Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--12

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मस्त मेनका पार्ट--12

गतान्क से आगे......................

रात 9 बजे राजा साहब मेनका & उसके माता-पिता के साथ उनके महल मे बैठे खाना खा रहे थे.उनलोगो ने ज़िद करके राजा साहब को आज रात महल मे रुक कल सुबह राजपुरा जाने के लिए तैय्यार कर लिया था.

खाने के बाद राजा साहब को 1 नौकर उनके लिए तैय्यर किए गये कमरे मे ले आया.थोड़ी ही देर बाद मेनका भी वाहा 1 नौकर के साथ आई,"लाओ ग्लास हमे दो,शंभू.",ग्लास थामा वो नौकर कमरे से बाहर चला गया.

"ये लीजिए दूध पीकर सो जाइए."

राजा साहब ने 1 हाथ बढ़ा ग्लास लिया & दूसरा उसकी कमर मे डाल उसे अपने पास खींच लिया,"हमे ये नही वो दूध चाहिए.",उनका इशारा उसकी छातियो की तरफ था.

"क्या कर रहे हो?कोई आ जाएगा...छ्चोड़ो ना!",मेनका घबरा के उनकी गिरफ़्त से छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी.

"कोई नही आएगा.चलो हमे अपना दूध पिलाओ.",उन्होने उसके 1 गाल पे चूम लिया.

"प्लीज़..यश...!कोई देख लेगा ना!"

"जब तक नही पिलाओगी,नही छ्चोड़ेंगे.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए.

"अच्छा बाबा..पहले ये ग्लास ख़तम करो..जल्दी!",उसने उनके हाथ से ग्लास ले उनके मुँह से लगा दिया.राजा साहब ने 1 घूँट मे ही उसे ख़तम कर दिया.,"चलो अब अपना दूध पिलाओ."

"शंभू!",मेनका ने नौकर को पुकारा.

"जी!राजकुमारी.",नौकर की आवाज़ सुनते ही राजा साहब अपनी बहू से अलग हो गये.

"ये ग्लास ले जाओ.",और उसके पीछे-2 वो भी कमरे से बाहर जाने लगी,दरवाज़े पे रुक के मूड के उसने शरारत से राजा साहब की तरफ देखा & जीभ निकाल कर चिढ़ते हुए अंगूठा दिखाया & चली गयी.राजा साहब मन मसोस कर रह गये.उनका खड़ा लंड उन्हे बहुत परेशान कर रहा था.उसे शांत करने की गाराज़ से वो कमरे से बाहर आ टहलने लगे.तभी उन्हे रानी साहिबा,मेनका की मा आती दिखाई दी.

"क्या हुआ राजा साहब?कोई तकलीफ़ तो नही?"

"जी बिल्कुल नही.सोने के पहले थोड़ा टहलने की आदत है बस इसीलिए यहा घूम रहे हैं....बुरा मत मानीएगा पर ये दावा किसी की तबीयत खराब है क्या?",उन्होने उनके हाथों की तरफ इशारा किया.

"अरे नही,राजा साहब बुरा क्यू मानेंगे.हुमारी नींद की गोलिया हैं,कभी-कभार लेनी पड़ जाती हैं."

इसके बाद थोड़ी सी और बातें हुई & फिर दोनो अपने-2 कमरो मे चले गये पर राजा साहब के आँखों मे नींद कहा थी.जब तक अपनी बहू के अंदर वो 2-3 बार अपना पानी नही गिरा देते थे,उन्हे नींद कहा आती थी.मेनका के जिस्म की चाह कुच्छ ज़्यादा भड़कने लगी तो उन्होने उस पे से ध्यान हटाने के लिए दूसरी बातें सोचना शुरू किया.

वो जब्बार से बदला लेने के बारे मे सोचने लगे.उनका दिल तो कर रहा था की उस नीच इंसान को अपने हाथो से चीर के रख दे पर ऐसा करने से वो क़ानून की नज़रो मे गुनेहगार बन जाते.अगर वो क़ानून का सहारा लेते तो जब्बार शर्तिया बच जाता क्यूकी कोई भी सबूत नही था जोकि उसे विश्वा का कातिल साबित करता.उसे सज़ा देने के लिए उन्हे उसी के जैसी चालाकी से काम लेना होगा,ये उन्हे अच्छी तरह से समझ मे आ गया था.मगर कैसे....वो ऐसी चाल चलना चाहते थे जिस से साँप भी मार जाए & लाठी भी ना टूटे.पहले की बात होती तब शायद वो इतना नही सोचते & अभी तक जब्बार उनके हाथो मर भी चुका होता पर अब मेनका की ज़िंदगी भी उनके साथ जुड़ी थी & वो कोई ऐसा कदम नही उठना चाहते थे जिस से उसे कोई परेशानी उतनी पड़े.उसका ख़याल आते ही उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा.

