kar bister par leta liya. Hum dono ki hathapai me mera taulia khul gaya aur mera 10” ka fanfanata hua luara azad ho gaya. Use bister par lita kar apna lund uski gand me dabate hue maine apni ek tang uski tang par chara diya aur use daboch liya.
Dono hathon se chuncheon ko pakar kar masalte hue bola, “nakhare kyon dikhatee hai? Khuda ne husn diya hai kya mar hi dalogee, aare hume nahee dogee to kya achar dalogee? Chal aaja aur pyar se apni mast jawani ka ka maza le aur kuch apne yaron ko bhi de.” “Nahee nahee mujhe chor do nahee to abhi bhabhi ko bulatee hun.” “Bula le jise bulana hai par aaj mai to bina chode nahee chorne wala,” kahate hue uske blouse ko kheench kar khol diya. Phir ek hath ko neeche le jakar uske petticoat ke andar ghusa diya aur uski chikni chikni jangho ko sahalane laga. Dhira dhira hath uski choot par le gaya. Par wo to dono janghon ko kas kar dabai hue thee. Mai uski choot ko upar se kas kas kar masalne laga aur unglee ko kisi tarah choot ke andar dal diya. Unglee andar hote hi wo kas kar chatpatai aur bahar nikalne ke liye kamar hilane lagee. Isse uska petticoat upar uth gaya. Maine kamar peeche lund ko nange chutar ki darar me laga diya. Kya phule phule chutar tha. Apna dusra hath bhi uski chunchee par se hata kar uske chutar ko pakar liya aur apna lund se uski gand ki darar me hi tezee shot lagane laga.Ab uski choot ko mai unglee se chodte hue gand ki darar me lund dhans raha tha. Kuch hi der me wo dhili par gayee aur janghon ko dhila kar ke kamar hila hila kar aage aur peeche ki chudai ka maza lene lagee. “Kyon rani maza aa raha hai?” Maine dhakka lagate hue pucha. “han babu maza aa raha.” Usne janghe faila dee jisse ki ki meri unglee asani se uder-bahar hone lagee. Phir usne apna hath peeche karke mere lund ko pakar liya aur uski motai ko nap kar bole, “hai itna mota lund. Kyon isse chudane ko inkar karega. Chalo mujhe sidha hone do,” kahate hue wo chit let gayee. Ab hum dom agal bagal lete hue the. Maine apni tang uski tang par chara liya aur lund ko uski jangh par ragate hue chuncheeon ko chusne kaga. Pathar jaisa sakht thee uski chunchee. Ek hath se uski chunchee masal raha tha aur dusre hath ki unglee se uski choot chod raha tha. Wo bhi lagatar mere lund ko pakar kar apni janghon par ghis rajee thee. Jab hum dono puri josh me aagye tab Asha bole, “ab mat tarpao rajjjja. Chod do mujhe ab.”Maine jhatpat uski saree aur petticoat ko kamar se upar utha kar uski choot ko pura nanga kar diya.
Wo bole, “pahale kapare to utaro.” Mai bola, “nahee tujhe adh nangee dekh kar josh aur double ho gaya hai, issiliye paheli pakar to kaparo ke sath hogee.” Phir maine uski tange apni kandhon par rakhee aur usne mera lund pakar kar apni choot ke munh par rakh liya aur bole, “aaoo raja, shuru ho jao.” Maine kamar aage kar ke jor dar dhakka diya aur mera adha lund dandanata hua uski choot me dhans gaya. Wo bole, “hai raj jio, kya shot lagaya hai.” Maine uski sakht chunchee ko pakar kar maslte hue dusra shot lagaya aur mera bacha hua laura bhi jar tak uski choot me dhans gaya. Mare dard ke uski ah nikal gayee aur bole, “bara jalim hai tumhara laura. Kisi kumaree chokree ko chodoge to wo mar jayegee. Sambhal kar chodna.”Mai uski chuncheon ko pakar kar masalte hue dhire-dhire lund choot ke andar-bahar karne laga. Choot to iski bhi tight lag rahee thee. Jaise bhabhi ne sikhaya tha, waise hi lund ko pura bahar nikal leta aur dobara jhatke se andar dal deta. Jaise jaise uski mastee barhne lagee wo bhi neeche se kamar utha utha kar har shot ka jawb dene lagee. Maine dhire-dhire apni raftar tez kiya aur wo bhi usi hisab se chutar uchal uchal kar jawab dene lagee. Kandhe par tang rakhee hone se uski choot puree tarah se fail gayee thee aur mera lund sata-sat uski choot me pura ka pura andar-bahar ho raha tha. Lumbi chudai se uski choot pani chor rahee thee aur dhili si lag rahee thee. Issiliye thori der tak is asan me chodne ke bad maine Asha ki tange neeche kar dee aur uske upar lumba hokar chodne laga. Ab uski choot thori kas gayee aur mera lund gharshan ke sath andar-bahar hone laga jisse maza doguna ho gaya. Ab Asha ne meri gardan me bahen dal kar mera sir neeche kiya aur apni chunchee ko mere munh me dekar chusane lagee. Such Asha ki chunchee to bhabhi se bhi jyada raseele aur majedar thee. Asha sath sath mujhe barhawa de rahee thee, “chod lo mere rajjja, chod lo. Char din ki jawani hai. Mera sara badan tumhare habale hai. Jee bhar kar maze le lo.
