बाली उमर की प्यास पार्ट--33
गतान्क से आगे............
गतान्क से आगे..................
"फिर आ रहे हो क्या?.. आज ही.." मीनू बीच में ही टपक पड़ी....
"नही.. आज नही.. कल सुबह ही आउन्गा..." मानव ने कहा और फिर गौर देकर पूचछा..," तुम ये बातें किसी और को तो नही बताती ना...?"
"कौनसी?" मीनू ने पूचछा.....
"यही.. केस से रिलेटेड मैं जो तुम्हारे साथ डिसकस कर लेता हूँ!"
"नही.. हम क्यूँ बताएँगे किसी को...?" मीनू ने तपाक से कहा....
"गुड! ठीक है.. कल मिलकर ही कुच्छ सोचते हैं.. आगे के बारे में... बाइ!" मानव ने कहा...
"बाइ!" मीनू ने बड़ी नज़ाकत से कहा और फोन काट दिया....
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"आन्जुउउउउउउ!" अगले दिन करीब 9:00 बजे पिंकी ने हमारे घर आकर नीचे से ही मुझे आवाज़ दी.....
"आई....!" मैं जाने की सोच ही रही थी उस वक़्त... मानव को जो आना था वहाँ....
"कहाँ जा रही है...? घर पर रहा कर... कल भी तेरे पापा गुस्सा कर रहे थे.. तू अब वहीं पड़ी रहती है सारा दिन...." मम्मी ने मुझे नीचे जाते देख कर टोक दिया....
"अभी आ जाउन्गि मम्मी...! बस थोड़ी देर में...." मैने मम्मी की बात को अनसुना कर दिया और नीचे दौड़ गयी....,"हाँ पिंकी!" मैने चलते चलते कहा...
"कुच्छ नही.. मीनू दीदी बुला रही हैं.. वो 'लंबू' आ गया आज फिर.. हे हे हे..!"
"उसको तो आना ही था... और कौन हैं घर पे?" मैने पूचछा....
"कोई नही.. मीनू अकेली है.. तभी तो आपको बुला रही है....!" पिंकी ने जवाब दिया...
मेरे मंन में हज़ारों सवाल थे जो जाकर मानव से पूच्छने थे... ढोलू को भी कुच्छ नही पता तो फिर किसको पता होगा भला! मैं तेज़ी से पिंकी के साथ कदम बढ़ती हुई चलती रही.......
"ववो... अंजू... मैं कह रही थी कि...." पिंकी ने बात अधूरी छ्चोड़ मेरी ओर देखा...
"क्या?... बोल!"
"वो.. हॅरी के पास चलें क्या आज एक बार...!" पिंकी सकुचते हुए बोली....
"तू खुद चली जाना.. मेरा मंन नही है सच में... !" मैने कहा....
"चल पड़ना ना अंजू.. प्लीज़.. मुझे उसके पैसे देकर आने हैं...!" पिंकी याचना सी करती हुई बोली....
"कौँसे पैसे..?" मैं उसकी बात समझ नही पाई थी....
"वही कल वाले... उसने इतना खर्चा कर दिया... मैं तो ना भी जाती.. पर दीदी कह रही हैं कि मैं उसको पैसे वापस करके नही आई तो वो मम्मी को बता देंगी...."
"बताने दे... उसने अपनी मर्ज़ी से ही तो किया है सब कुच्छ..." मैने तर्क दिया...
"नयी... ऐसे अच्च्छा नही लगता ना... क्या सोचेंगी मम्मी..? क्यूँ किया होगा उसने ऐसा... तू समझ रही है ना....." पिंकी अपनी मोटी मोटी आँखों से मुझे देखती हुई बोली....
"हां.. मैं तो सब समझ रही हूँ... मुझे तो चोर की दाढ़ी में तिनका लग रहा है..." मैं हंसते हुए बोली....
"क्या मतलब?" मतलब शायद पिंकी समझ गयी थी... उसका चेहरा ये बता रहा था....
"चल छ्चोड़.. बाद में बात करेंगे...!" पिंकी का घर आ गया था....
हम अंदर पहुँचे तो नीचे मानव अकेला ही बैठा था... बोलना तो दूर.. मैं उस'से नज़रें भी नही मिला पाई.. सीधी उपर भाग गयी.. मीनू चाय लेकर नीचे ही आ रही थी...,"चल ना.. नीचे ही चल....!"
"कुच्छ बताया दीदी...?" मैने उसके साथ ही वापस पलट'ते हुए पूचछा....
"नही.. अभी तो मैं नीचे गयी ही नही हूँ... अब चलकर पूछ्ते हैं...!" मीनू नीचे उतरती हुई बोली...,"तू उपर ही रह ना पिंकी!"
"क्यूँ?" पिंकी ने अपने कंधे उचका दिए...,"मैं भी आउन्गि..."
दोबारा मीनू ने कहा भी नही... हम नीचे आ गये.... पर मैने एक बार भी मानव से नज़रें नही मिलाई... मैं और पिंकी चुपचाप आकर चारपाई पर बैठ गये... मानव को चाय देकर मीनू भी हमारे साथ ही आ बैठी....
"अंकल आंटी कहाँ गये...?" मानव ने पहला सवाल यही किया....
मीनू पहले हमारी और जवाब के लिए देखने लगी.. पर जब हम'में से कोई कुच्छ नही बोला तो उसको ही जवाब देना पड़ा....,"किसी रिस्तेदार के यहाँ गये हैं... कल आएँगे... कुच्छ पता चला....?"
"हां.. वो... उसके बारे में बाद में बात करूँगा..... पहले ये बताओ कि ये मनीषा किस टाइप की लड़की है....?"
"किस टाइप की है...!.. मैं समझी नही...!" मीनू आँखें सिकोड कर बोली... लगभग यही ख्याल उसके सवाल पूछ्ते ही मेरे दिमाग़ में आया था... 'उस' रात मैं मनीषा को अच्छे से जान गयी थी...
"मतलब.. उसकी बात पर कहाँ तक विश्वास किया जा सकता है..?" मानव ने सपस्ट करते हुए पूचछा...
