Saturday, May 1, 2010

कलयुग की कहानियाँ -मस्त मेनका पार्ट--14

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मस्त मेनका पार्ट--14

गतान्क से आगे......................

होटेल के बाहर मनीष राजा साहब के साथ उनकी कार मे बैठा उन्हे अपनी किट दिखा रहा था,"..और ये क्लॉरोफॉर्म है सर जिसके सहारे हम टारगेट को बेहोश कर अपने क़ब्ज़े मे ले सकते हैं."

"तुम लोगो को ये सब इस्तेमाल करने की क़ानूनी इजाज़त है या नही?"

"नही,सर.पर इस जैसे लोगो को पकड़ने के लिए ये सब उसे करना पड़ता है.",मनीष मुस्कुराया.

"वो देखिए सर,दोनो बाहर आ रहे हैं...मैं अपनी बाइक पे जाता हू.",मनीष दरवाज़ा खोल कर तेज़ी से अपनी बाइक पे चला गया,उसकी किट वही कार मे छूट गयी थी.

कल्लन & मलिका फिर से उसकी कार मे बैठ कर चल पड़े & उनके पीछे-2 राजा साहब & मनीष.अब उनकी कार शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पे भाग रही थी.राजा साहब ने ड्राइव करते हुए मेनका को फोन लगाया,शाम हो चुकी थी & वो उनका इंतेज़ार कर रही होगी.उन्हे पता नही था कि इस आदमी को पकड़ने मे उन्हे कितना समय लगेगा,"हेलो..हम यशवीर बोल रहे हैं....आज रात हम वापस नही आएँगे."

"ये क्या बात है.मैं यहा तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ & तुम हो कि...बस!आख़िर ऐसा कौन सा काम है वकील साहब से?"

"अरे बाबा,आ गया है ऐसा कुच्छ काम.नाराज़ मत हो,कल सवेरे हम तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे..ठीक है...चलो बाइ!"

उन्होने बात करते हुए भी अपनी निगाह उस कार से नही हटाई थी.1 लेफ्ट टर्न लेते ही वो 1 धार्मिक जुलूस मे जा फँसे.मलिका की कार उस जुलूस के रोड पे आने से पहले ही निकल चुकी थी.राजा साहब ने फुर्ती से अपनी कार 1 साइड की गली मे घुसा दी पर मनीष इतना फुर्तीला नही था.थोड़ी ही देर मे राजा साहब गलियो से होते हुए वापस मैं रोड पे थे.उन्होने कार तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए उस कार को ढूँढना शुरू किया.करीब 3-4 मिनिट के बाद उन्हे वो कार नज़र आ गयी & वो उसके पीछे लग गये.

मनीष ने जैसे-तैसे उस जाम से बाइक निकली पर जैसे ही स्पेड बधाई,बाइक झटके खा के रुक गयी,"शिट!अब इसे क्या हुआ?!!",उसने झट से उतर कर बाइक चेक की पर वो फिर भी स्टार्ट नही हुई.उसने तुरंत राजा साहब को फोन मिलाया,"सर,पहले तो जाम मे फँस गया & अब मेरी बाइक खराब हो गयी है.आप कहा पहुँच गये?"

राजा साहब के दिमाग़ ने तेज़ी से काम किया,आज जब्बार का ये आदमी उनके हाथ मरने वाला था & वो नही चाहते थे कि इस बात का कोई गवाह हो,"मनीष,लगता है वो हमारे हाथ से निकल गया.उस जुलूस की वजह से हमने उन्हे खो दिया.तुम परेशान मत हो,अपनी बाइक ठीक करवा के वापस लौट जाओ.हम भी वापस जा रहे हैं....पर तुम्हारी जितनी भी तारीफ की जाए कम है,बेटे.तुमने कमाल का काम किया था पर शायद उसकी किस्मत उसके साथ है जो वो आज हमारे हाथ नही लगा."

"थॅंक्स,सर.पर अगर वो पकड़ मे आ जाता तब मुझे चैन मिलता."

"कोई बात नही.चलो,अब फोन काट ते हैं.हम ड्राइव कर रहे हैं."

"ओके,सर."

मलिका की कार अब शहर से बाहर 1 ऐसे इलाक़े मे आ गयी थी जो बहुत कम बसा हुआ था.वाहा बस इक्का-दुक्का मकान थे & कुच्छ तो अभी बन ही रहे थे.कोई भी ऐसा घर नही लग रहा था जहा कि पूरा परिवार रहता हो.कार जिस रास्ते पे जा रही थी उसके 1 तरफ बस खाली मैदान था & दूसरी तरफ बस 2 मकान थे & दोनो के बीच करीब 1/2 किमी का फासला था.मलिका की कार अब रोड के आख़िर मे दूसरे मकान के सामने रुक गयी,यही कल्लन का ठिकाना था.

राजा साहब ने 1 किमी पीछे अपनी कर रोड से उतार कर लगाई,किट उठाई & कार से उतर कर पहले मकान के पीछे चले गये & दौड़ते हुए कल्लन के मकान के पिच्छवाड़े पहुँच गये.कार रुकी थी & कल्लन कार से उतर कर ड्राइवर'स साइड पे आ ड्राइविंग सीट पे बैठी मलिका से बात कर रहा था.राजा साहब मकान की बगल मे आ खड़े हो उन्हे छिप कर देखने लगे.

"आज तो बिल्कुल मन नही भरा.तू क्यू जा रहा है?रुक जा ना..सारी रात मज़ा करते हैं."

"फिर कभी.बस1-2 महीनो की बात है.अभी जाना ज़रूरी है.",उसने झुक कर मलिका को चूमा & 1 हाथ उसके टॉप मे डाल कर उसकी छातियो को दबा दिया,"चल अब निकल.."

"तू बहुत ज़ालिम है.",उसने कल्लन का लंड पॅंट के उपर से ही दबाया & कार स्टार्ट कर घुमा दी.उसके जाते ही कल्लन घूम कर अपने घर के दरवाज़े पे आया & ताला खोलने लगा.

