बाली उमर की प्यास पार्ट--52
गतान्क से आगे................
"हां, बाहर आ जाओ!" हॅरी किसी से फोन पर बात कर रहा था....
"अभी और कितनी दूर जाना है...", शिल्पा ने एक बार फिर गर्दन उचका कर गाड़ी चला रहे हॅरी पर निगाह डालने की कोशिश की....
"फिकर मत करो...!" हॅरी ने कहते कहते गाड़ी सड़क के बाईं और करके ब्रेकेस लगा दिए... तभी तकरीबन 25-30 साल का एक युवक ज़ीप की पिच्छली सीट खोलकर उसमें आ चढ़ा...,"हे... चलो नीचे उतर कर उस गाड़ी में बैठो...!" उसका दूसरा साथी बाहर खड़ा अपने दाँतों में से कुच्छ निकालने की कोशिश कर रहा था....
सीमा और डॉली अचंभित सी उन्न दोनो को देखने लगी.... वो दोनो उनको अच्छि तरह जानती थी.... पर साथ बैठी शिल्पा और आगे बैठे 'पोलीस वाले' की वजह से वो एक दूसरी का चेहरा ताक कर ही रह गयी....
"ये सब क्या है... अभी और कितना आगे चलना है... ये दोनो कौन हैं...?" शिल्पा ने हड़बड़ा कर एक बार फिर पूचछा.....
"सब समझ आ जाएगा.. हे हे हे...", इस बार जवाब गाड़ी में चढ़े युवक ने दिया और अपनी हथेली शिल्पा की जाँघ पर रख कर दबा दी.. और फिर गुर्राते हुए रेवोल्वेर निकाल कर कहा,"चलो नीचे...!"
"ययए... ये क्या कर रहे हो..." अपने गालों पर रेवोल्वेर की नोक सटी देख कर शिल्पा अपनी जाँघ पर रखी हथेली का विरोध करना तो जैसे भूल ही गयी.... युवकों की शकल सूरत और तेवरों से उसको वो दोनो पेशेवर मुजरिम लग रहे थे... सूखे पत्ते की तरह कांपना शुरू कर चुकी हाथ में थमी हथकड़ियों को झट से छ्चोड़ते हुए तुरंत नीचे आ गयी....,"क्क्या है ये सब...?"
नीचे खड़े युवक ने शिल्पा के नीचे आते ही उसका हाथ पकड़ लिया,"चलो.. उस गाड़ी में...!"
"ययए... ये तो कमाल हो गया यार.... तुम कैसे...?" डॉली खुशी से उच्छलते हुए सीमा के साथ लगभग भाग कर सड़क से नीचे उतर कर खड़ी की गयी गाड़ी में आकर बैठ गयी...,"आए... चल हमारी बेड़ियाँ खोल... ययएए... ये तो वही लड़का है ना जो....!" डॉली ने हॅरी को पोलीस वाले के भेष में ज़ीप से उतर कर गाड़ी की तरफ आते देखा तो अवाक रह गयी.... सीमा का भी यही हाल था.....
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"डॅमिट यार... अगर वो ज़ीप में था तो गया कहाँ.... हर चौराहे पर पोलीस है... फिर भी...." मानव झुंझला उठा था..... वह अंबेडकर चोवोक पर बॅरियर लगाए खड़े पोलीस वालों से बात कर रहा था.....
"सर आपके वी.टी. करवाने के बाद हमने हर गाड़ी को चेक किया है.... चाहे वो लाल बत्ती वाली गाड़ी ही क्यूँ ना हो....!" पोलीस वाले ने सिर झुका कर अदब से जवाब दिया... हताशा और निराशा सबके चेहरों से साफ झलक रही थी.....
"क्या उस'से पहले कोई पोलीस ज़ीप शहर से बाहर गयी है?" मानव ने पूचछा.....
"आज तो पोलीस की हर गाड़ी रोड पर है सर.... पर फिर भी हमने एहतियात के तौर पर पास वाले थानो में भी एलेर्ट कर दिया था.....
मानव ने जेब से मोबाइल निकाल कर समय देखा.. सुबह के 6:00 बजने वाले थे...,"मैं जुलना जा रहा हूँ..... तुम चौकस रहना... वो दिन निकलने पर किसी दूसरी गाड़ी से शहर के बाहर निकलने की कोशिश कर सकते हैं....." मानव ने कुच्छ और ज़रूरी हिदायतें दी और वापस गाड़ी में बैठ गया.....
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"ययए सब आख़िर चाहते क्या हैं...? तुम भी इन्न लोगों से मिले हुए हो लगता है!" जैसे ही हॅरी अकेला शिल्पा के पास आया, वो बरस पड़ी..... उसको बाहर दोनो लड़कियों के खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थी....
"हा हा हा हा.....बड़ी जल्दी समझ गयी तुम...! वैसे तुम्हे पोलीस में भरती किसने कर लिया....?" हॅरी अट्टहास सा करता हुआ आपाधापी में खड़ी शिल्पा के सामने बिस्तर पर पसर गया,"साले पोलीस वालों ने आज बहुत भगाया.... मुझे इतना काम करने की आदत नही है.....!"
"क्क्या मतलब...?" शिल्पा आस्चर्य से हॅरी का चेहरा घूरते हुए बोली....
"छ्चोड़ो.... आओ... थोड़ी मालिश कर दो.. मेरा बदन दुख रहा है....!" हॅरी बत्तीसी निकाल कर बोला और अपनी कमर में अटकाई हुई सी माउज़र निकाल कर टेबल पर रख दी......
ख़तरा भाँप चुकी शिल्पा भला यह मौका कैसे गँवाती... उसने फुर्ती दिखती हुए माउज़र लपक कर हॅरी की और तान दी...,"तो तुम इन्न लोगों के साथ मिले हुए हो... मैं तुम्हे छ्चोड़ूँगी नही....
"मुझे भी पोलीस वालों जितना चूतिया समझती है क्या सस्साली? इसमें गोली तेरा बाप डालेगा... मैं सब कुच्छ सब्र से करता हूँ... पर उन्न लोगों को सोन्प दिया तो तुझे कच्चा चबा जाएँगे.... समझ गयी....? अब इसको टेबल पर रख कर मेरे पास आ जा... वरना मैं उनको अंदर बुला लूँगा.....!" हॅरी ने लेते हुए ही कहा और फिर अपनी आँखें बंद कर ली.......
"मुंम्म्मय्यययी......." शिल्पा ने चुपचाप माउज़र को टेबल पर वापस रखा और रोने लगी....
"तू तो सच में चूतिया है...." हॅरी ने आँखें खोल कर टेबल से माउज़र उठाई और उसकी मॅग्ज़ाइन निकाल ली...," आज तो मैं गया था काम से.... साला भूल ही गया था कि तू पोलीस वाली है और तुझे गन चलानी आती है.... हा हा हा हा... ये ले... अब खेल ले इसके साथ... मेरा काम तो तू करेगी नही... लगता है मुझे उन्न दोनो को गिफ्ट में देना पड़ेगा तुझे.....!"
"प्ल्ज़... प्ल्ज़... मुझे छ्चोड़ दो... !" शिल्पा तुरंत हॅरी के पैरों में गिरकर गिड़गिदने लगी...,"मुझे जाने दो यहाँ से... मैं किसी को कुच्छ नही बोलूँगी.....!"
हॅरी बिस्तर पर सिरहाने को ऊँचा करके अढ़लेता सा हो गया और उसने कसमसाती हुई शिल्पा को अपनी बाहों में खींच लिया.....,"मैं लड़कियों को नही मारता... 'प्यार' करता हूँ... यही मेरा पेशा है....!"
आतंक के मारे बौखलाई हुई शिल्पा अपने आपको हॅरी के पहलू में सिमट'ते हुए पाकर विरोध तक नही कर सकी.... उसके आँसुओं से नमकीन हुए जा रहे उसके होन्ट जैसे ही हॅरी ने 'अपने' कब्ज़े में लिए; वह सिसक उठी... भय के मारे.....!
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"इसको पहचानते हो क्या? हॅरी को!" मानव जुलना कस्बे में जाकर दुकान दारों को अपने साथ लाई फोटो दिखा दिखा कर थक चुका था... उसकी उम्मीद ढीली पड़ने ही लगी थी कि एक जगह पान की दुकान पर बात बन गयी.....
"हां साहब... पर आप क्यूँ पूच्छ रहे हो?... ये तो निहायत ही शरीफ लड़का था....!"
"शरीफ माइ फुट, सस्सलाअ...!" मानव के मुँह से निकला... फिर अचानक ही उसने थयोरियाँ चढ़ा कर पूचछा..,"था मतलब?"
"मतलब अब वो यहाँ नही रहता साहब.... तीन चार साल हो गये.... घर वालों से अनबन के चलते वो घर छ्चोड़ कर चला गया था.....!"
"हूंम्म..... कौन कौन है इसके घर में... अब?" मानव ने उत्सुक होकर पूचछा...,"वो तो यहीं रहते होंगे ना...?"
"हां.... ये थोडा सा आगे चलकर पहली गली में तीसरा... नही नही... एक मिनिट... चौथा मकान है.... मम्मी पापा और छ्होटा बेटा ही रहते हैं यहाँ बस....!" दुकानदार ने अंदाज़ा लगाकर बताया....