"ठीक है.. किसी से ज़्यादा बात तो वो करती भी नही.. अपने काम से काम रखती है... आक्च्युयली घर सिर्फ़ उसी के भरोसे चल रहा है... ताउ जी तो किसी काम के हैं नही...!" मीनू ने अपनी प्रतिक्रिया दी...,"बुलाउ उसको?"
"हां.. अगर वो यहीं आ जाए तो बहुत अच्च्छा रहेगा.. मैं अभी इस मॅटर को उच्छालना नही चाहता..." मानव ने हामी भरते हुए कहा...
"जा अंजू... बुला ला एक बार!" मीनू मुझसे बोली....
"पिंकी को भेज दो ना दीदी.. प्लीज़..." मैने धीरे से मीनू के कान में कहा... दरअसल मुझे उसके पास जाते हुए डर सा लग रहा था....
"मैं बुला लाती हूँ...!" मीनू के बोलने से पहले ही पिंकी ने खड़े होकर कहा और बाहर निकल गयी....
"ववो.. सच में कुच्छ पता नही चला क्या?" थोड़ा झिझक कर नीरस आँखों से मानव को देखते हुए मीनू ने पूचछा.....
"उस'से जितना और जो कुच्छ में पता कर पाया हूँ.. उसके आधार पर मैने इस डाइयरी में कहानी सी बना ली है.. ताकि छ्होटे से छ्होटा पेंच भी आँखों से बच ना पाए...!" मानव ने अपने साथ रखी डाइयरी हमें दिखाते हुए कहा...,"बाद में पढ़ लेना.. पहले मनीषा की बातें सुन लेते हैं.. वो क्या कह रही है अब? कमाल की लड़की है.. पहले नही बताया तो अब क्यूँ बता रही है ये...?"
"वो कह रही है कि पहले उसको 'सोनू' से डर लग रहा था.. इसीलिए नही बताई... बाकी हमें भी अभी ज़्यादा नही पता.. मम्मी को एक आंटी ने बताया है कि 'वो' अब ऐसा बोल रही है....." मीनू ने कहा...
"हुम्म.. देखते हैं...!" मानव ने कहा और उठकर बाहर चला गया... मैं अब तक भी उसके सामने बोलने की हिम्मत नही कर पा रही थी.....
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"आ गयी..." पिंकी ने अंदर आते ही कहा और फिर पिछे मूड कर बोली..,"अंदर आ जाओ ना दीदी!"
मनीषा कमरे के अंदर आ गयी.. वो कुच्छ सहमी हुई सी लग रही थी...,"कहाँ गये इनस्पेक्टर साहब...?" उसने आते ही पूचछा...
"यहीं तो खड़े थे अभी.. बाहर! हैं नही क्या?" मीनू खड़ी होकर बाहर झाँकते हुए बोली....
"नही.. बाहर तो कोई भी नही है...!" पिंकी ने बाहर जाकर चारों और नज़र घुमाई....
मैने एक नज़र मनीषा पर डाली और फिर नज़रें फेर ली... मैनशा आकर वहीं बैठ गयी जहाँ थोड़ी देर पहले मानव बैठा था...," तुमने बताया है क्या इनको कुच्छ?" मनीषा ने हमारी तरफ देख कर पूचछा....
"क्या? किस बारे में...?" मीनू अंजान बनकर बोली...
"ववो.. तरुण के बारे में.....!" मनीषा ने कहा और मीनू को गौर से देखने लगी....
"नही तो... इन्होने खुद आकर जिकर किया था थोड़ा सा.. तूने किसी को बोला होगा...!" मीनू ने सॉफ झूठ बोला.....
मनीषा चारपाई पर बैठी अपनी उंगलियाँ मतकाती रही.. फिर कुच्छ देर बाद अचानक बोली..,"यहाँ क्यूँ आए है फिर ये?"
"ववो.. क्या है कि इनसे हमारी पहले की जान पहचान है.. इसीलिए आ जाते हैं केयी बार.. पहले भी आए हैं ये...!" मीनू सफाई सी देने लगी....
मनीषा सहमति में सिर हिलाने लगी.. कुच्छ देर चुपचाप बैठी रहने के बाद मुझसे बोली,"आ जाया कर अंजू.. तू आती ही नही कभी... क्या बात है.. नाराज़ है क्या...?"
"ना..नही.. ववो.." मेरा जवाब पूरा होता इस'से पहले ही मानव अंदर आ गये.. उसको देखते ही हड़बड़ा कर मनीषा चारपाई से उठ गयी...
"बैठो बैठो...!" मानव ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर उसके साथ वाली चारपाई पर बैठ कर मनीषा के पास रखी डाइयरी उठाकर अपने पास रख ली...,"तुम्हारा नाम भूल गया था मैं...!"
"हां जी..?" मनीषा एक बार फिर अपनी उंगलियाँ मटकाने लगी थी....
"हूंम्म.. मनीषा..! क्या करती हो?" मानव ने पूचछा....
"ज्जई.. ववो कुच्छ नही.. घर का और खेत का काम ही करती हूँ...!" मनीषा ने सकुचते हुए जवाब दिया....
"गुड! एक बात पूच्छू..?" मानव ने आयेज कहा...
"ज्जई..."
"ययए... ये सब तुमने पहले क्यूँ नही बताया...?"
"ज्जई.. क्या?"
"यही की तरुण का खून सोनू ने किया है.. ये तुम्हे पता था...!" मानव ने उसको पैनी निगाह से घूरते हुए पूचछा...
"ज्जई.. ववो.. मुझे डर लग रहा था..."
"अब नही लग रहा...!"
"ज्जई.. ववो.. सोनू तो मर ही गया अब!"
"हुम्म.. मतलब अब किसी का डर नही है...?"
"ज्जई.. डर तो अब भी है.. पर मेरे मुँह से यूँही किसी के आगे निकल गया था...!"
"तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही है.. मैं तुम्हे गवाह बनाकर अदालतों के चक्कर नही कत्वाउन्गा.. ना ही अपनी तरफ से किसी को ये बात ही बताउन्गा की तुमने मुझे कुच्छ बताया है....मैं सिर्फ़ ये जान'ना चाहता हूँ कि हुआ क्या था!.. कहो तो इनको भी बाहर भेज दूं?"
