बाली उमर की प्यास पार्ट--27
गतान्क से आगे.............
सुबह तक तो हालात और भी बिगड़ चुके थे.. उठने के बाद भी पिंकी ने मेरी और देखा नही और सीधी उपर भाग गयी.. कुच्छ हद तक उसके नज़रें चुराने का कारण मेरी समझ में आ भी रहा था.. मैने अपने बिस्तेर को लपेटा और मीनू को उठाकर तैयार होने के लिए घर चली गयी....
------------------------------
नहा धोकर मैं वापस आई और हर रोज़ की तरह नीचे से ही आवाज़ लगाई.. ,"पिंकी!"
मैं रोज़ ऐसे ही आवाज़ लगती थी और जवाब में पिंकी की मधुर और पैनी आवाज़ मेरे कानो में घंटियों की तरह बजने लगती," उपर आ जा, अंजू! बस पाँच मिनिट और लगाउन्गि...!"
पर उस दिन ऐसा कुच्छ नही हुआ.. थोड़ी देर बाद मुझे पिंकी के बदले चाची की आवाज़ सुनाई दी..,"वो बस आ रही है बेटी.. तैयार हो रही है...!"
मैं मन मसोस कर वहीं बैठ गयी.. जाने क्यूँ.. पर पिंकी के बदले रंग ढंग देख कर मेरी भी उपर चढ़ने की हिम्मत नही हो पाई...
वह नीचे आई तो भी उसकी नज़रें झुकी हुई थी.. नीचे आने से पहले ही उसने अपनी छोटी छोटी उभरती हुई चूचियो को चुननी में छिपा लिया था... पहले वह नीचे आकर बाहर निकलने से पहले मेरे सामने ही अपनी 'चुननी' को दुरुस्त किया करती थी... मुझे उसका यह व्यवहार अजीब और असहनीय लग रहा था...
वह नीचे आई और बिना कुच्छ बोले बाहर निकल गयी.. उसके साथ ही नीचे आई मीनू ने हम दोनो को अजीब सी नज़रों से देखा.. मैं मीनू की और मुस्कुराइ और पिंकी के पिछे पिछे बाहर निकल गयी...
"क्या हुआ पिंकी?.... मुझसे नाराज़ है क्या?" मैने घर से थोड़ा आगे जाते ही उसका हाथ पकड़ कर पूचछा...
"नहयी.." पिंकी ने मरी सी आवाज़ में कहा और अपना हाथ छुड़ा लिया..
"तो फिर बात क्या है..? मुझसे बात क्यूँ नही कर रही तू?" मैने सब जानते हुए भी अंजान बने रहने की कोशिश की....
"............. कुच्छ नही बस... कल पेपर ख़तम हो जाएँगे.. है ना?" पिंकी ने बात घूमाते हुए कहा...
"हाँ.. पर तू ऐसा क्यूँ कर रही है यार..? मैने क्या किया है..? तू... खुद ही तो मेरे साथ लेटी थी.. और..." मुझे बोलते बोलते रुक जाना पड़ा.. उसकी मनो स्थिति का अहसास मुझे तब हुआ जब मैने उसको चेहरा दूसरी तरफ करके 'अपने आँसू' पौंचछते हुए महसूस किया...
"अच्च्छा.. सॉरी.. मेरी ही ग़लती थी.. अब खुश हो जा ना प्लीज़.. आगे से ऐसा कुच्छ नही करेंगे.. तेरी कसम... मैं..." इस बार बोलते हुए मुझे पिंकी ने ही टोक दिया....
"नही.. ऐसा क्यूँ कह रही है..? उसमें तेरी क्या ग़लती थी..? पता नही कैसे हो गया सब.. मुझे सारी रात नींद नही आई..." पिंकी ने एक बार फिर अपने गालों पर लुढ़क आए आँसू को मुझसे छिपाते हुए अपनी हथेली में समेट लिया...
"क्यूँ? नींद क्यूँ नही आई पागल? ऐसा तो कुच्छ 'ज़्यादा' भी नही किया हमने?" मैं उसको 'प्यार' से झिड़कते हुए बोली....,"छ्चोड़! भूल जा सब कुच्छ...!"
"तू... तू किसी को इस बारे में कुच्छ भी नही बोलेगी ना?" पिंकी ने याचना सी करते हुए मेरी नज़रों से नज़रें मिलाई...
"मैं? मैं क्यूँ बताउन्गि किसी को पागल? तू इसीलिए ऐसे कर रही है क्या?" मैने कहा...
"अपनी लड़ाई हो जाएगी.. तब भी नही ना?" पिंकी का चेहरा अब भी वैसे का वैसा ही था....
"नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईई..... तेरी कसम यार.. प्लीज़.. खुश हो जा अब...!" मैने कहा ही था कि संदीप ने बाइक लाकर हमारी साइड में रोक दी.. आज भी अकेला ही था वो...," चल रही हो क्या?"
मैं कुच्छ बोलती इस'से पहले ही पिंकी ने मानो उस पर 'हमला' सा कर दिया...,"चुप चाप भाग ले आगे.. हमारे से बात करने की कोशिश की तो ऐसी दुर्गति करूँगी कि याद रखेगा.. बड़ा आया...!"
संदीप ने खिसकने में ही भलाई समझी..,"वो.. शिखा आ गयी है.." उसने कहा और आगे निकल गया... उसकी बाइक के जाने के बाद भी काफ़ी देर तक पिंकी बड़बड़ाती रही...
"चुप हो जा पिंकी! अब उस पर गुस्सा क्यूँ निकाल रही है...?" मैं हताशा और चिड़चिड़ेपन से बोली... संदीप के नाराज़ हो जाने पर मेरी बनी बनाई बात बिगड़ने का ख़तरा था.. मेरा पेपर जो करना था उसको!
"मुझे ये...." पिंकी जबड़ा भींच कर बोली," ये बिल्कुल भी अच्च्छा नही लगता अब!"
"मतलब? ...." मैं शरारत से हंसते हुए बोली," पहले अच्च्छा लगता था क्या?"
"तू भी ना बस! वो बात नही है! पर मैं इसको दूसरे लड़कों जैसा नही समझती थी.. ये भी कमीना कुत्ता निकला!" पिंकी मुझ पर गुस्सा निकालते हुए बोली...
"अब इसमें कामीनेपन वाली क्या बात है यार.. मंन में तो सभी के होती हैं ऐसी बातें.. मौका मिलते ही बाहर तो निकलनी ही होती हैं.." मैने हल्का सा कटाक्ष करते हुए संदीप का पक्ष लिया....
"नही.. मैं नही मानती.. अच्छे लड़के भी होते हैं.. जो ये सब नही सोचते!" पिंकी ज़ोर देकर बोली...
"कोई दूध का धुला नही होता.. सारे शरीफ बाहर से ही शरीफ लगते हैं.. मुझे सब पता है..! तू एक बार किसी की तरफ मुस्कुरा देना.. दूँम हिलाता हुआ तेरे पिछे पिछे ना आ जाए तो कहना....!" मैं भी अपनी बात पर अड़ गयी...
"तूने आज तक ऐसे ही लड़के देखे हैं.. इसीलिए तू ऐसा बोल रही है... !" पिंकी तुनक कर बोली....
"चल.. तू 'एक' का भी नाम बता दे.. मैं अपने पिछे 'पागल' करके दिखाउन्गि उसको..." हमारी बहस का रुख़ पता नही किधर जा रहा था....
"हॅरी!" पिंकी के मुँह से जोश में नाम निकल गया.. फिर खुद ही हड़बड़ते हुए बोली..,"छ्चोड़ ना.. हम भी ये क्या लेकर बैठ गये...!"
"मैं शर्त लगा सकती हूँ.. हॅरी भी 'सीधा' नही है... लड़का तो कोई इतना शरीफ हो ही नही सकता.... उसको तो मैं 'यूँ' पटा सकती हूँ..."मैं अब 'छ्चोड़ने' को तैयार नही थी...
"तू.. क्या करेगी?" पिंकी ने मुझे घूरते हुए कहा....
