Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--47

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बाली उमर की प्यास पार्ट--47

गतान्क से आगे..................


पिंकी चुपचाप आकर गाड़ी में बैठ गयी.... हॅरी भी कुच्छ पशोपेश में लग रहा था... होता भी क्यूँ नही.. आख़िर पहली बार उसके सपनो की रानी रात के सपने की तरह चाँदनी रात में उसके बराबर वाली सीट पर आकर बैठ जो गयी थी...,"क्या बात है...? तुम इतनी उदास क्यूँ लग रही हो..?" हॅरी ने कहते ही गाड़ी आगे बढ़ा दी....

"नही... कहीं दूर मत चलो प्लीज़... मुझे डर लग रहा है बहुत...?" पिंकी ने चेहरा लटका कर कहा....

"क्यूँ...? मुझसे डर रही हो क्या? तुम नही कहोगी तो मैं तुम्हे हाथ भी नही लगवँगा... इतना तो विस्वाश होगा ना तुम्हे....?"

"ये बात नही है... पहली बार ऐसे बाहर आई हूँ... और फिर पता नही दीदी ने आज शक क्यूँ किया...? यहीं रोक लो ना प्लीज़... ज़्यादा दूर मत चलो...!" सहमी हुई पिंकी ने हॅरी के गियर पर रखे हुए हाथ को थाम लिया....

"ओके ओके... यहीं खड़ी कर देता हूँ, बस! खुश?" हॅरी ने मुस्कुरकर गाड़ी साइड में लगा दी..,"अब बताओ; क्या इरादा है?"

"कुच्छ नही..!" पिंकी हॅरी का आशय समझ कर लजा गयी....

"अपना वादा तो याद होगा ना...?" हॅरी ने अपने होंटो पर जीभ फेरी....

"ंमुझे डर लग रहा है...!" पिंकी ने झुरजुरी सी लेते हुए कहा....

"किस बात का....?" हॅरी ने अपने हाथों में उसका चेहरा थाम लिया...

"पपता नही... पर... सच में मुझे डर लग रहा है...." पिंकी ने अपनी मोटी मोटी आँखों के झरोखे से हॅरी की ओर देखा....

"थोड़ा इधर तो आओ एक बार.. मुझे जी भर कर तुम्हे चूम लेने दो...!" कहकर हॅरी जैसे ही अपनी बाईं ओर झुका पिंकी ने लाज़कर अपनी पलकें बंद की और अपने आपको पिछे खींचने की कोशिश की... पर ये कोशिश सिर्फ़ दिखावटी थी जो लज्जावाश उत्पन्न हुई थी.... हॅरी के होन्ट जैसे ही पिंकी के लरजते सुर्ख गुलाबी अधरों पर टीके... उसने सिसकी लेकर उनके बीच फासला कर लिया... अब दोनो के होन्ट एक दूसरे के होंटो से सिले हुए थे....

पिंकी की साँसें धौकनी की तरह चलने लगी.... मखमली छातियाँ बड़ी तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.... पिंकी के चेहरे को अपने हाथों में समेटे हॅरी की कोहनियों पर छातियों का दबाव धीरे धीरे बढ़ने लगा था.... हॅरी को समझते देर ना लगी कि ऐसा पिंकी अपनी चूचियाँ में भड़क चुकी आग को दबाने के लिए कर रही है....

हॅरी धीरे से अपना एक हाथ पिंकी के गालों से नीचे सरकता हुआ लाया और उसकी चूची पर रख लिया... पिंकी चिंहूक कर पिछे हट गयी...,"ययए.. ये मत करो प्लीज़...!"

"मैं कुच्छ नही कर रहा जान... सब कुच्छ अपने आप ही हो रहा है... तुम्हारी कसम.... मुझे देखने दो ना छ्छूकर... तुम्हारा बदन....!" हॅरी ने कहा और फिर पिंकी की तरफ से किसी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा किए बगैर ही उसका सिर अपनी गोद में रख लिया...

