मस्त मेनका पार्ट--9
गतान्क से आगे.....................
उस रात राजा साहब ने अपनी बहू को दोबारा नही चोदा.वो जानते थे कि अभी उसकी गंद को & चूत को थोड़ा आराम चाहिए था.वो मेनका को बाहों मे भर कर वैसे ही सो गये.
सवेरे मेनका की नींद खुली तो वो अपने ससुर के बिस्तर मे,उनकी बाहों मे नंगी पड़ी थी.वो हौले से उनके आगोश से निकली,उनके होठों को बहुत धीरे से चूमा & क्लॉज़ेट के रास्ते अपने कमरे मे चली गयी.
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कल्लन बॅंगलुर पहुँच गया था & जब्बार & मेनका के साथ जब्बार के रूम मे बैठा था."भाई,मुझे ये समझ नही आ रहा कि रहाब सेंटर के अंदर कैसे घुसा जाए & राजा के पिल्ले को कैसे बाहर निकाला जाए?तुम्हे जगह दिखा दी है & इसने तुम्हे अंदर के सारे डीटेल्स भी दे दिए हैं.",जब्बार ने मलिका की ओर इशारा किया,"अब तुम्ही कोई रास्ता सुझाओ."
"1 रास्ता है पर उसके लिए कुच्छ चीज़ों की ज़रूरत पड़ेगी."
"कौन सी चीज़ें?"
"1 बेस्कॉम(बॅंगलुर पॉवेर को.) की वन & उसके साथ 1 लंबी सीधी.अगर आज इनका इंतेज़ाम हो जाता है तो आज रात को मैं 1 बार सेंटर के अंदर जाकर वाहा का जायज़ा लूँगा & कल रात विश्वजीत को बाहर निकल लाऊंगा."
"ओके.मैं कोशिश करता हू.तब तक तुम दोनो यही रहना.",जब्बार रूम से बाहर चला गया.
उसके निकलते ही मलिका दौड़ते हुए कल्लन की बाहों मे समा गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे.मलिका उसे चूमते हुए उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी तो कल्लां उसकी टाइट जीन्स मे कसी गंद को दबाने लगा.मलिका ने उसकी शर्ट उतार कर उसे बिस्तर पर धकेल दिया & उस पर चढ़ कर बैठ गयी.वो भूखी शेरनी की तारह उस पर टूट पड़ी & उसकी छाती चूमने लगी.
उसने खुद ही अपनी शर्ट उतार दी,ब्रा उसने पहनी नही थी तो शर्ट खुलते ही उसकी छातिया कल्लन के सामने छलक गयी.उसने हाथ बढ़ा कर उन्हे दबोच लिया.मलिका अपनी गंद उसके लंड पे रगड़ रही थी.थोड़ी देर तक इसी तरह 1 दूसरे के जिस्मो को मसल्ने के बाद दोनो बेताबी से उठ बैठे & 1 दूसरे की पॅंट उतार दी.मलिका अब पूरी नंगी थी,वही कल्लन अब केवल 1 अंडरवेर मे था.
दोनो फिर 1 दूसरे से चिपक कर चूमने लगे.मलिका ने अपना हाथ कल्लन के अंडरवेर मे डाल दिया & उसके लॅंड को मसल्ने लगी.कल्लन भी उसकी गंद को बेतहाशा रगड़ रहा था.मलिका झुकी & उसका अंडरवेर उतार कर फेंक दिया & उसके लंड को अपने मुँह मे भर लिया.
अब कल्लन बेड पे घुटनो के बल खड़ा था & मालिका उसके लंड को चूस रही थी.कल्लन ने मलिका के बालों को पकड़ा हुआ था & कमर हिला-2 कर उसके मुँह को चोद रहा था.मलिका ने 1 हाथ से उसके लंड को पकड़ा हुआ था & दूसरे से अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी.
अब कल्लन के लिए अपने पे काबू रखना नामुमकिन हो गया था.उसने मलिका को अपने लंड से अलग किया & उसे बेड पर पटक कर उसकी टांगे फैला दी.फिर अपने लंड को पकड़ कर 1 ही झटके मे उसकी चूत मे उतार दिया."...एयेए...आअहह..!",मलिका कराही & उस से चिपक गयी.कल्लन का लंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने लगा & वो हवा मे उड़ने लगी.उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गढ़ा दिए & अपनी टांगे लपेट उसे अपने बदन से चिप्टा लिया.कल्लन ने अपने धक्के & तेज़ कर दिए & उसकी तेज़ चुदाई से मलिका तुरंत झाड़ गयी.थोड़ी ही देर मे कल्लन ने भी उसके अंदर अपना पानी छ्चोड़ दिया.वो उसके सीने पे सर रख हाँफने लगा.
थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मलिका ने फिर से अपनी चूत सिकोड कर उसके लंड को छेड़ना शुरू कर दिया.अपनी 1 उंगली उसने उसके गंद के छेद मे डाल दी तो कल्लन भी फिर से गरम होने लगा.उसने फिर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,लंड फिर से सख़्त हुआ तो उसके धक्कों मे और जोश आ गया & मलिका 1 बार फिर चुदने लगी.
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दोपहर का वक़्त था & मेनका राजा साहब के ऑफीस चेंबर मे उनकी चेर के बगल मे खड़ी उन्हे कोई फाइल दिखा रही थी.फाइल देखते-2 राजा साहब ने अपना बाया हाथ उसकी कमर पे लगा दिया & उसकी गांद सहलाने लगे.
"क्या कर रहे हो?कोई देख लेगा.",वो अलग होने के लिए च्चटपटाने लगी तो राजा साहब ने अपनी पकड़ और मज़बूत कर दी,"..प्लीज़!छ्चोड़ो ना.",मेनका को बहुत डर लग रहा था....कही कोई आ गया तो ग़ज़ब हो जाएगा....& उसके ससुर तो बिल्कुल पागल हो गये थे.
"यश,प्लीज़...अभी नही...ऊऊओ...ऊऊहह..!",राजा साहब ने उसे वैसे ही चेर पे बैठ हुए पकड़ कर अपनी तरफ घुमा कर उसके पेट मे अपना मुँह घुसा दिया था.
"आ...आआहह..!...प्लीज़...छ्च..
तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई तो वो छितक कर उनसे अलग हो अपनी सारी ठीक कर फाइल पढ़ने लगी.राजा साहब ने भी अपने बाल ठीक किए,"कम इन."
"अरे आप हैं सेशाद्री साहब.आपको नॉक करने की क्या ज़रूरत है.",उन्होने 1 बहुत हल्की सी शरारती मुस्कान अपनी बहू की तरफ फेंकी जिसे सेशाद्री नही देख पाए.मेनका ने गुस्से से उन्हे देखा & फिर से फाइल पढ़ने लगी.
"क्या हुआ कुँवारानी?आप परेशान लग रही हैं.तबीयत तो ठीक है ना?",सेशाद्री मेनका से मुखातिब हुए.
"नही अंकल.तबीयत थोड़ी गड़बड़ लग रही है"
"अरे,तब आप यहा क्या कर रही हैं?आपको तो घर जाकर आराम करना चाहिए.सर,मैं ग़लत तो नही कह रहा."
"नही,सेशाद्री साहब."
"तो मैं घर जाऊं?",मेनका ने बड़ी मासूमियत से अपने ससुर से पूचछा.
"हा,हा.बिल्कुल."
"ओके.",मेनका ऑफीस के दरवाज़े की ओर बढ़ गयी &दरवाज़े पे पहुँच कर सेशाद्री की पीठ के उपर से अपने ससुर को मुँह चिढ़ा दिया.राजा साहब को मन ही मन सेशाद्री पे बहुत गुस्सा आ रहा था...अगर वो अभी नही आता तो वो मेनका को अभी चोद रहे होते.पर अब क्या किया जा सकता था.वो मन मार कर सेशाद्री के लाए पेपर्स पढ़ने लगे.