"वो सब मुझ पर छ्चोड़ दे.. शर्त लगानी है तो लगा ले... 'हॅरी' को तो मैं 'एक' ही बार में पागल बना सकती हूँ.... बोल!" मैने गर्व से कहा...
"ठीक है.. अगर हॅरी भी ऐसा निकला तो मैं मान लूँगी तेरी बात...!" पिंकी भी तैश में आ गयी...
स्कूल अब कुच्छ कदम ही रह गया था.. मैने हमारी 'शर्त' में झंडा गाडते हुए कहा," कल का पेपर हो जाने दे.. फिर देखती हूँ तेरे 'हॅरी' को भी..
"मेरा क्यूँ बोल रही है.. तेरा होगा 'वो'?" पिंकी शरमाती हुई बोली और फिर स्कूल आ गया...
उस दिन का पेपर भी दोनो का अच्च्छा ख़ासा हो गया था... 'वो' सर आज फिर नही आए थे... मेडम हमारे कमरे तक में नही आई... पेपर देकर घर जाते हुए हम दोनो काफ़ी रिलॅक्स्ड महसूस कर रहे थे.. अब सिर्फ़ एक फिज़िकल एजुकेशन का पेपर बचा था और वो 'ना' के बराबर ही था...
जैसे ही मैं और पिंकी उसके घर पहुँचे, हमें मीनू नीचे ही मिल गयी...
"कहीं जा रही हो क्या दीदी?" पिंकी ने उसको देखते ही पूचछा...
"नही तो! अब कहाँ जाउन्गि?" मीनू बार बार दरवाजे से बाहर झाँक रही थी...
"तो फिर आपने नयी ड्रेस क्यूँ डाल रखी है?" पिंकी मीनू के कमीज़ के कपड़े को छ्छू कर देखती हुई बोली,"वैसे बहुत प्यारी लग रही हो आप इस गुलाबी सूट में.. ये मेरा फॅवुरेट कलर है...!"
"बस भी कर अब.. ज़्यादा मस्का मत लगा.." मीनू शर्मा सी गयी थी..," वो.. चल उपर चलते हैं.. मम्मी पापा भी उपर ही हैं..."
हम उपर गये तो चाचा चाची थोड़े चिंतित से बैठे थे... हमारे पेपर के बारे में पूच्छने के बाद चाचा चाची से बोले,"मेरी तो समझ में नही आ रहा कि 'वो' इनस्पेक्टर यहाँ क्या लेने आ रहा है अब...!"
"कौन?... 'वो' लंबू आ रहा है क्या?" पिंकी चहकते हुए बोली...
"कौन लंबू?" चाचा के माथे पर अब भी थयोरियाँ चढ़ि हुई थी....
"वही.. वो इंस्पेक्टोररर्र!" पिंकी हंसते हुए बोली और चाची के पास बैठ गयी...
"तुझे बोलने की भी तमीज़ नही रही पिंकी? तू जितनी बड़ी हो रही है.. उतनी ही शैतान होती जा रही है.. बड़ों को ऐसे बोलते हैं क्या?" चाची ने पिंकी को घूर कर देखा...
"आपके सामने ही तो बोला है मम्मी.. 'वो' कोई सामने थोड़े ही बैठा है..? वैसे.. वो आ रहे हैं क्या यहाँ... इनस्पेक्टर साहेब?"
"हाँ.. थोड़ी देर पहले ही उसका फोन आया था.. पता नही हमारा नंबर. किसने दे दिया उसको.. और यहाँ क्या लेने आ रहा है भला.. हमें तो खेत में जाना था.. हमें भी यहाँ बाँध कर बिठा दिया....!" चाचा ने नाराज़गी से कहा...
"तो आप जाओ ना पापा! 'वो' आए तो हम कह देंगे कि आपको खेत में जाना था.. मिलना होगा तो वहीं आकर मिल लेंगे.... आपको क्या पड़ी है...?.. और फिर क्या पता 'वो' कब तक आएँगे...?" मीनू ने अंदर कमरे में से ही कहा....
"मीनू बेटा.. तुझे किसी बात का पता सता हो तो पहले ही बता देना.. पोलीस से कोई बात छिपि नही रहती.. आज नही तो कल भेद खुल ही जाता है.. बाद में ज़्यादा समस्या आएगी...." चाचा ने अपना माथा पकड़े हुए उदासी से कहा....
"आप भी ना बस! क्यूँ चिंता कर रहे हैं खंख़्वाह.. इसको भला क्या पता होगा.. और पता होता भी तो ये कम से कम हमें तो बता ही देती ना... मुझे तो लगता है कि मीनू ठीक ही कह रही है.. हम क्यूँ उसका इंतजार करें..? उसको आना होगा तो खेत में आ जाएगा.. चलो जी, चलते हैं....!" चाची ने चाचा को समझाते हुए कहा....
"पर मेरी समझ में नही आ रहा कि उसने यहीं फोन क्यूँ किया...? मुझे तो कोई गड़बड़ लग रही है....!" चाचा ने खड़े होते हुए कहा...
शायद मीनू और पिंकी में से किसी ने भी चाचा चाची को ये बात नही बताई थी कि उनके पास इनस्पेक्टर का मोबाइल नंबर. है और 'वो' घर से उसको कयि बार फोन कर चुके हैं... मैने भी चुप रहना ही ठीक समझा....
"कोई गड़बड़ नही है जी.. हमारी बेटियों में कोई कमी निकाल कर तो दिखा दे... चलो चलते हैं खेत में.... आना होगा तो वहीं आ जाएगा 'वो'.." चाची ने कहा और उसके पिछे पिछे हो ली....
"अच्च्छा... अब समझी में....!" पिंकी मीनू को चिड़ाते हुए बोली और हँसने लगी...
"तू ज़्यादा बकवास करेगी तो मैं मम्मी को बोल दूँगी..." कहते हुए मीनू उसको मारने को दौड़ी ही थी कि नीचे गाड़ी का हॉर्न सुनकर ठिठक गयी..,"हाए राम! 'वो' अभी क्यूँ आ गया..." हम तीनो ने मुंडेर पर खड़े होकर देखा.. उन्न दोनो के साथ 2 मोटे तगड़े आदमी और थे.... चारों के चारों सादी वर्दी में थे.... उनके आते ही चाची वापस अंदर आ गयी और चाचा उनके पास ही खड़े रहे....
------------------------------
मानव ने जैसे ही अपनी नज़रें बचाकर उपर देखा.. मीनू तुरंत पिछे हट गयी.. पर हम मुंडेर पर खड़े खड़े मंद मंद मुस्कुराते रहे.. मानव ने बाकी तीनो को जीप में ही बैठने का इशारा किया और चाचा के साथ अंदर आ गया....
"अंदर आ गया दीदी!" पिंकी मीनू को छेड़ते हुए बोली...
"तो...? तो मैं क्या करूँ?" मीनू ने कहा और फिर बोली,"जा मम्मी को उपर बुला ला..!"
"नही.. मैं नही जाती.. आप चली जाओ ना?" पिंकी के बोलने का ढंग अब भी मीनू को चिडाने वाला ही था...
"तुझे तो मैं बाद में देख लूँगी..."मीनू ने गुस्से से कहा और फिर मेरी ओर देख कर बोली..,"जा... अंजू.. तू बुला ला.. चाय वग़ैरह की पूच्छ लेंगे..!"
"ठीक है.. मैं जा रही हूँ दीदी.." मैं कह कर जाने लगी तो पिंकी भी पिछे पिछे आ गयी..,"रूको.. मैं भी आ रही हूँ..."
हम नीचे गये तो चाचा और मानव आमने सामने चारपाइयों पर बैठे थे... चाची थोड़ी दूरी पर हाथ बाँधे खड़ी थी.. हम दोनो चुपचाप चाची के पास जाकर खड़े हो गये...
