Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--10

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मस्त मेनका पार्ट--10

गतान्क से आगे.....................
आइए अब समय मे थोड़ा आगे चलते हैं-बस 2 दिन आगे.
महल मे मातम छाया हुआ था.राजा साहब अभी-2 अपने हाथों से अपने दूसरे बेटे की भी चिता को आग दे कर लौटे थे.उस सुबह डॉक्टर.पुरन्दारे के फोन के करीब 3 घंटे बाद बॅंगलुर पोलीस ने विश्वा की लाश को उस बदनाम मोहल्ले की गली से बरामद कर लिया था.राजा साहब तो बस बॅंगलुर के लिए निकलने ही वाले थे जब उन्हे ये मनहूस खबर मिली.

पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट मे मौत की वजह ड्रग ओवरडोस बताई गयी थी पर डॉक्टर.पुरन्दारे का कहना था कि विश्वा अपनी लत को काफ़ी हद तक छ्चोड़ चुका था & उन्हे बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था कि वो सेंटर से भाग गया था वो भी ड्रग्स के लिए.राजा साहब के लिए इन बतो का कोई मायने नही रह गया था,उनका दूसरा बेटा भी मौत के मुँह मे जा चुका था & अब वो अकेले थे,उनका वंश उनके बाद ख़तम हो जाने वाला था.

विश्वा की मौत ने उन्हे तोड़ दिया था & वो अपनी स्टडी मे बैठे अपनी किस्मत पे रो रहे थे.और मेनका.....

...मेनका को विश्वजीत की मौत का अफ़सोस था पर दुख...दुख नही था..और होता भी कैसे,उसने उसे कभी 1 पत्नी का दर्जा दिया ही नही था..उसके लिए तो बस वो उसकी जिस्म की भूख मिटाने की चीज़ थी बस.मेनका को उसकी मौत पे जितना अफ़सोस था उस से कही ज़्यादा अपने ससुर की चिंता थी.इस हादसे के बाद वो बिल्कुल निराश & हताश हो गये थे.वो शख्स जो अभी तक ज़िंदगी की सभी मुश्किलो का सामना 1 चट्टान की तरह करता आया था,आज उस सूखे पत्ते की तरह था जिसे वक़्त की हवाएँ जब चाहे,जहा चाहे उड़ा सकती थी.

मेनका उन्हे संभालना चाहती थी पर इस समय महल मे रिश्तेदारो की भीड़ थी,उसके मा-बाप भी वही थे.इन सब के होते उसे राजा साहब से बात करने का मौका ही नही मिल रहा था.और मौका मिलता भी तो क्या होता..वो अभी उनसे खुल कर बात भी तो नही कर पाती तो बस मेनका बस सही मौके का इंतेज़ार करने लगी.उसने ठान लिया था कि वो अपने ससुर & उनके द्वारा खड़े किए गये बिज़्नेस को बर्बाद नही होने देगी.

उधर जब्बार जश्न मना रहा था,"ये लो मेरी जान,पियो.",उसने मलिका की कमर मे हाथ डाल बियर की बॉटल उसके होठ से लगा दी.

"ये बताओ की मेरे अकाउंट मे मेरे पैसे जमा कराए की नही?",मलिका ने 1घूँट भरा.

"हा,मेरी जान.कल बॅंक जाकर चेक कर लेना.",जब्बार ने उसकी कमर से हाथ उपर लाते हुए उसके टॉप मे घुसा कर 1 चूची को दबोच लिया.मलिका ने उसके होठ चूम लिए,"एयेए...अहह..पूरे पैसे डाले है ना?या पिच्छली बार की तरह आधे ही डाले हैं?"

"तू बस कल बॅंक जाकर देख लेना.",जब्बार ने उसका टॉप उतार फेंका & उसकी चूचियो को चूसने लगा.थोड़ी देर तक मलिका खड़ी उस से अपनी छातिया चुस्वती रही फिर उसे धकेल कर परे कर दिया & ज़मीन पे सोफे से पीठ लगा कर बैठ गयी & बियर की बॉटल मुँह से लगा ली.जब्बार को तो बस उसे चोदने का भूत सॉवॅर था.उसने अपने कपड़े उतार दिए & मलिका के पास जाकर उसके हाथो से बॉटल छ्चीन अपना लंड उसके मुँह मे डाल दिया,"इसे पी,बियर से ज़्यादा नशा है इसमे."

ये बात सच थी,मालिका के लिए तो 1 मर्द का कड़ा & बड़ा लंड दुनिया की सबसे ज़्यादा नशीली चीज़ थी.वो लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी पर उसकी चूत को कल्लन के लंड का चस्का लग गया था & कल्लन उनके साथ राजपुरा आया नही था.

"तेरा वो पालतू कहा है,ज़ालिम?",उसने जब्बार के आंडो को हाथ से दबाया & जीभ उसके लंड की छेद पे लगा दी.

"उसे कुच्छ दीनो के लिए अंडरग्राउंड रहने को कहा है.जब ये विश्वा की मौत की खबर थोड़ी बसी हो जाए फिर वो बाहर आएगा.",उसने मलिका के सर को पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह को चोदने लगा.

"..अभी थोड़ी देर पहले जब तू नहा रही थी तब साले ने फोन किया था.उसे भी तेरी तरह अपने पैसों की चिंता लगी हुई थी.",जब्बार ने मलिका को वही ज़मीन पर लिटा दिया & उस पर चढ़ कर अपना लंड उसके अंदर घुसा दिया.

"आआनन्न...न्नह..",मलिका उस से चुदने लगी & वो जानती थी की उसकी चुदाई से वो झदेगी भी फिर भी जब्बार मे वो कल्लन वाली बात नही थी.करीब 1 घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद जब्बार ने उसे छ्चोड़ा & उठ कर बातरूम चला गया.उसके जाते ही मलिका ने उसका मोबाइल उठाया,उसमे कल्लन का नंबर देखा & अपने मोबाइल से डाइयल करने लगी,"कहा है ज़ालिम?मेरी प्यास तो बुझा जाता.",वो फुसफुसा.कल्लन ने उसे अपना ठिकाना बता दिया पर शायद उसे पता नही था कि वो कितनी बड़ी ग़लती कर रहा था.