"आहह..." पिंकी ने मंन में घूमड़ घूमड़ कर उभर रही उत्तेजना पर काबू पाने के लिए अपनी जांघों को कसकर भींच लिया.... अपने घुटने मोदकर वह सीधी हो गयी.. अब उसके नितंब दूसरी सीट पर मचल रहे थे और कमर से उपर वाला हिस्सा हॅरी की गोद में सिमटा हुआ था.....

"आआ...नआईईईईईईई...." जैसे ही हॅरी ने पिंकी के होंतों को चूमते हुए अपना हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाला.. पिंकी उच्छल पड़ी थी....

हॅरी ने अपना हाथ वापस ना खींचते हुए उसके मखमली कमसिन पेट पर नाभि के उपर जमा दिया....,"क्या हुआ?"

"कमीज़ के अंदर नही प्लीज़... गुदगुदी हो रही है बहुत.. हे हे हे..." पिंकी का पेट हॅरी के हाथों का स्पर्श पाकर थिरक उठा था....

"ये गुदगुदी नही है जान... ये तो इशारा है कि तुम्हारा शरीर मेरे हाथ की छुअन अपने रोम रोम पर महसूस करने के लिए तड़प रहा है..." हॅरी कहकर अपने हाथ को और उपर चढ़ने लगा....

"नही... नही.. सच में गुदगुदी हो रही है... अया.. छ्चोड़ो ना.... प्लीज़... मैं फिर कभी तुम्हारे पास नही आउन्गि... छ्चोड़ो मुझे..." बुरी तरह से तड़प उठी पिंकी का विरोध तब तक ही था जब तक उसके एक उरोज पर हॅरी की हथेली ने कब्जा नही जमा लिया था.... जैसे ही ऐसा हुआ.. पिंकी अपनी जिंदगी की पहली मादक अंगड़ाई लेकर सिसकी और उचक कर हॅरी के होंटो पर टूट पड़ी... बावली सी होकर...

बारी बारी से दोनो उरोजो का प्रयप्त मर्दन करने के बाद हॅरी का हाथ वापस नीचे खिसका और अपने आप ही ढीली हो चुकी सलवार में घुसने की कोशिश करने लगा.... पिंकी ने एक बार फिर कसमसकर पल भर के लिए अपनी जांघें कसकर भींची; पर तुरंत ही उसको अपनी कमरस से भीग चुकी योनि पर तरस आ गया और दोनो घुटने उसने विपरीत दिशाओं में फैलाकर अपने नितंब उपर उचका दिए... वह अब भी हॅरी के होंटो से ही लिपटी हुई थी...

हॅरी ने हाथ थोड़ा और अंदर सरकया और जब बाहर निकाला तो उसकी अंगूठे के साथ वाली दोनो उंगलियाँ भीगी हुई थी...,"तुम.. कमाल की हो जान...!" हॅरी पिंकी के होंटो से अलग होता हुआ बोला...

"उन्न्ह... करो ना...!" आँखें बंद किए हुए ही पिंकी मस्ती में बड़बड़ाई और फिर से हॅरी के होंटो पर झपटने के लिए उच्छली....

"क्या करूँ जान...!" हॅरी उसके कान के पास अपने होन्ट लेकर आया और बोलकर उसके कान को हूल्का सा काट खाया....

कामग्नी की लपटें अब अपने प्रचंड रूप में पिंकी के सीने में दहकने लगी थी...,"कुच्छ भी करो... पर करो ना जान.. मैं पागल हो गयी हूँ... पता नही क्या हो.....!"

पिंकी ने अपनी बात पूरी भी नही की थी कि उनके सामने अचानक तीव्र प्रकाश के आ जाने से दोनो की आँखें छूंढिया गयी... पिंकी हड़बड़ाहट में सीधी बैठ कर अपने कपड़े ठीक करने लगी.....

उनके सामने एक गाड़ी आकर रुकी थी... दोनो इस'से पहले कुच्छ समझ पाते.. गाड़ी से उतरे चार लोगों में से एक ने हॅरी की तरफ आकर गाड़ी का शीशा खटखटाया...