"ज्जई.. नही.. ठीक है..!"
"तो सच सच बतओगि ना...?" मानव ने पूचछा...
"जी ...बता दूँगा!" मनीषा ने एक गहरी साँस ली.....
"ठीक है.. बताओ फिर.. देखो कुच्छ भी झूठ मत बोलना.. जो कुच्छ पता है.. सब कुच्छ बता दो..!"
"ज्जई...!" मनीषा ने अपना सिर हिलाया.. उसकी नज़रें अब भी ज़मीन में ही गढ़ी हुई थी...
"बताओ फिर!" मानव ने कहा....
मनीषा अपनी नज़रें उठाकर हमारे पिछे वाली दीवार को घूरती हुई बोलने लगी....
" ज्जई.. वो उस दिन मैं अपनी भैंसॉं को चारा डाल रही थी.. तभी मुझे चौपाल में बहस होने की आवाज़ें आनी शुरू हो गयी.. मैं यूँही दीवार के उपर से कान लगाकर कुच्छ सुन'ने की कोशिश करने लगी.. पर कुच्छ सॉफ सुनाई नही दिया.. उत्सुकता वश मैने कंबल औधा और अपने घर से निकल कर चौपाल में घुस गयी.. वहाँ..."
बोलती हुई मनीषा को मानव ने टोक दिया...,"उन्होने तुम्हे देखा नही..?...चौपाल में जाते हुए....?"
"नही.. वहाँ रात को बहुत अंधेरा होता है... कुच्छ दिखाई नही देता... मैं दबे पाँव अंदर गयी थी...." मनीषा बोली...
"तुम्हे डर भी नही लगा.. ? अंधेरे में अंदर जाते हुए?" मानव ने उत्सुकता से पूचछा...
"नही... डर की क्या बात है..!" मनीषा दृढ़ता से बोली....
"फिर भी यार.. तुम लड़की हो! अंधेरे में ऐसे जाते हुए डर तो लगता ही है...."
"ऐसे तो मैं रात रात भर खेतों में रहती हूँ.. मुझे अंधेरे से डर नही लगता...!" मनीषा बोली...
"गुड... फिर क्या हुआ?" मानव गौर से उसको देखता हुआ बोला....
"मैं उनसे थोड़ी ही दूर एक दीवार की आड़ में खड़ी हो गया.. मैने आवाज़ें पहचान ली थी.. वो दोनो सोनू और तरुण ही थे.... सोनू तरुण से कुच्छ माँग रहा था.. और तरुण उसको देने से मना कर रहा था.. बार बार....!"
"क्या माँग रहा था..? तुम्हे तो सब कुच्छ याद होगा...!" मानव ने एक बार फिर उसको टोक दिया....
"हां.. वो कुच्छ पैसों की बात कर रहे थे.. 1 लाख.. 2 लाख.. 5 लाख.. पूरी बात मेरी समझ में नही आई... सोनू ने उस'से उसका मोबाइल भी माँगा था... तरुण कह रहा था कि उसके पास अब कुच्छ नही है... सोनू लेटर'स की बात भी कर रहा था.. अचानक उन्न दोनो में बहस बहुत ज़्यादा बढ़ गयी और दोनो एक दूसरे को गाली देने लगे... लात घूँसे भी चले थे उनमें... अचानक सोनू ने चाकू निकाला और तरुण को चाकू मारने लगा.... तरुण एक दो बार चीखा पर बाद में एक दम शांत हो गया..... कुच्छ देर बाद सोनू वहाँ से भाग गया... " कहकर मनीषा चुप हो गयी.....
"ओह्ह.. तुमने तरुण को बचाने की कोशिश क्यूँ नही की.. तुम उस वक़्त अगर किसी को बता देती तो वह बच भी सकता था...." मानव कुच्छ देर बाद बोला....
मनीषा कुच्छ देर तक यूँही शुन्य को घूरती रही.. अचानक उसकी आँखों में आँसू आ गये...,"मैने सोचा वो मर गया होगा..!"
"और तुम वापस जाकर चुपचाप सो गयी.. है ना?" मानव थोडा उत्तेजित सा लगने लगा... पर मनीषा ने उसकी इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नही दी....
"चाकू अभी भी तुम्हारे पास ही है या कहीं फैंक दिया..?" मानव की बात सुनकर हम भी उछले बिना ना रह सके... मेरी समझ में नही आया कि उन्होने ऐसा क्यूँ कहा...
"क्क्याअ? मुझे क्या पता चाकू का...? ववो तो सोनू अपने साथ ले गया.. होगा!" मनीषा व्यथित सी होते हुए बोली......
"जस्ट जोकिंग...! वैसे तुमने ठीक से देखा था कि चाकू कैसा था... या कितना लंबा था?" मानव बात को बदलते हुए बोला...
"नही... मैं कैसे देखती.. वहाँ तो बिल्कुल अंधेरा था...!" मनीषा बोली...
"तुमने अभी कहा था ना कि.. सोनू ने चाकू निकाला..." मानव उसको उसकी बात याद दिलाते हुए बोला..,"इसीलिए मैने सोचा की...."
"नही.. वो तो मैने अंदाज़ा लगा कर कह दिया था.. निकाल कर ही मारा होगा.. हाथ में पहले से लेकर क्या करता...." मनीषा ने कहा.....
"तुम्हारे पास मोबाइल है?" मानव ने पूचछा....
"ज्जई... नही!" मनीषा ने जवाब दिया....
"और कुच्छ.. याद हो..? मतलब उस रात से रिलेटेड?" मानव ने पूचछा.... मनीषा ना 'ना' मैं सिर हिला दिया...
"ठीक है.. ज़रूरत पड़ी तो मैं फिर बात कर लूँगा... अभी तुम जाओ...!" मानव कहने के बाद मुस्कुराया....
मनीषा बिना कुच्छ बोले तुरंत वहाँ से उठकर चली गयी.....
"क्या लगता है तुम्हे? ये सच बोल रही है या..." मानव उसके जाते ही बोलने लगा तो मीनू बीच में ही बोल पड़ी...,"झूठ क्यूँ बोलेगी.. इसको क्या पड़ी है.. झूठ बोलने की..."
"अंजू?"
"ज्जई. सर..." मैं अचानक जैसे नींद से जागी... हड़बड़ा कर मानव को देखते ही मैने तुरंत सिर झुका लिया...
"तुम कुच्छ उदास लग रही हो.. क्या बात है?" मानव मुझसे बात कर रहा था.. ,"एक तुम्ही तो खुलकर मेरा साथ दे रही हो यार.. तुम ऐसे करोगी तो कैसे चलेगा...
"ज्जई.. सर.. मैं ठीक हूँ.." बोलते हुए ही मैं सिर झुकाए दाँतों में उंगली दबाकर नाख़ून कुतरने लगी....
"मैं सोनू के घर होकर आता हूँ... तब तक तुम 'ये' डाइयरी पढ़ लो.. इसमें मैने ढोलू के बयान लिख रखे हैं.. 'मैं' का मतलब ढोलू समझना..." मानव ने खड़ा होकर डाइयरी मेरे हाथों में पकडाई और वहाँ से चला गया....
"आओ दीदी, पढ़ते हैं..." मानव के जाते ही मैने झिझक का चोला उतार फैंका...
"तुम्ही पढ़ लो.. मुझे नही पढ़नी..." मीनू अचानक तुनक कर बोली..
मैं उसके मुँह को देखती रह गयी...,"क्या हुआ दीदी?"
"कुच्छ नही..!" मीनू गुस्से में लग रही थी....
"बताओ ना.. क्या हुआ?" मैने मीनू का हाथ पकड़ कर खींचते हुए कहा....,"आओ ना पढ़ते हैं...!"
"नही.. तुम्ही तो हो जो उसका साथ दे रही हो खुलकर.. तुम ही पढ़ लो.. मैं क्या करूँगी पढ़कर..." मीनू सुर्ख लहजे में बोली.. पिंकी चुपचाप सारा तमाशा देख रही थी....
"ओह्हो... आप भी ना! ववो.. मैं कुच्छ बोल नही रही थी ना.. इसीलिए कह रहे होंगे... आ जाओ प्लीज़..." मैने प्रार्थना सी की...
"तो मैं क्या उसके सिर पर चढ़ि हुई थी.. मैं भी तो चुपचाप ही बैठी थी.. तुम्हारी बड़ी फिकर हो रही है उसको!" मीनू ने मुँह बनाकर कहा और मेरे हाथ से डाइयरी छ्चीन कर एक तरफ जा बैठी... मैं चुपचाप उसको घूरती रह गयी....
"आ जाओ अब!.. पढ़नी नही क्या?" थोड़ी देर बाद मीनू ने मुझसे कहा.. पिंकी पहले ही उसके पास पहुँच चुकी थी....
मैने मुस्कुरकर मीनू की ओर देखा और उसके पास जाकर बैठ गयी....,"आप बोल बोल कर पढ़ दो!"
मीनू के एक दो पन्ना पलटने के बाद हमें 'वो' मिल गया जिसको हम ढूँढ रहे थे......
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जिस दिन तरुण का खून हुआ.. उस दिन करीब 4:00 बजे मेरे पास माथुर साहब का फोन आया...
"जी माथुर साहब! बड़े दीनो में याद किया मुझे... कहाँ हो आजकल?"
"ढोलू भाई कैसे हो?" माथुर साहब के पहले शब्द यही थे....
"ठीक हूँ.. साहब.. अपनी सूनाओ!" मैने कहा....
"क्या सुनाऊं यार... खंख़्वाह का लोचा हो गया एक... तुम्हारे गाँव के सोनू और तरुण को जानते हो?"
"हूंम्म.. हां जानता हूँ... सोनू तो अपना ही पत्ता है.. हूकम करो!" मैने कहा.....
"यार.. ववो.. दरअसल मेरी एग्ज़ॅम में ड्यूटी लगी हुई है.. तुम्हारे गाँव के पास ही...!"
"तो फिर आओ ना माथुर साहब.. बोलो कैसी खातिरदारी चाहिए....!"
"वो तो होती रहेगी यार.. पहले मेरी बात तो सुन लो...."
"बोलो ना साहब.. आपकी दिक्कत मेरी दिक्कत है.. कुच्छ कर दिया क्या बच्चों ने?" मैने एक बार फिर उनको टोक दिया...
"सुन तो लो यार.. बीच में मत बोलो.. ववो दरअसल तुम्हारे गाँव में एक लड़की है अंजलि.. अभी बोर्ड के एग्ज़ॅम दे रही है.....!"
"हाँ है.. बोलो..."
"पेपर में उस'से नकल मिली थी.. चालू टाइप की लगी मुझे.. मैने पेपर के बाद उसको रोक लिया था.. उसके साथ एक और लड़की थी.. पता नही क्या नाम है... खैर छ्चोड़ो.... मैं उनके साथ थोड़ा टाइम पास कर रहा था तो उन्न बेहन के यारों ने मोबाइल में उसकी वीडियो बना ली....!"
"श.." मेरी हँसी छ्छूट गयी..,"दिक्कत क्या है?" मैने पूचछा....
"अब दिक्कत ये है कि साले मुझे ब्लॅकमेल कर रहे हैं.. एक पेटी माँग रहे हैं मुझसे... समझा यार उनको.. तेरे गाँव के हैं.. नही तो मैं उनको अब तक बता भी देता कि माथुर क्या चीज़ है....!"
"क्या करना है..?" मैने पूचछा...
"करना क्या है यार.. एक तो तू तेरा ही पत्ता बता रहा है.. समझा दे उनको.. वीडियो डेलीट कर देंगे और भूल जाएँगे बात को...!"
"हो जाएगा साहब.. और बोलो.. मैं अभी सोनू को बुला कर समझा देता हूँ...!" मैने कहा..
"ठीक है यार.. मेरी टेन्षन दूर हो जाएगी.. तू अभी कर दे ये काम...!"