वो फिर से बेचैन हो उठे.1 बार तो उन्होने सोचा कि लंड को हाथ से ही शांत कर दे पर फिर उनके दिल ने कहा कि लानत है राजा यशवीर सिंग!तुम्हारी दिलरुबा बस चंद कदमो के फ़ासले पे है & तुम खुद को मूठ मार कर शांत करोगे!वो तुरंत उठ खड़े हुए & कमरे से निकल गये.बाहर अंधेरा था,वो दबे पाँव मेनका के कमरे की ओर गये & धीरे से दरवाज़े पे हाथ रखा.

मेनका को भी कहा नींद आ रही थी.उसे अपने ससुर के लंड की ऐसी लत लगी थी की रात होते ही बस वो उनकी मज़बूत बाहों मे क़ैद हो उनसे जम कर चुदवाना चाहती थी.वो बिस्तर पे कर वते बदल रही थी & उसकी बगल मे उसकी मा गहरी नींद मे सो रही थी.उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बावली होने लगी तो वो नाइटी के उपर से ही उसे दबाने लगी.तभी उसकी नज़र दरवाज़े पे गयी जोकि आहिस्ते से खुला & उसे उसमे उसके ससुर नज़र आए.

वो जल्दी से उठ दबे पाँव भागते हुई दरवाज़े पे आई,"क्या कर रहे हो?तुम बिल्कुल पागल हो.जाओ यहा से!मा सो रही हैं यहा.",वो फुसफुसा.

"चले जाएँगे पर तुम भी साथ चलो."

"ऑफ..ओह!तुम सच मे पागल हो गये हो रात मे मा उठ गयी तो क्या होगा?!"

"ठीक है तो हम ही यहा आ जाते हैं.",राजा साहब अंदर आए & दरवाज़ा बंद कर दिया.

"यश..यहा...जाओ ना..मा उठ जाएँगी!"

"नही उठेंगी.नींद की गोलिया उन्हे उठने नही देंगी.",उन्होने उसे बाहों मे भर के चूम लिया.

"नही...प्लीज़..",मेनका कसमसाई पर राजा साहब ने उसे पागलो की तरह चूमना शुरू कर दिया था.चाहिए तो उसे भी यही था पर उसकी मा के कमरे मे होने की वजह से उसे बहुत डर लग रहा था.राजा साहब भी जानते थे कि सब कुच्छ जल्दी करना होगा.उन्होने उसकी नाइटी नीचे से उठा अपने हाथ अंदर घुसा दिए.मेनका ने नाइटी के नीचे कुच्छ भी नही पहना था & अब राजा साहब के हाथों मे उसकी भरी-2 गंद मसली जा रही थी.

उसकी आँखे बंद हो गयी,"..ना..ही..यश..मा...जाग जा..एँ...गी.."

राजा साहब उसे चूमते हुए दीवार से लगे 1 छ्होटे शेल्फ के पास ले गये & उसे उसपे बिठा दिया.उनका 1 हाथ उसकी छातिया दबा रहा था & दूसरा चूत मे घुस गे था.मेनका हवा मे उड़ने लगी.उसने अपनी आँखें खोल अपनी मा की तरफ देखा,वो बेख़बर सो रही थी,उसे बहुत डर लग रहा था पर साथ ही मज़ा भी बहुत आ रहा था.पकड़े जाने का डर उसे 1 अलग तरह का मज़ा दे रहा था.

राजा साहब की उंगलिया उसके चूत के दाने को छेड़ने लगी तो उसकी चूत बस पानी पे पानी छ्चोड़ने लगी.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आहों पे काबू रखा था.उसने भी अपने हाथ राजा साहब के कुर्ते मे घुसा उनकी पीठ नोचना शुरू कर दिया.राजा साहब ने जैसे ही महसूस किया कि मेनका उनके चूत रगड़ने से झाड़ कर पूरी तारह गीली हो चुकी है,उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोल उसे नीचे कर दिया.अब नाइटी उसकी कमर पे थी & उसकी चुचियाँ & चूत नंगे थे.