"एक्सक्यूस मी,सर.",आवाज़ सुन कर जैसे ही वो घुमा 1 मज़बूत हाथ ने उसकी नाक पे 1 कपड़ा दबा दिया.वो उस आदमी को परे धकेलने लगा पर उसे लग रहा था कि जैसे उसके बदन मे ताकता ही नही है,फिर भी उसने अपना पूरा ज़ोर लगा कर उस आदमी को धकेल दिया.

कल्लन का डील-डौल राजा साहब जैसा ही था & वो उन्ही की तरह ताकतवर भी था.उसके धक्के से राजा साहब गिर पड़े.कल्लन ने पास पड़ी 1 ईंट उठा कर उनपर फेंकी पर वो उसका वार बचा गये & अपनी 1 लात उसकी टाँगो पे मारी,कल्लन चारो खाने चित हो गया तो राजा साहब उसकी छाती पे चढ़ बैठे & क्लॉरोफॉर्म से भीगा नॅपकिन उसकी नाक पे लगा दिया.कल्लन अब पूरी तरह से बेहोश था.

राजा सहब ने उठ कर चारो तरफ देखा-कोई नही था.उन्होने अपनी कमर पे बँधी किट से हथकड़ी निकली & कल्लां को पेट के बाल लिटा कर उसके हाथ पीच्चे लाकर उस से बाँध दिए.फिर वो दौस कर गये & अपनी कार ले आए & कल्लन को उसमे डाल कर वाहा से निकल गये.

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रात के 12 बज रहे थे & मेनका अपने बिस्तर पे पड़ी हुई थी,नींद उसकी आँखो से कोसो दूर थी.उसे राजा साहब की याद सता रही थी.उसने करवट लेकर आँखे बंद कर सोने की कोशिश की तो उसे कल रात की अपने माएके मे हुई उसकी चुदाई याद आ गयी...कैसे उसके ससुर ने उसकी मा के होते हुए उसे पूरी तरह से चोदा था.उनकी चुदाई याद करते ही उसकी चूत मचल उठी & उसने अपनी उंगली उस मे डाल दी.अपनी जांघे 1 साथ रगड़ते हुए वो अपनी चूत मे उंगली अंदर-बाहर करने लगी.उसे अपने बदन पे अब ये नाइटी भी भारी लग रही थी.वो उठी & उसे उतार दिया,फिर 1 बड़े से तकिये से चिपक कर उस पे अपनी छातिया दबाते हुए अपनी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ते हुए अपने जिस्म की आग को ठंडा करने लगी.

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जब कल्लन को होश आया तो उसने खुद को 1 कमरे मे रस्सियों से बँधा हुआ & पूरा नंगा पाया.उसके सामने 1 कुर्सी पे राजा यशवीर बैठे थे.

"आ गया होश,जब्बार के कुत्ते.चल अब भौंकना शुरू कर दे वरना तेरा बहुत बुरा हश्र करूँगा."

"ये धमकी कही और देना राजा.मुझ पे ये सब खोखली बातें असर नही करती."

"अच्छा.ठीक है.",राजा साहब उठे & 1 सिगरेट जला ली.

कल्लन हँसने लगा,"कही भी इस से दाग दो राजा पर मैं अपना मुँह नही खोलूँगा."

राजा साहब उसके सामने आकर बैठ गये & सिगरेट मुँह से निकल कर उसके अंदो पे लगा दी.कल्लन दर्द से चिल्ला उठा."अब मैं तुम्हे भौंकने के लिए नही कहूँगा.बस ऐसे ही बहुत धीरे-2 तुम्हे मौत के पास पहुन्चाउन्गा.1 बात अच्छी तरह से समझ लो,अगर तुमने अपना मुँह नही खोला तो मैं तुम्हे मार दूँगा पर वो मौत इतनी आसान नही होगी.मैं तुम्हे इतना तडपा के मारूँगा कि मौत भी घबरा जाएगी.",& सिगरेट उसके आंडो पे दबा के बुझा दी.फिर वो उठे & बगल की टेबल से 1 चाकू उठा कर फिर उसके सामने बैठ गये.

करीब आधे घंटे के बाद कल्लन 1 पालतू मैना की तरह राजा साहब के सामने गा रहा था.राजा साहब को अब सारी बात पता चल गयी थी,उनके दिल मे बस 1 ही ख़याल था-जब्बार की मौत.वो चाहते थे कि अभी जाकर उसे & मलिका को मौत की नींद सुला दे....पर उनके बाद उनकी मेनका का क्या होता.उन्हे बदला लेना था पर ये सब बड़ी चालाकी से करना होगा ताकि उनपे कोई शक़ भी ना करे & वो मेनका के साथ ज़िंदगी का लुत्फ़ उठा सके.पूरी रात वो यही सोचते रहे & सवेरा होने तक उनके दिमाग़ मे 1 प्लान तैय्यार हो चुका था.

उन्होने कल्लन को बेहोश कर उसे कपड़े पहनाए & बाँध कर कार मे डाला.4:30 बज रहे थे.वो 6 बजे तक मेनका के जागने से पहले महल पहुँच जाना चाहते थे.उन्होने कार अपने शहर के 1 मकान से निकली & दौड़ा दी राजपुरा की ओर.

ड्राइव करते वक़्त उनके दिमाग़ मे विश्वा का ख़याल आ रहा था..इन दरिंदो ने उसकी कमज़ोरी का फ़ायडा उठा कर उनसे बदला लेने के लिए उसकी जान ले ली....वो इन तीनो का बहुत बुरा हाल करेंगे..उनकी कार अब राजपुरा के पहले पड़ने वाली पहाड़ी चढ़ रही थी...इसी रास्ते पे यूधवीर का आक्सिडेंट हुआ था..क्या उसमे भी इन लोगो का हाथ था?यही अगले मोड़ पे उसकी कार नीचे खाई मे जा गिरी थी...जब्बार को मारने से पहले वो इस सवाल का जवाब माँगेंगे....

