बाली उमर की प्यास पार्ट--9
गतांक से आगे.......................
अगले दिन मैं चुप चाप उठकर घर चली आई.. मुझे पूरा विश्वास था कि तरुण अब नही आने वाला है.. फिर भी मैं टूवुशन के टाइम पर पिंकी के घर जा पहुँची.. पिंकी चारपाई पर बैठी पढ़ रही थी और मीनू अपने सिर को चुन्नी से बाँध कर चारपाई पर लेटी थी...
"क्या हुआ दीदी? तबीयत खराब है क्या?" मैने जाते ही मीनू से पूचछा...
"इनसे बात मत करो अंजू! दीदी के सिर में दर्द है!" पिंकी ने मुझे अपनी चारपाई पर बैठने की जगह देते हुए कहा.. उसका मूड भी खराब लग रहा था..
"हुम्म.. अच्च्छा!" मैने कहा और पिंकी के साथ बैठ गयी," आज पढ़ाने आएगा ना तरुण?"
पिंकी ने चौंकते हुए मेरे चेहरे को देखा.. मीनू अचानक बोल पड़ी," क्यूँ? आता ही होगा! आएगा क्यूँ नही.. तुमसे कुच्छ कहा है क्या उसने?"
"नही.. मैं तो यूँही पूच्छ रही हूँ.." मैं भी जाने कैसा सवाल कर गयी.. जैसे तैसे मैने अपनी बात को सुधारने की कोशिश करते हुए कहा," आज पढ़ाई का मंन नही था.. इसीलिए पूच्छ रही थी..."
"अब भी पढ़ाई नही की तो मारे जाएँगे अंजू! 2 दिन तो रह गये हैं.. एग्ज़ॅम शुरू होने में.. मुझे तो ऐसे लग रहा है जैसे कुच्छ भी याद नही.. हे हे.." पिंकी ने कहा और फिर कुच्छ सोच समझ कर बोली," दीदी.. अब मना ही कर देते हैं उसको.. अब तो हमें खुद ही तैयारी करनी है.. क्यूँ अंजू?"
"हुम्म.." मैने सहमति में सिर हिलाया.. मुझे पता तो था ही कि अब वो वैसे भी यहाँ आने वाला है नही...
"पिंकी!.. ज़रा चाय बना लाएगी.. मेरे सिर में ज़्यादा दर्द हो रहा है..." मीनू ने कहा...
"अभी लाई दीदी.." पिंकी ने अपनी कताबें बंद की और उपर भाग गयी...
पिंकी के जाते ही मीनू उठ कर बैठ गयी," एक बात पूछू अंजू?"
"आहा.. पूच्छो दीदी!" मैने अचकचते हुए जवाब दिया...
"वो.. देख.. मेरा कुच्छ ग़लत मतलब मत निकालना... तुमने तरुण को कभी अकेले में कुच्छ कहा है क्या?" मीनू ने हिचकते हुए पूचछा...
"म्म..मैं समझी नही दीदी!" मैने कहा..
"देख.. मैं तुझसे इस वक़्त अपनी छ्होटी बेहन मान कर बात कर रही हूँ.. पर हिचक रही हूँ.. कहीं तुम्हे बुरी ना लग जायें.." मीनू ने कहा...
"नही नही.. बोलो ना दीदी!" मैने प्यार से कहा और उसके चेहरे को देखने लगी...
मीनू ने नज़रें एक तरफ कर ली," तू कभी उस'से अकेले में.. लिपटी है क्या?"
"ये क्या कह रही हो आप..?" मुझे पता था कि वो किस दिन के बारे में बात कर रही है.. मैं मंन ही मंन कहानी बनाने लगी...
"देख.. मैने पहले ही कहा था कि बुरा मत मान जाना.. मैने सुना था.. तभी पूच्छ रही हूँ.. तुझे अगर इस बारे में बात नही करनी तो सॉरी.." मीनू अब सीधी मेरी ही आँखों में देख रही थी...
"नही दीदी.. दरअसल.. एक दिन.. तरुण ने ही मेरे साथ पढ़ते हुए ऐसा वैसा करने की कोशिश की थी.. मुझे बहलकर.. पर मैने सॉफ मना कर के उसको धमका दिया था.. आपसे किसने कहा...?' मैने बड़ी सफाई से सब कुच्छ तरुण के माथे मढ़ दिया....