राजा साहब झुके & उसकी छातिया चूसने लगे,उनका 1 हाथ अभी भी उसकी चूत पे लगा हुआ था.मेनका ने दीवार से टिकाते हुए अपना बदन कमान की तरह मोड़ अपनी छातिया अपने ससुर की तरफ & उभार दी & उनके सर को पकड़ उनपे दबा दिया.उसकी कमर भी हिलने लगी & वो उनके हाथ को चोदने लगी.

तभी उसकी मा ने करवट ली तो मेनका & राजा साहब जहा थे वही रुक गये.मेनका का कलेजा तो उसके मुँह को आ गया & सारा नशा हवा हो गया.दोनो सांस रोके उसकी मा को देख रहे थे.उन्होने फिर करवट ली & इस बार उनकी पीठ उन दोनो की तरफ थी.राजा साहब ने फिर से धीरे-2 अपनी बहू की चूत कुरेदना शुरू कर दिया.मेनका तो शेल्फ से उतर कर वापस सोने की सोच रही थी पर उसके ससुर की इस हरकत ने उसकी चूत की प्यास को फिर से जगा दिया.1 बार फिर राजा साहब उसकी छत पे झुक उसके निपल्स चूसने लगे.

मेनका फिर से गरम हो गयी तो उसने उनके पाजामे मे हाथ डाला तो पाया की राजा साहब ने अपनी झांते साफ कर ली थी.उसे उनपे बहुत प्यार आया & वो लंड को मुट्ठी मे भर हिलाने लगी.राजा साहब के लिए ये इशारा काफ़ी था,उन्होने अपना पाजामा उतार दिया & शेल्फ पे बैठी मेनका की जांघे खोल उनके बीच आए & अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया.मेनका ने अपनी आ उनके कंधे मे दाँत गाड़ा के ज़ब्त की & अपनी टांगे & बाँहे उनके बदन से लिपटा कर अपनी कमर हिला कर उनके साथ चुदाई करने लगी.राजा साहब उसके उरज़ो को दबाते हुए उसके निपल्स अपनी उंगलियो के बीच ले मसल्ते हुए उसे चूमने लगे.

उनका हर धक्का उनके लेंड़ को मेनका की कोख पे मार रहा था & वो बस झाडे चले जा रही थी.राजा साहब का जोश भी अब बहुत बढ़ गया था,वो अब बहुत ज़ोर के धक्के मार रहे थे.चोद्ते-2 उन्होने अपने हाथ नीचे ले जा उसकी गंद को थामा & उसे शेल्फ से उठा लिया.अब मेनका शेल्फ से कुच्छ इंच उपर हवा मे अपने ससुर से चिपकी उनसे चुद रही थी.राजा साहब का लंड उसकी चूत के दाने को रगड़ता हुआ सीधा उसकी कोख पे ऐसे वार कर रहा थी की थोड़ी ही देर मे मेनका झाड़ गयी & अपने ससुर की गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.राजा साहब ने उसे उठाए हुए ही अपनी कमर हिला उसकी चूत को अपने विर्य से भर दिया.

उन्होने उसे वापस शेल्फ पे बिताया & उसके बालों को सहलाते हुए उसके सर को हौले- चूमने लगे.जब मेनका थोडा सायंत हुई तो उसने भी उनके सीने पे हल्के से चूम लिया.राजा साहब ने 1 नज़र उसकी सोई हुई मा पे डाली & फिर उसे बाहों मे भर कर उसके होंठो को चूम लिया.धीरे से अपना सिकुदा लंड उसकी चूत मे से निकाला & फिर उसकी नाइटी उसे वापस पहना दी,फिर अपना पाजामा बाँध लिया & उसे गोद मे उठा कर उसे उसकी मा की बगल मे लिटा दिया.

जैसे ही वो जाने लगे मेनका ने उनके गले मे बाहें डाला अपने उपर खींच कर चूमा & फिर कान मे फुसफुसा,"आइ लव यू."

"आइ लव यू टू.",राजा साहब ने उसके होठों को चूमा & कमरे से बाहर चले गये.

मलिका कमरे मे लेटी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी,जब्बार 2 दीनो से बाहर गया हुआ था & वो 2 दीनो से चूड़ी नही थी.तभी उसका फोन बजा,"हेलो."

"हा,मैं देल्ही मे हू.कल सवेरे 10 बजे तक वापस आऊंगा.",ये जब्बार था.

थोड़ी देर तक बात करने के बाद मलिका ने फोन किनारे रखा & फिर से चूत रगड़ने लगी.वो लंड के लिए पागल हो रही थी.तभी उसे कल्लन का ख़याल आया तो उसने फोन उठा कर उसका नंबर. डाइयल किया.

"हेलो.",कल्लन ने फोन उठाया.