कल्लन को होश आ गया था.उसने देखा कि वो 1 कार मे है....उसे रात की बात याद आई...राजा अभी भी उसे मार देगा...उसे यहा से निकलना ही होगा.उसके हाथ पीछे ले जाकर रस्सी से बाँधे गये थे & वो बॅक्सीट पे औंधे मुँह पड़ा था.मौत के ख़याल से वो काँप उठा & उचक कर उसने आगे की सीट पे अपने सर से धक्का मारा.राजा साहब अचानक मारे इस धक्के से हिल गये & कार उनके कंट्रोल से थोड़ा बाहर हुई & पहाड़ी के किनारे उतर गयी.कल्लन ने 1 और धक्का मारा तो राजा साहब फिर से हिल गये & कार पहाड़ी से नीचे उतरने लगी.राजा साहब कार कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहे थे कि तभी कार 1 चट्टान से टकराई & मूड कर खाई मे गिर गयी,गिरती कार का पीछे का दरवाज़ा खुला & उसमे से बँधा कल्लन भी कार के साथ नीचे हवा मे गिरने लगा.

थोड़ी देर तक उस पहाड़ी पे सन्नाटा छाया रहा बस चिड़ियो के चाहचाहने की आवाज़ थी & फिर 1 ज़ोर का धमाका हुआ,नीचे खाई मे राजा साहब की कार धू-धू करके जल रही थी.धीरे-धीरे सवेरा हो रहा था पर राजकुल का सूर्या अस्त हो चुका था.

मेनका बुत बनी अपने कमरे मे बैठी हुई थी.आज राजा साहब की मौत को 1 महीना हो गया था.दुनिया की नज़रो मे तो वो उस दिन विधवा हो गयी थी जब विश्वा मरा था पर उसके लिए तो उसका वैधव्य राजा साहब की मौत से शुरू हुआ था.उस मनहूस सुबह जब पोलीस राजा साहब की कार के खाई मे बुरी तरह जाली हालत मे मिलने के बाद महल आई & उसे ये बताया कि कार मे 1 जाली लाश भी है जिसकी शिनाख्त के लिए उसे चलना पड़ेगा तो वो बेहोश हो गयी थी.

होश आने पे वो हॉस्पिटल पहुँची & जब उस लाश को देखा तो उसकी चीख निकल गयी.चेहरा पूरी तरह जल कर खाक हो चुका था & बाकी बदन भी,बस दाएँ हाथ & कलाई का कुच्छ हिस्सा अधजला सा रह गया था जिसपे उसका दिया ब्रेस्लेट अभी भी चमंक रहा था.उसी से उसने राजा साहब की लाश को पहचाना था.उसके बाद क्या हुआ उसे कुच्छ होश नही.उसके माता-पिता फ़ौरन उसके पास पहुँच गये थे & उसकी मा तो अभी भी उसके साथ थी.लोग जो कहते वो बस चुप-चाप करती जाती...किसी ज़िंदा लाश की तरह.

वो 1 हाथ मे राजा साहब का ब्रेस्लेट लिए,कुच्छ काग़ज़ों को देख रही थी,ये वसीयत थी जिसमे राजा साहब ने सारी जायदाद उसके नाम कर दी थी & आज से वो कुँवारानी नही रानी साहिबा हो गयी थी.उसने उन काग़ज़ों को देखा & आज राजा साहब की मौत के बाद पहली बार ऑफीस जाने का फ़ैसला किया.

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राजा साहब की मौत की खबर सुनकर तो जब्बार खुशी से पागल हो गया था.उसने सोचा भी ना था कि बिना उसके कुच्छ किए तक़दीर उसे ऐसा तोहफा देगी.इस वक़्त वो मलिका के साथ कार ड्राइव करता हुआ शंकारगर्ह नाम की जगह से शहर आ रहा था.शंकारगर्ह से शहर का रास्त 1 जंगल से होकर गुज़रता था.आमतौर पे लोग शाम ढलने के बाद उस रास्ते का इस्तेमाल नही करते थे बल्कि थोड़ा घूम कर हाइवे से शहर जाते थे.पर जब्बार को इन सब बातों की कोई फ़िक्र नही थी.ठीक भी था-गुंडे कब से गुणडो से डरने लगे.इस वक़्त शाम के 8 बज रहे थे.

तभी ज़ोर की आवाज़ हुई & जब्बार ने ब्रेक लगाया.उसकी कार का कोई टाइयर पंक्चर हुआ था."धत्त तेरे की!",वो कार से नीचे उतरा & उसके उतरते ही 2 नक़ाबपोश किनारे की झाड़ियो से निकल कर आ खड़े हुए.उनमे से 1 ने जब्बार को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पे चाकू रख दिया & दूसरे ने मलिका को कार से खींच कर उतार दिया.

"सालो,,क्या चाहिए तुम्हे?पैसे?तो लो & निकलो..."

"चुप बेहन्चोद!पहले हम इस माल को लूटेंगे फिर तेरे पैसों के बारे मे सोचेंगे...चल!",उसने मलिका की तरफ इशारा किया & दोनो लुटेरे जब्बार & मलिका को झाड़ियो मे खींच जंगल मे ले गये.1 मलिका को गिरा उसपर सवार हो उसके कपड़े नोचने लगा तो मलिका चिल्लाने लगी.दूसरे ने 1 रस्सी से जब्बार को बाँध दिया & अपने दोस्त के साथ मलिका को नंगी करने मे जुट गया.

