बाली उमर की प्यास पार्ट--48
गतान्क से आगे..................
"ज्जई... आपने...बुलाया दीदी जी...!" सहमी हुई सी एक लड़की ने दरवाजे पर आकर हल्का सा अंदर झाँका....
"हां.. आजा....." सीमा को वापस आए मुश्किल से 5 मिनिट ही हुए थे...,"आ बैठ... ज्योति तू बाहर जा... मुझे इस'से कुच्छ पर्सनल बातें करनी हैं...!"
ज्योति ने मुस्कुरकर लड़की की तरफ देखा और उठकर बाहर चली गयी... लड़की सीमा के इशारा करने के बाद चुपचाप आकर बिस्तेर के एक कोने पर बैठ गयी....
"मैं तेरा नाम पूच्छना भूल गयी यार... क्या नाम है तेरा?" सीमा ने इठला कर अपनी ज़ुल्फो को पीछे झटका देते हुए पूचछा....
"ज्जई.. प्रगया!" लड़की ने थोड़ा हिचकिचाते हुए सीमा की आँखों में आँखें डाल कर बताया....
"हूंम्म.. बड़ा प्यारा नाम है... कौनसा रूम है तेरा?"
"ज्जई.. 17!"
"कोई परेशानी तो नही है ना?"
"ज्जई.. नही तो...!" प्रगया ने थोडा ठहर कर बताया....
"कुच्छ हो तो मुझे बता देना...! तू ऐसे डरी हुई क्यूँ है यार.. आराम से उपर पैर करके बैठ ना....!"
"ज्जई.. नही तो दीदी जी... कुच्छ नही..." प्रगया आदेशानुसार पैर उपर करके बैठती हुई बोली....
"बुरा मान गयी क्या? अरे यार.. ऐसे हल्का फूलका मज़ाक तो चलता है शुरू में...!" सीमा ने कहा और खिलखिलाकर हंस पड़ी....
"नही तो दीदी जी.. मैने बुरा नही माना!" प्रगया अब भी थोड़ा सा सहमी हुई थी... उसको लग रहा था कि 'वही' बातें फिर से दोहराई जाएँगी....
"अच्च्छा एक बात बता... तूने 'जब' टाइगर पकड़ा था तो इतना बुरा मुँह क्यूँ बनाया हुआ था... मोमबत्ती ही तो थी यार....!" सीमा माहौल को अपनी बात शुरू करने के लिए सुविधाजनक माहौल तैयार कर रही थी.....
लड़की ने कोई जवाब दिए बिना अपनी नज़रें झुका ली....
"बता ना यार... अब भी क्यूँ शर्मा रही है.. मैं भी तो तेरी तरह एक लड़की ही हूँ....!"
"ज्जई.. बस ऐसे ही....!"
"देख यार... मुझे ये ऐसे शरमाने वाली लड़कियाँ पसंद नही हैं... बात ही तो पूच्छ रही हूँ... क्यूँ घबरा गयी थी तू? वो कोई असली का 'लंड' थोड़े ही था... हे हे हे...!"
सीमा की बातों का रुख़ एक बार फिर से अश्लीलता की हदों को पार करता देख लड़की हड़बड़ा गयी...,"दद्डिडी जी... मैने आज तक इतनी गंदी बातें नही सुनी....!"
"हां.. नही सुनी होंगी... तेरा चेहरा देख कर ही लग रहा है... पर कभी ना कभी तो सुन'नि पड़ेंगी ना... अब तू बड़ी हो गयी है यार... सहेलियों संग ऐसी बातें नही करेगी तो फिर कहाँ करेंगी.... बता?"
"ज्जई.. दीदी जी.." प्रगया के मुँह से कुच्छ और ना निकल सका....
"कभी 'असली' देखा है?" सीमा ने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रख कर पूचछा....
"ज्जई.. क्या?"
"वही... जो तूने उस दिन हाथ में पकड़ा था...!"
"उस.. उस दिन से पहले नही दीदी...!" प्रगया बुरी तरह झेंप गयी थी... शायद सलीम के लिंग को याद करके....
"देख मुझे पता है तू झूठ बोल रही है... इसका मतलब तुझे मेरी दोस्ती नामंज़ूर है... तेरी मर्ज़ी है.. पर तू पछ्तयेगि बहुत... तुझे क्या लगता है मैं तेरी बात किसी को बता दूँगी...! ज्योति को मैने तेरे बिना कहे ही बाहर भेज दिया ना?" सीमा ने स्वर में हल्की सी कठोरता लाते हुए कहा....
"ज्जई... जी दीदी जी...!"
"फिर बता क्यूँ नही रही... मुझसे दोस्ती नही करनी ना तुझे?"
"सच कह रही हूं दीदी..." प्रगया ने कहकर अपनी नज़रें झुकाई और बोली...,"सिर्फ़... सिर्फ़ एक बार और देखा था...!"
"शाबाश... ये हुई ना बात... चल हाथ मिला... आज से तू मेरी दोस्त है...!" सीमा उसकी तरफ हाथ बढ़ा कर मुस्कुराइ....,"बनेगी ना...?"
"ज्जई.. दीदी जी...!" प्रगया ने थोड़ा हिचकते हुए सीमा का हाथ थाम लिया...
"अब... पूरी बात बताएगी ना?" सीमा उसका हाथ पकड़े हुए ही बोली....
"क्कौनसी बात दीदी?" प्रगया ने नज़रें उपर की....
"वही यार... पहली बार किसका देखा था.. हे हे....!"
"ववो.. तो दीदी बस ऐसे ही... एक बार ऐसे ही नज़र चली गयी थी..." प्रगया ने फिर नज़रें झुका ली.....
"कैसे यार.. पूरी बात बता ना...! मज़ा आएगा... फिर मैं भी तुझे बताउन्गि...!" सीमा ने उत्सुक होने का अभिनय किया...
"ववो... दीदी एक बार एक लड़का गली में दीवार के साथ खड़ा होकर पेशाब कर रहा था... बस ऐसे ही अपने घर से उसस्पर नज़र चली गयी थी... मुझे पता नही था की....!"
"फिर.. फिर उस लड़के ने क्या किया... और तूने...?" सीमा ने बत्तीसी निकाली....
"क्कुच्छ नही दीदी.. सच्ची....!"
"देख अब मुझसे कुच्छ भी छुपा मत... सच सच बता दे...!"
"मम्मी कसम दीदी... मैं सच बोल रही हूँ.... कुच्छ भी नही हुआ.. मैं वापस चली गयी थी वहाँ से... आपकी कसम....!" प्रगया ने ज़ोर देकर कहा....
"अच्च्छा.. चल छ्चोड़... अच्छे से देखा था ना...?"
"नही... बस 1-2 सेकेंड्स... सच्ची!"
"कैसा था... काला की भूरा.... सच बताना...!"
"ज्जई.. थोड़ा थोड़ा काला सा था....!" प्रगया ने झट से जवाब दिया.....
"फिर तो ज़रूर तूने अच्छि तरह देखा था... है ना... है नाआ!" सीमा ने उसको छेड़ते हुए सा कहा तो प्रगया की नज़रें झुकी और गालों पर लाली सी आ गयी...
"उस वक़्त नही दीदी... फिर मैने खिड़की से देखा था झाँककर....!"
"देखाा.... अब बोली ना असली बात... मज़ा आया था ना देख कर...!" सीमा ने उसको उकसाने की कोशिश की....
"मुझे बहुत शर्म आई थी दीदी... और डर भी बहुत लग रहा था...!" प्रगया अब दिल खोलकर बोलने लगी थी....
"डर्र्र? ... डर क्यूँ यार...?" सीमा ने अचरज व्यक्त किया....
"कि.. कहीं वो मुझे ना देख ले... उसको देखते हुए....!"
"पर मज़ा भी तो आया होगा ना... है ना! .... है नाआ!" सीमा ने उसको उंगली दिखाकर हँसने की कोशिश की तो प्रगया सच में ही हंस पड़ी....," इसमें.. मज़े की क्या बात है दीदी...?" उसने हंसते हुए ही कहा....
"इसमें मज़े की बात नही है तो किस्में है यार... सारा दिन याद रहा होगा ना...?"
प्रगया ने नज़रें झुका ली... कुच्छ बोली नही....