"कर देता हूँ.. मेरा खर्चा पानी...?"
"आबे.. इतने छ्होटे से काम के पैसे लेगा? बदल गया है तू.. !"
"क्या करें साहब..? अपने कोई दारू के ठेके तो हैं नही.. इसी में काम ज़्यादा कर लेते हैं... कुच्छ तो करो.. आपकी भी तो 'पेटी' बच रही है आख़िर....!" मैने कहा...
"बता फिर कितने लेगा... आइन्दा में भी याद रखूँगा...!" माथुर ने कहा...
"अरे जो भी खुशी से आप दें..! प्रसाद समझ कर रख लूँगा..." मैने हंसते हुए कहा.....
"चल ठीक है.. 5 ठीक हैं ना...?"
"बड़ी मेहरबानी होगी सरकार.. मैं अभी आपका काम कर देता हूँ..." मैने माथुर साहब का फोन काटा और तुरंत सोनू को फोन लगाया....
"हां भाई?" सोनू ने तुरंत फोन उठा लिया....
"किधर है?" मैने पूचछा....
"यहीं हूँ भाई... कुच्छ काम था क्या?"
"तरुण तेरे साथ ही है क्या?" मैने पूचछा....
"अभी गया है मेरे पास से... कुच्छ काम है क्या?" सोनू ने पूचछा....
" हां काम है तभी तो...! तू ऐसा कर... तरुण को लेकर जल्दी मेरे पास आजा... बहुत ज़रूरी काम है...!"
"तरुण को क्यूँ भाई?" उसने पूचछा....
"तू उसको लेकर आजा.. यहीं बैठ कर बताउन्गा....!" मैने कहा....
"ठीक है भाई.. मैं आता हूँ उसको लेकर...!" सोनू ने कहा और फोन काट दिया......
क्रमशः....................
"Fir aa rahe ho kya?.. aaj hi.." Meenu beech mein hi tapak padi....
"Nahi.. aaj nahi.. kal subah hi aaunga..." Manav ne kaha aur fir gour dekar poochha..," Tum ye baatein kisi aur ko toh nahi batati na...?"
"Kounsi?" Meenu ne poochha.....
"Yahi.. case se related main jo tumhare sath discuss kar leta hoon!"
"Nahi.. hum kyun batayenge kisi ko...?" Meenu ne tapak se kaha....
"good! theek hai.. kal milkar hi kuchh sochte hain.. aage ke baare mein... Bye!" Manav ne kaha...
"Bye!" Meenu ne badi najakat se kaha aur fone kaat diya....
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"Anjuuuuuuu!" Agle din kareeb 9:00 baje Pinky ne hamare ghar aakar neeche se hi mujhe aawaj di.....
"aayi....!" Main jane ki soch hi rahi thi uss waqt... Manav ko jo aana tha wahan....
"Kahan ja rahi hai...? Ghar par raha kar... kal bhi tere papa gussa kar rahe the.. tu ab wahin padi rahti hai sara din...." Mummy ne mujhe neeche jate dekh kar tok diya....
"Abhi aa jaaungi mummy...! bus thodi der mein...." Maine mummy ki baat ko ansuna kar diya aur neeche doud gayi....,"Haan Pinky!" Maine chalte chalte kaha...
"Kuchh nahi.. Meenu didi bula rahi hain.. wo 'lambu' aa gaya aaj fir.. he he he..!"
"Usko toh aana hi tha... aur koun hain ghar pe?" Maine poochha....
"Koyi nahi.. Meenu akeli hai.. tabhi toh aapko bula rahi hai....!" Pinky ne jawab diya...
Mere mann mein hazaron sawaal the jo jakar Manav se poochhne the... Dholu ko bhi kuchh nahi pata toh fir kisko pata hoga bhala! Main tezi se Pinky ke sath kadam badhati huyi chalti rahi.......
"wwo... Anju... main kah rahi thi ki...." Pinky ne baat adhoori chhod meri aur dekha...
"Kya?... Bol!"
"wo.. Harry ke paas chalein kya aaj ek baar...!" Pinky sakuchate huye boli....
"Tu khud chali jana.. mera mann nahi hai sach mein... !" Maine kaha....
"chal padna na Anju.. plz.. Mujhe uske paise dekar aane hain...!" Pinky yachna si karti huyi boli....
"Kounse paise..?" Main uski baat samajh nahi payi thi....
"Wahi kal wale... usne itna kharcha kar diya... main toh na bhi jati.. par didi kah rahi hain ki main usko paise wapas karke nahi aayi toh wo mummy ko bata dengi...."
"Batane de... Usne apni marzi se hi toh kiya hai sab kuchh..." Maine tark diya...
"Nayi... aise achchha nahi lagta na... kya sochengi mummy..? kyun kiya hoga usne aisa... tu samajh rahi hai na....." Pinky apni moti moti aankhon se mujhe dekhti huyi boli....
"Haan.. main toh sab samajh rahi hoon... mujhe toh chor ki dadhi mein tinka lag raha hai..." Main hanste huye boli....
"Kya matlab?" Matlab shayad Pinky samajh gayi thi... uska chehra ye bata raha tha....
"Chal chhod.. baad mein baat karenge...!" Pinky ka ghar aa gaya tha....
Hum andar pahunche toh neeche Manav akela hi baitha tha... Bolna toh door.. main uss'se najrein bhi nahi mila payi.. seedhi upar bhag gayi.. Meenu chay lekar neeche hi aa rahi thi...,"Chal na.. Neeche hi chal....!"
"Kuchh bataya didi...?" Maine Uske sath hi wapas palat'te huye poochha....
"Nahi.. abhi toh main neeche gayi hi nahi hoon... ab chalkar poochhte hain...!" Meenu neeche utarti huyi boli...,"Tu upar hi rah na Pinky!"
"Kyun?" Pinky ne apne kandhe uchka diye...,"Main bhi aaungi..."
Dobara Meenu ne kaha bhi nahi... hum neeche aa gaye.... Par maine ek baar bhi Manav se najrein nahi milayi... Main aur Pinky chupchap aakar charpayi par baith gaye... Manav ko chay dekar Meenu bhi hamare sath hi aa baithi....