"घरवालों से अनबन की कोई खास वजह....?" मानव ने एक और सवाल किया....
"इतना तो मालूम नही साहब.... पर लड़का बहुत शरीफ था.... राम क़ास्स्साम!"
"हूंम्म... थॅंक्स!" मानव ने कहा और दोनो पोलीस वालों को साथ लेकर आगे बढ़ गया.......
"ये आप क्या कह रहे हैं इनस्पेक्टर साहब... हॅरी तो कभी ऐसा सोच भी नही सकता...!" आलीशान बंगले में पोलीस वालों के सामने बैठे हॅरी के पिता जी मानव की बात सुनते ही उच्छल पड़े......
"देखिए में यहाँ झक मारने नही आया हूँ.... अगर आप मुझे उसके पते ठिकाने नही बताते तो मजबूरन मुझे आपको साथ लेकर जाना पड़ेगा..... फ़ायडा इसी में है कि आप उसके बारे में जितना जानते हैं, यहीं बता दें...." मानव व्याकुल हो उठा था....
"मैं मज़ाक नही कर रहा इनस्पेक्टर साहब... उस जैसा लड़का आपको शायद ही कोई और मिलेगा.... उसने तो आज तक चींटी भी नही मारी... आप खून करने की बात कर रहे हैं.....!" पिता जी ने दोहराया.....
"देखिए मैं उसका रिश्ता लेकर यहाँ नही आया हूँ जो आप उसकी तारीफों के पुल बाँधे जा रहे हैं... उसका ठिकाना बता दीजिए!" मानव ने अपने तेवर बदल कर कहा...
"सॉरी इनस्पेक्टर... मुझे पता होता तो मैं तीन साल से यहाँ बैठा उसकी राह नही देख रहा होता... उसको गले से लगाकर वापस ले आता...!" पिताजी की आँखों में आँसू उमड़ पड़े....
"तो फिर आपको मेरे साथ चलना पड़ेगा...!" मानव की तमाम कोशिशों के बाद भी हॅरी के घर वालों ने जब संतोषजनक जवाब नही दिया तो मानव कुर्सी से खड़ा हो गया....
"मुझे तो हमेशा से पता था वो ऐसा है.... आप ही सिर पे चढ़ा के रखते थे उसको.... देख लिया नतीजा... कटवा ली ना अपनी नाक... घर तक पोलीस आ गयी... अब भुग्तो... लगा लो उसको वापस लाकर कलेजे से.... अरे 'वो' बस दिखने का ही शरीफ था... पर मेरी तो आपने कभी सुनी ही नही.... पहले ही जायदाद से बेदखल कर देते तो आज ये दिन ना देखना पड़ता....." काफ़ी देर से मुँह बनाए उनकी बातें सुन रही औरत से रहा ना गया.... शायद वो हॅरी की माताजी थी.....
मानव ने तिर्छि नज़रों से देखते हुए हॅरी की माताजी की बातों का अर्थ निकालने की कोशिश की.... पर कुच्छ समझ में नही आया... अमूमन ऐसी बातें पिता के मुँह से सुन'ने को मिल जाती हैं.. पर.....
"नमस्ते अंकल!" बाहर से भागते हुए अंदर आए बच्चे पर भी मानव ने पैनी निगाह डाली.... करीब 8-9 साल का वो बच्चा आते ही अपनी मम्मी की गोद में बैठ गया......
"क्या ये आपकी दूसरी शादी है....?" मानव ने तर्कपूर्ण ढंग से सोचने के बाद पिताजी से सवाल किया.....
"चलिए.... मेरे साथ उपर चलिए.... सब बताता हूँ आपको...!" हॅरी के पिताजी ने कहा और खड़े होकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया......
"हां हां... बता दो सब कुच्छ... सारा दोष मुझ पर ही मढ़ देना... तुम्हारा बड़ा 'नाम' हो जाएगा इस'से... हॅरी तो हीरा है हीरा.... हाथ कंगन को आरसी क्या....! सब कुच्छ तुम्हारे सामने आ गया ना....! भुगतो अब...." माता जी अपने पति का इनस्पेक्टर को अकेले में उपर ले जाना बर्दाश्त ना कर सकी.... और कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ाती ही रही......
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"हॅरी हमारा बेटा नही है इनस्पेक्टर साहब!" उपर जाते ही पिताजी ने बात साफ करके मानव को चौंकने पर मजबूर कर दिया....
"'हमारा बेटा नही है' मतलब?... आपका बेटा नही है या फिर.....?"
"वो हम दोनो का ही बेटा नही है... हमने उसको गोद लिया था....!" पिताजी ने सपस्ट किया.....,"दरअसल शादी के केयी साल तक जब हम दोनो को कोई बच्चा नही हुआ तो हम दोनो ने हताश होकर बच्चा गोद लेने का फ़ैसला किया था.... पर हॅरी के घर में आने के 15 साल बाद भगवान ने मेरी बीवी की सुन ली.... मैं तब बच्चा नही चाहता था... पर.... मुझे पता था उसके बाद यही होगा.... मयूर के पैदा होने के बाद से ही सावित्री को 'हॅरी' खटकने लगा था.... पर मेरा विश्वास कीजिए इनस्पेक्टर साहब... 'वो' तो सच में हीरा था हीरा.....!" पिताजी ने अपनी नाम हो चुकी आँखों को च्छुपाने के लिए अपना मुँह फेर लिया......
"ओह्ह्ह... पर वो घर छ्चोड़ कर क्यूँ गया? क्या आपकी बीवी....?"
"हां..." पिताजी की गर्दन हां में हिली और झुकी हुई ही रह गयी...,"कोई कितना बर्दाश्त करेगा....!"
"उसको इस घर से कोई लगाव था भी या नही...?"
"था इनस्पेक्टर साहब.... वो तो मयूर को भी अपनी जान से ज़्यादा चाहता था... दरअसल नफ़रत का तो उसको पता ही नही था कि क्या होती है.... एक दिन उसकी मम्मी ने उस पर 'गोद लिया हुआ' कहकर ताने मारने शुरू कर दिए और मयूर का हक़ खाने वाला कहने लगी... उसके बाद केवल 2 दिन और ही 'वो' यहाँ रुका था बस... कुच्छ नही पता मुझे... कम से कम मुझे बता कर तो चला जाता.....!" अब तक पिताजी की आँखें बरसने लगी थी....
"ओह्ह.. आइ'म सॉरी... शायद 'इसी' नफ़रत ने उसको 'ऐसा' रास्ता इख्तियार करने पर मजबूर कर दिया..... मैं अपना नंबर. छ्चोड़ कर जा रहा हूँ... अगर आपको...."
"वो ऐसा नही कर सकता इनस्पेक्टर... मैं अब भी दावे के साथ कह सकता हूँ... आपको ज़रूर कोई ग़लतफहमी हुई है... वह मर जाएगा पर ऐसा काम नही करेगा....!"
"देखते हैं.... फिलहाल तो उसको ढूँढना है.....!" मानव ने कहकर उनके कंधे पर हाथ रखा और दोनो नीचे उतरने लगे......
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"शिवा...!" हॅरी करीब एक घंटे बाद कमरे में शिल्पा को रोती छ्चोड़ कर बाहर आया....
"जी बॉस...!" हॅरी को देखते ही शिवा तुरंत खड़ा हो गया.....
"उन्न दोनो का क्या किया?"
"बाँध के डाल दिया पिछे वाले कमरे में..... रात को ही टपकाना है ना?"
"अंदर जाकर पोलीस वाली की सी.डी. बना लो.... उसके बाद इसको दिखा भी देना...!" हॅरी ने उसको आदेश दिया.....
"पर बॉस..." शिवा पास आकर बोला.....," पोलीस वाली को धंधे में लाना ठीक नही है... लड़कियाँ तो और भी मिल जाएँगी...... ये 'साली' कभी भी फंस्वा सकती है.....!"
"भेजा नही है तो ज़्यादा टेन्षन मत लिया कर..... आज तक तुम लोग इसीलिए प्रेम की जगह नही ले पाए थे..... चल छ्चोड़... अंदर जाकर इसकी सी.डी. बना लो..... नरेश को चढ़ा देना पहले... इस साले को केमरा पकड़ना नही आता.... और हां ज़रा संभाल कर... कुँवारी थी अभी तक...." हॅरी ने मुस्कुरकर कहा तो नरेश की बाँच्चें खिल गयी....,"थॅंक यू बॉस!"
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"ये ज़ीप यहीं मिली तुम्हे....?" मानव हाइवे पर ज़ीप बरामद होने की सूचना मिलने के कारण सीधा वहीं पहुँच गया था......
"जी जनाब...! किसी को अभी हमने अंदर भी बैठने नही दिया है.....!" हवलदार ने आकर सल्यूट बजाया....
"हूंम्म.... इसका मतलब वो यहाँ से पैदल....!" मानव टहलता हुआ सड़क किनारे पहुँचा और सड़क से नीचे टाइरन की छाप देख कर अपना सिर खुज़ाया...,"गाड़ी में गया है स्साला... कोई और अब भी उसकी मदद के लिए है....!"
"जी जनाब!" हवलदार ने टाल ठोनकी....