"इनस्पेक्टर साहब.. आने को तो आप यहाँ 100 बार आओ.. आपका ही घर है.. पर ये बार बार मीनू से अकेले में बात करने वाली आपकी ज़िद हमें चिंतित कर देती है... आख़िर ऐसी क्या बात है जो आप हमारे सामने नही पूच्छ सकते.. आख़िर हमें भी तो पता लगना चाहिए अगर हमारी बेटी से कोई ग़लती हुई है तो...!" चाचा ने रूखे स्वर में कह रहे थे...
"ववो.. दरअसल ऐसी कोई बात नही है अंकल जी!" जहाँ तक मुझे याद है.. मानव ने पहले बार चाचा को 'अंकल' कह कर संबोधित किया था...," मीनू का यूँ तो इस मामले में कोई लेना देना नही है... पर इस केस में हमें उस'से काफ़ी मदद मिल सकती है... शायद आपके सामने 'वो' खुल कर ना बोले.. बस इसीलिए..." मानव कहने के बाद चाचा की आँखों में देखने लगे...
"वो तो ठीक है... पर आपको 'जो कुच्छ भी पूच्छना है.. हमारे सामने ही पूच्छ लो.. अगर हमें लगेगा कि 'वो' हिचकिचा रही है तो हम चले जाएँगे.. पर.. ऐसे बिल्कुल अकेले.... आप तो समझ रहे हो ना.. लड़की जात है.." चाचा कुच्छ बोल ही रहे थे कि सीढ़ियों की आड़ से ही मीनू की कंपकँपति हुई आवाज़ आई..,"मम्मी... ववो...!"
चाची उस तरफ जाने लगी तो चाचा ने मीनू को नीचे ही बुला लिया..," मीनू बेटी.. आना एक बार... " और फिर पिंकी से बोले..,"जा बेटी.. तू चाय बना ले!"
मीनू नीचे आई तो, पता नही क्यूँ, थोड़ी हड़बड़ाई हुई सी थी.. वो चुपचाप आकर बिना नज़रें उठाए चाची के पिछे आकर खड़ी हो गयी," जी.. पापा!"
"देखो बेटी.. तुझे जो कुच्छ भी पता है.. सब इनस्पेक्टर साहब को बता दे आज.. इन्हे परेशान होना पड़ता है बार बार.. तू झिझक मत.. और ना ही किसी बात से डरने की ज़रूरत है.. आख़िर हम तेरे मा-बाप हैं....!" चाचा ने कहा..
"ज्जी.. क्कक्या?" शर्म से लदी मीनू की पलकें आधी ही मानव की ओर उठ पाई...
"ववो.. अभी दो चार दिन से आपके घर में ब्लॅंक कॉल आ रही हैं.. मुझे उसी बारे में कुच्छ पूच्छना था...!" मानव ने कहा....
"प्पर.. मैने तो कोई ऐसी कॉल रिसीव ही नही की..." मीनू दबे स्वर में बोली...
"ये.. ब्लॅंक कॉल क्या होती है मीनू?" चाची ने अधीरता से पूचछा...
"ववो.. मम्मी.. जब कोई फोन करके कुच्छ ना बोले....." मीनू ने सपस्ट किया..
"हां.. ऐसी कॉल तो आ रही हैं कयि दिन से... मैं ये समझ कर फोन वापस रख देती थी कि 'लाइन' खराब होगी... पर.. ये आपको कैसे पता?" चाची ने अचरज भरे लहजे में पूचछा....
मानव ने चाची की बात का जवाब नही दिया.. कुच्छ और ही छेड़ दिया..," मैं चाहता हूँ कि मीनू कुच्छ दिन हर कॉल अटेंड करे.. शायद 'वो' मीनू से ही बात करना चाहता है...!"
मानव की इस बात पर हम सब आस्चर्य से उसकी और देखने लगे... चाचा से रहा ना गया..," ये आप किसके बारे में बात कर रहे हैं इनस्पेक्टर साहब...? कौन बात करना चाहता है मीनू से? और क्यूँ?" मुझे तो लगता है मेरी बेटी बिना वजह किसी उलझन में फँस जाएगी...."
"ऐसा कुच्छ नही होगा अंकल जी.. मैं हूँ ना सब संभालने के लिए... आप किसी बात की चिंता ना करें...!" मानव ने भरोसा सा दिलाते हुए कहा...
"पर ये 'वो' है कौन? और आप हमारे घर के फोन की 'रेकॉर्डिंग' ऐसे कैसे करवा सकते हैं...?" चाचा बुरा सा मान कर बोले...
"अंकल जी... मैने आपके फोन को नही.. 'उस' फोन को सुर्विल्लंसे पर लगवाया है.. जिसस'से आपके घर ब्लॅंक कॉल्स आ रही हैं... मुझे तो 'ये' बहुत बाद में पता चला कि 'वो' आपके घर भी फोन करता है...!"
"कौन 'वो'.. कुच्छ बताओ तो सही इनस्पेक्टर साहब.. आप तो यूँही हमें अंधेरे में रखे हुए हो...!" चाचा ने फिर पूचछा....
"सॉरी अंकल जी.. अभी मैं कुच्छ नही बता सकता.. इस'से पोलीस की जाँच प्रभावित हो सकती है... और भी कुच्छ बहुत सी बातें पूच्छनी थी.. पर आपके रहते मैं ऐसा नही कर सकता... कल को अगर मीनू के साथ कुच्छ हो गया तो आप खुद ही ज़िम्मेदार होंगे..." मानव ने एक एक बात पर ज़ोर देते हुए कहा....
"ययए.. ये आप क्या कह रहे हैं इनस्पेक्टर साहब.. मीनू को क्यूँ होगा कुच्छ.. आप सॉफ सॉफ क्यूँ नही बताते..." चाचा के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई...! यही हाल कुच्छ चाची का था.....
"आप कुच्छ पता लगने देंगे तभी तो... देखिए अंकल जी.. मैं भी एक इज़्ज़तदार परिवार का बेटा हूँ और भली भाँति समझता हूँ कि लड़की की इज़्ज़त 'क्या' होती है.. यही बात मैने पहले दिन भी आपको कही थी.. अगर मुझे परवाह ना होती तो मैं बार बार यहाँ अकेले में बात करने की जहमत नही उठाता.... बाकी आपकी मर्ज़ी है...." मानव ने सपस्ट किया...
"ठीक है बेटा..." चाचा की टोन अचानक बदल गयी... हमें तो वैसे भी खेत में जाना था... 'ये' अंजू तो यहाँ रह सकती है ना?" चाचा खड़े होकर बोले...
मानव ने नज़र भर कर मेरी ओर देखा और फिर चाची के पिछे खड़ी होकर उसको ताक रही मीनू की ओर..," हां... ये रह सकती है.. !"
तभी पिंकी चाय लेकर आ गयी....
"जा बेटी.. 3 कप बाहर गाड़ी में दे आ और तू उपर जाकर पढ़ ले... मैं और तेरी मम्मी खेत में जा रहे हैं...." चाचा ने कहा और चाची के साथ अनमने मंन से बाहर निकल गये.....
चाचा बाहर जाते ही वापस आए और रूखे मॅन से मीनू की ओर देखते हुए बोले," देख मीनू! मुझे नही पता कि क्या बात है...? पर अगर कुच्छ ऐसी वैसी बात हुई तो मैं तो जीते जी ही मर जाउन्गा.. इनस्पेक्टर साहब जो पूच्छना चाहते हैं.. तू खुल कर सब बता दे इनको.. मैं इस रोज़ रोज़ के तमाशे से तंग आ गया हूँ..." चाचा ने कहा और फिर मेरी और मूड कर बोले..,"तू यहीं रहना बेटी.. ठीक है?"
"जी चाचा जी.. आप फिकर ना करें.." मैने भोली सूरत बना कर कहा...
"ठीक है.. अच्च्छा इनस्पेक्टर साहब!" चाचा ने दोनो हाथ जोड़े और बाहर निकल गये....
"उफफफ्फ़..." मानव ने चाचा के जाते ही गहरी साँस ली...,"अब मैं करूँ भी तो क्या करूँ.. अंकल के सामने मैं कुच्छ बोलना नही चाहता और 'वो' जाने क्या का क्या समझ रहे हैं...!"