"ये कौन हैं हॅरी?" पिंकी बुरी तरह घबरा गयी थी....

"चिंता मत करो... पोलीस वाले होंगे... मैं अभी इनको निपटा देता हूँ...!" हॅरी ने कहा और अपनी गाड़ी का शीशा नीचे किया....,"जी.. भाई साहब... क्या?"

हॅरी की बात पूरी होने से पहले ही उस आदमी ने रेवोल्वेर निकाल कर हॅरी की कनपटी से सटा दी....,"चल बाहर निकल.... गुरुकुल की लड़की के साथ मस्ती करता है सस्सला!"

"प्पर... पर आपको चाहिए क्या?" हॅरी के चेहरे पर तनाव उभर आया था....

"बाहर निकल नही तो भेजे में घुसेड दूँगा... तेरे साथ ये लड़की भी जाएगी फोकट में... चल बाहर आ..." आदमी ने दूसरा हाथ अंदर डालकर खिड़की को खोल दिया था... पिंकी बुरी तरह काँपते हुए अंदर ही अंदर सिसकने लगी थी....

"ओके ओके... आता हूँ यार... पर प्राब्लम क्या है तुम्हारी...." हॅरी जैसे ही गाड़ी से बाहर निकला... दो और रिवॉलवर्स उस पर तन गयी...,"चल.. पिछे बैठ सस्सले!"

सब कुच्छ इतनी जल्दी में हुआ कि इस'से पहले हॅरी कुच्छ और बोलता... बाहर खड़े आदमियों में से 2 हॅरी को लेकर पिछे बैठ चुके थे... और तीसरा आदमी ड्राइविंग सीट पर कब्जा जमा चुका था... उसने बाहर सिर निकाल कर चौथे को हिदायत दी...,"अपनी गाड़ी लेकर पिछे पिछे आ जाओ!"

"ज्जई.. !" चौथे आदमी ने कहा और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ चला गया.....

"मुम्मय्ययययययययी........ !" पिंकी ने बुरी तरह रोना शुरू कर दिया था....

"आए... चुप कर चिड़िया.. नही तो तेरे छिड़े को उड़ा देंगे अभी के अभी...!" ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी ने कहा और गाड़ी एक अंजान मंज़िल की तरफ बढ़ा दी.....

"प्पपर.. पर भाई साहब आप लोग चाहते क्या हो..? हमने ऐसा क्या किया है जो....!"

"आए... बोला ना चुप करके बैठा रह.. जिंदगी प्यारी नही है क्या? वैसे भी तू हमारे काम का नही है.. अपनी चिड़िया को वापस लेकर आना चाहता है तो चुपचाप बैठा रह... सब समझ जाएगा... अब की बार बोला तो तेरी...!"

क्रमशः........................

गतान्क से आगे..................


Pinky chupchap aakar gadi mein baith gayi.... Harry bhi kuchh pashopesh mein lag raha tha... hota bhi kyun nahi.. aakhir pahli baar uske sapno ki rani raat ke sapne ki tarah chandni raat mein uske barabar wali seat par aakar baith jo gayi thi...,"Kya baat hai...? tum itni udas kyun lag rahi ho..?" Harry ne kahte hi gadi aage badha di....

"Nahi... kahin door mat chalo pls... mujhe darr lag raha hai bahut...?" Pinky ne chehra latka kar kaha....

"Kyun...? mujhse darr rahi ho kya? tum nahi kahogi toh main tumhe hath bhi nahi lagaaunga... itna toh visvash hoga na tumhe....?"

"Ye baat nahi hai... pahli baar aise bahar aayi hoon... aur fir pata nahi didi ne aaj shak kyun kiya...? yahin rok lo na pls... jyada door mat chalo...!" Sahmi huyi Pinky ne harry ke gear par rakhe huye hath ko tham liya....

