Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--28

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बाली उमर की प्यास पार्ट--28

गतान्क से आगे.............

"क्यूँ? पागल क्यूँ कह रही हो दीदी..?" मैने उसके खिले हुए चेहरे को देख कर पूचछा...

"और नही तो क्या! पागल ही है.. कितना अच्च्छा मोबाइल दे गया... फ्री में.. हे हे हे.." मीनू खुश होकर बोली...

तभी पिंकी नीचे आ टाप्की.. शायद 'वो' गाड़ी' के चलने की आवाज़ सुनकर नीचे आई होगी.. मीनू के हाथ में मोबाइल देख कर उसने आस्चर्य से आँखें फाड़ते हुए अपने मुँह पर हाथ रख लिया..,"हाआआआआआ.... दीदी....!!! दिखाना एक बार..!"

"क्या?" मीनू ने पिंकी की नज़रों की सीध जब मोबाइल पर बँधी दिखी तो उसने तुरंत मोबाइल वाला हाथ अपनी कमर के पिछे छिपा लिया.. "नही.. ये तेरे काम की चीज़ नही है!"

"दिखा दो ना प्लीज़.. सिर्फ़ एक बार दीदी..!" पिंकी गिड़गिदते हुए बोली...

"बोला ना तेरे काम का नही है.... चुपचाप अपना काम कर'ले!" मीनू ने तपाक से अपना पिच्छला जवाब दोहरा दिया...

प्यार से काम ना बनते देख पिंकी ने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया...,"ठीक है फिर.. आने दो मम्मी को..!" पिंकी आँखें तरेर कर बोली...,"मैं तो उनके आते ही बोल दूँगी कि 'लंबू' मोबाइल देकर गया है आपकी 'शरीफ' सी बेटी को.. हाआँ!"

"ले.. मर ले...!" मीनू ने मुँह चढ़ा कर मोबाइल पिंकी के हाथ में थमा दिया..," तू तो हमेशा उल्टा ही सोचती है.. उन्होने फोन किसी खास काम के लिए दिया है.. एक दो दिन के लिए.. समझी!"

मोबाइल हाथ में लेते ही पिंकी का चेहरा खिल गया.. वह मीनू की बातों को अनसुना करके मोबाइल के बटन दबाने लगी.. कुच्छ देर यूँही मोबाइल में मस्ती से डूबी रहने के बाद वह अचानक खिलखिला उठी...,"हा हा हा हा हा... देखो अंजू.. क्या लिखा है..!" कहकर उसने मीनू से बचाकर मोबाइल का स्क्रीन मेरी आँखों के सामने कर दिया...

मेरी समझ में आते ही मेरी भी हँसी छ्छूट गयी.. कॉंटॅक्ट लिस्ट में दो ही नाम थे.. एक 'स' करके था और दूसरा 'लंबू!' मीनू ने तुरंत उसके हाथ से मोबाइल झपट लिया और 'लंबू' लिखा देख 'वह' खिज सी गयी..," तुम सबने तो मेरा 'मज़ाक' ही बना लिया.."

अगले ही पल मीनू सीरीयस हो गयी..," 'स' तो सोनू ही होगा... है ना?"

"हां.. वही होना चाहिए.. मिला कर देखो ना अभी.." मैने कहा...

"कौन सोनू दीदी?" पिंकी भी हमारा चेहरा देख कर सीरीयस होते हुए बोली...

" मैं बाद में सब बता दूँगी.. एक मिनिट चुप हो जा..." मीनू ने कहा और हम दोनो को चुप रहने का इशारा करने के बाद मीनू ने 'स' वाले नंबर. पर कॉल कर दी.. हम दोनो शांत होकर मीनू के चेहरे की ओर देखने लगे...

"काट रहा है बार बार...!" मीनू ने तीन चार बार ट्राइ करने के बाद हमें देख कर कहा....

"अंजान नंबर. होने की वजह से नही उठा रहा होगा दीदी.. आप एक बार घर वाले नंबर. से कॉल करके कह दो..." मैने आइडिया दिया...

"हाँ.. ये ठीक रहेगा.. पर मैं बोलूँगी क्या?" मीनू का चेहरा उतर गया...

"आपको क्या बोलना है? आप बस बता देना कि आप मीनू हो.. बाकी तो वो खुद ही बोल लेगा जो बोलना है... और हाँ.. ये बताना मत भूलना कि आपने उसका नंबर. कहाँ से लिया है.. इनस्पेक्टर ने समझाया था ना आपको!" मैने कहा...

"हाँ.. तुम यहीं रूको.. मैं उपर से उसको फोन करके आती हूँ..." मीनू बोलकर उठी ही थी कि मोबाइल पर कॉल आ गयी.. मीनू ने हड़बड़ा कर मोबाइल को देखा और बोली..,"पता नही किसका है?"

"उसी का होगा दीदी.. दूसरे नंबर. से किया होगा.. जानबूझ कर...!" मैने उच्छल कर कहा...

"ष्ह्ह्ह्ह्ह..." मीनू ने एक बार फिर हमें चुप रहने को कहा और कॉल रिसीव कर ली..

"आप कौन?" मीनू ने सामने वेल की आवाज़ सुनते ही पूचछा.... हमें उधर से आ रही आवाज़ सुनाई नही दे रही थी...

"जी..? सुनील तो यहाँ कोई नही है....! आप कौन बोल रही हैं..?"

"हाँ.. रॉंग नंबर. ही लग गया होगा...!" मीनू ने आगे कहा...

"मैं तो मीनू...ओह्ह्ह..." अपना नाम बताने के बाद मीनू को लगा कि उसको नाम नही बताना चाहिए था.. उसने तुरंत फोन काट दिया..," कोई लड़की किसी सुनील को पूच्छ रही थी... मैने अपना नाम बता दिया खंख़्वाह..."

इस'से पहले हम दोनो में से कोई प्रतिक्रिया देती.. एक बार फिर मोबाइल की घंटी बज उठी... इस बार नंबर. देख कर मीनू चौंक गयी...,"सोनू का है.. ! चुप हो जाओ दोनो..!" मीनू ने कहा और फोन उठा लिया...,"हेलो...!"

"ज्जई.. आप कौन बोल रहे हो..?" मीनू ने इस बार समझदारी से काम लिया...

"हाँ.. फोन तो मैने ही किया था.. पर आपने हमारे घर वाले नंबर. पर कॉल की हुई हैं.. इसीलिए मैं..." मीनू बोलते बोलते चुप हो गयी...

"हां.. म्मे.. मीनू बोल रही हूँ.. तुम कौन हो..?"

अगले ही पल मीनू की खड़े खड़े टांगे काँपने लगी..,"प्पर.. तुम हो कौन?"

"नही.. सब झूठ है.. तुम हो कौन..?" अचानक मीनू के चेहरे पर भय सपस्ट नज़र आने लगा था...

"ट्तुम.. प्लीज़ ऐसी बातें मत करो...म्मै.. मैं.." मीनू ने अपनी बात पूरी किए बिना ही फोन काट दिया... और चारपाई पर बैठ कर अपना चेहरा घुटनो में छुपा कर रोने लगी... फोन उसने चारपाई पर पटक दिया...

"क्या हुआ दीदी..? कौन था..?" हम दोनो उठकर मीनू के पास चले गये...

"पता नही...." मीनू सुबक्ते हुए ही बोली..," नाम नही बता रहा.."

"पर आप रो क्यूँ रही हो..?" मैने मीनू की बाँह पकड़ कर प्यार से पूचछा...

"ववो.. गंदी गंदी बातें बोल रहा है.. मेरे बारे में..!" और मीनू बिलख उठी...

"बस करो आप.. आप ऐसा करोगे तो इनस्पेक्टर वाला काम कैसे होगा... हमें 'यही' तो पता करना है कि 'वो' चाहता क्या है...!" मैने बोला ही था कि एक बार फिर उसी नंबर. से फोन आ गया...

"आप कैसे भी करके उस'से बात तो करो...!" मैने मोबाइल उठाकर मीनू को देने की कोशिश की...

"नही.. मुझसे ऐसी बात सुनी नही जाएँगी.. मैं नही कर सकती उस'से बात...!" मीनू ने फोन पकड़ने से इनकार कर दिया....

"एक काम करें दीदी! मैं 'मीनू' बनकर बात करूँ इस'से..." मैने कहा..

"हाँ... ठीक है.. तू ही करले बात!" मीनू की जान में जान आई...

मैं फोन लेकर कमरे के कोने की तरफ चली गयी.. मैं फोन मिलाने ही वाली थी की उसी का फोन आ गया.. मैने कॉल अटेंड करके गला सॉफ किया," हेलो!"

"कौन?" उधर से आवाज़ आई...

"म्मै ही हूँ.. मीनू!" मैने कहते हुए मीनू के चेहरे की और देखा.. पिंकी ने मीनू के गलें में बाँह डाल रखी थी और दोनो साँस रोके मुझे ही देख रही थी...