"अच्च्छा एक बात बता... किसी ने तुझे छेड़ा है... कभी....?"
"कैसे दीदी?" अब प्रगया उसकी बातों में पूरी दिलचस्पी ले रही थी....
"कैसे भी... तुझे अकेले में पकड़ लिया हो... तेरे चूतादो को मसला हो.. या......!"
"ऐसे तो नही दीदी.. पर एक बार.... आप किसी को बताओगे तो नही ना दीदी?"
"मैं पागल हूँ क्या यार.. खुलकर बता... अपनी सहेलियों से नही बताएगी तो किसे बताएगी... ऐसे घुट घुट के जीना है क्या....?" सीमा ने उसका हाथ पकड़ कर झटक दिया....
"ववो... एक बार किसी ने मेरी छातियो को मसला था...!" प्रगया ने झिझकते हुए बता ही दिया....
"कैसे? और कुच्छ नही किया क्या?"
"ववो... पिच्छले साल हम ट्रेड फेर में गये थे देल्ही.... वहाँ भीड़ में किसी ने पिछे से बुरी तरह मसल दिया था इनको... मेरी तो चीख निकल गयी होती.... बहुत दर्द हुआ था...!"
"किसने? कोई अंजान था क्या?"
"हां... मैं उसको पहचान नही पाई.... मैने पलट कर देखा तो था....!"
"बहुत मज़ा आया होगा ना?"
"बहुत दर्द हुआ था दीदी... बहुत ज़ोर से पकड़ा था उसने इनको....!"
"पर मज़ा भी तो आया होगा ना... सच बता ना.. शर्मा मत यार.....!"
"हाँ.. थोड़ा सा... पर दर्द ज़्यादा हुआ था दीदी.....!"
"और अगर वो आराम से सहलाता तो मज़ा आता ना बहुत...?" सीमा ने उसकी तरफ आँख मटकाय....
प्रगया शर्मा गयी...,"पता नही दीदी....!"
"पता करना है क्या?" सीमा मतलब की बात पर आ गयी......
"ववो.. तुझे पता आज हॉस्टिल से दो लड़कियाँ बाहर गयी हुई हैं... मज़े लेने के लिए....!" सीमा बत्तीसी निकाल कर बोली...," उन्होने भी पहले कभी मज़े नही लिए...!"
"कैसे दीदी... मैं समझी नही....?" प्रगया अपनी नज़रें सिकोड कर बोली.....
"तुझे मैं...." सीमा कुच्छ बता ही रही थी कि अचानक दरवाजे पर आहट सुनकर रुक गयी....
वह सलीम था...,"मे'मशाब... आपको बड़ी मॅ'म बुला रही हैं....!"
"यार... ये बुद्धी पोपो!... तू यहीं रुकना... मैं बस 2 मिनिट में आई.... ठीक है ना?" सीमा ने खड़ी होकर पूचछा....
"ठीक है दीदी... ववो.. मैं यहीं आकर पढ़ लूँ क्या? अपनी किताबें ले आती हूँ..." प्रगया भी उसके बिच्छाए जाल के आकर्षण में उलझती जा रही थी.....
"हां ले आ... और यहीं सो जाना... आज वैसे भी 2 लड़कियाँ मेरे रूम से नाइट आउट पर हैं...!" सीमा ने हंसकर उसको चौंकाया और बाहर निकल गयी.....
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"जी मॅ'म... क्यूँ बुलाया है मुझे?" सीमा ने प्रिन्सिपल मेडम के क्वॉर्टर पर जाते ही दरवाजे पर खड़ी होकर इस तरह कहा जैसे 'वो' मेडम से नही किसी पीयान से बात कर रही हो... फिर जैसे ही उसकी नज़र मेडम के सामने बैठे कुच्छ अंजान आगंतुकों पर पड़ी 'वो' संभालती हुई बोली..,"ववो... सॉरी मॅ'म... आपने मुझे याद किया था क्या?"
प्रिन्सिपल मेडम गुस्से में लग रही थी....,"कितनी बार बोला है इस मामले में मुझे मत घसीटा करो.... जब तुम्हारे पास फोन है... जब तुम बाहर जाकर इन्न लोगों से मिल सकती हो तो इनको मेरे पास भेजने की क्या ज़रूरत है...?"
