Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--32

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बाली उमर की प्यास पार्ट--32

गतान्क से आगे............

"हे भगवान! जाने कौनसी बिजली गिर गयी है...हमारे गाँव पर...बताओ! कोई किसी पर भरोसा करे भी तो कैसे करे? दोस्त ही दोस्त की जान लेने लगेगा तो भरोसा किस पर रहेगा....?" हम घर पहुँचे तो चाची माथे पर हाथ रखे चाचा से बतिया रही थी....

"क्या हुआ मम्मी?" मीनू ने उपर जाते ही पूचछा...चाची की बात हमने सीढ़ियों से ही सुन ली थी...

"हुआ क्या बेटी...? वो मनीषा बता रही थी... बेचारे तरुण को सोनू ने ही मारा था....?" चाची उदासी भरे लहजे में बोली....

"सीसी..सीसी..क्या?" हम तीनो के पैरों तले की ज़मीन खिसक गयी...," ये क्या कह रही हो मम्मी.... वो क्यूँ खून करेगा....?" मीनू सकपका सी गयी.....

"मैं क्या कह रही हूँ..? ये तो मनीषा बता रही है आज!" चाची ने जवाब दिया....

"पर.. चाची.. उसने पहले क्यूँ नही बताया...? और.. और उसको कैसे पता?" मैं अपने आपको बोलने से रोक ना पाई......

"उसको पहले डर लग रहा था.. डर वाली बात भी ठीक है उसकी.. खंख़्वाह गाँव में दुश्मनी कौन मोल लेगा.... अब जब सोनू रहा ही नही तो उसने बता दिया सब कुच्छ...!"

"और सोनू को..? उसको किसने मारा....?" मीनू पास बैठ कर बोली.. हम दोनो अभी भी खड़ी ही थी......

"अब उसका क्या पता बेचारी को....? उसको तो किसी ने बाहर ही मारा है...! बुरी करनी का फल मिल ही गया ना उसको भी.....!" चाची बुदबुदाई....

"पर मम्मी... मनीषा को कैसे पता चला... खोल के बताओ ना सारी बात....!" मीनू उत्सुकता से बोली.....

"अरे उसने सब सुनी थी उनकी बातें... आवाज़ भी पहचान ली थी दोनो की... सोनू तरुण से कुच्छ माँग रहा था... उसने इनकार कर दिया तो सोनू ने चाकू घोप दिए बेचारे के पेट में.... मनीषा ने चीख भी सुनी थी... और बोलो.. पोलीस हमारे पिछे पड़ी है.. हमारी बेटी पर शक कर रही है......!" चाची मानव को कोसते हुए बोली....

"शक कहाँ कर रहे हैं मम्मी... वो तो बस मदद ले रहे हैं.. थोड़ी सी...!" मीनू खिसिया कर बोली....

"जा अपना काम कर... तुझे ज़्यादा पता है क्या इन पोलीस वालों का... ये ऐसे ही बात करते हैं.. मान में कुच्छ और बाहर कुच्छ.. मदद लेनी होती तो मनीषा से ना लेते.. दोबारा उसके पास गया 'वो' कभी... यहाँ आ जाता है भाग कर.. लोग भी जाने क्या क्या बातें करने लगे होंगे.....!" चाची चिड़ कर बोली....

"पर मम्मी... मनीषा उसके कॉलेज लाइफ के बारे में थोड़े ही बता सकती है... वो तो..." मीनू ने मानव का बचाव करने की कोशिश की....

"अब तो पता लग गया ना...? अब आने दो उस मुए को यहाँ... भला ये भी कोई तरीका हुआ उसका... आता है और हमें भगा देता है... तेरे पापा को तो आज ही पता चला... लड़की से पूचहताच्छ के लिए लेडी पोलीस होनी ज़रूरी होती है.....!" चाची का चेहरा ख़ूँख़ार हो गया.....

"छ्चोड़ो ना मम्मी... मुझ पर भी भरोसा नही है क्या...? वो सिर्फ़ काम की बातें पूछ्ते हैं....... अंजलि भी तो पास रहती है ना.... पूच्छ लो..!" मीनू नाराज़ सी होकर बोली...

"हां चाची.. सिर्फ़ काम की बातें ही करते हैं..." मैने चाची के बिना पूच्छे ही मीनू की हां में हां मिला दी.....

