Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--45

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बाली उमर की प्यास पार्ट--45


गतान्क से आगे..................


मनीषा ने अपनी बात करके एक 'आह' सी भरी... उसको एकटक देख रही अंजलि का चेहरा अब तक डर के मारे सफेद पड़ गया था...,"अब मैं क्या करूँ दीदी?"

"अब कर भी क्या सकती है तू? घर वालों की और अपनी इज़्ज़त प्यारी लगती है तो कहीं डूब कर मार जा... तू यहाँ आई ही क्यूँ?" मनीषा ने गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए कहा...

अंजलि पर उसकी बात सुनकर मानो घड़ों पानी पड़ गया,"ववो.. दीदी.. हम अपनी मर्ज़ी से यहाँ नही आई थी... ये सीमा है ना; हॉस्टिल में इसी की चलती है बस... ये हमें ज़बरदस्ती ले आई.... मैं तो आना भी नही चाहती थी...!" बुरी तरह शर्मसार हो चुकी अंजलि और कहती भी तो क्या कहती!

"ये यहाँ किसी को ज़बरदस्ती नही लाती... मुझे सब पता है.. अगर तू मुझे पहले बता देती कि तू गुरुकुल में जा रही है तो मैं तुझे पहले ही इसके बारे में बता देती.... ये वहाँ लड़कियाँ छाँटति है और उनको बहला फुसला कर यहाँ लाती है... तू भी इसकी बातों में आकर यहाँ मस्ती करने आई होगी... मुझे पता है...!" मनीषा ने अंजलि को घूरते हुए कहा...

अंजलि की नज़रें उसकी बात सुनकर फर्श में गड़ गयी...,"अब क्या होगा दीदी?"

"होगा क्या? जो ये कहेंगे 'वो' करना पड़ेगा... 'ये' लोग तुझसे अब धंधा करवाएँगे.... पहले मोटे रुपायों में और फिर 2-2 हज़ार तक की नाइट होगी तेरी... तेरी फिल्में बनेंगी, जो ये लोग विदेशों में बेच देंगे.... बाद में तुझसे उन्न लोगों के पास फोन करवाकर पैसे माँगेंगे जिनके साथ तू सोई है... वहाँ से पैसे मिल गये तो इनके.. फँसेगी तो तू! "

"मैने 'बॉस' से गुहार भी लगाई कि 'तुम्हारे' बदले मैं उनका उतना ही 'काम' कर दूँगी... पर 'वो' नही माना... उसको तुमसे कुच्छ ज़्यादा ही उम्मीद है.... बहुत मिन्नत करने पर आख़िर में 'वो' सिर्फ़ इस बात के लिए राज़ी हुआ कि 'आज रात मैं तुम्हारे साथ रह लूँ... अब मैं और क्या कर सकती हूँ बता?... तुमने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली अंजू....!"

"म्‍मैई... मुझे इनस्पेक्टर का नंबर. पता है दीदी... कहीं से फोन मिल जाए तो... क्या तुम्हे मालूम है कि ये जगह कौनसी है...?" अंजलि ने अपने होश अब तक कायम रखे थे.....

"नही...! मुझे क्या; इनके 2-4 खास लोगों के अलावा शायद किसी को भी ठीक ठीक जगह मालूम ना हो.... वैसे भी मैं बहुत दीनो बाद आई थी इनके पास... आज इन्होने मुझे 'फ्री' कर देने के लिए बुलाया था.... तुम्हे भी कोई 'इन्ही' का आदमी लेकर आया होगा ना?"

"हां दीदी... पर सीमा दीदी उसको अच्छे से जानती हैं...!" अंजलि सकुचाते हुए बोली....

"यहाँ कोई किसी को अच्छे से नही जानता पागल... एक आध चेहरे पहचान में आ जाते हैं वो अलग बात है.. वरना हर बार अलग लोग होते हैं... अलग लड़कियाँ... नाम भी तकरीबन नकली ही होते हैं सबके.... 'जो' तुम्हे लेकर आया है.. 'वो' बॉस का ड्राइवर होगा ज़रूर... जवान सा लड़का था ना?"

"हाँ दीदी... पर सीमा दीदी तो हॉस्टिल में ही रहती हैं... उनको तो हम पकड़वा ही सकते हैं....!" अंजलि ने तर्क दिया....

"धीरे बोल! और ये बात यहाँ किसी और के सामने मत कह देना.. जान से जाएगी क्या? ..... और सीमा को पकड़वा देने से क्या होगा...? वो भी 'बॉस' को नही जानती होगी..... तुझे तो ये फिर भी उठा ही लेंगे...."

"पर और लड़कियाँ तो बच जाएँगी ना....." अंजलि ने हताश होकर अपने माथे पर हाथ रख लिया....." कल हॉस्टिल में चाचा जी आएँगे... उनको पता चल गया तो? सीमा दीदी कह रही थी कि हो सकता है हम कल रात वापस हॉस्टिल जायें...!"

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"जी बॉस!" प्रेम ने फोन कान से लगाते ही कहा...

"मैं निकल रहा हूँ... ये मनीषा अंजलि के साथ मिलकर कुच्छ गड़बड़ कर सकती है... मुझे रिस्क नही चाहिए....इसको श्वेता और सीमा के साथ अभी हॉस्टिल भेज दो... कल रात वो अपने आप इसको बाहर निकाल देगी... रेस्ट हाउस के बाद इसके जल्दी जल्दी 10-12 केस ले लो... समझ गये ना!"

"आ.. ठीक है बॉस... पर सीमा को क्या कहूँ...?" प्रेम ने अपने होंटो पर जीभ फेरी...उसको भी अब अंजलि जैसी मादक हुश्न की मल्लिका के यौवन से जल्द ही खेलने की उम्मीद बँध गयी थी.....

"उसको मैने सब समझा दिया है.... डॉन'ट वरी! कल वाला काम ढंग से करना.. तुम ही साथ जा रहे हो उसके!" उधर से आवाज़ फोन पर उभरी....

"ठीक है बॉस.. ववो.. कुच्छ रुपायों की ज़रूरत थी...." प्रेम ज़रा सा हिचका...

"लाख दे रहा है कल मंत्री... रख लेना... सुबह 9:00 बजे मैं नये नंबर. से रिंग करूँगा... उठा लेना...!"

"थॅंक यू बॉस... ववो.. कल रात तो एक 'रेप केस' वाली मूवी का भी भी प्रोग्राम है ना... तो मैं...?"

"वो मैं अपने आप देख लूँगा... तुम अंजलि के साथ रहोगे... जहाँ तक हो सके रेस्टौउसे के अंदर ही रहना....कुच्छ भी गड़बड़ करे तो ठोक देना वहीं.. मंत्री अपने आप संभाल लेगा... मैने उसको भी बोल दिया है...."

"... और हां... कल रात तक मनीषा को भी अपने साथ रख... मेन्ली कल रात तक की ही प्राब्लम है.. उसके बाद तो मंत्री भी इस केस में साथ हो जाएगा... हमसे ज़्यादा फिकर उसको रहेगी फिर अगर कुच्छ पंगा हुआ तो...."

"ठीक है बॉस... मैं समझ गया!" प्रेम ने पूरी बात सुनकर जवाब दिया....