"ज़ीप में चेक करो कुच्छ मिल जाए तो.... एक मिनिट... स्टियरिंग मत छ्छूना.... मुझे कुच्छ और भी मामला लग रहा है...." कहते हुए मानव गाड़ी के टायरों के निशान के पास बैठ गया.... और बारीकी से निरीक्षण करते ही उसकी आँखें चमक उठी....,"तुम शहर जाने वाली गाड़ियों को भी चेक कर रहे थे क्या?"
"जी जनाब... आपका फोन आने के बाद तो हमने 'मुरारी' की गाड़ी को भी नही छ्चोड़ा... आने जाने वाले सारे वेहिकल अच्छि तरह चेक किए थे.....
"गुड.... यहाँ से वो गाड़ी घूमाकर वापस ले गये हैं... अगर वो शहर में नही घुसे तो कहीं आसपास ही हैं.... छ्होटे रास्तों पर तो वैसे भी सबने खास तौर पर चेकिंग की होगी... वो 100 % साथ वाले सेक्टर में ही मिलेंगे....!" मानव उतावला सा होकर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ा और हेडक्वॉर्टर फोन किया....,"सर, मुझे करीब 50 पोलीस वालों की ज़रूरत है....!"
"काम'ऑन मानव... शहर में कोई आतंकवादी नही घुसे हैं... क्या करोगे इतनी फोर्स का.....?" एस.पी. साहब ने बिगड़े हुए लहजे में सवाल किया..... वो भी पोलीस वालों की हत्या और एक महिला पोलीस कर्मी की किडनॅपिंग से सकते में थे.....!
"सर मुझे घर घर की तलाशी लेनी पड़ेगी... वो लोग शर्तियाँ शहर में ही हैं...!" मानव ने ज़ोर देकर कहा....
"पागल हो गये हो क्या? घर घर की तलाशी......!"
"सॉरी सर... ई मीन सेक्टर 37 में घर घर की तलाशी.... ज़्यादा घर नही हैं यहाँ.... कुल मिलकर 4-5 घंटे का ही काम होगा.... मुझे हर व्यक्ति सिविल ड्रेस में चाहिए.....!"
"कितनी किरकिरी कारवाओगे यार... मीडीया हँसेगा हम पर.... नो! आइ वल्न'ट अल्लोव यू" एस.पी. साहब ने तल्खी से कहा.....
"प्लीज़ सर... आइ नीड युवर को-ऑपरेशन.... मैं शाम तक उन्हे गिरफ्तार कर ही लूँगा....!"
"ओ.के... मुझे उपर बात करने दो.... आइ'ल्ल कॉल यू बॅक!" एस.पी. साहब ने कहा और फोन काट दिया.....
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"काम हो गया बॉस!" शिवा अपनी चैन बंद करते हुए बाहर निकला... उस'के हाथों में वीडियो केमरा भी था.... पर बॉस... वो तो स्यूयिसाइड करने की बात कर रही है... हमने बहुत समझाया कि उसको बहुत पैसे मिलेंगे पर.....!"
"तुमसे जितना कहा जाए उतना ही किया करो.... वीडियो दिखाई उसको....?"
"जी बॉस... तभी तो...." शिवा ने सिर झुका लिया.....
"जाओ अब तोड़ा आराम कर लो.... मुझे बात करने दो उस'से.....!" हॅरी मुस्कुराया और कमरे के अंदर चला गया....
"सॉरी जान... पर क्या करता... आख़िर जान का सवाल है....!" हॅरी उसके पास जाकर बैठ गया......
"हाथ मत लगाओ मुझे... वैसे भी मुझे मारना है... तुम अभी क्यूँ नही मार देते.....!" शिल्पा बिलख उठी.....
"मुझे मारने से गुस्सा शांत हो जाएगा क्या?" हॅरी ने बत्तीसी निकाली पर रोती हुई शिल्पा रोती ही रही.....
"क्यूँ मरना चाहती हो...? सेक्स तो हर इंसान की ज़रूरत है... मैने किया था तो तुम थोड़ा थोड़ा एंजाय कर रही थी... मैने महसूस किया.... इन्न लोगों ने भी किया.. इसीलिए नाराज़ हो क्या?" हॅरी ने कहते हुए एक बार फिर शिल्पा को छ्छूने की कोशिश की तो शिल्पा बिफर पड़ी...,"अभी कसर रह गयी है तो और बुला लो... फिर सी.डी. बेचकर मुनाफ़ा कमाना और मुझे ब्लॅकमेल करना....!"
"ओह नो...! ये सब किसने कहा? साले हरामी... मुश्किल में गधे को भी बाप बनाना पड़ता है.......!" हॅरी ने गुस्से में कहा और फिर शांत होकर बोला...,"अगर में कहूँ कि ऐसा नही होगा तो...? उल्टा मैं तुम्हे एक अनोखा तोहफा देने वाला हूँ... हे हे हे...!"
उसके बाद करीब 5 मिनिट तक कमरे में सिर्फ़ शिल्पा के रोने की आवाज़ें आती रही... धीरे धीरे जब वह शांत हुई तो उसी ने चुप्पी तोड़ी..," कम से कम इस घटिया काम की वीडियो तो ना बनाते.... 2 महीने बाद मेरी शादी है... और तुम......!"
"देखो.. तुम जब चुप हो जाओगी तभी मैं कुच्छ बोलूँगा... ठंडे दिमाग़ से फ़ैसला करना.... मैं तुम्हारी प्रमोशन करवाने की सोच रहा हूँ... हे हे हे....!" हॅरी अपना पासा फैंक कर चुप हो गया... उसे शिल्पा से कुच्छ जवाब मिलने की उम्मीद थी... पर उस वक़्त शिल्पा कुच्छ और सोचने की हालत में थी ही नही......
"मुझे मार कर तो तुम्हरा गुस्सा शांत हो जाएगा ना....? प्रमोशन तो मिलेगी ही... शायद वीरता पदक भी मिल जाए... सोच लो....!" हॅरी ने कहा और अपनी माउज़र एक बार फिर उसकी ओर सरका दी....
शिल्पा ने एक बार हॅरी को घूर कर देखा और फिर अपनी नज़रें झुका ली... अरमान तो शायद उसके यही थे... पर उसको यकीन था कि माउज़र में अब की बार तो शर्तिया गोलियाँ नही मिलेंगी.....
"फ़ैसला तुम्हारा है... एक तरफ सी.डी. बन'ने के कारण तुम स्यूयिसाइड करने की बात बोल रही हो... दूसरी तरफ मैं तुम्हे प्रमोशन का चान्स और तुम्हारी सी.डी. वापस लौटने का ऑफर दे रहा हूँ... सोच लो... क्या नुकसान है...?"
"तुम..." शिल्पा की आँखों की पुतलियान आसचर्यजनक ढंग से फैल गयी..,"तुम ऐसा क्यूँ करोगे....?"
"तुम सिर्फ़ आम खाओ....! आज रात यही माउज़र तुम्हारे हाथ में होगी....वो भी फुल्ली लोडेड.... हम पाँचों का एनकाउंटर कर दो... सिर्फ़ शिवा और नरेश को ये नही बोलना है कि तुम बाद में उन्हे भी मार दोगि... मैं उनको विश्वास दिला दूँगा कि तुम उनको नही मारोगी... उसके बाद तुम्हे सिर्फ़ पोलीस के पास फोन करना है कि तुमने बड़ी बहादुरी से हम सबको मार गिराया.... सो सिंपल... मुझे मारने के बाद सी.डी. मेरी जेब से निकाल कर जला देना.....!" हॅरी ने पैतरा फैंका.....
"पर... पर तुम खुद को क्यूँ मरवाओगे....?" शिल्पा अपने साथ हुए हादसे को भूल कर हॅरी की कहानी में खोई हुई थी......
"बस... यही समझ लो कि दुनिया से मन भर गया है.... जैल नही जाना चाहता... आज नही तो कल पकड़ा ही जाउन्गा....!"
"पर तुम खुद भी तो अपने आपको और बाकी लोगों को मार सकते हो... मुझसे क्यूँ बोल रहे हो...?" शिल्पा असमन्झस में थी.....
"तुम्हारे लिए... सिर्फ़ तुम्हारे लिए... कल रात उन्न दोनो को लाने के लिए मुझे तुम्हाए साथ लाना पड़ा... और फिर आज जो कुच्छ हुआ.. उसकी कीमत अदा करके जाना चाहता हूँ.... बोलो!"
"नही... तुम मज़ाक कर रहे हो... है ना?"
"अगर तुम्हे लगता है तो.... कहो तो तुम्हारे सामने बाकी लोगों को मार कर दिखाउ? पर इस'से तुम्हारी बहादुरी कम हो जाएगी... हे हे हे...!" हॅरी हंसता रहा.. उसको समझ आ चुका था कि शिल्पा तैयार हो गयी है.....
"नही... पर तुम पागल हो क्या?" शिल्पा ने आस्चर्य से पूचछा......
"हाआँ....! हा हा हा हा हा..." हॅरी ने ज़ोर का ठहाका लगाया....,"और मेरे पास मेडिकल सर्टिफिकेट भी है... इसका... कहो तो दिखाउ?"
"नही रहने दो..." शिल्पा ने कहा और फिर हिचकिचा कर बोली...,"तो...कब?"