"फोन क्यूँ काट दिया था साली?" उधर से मुझे आवाज़ सुनाई दी...

"ववो.. आप.. वो.. कोई आ गया था नीचे..!" मैने धीमे स्वर में जवाब दिया...

"अभी किधर है तू?" उसने पूचछा..

"घर पर ही हूँ.. नीचे!" मैने कहा...

"और बाकी?"

च.. मम्मी पापा खेत में गये हैं.. एम्म पिंकी उपर है.." मेरे मुँह से मीनू निकलते निकलते रह गया..

"ये नंबर. किसने दिया..? कोई नया यार बना लिया क्या?" मुझे उसकी बात के साथ ही एक लड़की के हँसने की आवाज़ आई...

"प्प.. पापा लाए हैं.. मेरे लिए...!" मैने कहा..

"चलो ठीक ही किया.. तेरे जैसे 'माल' के पास तो मोबाइल होना ही चाहिए... 'वो' तेरी चूत की फोटो है मेरे पास.. क्या मक्खन मलाई जैसा 'पीस' है...! एक दम तेरे होंटो के जैसी है..." उसने कहा तो मेरी नज़रें एक पल के लिए मीनू के 'होंटो' पर ठहर गयी...

"क्कऔन हो तुम?" मैने पूचछा...

"तू छ्चोड़ इस बात को.. ये बता कब दे रही है?" उसने मेरे सवाल को नज़रअंदाज करते हुए पूचछा...

"क्या?" मैने अंजाने में ही पूच्छ लिया....

"तेरी चूत, और क्या साली? कब से मेरा लौदा तेरी चूत को चीरने के लिए फड़फदा रहा है.. रोज़ तेरी चूत की फोटो देख कर ही 'मूठ' मारता हूँ.. अब ज़्यादा बना मत.. बता कब दे रही है...?"

"म्‍मैइन.. नही... तुम..!" उसकी रंगीन बातें सुन कर मेरी 'योनि' सच में ही चिकनी हो गयी थी.. मैं हड़बड़कर कुच्छ और ही बोलती.. इस'से पहले ही मेरे कानो में उसकी कड़क आवाज़ मुझे सुनाई दी..

"चूतिया मत बना अब... तेरी चूत और गांद दोनो मारनी हैं मुझे... अगर इनकार करेगी तो तुझे 'बाज़ारू' बना दूँगा मैं... मेरे पास 'तेरी चूत' के फ़ोटॉं हैं.. एक मैं तेरा चेहरा भी सॉफ नज़र आ रहा है... अब तेरी मर्ज़ी है.. 'बोल' क्या चाहती है तू.. यहाँ तो सिर्फ़ मुझसे गांद मरवाने में तेरा काम चल रहा है.. अगर तू नही मानी तो 'गाँव के सभी लड़के तेरी चूत देख देख कर 'मूठ' मारेंगे और 'बुड्ढे' उस पर थूकेंगे.. हा हा हा... समझ में आई बात?"

"ववो.. म्‍मैइन.. थोड़ी देर बाद फोन करूँगी..!" मैने आनमने मंन से मीनू और पिंकी को देख कर कहा..

"सुन.. मेसेज कर देना.. खाली होते ही.. फोन मत करना इस पर.. और किसी भी नंबर. से फोन करूँ.. उठा कर देख लेना... अच्छि तरह सोच कर बता देना.. बाकी तुझे ये कहने की तो ज़रूरत ही नही कि किसी को बताना मत.. तू खुद समझदार है..!" उसने कहा और फोन काट दिया...

"क्या कह रहा था 'वो'?" मीनू ने डरते डरते पूचछा...

"कुच्छ नही.." मैने पिंकी की और देखा और बोली..,"बाद में बताउन्गि...!"

"गंदा बोल रहा था ना...?" मीनू ने मरी सी आवाज़ में पूचछा...

"हां.. बाद में फोन करने को कहा है मैने...!" मैने कहा...

"तू ही कर लेना प्लीज़ बात.. मुझसे नही होंगी.. 'काम' बताया उसने क्यूँ फोन कर रहा है...?" मीनू के मंन में पहले ही हड़कंप सा मचा हुआ था...

"हां..." मैने मायूसी से उसकी और देखते हुए कहा..," उसके पास 'आपके' फोटो हैं...!"

मीनू सहम सी गयी..,"क्कऔन है 'वो'?"

"बताया ही नही उसने.. मैने पूचछा तो था...!" मैने कहा...

"वो हरमज़दा 'सोनू' ही होगा..." मीनू ने मंन ही मंन उसको कोसते हुए कहा...

"पर उसके साथ तो 'कोई' लड़की भी है...?" मैने कहा...

"होगी कोई.. कुतिया!"

"अब मुझे भी बताओ ना क्या बात है?" पिंकी छ्ट-पटाते हुए सी बोली....

"चलो.. उपर चलते हैं..." मीनू नीरस चेहरा लिए उठ खड़ी हुई और बहके बहके से कदमों से उपर चढ़ने लगी.. हम भी उसके पिछे पिछे हो लिए... मैं सोनू से दोबारा बात करने के लिए मरी जा रही थी.. पर 'अब' मैं सारी बातें अकेले में करना चाहती थी.....

हम तीनो ने मिलकर सारी स्थिति पर विचार करने के बाद यही फ़ैसला किया कि हमें मानव को सारी बात बता देनी चाहिए.. पर मीनू ने तब तक ऐसा नही किया जब तक हम उसको अकेला छ्चोड़ कर नीचे नही आ गये... हमारे नीचे आने के करीब 15 मिनिट बाद वह भी नीचे आ गयी.. मानव से बात करने के बाद उसमें हल्की सी हिम्मत आ गयी थी..,

" उसने कहा है कि मैं अपनी तरफ से उसके बारे में जान'ने की जल्दबाज़ी ना दिखाउ.. उसकी सारी बातें सुनू.. और अगर वह मिलने के बारे में कहे तो ना-नुकुर करूँ.. ताकि उसके मंन में किसी तरह का शक पैदा ना हो... एक दो दिन तक ऐसे ही चलने दूँ.. उसने कहा है कि 'वो' इन्न एक दो दिन के अंदर ही उसको पकड़ने की पूरी कोशिश करेगा..."

"पर दीदी, आपको ये भी तो बताना चाहिए था कि उसने उस मोबाइल पर फोन करने से मना किया है..!" मैने कहा...

"हां.. मैने बता दिया.. कोई दिक्कत नही है.. पर उसने बोला है कि हम इस फोने से ही बात करें बस!" मीनू ने जवाब दिया...

"आपने ये बताया की फोन पर मैं बात करूँगी.. आपकी जगह?" मैने उत्सुकता से पूचछा...

"नही.. मैने ज़रूरी नही समझा.. इस'से क्या फ़र्क़ पड़ता है.. 'वो' तो तुम्हे ही 'मीनू' समझ रहा है ना..." मीनू ने कहा तो मैने स्वीकृति में सिर हिलाया..,"हां.. ये तो है.. "

"शिखा के घर चलें पिंकी..?" मैने पिंकी से पूचछा...

"नही.. और तुम्हे भी नही जाना!" पिंकी ने मुझ पर अधिकार सा जताते हुए बोला.. बड़ी प्यारी लग रही थी वो ऐसा बोलते हुए...

"पर क्यूँ? शिखा आ तो गयी है..." मैने फिर कहा...

"मैने बोल दिया ना.. उसको काम होगा तो वो खुद आ जाएगी.. हम नही जाएँगे ऐसे 'गंदे' लोगों के घर...!" पिंकी ने तपाक से जवाब दिया...

"ठीक है.. मैं घर जा रही हूँ.. रात को आउन्गि..!" मैने कहा और उठ खड़ी हुई...

"मैं भी चालूंगी..!" पिंकी ने तुरंत कहा...

"अभी एक पेपर बाकी है पिंकी.. थोड़ा बहुत तो पढ़ ले...!" मीनू ने मुझे मोबाइल पकड़ते हुए कहा....

"कल तो फिज़िकल का पेपर है दीदी.. उसमें भी क्या पढ़ना!.." पिंकी ने कहा और मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया..,"चलो!"

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घर पहुँचे तो वहाँ सिर्फ़ 'छोटू' और मम्मी ही थे.. मम्मी पिंकी को देखते ही हंसते हुए बोली... अंजू को तो लगता है तुमने गोद ले लिया.. अब तो ये वहीं रहती है...!"

"मम्मी कहती हैं कि मीनू और अंजलि बहने लगती हैं.. दोनो एक जैसी सुंदर हैं.. मैं क्या सुन्दर नही हूँ चाची...!" पिंकी मम्मी के पास बैठ कर बोली...

