मस्त मेनका पार्ट--10
गतान्क से आगे.....................
मेनका ने राजा साहब को लिटा दिया & उनके सीने पे अपनी बड़ी बड़ी चूचिया रख के लेट गयी,"बॅंगलुर कब जाओगे?"
"सोचते हैं कल ही निकल जाएँ.",राजा साहब उसकी चिकनी कमर सहला रहे थे.
"हूमे भी ले जाओगे ना?"
"नही,मेनका.तुम्हे तुम्हारे मायके छ्चोड़ देंगे."
"क्यू?",मेनका अपनी कोहनी पे अपना भर रख थोड़ा उठ गयी.राजा साहब को अपने सीने पे उसकी चूचियो का दबाव बड़ा भला लग रहा था,उसके उठते ही छातिया हटी तो उन्होने हाथ कमर से उपर सरका उसकी पीठ दबा के उसके उरोजो को वापस अपने सीने पे दबा दिया.
"अभी तुम्हारा बॅंगलुर जाना ठीक नही होगा.ये कोई बिज़्नेस डील नही है.तुम अपने माता-पिता के पास रहोगी तो हम निश्चिंत रहेंगे कि तुम सही-सलामत हो."
"और हम कैसे निश्चिंत रहेंगे तुम्हारे बारे मे?",मेनका ने अपनी 1 जाँघ उनके उपर चढ़ा दी.
"हुमारी फ़िक्र मत करो.हम काम ख़त्म कर जल्दी वापस लौट आएँगे.",उन्होने उसकी जाँघ को खींच अब उसे अपने उपर पूरी तरह से ले लिया.अब मेनका की चूत उनके लंड पे लगी हुई थी.
"तो ठीक है.कल हूमे हुमारे मयके छ्चोड़ तुम बॅंगलुर चले जाना पर वादा करो कि जैसे ही वाहा से वापस आओगे सीधा हूमे लेने आओगे."
"वादा तो कर दे पर तुम्हारे माता-पिता को अजीब नही लगेगा & फिर वो ये भी तो चाहेंगे कि तुम उनके साथ कुच्छ और दिन रह लो.",राजा साहब ने उसकी गंद की फांको को फैलाते हुए नीचे से 1 धक्का मारा तो लंड 3 इंच तक उसकी चूत मे घुस गया.
"..एयेए..यईईए...!..तुम उस..की चिंता मत का...रो..ऊऊ..ऊओह...मैं वो संभाल लूँगी.तुम एयेए..आहह...बस वा..अदा करो..",मेनका ने उठ कर अपनी कमर हिलाई & पूरा लंड अपने अंदर ले लिया.
"वादा करते हैं,मेरी रानी!",राजा साहब उठ बैठे & उसे अपनी बाहों मे कस उसकी चुचियाँ अपने मुँह मे भर ली.मेनका भी मस्त हो उनसे लिपट कर कमर हिला-2 कर उन्हे चोदने लगी.
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अगली सुबह दोनो मेनका के मयके रवाना हो गये.राजा साहब ने उसे वाहा छ्चोड़ा & वाहा से कार से शहर आकर बॅंगलुर की फ्लाइट पकड़ ली.शाम 7 बजे वो बॅंगलुर मे थे.पहुँचते ही उन्होने डॉक्टर.पुरन्दारे से अगले दिन का अपायंटमेंट ले लिया.
अगले दिन सुबह 10 बजे राजा साहब डॉक्टर.पुरन्दारे के कॅबिन मे उनके सामने बैठे थे.
"राजा साहब,जो भी हुआ उसके लिए मैं आपसे माफी चाहता हू."
"डॉक्टर.साहब आप हूमे शर्मिंदा कर रहे हैं.जो भी हुआ उसमे आपकी कोई ग़लती नही थी.प्लीज़ अब आप खुद को दोष देना छ्चोड़ दीजिए."
"पर राजा साहब विश्वजीत मेरा पेशेंट था.मेरी ज़िम्मेदारी था..मुझे तो समझ नही आता ये सब आख़िर हुआ कैसे."
"डॉक्टर.साहब आपका मान ना है कि विश्वा काफ़ी हद तक ठीक हो गया था,इसीलिए वो यहा से ड्रग्स लेने के लिए भागने जैसी हरकत नही कर सकता.राइट?"
"राइट.मैने अपनी पूरी ज़िंदगी लोगो को ये लत च्छुड़वते बिता दी & मैं दावे के साथ कह सकता हू कि विश्वा ऐसा काम नही कर सकता था."
"तो फिर वो किसी और कारण से यहा से निकला होगा....ऐसा कौन सा कारण हो सकता है..?"
"यकीन मानिए,राजा साहब यही सवाल मुझे भी परेशान कर रहा है और 1 दिन भी ऐसा नही गुज़रा होगा जब मैने इसका जवाब तलाशने की कोशिश ना की हो."