Hi! Rajjja kya mast laura hai tumhara. Pahela pata hota to kabki chudwa chuki hotee.”Meri sanse phul rahee thee, par peechle do raton ki chudai ki wajah se lund jharne ka nam nahee le raha tha. Asha abtak teen bar jhar chuki thee par mera lund ki takat dekh kar abhibhi maidan me dati hui thee aur mastee ke sath chutar uchal uchal kar lund apne choot me nigal rahee thee. Maine sustane ki khayal se apni raftar thoree dhimi kar dee aur uske sine par sir rakh kar aram karne laga. Asha ne pyar se mere mathe par se paseena poncha aur meri pith sahalate hue mere honton ko chumne lagee. Kuch der tak unhee pare rahane ke bad Asha bole, “aaoo raja ab mai tumhe dusra maza dungee.” Asha ne mujhe apne upar se utha kar ghutno aur kohni ke bal jhuk kar letne ko kaha. Mai bister par chaupaya ban gaya. Phir Asha mere peeche aaii aur mere chutar ko faila kar apni choot meri gand ke ched par laga dee. Phir dono hathon mere bagal se neeche le jakar mere laure ko pakar kar hilate hue kamar chalani shuru kar dee. Mai to mastee se jhum utha. Gand par Asha ki choot ki ragar mujhe pagal bana rahee thee. Wo meri peeth se kas kar chipki hui thee jisse ki uski khari khari chunchean meri peeth par ragar rahee thee. Wo mere kan par phus-phusa kar bole, “kyon raja maja a raha hai choot se gand marane me?”Mai mastee ke alam me tha. Uski gili gili choot se rus meri gand me lag raha tha.
eb hi tarah ki sansani pure badan par daur rahee thee. Mai apni gand jaida se jaida faila kar uski choot ki nok apni gand me lene ki koshish kar raha tha. Asha ek sadhe hue chidu ki tarah se satasat dhakke laga rahee thee. Mai bhi kamar hila hila kar ek chudas aurat ki tarah maze le raha tha. Aisa lagta tha mano Asha ek mard ho joki apne mashuka ki chudai kar raha ho. Mera lund Asha ke hathon me tana ja raha tha. Lagta tha ki ab jhara ki tab. Kuch der tak issi tarah meri gand marne ke bad Asha uth kar mere bagal me hi chaupaya ban gayee aur bole, “aaoo raja ab peeche se le lo meri.” Mai uth kar Asha ke peeche aya aur lund pakar kar uski choot par ragarne laga. Uske ubhre ubhre chutar ko dekh kar mera irada badal gaya. Maine pahale apne hthon ki charo unglean uski choot me dal kar nikal lee. Uska laslasa pani mere hathon me lag gaya. Ab isse uski gand par ragarte hue apna lund bhi jar tak Asha ki choot me pel diya. Do-char bar andar-bahar karne ke bad lund bahar nikala to dekha ki lund uski choot ke pani se puree tarah chikna ho gaya hai. Ab dono hathon se uski gand ko chaura karke supara Asha ki gand par rakha aur jab tak Asha kuch samajhe, satak se dhakka laga kar lund ka supara gand ke andar dakhil kar diya. Supara gand me ghuste hi Asha jor se chikhi aur boli, “hi! Jalim, meri gand phar dee.” Asha kamar aage karke mera lund nikalne ki koshish karne lagee par mai majbutee se uski raseeli chutar ko danadan shot marne laga. Ab mera lund pura ka pura Asha ki gand me ghus gaya tha. Gand marane me Asha ko bahut dard hua aur bar bar bintee karne lagee ki mai apna laura uski gand se bahar nikal lun. Par maine ek na sunee. Mai apni unglean uski choot me andar-bahar karte hue tan tan kar shot marne laga. Thori der me Asha ko bhi maza ane laga aur wo bhi kamar hila hila kar mera sath dene lagee. Uski gand marne me mujhe bahut maza aa raha tha. Phule phule chutar, makhmali gaddo jaisa lag raha tha.
Uski gand me lund dal chodte chodte meri manzil aa gayee aur maine pura rus uski gand me urel diya. Meri unglion se chudwa kar Asha bhi jhar gayee. Jab maine uski gand se apna laura bahar keencha to ‘pak’ ki awaj ke sath bahar nikal aya mano botal se kak niklee ho.
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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