"चलो छ्चोड़ो.... और हाँ... मैने तेरी मम्मी को बता दिया था कि तू और पिंकी मीनू के साथ शहर गये हो... अपने पापा को मत बताना.. तेरी मम्मी मना कर रही थी......" चाची ने कहा तो मैं हड़बड़ा सी गयी...,"हां.. ववो.. चाची..."

"पिंकी.. ज़रा दो कप चाय तो बना दे बेटी.....!" चाचा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा....

मीनू किसी को बिना कुच्छ बोले नीचे भाग गयी... मुझे भी तरुण और सोनू के बारे में जान'ने की दिलचस्पी थी.... मैं भी तुरंत उसके पिछे पिछे हो ली....

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"ये मनीषा झूठ तो नही बोल रही दीदी?" मेरे मंन में उथल पुथल सी मची हुई थी.....

"क्यूँ? उसको क्या मिलेगा झूठ बोल कर.... पर फिर सोनू को किसने मारा यार...?" मीनू मेरे बात पर प्रतिक्रिया देने के बाद बोली....,"और.. सोनू क्या माँग रहा होगा उस'से... जिसके बदले उसने खून कर दिया!"

"क्या पता.. आपके लेटर माँग रहा हो...!" मैने आइडिया लगाया...

"पर 'वो तो उसकी जेब में ही मिल गये ना... ऐसा करता तो वो उनको लेकर नही जाता क्या?" मीनू बोली....

"वो... तरुण का फोन...? उसमे भी आपके फोटो थे ना...? और ववो.. स्कूल वाली वीडियो भी..."

"हाँ ...ये हो सकता है...! पर तरुण का फोन तो उसके पास है जो अब हमें फोन कर रहा है....!" मीनू झल्ला कर बोली....

"हो सकता है उसीने फोने छ्चीन कर खून कर दिया हो उसका......" मैं असमन्झस से बोली...,"कुच्छ समझ नही आ रहा दीदी.. सोनू का फोन ढोलू के पास... तरुण का किसी और के पास..."

"अब पता लग जाएगा... मानव ढोलू से सारी बातें उगलवा लेगा.... पता नही क्या होने वाला है .. हे भगवान!" मीनू हाथ जोड़ कर बोली.....

"फोन कर लो ना दीदी.... अभी....!" मैने मीनू से कहा...

"नही.. वो अपने आप ही कर देगा.. उसने शाम को फोन करने को बोला था ना... ऐसे बार बार अच्च्छा नही लगता....!" मीनू शायद मेरे सामने उस'से बात नही करना चाहती थी......

"उसको ये तो बता दो... मनीषा वाली बात!" मैने ज़ोर देकर कहा...

"बता दूँगी थोड़ी देर में....!" मीनू ने एक बार फिर मुझे टालने की कोशिश की....

"बता दो ना दीदी.. अभी...!"

"चल ठीक है.. जीने वाला दरवाजा बंद कर दे....!" मीनू ने कहकर फोन निकाल लिया...

मेरे दरवाजा बंद करके आते ही उसने मानव को फोन लगा दिया....

"हां मीनू!" मानव की प्यार भरी आवाज़ हमारे कानो में गूँजी.. पर वो थोड़ा बिज़ी लग रहा था....

"ववो.. एक बात बतानी थी...!" मीनू ने हिचकते हुए कहा... मुझे लग रहा था कि ये हिचक मेरी वजह से है....

"बोलो ना!" उसने फिर कहा... अब दूसरी तरफ से आ रही आवाज़ें कम सुनाई देने लगी थी....

"वो.. मनीषा कह रही है कि तरुण को सोनू ने मारा था...."

"क्क्याअ?" मानव भी चौंक पड़ा...,"कौन मनीषा....?"

"वो ही जिसने चौपाल में आवाज़ें सुनी थी....!" मीनू ने याद दिलाया....

"ओह्ह हां... पर उसने पहले क्यूँ नही कहा ये सब....!" मानव कुच्छ सोचने के बाद बोला....

"पता नही... वो तो कह रही है कि पहले उसने 'सोनू' के डर से नही बोला कुच्छ... बाकी आप पूच्छ लेना... आपको कुच्छ पता लगा...?" मीनू बोली....

"क्या? किस बारे में...?" मानव ने यूँही शांत लहजे में पूचछा.....

"ढोलू ने कुच्छ बताया नही क्या?" मीनू ने मेरी और देख कर मुँह बनाया...

"ओह्ह.. ना! इसने तो और उलझा दी हैं बातें...!" मानव बोला....

"क्या मतलब?" मेरी भी कुच्छ समझ नही आया था....