"क्या कर रहा है,ज़ालिम?"

"बस यहा से जाने की तैय्यरी मे हू.",जब्बार ने कल ही कल्लन के अकाउंट मे उसके हिस्से के बाकी पैसे जमा कराए थे.कल्लन का काम हो गया था & अब वो किसी और चक्कर मे 2-3 महीनो के लिए बाहर जा रहा था.

"मुझे यहा तड़प्ता छ्चोड़ कहा जा रहा है?जब्बार देल्ही मे है.यहा आ के मेरी आग बुझा दे ना."

"मैं वाहा आने का चान्स नही ले सकता.अगर किसी ने देख लिया तो सारा भंडा फूटने मे देर नही लगेगी....वैसे तू चाहती है तो तू यहा आ जा.मैं कल चला जाऊँगा.",कल्लन भी मलिका को चोदने का लालच हो आया था.

"अच्छा ठीक है.मैं ही आती हू.वो कमीना तो कल सुबह आएगा.मैं आती हू पर कहा आना है?"

"शहर के चोवोक बाज़ार मे वो 'फियेस्टा' केफे है ना,वही पहुँच जाना.मैं वाहा से तुम्हे अपने घर ले चलूँगा.कितने बजे आओगी?"

"मैं 3 बजे तक 'फियेस्टा' पहुँच जाऊंगी.",उसने दीवार-घड़ी की तरफ देखा.

"ठीक है."

कहते हैं कि शातिर से शातिर मुजरिम से भी 1 ग़लती कर देता है & यहा तो कल्लन ने 3-3 ग़लतिया कर दी थी.पहली ग़लती उसने उस दिन की थी जब बॅंगलुर से आने के बाद मलिका ने उसे फोन किया & उसने उसे अपना शहर का ठिकाना बताया.वो कुच्छ दीनो मे अपने ठिकाने बदल देता था,पर मलिका उस से चुद ने के लिए लगभग उसके हर ठिकाने पे आ चुकी थी.दूसरी ग़लती उसने ये की,कि अपना जाना कल पे टाल दिया.

इन दोनो ग़लतियो का उसे खामियाज़ा नही भुगतना पड़ता अगर वो तीसरी ग़लती नही करता & तीसरी ग़लती थी कि वो चोवोक बाज़ार के मल्टिपलेक्स मे 11:30 बजे का फिल्म शो देखने चला गया.आपको लग रहा होगा कि कल्लन कोई स्कूल स्टूडेंट तो नही है जो बंक मार कर फिल्म देखना उसकी ग़लती हो गयी.पर नही दोस्तो,देखिए कैसे उस फिल्म के चलते कल्लन अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुश्किल मे फँसता है...

दुष्यंत वेर्मा का जासूस मनीष अपनी गर्लफ्रेंड पूजा के साथ फिल्म देख रहा था या यू कहें पूजा को चूमने-चाटने के बीच वो फिल्म भी देख रहा था..."आहह..इंटर्वल होने वाला है,लाइट्स जल जाएँगी.अब छ्चोड़ो ना!",पूजा ने उसे परे धकेल दिया.

"अच्छा बाबा.",तभी लाइट्स जल गयी,"क्या लॉगी कोल्ड ड्रिंक या कॉफी?",मनीष खड़ा होकर नीचे उतरने लगा.उनकी सीट्स सबसे आख़िरी रो की कॉर्नर मे थी.

"कोल्ड ड्रिंक ले आना & पॉपकॉर्न भी."

"ओके."

शो हौसेफुल्ल जा रहा था & रेफ्रेशमेंट काउंटर्स पे भी काफ़ी भीड़ थी.मनीष 1 लाइन मे खड़ा अपनी बारी आने का इंतेज़ार करता हुआ इधर-उधर देख रहा था कि तभी उसकी नज़र साथ वाली लाइन मे खड़े 1 लंबे शख्स पे पड़ी...ये तो वही आदिवासी के मोबाइल की फोटो वाला इंसान लग रहा था जिसकी उसे तलाश थी.इसने अपना हुलिया बदला हुआ है.ये फ्रेंच कट दाढ़ी रख ली है...ये वही है.

पर फिर उसे लगा कि पहले बात कन्फर्म करनी चाहियर.उसने तुरंत दुष्यंत वेर्मा को फोन लगाया,इस केस के बारे मे एजेन्सी मे बस यही दोनो इस केस के बारे मे जानते थे,"सर,मैं मनीष.."&उसने पूरी बात बता दी.