"OK OK... yahin khadi kar deta hoon, bus! khush?" Harry ne muskurakar gadi side mein laga di..,"Ab batao; kya iraada hai?"

"Kuchh nahi..!" Pinky Harry ka aashay samajh kar laja gayi....

"Apna wada toh yaad hoga na...?" Harry ne apne honton par jeebh feri....

"Mmujhe darr lag raha hai...!" Pinky ne jhurjhuri si lete huye kaha....

"Kis baat ka....?" Harry ne apne hathon mein uska chehra tham liya...

"ppata nahi... par... sach mein mujhe darr lag raha hai...." Pinky ne apni moti moti aankhon ke jharokhe se Harry ki aur dekha....

"thoda Idhar toh aao ek baar.. mujhe ji bhar kar tumhe choom lene do...!" Kahkar Harry jaise hi apni bayin aur jhuka Pinky ne lajakar apni palakein band ki aur apne aapko pichhe kheenchne ki koshish ki... par ye koshish sirf dikhawati thi jo lajjavash utpann huyi thi.... Harry ke hont jaise hi Pinky ke larajate surkh gulabi adhron par tike... Usne sisaki lekar unke beech faasla kar liya... Ab dono ke hont ek dusre ke honton se siley huye the....

Pinky ki saansein dhoukni ki tarah chalne lagi.... makhmali chhatiyan badi teji se upar neeche ho rahi thi.... Pinky ke chehre ko apne hathon mein samete Harry ki kohniyon par chhatiyon ka dabav dheere dheere badhne laga tha.... Harry ko samajhte der na lagi ki aisa Pinky apni chhatiyon mein bhadak chuki aag ko dabane ke liye kar rahi hai....

Harry dheere se apna ek hath Pinky ke gaalon se neeche sarkata hua laya aur uski chhati par rakh liya... Pinky chinhuk kar pichhe hat gayi...,"yye.. ye mat karo plz...!"

"main kuchh nahi kar raha jaan... sab kuchh apne aap hi ho raha hai... tumhari kasam.... Mujhe dekhne do na chhookar... tumhara badan....!" Harry ne kaha aur fir Pinky ki taraf se kisi pratikriya ki prateeksha kiye bagair hi uska sir apni god mein rakh liya...

"aahhhh..." Pinky ne mann mein ghumad ghumad kar ubhar rahi uttejana par kabu paane ke liye apni jaanghon ko kaskar bheench liya.... apne ghutne modkar wah seedhi ho gayi.. ab uske nitamb dusri seat par machal rahe the aur kamar se upar wala hissa Harry ki god mein simta hua tha.....

"Aaaa...nayiiiiiiiii...." Jaise hi Harry ne Pinky ke honton ko choomte huye apna hath uski kameej ke andar dala.. Pinki uchhal padi thi....

Harry ne apna hath wapas na kheenchte huye uske makhmali kamsin pate par nabhi ke upar jama diya....,"Kya hua?"

"Kameej ke andar nahi plz... gudgudi ho rahi hai bahut.. he he he..." Pinky ka pate Harry ke hathon ka sparsh pakar thirak utha tha....

"Ye gudgudi nahi hai jaan... ye toh ishara hai ki tumhara shareer mere hath ki chhuan apne rom rom par mahsoos karne ke liye tadap raha hai..." Harry kahkar apne hath ko aur upar chadhane laga....

"Nahi... nahi.. sach mein gudgudi ho rahi hai... aaah.. chhodo na.... plz... main fir kabhi tumhare paas nahi aaungi... chhodo mujhe..." Buri tarah se tadap uthi Pinky ka virodh tab tak hi tha jab tak uske ek uroj par Harry ki hatheli ne kabja nahi jama liya tha.... Jaise hi aisa hua.. Pinky apni jindagi ki pahli madak angadayi lekar sisaki aur uchak kar Harry ke honton par toot padi... bawli si hokar...