"मतलब वही.. धाक के तीन पात.. कुच्छ खास फयडा नही हुआ... इसको ज़्यादा कुच्छ पता नही है....!"

"पर सोनू का फोन भी तो इसीके पास है ना... और तरुण वाले फोन पर भी इसकी बात होती हैं... फिर ये भाग क्यूँ रहा था पोलीस से....?" मीनू ने एक ही साँस में जाने कितनी बातें बोल दी...

"हां.. वो सब तो बता दिया... पर केस तो अब भी वहीं का वहीं है... 'उस' आदमी के बारे में कुच्छ खास पता नही चल पाया...." मानव ने लंबी साँस छ्चोड़ते हुए कहा....

"पर.. क्या पता ये झूठ बोल रहा हो....?" मीनू ने आशंका जताई....

"ना! मुझे नही लगता... पेशेवर अपराधी अदालत में जाकर झूठ बोलते हैं.. पोलीस के सामने नही.. इनको पता होता है कि यहाँ तो सब कुच्छ बताना ही पड़ेगा.. चाहे शुरू में बता दो.... या हड्डियाँ सीधी होने के बाद... बाकी रात को एक घंटी और लूँगा इसकी.. देखो कुच्छ और निकल कर आ जाए तो.... अभी तो मैं गाँव आ रहा हूँ.. मनीषा से मिलने... चाय पीने आ जाउ क्या?" मानव कहने के बाद हँसने लगा....

"कल आ जाना.. मम्मी पापा कहीं जा रहे हैं कल... मम्मी बहुत गुस्सा हैं आपसे.. जिस तरीके से आप आते हो!"

"तो ठीक है.. अब की बार सेहरा बाँध कर आउन्गा.. तब तो गुस्सा नही करेंगी ना....!" मानव ने हाज़िरजवाबी का परिचय दिया.....

मीनू के मुँह से एक बोल भी ना निकला.... पर मेरे मंन में एक सवाल रह रह कर उमड़ रहा था...,"सर.. ववो.. तो क्या आप ढोलू को छ्चोड़ दोगे..?"

"भाई कुच्छ नही मिला तो छ्चोड़ना तो पड़ेगा ही... वैसे अगर तुम्हे निज़ी दुश्मनी निकालनी हो तो 7/11 में अंदर करवा सकता हूँ हफ़्ता भर....!" मानव बोला....

"नही.. पर वो गाँव में आकर मुझसे......."

मेरे पूरी बात बोलने से पहले ही मानव समझ गया...," ये तुमने अब सोचा है... ये तो तुम्हे बहुत पहले सोच लेना चाहिए था....."

मैं एकदम से डर गयी..,"वो तो मुझे छ्चोड़ेगा नही.. अगर वापस आ गया तो.. मैने उसको पकड़वाया है....!" मैं घबराकर बोली....

"कौन कहता है?" मानव अजीब से ढंग से बोला..,"तुमने कैसे पकड़वाया है उसको... ये तो पोलीस का कमाल था...."

"नही.. मुझे सच में बहुत डर लग रहा है..." मैं उसकी बात को नज़र अंदाज करती हुई बोली.....

"अच्च्छा... तुम क्या मुझे आइवेइं ही समझती हो...? मैने ये बात तभी सोच ली थी जब तुमने कहा था कि तुम ढोलू को पकड़वा सकती हो... चिंता मत करो.. मैने सब सेट कर रखा है पहले से ही.." मानव मुस्कुराया....

"कैसे?" मुझे चैन नही आया था....

"ये लो! कह दिया ना कोई दिक्कत नही होगी... ढोलू यही समझता है कि तुम्हे नही पता था कि ऑटोडराइवर एक पोलीस वाला है...."

"प्लीज़ बता दो ना.. ऐसे मुझे चैन नही आएगा.." मैने याचना सी की....

"कल पेपर के बाद पोलीस संदीप को उठा लाई थी.. पूचहताच्छ के बहाने... ! अभी थोड़ी देर पहले छ्चोड़ा है उसको.... ढोलू का फोन सरविलेन्स पर तो लगा ही हुआ था... तुम्हारी और ढोलू की जो बातें रात को हुई थी.. उनमें से कुच्छ मैने संदीप को सुनवा दी.... और उस'से पूचछा कि ये लड़की कौन है! उसके तुम्हारा नाम बताने के बाद मैने उसके सामने ही ऐसे ही किसी को फोन करके तुम्हारा नाम पता देकर तुम पर 'कड़ी' नज़र रखने को कह दिया था... और बस स्टॅंड के बाहर एक 'ऑटो' का प्रबंध करने की बात भी कही थी.... आज मैने उन्न दोनो के सामने भी इस बात को उठाया था.. बाकी बात संदीप ने खुद उसको समझा दी होंगी....