"मनीष,किसी भी तरह उस आदमी का फोटो अपने मोबाइल केमरे से ले के मुझे भेजो.मैं यहा बॉमबे के ऑफीस मे हू.यही से दोनो फोटोस चेक कर के तुम्हे बताता हू."

"मनीष पूजा के साथ फिर से फिल्म देखने लगा.वो शख्स उनसे 3 रो नीचे साथ वाले सीट्स के ब्लॉक की सेंटर कॉर्नर सीट पे बैठा था.मनीष पूजा को बाहों मे भर प्यार कर रहा था पर उसकी नज़र लगातार उस शख्स पे बनी हुई थी.उसका फोन बजा,"एस सर?"

"तुम सही हो मनीष,ये वही इंसान है.अब तुम 1 काम करो.मैं तो वाहा हू नही.अब तुम्हे ही सब संभालना है.मैं अभी यशवीर को खबर करता हू कि वो शहर पहुँचे & तुम साए की तरह इस आदमी के पीछे लगे रहो.मैं यश को तुम्हारा नंबर. भी दे देता हू.ऑफीस फोन करता हू,1 आदमी हॉल के बाहर शो ख़त्म होने के बाद वो किट तुम्हे दे जाएगा.ठीक है.सब काफ़ी सावधानी से संभालना बेटा.इस आदमी को हमे अपनी पकड़ मे लेना है.पोलीस के पास नही जा सकते क्यूकी हुमारे पास 1 भी पुख़्ता सबूत नही है.इसीलिए पहले हमे ही इस से सब उगलवाना होगा.ओके,बेटा.बेस्ट ऑफ लक!"

"थॅंक्स,सर."

"क्या यहा भी काम की बातें कर रहे हो?"

"सॉरी,डार्लिंग.",मनीष ने नाराज़ पूजा को बाहों मे भर के चूमा & उसके टॉप के उपर से ही उसकी चूचिया दबा दी.

"अफ..बदमाश..",पूजा मज़े मे फुसफुसा.दोनो इसी तरह फिल्म ख़त्म होने तक 1 दूसरे से चिपते रहे.

क्रमशः..................


mast menaka paart--12

gataank se aage......................

Raat 9 baje Raja Sahab Menaka & uske mata-pita ke sath unke mahal me baithe khana kha rahe the.unlogo ne zid karke raja sahab ko aaj raat mahal me ruk kal subah rajpura jane ke liye taiyyar kar liya tha.

khane ke baad raja sahab ko 1 naukar unke liye taiyyar kiye gaye kamre me le aaya.thodi hi der baad menaka bhi vaha 1 naukar ke sath aayi,"lao glass hume do,shambhu.",glass thama vo naukar kamre se bahar chala gaya.

"ye lijiye doodh pikar so jaiye."

raja sahab ne 1 hath badha glass liya & dusra uski kamar me dal use apne paas khinch liya,"hume ye nahi vo doodh chahiye.",unka ishara uski chhatiyon ki taraf tha.

"kya kar rahe ho?koi aa jayega...chhodo na!",menaka ghabra ke unki giraft se chhutne ki nakam koshish karne lagi.

"koi nahi aayega.chalo hume apna doodh pilao.",unhone uske 1 gaal pe chum liya.

"please..yash...!koi dekh lega na!"

"jab tak nahi pilaogi,nahi chhodenge.",unhone uske honth chum liye.

"achha baba..pehle ye glass khatam karo..jaldi!",usne unke hath se glass le unke munh se laga diya.raja sahab ne 1 ghunt me hi use khatam kar diya.,"chalo ab apna doodh pilao."

"shambhu!",menaka ne naukar ko pukara.

"ji!rajkumari.",naukar ki aawaz sunte hi raja sahab apni bahu se alag ho gaye.

"ye glass le jao.",aur uske peechhe-2 vo bhi kamre se bahar jane lagi,darwaze pe ruk ke mud ke usne shararat se raja sahab ki taraf dekha & jibh nikal kar chidhate hue angutha dikhaya & chali gayi.raja sahab man masos kar rah gaye.unka khada lund unhe bahut pareshan kar raha tha.use shant karne ki garaz se vo kamre se bahar aa tahalne lage.tabhi unhe rani sahiba,menaka ki maa aati dikhayi di.

"kya hua raja sahab?koi taklif to nahi?"

"ji bilkul nahi.sone ke pehle thoda tahalne ki aadat hai bas isiliye yaha ghum rahe hain....bura mat maniyega par ye dawa kisi ki tabiyat kharab hai kya?",unhone unke hathon ki taraf ishara kiya.