Bari bari se dono urojon ka prayapt mardan karne ke baad Harry ka hath wapas neeche khiska aur apne aap hi dheeli ho chuki salwar mein ghusne ki koshish karne laga.... Pinky ne ek baar fir kasmasakar pal bhar ke liye apni jaanghein kaskar bheenchi; par turant hi usko apni kamras se bheeg chuki yoni par taras aa gaya aur dono ghutne usne viprit dishaon mein failakar apne nitamb upar uchka diye... wah ab bhi Harry ke honton se hi lipti huyi thi...

Harry ne hath thoda aur andar sarkaya aur jab bahar nikala toh uski angoothe ke sath wali dono ungaliyan bheegi huyi thi...,"Tum.. kamaal ki ho jaan...!" Harry Pinky ke honton se alag hota hua bola...

"unnhhhh... karo na...!" aankhein band kiye huye hi Pinky masti mein badbadayi aur fir se Harry ke honton par jhapatne ke liye uchhali....

"Kya karoon jaan...!" Harry uske kaan ke paas apne hont lekar aaya aur bolkar uske kaan ko hulka sa kaat khaya....

kaamagni ki laptein ab apne prachand roop mein Pinky ke seene mein dahakne lagi thi...,"kuchh bhi karo... par karo na jaan.. main pagal ho gayi hoon... pata nahi kya ho.....!"

Pinky ne apni baat poori bhi nahi ki thi ki unke saamne achanak teevra prakash ke aa jane se dono ki aankhein chundhiya gayi... Pinky hadbadahat mein seedhi baith kar apne kapde theek karne lagi.....

Unke saamne ek gadi aakar ruki thi... Dono iss'se pahle kuchh samajh pate.. gadi se utare char logon mein se ek ne Harry ki taraf aakar gadi ka sheesha khatkhataya...

"Ye koun hain harry?" Pinky buri tarah ghabra gayi thi....

"Chinta mat karo... Police wale honge... main abhi inko nipta deta hoon...!" Harry ne kaha aur apni gadi ka sheesha neeche kiya....,"Ji.. bhai sahab... kya?"

Harry ki baat poori hone se pahle hi uss aadmi ne revolver nikal kar Harry ki kanpati se sata di....,"Chal bahar nikal.... gurukul ki ladki ke sath masti karta hai sssala!"

"ppar... par aapko chahiye kya?" Harry ke chehre par tanav ubhar aaya tha....

"Bahar nikal nahi toh bheje mein ghused doonga... tere sath ye ladki bhi jayegi fokat mein... chal bahar aa..." Aadmi ne dusra hath andar daalkar khidki ko khol diya tha... Pinky buri tarah kaanpte huye andar hi andar sisakne lagi thi....

"Ok Ok... aata hoon yaar... par problem kya hai tumhari...." Harry jaise hi gadi se bahar nikla... do aur revolvers uss par tan gayi...,"Chal.. pichhe baith sssaley!"

Sab kuchh itni jaldi mein hua ki iss'se pahle Harry kuchh aur bolta... bahar khade aadmiyon mein se 2 Harry ko lekar pichhe baith chuke the... aur teesra aadmi driving seat par kabja jama chuka tha... Usne bahar sir nikal kar chouthe ko hidayat di...,"Apni gadi lekar pichhe pichhe aa jao!"

"jji.. !" Chouthe aadmi ne kaha aur saamne khadi gadi ki taraf chala gaya.....

"Mummyyyyyyyyyy........ !" Pinky ne buri tarah rona shuru kar diya tha....

"aey... chup kar chidiya.. nahi toh tere chide ko uda denge abhi ke abhi...!" Driving seat par baithe aadmi ne kaha aur gadi ek anjaan manjil ki taraf badha di.....

"pppar.. par bhai sahab aap log chahte kya ho..? Hamne aisa kya kiya hai jo....!"

"Aey... bola na chup karke baitha rah.. jindagi pyari nahi hai kya? Waise bhi tu hamare kaam ka nahi hai.. Apni chidiya ko wapas lekar aana chahta hai toh chupchap baitha rah... sab samajh jayega... ab ki baar bola toh teri...!"












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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