Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--14

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बाली उमर की प्यास पार्ट--14

गतांक से आगे.......................
"और मैं क्या करती पिंकी?" तरुण के जाते ही मीनू का चेहरा मुरझा गया.. उसने दरवाजा खोल कर बाहर झाँका और फिर बंद करके आ गयी..," मेरे पास कोई और रास्ता था ही नही.. उसको अपनी बातों में लेने के अलावा.. बस अब दुआ करो कि वो लेटर ले आए और यहाँ आने तक अपना मोबाइल ना देखे...!"

"क्या मतलब दीदी? तुम नाटक कर रही थी उसके साथ.." पिंकी खुश होकर बोली...

"और नही तो क्या? जो लड़का इतनी नीचे गिर सकता है कि मेरे साथ साथ तुम्हे भी अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए ब्लॅकमेल करने की सोचे.. क्या मैं उसके बारे में ऐसा सोचूँगी...?" मीनू ने कहा और राज की बात बताते हुए बोली...," मैने उसका एमएमसीफ़ॉर्मेट कर दिया है उसके मोबाइल मैं जितनी भी वीडियो होंगी सब डिलीट हो गई होंगी
"क्या?" पिंकी से भी ज़्यादा खुशी मेरे चेहरे पर थी," ये.. एमएमसी क्या होता है?"

"मल्टी मीडीया कार्ड.. कल कॉलेज में उसने मुझे मेरे स्नॅप्स दिखाए थे.. वो भी उसी में थे.. और तुम्हारी रेकॉर्डिंग भी.. कम से कम तुम्हारा झंझट तो ख़तम हो गया अब.. अगर उसने अपने कंप्यूटर में कॉपी नही की होगी तो... आइन्दा से बच कर रहना... तुम बच्ची नही हो जो किसी की भी बातों में यूँ आ जाओ..!" मीनू ने कहा..

"ये तो कमाल हो गया..." पिंकी उठकर हमारे पास आ गयी.. अचानक उसका खिल चुका चेहरा फिर से मुरझा गया.....," पर अब अगर उसने लेटर नही दिए तो पहले.. वो तो कह रहा था कि वो 'पहले' नही देगा....."

"मैं कोशिश करके देखूँगी.. वरना.. बाद में तो मिल ही जाएँगे.. इसने मेरा जीना हराम कर दिया है कॉलेज में... मैं आज सब कुच्छ ख़तम कर देना चाहती हूँ.. चाहे वो... चाहे वो किसी भी कीमत पर हो...!" मीनू लंबी साँस लेते हुए बोली...

"एक काम करें दीदी..!" पिंकी ने मीनू के गालों पर हाथ लगा उसका चेहरा अपनी और घुमा लिया...

"क्या?" मीनू ने पूचछा..

"मैं दरवाजे के पिछे लट्ठ लेकर खड़ी हो जाती हूँ.. जैसे ही वो आएगा.. मैं ज़ोर से उसके सिर में दे मारूँगी... और आप दोनो उस'से लेटर..." पिंकी का आइडिया मुझे भी पसंद आया था.. पर मैं उनके इस खेल में शामिल होकर तरुण से दुश्मनी मोल नही लेना चाहती थी.... मैं उनको कुच्छ बहाना बनाकर घर जाने के लिए बोलने ही वाली थी कि मीनू बोल पड़ी...

"तुझे तो और कुच्छ आता ही नही.. पिच्छले जनम में तू कसाई थी क्या? अगर तुम उसको लट्ठ मरोगी तो उसकी चीख नही निकलेगी क्या? घर वाले नीचे आ गये तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा... और अगर वह बचकर भाग गया तो फिर मेरी खैर नही! मैं उसको प्यार से बातों में उलझा कर ही देखूँगी.. अगर बात बन गयी तो... नही तो" मीनू ने अपना सिर झुका लिया..," तू उपर चली जाना पिंकी.. प्लीज़.. तेरे आगे मुझसे नही होगा.. और मैं आज उस'से हर हालत में लेटर लेना चाहती हूँ... चाहे मुझे कुच्छ भी करना पड़े...!"

पिंकी उसके बाद कुच्छ नही बोली.. बस यूँही उदास बैठी कुच्छ सोचती रही.. अचानक मेरे मंन में ही एक सवाल कौंधा..," पर दीदी...?"

"क्या?" मीनू ने मेरी तरफ देख कर पूचछा...