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रात को महल से सारे नौकर बाहर चले गये तो राजा साहब ने दरवाज़ा बंद किया & केवल 1 पाजामा पहने क्लॉज़ेट के रास्ते अपनी बहू के क्लॉज़ेट मे पहुँच गये.मेनका वाहा अपनी सारी उतारना शुरू ही कर रही थी कि उन्हे देख चिहुन्क पड़ी.
"अरे ये शुभ काम हूमे करने दो.",राजा साहब ने उसका आँचल पकड़ कर खींच दिया.
"अभी जाओ.हूमे कपड़े बदलने दो ना.",मेनका उनके हाथ से अपनी सारी खींचने लगी.
"फिर ये दरवाज़ा क्यू खुला छ्चोड़ा?",राजा साहब ने क्लॉज़ेट के सीक्रेट दरवाज़े की ओर इशारा किया.
"ये तो कपड़े चेंज करने के बाद के लिए..",मेनका शर्मा गयी तो उसके ससुर ने उसे खींच अपने सीने से लगा लिया & उसके चेहरे को हाथों मे ले निहारने लगे.उसका आँचल नीचे गिर गया था & उसकी ब्लाउस मे भारी चूचिया उनके बालों भरे सीने से दबी हुई थी.
"तुम कितनी खूबसूरत हो,मेनका.हूमे तो यकीन ही नही होता कि तुम सिर्फ़ हुमारी हो..",मेनका के गाल शर्म से लाल हो गये थे & आँखें बंद.राजा साहब ने उसकी बंद पलकों को & फिर गालों को चूम लिया.फिर हाथ उसकी कमर मे डाल उसके होठ चूमने लगे.मेनका भी उनसे लिपट गयी & अपनी जीभ उनके मुँह मे डाल उनकी जीभ से खेलने लगी.राजा साहब 1 हाथ आगे लाए & उसकी कमर पे अटकी सारी को खींच दिया & फिर उसे उसके बदन से अलग कर दिया.
मेनका के हाथ उनकी पीठ पर घूम रहे थे & वो अपनी चूचियो को उनके सीने पे हल्के-2 रगड़ रही थी.बीच-2 मे हाथ नीचे ले जाकर उनके पाजामे मे घुसा वो उनकी गंद पे भी अपने नाख़ून गढ़ा रही थी.राजा साहब ने उसके पेटिकोट को भी नीचे सरका दिया.आज मेनका ने पॅंटी नही पहनी थी तो राजा साहब अब उसकी नंगी गांद को जम के दबा रहे थे.उसकी चूत उसके ससुर की हरकतों से गीली होने लगी थी.इस बार जब उसके हाथ नीचे गये तो उन्होने उनके पाजामे को उनकी गंद से नीचे उतार दिया.पाजामा घुटनो तक आया तो उसने अपनी 1 टाँग उठाई & पैर से उसे नीचे उनकी टाँगो से उतार कर अलग कर दिया.
अब राजा साहब पूरे नंगे थे & मेनका केवल ब्लाउस मे थी,दोनो 1 दूसरे से चिपके 1 दूसरे की पीठ & गंद सहलाते,अपनी छातिया रगड़ते चूम रहे थे.राजा साहब का ताना लंड उनकी बहू की गीली चूत से सटा था & दोनो अपनी-2 कमर हिला कर लंड & चूत को1 साथ रगड़ रहे थे.
राजा साहब ने अपने हाथ पीच्चे ले जाकर मेनका के ब्लाउस के हुक खोल दिए & उसे नीचे उतार दिया.मेनका अब बिल्कुल गरम हो गयी थी,जब राजा साहब उसके ब्रा को उतारने लगे तो उसने हाथ नीचे कर अपनी चूचियाँ नंगी करने मे उनकी पूरी मदद की.अब दोनो पूरे नगे 1 दूसरे के जिस्मो से खेल रहे थे.
चूमते हुए राजा साहब की नज़र बगल मे पड़ी तो उन्होने देखा की ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे दोनो की परच्छाई नज़र आ रही थी.उन्होने चूमते हुए मेनका को इशारे से ये दिखाया तो वो शर्मा कर क्लॉज़ेट से बाहर जाने लगी.पर राजा साहब ने हाथ पकड़ कर उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया & पीछे से उसकी कमर मे हाथ डाल कर खड़े हो गये.
"क्या कर रहे हो?...कमरे मे चलो ना..",मेनका का शर्म से बुरा हाल था.शीशे मे उसका पूरा हुस्न नज़र आ रहा था & पीछे से चिपके उसके ससुर भी.उसे लग रहा था जैसे कोई और उन दोनो को देख रहा हो.
"प्लीज़..यश चलो ना..!"
"क्यू मेरी जान?",राजा साहब उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसके निपल्स मसल रहे थे & उनका मुँह उसकी गर्दन मे था.
"हूमे शरम आती है."उसने 1 हाथ अपने ससुर के बालों मे फिराते हुए कहा.
"अरे अब हमसे कैसी शर्म?",राजा साहब ने उसे थोडा सा अपनी तरफ घूमाते हुए अपने होठ उसकी 1 चूची से लगा दिए.
"ऊओ..ऊवन्न...हह..!",मेनका की आँखे बंद हो गयी & वो अपनी गंद से अपने ससुर के लंड पर रगड़ने लगी.राजा साहब का मुँह उसकी 1 चूची पे,उनका 1 हाथ उसकी दूसरी चूची पे & उनका दूसरा हाथ उसकी चूत पे लग गये थे.मेनका तो जन्नत मे पहुँच गयी थी.उसके ससुर उसके नाज़ुक अंगो को छेड़ रहे थे & खास कर उनकी उंगली तो उसकी चूत को रगड़-2 कर उसे गीली पर गीली किए जा रही थी.
ये सारा नज़ारा दोनो शीशे मे देख और मस्त हो रहे थे.तभी राजा साहब ने उसे आगे झुकाया तो वो ड्रेसिंग टेबल का सहारा ले झुक गयी.उन्होने उसकी कमर पकड़ी & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया & उसे चोदने लगे.मेनका आँहे भरने लगी.चोद्ते हुए उन्होने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाई & उसकी गंद मे लगाने लगे.मेनका समझ गयी कि आज फिर उसकी गांद मारी जाएगी &ये ख़याल आते ही उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.
राजा साहब वैसे ही चोद्ते रहे & थोड़ी देर बाद लंड उसकी चूत से निकाल उसकी गंद मे उतार दिया.उसे हल्का सा दर्द हुआ पर जैसे ही लंड गंद मे उतरा,उसके ससुर ने उसकी चूचिया & चूत को फिर से रगड़ना शुरू कर दिया & उसे दर्द से ज़्यादा मज़ा आने लगा.राजा साहब थोड़ी देर तक उसकी गंद मारते रहे & फिर लंड निकाल कर फिर से चूत मे डाल दिया.काफ़ी देर तक वो ऐसे ही शीशे मे अपनी बहू से नज़रे मिलाते हुए, बारी-2 से उसकी चूत & गंद मरते रहे & इस दौरान मेनका 3 बार और झाड़ गयी.अब उसकी टांगे जवाब दे रही थी.राजा साहब भी ये भाँप गये थे.उन्होने अपना लंड निकाला & उसे गोद मे उठा कमरे मे बिस्तर पे ले गये.
अब मेनका लेटी हुई थी & उसके ससुर उसके उपर चढ़ कर लंड उसकी चूत मे घुसा रहे थे.मेनका ने अपनी टाँगो & बाहों मे अपने ससुर के बदन को कस लिया.अब राजा साहब अपनी बहू को उसी के बिस्तर मे चोद रहे थे.उनका बड़ा लंड उसकी चूत को तेज़ी से चोद्ते हुए उसकी कोख पे चोट कर रहा था.हर चोट पे मेनका के जिस्म मे मज़े की लहर दौड़ जाती & उसकी आह निकल जाती.उसकी कसी चूत की दीवारें भी उसके ससुर के लंड को अपनी पकड़ मे कसे हुए थी.