"डॉक्टर.साहब,मुझे भी इस सवाल का जवाब मिलता नज़र नही आता.अच्छा उस रात यहा कौन-2 था?"
"जी,मरीज़ो के अलावा नाइट ड्यूटी के 2 डॉक्टर्स & गेट पे गार्ड."
"आपकी इजाज़त हो तो मैं उनसे बात कर सकता हू?"
"ज़रूर राजा साहब.आप इस सेंटर मे जिस से चाहे, जो चाहे पुच्छ सकते हैं & जब जी चाहे आ-जा सकता हैं."
"थॅंक योउ वेरी मच,डॉक्टर.तो प्लीज़ मुझे उन डॉक्टर्स & गार्ड से मिलवा दीजिए."
"अभी लीजिए.",कह के डॉक्टर.पुरन्दारे ने इंटरकम का रिसीवर अपने कान से लगा लिया.
डॉक्टर्स से राजा साहब को कुच्छ खास बात नही पता चली.इस वक़्त वो सेंटर के लॉन मे 1 चेर पे बैठे थे & उनके सामने उस रात की ड्यूटी वाला गार्ड खड़ा था,"हुज़ूर,हुमने सचमुच विश्वजीत साहब को बाहर जाते हुए नही देखा था & ना ही हम गेट से हीले थे या सोए थे."
"देखो,हम तुम पे कोई इल्ज़ाम लगाने नही आए हैं,हम तो बस ये जानना चाहते हैं कि उस रात क्या हुआ था."
गार्ड ने उन्हे वही सब बातें बताई जो डॉक्टर.पुरन्दारे,उनका स्टाफ & पोलिसेवाले कह रहे थे.
"..तो उस रात कुच्छ भी ऐसा नही घटा था जिस से की किसी अनहोनी की आशंका होती."
"जी नही,साहब.बस थोड़ी देर के लिए बिजली गयी थी जिसे बेस्कॉम वाले ठीक कर गये थे."
"क्या?बिजली गयी थी!पूरी बात बताओ."
गार्ड ने उन्हे पूरा किस्सा सुना दिया.
"तुमने ये बात पोलीस को बताई थी.?"
"जी,साहब."
"ह्म्म.अच्छा,जेनरेटर ठीक करने जो आदमी बेसमेंट मे गया था,क्या तुम भी उस के साथ गये थे?"
"नही,साहब.उसने हूमे माना कर दिया.कहने लगा कि हम परेशान ना हो,वो काम कर देगा बस छ्होटी सी गड़बड़ है.साहब,हुमने उस वक़्त भी गेट नही छ्चोड़ा था.और बिजली ठीक करने भी वॅन के साथ बस 1 आदमी आया था & 10 मिनिट मे चला भी गया था..और जाते वक़्त वो अकेला ही था."
"तुमने उसकी शक्ल देखी थी?"
"कुच्छ ठीक से याद नही साहब.बहुत अंधेरा था....नाटा,काला सा आदमी था."
राजा साहब पूरी तैय्यरी के साथ आए थे,"क्या ये था?",अपना ब्रीफकेस खोल जब्बार की तस्वीर निकाल गार्ड के सामने कर उन्होने पूचछा.
"पक्का नही कह सकते,साहब...पर हां इसी तरह का था."
राजा साहब के लिए इतना काफ़ी था.थोड़ी देर बाद वो पोलीस स्टेशन मे विश्वा के केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर के सामने बैठे थे,"...उस रात शायद बिजली भी गयी थी उस इलाक़े की?"
"जी.ऐसा बहुत कामन है उस एरिया मे.नया बसा है ना.होते रहते हैं पवर कट्स & वैसे भी उस रात बिजली ठीक करने वाला आदमी बेस्कॉम की यूनिफॉर्म & वन के साथ था.मैने सारे रेकॉर्ड्स चेक किए थे बेस्कॉम की कोई भी वॅन गायब या चोरी की रिपोर्ट नही थी.सो,मुझे लगता है कि वो आंगल नही है.मुझे पक्का यकीन है गार्ड सो रहा था & आपका बेटा निकल गया & उसकी बदक़िस्मती की ग़लत लोगो के हत्थे चढ़ गया."
"ह्म्म.एनीवे,थॅंक यू ऑफीसर.आपने जो भी किया है उसके लिए मैं ज़िंदगी भर आपका आभारी रहूँगा.",राजा साहब ने अपना हाथ ऑफीसर की ओर बढ़ाया.
"जस्ट डूयिंग माइ जॉब,राजा साहब.मेरा भरोसा करिए,मुजरिम को तो मैं पकड़ कर रहूँगा.",उसने राजा साहब से हाथ मिलाया.