"कौन करता है फोन..? हमारे घर..." मीनू ने भी लगभग मानव के ही अंदाज में पूचछा.... तभी पिंकी बाहर से आई और मेरे पास आकर खड़ी हो गयी...
"सोनू!" मानव ने नाम लेकर हमारे होश ही उड़ा दिए...
"सोनू?.. कहाँ है वो? .... और आपको कैसे पता.. ? उसका तो कुच्छ आता पता ही नही है.. घर वाले तो उसकी गुमसुद्गी की रिपोर्ट भी दर्ज़ करने गये थे...." मीनू ने असमन्झस से कहा....
"हूंम्म्म... देखो.. बताना तो खैर तुम्हे भी नही चाहिए था मुझे.. पर क्यूंकी मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है.. इसीलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अब तक की पूरी कहानी अच्छे से समझ लो.... पर 'ये' बात अभी किसी को पता नही चलनी चाहिए... समझ गयी हो ना?"
मानव की बात पर 'हामी' भरने वाली हम तीनो में से 'पिंकी' सबसे पहली थी..,"जी.. मैं किसी को कुच्छ नही बताउन्गि!"
"तुम यहाँ मत रूको..! उपर जाकर अपनी पढ़ाई कर लो!" मानव ने संजीदा लहजे में कहा तो पिंकी अपना सा मुँह ले कर उपर चली गयी.....
"हाँ.. बैठ जाओ आराम से...!" मानव ने हम दोनो को कहा तो हम उस'से दूर बिछि चारपाई पर बैठ कर उत्सुकता से इनस्पेक्टर की ओर देखने लगे....
"वो.. दरअसल.. तुमने जो नंबर. सोनू का बताया था.. मैने उस नंबर. समेत मैने 2-3 नंबर. शक के आधार पर सुर्विल्लंसे पर लगवा दिए थे... स्कूल आने से ठीक एक दिन पहले अचानक मुझे पता चला कि उस नंबर. से किसी 'लड़की' ने किसी लड़के से बात की हैं...!" मानव ने ये कहते हुए हम दोनो को गौर से देखा तो मेरी तो घिग्गी ही बँध गयी थी....
मानव थोडा रुक कर फिर बोलने लगा," मैने एक बार फिर वो नंबर. ट्राइ किया तो फोन तुम्हारे ही गाँव के 'संदीप' ने उठाया.. उसी से मुझे पता चला कि फोन उसके भाई 'ढोलू' का है... तब मुझे उम्मीद बँध गयी थी कि कहानी के पैइंच यहीं से खुल सकते हैं... पर 'वो' ज़्यादा कुच्छ बता नही पाया.. मैने उसको जानबूझ कर कुच्छ जिकर भी नही किया था... फिर भी.. पोलीस के पहुँचने से पहले ही 'ढोलू' घर से रफूचक्कर हो चुका था....
"अगले दिन शाम को उस 'मास्टर' से मैने 'ढंग' से पूच्छ ताच्छ की तो उसने क़ुबूल लिया कि उसने ढोलू को बोलकर तरुण और सोनू को डरा धमका कर 'वो' क्लिप डेलीट करवाने को कहा था.. पर 'वो' उनके मर्डर की बात से सॉफ मना कर रहा है... उसके अनुसार सौदा उसने केवल '5000' में सेट किया था... अब अगर उसकी 'ये' बात अगर सच है तो इतना भी तय है कि '5000' के लिए कोई किसी का मर्डर नही करेगा... मैने अपने सामने ही उसको 'ढोलू' से उसी के नंबर. से बात करने को कहा... उस वक़्त ढोलू ने सॉफ सॉफ कहा कि 'इस' मामले में उसका कोई हाथ नही है और उस रात तरुण का खून होने के बाद तो उसने 'इस' पंगे से अपनी टाँग ही खींच ली थी...
उस वक़्त मैने 'मास्टर' को जाने की कहकर उसकी निगरानी की ज़िम्मेदारी एक पोलीस वाले को सौंप दी... ढोलू का अब तक कुच्छ पता नही है.. ऐसा लग रहा है कि 'वो' कुच्छ ज़्यादा ही शातिर बन'ने की कोशिश कर रहा है.. अपने नंबर. से अब 'वो' गिने चुने नंबर.स पर ही बात कर रहा है, जिनमें से ज़्यादातर क्रिमिनल्स टाइप के लोग हैं और उनका कोई पता ठिकाना भी नही है.... नंबर. भी सारे अनाप शनाप पते ठिकानो पर लिए गये हैं....ऐसे ही नंबर.स को ट्रेस करते करते मैं 'सोनू' तक पहुँच गया हूँ.. जो आज कल तरुण का मोबाइल यूज़ कर रहा है...!"
"ओह्ह... इसका मतलब..." मीनू हतप्रभ सी होकर बोली,"सोनू ने तरुण का..? ... पर आपको ये कैसे पता चला कि 'वो' तरुण का मोबाइल यूज़ कर रहा है.. आपने उसको पकड़ लिया है क्या?"
"वो सब टेक्निकल बातें होती हैं.. तुम छ्चोड़ो.. पर समस्या यही है कि इतना सब कुच्छ पता चलने के बाद भी मेरे हाथ अब तक कुच्छ नही लगा है.. समस्या यही है कि ढोलू और सोनू लगातार जगह बदल रहे हैं और अपने 'वो' नंबर.स बहुत कम यूज़ करते हैं.. 'वो' या तो आपस में बात करते हैं.. या फिर 'सोनू' तुम्हारे घर फोने करने के लिए 'उसको' ऑन करता है....
"ओह्ह.. पर 'वो' हमारे घर पर फोन क्यूँ करता है..." मीनू डर से काँप सी गयी थी...
"शायद उसके पास अभी भी कुच्छ है.. तुम्हे ब्लॅकमेल करने के लिए!" मानव गहरी साँस लेकर बोला...
मीनू का चेहरा सन्न रह गया.. कुच्छ देर रुक कर वो अटक अटक कर बोली..," पर आपको कैसे पता.. 'वो' सोनू ही है...?"
"मैने उन्न दोनो की बातें सुनी हैं.. फोन पर.. इसीलिए.. पर जब 'वो' तुम्हारे घर फोन करता है तो कुच्छ नही बोलता.. मुझे पता था कि यहाँ से 'आंटी जी' ही हर बार फोन उठाती हैं.. पर मैने जान बूझ कर तुमसे पूचछा था...." मानव ने कहा...
"अब मैं क्या करूँ...?" मेनू रुनवासी होकर बोली...
"कुच्छ ज़्यादा नही.. सिर्फ़ उस'से बात करो और पूच्छो कि 'वो' क्या चाहता है.. फिर देखते हैं क्या रास्ता निकल ता है.... " मानव मीनू को समझाते हुए बोला...
मीनू से कुच्छ कहा नही गया.. अचानक उसने सुबकना शुरू कर दिया और जल्द ही उसकी सुबाकियाँ 'मोटे मोटे' आँसुओं वाली बिलख में बदल गयी....
"तुम पागल हो क्या? ऐसे क्यूँ कर रही हो?" मानव खड़ा होकर उसके पास आने को हुआ.. फिर जाने क्या सोचकर बीच रास्ते में ही ठिठक गया...,"अब.. बस भी करो मीनू... मैं सब ठीक कर दूँगा..."
पर मीनू पर उसकी शंतवना का 'इतना' सा भी असर नही हुआ... वा यूँही बिलखती हुई बोली," मम्मी पापा का क्या होगा..? अगर उनको इस बारे में...... कुच्छ भी पता चला तो..... 'वो' तो जान दे देंगे अपनी... मैं क्या करूँ...अब?"