राजा साहब काफ़ी देर से अपने आंडो मे उमड़ रहे सैलाब को रोके हुए थे & अब उनके धक्कों मे तेज़ी आ रही थी,मेनका भी नीचे से ज़ोर-2 से अपनी कमर हिला रही थी.उसने अपने ससुर के बदन को कस के जाकड़ लिया & बिस्तर से उठती हुई उचक कर उन्हे चूमने लगी,उसकी चूत ने राजा साहब के लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया & पानी छ्चोड़ दिया.जैसे ही वो झड़ी की राजा साहब की कमर भी झटके खाने लगी & उनके लंड ने उसकी चूत को अपने पानी से लबालब भर दिया.मेनका के चेहरे पे खुशी & संतोष का भाव आया & वैसे ही अपने ससुर से लिपटी हुई थकान के मारे नींद की गोद मे चली गयी.
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बेस्कॉम की वॅन रहाब सेंटर के पीछे की दीवार के साथ बने उस सुनसान रास्ते पे खड़ी थी.उसके काले शीशों के अंदर कोई नही देख पता पर अंदर जब्बार & मलिका बैठे थे.रात के 2 बज रहे थे & कल्लन सीधी के सहारे रहाब सेंटर की दीवार पर चढ़ गया था.चढ़ने के बाद उसने सीधी उठा कर सेंटर के अंदर के तरफ लगा दी & उतर गया.उसने सीढ़ी ज़मीन पे लिटा कर रख दी,उस एकमत्रा गार्ड को दूर से वो सीढ़ी कभी नज़र नही आती,वैसे भी वो अपने गेट के कॅबिन से बाहर निकलता था ही नही.
कल्लन चुपके से सेंटर के अंदर जाकर दोनो मंज़िलो पे मरीज़ो के कमरे मे देखने लगा.हर मरीज़ के कमरे मे दीवार पे 1 बोर्ड पे उस मरीज़ का नाम & उसकी केस डीटेल्स लगे थे.दूसरी मंज़िल के चौथे कमरे मे उसकी खोज ख़त्म हो गयी.विश्वा वाहा बेख़बर सो रहा था.कल्लन फ़ौरन वाहा से निकल बिल्डिंग का मुआयना करने लगा,बेसमेंट मे जेनरेटर लगा था पवर बॅकप के लिए.उस जेनरेटर को देखते ही उसके होठों पे मुस्कान खेलने लगी.
वॅन मे बैठे जब्बार से इंतेज़ार मुश्किल हो गया था.वो वक़्त काटने के लिए मलिका के जिस्म से खेलने लगा.उसकी शर्ट के बटन खोल वो उसकी चूचिया चूस रहा था & मलिका उसके पॅंट की ज़िप खोल उसके लंड को हिला रही थी कि तभी वॅन के शीशे पे दस्तक हुई.जब्बार ने अपना लंड अंदर किया & शीशा उतारा,कल्लन था.उसने दरवाज़ा खोला तो वो सीधी वॅन की छत पे चढ़ा अंदर पीछे की सीट पे बैठ गया.
"कुच्छ बात बनी?",जब्बार वॅन स्टार्ट कर शहर की ओर चलने लगा.
"हा,उसका कमरा भी मिल गया & उसे निकालने का रास्ता भी पर सब कल ही करना पड़ेगा."
"ठीक है."
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मेनका की नींद खुली तो देखा कि उसके ससुर उसकी छाती दबाते हुए उसके निपल्स को मसल रहे थे & उन्हे अपनी जीभ से छेड़ रहे थे.उसने अंगड़ाई लेते हुए उन्हे लिटा दिया & उठ कर उनके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.काफ़ी देर तक वो उनके लंड & अंदो को चूमती,चुस्ती रही & फिर उनके उपर चढ़ कर उनका लंड अपनी चूत मे ले लिया & उच्छल-2 कर अपने ससुर को चोदने लगी.
दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष वो फोटो ले कर हर जगह छान-बीन कर रहा था."अरे साहब,ये आदमी तो कुच्छ दिन पहले तक मेरे से माल ले जाता था.पर इधर अचानक गायब हो गया है.मेरे को भी इसकी तलाश है."
"तुझे क्यू?तेरे ग्राहक कम हो गये हैं क्या?",मनीष शहर के 1 पहुँचे हुए ड्रग डीलर से बात कर रहा था.
"नही सर.उपरवाले के करम से धंधा मस्त चल रहा है.पर बात क्या है ना कि ये साला नशेड़ी लगता नही था.मुझे शुरू मे शक़ था,फिर लगा कि नया-2 शौक चढ़ा होगा पत्थे को.पर जब ये गायब हो गया तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये साला मुझसे माल खरीद कर आगे ज़्यादा दाम मे बेचता होगा...मा कसम!मिल जाए तो साले की ऐसी-तैसी कर दूँगा."
"ठीक है.कर देना ऐसी-तैसी.पर उस वक़्त ज़रा मेरा भी ख़याल रखना.मैं भी इस से मिलना चाहता हू.",उसने उसे 1000 का नोट पकड़ाया.
"ओके,सर.",सलाम ठोंक कर वो डीलर चलता बना.
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बॅंगलुर के उस बदनाम इलाक़े की उस तंग गली मे जब्बार & कल्लन चले जा रहे थे.यहा दिन के 12 बजे भी सूरज की रोशनी बड़ी मुश्किल से आ रही थी.दोनो 1 बड़े ख़स्ता हाल कमरे के आगे रुके.उस के दरवाज़े पे 1 काफ़ी पुराना ज़ंग लगा टला लगा था.कल्लन ने 1 झटके मे उस ताले को तोड़ दिया.अंदर चारो तरफ धूल & गंदगी थी.लगता था मानो इस कमरे मे बरसो से कोई इंसान नही आया था.कमरे मे1 अजीब सी बदबू फैली थी & परिंदो ने यहा अपने घोंसले बना लिए थे.
"ये जगह ठीक लगती है.काम होने के बाद हम जब तक यहा से निकलेंगे तब तक के लिए हुमारा राज़ यहा महफूज़ रहेगा."
"हा,आज रात ही काम ख़तम कर कल सवेरे यहा से निकल चलेंगे.",कल्लन ने बाहर आकर कमरे पे 1 नया ताला लगा दिया.गली से निकल कर मैं रोड तक आते हुए उनपर किसी ने कोई खास ध्यान नही दिया.ऐसे लोग यहा हुमेशा ही घूमते नज़र आते थे.
"आज रात.बस आज रात राजा की बर्बादी का आगाज़ हो जाएगा.",जब्बार ने कार मे बैठते हुए अपने आप से कहा.वाहा से निकल दोनो अपने-2 होटेल्स पहुँचे & चेकाउट कर दिया.मलिका भी अपने होटेल से निकल चुकी थी.बेस्कॉम की वो वॅन कवर लगा कर 1 होटेल की बेसमेंट पार्किंग मे खड़ी कर दी गयी थी.तीनो शहर मे अलग-2 घूम कर अपना वक़्त काटने लगे & रात का इंतेज़ार करने लगे.
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हर रात की तरह इस रात भी मेनका & राजा साहब उनके बिस्तर मे 1 दूसरे की बाहों मे नंगे पड़े 1 दूसरे के होंठ चूम रहे थे.राजा साहब के हाथ मेनका की गंद & चूची मसल रहे थे & मेनका उनका लंड हिला रही थी.राजा साहब उसके होठ छ्चोड़ नीचे आए & उसकी 1 चूची को मुँह मे भर लिया & चूसने लगे.
मेनका बहुत गरम हो चुकी थाई.उसने अपने ससुर को अपनी चूची से अलग किया & लिटा दिया & उनकी बगल मे घुटनो पे आके उनका लंड अपने मुँह मे ले लिया.राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसकी गंद पकड़ी & खींच कर उसे अपने उपर ले लिया.अब दोनो 69 पोज़िशन मे थे.मेनका झुक कर अपने ससुर का लंड अपने हाथों मे भर अपने मुँह मे ले रही थी & वो नीचे से अपने हाथों से उसकी कमर पकड़ उसकी चूत को अपनी जीभ पे लगा रहे थे.
उसके ससुर की लपलपाति जीभ ने मेनका की चूत को पानी छ्चोड़ने के लिए विवश कर दिया & वो कमर हिलाती हुई अपने ससुर के लंड को और ज़ोर से पकड़ कर चूसने लगी.वो उनके सूपदे से चूमती हुई नीचे लंड की जड़ तक आती & फिर उनके अंदो को 1-1 कर के अपने मुँह मे भर लेती.फिर जड़ से चूमती हुई वापस उपर सूपदे तक आती & फिर उसे अपने मुँह मे ले चूसने लगती.राजा साहब की जीभ तो लगातार उसकी चूत के दाने कोछेड़ रही थी.बहुत देर तक दोनो ऐसे ही लगे रहे.
फिर राजा साहब उठे & मेनका को घुमा कर अपनी गोद मे बिठा कर उसकी चूत मे नीचे से लंड डाल दिया.अब मेनका अपने ससुर की गोद मे बैठी उनके लंड पे धीरे-2 हिल रही थी,उसकी बाहें उनकी गर्दन मे लिपटी थी & हाथ उनके बालों मे थे,टांगे उसने उनकी कमर पे लपेट रखी थी.राजा साहब भी नीचे से अपनी कमर हिला रहे थे,मेनका को बाहों मे भर वो उसकी पीठ & गंद सहला रहे थे.दोनो के होंठ 1 दूसरे से जुड़े हुए थे.
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कल्लन कल रात की तरह ही सेंटर के अंदर घुसा & सीधा दूसरी मंज़िल पे पहुँच गया.यहा ड्यूटी रूम मे 1 डॉक्टर पड़ा उंघ रहा था.कल्लन विश्वा के कमरे मे पहुँचा,वो गहरी नींद मे था.कल्लन ने अपनी जेब से 1 शीशी निकाल कर उसमे से 1 लिक्विड निकाल अपने रुमाल को भिगोया & फिर वो रुमाल कस के विश्वा की नाक पे दबा दिया.विश्वा थोडा च्चटपटाया पर थोड़ी ही देर मे बेहोश हो गया.विश्वा के रूम मे उसका लॅपटॉप भी पड़ा था.उसकी हालत मे सुधार देखते हुए & उसका मन लगाए रखने के लिए डॉक्टर.पुरन्दारे ने उसे ये रखने की इजाज़त दी थी पर बिना नेट कनेक्षन के.कल्लन ने लॅपटॉप ऑन कर कुच्छ टाइप किया & फिर उसे वैसे ही ओं छ्चोड़ विश्वा के पास गया & उसे अपने कंधे पे उठाया & नीचे की तरफ बढ़ गया.
जब वो नीचे पहली मंज़िल पे पहुँचा तो किसी के आने की आहट सुनाई दी तो वो जल्दी से बगल के 1 कमरे मे घुस गया.वाहा 1 मरीज़ सोया पड़ा था.कल्लन ने दरवाज़े की ओट से देखा,इस फ्लोर का डॉक्टर राउंड लेता हुआ हर कमरे मे देख रहा था & उसी के कमरे की ओर आ रहा था.कल्लन दरवाज़े के पीछे हो गया.अगर डॉक्टर.अंदर आया तो उसके हाथों बेहोश ज़रूर होगा.
तभी दरवाज़ा खुला.विश्वा को अपने दाए कंधे पे उठाए अपना बाया हाथ उसने उपर उठा लिया.अगर डॉक्टर. अंदर आया तो बस गर्दन के पीछे 1 वार पड़ेगा & वो बेहोश हो जाएगा.डॉक्टर.ने दरवाज़ा खोल बाहर से ही झाँका & अंदर सोते हुए मरीज़ को देख दरवाज़ा खींच कर वापस चला गया.कल्लन ने राहत की सांस ली & थोड़ी देर उसी कमरे मे खड़ा रहा.फिर उसने बाहर झाँका,ड्र.अपने ड्यूटी रूम मे चला गया था.
कल्लन नीचे आया & बेसमेंट मे पहुँचा.वाहा 1 कार कवर पड़ा था.उसने विश्वा को उसी कवर मे लपेटा & वही छ्चोड़ दिया.फिर उसने जेनरेटर के कनेक्षन्स निकाल दिए.तभी जब्बार बेस्कॉम की वॅन ले मैन गेट पे पहुँचा,"गार्ड भाई,उधर के कॉलेज हॉस्टिल से कंप्लेंट आई है.वाहा कि बिजली ठीक करने के लिए थोड़ी देर के लिए पूरे फेज़ की लाइट बंद करेंगे.परेशान हो फोन पे कंप्लेंट मत करना,बस 25-30 मिनट का काम है."
"ठीक है,भाई.वैसे भी यहा जेनरेटर है.कोई परेशानी नही होगी.",सेंटर के पास ही 1 इंजिनियरिंग कॉलेज कम हॉस्टिल था & इसके अलावा 2-3 बिल्डिंग्स अंडर कन्स्ट्रक्षन थी.जब्बार वॅन ले आगे बढ़ा & जंक्षन बॉक्स खोल उसने सेंटर की बत्ती काट दी & वन वापस ले कॉलेज की ओर जाने लगा.
जैसे ही वन सेंटर के पास पहुँची वो गार्ड हाथ हिलाता नज़र आया.
"क्या हुआ?"
"अरे भाई,हुमारा जेनरेटर नही चल रहा?"
"अरे,अभी लाइट आ जाएगी.जेनरेटर का क्या करना है."
"देख लो भाई,मरीज़ो को तकलीफ़ हो जाएगी.",गार्ड ने बोला.
"अच्छा भाई.पहले तुम्हारा ही काम करते हैं.गेट खोलो."
वॅन अंदर लगा कर जब्बार उतरा,"कहा है जेनरेटर?"
"वाहा नीचे.",गार्ड नीचे जाने लगा.
"तुम रहने दो.मैं देखता हू.",जब्बार बेसमेंट मे चला गया.
"वॅन खुली है.इसे चुपके से उसमे पहुँचाओ & तुम भी उसमे छिप जाओ."
"ओके.",कल्लन धीरे-2 बाहर पहुँचा,गार्ड गेट के पास घूम रहा था.उस से छिपते हुए कल्लन ने विश्वा को अंदर डाला & खुद भी लेट गया.थोड़ी देर बाद जब्बार जेनरेटर स्टार्ट कर बाहर निकला & वन स्टार्ट कर दी,"हो गया भाई तेरा काम."
"शुक्रिया भाई.",गार्ड ने गेट खोला.इस पूरे दौरान जब्बार ने टोपी पहने हुई थी & अंधेरे की वजह से गार्ड ठीक दे उसका चेहरा नही देख पाया. जब्बार ने वॅन कॉलेज की तरफ घुमाई & फिर पीछे आके दीवार के पास गिरी सीढ़ी उठाई & फिर घुमा कर जंक्षन बॉक्स के पास गया & सेंटर की बिजली कनेक्ट कर दी.