अब ढोलू जिंदगी भर यही समझेगा कि मेरे बिच्छाए जाल में फंसकर तुम 'मेरी' ऑटो में बैठ गयी होगी... इसी को कहते हैं कि हींग लगे ना फिटकरी.. और रंग चोखा.. समझी!" कहकर मानव हँसने लगा तो मैं भी उसके साथ हंस पड़ी...

अचानक मुझे कुच्छ याद आया...,"तो क्या आपने ढोलू के साथ मेरी बात...!" मेरा चेहरा लाल हो गया...

"सुनी हैं.." मानव हंसता रहा...," तुम बहुत शातिर हो!"

क्रमशः.....................

gataank se aage............

"Hey bhagwan! Jane kounsi bijli gir gayi hai...hamare gaanv par...Batao! koyi kisi par bharosa kare bhi toh kaise kare? dost hi dost ki jaan lene lagega toh bharosa kis par rahega....?" Hum ghar pahunche toh chachi mathe par hath rakhe chacha se batiya rahi thi....

"Kya hua mummy?" Meenu ne upar jate hi poochha...Chachi ki baat humne seedhiyon se hi sun li thi...

"Hua kya beti...? Wo Manisha bata rahi thi... Bechare Tarun ko Sonu ne hi mara tha....?" Chachi udasi bhare lahje mein boli....

"kk..kk..kyaaaa?" Hum teeno ke pairon tale ki jameen khisak gayi...," Ye kya kah rahi ho mummy.... Wo kyun khoon karega....?" Meenu sakpaka si gayi.....

"Main kya kah rahi hoon..? ye toh Manisha bata rahi hai aaj!" Chachi ne jawab diya....

"Parr.. chachi.. usne pahle kyun nahi bataya...? aur.. aur usko kaise pata?" Main apne aapko bolne se rok na payi......

"Usko pahle darr lag raha tha.. darr wali baat bhi theek hai uski.. khamkhwah gaanv mein dushmani koun mol lega.... ab jab Sonu raha hi nahi toh usne bata diya sab kuchh...!"

"Aur Sonu ko..? usko kisne mara....?" Meenu paas baith kar boli.. hum dono abhi bhi khadi hi thi......

"Ab uska kya pata bechari ko....? usko toh kisi ne bahar hi mara hai...! Buri karni ka fal mil hi gaya na usko bhi.....!" Chachi budbudayi....

"Par mummy... Manisha ko kaise pata chala... khol ke batao na sari baat....!" Meenu utsukta se boli.....

"Arey usne sab suni thi unki baatein... aawaj bhi pahchan li thi dono ki... Sonu Tarun se kuchh maang raha tha... Usne inkaar kar diya toh Sonu ne chaku ghop diye bechare ke pet mein.... Manisha ne cheekh bhi suni thi... aur bolo.. Police hamare pichhe padi hai.. Hamari beti par shak kar rahi hai......!" Chachi manav ko koste huye boli....

"shak kahan kar rahe hain Mummy... wo toh bus madad le rahe hain.. thodi si...!" Meenu khisiya kar boli....

"Ja apna kaam kar... tujhe jyada pata hai kya in police walon ka... Ye aise hi baat karte hain.. man mein kuchh aur bahar kuchh.. madad leni hoti toh Manisha se na lete.. dobara uske paas gaya 'wo' kabhi... yahan aa jata hai bhag kar.. log bhi jane kya kya baatein karne lage honge.....!" Chachi chid kar boli....

"Par mummy... Manisha uske college life ke baare mein thode hi bata sakti hai... wo toh..." Meenu ne Manav ka bachav karne ki koshish ki....

"Ab toh pata lag gaya na...? ab aane do uss muye ko yahan... bhala ye bhi koyi tareeka hua uska... aata hai aur hamein bhaga deta hai... tere papa ko toh aaj hi pata chala... ladki se poochhtachh ke liye lady police honi jaroori hoti hai.....!" Chachi ka chehra khoonkhar ho gaya.....

"Chhodo na mummy... mujh par bhi bharosa nahi hai kya...? wo sirf kaam ki baatein poochhte hain....... Anjali bhi toh paas rahti hai na.... poochh lo..!" Meenu naraj si hokar boli...