"कौन कहता है मेरी बेटी सुन्दर नही है..?" मम्मी पिंकी को दुलर्ते हुए बोली..,"तू तो इन्न दोनो से सुन्दर है..!" मम्मी ने पिंकी को गले लगाया तो पिंकी का चेहरा खिल उठा..,"सच चाची?"

"और नही तो क्या झूठ बोल रही हूँ मैं.. ऐसा करती हूँ.. मैं अंजलि देकर तुझे रख लेती हूँ.. तू सच में बहुत प्यारी है...!" मम्मी ने उस'से अलग होते हुए कहा....

"चाची.. मैं अब शहर में कंप्यूटर सीखने जवँगी.. आप अंजू को भी मेरे साथ भेज दिया करोगे ना....?" पिंकी मौका ताड़ कर बोली...

"इस बारे में तेरे चाचा से बात करना बेटी.. मैं कुच्छ नही कह सकती..." मम्मी ने साफ साफ जवाब दे दिया...

"मम्मी.. हम नीचे बैठे हैं..!" मैने मम्मी को बोला और पिंकी को इशारे से अपने साथ नीचे बुला लिया... मम्मी कुच्छ नही बोली और अपना काम करती रही...

नीचे आते ही मैने मोबाइल ऑन किया तो उस पर एक मेसेज आया हुआ था..' कॉल मी ऑन दिस नंबर. मीनू!'

"ये किसका नंबर. है?" मैं अंजान नंबर. देख कर सोच में पड़ गयी...

"उसी का होगा ज़रूर.. मिला कर देखो...!" पिंकी तुरंत बोल पड़ी...

"नही.. अभी नही.. मैं बाद में मिला लूँगी..." मैने कहा...

"क्यूँ..? अभी क्यूँ नही..?" पिंकी मुझे घूरते हुए बोली...

"ववो.... पिंकी.. वो उल्टी सीधी बातें करता है... तुम्हारे सामने में नही करूँगी बात....!" मैने जवाब दिया...

"मिलाओ ना प्लीज़.. मैं कुच्छ नही बोलूँगी.. तुम्हारी कसम.. अभी मिलाओ...!"

"वो बात नही है पिंकी.. 'वो' बहुत गंदी बातें करता है.. तुम्हे अच्च्छा नही लगेगा..." मैने कहा...

पिंकी कुच्छ देर चुपचाप मेरे पास बैठी रही.. फिर अचानक उसको कुच्छ ध्यान आया..,"तुम सुबह क्या बोल रही थी?"

"क्या?" मुझे कुच्छ ध्यान नही आया..

"वही.. हॅरी के बारे में...!"

"अरे.. वो तो मैं यूँही मज़ाक कर रही थी... छ्चोड़ उस बात को..." मैं टालते हुए बोली... अब मेरे पास करने के लिए 'ज़्यादा' मजेदार 'काम' था....

"नही.. हमारी शर्त लगी है.. तुम्हे अपनी बात सही करके दिखानी ही पड़ेगी...!" पिंकी तुनक्ते हुए बोली...

"छ्चोड़ ना.. क्यूँ बेचारे को... हे हे हे..." मैं अपनी बात बीच में ही छ्चोड़ कर हँसने लगी....

"नही.. मैं देखना चाहती हूँ कि 'वो' भी दूसरों के जैसा निकलता है या नही....!"

"ठीक है... पहले ये काम तो हो जाने दो... देख लेना...!"

"तो करो फोन... अभी के अभी...!"

"कहाँ..?"

"सोनू के पास... मैं भी सुनूँगी...!" पिंकी का व्यवहार मेरे लिए अविश्वसनीय था...

"पिंकी..! वो बहुत गंदी बात करता है.." मैने उसको चेतावनी दी....

"कोई बात नही.. मैं भी सुनूँगी....!" पिंकी अपनी बात पर आड़ गयी......

"देख लो.. मुझे उसकी सारी बातें सुन'नि पड़ेंगी.. बाद में मुझे कुच्छ बोलना मत.." मैने आख़िरी बार पूचछा.....

"ठीक है.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ.." पिंकी ने जाकर दरवाजे की कुण्डी लगा दी और मेरे पास वापस आकर बोली..,"हॅंडफ्री कर लो...!"

मेरे मंन में धक धक सी हो रही थी.. पता नही पिंकी उसकी बात सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दे.. पर अब मुझे उतना भी डर नही लग रहा था.. मैने नंबर. डाइयल करके फोन को हॅंडस्फ्री कर दिया... नंबर. डाइयल करने के बाद मुझे ही पहले बोलना पड़ा..,"हेलो!"

"कौन?" उधर से सोनू की आवाज़ आई...

"मैं......... मीनू!" मैने जवाब दिया..

"क्या हाल हैं मेरी जान!" उसने बेशर्मी से कहा.. मैने पिंकी की आँखों में देखा.. पर कुच्छ बोली नही...

"आज के बाद में तुम्हे इसी नंबर. से फोन करूँगा... ये मेरा नया नंबर. है....!" सोनू ने कहा...

"ठीक है..!" मेरे मुँह से निकला...

"अब बताओ.. क्या सोचा..?" उसने आगे कहा..

"क्या..? एमेम.. मेरा मतलब.. किस बारे में... ?" मैने एक बार फिर पिंकी को देख कर कहा...

"भाई.. एक मिनिट रोक गाड़ी.." सोनू ने गुस्से से कहा और कुच्छ देर बाद फिर से उसकी आवाज़ फोन पर उभरी..,"साली.. तेरी मा चोद दूँगा मैं... कितनी बार बोलूं अब... साफ साफ बता तूने क्या सोचा..?

मैने हड़बड़ा कर पिंकी की ओर देखा.. उसका चेहरा तमतमा सा गया था..

"पर.. तुम हो कौन? ये तो बता दो प्लीज़..." मैने कहा...

"बेहन की लौदी.. इस'से तुम्हे क्या मतलब है...? तू बस इतना समझ ले कि मेरा लौदा तरुण के लंड से मोटा भी है और लंबा भी... एक बार तेरी मक्खन जैसी चूत में फँस गया तो जिंदगी भर बाहर निकालने को नही बोलॉगी.. जल्दी बोलो तुमने सोचा क्या है..? मेरे पास फालतू का टाइम नही है....."

सोनू की बात पूरी होने से पहले ही पिंकी चुपचाप उठकर कमरे से बाहर चली गयी थी.. मैने दरवाजा बंद किया और वापस चारपाई पर आकर लेट गयी....," प्पर.. म्मै तो आजकल कॉलेज भी नही आती..!" मैने चदडार से अपने आपको ढक लिया....

"वो सब तो मैं देख लूँगा.. पहले ये तो बताओ तुम तैयार हो या मैं तुम्हारी फोटो गाँव की गलियों में चिपका दूं...!"

हाए राम.. मैं तो कब की तैयार ही थी... पर प्लान के हिसाब से चलना ज़रूरी था..," नही.. प्लीज़.. ऐसा मत करना... जैसा तुम कहोगे.. मैं वैसा ही करने को तैयार हूँ.... पर.. तुम्हे.. बुरा मत मान'ना प्लीज़.. तुम्हे क्या मिलेगा इस'से...?"

"मैं पाँच मिनिट में ठिकाने पर जाकर फोन करता हून..." सोनू ने कहा और अचानक फोने काट दिया.. मैने देखा.. 'लंबू' के नाम से 7 मिस्ड कॉल्स आई हुई थी..... मैं घर से निकली और भागी भागी मीनू के पास पहुँची.. पिंकी उसके साथ ही बैठी थी..

"दीदी.. वो.. मानव का फोन आ रहा है...! हॅंडस्फ्री कर लेना.." मैने मोबाइल मीनू को पकड़ा दिया... अब भी मानव की कॉल आ रही थी.. मीनू ने बिना मेरी बात सुने कॉल रिसीव करके उसको कान से लगा लिया....,"हेलो सर..!"

"क्या?" मीनू आस्चर्य से बोली.. और हॅंडस्फ्री कर लिया..,"तो कौन है 'वो?"

"पता नही.. पर आज 'सोनू' की लाश नदी से मिली है.. उसका खून तो हफ़्ता भर पहले ही हो गया लगता है...!"

हम सब की आँखें फटी की फटी रह गयी... तीनो हैरान सी एक दूसरी की आँखों में देखने लगी....

"सुनो!" मानव की आवाज़ फोन पर उभरी..,"मामला इतना हल्का नही है.. जितना मैं सोच रहा था.. तुम उस'से फिलहाल बात करना बंद कर दो.. कातिल बहुत शातिर है.. हमें उसके सामने आकर ग़लती करने का इंतजार करना पड़ेगा..!अब तक हम उसकी लोकेशन तक ट्रेस नही कर सकें हैं... अभी रखता हूँ.. बाद में फोन करूँगा...."