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विश्वा की मौत को 1 महीने से उपर हो गया.मेनका की मा भी आज वापस चली गयी थी,उसके पिता तो काफ़ी पहले ही चले गये थे.मा उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर उसी ने बाद मे आने को कह के बात टाल दी.आज उसे मौका मिला था अपने ससुर से बात करने का.

रात नौकरो के जाते ही वो उनके कमरे मे पहुँच गयी.राजा साहब सर झुकाए बैठे थे.

"आप राजा यशवीर सिंग ही है ना?"

राजा साहब ने सर उठा कर उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा.

"मैं जिस राजा यशवीर सिंग को जानती थी वो तो 1 हिम्मतवार & हौसले वाले इंसान थे.आप तो मुझे कोई और लग रहे हैं...1 ऐसा इंसान जिसकी शक्ल राजा साहब से मिलती है,बस."

"मेनका,हूमे प्लीज़ अकेला छ्चोड़ दो."

"क्यू?यहा अंधेरे मे हार मान कर आँसू बहाने के लिए?",मेनका उनके घुटनो पे हाथ रख उनके सामने बैठ गयी.,"मेरी तरफ देखो,यश.बॅंगलुर पोलीस को शक़ था कि विश्वा की मौत उतनी सिंपल नही जितनी दिखती है.सेंटर के डॉक्टर्स & बाकी लोगो से बात करने के बाद ये बात सॉफ थी कि विश्वा ठीक होने की पूरी कोशिश कर रहा था फिर आख़िर उस रात ऐसा क्या हुआ कि वो वाहा से भाग गया या फिर वो भगा नही उसे भगाया गया?"

"राजा साहब ने उसकी तरफ देखा,"देखो,मेनका हुमारा बेटा अब वापस नही आएगा.अब क्या फयडा है इन बातो का.",वो उठ कर खिड़की पे चले गये & बाहर देखने लगे.

"फयडा नही राजा यशवीर सिंग क़र्ज़ है आपके बेटे की मौत का.उसे हक़ है कि अगर उसकी मौत उसकी बुरी लत के बजाय किसी और कारण से हुई है,तो उस कारण का पता लगाया जाए & मौत के ज़िम्मेदार को सज़ा मिले.",उसने राजा साहब को अपनी तरफ घुमाया,"..ये देखिए",उसने उनका हाथ उठा कर उनके सामने किया जिसमे उसका दिया ब्रेस्लेट चमक रहा था."..राजकुल के सुर्य की चमक बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी आपकी है.राजकुल का खून बहाया गया है & जिसने भी ये काम किया है उसे इसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी."

राजा साहब की नज़रे ब्रेस्लेट मे बने सुर्य पर टिकी हुई थी....किसी ने उनके बेटे की जान ली है & वो चुपचाप बैठे हैं?नही...आख़िर उन्हे हुआ क्या था जो वो इतने दीनो तक बैठे आँसू बहाते रहे?...आज मेनका ने उन्हे फिर से जगाया है.अब तो वो अपने बेटे की मौत की गुत्थी सुलझा कर रहेंगे.

उन्होने ने मेनका के हाथ अपने हाथों मे ले लिए,"हूमे होश मे लाने के लिए शुक्रिया...पता नही हूमे क्या हो गया था.थॅंकआइयू,मेनका.अगर तुम नही होती तो हुमारा क्या होता?"

"नही,यश.अगर तुम नही होते तो हुमारा क्या होता.तुमने इतनी मेहनत से कुल का मान & बिज़्नेस को बनाए रखा है.ये सब हम अपनी आँखो के सामने मिट्टी मे मिलते तो नही देख सकते थे ना."
राजा साहब ने मेनका की बात सुनकर उसे सीने से लगा लिया,फिर हाथों मे उसका चेहरा ले लिया,"इतने दीनो हम अपने गम मे खोए रहे,ये भी नही सोचा कि तुम पर क्या बीत रही होगी.",उनका ध्यान मेनका की सफेद सारी पे गया,"कल से ये मनहूस लिबास पहनने की कोई ज़रूरत नही है."

"यश,दुनिया की नज़रो मे मैं 1 विधवा हू & विश्वा को गुज़रे बस महीना भर ही हुआ है.लोग क्या कहेंगे?"

"ज़माना कहा से कहा पहुँच गया है & हुमलोग अभी तक लिबास के रंग मे अटके हैं.हम देखेंगे कौन क्या कहता है."

"समझने की कोशिश करो,यश.लोगो की हुमारे परिवार से कुच्छ उम्मीदें होती हैं,उनके लिए हूमे कुच्छ दिन तक ऐसे कपड़े पहन ने ही चाहिए."

"ठीक है तो विश्वा की मौत के 3 महीने पूरे होने के बाद तुम ये सफेद सारी नही पहनॉगी.",राजा साहब उसे साथ लेकर अपने बिस्तर पे बैठ गये.उन्होने उसके कंधे पे अपना हाथ रखा हुआ था.

"अच्छा बाबा!जैसा तुम कहो.",मेनका ने उन से सॅट के बैठते हुए उनका हाथ अपने हाथों मे दबा लिया.मेनका पिच्छले 1 महीने से नही चुदी थी.महल का माहौल विश्वा की मौत के कारण ऐसा हो गया था कि चुदाई का ख़याल उसके दिमाग़ से मीलो दूर था.पर इधर 2 दीनो से रात मे उसे राजा साहब के लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी.मेनका,जोकि हर रात कम से कम 3-4 बार चुद्ति थी,उसे पिच्छली दो रातों को अपने जिस्म को ठंडा करने के लिए अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ा था.

आज कई दीनो बाद उसका प्रेमी उसे अपने पुराने रंग मे आता दिख रहा था & उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बेकरार होने लगी थी.उसे शांत करने के लिए वो अपनी टांग पे टांग चढ़ा के बैठ गयी & चूत को अपनी जांघों मे भींच लिया.उसे पता नही चल रहा था कि राजा साहब चुदाई के मूड मे है या नही.उसने बात आगे बढ़ने की गरज से पूचछा,"तुम्हे तो याद भी नही होगा कि डॉक्टर.पुरनदरे & बॅंगलुर पोलीस के अफ़सर तुमसे मिलके गये थे?"