"ओफफो.. अब बस भी करो.. उनको कुच्छ पता नही लगेगा... बस एक बार तुम ये पता करो कि 'वो' चाहता क्या है..? जहाँ तक मेरा ख़याल है.. 'वो' तुम्हे कहीं ना कहीं मिलने को कहेगा.. और समझ लो तभी हमारा काम हो जाएगा....!" मानव आकर उसके पास बैठा तो मीनू थोड़ी सी मेरी तरफ खिसक आई....," पर मैं उस'से बात करूँगी.. तब तो घर वालों को पता लग ही जाएगा ना!"
"उसका भी इलाज है.. तुम घर वाले फोन से नही... इस नंबर. से बात करोगी..." मानव ने अपनी जेब से एक मोबाइल निकाला और मीनू को दे दिया... मैं तो मानव की इस इनायत का मतलब तुरंत समझ गयी थी... मीनू पता नही कुच्छ समझी कि नही.. उसने मोबाइल चुपचाप हाथ में पकड़ लिया और मानव की ओर देखने लगी..,"पर.. इस नंबर. का उसको कैसे पता लगेगा.. वो तो घर पर ही फोन करेगा ना...?"
" इस मोबाइल में मैने उसका नंबर. फीड कर रखा है... उसको शक नही होना चाहिए कि नंबर. मैने तुम्हे दिया है.. उसको बोलना कि तुम्हारे घर आइडी कॉलर है.. उसी से तुमने ये नंबर. निकाला.... और अपने मोबाइल से ये जान'ने के लिए उसको फोन किया है कि 'वो' कौन है... एक बार तुम उस'से बात कर लोगि तो वो दोबारा कभी 'घर वाले नंबर. पर फोन नही करेगा..." मानव ने उसको दिलासा दी....
"पर उसको तो पता है कि मेरे पास मोबाइल नही है..." मीनू ने भोली सूरत बना कर कहा....
"तुम शकल से तो बड़ी समझदार लगती हो.."मानव हंसते हुए बोला," मोबाइल लेना कोई बड़ी बात है क्या?"
"ठीक है..." मीनू ने अपनी आँखें पौंचछते हुए मानव को देख कर कहा...
"ओके.. अभी मैं चलता हूँ...!" कहकर मानव खड़ा हो गया.. वह बाहर निकलने को ही था कि तभी वापिस मुड़ा..,"इसमें मेरा भी नंबर. सेव कर दिया है मैने.. थोड़ा मेरा भी ख़याल रखना.." वह खिलखिलाया और बाहर चला गया....
मीनू कुच्छ देर तक सुंदर से 'मोबाइल' को निहारती रही और फिर मुझे देख कर बोली," पागल है ना ये लंबू..!"
क्रमशः........................
gataank se aage ..................
Subah tak toh halaat aur bhi bigad chuke the.. Uthne ke baad bhi Pinky ne meri aur dekha nahi aur seedhi upar bhag gayi.. Kuchh had tak uske najrein churane ka karan meri samajh mein aa bhi raha tha.. Maine apne bister ko lapeta aur Meenu ko uthakar taiyaar hone ke liye ghar chali gayi....
------------------------------
Naha dhokar main wapas aayi aur har roz ki tarah neeche se hi aawaaj lagayi.. ,"Pinky!"
Main roz aise hi aawaj lagati thi aur jawaab mein Pinky ki madhur aur paini aawaj mere kaano mein ghantiyon ki tarah bajne lagti," upar aa ja, Anju! bus paanch minute aur lagaaungi...!"
Par uss din aisa kuchh nahi hua.. thodi der baad mujhe Pinky ke badle chachi ki aawaj sunayi di..,"wo bus aa rahi hai beti.. taiyaar ho rahi hai...!"
Main man masos kar wahin baith gayi.. jane kyun.. par Pinky ke badle rang dhang dekh kar meri bhi upar chadhne ki himmat nahi ho payi...
Wah neeche aayi to bhi uski najrein jhuki huyi thi.. Neeche aane se pahle hi usne apni chhoti chhoti ubharti huyi chhatiyon ko chunni mein chhipa liya tha... pahle wah neeche aakar bahar nikalne se pahle mere saamne hi apni 'chunni' ko durust kiya karti thi... Mujhe uska yah vyavhaar ajeeb aur asahneey lag raha tha...
Wah neeche aayi aur bina kuchh bole bahar nikal gayi.. Uske sath hi neeche aayi Meenu ne hum dono ko ajeeb si najron se dekha.. Main Meenu ki aur muskurayi aur Pinky ke pichhe pichhe bahar nikal gayi...
"kya hua Pinky?.... Mujhse naraj hai kya?" Maine ghar se thoda aage jate hi uska hath pakad kar poochha...
"Nahyi.." Pinky ne mari si aawaj mein kaha aur apna hath chhuda liya..
"Toh fir baat kya hai..? Mujhse baat kyun nahi kar rahi tu?" Maine sab jaante huye bhi anjaan bane rahne ki koshish ki....
"............. kuchh nahi bus... kal paper khatam ho jayenge.. hai na?" Pinky ne baat ghumate huye kaha...
"haan.. par tu aisa kyun kar rahi hai yaar..? Maine kya kiya hai..? tu... khud hi toh mere sath leti thi.. aur..." Mujhe bolte bolte ruk jana pada.. uski mano sthiti ka ahsaas mujhe tab hua jab maine usko chehra dusri taraf karke 'apne aansoo' pounchhte huye mahsoos kiya...
"achchha.. sorry.. Meri hi galati thi.. ab khush ho ja na pls.. aage se aisa kuchh nahi karenge.. teri kasam... main..." Iss baar bolte huye mujhe Pinky ne hi tok diya....
"Nahi.. aisa kyun kah rahi hai..? usmein teri kya galti thi..? pata nahi kaise ho gaya sab.. mujhe sari raat neend nahi aayi..." Pinky ne ek baar fir apne gaalon par ludhak aaye aansoon ko mujhse chhipate huye apni hatheli mein samet liya...
"kyun? neend kyun nahi aayi pagal? aisa toh kuchh 'jyada' bhi nahi kiya humne?" Main usko 'pyar' se jhidakte huye boli....,"chhod! bhool ja sab kuchh...!"
"tu... tu kisi ko iss baare mein kuchh bhi nahi bolegi na?" Pinky ne yaachna si karte huye meri najron se najrein milayi...
"Main? main kyun bataaungi kisi ko pagal? tu isiliye aise kar rahi hai kya?" Maine kaha...
"Apni ladayi ho jayegi.. tab bhi nahi na?" Pinky ka chehra ab bhi waise ka waisa hi tha....
"Nahiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii....
Main kuchh bolti iss'se pahle hi Pinky ne mano uss par 'hamla' sa kar diya...,"Chup chap bhag le aage.. hamare se baat karne ki koshish ki toh aisi durgati karoongi ki yaad rakhega.. bada aaya...!"
Sandeep ne khisakne mein hi bhalayi samjhi..,"Wo.. Shikha aa gayi hai.." Usne kaha aur aage nikal gaya... uski bike ke jane ke baad bhi kafi der tak Pinky badbadati rahi...
"Chup ho ja Pinky! ab uss par gussa kyun nikal rahi hai...?" Main hatasha aur chidchidepan se boli... Sandeep ke naraj ho jane par meri bani banayi baat bigadne ka khatra tha.. mera paper jo karna tha usko!
"Mujhe ye...." Pinky jabada bheench kar boli," ye bilkul bhi achchha nahi lagta ab!"
"Matlab? ...." main shararat se hanste huye boli," Pahle achchha lagta tha kya?"
"Tu bhi na bus! Wo baat nahi hai! par main isko dusre ladkon jaisa nahi samajhti thi.. ye bhi kamina kutta nikla!" Pinky mujh par gussa nikalte huye boli...
"Ab ismein kaminepan wali kya baat hai yaar.. mann mein toh sabhi ke hoti hain aisi baatein.. mouka milte hi bahar toh nikalni hi hoti hain.." Maine hulka sa kataksh karte huye Sandeep ka paksh liya....
"Nahi.. main nahi maanti.. achchhe ladke bhi hote hain.. jo ye sab nahi sochte!" Pinky jor dekar boli...