"आज रात को.... मैं और बाकी दोनो लड़कियाँ बँधे हुए होंगे और ये दोनो लड़के तुम्हारी मदद करेंगे.... हमें मारने के बाद जब ये दोनो हम तीनो को खोले तो तुम इनको भी.... समझ गयी ना?"
शिल्पा ने एक गहरी साँस ली.... उसको हॅरी की बातों पर विश्वास नही हो रहा था.. होता भी कैसे...?
"तैयार हो तो बोलो वरना मुझे कुच्छ और....." हॅरी बात कह ही रहा था कि शिवा और नरेश हड़बड़ाहट में भागे हुए सीधे आकर कमरे में घुस गये...,"बॉस.. मारे गये... बाहर 2 आदमी खड़े हैं... कद काठी से पोलीस वाले लग रहे हैं..... लगता है हम फँस गये......!"
"ओह.. शिट... 2 ही हैं या...?" हॅरी ने उत्तेजित होकर पूचछा....
"गेट पर तो 2 ही हैं बॉस... क्या पता बाहर....!"
"सावधानी से उनको अंदर बुला लो... वापस मत...."
"बचाआओ..... बचाअ...." शिल्पा पोलीस आने की बात सुनकर खुद को काबू में नही रख पाई.....
"स्स्साआआअलि.... कुतिया... मैं तुझे प्रमोशन दिलाने जा रहा था और तू...." हॅरी ने अपना जबड़ा भींच कर शिल्पा का मुँह दबाया और गोली सीधी उसके बायें सीने में उतार दी....
"बॉस... गोली की आवाज़ तो... अया..." शिवा को गोली मारने की वजह जब तक नरेश समझ पाता..वह भी एक भयानक चीख के साथ अपना दम तोड़ चुका था.... हॅरी पिछे वाली खिड़की से सीधा नीचे कूदा और अंदर सीमा और डॉली की ओर भागा....
जब तक पोलीस वाले हरकत में आकर दीवार कूदकर अंदर पंहूचते... कोठी में तीन गोलियाँ और चल चुकी थी.....
"हेलो..हेलो.. सर! यहाँ 375 में गोलियाँ चली हैं अंदर.. हमें लगता है वो यहीं छुपे हुए हैं... आप..!" बाहर खड़े पोलीस वाले ने तुरंत एस.आइ. के पास फोन घुमा दिया था...
"तो फोन कहे कर रहे हो यार.. अंदर जाकर पाकड़ो उनको.. हम अभी वहाँ पहुँच रहे हैं...!" उधर से फटी हुई आवाज़ आई...
"पर सर.. डंडे से हम गन का मुकाबला कैसे... कम से कम हथियार देकर तो...!" पोलीस वाला कह ही रहा था जब आख़िरी गोली चली थी...
"ओ.के. ओ.के. होल्ड ऑन दा स्पॉट.. मैं इनस्पेक्टर साहिब को सूचित करके अभी बाकी लोगों को वहीं भेज रहा हूँ... देखना कहीं पिछे से ना भाग जायें...!" एस.आइ. ने कहा..
"नही सर.. भागने का तो....," सिपाही के बोलते बोलते फोन काट गया...," काट दिया साले ने... कह रहा है अंदर जाकर पकड़ लो.. जैसे... इनकी मा की चूत.. साले खुद तो रेवोल्वेर टांगे चालान काट'ते रहते हैं... हम को बोल रहे हैं कि डंडा दिखा कर किल्लर को पकड़ लो.. हिस्स्स...!" सिपाही बड़बड़ाया...
"अब तो कोई आवाज़ नही आ रही यार... लगता है सारी गोलियाँ ख़तम हो गयी इनकी... अंदर चलकर देखें क्या...?" दूसरे सिपाही ने गेट से अंदर झाँकते हुए कहा....
"तू पागल है क्या..? क्या पता हमारे लिए बचा कर रखी हों एक आध... तुझे जाना है तो जा.. मुझे बहादुरी दिखाने का शौक नही है फोकट में... बात करता है..."दूसरा अधेड़ उमर का पोलीस वाला बड़बड़ाया..,"तू यहीं खड़ा रह.. मैं पीछे जाकर देखता हूँ..."
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इनस्पेक्टर मानव करीब 5 मिनिट में ही बताई गयी जगह पर पहुँच गया था... कुच्छ और पोलीस वाले भी तब घर में घुसे ही थे.....
"तुम उपर जाकर देखो...!" मानव ने एक साथी से कहा बंद कमरे के बाहर खड़े होकर ऊँची आवाज़ में कहा..,"तुम आज नही बच सकते! बहुत खून बहा लिया तुमने... चुपचाप बाहर आ जाओ...!"
प्रत्युत्तर में आवाज़ उपर से आई,"सिर्र्ररर... शिल्पा!"
"एक मिनिट यहीं रहना..." मानव ने कहा और उपर की और भगा... उपर कमरे में जाते ही वहाँ पड़ी तीन लाशों को देख मानव का कलेजा छल्नी हो गया,"ओह्ह माइ गॉड! बहुत कमीना है स्साला...!" मानव के मुँह से निकला और उसने हड़बड़ाहट में शिल्पा की नब्ज़ चेक की.. कुच्छ भी नही बचा था....
"ववो नीचे ही है...!" मानव गुस्से में दनदनाता हुआ वापस नीचे उतरा..,"तोड़ दो दरवाजा... इस साले को तो मैं....!"
मानव का आदेश मिलते ही एक हत्ते कत्ते पोलीस वाले ने खींच कर दरवाजे पर लात मारनी शुरू कर दी... तीन चार प्रयासों के बाद उनको दरवाजा तोड़ने में सफलता मिल गयी...,"ध्यान से...!" मानव ने निर्देश देकर अंदर पहला कदम रखते ही उसकी साँसे ठंडी पड़ गयी.. सीमा और डॉली की खून से लथपथ लाशें एक दूसरी से बँधी हुई पड़ी थी....
"अभी भी मौका है... हाथ उठाकर बाहर निकल आओ वरना....!" मानव ने कहा और धीरे धीरे दाईं तरफ वाले दरवाजे को खोला... पर वहाँ भी उसको निराशा ही हाथ लगी....
"सर यहाँ...एक और लाश...!" मानव वापस पलटा ही था कि सामने वाले दूसरे कमरे से आवाज़ आई... मानव फुर्ती दिखाते हुए कमरे तक पहुँचा और अंदर पड़ी लाश देखते ही उसके मुँह से निकला,"हररयययी?"
"साँस चल रही है सर...!सिर्फ़ बेहोश है..." पोलीस वाले ने उसकी नाड़ी छूते ही उच्छल कर कहा..,"इसके पेट में गोली लगी है...!"
"जल्दी इसको हॉस्पिटल पहुँचाओ... चार आदमी जाना साथ और हर पल इस पर नज़र रखना... बहुत शातिर है साला...! बाकी लोगों को भी चेक करो... हरी उप!" मानव उत्तेजित होकर चिल्लाया और कमरे में पिछे की और खुलने वाले दरवाजे से निकल कर सावधानी से बाहर आया.... गीली ज़मीन में पीछे वाली दीवार की तरफ जाते हुए जूतों की छाप और टपका हुआ खून सॉफ दिखाई दे रहा था.... सरसरी नज़र डालने पर ही उसको दीवार के पास एक जोड़ी जूते भी पड़े दिखाई दे गये... फौरी तौर पर ऐसा लग रहा था कि कोई जूते वहाँ निकाल कर दीवार के पार कूदा है...
"इसको किसने गोली मारी...!" मानव उधेड़बुन में वापस अंदर आया और पोलीस वालों से पूछा...,"इश्स मकान की तलाशी लेने कौन आया था...?"
"हम... ववो.. रज़बिर और मैं आए थे जनाब...!" एक पोलीस वाले ने बताया....
"जब तुम्हे शक हुआ तो क्या तुमने ये नही देखा कि घर के पिछे भागने की जगह है...!" मानव ने झल्लते हुए जवाब माँगा....
"पता था जनाब... मैं शक होते ही पिछे जाकर खड़ा हो गया था... वहाँ से कोई नही गया बाहर...!" पोलीस वाले ने झूठ बोलकर अपना बचाव किया.... पर मानव को उसके लहजे पर ही विस्वाश नही हुआ..,"कोई तो ज़रूर भागा है यहाँ से...!" मानव बोलते बोलते पिछे आ गया था..
"नही जनाब... भगा होगा तो पहले ही भागा होगा.... हमारे आने के बाद तो....!"
"बकवास बंद करो... जाकर मकान की तलाशी लो...!" मानव गहरी सोच में डूबा हुआ लग रहा था.....
"साहब.. उन्न लड़कियों की लाश के पास रेवोल्वेर पड़ी है...." एक पोलीस वाला भागते हुए मानव के पास आया....
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"बेटा... वो.. अंजलि को भेज देते तो हम घर चले जाते...!" फोन मानव के घर से आया था... आवाज़ मीनू के पापा की थी....
"ओह.. सॉरी पिताजी! मुझे तो ध्यान ही नही रहा था... आप थोड़ी देर और रुक सकते हैं क्या...?" मानव ने नरम लहज़ा करके बात की....
"वो तो ठीक है पर..." मीनू के पापा बोलते बोलते रुक गये..,"कितनी देर और?"