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मेनका अभी भी अपने ससुर की गोद मे उनका लंड अपनी चूत मे लिए बैठी उन्हे चूम रही थी.राजा साहब थोड़ी ही देर पहले झाडे थे पर दोनो का दिल अभी भी नही भरा था.राजा साहब झुक कर उसकी चूचियाँ चूसने लगे तो मेनका मस्त हो कर नीचे से कमर हिलाने लगी.राजा साहब ने उसकी गंद मसालते हुए 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी.मेनका चिहुनक के और ज़ोर से उनके लंड पे उच्छलने लगी.राजा साहब का सोया लंड 1 बार फिर से उनकी बहू की चूत के अंदर फिर से खड़ा हो गया था.वो भी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगे.उन्होने अपने हाथों मे उसकी गंद की फांके भर 1 उंगली उसमे घुसाए हुए उठ कर अपने घुटनो पे बैठ गये & लगे उसे चोदने.मेनका मस्त हो गयी & उनसे लिपट कर चुदाई का मज़ा लेने लगी.राजा साहब झुक कर बारी-2 से उसकी चूचिया & कड़े निपल्स को चूस रहे थे.कमरे मे गीली चूत मे अंदर-बाहर होते लंड की फॅक-फॅक,राजा साहब की भारी साँसे & मेनका की आँहे गूँज रही थी.
मेनका के बदन मे बिजली दौड़ गयी & उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.राजा साहब की बहू उनसे कस के लिपट गयी,वो समझ गयी को वो झाड़ रही है,उन्होने ने भी 2-3 ज़ोरदार धक्के लगाए & उसकी चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.
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विश्वा होश मे आया तो उसने अपने को 1 बाद गंदे कमरे मे कुर्सी पे बँधा पाया.सामने जब्बार,कल्लन & मलिका खड़े थे."तू..?",वो अपने बंधन खोलने की कोशिश करने लगा.
"आराम से कुंवर..",जब्बार ने अपने दोनो साथियो को इशारा किया,"..कुंवर साहब की खातिर शुरू करो.
कल्लन & मालिका ने उसके बँधे हाथो की नसो मे इंजेक्षन्स लगाने शुरू कर दिए.
"नही..नही..मुझे छ्चोड़ दे कामीने..!",विस्वा चिल्लाने लगा तो जब्बार ने उसके मुँह मे कपड़ा ठूंस दिया."लगाते रहो इम्जेक्षन..तब तक जब तक कुंवर साहब भगवान के पास ना पहुँच जाए.."
विश्वा की आँखे ख़ौफ्फ से फैल गयी और कल्लन & मलिका उसे इंजेक्षन लगाते रहे.
थोड़ी ही देर बाद विश्वा बेसूध हो गया.तीनो ने दस्ताने पहने हुए थे & मलिका यूज़ की हुई सरिंजस उठा कर 1 पॅकेट मे रख रही थी.कल्लन विश्वा की नब्ज़ देख रहा था,"..काम हो गया."
"यस!",जब्बार खुशी से चिल्लाया.खोलो इसकी रस्सियाँ & चलो बाहर."
उन्होने विश्वा की लाश गली के 1 नाले के पास गिरा दी & उस कमरे को वैसे ही खुला छ्चोड़ कर अलग-2 रस्तो से बॅंगलुर छ्चोड़ने की तैय्यारि करने लगे.
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सुबह के 4 बज रहे था & राजा साहब अपने पलंग पे लेते थे.उनकी बाई बाँह मेनका की गर्दन के नीचे थी & वो करवट ले उनसे सात उनके होठों को चूम रही थी.उसने अपनी बाई जाँघ अपने ससुर के जिस्म पे इस तरह चढ़ा रखी थी की उनका लंड उसके नीचे दबा था.वो अपने बाए हाथ से उनके सीने के बाल सहला रही थी & राजा साहब अपने दाए हाथ से उसकी बाई जाँघ को.
तभी राजा साहब का मोबाइल बजा,"हेलो...क्या?!!!.."वो चौंक कर उठ बैठे & थोड़ी देर तक फोन सुनते रहे.
"क्या हुआ?",मेनका उठ कर उनके कंधे पे हाथ फेरने लगी.
"विश्वा सेंटर से भाग गया है.बस अपने लॅपटॉप पे मेसेज लिख छ्चोड़ा है कि ड्रग्स की तलब अब उस से बर्दाश्त नही हो रही."
"क्या?",मेनका के माथे पे चिंता की रेखाएँ खींच गयी.
क्रमशः........................
mast menaka paart--9
gataank se aage.....................
Us raat Raja Sahab ne apni bahu ko dobara nahi choda.vo jante the ki abhi uski gand ko & chut ko thoda aaram chahiye tha.vo Menaka ko baahon me bhar kar vaise hi so gaye.
savere menaka ki neend khuli to vo apne sasur ke bistar me,unki baahon me nangi padi thi.vo haule se unke agosh se nikli,unke hothon ko bahut dheere se chuma & closet ke raste apne kamre me chali gayi.
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kallan bangalore pahunch gaya tha & jabbar & menaka ke sath jabbar ke room me baitha tha."bhai,mujhe ye samajh nahi aa raha ki rehab centre ke andar kaise ghusa jaye & raja ke pille ko kaise bahar nikala jaye?tumhe jagah dikha di hai & isne tumhe andar ke sare details bhi de diye hain.",jabbar ne malika ki or ishara kiya,"ab tumhi koi rasta sujhao."
"1 rasta hai par uske liye kuchh cheezon ki zarurat padegi."
"kaun si cheezen?"
"1 BESCOM(bangalore power co.) ki van & uske sath 1 lambi seedhi.agar aaj inka intezam ho jata hai to aaj raat ko main 1 bar centre ke andar jakar vaha ka jaayza lunga & kal raat vishwajeet ko bahar nikal laoonga."
"ok.main koshish karta hu.tab tak tum dono yahi rahna.",jabbar room se bahar chala gaya.
uske nikalte hi malika daudte hue kallan ki baahon me sama gayi & dono 1 dusre ko paglon ki tarah chumne lage.malika use chumte hue uski shirt ke button kholne lagi to kallan uski tight jeans me kasi gand ko dabane laga.malika ne uski shirt utar kar use bistar par dhakel diya & us par chadh kar baith gayi.vo bhukhi sherni ki tarh us par tut padi & uski chhati chumne lagi.
usne khud hi apni shirt utar di,bra usne pehni nahi thi to shirt khulte hi uski chhatiyan kallan ke samne chhalak gayi.usne hath badha kar unhe daboch liya.malika apni gand uske lund pe ragad rahi thi.thodi der tak isi tarah 1 dusre ke jismo ko masalne ke baad dono betabi se uth baithe & 1 dusre ki pant utar di.malika ab puri nangi thi,vahi kallan ab kewal 1 underwear me tha.
dono fir 1 dusre se chipak kar chumne lage.malika ne apna hath kallan ke underwear me dal diya & uske land ko masalne lagi.kallan bhi uski gand ko betahasha ragad raha tha.malika jhuki & uska underwear utar kar fenk diya & uske lund ko apne munh me bhar liya.
ab kallan bed pe ghutno ke bal khada tha & malika uske lund ko chus rahi thi.kallan ne malika ke baalon ko pakda hua tha & kamar hila-2 kar uske munh ko chod raha tha.malika ne 1 hath se uske lund ko pakda hua tha & dusre se apni chut ke dane ko ragad rahi thi.
ab kallan ke liye apne pe kabu rakhna namumkin ho gaya tha.usne malika ko apne lund se alag kiya & use bed par patak kar uski taange phaila di.fir apne lund ko pakad kar 1 hi jhatke me uski chut me utar diya."...aaa...aaahhhhh..!",
thodi der tak vaise hi pade rehne ke baad malika ne fir se apni chut sikod kar uske lund ko chhedna shuru kar diya.apni 1 ungli usne uske gand ke chhed me dal di to kallan bhi fir se garam hone laga.usne fir se apni kamr hilana shuru kar diya,lund fir se sakht hua to uske dhakkon me aur josh aa gaya & malika 1 bar fir chudne lagi.