"व..वो.. ऐसे तो आप.... आप के पेट में बच्चा आ जाएगा उसका...!" मैने शरमाते हुए कहा...

कुच्छ देर तो मीनू चुप रही.. फिर आह सी भरते हुए बोली," देखते हैं.. क्या होगा!"

"फिर देखोगी क्या? अगर आप ने उसके साथ 'वो' कर लिया तो फिर क्या करोगी.. फिर तो आप 'मा' बन ही जाओगी ना...!" मेरी बात पर जब मुझे नकारात्मक प्रतिक्रिया नही मिली तो मैने और खुलकर कहा...

मीनू इस बात पर हँसने सी लगी," तू बच्ची है अभी.. तुझे किसने बताया..?"

"ववो.. म्मेरी एक सहेली कह रही थी..." मैने बहाना बनाकर कहा....

"तुम्हारे आपस में यही सब बातें करती रहती हो क्या?" पिंकी ने मुझे डाँट'ते हुए कहा.. और फिर बोली," ऐसा नही होता.. ज़रूरी नही कि एक बार में ही 'ऐसा' हो जाए.. और फिर बाज़ार में इतनी दवाइयाँ भी तो आती हैं... अगर मजबूरी में मुझे करना पड़ा तो 'वो' ले लूँगी...."

"सच!" मैं चाहकर भी अपने चेहरे को खिलने से रोक ना सकी... ये बात तो मेरे तड़प रहे शरीर के लिए संजीवनी की तरह थी," सच में आती हैं ऐसी दवाई?"

"तू तो इस तरह खुश हो रही है जैसे मुसीबत मुझ पर नही.. तुझ पर आई हुई हो.. तुम दोनो तो निसचिंत हो ही जाओ.. जहाँ तक मेरा ख़याल है.. तुम्हारी रेकॉर्डिंग कॉपी नही की होगी उसने.. आज ही तो ली थी.. फिर उसका कंप्यूटर भी शहर में उसके दोस्त के पास है... पर मेरी बात ध्यान रखना.. लड़के कुत्ते होते हैं.. कभी भी इनकी बातों में मत आना...!" मीनू ने हम दोनो को समझाते हुए कहा...

"पर दीदी.. उसने आप की स्नॅप्स कॉपी कर रखी होंगी तो?" पिंकी चिंतित होकर बोली...

"आ.. देखा जाएगा.. अब करनी का फल तो भुगतना ही पड़ेगा.. मैं ही पागल थी जो उसकी बातों में आ गयी..." मीनू ने लंबी साँस लेकर कहा," चलो.. अब अपनी अपनी चारपाइयों पर बैठ जाओ.. तुम्हारे चेहरे से ये नही लगना चाहिए पिंकी की मैं नाटक कर रही हूँ.. तू तो ऐसा कर.. उपर चली जा..!"

मीनू जाकर अपनी चारपाई पर बैठ गयी.. पिंकी मेरे पास ही बैठी रही," नही दीदी.. आपको छ्चोड़ कर मैं उपर नही जाउन्गि.. मैं उसके आते ही सो जाउन्गि.. कंबल औध कर...."

हमें तरुण का इंतजार करते करते लगभग एक घंटा हो गया था... अब मीनू के दिमाग़ में तरह तरह की बातें आनी शुरू हो गयी थी...," कहीं ऐसा तो नही की उसने अपना मोबाइल देख लिया हो और वह मेरी चालाकी समझ गया हो?" मीनू ने चिंतित सी होते हुए कहा...

"फिर क्या होगा दीदी?" पिंकी का चेहरा भी मीनू जैसा ही हो गया..

"पता नही.. पर वो मुझ पर विश्वास नही करेगा आज के बाद.. मोबाइल देख लिया होगा तो शायद वो कल कॉलेज में ही बात करेगा मुझसे... 'मुझे और मौका शायद ही मिले अब.. कितने ही दीनो से उस'से प्यार से बात कर कर के टाइम मांगती आ रही हूँ... 'वो' मुझे धमकी देता है कि अगर मैने उसकी बात जल्द ही नही मानी तो वो मुझे दोस्तों के साथ..." बात अधूरी छ्चोड़ कर मीनू सुबकने लगी..," ये मैने क्या कर दिया भगवान....!"