सीमा ने अचंभित होकर सामने बैठे मानव और दो औरतों पर निगाह डाली,"मैने?... मैने किस को भेजा है...?"
"इनको!" मेडम ने मानव की और इशारा करके कहा....,"अब जो भी बात करनी हैं जल्दी करो और निकालों यहाँ से.... आइन्दा कोई ऐसे मेरे पास नही आना चाहिए...!"
"मामला क्या है..? कौन हैं ये?" सीमा अभी तक असमन्झस में थी....
मानव का धैर्य पसीने के रूप में उसके माथे से चू पड़ा था... फिर भी वह अभी तक शांत बैठा उनकी बातों का मतलब समझने की कोशिश कर रहा था... वह उठकर दरवाजे के पास आ गया...,"अंजलि कहाँ है?"
सीमा की आँखें खुली की खुली रह गयी...,"क्क्कऔन अंजलि.... ंमुझे क्या पता?"
"मैं दोबारा नही पूच्हूंगा!" मानव ने जबड़ा भींच कर अपनी मुत्ठियाँ कसते हुए कहा....
"म्मै... अभी आती हूँ... एक मिनिट में...!" सीमा ने कहते हुए बाहर खिसकने की कोशिश की.. पर मानव ने अपना पंजा खोल कर उसको दिखाया,"मेरे पास टाइम नही है... एक थप्पड़ में एनकाउंटर हो जाएगा तेरा... जल्दी बताती है या....!"
"ंमुझे नही पता सच में....सस्सीर...!" मानव के तेवर देखकर सीमा वहीं ठिठक गयी....
"इसका तलाशी लो और मुँह बाँध कर गाड़ी में लेजाकार डाल लो... किसी को पता नही चलना चाहिए यहाँ....!" मानव ने वहाँ सादी वर्दी में बैठी 2 महिला कॉन्स्टेबल्स को इशारा किया...,"ये ऐसे नही बोलेगी....!"
"देखिए श्रीमान... आप ऐसा नही कर सकते... अगर आपने ऐसा किया तो मजबूरन मुझे पोलीस को फोन करना पड़ेगा....!" उलझन में खड़ी हो चुकी मेडम के मुँह से निकला... तब तक महिला पोलिसेकार्मियाँ सीमा को काबू में कर चुकी थी....
"मैं पोलीस ही हूँ... कहिए!" मानव ने आँखें निकाल कर मेडम पर व्यंग्य सा किया तो वो हतप्रभ सी उसको घूरती रह गयी...,"आपको बहुत पहले फोन करना चाहिए था.... चलो मेरे साथ....!"
"ये.. ये मोबाइल मिला है सर...!" लॅडीस में से एक ने मोबाइल निकाल कर मानव को पकड़ा दिया.....
"पर बेटा... म्म्मै तो...." मेडम ने हकलाते हुए कहा तो मानव ने वही रूखा सा जवाब देकर उसको लाजवाब कर दिया...,"मैं दोबारा नही कहूँगा...!"
"च..चलती हूँ बेटा.. पर.. म्मेरा इसमें कोई....!" मेडम खड़ी होकर दरवाजे पर आई और चुपचाप मानव के आगे आगे चलाने लगी.....
क्रमशः........................
गतान्क से आगे..................
"Jji... aapne...bulaya didi Ji...!" Sahmi huyi si ek ladki ne darwaje par aakar hulka sa andar jhanka....
"Haan.. aaja....." Seema ko wapas aaye mushkil se 5 minute hi huye the...,"aa baith... Jyoti tu bahar ja... mujhe iss'se kuchh personel baatein karni hain...!"
Jyoti ne muskurakar ladki ki taraf dekha aur uthkar bahar chali gayi... Ladki Seema ke ishara karne ke baad chupchap aakar bister ke ek kone par baith gayi....
"Main tera naam poochhna bhool gayi yaar... kya naam hai tera?" Seema ne ithla kar apni julfon ko peechhe jhatka dete huye poochha....
"Jji.. Pragya!" Ladki ne thoda hichkichate huye Seema ki aankhon mein aankhein daal kar bataya....