मेरे मुँह से ये सुनते ही मीनू की आँखों से अवीराल आँसू बहने लगे.. अपने आँसुओं को पौंचछति हुई वह बोली," तू बहुत अच्छि है अंजू.. कभी भी उस कुत्ते की बातों में मत आना.. " कहकर मीनू रोने लगी...
"क्या हुआ दीदी? मैने चौंकने का अभिनय किया और उसके पास जाकर उसके आँसू पौंच्छने लगी," आप ऐसे क्यूँ रो रही हैं?"
मेरे नाटक को मेरी सहानुभूति जानकार मीनू मुझसे लिपट गयी," वो बहुत ही कमीना है अंजू.. उसने मुझे बर्बाद कर दिया.. ऐसे ही बातों बातों में मुझे बहलकर..." रोते रोते वा बोली...
"पर हुआ क्या दीदी? बताओ तो?" मैने प्यार से पूचछा....
"देख.. पिंकी को मत बताना कि मैने तुझे कुच्छ बताया है.." मुझसे ये वायदा लेकर मीनू ने तरुण से प्यार करने की ग़लती कुबूलते हुए योनि पर 'तिल' देखने की उसकी ज़िद से लेकर कल रात को पिंकी द्वारा की गयी उसकी धुनाई तक सब कुच्छ जल्दी जल्दी बता दिया..
और फिर बोली," अब आज वो मेरे फोटो सबको दिखाने की धमकी देकर मुझे अकेले में मिलने को कह रहा है.. मैं क्या करूँ..?"
अपनी बात पूरी होते ही मीनू की आँखें फिर छलक आई...
"वो तो बहुत कमीना निकला दीदी.. अच्च्छा हुआ मैं उसकी बातों में नही आई.. पर अब आप क्या करेंगी..?" मैने पूचछा...
"मेरी तो कुच्छ समझ... लगता है पिंकी आ रही है.. तू अपनी चारपाई पर चली जा!" मीनू ने कहा और रज़ाई में मुँह धक कर लेट गयी.... मैं वापस अपनी चारपाई पर आ बैठी.. मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा था कि मीनू ने मुझसे अपने दिल की बात कही.....
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आख़िरकार वो दिन आ ही गया जिस'से बचने के लिए मैं हमेशा भगवान की मूर्ति के आगे दिए जलाती रहती थी.. उस दिन से हमारे बोर्ड एग्ज़ॅम शुरू थे.. वैसे मैं मंन ही मंन खुश भी थी.. मेरे लिए कितने दिनों से तड़प रहे मेरी क्लास के लड़कों को मेरे दीदार करने का मौका मिलने वाला था... मैने स्कूल की ड्रेस ही डाल रखी थी.. बिना ब्रा के !!!
पिंकी सुबह सुबह मेरे पास आ गयी.. एग्ज़ॅम का सेंटर 2-3 कीलोमेटेर की दूरी पर एक दूसरे गाँव में था.. हमें पैदल ही जाना था.. इसीलिए हम टाइम से काफ़ी पहले निकल लिए..... छ्होटा रास्ता होने के कारण उस रास्ते पर वेहिकल नही चलते थे.. रास्ते के दोनो तरफ उँची उँची झाड़ियाँ थी.. एक तरफ घाना जंगल सा था.. मैं अकेली होती तो शायद दिन में भी मुझे वहाँ से गुजरने में डर लगता...
पर पिंकी मेरे साथ थी.... दूसरे बच्चे भी 2-4; 2-4 के ग्रूप में थोड़ी थोड़ी दूरी पर आगे पिछे चल रहे थे... हम दोनो एग्ज़ॅम के बारे में बातें करते हुए चले जा रहे थे...
अचानक पिछे से एक मोटरसाइकल आई और एकद्ूम धीमी होकर हमारे साथ साथ चलने लगी.. हम दोनो ने एक साथ उनकी और देखा.. तरुण बाइक चला रहा था.. उसके साथ एक और भी लड़का बैठा था.. हमारे गाँव का ही...!
"कैसी हो अंजू?" तरुण ने मुस्कुरकर मेरी और देखा....
"ठीक हूँ.. एग्ज़ॅम है आज!" मैने कहा और रुकने की सोची.. पर पिंकी नही रुकी.. इसीलिए मजबूरन मैं भी उसके साथ साथ चलती रही....
"आओ.. बैठो! छ्चोड़ देता हूँ सेंटर पर..." तरुण ने इस बार मेरी तरफ आँख मारी और मुस्कुरा दिया...
मैने पिंकी की ओर देखा.. उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.. उसने और तेज चलना शुरू कर दिया... अगर पिंकी मेरे साथ ना होती तो मैं ये मौका कभी ना गँवाती," नही.. हम चले जाएँगे.." मैने कहा.. पिंकी कुच्छ आगे निकल गयी थी...
"अर्रे आओ ना... क्या चले जाएँगे? 2 मिनिट में पहुँचा देता हूँ...!" तरुण ने ज़ोर देकर कहा...
"पर्र.. पर मेरे साथ पिंकी भी है.. चार कैसे बैठेंगे?" मैने हड़बड़कर कहा... अंदर से मैं चलने को तैयार हो चुकी थी... पर पिंकी को छ्चोड़कर..... ना... अच्च्छा नही लगता ना!
"अर्रे किस फूहड़ गँवार का नाम ले रही है.. तुझे चलना है तो बोल..." तरुण ने ज़रा ऊँची आवाज़ में कहा.... मेरे आगे चल रही पिंकी के कदम शायद कुच्छ कहने को रुके.. पर वो फिर चल पड़ी....
"नही.. हम चले जाएँगे..." मैने आँखों ही आँखों में अपनी मजबूरी उसको बताने की कोशिश की...
"ठीक है... मुझे क्या?" तरुण ने कहा और बाइक की स्पीड थोड़ी तेज करके पिंकी के पास ले गया," आए.. तुझे याद है ना मैने क्या कसम खा रखी है..? नाम बदल लूँगा अगर एक महीने के अंदर तुझे... समझ गयी ना!" तरुण ने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा,"और तेरी बेहन को भी तेरे साथ .. तब सुनाना तू प्रवचन... उसके फोटो दिखाउ क्या?"
गुस्से और घबराहट में कंपकँपति हुई पिंकी को जब और कुच्छ नही सूझा तो उसने सड़क पर पड़ा एक पत्थर उठा लिया.. तरुण की बाइक अगले ही पल रेत उड़ाती हुई हवा से बातें करने लगी....
पिंकी गुस्से से पत्थर को सड़क पर मारने के बाद खड़ी होकर रोने लगी.. मैने उसके पास जाते ही अंजान बनकर पूचछा..," क्या हुआ पिंकी? क्या बोल रहा था तरुण? तू रो क्यूँ रही है.. हट पागल.. चुप हो जा.. आज वैसे भी इंग्लीश का एग्ज़ॅम है.. दिमाग़ खराब मत कर अपना...."
उसने अपने आँसू पौन्छे और मेरे साथ साथ चलने लगी.. वो कुच्छ बोल नही रही थी.. मैने भी उसको ज़्यादा च्छेदना अच्च्छा नही समझा.....
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आआहाआ!.. सेंटर पर स्कूल का माहौल देखते ही मेरे अंग फड़कने लगे.... माहौल भी ऐसा की सब खुले घूम रहे थे.. ना किसी टीचर के डंडे का किसी को डर था.. और ना ही सीधे क्लास में जाकर बैठने की मजबूरी... एग्ज़ॅम में अभी एक घंटा बाकी था... लड़के और लड़कियाँ.. 5-5; 7-7 के अलग अलग ग्रूप बना कर ग्राउंड में खड़े बातें कर रहे थे.. जैसे ही मैं पिंकी के साथ स्कूल के ग्राउंड में घुसी.. चार पाँच लड़कों की उंगलियाँ मेरी और उठ गयी..
मुझे सुनाई नही दिया उन्होने क्या कह कर मेरी और इशारा किया.. पर मुझे हमेशा से पता था.. स्कूल के लड़कों के लिए में हमेशा ही पेज#3 की सेलेब्रिटी थी.. इतने दिनों तक मेरे जलवों से महरूम रहकर भी वो मुझे भूले नही थे.. मेरा दिल बाग बाग हो गया...
"आ.. यहाँ बैठते हैं.." मैने पिंकी को ग्राउंड में एक जगह घास दिखाते हुए कहा....
"मुझे एक बार दीपाली से मिलना है.. कुच्छ पूच्छना है उस'से.. एग्ज़ॅम के बारे में... तू यहीं बैठ.. मैं आती हूँ.. थोड़ी देर में...!" पिंकी रास्ते की बातों को भूल कर सामान्य लग रही थी...
"तो मैं भी साथ चलती हूँ ना...!" मैं कहकर उसके साथ चल पड़ी...
"नही अंजू.. तू यहीं बैठ.. तेरे बहाने मैं कम से कम वापस तो आ जाउन्गि!.. वरना सब वहीं बातों में लगा लेंगी... क्या फयडा.. थोड़ी देर पढ़ लेंगे..." पिंकी ने मुझे वहीं बैठ कर उसका इंतज़ार करने को कहा और तेज़ी से मुझसे दूर चली गयी...
मैं वहीं खड़ी होकर स्कूल में पेपर देने आए चेहरों का तिर्छि नज़रों से जयजा लेने लगी... सारे लड़के मेरे स्कूल के नही थे.. शायद बाकी इस स्कूल के होंगे... पर स्कूल के थे या बाहर के.. मेरे आसपास खड़े सब लड़कों की निगाह मुझ पर ही थी...
मुझे हमेशा की तरह अपने यौवन और सौदर्य पर प्यार आ रहा था.. मैं मस्ती में डूबी हुई इधर उधर टहल रही थी की अचानक मेरे पिच्छवाड़े पर एक कंकर आकर लगा... मैं हड़बड़ा कर पलटी.. और अपना चेहरा उठाकर मेरे पिछे खड़े लड़कों की और घूरा.. 3-4 ग्रूप्स में लड़के खड़े थे.. पर एक ग्रूप को छ्चोड़ कर सभी की नज़रें मुझ में ही गढ़ी हुई थी... मैं जब आइडिया नही लगा पाई तो शर्मकार वापस पलटी और घास में बैठ गयी...
बैठते ही मुझे करारा झटका लगा.. मेरी समझ में आ गया कि कोई क्यूँ घास में नही बैठ रहा था...घास के नीचे गीली धरती थी और बैठते ही मैं शर्म से पानी पानी हो गयी........ "उफ़फ्फ़".. मैं कसमसा कर जैसे ही उठी; मेरे पिछे खड़े लड़कों की सीटियाँ बजने लगी.. मेरे नितंबों के उपर से स्कर्ट गीली हो गयी....
उस वक़्त मेरा चेहरा देखने लायक था.. लड़कों की हँसी और सीटियों से घबराकर मैने हड़बड़ाहट में क्लिपबोर्ड को अपने नितंबों पर चिपकाया और वहाँ से दूर भाग आई.. मेरे गाल शर्म और झिझक से लाल हो गये थे.. समझ में नही आ रहा था की बाकी का टाइम कैसे निकालूं... अचानक मेरी नज़र पिंकी पर पड़ी... वो सबसे अलग खड़ी हुई हमारी ही क्लास के एक लड़के से बात कर रही थी.. आनन फानन में मैं भागती हुई उसके पास गयी,"पिंकी!"
दूर से ही मुझ पर नज़र पड़ते ही पिंकी का वैसा ही हाल हो गया जैसे मेरा घास में बैठने पर हुआ था..," आ.. हां.. अंजू.. मैं तेरे पास आ ही रही थी बस.." कहते ही उसने लड़के को इशारों ही इशारों में जाने क्या कहा.. वो मेरे वहाँ पहुँचने से पहले ही उस'से दूर चला गया...
"तू तो कह रही थी कि तुझे दीपाली से मिलना है.. फिर यहाँ संदीप के पास क्या कर रही है तू?" मैं अपना पिच्छवाड़ा भूल कर उसका पिच्छवाड़ा कुरेदने में जुट गयी..
"हाआँ.. नही.. वो.. दीपाली पढ़ रही थी.. फिर ये भी तो क्लास का सबसे इंटेलिजेंट लड़का है.. मैने सोचा.. इस'से...!" पिंकी ने मेरे ख़याल से बात संभाली ही थी.. मुझे मामला कुच्छ और ही लग रहा था...
"कहीं कुच्छ.." मैने उसको बीच में ही रोक कर शरारत से उसकी और देख कर दाँत निकाल कर कहा....
"तू पागल है क्या?" उसने कहा और मैं जैसे ही संदीप को देखने के लिए पिछे घूमी वा चौंक पड़ी," ययए.. तेरी स्कर्ट को क्या हो गया....?"
मुझे अचानक मेरी हालत का ख़याल आया..," श.. मैं घास में बैठ गयी थी पिंकी.. क्या करूँ?" मैं चिंतित होकर बोली....
"ये ले.. मेरी शॉल ओढ़ ले... और इसको पिछे ज़्यादा लटकाए रखना..." पिंकी ने बड़े प्यार से मुझे अपनी शॉल में लपेटा और पिछे से उसको ठीक करते हुए बोली,"अब ठीक है.. पर ध्यान रखना इसका.. उपर नही उतनी चाहिए.. बहुत गंदी लग रही है पिछे से..."
मैं क्रितग्य सी होकर पिंकी को देखने लगी.. कितना स्वाभिमान भरा हुआ था उसके अंदर; अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी... पर उस वक़्त तक कभी 'उस' तरह के स्वाभिमान को मैने अपने अंदर कभी महसूस नही किया था....
"एक बात पूच्छों पिंकी..?" मैने उसके चेहरे की और देखते हुए कहा...
"हां.. बोल ना!" पिंकी ने अपने साथ लाई हुई किताब के पन्ने पलट'ते हुए कहा...
"तू संदीप से क्या बात कर रही थी.. मुझे लग रहा है कि तुम्हारा कुच्छ चक्कर है...." मेरे मॅन से खुरापात निकल ही नही पा रही थी....
"हे भगवान.. तू भी ना... ये देख.. ये चक्कर था..." पिंकी ने हल्क से गुस्से से कहा और किताब का एक पेज खोल कर मेरी आँखों के सामने कर दिया..," इस क्वेस्चन की हिन्दी लिखवाई है उस'से.. थोड़ा डिफिकल्ट है.. याद नही हो रहा था.. आजा.. अब पढ़ ले... ज़्यादा दिमाग़ मत चला !"
क्रमशः ..................
Agle din main chup chap uthkar ghar chali aayi.. Mujhe poora vishvas tha ki Tarun ab nahi aane wala hai.. fir bhi main tuition ke time par Pinky ke ghar ja pahunchi.. Pinky charpayi par baithi padh rahi thi aur Meenu apne sir ko chunni se baandh kar charpayi par leti thi...
"kya hua didi? Tabiyat kharaab hai kya?" Maine jaate hi Meenu se poochha...
"Inse baat mat karo Anju! didi ke sir mein dard hai!" Pinky ne mujhe apni charpayi par baithne ki jagah dete huye kaha.. uska mood bhi kharaab lag raha tha..
"Humm.. achchha!" Maine kaha aur Pinky ke sath baith gayi," Aaj padhane aayega na Tarun?"
Pinky ne chounkte huye mere chehre ko dekha.. Meenu achanak bol padi," Kyun? aata hi hoga! aayega kyun nahi.. tumse kuchh kaha hai kya usne?"
"Nahi.. main toh yunhi poochh rahi hoon.." Main bhi jane kaisa sawaal kar gayi.. jaise taise maine apni baat ko sudharne ki koshish karte huye kaha," Aaj padhayi ka mann nahi tha.. isiliye poochh rahi thi..."
"Ab bhi padhayi nahi ki toh maare jayenge Anju! 2 din toh rah gaye hain.. Exam shuru hone mein.. mujhe toh aise lag raha hai jaise kuchh bhi yaad nahi.. he he.." Pinki ne kaha aur fir kuchh soch samajh kar boli," Didi.. ab mana hi kar dete hain usko.. ab toh hamein khud hi taiyari karni hai.. kyun Anju?"
"humm.." maine sahmati mein sir hilaya.. mujhe pata toh tha hi ki ab wo waise bhi yahan aane wala hai nahi...
"Pinki!.. jara chay bana layegi.. mere sir mein jyada dard ho raha hai..." Meenu ne kaha...
"Abhi layi didi.." Pinki ne apni kataabein band ki aur upar bhag gayi...
Pinki ke jate hi Meenu uth kar baith gayi," Ek baat poochhoon Anju?"
"aahaan.. poochho didi!" Maine achkachate huye jawaab diya...
"Wo.. dekh.. mera kuchh galat matlab mat nikalna... tumne Tarun ko kabhi akele mein kuchh kaha hai kya?" Meenu ne hichakte huye poochha...
"Mm..main samjhi nahi didi!" Maine kaha..
"Dekh.. main tujhse iss waqt apni chhoti behan maan kar baat kar rahi hoon.. par hichak rahi hoon.. kahin tumhe buri na lag jayein.." Meenu ne kaha...
"Nahi nahi.. bolo na didi!" Maine pyar se kaha aur uske chehre ko dekhne lagi...
Meenu ne najrein ek taraf kar li," Tu kabhi uss'se akele mein.. lipti hai kya?"