तभी झाड़ियों को चीर वाहा 1 और इंसान पहुँचा.उसने दोनो गुणडो को 1-1 हाथ से पकड़ा & मलिका के उपर से खींच लिया.वो 1 सरदार था & उसने उनसे अकेले ही लड़ना शुरू कर दिया.मलिका जैसे ही गुणडो के चंगुल से छूटी तो वो भाग कर जब्बार के पास पहुँची & उसके बंधन खोल दिए.अब जब्बार भी उस सरदार के साथ मिल उन गुणडो की पिटाई करने लगा.थोड़ी ही देर मे गुंडे वाहा से रफूचक्कर हो गये.

"शुक्रिया.",जब्बार हाँफ रहा था.

"ये तो मेरा फ़र्ज़ था.बंदे को रविजित सिंग सोढी कहते हैं.",उस सरदार ने अपनी साँस संभालते हुए जब्बार से हाथ मिलाया.वो कोई 50 साल के आसपास की उम्र वाला लंबी कद-काठी का इंसान था.

"मैं जब्बार सिंग हू."

"आप दोनो मेरे साथ चलिए.शहर से पहले मेरा फार्महाउस है.रात वही गुज़ारिए.",उसने अपने कोट से मलिका के फटे कपड़ो से नुमाया हो रहे जिस्म को ढँक दिया.

"आपको खम्खा तकलीफ़ होगी."

"बिल्कुल भी नही.आइए,बैठिए...& अपनी कार की चिंता मत करिए.अभी थोड़ी देर मे अपने ड्राइवर & नौकरों से इसे मंगवा लेंगे."

कोई 1 घंटे बाद दोनो रविजित सिंग सोढी के साथ उसके फार्महाउस के ड्रॉयिंग रूम मे बैठे थे,मलिका 1 कमरे मे आराम कर रही थी.

"तो आप क्या करते हैं,जब्बार साहब?",उसने विस्की का 1 ग्लास बढ़ाया.

"मैं प्रॉपर्टी डीलर हू.और आप?",जब्बार ने ग्लास लेते हुए पूचछा.

"मैं तो एनआरआइ हू.जॅमेका मे मेरा बिज़्नेस है..",पेग ख़त्म कर वो दुबारा अपना ग्लास भर रहा था.

थोड़ी ही देर मे दोनो शराब के नशे मे खुल कर बातें करने लगे.

"उपरवाले का भी अजीब ढंग है,जब्बार साहब.पहले तो इंसान के दिल मे किसी चीज़ की चाह जगाता है & जब इंसान मेहनत-मशक्कत के बाद उस चीज़ को पाने के काबिल हो जाता है तो उपरवाला उस चीज़ का वजूद ही मिटा देता है.पिच्छले 26 सालों से मैं बस 1 ही मक़सद के लिए काम कर रहा था & आज जब उसे पूरा करने आया तो...."

"तो क्या,सोढी साहब?

"छ्चोड़िए.आप राजपुरा से हैं ना?"

"जी."

"तो आपको मेरी बात बुरी लग सकती है."

"क्यू?"

"क्यूकी जिस ख़ानदान की बात मे कर रहा हू,उसे आपके गाओं मे भगवान की तरह पूजा जाता है."

"आप राजकुल की बात कर रहे हैं?"

"जी,हाँ.राजकुल!जिसने मेरी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ दिया."

"सोढी साहब,यकीन मानिए,जितनी नफ़रत आपके दिल मे उस परिवार के लिए है,उस से कही ज़्यादा मेरे सीने मे है."

"क्या?"

"जी,हाँ.सोढी साहब & अगर आप मुझे इतने भरोसे के काबिल समझते हैं कि आपका दर्द बाँट साकु तो मैं आपको अभी भी उस परिवार से बदला लेने की तरकीब बता सकता हू."

"ठीक है,जब्बार साहब.वैसे भी ये कोई बहुत गहरा राज़ नही है.आज से 26 साल पहले मैं राजपुरा आया था.मैं 1 बहुत ग़रीब परिवार से हू.पॉलिटेक्निक से पढ़ने के बाद मेरी नौकरी राजकुल शुगर मिल मे लगी.रहने के लिए वही गाओं मे 1 फ़ौजी के घर मे 1 कमररा ले लिया.फ़ौजी कभी-कभार ही घर आता था & यहा केवल उसकी बीवी रहती थी.वो बला की खूबसूरत थी.मैं नौजवान था & वो भी मर्द के जिस्म के लिए तड़पति रहती थी.थोड़े ही दीनो मे हुमारे ताल्लुक़ात बन गये.बात केवल जिस्मो की आग बुझाने से शुरू हुई थी पर जल्द ही हम 1 दूसरे को दिल-ओ-जान से चाहने लगे..",उसने ग्लास खाली कर दिया.

"..कहते हैं ना कि इश्क़ & मुश्क च्छुपाए नही च्छुपते.हुमारे इश्क़ की खबर भी फैल गयी & जब फ़ौजी आया तो उसने हुंगमा शुरू कर दिया.उसकी बीवी मेरे साथ जाना चाहती थी & मैं भी उसे ले जाने को तैय्यार था.पर बात फ़ौजी की आन की थी,वो सीधा राजा यशवीर के बाप राजा सूर्यप्रताप के पास फर्याद लेकर पहुँच गया & उसने अपना हुक्म सुना दिया.मुझे नौकरी से निकाल कर गाओं से बाहर फिकवा दिया.इतना ही नही,मुझे आवारा घोषित कर दिया & इस वजह से मुझे कही और नौकरी नही मिली."

"काई महीनो तक मैं खाक छानता रहा & फिर किसी ने मुझे जॅमेका मे 1 नौकरी दिलवाई.वाहा पहुँच कर मैने अपनेआप को हर तरह से मज़बूत कर लिया केवल 1 बात के लिए-मुझे सूर्यपरताप के बेटे यशवीर को उसके बाप के किए की सज़ा देनी थी,पर आया तो पता चला कि वो कार आक्सिडेंट मे मारा गया."

"अब बताइए अपनी तरकीब?"