"आप रो क्यूँ रही हो दीदी..? प्लीज़.. सब ठीक हो जाएगा.. मैं उस'से माफी भी माँग लूँगी.." पिंकी उसके पास जाकर बैठ गयी....," आप जैसा कहोगी मैं वैसा ही कर लूँगी.. आप रोवो मत प्लीज़..."

मीनू ने अपने आँसू पौंच्छ लिए.. पर तनाव उसके चेहरे पर सॉफ झलक रहा था..," कल अगर वो तुम्हे अपनी बाइक पर बैठने को कहे तो बैठना मत... बुल्की तुम बात ही मत करना... वैसे शायद वो मुझसे बात करने के लिए कॉलेज में जाएगा.. ज़रूर!"

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अगले दिन हम अकेले नही गये.. क्लास की कयि लड़कियाँ हमारे साथ थी... स्कूल में जाने के बाद भी हम उनके साथ ही रहे.. पेपर का टाइम होने पर हम अपनी अपनी सीट पर जाकर बैठ गये....

"तुम.. कल घर लेट पहुँची थी क्या?" संदीप ने मेरे पास बैठते ही पूचछा...

अचानक आते ही किए गये इस सवाल से में सकपका गयी.," नही.. हाआँ.. वो मैं पिंकी के साथ थी.."मैने आधा सच बोलते हुए सवाल किया," तुम्हे कैसे पता?"

"तुम्हारी मम्मी शिखा से पूच्छने आई थी... मुझे तो तब घर पहुँचे 2 घंटे हो गये थे...!" संदीप ने बताया और आगे पूचछा," आज की कैसी तैयारी है..?"

मैने कोई जवाब नही दिया.. बस मुस्कुरकर रह गयी... मुझे शर्म आ रही थी उसको 'हेल्प' की कहते हुए...

वो मेरी हालत भाँपते हुए बोला," पर्ची मत करना.. मेरे पेपर से उतारती रहना साथ साथ.. मैं टेढ़ा होकर बैठ जाउन्गा..."

मैने क्रितग्य नज़रों से उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा दिया,"तुम पैदल आती हो क्या?"

"हां.." मैने उसकी और बिना देखे कहा.. आज पहली बार मुझे लग रहा था कि वो मुझ पर कुच्छ 'ज़्यादा' ही लत्तु है...

"चाहो तो मेरे साथ चल पड़ना.. पापा की बाइक लाया हूँ मैं आज!" संदीप ने सीधा होकर कहा.. रूम में सर आ गये थे...

"न..नही.. वो पिंकी भी मेरे साथ जाएगी..." मैने सर से नज़रें बचाकर उसकी बात का जवाब दे ही दिया... अपने स्टाइल में..!

कुच्छ देर चुप बैठा रहने के बाद उसकी आवाज़ एक बार फिर मेरे कानो तक आई," कोई बात नही.. वो भी चल पड़ेगी अगर तुम चलना चाहो तो.."

"ठीक है.. मैं बात करके देख लूँगी..!" मैने जवाब दिया और आन्सर सीट मिलते ही सब बच्चे चुप हो गये.. हम दोनो भी....

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एग्ज़ॅम ख़तम होने के बाद मैं बहुत खुश थी.. पिंकी भी.. उसका भी पेपर बहुत अच्च्छा हुआ था.. दरअसल आज कल के मुक़ाबले सख्तयि ना के बराबर थी.. और ना ही कल वाले सर ही हमें कहीं नज़र आए... जैसे ही मैं बाहर निकली, पिंकी खुशी से अपना बोर्ड घूमते हुए मुझसे आ टकराई," मज़े हो गये आज तो!"

संदीप हमसे कुच्छ ही आगे आगे चल रहा था.. जैसे ही हम ऑफीस के सामने से निकले.. मेडम ने हमें टोक दिया," कैसा पेपर हुआ अंजू!" वो दरवाजे के पास खड़ी शायद हमारा ही इंतजार कर रही थी....

"ठीक हो गया मेडम.." मैने सिर झुका कर कहा और ठिठक गयी...

"गुड.. किसी बात की चिंता मत करना बेटा.. समझ गयी ना दोनो!" मेडम ने मुस्कुरकर कहा...

"जी.." मैं और कुच्छ बोलती.. इस'से पहले ही पिंकी ने मेरा हाथ खींच लिया.. और थोड़ी आगे जाकर बोली," आज फिर फँसने का इरादा है क्या?"

"नही.. वो सुन..." मैने उसकी बात को टालते हुए कहा," ववो.. संदीप कह रहा था कि 'वो' आज बाइक लेकर आया है.. हम दोनो को साथ लेकर चलने की कह रहा था.. बोल?"