"Uncle aunty kahan gaye...?" Manav ne pahla sawaal yahi kiya....
Meenu pahle hamari aur jawab ke liye dekhne lagi.. par jab hum'mein se koyi kuchh nahi bola toh usko hi jawab dena pada....,"Kisi ristedaar ke yahan gaye hain... kal aayenge... kuchh pata chala....?"
"haan.. wo... uske baare mein baad mein baat karoonga..... Pahle ye batao ki ye Manisha kis type ki ladki hai....?"
"Kis type ki hai...!.. main samjhi nahi...!" Meenu aankhein sikod kar boli... lagbhag yahi khyal uske sawaal poochhte hi mere dimag mein aaya tha... 'Uss' raat main Manisha ko achchhe se jaan gayi thi...
"Matlab.. uski baat par kahan tak vishvas kiya ja sakta hai..?" Manav ne sapast karte huye poochha...
"Theek hai.. kisi se jyada baat toh wo karti bhi nahi.. apne kaam se kaam rakhti hai... actually ghar sirf usi ke bharose chal raha hai... taau ji toh kisi kaam ke hain nahi...!" Meenu ne apni pratikriya di...,"Bulaaun usko?"
"Haan.. agar wo yahin aa jaye toh bahut achchha rahega.. main abhi iss matter ko uchhalna nahi chahta..." Manav ne hami bharte huye kaha...
"Ja Anju... bula la ek baar!" Meenu mujhse boli....
"Pinky ko bhej do na didi.. plz..." Maine dheere se Meenu ke kaan mein kaha... Darasal mujhe uske paas jate huye darr sa lag raha tha....
"Main bula lati hoon...!" Meenu ke bolne se pahle hi Pinky ne khade hokar kaha aur bahar nikal gayi....
"wwo.. sach mein kuchh pata nahi chala kya?" Thoda jhijhak kar neeras aankhon se Manav ko dekhte huye meenu ne poochha.....
"Uss'se jitna aur jo kuchh mein pata kar paya hoon.. uske aadhar par maine iss diary mein kahani si bana li hai.. taki chhote se chhota pench bhi aankhon se bach na paye...!" Manav ne apne sath rakhi diary hamein dikhate huye kaha...,"baad mein padh lena.. pahle Manisha ki baatein sun lete hain.. wo kya kah rahi hai ab? kamaal ki ladki hai.. pahle nahi bataya toh ab kyun bata rahi hai ye...?"
"Wo kah rahi hai ki pahle usko 'Sonu' se darr lag raha tha.. isiliye nahi batayi... baki hamein bhi abhi jyada nahi pata.. Mummy ko ek aunty ne bataya hai ki 'wo' ab aisa bol rahi hai....." Meenu ne kaha...
"Humm.. dekhte hain...!" Manav ne kaha aur uthkar bahar chala gaya... Main ab tak bhi uske saamne bolne ki himmat nahi kar pa rahi thi.....
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"aa gayi..." Pinky ne andar aate hi kaha aur fir pichhe mud kar boli..,"andar aa jao na didi!"
Manisha kamre ke andar aa gayi.. wo kuchh sahmi huyi si lag rahi thi...,"Kahan gaye inspector sahab...?" Usne aate hi poochha...
"Yahin toh khade the abhi.. bahar! hain nahi kya?" Meenu khadi hokar bahar jhankte huye boli....
"Nahi.. bahar toh koyi bhi nahi hai...!" Pinky ne bahar jakar charon aur nazar ghumayi....
Maine ek nazar Manisha par dali aur fir nazarein fer li... Mainsha aakar wahin baith gayi jahan thodi der pahle Manav baitha tha...," Tumne bataya hai kya inko kuchh?" Manisha ne hamari taraf dekh kar poochha....
"Kya? kis baare mein...?" Meenu anjaan bankar boli...
"wwo.. Tarun ke baare mein.....!" Manisha ne kaha aur Meenu ko gour se dekhne lagi....
"Nahi toh... inhone khud aakar jikar kiya tha thoda sa.. tune kisi ko bola hoga...!" Meenu ne saaf jhooth bola.....
Manisha charpayi par baithi apni ungaliyan matkati rahi.. fir kuchh der baad achanak boli..,"Yahan kyun aaye hai fir ye?"
"wwo.. kya hai ki inse hamari pahle ki jaan pahchan hai.. isiliye aa jate hain kayi baar.. pahle bhi aaye hain ye...!" Meenu safayi si dene lagi....
Manisha sahmati mein sir hilane lagi.. kuchh der chupchap baithi rahne ke baad mujhse boli,"aa jaya kar Anju.. tu aati hi nahi kabhi... kya baat hai.. naraz hai kya...?"
"Na..nahi.. wwo.." Mera jawab poora hota iss'se pahle hi Manav andar aa gaye.. usko dekhte hi hadbada kar Manisha charpayi se uth gayi...
"Baitho baitho...!" Manav ne muskurate huye kaha aur fir uske sath wali charpayi par baith kar Manisha ke paas rakhi diary uthakar apne paas rakh li...,"Tumhara naam bhool gaya tha main...!"
"haan ji..?" Manisha ek baar fir apni ungaliyan matkane lagi thi....
"hummm.. Manisha..! kya karti ho?" Manav ne poochha....
"jji.. wwo kuchh nahi.. ghar ka aur khet ka kaam hi karti hoon...!" Manisha ne sakuchate huye jawab diya....
"Gud! ek baat poochhoon..?" Manav ne aage kaha...
"jji..."
"yye... ye sab tumne pahle kyun nahi bataya...?"
"Jji.. kya?"
"Yahi ki Tarun ka khoon Sonu ne kiya hai.. ye tumhe pata tha...!" Manav ne usko paini nigah se ghoorte huye poochha...
"jji.. wwo.. mujhe darr lag raha tha..."
"Ab nahi lag raha...!"
"jji.. wwo.. sonu toh mar hi gaya ab!"
"Humm.. matlab ab kisi ka darr nahi hai...?"
"jji.. darr toh ab bhi hai.. par mere munh se yunhi kisi ke aage nikal gaya tha...!"