"Koyi doodh ka dhula nahi hota.. Sare shareef bahar se hi shareef lagte hain.. mujhe sab pata hai..! Tu ek baar kisi ki taraf muskura dena.. dum hilata hua tere pichhe pichhe na aa jaye toh kahna....!" Main bhi apni baat par ad gayi...
"Tune aaj tak aise hi ladke dekhe hain.. isiliye tu aisa bol rahi hai... !" Pinky tunak kar boli....
"Chal.. tu 'ek' ka bhi naam bata de.. main apne pichhe 'pagal' karke dikhaaungi usko..." Hamari bahas ka rukh pata nahi kidhar ja raha tha....
"Harry!" Pinky ke munh se josh mein naam nikal gaya.. fir khud hi hadbadate huye boli..,"Chhod na.. hum bhi ye kya lekar baith gaye...!"
"Main shart laga sakti hoon.. Harry bhi 'seedha' nahi hai... ladka toh koyi itna shareef ho hi nahi sakta.... usko toh main 'yun' pata sakti hoon..."Main ab 'chhodne' ko taiyaar nahi thi...
"Tu.. kya karegi?" Pinky ne mujhe ghoorte huye kaha....
"Wo sab mujh par chhod de.. Shart lagani hai toh laga le... 'Harry' ko toh main 'ek' hi baar mein pagal bana sakti hoon.... bol!" Maine garv se kaha...
"Theek hai.. agar harry bhi aisa nikla toh main maan loongi teri baat...!" Pinky bhi taish mein aa gayi...
School ab kuchh kadam hi rah gaya tha.. Maine hamari 'shart' mein jhanda gaadte huye kaha," kal ka paper ho jane de.. fir dekhti hoon tere 'Harry' ko bhi..
"Mera kyun bol rahi hai.. tera hoga 'wo'?" Pinky sharmati huyi boli aur fir School aa gaya...
Uss din ka paper bhi dono ka achchha khasa ho gaya tha... 'wo' sir aaj fir nahi aaye the... Madam hamare kamre tak mein nahi aayi... Paper dekar ghar jate huye hum dono kafi relaxed mahsoos kar rahe the.. Ab sirf ek physical education ka paper bacha tha aur wo 'na' ke barabar hi tha...
Jaise hi main aur Pinky uske ghar pahunche, hamein Meenu neeche hi mil gayi...
"Kahin ja rahi ho kya didi?" Pinky ne usko dekhte hi poochha...
"Nahi toh! ab kahan jaaungi?" Meenu baar baar darwaje se bahar jhank rahi thi...
"Toh fir aapne nayi dress kyun daal rakhi hai?" Pinky Meenu ke kameej ke kapde ko chhoo kar dekhti huyi boli,"Waise bahut pyari lag rahi ho aap iss gulabi suit mein.. ye mera favourite colour hai...!"
"Bus bhi kar ab.. jyada maska mat laga.." Meenu sharma si gayi thi..," wo.. chal upar chalte hain.. Mummy papa bhi upar hi hain..."
Hum upar gaye toh chacha chachi thode chintit se baithe the... Hamare paper ke baare mein poochhne ke baad chacha chachi se bole,"Meri toh samajh mein nahi aa raha ki 'wo' inspector yahan kya lene aa raha hai ab...!"
"Koun?... 'wo' lambu aa raha hai kya?" Pinky chahakte huye boli...
"Koun lambu?" chacha ke maathe par ab bhi tyoriyan chadhi huyi thi....
"Wahi.. wo inspectorrrr!" Pinky hanste huye boli aur chachi ke paas baith gayi...
"Tujhe bolne ki bhi tameej nahi rahi Pinky? tu jitni badi ho rahi hai.. utni hi shaitan hoti ja rahi hai.. badon ko aise bolte hain kya?" Chachi ne Pinky ko ghoor kar dekha...
"Aapke saamne hi toh bola hai mummy.. 'wo' koyi saamne thode hi baitha hai..? Waise.. wo aa rahe hain kya yahan... Inspector saaaheb?"
"Haan.. thodi der pahle hi uska fone aaya tha.. pata nahi hamara no. kisne de diya usko.. aur yahan kya lene aa raha hai bhala.. hamein toh khet mein jana tha.. hamein bhi yahan baandh kar bitha diya....!" Chacha ne narajgi se kaha...
"Toh aap jao na papa! 'wo' aaye toh hum kah denge ki aapko khet mein jana tha.. milna hoga toh wahin aakar mil lenge.... aapko kya padi hai...?.. aur fir kya pata 'wo' kab tak aayenge...?" Meenu ne andar kamre mein se hi kaha....
"Meenu beta.. tujhe kisi baat ka pata sata ho toh pahle hi bata dena.. police se koyi baat chhipi nahi rahti.. aaj nahi toh kal bhed khul hi jata hai.. baad mein jyada samasya aayegi...." Chacha ne apna matha pakde huye udasi se kaha....
"Aap bhi na bus! kyun chinta kar rahe hain khamkhwah.. Isko bhala kya pata hoga.. aur pata hota bhi toh ye kum se kum hamein toh bata hi deti na... Mujhe toh lagta hai ki Meenu theek hi kah rahi hai.. hum kyun uska intjaar karein..? usko aana hoga toh khet mein aa jayega.. chalo ji, chalte hain....!" Chachi ne chacha ko samjhate huye kaha....
"Par meri samajh mein nahi aa raha ki usne yahin fone kyun kiya...? mujhe toh koyi gadbad lag rahi hai....!" Chacha ne khade hote huye kaha...
Shayad Meenu aur Pinky mein se kisi ne bhi chacha chachi ko ye baat nahi batayi thi ki Unke paas inspector ka mobile no. hai aur 'wo' ghar se usko kayi baar fone kar chuke hain... maine bhi chup rahna hi theek samjha....
"koyi gadbad nahi hai ji.. hamari betiyon mein koyi kami nikal kar toh dikha de... chalo chalte hain khet mein.... aana hoga toh wahin aa jayega 'wo'.." Chachi ne kaha aur uske pichhe pichhe ho li....
"Achchha... ab samjhi mein....!" Pinky Meenu ko chidate huye boli aur hansne lagi...
"tu jyada bakwas karegi toh main mummy ko bol doongi..." Kahte huye Meenu usko maarne ko doudi hi thi ki neeche gadi ka horn sunkar thithak gayi..,"Haye Raam! 'wo' abhi kyun aa gaya..." Hum teeno ne munder par khade hokar dekha.. unn dono ke sath 2 mote tagde aadmi aur the.... charon ke charon sadi wardi mein the.... Unke aate hi chachi wapas andar aa gayi aur chacha unke paas hi khade rahe....
------------------------------
Manav ne jaise hi apni najrein bachakar upar dekha.. Meenu turant pichhe hat gayi.. Par hum munder par khade khade mand mand muskurate rahe.. Manav ne baki teeno ko jeep mein hi baithne ka ishara kiya aur chacha ke sath andar aa gaya....
"Andar aa gaya didi!" Pinky Meenu ko chhedte huye boli...
"toh...? toh main kya karoon?" Meenu ne kaha aur fir boli,"ja mummy ko upar bula la..!"
"Nahi.. main nahi jati.. aap chali jao na?" Pinky ke bolne ka dhang ab bhi Meenu ko chidane wala hi tha...
"Tujhe toh main baad mein dekh loongi..."Meenu ne gusse se kaha aur fir meri aur dekh kar boli..,"Ja... Anju.. tu bula la.. Chay wagairah ki poochh lenge..!"
"Theek hai.. main ja rahi hoon didi.." Main kah kar jane lagi toh Pinky bhi pichhe pichhe aa gayi..,"ruko.. main bhi aa rahi hoon..."
Hum neeche gaye toh chacha aur Manav aamne saamne charpayiyon par baithe the... Chachi thodi doori par hath baandhe khadi thi.. Hum dono chupchap chachi ke paas jakar khade ho gaye...
"Inspector sahab.. aane ko toh aap yahan 100 baar aao.. aapka hi ghar hai.. par ye baar baar Meenu se akele mein baat karne wali aapki jid hamein chintit kar deti hai... aakhir aisi kya baat hai jo aap hamare saamne nahi poochh sakte.. aakhir hamein bhi toh pata lagna chahiye agar hamari beti se koyi galati huyi hai toh...!" Chacha ne rookhe swar mein kah rahe the...
"wwo.. darasal aisi koyi baat nahi hai uncle ji!" Jahan tak mujhe yaad hai.. Manav ne pahle baar chacha ko 'uncle' kah kar sambodhit kiya tha...," Meenu ka yun toh iss maamle mein koyi lena dena nahi hai... par iss case mein hamein uss'se kafi madad mil sakti hai... shayad aapke saamne 'wo' khul kar na bole.. bus isiliye..." Manav kahne ke baad chacha ki aankhon mein dekhne lage...
"wo toh theek hai... par aapko 'jo kuchh bhi poochhna hai.. hamare saamne hi poochh lo.. agar hamein lagega ki 'wo' hichkicha rahi hai toh hum chale jayenge.. par.. aise bilkul akele.... aap toh samajh rahe ho na.. ladki jaat hai.." Chacha kuchh bol hi rahe the ki seedhiyon ki aad se hi Meenu ki kampkampati huyi aawaj aayi..,"Mummy... wwo...!"
Chachi uss taraf jane lagi toh chacha ne Meenu ko neeche hi bula liya..," Meenu beti.. aana ek baar... " Aur fir Pinky se bole..,"Ja beti.. tu chay bana le!"
Meenu neeche aayi toh, pata nahi kyun, thodi hadbadayi huyi si thi.. wo chupchap aakar bina najrein uthaye chachi ke pichhe aakar khadi ho gayi," Ji.. papa!"
"Dekho beti.. tujhe jo kuchh bhi pata hai.. sab inspector sahab ko bata de aaj.. inhe pareshan hona padta hai baar baar.. tu jhijhak mat.. aur na hi kisi baat se darne ki jarurat hai.. aakhir hum tere maa-baap hain....!" chacha ne kaha..
"jji.. kkkya?" Sharm se ladi Menu ki palkein aadhi hi Manav ki aur uth payi...
"wwo.. abhi do char din se aapke ghar mein blank call aa rahi hain.. mujhe usi baare mein kuchh poochhna tha...!" Manav ne kaha....
"Ppar.. maine toh koyi aisi call receive hi nahi ki..." Meenu dabe swar mein boli...
"Ye.. blank call kya hoti hai Meenu?" Chachi ne adheerta se poochha...
"wwo.. mummy.. jab koyi fone karke kuchh na bole....." Meenu ne sapast kiya..
"Haan.. aisi call toh aa rahi hain kayi din se... main ye samajh kar fone wapas rakh deti thi ki 'line' kharab hogi... par.. ye aapko kaise pata?" chachi ne acharaj bhare lahje mein poochha....
Manav ne chachi ki baat ka jawaab nahi diya.. kuchh aur hi chhed diya..," Main chahta hoon ki Meenu kuchh din har call attend karey.. Shayad 'wo' Meenu se hi baat karna chahta hai...!"
Manav ki iss baat par hum sab aascharya se uski aur dekhne lage... chacha se raha na gaya..," ye aap kiske baare mein baat kar rahe hain inspector sahab...? koun baat karna chahta hai Meenu se? aur kyun?" Mujhe toh lagta hai meri beti bina wajah kisi uljhan mein fans jayegi...."
"Aisa kuchh nahi hoga uncle ji.. Main hoon na sab sambhalne ke liye... aap kisi baat ki chinta na karein...!" Manav ne bharosa sa dilate huye kaha...
"Par ye 'wo' hai koun? aur aap hamare ghar ke fone ki 'recording' aise kaise karwa sakte hain...?" chacha bura sa maan kar bole...
"Uncle ji... Maine aapke fone ko nahi.. 'uss' fone ko survillance par lagwaya hai.. jiss'se aapke ghar blank calls aa rahi hain... Mujhe toh 'ye' bahut baad mein pata chala ki 'wo' aapke ghar bhi fone karta hai...!"
"Koun 'wo'.. kuchh batao toh sahi inspector sahab.. aap toh yunhi hamein andhere mein rakhe huye ho...!" Chacha ne fir poochha....
"sorry uncle ji.. Abhi main kuchh nahi bata sakta.. iss'se police ki jaanch prabhavit ho sakti hai... aur bhi kuchh bahut si baatein poochhni thi.. par aapke rahte main aisa nahi kar sakta... kal ko agar Meenu ke sath kuchh ho gaya toh aap khud hi jimmedar honge..." Manav ne ek ek baat par jor dete huye kaha....
"yye.. ye aap kya kah rahe hain Inspector sahab.. Meenu ko kyun hoga kuchh.. aap saaf saaf kyun nahi batate..." Chacha ke chehre par chinta ki lakeerein ubhar aayi...! yahi haal kuchh chachi ka tha.....
"aap kuchh pata lagne denge tabhi toh... Dekhiye uncle ji.. main bhi ek ijjatdaar pariwar ka beta hoon aur bhali bhanti samajhta hoon ki ladki ki ijjat 'kya' hoti hai.. yahi baat maine pahle din bhi aapko kahi thi.. agar mujhe parwah na hoti toh main baar baar yahan akele mein baat karne ki jahmat nahi uthata.... baki aapki marzi hai...." Manav ne sapast kiya...
"Theek hai beta..." Chacha ki tone achanak badal gayi... hamein toh waise bhi khet mein jana tha... 'ye' Anju toh yahan rah sakti hai na?" chacha khade hokar bole...
Manav ne nazar bhar kar meri aur dekha aur fir chachi ke pichhe khadi hokar usko taak rahi Meenu ki aur..," haan... ye rah sakti hai.. !"
Tabhi Pinky chay lekar aa gayi....
"Ja beti.. 3 cup bahar gadi mein de aa aur tu upar jakar padh le... main aur teri mummy khet mein ja rahe hain...." Chacha ne kaha aur chachi ke sath anmane mann se bahar nikal gaye.....
Chacha bahar jate hi wapas aaye aur rookhe mann se Meenu ki aur dekhte huye bole," Dekh Meenu! mujhe nahi pata ki kya baat hai...? par agar kuchh aisi waisi baat huyi toh main toh jeete ji hi mar jaaunga.. Inspector sahab jo poochhna chahte hain.. tu khul kar sab bata de inko.. main iss roz roz ke tamashe se tang aa gaya hoon..." Chacha ne kaha aur fir meri aur mud kar bole..,"Tu yahin rahna beti.. theek hai?"
"Ji chacha ji.. aap fikar na karein.." Maine bholi soorat bana kar kaha...
"Theek hai.. achchha inspector sahab!" Chacha ne dono hath jode aur bahar nikal gaye....
"Uffff..." Manav ne chacha ke jate hi gahri saans li...,"ab main karoon bhi toh kya karoon.. Uncle ke saamne main kuchh bolna nahi chahta aur 'wo' jane kya ka kya samajh rahe hain...!"
"Koun karta hai fone..? hamare ghar..." Meenu ne bhi lagbhag Manav ke hi andaj mein poochha.... Tabhi Pinky bahar se aayi aur mere paas aakar khadi ho gayi...
"Sonu!" Manav ne naam lekar hamare hosh hi uda diye...
"Sonu?.. kahan hai wo? .... aur aapko kaise pata.. ? uska toh kuchh ata pata hi nahi hai.. ghar wale toh uski gumsudgi ki report bhi darz karane gaye the...." Meenu ne asamanjhas se kaha....
"Hummmm... dekho.. batana toh khair tumhe bhi nahi chahiye tha mujhe.. par kyunki mujhe tumhari madad ki jarurat hai.. isiliye main chahta hoon ki tum ab tak ki poori kahani achchhe se samajh lo.... Par 'ye' baat abhi kisi ko pata nahi chalni chahiye... Samajh gayi ho na?"