"अच्च्छा.. पर मुझे डर लग रहा है.. कहीं.." पिंकी अपनी बात बीच में ही छ्चोड़ कर चुप हो गयी...

"देख ले.. मैं तो बस बता रही हूँ.." मैने बात अपने सिर से टाल दी...

"हुम्म.. चल ठीक है.. कहाँ है 'वो'?" पिंकी ने शायद संदीप को हमारे आगे आगे चलते देखा नही था...

"वो रहा.. शायद हमारा ही वेट कर रहा है..!" मैने संदीप की ओर इशारा करते हुए कहा...

"चल...!" उसने कहा और हम दोनो उसके पास जाकर खड़े हो गये..

"क्या सोचा..? चलना है क्या?" संदीप ने मुझसे पूचछा तो मैं पिंकी की और देखने लगी...

"चलो! जल्दी पहुँच जाएँगे और क्या?" पिंकी ने जवाब दिया....
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संदीप बिके बाहर निकाल लाया और हमारे पास लाकर रोक दी.. मैं बैठने के लिए तैयार हो ही रही थी कि पिंकी मुझसे पहले ही उसके पिछे बैठ गयी.. और मुझसे बोली," आ जाओ!"

मैं मन मसोस कर पिंकी के पिछे जा बैठी.. पता नही क्यूँ.. पर मुझे लग रहा था कि मेरे और पिंकी के बीच में ज़्यादा जगह है.. और पिंकी और संदीप के बीच कम... मेरा मुँह सा चढ़ गया.. और हम चल पड़े!

अपने गाँव के स्टॅंड पर पहुँचे ही थे कि किसी ने हाथ देकर संदीप को रोक लिया..," कैसा पेपर हुआ?"

"अच्च्छा हो गया! चल घर आ जा.. आज क्रिकेट खेलने चलेंगे.. कल हिन्दी का पेपर है.." संदीप ने मुस्कुरकर कहा...

"नही यार.. आज नही.. ऐसे अच्च्छा नही लगेगा...!" उस लड़के ने संदीप से कहा...

"क्यूँ? आज क्या हो गया..?" संदीप ने उसी भाव में पूचछा...

"तुम्हे नही पता? ओह्ह.. तुम तो सुबह ही चले गये होगे पेपर देने.. वो किसी ने तरुण को मार दिया.. आज करीब 10 बजे पता लगा... किसी ने उसको कल रात में मार कर चौपाल में फैंक दिया....."

"क्याअ? कौनसा तरुण? अपने वाला?" संदीप के चेहरे का रंग अचानक सफेद हो गया... हमारी तो घिग्गी ही बाँध गयी थी.. हम दोनो डरी डरी सी आँखों से एक दूसरी को देखने लगी...

"हाँ यार.. गाँव में पोलीस आई हुई है.. बेचारा कितना शरीफ था... उस'से किसी ने क्या दुश्मनी निकाली होगी... बेचारा!"

"ओह्ह.. ये तो बहुत बुरा हुआ यार.. मैं अभी उसके घर जाकर आता हूँ.." संदीप ने कहा और पिछे देखने लगा....

"ठीक है.. हम चले जाएँगे..." पिंकी ने कहा और मेरे साथ ही नीचे उतर गयी...

"तुम्हे पढ़ाने आता था ना वो?" संदीप ने पूचछा....

"हां.." पिंकी ने सिर झुका कर कहा और बिना एक भी पल गँवाए चल दी... मैं भी डगमगाते हुए कदमों से उसके पिछे हो ली.....

"ये कैसे हुआ पिंकी?" मैने तरुण का जिकर किया...

"चुप... कुच्छ मत बोल यहाँ..." पिंकी ने कहा और हम गलियों के बीच से घर की ओर चलते रहे.....

हम जल्दी जल्दी चलते हुए पिंकी के घर पहुँच गये.. हम सीधे उपर चले गये..देखा तो मीनू भी वहीं बेड पर लेटी हुई थी.. चाचा चाची दोनो खामोश बैठे थे.. मीनू का चेहरा पीला पड़ा हुआ था...

"क्या हुआ मम्मी?" पिंकी ने सब जानते हुए भी सवाल किया...

"कुच्छ नही.. तुम नीचे जाकर पढ़ लो..!" चाचा ने कहा...