"Tumhe darne ki koyi jarurat nahi hai.. main tumhe gawah banakar adaalton ke chakkar nahi katwaaunga.. na hi apni taraf se kisi ko ye baat hi bataaunga ki tumne mujhe kuchh bataya hai....main sirf ye jaan'na chahta hoon ki hua kya tha!.. kaho toh inko bhi bahar bhej doon?"
"jji.. nahi.. theek hai..!"
"toh sach sach bataogi na...?" Manav ne poochha...
"ji ...bata doonga!" Manisha ne ek gahri saans li.....
"Theek hai.. batao fir.. dekho kuchh bhi jhooth mat bolna.. jo kuchh pata hai.. sab kuchh bata do..!"
"jji...!" Manisha ne apna sir hilaya.. uski najrein ab bhi jameen mein hi gadi huyi thi...
"Batao fir!" Manav ne kaha....
Manisha apni najrein uthakar hamare pichhe wali deewar ko ghoorti huyi bolne lagi....
" Jji.. wo uss din main apni bhainson ko chara daal rahi thi.. Tabhi mujhe choupal mein bahas hone ki aawajein aani shuru ho gayi.. main yunhi deewar ke upar se kaan lagakar kuchh sun'ne ki koshish karne lagi.. par kuchh saaf sunayi nahi diya.. Utsukta vash maine kambal audha aur apne ghar se nikal kar choupal mein ghus gayi.. wahan..."
Bolti huyi Manisha ko manav ne tok diya...,"unhone tumhe dekha nahi..?...choupal mein jate huye....?"
"Nahi.. wahan raat ko bahut andhera hota hai... kuchh dikhayi nahi deta... main dabe paanv andar gayi thi...." Manisha boli...
"Tumhe darr bhi nahi laga.. ? andhere mein andar jate huye?" Manav ne utsukta se poochha...
"Nahi... dar ki kya baat hai..!" Manisha dridhta se boli....
"Fir bhi yaar.. tum ladki ho! andhere mein aise jate huye darr toh lagta hi hai...."
"aise toh main raat raat bhar kheton mein rahti hoon.. mujhe andhere se darr nahi lagta...!" Manisha boli...
"gud... fir kya hua?" Manav gour se usko dekhta hua bola....
"Main unse thodi hi door ek deewar ki aad mein khadi ho gaya.. maine aawajein pahchan li thi.. wo dono Sonu aur Tarun hi the.... Sonu Tarun se kuchh maang raha tha.. aur Tarun usko dene se mana kar raha tha.. baar baar....!"
"Kya maang raha tha..? tumhe toh sab kuchh yaad hoga...!" Manav ne ek baar fir usko tok diya....
"Haan.. wo kuchh paison ki baat kar rahe the.. 1 lakh.. 2 lakh.. 5 lakh.. poori baat meri samajh mein nahi aayi... Sonu ne uss'se uska mobile bhi maanga tha... Tarun kah raha tha ki uske paas ab kuchh nahi hai... Sonu letter's ki baat bhi kar raha tha.. achanak unn dono mein bahas bahut jyada badh gayi aur dono ek dusre ko gali dene lage... laat ghoonse bhi chale the unmein... achanak Sonu ne chaku nikala aur Tarun ko chaku maarne laga.... Tarun ek do baar cheekha par baad mein ek dum shant ho gaya..... kuchh der baad Sonu wahan se bhag gaya... " kahkar Manisha chup ho gayi.....
"Ohh.. tumne Tarun ko bachane ki koshish kyun nahi ki.. tum uss waqt agar kisi ko bata deti toh wah bach bhi sakta tha...." Manav kuchh der baad bola....
Manisha kuchh der tak yunhi shunya ko ghoorti rahi.. achanak uski aankhon mein aansoo aa gaye...,"Maine socha wo mar gaya hoga..!"
"aur tum wapas jakar chuchap so gayi.. hai na?" Manav thoda uttejit sa lagne laga... Par Manisha ne uski iss baat par koyi pratikriya nahi di....
"Chaku abhi bhi tumhare paas hi hai ya kahin faink diya..?" Manav ki baat sunkar hum bhi uchhale bina na rah sake... meri samajh mein nahi aaya ki unhone aisa kyun kaha...
"Kkyaaa? mujhe kya pata chaku ka...? wwo toh Sonu apne sath le gaya.. hoga!" Manisha vyathit si hote huye boli......
"Just joking...! waise tumne theek se dekha tha ki chaku kaisa tha... ya kitna lamba tha?" Manav baat ko badalte huye bola...
"Nahi... main kaise dekhti.. wahan toh bilkul andhera tha...!" Manisha boli...
"Tumne abhi kaha tha na ki.. Sonu ne chaku nikala..." Manav usko uski baat yaad dilate huye bola..,"Isiliye maine socha ki...."
"Nahi.. wo toh maine andaja laga kar kah diya tha.. nikal kar hi mara hoga.. hath mein pahle se lekar kya karta...." Manisha ne kaha.....
"tumhare paas mobile hai?" Manav ne poochha....
"jji... nahi!" Manisha ne jawab diya....
"aur kuchh.. yaad ho..? matlab uss raat se related?" Manav ne poochha.... Manisha na 'na' main sir hila diya...
"Theek hai.. jarurat padi toh main fir baat kar loonga... abhi tum jao...!" Manav kahne ke baad muskuraya....
Manisha bina kuchh bole turant wahan se uthkar chali gayi.....
"Kya lagta hai tumhe? ye sach bol rahi hai ya..." Manav uske jate hi bolne laga toh Meenu beech mein hi bol padi...,"Jhooth kyun bolegi.. isko kya padi hai.. jhooth bolne ki..."
"anju?"
"jji. Sir..." Main achanak jaise neend se jagi... hadbada kar Manav ko dekhte hi maine turant sir jhuka liya...
"tum kuchh udaas lag rahi ho.. kya baat hai?" Manav mujhse baat kar raha tha.. ,"Ek tumhi toh khulkar mera sath de rahi ho yaar.. tum aise karogi toh kaise chalega...