"hummm.. bada pyara naam hai... kounsa room hai tera?"
"Jji.. 17!"
"Koyi pareshani toh nahi hai na?"
"Jji.. nahi toh...!" Pragya ne thoda thahar kar bataya....
"Kuchh ho toh mujhe bata dena...! Tu aise dari huyi kyun hai yaar.. aaram se upar pair karke baith na....!"
"Jji.. nahi toh didi ji... kuchh nahi..." Pragya aadeshanusar pair upar karke baithti huyi boli....
"Bura maan gayi kya? arey yaar.. aise hulka fulka majak toh chalta hai shuru mein...!" Seema ne kaha aur khilkhilakar hans padi....
"Nahi toh didi ji.. maine bura nahi mana!" Pragya ab bhi thoda sa sahmi huyi thi... usko lag raha tha ki 'wahi' baatein fir se doharayi jaayengi....
"Achchha ek baat bata... Tune 'jab' Tiger pakda tha toh itna bura munh kyun banaya huaa tha... mombatti hi toh thi yaar....!" Seema mahoul ko apni baat shuru karne ke liye suvidhajanak mahoul taiyaar kar rahi thi.....
Ladki ne koyi jawab diye bina apni najarein jhuka li....
"Bata na yaar... ab bhi kyun sharma rahi hai.. main bhi toh teri tarah ek ladki hi hoon....!"
"Jji.. bus aise hi....!"
"Dekh yaar... mujhe ye aise sharmane wali ladkiyan pasand nahi hain... baat hi toh poochh rahi hoon... kyun ghabra gayi thi tu? wo koyi asli ka 'lund' thode hi tha... he he he...!"
Seema ki baaton ka rukh ek baar fir se ashleelta ki hadon ko paar karta dekh ladki hadbada gayi...,"dddidi ji... maine aaj tak itni gandi baatein nahi suni....!"
"haan.. nahi suni hongi... tera chehra dekh kar hi lag raha hai... par kabhi na kabhi toh sun'ni padengi na... ab tu badi ho gayi hai yaar... saheliyon sang aisi baatein nahi karegi toh fir kahan karengi.... bata?"
"jji.. didi ji.." Pragya ke munh se kuchh aur na nikal saka....
"Kabhi 'asli' dekha hai?" Seema ne pyar se uske kandhe par hath rakh kar poochha....
"jji.. kya?"
"Wahi... jo tune uss din hath mein pakda tha...!"
"Uss.. uss din se pahle nahi didi...!" Pragya buri tarah jhenp gayi thi... shayad Saleem ke ling ko yaad karke....
"Dekh mujhe pata hai tu jhooth bol rahi hai... iska matlab tujhe meri dosti namanzoor hai... teri marzi hai.. par tu pachhtayegi bahut... Tujhe kya lagta hai main teri baat kisi ko bata doongi...! Jyoti ko maine tere bina kahe hi bahar bhej diya na?" Seema ne swar mein hulki si kathorta late huye kaha....
"Jji... ji didi ji...!"
"Fir bata kyun nahi rahi... mujhse dosti nahi karni na tujhe?"
"Sach kah rahi hoon didi..." Pragya ne kahkar apni najarein jhukayi aur boli...,"sirf... sirf ek baar aur dekha tha...!"
"Shabaash... ye huyi na baat... chal hath mila... aaj se tu meri dost hai...!" Seema uski taraf hath badha kar muskurayi....,"Banegi na...?"
"Jji.. didi Ji...!" Pragya ne thoda hichakte huye Seema ka hath thaam liya...
"Ab... poori baat batayegi na?" Seema uska hath pakde huye hi boli....
"Kkounsi baat didi?" Pragya ne najarein upar ki....
"Wahi yaar... pahli baar kiska dekha tha.. he he....!"
"Wwo.. toh didi bus aise hi... ek baar aise hi najar chali gayi thi..." Pragya ne fir najrein jhuka li.....
"Kaise yaar.. poori baat bata na...! maja aayega... fir main bhi tujhe bataaungi...!" Seema ne utsuk hone ka abhinay kiya...
"wwo... didi ek baar ek ladka gali mein deewar ke sath khada hokar peshab kar raha tha... bus aise hi apne ghar se usspar najar chali gayi thi... mujhe pata nahi tha ki....!"