"नही.. वो गाँव में सब कह रहे हैं कि..." पिंकी ने बोला ही था कि चाचा शुरू हो गये....

"हां.. किस्मत के खेल निराले होते हैं बेटी.. कितना शरीफ था बेचारा... मुझे तो अब भी ऐसा लग रहा है कि वो नीचे से आवाज़ दे रहा है.. आख़िरी वक़्त भी ढंग से बात नही कर पाया मैं.. बड़ा पचहतावा हो रहा है.. पढ़ने में कितना तेज था.. उसके मा बाप की तो कमर ही टूट गयी होगी...." पिंकी के पापा भी बहुत दुखी लग रहे थे....

"पर.. पर ये हुआ कैसे?" मैं अपने आपको रोक नही पाई...

"कौन जाने बेटी? अब उसकी किसी से दुश्मनी भी क्या होगी? वो तो ज़्यादा बात भी नही करता था किसी से... भगवान ही जानता है क्या हुआ होगा...?" चाचा ने अपना माथा पकड़ लिया...

"अब छ्चोड़िए ना पापा.. होना था जो हो गया... आप क्यूँ बार बार..." मीनू की आँखें नम हो गयी...

"छ्चोड़ो बेटी.. छ्चोड़ो.." चाचा ने कहा और अपनी आँखें पौन्छ्ते हुए घुटने पर हाथ रखा और उठ गये..,"तू इतना छ्होटा मंन क्यूँ कर रही है.. पिंकी और अंजलि का भी तो भाई ही था 'वो'.. जब ये नही रो रही तो तू क्यूँ... सुबह से... छ्चोड़ बेटी.. होनी का लिखा कोई नही टाल सकता..."

मीनू कंबल में दुबक कर सिसक'ने लगी... मुझसे वहाँ और खड़ा ना रहा गया...," अच्च्छा चाची.. मैं चलती हूँ..!"

"ठीक है बेटी.. जा.. कपड़े बदल ले.. सुबह से कुच्छ खाया भी नही होगा..." चाची भी खड़ी हो गयी और जाकर मीनू के पास बैठ गयी...

मैं अपने घर जाने को पिंकी के घर से बाहर निकली ही थी कि एक मोटा सा थुलथुला पॉलिसिया घर के बाहर आकर खड़ा हो गया...," मीनू का घर आसपास ही है क्या?...?"

मैं हड़बड़ा गयी.. पोलीस वाला भला मीनू को क्यूँ पूच्छ रहा है..," जी.. यही है!" मैने हड़बड़ाहट में ही जवाब दिया...

"ठीक है.. धन्यवाद...!" उसने कहा और वापस हमारे घर की ओर चल दिया...

कुच्छ सोच कर मैं वापस हो ली.. अंदर सीढ़ियों पर जाकर मैने मीनू को आवाज़ दी," दीदी....."

"मीनू.. नीचे अंजू बोल रही है शायद...." उपर से चाचा की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी....

कुच्छ देर बाद मीनू नीचे आ गयी.. मेरे पास आते ही वह फफक पड़ी..," आँखों में आँसुओं का झरना सा उमड़ पड़ा," ययए.. ये क्या हो गया अंजू..?"

"पर.. आप रो क्यूँ रही हैं दीदी.. जो हुआ सही हुआ.. हमें क्या मतलब है.. उसके कर्मों का फल मिल गया उसको..." मैने मीनू के कंधे पकड़ते हुए कहा...

"पता नही अंजू.. रह रह कर कलेजा सा फटा जा रहा है... बहुत याद आ रही है उसकी.. उसने धोखा दे दिया तो क्या हुआ.. मैने तो उस'से सच्चा प्यार किया था ना.. कल अगर उसको वापस ना भेजती तो शायद वो..." मीनू बुरी तरह कराहते हुए रोने लगी....

"ना.. दीदी.. प्लीज़.. ऐसा मत करो.. चुप हो जाओ.. मुझे आपको कुच्छ बताना है..." मैने उसके मुँह पर हाथ रख दिया... उसकी आवाज़ कुच्छ देर बाद बंद हो गयी.. पर आँसू नही थामे..,"क्या?"

"वो... एक पोलीस वाला बाहर आया था.. आपका नाम लेकर घर पूच्छ रहा था..." मैने उसके शांत होने के बाद जवाब दिया...

मीनू मेरी बात सुनते ही सुन्न रह गयी.... मुझे ