Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--13

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मस्त मेनका पार्ट--1

गतान्क से आगे......................

पिक्चर ख़त्म होने ही वाली थी,"पूजा..",मनीष अपनी गर्लफ्रेंड को बाहों मे भरे हुए उसके कान मे फुसफुसाया.

"ह्म्म.."

"वो 3 रो नीचे सेंटर कॉर्नर वाली सीट पे ब्लॅक शर्ट वाला इंसान दिख रहा है?"

"कौन?वो जो हंस रहा है?",पूजा ने मनीष के आगोश मे ही गर्दन घुमा कर देखा.

"हा,वही."

"कौन है वो?"

"1 क्रिमिनल जिसकी मैं तलाश कर रहा था.आज इसे पकड़ने मे मेरी हेल्प करोगी?"

"ये भी कोई पुच्छने की बात है.क्या करना है?"

"मैं अभी निकल कर पार्किंग से बाइक निकलता हू वरना बाद मे बहुत भीड़ हो जाएगी & ये कही हमसे बच के ना निकल जाए.तुम उस सेकुच्छ दूरी पे रह उसके पीछे-2 निकलना & देखना कि ये किस तरफ जाता है.अगर पार्किंग की ओर आता है तो मुझे फोन करना नही तो बस इसके पीछे सावधानी से चलती जाना.मैं बाइक लेकर बाहर मैं गेट पे मिलूँगा."

"ठीक है."

मनीष हॉल से निकल भागता हुआ पार्किंग की ओर जा रहा था कि उसका मोबाइल बजा,"हेलो."

"मनीष,मैं अमीन.किट लाया हू."

"वेरी गुड यार.इधर पार्किंग मे आजा."

थोड़ी ही देर बाद 1 बेल्ट-बॅग जिसमे 1 नाइलॉन की रस्सी,1 हथकड़ी,1 क्लॉत नॅपकिन & ई क्लॉरोफॉर्म की शीशी उसके हाथों मे थी.यही वो किट थी जिसे मनीष ने अपने गले मे लटका लिया & बाइक स्टार्ट कर तुरंत मैं गेट पे पहुँचा.इतनी देर मे शो ख़त्म हो गया था & सारी भीड़ हल्लसे बाहर जा रही थी.गेट पे उसे पूजा दिखी,"मनीष,वो देखो उधर.वो उस ऑटो मे बैठ रहा है.",वो उसके पीछे बैठ गयी & मनीष ने बाइक कल्लन के ऑटो के पीछे लगा दी.

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राजा साहब मेनका के साथ उसके मायके से 11 बजे राजपुरा पहुँचे &सीधा ऑफीस गये.अपने चेंबर मे उन्होने अपनी बहू को हमेशा की तरह बाहों मे भर कर चूमना शुरू कर दिया & उसने भी हमेशा की तरह घबरा कर उनसे छूटने की कोशिश.

"अफ...तुम बिल्कुल पागल हो.... किसी दिन कोई हमे ज़रूर देख लेगा.",उसने उनके बाल पकड़ उनका चेहरा अपनी गर्दन से अलग किया.

"तुम बेकार मे इतना डरती हो.कुच्छ नही होगा.",उनके हाथ उसकी नंगी कमर को सहला रहे थे."घबराव मत.अभी हुमारे पास वक़्त नही है,शहर जाना है अपने वकील से मिलने.कुच्छ ज़रूरी काम है."

"क्या?फिर से जा रहे हो.",मेनका ने गुस्से से पूचछा.

"लो,अभी तो हमे अलग कर रही थी & अब जा रहे हैं तो नाराज़ हो रही हो."

"हम तो यहा ऑफीस मे मना करते हैं.घर पे थोड़े ही ना रोकते हैं.",उसने उनके सीने पे सर रख दिया.

राजा साहब हँसे & उसका चेहरा अपने हाथों मे ले उसके रसीले होंठ चूमने लगे.थोड़ी देर तक दोनो 1 दूसरे को चूमते रहे,फिर राजा साहब ने उसके होतो को आज़ाद किया,"अच्छा,अब चलते हैं."

"जल्दी आना."

"ओके."

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जब दुष्यंत वेर्मा का फोन राजा साहब के पास आया तो वो अपने वकील को अपनी नयी वसीयत जिसमे उन्होने अपना सब कुच्छ मेनका के नाम कर दिया था,लिखवा रहे थे.