राजा साहब उस से विदा ले एरपोर्ट चल पड़े,उनका काम हो गया था.गार्ड से बात करके उन्हे यकीन हो गया था कि जब्बार ही उनके बेटे का कातिल है.उन्होने जानबूझ कर ऑफीसर को जब्बार का फोटो या उस पे शक़ होने की बात नही बताई थी.अब वो जब्बार को अपने हाथो से सज़ा देने की ठान चुके थे.एरपोर्ट पहुँच कर उन्होने मेनका को फोन मिलाया,"हुमारा काम हो गया है.हम अगली फ्लाइट से आ रहे हैं."
"सीधा हूमे लेने आना."
"ठीक है,मेरी जान."
मेनका के माता-पिता चाहते तो नही थे कि उनकी बेटी इतनी जल्दी वापस जाए पर मेनका ने ऑफीस मे ज़रूरी काम का बहाना बना दिया था.उसके माता-पिता को भी लगा कि उनकी विधवा बेटी का मन काम के बहाने ही सही बहल तो रहा है,सो उन्होने ने भी उसे रोकने के लिए ज़्यादा ज़िद नही की.अब मेनका अपने मायके मे बेसब्री से राजा साहब का इंतेज़ार कर रही थी.
क्रमशः........................
mast menaka paart--11
gataank se aage.....................
Menaka ne Raja Sahab ko lita diya & unke seene pe apni badi chhatiyan rakh ke let gayi,"bangalore kab jaoge?"
"sochte hain kal hi nikal jaayen.",raja sahab uski chikni kamar sehla rahe the.
"hume bhi le jaoge na?"
"nahi,menaka.tumhe tumhare mayke chhod denge."
"kyu?",menaka apni kohni pe apna bhar rakh thoda uth gayi.raja sahab ko apne seene pe uski chhatiyan ka dabav bada bhala lag raha tha,uske uthte hi chhatiyan hati to unhone hath kamar se upar sarka uski pith daba ke uske urozon ko vapas apne seene pe daba diya.
"abhi tumhara bangalore jana thik nahi hoga.ye koi business deal nahi hai.tum apne mata-pita ke paas rahogi to hum nishchint rahenge ki tum sahi-salamat ho."
"aur hum kaise nishchint rahenge tumhare bare me?",menaka ne apni 1 jangh unke upar chadha di.
"humari fikr mat karo.hum kaam khatm kar jaldi vapas laut aayenge.",unhone uski jangh ko khinch ab use apne upar puri tarah se le liya.ab menaka ki chut unke lund pe lagi hui thi.
"to thik hai.kal hume humare mayke chhod tum bangalore chale jana par vada karo ki jaise hi vaha se vapas aaoge seedha hume lene aaoge."
"vada to kar de par tumhare mata-pita ko ajeeb nahi lagega & fir vo ye bhi to chahenge ki tum unke sath kuchh aur din reh lo.",raja sahab ne uski gand ki faanko ko failate hue neeche se 1 dhakka mara to lund 3 inch tak uski chut me ghus gaya.
"..AAA..YYEEEEE...!..tum us..ki chinta mat ka...ro..oooo..ooohhhhh...main vo sambhal lungi.tum aaa..aahhhh...bas va..ada karo..",menaka ne uth kar apni kamar hilai & pura lund apne andar le liya.
"vada karte hain,meri rani!",raja sahab uth baithe & use apni bahon me kas uski chuchiyan apne munh me bhar li.menaka bhi mast ho unse lipat kar kamar hila-2 kar unhe chodne lagi.
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agli subah dono menaka ke mayke ravana ho gaye.raja sahab ne use vaha chhoda & vaha se car se shahar aakar bangalore ki flight pakad li.sham 7 baje vo bangalore me the.pahunchte hi unhone dr.purandare se agle din ka appointment le liya.
agle din subah 10 baje raja sahab dr.purandare ke cabin me unke samne baithe the.
"raja sahab,jo bhi hua uske liye main aapse mafi chahta hu."
"dr.sahab aap hume sharminda kar rahe hain.jo bhi hua usme aapki koi galti nahi thi.please ab aap khud ko dosh dena chhod dijiye."
"par raja sahab vishwajeet mera patient tha.meri zimmedari tha..mujhe to samajh nahi aata ye sab aakhir hua kaise."
"dr.sahab aapka maan na hai ki vishwa kafi had tak thik ho gaya tha,isiliye vo yaha se drugs lene ke liye bhagne jaisi harkat nahi kar sakta.right?"
"right.maine apni puri zindagi logo ko ye lat chhudwate bita di & main daawe ke sath keh sakta hu ki vishwa ais kaam nahi kar sakta tha."
"to fir vo kisi aur karan se yaha se nikla hoga....aisa kaun sa karan ho sakta hai..?"
