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बाली उमर की प्यास पार्ट--53
गतान्क से आगे................
"तो तुम कहना चाहते हो कि तुम बेक़ुसूर हो और तुम्हारी शकल का कोई और बंदा पिच्छले 36 घंटे से हमारी नाक में दम कर रहा है...!" मानव ने हॅरी बने उस युवक के साथ जी भर कर माथा पच्ची करने के बाद कहा....
"ज्जई... अगर आप कह रहे हैं कि आपने खुद उसको देखा है तो हो सकता है... पर मुझे इस बारे में सच में कुच्छ नही पता....!" हॅरी लेते लेते जवाब दे रहा था....
"मैं ये सब नही मान सकता... हूबहू शकल... वही आवाज़... ये सब कहानियों में होता है... मुझे उल्लू बनाने की कोशिश ना करो; यही अब तुम्हारे लिए... वैसे तुम रहने वाले कहाँ के हो?" मानव को अचानक कुच्छ ध्यान आया...
"ज्जई... मैं बता दूँगा... पर आप प्लीज़ मेरे घर पर सूचित ना करें... मैने अपना घर छ्चोड़ दिया है...!"
"पूच्छ सकता हूँ क्यूँ...?" मानव ने तिर्छि नज़रों से उसको घूरते हुए पूचछा....
"जी... वो मैं आपको नही बता सकता... " हॅरी ने एक गहरी साँस छ्चोड़ी...,"मैं जुलना से हूँ...!"
"कौन कौन हैं तुम्हारे घर में...?" मानव ने अगला सवाल किया....
"जी.. मम्मी पापा हैं... और एक छ्होटा भाई... मयूर...!"
"मतलब तुम हॅरी ही हो! पर ववो.. कौन है जो ये सब करवा रहा है...? तुम्हारा कोई जुड़वा भाई है क्या?" मानव ने अगला सवाल किया....
"ज्जई.. नही... पर कुच्छ यकीन से कह भी नही सकता...!" हॅरी ने कहा और नज़रें चुरा ली....
"क्या... क्या मतलब?" मानव उसके मुँह से ही सुन'ना चाहता था.....
"जी.. दरअसल मैं उनका गोद लिया हुआ बेटा हूँ... ववो मुझे अनाथालय से लेकर आए थे.... इसीलिए..."
"साला ये चक्कर क्या है..." मानव झुझलाते हुए स्टूल से उठ कर खड़ा हो गया...," अगर तुम बेक़ुसूर हो और हॅरी ही हो तो वो कौन है जिसको कल अंजलि ने देखा था... जो परसों मेरे साथ था... और वो भी बिल्कुल तुम्हारी तरह... कुच्छ फ़र्क तो जुड़वाँ बच्चों में भी होता है...!"
मानव की जब कुच्छ और समझ में नही आया तो उसने घर फोन करके पिंकी को हॉस्पिटल में बुला लिया... और फिर बाहर निकल कर अंजलि को आवाज़ दी..,"इधर आना अंजू...!"
"ज्जई... सर.." अंजलि सहमी हुई सी कमरे में आकर खड़ी हो गयी... हॅरी की ओर उसने देखा तक नही...
"ध्यान से इसको देखो... क्या ये हॅरी ही है?" मानव ने अंजलि से कहा...
अंजलि ने मानव के कहने पर एक सरसरी नज़र हॅरी पर डाली और फिर मानव की ओर देखते हुए अपनी गर्दन 'हां' में हिलाकर झुका ली....
"ऐसे नही.. एक दम ध्यान से देखो... मुझे लगता है कि एक ही शकल के दो आदमी हैं कहानी में.... तुम गौर करके बताओ कि क्या ये वही लड़का है जिसको तुमने गाँव में देखा है...?"
अंजलि ने इस बार देखते हुए हॅरी से नज़रें चार की तो वह मुस्कुरा दिया....,"हां... यही है... कल भी मैने इसी को देखा था थाने में....!" अंजलि ने कन्फर्म किया.....
"हॅरी... पहली बार तुमने इसको कब देखा था....?" मानव ने हॅरी से सवाल किया....
"ज्जई... ये दोनो मेरे ऑफीस में आई थी... तभी मैने इसको और पिंकी को पहली बार देखा था...!" हॅरी बना युवक यहाँ मात खा गया... अंजलि ने कुच्छ याद किया और हॅरी से सीधा सीधा सवाल किया...,"क्या पिंकी को भी तुमने वहीं देखा था पहली बार....?"
हॅरी अंजलि की बात का मतलब समझ गया..,"नही... ऐसे तो मैने कयि बार तुम्हे भी देखा था आते जाते... पर..."
"नही... मैं ये नही कह रही... पिंकी से पहली बार तुम कब मिले थे और क्या बात हुई थी...!" अंजलि तालाब वाली बात याद करके बोली....