"यार..यश ..तेरे कहे मुताबिक केवल मनीष उसके पीछे है.मैं उसकी मदद के लिए किसी और को नही भेज रहा हू.ऐसे काम मे बहुत ख़तरा होता है.तुम कहो तो मैं कुच्छ और लोगो को भी इस काम पे लगा देता हू."

"नही,दुष्यंत.ऐसा नही करना.फ़िक्र मत करो,मनीष को मैं किसी भी तरह के ख़तरे मे नही पड़ने दूँगा.तुम मुझे उसका नंबर. दो,मैं उस से बात कर के आगे की प्लॅनिंग करता हूँ."

"ओके,यश.ये ले उसका नंबर..."

कल्लन का ऑटो 1 ट्रॅफिक सिग्नल पर खड़ा था.उसके 2 गाड़ियाँ पीछे मैन्श & पूजा भी बाइक पे थे,"पूजा.तुम यहा से ऑटो लेकर घर चली जाओ.पता नही ये आदमी कहा जा रहा है.आगे ख़तरा भी हो सकता है."

"मनीष,मुझे बहुत डर लग रहा है.मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी."

"बात समझो,पूजा.मुझे कुच्छ नही होगा.तुम घर जाओ.मैं तुम्हे फोन करूँगा.चलो...वो देखो वो ऑटो खाली है..जाओ."

"मनीष.."

"मुझे कुच्छ नही होगा,डार्लिंग.फ़िक्र मत करो.देखो बत्ती हरी होने वाली है.चलो जल्दी से वो ऑटो पाकड़ो."

"ठीक है.मैं तुम्हारे फोन का इंतेज़ार करूँगी."

मनीष अब अकेला ही कल्लन का पीचछा करने लगा.मोबाइल बजा तो उसने हंडसफ़री ऑन कर दिया,"हेलो."

"हम यशवीर सिंग बोल रहे हैं,मनीष.तुम इस वक़्त कहा हो?"

"नमस्ते,सर.लगता है ये आदमी चोवोक बाज़ार की ओर जा रहा है.मैं बाइक से उसके ऑटो का पीचछा कर रहा हू."

"ठीक है,हम भी वही पहुँचते हैं.",& फोन काट गया.

थोड़ी देर बाद मनीष राजा साहब के साथ उनकी स्कॉर्पियो मे बैठा था,गाड़ी 'फियेस्टा' केफे केसाम्ने खड़ी थी जहा थोड़ी देर पहले कल्लन गया था.थोड़ी देर बाद 1 कार रुकी &मलिका उसमे से उतर कर केफे के अंदर चली गयी.

"सर,ये तो..-"

"हा,मनीष.अब तो शक़ नही पक्का यकीन है कि ये इंसान जब्बार का साथी है & हुमारे बेटे की मौत मे इसका हाथ है.",तभी दोनो केफे से बाहर आकर मलिका की कार मे बैठ कही जाने लगे.मनीष दौड़ कर अपनी बाइक पे चला गया & वो & राजा साहब 1 बार फिर कल्लन का पीचछा करने लगे.मलिका ने कार 1 सस्ते से होटेल के सामने रोक दी & कल्लन के साथ होटल के अंदर चली गयी.

होटेल के कमरे के अंदर मलिका & कल्लन 1 दूसरे के कपड़े उतारते हुए पागलों की तरह चूम रहे थे.."..कितना तदपि हू ज़ालिम तेरे लिए.",मलिका ने कल्लन की पॅंट 1 झटके मे उतार दी & झुक कर उसका लंड अपने मुँह मे भर लिया.कल्लन खड़े-2 ही उसके सर को पकड़ उसका मुँह चोदने लगा.मालिका ने लंड चूस्ते हुए उसकी कमर को अपनी बाहों मे कस लिया & अपनी 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी.

"एयेए..आहह..",कल्लन जोश मे करहा.उसने अपनी कमर और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया.मलिका ने उसका लंड छ्चोड़ दिया & उसे बिस्तर पे धकेल दिया & फिर उसकी छाती पे चढ़ अपनी चूत उसके मुँह पेरख़् दी & 1 बार फिर उसका लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी.कल्लन ने उसकी गंद को मसल्ते हुए अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल दी & लगा उसके दाने को चाटने.