"yakeen maniye,raja sahab yahi sawal mujhe bhi pareshan kar raha hai aur 1 din bhi aisa nahi guzra hoga jab maine iska jawab talashne ki koshish na ki ho."
"dr.sahab,mujhe bhi is sawal ka jawab milta nazar nahi aata.achha us raat yaha kaun-2 tha?"
"ji,marizo ke alawa night duty ke 2 doctors & gate pe guard."
"aapki ijazat ho to main unse baat kar sakta hu?"
"zarur raja sahab.aap is centre me jis se chahe, jo chahe puchh sakte hain & jab ji chahe aa-ja sakta hain."
"thank you very much,dr.to please mujhe un doctors & guard se milwa dijiye."
"abhi lijiye.",kah ke dr.purandare ne intercom ka receiver apne kaan se laga liya.
Doctors se Raja Sahab ko kuchh khas baat nahi pata chali.is waqt vo centre ke lawn me 1 chair pe baithe the & unke samne us raat ki duty wala guard khada tha,"huzur,humne sachmuch vishwajeet sahab ko bahar jate hue nahi dekha tha & na hi hum gate se hile the ya soye the."
"dekho,hum tum pe koi ilzam lagane nahi aaye hain,hum to bas ye jaanana chahte hain ki us raat kya hua tha."
guard ne unhe vahi sab baaten batayi jo dr.purandare,unka staff & policewale kah rahe the.
"..to us raat kuchh bhi aisa nahi ghata tha jis se ki kisi anhoni ki aashanka hoti."
"ji nahi,sahab.bas thodi der ke liye bijli gayi thi jise BESCOM wale thik kar gaye the."
"kya?bijli gayi thi!puri baat batao."
guard ne unhe pura kissa suna diya.
"tumne ye baat police ko batai thi.?"
"ji,sahab."
"hmm.achha,generator thik karne jo aadmi basement me gaya tha,kya tum bhi us ke sath gaye the?"
"nahi,sahab.usne hume mana kar diya.kehne laga ki hum pareshan na ho,vo kaam kar dega bas chhoti si gadbad hai.sahab,humne us waqt bhi gate nahi chhoda tha.aur bijli thik karne bhi van ke sath bas 1 aadmi aaya tha & 10 minute me chala bhi gaya tha..aur jate waqt vo akela hi tha."
"tumne uski shakl dekhi thi?"
"kuchh thik se yaad nahi sahab.bahut andhera tha....nata,kala sa aadmi tha."
raja sahab puri taiyyari ke sath aaye the,"kya ye tha?",apna briefcase khol jabbar ki tasveer nikal guard ke samne kar unhone poochha.
"pakka nahi keh sakte,sahab...par haan isi tarah ka tha."
raja sahab ke liye itna kafi tha.thodi der baad vo police station me vishwa ke case ke investigation officer ke samne baithe the,"...us raat shayad bijli bhi gayi thi us ilake ki?"
"ji.aisa bahut common hai us area me.naya basa hai na.hote rehte hain power cuts & vaise bhi us raat bijli thik karne vala aadmi BESCOM ki uniform & van ke sath tha.maine sare records check kiye the BESCOM ki koi bhi van gayab ya chori ki report nahi thi.so,mujhe lagta hai ki vo angle nahi hai.mujhe pakka yakeen hai guard so raha tha & aapka beta nikal gaya & uski badkismati ki galat logo ke hatthe chadh gaya."
"hmm.anyway,thank you officer.aapne jo bhi kiya hai uske liye main zindagi bhar aapka aabhari rahunga.",raja sahab ne apna hath officer ki or badhaya.
"just doing my job,raja sahab.mera bharosa kariye,mujrim ko to main pakad kar rahunga.",usne raja sahab se hath milaya.
raja sahab us se vida le airport chal pade,unka kaam ho gaya tha.guard se baat karke unhe yakeen ho gaya tha ki jabbar hi unke bete ka kaatil hai.unhone janbujh kar officer ko jabbar ka photo ya us pe shaq hone ki baat nahi batayi thi.ab vo jabbar ko apne hatho se saza dene ki thaan chuke the.airport pahunch kar unhone Menaka ko phone milaya,"humara kaam ho gaya hai.hum agli flight se aa rahe hain."
"seedha hume lene aana."
"theek hai,meri jaan."
menaka ke mata-pita chahte to nahi the ki unki beti itni jaldi vapas jaye par menaka ne office me zaruri kaam ka bahan bana diya tha.uske mata-pita ko bhi laga ki unki vidhva beti ka man kaam ke bahane hi sahi bahal to raha hai,so unhone ne bhi use rokne ke liye zyada zid nahi ki.ab menaka apne maayke me besabri se raja sahab ka intezar kar rahi thi.
kramshah......................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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