"Fir.. fir uss ladke ne kya kiya... aur tune...?" Seema ne batteesi nikali....
"Kkuchh nahi didi.. sachchi....!"
"Dekh ab mujhse kuchh bhi chhupa mat... sach sach bata de...!"
"Mummy kasam didi... main sach bol rahi hoon.... kuchh bhi nahi huaa.. main wapas chali gayi thi wahan se... aapki kasam....!" Pragya ne jor dekar kaha....
"achchha.. chal chhod... achchhe se dekha tha na...?"
"Nahi... bus 1-2 seconds... sachchi!"
"Kaisa tha... kala ki bhoora.... sach batana...!"
"Jji.. thoda thoda kala sa tha....!" Pragya ne jhat se jawab diya.....
"Fir toh jaroor tune achchhi tarah dekha tha... hai na... hai naaaa!" Seema ne usko chhedte huye sa kaha toh Pragya ki najarein jhuki aur gaalon par laali si aa gayi...
"Uss waqt nahi didi... fir maine khidki se dekha tha jhankkar....!"
"Dekhaaaa.... ab boli na asli baat... maja aaya tha na dekh kar...!" Seema ne usko uksaane ki koshish ki....
"Mujhe bahut sharm aayi thi didi... aur darr bhi bahut lag raha tha...!" Pragya ab dil kholkar bolne lagi thi....
"Darrr? ... darr kyun yaar...?" Seema ne acharaj vyakt kiya....
"Ki.. kahin wo mujhe na dekh le... usko dekhte huye....!"
"Par maja bhi toh aaya hoga na... hai na! .... hai naaaa!" Seema ne usko ungali dikhakar hansane ki koshish ki toh Pragya sach mein hi hans padi....," Ismein.. maje ki kya baat hai didi...?" Usne hanste huye hi kaha....
"Ismein maje ki baat nahi hai toh kismein hai yaar... sara din yaad raha hoga na...?"
Pragya ne najrein jhuka li... kuchh boli nahi....
"Achchha ek baat bata... kisi ne tujhe chheda hai... kabhi....?"
"Kaise didi?" Ab Pragya uski baaton mein poori dilchaspi le rahi thi....
"Kaise bhi... tujhe akele mein pakad liya ho... tere chutadon ko masala ho.. ya......!"
"Aise toh nahi didi.. par ek baar.... aap kisi ko bataoge toh nahi na didi?"
"Main pagal hoon kya yaar.. khulkar bata... apni saheliyon se nahi batayegi toh kise batayegi... aise ghut ghut ke jeena hai kya....?" Seema ne uska hath pakad kar jhatak diya....
"wwo... ek baar kisi ne meri chhatiyon ko masla tha...!" Pragya ne jhijhakte huye bata hi diya....
"Kaise? aur kuchh nahi kiya kya?"
"wwo... pichhle saal hum trade fair mein gaye the Delhi.... wahan bheed mein kisi ne pichhe se buri tarah masal diya tha inko... Meri toh cheekh nikal gayi hoti.... bahut dard hua tha...!"
"Kisne? koyi anjaan tha kya?"
"Haan... main usko pahchan nahi payi.... maine palat kar dekha toh tha....!"
"Bahut maja aaya hoga na?"
"Bahut dard hua tha didi... bahut jor se pakda tha usne inko....!"
"Par maja bhi toh aaya hoga na... sach bata na.. sharma mat yaar.....!"
"Haan.. thoda sa... par dard jyada hua tha didi.....!"
"Aur agar wo aaram se sahlata toh maja aata na bahut...?" Seema ne uski taraf aankh matkayi....
Pragya sharma gayi...,"Pata nahi didi....!"
"Pata karna hai kya?" Seema matlab ki baat par aa gayi......
"wwo.. tujhe pata aaj hostel se do ladkiyan bahar gayi huyi hain... maje lene ke liye....!" Seema batteesi nikal kar boli...," Unhone bhi pahle kabhi maje nahi liye...!"
"Kaise didi... main samjhi nahi....?" Pragya apni najrein sikod kar boli.....