"jji.. sir.. main theek hoon.." Bolte huye hi main sir jhukaye daanton mein ungali dabakar nakhoon kutarne lagi....
"Main Sonu ke ghar hokar aata hoon... tab tak tum 'ye' diary padh lo.. ismein maine Dholu ke bayan likh rakhe hain.. 'main' ka matlab Dholu samajhna..." Manav ne khada hokar diary mere hathon mein pakdayi aur wahan se chala gaya....
"aao didi, padhte hain..." Manav ke jate hi Maine jhijhak ka chola utaar fainka...
"Tumhi padh lo.. mujhe nahi padhni..." Meenu achanak tunak kar boli..
main uske munh ko dekhti rah gayi...,"kya hua didi?"
"Kuchh nahi..!" Meenu gusse mein lag rahi thi....
"Batao na.. kya hua?" Maine Meenu ka hath pakad kar kheenchte huye kaha....,"aao na padhte hain...!"
"nahi.. tumhi toh ho jo uska sath de rahi ho khulkar.. tum hi padh lo.. main kya karoongi padhkar..." Meenu surkh lahje mein boli.. Pinky chupchap sara tamasha dekh rahi thi....
"Ohho... aap bhi na! wwo.. main kuchh bol nahi rahi thi na.. isiliye kah rahe honge... aa jao plz..." Maine prarthna si ki...
"toh main kya uske sir par chadhi huyi thi.. main bhi toh chupchap hi baithi thi.. tumhari badi fikar ho rahi hai usko!" Meenu ne munh banakar kaha aur mere hath se diary chheen kar ek taraf ja baithi... Main chupchap usko ghoorti rah gayi....
"aa jao ab!.. padhni nahi kya?" thodi der baad Meenu ne mujhse kaha.. Pinky pahle hi uske paas pahunch chuki thi....
Maine muskurakar Meenu ki aur dekha aur uske paas jakar baith gayi....,"aap bol bol kar padh do!"
Meenu ke ek do panna palatne ke baad hamein 'wo' mil gaya jisko hum dhoondh rahe the......
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Jis din Tarun ka khoon hua.. uss din kareeb 4:00 baje mere paas Mathur sahab ka fone aaya...
"Ji mathur sahab! bade dino mein yaad kiya mujhe... kahan ho aajkal?"
"Dholu bhai kaise ho?" Mathur sahab ke pahle shabd yahi the....
"theek hoon.. sahab.. apni sunao!" Maine kaha....
"kya sunaoon yaar... khamkhwah ka locha ho gaya ek... Tumhare gaanv ke Sonu aur Tarun ko jaante ho?"
"Hummm.. haan janta hoon... Sonu toh apna hi pattha hai.. hukam karo!" Maine kaha.....
"Yaar.. wwo.. darasal meri exam mein duty lagi huyi hai.. tumhare gaanv ke paas hi...!"
"Toh fir aao na Mathur sahab.. bolo kaisi khatirdaari chahiye....!"
"Wo toh hoti rahegi yaar.. pahle meri baat toh sun lo...."
"Bolo na sahab.. aapki dikkat meri dikkat hai.. kuchh kar diya kya bachchon ne?" Maine ek baar fir unko tok diya...
"sun toh lo yaar.. beech mein mat bolo.. wwo darasal tumhare gaanv mein ek ladki hai Anjali.. Abhi board ke exam de rahi hai.....!"
"haan hai.. bolo..."
"Paper mein uss'se nakal mili thi.. chalu type ki lagi mujhe.. maine paper ke baad usko rok liya tha.. uske sath ek aur ladki thi.. pata nahi kya naam hai... khair chhodo.... Main unke sath thoda time paas kar raha tha toh unn behan ke yaaron ne mobile mein uski video bana li....!"
"ohh.." Meri hansi chhoot gayi..,"Dikkat kya hai?" Maine poochha....
"Ab dikkat ye hai ki saale mujhe blackmail kar rahe hain.. ek peti maang rahe hain mujhse... Samjha yaar unko.. tere gaanv ke hain.. nahi toh main unko ab tak bata bhi deta ki mathur kya cheej hai....!"
"Kya karna hai..?" Maine poochha...
"Karna kya hai yaar.. ek toh tu tera hi pattha bata raha hai.. samjha de unko.. video delete kar denge aur bhool jayenge baat ko...!"
"Ho jayega sahab.. aur bolo.. main abhi sonu ko bula kar samjha deta hoon...!" Maine kaha..
"theek hai yaar.. meri tension door ho jayegi.. tu abhi kar de ye kaam...!"
"Kar deta hoon.. mera kharcha pani...?"
"abey.. itne chhote se kaam ke paise lega? badal gaya hai tu.. !"
"Kya karein sahab..? apne koyi daru ke theke toh hain nahi.. isi mein kam jyada kar lete hain... kuchh toh karo.. aapki bhi toh 'peti' bach rahi hai aakhir....!" Maine kaha...
"bata fir kitne lega... aainda mein bhi yaad rakhoonga...!" Mathur ne kaha...
"Arey jo bhi khushi se aap dein..! prasad samajh kar rakh loonga..." Maine hanste huye kaha.....
"chal theek hai.. 5 theek hain na...?"
"Badi meharbani hogi sarkaar.. main abhi aapka kaam kar deta hoon..." Maine Mathur sahab ka fone kata aur turant Sonu ko fone lagaya....
"Haan bhai?" Sonu ne turant fone utha liya....
"kidhar hai?" Maine poochha....
"Yahin hoon bhai... kuchh kaam tha kya?"
"Tarun tere sath hi hai kya?" Maine poochha....
"Abhi gaya hai mere paas se... kuchh kaam hai kya?" Sonu ne poochha....
" haan kaam hai tabhi toh...! Tu aisa kar... Tarun ko lekar jaldi mere paas aaja... bahut jaroori kaam hai...!"
"Tarun ko kyun bhai?" Usne poochha....
"Tu usko lekar aaja.. yahin baith kar bataaunga....!" Maine kaha....
"Theek hai bhai.. main aata hoon usko lekar...!" Sonu ne kaha aur fone kaat diya......
kramshah....................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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