"Ye kya kah rahi ho aap..?" Mujhe pata tha ki wo kis din ke baare mein baat kar rahi hai.. main mann hi mann kahani banane lagi...
"Dekh.. maine pahle hi kaha tha ki bura mat maan jana.. maine suna tha.. tabhi poochh rahi hoon.. tujhe agar iss bare mein baat nahi karni toh sorry.." Meenu ab seedhi meri hi aankhon mein dekh rahi thi...
"Nahi didi.. darasal.. ek din.. Tarun ne hi mere sath padhate huye aisa waisa karne ki koshish ki thi.. mujhe bahlakar.. par maine saaf mana kar ke usko dhamka diya tha.. aapse kisne kaha...?' Maine badi safayi se sab kuchh Tarun ke matthe madh diya....
Mere munh se ye sunte hi Meenu ki aankhon se aviral aansoo bahne lage.. apne aansuon ko pounchhti huyi wah boli," Tu bahut achchhi hai Anju.. Kabhi bhi uss kutte ki baaton mein mat aana.. " Kahkar Meenu rone lagi...
"Kya hua didi? Maine chounkne ka abhinay kiya aur uske paas jakar uske aansoo pounchhne lagi," Aap aise kyun ro rahi hain?"
Mere natak ko meri sahanubhuti jaankar Meenu mujhse lipat gayi," Wo bahut hi kameena hai Anju.. usne mujhe barbaad kar diya.. aise hi baaton baaton mein mujhe bahlakar..." Rote rote wah boli...
"Par hua kya didi? batao toh?" Maine pyar se poochha....
"Dekh.. Pinky ko mat batana ki maine tujhe kuchh bataya hai.." Mujhse ye wayda lekar Meenu ne Tarun se pyar karne ki galati kuboolte huye yoni par 'Til' dekhne ki uski jid se lekar kal raat ko pinky dwara ki gayi uski dhunayi tak sab kuchh jaldi jaldi bata diya..
aur fir boli," Ab aaj wo mere photo sabko dikhane ki dhamki dekar mujhe akele mein milne ko kah raha hai.. main kya karoon..?"
Apni baat poori hote hi Meenu ki aankhein fir chhalak aayi...
"wo toh bahut kameena nikla didi.. achchha hua main uski baaton mein nahi aayi.. par ab aap kya karengi..?" Maine poochha...
"Meri toh kuchh samajh... lagta hai Pinky aa rahi hai.. tu apni charpayi par chali ja!" Meenu ne kaha aur rajayi mein munh dhak kar late gayi.... Main wapas apni charpayi par aa baithi.. mujhe bahut achchha lag raha tha ki Meenu ne mujhse apne dil ki baat kahi.....
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Aakhirkar wo din aa hi gaya jis'se bachne ke liye main hamesha bhagwan ki murti ke aage diye jalati rahti thi.. uss din se hamare board exam shuru the.. Waise main mann hi mann khush bhi thi.. mere liye kitne dinon se tadap rahe meri class ke ladkon ko mere deedar karne ka mouka milne wala tha... Maine school ki dress hi daal rakhi thi.. bina bra ke !!!
Pinky subah subah mere paas aa gayi.. Exam ka centre 2-3 kilometer ki doori par ek dusre gaanv mein tha.. hamein paidal hi jana tha.. isiliye hum time se kafi pahle nikal liye..... chhota raasta hone ke karan uss raaste par vehicle nahi chalte the.. raaste ke Dono taraf unchi unchi jhadiyan thi.. ek taraf ghana jungle sa tha.. main akeli hoti toh shayad din mein bhi mujhe wahan se gujarne mein darr lagta...
par Pinky mere sath thi.... dusre bachche bhi 2-4; 2-4 ke group mein thodi thodi doori par aage pichhe chal rahe the... hum dono exam ke baare mein baatein karte huye chale ja rahe the...
Achanak pichhe se ek motorcycle aayi aur ekdum dheemi hokar hamare sath sath chalne lagi.. hum dono ne ek sath unki aur dekha.. Tarun bike chala raha tha.. uske sath ek aur bhi ladka baitha tha.. hamare gaanv ka hi...!
"Kaisi ho Anju?" Tarun ne muskurakar meri aur dekha....
"Theek hoon.. exam hai aaj!" Maine kaha aur rukne ki sochi.. par Pinky nahi ruki.. isiliye majbooran main bhi uske sath sath chalti rahi....
"Aao.. baitho! Chhod deta hoon centre par..." Tarun ne iss baar meri taraf aankh mari aur muskura diya...