मलिका जोश मे अपनी कमर हिलाने लगी & मस्त होकर आहें भरने लगी.कल्लन ने उसे मज़बूती से थाम रखा था & अपनी जीभ तेज़ी से उसकी चूत मे फिरा रहा था.अचानक मलिका ने अपनी चूत उसके चेहरे पे दबा दी अपने मुँह से लंड निकाल अपना चेहरा उसकी झांतो मे च्छूपा लिया,वो झाड़ गयी थी.कल्लन उसकी चूत के छ्चोड़े पानी को चाट रहा था.मलिका थोड़ा होश मे आई तो उसने उसके लंड को पकड़ ज़ोर-2 सहिलना शुरू कर दिया & लंड के सूपदे को अपनी जीभ से च्छेदने लगी.अब कल्लन की बारी थी,उसकी कमर अपने आप हिलने लगी.मलिका ने उसके अंदो को हाथो मे भर कर दबाया & उसका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया.लंड उसके मुँह से होता हुआ उसके कंठ तक चला गया तो वो मुँह उपर-नीचे कर उसे मुँह से चोदने लगी.

मलिका के हाथो का अंदो पे दबाव & उसके मुँह की हर्कतो ने तुरंत ही कल्लन का पानी निकाल दिया,जिसे मलिका ने खुशी से निगल लिया.थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे,कल्लन उसकी गंद सहलाता रहा & मलिका उसके लंड को हौले- चाटती रही.कुच्छ ही देर मे लंड फिर से खड़ा होने लगा तो मलिका घूम कर अब कल्लन के उपर लेट गयी और उसे चूमने लगी.कल्लन ने उसकी नंगी पीठ & कमर को सहलाने लगा.

उसने उसे बाहों मे भरा & करवट ले उसके उपर चढ़ गया.उसकी गर्दन चूमते हुए उसने अपने हाथों मे उसकी चूचिया भर ली & दबाने लगा.उसने उनके निपल्स को अपनी उंगलियो मे भर कर मसला &फिर 1 चूची को अपने मुँह मे भर लिया 7 दूसरे से उसकी दूसरी चूची मसल्ने लगा.

"..ऊ..ऊओह....और दबा ज़ालिम...और ज़ोर से...अब इस वाली को चूस ना..",उसने अपने हाथो से अपनी 1 चूची उसके मुँह मे डाल दी.

"आनन्न...आनन्नह...हान्न्न..ऐसे ही ..",मलिका ने अपना हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे लगा लिया & घुसाने लगी.कल्लन ने 1 धक्का मारा & लंड आधा अंदर चला गया.,"आईईयईी...",मलिका चीखी.

दूसरे धक्के मे लंड पूरा अंदर चला गया & फिर कल्लन ने उसकी चुदाई शुरू कर दी.दोनो 1 दूसरे से चिपते 1 दूसरे को चूम रहे थे.कल्लन कभी उसके चेहरे तो कभी उसकी चूचियो को चूमता & दबाता & मलिका भी अपने नाखूनओ को उसकी पीठ & गांद मे गादती हुई उसकी किस्सस का जवाब देती.उसने अपनी टांगे उसकी कमर पे लपेट ली थी & कमर हिलाकर उसके धक्कों की ताल से ताल मिलाते हुए चुद रही थी.

धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी & थोड़ी ही देर मे मलिका की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.कल्लन ने जोश मे उसकी 1 चूची पे अपने होंठ कस दिए & उसकी कमर झटके खाने लगी & उसका लंड मलिका की चूत को अपने पानी से भरने लगा.

क्रमशः........................


mast menaka paart--13

gataank se aage......................

Picture khatm hone hi wali thi,"pooja..",manish apni girlfriend ko bahon me bhare hue uske kaan me phusphusaya.

"hmm.."

"vo 3 row neeche centre corner vali seat pe black shirt wala insan dikh raha hai?"

"kaun?vo jo hans raha hai?",pooja ne manish ke agosh me hi gardan ghuma kar dekha.

"haa,wahi."

"kaun hai vo?"

"1 criminal jiski main talash kar raha tha.aaj ise pakadne me meri help karogi?"

"ye bhi koi puchhne ki baat hai.kya karna hai?"

"main abhi nikal kar parking se bike nikalta hu varna baad me bahut bheed ho jayegi & ye kahi humse bach ke na nikal jaye.tum us sekuchh doori pe reh uske peechhe-2 nikalna & dekhna ki ye kis taraf jata hai.agar parking ki or aata hai to mujhe phone karna nahi to bas iske peechhe savdhani se chalti jana.main bike lekar bahar main gate pe milunga."