"are nahi,raja sahab bura kyu maanenge.humari neend ki goliya hain,kabhi-kabhar leni pad jaati hain."

iske baad thodi si aur baaten hui & fir dono apne-2 kamro me chale gaye par raja sahab ke aankhon me neend kaha thi.jab tak apni bahu ke andar vo 2-3 bar apna pani nahi gira dete the,unhe neend kaha aati thi.menaka ke jism ki chah kuchh zyada bhadakne lagi to unhone us pe se dhyan hatane ke liye dusri baaten sochna shuru kiya.

vo jabbar se badla lene ke bare me sochne lage.unka dil to kar raha tha ki us neech insan ko apne hatho se cheer ke rakh de par aisa karne se vo kanoon ki nazro me gunehgaar ban jate.agar vo kanoon ka sahara lete to jabbar shartiya bach jata kyuki koi bhi saboot nahi tha joki use vishwa ka kaatil sabit karta.use saza dene ke liye unhe usi ke jaisi chalaki se kaam lena hoga,ye unhe achhi tarah se samajh me aa gaya tha.magar kaise....vo aisi chaal chalna chahte the jis se saanp bhi mar jaye & lathi bhi na tute.pehle ki baat hoti tab shayad vo itna nahi sochte & abhi tak jabbar unke hatho mar bhi chuka hota par ab menaka ki zindagi bhi unke sath judi thi & vo koi aisa kadam nahi uthana chahte the jis se use koi pareshani uthani pade.uska khayal aate hi unka lund fir se khada hone laga.

vo fir se bechain ho uthe.1 baar to unhone socha ki lund ko haath se hi shant kar de par fir unke dil ne kaha ki laanat hai raja yashveer singh!tumhari dilruba bas chand kadmo ke faasle pe hai & tum khud ko muth maar kar shant karoge!vo turant uth khade hue & kamre se nikal gaye.bahar andhera tha,vo dabe paanv menaka ke kamre ki or gaye & dheere se darwaze pe hath rakha.

menaka ko bhi kaha neend aa rahi thi.use apne sasur ke lund ki aisi lat lagi thi ki raat hote hi bas vo unki mazbut baahon me qaid ho unse jam kar chudwana chahti thi.vo bistar pe karwate badal rahi thi & uski bagal me uski maa gehri neend me so rahi thi.uski chut raja sahab ke lund ke liye bawli hone lagi to vo nighty ke upar se hi use dabane lagi.tabhi uski nazar darwaze pe gayi joki ahiste se khula & use usme uske sasur nazar aaye.

vo jaldi se uth dabe paanv bhagte hui darwaze pe aayi,"kya kar rahe ho?tum bilkul pagal ho.jao yaha se!maa so rahi hain yaha.",vo phusphusai.

"chale jayenge par tum bhi sath chalo."

"off..oh!tum sach me pagal ho gaye ho rat me ma uth gayi to kya hoga?!"

"thik hai to hum hi yaha aa jate hain.",raja sahab andar aaye & darwaza band kar diya.

"yash..yaha...jao na..ma uth jayengi!"

"nahi uthengi.neend ki goliya unhe uthne nahi dengi.",unhone use baahon me bhar ke chum liya.

"nahi...please..",menaka kasmasai par raja sahab ne use paaglo ki tarah chumna shuru kar diya tha.chahiye to use bhi yahi tha par uski maa ke kamre me hone ki vajah se use bahut dar lag raha tha.raja sahab bhi jante the ki sab kuchh jaldi karna hoga.unhone uski nighty neeche se utha apne hath andar ghusa diye.menaka ne nighty ke neeche kuchh bhi nahi pehna tha & ab raja sahab ke hathon me uski bhari-2 gand masli ja rahi thi.

uski aankhe band ho gayi,"..na..hi..yash..maa...jag ja..yen...gi.."

raja sahab use chumte hue deewar se lage 1 chhote shelf ke paas le gaye & use uspe bitha diya.unka 1 hath uski chhatiya daba raha tha & dusra chut me ghus gay tha.menaka hawa me udne lagi.usne apni aankhen khol apni maa ki taraf dekha,vo bekhabar so rahi thi,use bahut dar lag raha tha par sath hi maza bhi bahut aa rha tha.pakde jane ka dar use 1 alag tarah ka maza de raha tha.

raja sahab ki ungliya uske chut ke dane ko chhedne lagi to uski chut bas pani pe pani chhodne lagi.badi mushkil se usne apni aahon pe kabu rakha tha.usne bhi apne hath raja sahab ke kurte me ghusa unki pith nochna shuru kar diya.raja sahab ne jaise hi mehsus kiya ki menaka unke chut ragadne se jhad kar puri tarh gili ho chuki hai,unhone hath peechhe le jake uski nighty ka zip khol use neeche kar diya.ab nighty uski kamar pe thi & uski chuchiyan & chut nange the.