"एक मिनिट.. कुच्छ बताओ तो क्या हुआ? और सोनू मर गया है तो ये कौन है जो फोन कर रहा है...?" मीनू ने हड़बड़ा कर पूछा...

"निसचीत तौर पर अभी कुच्छ नही कह सकता.. पर जहाँ तक अंदाज़ा लगाने का सवाल है.. ढोलू और ये 'नया' सोनू ही उन्न दोनो के कातिल हैं... मैं आज ही 'मास्टर' को फिर से उठवा रहा हूँ.. पर जब तक 'ढोलू' गिरफ्तार नही हो जाता.. ये गुत्थी सुलझनी मुश्किल है...!" उधर से मानव की आवाज़ आई...

"म्मै.. उसके दूसरे दोस्तों के नाम बताउ? अगर उनमें से किसी को..." मीनू बोल ही रही थी कि मानव ने बीच में ही टोक दिया..,"नही.. मैं कॉलेज और गाँव में उनके हर दोस्त को खंगाल चुका हूँ... पर उनमें से किसी को कुच्छ नही पता... वैसे भी यह किसी कॉलेज टाइप लड़के का काम नही है.. जो भी है.. 'वो' हद से ज़्यादा चालाकी बरत रहा है... अब तो मैं पहले ढोलू को पकड़ने पर दिमाग़ खराब कर रहा हूँ.. वहीं से उसकी पूंच्छ हाथ में आएगी...!"

"ढोलू को मैं पकड़वा सकती हूँ..." मेरे मुँह से अचानक निकल गया.. और शायद मानव को सुन भी गया...,"ये कौन है?"

"अंजू!" मीनू ने कहा...

"फोन देना एक बार इसको..!" मानव की आवाज़ उभरी...

"ज्जई..." मैं बोली....

"तुम कैसे पकड़वा सकती हो उसको...?" मानव ने पूचछा....

"ज्जई.. पक्का नही है.. पर मुझे विश्वास है कि मैं उसको पकड़वा सकती हूँ..!" अब मैं अपनी बात से पिछे कैसे हट'ती...

"पर कैसे?" मानव खिसिया कर बोला...

"मैं उसको बुला सकती हूँ...!" मैने कहा...

"हे भाग.. ओहूऊ.." शायद मानव मेरी बात समझ गया...," पर 'वो' इतना पागल नही है कि तुम्हारे बुलाने पर गाँव में आ जाएगा... उसको अच्छि तरह मालूम है कि गाँव में घुसते ही 'वो' मेरी चपेट में आ जाएगा.... तुम शहर आ सकती हो क्या?"

"कल मेरा पेपर है...! उसके बाद... मीनू पूच्छ लेगी पापा से...!" मैने कहा...

"उसका नंबर... तुम कहाँ से लॉगी.. उसने तो नंबर. बदल रखा है... तुम फोन करोगी तो उसको शक होगा... नही.. ये प्लान काम का नही है.. वो तुम्हारे लालच में अपनी जिंदगी दाँव पर नही लगाएगा...!" मानव ने कहा तो मुझे लगा जैसे 'वो' मेरे अल्हड़ यौवन को गाली दे रहा है...

"वो आप मुझ पर छ्चोड़ दो.. नंबर. मैं संदीप से ले लूँगी.. और ढोलू के पास उसी के फोन से एक बार फोन भी कर लूँगी...!" मैने ज़ोर देकर कहा....

"तुम्हे तो अब तक पोलीस में भरती हो जाना चाहिए था.." मानव ने व्यंग्य सा किया..," पर संदीप तुम्हे नंबर. क्यूँ देगा भला..."

"मैने कह दिया ना कि ले लूँगी मैं.... आपको कल तक मैं ही उसका नंबर. दे दूँगी.. और बोलो...!" मैने अकड़ कर कहा...

"तुम तो पोलीस वालों की भी कुच्छ लगती हो.. ठीक है.. पहले मुझे ढोलू का नंबर. पता करके दिखाओ.. अगर ऐसा हो गया तो शायद 'ढोलू' तुम्हारे जाल में फँस ही जाए...." मानव की आवाज़ में उम्मीद सी लगी....

"ठीक है.. आज रात तक ही उसका नंबर. आपको ला दूँगी...!" इस बात से बेख़बर कि मानव सब समझ रहा है कि मैं क्या देकर नंबर. लाउन्गि; मेरी आवाज़ में रौब सा था....

"ठीक है.. नंबर. मिलते ही मुझे कॉल करना!.. एक बार मीनू को फोन देना....!" मानव ने कहा तो मीनू बोल पड़ी..,"जी..!"

"देखो ना.. ये लड़की कितनी समझदार है.. तुम भी तो कुच्छ समझो ना यार.. मेरे दिल की बात...!" मानव ने रोमॅंटिक अंदाज में कहा तो मीनू के गालों पर लाली आ गयी.. हॅंडस्फ्री बंद करना उसको ध्यान नही रहा था.. और अब उसका चेहरा देखने लायक था..,"लंबू!" मीनू ने कहा और झट से फोन काट दिया.....

"पता नही क्या बना रहता है...?" मीनू ने अपने गालों को पिचका कर कहा तो मैं और पिंकी खिलखिला कर हंस पड़े....

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"मुझे संदीप के पास जाना पड़ेगा...!" मैने बोल कर पिंकी के चेहरे की ओर देखा... पिंकी अजीब सी नज़रों से मुझे देखती रही.. पर अब उसके पास 'ना' कहने का कोई बहाना बचा नही था... वो कुच्छ नही बोली...

"तुम भी चल रही हो क्या?" मैने दोनो से पूचछा....

"चलो.. शिखा दीदी से भी मिल लेंगे..." कहकर दोनो खड़ी हो गयी.....

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"शिखा!" संदीप के घर के बाहर जाकर मीनू ने आवाज़ लगाई तो उपर से उसकी आवाज़ आई...,"कौन?"

आवाज़ पहचान कर हम तीनो उपर चले गये... हमको देखते ही शिखा के पास बैठा पढ़ रहा संदीप 'वहाँ' से खिसक कर कमरे में भाग गया..

"देखो कैसे भाग गया..? इतना शर्मिला है ये भोन्दु!" शिखा हंसते हुए बोली..,"बैठो यार!"

"हाँ.. वो तो है..!" जवाब मीनू ने दिया.. मैं पिंकी के कारण कुच्छ बोल नही पाई...

"भैया भाभी नही हैं क्या?" नालयक मीनू ने बैठते ही काम की बात छेड़ दी...

"भाभी तो मायके में ही हैं.. 'ढोलू' का कुच्छ पता नही.. पोलीस भी आ चुकी है 2 3 बार घर पर...

"क्यूँ?" मीनू ने यहाँ समझदारी की बात कर दी.. अंजान बने रहकर...!

"वो कह रहे हैं कि तरुण के मामले में पूचहताच्छ करनी है.. अब 10 नंबारी होने के बाद तो पोलीस ऐसे ही उठाती है.. बात बात पर.. इसीलिए कहीं छिप गया होगा भाग कर... वैसे वो तो अगले दिन शाम तक भी यहीं था.. उसके किसी दोस्त ने फोन कर दिया.. तब भागा है यहाँ से...." शिखा मायूस सी दिखने लगी...

"श...वो सोनू.." मीनू कुच्छ बोलने वाली थी कि मैने पहले ही बोल दिया..," सोनू भी गायब है काई दिन से.. कुच्छ पता लगा क्या?" मेरे बोलते ही मीनू ने इस तरह मुझे देखा जैसे थॅंक्स बोल रही हो.. वो कुच्छ और ही बताने वाली थी...

"नही उसका भी कुच्छ पता नही... घर वालों को तो उसकी चिंता हो रही है.. कहीं.. मैं चाय बनाकर लाती हूँ.. तुम बैठो...!" शिखा उठकर खड़ी हुई तो मैं मौका देख कर अंदर संदीप के पास जा पहुँची....,"क्या कर रहे हो..?"

"मरवावगी क्या मुझे..? निकलो यहाँ से...!" संदीप मुझे देख कर आहिस्ता से बोला...

"मुझे 'वो' करना है.. मेरे नीचे खुजली सी हो रही है संदीप.. क्या करूँ?" मैने बेशर्मी से अपनी सलवार पर हाथ रख के कहा...

"कहा ना जाओ यहाँ से.. पिंकी भड़क गयी तो अभी शिखा को बोल देगी..." संदीप मेरी चूचियो को घूरता हुआ अपनी जांघों के बीच मसल्ने लगा....

"चली जाउन्गि.. पर मेरा क्या होगा.. अब.. तुमने ये कैसी आग लगा दी...!" मैने तड़प कर कहा.. पर मेरी तड़प 'आक्टिंग' नही थी....

संदीप ने कमरे के बाहर देखा और जल्दी से अपना हाथ से मेरी सलवार के उपर से ही एक बार मेरी योनि की फांकों को टटोल कर वापस खींच लिया..,"हाए.. क्या करूँ जान.. तड़प तो मैं भी रहा हूँ.. कहते हैं कि दूसरी बार करने में ही असली मज़े आते हैं.. पर अब नही हो सकता.. दीदी सारा दिन यहीं रहती हैं.. और एक दो दिन में भाभी भी आ जाएँगी...."

"चौपाल में आ जाओ ना.. 2 घंटे बाद!" मैने खुद ही रास्ता निकाला...

"क्या? " खुशी से संदीप की बाँच्चें खिल गयी..,"ये तो मैने सोचा ही नही था.. तुम पक्का आ जाओगी ना...?"

"हाँ.. तुझे नही पता मेरी ये अब सारा दिन गीली रहती है... मैं पक्का आ जाउन्गि.. 9 बजे...!"

"थॅंक यू जान.. मज़े हो जाएँगे अब तो...!" संदीप ने खुश होकर एक बार और मेरी योनि की दरार को कुरेद दिया...

"आहह... " मैं सिसक उठी..,"वो.. वो फोन दे दो जो ढोलू ने मुझे दिया था...!" मैने कहा..," मैं फोन कर दूँगी तुम्हे...!"

"पर.. वो तो नही है... अब! ढोलू पूच्छ रहा था तुमने वापस क्यूँ किया...?"

"ववो.. तब मुझे डर लग रहा था... दे दो ना प्लीज़..!" मैने याचना सी करते हुए कहा...

"सच कह रहा हूँ.. मेरे पास नही है 'वो'.. ढोलू ने उसको तालाब में फैंकने को कहा था.. मैने फैंक दिया.. तुम्हारी कसम.... नही तो तुम्हे क्या मना करता...! पर किसी को बताना मत..." संदीप अधीर सा होकर बोला....

"ठीक है.. रात 9 बजे पक्का आ जाओगे ना!" मैने पूचछा....

"तुम्हारी कसम जान.. मैं 9 बजे से पहले ही वहाँ आ जाउन्गा...." संदीप ने कहा और मौका सा देख कर सलवार के कपड़े समेत मेरी योनि के अंदर उंगली ठूंस कर निकाल दी.... मैने उचक कर सिसकी सी ली और उसकी उंगली निकालने के बाद अपनी सलवार का कपड़ा 'योनि' में से निकाला और उसकी और मुस्कुरकर बाहर निकल आई...

मेरे कुच्छ देर बाद ही संदीप कमरे में से निकला और बाथरूम में घुस गया.....


क्रमशः................

gataank se aage........................

"kyun? Pagal kyun kah rahi ho didi..?" Maine uske khile huye chehre ko dekh kar poochha...

"aur nahi toh kya! Pagal hi hai.. Kitna achchha mobile de gaya... free mein.. he he he.." Meenu khush hokar boli...

Tabhi Pinky neeche aaa tapki.. Shayad 'wo' gadi' ke chalne ki aawaj sunkar neeche aayi hogi.. Meenu ke hath mein mobile dekh kar usne aascharya se aankhein faadte huye apne munh par hath rakh liya..,"Haaaaaaaaaaaa.... didi....!!! dikhana ek baar..!"

"Kya?" Meenu ne Pinky ki najron ki seedh jab mobile par bandhi dikhi toh usne turant mobile wala hath apni kamar ke pichhe chhipa liya.. "Nahi.. ye tere kaam ki cheej nahi hai!"

"Dikha do na plz.. sirf ek baar didi..!" Pinky gidgidate huye boli...

"Bola na tere kaam ka nahi hai.... chupchap apna kaam kar'le!" Meenu ne tapak se apna pichhla jawaab dohra diya...

Pyar se kaam na bante dekh Pinky ne girgit ki tarah rang badal liya...,"Theek hai fir.. aane do mummy ko..!" Pinky aankhein tarer kar boli...,"Main toh unke aate hi bol doongi ki 'lambu' mobile dekar gaya hai aapki 'shareef' si beti ko.. haaan!"

"Le.. mar le...!" Meenu ne munh chadha kar mobile Pinky ke hath mein thama diya..," Tu toh hamesha ulta hi sochti hai.. Unhone fone kisi khas kaam ke liye diya hai.. ek do din ke liye.. Samjhi!"

Mobile hath mein lete hi Pinky ka chehra khil gaya.. Wah Meenu ki baaton ko ansuna karke mobile ke button dabane lagi.. kuchh der yunhi mobile mein masti se doobi rahne ke baad wah achanak khilkhila uthi...,"ha ha ha ha ha... dekho Anju.. kya likha hai..!" Kahkar usne Meenu se bachakar mobile ka screen meri aankhon ke saamne kar diya...

Meri samajh mein aate hi meri bhi hansi chhoot gayi.. Contact list mein do hi naam the.. Ek 'S' karke tha aur doosra 'lambu!' Meenu ne turant uske hath se mobile jhapat liya aur 'lambu' likha dekh 'wah' khij si gayi..," Tum sabne toh mera 'majak' hi bana liya.."

Agle hi pal Meenu serious ho gayi..," 'S' toh sonu hi hoga... hai na?"

"Haan.. wahi hona chahiye.. Mila kar dekho na abhi.." Maine kaha...

"Koun Sonu didi?" Pinky bhi hamara chehra dekh kar serious hote huye boli...

" Main baad mein sab bata doongi.. ek minute chup ho ja..." Meenu ne kaha aur hum dono ko chup rahne ka ishara karne ke baad Meenu ne 'S' wale no. par call kar di.. hum dono shant hokar Meenu ke chehre ki aur dekhne lage...

"Kaat raha hai baar baar...!" Meenu ne teen char baar try karne ke baad hamein dekh kar kaha....

"Anjaan no. hone ki wajah se nahi utha raha hoga didi.. aap ek baar ghar wale no. se call karke kah do..." Maine idea diya...

"Haan.. ye theek rahega.. par main bolungi kya?" Meenu ka chehra utar gaya...

"Aapko kya bolna hai? aap bus bata dena ki aap Meenu ho.. baki toh wo khud hi bol lega jo bolna hai... aur haan.. ye batana mat bhoolna ki aapne uska no. kahan se liya hai.. Inspector ne samjhaya tha na aapko!" Maine kaha...

"Haan.. tum yahin ruko.. main upar se usko phone karke aati hoon..." Meenu bolkar uthi hi thi ki mobile par call aa gayi.. Meenu ne hadbada kar mobile ko dekha aur boli..,"Pata nahi kiska hai?"

"Usi ka hoga didi.. dusre no. se kiya hoga.. jaanboojh kar...!" Maine uchhal kar kaha...

"Shhhhhh..." Meenu ne ek baar fir hamein chup rahne ko kaha aur call receive kar li..

"aap koun?" Meenu ne samne wale ki aawaj sunte hi poochha.... Hamein udhar se aa rahi aawaj sunayi nahi de rahi thi...

"Ji..? Sunil toh yahan koyi nahi hai....! aap koun bol rahi hain..?"

"Haan.. wrong no. hi lag gaya hoga...!" Meenu ne aage kaha...

"Main toh Meenu...ohhh..." Apna naam batane ke baad Meenu ko laga ki usko naam nahi batana chahiye tha.. Usne turant fone kaat diya..," Koyi ladki kisi Sunil ko poochh rahi thi... maine apna naam bata diya khamkhwah..."

Iss'se pahle Hum dono mein se koyi pratikriya deti.. Ek baar fir mobile ki ghanti baj uthi... Iss baar no. dekh kar Meenu chounk gayi...,"Sonu ka hai.. ! chup ho jao dono..!" Meenu ne kaha aur fone utha liya...,"Hello...!"

"Jji.. aap koun bol rahe ho..?" Meenu ne iss baar samajhdari se kaam liya...

"Haan.. fone toh maine hi kiya tha.. par aapne hamare ghar wale no. par call ki huyi hain.. isiliye main..." Meenu bolte bolte chup ho gayi...

"Haan.. mmain.. Meenu bol rahi hoon.. tum koun ho..?"

Agle hi pal Meenu ki khade khade taange kaanpne lagi..,"Ppar.. tum ho koun?"

"Nahi.. sab jhooth hai.. tum ho koun..?" Achanak Meenu ke chehre par bhay sapast najar aane laga tha...

"Ttum.. plz aisi baatein mat karo...mmain.. main.." Meenu ne apni baat poori kiye bina hi fone kaat diya... aur charpayi par baith kar apna chehra ghutno mein chhupa kar rone lagi... Phone usne charpayi par patak diya...

"Kya hua didi..? koun tha..?" Hum dono uthkar Meenu ke paas chale gaye...

"Pata nahi...." Meenu subakte huye hi boli..," Naam nahi bata raha.."

"Par aap ro kyun rahi ho..?" Maine Meenu ki baanh pakad kar pyar se poochha...

"Wwo.. gandi gandi baatein bol raha hai.. mere baare mein..!" Aur Meenu bilakh uthi...

"Bus karo aap.. Aap aisa karoge toh Inspector wala kaam kaise hoga... hamein 'yahi' toh pata karna hai ki 'wo' chahta kya hai...!" Maine bola hi tha ki ek baar fir usi no. se phone aa gaya...

"Aap kaise bhi karke uss'se baat toh karo...!" Maine mobile uthakar Meenu ko dene ki koshish ki...

"Nahi.. mujhse aisi baat suni nahi jayengi.. main nahi kar sakti uss'se baat...!" Meenu ne fone pakadne se inkaar kar diya....

"Ek kaam karein didi! Main 'Meenu' bankar baat karoon iss'se..." Maine kaha..

"Haan... theek hai.. tu hi karle baat!" Meenu ki jaan mein jaan aayi...

Main fone lekar kamre ke kone ki taraf chali gayi.. Main fone milane hi wali thi ki usi ka fone aa gaya.. Maine call attend karke gala saaf kiya," Hello!"

"Koun?" Udhar se aawaj aayi...

"mmain hi hoon.. Meenu!" Maine kahte huye Meenu ke chehre ki aur dekha.. Pinky ne Meenu ke galein mein baanh daal rakhi thi aur dono saans roke mujhe hi dekh rahi thi...

"Fone kyun kaat diya tha sali?" Udhar se mujhe aawaj sunayi di...

"wwo.. aap.. wo.. koyi aa gaya tha neeche..!" Maine dheeme swar mein jawab diya...

"Abhi kidhar hai tu?" Usne poochha..

"Ghar par hi hoon.. neeche!" Maine kaha...

"aur baki?"

ch.. Mummy papa khet mein gaye hain.. Mmm Pinky upar hai.." Mere munh se Meenu nikalte nikalte rah gaya..

"Ye no. kisne diya..? koyi naya yaar bana liya kya?" Mujhe uski baat ke sath hi ek ladki ke hansne ki aawaj aayi...

"Pp.. papa laye hain.. mere liye...!" Maine kaha..

"chalo theek hi kiya.. tere jaise 'maal' ke paas toh mobile hona hi chahiye... 'wo' teri choot ki photo hai mere paas.. kya makkhan malayi jaisa 'piece' hai...! ek dum tere honton ke jaisi hai..." Usne kaha toh meri najrein ek pal ke liye Meenu ke 'honton' par thahar gayi...

"kkoun ho tum?" Maine poochha...

"tu chhod iss baat ko.. ye bata kab de rahi hai?" Usne mere sawaal ko najarandaj karte huye poochha...

"Kya?" Maine anjaane mein hi poochh liya....

"Teri choot, aur kya Sali? kab se mera louda teri choot ko cheerne ke liye fadfada raha hai.. Roz teri choot ki photo dekh kar hi 'muth' maarta hoon.. ab jyada bana mat.. bata kab de rahi hai...?"

"mmain.. nahi... tum..!" Uski rangeen baatein sun kar meri 'yoni' sach mein hi chikni ho gayi thi.. main hadbadakar kuchh aur hi bolti.. iss'se pahle hi mere kaano mein uski kadak aawaj mujhe sunayi di..

"Chutiya mat bana ab... teri choot aur gaand dono maarni hain mujhe... agar inkaar karegi toh tujhe 'bazaroo' bana doonga main... mere paas 'teri choot' ke foton hain.. ek main tera chehra bhi saaf nazar aa raha hai... ab teri marzi hai.. 'bol' kya chahti hai tu.. yahan toh sirf mujhse gaand marwane mein tera kaam chal raha hai.. agar tu nahi maani toh 'gaanv ke sabhi ladke teri choot dekh dekh kar 'muth' maarenge aur 'buddhe' uss par thookenge.. ha ha ha... Samajh mein aayi baat?"

"wwo.. mmain.. thodi der baad fone karoongi..!" Maine anmane mann se Meenu aur Pinky ko dekh kar kaha..

"sun.. msg kar dena.. khali hote hi.. fone mat karna iss par.. aur kisi bhi no. se fone karoon.. utha kar dekh lena... achchhi tarah soch kar bata dena.. baki tujhe ye kahne ki toh jarurat hi nahi ki kisi ko batana mat.. tu khud samajhdaar hai..!" Usne kaha aur fone kaat diya...

"kya kah raha tha 'wo'?" Meenu ne darte darte poochha...

"Kuchh nahi.." Maine Pinky ki aur dekha aur boli..,"Baad mein bataaungi...!"

"Ganda bol raha tha na...?" Meenu ne mari si aawaj mein poochha...

"haan.. baad mein fone karne ko kaha hai maine...!" Maine kaha...

"tu hi kar lena plz baat.. mujhse nahi hongi.. 'kaam' bataya usne kyun fone kar raha hai...?" Meenu ke mann mein pahle hi hadkamp sa macha hua tha...

"Haan..." Maine mayoosi se uski aur dekhte huye kaha..," Uske paas 'aapke' foto hain...!"

Meenu saham si gayi..,"kkoun hai 'wo'?"

"Bataya hi nahi usne.. maine poochha toh tha...!" Maine kaha...

"Wo haramjada 'Sonu' hi hoga..." Meenu ne mann hi mann usko koste huye kaha...

"Par uske sath toh 'koyi' ladki bhi hai...?" Maine kaha...

"hogi koyi.. kutiya!"

"Ab mujhe bhi batao na kya baat hai?" Pinky chhatpatate huye si boli....

"chalo.. upar chalte hain..." Meenu neeras chehra liye uth khadi huyi aur bahke bahke se kadmon se upar chadhne lagi.. Hum bhi uske pichhe pichhe ho liye... Main Sonu se dobara baat karne ke liye mari ja rahi thi.. par 'ab' main sari baatein akele mein karna chahti thi.....

Hum teeno ne milkar sari sthiti par vichar karne ke baad yahi faisla kiya ki Hamein Manav ko sari baat bata deni chahiye.. Par Meenu ne tab tak aisa nahi kiya jab tak hum usko akela chhod kar neeche nahi aa gaye... Hamare neeche aane ke kareeb 15 minute baad wah bhi neeche aa gayi.. Manav se baat karne ke baad usmein hulki si himmat aa gayi thi..,

" Usne kaha hai ki main apni taraf se uske baare mein jaan'ne ki jaldbazi na dikhaaun.. Uski sari baatein sunoo.. aur agar wah milne ke baare mein kahe toh na-nukur karoon.. taki uske mann mein kisi tarah ka shak paida na ho... ek do din tak aise hi chalne doon.. Usne kaha hai ki 'wo' inn ek do din ke andar hi usko pakadne ki poori koshish karega..."

"Par didi, aapko ye bhi toh batana chahiye tha ki Usne uss mobile par fone karne se mana kiya hai..!" Maine kaha...

"Haan.. maine bata diya.. koyi dikkat nahi hai.. par usne bola hai ki hum iss fone se hi baat karein bus!" Meenu ne jawab diya...

"Aapne ye bataya ki fone par Main baat karoongi.. aapki jagah?" Maine utsukta se poochha...

"Nahi.. maine jaroori nahi samjha.. iss'se kya farq padta hai.. 'wo' toh tumhe hi 'Meenu' samajh raha hai na..." Meenu ne kaha toh maine sweekriti mein sir hilaya..,"Haan.. ye toh hai.. "

"Shikha ke ghar chalein Pinky..?" Maine Pinky se poochha...

"Nahi.. aur tumhe bhi nahi jana!" Pinky ne mujh par adhikaar sa jatate huye bola.. badi pyari lag rahi thi wo aisa bolte huye...

"Par kyun? Shikha aa toh gayi hai..." Maine fir kaha...

"Maine bol diya na.. Usko kaam hoga toh wo khud aa jayegi.. hum nahi jayenge aise 'gande' logon ke ghar...!" Pinky ne tapak se jawab diya...

"Theek hai.. Main ghar ja rahi hoon.. raat ko aaungi..!" Maine kaha aur uth khadi huyi...

"Main bhi chaloongi..!" Pinky ne turant kaha...

"Abhi ek paper baki hai Pinky.. thoda bahut toh padh le...!" Meenu ne mujhe mobile pakadate huye kaha....

"Kal toh Physical ka paper hai didi.. usmein bhi kya padhna!.." Pinky ne kaha aur mera hath pakad kar kheench liya..,"Chalo!"

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Ghar pahunche toh wahan sirf 'chhotu' aur mummy hi the.. Mummy Pinky ko dekhte hi hanste huye boli... Anju ko toh lagta hai tumne god le liya.. ab toh ye wahin rahti hai...!"

"Mummy kahti hain ki Meenu aur Anjali behane lagti hain.. dono ek jaisi sundar hain.. main kya sunder nahi hoon chachi...!" Pinky mummy ke paas baith kar boli...

"Koun kahta hai meri beti sunder nahi hai..?" Mummy Pinky ko dularte huye boli..,"Tu toh inn dono se sunder hai..!" Mummy ne Pinky ko gale lagaya toh Pinky ka chehra khil utha..,"Sach chachi?"

"aur nahi toh kya jhooth bol rahi hoon main.. aisa karti hoon.. main Anjali dekar tujhe rakh leti hoon.. tu sach mein bahut pyari hai...!" Mummy ne uss'se alag hote huye kaha....

"chachi.. main ab shahar mein computer seekhne jaaungi.. aap Anju ko bhi mere sath bhej diya karoge na....?" Pinky mouka taad kar boli...

"Iss baare mein tere chacha se baat karna beti.. main kuchh nahi kah sakti..." Mummy ne saaf saaf jawab de diya...

"Mummy.. hum neeche baithe hain..!" Maine Mummy ko bola aur Pinky ko ishare se apne sath neeche bula liya... Mummy kuchh nahi boli aur apna kaam karti rahi...

Neeche aate hi maine mobile on kiya toh uss par ek message aaya hua tha..' Call me on this no. Minu!'

"Ye kiska no. hai?" Main anjaan no. dekh kar soch mein pad gayi...

"Usi ka hoga jaroor.. mila kar dekho...!" Pinky turant bol padi...

"Nahi.. abhi nahi.. main baad mein mila loongi..." Maine kaha...

"Kyun..? abhi kyun nahi..?" Pinky mujhe ghoorte huye boli...

"Wwo.... Pinky.. wo ulti seedhi baatein karta hai... tumhare saamne mein nahi karoongi baat....!" Maine jawab diya...

"milao na plz.. main kuchh nahi boloongi.. tumhari kasam.. abhi milao...!"

"Wo baat nahi hai Pinky.. 'wo' bahut gandi baatein karta hai.. tumhe achchha nahi lagega..." Maine kaha...

Pinky kuchh der chupchap mere paas baithi rahi.. fir achanak usko kuchh dhyan aaya..,"Tum subah kya bol rahi thi?"

"Kya?" Mujhe kuchh dhyan nahi aaya..

"Wahi.. Harry ke baare mein...!"

"arey.. wo toh main yunhi majak kar rahi thi... chhod uss baat ko..." Main taalte huye boli... ab mere paas karne ke liye 'jyada' majedaar 'kaam' tha....

"Nahi.. hamari shart lagi hai.. tumhe apni baat sahi karke dikhani hi padegi...!" Pinky tunakte huye boli...

"Chhod na.. kyun bechare ko... he he he..." Main apni baat beech mein hi chhod kar hansne lagi....

"Nahi.. main dekhna chahti hoon ki 'wo' bhi dusron ke jaisa nikalta hai ya nahi....!"

"theeeeek hai... Pahle ye kaam toh ho jane do... dekh lena...!"

"Toh karo fone... abhi ke abhi...!"

"Kahan..?"

"Sonu ke paas... main bhi sunoongi...!" Pinky ka vyavhaar mere liye avishvasaneey tha...

"Pinky..! wo bahut gandi baat karta hai.." Maine usko chetawani di....

"Koyi baat nahi.. main bhi sunoongi....!" Pinky apni baat par ad gayi......

"Dekh lo.. mujhe uski sari baatein sun'ni padengi.. baad mein mujhe kuchh bolna mat.." Maine aakhiri baar poochha.....

"Theek hai.. Main darwaja band karke aati hoon.." Pinky ne jakar darwaje ki kundi laga di aur mere paas wapas aakar boli..,"Handfree kar lo...!"

Mere mann mein dhak dhak si ho rahi thi.. Pata nahi Pinky uski baat sunkar kaisi pratikriya de.. par ab mujhe utna bhi darr nahi lag raha tha.. Maine no. dial karke fone ko handsfree kar diya... No. dial karne ke baad mujhe hi pahle bolna pada..,"Hello!"

"Koun?" Udhar se Sonu ki aawaj aayi...

"Main......... Meenu!" Maine jawab diya..

"Kya haal hain meri jaan!" Usne besharmi se kaha.. Maine Pinky ki aankhon mein dekha.. par kuchh boli nahi...

"aaj ke baad mein tumhe isi no. se fone karoonga... ye mera naya no. hai....!" Sonu ne kaha...

"Theek hai..!" Mere munh se nikla...

"Ab batao.. kya socha..?" Usne aage kaha..

"Kya..? mm.. mera matlab.. kis baare mein... ?" Maine ek baar fir Pinky ko dekh kar kaha...

"Bhai.. ek minute rok gadi.." sonu ne gusse se kaha aur kuchh der baad fir se uski aawaj fone par ubhari..,"Sali.. teri maa chod doonga main... kitni baar bolun ab... saaf saaf bata tune kya socha..?

Maine hadbada kar Pinky ki aur dekha.. uska chehra tamtama sa gaya tha..

"Par.. tum ho koun? ye toh bata do plz..." Maine kaha...

"Behan ki loudi.. iss'se tumhe kya matlab hai...? tu bus itna samajh le ki mera louda Tarun ke lund se mota bhi hai aur lamba bhi... Ek baar teri makkhan jaisi choot mein fans gaya toh jindagi bhar bahar nikalne ko nahi bologi.. Jaldi bolo tumne socha kya hai..? mere paas faaltu ka time nahi hai....."

Sonu ki baat poori hone se pahle hi Pinky chupchap uthkar kamre se bahar chali gayi thi.. Maine darwaja band kiya aur wapas charpayi par aakar late gayi....," Ppar.. mmain toh aajkal college bhi nahi aati..!" Maine chaddar se apne aapko dhak liya....

"Wo sab toh main dekh loonga.. pahle ye toh batao tum taiyaar ho ya main tumhari foto gaanv ki galiyon mein chipka doon...!"

Haye Ram.. main toh kab ki taiyaar hi thi... par plan ke hisab se chalna jaroori tha..," nahi.. plz.. aisa mat karna... Jaisa tum kahoge.. main waisa hi karne ko taiyaar hoon.... Par.. tumhe.. bura mat maan'na plz.. tumhe kya milega iss'se...?"

"Main paanch minute mein thikane par jakar fone karta hoon..." Sonu ne kaha aur achanak fone kaat diya.. Maine dekha.. 'Lambu' ke naam se 7 missed calls aayi huyi thi..... Main ghar se nikli aur bhagi bhagi Meenu ke paas pahunchi.. Pinky uske sath hi baithi thi..

"Didi.. wo.. Manav ka fone aa raha hai...! Handsfree kar lena.." Maine mobile Meenu ko pakda diya... ab bhi Manav ki call aa rahi thi.. Meenu ne bina meri baat sune call receive karke usko kaan se laga liya....,"Hello Ssir..!"

"Kyaaaa?" Meenu aascharya se boli.. aur handsfree kar liya..,"toh koun hai 'wo?"

"Pata nahi.. Par aaj 'Sonu' ki lash nadi se mili hai.. Uska khoon toh hafta bhar pahle hi ho gaya lagta hai...!"

Hum sab ki aankhein fati ki fati rah gayi... Teeno hairan si ek dusri ki aankhon mein dekhne lagi....

"suno!" Manav ki aawaj fone par ubhari..,"maamla itna hulka nahi hai.. jitna main soch raha tha.. Tum uss'se filhaal baat karna band kar do.. Kaatil bahut shatir hai.. Hamein uske saamne aakar galati karne ka intjaar karna padega..!ab tak hum uski location tak trace nahi kar sakein hain... abhi rakhta hoon.. baad mein fone karoonga...."

"Ek minute.. kuchh batao toh kya hua? aur Sonu mar gaya hai toh ye koun hai jo phone kar raha hai...?" Meenu ne hadbada kar poocha...

"Nischit tour par abhi kuchh nahi kah sakta.. Par jahan tak andaja lagane ka sawaal hai.. Dholu aur ye 'naya' Sonu hi unn dono ke katil hain... Main aaj hi 'Master' ko fir se uthwa raha hoon.. Par jab tak 'Dholu' giraftaar nahi ho jata.. ye gutthi sulajhni mushkil hai...!" Udhar se Manav ki aawaj aayi...

"mmain.. uske dusre doston ke naam bataaun? agar unmein se kisi ko..." Meenu bol hi rahi thi ki Manav ne beech mein hi tok diya..,"Nahi.. Main college aur gaanv mein unke har dost ko khangaal chuka hoon... Par unmein se kisi ko kuchh nahi pata... Waise bhi yah kisi college type ladke ka kaam nahi hai.. Jo bhi hai.. 'wo' had se jyada chalaki barat raha hai... Ab toh main pahle Dholu ko pakadne par dimag kharaab kar raha hoon.. wahin se uski poonchh hath mein aayegi...!"

"Dholu ko main pakadwa sakti hoon..." Mere munh se achanak nikal gaya.. aur shayad Manav ko sun bhi gaya...,"Ye koun hai?"

"Anju!" Meenu ne kaha...

"Phone dena ek baar isko..!" Manav ki aawaj ubhari...

"Jji..." Main boli....

"tum kaise pakadwa sakti ho usko...?" Manav ne poochha....

"Jji.. pakka nahi hai.. par mujhe vishvas hai ki main usko pakadwa sakti hoon..!" Ab main apni baat se pichhe kaise hat'ti...

"Par kaise?" Manav khisiya kar bola...

"Main usko bula sakti hoon...!" Maine kaha...

"Hey bhag.. ohhoooo.." Shayad Manav meri baat samajh gaya...," Par 'wo' itna pagal nahi hai ki tumhare bulane par gaanv mein aa jayega... Usko achchhi tarah maaloom hai ki gaanv mein ghuste hi 'wo' meri chapet mein aa jayega.... Tum shahar aa sakti ho kya?"

"Kal mera paper hai...! Uske baad... Meenu poochh legi papa se...!" Maine kaha...

"Uska no... Tum kahan se logi.. usne toh no. badal rakha hai... Tum fone karogi toh usko shak hoga... nahi.. ye plan kaam ka nahi hai.. wo tumhare lalach mein apni jindagi daanv par nahi lagayega...!" Manav ne kaha toh mujhe laga jaise 'wo' mere alhad youvan ko gaali de raha hai...

"wo aap mujh par chhod do.. No. main Sandeep se le loongi.. aur Dholu ke paas usi ke phone se ek baar fone bhi kar loongi...!" Maine jor dekar kaha....

"tumhe toh ab tak Police mein bharti ho jana chahiye tha.." Manav ne vyangya sa kiya..," Par Sandeep tumhe no. kyun dega bhala..."

"Maine kah diya na ki le loongi main.... Aapko kal tak main hi uska no. de doongi.. aur bolo...!" Maine akad kar kaha...

"Tum toh Police waalon ki bhi kuchh lagti ho.. Theek hai.. pahle mujhe Dholu ka no. pata karke dikhao.. agar aisa ho gaya toh shayad 'Dholu' tumhare jaal mein fans hi jaye...." Manav ki aawaj mein ummeed si lagi....

"Theek hai.. aaj raat tak hi uska no. aapko la doongi...!" Iss baat se bekhabar ki Manav sab samajh raha hai ki main kya dekar no. laaungi; meri aawaj mein roub sa tha....

"Theek hai.. no. milte hi mujhe call karna!.. Ek baar Meenu ko fone dena....!" Manav ne kaha toh Meenu bol padi..,"Ji..!"

"Dekho na.. ye ladki kitni samajhdaar hai.. tum bhi toh kuchh samjho na yaar.. mere dil ki baat...!" Manav ne romantic andaaj mein kaha toh Meenu ke gaalon par laali aa gayi.. Handsfree band karna usko dhyan nahi raha tha.. aur ab uska chehra dekhne layak tha..,"Lambu!" Meenu ne kaha aur jhat se fone kaat diya.....

"Pata nahi kya bana rahta hai...?" Meenu ne apne gaalon ko pichka kar kaha toh main aur Pinky khilkhila kar hans padey....

---------------------------------------

"Mujhe Sandeep ke paas jana padega...!" Maine bol kar Pinky ke chehre ki aur dekha... Pinky ajeeb si najron se mujhe dekhti rahi.. par ab uske paas 'na' kahne ka koyi bahana bacha nahi tha... wo kuchh nahi boli...

"Tum bhi chal rahi ho kya?" Maine dono se poochha....

"Chalo.. Shikha didi se bhi mil lenge..." Kahkar dono khadi ho gayi.....

-----------------------------------------------------------------

"Shikha!" Sandeep ke ghar ke bahar jakar Meenu ne aawaj lagayi toh upar se uski aawaj aayi...,"Koun?"

Aawaj pahchan kar hum teeno upar chale gaye... Humko dekhte hi Shikha ke paas baitha padh raha Sandeep 'wahan' se khisak kar kamre mein bhag gaya..

"Dekho kaise bhag gaya..? Itna sharmila hai ye bhondu!" Shikha hanste huye boli..,"Baitho yaar!"

"Haan.. wo toh hai..!" Jawab Meenu ne diya.. main Pinky ke karan kuchh bol nahi payi...

"Bhaiya bhabhi nahi hain kya?" Nalayak Meenu ne baithte hi kaam ki baat chhed di...

"Bhabhi toh maayke mein hi hain.. 'Dholu' ka kuchh pata nahi.. Police bhi aa chuki hai 2 3 baar ghar par...

"Kyun?" Meenu ne yahan samajhdaari ki baat kar di.. anjaan bane rahkar...!

"Wo kah rahe hain ki Tarun ke maamle mein poochhtaachh karni hai.. Ab 10 numbari hone ke baad toh police aise hi uthati hai.. baat baat par.. isiliye kahin chhip gaya hoga bhag kar... waise wo toh agle din sham tak bhi yahin tha.. uske kisi dost ne fone kar diya.. tab bhaga hai yahan se...." Shikha mayoos si dikhne lagi...

"Ohh...wo Sonu.." Meenu kuchh bolne wali thi ki maine pahle hi bol diya..," Sonu bhi gayab hai kayi din se.. kuchh pata laga kya?" Mere bolte hi Meenu ne iss tarah mujhe dekha jaise thanx bol rahi ho.. wo kuchh aur hi batane wali thi...

"Nahi uska bhi kuchh pata nahi... ghar waalon ko toh uski chinta ho rahi hai.. kahin.. Main chay banakar lati hoon.. tum baitho...!" Shikha uthkar khadi huyi toh main mouka dekh kar andar Sandeep ke paas ja pahunchi....,"Kya kar rahe ho..?"

"Marwaogi kya mujhe..? Niklo yahan se...!" Sandeep mujhe dekh kar aahista se bola...

"Mujhe 'wo' karna hai.. mere neeche khujali si ho rahi hai Sandeep.. kya karoon?" Maine besharmi se apni salwaar par hath rakh ke kaha...

"Kaha na jao yahan se.. Pinky bhadak gayi toh abhi Shikha ko bol degi..." Sandeep meri chhatiyon ko ghoorta hua apni jaanghon ke beech masalne laga....

"Chali jaaungi.. par mera kya hoga.. ab.. tumne ye kaisi aag laga di...!" Maine tadap kar kaha.. par meri tadap 'acting' nahi thi....

Sandeep ne kamre ke bahar dekha aur jaldi se apna hath se meri salwar ke upar se hi ek baar meri yoni ki faankon ko tatol kar wapas kheench liya..,"Haye.. kya karoon jaan.. tadap toh main bhi raha hoon.. kahte hain ki doosri baar karne mein hi asli maje aate hain.. par ab nahi ho sakta.. didi sara din yahin rahti hain.. aur ek do din mein bhabhi bhi aa jayengi...."

"Choupal mein aa jao na.. 2 ghante baad!" Maine khud hi raasta nikala...

"Kya? " Khushi se Sandeep ki baanchhein khil gayi..,"Ye toh maine socha hi nahi tha.. Tum pakka aa jaogi na...?"

"Haan.. tujhe nahi pata meri ye ab sara din geeli rahti hai... main pakka aa jaaungi.. 9 baje...!"

"Thank you jaan.. maje ho jayenge ab toh...!" Sandeep ne khush hokar ek baar aur meri yoni ki daraar ko kured diya...

"aahhhh... " Main sisak uthi..,"Wo.. wo fone de do jo dholu ne mujhe diya tha...!" Maine kaha..," Main fone kar doongi tumhe...!"

"Par.. wo toh nahi hai... ab! Dholu poochh raha tha tumne wapas kyun kiya...?"

"wwo.. tab mujhe darr lag raha tha... de do na plz..!" Maine yachna si karte huye kaha...

"Sach kah raha hoon.. mere paas nahi hai 'wo'.. Dholu ne usko taalab mein fainkne ko kaha tha.. maine faink diya.. tumhari kasam.... nahi toh tumhe kya mana karta...! par kisi ko batana mat..." Sandeep adheer sa hokar bola....

"Theek hai.. raat 9 baje pakka aa jaoge na!" Maine poochha....

"Tumhari kasam jaan.. main 9 baje se pahle hi wahan aa jaaunga...." Sandeep ne kaha aur mouka sa dekh kar Salwaar ke kapde samet meri yoni ke andar ungali thoons kar nikal di.... Maine uchak kar siski si li aur uski ungali nikalne ke baad apni salwar ka kapda 'yoni' mein se nikala aur uski aur muskurakar bahar nikal aayi...

Mere kuchh der baad hi Sandeep kamre mein se nikla aur bathroom mein ghus gaya.....


kramshah................


कामांजलि पार्ट--28








आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj















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