"याद है पर बस इतना ही की डॉक्टर.साहब माफी माँग रहे थे & पोलिसेवाले फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह रहे थे.",उनका हाथ मेनका के कंधे से फिसल कर नीचे उसकी नंगी कमर पे आ गया था.

"डॉक्टर.साहब को यकीन है कि विश्वा खुद भागा नही था बल्कि कुच्छ और बात है.पोलिसेवालो का भी कहना है की पोस्ट मोर्टें रिपोर्ट तो ड्रग ओवरडोस का कारण बताती है पर ये कौन बताएगा कि ड्रग्स उसने खुद लिए थे या किसी ने ज़बरदस्ती इंजेक्ट किए थे.",बात तो गंभीर हो रही थी पर मेनका इतने दीनो बाद अपने ससुर के करीब आने पर गरम हुए जा रही थी.

"ह्म्म.मुझे बॅंगलुर जाना पड़ेगा.अब पानी सर से उपर गुज़र गया है.इसके पीछे जो भी है उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी."

"तुम पोलीस की मदद क्यू नही लेते?मैं नही चाहती तुम ख़तरे मे पाडो.",उसने प्यार से राजा साहब के चेहरे पे हाथ फेरा.

"नही,मेनका.पोलीस के पास गया तो दुश्मन सतर्क हो जाएगा.इस बार मैं उसे बच के नही जाने दूँगा.हो ना हो इसमे जब्बार का ही हाथ है."

"जो भी करना बहुत सावधानी से करना & ये ध्यान मे रखना कि तुम्हारे साथ मेरी जान भी जुड़ी है.",मेनका के जिस्म की आग की दाहक उसकी आँखों मे अब सॉफ नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसकी नशे से बोझिल आँखें देखी तो उनके दिल मे भी वोही आग भड़क उठी.उन्होने उसकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींची & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए.मेनका तो इसी बात का इंतेज़ार कर रही थी.वो उनसे चिपक गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलो की तरह चूमने लगे.राजा साहब उसके चेहरे को & गर्दन को अपनी किस्सस से सराबोर किए जा रहे थे.

मेनका का आँचल सरक कर नीचे हो गया था & सफेद ब्लाउस के गले मे से झँकता उसका क्लीवेज भारी सांसो के साथ उपर-नीचे हो रहा था.राजा साहब ने अपने होठ उसके क्लीवेज पे लगा दिए तो मेनका पागल हो उठी & उनका सर अपने सीने पे दबा दिया.

राजा साहब ने थोड़ी देर तक उसके सीने को चूमने के बाद उसके ब्लाउस के सामने की तरफ बने बटन खोल दिए.सफेद ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया मस्त लग रही थी & उसके कड़े निपल्स ब्रा कप्स मे नुकीले उभार बना रहे थे.राजा साहब वैसे ही ब्रा मे बंद उसकी चूचिया चूमने-चाटने लगे.उनके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे.घूमते हुए उनके हाथ उसकी ब्रा स्ट्रॅप के नीचे कुच्छ इस तरह घुसे की उसके हुक्स पटापट खुल गये.ब्रा के ढीले होते ही राजा साहब की जीभ उसकी पूरी छाती पे घूमने लगी & थोड़ी देर बाद ही उसका 1 निपल उनके मुँह के अंदर था.जैसे ही रहा साहब ने उसके निपल को चूसा महीने भर की प्यासी मेनका झाड़ गयी.

उसने उनका सर कस के पकड़ लिया & अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.राजा साहब के उसकी चूचिया चूसने मे उसका ब्रा & ब्लाउस अड़चन पैदा कर रहे थे.वो बेसबरे से होकर उसके सीने से अलग हुए & उन दोनो कपड़ो को उतार कर फेंक दिया & फिर से जुट गये उसके उरज़ोन को दबाने & चूसने मे.

मेनका अभी भी उनके कुर्ते के अंदर हाथ घुसा उनकी पीठ सहला रही थी की उसका 1 हाथ फिसल कर आगे उनके सीने पे आया & वाहा के बालों मे घुस गया.अब उसकी बारी थी.उसने अपने ससुर का कुर्ता उनके जिस्म से अलग किया & उन्हे धकेल कर बिस्तर पे लिटा दिया & उनके उपर झुक कर उनके बालों भरे सीने को चूमने लगी.उसने उनके 1 निपल को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया तो दूसरे को अपने नाख़ून से हल्के-2 छेड़ने लगी.

"आ...अहह..",राजा साहब की आह निकल गयी & उनके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया.मेनका छाती चूमते नीचे आई & उनकी नाभि मे अपनी जीभ डाल कर चाटने लगी.राजा साहब के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था & वो जोश से पागल हुए जा रहे थे.मेनका ने डोरी खींच कर उनका पाजामा खोला तो उन्होने अपनी गंद उठा कर खुद ही उसे उतार दिया.

मेनका की आँखों के सामने उनका बड़ा लंड पूरा तना खड़ा था.कितने दीनो बाद ये प्यारा लंड उसके सामने था.इधर राजा साहब ने शेव नही किया था तो उनकी झाँते पूरी तरह से उस बड़े लंड को घेरे हुए थी.उसने उसे बड़े प्यार से अपने हाथों मे लिया & 1 उंगली के नाख़ून से धीरे-2 उनके लंड के सिरे से जड़ तक खुरचने लगी.राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.मेनका ने अपना मुँह लंड के सूपदे पे रखा & केवल सूपड़ा मुँह मे भर चूसने लगी.राजा साहब नीचे से गंद हिला कर पूरा लिंड उसके मुँह मे पेलने की कोशिश करने लगे पर मेनका ने अपनी मुट्ठी मे उसे मज़बूती से जाकड़ उन्हे ऐसा नही करने दिया.राजा साहब उसकी इस हरकत से पागल हो गये & उसके सर को अपने लंड पे दबाने लगे.

मेनका थोड़ी देर तक उन्हे ऐसे ही तड़पति रही & जब उन्हे लगा की वो ऐसे ही उन्हे झाड़वा देगी तो उन्हे चौंकाते हुए उसने उनका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.राजा साहब ने नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.मेनका आज जी भर कर उनके लंड को चूसना चाहती थी.उसने हाथ रख कर राजा साहब को कमर हिलाना बंद करने का इशारा किया.उसने अपना मुँह लंड से अलग कर दिया & अपने ससुर की आँखों मे देखते हुए उनके अंदो को नाख़ून से छेड़ने लगी & लंड के आस-पास के बालो को चूमते हुए उन्हे जन्नत की सैर करने लगी.

उसके होठ घूमते हुए उनके अंदो पे कस गये.राजा साहब ने अपने हाथ उसके बालों मे घुसा दिया.मेनका ने लंड को हाथ मे भर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया.वो अपने होठ अंदो से हटा उनके लंड पे लाई,राजा साहब को लगा की वो उनका लंड मुँह मे लेने वाली है तो उन्होने ने अपनी कमर उचकाई पर मेनका ने उनको तड़पते हुए मुँह हटा लिया.अब वो मुँह नीचे लाती & लंड के सिरे के पास ला जैसे ही राजा साहब घुसाने को होते तो मुँह वापस खींच लेती.राजा साहब तो तड़प से पागल हो गये.उन्होने उसका सर पकड़ अपने लंड पे लगा दिया & इस बार अपना लंड 1 बार फिर उसके मुँह मे पूरा घुसा दिया.

मेनका ने उनका लंड अपनी मुट्ठी मे भर लिया & हिलाते हुए लगी चूसने.राजा साहब के लिए बात अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी.उन्होने उसके सर को पकड़ नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे अपना वीर्या गिरा दिया.मेनका उनका वीर्या पीने लगी जिसकी 1 बूँद उसके होंठो के कोने से निकल कर उसकी ठुड्डी पे आ गयी.पूरा लंड चाट कर सॉफ करने के बाद वो उठी & अपनी ठुड्डी पे गिर आई उस बूँद को 1 उंगली से पोंच्छा & उस उंगली को मुँह मे ले चूसने लगी.

उसकी ये कातिल हरकत देख राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & उसे चूमने लगे & अपने वीर्या का स्वाद चखने लगे.आज मेनका उन्हे तड़पने के मूड मे थी.जैसे ही राजा साहब ने उसके बदन पे अपनी बहो की गिरफ़्त मज़बूत की वो हँसती हुई अलग हो गयी.उन्होने हाथ बढ़ाया तो वो छितक कर अलग हो बेड से उतर गयी.

राजा साहब उठे & उसकी सारी का पल्लू पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया.,"छ्चोड़ो ना...मुझे नींद आ रही है.",मेनका उन्हे तड़पाने के इरादे से बोली.

"झूठ मत बोलो,चलो आ जाओ.",वो उसे फिर से बिस्तर पे ले जाने लगे.

"उउन्न्न...नही...",मेनका फिर मच्लि तो राजा साहब ने 1 हाथ से उसकी कमर को जकड़ा & दूसरे से उसकी सारी खींच दी.

"ऊन्न्न्ह्ह..बदमाश कहीं के!",मेनका ने उनके सीने पे बनावटी गुस्से मे मुक्के मारे.अगले ही पल उसका पेटिकोट भी ज़मीन पे था & थोड़ी दे बाद वो केवल 1 पॅंटी मे अपने नंगे ससुर की बाहों मे उनके बिस्तर मे पड़ी उन्हे चूम रही थी.चूमते हुए राजा साहब ने उसकी पीठ पे हाथ फेरते हुए उसकी पॅंटी मे हाथ डाल उसकी गंद को दबाने लगे.

थोड़ी देर गंद दबाने के बाद उन्होने ने उसकी पॅंटी को घुटनो तक सरका दिया & फिर अपनी टांग उठा कर उसकी पॅंटी मे फँसा उसे पूरी तरह से अपनी बहू के जिस्म से अलग कर दिया.अब वो उसकी चूचियाँ चूस रहे थे & हाथ पीछे से उसकी गंद दबाने के बाद उसकी चूत मे घुस उसके दाने को रगड़ रहा था.मेनका जोश मे कमर हिलाने लगी.विश्वा की मौत के पहले उसकी गोरी चूचियाँ उसके ससुर की लव बाइट्स से भरी हुई थी,पर इधर 1 महीने मे वो वापस बेदाग हो गयी थी.राजा साहब आज इस ग़लती को सुधारने मे लगे हुए थे & उसके सीने पे अपने होठों के निशान पे निशान छ्चोड़े जा रहे थे.उनकी उंगली की रागड़ाई ने मेनका को फिर से झाड़वा दिया.

राजा साहब ने उसे लिटाया & उसकी चूचिया चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गये,थोड़ी देर तक उनका मुँह उसके पेट & नाभि पे घूमता रहा & फिर वो उसकी जाँघो के बीच आ गये & उसकी टाँगे अपने कंधों पे चढ़ा ली.वो झुक कर उसकी चूत के आस-पास चूमने लगे.मेनका ने अपनी उंगलियो मे उनके बाल पकड़ लिए & बेचैनी से मचलने लगी.चूमते हुए जैसे ही राजा साहब के होंठो ने उसकी चूत को च्छुआ उसकी कम्र हिलने लगी.राजा साहब की जीभ ने उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया & उनके हाथ उसकी चूचियो & उनके निपल्स से खेलने लगे.मेनका अपने ससुर के सर को अपनी भारी जाँघो मे दबा कर उनका मुँह अपनी चूत पे भींचने लगी.."ऊओ...ऊऊहह...या...ष्ह..!"

राज साहब ने चाट-2 कर उसकी चूत का सारा रस पी लिया.बीच-2 मे वो अपने होठ उसकी चूत से हटा उसकी आंद्रूणई जाँघो को चूमने-चूसने लगते & कही भी अपने होंठो के निशान छ्चोड़ देते.उनके हाथ उसकी बाहरी जाँघो को मज़बूती से थामे दबाते,सहलाते & फिर वापस उसकी मस्त चूचियो पे लग जाते.मेनका अपने ससुर की जीभ की चुदाई से 3 बार झड़ी.अब राजा साहब का लंड फिर से तैय्यर था.

वो उठे & घुटनो के बल अपनी बहू की जाँघो के बीच बैठ गये.उन्होने अपना लंड उसकी चूत की दरार पे 1 बार फिराया तो मेनका ने धीरे से अपनी कमर उचका उसे अपने अंदर लेने की कोशिश की.राजा साहब ने अपना लंड उसकी चूत पे ररड़ना शुरू किया.मेनका बेचैन हो गयी,वो चाह रही थी की राजा साहब अब उसे अपने नीचे दबा कर उसे जम कर चोदे पर वो तो बस लंड उसकी चूत पे रगड़ कर उसे तडपा रहे थे.

"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"

"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.

"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"

"क्या करू?बताओ तो."

"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.

"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.

"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.

"तो ये अंदर भी नही जाएगा."

"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."

"पहले इसका नाम बताओ."

"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.

"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."

मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."

मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."

कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"

राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"

कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.

राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"

"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."

जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.


क्रमशः.................................





mast menaka paart--10

gataank se aage.....................

Aaiye ab samay me thoda aage chalte hain-bas 2 din aage.
mahal me maatam chhaya hua tha.Raja Sahab abhi-2 apne haathon se apne dusr bete ki bhi chita ko aag de kar laute the.us subah dr.purandare ke phone ke kareeb 3 ghante baad bangalore police ne vishwa ki lash ko us badnam mohalle ki gali se baramad kar liya tha.raja sahab to bas bangalore ke liye nikalne hi wale the jab unhe ye manhus khabar mili.

post mortem report me maut ki wajah drug overdose batai gayi thi par dr.purandare ka kehna tha ki vishwa apni lat ko kafi had tak chhod chuka tha & unhe bilkul bhi yaken nahi ho raha tha ki vo centre se bhag gaya tha vo bhi drugs ke liye.raja sahab ke liye in bato ka koi maayne nahi reh gaya tha,unka dusra beta bhi maut ke munh me ja chuka tha & ab vo akele the,unka vansh unke bad khatam ho jane wala tha.

vishwa ki maut ne unhe tod diya tha & vo apni study me baithe apni kismat pe ro rahe the.aur menaka.....

...Menaka ko Vishwajeet ki maut ka afsos tha par dukh...dukh nahi tha..aur hota bhi kaise,usne use kabhi 1 patni ka darja diya hi nahi tha..uske liye to bas vo uski jism ki bhookh mitane ki cheez thi bas.menaka ko uski maut pe jitna afsos tha us se kahi zyada apne sasur ki chinta thi.is haadse ke baad vo bilkul nirash & hatash ho gaye the.vo shakhs jo abhi tak zindagi ki sabhi mushkilo ka saamna 1 chattan ki tarah karta aaya tha,aaj us sukhe patte ki tarah tha jise waqt ki hawayen jab chahe,jaha chahe uda sakti thi.

menaka unhe sambhalna chahti thi par is samay mahal me rishtedaro ki bheed thi,uske maa-baap bhi vahi the.in sab ke hote use Raja Sahab se baat karne ka mauka hi nahi mil raha tha.aur mauka milta bhi to kya hota..vo abhi unse khul kar baat bhi to nahi kar pati to bas menaka ba sahi mauke ka intezar karne lagi.usne than liya tha ki vo apne sasur & unke dwara khade kiye gaye business ko barbad nahi hone degi.

udhar jabbar jashn mana raha tha,"ye lo meri jaan,piyo.",usne malika ki kamar me hath dal beer ki bottle uske hotho se laga di.

"ye batao ki mere account me mere paise jama karaye ki nahi?",malika ne 1ghunt bhara.

"haa,meri jaan.kal bank jakar check kar lena.",jabbar ne uski kamar se hath upar late hue uske top me ghusa kar 1 chhati ko daboch liya.malika ne uske hoth chum liye,"aaa...ahhhhh..pure paise dale hai na?ya pichhli bar ki tarah aadhe hi dale hain?"

"tu bas kal bank jakar dekh lena.",jabbar ne uska top utar fenka & uski chhatiyan chusne laga.thodi der tak malika khadi us se apni chhatiya chuswati rahi fir use dhakel kar pare kar diya & zamin pe sofe se pith laga kar baith gayi & beer ki bottle munh se laga li.jabbar ko to bas use chodne ka bhoot sawar tha.usne apne kapde utar diye & malika ke paas jakar uske hatho se bottle chheen apna lund uske munh me dal diya,"ise pi,beer se zyada nasha hai isme."

ye baat sach thi,malika ke liye to 1 mard ka kada & bada lund duniya ki sabse zyada nashili cheez thi.vo lund apne munh me le chusne lagi par uski chut ko kallan ke lund ka chaska lag gaya tha & kallan unke sath rajpura aya nahi tha.

"tera vo paltu kaha hai,zalim?",usne jabbar ke ando ko hath se dabaya & jeebh uske lund ki chhed pe laga di.

"use kuchh dino ke liye underground rehne ko kaha hai.jab ye vishwa ki maut ki khabar thodi basi ho jaye fir vo bahar aayega.",usne malika ke sar ko pakad liya & apni kamar hilate hue uske munh ko chodne laga.

"..abhi thodi der pehle jab tu naha rahi thi tab sale ne phone kiya tha.use bhi teri tarah apne paison ki chinta lagi hui thi.",jabbar ne malika ko vahi zamin par lita diya & us par chadh kar apna lund uske andar ghusa diya.

"aaaannn...nnhhhhhh..",malika us se chudne lagi & vo janti thi ki uski chudai se vo jhadegi bhi fir bhi jabbar me vo kallan wali baat nahi thi.kareeb 1 ghante ki tabadtod chudai ke bad jabbar ne use chhoda & uth kar bathroom chala gaya.uske jate hi malika ne uska mobile uthaya,usme kallan ka number dekha & apne mobile se dial karne lagi,"kaha hai zalim?meri pyas to bujha jata.",vo phusphusai.kallan ne use apna thikana bata diya par sahyad use pata nahi tha ki vo kitni badi galti kar raha tha.

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vishwa ki maut ko 1 mahine se upar ho gaya.menaka ki maa bhi aaj vapas chali gayi thi,uske pita to kafi pehle hi chale gaye the.maa use apne sath le jana chahti thi par usi ne baad me aane ko keh ke bat tal di.aaj use mauka mila tha apne sasur se baat karne ka.

raat naukaro ke jate hi vo unke kamre me pahunch gayi.raja sahab sar jhukaye baithe the.

"aap raja yashveer singh hi hai na?"

raja sahab ne sar utha kar uski taraf sawaliya nazro se dekha.

"main jis raja yashveer singh ko janti thi vo to 1 himmatwar & hausle wale insan the.aap to mujhe koi aur lag rahe hain...1 aisa insan jiski shakl raja sahab se milti hai,bas."

"menaka,hume please akela chhod do."

"kyu?yaha andhere me haar man kar aansoo bahane ke liye?",menaka unke ghutno pe hath rakh unke samne baith gayi.,"meri taraf dekho,yash.bangalore police ko shaq tha ki vishwa ki maut utni simple nahi jitni dikhti hai.centre ke doctors & baki logo se baat karne ke baad ye baat saaf thi ki vishwa thik hone ki puri koshish kar raha tha fir aakhir us raat aisa kya hua ki vo vaha se bhag gaya ya fir vo bhaga nahi use bhagaya gaya?"

"raja sahab ne uski taraf dekha,"dekho,menaka humara beta ab vapas nahi ayega.ab kya fayda hai in baato ka.",vo uth kar khidki pe chale gaye & bahar dekhne lage.

"fayda nahi raja yashveer singh karz hai aapke bete ki maut ka.use haq hai ki agar uski maut uski buri lat ke bajay kisi aur karan se hui hai,to us karan ka pata lagaya jaye & maut ke zimmedar ko saja mile.",usne raja sahab ko apni taraf ghumaya,"..ye dekhiye",usne unka hath utha kar unke samne kiya jisme uska diya bracelet chamak raha tha."..rajkul ke surya ki chamak barkarar rakhne ki zimmedari aapki hai.rajkul ka khun bahaya gaya hai & jisne bhi ye kaam kiya hai use iski keemat aapko chukani padegi."

raja sahab ki nazre bracelet me bane surya par tiki hui thi....kisi ne unke bete ki jaan li hai & vo chupchap baithe hain?nahi...aakhir unhe hua kya tha jo vo itne dino tak baithe aansu bahate rahe?...aaj menaka ne unhe fir se jagaya hai.ab to vo apne bete ki maut ki gutthi suljha kar rahenge.

unhone ne menaka ke haath apne hathon me le liye,"hume hosh me lane ke liye shukriya...pata nahi hume kya ho gaya tha.thankyou,menaka.agar tum nahi hoti to humara kya hota?"

"nahi,yash.agar tum nahi hote to humara kya hota.tumne itni mehnat se kul ka maan & business ko banaye rakha hai.ye sab hum apni aankho ke samne mitti me milte to nahi dekh sakte the na."
Raja Sahab ne Menaka ki baat sunkar use seene se laga liya,fir haathon me uska chehra le liya,"itne dino ham apne gham me khoye rahe,ye bhi nahi socha ki tum par kya beet rahi hogi.",unka dhyan menaka ki safed sari pe gaya,"kal se ye manhus libas pahanane ki koi zarurat nahi hai."

"yash,duniya ki nazro me main 1 vidhva hu & vishwa ko guzre bas mahina bhar hi hua hai.log kya kahenge?"

"zamana kaha se kaha pahunch gaya hai & humlog abhi tak libas ke rang me atke hain.hum dekhenge kaun kya kehta hai."

"samajhne ki koshish karo,yash.logo ki humare pariwar se kuchh ummeeden hoti hain,unke liye hume kuchh din tak aise kapde pehan ne hi chahiye."

"theek hai to vishwa ki maut ke 3 mahine pure hone ke bad tum ye safed sari nahi pahnogi.",raja sahab use sath lekar apne bistar pe baith gaye.unhone uske kandhe pe apna hath rakha hua tha.

"achha baba!jaisa tum kaho.",menaka ne un se sat ke baithte hue unka hath apne hathon me daba liya.menaka pichhle 1 mahine se nahi chudi thi.mahal ka mahaul vishwa ki maut ke karan aisa ho gaya tha ki chudai ka khayal uske dimagh se meelo dur tha.par idhar 2 dino se raat me use raja sahab ke lund ki zarurat mehsus hone lagi thi.menaka,joki har raat kam se kam 3-4 bar chudti thi,use pichhli do raaton ko apne jism ko thanda karne ke liye apni ungli ka sahara lena pada tha.

aaj kai dino bad uska premi use apne purane rang me aata dikh raha tha & uski chut raja sahab ke lund ke liye bekarar hone lagi thi.use shant karne ke liye vo apni tang pe tang chadha ke baith gayi & chut ko apni janghon me bheench liya.use pata nahi chal raha tha ki raja sahab chudai ke mood me hai ya nahi.usne baat age badhane ki garaj se poochha,"tumhe to yaad bhi nahi hoga ki dr.puranadare & bangalore police ke afsar tumse milke gaye the?"

"yaad hai par bas itna hi ki dr.sahab maafi mang rahe the & policewale formalities puri karne ke liye keh rahe the.",unka hath menaka ke kandhe se fisal kar neeche uski nangi kamar pe aa gaya tha.

"dr.sahab ko yakeen hai ki vishwa khud bhaga nahi tha balki kuchh aur baat hai.policewaalo ka bhi kahna hai ki post mortem report to drug overdose ka karan batati hai par ye kaun batayega ki drugs usne khud liye the ya kisi ne zabardasti inject kiye the.",baat to gambhir ho rahi thi par menaka itne dino bad apne sasur ke kareeb aane par garam hue ja rahi thi.

"hmm.mujhe bangalore jana padega.ab pani sar se upar guzar gaya hai.iske peechhe jo bhi hai use bahut badi keemat chukani padegi."

"tum police ki madad kyu nahi lete?main nahi chahti tum khatre me pado.",usne pyar se raja sahab ke chehre pe hath fera.

"nahi,menaka.police ke paas gaya to dushman satark ho jayega.is bar main use bach ke nahi jane doonga.ho na ho isme jabbar ka hi hath hai."

"jo bhi karna bahut savdhani se karna & ye dhyan me rakhna ki tumhare sath meri jaan bhi judi hai.",menaka ke jism ki aag ki dahak uski aankhon me ab saaf nazar aa rahi thi.raja sahab ne uski nashe se bojhil aankhen dekhi to unke dil me bhi vohi aag bhadak uthi.unhone uski kamar pakad kar apni or kheenchi & apne hoth uske tapte hothon pe rakh diye.menaka to isi baat ka intezar kar rahi thi.vo unse chipak gayi & dono 1 dusre ko paaglo ki tarah chumne lage.raja sahab uske chehre ko & gardan ko apni kisses se sarabor kiye ja rahe the.

menaka ka aanchal sarak kar neeche ho gaya tha & safed blouse ke gale me se jhankta uska cleavage bhari saanso ke sath upar-neeche ho raha tha.raja sahab ne apne hoth uske cleavage pe laga diye to menaka pagal ho uthi & unka sar apne seene pe daba diya.

raja sahab ne thodi der tak uske seene ko chumne ke baad uske blouse ke samne ki taraf bane button khol diye.safed bra me kaid uski chhatiya mast lag rahi thi & uske kade nipples bra cups me nukile ubhar bana rahe the.raja sahab vaise hi bra me band uski chhatiya chumne-chatne lage.unke hath uski pith par ghum rahe the.ghumte hue unke hath uski bra strap ke neeche kuchh is tarah ghuse ki uske hooks patapat khul gaye.bra ke dheele hote hi raja sahab ki jibh uski puri chhati pe ghumne lagi & thodi der bad hi uska 1 nipple unke munh ke andar tha.jaise hi raha sahab ne uske nipple ko chusa mahine bhar ki pyasi menaka jhad gayi.

usne unka sar kas ke pakad liya & apne hath unke kurte ke andar ghusa unki pith pe apne nakhun gada diye.raja sahab ke uski chhatiyan chusne me uska bra & blouse adchan paida jar rahe the.vo besabre se hokar uske seene se alag hue & un dono kapdo ko utar kar fenk diya & fir se jut gaye uske urozon ko dabane & chusne me.

menaka abhi bhi unke kurte ke andar hath ghusa unki pith sehla rahi thi ki uska 1 hath fisal kar aage unke seene pe aaya & vaha ke baalon me ghus gaya.ab uski bari thi.usne apne sasur ka kurta unke jism se alag kiya & unhe dhakel kar bistar pe lita diya & unke upar jhuk kar unke baalon bhare seene ko chumne lagi.usne unke 1 nipple ko apne munh me lekar chusna shuru kiya to dusre ko apne nakhun se halke-2 chhedne lagi.

"aa...ahhhhhh..",raja sahab ki aah nikal gayi & unke lund ne pajame me tambu bana diya.menaka chhati chumte neeche aayi & unki nabhi me apni jibh daal kar chatne lagi.raja sahab ke liye ye bilkul naya anubhav tha & vo josh se pagal hue ja rahe the.menaka ne dori khinch kar unka pajama khola to unhone apni gand utha kar khud hi use utar diya.

menaka ki aankhon ke samne unka bada lund pura tana khada tha.kitne dino baad ye pyara lund uske samne tha.idhar raja sahab ne shave nahi kiya tha to unki jhaante puri tarah se us bade lund ko ghere hue thi.usne use bade pyar se apne hathon me liya & 1 ungli ke nakhun se dheere-2 unke lund ke sire se jad tak khurachne lagi.raja sahab ki aankhe maze me band ho gayi.menaka ne apna munh lund ke supade pe rakha & kewal supada munh me bhar chusne lagi.raja sahab neeche se gand hila kar pura lind uske munh me pelne ki koshish karne lage par menaka ne apni mutthi me use mazbuti se jakad unhe aisa nahi karne diya.raja sahab uski is harkat se pagal ho gaye & uske sar ko apne lund pe dabane lage.

menaka thodai der tak unhe aise hi tadpati rahi & jab unhe laga ki vo aise hi unhe jhadwa degi to unhe chaunkate hue usne unka pura lund apne munh me bhar liya & chusne lagi.raja sahab ne neeche se zor-2 se kamar hilakar uske munh ko chodna shuru kar diya.menaka aaj ji bhar kar unke lund ko chusna chahti thi.usne hath rakh kar raja sahab ko kamar hilana band karne ka ishara kiya.usne apna munh lund se alag kar diya & apne sasur ki aankhon me dekhte hue unke ando ko nakhun se chhedne lagi & lund ke aas-paas ke baalo ko chumte hue unhe jannat ki sair karane lagi.

uske hoth ghumte hue unke ando pe kas gaye.raja sahab ne apne hath uske baalon me ghusa diya.menaka ne lund ko hath me bhar zor-2 se hilana shuru kar diya.vo apne hoth ando se hata unke lund pe layi,raja sahab ko laga ki vo unka lund munh me lene wali hai to unhone ne apni kamar uchkai par menaka ne unko tadpate hue munh hata liya.ab vo munh neeche lati & lund ke sire ke paas la jaise hi raja sahab ghusane ko hote to munh vapas khinch leti.raja sahab to tadap se pagal ho gaye.unhone uska sar pakad apne lund pe laga diya & is bar apna lund 1 bar fir uske munh me pura ghusa diya.

menaka ne unka lund apni mutthi me bhar liya & hilate hue lagi chusne.raja sahab ke liye baat ab bardasht se bahar ho gayi thi.unhone uske sar ko pakad neeche se zor-2 se kamar hilate hue uske munh me apna virya gira diya.menaka unka virya peene lagi jiski 1 boond uske hotho ke kone se nikal kar uski thuddi pe aa gayi.pura lund chat kar saaf karne ke baad vo uthi & apni thuddi pe gir aayi us boond ko 1 ungli se ponchha & us ungli ko munh me le chusne lagi.

uski ye kaatil harkat dekh raja sahab ne hath badha kar use kheech kar apne upar le liya & use chumne lage & apne virya ka swad chakhne lage.aaj menaka unhe tadpane ke mood me thi.jaise hi raja sahab ne uske badan pe apni baho ki giraft mazbut ki vo hansti hui alag ho gayi.unhone haath badhaya to vo chhitak kar alag ho bed se utar gayi.

raja sahab uthe & uski sari ka pallu pakad kar use apne paas khinch liya.,"chhodo naa...mujhe neend aa rahi hai.",menaka unhe tadpane ke irade se boli.

"jhuth mat bolo,chalo aa jao.",vo use fir se bistar pe le jane lage.

"uunnn...nahi...",menaka fir machli to raja sahab ne 1 hath se uski kamar ko jakda & dusre se uski sari khinch di.