"सोढी साहब.आप राजकुल की मिल्स क्यू नही खरीद लेते?आप पैसे लगाइए मैं उसे यहा चलाऊँगा.पार्ट्नरशिप कर लेते हैं & हर महीने आपको मुनाफ़े की रकम मिलती जाएगी.मेरे दिल को तो इसी बात से सुकून मिलता रहेगा कि राजा की मिल्स मेरे हाथों मे हैं."

"पर क्या मिल्स बिकाउ हैं?"

"अगर नही हैं तो हो जाएँगी.उसकी आप फ़िक्र मत करो."

"जब्बार भाई,आपने अभी तक अपनी कहानी नही सुनाई."

"सुनाउन्गा,सोढी साहब.ज़रूर सुनाउन्गा.वक़्त आने दीजिए.आपने हमे अपना राज़दार बनाया है तो मैं भी वादा निभाऊँगा."

"ठीक है.मैं भी आप पे भरोसा करता हू.",दोनो ने हाथ मिलाया.

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मेनका का दिल अब कही भी नही लगता था.ऑफीस मे उसने मन लगाने की बहुत कोशिश की पर उसमे कामयाब नही हुई.ऑफीस आते हुए 15-20 दिन गुज़र गये थे पर उसे सब बोझ जैसा लगता था.वो ऐसे ही कुर्सी पे बैठी काग़ज़ उलट-पलट रही थी & बीते दीनो को याद कर रही थी.....वो जब डील साइन करने उनके साथ गयी थी तो उनकी बहू बनकर & लौटी उनके दिल की रानी बनकर.वो होटेल के कमरे मे दोनो की पहली रात....फिर यहा....& तभी उसके दिमाग़ मे एरपोर्ट पे सपरू साहब से हुई मुलाकात का ख़याल आया.

सपरू साहब.हाँ..क्यू ना वो मिल्स मे अपना हिस्सा उन्हे बेच दे.फिर वो यहा से शहर रहने चली जाएगी.राजपुरा तो अब उसे काटने को दौड़ता था.उसने तुरंत सेशाद्री साहब से बात की.उन्हे भी ख़याल अच्छा लगा.मेनका काम पे ठीक से ध्यान दे नही रही थी & इस से अभी तक तो नुकसान नही हुआ पर आगे हो सकता था.दोनो ने जर्मन पार्ट्नर्स से बात की तो वो भी राज़ी हो गये.

मेनका फ़ौरन अपनी मा के साथ देल्ही रवाना हो गयी.वाहा सपरू साहब के सामने जब उसने अपना प्रपोज़ल रखा तो मानो उन्हे मुँह माँगी मुराद मिल गयी.देल्ही से वापस आते हुए मेनका की मा अपने घर चली गयी & मेनका शाम ढले राजपुरा पहुँची.


क्रमशः...................


mast menaka paart--14

gataank se aage......................

Hotel ke bahar manish Raja Sahab ke sath unki car me baitha unhe apni kit dikha raha tha,"..aur ye chloroform hai sir jiske sahare hum target ko behosh kar apne kabze me le sakte hain."

"tum logo ko ye sab istemal karne ki kanooni ijazat hai ya nahi?"

"nahi,sir.par is jaise logo ko pakadne ke liye ye sab use karna padta hai.",manish muskuraya.

"vo dekhiye sir,dono bahar aa rahe hain...main apni bike pe jata hu.",manish darwaza khol kar tezi se apni bike pe chala gaya,uski kit vahi car me chhut gayi thi.

kallan & malika fir se uski car me baith kar chal pade & unke peechhe-2 raja sahab & manish.ab unki car shahar se bahar jane wale raste pe bhag rahi thi.raja sahab ne drive karte hue Menaka ko phone lagaya,sham ho chuki thi & vo unka intezar kar rahi hogi.unhe pata nahi tha ki is aadmi ko pakadne me unhe kitna samay lagega,"hello..hum yashveer bol rahe hain....aaj raat hum vapas nahi aayenge."

"ye kya baat hai.main yaha tumhara intezar kar rahi hun & tum ho ki...bas!aakhir aisa kaun sa kaam hai vakil sahab se?"

"are baba,aa gaya hai aisa kuchh kaam.naraza mat ho,kal savere hum tumhare paas pahunch jayenge..thik hai...chalo bye!"

unhone baat karte hue bhi apni nigah us car se nahi hatai thi.1 left turn lete hi vo 1 dharmik julus me jaa phanse.malika ki car us julus ke road pe aane se pehle hi nikal chuki thi.raja sahab ne furti se apni car 1 side ki gali me ghusa di par manish itna furtila nahi tha.thodi hi der me raja sahab galiyo se hote hue vapas main road pe the.unhone car tezi se aage badhaate hue us car ko dhoondhna shuru kiya.karib 3-4 minute ke baad unhe vo car nazar aa gayi & vo uske peechhe lag gaye.

manish ne jaise-taise us jam se bike nikali par jaise hi sped badhayi,bike jhatke kha ke ruk gayi,"shit!ab ise kya hua?!!",usne jhat se utar kar bike check ki par vo phir bhi start nahi hui.usne turant raja sahab ko phone milaya,"sir,pehle to jam me phans gaya & ab meri bike kharab ho gayi hai.aap kaha pahunch gaye?"

raja sahab ke dimagh ne tezi se kaam kiya,aaj jabbar ka ye aadmi unke haath marne wala tha & vo nahi chahte the ki is baat ka koi gawah ho,"manish,lagta hai vo humare hath se nikal gaya.us julus ki wajah se humne unhe kho diya.tum pareshan mat ho,apni bike thik karwa ke vapas laut jao.hum bhi vapas jaa rahe hain....par tumhari jitni bhi tareef ki jaye kam hai,bete.tumne kamal ka kaam kiya tha par shayad uski kismat uske sath hai jo vo aaj humare haath nahi laga."

"thanks,sir.par agar vo pakad me aa jata tab mujhe chain milta."

"koi baat nahi.chalo,ab phone kaat te hain.hum drive kar rahe hain."

"ok,sir."

malika ki car ab shahar se bahar 1 aise ilake me aa gayi thi jo bahut kam basa hua tha.waha bas ikka-dukka makan the & kuchh to abhi ban hi rahe the.koi bhi aisa ghar nahi lag raha tha jaha ki pura parivar rehta ho.car jis raste pe ja rahi thi uske 1 taraf bas khali maidan tha & dusri taraf bas 2 makan the & dono ke beech kareeb 1/2 km ka faasla tha.malika ki car ab road ke aakhir me dusre makan ke samne ruk gayi,yahi kallan ka thikana tha.

raja sahab ne 1 km peechhe apni kar road se utar kar lagayi,kit uthai & car se utar kar pahle makan ke peechhe chale gaye & daudte hue kallan ke makan ke pichhwade pahunch gaye.car ruki thi & kallan car se utar kar driver's side pe aa driving seat pe baithi malika se baat kar raha tha.raja sahab makan ki bagal me aa khade ho unhe chhip kar dekhne lage.

"aaj to bilkul man nahi bhara.tu kyu ja raha hai?ruk ja na..sari raat maza karte hain."

"phir kabhi.bas1-2 mahino ki baat hai.abhi jana zaruri hai.",usne jhuk kar malika ko chuma & 1 hath uske top me daal kar uski chhatiyon ko daba diya,"chal ab nikal.."

"tu bahut zalim hai.",usne kallan ka lund pant ke upar se hi dabaya & car start kar ghuma di.uske jate hi kallan ghum kar apne ghar ke darwaze pe aaya & tala kholne laga.

"excuse me,sir.",aavaz sun kar jaise hi vo ghuma 1 mazbut hath ne uski naak pe 1 kapda daba diya.vo us aadmi ko pare dhakelne laga par use lag raha tha ki jaise uske badan me taakata hi nahi hai,fir bhi usne apna pura zor laga kar us aadmi ko dhakel diya.

kallan ka deel-daul raja sahab jaisa hi tha & vo unhi ki tarah taakatwar bhi tha.uske dhakke se raja sahab gir pade.kallan ne paas padi 1 eent utha kar unpar fenki par vo uska vaar bacha gaye & apni 1 laat uski taango pe mari,kallan chaaro khane chit ho gaya to raja sahab uski chhati pe chadh baithe & chloroform se bheega napkin uski naak pe laga diya.kallan ab puri tarah se behosh tha.

raja sahb ne uth kar charo taraf dekha-koi nahi tha.unhone apni kamar pe bandhi kit se hathkadi nikali & kallan ko pet ke bal lita kar uske hath peechhe lakar us se baandh diye.fir vo daus kar gaye & apni car le aaye & kallan ko usme daal kar vaha se nikal gaye.

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raat ke 12 baj rahe the & menaka apne bistar pe padi hui thi,neend uski aankho se koso dur thi.use raja sahab ki yaad sata rahi thi.usne karwat lekar aankhe band kar sone ki koshish ki to use kal raat ki apne maayeke me hui uski chudai yaad aa gayi...kaise uske sasur ne uski maa ke hote hue use puri tarah se choda tha.unki chudai yad karte hi uski chut machal uthi & usne apni ungli us me daal di.apni jaanghe 1 sath ragadte hue vo apni chut me ungli andar-bahar karne lagi.use apne badan pe ab ye nighty bhi bhaari lag rahi thi.vo uthi & use utar diya,fir 1 bade se takiye se chipak kar us pe apni chhatiyan dabate hue apni chut ke daane ko apni ungli se ragadte hue apne jism ki aag ko thanda karne lagi.

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jab kallan ko hosh aaya to usne khud ko 1 kamre me rassiyon se bandha hua & pura nanga paaya.uske saamne 1 kursi pe raja yashveer baithe the.

"aa gaya hosh,jabbar ke kutte.chal ab bhaunkana shuru kar de varna tera bahut bura hashra karunga."

"ye dhamki kahi aur dena raja.mujh pe ye sab khokhli baaten asar nahi karti."

"achha.thik hai.",raja sahab uthe & 1 cigarette jala li.

kallan hansne laga,"kahi bhi is se daag do raja par main apana munh nahi kholunga."

raja sahab uske saamne aakar baith gaye & cigarette munh se nikal kar uske ando pe laga di.kallan dard se chilla utha."ab main tumhe bhaunkne ke liye nahi kahunga.bas aise hi bahut dheere-2 tumhe maut ke paas pahunchaunga.1 baat achhi tarah se samajh lo,agar tumne apna munh nahi khola to main tumhe maar dunga par vo maut itni aasan nahi hogi.main tumhe itna tadpa ke maaroonga ki maut bhi ghabra jaayegi.",& cigarette uske ando pe daba ke bujha di.phir vo uthe & bagal ki table se 1 chaku utha kar fir uske saamne baith gaye.

kareeb aadhe ghante ke baad kallan 1 paltu maina ki tarah raja sahab ke saamne ga raha tha.raja sahab ko ab sari baat pata chal gayi thi,unke dil me bas 1 hi khayal tha-jabbar ki maut.vo chahte the ki abhi jakar use & malika ko maut ki neend sula de....par unke baad unki menaka ka kya hota.unhe badla lena tha par ye sab badi chalaki se karna hoga taaki unpe koi shaq bhi na kare & vo menaka ke sath zindagi ka lutf utha sake.puri rat vo yehi sochte rahe & savera hone tak unke dimagh me 1 plan taiyyar ho chuka tha.

unhone kallan ko behosh kar use kapde pahnaye & baandh kar car me daala.4:30 baj rahe the.vo 6 baje tak menaka ke jagne se pahle mahal pahunch jana chahte the.unhone car apne shahar ke 1 makan se nikali & dauda di rajpura ki or.