"Haan chachi.. sirf kaam ki baatein hi karte hain..." Maine chachi ke bina poochhe hi Meenu ki haan mein haan mila di.....

"Chalo chhodo.... aur haan... maine teri mummy ko bata diya tha ki tu aur pinky Meenu ke sath shahar gaye ho... apne papa ko mat batana.. teri mummy mana kar rahi thi......" Chachi ne kaha toh main hadbada si gayi...,"haan.. wwo.. chachi..."

"Pinky.. jara do cup chay toh bana de beti.....!" Chacha ne hastakshep karte huye kaha....

Meenu kisi ko bina kuchh bole neeche bhag gayi... mujhe bhi Tarun aur Sonu ke baare mein jaan'ne ki dilchaspi thi.... Main bhi turant uske pichhe pichhe ho li....

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"Ye Manisha jhooth toh nahi bol rahi didi?" Mere mann mein uthal puthal si machi huyi thi.....

"Kyun? usko kya milega jhooth bol kar.... par fir Sonu ko kisne mara yaar...?" Meenu mere baat par pratikriya dene ke baad boli....,"aur.. Sonu kya maang raha hoga uss'se... jiske badle usne khoon kar diya!"

"Kya pata.. aapke letter maang raha ho...!" Maine idea lagaya...

"Par 'wo toh uski jeb mein hi mil gaye na... aisa karta toh wo unko lekar nahi jata kya?" Meenu boli....

"Wo... Tarun ka fone...? Usme bhi aapke foto the na...? aur wwo.. school wali video bhi..."

"Haan ...ye ho sakta hai...! par Tarun ka fone toh uske paas hai jo ab hamein fone kar raha hai....!" Meenu jhalla kar boli....

"ho sakta hai usine fone chheen kar khoon kar diya ho uska......" Main asamanjhas se boli...,"Kuchh samajh nahi aa rah didi.. Sonu ka fone dholu ke paas... Tarun ka kisi aur ke paas..."

"Ab pata lag jayega... Manav Dholu se sari baatein ugalwa lega.... pata nahi kya hone wala hai .. hey bhagwaan!" Meenu hath jod kar boli.....

"Fone kar lo na didi.... Abhi....!" Maine Meenu se kaha...

"Nahi.. wo apne aap hi kar dega.. Usne sham ko fone karne ko bola tha na... aise baar baar achchha nahi lagta....!" Meenu shayad mere saamne uss'se baat nahi karna chahti thi......

"Usko ye toh bata do... Manisha wali baat!" Maine jor dekar kaha...

"Bata doongi thodi der mein....!" Meenu ne ek baar fir mujhe taalne ki koshish ki....

"Bata do na didi.. abhi...!"

"Chal theek hai.. jeene wala darwaja band kar de....!" Meenu ne kahkar fone nikal liya...

Mere darwaja band karke aate hi usne Manav ko fone laga diya....

"Haan Meenu!" Manav ki pyar bhari aawaj hamare kaano mein goonji.. par wo thoda busy lag raha tha....

"wwo.. ek baat batani thi...!" Meenu ne hichakte huye kaha... Mujhe lag raha tha ki ye hichak meri wajah se hai....

"Bolo na!" Usne fir kaha... ab dusri taraf se aa rahi aawajein kam sunayi dene lagi thi....

"wo.. Manisha kah rahi hai ki Tarun ko Sonu ne mara tha...."

"kkyaaa?" Manav bhi chounk pada...,"koun Manisha....?"

"wo hi jisne choupal mein aawajein suni thi....!" Meenu ne yaad dilaya....

"Ohh haan... par usne pahle kyun nahi kaha ye sab....!" Manav kuchh sochne ke baad bola....

"Pata nahi... wo toh kah rahi hai ki pahle usne 'Sonu' ke darr se nahi bola kuchh... baki aap poochh lena... aapko kuchh pata laga...?" Meenu boli....

"Kya? Kis baare mein...?" Manav ne yunhi shant lahje mein poochha.....

"Dholu ne kuchh bataya nahi kya?" Meenu ne meri aur dekh kar munh banaya...

"Ohh.. Na! isne toh aur uljha di hain baatein...!" Manav bola....

"Kya matlab?" Meri bhi kuchh samajh nahi aaya tha....

"Matlab wahi.. dhak ke teen paat.. kuchh khas fayda nahi hua... isko jyada kuchh pata nahi hai....!"

"Par sonu ka fone bhi toh isike paas hai na... aur Tarun wale fone par bhi iski baat hoti hain... fir ye bhag kyun raha tha police se....?" Meenu ne ek hi saans mein jane kitni baatein bol di...

"Haan.. wo sab toh bata diya... par Case toh ab bhi wahin ka wahin hai... 'Uss' aadmi ke baare mein kuchh khas pata nahi chal paya...." Manav ne lambi saans chhodte huye kaha....

"Par.. kya pata ye jhooth bol raha ho....?" Meenu ne aashanka jatayi....

"Na! Mujhe nahi lagta... peshewar apraadhi adaalat mein jakar jhooth bolte hain.. Police ke saamne nahi.. inko pata hota hai ki yahan toh sab kuchh batana hi padega.. chahe shuru mein bata do.... ya haddiyan seedhi hone ke baad... baki raat ko ek ghanti aur loonga iski.. dekho kuchh aur nikal kar aa jaye toh.... abhi toh main gaanv aa raha hoon.. Manisha se milne... Chay peene aa jaaun kya?" Manav kahne ke baad hansne laga....

"Kal aa jana.. Mummy papa kahin ja rahe hain kal... Mummy bahut gussa hain aapse.. jis tareeke se aap aate ho!"

"toh theek hai.. ab ki baar sehra baandh kar aaunga.. tab toh gussa nahi karengi na....!" Manav ne hazirjawabi ka parichay diya.....

Meenu ke munh se ek bol bhi na nikla.... par mere mann mein ek sawaal rah rah kar umad raha tha...,"sir.. wwo.. toh kya aap Dholu ko chhod doge..?"

"bhai kuchh nahi mila toh chhodna toh padega hi... waise agar tumhe nizi dushmani nikalni ho toh 7/11 mein andar karwa sakta hoon hafta bhar....!" Manav bola....

"nahi.. par wo gaanv mein aakar mujhse......."

Mere poori baat bolne se pahle hi Manav samajh gaya...," ye tumne ab socha hai... ye toh tumhe bahut pahle soch lena chahiye tha....."

Main ekdum se darr gayi..,"wo toh mujhe chhodega nahi.. agar wapas aa gaya toh.. maine usko pakadwaya hai....!" Main ghabrakar boli....

"koun kahta hai?" Manav ajeeb se dhang se bola..,"Tumne kaise pakadwaya hai usko... ye toh police ka kamaal tha...."

"Nahi.. mujhe sach mein bahut darr lag raha hai..." Main uski baat ko nazar andaaj karti huyi boli.....

"achchha... tum kya mujhe aivein hi samajhti ho...? maine ye baat tabhi soch li thi jab tumne kaha tha ki tum Dholu ko pakadwa sakti ho... chinta mat karo.. maine sab set kar rakha hai pahle se hi.." Manav muskuraya....

"Kaise?" Mujhe chain nahi aaya tha....

"Ye lo! kah diya na koyi dikkat nahi hogi... Dholu yahi samajhta hai ki tumhe nahi pata tha ki autodriver ek police wala hai...."

"Pls bata do na.. aise mujhe chain nahi aayega.." Maine yachna si ki....

"kal paper ke baad police Sandeep ko utha layi thi.. poochhtachh ke bahane... ! abhi thodi der pahle chhoda hai usko.... Dholu ka fone survillance par toh laga hi hua tha... tumhari aur dholu ki jo baatein raat ko huyi thi.. unmein se kuchh maine Sandeep ko sunwa di.... aur uss'se poochha ki ye ladki koun hai! Uske tumhara naam batane ke baad maine uske saamne hi aise hi kisi ko fone karke tumhara naam pata dekar tum par 'kadi' najar rakhne ko kah diya tha... aur bus stand ke bahar ek 'auto' ka prabandh karne ki baat bhi kahi thi.... aaj maine unn dono ke saamne bhi iss baat ko uthaya tha.. baki baat sandeep ne khud usko samjha di hongi....

Ab Dholu jindagi bhar yahi samjhega ki mere bichhaye jaal mein fanskar tum 'meri' auto mein baith gayi hogi... Isi ko kahte hain ki heeng lage na fitkari.. aur rang chokha.. Samjhi!" Kahkar manav hansne laga toh main bhi uske sath hans padi...

Achanak mujhe kuchh yaad aaya...,"toh kya aapne Dholu ke sath meri baat...!" Mera chehra laal ho gaya...

"suni hain.." Manav hansta raha...," Tum bahut shatir ho!"

kramshah.....................












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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