"Tujhe main...." Seema kuchh bata hi rahi thi ki achanak darwaje par aahat sunkar ruk gayi....
wah Saleem tha...,"Me'mshaab... aapko badi ma'm bula rahi hain....!"
"Yaar... ye buddhi popo!... tu yahin rukna... main bus 2 minute mein aayi.... theek hai na?" Seema ne khadi hokar poochha....
"Theek hai didi... wwo.. main yahin aakar padh loon kya? apni kitaabein le aati hoon..." Pragya bhi uske bichhaye jaal ke aakarshan mein ulajhti ja rahi thi.....
"Haan le aa... aur yahin so jana... aaj waise bhi 2 ladkiyan mere room se night out par hain...!" Seema ne hanskar usko chounkaya aur bahar nikal gayi.....
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"Ji Ma'm... kyun bulaya hai mujhe?" Seema ne Principal madam ke quarter par jate hi darwaje par khadi hokar iss tarah kaha jaise 'wo' Madam se nahi kisi peon se baat kar rahi ho... Fir jaise hi uski najar Madam ke saamne baithe kuchh anjaan aagantukon par padi 'wo' sambhalti huyi boli..,"wwo... Sorry ma'm... aapne mujhe yaad kiya tha kya?"
Principal madam gusse mein lag rahi thi....,"kitni baar bola hai iss maamle mein mujhe mat ghaseeta karo.... Jab tumhare paas fone hai... jab tum bahar jakar inn logon se mil sakti ho toh inko mere paas bhejne ki kya jarurat hai...?"
Seema ne achambhit hokar saamne baithe Manav aur do auraton par nigah dali,"maine?... maine kis ko bheja hai...?"
"Inko!" Madam ne Manav ki aur ishara karke kaha....,"Ab jo bhi baat karni hain jaldi karo aur nikalon yahan se.... aayinda koyi aise mere paas nahi aana chahiye...!"
"Maamla kya hai..? koun hain ye?" Seema abhi tak asamanjhas mein thi....
Manav ka dhairya paseene ke roop mein uske maathe se choo pada tha... fir bhi wah abhi tak shant baitha unki baaton ka matlab samajhne ki koshish kar raha tha... wah uthkar darwaje ke paas aa gaya...,"Anjali kahan hai?"
Seema ki aankhein khuli ki khuli rah gayi...,"kkkoun Anjali.... mmujhe kya pata?"
"Main dobara nahi poochhoonga!" Manav ne jabada bheench kar apni mutthiyan kaste huye kaha....
"mmain... abhi aati hoon... ek minute mein...!" Seema ne kahte huye bahar khisakne ki koshish ki.. par Manav ne apna panja khol kar usko dikhaya,"mere paas time nahi hai... ek thappad mein encounter ho jayega tera... Jaldi batati hai ya....!"
"mmujhe nahi pata sach mein....Sssir...!" Manav ke tewar dekhkar Seema wahin thithak gayi....
"Iska talashi lo aur munh baandh kar gadi mein lejakar daal lo... kisi ko pata nahi chalna chahiye yahan....!" Manav ne wahan sadi wardi mein baithi 2 mahila constables ko ishara kiya...,"Ye aise nahi bolegi....!"
"Dekhiye shrimaan... aap aisa nahi kar sakte... agar aapne aisa kiya toh majbooran mujhe police ko fone karna padega....!" Uljhan mein khadi ho chuki Madam ke munh se nikla... tab tak mahila policekarmiyan Seema ko kabu mein kar chuki thi....
"Main Police hi hoon... kahiye!" Manav ne aankhein nikal kar Madam par vyangya sa kiya toh wo hatprabh si usko ghoorti rah gayi...,"aapko bahut pahle fone karna chahiye tha.... chalo mere sath....!"
"Ye.. ye mobile mila hai Sir...!" ladies mein se ek ne mobile nikal kar Manav ko pakda diya.....
"Par beta... mmmain toh...." Madam ne haklate huye kaha toh Manav ne wahi rookha sa jawab dekar usko lajawaab kar diya...,"Main dobara nahi kahoonga...!"
"ch..chalati hoon beta.. par.. mmera ismein koyi....!" Madam khadi hokar darwaje par aayi aur chupchap Manav ke aage aage chalane lagi.....
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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