Maine Pinky ki aur dekha.. uska chehra gusse se laal ho raha tha.. Usne aur tej chalna shuru kar diya... Agar Pinky mere sath na hoti toh main ye mouka kabhi na ganwati," Nahi.. hum chale jayenge.." Maine kaha.. Pinky kuchh aage nikal gayi thi...
"Arre aao na... kya chale jayenge? 2 minute mein pahuncha deta hoon...!" Tarun ne jor dekar kaha...
"Parr.. par mere sath Pinky bhi hai.. char kaise baithenge?" Maine hadbadakar kaha... andar se main chalne ko taiyaar ho chuki thi... par Pinky ko chhodkar..... na... achchha nahi lagta na!
"Arrey kis fuhad gunwar ka naam le rahi hai.. tujhe chalna hai toh bol..." Tarun ne jara oonchi aawaj mein kaha.... Mere aage chal rahi pinky ke kadam shayad kuchh kahne ko ruke.. par wo fir chal padi....
"Nahi.. hum chale jayenge..." Maine aankhon hi aankhon mein apni majboori usko batane ki koshish ki...
"Theek hai... mujhe kya?" Tarun ne kaha aur bike ki speed thodi tej karke Pinky ke paas le gaya," Aey.. tujhe yaad hai na maine kya kasam kha rakhi hai..? Naam badal loonga agar ek mahine ke andar tujhe... samajh gayi na!" Tarun ne uski taraf gusse se dekhte huye kaha,"Aur teri behan ko bhi tere sath .. tab sunana tu pravachan... uske photo dikhaaun kya?"
Gusse aur ghabarahat mein kampkampati huyi Pinky ko jab aur kuchh nahi soojha toh usne sadak par pada ek patthar utha liya.. Tarun ki bike agle hi pal ret udati huyi hawa se baatein karne lagi....
Pinky gusse se patthar ko sadak par maarne ke baad khadi hokar rone lagi.. Maine uske paas jate hi anjaan bankar poochha..," Kya hua Pinky? Kya bol raha tha Tarun? Tu ro kyun rahi hai.. hat pagal.. chup ho ja.. aaj waise bhi English ka exam hai.. dimag kharab mat kar apna...."
Usne apne aansoo pounchhe aur mere sath sath chalne lagi.. Wo kuchh bol nahi rahi thi.. maine bhi usko jyada chhedna achchha nahi samjha.....
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Aaahaaa!.. Centre par School ka mahoul dekhte hi mere ang fadakne lage.... mahoul bhi aisa ki sab khule ghoom rahe the.. na kisi teacher ke dande ka kisi ko darr tha.. aur na hi seedhe class mein jakar baithne ki majboori... Exam mein abhi ek ghanta baki tha... ladke aur ladkiyan.. 5-5; 7-7 ke alag alag group bana kar ground mein khade baatein kar rahe the.. Jaise hi main pinky ke sath school ke ground mein ghusi.. char paanch ladkon ki ungaliyan meri aur uth gayi..
mujhe sunayi nahi diya unhone kya kah kar meri aur ishara kiya.. par mujhe hamesha se pata tha.. School ke ladkon ke liye mein hamesha hi page#3 ki celebrity thi.. Itne dinon tak mere jalwon se mahroom rahkar bhi wo mujhe bhoole nahi the.. mera dil baag baag ho gaya...
"Aa.. yahan baithte hain.." Maine Pinky ko ground mein ek jagah ghas dikhate huye kaha....
"Mujhe ek baar Deepali se milna hai.. kuchh poochhna hai uss'se.. exam ke baare mein... tu yahin baith.. main aati hoon.. thodi der mein...!" Pinky raaste ki baaton ko bhool kar samanya lag rahi thi...
"Toh main bhi sath chalti hoon na...!" Main kahkar uske sath chal padi...
"Nahi Anju.. tu yahin baith.. tere bahane main kum se kum wapas toh aa jaaungi!.. warna sab wahin baaton mein laga lengi... kya fayda.. thodi der padh lenge..." Pinky ne mujhe wahin baith kar uska intzaar karne ko kaha aur tezi se mujhse door chali gayi...
Main wahin khadi hokar School mein paper dene aaye chehron ka tirchhi najron se jayja lene lagi... sare ladke mere school ke nahi the.. shayad baki iss school ke honge... par School ke the ya bahar ke.. mere aaspaas khade sab ladkon ki nigah mujh par hi thi...