"oonnnhh..badmash kahin ke!",menaka ne unke seene pe banawati gusse me mukke mare.agle hi pal uska petticoat bhi zamin pe tha & thodi de baad vo kewal 1 panty me apne nange sasur ki baahon me unke bistar me padi unhe chum rahi thi.chumte hue raja sahab ne uski pith pe hath ferte hue uski panty me hath daal uski gand ko dabane lage.

thodi der gand dabane ke baad unhone ne uski panty ko ghutno tak sarka diya & fir apni tang utha kar uski panty me fansa use puri tarah se apni bahu ke jism se alag kar diya.ab vo uski choochiyan chus rahe the & hath peechhe se uski gand dabane ke baad uski chut me ghus uske dane ko ragad raha tha.menaka josh me kamar hilane lagi.vishwa ki maut ke pehle uski gori choochiyan uske sasur ki love bites se bhari hui thi,par idhar 1 mahine me vo vapas bedagh ho gayi thi.raja sahab aaj is galti ko sudharne me lage hue the & uske seene pe apne hothon ke nishan pe nishan chhode ja rahe the.unki ungli ki ragdai ne menaka ko fir se jhadwa diya.

raja sahab ne use litaya & uski chhatiyan chumte hue neeche uske pet pe aa gaye,thodi der tak unka munh uske pet & nabhi pe ghumta raha & fir vo uski jaangho ke beech aa gaye & uski tange apne kandhon pe chadha li.vo jhuk kar uski chut ke aas-paas chumne lage.menaka ne apni unliyo me unke baal pakad liye & bechaini se machalne lagi.chumte hue jaise hi raja sahab ke hotho ne uski chut ko chhua uski kamr hilne lagi.raja sahab ki jibh ne uski chut ko chatna chalu kar diya & unke hath uski chhatiyon & unke nipples se khelne lage.menaka apne sasur ke sar ko apni bhari jangho me daba kar unka munh apni chut pe bheenchne lagi.."ooo...oooohhhhh...ya...shhhhh..!"

raj sahab ne chat-2 kar uski chut ka sara ras pi liya.beech-2 me vo apne hoth uski chut se hata uski andruni jangho ko chumne-chusne lagte & avah bhi apne hotho ke nishan chhod dete.unke hath uski bahri jangho ko mazbuti se thame dabate,sehlate & fir vapas uski mast chhatiyo pe lag jate.menaka apne sasur ki jibh ki chudai se 3 bar jhadi.ab raja sahab ka lund fir se taiyyar tha.

vo uthe & ghutno ke bal apni bahu ki jangho ke beech baith gaye.unhone apna lund uski chut ki darar pe 1 bar firaya to menaka ne dhere se apni kamar uchka use apne andar lene ki koshish ki.raja sahab ne apna lund uski chut pe raradna shuru kiya.menaka bechain ho gayi,vo chah rahi thi ki raja sahab ab use apne neeche daba kar use jam kar chode par vo to bas lund uski chut pe ragad kar use tadpa rahe the.

"oo..ooohh..please...ya..sh..karo na..!"

"kya meri jaan?",raja sahab vaise hi lund ragad rahe the.unhone lund chut pe rakh halka sa dhakka diya & fir jhat se nikal liya to menaka josh me pagal ho gayi.

"please ja..an..aur mat tad..pao.ab karo na!"

"kya karu?batao to."

"oo..oof..ise ghusao..",apni baat se menaka khud sharma gayi & apne hatho se apna chehra dhak liya.

"ise kya kehte hain,jaan?",unhone uske haath chehre se hata apne hathon me le liye.

"hume nahi pata..",menaka ke gaal laaj ke mare laal ho gaye the.

"to ye andar bhi nahi jayega."

"unn..uunnhhh..please."

"pehle iska naam batao."

"humne kaha na hume nahi malum....aaaaa..aaahhhhhh..!",raja sahab ne lund uske dane pe ragad diya tha.

"hum batate hain..ise lund kehte hain & ise chut.ab bolo ki hum kya kaha ghusayen."

menaka ka to sharm se bura haal tha.usne apni aankhe band kar rakhi thi par vahi uska jism ab ye tadpan aur bardasht nahi kar sakta tha.raja sahab ne uski chut pe lund ragadna tez kar diya to vo aur bechain ho gayi & apni kamar utha lund ko chut me ghusane ki nakam koshish karne lagi.raja sahab ne uske pet pe hath rakh uski kamar ko vapas bistar pe lita diya,"..jaldi bolo.."

menaka ne aankhe kholi & hath badha lund ko pakad liya,"please yash..apna...apna..lund humari ch..chut me ghusao.."

kehne ki der thi ki raja sahab ne apna lund 1 hi jhatke me uski kasi,gili chut me utar diya.,"..OOOO...OOOOWWWW...!",menaka chikh kar apne sasur se chipak gayi & apni kamar hilate hue unke tez dhakkon ka jawab dene lagi..."..ha..annnn...ya...sh aise...hi...karo....hume ap...AAAAA....AAAAAAAAAHHHH...apne se...alag ma...t kar..na...OOOO....OOOEEEEEEEEE...!"

raja sahab ne pehli bar apni bahu ko chudai ke dauran aise bolte suna tha & unka josh to duguna ho gaya tha.vo jum kar dhakke mar use chod rahe the,"..nahi..meri jaan.tum sirf humari ho...tumhe kabhi nahi chhodenge...jeewan bhar aise hi chodenge.....!"

kamre me ab dono ki aanhe & mast baate goonj rahi thi.dono 1 dusre ke badan me dube ja rahe the ki vo ghadi aa gayi jab apne upar koi zor nahi rehta.menaka ki kamar zor se hilne lagi & vo apne sasur se chipak inki pith me nakhun & kandhon me daant gadate hue jhad gayi.vahi raja sahab ke lund ne jaise hi uski chut ka pani chakha,usne bhi 2-3 zordar jhatke mare & apne pani se chut ko bhar diya.

raja sahab ne karwat le apni bahu ko baho me bhar liya & uske makhmali badan ko pyar se sehlane lage.thodi der ki khamoshi ke bad menaka ne unke seene me pyar se mukke mare,"kitni gandi baaten bulwayi humse!"

"tumne bhi to tadpa kar gandi harkat ki thi.par sach kahna maza aaya ki nahi."

jawab me menaka ne sharma kar unke seene me munh chhupa liya.raja sahab nebhi hanste hue use apne agosh me bhar liya.


kramshah.................................


आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj























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