Manav ki baat par 'hami' bharne wali hum teeno mein se 'Pinky' sabse pahli thi..,"Ji.. main kisi ko kuchh nahi bataaungi!"
"Tum yahan mat ruko..! Upar jakar apni padhayi kar lo!" Manav ne sanjeeda lahje mein kaha toh Pinky apna sa munh le kar upar chali gayi.....
"haan.. baith jao aaram se...!" Manav ne hum dono ko kaha toh hum uss'se door bichhi charpayi par baith kar utsukta se Inspector ki aur dekhne lage....
"Wo.. darasal.. Tumne jo no. Sonu ka bataya tha.. maine uss no. samet maine 2-3 no. shak ke aadhar par survillance par lagwa diye the... School aane se theek ek din pahle Achanak mujhe pata chala ki uss no. se kisi 'ladki' ne kisi ladke se baat ki hain...!" Manav ne ye kahte huye hum dono ko gour se dekha toh meri toh ghiggi hi bandh gayi thi....
Manav thoda ruk kar fir bolne laga," maine ek baar fir wo no. try kiya toh fone tumhare hi gaanv ke 'Sandeep' ne uthaya.. usi se mujhe pata chala ki fone uske bhai 'Dholu' ka hai... Tab mujhe ummeed bandh gayi thi ki kahani ke painch yahin se khul sakte hain... par 'wo' jyada kuchh bata nahi paya.. Maine usko jaanboojh kar kuchh jikar bhi nahi kiya tha... fir bhi.. Police ke pahunchne se pahle hi 'Dholu' ghar se rafuchakkar ho chuka tha....
"Agle din sham ko uss 'master' se maine 'dhang' se poochh taachh ki toh usne kubool liya ki usne Dholu ko bolkar Tarun aur Sonu ko dara dhamka kar 'wo' clip delete karwane ko kaha tha.. par 'wo' unke murder ki baat se saaf mana kar raha hai... Uske anusar souda usne kewal '5000' mein set kiya tha... ab agar uski 'ye' baat agar sach hai toh itna bhi tay hai ki '5000' ke liye koyi kisi ka murder nahi karega... Maine apne saamne hi usko 'Dholu' se usi ke no. se baat karne ko kaha... Uss waqt Dholu ne saaf saaf kaha ki 'iss' maamle mein uska koyi hath nahi hai aur Uss raat Tarun ka khoon hone ke baad toh usne 'iss' pange se apni taang hi kheench li thi...
Uss waqt maine 'master' ko jane ki kahkar uski nigrani ki jimmedari ek police wale ko sounp di... Dholu ka ab tak kuchh pata nahi hai.. aisa lag raha hai ki 'wo' kuchh jyada hi shatir ban'ne ki koshish kar raha hai.. Apne no. se ab 'wo' gine chune no.s par hi baat kar raha hai, jinmein se jyadatar criminals type ke log hain aur unka koyi pata thikana bhi nahi hai.... No. bhi sare anaap shanaap pate thikano par liye gaye hain....Aise hi no.s ko trace karte karte main 'Sonu' tak pahunch gaya hoon.. Jo aaj kal Tarun ka mobile use kar raha hai...!"
"Ohh... iska matlab..." Meenu hatprabh si hokar boli,"Sonu ne Tarun ka..? ... par aapko ye kaise pata chala ki 'wo' Tarun ka mobile use kar raha hai.. aapne usko pakad liya hai kya?"
"Wo sab technical baatein hoti hain.. tum chhodo.. par Samasya yahi hai ki itna sab kuchh pata chalne ke baad bhi mere hath ab tak kuchh nahi laga hai.. Samasya yahi hai ki Dholu aur Sonu lagataar jagah badal rahe hain aur apne 'wo' no.s bahut kam use karte hain.. 'wo' ya toh aapas mein baat karte hain.. ya fir 'Sonu' tumhare ghar fone karne ke liye 'usko' on karta hai....
"Ohh.. Par 'wo' hamare ghar par fone kyun karta hai..." Meenu darr se kaanp si gayi thi...
"Shayad uske paas abhi bhi kuchh hai.. tumhe blackmail karne ke liye!" Manav gahri saans lekar bola...
Meenu ka chehra sann rah gaya.. kuchh der ruk kar wo atak atak kar boli..," Par aapko kaise pata.. 'wo' Sonu hi hai...?"
"Maine unn dono ki baatein suni hain.. fone par.. isiliye.. par jab 'wo' tumhare ghar fone karta hai toh kuchh nahi bolta.. Mujhe pata tha ki yahan se 'aunty ji' hi har baar fone uthati hain.. par maine jaan boojh kar tumse poochha tha...." Manav ne kaha...
"Ab main kya karoon...?" Menu runwasi hokar boli...
"Kuchh jyada nahi.. Sirf uss'se baat karo aur poochho ki 'wo' kya chahta hai.. Fir dekhte hain kya raasta nikal ta hai.... " Manav Meenu ko samjhate huye bola...
Meenu se kuchh kaha nahi gaya.. Achanak usne subakna shuru kar diya aur jald hi Uski subakiyan 'motey motey' aansuon wali bilakh mein badal gayi....
"Tum pagal ho kya? aise kyun kar rahi ho?" Manav khada hokar uske paas aane ko hua.. fir jane kya sochkar beech raaste mein hi thithak gaya...,"Ab.. bus bhi karo Meenu... main sab theek kar doonga..."
Par Meenu par uski Shantwana ka 'itna' sa bhi asar nahi hua... wah yunhi bilakhti huyi boli," Mummy papa ka kya hoga..? agar unko iss baare mein...... kuchh bhi pata chala toh..... 'wo' toh jaan de denge apni... Main kya karoon...ab?"
"Offo.. ab bus bhi karo.. Unko kuchh pata nahi lagega... bus ek baar tum ye pata karo ki 'wo' chahta kya hai..? jahan tak mera khayal hai.. 'wo' tumhe kahin na kahin milne ko kahega.. aur samajh lo tabhi hamara kaam ho jayega....!" Manav aakar uske paas baitha toh Meenu thodi si meri taraf khisak aayi....," Par main uss'se baat karoongi.. tab toh ghar waalon ko pata lag hi jayega na!"
"Uska bhi ilaaj hai.. tum ghar wale fone se nahi... iss no. se baat karogi..." Manav ne apni jeb se ek mobile nikala aur Meenu ko de diya... Main toh Manav ki iss inayat ka matlab turant samajh gayi thi... Meenu pata nahi kuchh samjhi ki nahi.. Usne mobile chupchap hath mein pakad liya aur Manav ki aur dekhne lagi..,"Par.. iss no. ka usko kaise pata lagega.. wo toh ghar par hi phone karega na...?"
" Iss mobile mein maine uska no. feed kar rakha hai... usko shak nahi hona chahiye ki no. maine tumhe diya hai.. usko bolna ki tumhare ghar ID Caller hai.. usi se tumne ye no. nikala.... aur apne mobile se ye jaan'ne ke liye usko phone kiya hai ki 'wo' koun hai... Ek baar tum uss'se baat kar logi toh wo dobara kabhi 'ghar wale no. par fone nahi karega..." Manav ne usko dilasa di....
"Par usko toh pata hai ki mere paas mobile nahi hai..." Meenu ne bholi soorat bana kar kaha....
"Tum shakal se toh badi samajhdaar lagti ho.."Manav hanste huye bola," Mobile lena koyi badi baat hai kya?"
"Theek hai..." Meenu ne apni aankhein pounchhte huye Manav ko dekh kar kaha...
"OK.. abhi main chalta hoon...!" Kahkar Manav khada ho gaya.. wah bahar nikalne ko hi tha ki tabhi wapis muda..,"Ismein mera bhi no. save kar diya hai maine.. thoda mera bhi khayal rakhna.." Wah khilkhilaya aur bahar chala gaya....
Meenu kuchh der tak sundar se 'mobile' ko niharti rahi aur fir mujhe dekh kar boli," Pagal hai na ye lambu..!"
kramshah......................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
No comments:
Post a Comment