raja sahab jhuke & uski chhatiyan chusne laga,unka 1 hath abhi bhi uski chut pe laga hua tha.menaka ne deewar se tikte hue apna badan kaman ki tarah mod apni chhatiya apne sasur ki taraf & ubhar di & unke sar ko pakad unpe daba diya.uski kamar bhi hilne lagi & vo unke hath ko chodne lagi.

tabhi uski maa ne karwat li to menaka & raja sahab jaha the vahi ruk gaye.menaka ka kaleja to uske munh ko aa gaya & sara nasha hawa ho gaya.dono sans roke uski maa ko dekh rahe the.unhone fir karwat li & is bar unki pith un dono ki taraf thi.raja sahab ne fir se dheere-2 apni bahu ki chut kuredna shuru kar diya.menaka to shelf se utar kar vapas sone ki soch rahi thi par uske sasur ki is harkat ne uski chut ki pyas ko fir se jaga diya.1 bar fir raja sahab uski chhatiyon pe jhuk uske nipples chusne lage.

menaka fir se garam ho gayi to usne unke pajame me hath daala to paya ki raja sahab ne apni jhante saaf kar li thi.use unpe bahut pyar aaya & vo lund ko mutthi me bhar hilane lagi.raja sahab ke liye ye ishara kafi tha,unhone apna pajama utar diya & shelf pe baithi menaka ki jaanghe khol unke beech aaye & apna lund uski chut me pel diya.menaka ne apni aah unke kandhe me daant gada ke zabt ki & apni taange & baanhe unke badan se lipata kar apni kamar hila kar unke sath chudai karne lagi.raja sahab uske urozo ko dabate hue uske nipples apni ungliyo ke beech le masalte hue use chumne lage.

unka har dhakka unke lend ko menaka ki kokh pe mar raha tha & vo bas jhade chale ja rahi thi.raja sahab ka josh bhi ab bahut badh gaya tha,vo ab bahut zor ke dhakke mar rahe the.chodte-2 unhone apne hath neeche le ja uski gand ko thama & use shelf se utha liya.ab menaka shelf se kuchh inch upar hawa me apne sasur se chipki unse chud rahi thi.raja sahab ka lund uski chut ke dane ko ragadta hua seedha uski kokh pe aise vaar kar raha thi ki thodi hi der me menaka jhad gayi & apne sasur ki gardan me munh chhupa subakne lagi.raja sahab ne use uthaye hue hi apni kamar hila uski chut ko apne virya se bhar diya.

unhone use vapas shelf pe bithaya & uske baalon ko sahlate hue uske sar ko haule- chumne lage.jab menaka thoda sayant hui to usne bhi unke seene pe halke se chum liya.raja sahab ne 1 nazar uski soyi hui maa pe dali & fir use baahon me bhar kar uske hotho ko chum liya.dheere se apna sikuda lund uski chut me se nikala & fir uski nighty use vapas pehna di,fir apna pajama bandh liya & use god me utha kar use uski maa ki bagal me lita diya.

jaise hi vo jane lage menaka ne unke gale me baahen dala apne upar khinch kar chuma & fir kaan me phusphusai,"i love you."

"i love you too.",raja sahab ne uske hothon ko chuma & kamre se bahar chale gaye.

Malika kamre me leti apni chut me ungli kar rahi thi,jabbar 2 dino se bahar gaya hua tha & vo 2 dino se chudi nahi thi.tabhi uska phone baja,"hello."

"haa,main delhi me hu.kal savere 10 baje tak vapas aaoonga.",ye jabbar tha.

thodi der tak baat karne ke baad malika ne phone kinare rakha & phir se chut ragadne lagi.vo lund ke liye pagal ho rahi thi.tabhi use kallan ka khayal aaya to usne phone utha kar uska no. dial kiya.

"hello.",kallan ne phone uthaya.

"kya kar raha hai,zalim?"

"bas yaha se jane ki taiyyari me hu.",jabbar ne kal hi kallan ke account me uske hisse ke baki paise jama karaye the.kallan ka kaam ho gaya tha & ab vo kisi aur chakkar me 2-3 mahino ke liye bahar ja raha tha.

"mujhe yaha tadapta chhod kaha ja raha hai?jabbar delhi me hai.yaha aa ke meri aag bujha de na."