"हां... बात तो शायद पहले भी हुई हैं... पर कुच्छ याद नही आ रहा...!" हॅरी हड़बड़ा गया था....
"झूठ!" अंजलि उच्छलते हुए सी बोली...,"वो बात तो तुम भूल ही नही सकते... ये ज़रूर हॅरी नही है...!" अंजलि मानव की और देख कर बोली.....
"ये तुम क्या कह रही हो... मुझे सब कुच्छ याद है... तुम और पिंकी पहली बार मेरे पास ई-पिल लेने आई थी... पिंकी ने माँगी थी और मैं नाराज़ हुआ था... उसके बाद तुम मुझे शहर में मिली... वो सब भी मुझे याद है... बाद में तुम्हारे साथ ही पिंकी पैसे लौटने आई थी.....!" हॅरी हद से ज़्यादा बोलकर सफाई देने लगा....
"तो फिर इसका मतलब यही हुआ कि दूसरा कोई आदमी है ही नही... तुम ही हॅरी हो और तुम ही बॉस हो!" मानव ने निष्कर्ष निकालने की कोशिश की.....
"नही... पहले इस'से पूच्छो की पहली बार ये पिंकी से कहाँ मिला था.... उस बात को तो कोई भूल ही नही सकता.... ये हॅरी नही है अगर इसको नही पता तो....!"
"ऐसी क्या बात है...?" मानव अंजलि के चेहरे पर गौर करता हुआ बोला और फिर अपने आप ही उसको चुप रहने का इशारा किया....,"रहने दो... यही बताएगा.. या फिर....!"
मानव बोल ही रहा था कि बाहर से एक पोलीस वाला पिंकी को साथ लिए कमरे में दाखिल हो गया... पिंकी सहमी हुई भी थी और शरमाई, सकूचाई हुई भी....
"पिंकी... एक बार इसको ध्यान से देख कर बताओ कि क्या यही लड़का हर बार तुमसे मिला है...?" मानव ने पूचछा....
पिंकी ने बिना देखे ही हामी भर दी... हॅरी को कनखियों से उसने देख तो पहले ही लिया था....
"पिंकी! क्या तुम्हे याद है तुम दोनो पहली बार कब मिले थे...?" अंजलि से बिना पूच्छे रहा ना गया....
"हां!" पिंकी ने कहकर सिर झुका लिया..,"तालाब पर!"
"एक मिनिट... अभी तुम कुच्छ मत बोलो...!" मानव ने निर्देश दिया...,"अब कुच्छ याद आया हॅरी जी!"
"ज्जई.." हॅरी हड़बड़ा गया था..,"पर... पर ढंग से याद नही है....!"
"कोई बात नही.. जितना याद है.. वही बता दो!" मानव को कुच्छ ना कुच्छ निष्कर्ष निकालने की उम्मीद बँधने लगी थी....
"बस.. थोड़ा थोड़ा ही याद है.... शायद... नही... कुच्छ याद सा नही आ रहा...!" हॅरी बोलता भी तो क्या बोलता.....
"हो ही नही सकता 'वो' बात याद ना हो..." अंजलि से रहा नही जा रहा था....,"चलो यही बता दो कि जब तुम इसके पास गये तो पिंकी क्या कर रही थी..."
"कहा ना यार कुच्छ याद नही है...!" हॅरी झल्ला उठा....
"मैं बताती हूँ... पिंकी अपनी भैंसॉं को लेने तलब के उस पार गयी थी....!" अंजलि बोल ही रही थी कि हॅरी ने उसको टोक दिया...,"हां हां.. याद आ गया... मैं उधर नहर की तरफ से घूमफिर कर आ रहा था.... तभी ये मुझे मिली थी....!"
"अच्च्छा... अब तो याद आ गया ना... चलो अब बताओ फिर क्या हुआ था... बाकी बात तो तुम भूल ही नही सकते.....!" मानव चुपचाप अंजलि और हॅरी की बातें सुन रहा था... उसको विश्वास था कि अंजलि ठीक चल रही है... इसलिए उसने उसको रोकने की कोई कोशिश नही की.....
"फिर... बस एक आध बात हुई थी और....!"
"ये... हॅरी नही है सर...!" अंजलि ने अपना फ़ैसला सुना दिया...,"उस बात को ये कैसे भूल सकता है जब पिंकी मुसीबत में थी और हॅरी ने इसको बचाया था... दरअसल...!" बोल रही अंजलि को मानव ने बीच में ही टोक दिया...,"एक मिनिट... ये हुई ना बात! अब कुच्छ याद आया हॅरी जी?"