drive karte waqt unke dimagh me vishwa ka khayal aa raha tha..in darindo ne uski kamzori ka faayda utha kar unse badla lene ke liye uski jaan le li....vo in teeno ka bahut bura haal karenge..unki car ab rajpura ke pehle padne vali pahadi chadh rahi thi...isi raste pe yudhvir ka accident hua tha..kya usme bhi in logo ka hatha tha?yahi agle mod pe uski car neeche khai me ja giri thi...jabbar ko maarne se pehle vo is sawal ka jawab maangenge....

kallan ko hosh aa gaya tha.usne dekha ki vo 1 car me hai....use raat ki baat yaad aayi...raja abhi bhi use maar dega...use yaha se nikalna hi hoga.uske hath peeche le jakar rassi se baandhe gaye the & vo backseat pe aundhe munh pada tha.maut ke khayal se vo kaanp utha & uchak kar usne aage ki seat pe apne sar se dhakka mara.raja sahab achanak mare is dhakke se hil gaye & car unke control se thoda bahar hui & pahadi ke kinare utar gayi.kallan ne 1 aur dhakka mara to raja sahab fir se hil gaye & car pahadi se neeche utarne lagi.raja sahab car control karne ki naakam koshish kar rahe the ki tabhi car 1 chattan se takrayi & mud kar khaayi me gir gayi,girti car ka peeche ka darwaza khula & usme se bandha kallan bhi car ke sath neeche hawa me girne laga.

thodi der tak us pahadi pe sannata chhaya raha bas chidiyo ke chahchahane ki aavaz thi & fir 1 zor ka dhamaka hua,neeche khayi me raja sahab ki car dhu-dhu karke jal rahi thi.dheere-dheere savera ho raha tha par rajkul ka surya ast ho chuka tha.

Menaka but bani apne kamre me baithi hui thi.aaj Raja Sahab ki maut ko 1 mahina ho gaya tha.duniya ki nazro me to vo us din vidhva ho gayi thi jab vishwa mara tha par uske liye to uska vaidhavya raja sahab ki maut se shuru hua tha.us manhus subah jab police raja sahab ki car ke khayi me buri tarah jali halat me milne ke baad mahal aayi & use ye bataya ki car me 1 jali lash bhi hai jiski shinakht ke liye use chalna padega to vo behosh ho gayi thi.

hosh aane pe vo hospital pahunchi & jab us lash ko dekha to uski cheekh nikal gayi.chehra puri tarah jal kar khaak ho chuka tha & baki badan bhi,bas daayen hath & kalai ka kuchh hissa adhjala sa rah gaya tha jispe uska diya bracelet abhi bhi chamamk raha tha.usi se usne raja sahab ki lash ko pehchana tha.uske baad kya hua use kuchh hosh nahi.uske mata-pita fauran uske paas pahunch gaye the & uski maa to abhi bhi uske sath thi.log jo kahte vo bas chup-chap karti jati...kisi zinda lash ki tarah.

vo 1 hath me raja sahab ka bracelet liye,kuchh kagazon ko dekh rahi thi,ye vasiyat thi jisme raja sahab ne sari jaydaad uske naam kar di thi & aaj se vo kunwarani nahi rani sahiba ho gayi thi.usne un kagazon ko dekha & aaj raja sahab ki maut ke baad pehli baar office jaane ka faisla kiya.

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raja sahab ki maut ki khabar sunkar to jabbar khushi se pagal ho gaya tha.usne socha bhi na tha ki bina uske kuchh kiye taqdeer use aisa tohfa degi.is waqt vo malika ke sath car drive karta hua shankargarh naam ki jagah se shahar aa raha tha.shankargarh se shahar ka rast 1 jungle se hokar guzarta tha.aamtaur pe log sham dhalne ke baad us raste ka istemal nahi karte the balki thoda ghum kar highway se shahar jate the.par jabbar ko in sab baaton ki koi fikr nahi thi.thik bhi tha-gunde kab se gundo se darne lage.is waqt sham ke 8 baj rahe the.

tabhi zor ki aavaz hui & jabbar ne brake lagaya.uski car ka koi tyre puncture hua tha."dhatt tere ki!",vo car se neeche utara & uske utarte hi 2 naqabposh kinare ki jhaadiyo se nikal kar aa khade hue.unme se 1 ne jabbar ko peechhe se pakad kar uski gardan pe chaku rakh diya & dusre ne malika ko car se khinch kar utar diya.

"saalo,,kya chahiye tumhe?paise?to lo & niklo..."

"chup behanchod!pehle hum is maal ko lootenge fir tere paison ke bare me sochenge...chal!",usne malika ki taraf ishara kiya & dono lutere jabbar & malika ko jhadiyo me khinch jungle me le gaye.1 malika ko gira uspar savar ho uske kapde nochne laga to malika chillane lagi.dusre ne 1 rassi se jabbar ko bandh diya & apne dost ke sath malika ko nangi karne me jut gaya.

tabhi jhadiyon ko cheer vaha 1 aur insan pahuncha.usne dono gundo ko 1-1 hath se pakda & malika ke upar se khinch liya.vo 1 sardar tha & usne unse akele hi ladna shuru kar diya.malika jaise hi gundo ke changul se chhuti to vo bhag kar jabbar ke paas pahunchi & uske bandhan khol diye.ab jabbar bhi us sardar ke sath mil un gundo ki pitai karne laga.thodi hi der me gunde vaha se rafoochakkar ho gaye.

"shukriya.",jabbar haanf raha tha.

"ye to mera farz tha.bande ko ravijit singh sodhi kahte hain.",us sardar ne apni saans sambhalte hue jabbar se hath milaya.vo koi 50 saal ke aaspaas ki umra vala lambi kad-kathi ka insan tha.

"main jabbar singh hu."

"aap dono mere sath chaliye.shahar se pehle mera farmhouse hai.raat vahi guzariye.",usne apne coat se malika ke phate kapdo se numaya ho rahe jism ko dhank diya.

"aapko khamkha takleef hogi."