"main waha aane ka chance nahi le sakta.agar kisi ne dekh liya to sara bhanda phutne me der nahi lagegi....vaise tu chahti hai to tu yaha aa ja.main kal chala jaoonga.",kallan bhi malika ko chodne ka lalach ho aaya tha.

"achha thik hai.main hi aati hu.vo kamina to kal subah aayega.main aati hu par kaha aana hai?"

"shahar ke chowk bazar me vo 'Fiesta' cafe hai na,vahi pahunch jana.main vaha se tumhe apne ghar le chalunga.kitne baje aaogi?"

"main 3 baje tak 'Fiesta' pahunch jaoongi.",usne deewar-ghadi ki taraf dekha.

"thik hai."

kehte hain ki shatir se shatir mujrim se bhi 1 galti kar deta hai & yaha to kallan ne 3-3 galtiya kar di thi.pehli galti usne us din ki thi jab bangalore se aane ke baad malika ne use phone kiya & usne use apna shahar ka thikana bataya.vo kuchh dino me apne thikane badal deta tha,par malika us se chudne ke liye lagbhag uske har thikane pe aa chuki thi.dusri galti usne ye ki,ki apna jana kal pe taal diya.

in dono galtiyo ka use khamiyaza nahi bhugatna padta agar vo teesri galti nahi karta & teesri galti thi ki vo chowk bazar ke multiplex me 11:30 baje ka film show dekhne chala gaya.aapko lag raha hoga ki kallan koi school student to nahi hai jo bunk maar kar film dekhna uski galti ho gayi.par nahi dosto,dekhiye kaise us film ke chalte kallan apni zindagi ki sabse badi mushkil me phansta hai...

dushyant verma ka jasoos manish apni girlfriend pooja ke sath film dekh raha tha ya yu kahen pooja ko chumne-chaatne ke beech vo film bhi dekh raha tha..."aahhh..interval hone wala hai,lights jal jayengi.ab chhodo na!",pooja ne use pare dhakel diya.

"achha baba.",tabhi lights jal gayi,"kya logi cold drink ya coffee?",manish khada hokar neeche utarne laga.unki seats sabse aakhiri row ki corner me thi.

"cold drink le aana & popcorn bhi."

"ok."

show housefull ja raha tha & refreshment counters pe bhi kafi bheed thi.manish 1 line me khada apni bari aane ka intezar karta hua idhar-udhar dekh raha tha ki tabhi uski nazar sath wali line me khade 1 lambe shakhs pe padi...ye to vahi aadivasi ke mobile ki photo wala insan lag raha tha jiski use talash thi.isne apna huliya badla hua hai.ye french cut dadhi rakh li hai...ye vahi hai.

par phir use laga ki pehle baat confirm karni chahiyr.usne turant dushyant verma ko fone lagaya,is case ke bare me agency me bas yehi dono is case ke bare me jante the,"sir,main manish.."&usne puri baat bata di.

"manish,kisi bhi tarah us aadmi ka photo apne mobile cam se le ke mujhe bhejo.main yaha bombay ke office me hu.yahi se dono photos check kar ke tumhe batata hu."

"manish puja ke sath fir se film dekhne laga.vo shakhs unse 3 row neeche sath vale seats ke block ki centre corner seat pe baitha tha.manish puja ko baahon me bhar pyar kar raha tha par uski nazar lagatar us shakhs pe bani hui thi.uska phone baja,"yes sir?"

"tum sahi ho manish,ye vahi insan hai.ab tum 1 kaam karo.main to vaha hu nahi.ab tumhe hi sab sambhalna hai.main abhi yashveer ko khabar karta hu ki vo shahar pahunche & tum saye ki tarah is aadmi ke peechhe lage raho.main yash ko tumahara no. bhi de deta hu.office phone karta hu,1 aadmi hall ke bahar show khatm hone ke baad vo kit tumhe de jayega.thik hai.sab kafi savdhani se sambhalna beta.is aadmi ko hume apni pakad me lena hai.police ke paas nahi ja sakte kyuki humare pas 1 bhi pukhta saboot nahi hai.isiliye pehle hume hi is se sab ugalwana hoga.ok,beta.best of luck!"

"thanks,sir."

"kya yaha bhi kaam ki baaten kar rahe ho?"

"sorry,darling.",manish ne naraz pooja ko baahon me bhar ke chooma & uske top ke upar se hi uski chhatiya daba di.

"uff..badmash..",pooja maze me phusphusai.dono isi tarah film khatm hone tak 1 dusre se chipte rahe.

kramshah..................













आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj















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