"वेरी गुड!... डॉली को भी बोल देना अभी निकल जाएगी यहाँ से.....!" बॉस ने कहा और फोन काट दिया.....

"हूंम्म... ओके! रात ठीक 7:00 बजे यहीं मिलते हैं...!" प्रेम ने सीमा को गुरुकुल के खेल के मैदान वाले गेट पर लाकर गाड़ी रोकते हुए कहा...

"आहान... मैं फोन करती हूँ दोपहर तक...!" सीमा उतरते हुए अचानक ठिठक कर बोली....

"फोन का क्या मतलब है...? फाइनल हो तो गया... मुझे 7:30 तक 'बेबी' को वहाँ लेकर जाना है...!" प्रेम ने अंजलि की और आँख मारी...

"हां ठीक है... कहा ना फोन करती हूँ तुम्हे...!" सीमा ने जल्दी से कहा और दोनो लड़कियों को लेकर नीचे उतर गयी... गेट्कीपर थोड़ा सा दरवाजा खोलकर उनके अंदर आने का इंतजार कर रहा था....

"सीमा मॅ'मसाब्, वो लड़की तो आँखें दिखाने लगी है अब.. आप किसी दूसरी से बात करवा दो मेरी...." गेट्कीपर भूना बैठा था...

"तेरी ही ग़लती है..."सीमा तुनक कर बोली..,"तू उसको टोकते हुए ये भी नही देखता कि उसके साथ दूसरी लड़की कैसी है... ये गुरुकुल है यार.. रंडी-खाना थोड़े ही है... अकेले में टोकता था तो क्या मना करती थी तुझे....?"

"फिर भी मॅ'मशाब... उस'से मेरी नही बनेगी अब... आप किसी और से टांका भिड़-वाओ अब... वो तो वैसे भी 'तोती' हो गयी है....!"

"अब ज़्यादा भाव मत खा... कल फ़ुर्सत से बात करूँगी...!" सीमा ने उसको घूरते हुए कहा और आगे निकल आई...

"दीदी... एक मिनिट...!" सीमा अंजलि और श्वेता के पास जाकर आगे बढ़ने लगी तो अंजलि ने उसको रोक लिया....

"जल्दी चलो यार... नींद आ रही है...!" सीमा उनके पास ठिठक कर बोली....

"नही, पहले मेरी बात सुनो दीदी! कमरे पर पिंकी होगी... वहाँ बात नही कर पाउन्गि मैं....!" अंजलि ने वहीं खड़े खड़े कहा.....

"हुम्म... क्या टेन्षन है यार...!" सीमा मुँह पिचका कर बोली और फिर श्वेता की ओर देखा,"तू चल... 44 में जाकर बोल देना कि हम आ गये हैं... जा जाकर सो ले!"

"ठीक है दीदी...!" मारी सी आवाज़ में श्वेता ने जवाब दिया और वहाँ से चली गयी......

"हां... अब बोल! क्या परेशानी है?" सीमा अंजलि का हाथ पकड़ कर बोली....

"म्‍मैइन... मैं आज के बाद कहीं नही जाउन्गि...!" अंजलि ने थोडा हिचक कर कहा....

"ठीक है.. मत जाना... आज तो जाएगी ना?" सीमा ने प्यार से पूचछा....

"नही... कभी भी नही... आज क्यूँ जाउन्गि मैं...?" इस बार अंजलि का सुर कुच्छ तल्ख़ था.....

"आए... क्या समझती है तू खुद को.. कभी भी नही जाना था तो कल रात क्यूँ गयी थी...?" सीमा अचानक गुर्रा पड़ी....

"आपने कहा था कि हम सिर्फ़ मौज मस्ती के लिए जा रहे हैं... 'वहाँ' तो कुच्छ और ही मामला था....!" अंजलि ने थोडा रुक कर सोचने के बाद कहा....

"क्या मामला था वहाँ बता...? तेरे को किसी ने कुच्छ कहा भी था... श्वेता कहती तो मैं मान भी लेती... तू तो कोरी की कोरी आई है ना वहाँ से... बात करती है!"

"पर वो... वो वीडियो क्यूँ बना रहे थे....?" अंजलि ने अपने विरोध की वजह बताई....

"तो क्या हो गया यार... थोड़े से एंजाय्मेंट के लिए... अगर बना भी ली तो.... खाली मज़े के लिए यार... जस्ट फॉर फन... आजा...!"

"नही... आप झूठ बोल रही हो... 'ये' उनका धंधा है... 'उसकी धमकी देकर बार बार बुलाएँगे 'वो' मुझे वहाँ.....!"

"किसने बोला तुझे... बोल किसने बोला... उस कुतिया मनीषा ने भड़काया होगा... है ना?" सीमा तैश में आकर बोली....

"नही... ये सच है!" अंजलि रट लगाए बैठी थी.....

"हाँ सच है... तो? क्या उखाड़ लेगी तू उनका.. बता? तुझे यहाँ से कोई ज़बरदस्ती उठाकर तो नही ले गया था ना....? 'तेरी' में खुजली हुई तो तू गयी... अब उनका 'जी' करेगा तो 'वो' बुला लेंगे... 'जाना' तो तुझे पड़ेगी ही 'बेबी'... और ध्यान से सुन ले... हॉस्टिल के बाहर तेरा नाम बेबी है... समझ गयी...!" सीमा ने इस बार गुर्रकार कहा था....

"पर... पर मैं कह तो रही हूँ दीदी अब मैं नही जाना चाहती... एक बार ग़लती हो गयी... मुझे माफ़ कर दो....!" सीमा का लहज़ा सुन कर अंजलि का रोम रोम काँप सा उठा था....

सीमा ने अपने आवेगॉन पर काबू पाने के लिए एक गहरी साँस छ्चोड़ी...," क्या घिसता है यार... पैसे भी मिलेंगे तुझे...इतने मिलेंगे कि तू ऐश करेगी.... उस जिंदगी का अपना ही मज़ा है... जी कर देख एक बार.... मुझे देख... ऐश है ना मेरी....," सीमा ने झुक कर अपनी जांघों के बीच उंगली टिकाई,"खाली इसके दम पर... गुरुकुल मेरी किसी बाप वाप का नही है... उस 'साले' बुड्ढे को तो कयि बार निचोड़ा है मैने... और ना ही मैं किसी 'प्रिन्सिपल' मेडम की बेटी हूँ.... मेरी तरह जीकर देख... ऐश करेगी ऐश!"

"नही दीदी.... मैं नही करना चाहती ऐश.... आप किसी और को ढूँढ लो....!" अंजलि अब भी टस से मस नही हुई थी....

"ठीक है...." सीमा ने आँखें दिखाई...,"चल... रूम पर जाते ही बोल देती हूँ उनको कि तू मना कर रही है.... फिर देखना क्या करेंगे तेरे साथ... इज़्ज़त से भी जाएगी और जान से भी.... क्या करेगी तू... घर चली जाएगी...? तेरी फिल्म देखी थी मैने... कैसे आँखें बंद करके चूस रही थी तू 'प्रेम' का....तेरी मा चोद देंगे 'वो'... बहुत बड़े बड़े लिंक हैं उनके... चल आजा.. अभी मना कर देती हूँ... चल मेरे साथ!"

"प्लीज़ दीदी..." अंजलि उसकी बातें सुनकर घुटनो के बाल आ गयी...,"मुझसे ग़लती हो गयी... मुझे बचा लो ना दीदी.... प्ल्ज़..." अंजलि की आँखों से निर्झर अश्रुधारा बह रही थी.....

"खड़ी हो जा यार... ऐसे नाटक करने से कुच्छ नही होता... चल ठीक है... आज वाला 'काम' कर दे... फिर मैं रिक्वेस्ट करके देखूँगी... पर किसी को कुच्छ भी बोला तो फिर मुझे मत कहना कुच्छ भी.......! एक दिन मैं तो कुच्छ नही होता.... ऐसे भी तू सलीम से चुदने को भी तो बोल रही थी.....!" सीमा ने उसको एक बार फिर प्यार से पटरी पर लाने की कोशिश की.....

अंजलि के पास उसकी बात का कोई जवाब नही था... ना ही उसके पास ज़्यादा विकल्प थे...,"आज कहाँ जाना है दीदी?"

"चल शाबाश! आ खड़ी हो जा.... सब समझाती हूँ..." सीमा ने उसको खड़ी करके उसके गले में बाँह डाली और हॉस्टिल की तरफ चल पड़ी......

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"पता है मैं कितनी डरी हुई थी... कहाँ गयी थी तू? क्या हुआ?" अंजलि के रूम में घुसते ही पिंकी उठकर उसकी ओर लपकी....

मुरझाया हुआ चेहरा लिए अंजलि चुपचाप आकर बिस्तर पर लेट गयी और लेट'ते ही दूसरी ओर करवट ले ली.....

"बता ना अंजू, क्या हुआ? तू रो रही है क्या?" पिंकी उसके चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश करती हुई दूसरी तरफ कूद गयी....

"कुच्छ नही यार... पार्टी थी छ्होटी सी... सोने दे अब.... मुझे नींद आ रही है....!" अंजलि ने आँखें बंद किए हुए ही जवाब दिया... पिंकी ने हताश होकर सीमा की ओर देखा तो 'वो' मुस्कुरा दी....

"दीदी आप ही बता दो... क्या हुआ अंजू को?" पिंकी ने सीमा से सवाल किया....

"कुच्छ नही.. होना क्या था... जब तू अपने यार के साथ जा सकती है तो क्या ये नही जा सकती... ये भी तो जवान है यार..." सीमा ने कहकर पिंकी की ओर आँख मटका दी.....

"म्मै... मैं कब गयी हूँ दीदी..?" पिंकी सकपका सी गयी....

"तू बोल तो रही थी आज जाने की... कॅन्सल हो गयी क्या?" सीमा बेशर्मी से पिंकी के आगे ही कपड़े चेंज करने लगी तो पिंकी ने ही शर्मकार अपनी नज़रें झुका ली...,"ववो.. वो तो दीदी... हम तो बस ऐसे ही... हम कुच्छ ग़लत थोड़े ही करेंगे...!"

"तो ये कौनसा 'धंधा करके आई है.... ये..भी...तो...ऐसे...ही... हा हा हा हा..!" सीमा ने बोलकर अट्टहास किया.....

"नही दीदी... मैने ऐसा नही कहा... पर ये रो क्यूँ रही है....?" पिंकी ने सकपका कर बात पलट दी.....

"कुच्छ नही यार... हम पार्टी अधूरी छ्चोड़कर आ गये... इसीलिए मन उदास है इसका.... अब सारी रात तो पार्टी नही कर सकते ना.... मैने बोला है इसको... आज फिर भेज दूँगी....!" सीमा ने सहज भाव से जवाब देकर पिंकी की जिगयसा को शांत कर दिया.....!"

"तुम आज फिर जाओगी अंजू... यहाँ कौन संभालेगा...? आज तो मुझे भी जाना है...!" कुच्छ देर शांत पड़ी रहने के बाद जब पिंकी से रहा ना गया तो उसने एक बार फिर उस'से दूसरी और करवट ले चुकी अंजलि को अपनी तरफ पलटने की कोशिश करते हुए धीरे से कहा.....

बुरी तरह परेशन अंजलि अचानक चिड सी गयी,"कहा ना नींद आ रही है मुझे... मुझसे बात मत कर वरना...."
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"अरी मीनू.. जल्दी कर ना.. बस निकल जाएगी...!" मीनू की मम्मी खिसियाहट में बाथरूम का दरवाजा पीट'ते हुए बोली.....

"बस आई मम्मी... 2 मिनिट और...!" मीनू बाथरूम के अंदर एक दम तैयार बैठी थी... पर पता नही क्या वजह उसको बाहर निकलने से रोक रही थी....

"पता नही ये लड़की भी... एक घंटा हो गया गुसलखाने में घुसे हुए..." मीनू की मम्मी बड़बड़ाते हुए एक बार फिर दरवाजा पीटने लगी,"जल्दी निकल ले बाहर... तेरे पापा नीचे गुस्सा हो रहे हैं... पिंकी इंतजार कर रही होगी सुबह से... बस निकल गयी तो 2 घंटे से पहले कुच्छ नही मिलेगा...!"

"आ...हाँ.. आ गयी मम्मी...!" मीनू मुरझाए चेहरे के साथ बाहर निकली और निकलते ही घर की मुंडेर पर खड़ी होकर नीचे झाँकने लगी.....

"अरी अब वहाँ से क्या देख रही है... जल्दी चल... सुबह उठते ही तैयार होने लगी थी... !" मम्मी मीनू को लगभग खींचते हुए बोली....

"हाँ..ववो.. मम्मी... हम अगली बस से नही चल सकते क्या?" मीनू कुच्छ बेचैन सी लग रही थी.....

"तू पागल है क्या? एक बस तो पहले ही निकाल दी... अगली बस से जाएँगे तो आते वक़्त कुच्छ नही मिलेगा.... चल जल्दी....!"

"एक मिनिट मम्मी... शायद आ...!" मीनू नीचे किसी गाड़ी का हॉर्न सुनकर कुच्छ बोलने लगी थी कि बीच में रुक कर वो एक बार फिर मुंडेर की तरफ भागी...,"ववो... वो मानव... आया है शायद...मम्मी!" मीनू ने कहकर नज़रें झुका ली...

"मानव? कौन मानव...?" मम्मी कहकर मुंडेर की तरफ लपकी...,"हे भगवान... सत्यानाश हो इस इनस्पेक्टर का... ये हमारा पीचछा क्यूँ नही छ्चोड़ रहा... आज मुझे इसको सॉफ सॉफ बोलना पड़ेगा... तू यहीं रह.. मैं आती हूँ...!" मम्मी भड़कते हुए बोलकर पलटी ही थी कि अचानक वापस मूडी..,"ययए.. आज किसको साथ लेकर आया है...?"

"प्पा..पता नही मम्मी... आप पहले कुच्छ मत बोलना... उनकी बात सुन लेना पहले...!" मम्मी को नीचे जाते देख मीनू ने उनको हिदायत दी और उनके जाते ही दीवार के साथ लगकर अपनी आँखें बंद करके सपना सा लेने लगी... मधुर मिलन का सपना.....!

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"जी... नमस्ते आंटी जी..!" मानव मीनू की मम्मी को नीचे देखते ही चारपाई से खड़ा हो गया...,"ये... ये मेरे मम्मी डॅडी है..!" मानव ने कहा और फिर अपने मम्मी पापा से मुखातिब हुआ,"मम्मी.. ये....!"