"मैं बस कुच्छ ही देर में फोन करता हूँ आपको...!" मानव ने बात करके फोन काटा और एक पोलीस वाले को अपने पास बुलाया...," तुम जाकर महिला थाने से अंजलि को लेकर हॉस्पिटल में आ जाओ... मैं वहीं पहुँच रहा हूँ...!"
"जी जनाब... मैं जा रहा हूँ...!" पोलीस वाले ने जवाब दिया....
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"सर... होश आ गया उसको... डॉक्टर ने कहा है आप बात कर सकते हैं...!" एक पोलीस वाले ने हॉस्पिटल के बाहर अंजलि के पास खड़े मानव को सूचना दी तो मानव के कदम तेज़ी से अंदर की ओर बढ़ चले.....
"जी तो चाहता है तुम्हारा यहीं एनकाउंटर कर दूं सस्सले...!" मानव ने अजीब सी नज़रों से उसको देख रहे हॅरी की ओर घूरकर शब्दों को चबाते हुए कहा...
"प्पर.. पर क्यूँ सर...?" हॅरी ने थोड़ा हिलने की कोशिश की और दर्द के मारे कराह कर अपना पेट पकड़ लिया...," मैने क्या किया है...? मैं तो आपका शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने मुझे..... वो.. पिंकी ठीक है क्या?"
"बकवास बंद कर... बहुत हो गया नाटक.. स्साले... मेरी मजबूरी नही होती तो एक गोली वहीं तेरे भेजे के पार कर देता..." मानव ने आँखें निकाल कर सख़्त लहजे में कहा..,"तुझे गोली किसने मारी?"
"मुझे कुच्छ भी नही पता सर... मुझे तो 'वो' लोग एक दिन पहले ही उठाकर यहाँ लाए थे..."
"कहा ना बकवास...!" मानव बोलते बोलते अचानक बाकी बचे शब्दों को खा गया..,"अच्च्छा चल बोल... बता..पहले तू ही बोल ले...!"
"सर मुझे सच में नही पता मुझे गोली किसने मारी... मैं तो उनमें से किसी को जानता भी नही हूँ....!"
"अच्च्छा! बहुत खूब...!" मानव ने अपनी पैनी निगाह से उसके चेहरे पर उभरी शिकन का मतलब समझने की कोशिश की," क्यूँ मारी गोली...?"
"मुझे सच में कुच्छ नही पता सर... मैं...." हॅरी ने सिर झुका लिया..,"मैं और पिंकी.... पिंकी कुच्छ देर के लिए गुरुकुल से बाहर मेरे पास आई थी की उन्होने हमें उठा लिया... उसके बाद वो हमें कहीं ले गये और वहाँ से मुझे यहाँ लाकर क़ैद कर लिया था जहाँ से आप अभी... आपने मुझे बचा लिया वरना...."
"आए.. बोला ना बकवास मत कर.. जनाब तेरा यहीं रेमांड ले लेंगे अभी...... फालतू नाटक्बाज़ी करता है...!" साथ खड़े पोलीस वाले ने पॉइंट बनाने की कोशिश की....
"नही नही.. बोलने दे इसको... जी भर कर बोल ले बेटा.... चल बोलता रह!" मानव ने कहा....
"मुझे और कुच्छ भी नही पता सर... मैं और पिंकी एक दूसरे से... आप उसी से पूच्छ लो....!"
"पिंकी अब इस दुनिया में नही है...!" मानव ने पैतरा फैंका...
"किययाया...?" हॅरी के चेहरे पर अविश्वास के भाव उभर आए... ये कैसे हो सकता है सर... नही... ये नही हो सकता.....!"
"मतलब तू ये कहना चाहता है कि जिसने पिच्छले 24 घंटे में पोलीस की नाक में दम करते हुए दर्ज़न भर लोगों को मौत की नींद सुला दिया 'वो' तेरा कोई हमशकाल था... यही ना?"
"क्या कह रहे हैं आप...? मेरी कुच्छ समझ में नही आ रहा....पर पिंकी... वो कैसे..?" हॅरी ने आस्चर्य और शिकन अपने चेहरे पर लाते हुए पूचछा....
"कोई बात नही बेटा.... ठीक हो ले एक बार... सब समझ जाएगा..." मानव ने कहा और तभी उसको कुच्छ ध्यान आया... वह पोलीस वाले को इशारा करके बाहर निकल गया...
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"तुम हॅरी को कितना जानती हो अंजू...?" मानव ने अंजलि के पास आकर पूचछा...
"ठीक ठाक जानती हूँ.. क्यूँ?" अंजलि ने पलट कर सवाल किया....
"दरअसल.. मुझे लग रहा है कि कुच्छ गड़बड़..."मानव ने थोड़ा रुक कर कुच्छ सोचा और बोला...,"तुम हॅरी से पहली बार कब मिली थी....?"
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"मुरारी जी ने आपके लिए ही मेरी ड्यूटी यहाँ लगवाई है....!" मानव के बाहर जाते ही मौका देख कर पोलीस वाला अपनी औकात पर आ गया...
"क्या कह रहे हो..? मेरी कुच्छ समझ में नही आ रहा.. कौन मुरारी जी?" हॅरी ने अपनी पीड़ा पर काबू पाते हुए अंजान सा चेहरा बनाकर पूचछा...
"आप...? तो क्या तुम सच में बॉस नही हो...?"
"एक मिनिट.. दरवाजा बंद करना ज़रा....!" हॅरी के चेहरे पर अजीब से भाव आ गये....
"नही... ऐसे ही धीरे धीरे बोल दो... ये इनस्पेक्टर बड़ा घटिया है... किसी की भी नही सुनता... मुझ पर भी शक कर लेगा...!" पोलीस वाला उसके पास स्टूल लेकर बैठ गया....
"इस नंबर. पर फोन करना... ये तुम्हे सब समझा देगा..." हॅरी ने जल्दी जल्दी में एक नंबर. लिख कर उसको पकड़ा दिया....," आज रात ही इसका एनकाउंटर करवा दे... नही तो ये साला इनस्पेक्टर राम और श्याम की कहानी पर कभी भरोसा नही करेगा...! बाकी सब मैं संभाल लूँगा....!"
"हो जाएगा... पर 'वो' पैसे कहाँ से मिलेंगे...!" पोलीस वाले ने बत्तीसी निकाल ली....
"काम करने से पहले मिल जाएँगे... तू फोन तो कर एक बार...!" हॅरी अब संतुष्ट नज़र आ रहा था....
"पर ये क्या ? आपने खुद को गोली क्यूँ मारी... आप भाग भी तो सकते थे.... !"
"मेरी मति मारी गयी थी क्या जो मैं खुद को गोली मारूँगा... चूतिया लोग साथ रखेंगे तो और क्या होगा...इसकी मा की.. साली सीमा ने मरते मरते ठोक दी.... बेड के ड्रॉयर में से निकाल ली होगी आकर... दीवार पर चढ़ने की कोशिश की थी.. पर..." मानव को अंदर आते देख हॅरी चल रही बात से एक दम पलट गया," मुझे भी वो आजकल में मार ही देते... मेरी किस्मत ही अच्छि थी जो आप लोग आ गये...
"तू जितना स्याना है जनाब उसके डबल हैं... तेरी कहानी यहाँ नही चलने वाली... समझा..!" पोलीस वाला भी गिरगिट की तरह रंग बदल गया था...," पोलीस वालों को मारा है तूने... तू तो गया....!"
"बस कर..." मानव के आते ही पोलीस वाला खड़ा हो गया था....,"बाहर जा थोड़ी देर!"
"जी जनाब!" पोलीस वाले ने अदब से सिर झुकाया और बाहर निकल गया.....
क्रमशः......................
गतान्क से आगे................
"Haan, bahar aa jao!" Harry kisi se fone par baat kar raha tha....
"Abhi aur kitni door jana hai...", Shilpa ne ek baar fir gardan uchka kar gadi chala rahe Harry par nigah dalne ki koshish ki....
"Fikar mat karo...!" Harry ne kahte kahte gadi sadak ke bayin aur karke breakes laga diye... Tabhi takreeban 25-30 saal ka ek yuvak Zeep ki pichhli seat kholkar usmein aa chadha...,"Hey... Chalo neeche utar kar uss gadi mein baitho...!" Uska dusra sathi bahar khada apne daanton mein se kuchh nikalne ki koshish kar raha tha....
Seema aur Dolly achambhit si unn dono ko dekhne lagi.... Wo dono unko achchhi tarah jaanti thi.... Par sath baithi Shilpa aur aage baithe 'Police wale' ki wajah se wo ek dusri ka chehra taak kar hi rah gayi....
"Ye sab kya hai... abhi aur kitna aage chalna hai... ye dono koun hain...?" Shilpa ne hadbada kar ek baar fir poochha.....
"Sab samajh aa jayega.. he he he...", iss baar jawaab gadi mein chadhe yuvak ne diya aur apni hatheli Shilpa ki jangh par rakh kar daba di.. aur fir gurrate huye revolver nikal kar kaha,"Chalo neeche...!"