हॅरी के पास अब भी बोलने को कुच्छ नही था... उसको पता था कि इस सवाल का जवाब उसके पास नही है... निढाल सा होकर लेट'ते हुए उसने अपना जबड़ा कस लिया और आँखें बंद कर ली...,"मेरा नाम प्रशांत है!"
पर... लेकिन ये क्या कह...!" पिंकी आसचर्यचकित होकर कुच्छ बोलने को विवश हो ही गयी थी कि मानव ने अपनी आँखों का इशारा करके उसको चुप कर दिया...,"हां.. क्या बोल रहे थे भाई साहब!"
"मेरा नाम हॅरी नही है... मैं तो...!"
"तो फिर हॅरी कहाँ है...?" अब मानव को हॅरी की तलाश थी....
"शिट!" प्रशांत ने हताशा में अपना माथा पीट लिया... उसको मालूम था कि अब उसको सब सच बोलना ही पड़ेगा...," तरुण मेरा बहुत अच्च्छा दोस्त था... एक तरह से इस धंधे में आप उसको मेरा पार्ट्नर कह सकते हैं...."
"मैने पूचछा हॅरी कहाँ है....?" मानव ने गुस्साए हुए लहजे में फिर पूचछा....
"है... जिंदा है... उसकी शकल मुझसे बहुत मिलती थी... उसकी सारी कहानी जान'ने के बाद मुझे उस'से हमदर्दी सी हो गयी थी.... इसीलिए उसको उस वक़्त जान से नही मार पाया.... 'वो' भी मेरी तरह अनाथालय में ही होता अगर उसको किसी ने गोद ना लिया होता... अपनी अपनी किस्मत है!" प्रशांत ने मुँह पिचकाया....
"तो इसका मतलब तुम दोनो भाई हो?" मानव उसके पास आकर बैठ गया.....
"पता नही... शायद भाई ही होंगे.... तभी तो....!"
"तुम पहले हॅरी बताओ कहाँ है..? बाकी बातें बाद में होती रहेंगी....!" मानव उतावला सा होकर बोला.....
"लाइए मैं फोन कर देता हूँ... वो 'लोग' उसको छ्चोड़ देंगे!"
"नही.. तुम अड्रेस बताओ!"
"अगर पोलीस वाले उसको लेने गये तो उसकी लाश ही मिलेगी... मैने उनको समझा रखा था कि उन्हे क्या करना है... फिर भी अगर आप..." प्रशांत को बोलते बोलते मानव ने बीच में ही टोक दिया,"नही... ये लो... फोन करके कह दो...!"
"थॅंक्स!", कहकर प्रशांत ने फोन मिलाया....
"हेलो!"
"हां... कौन है?"
"मैं बोल रहा हूँ...!" प्रशांत ने इतना ही कहा और उधर वाले बंदे को आवाज़ पहचान में आ गयी....,"जी बॉस... पर बॉस...?"
"हॅरी को छ्चोड़ दो.... रात वाला प्रोग्राम कॅन्सल करवा दो....!"
"पर क्यूँ बॉस? ववो.. पैसे तो हमने भिजवा दिए... आपने ही तो बोला था कि...."
"पैसे को मारो गोली यार... उसको छ्चोड़ दो और तुम सब भाग जाओ... सब ख़तम हो चुका है....!"
"पर बॉस....." सामने वाला अब भी दुविधा में था...,"आप कैसे बचेंगे फिर?"
"मैं अब बचना नही चाहता.... छ्चोड़ दो उसको..!" प्रशांत ने कहकर फोन काट दिया.....
"वेरी इंट्रेस्टिंग!" मानव ने उसके हाथ से फोन ले लिया...,"तो तुम हॅरी को मरवा कर उसको 'बॉस!' साबित करना चाहते थे.... हां... अब बताओ पूरी कहानी....!"
प्रशांत ने तकिये से सिर लगाया और कुच्छ दिन पुरानी यादों में चला गया....
तरुण और मैं एक दूसरे को बहुत दीनो से जानते थे.... मनीषा हमारी पहली शिकार थी और उसको मेरे पास तरुण ही लेकर आया था... सब कुच्छ ठीक चल भी रहा था... एक दिन मुझे तरुण ने बताया कि उसके गाँव में एकदम मेरी ही शकल का लड़का रहने के लिए आया है.... यू.पी. में दो चार केस मुझ पर चल रहे थे... पर मैं कभी पकड़ा नही गया था... उन्न मामलों को ख़तम करने के लिए मैने हॅरी को प्रशांत बनाकर मरा हुआ दिखाने का प्लान बनाया और गाँव में आने के कुच्छ दिन बाद ही उसको उठवा लिया था.... पर उसकी बातें सुनकर जाने क्यूँ उस'से हमदर्दी सी हो गयी थी.... खास तौर पर ये जान'ने के बाद कि 'वो' भी शुरुआत के कुच्छ दिन अनाथालय में ही रहा है...
मुझे भी यही लग रहा था कि वो मेरा भाई हो सकता है... पर मैने उसको छ्चोड़ा नही... ऐसी ही किसी एमर्जेन्सी के लिए जिंदा रख लिया था था.... इसके अलावा मुझे गाँव में एक सुरक्षित जगह भी मिल गयी थी.... मैं गाँव में ही रहने लगा....
"पर मैं तुम्हारा फोन कभी ट्रेस नही कर पाया... तुम गाँव में रहते थे... पर तुम्हारी लोकेशन कभी उसके आसपास भी नही लगी...!" मानव ने उसको टोक कर बीच में सवाल किया....
"हां... एक तो मैं अपने नंबर.स फ्रीक्वेंट्ली बदलता था... दूसरे मैं हमेशा अपने सेल पर फॉर्वर्डेड कॉल्स ही रिसीव करता था... शायद इसीलिए...!"
"आगे बोलो....!"
तरुण मीनू को इस बिज़्नेस में लाने की सोच रहा था... उसी दौरान उसने मुझे बताया कि पिंकी ने उसके साथ क्या किया... वो अपने तरीके से बदला लेना चाहता था पर मैने उसको संयम रखने की सलाह दी..... स्कूल की इनकी मूवी देखने के बाद मुझे भी लगने लगा था कि इनको जिस तरह चाहें हम उस तरीके से नचा सकते हैं... और फिर हमारी लिस्ट में ये दो लड़कियाँ और शामिल हो गयी... पर उसी रात तरुण का खून हो गया.... इसके लिए मैं मीनू को ही ज़िम्मेदार मान रहा था क्यूंकी उसी दिन उसने मुझे बताया था कि 'वो' मीनू' से मिलने जा रहा है....
और जब मनीषा ने मुझे बताया कि उसने सोनू को तरुण पर चाकू से हमला करते देखा है तो मैने गुस्से में उसको अपने पास बुलाकर मार डाला... उसके पास तरुण का फोन देख कर मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि उसी ने तरुण को मारा है......
बाद में पिंकी मेरे पास आई और मेरे दिमाग़ में एक दूसरा प्लान कौंध गया.... पिंकी ने मुझसे इस लहजे में बात की जैसे ववो मुझे पहले से पसंद करती है.. मैने हॅरी से इस बाबत जानकारी लेनी चाही पर उसने इस बात से ही नकार कर दिया कि ऐसा कुच्छ है.... हां इतना ज़रूर कहा था कि 'ये' उसको अच्छि लगती है और 'वो' इसको कयि बार गुलबो कहकर चिड़ा भी देता है.... मैने अपने तरीके से तरुण की ली हुई कसम का बदला लेने का फ़ैसला कर लिया...... यही मेरा बिज़्नेस भी था..... मैने पिंकी को प्यार के जाल में फँसाया... बाकी तो आप सब को पता ही है.... " प्रशांत ने बात ख़तम करके नज़रें झुका ली....
"मुझे उम्मीद नही थी तुम इतनी जल्दी हार मान कर टूट जाओगे....!" मानव उसको घूरता हुआ बोला....
"मुझे नही पता कि हार क्या होती है और जीत क्या! मैने जिंदगी को हमेशा शतरंज के खेल की तरह जिया है.... मैं सामने वाले की चाल समझे बगैर वार नही करता... पर मेरे मंन में तब से ही एक उधेड़बुन चल रही थी जब से मैने खुद को बचाने के लिए हॅरी का एनकाउंटर करवाने का प्लान बनाया था.... ये सच है कि मैं खुद को अब भी बचा लेना चाहता था... पर पता नही क्यूँ.. मैं इसकी.." हॅरी ने पिंकी की तरफ एक पल के लिए देखा..," इसकी आँखों का सामना नही कर सका..... पता नही क्यूँ... मैं इसको धोखा दे रहा था पर मुझे ये भी लग रहा था कि मैं खुद को ही छल रहा हूँ... पता नही क्यूँ...."
"फिर ये भी नही चाहता था कि मेरे कर्मों की सज़ा मेरा... वो भाई भुगते... बस पता नही क्यूँ.... खैर...!" प्रशांत ने एक लंबी साँस ली और चुप हो गया....
"तो.. तुम शुरू से ही हॅरी नही थे....!" पिंकी आँखें फाड़ कर बोली....
"तालाब वाली बात का मुझे नही पता.. पर तब से जब तुम मेरे पास 'वो' गोलियाँ माँगने आई थी.... मैं ही था.....!"
"जाओ.. तुम थोड़ी देर बाहर बैठो...!" मानव ने अंजू और पिंकी की ओर इशारा किया....
"चलो...!" पिंकी अंजू का हाथ पकड़ कर बाहर ले आई....
"हॅरी मुझसे प्यार करता होगा क्या?" पिंकी अजीब कसंकस में थी.....
"पता नही... वो आए तो उसका गला पकड़ कर पूच्छ लेना.... पर एक बात तुम बिल्कुल सही कह रही थी....!" अंजलि ने कहा....
"क्या?" पिंकी ने अंजलि की आँखों में झाँकते हुए पूचछा.....
"हॅरी ने सच में किसी को भी तालाब वाली बात नही बताई.... अगर वो इसको बता देता तो आज ये बच जाता...!" अंजलि ने कहा....
"हां.. और वो..." पिंकी बीच में ही रुक गयी..,"बता ना! वो मुझसे प्यार कर लेगा ना?"
"मुझे नही पता... मैं तो बस इतना जानती हूँ कि इस चक्कर में झमेले बहुत हैं... मैने तो आज से तौबा कर ली!" अंजलि ने कहा और अपने कान पकड़ लिए
तो दोस्तो बाली उमर की प्यास अब एक बीती बात बन गई थी इसके बाद अंजलि ने फिर कभी सेक्स की बातो पर ध्यान नही दिया और वह अपनी पढ़ाई सीरियस होकर करने लगी फिर मिलेंगे एक नई कहानी बाबुल प्यारे के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड
गतान्क से आगे................
"Toh tum kahna chahte ho ki tum bekusoor ho aur tumhari shakal ka koyi aur banda pichhle 36 ghante se hamari naak mein dam kar raha hai...!" Manav ne Harry bane uss yuvak ke sath ji bhar kar matha pachchi karne ke baad kaha....
"jji... agar aap kah rahe hain ki aapne khud usko dekha hai toh ho sakta hai... par mujhe iss baare mein sach mein kuchh nahi pata....!" Harry lete lete jawab de raha tha....
"Main ye sab nahi maan sakta... Hubahu shakal... wahi aawaj... ye sab kahaniyon mein hota hai... mujhe ulloo banane ki koshish na karo; yahi ab tumhare liye... waise tum rahne wale kahan ke ho?" Manav ko achanak kuchh dhyaan aaya...
"Jji... main bata doonga... par aap pls mere ghar par suchit na karein... maine apna ghar chhod diya hai...!"
"poochh sakta hoon kyun...?" Manav ne tirchhi najron se usko ghoorte huye poochha....
"Ji... wo main aapko nahi bata sakta... " Harry ne ek gahri saans chhodi...,"Main Julana se hoon...!"
"koun koun hain tumhare ghar mein...?" Manav ne agla sawaal kiya....
"Ji.. mummy papa hain... aur ek chhota bhai... Mayur...!"
"matlab tum Harry hi ho! par wwo.. koun hai Jo Ye sab karwa raha hai...? Tumhara koyi judwa bhai hai kya?" Manav ne agla sawaal kiya....
"Jji.. nahi... par kuchh yakeen se kah bhi nahi sakta...!" Harry ne kaha aur najarein chura li....
"Kya... kya matlab?" Manav uske munh se hi sun'na chahta tha.....
"Ji.. darasal main unka god liya hua beta hoon... wwo mujhe anathalya se lekar aaye the.... isiliye..."
"Sala ye chakkar kya hai..." Manav jhujhlate huye stool se uth kar khada ho gaya...," Agar tum bekusoor ho aur Harry hi ho toh wo koun hai jisko kal Anjali ne dekha tha... jo parson mere sath tha... aur wo bhi bilkul tumhari tarah... kuchh fark toh judwan bachchon mein bhi hota hai...!"
Manav ki jab kuchh aur samajh mein nahi aaya toh usne ghar fone karke Pinky ko hospital mein bula liya... aur fir bahar nikal kar anjali ko aawaj di..,"Idhar aana Anju...!"
"Jji... Sir.." Anjali sahmi huyi si kamre mein aakar khadi ho gayi... Harry ki aur usne dekha tak nahi...
"Dhyaan se isko dekho... kya ye Harry hi hai?" Manav ne Anjali se kaha...
Anjali ne Manav ke kahne par ek sarsari nazar Harry par dali aur fir Manav ki aur dekhte huye apni gardan 'haan' mein hilakar jhuka li....
"Aise nahi.. ek dum dhyan se dekho... Mujhe lagta hai ki ek hi shakal ke do admi hain kahani mein.... Tum gour karke batao ki kya ye wahi ladka hai jisko tumne gaanv mein dekha hai...?"
Anjali ne iss baar dekhte huye Harry se najarein char ki toh wah muskura diya....,"Haan... yahi hai... kal bhi maine isi ko dekha tha thane mein....!" Anjali ne confirm kiya.....
"Harry... pahli baar tumne isko kab dekha tha....?" Manav ne Harry se sawaal kiya....
"Jji... Ye dono mere office mein aayi thi... tabhi maine isko aur Pinky ko pahli baar dekha tha...!" Harry bana yuvak yahan maat kha gaya... Anjali ne kuchh yaad kiya aur Harry se seedha seedha sawaal kiya...,"Kya Pinky ko bhi tumne wahin dekha tha pahli baar....?"
Harry Anjali ki baat ka matlab samajh gaya..,"Nahi... aise toh maine kayi baar tumhe bhi dekha tha aate jate... par..."
"Nahi... main ye nahi kah rahi... Pinky se pahli baar tum kab mile the aur kya baat huyi thi...!" Anjali Talab wali baat yaad karke boli....
"Haan... baat toh shayad pahle bhi huyi hain... par kuchh yaad nahi aa raha...!" Harry hadbada gaya tha....
"Jhooth!" Anjali uchhalte huye si boli...,"Wo baat toh tum bhool hi nahi sakte... ye jaroor Harry nahi hai...!" Anjali Manav ki aur dekh kar boli.....
"Ye tum kya kah rahi ho... mujhe sab kuchh yaad hai... Tum aur Pinky pahli baar mere paas I-Pill lene aayi thi... Pinky ne maangi thi aur main naraj hua tha... uske baad tum mujhe shahar mein mili... wo sab bhi mujhe yaad hai... Baad mein tumhare sath hi Pinky paise loutane aayi thi.....!" Harry had se jyada bolkar safayi dene laga....
"Toh fir iska matlab yahi hua ki dusra koyi aadmi hai hi nahi... Tum hi harry ho aur tum hi Boss ho!" Manav ne nishkarsh nikalne ki koshish ki.....
"Nahi... pahle iss'se poochho ki Pahli baar ye Pinky se kahan mila tha.... Uss baat ko toh koyi bhool hi nahi sakta.... Ye Harry nahi hai agar isko nahi pata toh....!"
"aisi kya baat hai...?" Manav Anjali ke chehre par gour karta hua bola aur fir apne aap hi usko chup rahne ka ishara kiya....,"Rahne do... yahi batayega.. ya fir....!"
Manav bol hi raha tha ki bahar se ek police wala Pinki ko sath liye kamre mein dakhil ho gaya... Pinky sahmi huyi bhi thi aur sharmayi, sakuchayi huyi bhi....
"Pinky... ek baar isko dhyan se dekh kar batao ki kya yahi ladka har baar tumse mila hai...?" Manav ne poochha....
Pinky ne bina dekhe hi hami bhar di... Harry ko kankhiyon se usne dekh toh pahle hi liya tha....
"Pinky! kya tumhe yaad hai tum dono pahli baar kab mile the...?" Anjali se bina poochhe raha na gaya....
"Haan!" Pinky ne kahkar sir jhuka liya..,"Talab par!"
"Ek minute... abhi tum kuchh mat bolo...!" Manav ne nirdesh diya...,"Ab kuchh yaad aaya Harry ji!"
"jji.." Harry hadbada gaya tha..,"par... par dhang se yaad nahi hai....!"
"Koyi baat nahi.. jitna yaad hai.. wahi bata do!" Manav ko kuchh na kuchh nishkarsh nikalne ki ummeed bandhne lagi thi....
"Bus.. thoda thoda hi yaad hai.... Shayad... nahi... kuchh yaad sa nahi aa raha...!" Harry bolta bhi toh kya bolta.....
"Ho hi nahi sakta 'wo' baat yaad na ho..." Anjali se raha nahi ja raha tha....,"Chalo yahi bata do ki Jab tum iske paas gaye toh Pinky kya kar rahi thi..."
"Kaha na yaar kuchh yaad nahi hai...!" Harry jhalla utha....
"Main batati hoon... Pinky apni bhainson ko lene talab ke uss paar gayi thi....!" anjali bol hi rahi thi ki Harry ne usko tok diya...,"Haan haan.. yaad aa gaya... Main udhar nahar ki taraf se ghoomfir kar aa raha tha.... tabhi ye mujhe mili thi....!"
"achchha... ab toh yaad aa gaya na... chalo ab batao fir kya hua tha... baki baat toh tum bhool hi nahi sakte.....!" Manav chupchap Anjali aur Harry ki baatein sun raha tha... usko vishvas tha ki Anjali theek chal rahi hai... isliye usne usko rokne ki koyi koshish nahi ki.....
"Fir... bus ek aadh baat huyi thi aur....!"
"Ye... Harry nahi hai Sir...!" Anjali ne apna faisla suna diya...,"Uss baat ko ye kaise bhool sakta hai jab Pinky museebat mein thi aur Harry ne isko bachaya tha... darasal...!" Bol rahi Anjali ko Manav ne beech mein hi tok diya...,"ek minute... ye huyi na baat! Ab kuchh yaad aaya Harry ji?"
Harry ke paas ab bhi bolne ko kuchh nahi tha... usko pata tha ki iss sawaal ka jawaab uske paas nahi hai... Nidhal sa hokar let'te huye usne apna jabada kas liya aur aankhein band kar li...,"Mera naam Prashaant hai!"
par... lekin ye kya kah...!" Pinky aascharyachakit hokar kuchh bolne ko vivash ho hi gayi thi ki Manav ne apni aankhon ka ishara karke usko chup kar diya...,"Haan.. kya bol rahe the bhai sahab!"
"Mera naam Harry nahi hai... Main toh...!"
"toh fir Harry kahan hai...?" Ab Manav ko Harry ki talash thi....
"Shit!" Prashant ne hatasha mein apna matha peet liya... Usko maloom tha ki ab usko sab sach bolna hi padega...," Tarun mera bahut achchha dost tha... ek tarah se iss dhandhe mein aap usko mera partner kah sakte hain...."
"Maine poochha Harry kahan hai....?" Manav ne gussaye huye lahje mein fir poochha....
"Hai... Jinda hai... Uski shakal mujhse bahut milti thi... Uski sari kahani jaan'ne ke baad mujhe uss'se hamdardi si ho gayi thi.... Isiliye usko uss waqt jaan se nahi maar paya.... 'Wo' bhi meri tarah anaathalya mein hi hota agar Usko kisi ne god na liya hota... apni apni kismat hai!" Prashant ne munh pichkaya....
"Toh iska matlab tum dono bhai ho?" Manav uske paas aakar baith gaya.....
"Pata nahi... shayad bhai hi honge.... tabhi toh....!"
"Tum pahle Harry batao kahan hai..? baki baatein baad mein hoti rahengi....!" Manav utaawala sa hokar bola.....
"Layiye main fone kar deta hoon... wo 'log' usko chhod denge!"
"Nahi.. tum address batao!"
"Agar police waale usko lene gaye toh uski lash hi milegi... maine unko samjha rakha tha ki unhe kya karna hai... fir bhi agar aap..." Prashant ko bolte bolte Manav ne beech mein hi tok diya,"nahi... ye lo... Fone karke kah do...!"
"Thanx!", Kahkar Prashant ne fone milaya....
"Hello!"
"haan... koun hai?"
"Main bol raha hoon...!" Prashant ne itna hi kaha aur udhar wale bande ko aawaj pahchan mein aa gayi....,"Ji Boss... par Boss...?"
"Harry ko chhod do.... raat wala program cancel karwa do....!"
"Par kyun Boss? wwo.. paise toh hamne bhijwa diye... aapne hi toh bola tha ki...."
"Paise ko maaro goli yaar... Usko chhod do aur tum sab bhag jao... sab khatam ho chuka hai....!"
"Par Boss....." Saamne wala ab bhi duvidha mein tha...,"aap kaise bachenge fir?"
"Main ab bachna nahi chahta.... chhod do usko..!" Prashant ne kahkar fone kaat diya.....
"Very interesting!" Manav ne uske hath se fone le liya...,"Toh tum Harry ko marwa kar usko 'Boss!' sabit karna chahte the.... haan... ab batao poori kahani....!"
Prashant ne takiye se sir lagaya aur kuchh din purani yaadon mein chala gaya....
Tarun aur main ek dusre ko bahut dino se jaante the.... Manisha hamari pahli shikaar th aur usko mere paas Tarun hi lekar aaya tha... Sab kuchh theek chal bhi raha tha... Ek din mujhe Tarun ne bataya ki uske gaanv mein ekdum meri hi shakal ka ladka rahne ke liye aaya hai.... U.P. mein do char case mujh par chal rahe the... par main kabhi pakda nahi gaya tha... Unn maamlon ko khatam karne ke liye maine Harry ko Prashant banakar mara hua dikhane ka plan banaya aur gaanv mein aane ke kuchh din baad hi usko uthwa liya tha.... Par uski baatein sunkar jaane kyun uss'se hamdardi si ho gayi thi.... khas tour par ye jaan'ne ke baad ki 'wo' bhi shuruaat ke kuchh din anaathalya mein hi raha hai...
Mujhe bhi yahi lag raha tha ki wo mera bhai ho sakta hai... par maine usko chhoda nahi... aisi hi kisi emergency ke liye jinda rakh liya tha tha.... Iske alawa mujhe gaanv mein ek surakshit jagah bhi mil gayi thi.... Main gaanv mein hi rahne laga....
"Par main tumhara fone kabhi trace nahi kar paya... Tum gaanv mein rahte the... par tumhari location kabhi uske aaspaas bhi nahi lagi...!" Manav ne usko tok kar beech mein sawaal kiya....
"Haan... ek toh main apne no.s frequently badalta tha... dusre Main hamesha apne cell par forwarded calls hi receive karta tha... shayad isiliye...!"
"aage bolo....!"
Tarun Meenu ko iss business mein lane ki soch raha tha... Usi douran usne mujhe bataya ki Pinky ne uske sath kya kiya... wo apne tareeke se badla lena chahta tha par maine usko sanyam rakhne ki salah di..... School ki inki movie dekhne ke baad mujhe bhi lagne laga tha ki inko jis tarah chaahein hum uss tareeke se nacha sakte hain... aur fir hamari list mein ye do ladkiyan aur shamil ho gayi... Par usi raat Tarun ka khoon ho gaya.... Iske liye main Meenu ko hi jimmedaar maan raha tha kyunki usi din usne mujhe bataya tha ki 'wo' Meenu' se milne ja raha hai....
aur jab Manisha ne mujhe bataya ki Usne Sonu ko Tarun par chaku se hamla karte dekha hai toh Maine gusse mein usko apne paas bulakar maar daala... uske paas Tarun ka fone dekh kar mujhe poora vishvaas ho gaya tha ki usi ne Tarun ko maara hai......
Baad mein Pinky mere paas aayi aur mere dimag mein ek dusra plan koundh gaya.... Pinky ne mujhse iss lahje mein baat ki jaise wwo mujhe pahle se pasand karti hai.. Maine Harry se iss babat jaankari leni chahi par usne iss baat se hi nkaar kar diya ki aisa kuchh hai.... Haan itna jaroor kaha tha ki 'ye' usko achchhi lagti hai aur 'wo' isko kayi baar gulabo kahkar chida bhi deta hai.... Maine apne tareeke se Tarun ki li huyi kasam ka badla lene ka faisla kar liya...... yahi mera business bhi tha..... Maine Pinky ko pyaar ke jaal mein fansaya... baaki toh aap sab ko pata hi hai.... " Prashant ne baat khatam karke najarein jhuka li....
"Mujhe ummeed nahi thi tum itni jaldi haar maan kar toot jaaoge....!" Manav usko ghoorta hua bola....
"Mujhe nahi pata ki haar kya hoti hai aur jeet kya! Maine jindagi ko hamesha shatranj ke khel ki tarah jiya hai.... Main saamne wale ki chal samjhe bagair waar nahi karta... par Mere mann mein tab se hi ek udhedbun chal rahi thi jab se maine khud ko bachane ke liye Harry ka encounter karwane ka plan banaya tha.... Ye sach hai ki main khud ko ab bhi bacha lena chata tha... par pata nahi kyun.. main iski.." Harry ne Pinky ki taraf ek pal ke liye dekha..," iski aankhon ka saamna nahi kar saka..... pata nahi kyun... Main isko dhokha de raha tha par mujhe ye bhi lag raha tha ki main khud ko hi chhal raha hoon... pata nahi kyun...."
"Fir ye bhi nahi chahta tha ki mere karmon ki saza mera... wo bhai bhugte... bus pata nahi kyun.... khair...!" Prashant ne ek lambi saans li aur chup ho gaya....
"Toh.. tum shuru se hi Harry nahi the....!" Pinky aankhein faad kar boli....
"Talaab wali baat ka mujhe nahi pata.. par tab se jab tum mere paas 'wo' goliyan maangne aayi thi.... main hi tha.....!"
"Jao.. tum thodi der bahar baitho...!" Manav ne Anju aur Pinky ki aur ishara kiya....
"Chalo...!" Pinky Anju ka hath pakad kar bahar le aayi....
"Harry mujhse pyar karta hoga kya?" Pinky ajeeb kasamkas mein thi.....
"Pata nahi... wo aaye toh uska gala pakad kar poochh lena.... par ek baat tum bilkul sahi kah rahi thi....!" Anjali ne kaha....
"Kya?" Pinky ne Anjali ki aankhon mein jhankte huye poochha.....
"Harry ne sach mein kisi ko bhi talaab wali baat nahi batayi.... agar wo isko bata deta toh aaj ye bach jata...!" Anjali ne kaha....
"Haan.. aur wo..." Pinky beech mein hi ruk gayi..,"Bata na! wo mujhse pyar kar lega na?"
"Mujhe nahi pata... main toh bus itna jaanti hoon ki iss chakkar mein jhamele bahut hain... Maine to aaj se touba kar li!" Anjali ne kaha aur apne kaan pakad liye
end
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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