"thik hai."

manish hall se nikal bhagta hua parking ki or ja raha tha ki uska mobile baja,"hello."

"manish,main amin.kit laya hu."

"very good yaar.idhar parking me aaja."

thodi hi der baad 1 belt-bag jisme 1 nylon ki rassi,1 hathkadi,1 cloth napkin & i chloroform ki shishi uske haathon me thi.yehi vo kit thi jise manish ne apne gale me latka liya & bike start kar turant main gate pe pahuncha.itni der me show khatm ho gaya tha & sari bheed hallse bahar ja rahi thi.gate pe use pooja dikhi,"manish,vo dekho udhar.vo us auto me baith raha hai.",vo uske peechhe baith gayi & manish ne bike kallan ke auto ke peechhe laga di.

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Raja Sahab Menaka ke sath uske mayke se 11 baje rajpura pahunche &seedha office gaye.apne chamber me unhone apni bahu ko hamesha ki tarah baahon me bhar kar chumna shuru kar diya & usne bhi hamesha ki tarah ghabra kar unse chhutne ki koshish.

"uff...tum bilkul pagal ho.... kisi din koi hume zaroor dekh lega.",usne unke baal pakad unka chehra apni gardan se alag kiya.

"tum bekar me itna darti ho.kuchh nahi hoga.",unke hath uski nangi kamar ko sehla rahe the."ghabrao mat.abhi humare paas waqt nahi hai,shahar jana hai apne vakeel se milne.kuchh zaroori kaam hai."

"kya?fir se ja rahe ho.",menaka ne gusse se poochha.

"lo,abhi to hume alag kar rahi thi & ab ja rahe hain to naraz ho rahi ho."

"hum to yaha office me mana karte hain.ghart pe thode hi na rokte hain.",usne unke seene pe sar rakh diya.

raja sahab hanse & uska chehra apne haathon me le uske rasile honth chumne lage.thodi der tak dono 1 dusre ko chumte rahe,fir raja sahab ne uske hotho ko azad kiya,"achha,ab chalte hain."

"jaldi aana."

"ok."

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jab dushyant verma ka phone raja sahab ke paas aya to vo apne vakeel ko apni nayi vasiyat jisme unhone apna sab kuchh menaka ke naam kar diya tha,likhwa rahe the.

"yaar..yash ..tere kahe mutabik kewal manish uske peechhe hai.main uski madad ke liye kisi aur ko nahi bhej raha hu.aise kaam me bahut khatra hota hai.tum kaho to main kuchh aur logo ko bhi is kaam pe laga deta hu."

"nahi,dushyant.aisa nahi karna.fikr mat karo,manish ko main kisi bhi tarah ke khatre me nahi padne dunga.tum mujhe uska no. do,main us se baat kar ke age ki planning karta hun."

"ok,yash.ye le uska no..."

kallan ka auto 1 traffic signal par khada tha.uske 2 gaadiyan peechhe mainsh & puja bhi bike pe the,"puja.tum yaha se auto lekat ghar chali jao.pata nahi ye aadmi kaha ja raha hai.aage khatra bhi ho sakta hai."

"manish,mujhe bahut dar lag raha hai.main tumhare sath hi rahungi."

"baat samjho,puja.mujhe kuchh nahi hoga.tum ghar jao.main tumhe phone karunga.chalo...vo dekho vo auto khali hai..jao."

"manish.."

"mujhe kuchh nahi hoga,darling.fikr mat karo.dekho batti hari hone wali hai.chalo jaldi se vo auto pakdo."

"thik hai.main tumhare phone ka intezar karungi."

manish ab akela hi kallan ka peechha karne laga.mobile baja to usne handsfree on kar diya,"hello."

"hum yashveer singh bol rahe hain,manish.tum is waqt kaha ho?"

"namaste,sir.lagta hai ye aadmi chowk bazar ki or ja raha hai.main bike se uske auto ka peechha kar raha hu."

"thik hai,hum bhi vahi pahunchte hain.",& phone kat gaya.

Thodi der baad manish Raja Sahab ke sath unki scorpio me baitha tha,gadi 'Fiesta' cafe kesaamne khadi thi jaha thodi der pehle kallan gaya tha.thodi der baad 1 car ruki &malika usme se utar kar cafe ke andar chali gayi.

"sir,ye to..-"

"haa,mainsih.ab to shaq nahi pakka yakeen hai ki ye insan jabbar ka sathi hai & humare bete ki maut me iska hath hai.",tabhi dono cafe se bahar aakar malika ki car me baith kahi jane lage.manish daud kar apni bike pe chala gaya & vo & raja sahab 1 baar fir kallan ka peechha karne lage.malika ne car 1 saste se hotel ke samne rok di & kallan ke sath hotyel ke andar chali gayi.

hotel ke kamre ke andar malika & kallan 1 dusre ke kapde utarte hue paaglon ki tarah chum rahe the.."..kitna tadpi hu zalim tere liye.",malika ne kallan ki pant 1 jhatke me utar di & jhuk kar uska lund apne munh me bhar liya.kallan khade-2 hi uske sar ko pakad uska munh chodne laga.malika ne lund chuste hue uski kamr ko apni baahon me kas liya & apni 1 ungli uski gand ke chhed me daal di.

"aaa..aahhh..",kallan josh me karaha.usne apni kamar aur tezi se hilana shuru kar diya.malika ne uska lund chhod diya & use bistar pe dhakel diya & phir uski chhati pe chadh apni chut uske munh perakh di & 1 baar fir uska lund apne munh me le chusne lagi.kallan ne uski gand ko masalte hue apni jibh uski chut me daal di & laga uske dane ko chaatne.

malika josh me apni kamar hilane lagi & mast hokar aahen bharne lagi.kallan ne use mazbuti se tham rakah tha & apni jibh tezi se uski chut me fira raha tha.achanak malika ne apni chut uske chehre pe daba di apne munh se lund nikal apna chehra uski jhaanto me chhupa liya,vo jhad gayi thi.kallan uski chut ke chhode pani ko chaat raha tha.malika thoda hosh me aayi to usne uske lund ko pakad zor-2 sehilana shuru kar diya & lund ke supade ko apni jibh se chhedne lagi.ab kallan ki bari thi,uski kamar apne aap hilne lagi.malika ne uske ando ko haatho me bhar kar dabaya & uska pura lund apne munh me bhar liya.lund uske munh se hota hua uske kanth tak chala gaya to vo munh upar-neeche kar use munh se chodne lagi.

malika ke haatho ka ando pe dabav & uske munh ki harkato ne turant hi kallan ka pani nikal diya,jise malika ne khushi se nigal liya.thodi der tak dono vaise hi pade rahe,kallan uski gand sehlata raha & malika uske lund ko haule- chaatati rahi.kuchh hi der me lund fir se khada hone laga to malika ghum kar ab kallan ke upar let gayi aur use chumne lagi.kallan ne uski nangi pith & kamar ko sehlane laga.

usne use baahon me bhara & karwat le uske upar chadh gaya.uski gardan chumte hue usne apne haathon me uski chhatiyan bhar li & dabane laga.usne unke nipples ko apni ungliyo me bhar kar masla &fir 1 chhati ko apne munh me bhar liya 7 dusre se uski dusri chhati masalne laga.

"..oo..ooohhhh....aur daba zalim...aur zor se...ab is wali ko chus na..",usne apne hatho se apni 1 chhati uske munh me daal di.

"aannn...aannnhhhhh...haannn..aise hi ..",malika ne apna hath neeche le jakar uske lund ko pakad kar apni chut pe laga liya & ghusane lagi.kallan ne 1 dhakka mara & lund aadha andar chala gaya.,"aiiyyee...",malika chikhi.

dusre dhakke me lund pura andar chala gaya & fir kallan ne uski chudai shuru kar di.dono 1 dusre se chipte 1 dusre ko chum rahe the.kallan kabhi uske chehre to kabhi uski choochiyo ko chumta & dabata & malika bhi apne nakhuno ko uski pith & gaand me gadati hui uski kisses ka jawab deti.usne apni taange uski kamar pe lapet li thi & kamar hilakar uske dhakkon ki taal se taal milate hue chud rahi thi.

dhakkon ki raftar badhne lagi & thodi hi der me malika ki chut ne pani chhod diya.kallan ne josh me uski 1 chhati pe apne honth kas diye & uski kamar jhatke khane lagi & uska lund malika ki chut ko apne pani se bharne laga.

kramshah........................












आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj















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