"yye... ye kya kar rahe ho..." apne gaalon par revolver ki nok sati dekh kar Shilpa apni jaangh par rakhi hatheli ka virodh karna toh jaise bhool hi gayi.... Yuvakon ki shakal soorat aur tewaron se usko wo dono peshewar mujrim lag rahe the... Sookhe patte ki tarah kaanpna shuru kar chuki hath mein thami hathkadiyon ko jhat se chhodte huye turant neeche aa gayi....,"kkya hai ye sab...?"
Neeche khade yuvak ne Shilpa ke neeche aate hi uska hath pakad liya,"Chalo.. uss gadi mein...!"
"yye... ye toh kamaal ho gaya yaar.... tum kaise...?" Dolly khushi se uchhalte huye Seema ke sath lagbhag bhag kar sadak se neeche utaar kar khadi ki gayi gadi mein aakar baith gayi...,"aey... chal hamari bediyan khol... yyye... Ye toh wahi ladka hai na jo....!" Dolly ne Harry ko police wale ke bhesh mein zeep se utar kar gadi ki taraf aate dekha toh awaak rah gayi.... Seema ka bhi yahi haal tha.....
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"Dammit yaar... Agar wo Zeep mein tha toh gaya kahan.... Har chourahe par police hai... fir bhi...." Manav jhunjhla utha tha..... Wah ambedkar chowk par barrier lagaye khade police waalon se baat kar raha tha.....
"sir aapke V.T. karwane ke baad Hamne har gadi ko check kiya hai.... chahe wo laal batti wali gadi hi kyun na ho....!" Police waale ne sir jhuka kar adab se jawab diya... Hatasha aur nirasha sabke chehron se saaf jhalak rahi thi.....
"Kya uss'se pahle koyi police zeep shahar se bahar gayi hai?" Manav ne poochha.....
"aaj toh Police ki har gadi road par hai Sir.... par fir bhi hamne ehtiyaat ke tour par paas waale thano mein bhi elert kar diya tha.....
Manav ne jeb se mobile nikal kar samay dekha.. Subah ke 6:00 bajne wale the...,"Main Julana ja raha hoon..... Tum choukas rahna... Wo din nikalne par kisi dusri gadi se shahar ke bahar nikalne ki koshish kar sakte hain....." Manav ne kuchh aur jaroori hidayatein di aur wapas gadi mein baith gaya.....
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"Yye sab aakhir chahte kya hain...? tum bhi inn logon se mile huye ho lagta hai!" Jaise hi Harry akela Shilpa ke paas aaya, wo baras padi..... Usko bahar dono ladkiyon ke khilkhilane ki aawaajein aa rahi thi....
"ha ha ha ha.....badi jaldi samajh gayi tum...! Waise tumhe police mein bharti kisne kar liya....?" Harry atthas sa karta hua aapadhapi mein khadi Shilpa ke saamne bistar par pasar gaya,"saale police waalon ne aaj bahut bhagaya.... Mujhe itna kaam karne ki aadat nahi hai.....!"
"kkya matlab...?" Shilpa aascharya se Harry ka chehra ghoorte huye boli....
"Chhodo.... aao... thodi malish kar do.. mera badan dukh raha hai....!" Harry batteesi nikal kar bola aur apni kamar mein atakayi huyi se mouser nikal kar table par rakh di......
Khatra bhanp chuki Shilpa bhala yah mouka kaise ganwati... Usne furti dikhati huye Mouser lapak kar Harry ki aur taan di...,"Toh tum inn logon ke sath mile huye ho... Main tumhe chhodungi nahi....
"mujhe bhi police waalon jitna chutiya samajhti hai kya sssaali? Ismein goli tera baap daalega... main sab kuchh sabra se karta hoon... par unn logon ko sonp diya toh tujhe kachcha chaba jayenge.... Samajh gayi....? Ab isko table par rakh kar mere paas aa ja... warna main unko andar bula loonga.....!" Harry ne lete huye hi kaha aur fir apni aankhein band kar li.......
"mummmmyyyyy......." Shilpa ne chupchap mouser ko table par wapas rakha aur rone lagi....
"Tu toh sach mein chutiya hai...." Harry ne aankhein khol kar table se mouser uthayi aur uski magzine nikal li...," aaj toh main gaya tha kaam se.... sala bhool hi gaya tha ki tu police wali hai aur tujhe gun chalani aati hai.... ha ha ha ha... ye le... ab khel le iske sath... mera kaam toh tu karegi nahi... lagta hai mujhe unn dono ko gift mein dena padega tujhe.....!"
"Plz... plz... mujhe chhod do... !" Shilpa turant harry ke pairon mein girkar gidgidane lagi...,"Mujhe jane do yahan se... main kisi ko kuchh nahi boloongi.....!"
Harry bistar par sirhane ko ooncha karke adhleta sa ho gaya aur usne kasmasati huyi shilpa ko apni baahon mein kheench liya.....,"main ladkiyon ko nahi maarta... 'pyaar' karta hoon... yahi mera pesha hai....!"
aatank ke maare boukhalayi huyi Shilpa apne aapko Harry ke pahloo mein simat'te huye pakar virodh tak nahi kar saki.... Uske aansuon se namkeen huye ja rahe uske hont jaise hi Harry ne 'apne' kabje mein liye; wah sisak uthi... bhay ke maare.....!
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"Isko pahchaante ho kya? Harry ko!" Manav julana kasbe mein jakar dukaan daaron ko apne sath layi foto dikha dikha kar thak chuka tha... uski ummeed dheeli padne hi lagi thi ki ek jagah paan ki dukaan par baat ban gayi.....
"Haan saahab... Par aap kyun poochh rahe ho?... ye toh nihayat hi shareef ladka tha....!"
"shareef my foot, sssalaaa...!" Manav ke munh se nikla... fir achanak hi usne tyoriyan chadha kar poochha..,"tha matlab?"
"Matlab ab wo yahan nahi rahta sahab.... teen char saal ho gaye.... ghar waalon se unban ke chalte wo ghar chhod kar chala gaya tha.....!"
"hummm..... koun koun hai iske ghar mein... ab?" Manav ne utsuk hokar poochha...,"wo toh yahin rahte honge na...?"
"haan.... ye thoda sa aage chalkar pahli gali mein teesra... nahi nahi... ek minute... choutha makaan hai.... mummy papa aur chhota beta hi rahte hain yahan bus....!" Dukaandaar ne andaja lagakar bataya....
"Gharwalon se unban ki koyi khas wajah....?" Manav ne ek aur sawaal kiya....
"itna toh maloom nahi sahab.... par ladka bahut shareef tha.... raam kasssaam!"
"Hummm... thanx!" Manav ne kaha aur dono police waalon ko sath lekar aage badh gaya.......
"Ye aap kya kah rahe hain inspector sahab... Harry toh kabhi aisa soch bhi nahi sakta...!" Aalishan bangle mein police waalon ke saamne baithe Harry ke pita ji Manav ki baat sunte hi uchhal pade......
"Dekhiye mein yahan jhak maarne nahi aaya hoon.... agar aap mujhe uske pate thikane nahi batate toh majbooran mujhe aapko sath lekar jana padega..... faayda isi mein hai ki aap uske baare mein jitna jaante hain, yahin bata dein...." Manav vyakul ho utha tha....
"Main majak nahi kar raha inspector sahab... Uss jaisa ladka aapko shayad hi koyi aur milega.... Usne toh aaj tak cheenti bhi nahi mari... aap khoon karne ki baat kar rahe hain.....!" Pita ji ne dohraya.....
"dekhiye main uska rishta lekar yahan nahi aaya hoon jo aap uski taareefon ke pul baandhe ja rahe hain... uska thikana bata dijiye!" Manav ne apne tewar badal kar kaha...
"Sorry inspector... Mujhe pata hota toh main teen saal se yahan baitha uski raah nahi dekh raha hota... usko gale se lagakar wapas le aata...!" Pitaji ki aankhon mein aansoo umad pade....
"toh fir aapko mere sath chalna padega...!" Manav ki tamaam koshishon ke baad bhi Harry ke ghar waalon ne jab santoshjanak jawab nahi diya toh Manav kursi se khada ho gaya....
"Mujhe toh hamesha se pata tha wo aisa hai.... aap hi sir pe chadha ke rakhte the usko.... dekh liya nateeja... katwa li na apni naak... ghar tak police aa gayi... ab bhugto... laga lo usko wapas lakar kaleje se.... Arey 'wo' bus dikhne ka hi shareef tha... par meri toh aapne kabhi suni hi nahi.... pahle hi jaydaad se bedakhal kar dete toh aaj ye din na dekhna padta....." Kafi der se munh banaye unki baatein sun rahi aurat se raha na gaya.... Shayad wo Harry ki mataji thi.....
Manav ne tirchhi najron se dekhte huye Harry ki mataji ki baaton ka arth nikalne ki koshish ki.... par kuchh samajh mein nahi aaya... amooman aisi baatein pita ke munh se sun'ne ko mil jati hain.. par.....
"Namastey uncle!" Bahar se bhagte huye andar aaye bachche par bhi Manav ne paini nigah dali.... kareeb 8-9 saal ka wo bachcha aate hi apni mummy ki god mein baith gaya......
"kya ye aapki dusri shadi hai....?" Manav ne tarkpoorn dhang se sochne ke baad pitaji se sawaal kiya.....