Mujhe hamesha ki tarah apne youvan aur soudarya par pyar aa raha tha.. main masti mein doobi huyi idhar udhar tahal rahi thi ki achanak mere pichhwade par ek kankar aakar laga... main hadbada kar palti.. aur apna chehra uthakar mere pichhe khade ladkon ki aur ghoora.. 3-4 groups mein ladke khade the.. par ek group ko chhod kar sabhi ki najrein mujh mein hi gadi huyi thi... main jab idea nahi laga payi toh sharmakar wapas palti aur ghas mein baith gayi...
Baithte hi mujhe karara jhatka laga.. meri samajh mein aa gaya ki koyi kyun ghas mein nahi baith raha tha...ghas ke neeche geeli dharti thi aur baithte hi main sharm se pani pani ho gayi........ "ufff".. main kasmasa kar jaise hi uthi; mere pichhe khade ladkon ki seetiyan bajne lagi.. mere nitambon ke upar se skirt geeli ho gayi....
Uss waqt mera chehra dekhne layak tha.. ladkon ki hansi aur seetiyon se ghabrakar maine hadbadahat mein clipboard ko apne nitambon par chipkaya aur wahan se door bhag aayi.. Mere gaal sharm aur jhijhak se laal ho gaye the.. Samajh mein nahi aa raha tha ki baki ka time kaise nikaaloon... Achanak meri najar Pinky par padi... wo sabse alag khadi huyi hamari hi class ke ek ladke se baat kar rahi thi.. aanan faanan mein main bhagti huyi uske paas gayi,"Pinky!"
Door se hi mujh par najar padte hi Pinky ka waisa hi haal ho gaya jaise mera ghas mein baithne par hua tha..," aa.. haan.. Anju.. main tere paas aa hi rahi thi bus.." Kahte hi usne ladke ko isharon hi isharon mein jane kya kaha.. wo mere wahan pahunchne se pahle hi uss'se door chala gaya...
"Tu toh kah rahi thi ki tujhe Deepali se milna hai.. fir yahan Sandeep ke paas kya kar rahi hai tu?" Main apna pichhwada bhool kar uska pichhwada kuredne mein jut gayi..
"Haaan.. nahi.. wo.. Deepali padh rahi thi.. fir ye bhi toh class ka sabse intelligent ladka hai.. maine socha.. iss'se...!" Pinky ne mere khayal se baat sambhali hi thi.. mujhe maamla kuchh aur hi lag raha tha...
"Kahin kuchh.." Maine usko beech mein hi rok kar shararat se uski aur dekh kar daant nikal kar kaha....
"Tu pagal hai kya?" Usne kaha aur main jaise hi Sandeep ko dekhne ke liye pichhe ghoomi wah chounk padi," Yye.. teri skirt ko kya ho gaya....?"
Mujhe achanak meri halat ka khayal aaya..," ohh.. main ghas mein baith gayi thi Pinky.. kya karoon?" Main chintit hokar boli....
"Ye le.. meri shawl audh le... aur isko pichhe jyada latkaye rakhna..." Pinky ne bade pyar se mujhe apni shawl mein lapeta aur pichhe se usko theek karte huye boli,"Ab theek hai.. par dhyan rakhna iska.. upar nahi uthni chahiye.. bahut gandi lag rahi hai pichhe se..."
Main kritagya si hokar Pinky ko dekhne lagi.. kitna swabhimaan bhara hua tha uske andar; apne liye bhi aur dusron ke liye bhi... par uss waqt tak kabhi 'uss' tarah ke swabhimaan ko maine apne andar kabhi mahsoos nahi kiya tha....
"Ek baat poochhon Pinky..?" Maine uske chehre ki aur dekhte huye kaha...
"Haan.. bol na!" Pinky ne apne sath layi huyi kitaab ke panne palat'te huye kaha...
"Tu Sandeep se kya baat kar rahi thi.. mujhe lag raha hai ki tumhara kuchh chakkar hai...." Mere mann se khurapaat nikal hi nahi pa rahi thi....
"Hey bhagwaan.. tu bhi na... ye dekh.. ye chakkar tha..." Pinky ne hulke se gusse se kaha aur kitab ka ek page khol kar meri aankhon ke saamne kar diya..," Iss question ki hindi likhwayi hai uss'se.. thoda difficult hai.. yaad nahi ho raha tha.. aaja.. ab padh le... jyada dimag mat chala !"
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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