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dopahar ka waqt tha & menaka raja sahab ke office chamber me unki chair ke bagal me khadi unhe koi file dikha rahi thi.file dekhte-2 raja sahab ne apna baaya hath uski kamar pe laga diya & uski gaand sehlane lage.
"kya kar rahe ho?koi dekh lega.",vo alag hone ke liye chhatpatane lagi to raja saahb ne apni pakad aur mazbut kar di,"..please!chhodo na.",menaka ko bahut dar lag raha tha....kahi koi aa gaya to gazab ho jayega....& uske sasur to bilkul pagal ho gaye the.
"yash,please...abhi nahi...OOOOO...OOOOHHHHHH..!",
"AA...AAAAHHH..!...please...
tabhi darwaze pe dastak hui to vo chhitak kar unse alag ho apni sari thik kar file padhne lagi.raja sahab ne bhi apne baal thik kiye,"come in."
"are aap hain seshadri sahab.aapko knock karne ki kya zarurat hai.",unhone 1 bahut halki si shararati muskan apni bahu ki taraf fenki jise seshadri nahi dekh paye.menaka ne gusse se unhe dekha & fir se file padhne lagi.
"kya hua kunwarani?aap pareshan lag rahi hain.tabiyat to thik hai na?",seshadri menaka se mukhatib hue.
"nahi uncle.tabiyat thodi gadbad lag rahi hai"
"are,tab aap yaha kya kar rahi hain?aapko to ghar jakar aaram karna chahiye.sir,main galat to nahi keh raha."
"nahi,seshadri sahab."
"to main ghar jaoon?",menaka ne badi masumiyat se apne sasur se poochha.
"haa,haa.bilkul."
"ok.",menaka office ke darwaze ki or badh gayi &darwaze pe pahunch kar seshadri ki pith ke upar se apne sasur ko munh chidha diya.raja sahab ko man hi man seshadri pe bahut gussa aa raha tha...agar vo abhi nahi aata to vo menaka ko abhi chod rahe hote.par ab kya kiya ja sakta tha.vo man mar kar seshadri ke laye papers padhne lage.
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raat ko mahal se sare naukar bahar chale gaye to raja sahab ne darwaza band kiya & kewal 1 pajama pehne closet ke raste apni bahu ke closet me pahunch gaye.menaka vaha apni sari utarna shuru hi kar rahi thi ki unhe dekh chanuk padi.
"are ye shubh kaam hume karne do.",raja sahab ne uska aanchal pakad kar khinch diya.
"abhi jao.hume kapde badalne do na.",menaka unke hath se apni sari khinchne lagi.
"fir ye darwaza kyu khula chhoda?",raja sahab ne closet ke secret darwaze ki or ishara kiya.
"ye to kapde change karne ke baad ke liye..",menaka sharma gayi to uske sasur ne use kheench apne seene se laga liya & uske chehre ko haathon me le niharne lage.uska aanchal neeche gir gaya tha & uski blouse me bhari chhatiyan unke baalon bhare seene se dabi hui thi.
"tum kitni khubsurat ho,menaka.hume to yakeen hi nahi hota ki tum sirf humari ho..",menaka ke gaal sharm se laal ho gaye the & aankhen band.raja sahab ne uski band palkon ko & fir gaalon ko chum liya.fir hath uski kamar me daal uske hoth chumne lage.menaka bhi unse lipat gayi & apni jibh unke munh me daal unki jibh se khelne lagi.raja sahab 1 hath aage laye & uski kamar pe atki sari ko khinch diya & fir use uske badan se alag kar diya.
menaka ke hath unki pith par ghum rahe the & vo apni chhatiyan ko unke seene pe halke-2 ragad rahi thi.beech-2 me hath neeche le jakar unke pajame me ghusa vo unki gand pe bhi apne nakhun gada rahi thi.raja sahab ne uske petticoat ko bhi neeche sarka diya.aaj menaka ne panty nahi pehni thi to raja sahab ab uski nangi gaand ko jam ke daba rahe the.uski chut uske sasur ki harkaton se gili hone lagi thi.is bar jab uske hath neeche gaye to unhone unke pajame ko unki gand se neeche utar diya.pajama ghutno tak aaya to usne apni 1 taang uthai & pair se use neeche unki taango se utar kar alag kar diya.
ab raja sahab pure nange the & menaka kewal blouse me thi,dono 1 dusre se chipke 1 dusre ki pith & gand sehlate,apni chhatiyan ragadte chum rahe the.raja sahab ka tana lund unki bahu ki gili chut se sata tha & dono apni-2 kamar hila kar lund & chut ko1 sath ragad rahe the.
raja sahab ne apne hath peechhe le jakar menaka ke blouse ke hook khol diye & use neeche utar diya.menaka ab bilkul garam ho gayi thi,jab raja sahab uske bra ko utarne lage to usne hath neeche kar apni choochiyan nangi karne me unki puri madad ki.ab dono pure nage 1 dusre ke jismo se khel rahe the.
chumte hue raja sahab ki nazar bagal me padi to unhone dekha ki dressing table ke sheeshe me dono ki parchhai nazar aa rahi thi.unhone chumte hue menaka ko ishare se ye dikhaya to vo sharma kar closet se bahar jaane lagi.par raja sahab ne hath pakad kar use sheeshe ke samne khada kar diya & peeche se uski kamar me hath dal kar khade ho gaye.
"kya kar rahe ho?...kamre me chalo na..",menaka ka sharm se bura haal tha.sheeshe me uska pura husn nazar aa raha tha & peechhe se chipke uske sasur bhi.use lag raha tha jaise koi aur un dono ko dekh raha ho.
"pleae..yash chalo na..!"
"kyu meri jaan?",raja sahab uski choochiyan dabate hue uske nipples masal rahe the & unka munh uski gardan me tha.
"hume sharam aati hai."usne 1 hath apne sasur ke baalon me firate hue kaha.
"are ab humse kaisi sharm?",raja sahab ne use thoda sa apni taraf ghumate hue apne hoth uski 1 chhati se laga diye.
"ooo..ooonn...hhhhh..!",menaka ki aankhe band ho gayi & vo apni gand se apne sasur ke lund lo ragadne lagi.raja sahab ka munh uski 1 chhati pe,unka 1 hath uski dusri chhati pe & unka dusra hath uski chut pe lag gaye the.menaka to jannat me pahunch gayi thi.uske sasur uske nazuk ango ko chhed rahe the & khas kar unki ungli to uski chut ko ragad-2 kar use gili par gili kiye ja rahi thi.
ye sara nazara dono sheeshe me dekh aur mast ho rahe the.tabhi raja sahab ne use aage jhukaya to vo dressing table ka sahara le jhuk gayi.unhone uski kamar pakdi & peechhe se apna lund uski chut me pel diya & use chodne lage.menaka aanhe bharne lagi.chodte hue unhone dressing table se cream uthai & uski gand me lagane lage.menaka samajh gayi ki aaj fir uski gaand mari jayegi &ye khayal aate hi uski chut ne pani chhod diya.
raja sahab vaise hi chodte rahe & thodi der bad lund uski chut se nikal uski gand me utar diya.use halka sa dard hua par jaise hi lund gand me utra,uske sasur ne uski chhatiya & chut ko fir se ragadna shuru kar diya & use dard se zyada maza aane laga.raja sahab thodi der tak uski gand marte rahe & fir lund nikal kar fir se chut me dal diya.kafi der tak vo aise hi sheeshe me apni bahu se nazre milate hue, bari-2 se uski chut & gand marte rahe & is dauran menaka 3 bar aur jhad gayi.ab uski taange jawab de rahi thi.raja sahab bhi ye bhaanp gaye the.unhone apna lund nikala & use god me utha kamre me bistar pe le gaye.
ab menaka leti hui thi & uske sasur uske upar chadh kar lund uski chut me ghusa rahe the.menaka ne apni tango & baahon me apne sasur ke badan ko kas liya.ab raja sahab apni bahu ko usi ke bistar me chod rahe the.unka bada lund uski chut ko tezi se chodte hue uski kokh pe chot kar raha tha.har chot pe menaka ke jism me maze ki lahar daud jati & uski aah nikal jati.uski kasi chut ki deewaren bhi uske sasur ke lund ko apni pakad me kase hue thi.
raja sahab kafi der se apne ando me umad rahe sailab ko roke hue the & ab unke dhakkon me tezi aa rahi thi,menaka bhi neeche se zor-2 se apni kamar hila rahi thi.usne apne sasur ke badan ko kas ke jakad liya & bistar se uthti hui uchak kar unhe chumne lagi,uski chut ne raja sahab ke lund ko bilkul jakad liya & pani chhod diya.jaise hi vo jhadi ki raja sahab ki kamar bhi jhatke khane lagi & unke lund ne uski chut ko apne pani se labalab bhar diya.menaka ke chehre pe khushi & santosh ka bhaav aaya & vaise hi apne sasur se lipti hui thakan ke mare neend ki god me chali gayi.
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BESCOM ki van rehab centre ke peechhe ki deewar ke sath bane us sunsan raste pe khadi thi.uske kaale sheeshon ke andar koi nahi dekh pata par andar jabbar & malika baithe the.raat ke 2 baj rahe the & kallan seedhi ke sahare rehab centre ki deewar par chadh gaya tha.chadhne ke bad usne seedhi utha kar centre ke andar ke taraf laga di & utar gaya.usne seedhi zamin pe lita kar rakh di,us ekmatra guard ko dur se vo seedhi kabhi nazar nahi aati,vaise bhi vo apne gate ke cabin se bahar nikalta tha hi nahi.
kallan chupke se centre ke andar jakar dono manzilo pe marizo ke kamre me dekhne laga.har mariz ke kamre me deewar pe 1 board pe us mariz ka naam & uski case details lage the.dusri manzil ke chauthe kamre me uski khoj khatm ho gayi.vishwa vaha bekhabar so raha tha.kallan fauran vaha se nikal building ka muayana karne laga,basement me generator laga tha power backup ke liye.us generator ko dekhte hi uske hothon pe muskan khelne lagi.
van me baithe jabbar se intezar mushkil ho gaya tha.vo waqt kaatne ke liye malika ke jism se khelne laga.uski shirt ke button khol vo uski chhatiyan chus raha tha & malika uske pant ki zip khol uske lund ko hila rhai thi ki tabhi van ke shheshe pe dastak hui.jabbar ne apna lund andar kiya & sheesha utara,kallan tha.usne darwaza khola to vo seedhi van ki chhat pe chadha andar peechhe ki seat pe baith gaya.
"kuchh baat bani?",jabbar van start kar shahar ki or chalne laga.
"haa,uska kamra bhi mil gaya & use nikalne ka rasta bhi par sab kal hi karna padega."
"thik hai."
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menaka ki neend khuli to dekha ki uske sasur uski chhati dabate hue uske nipples ko masal rahe the & unhe apni jibh se chhed rahe the.usne angdai lete hue unhe lita diya & uth kar unke lund ko apne munh me le chusne lagi.kafi der tak vo unke lund & ando ko chumti,chusti rahi & fir unke upar chadh kar unka lund apni chut me le liya & uchhal-2 kar apne sasur ko chodne lagi.
Dushyant Verma ka jasoos Manish vo photo le kar har jagah chhan-been kar raha tha."are sahab,ye aadmi to kuchh din pehle tak mere se maal le jata tha.par idhar achanak gayab ho gaya hai.mere ko bhi iski talash hai."
"tujhe kyu?tere grahak kam ho gaye hain kya?",manish shahar ke 1 pahunche hue drug dealer se baat kar raha tha.
"nahi sir.uparwale ke karam se dhandha mast chal raha hai.par baat kya hai na ki ye sala nashedi lagta nahi tha.mujhe shuru me shaq tha,fir laga ki naya-2 shauk chadha hoga patthe ko.par jab ye gayab ho gaya to mujhe pura yakeen ho gaya ki ye sala mujhse maal kharid kar aage zyada daam me bechta hoga...maa kasam!mil jaye to sale ki aisi-taisi kar dunga."
"theek hai.kar dena aisi-taisi.par us waqt zara mera bhi khayal rakhna.main bhi is se milna chahta hu.",usne use 1000 ka note pakdaya.
"ok,sir.",salam thonk kar vo dealer chalta bana.
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bangalore ke us badnaam ilake ki us tang gali me jabbar & kallan chale ja rahe the.yaha din ke 12 baje bhi suraj ki roshni badi mushkil se aa rahi thi.dono 1 bade khasta haal kamre ke aage ruke.us ke darwaze pe 1 kafi purana zang laga tala laga tha.kallan ne 1 jhatke me us tale ko tod diya.andar charo taraf dhool & gandgi thi.lagta tha mano is kamre me barso se koi insan nahi aaya tha.kamre me1 ajeeb si badbu phaili thi & parindo ne yaha apne ghonsle bana liye the.
"ye jagah thik lagti hai.kaam hone ke baad hum jab tak yaha se niklenge tab tak ke liye humara raaz yaha mehfuz rahega."
"haa,aaj raat hi kaam khatam kar kal savere yaha se nikal chalenge.",kallan ne bahar aakar kamre pe 1 naya tala laga diya.gali se nikal kar main road tak aate hue unpar kisi ne koi khas dhyan nahi diya.aise log yaha humesha hi ghumte nazar aate the.
"aaj raat.bas aaj raat raja ki barbadi ka aaghaz ho jayega.",jabbar ne car me baithte hue apne aap se kaha.vaha se nikal dono apne-2 hotels pahunche & checkout kar diya.malika bhi apne hotel se nikal chuki thi.BESCOM ki vo van cover laga kar 1 hotel ki basement parking me khadi kar di gayi thi.teeno shahar me alag-2 ghum kar apna waqt kaatne lage & raat ka intezar karne lage.
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har raat ki tarah is raat bhi Menaka & Raja Sahab unke bistar me 1 dusre ki baahon me nange pade 1 dusre ke honth chum rahe the.raja sahab ke hath menaka ki gand & chhati masal rahe the & menaka unka lund hila rahi thi.raja sahab uske hoth chhod neeche aaye & uski 1 chhati ko munh me bhar liya & chusne lage.
menaka bahut garam ho chuki thai.usne apne sasur ko apni chhati se alag kiya & lita diya & unki bagal me ghutno pe aake unka lund apne munh me le liya.raja sahab ne hath badha kar uski gand pakdi & khinch kar use apne upar le liya.ab dono 69 position me the.menaka jhuk kar apne sasur ka lund apne hathon me bhar apne munh me le rahi thi & vo neeche se apne hathon se uski kamar pakad uski chut ko apni jeebh pe laga rahe the.
uske sasur ki laplapati jibh ne menaka ki chut ko pani chhodne ke liye vivash kar diya & vo kamar hilati hui apne sasur ke lund ko aur zor se pakad kar chusne lagi.vo unke supade se chumti hui neeche lund ki jad tak aati & fir unke ando ko 1-1 kar ke apne munh me bhar leti.fir jad se chumti hui vapas upar supade tak aati & fir use apne munh me le chusne lagti.raja sahab ki jibh to lagatar uski chut ke dane ko chhed rahi thi.bahut der tak dono aise hi lage rahe.
fir raja sahab uthe & menaka ko ghuma kar apni god me bitha kar uski chut me neeche se lund dal diya.ab menaka apne sasur ki god me baithi unke lund pe dheere-2 hil rahi thi,uski baahen unki gardan me lipti thi & hath unke baalon me the,taange usne unki kamar pe lapet rakhi thi.raja sahab bhi neeche se apni kamar hila rahe the,menaka ko baahon me bhar vo uski pith & gand sehla rahe the.dono ke honth 1 dusre se jude hue the.
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kallan kal raat ki tarah hi centre ke andar ghusa & seedha dusri manzil pe pahunch gaya.yaha duty room me 1 doctor pada ungh raha tha.kallan vishwa ke kamre me pahuncha,vo gehri neend me tha.kallan ne apni jeb se 1 shishi nikal kar usme se 1 liquid nikal apne rumal ko bhigoya & fir vo rumal kas ke vishwa ki naak pe daba diya.vishwa thoda chhatpataya par thodi hi der me behosh ho gaya.vishwa ke room me uska laptop bhi pada tha.uski halat me sudhar dekhte hue & uska man lagaye rakhne ke liye dr.purandare ne use ye rakhne ki ijazat di thi par bina net connection ke.kallan ne laptop on kar kuchh type kiya & fir use vaise hi on chhod vishwa ke paas gaya & use apne kandhe pe uthaya & neeche ki taraf badh gaya.
jab vo neeche pehli manzil pe pahuncha to kisi ke aane ki aahat sunai di to vo jaldi se bagal ke 1 kamre me ghus gaya.vaha 1 mariz soya pada tha.kallan ne darwaze ki ot se dekha,is floor ka doctor round leta hua har kamre me dekh raha tha & usi ke kamre ki or aa raha tha.kallan darwaze ke peechhe ho gaya.agar dr.andar aaya to uske hathon behosh zarur hoga.
tabhi darwaza khula.vishwa ko apne daaye kandhe pe uthaye apna baya hath usne upar utha liya.agar dr. andar aaya to bas gardan ke peechhe 1 vaar padega & vo behosh ho jayega.dr.ne darwaza khol bahar se hi jhanka & andar sote hue mariz ko dekh darwaza khinch kar vapas chala gaya.kallan ne rahat ki sans li & thodi der usi kamre me khada raha.fir usne bahar jhanka,dr.apne duty room me chala gaya tha.
kallan neeche aaya & basement me pahuncha.vaha 1 car cover pada tha.usne vishwa ko usi cover me lapeta & vahi chhod diya.fir usne generator ke connections nikal diye.tabhi jabbar BESCOM ki van le main gate pe pahuncha,"guard bhai,udhar ke college hostel se complaint aayi hai.vaha ki bijli thik karne ke liye thodi der ke liye pure phase ki light band karenge.pareshan ho phone pe complaint mat karna,bas 25-30 min ka kaam hai."
"thik hai,bhai.vaise bhi yaha generator hai.koi pareshani nahi hogi.",centre ke paas hi 1 engineering college cum hostel tha & iske alava 2-3 buildings under construction thi.jabbar van le aage badha & junction box khol usne centre ki batti kaat di & van vapas le college ki or jane laga.
jaise hi van centre ke paas pahunchi vo guard hath hilata nazar aaya.
"kya hua?"
"are bhai,humara generator nahi chal raha?"
"are,abhi light aa jayegi.generator ka kya karna hai."
"dekh lo bhai,marizo ko taklif ho jayegi.",guard ne bola.
"achha bhai.pehle tumhara hi kam karte hain.gate kholo."
van andar laga kar jabbar utara,"kaha hai generator?"
"vaha neeche.",guard neeche jane laga.
"tum rehne do.main dekhta hu.",jabbar basement me chala gaya.
"van khuli hai.ise chupke se usme pahunchao & tum bhi usme chhip jao."
"ok.",kallan dheere-2 bahar pahuncha,guard gate ke paas ghum raha tha.us se chhipte hue kallan ne vishwa ko andar dala & khud bhi let gaya.thodi der baad jabbar generator start kar bahar nikla & van start kar di,"ho gaya bhai tera kaam."
"shukriya bhai.",guard ne gate khola.is pure dauran jabbar ne topi pehne hui thi & andhere ki vajah se guard thik de uska chehra nahi dekh paya. jabbar ne van college ki taraf ghumai & fir peechhe aake deewar ke paas giri seedhi uthai & fir ghuma kar junction box ke paas gaya & centre ki bijli connect kar di.
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menaka abhi bhi apne sasur ki god me unka lund apni chut me liye baithi unhe chum rahi thi.raja sahab thodi hi der pehle jhade the par dono ka dil abhi bhi nahi bhara tha.raja sahab jhuk kar uski choochiyan chusne lage to menaka mast ho kar neeche se kamar hilane lagi.raja sahab ne uski gand masalte hue 1 ungli uski gand ke chhed me dal di.menaka chihunk ke aur zor se unke lund pe uchhalne lagi.raja sahab ka soya lund 1 bar fir se unki bahu ki chut ke andar fir se khada ho gaya tha.vo bhi neeche se apni kamar hilane lage.unhone apne haathon me uski gand ki faanke bhar 1 ungli usme ghusaye hue uth kar apne ghutno pe baith gaye & lage use chodne.menaka mast ho gayi & unse lipat kar chudai ka maza lene lagi.raja sahab jhuk kar bari-2 se uski chhatiyan & kade nipples ko chus rahe the.kamre me gili chut me andar-bahar hote lund ki fach-fach,raja sahab ki bhari saanse & menaka ki aanhe gunj rahi thi.
menaka ke badan me bijli daud gayi & uski chut ne pani chhod diya.raja sahab ki bahu unse kas ke lipat gayi,vo samajh gayi ko vo jhad rahi hai,unhone ne bhi 2-3 zordar dhakke lagaye & uski chut me pani chhod diya.
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vishwa hosh me aaya to usne apne ko 1 bad gande kamre me kursi pe bandha paya.samne jabbar,kallan & mailka khade the."tu..?",vo apne bandhan kholne ki koshish karne laga.
"aaram se kunwar..",jabbar ne apne dono sathiyo ko ishara kiya,"..kunwar sahab ki khatir shuru karo.
kallan & malika ne uske bandhe hatho ki naso me injections lagane shuru kar diye.
"nahi..nahi..mujhe chhod de kamine..!",viswa chillane laga to jabbar ne uske munh me kapda thuns diya."lagate raho imjection..tab tak jab tak kunwar sahab bhagwan ke paas na pahunch jaye.."
vishwa ki aankhe khauff se fail gayi aur kallan & malika use injection lagate rahe.
thodi hi der baad vishwa besudh ho gaya.teeno ne dastane pehne hue the & malika use ki hui syringes utha kar 1 packet me rakh rahi thi.kallan vishwa ki nabz dekh raha tha,"..kaam ho gaya."
"yes!",jabbar khushi se chillaya.kholo iski rassiyan & chalo bahar."
unhone vishwa ki lash gali ke 1 naale ke paas gira di & us kamre ko vaise hi khula chhod kar alag-2 rasto se bangalore chhodne ki taiyyari karne lage.
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subah ke 4 baj rahe tha & raja sahab apne palang pe lete the.unki baayi banh menaka ki gardan ke neeche thi & vo karwat le unse sat unke hothon ko chum rahi thi.usne apni baayi jangh apne sasur ke jism pe is tarah chadha rakhi thi ki unka lund uske neeche daba tha.vo apne baye hath se unke seene ke baal sehla rahi thi & raja sahab apne daye hath se uski baayi jangh ko.
tabhi raja sahab ka mobile baja,"hello...KYA?!!!.."vo chaunk kar uth baithe & thodi der tak phone sunte rahe.
"kya hua?",menaka uth kar unke kandhe pe hath ferne lagi.
"vishwa centre se bhag gaya hai.bas apne laptop pe message likh chhoda hai ki drugs ki talab ab us se bardasht nahi ho rahi."
"kya?",menaka ke mathe pe chinta ki rekhayen khinch gayi.
kramshah......................
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