"Chaliye.... mere sath upar chaliye.... sab batata hoon aapko...!" Harry ke pitaji ne kaha aur khade hokar seedhiyon ki taraf badhna shuru kar diya......
"haan haan... bata do sab kuchh... sara dosh mujh par hi madh dena... tumhara bada 'naam' ho jayega iss'se... Harry toh Heera hai heera.... hath kangan ko aarsi kya....! Sab kuchh tumhare saamne aa gaya na....! Bhugto ab...." Mata ji apne pati ka Inspector ko akele mein upar le jana bardasht na kar saki.... aur kuchh na kuchh badbadati hi rahi......
****************
"Harry hamara beta nahi hai inspector sahab!" Upar jate hi pitaji ne baat saaf karke Manav ko chounkne par majboor kar diya....
"'hamara beta nahi hai' matlab?... aapka beta nahi hai ya fir.....?"
"wo hum dono ka hi beta nahi hai... hamne usko god liya tha....!" Pitaji ne sapast kiya.....,"Darasal shadi ke kayi saal tak jab hum dono ko koyi bachcha nahi hua toh hum dono ne hatash hokar bachcha god lene ka faisla kiya tha.... Par Harry ke ghar mein aane ke 15 saal baad bhagwan ne meri biwi ki sun li.... Main tab bachcha nahi chahta tha... par.... Mujhe pata tha uske baad yahi hoga.... mayur ke paida hone ke baad se hi savitri ko 'Harry' khatkane laga tha.... Par mera vishvas kijiye inspector sahab... 'wo' toh sach mein Heera tha Heera.....!" Pitaji ne apni nam ho chuki aankhon ko chhupane ke liye apna munh fer liya......
"Ohhh... par wo ghar chhod kar kyun gaya? kya aapki biwi....?"
"haan..." Pitaji ki gardan haan mein hili aur jhuki huyi hi rah gayi...,"koyi kitna bardasht karega....!"
"Usko iss ghar se koyi lagaav tha bhi ya nahi...?"
"Tha inspector sahab.... wo toh Mayur ko bhi apni jaan se jyada chahta tha... darasal nafrat ka toh usko pata hi nahi tha ki kya hoti hai.... Ek din uski mummy ne uss par 'god liya hua' kahkar taane maarne shuru kar diye aur Mayur ka haq khane wala kahne lagi... Uske baad kewal 2 din aur hi 'wo' yahan ruka tha bus... kuchh nahi pata mujhe... kum se kum mujhe bata kar toh chala jata.....!" Ab tak pitaji ki aankhein barasne lagi thi....
"ohh.. i'm sorry... shayad 'isi' nafrat ne usko 'aisa' raasta ikhtiyaar karne par majboor kar diya..... main apna no. chhod kar ja raha hoon... agar aapko...."
"Wo aisa nahi kar sakta inspector... main ab bhi dawe ke sath kah sakta hoon... aapko jaroor koyi galatfahmi huyi hai... wah mar jayega par aisa kaam nahi karega....!"
"Dekhte hain.... filhaal toh usko dhoondhna hai.....!" Manav ne kahkar unke kandhe par hath rakha aur dono neeche utarne lage......
"Shiva...!" Harry kareeb ek ghante baad kamre mein Shilpa ko roti chhod kar bahar aaya....
"Ji boss...!" Harry ko dekhte hi Shiva turant khada ho gaya.....
"unn dono ka kya kiya?"
"Bandh ke daal diya pichhe wale kamre mein..... raat ko hi tapkana hai na?"
"Andar jakar police wali ki C.D. bana lo.... Uske baad isko dikha bhi dena...!" Harry ne usko aadesh diya.....
"par boss..." Shiva paas aakar bola.....," Police wali ko dhandhe mein lana theek nahi hai... ladkiyan toh aur bhi mil jaayengi...... ye 'sali' kabhi bhi fanswa sakti hai.....!"
"bheja nahi hai toh jyada tension mat liya kar..... aaj tak tum log isiliye Prem ki jagah nahi le paye the..... chal chhod... andar jakar iski C.D. bana lo..... Naresh ko chadha dena pahle... iss saale ko camra pakadna nahi aata.... aur haan jara sambhal kar... kunwari thi abhi tak...." Harry ne muskurakar kaha toh Naresh ki baanchhein khil gayi....,"thank you boss!"
******************************
"Ye zeep yahin mili tumhe....?" Manav highway par zeep baramad hone ki soochna milne ke karan seedha wahin pahunch gaya tha......
"Ji janab...! kisi ko abhi hamne andar bhi baithne nahi diya hai.....!" Hawaldaar ne aakar salute bajaya....
"hummm.... Iska matlab wo yahan se paidal....!" Manav tahalta hua sadak kinare pahuncha aur sadak se neeche tyron ki chhap dekh kar apna sir khujaya...,"gadi mein gaya hai ssala... koyi aur ab bhi uski madad ke liye hai....!"
"ji janab!" hawaldaar ne taal thonki....
"Zeep mein check karo kuchh mil jaye toh.... ek minute... steering mat chhoona.... mujhe kuchh aur bhi maamla lag raha hai...." Kahte huye Manav gadi ke tayron ke nishan ke paas baith gaya.... aur bariki se nirikshan karte hi uski aankhein chamak uthi....,"tum shahar jane wali gaadiyon ko bhi check kar rahe the kya?"
"ji janab... aapka fone aane ke baad toh hamne 'Murari' ki gadi ko bhi nahi chhoda... aane jane wale sare vehicle achchhi tarah check kiye the.....
"Good.... yahan se wo gadi ghumakar wapas le gaye hain... agar wo shahar mein nahi ghuse toh kahin aaspaas hi hain.... chhote raaston par toh waise bhi sabne khas tour par checking ki hogi... Wo 100 % sath wale sector mein hi milenge....!" Manav utaawala sa hokar apni gadi ki taraf badha aur headquarter fone kiya....,"Sir, mujhe kareeb 50 police waalon ki jarurat hai....!"
"comm'on Manav... shahar mein koyi aatankwadi nahi ghuse hain... kya karoge itni force ka.....?" S.P. sahab ne bigde huye lahje mein sawaal kiya..... Wo bhi police waalon ki hatya aur ek mahila police karmi ki kidnapping se sakte mein the.....!
"sir mujhe ghar ghar ki talashi leni padegi... wo log shartiyan shahar mein hi hain...!" Manav ne jor dekar kaha....
"pagal ho gaye ho kya? ghar ghar ki talashi......!"
"sorry Sir... I mean sector 37 mein ghar ghar ki talashi.... jyada ghar nahi hain yahan.... kul milakar 4-5 ghante ka hi kaam hoga.... Mujhe har vyakti civil dress mein chahiye.....!"
"kitni kirkiri karwaoge yaar... media hansega hum par.... no! I wouln't allow you" s.P. sahab ne talkhi se kaha.....
"pls sir... I need your co-operation.... main sham tak unhe giraftaar kar hi loonga....!"
"O.K... mujhe upar baat karne do.... i'll call you back!" S.P. sahab ne kaha aur fone kaat diya.....
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"Kaam ho gaya boss!" Shiva apni chain band karte huye bahar nikla... Uss'ke hathon mein video camra bhi tha.... par Boss... wo toh suicide karne ki baat kar rahi hai... hamne bahut samjhaya ki usko bahut paise milenge par.....!"
"Tumse jitna kaha jaye utna hi kiya karo.... Video dikhayi usko....?"
"Ji boss... tabhi toh...." Shiva ne sir jhuka liya.....
"Jao ab thoda aaram kar lo.... mujhe baat karne do uss'se.....!" Harry muskuraya aur kamre ke andar chala gaya....
"sorry jaan... par kya karta... aakhir jaan ka sawaal hai....!" Harry uske paas jakar baith gaya......
"Hath mat lagao mujhe... waise bhi mujhe marna hai... tum abhi kyun nahi maar dete.....!" Shilpa bilakh uthi.....
"Mujhe maarne se gussa shant ho jayega kya?" Harry ne batteesi nikali par roti huyi shilpa roti hi rahi.....
"Kyun marna chahti ho...? Sex toh har insaan ki jarurat hai... maine kiya tha toh tum thoda thoda enjoy kar rahi thi... maine mahsoos kiya.... Inn logon ne bhi kiya.. isiliye naraj ho kya?" Harry ne kahte huye ek baar fir Shilpa ko chhoone ki koshish ki toh Shilpa bifar padi...,"abhi kasar rah gayi hai toh aur bula lo... fir C.D. bechkar munafa kamana aur mujhe blackmail karna....!"
"Oh No...! ye sab kisne kaha? Saale harami... mushkil mein gadhe ko bhi baap banana padta hai.......!" Harry ne gusse mein kaha aur fir shant hokar bola...,"agar mein kahoon ki aisa nahi hoga toh...? Ulta main tumhe ek anokha tohfa dene wala hoon... he he he...!"
Uske baad kareeb 5 minute tak kamre mein sirf shilpa ke rone ki aawajein aati rahi... dheere dheere jab wah shant huyi toh usi ne chuppi todi..," Kam se kam iss ghatiya kaam ki video toh na banate.... 2 mahine baad meri shadi hai... aur tum......!"