"bilkul bhi nahi.aaiye,baithiye...& aoni car ki chinta mat kariye.abhi thodi der me apne driver & naukaron se ise mangwa lenge."

koi 1 ghante baad dono ravijit singh sodhi ke sath uske farmhouse ke drawing room me baithe the,malika 1 kamre me aaram kar rahi thi.

"to aap kya karte hain,jabbar sahab?",usne whiskey ka 1 galss badhaya.

"main property dealer hu.aur aap?",jabbar nme glass lete hue poochha.

"main to NRI hu.Jamaica me mera business hai..",peg khatm kar vo dubara apna glass bhar raha tha.

thodi hi der me dono sharab ke nashe me khul kar baaten karne lage.

"uparwale ka bhi ajeeb dhang hai,jabbar sahab.pehle to insan ke dil me kisi cheez ki chah jagata hai & jab insan mehnat-mashakkat ke baad us chiz ko pane ke kaabil ho jata hai to uparwala us chiz ka wajood hi mita deta hai.pichhle 26 saalon se main bas 1 hi maqsad ke liye kam kar raha tha & aaj jab use pura karne aaya to...."

"to kya,sodhi sahab?

"chhodiye.aap rajpura se hain na?"

"ji."

"to aapko meri baat buri lag sakti hai."

"kyu?"

"kyuki jis khandan ki baat me kar raha hu,use aapke gaon me bhagwan ki tarah puja jata hai."

"aap rajkul ki baat kar rahe hain?"

"ji,haan.rajkul!jisne meri zindagi ka rukh mod diya."

"sodhi sahab,yakeen maaniye,jitni nafrat aapke dil me us pariwar ke liye hai,us se kahi zyada mere seene me hai."

"kya?"

"ji,haan.sodhi sahab & agar aap mujhe itne bharose ke kaabil samajhte hain ki aapka dard baant saku to main aapko abhi bhi us pariwar se badla lene ki tarkeeb bata sakta hu."

"thik hai,jabbar sahab.vaise bhi ye koi bahut gehra raaz nahi hai.aaj se 26 saal pehle main rajpura aaya tha.main 1 bahut gareeb pariwar se hu.polytechnic se padhne ke bad meri naukri rajkul sugar mill me lagi.rehne ke liye wahi gaon me 1 fauji ke ghar me 1 kamrra le liya.fauji kabhi-kabhar hi ghar aata tha & yaha kewal uski biwi rehti thi.vo bala ki khubsurat thi.main naujawan tha & vo bhi mard ke jism ke liye tadapti rehti thi.thode hi dino me humare tallukat ban gaye.baat kewal jismo ki aag bujhane se shuru hui thi par jald hi hum 1 dusre ko dil-o-jaan se chahne lage..",usne glass khali kar diya.

"..kehte hain na ki ishq & mushk chhupaye nahi chhupte.humare ishq ki khabar bhi fail gayi & jab fauji aaya to usne hungama shuru kar diya.uski biwi mere sath jana chahti thi & main bhi use le jaane ko taiyyar tha.par baat fauji ki aan ki thi,vo seedha raja yashveer ke baap raja suryapratap ke paas faryad lekar pahunch gaya & usne apna hukm suna diya.mujhe naukri se nikal kar gaon se bahar phikwa diya.itna hi nahi,mujhe aawara ghoshit kar diya & is wajah se mujhe kahi aur naukri nahi mili."

"kayi mahino tak main khaak chhanta raha & fir kisi ne mujhe jamaica me 1 naukri dilwayi.vaha pahunch kar maine apneaap ko har tarah se mazbut kar liya kewal 1 baat ke liye-mujhe suryaparatap ke bete yashveer ko uske baap ke kiye ki saza deni thi,par aaya to pata chala ki vo car accident me maara gaya."

"ab bataiye apni tarkeeb?"

"sodhi sahab.aap rajkul ki mills kyu nahi khareed lete?aap paise lagaiye main use yaha chalaoonga.partnership kar lete hain & har mahine aapko munafe ki rakam milti jaayegi.mere dil ko to isi baat se sukun milta rahega ki raja ki mills mere haathon me hain."

"par kya mills bikau hain?"

"agar nahi hain to ho jaayengi.uski aap fikr mat karo."

"jabbar bhai,aapne abhi tak apni kahani nahi sunayi."

"sunaunga,sodhi sahab.zarur sunaunga.waqt aane dijiye.aapne hume apna raazdar banaya hai to main bhi vada nibhaoonga."

"thik hai.main bhi aap pe bharosa karta hu.",dono ne hath milaya.

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menaka ka dil ab kahi bhi nahi lagta tha.office me usne man lagane ki bahut koshish ki par usme kaamyab nahi hui.office aate hue 15-20 din guzar gaye the par use sab bojh jaisa lagta tha.vo aise hi kursi pe baithi kagaz ulat-palat rahi thi & beete dino ko yaad kar rahi thi.....vo jab deal sign karne unke sath gayi thi to unki bahu bankar & lauti unke dil ki rani bankar.vo hotel ke kamre me dodno ki pehli raat....fir yaha....& tabhi uske dimagh me airport pe sapru sahab se hui mulakat ka khayal aaya.

sapru sahab.haan..kyu na vo mills me apna hissa unhe bech de.fir vo yaha se shahar rehne chali jaayegi.rajpura to ab use kaatne ko daudta tha.usne turant seshadri sahab se baat ki.unhe bhi khayal achha laga.menaka kaam pe thik se dhyan de nahi rahi thi & is se abhi tak to nuksan nahi hua par aage ho sakta tha.dono ne german partners se baat ki to vo bhi razi ho gaye.

menaka fauran apni maa ke sath delhi rawana ho gayi.waha sapru sahab ke saamne jab usne apna proposal rakha to mano unhe munh maangi murad mil gayi.delhi se wapas aate hue menaka ki maa apne ghar chali gayi & menaka sham dhale rajpura pahunchi.


kramshah...................











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj






















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