"हां..हां... अब तू आराम से बैठ जा... इतना उतावला क्यूँ हो रहा है...!" पापा ने मज़ाक करते हुए मानव की बाँह पकड़ कर खींच ली और फिर हाथ जोड़कर मीनू की मम्मी का अभिवादन स्वीकार किया...

मीनू की मम्मी और पापा दोनो पशोपेश में थे... उनकी समझ में अब तक कुच्छ आया नही था... मम्मी तो अभी तक उलझन में हाथ बाँधे खड़ी थी...,"ज्जई...!"

"बैठिए ना... किसी जल्दी में हैं क्या?" मानव की मम्मी ने खड़ी होकर मीनू की मम्मी के पास आते हुए कहा....

"हाँ.. ववो हमें छ्होटी के पास जाना था.. गुरुकुल में...!" मम्मी ने सकुचाते हुए बताया...

"क्या? पर... आज तो... मीनू बिटिया ने कुच्छ बताया नही क्या?" मानव के पिताजी थोड़ी असमन्झस में पड़ गये....

"क्या? उसने क्या बताना था...!" मीनू के पापा ने लंबी साँस छ्चोड़ते हुए पूचछा....

"ओह.. खैर..." मानव के पिताजी ने खंगार कर अपना गला साफ किया...,"ववो हम... दरअसल हम अपने बेटे के लिए आपकी बेटी का...." उन्होने इतना ही कहा था की प्रस्ताव में छिपे भाव को समझकर मीनू के मम्मी पापा की आँखें चमक उठी... हड़बड़ाहट में उसके पिता भी चारपाई से उठ खड़े हुए...," अरे... यहाँ क्यूँ खड़ी हो.. मीनू को बोलो ना कुच्छ चाय पानी के लिए...!"

"मैं... अभी आता हूँ...!" मीनू की मम्मी के मुस्कुरकर उपर चढ़ते ही पापा भी उसके पिछे पिछे हो लिए... मम्मी अभी जीने में ही थी...,"मीनू की मम्मी.. मैं तो खुशी से फूला नही समा पा रहा हूँ... कितना अच्च्छा रिश्ता आया है.. अपनी बेटी के लिए...!"

"हाँ पर ये सब कैसे...?" दोनो अब उपर आ चुके थे.. कसमसाहट में मीनू बार बार उनकी नज़रों से बचने के लिए इधर उधर छिप्ने की कोशिश कर रही थी..,"रिश्ता लेने तो लड़की वाले जाते हैं ना...?" मम्मी इसी दुविधा में थी....!"

"वो जमाना गया अब... तुम नही समझोगी.. 'ये' लव मॅरेज है....!" कहकर उसके पापा खिलखिलाकर हंस पड़े.. उन्हे कहाँ अहसास था कि उनकी हँसी मीनू के दिल में सावन की बादलों की तरह बरस रही है....,"मीनू को बोलो जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाए...!"

"वो तो तैयार ही है... अब कहाँ चली गयी...? पर हम पिंकी के पास नही गये तो वो आसमान सिर पर उठा लेगी....!" मम्मी ने याद करते हुए कहा....

"कुच्छ नही होगा.... उसको बताएँगे तो 'वो' भी बहुत खुश होगी... वहाँ अगले हफ्ते चल पड़ेंगे... मीनू को बोल देना उसके पास फोन कर लेगी... मैं नीचे जा रहा हूँ... तुम भी जल्दी आओ!"

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"हेलो.. पिंकी है?" मीनू ने फोन करके पूचछा....

"तुम कौन?" सीमा ने कड़क आवाज़ में बिस्तर में पड़े पड़े पूचछा....

"मैं.. उसकी बेहन मीनू!"

"अच्च्छा.. एक मिनिट होल्ड करके रखना...वो बाहर खड़ी इंतजार कर रही है सुबह से तुम लोगों का...." सीमा ने ज्योति को आवाज़ लगाकर अपने पास बुलाया...,"ये फोन पिंकी को दे आ...!"

"पिंकी.... घर से तुम्हारा फोन है...?" ज्योति ने फोन पिंकी के हाथ में थमाते हुए बताया.....

मोबाइल स्क्रीन पर घर का नंबर. देखते ही पिंकी की थयोरियाँ चढ़ गयी....,"हेलो!"

"हाँ.. पिंकी!" मीनू की आवाज़ में एक अलग ही कशिश थी....

"मुझे तुम से बात नही करनी... तुम क्यूँ नही आई साथ में... ? मम्मी पापा भी अभी तक नही पहुँचे...!" पिंकी की आवाज़ में नाराज़गी और गुस्सा सॉफ झलक रहा था.....

"हाँ.. ववो.. सुन तो....!" मीनू समझ नही पा रही थी कि अपनी खुशी को पिंकी के साथ कैसे बाँटे....!

"नही.. पहले बताओ, तुम क्यूँ नही आई साथ में....!" पिंकी की आवाज़ अब भी उतनी ही तल्ख़ थी....

"सुन तो ले.. मेरा रिश्ता पक्का हो गया... लंबू से.. हे हे हे...!"

"क्याआआ... सच!" पिंकी सब कुच्छ भूल कर उच्छल पड़ी...,"तुम्हे कैसे पता...?"

"पागल.. वो आए थे आज.. मम्मी पापा के साथ.. मुझे देखने... मैं उन्हे बहुत पसंद आई.. हे हे हे...!"

"ओह्हो... अब तो वो 'वो' हो गया.... 'लंबू' तो लंबू ही रहेगा.. मैं इज़्ज़त से नही बोलूँगी उसको हाँ.. हे हे हे....!" पिंकी के पैर ज़मीन पर नही थे...,"मम्मी पापा चल पड़े क्या?"

"नही ववो..."

"ठीक है.. कोई बात नही... अब तुम भी साथ आना.. मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं....!" पिंकी को अब कोई गिला नही था....

"ववो.. पिंकी... अभी भी 'वो' यहीं बैठे हैं... पता नही आज आ पाएँगे या नही...!"

"ये क्या बात हुई...?" पिंकी का चेहरा एक पल के लिए मुरझा सा गया...,"फिर तो तुम एक हफ्ते बाद ही आओगे... है ना?"

"नही.. वो.. पापा कह रहे थे कि कल आ जाएँगे... कल भी स्कूल की छुट्टी है ना...!"

"चल कोई बात नही.. अब तू फोन रख दे... मैं अंजू को बता दूँ...!" पिंकी सहज होकर बोली....

"ठीक है.. मैं बाद में फोन कर लूँगी...!" कहकर मीनू ने फोन रख दिया....

**********************************

मीनू के फोन रखते ही पिंकी ने मौके का फ़ायडा उठाते हुए पहले हॅरी के पास फोन कर लिया...,"हेलो!"

"हाँ पिंकी... मैं बस तुम्हे फोन करने ही वाला था.... बड़ी याद आ रही थी तुम्हारी...!"

"रहने दो रहने दो... पता है.. दीदी का रिश्ता पक्का हो गया... आज ही उसको देखकर गये हैं..!" पिंकी ने खुश होकर बताया....

"क्या?" हॅरी ने हल्क से आस्चर्य के साथ पूचछा..,"किसके साथ...?"

"है एक लंबू...! तुम छ्चोड़ो... ये बताओ तुम कब आ रहे हो...?"

"आज रात ही... मुझे सब याद है जान... बड़ी बेशबरी से इंतजार कर रहा हूँ... 10 बजे का...!" हॅरी ने अपनी बेकरारी का परिचय दिया....

"ऐसे नही पागल!" पिंकी तुनक कर बोली....

"और कैसे?"

"जैसे लंबू आया है.. अपने घर वालों को लेकर... ऐसे!"

"ओह्ह... पर अभी तो तुम शादी के लायक नही हुई हो...!" हॅरी ने चटखारा लिया....

"अच्च्छा जी... फिर मुझसे 'क़िस्सी' क्यूँ माँगते हो.. शादी के लायक नही हुई हूँ तो...!" पिंकी ने इठलाते हुए पूचछा....

"पर तुम देती कहाँ हो...?"

"क्यूँ...? पिंकी ने फोन पर ही हॅरी को आँखें निकाल कर दिखाने की कोशिश की...,"ली तो थी गेस्ट रूम में...!"

"वो कोई 'क़िस्सी' थी... तभी तो कह रहा हूँ अभी तुम बच्ची हो.. जब बड़ी हो जाओगी तो मैं भी अपने घर वालों को ले आउन्गा....!" हॅरी मज़ाक में बोला....

"पक्का ना?" पिंकी खुश हो गयी... फोन पर ऐसी बातें करने में उसको 'वो' शर्म नही आ रही थी जो आमने सामने खड़े होने पर आती थी..,"आज जैसे चाहो ले लेना... फिर तो ले आओगे ना अपने मम्मी पापा को...?"

"हाँ.. प्रोमिस!" हॅरी खुश होकर बोला....

"ठीक है... दीदी मुझे 9:30 बजे पिच्छले गेट से बाहर निकल देंगी.. तुम वहाँ पहले से तैयार मिलना... ठीक है ना?"

"ठीक है... कुच्छ भी कर लूं ना आज?" हॅरी ने उसको छेड़ा...

"ऐसे बोलॉगे तो मैं नही आउन्गि...!" पिंकी ने कहते ही फोन काट दिया..... उसके गालों पर हया का गुलबीपन पसर गया था....


क्रमशः................

गतान्क से आगे..................


Manisha ne apni baat karke ek 'aah' si bhari... Usko ektak dekh rahi Anjali ka chehra ab tak darr ke maare safed pad gaya tha...,"Ab main kya karoon didi?"

"ab kar bhi kya sakti hai tu? Ghar walon ki aur apni ijjat pyari lagti hai toh kahin doob kar mar ja... tu yahan aayi hi kyun?" Manisha ne gusse se apne daant peeste huye kaha...

Anjali par uski baat sunkar maano ghdon paani pad gaya,"wwo.. didi.. hum apni marzi se yahan nahi aayi thi... ye Seema hai na; Hostel mein isi ki chalti hai bus... ye hamein jabardasti le aayi.... main toh aana bhi nahi chahti thi...!" buri tarah sharmsar ho chuki Anjali aur kahti bhi toh kya kahti!

"Ye yahan kisi ko jabardasti nahi lati... mujhe sab pata hai.. agar tu mujhe pahle bata deti ki tu gurukul mein ja rahi hai toh main tujhe pahle hi iske baare mein bata deti.... Ye wahan ladkiyan chhant'ti hai aur unko bahla fusla kar yahan lati hai... tu bhi iski baaton mein aakar yahan masti karne aayi hogi... mujhe pata hai...!" Manisha ne Anjali ko ghoorte huye kaha...

Anjali ki najrein uski baat sunkar farsh mein gad gayi...,"ab kya hoga didi?"

"Hoga kya? Jo ye kahenge 'wo' karna padega... 'ye' log tujhse ab dhandha karwayenge.... pahle mote rupaiyon mein aur fir 2-2 hazaar tak ki night hogi teri... teri filmein banengi, jo ye log videshon mein bech denge.... baad mein tujhse unn logon ke paas fone karwakar paise maangenge jinke sath tu soyi hai... wahan se paise mil gaye toh inke.. fansegi toh tu! "

"maine 'Boss' se guhar bhi lagayi ki 'tumhare' badle main unka utna hi 'kaam' kar doongi... par 'wo' nahi mana... usko tumse kuchh jyada hi ummeed hai.... bahut minnat karne par aakhir mein 'wo' sirf iss baat ke liye razi hua ki 'aaj raat main tumhare sath rah loon... ab main aur kya kar sakti hoon bata?... tumne apni jindagi barbaad kar li Anju....!"

"mmai... mujhe inspector ka no. pata hai didi... kahin se fone mil jaye toh... kya tumhe maloom hai ki ye jagah kounsi hai...?" Anjali ne apne hosh ab tak kayam rakhe the.....

"Nahi...! mujhe kya; inke 2-4 khas logon ke alawa shayad kisi ko bhi theek theek jagah maloom na ho.... Waise bhi main bahut dino baad aayi thi inke paas... aaj inhone mujhe 'free' kar dene ke liye bulaya tha.... Tumhe bhi koyi 'inhi' ka aadmi lekar aaya hoga na?"

"haan didi... par Seema didi usko achchhe se jaanti hain...!" Anjali sakuchate huye boli....

"yahan koyi kisi ko achchhe se nahi jaanta pagal... ek aadh chehre pahchaan mein aa jate hain wo alag baat hai.. warna har baar alag log hote hain... alag ladkiyan... naam bhi takreeban nakli hi hote hain sabke.... 'Jo' tumhe lekar aaya hai.. 'wo' Boss ka driver hoga jaroor... jawan sa ladka tha na?"

"haan didi... par Seema didi toh hostel mein hi rahti hain... unko toh hum pakadwa hi sakte hain....!" Anjali ne tark diya....

"dheere bol! aur ye baat yahan kisi aur ke saamne mat kah dena.. jaan se jayegi kya? ..... aur Seema ko pakadwa dene se kya hoga...? wo bhi 'Boss' ko nahi jaanti hogi..... tujhe toh ye fir bhi utha hi lenge...."

"Par aur ladkiyan toh bach jayengi na....." Anjali ne hatash hokar apne maathe par hath rakh liya....." Kal hostel mein chacha ji aayenge... unko pata chal gaya toh? Seema didi kah rahi thi ki ho sakta hai hum kal raat wapas hostel jayein...!"

******************************
*************************

"ji Boss!" Prem ne fone kaan se lagate hi kaha...

"Main nikal raha hoon... Ye Manisha Anjali ke sath milkar kuchh gadbad kar sakti hai... mujhe risk nahi chahiye....Isko Shweta aur Seema ke sath abhi hostel bhej do... Kal raat wo apne aap isko bahar nikal degi... Rest house ke baad iske jaldi jaldi 10-12 case le lo... samajh gaye na!"

"aa.. theek hai boss... par Seema ko kya kahoon...?" Prem ne apne honton par jeebh feri...usko bhi ab Anjali jaisi madak hushn ki mallika ke youvan se jald hi khelne ki ummeed bandh gayi thi.....

"Usko maine sab samjha diya hai.... Don't worry! Kal wala kaam dhang se karna.. tum hi sath ja rahe ho uske!" Udhar se aawaj fone par ubhari....

"theek hai boss.. wwo.. kuchh rupaiyon ki jarurat thi...." Prem jara sa hichaka...

"lakh de raha hai kal mantri... rakh lena... subah 9:00 baje main naye no. se ring karoonga... utha lena...!"

"Thank you Boss... wwo.. kal raat toh ek 'rape case' wali movie ka bhi bhi program hai na... toh main...?"

"wo main apne aap dekh loonga... tum Anjali ke sath rahoge... jahan tak ho sake resthouse ke andar hi rahna....kuchh bhi gadbad karey toh thok dena wahin.. mantri apne aap sambhal lega... maine usko bhi bol diya hai...."

"... aur haan... Kal raat tak Manisha ko bhi apne sath rakh... mainly kal raat tak ki hi problem hai.. uske baad toh mantri bhi iss case mein sath ho jayega... humse jyada fikar usko rahegi fir agar kuchh panga hua toh...."

"theek hai boss... main Samajh gaya!" Prem ne poori baat sunkar jawaab diya....

"Very good!... Dolly ko bhi bol dena abhi nikal jayegi yahan se.....!" Boss ne kaha aur fone kaat diya.....

"Hummm... OK! Raat theek 7:00 baje yahin milte hain...!" Prem ne Seema ko gurukul ke khel ke maidan wale gate par lakar gadi rokte huye kaha...

"aahaan... main fone karti hoon dopahar tak...!" Seema utarte huye achanak thithak kar boli....

"Fone ka kya matlab hai...? final ho toh gaya... Mujhe 7:30 tak 'baby' ko wahan lekar jana hai...!" Prem ne Anjali ki aur aankh mari...

"Haan theek hai... kaha na fone karti hoon tumhe...!" Seema ne jaldi se kaha aur dono ladkiyon ko lekar neeche utar gayi... Gatekeeper thoda sa darwaja kholkar unke andar aane ka intjaar kar raha tha....

"Seema Ma'msaab, wo ladki toh aankhein dikhane lagi hai ab.. aap kisi dusri se baat karwa do meri...." Gatekeeper bhuna baitha tha...

"Teri hi galti hai..."seema tunak kar boli..,"Tu usko tokte huye ye bhi nahi dekhta ki uske sath dusri ladki kaisi hai... Ye Gurukul hai yaar.. randikhana thode hi hai... Akele mein tokta tha toh kya mana karti thi tujhe....?"

"Fir bhi ma'mshaab... uss'se meri nahi banegi ab... aap kisi aur se taanka bhidwao ab... wo toh waise bhi 'thothi' ho gayi hai....!"

"ab jyada bhav mat kha... kal fursat se baat karoongi...!" Seema ne usko ghoorte huye kaha aur aage nikal aayi...

"Didi... ek minute...!" Seema Anjali aur Shweta ke paas jakar aage badhne lagi toh Anjali ne usko rok liya....

"Jaldi chalo yaar... neend aa rahi hai...!" Seema unke paas thithak kar boli....

"Nahi, pahle meri baat suno didi! kamre par Pinky hogi... wahan baat nahi kar paaungi main....!" Anjali ne wahin khade khade kaha.....

"Humm... kya tention hai yaar...!" Seema munh pichka kar boli aur fir Shweta ki aur dekha,"tu chal... 44 mein jakar bol dena ki hum aa gaye hain... Ja jakar so le!"

"Theek hai didi...!" Mari si aawaj mein Shweta ne jawab diya aur wahan se chali gayi......

"Haan... ab bol! kya pareshani hai?" Seema Anjali ka hath pakad kar boli....

"Mmain... main aaj ke baad kahin nahi jaaungi...!" Anjali ne thoda hichak kar kaha....

"Theek hai.. mat jana... aaj toh jayegi na?" Seema ne pyar se poochha....

"Nahi... kabhi bhi nahi... aaj kyun jaaungi main...?" Iss baar Anjali ka sur kuchh talkh tha.....

"Aey... kya samajhti hai tu khud ko.. kabhi bhi nahi jana tha toh kal raat kyun gayi thi...?" Seema achanak gurra padi....

"aapne kaha tha ki hum sirf mouj masti ke liye ja rahe hain... 'wahan' toh kuchh aur hi maamla tha....!" Anjali ne thoda ruk kar sochne ke baad kaha....

"Kya maamla tha wahan bata...? Tere ko kisi ne kuchh kaha bhi tha... Shweta kahti toh main maan bhi leti... tu toh kori ki kori aayi hai na wahan se... baat karti hai!"

"Par wo... wo video kyun bana rahe the....?" Anjali ne apne virodh ki wajah batayi....

"toh kya ho gaya yaar... thode se enjoyment ke liye... agar bana bhi li toh.... khali maje ke liye yaar... just for fun... aaja...!"

"Nahi... aap jhooth bol rahi ho... 'ye' unka dhandha hai... 'Uski dhamki dekar baar baar bulayenge 'wo' mujhe wahan.....!"

"kisne bola tujhe... bol kisne bola... uss kutiya Manisha ne bhadkaya hoga... hai na?" Seema taish mein aakar boli....

"Nahi... ye sach hai!" Anjai rat lagaye baithi thi.....

"Haan Sach hai... toh? kya ukhad legi tu unka.. bata? Tujhe yahan se koyi jabardasti uthakar toh nahi le gaya tha na....? 'teri' mein khujli huyi toh tu gayi... ab unka 'ji' karega toh 'wo' bula lenge... 'Jana' toh tujhe padegi hi 'Baby'... aur dhyan se sun le... Hostel ke bahar tera naam Baby hai... Samajh gayi...!" Seema ne iss baar gurrakar kaha tha....

"Par... par main kah toh rahi hoon didi ab main nahi jana chahti... ek baar galati ho gayi... mujhe maaf kar do....!" Seema ka lahja sun kar Anjali ka rom rom kaamp sa utha tha....

Seema ne apne aawegon par kaabu pane ke liye ek gahri saans chhodi...," Kya ghista hai yaar... paise bhi milenge tujhe...Itne milenge ki tu aish karegi.... Uss jindagi ka apna hi maja hai... ji kar dekh ek baar.... mujhe dekh... Aish hai na meri....," Seema ne jhuk kar apni jaanghon ke beech ungali tikayi,"khali iske dum par... Gurukul meri kisi baap waap ka nahi hai... Uss 'Saale' buddhe ko toh kayi baar nichoda hai maine... aur na hi main kisi 'Principal' madam ki beti hoon.... Meri tarah jeekar dekh... Aish karegi Aish!"

"Nahi didi.... main nahi karna chahti aish.... aap kisi aur ko dhoondh lo....!" Anjali ab bhi tas se mas nahi huyi thi....

"Theek hai...." Seema ne aankhein dikhayi...,"Chal... room par jaate hi bol deti hoon unko ki tu mana kar rahi hai.... Fir dekhna kya karenge tere sath... Ijjat se bhi jayegi aur jaan se bhi.... Kya karegi tu... Ghar chali jayegi...? Teri film dekhi thi maine... kaise aankhein band karke choos rahi thi tu 'Prem' ka....teri maa chod denge 'wo'... Bahut bade bade link hain unke... chal aaja.. abhi mana kar deti hoon... chal mere sath!"

"Plz didi..." Anjali uski baatein sunkar ghutno ke bal aa gayi...,"Mujhse galati ho gayi... mujhe bacha lo na didi.... plz..." Anjali ki aankhon se nirjhar ashrudhara bah rahi thi.....

"Khadi ho ja yaar... aise natak karne se kuchh nahi hota... chal theek hai... aaj wala 'kaam' kar de... fir main request karke dekhoongi... par kisi ko kuchh bhi bola toh fir mujhe mat kahna kuchh bhi.......! ek din main toh kuchh nahi hota.... aise bhi tu Saleem se chudne ko bhi toh bol rahi thi.....!" Seema ne usko ek baar fir pyar se patri par lane ki koshish ki.....

Anjali ke paas uski baat ka koyi jawab nahi tha... na hi uske paas jyada vikalp the...,"aaj kahan jana hai didi?"

"Chal shabash! aa khadi ho ja.... Sab samjhati hoon..." Seema ne usko khadi karke uske gale mein baanh dali aur hostel ki taraf chal padi......

******************************************

"Pata hai main kitni dari huyi thi... kahan gayi thi tu? kya hua?" Anjali ke room mein ghuste hi Pinky uthkar uski aur lapki....

Murjhaya hua chehra liye Anjali chupchap aakar bistar par late gayi aur lat'te hi dusri aur karwat le li.....

"Bata na Anju, kya hua? Tu ro rahi hai kya?" Pinky uske chehre ke bhavon ko padhne ki koshish karti huyi dusri taraf kood gayi....

"Kuchh nahi yaar... party thi chhoti si... Sone de ab.... mujhe neend aa rahi hai....!" Anjali ne aankhein band kiye huye hi jawab diya... Pinky ne hatash hokar Seema ki aur dekha toh 'wo' muskura di....

"didi aap hi bata do... Kya hua Anju ko?" Pinky ne Seema se sawaal kiya....

"kuchh nahi.. hona kya tha... jab tu apne yaar ke sath ja sakti hai toh kya ye nahi ja sakti... ye bhi toh jawan hai yaar..." Seema ne kahkar Pinky ki aur aankh matka di.....

"mmain... main kab gayi hoon didi..?" Pinky sakpaka si gayi....

"Tu bol toh rahi thi aaj jane ki... Cancel ho gayi kya?" Seema besharmi se Pinky ke aage hi kapde change karne lagi toh Pinky ne hi sharmakar apni najrein jhuka li...,"wwo.. wo toh didi... hum toh bus aise hi... hum kuchh galat thode hi karenge...!"

"Toh ye kounsa 'dhandha karke aayi hai.... ye..bhi...toh...aise...hi... ha ha ha ha..!" Seema ne bolkar atthas kiya.....

"Nahi didi... maine aisa nahi kaha... par ye ro kyun rahi hai....?" Pinky ne sakpaka kar baat palat di.....

"Kuchh nahi yaar... hum party adhoori chhodkar aa gaye... isiliye man udas hai iska.... ab sari raat toh party nahi kar sakte na.... maine bola hai isko... aaj fir bhej doongi....!" Seema ne sahaj bhav se jawab dekar Pinky ki jigyasa ko shant kar diya.....!"

"tum aaj fir jaaogi Anju... yahan koun sambhalega...? aaj toh mujhe bhi jana hai...!" Kuchh der shant padi rahne ke baad jab Pinky se raha na gaya toh usne ek baar fir uss'se dusri aur karwat le chuki Anjali ko apni taraf palatne ki koshish karte huye dheere se kaha.....

Buri tarah pareshan Anjali achanak chid si gayi,"kaha na neend aa rahi hai mujhe... mujhse baat mat kar warna...."

"Ari Meenu.. Jaldi kar na.. Bus nikal jayegi...!" Meenu ki mummy khisiyahat mein bathroom ka darwaja peet'te huye boli.....

"Bus aayi mummy... 2 minute aur...!" Meenu bathroom ke andar ek dum taiyaar baithi thi... par pata nahi kya wajah usko bahar nikalne se rok rahi thi....

"Pata nahi ye ladki bhi... ek ghanta ho gaya gusalkhane mein ghuse huye..." Meenu ki mummy badbadate huye ek baar fir darwaja peetne lagi,"Jaldi nikal le bahar... tere papa neeche gussa ho rahe hain... Pinky intjaar kar rahi hogi subah se... bus nikal gayi toh 2 ghante se pahle kuchh nahi milega...!"

"aa...haan.. aa gayi mummy...!" Meenu murjhaye chehre ke sath bahar nikali aur nikalte hi ghar ki munder par khadi hokar neeche jhankne lagi.....

"Ari ab wahan se kya dekh rahi hai... jaldi chal... subah uthte hi taiyaar hone lagi thi... !" Mummy Meenu ko lagbhag kheenchte huye boli....

"Haan..wwo.. mummy... hum agli bus se nahi chal sakte kya?" Meenu kuchh bechain si lag rahi thi.....

"Tu pagal hai kya? Ek bus toh pahle hi nikal di... agli bus se jayenge toh aate waqt kuchh nahi milega.... Chal Jaldi....!"

"Ek minute mummy... shayad aa...!" Meenu neeche kisi gadi ka horn sunkar kuchh bolne lagi thi ki beech mein ruk kar wo ek baar fir munder ki taraf bhagi...,"wwo... wo Manav... aaya hai shayad...mummy!" Meenu ne kahkar najarein jhuka li...

"Manav? koun Manav...?" Mummy kahkar munder ki taraf lapki...,"hey bhagwan... satyansh ho iss inspector ka... ye hamara peechha kyun nahi chhod raha... aaj mujhe isko saaf saaf bolna padega... tu yahin rah.. Main aati hoon...!" Mummy bhadakte huye bolkar palti hi thi ki achanak wapas mudi..,"yye.. aaj kisko sath lekar aaya hai...?"

"Ppa..pata nahi mummy... aap pahle kuchh mat bolna... unki baat sun lena pahle...!" Mummy ko neeche jate dekh Meenu ne unko hidayat di aur unke jate hi deewar ke sath lagkar apni aankhein band karke sapna sa lene lagi... Madhur milan ka sapna.....!

**********

"Ji... Namastey aunti ji..!" Manav Meenu ki mummy ko neeche dekhte hi charpayi se khada ho gaya...,"Ye... ye mere mummy daddy hai..!" Manav ne kaha aur fir apne mummy papa se mukhatib hua,"Mummy.. ye....!"

"Haan..haan... ab tu aaram se baith ja... itna utaawala kyun ho raha hai...!" Papa ne majak karte huye Manav ki baanh pakad kar kheench li aur fir hath jodkar Meenu ki mummy ka abhiwadan sweekar kiya...

Meenu ki mummy aur papa dono pashopesh mein the... unki samajh mein ab tak kuchh aaya nahi tha... Mummy toh abhi tak uljhan mein hath baandhe khadi thi...,"jji...!"

"Baithiye na... kisi jaldi mein hain kya?" Manav ki mummy ne khadi hokar Meenu ki mummy ke paas aate huye kaha....

"haan.. wwo hamein chhoti ke paas jana tha.. gurukul mein...!" Mummy ne sakuchate huye bataya...

"Kya? Par... aaj toh... Meenu bitiya ne kuchh bataya nahi kya?" Manav ke pitaji thodi asamanjhas mein pad gaye....

"Kya? Usne kya batana tha...!" Meenu ke papa ne lambi saans chhodte huye poochha....

"Oh.. khair..." Manav ke pitaji ne khangaar kar apna gala saaf kiya...,"wwo hum... darasal hum apne bete ke liye aapki beti ka...." Unhone itna hi kaha tha ki prastaav mein chhipe bhav ko samajhkar Meenu ke mummy papa ki aankhein chamak uthi... hadbadahat mein uske pita bhi charpayi se uth khade huye...," Arey... Yahan kyun khadi ho.. Meenu ko bolo na kuchh chay pani ke liye...!"

"Main... abhi aata hoon...!" Meenu ki mummy ke muskurakar upar chadhte hi papa bhi uske pichhe pichhe ho liye... Mummy abhi jeene mein hi thi...,"meenu ki mummy.. main toh khushi se foola nahi sama pa raha hoon... kitna achchha rishta aaya hai.. apni beti ke liye...!"

"Haan par ye sab kaise...?" Dono ab upar aa chuke the.. kasamasahat mein Meenu baar baar unki najron se bachne ke liye idhar udhar chhipne ki koshish kar rahi thi..,"Rishta lene toh ladki wale jate hain na...?" Mummy isi duvidha mein thi....!"

"Wo jamana gaya ab... tum nahi samjhogi.. 'Ye' love marriage hai....!" Kahkar Uske papa khilkhilakar hans padey.. unhe kahan ahsaas tha ki unki hansi Meenu ke dil mein sawan ki baadlon ki tarah baras rahi hai....,"Meenu ko bolo jaldi se taiyaar hokar neeche aa jaye...!"

"Wo toh taiyaar hi hai... ab kahan chali gayi...? Par hum Pinky ke paas nahi gaye toh wo aasmaan sir par utha legi....!" Mummy ne yaad karte huye kaha....

"Kuchh nahi hoga.... usko batayenge toh 'wo' bhi bahut khush hogi... wahan agle hafte chal padenge... Meenu ko bol dena uske paas fone kar legi... main neeche ja raha hoon... tum bhi jaldi aao!"

***********************

"Hello.. Pinky hai?" Meenu ne fone karke poochha....

"tum koun?" Seema ne kadak aawaj mein bistar mein pade pade poochha....

"Main.. uski behan Meenu!"

"Achchha.. ek minute hold karke rakhna...wo bahar khadi intjaar kar rahi hai subah se tum logon ka...." Seema ne Jyoti ko aawaj lagakar apne paas bulaya...,"Ye fone Pinky ko de aa...!"

"Pinky.... Ghar se tumhara fone hai...?" Jyoti ne fone Pinky ke hath mein thamate huye bataya.....

Mobile screen par ghar ka no. dekhte hi Pinky ki tyoriyan chadh gayi....,"Hello!"

"haan.. Pinky!" Meenu ki aawaj mein ek alag hi kashish thi....

"Mujhe tum se baat nahi karni... tum kyun nahi aayi sath mein... ? mummy papa bhi abhi tak nahi pahunche...!" Pinky ki aawaj mein narajgi aur gussa saaf jhalak raha tha.....

"haan.. wwo.. sun toh....!" Meenu samajh nahi pa rahi thi ki apni khushi ko Pinky ke sath kaise baante....!

"Nahi.. pahle batao, tum kyun nahi aayi sath mein....!" Pinky ki aawaj ab bhi utni hi talkh thi....

"sun toh le.. mera rishta pakka ho gaya... Lambu se.. he he he...!"

"kyaaaaaa... Sach!" Pinky sab kuchh bhool kar uchhal padi...,"tumhe kaise pata...?"

"Pagal.. wo aaye the aaj.. Mummy papa ke sath.. mujhe dekhne... main unhe bahut pasand aayi.. he he he...!"

"Ohho... ab toh wo 'wo' ho gaya.... 'lambu' toh lambu hi rahega.. main ijjat se nahi boloongi usko haan.. he he he....!" Pinky ke pair jameen par nahi the...,"Mummy papa chal pade kya?"

"Nahi wwo..."

"Theek hai.. koyi baat nahi... ab tum bhi sath aana.. mujhe tumse bahut sari baatein karni hain....!" Pinky ko ab koyi gila nahi tha....

"Wwo.. Pinky... abhi bhi 'wo' yahin baithe hain... pata nahi aaj aa payenge ya nahi...!"

"Ye kya baat huyi...?" Pinky ka chehra ek pal ke liye murjha sa gaya...,"Fir toh tum ek hafte baad hi aaoge... hai na?"

"Nahi.. wo.. papa kah rahe the ki kal aa jayenge... kal bhi school ki chhutti hai na...!"

"chal koyi baat nahi.. ab tu fone rakh de... main Anju ko bata doon...!" Pinky sahaj hokar boli....

"theek hai.. main baad mein fone kar loongi...!" Kahkar Meenu ne fone rakh diya....

**********************************

Meenu ke fone rakhte hi Pinky ne mouke ka faayda uthate huye pahle Harry ke paas fone kar liya...,"Hello!"

"Haan Pinky... main bus tumhe fone karne hi wala tha.... badi yaad aa rahi thi tumhari...!"

"Rahne do rahne do... pata hai.. Didi ka rishta pakka ho gaya... aaj hi usko dekhkar gaye hain..!" Pinky ne khush hokar bataya....

"kya?" Harry ne hulke se aascharya ke sath poochha..,"Kiske sath...?"

"Hai ek lambu...! tum chhodo... ye batao tum kab aa rahe ho...?"

"aaj raat hi... mujhe sab yaad hai jaan... badi beshabri se intjaar kar raha hoon... 10 baje ka...!" Harry ne apni bekaraari ka parichay diya....

"Aise nahi pagal!" Pinky tunak kar boli....

"aur kaise?"

"Jaise lambu aaya hai.. apne ghar waalon ko lekar... aise!"

"Ohh... par abhi toh tum shadi ke layak nahi huyi ho...!" Harry ne chatkhara liya....

"Achchha ji... fir mujhse 'kissi' kyun maangte ho.. shadi ke layak nahi huyi hoon toh...!" Pinky ne ithlaate huye poochha....

"Par tum deti kahan ho...?"

"kyun...? Pinky ne fone par hi Harry ko aankhein nikal kar dikhane ki koshish ki...,"Li toh thi guest room mein...!"

"Wo koyi 'kissi' thi... tabhi toh kah raha hoon abhi tum bachchi ho.. jab badi ho jaaogi toh main bhi apne ghar waalon ko le aaunga....!" Harry majak mein bola....

"Pakka na?" Pinky khush ho gayi... fone par aisi baatein karne mein usko 'wo' sharm nahi aa rahi thi jo aamne saamne khade hone par aati thi..,"aaj jaise chaho le lena... fir toh le aaoge na apne mummy papa ko...?"

"haan.. promice!" Harry khush hokar bola....

"Theek hai... didi mujhe 9:30 baje pichhle gate se bahar nikal dengi.. tum wahan pahle se taiyaar milna... theek hai na?"

"Theek hai... Kuchh bhi kar loon na aaj?" Harry ne usko chheda...

"aise bologe toh main nahi aaungi...!" Pinky ne kahte hi fone kaat diya..... uske gaalon par haya ka gulabipan pasar gaya tha....











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj





















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