"dekho.. tum jab chup ho jaogi tabhi main kuchh boloonga... thande dimag se faisla karna.... Main tumhari promotion karwane ki soch raha hoon... he he he....!" Harry apna paasa faink kar chup ho gaya... use Shilpa se kuchh jawaab milne ki ummeed thi... par uss waqt Shilpa kuchh aur sochne ki halat mein thi hi nahi......
"Mujhe maar kar toh tumhra gussa shant ho jayega na....? promotion toh milegi hi... shayad veerta padak bhi mil jaye... soch lo....!" Harry ne kaha aur apni mouser ek baar fir uski aur sarka di....
Shilpa ne ek baar harry ko ghoor kar dekha aur fir apni najarein jhuka li... Armaan toh shayad uske yahi the... par Usko yakeen tha ki mouser mein ab ki baar toh shartiya goliyan nahi milengi.....
"Faisla tumhara hai... ek taraf C.D. ban'ne ke karan tum suicide karne ki baat bol rahi ho... dusri taraf main tumhe promotion ka chance aur tumhari C.D. wapas loutane ka offer de raha hoon... Soch lo... kya nuksaan hai...?"
"tum..." Shilpa ki aankhon ki putaliyan aascharyajanak dhang se fail gayi..,"tum aisa kyun karoge....?"
"Tum sirf aam khao....! aaj raat yahi mouser tumhare hath mein hogi....wo bhi fully loaded.... hum paanchon ka encounter kar do... Sirf Shiva aur Naresh ko ye nahi bolna hai ki tum baad mein unhe bhi maar dogi... main unko vishvas dila doonga ki tum unko nahi maarogi... Uske baad tumhe sirf police ke paas fone karna hai ki tumne badi bahaduri se hum sabko maar giraya.... So simple... Mujhe maarne ke baad C.D. meri jeb se nikal kar jala dena.....!" Harry ne paitra fainka.....
"par... par tum khud ko kyun marwaoge....?" Shilpa apne sath huye haadse ko bhool kar Harry ki kahani mein khoyi huyi thi......
"Bus... yahi samajh lo ki duniya se man bhar gaya hai.... jail nahi jana chahta... aaj nahi toh kal pakda hi jaaunga....!"
"Par tum khud bhi toh apne aapko aur baki logon ko maar sakte ho... mujhse kyun bol rahe ho...?" Shilpa asamanjhas mein thi.....
"tumhare liye... sirf tumhare liye... kal raat unn dono ko lane ke liye mujhe tumhae sath lana pada... aur fir aaj jo kuchh hua.. uski keemat ada karke jana chahta hoon.... Bolo!"
"nahi... tum majak kar rahe ho... hai na?"
"agar tumhe lagta hai toh.... kaho toh tumhare saamne baki logon ko maar kar dikhaaun? par iss'se tumhari bahaduri kam ho jayegi... he he he...!" Harry hansta raha.. usko samajh aa chuka tha ki Shilpa taiyaar ho gayi hai.....
"Nahi... par tum pagal ho kya?" Shilpa ne aascharya se poochha......
"haaan....! ha ha ha ha ha..." Harry ne jor ka thahaka lagaya....,"aur mere paas medical certificate bhi hai... iska... kaho toh dikhaaun?"
"nahi rahne do..." Shilpa ne kaha aur fir hichkicha kar boli...,"toh...kab?"
"aaj raat ko.... main aur baki dono ladkiyan bandhe huye honge aur ye dono ladke tumhari madad karenge.... hamein maarne ke baad jab ye dono hum teeno ko khole toh tum inko bhi.... samajh gayi na?"
Shilpa ne ek gahri saans li.... usko Harry ki baaton par vishvas nahi ho raha tha.. hota bhi kaise...?
"taiyaar ho toh bolo warna mujhe kuchh aur....." Harry baat kah hi raha tha ki Shiva aur Naresh hadbadahat mein bhage huye seedhe aakar kamre mein ghus gaye...,"Boss.. maare gaye... bahar 2 aadmi khade hain... kad kathi se police waale lag rahe hain..... lagta hai hum fans gaye......!"
"Oh.. shit... 2 hi hain ya...?" Harry ne uttejit hokar poochha....
"gate par toh 2 hi hain boss... kya pata bahar....!"
"sawdhani se unko andar bula lo... wapas mat...."
"bachaaaao..... bachaaa...." Shilpa police aane ki baat sunkar khud ko kabu mein nahi rakh payi.....
"sssaaaaaaali.... kutiya... main tujhe promotion dilane ja raha tha aur tu...." Harry ne apna jabada bheench kar Shilpa ka munh dabaya aur goli seedhi uske bayein seene mein utaar di....
"Boss... goli ki aawaj toh... aaah..." Shiva ko goli maarne ki wajah jab tak Naresh samajh pata..wah bhi ek bhayanak cheekh ke sath apna dum tod chuka tha.... Harry pichhe wali khidki se seedha neeche kooda aur andar Seema aur Dolly ki aur bhaga....
Jab tak police wale harkat mein aakar deewar koodkar andar panhuchte... kothi mein teen goliyan aur chal chuki thi.....
"Hello..Hello.. Sir! yahan 375 mein goliyan chali hain andar.. Hamein lagta hai wo yahin chhupe huye hain... aap..!" Bahar khade police wale ne turant S.I. ke paas fone ghuma diya tha...
"toh fone kahe kar rahe ho yaar.. andar jakar pakdo unko.. Hum abhi wahan pahunch rahe hain...!" Udhar se fati huyi aawaj aayi...
"par Sir.. Dande se hum gun ka mukabala kaise... kam se kum hathiyaar dekar toh...!" Police wala kah hi raha tha jab aakhiri goli chali thi...
"O.K. O.K. hold on the spot.. main inspector sahib ko soochit karke abhi baki logon ko wahin bhej raha hoon... dekhna kahin pichhe se na bhag jaayein...!" S.I. ne kaha..
"nahi Sir.. bhaagne ka toh....," Sipahi ke bolte bolte fone kat gaya...," kaat diya saale ne... kah raha hai andar jakar pakad lo.. Jaise... inki maa ki choot.. saale khud toh revolver taange chaalan kaat'te rahte hain... hum ko bol rahe hain ki danda dikha kar killer ko pakad lo.. hisss...!" Sipahi badbadaya...
"Ab toh koyi aawaj nahi aa rahi yaar... lagta hai sari goliyan khatam ho gayi inki... andar chalkar dekhein kya...?" Dusre sipahi ne gate se andar jhaankte huye kaha....
"tu pagal hai kya..? kya pata hamare liye bacha kar rakhi hon ek aadh... tujhe jana hai toh ja.. mujhe bahaduri dikhane ka shouk nahi hai fokat mein... baat karta hai..."dusra adhed umar ka police wala badbadaya..,"Tu yahin khada rah.. main peechhe jakar dekhta hoon..."
**********************
Inspector Manav kareeb 5 minute mein hi batayi gayi jagah par pahunch gaya tha... kuchh aur police wale bhi tab ghar mein ghuse hi the.....
"tum upar jakar dekho...!" Manav ne ek sathi se kaha band kamre ke bahar khade hokar oonchi aawaj mein kaha..,"Tum aaj nahi bach sakte! bahut khoon baha liya tumne... chupchap bahar aa jao...!"
Pratyuttar mein aawaj upar se aayi,"Sirrrrr... Shilpa!"
"Ek minute yahin rahna..." Manav ne kaha aur upar ki aur bhaga... Upar kamre mein jate hi wahan padi teen laashon ko dekh Manav ka kaleja chhalni ho gaya,"Ohh my God! bahut kamina hai ssala...!" Manav ke munh se nikla aur usne hadbadahat mein Shilpa ki nabj check ki.. kuchh bhi nahi bacha tha....
"wwo neeche hi hai...!" Manav gusse mein dandanata hua wapas neeche utra..,"Tod do darwaja... iss saale ko toh main....!"
Manav ka aadesh milte hi ek hatte katte police waale ne kheench kar darwaje par laat maarni shuru kar di... teen char prayaason ke baad unko darwaja todne mein safalta mil gayi...,"dhyan se...!" Manav ne nirdesh dekar andar pahla kadam rakhte hi uski saanse thandi pad gayi.. Seema aur Dolly ki khoon se lathpath laashein ek dusri se bandhi huyi padi thi....
"Abhi bhi mouka hai... hath uthakar bahar nikal aao warna....!" Manav ne kaha aur dheere dheere dayin taraf waale darwaje ko khola... par wahan bhi usko nirasha hi hath lagi....
"sir yahan...ek aur lash...!" Manav wapas palta hi tha ki saamne wale dusre kamre se aawaj aayi... Manav furti dikhate huye kamre tak pahuncha aur andar padi lash dekhte hi uske munh se nikla,"Harryyyy?"
"saans chal rahi hai Sir...!Sirf behosh hai..." Police wale ne uski naadi chhote hi uchhal kar kaha..,"iske pate mein goli lagi hai...!"
"Jaldi isko hospital pahunchao... char aadmi jana sath aur har pal iss par najar rakhna... bahut shatir hai sala...! baki logon ko bhi check karo... Hurry up!" Manav uttejit hokar chillaya aur kamre mein pichhe ki aur khulne wale darwaje se nikal kar saawdhani se bahar aaya.... geeli jameen mein pichhhe wali deewar ki taraf jate huye jooton ke nishaan the
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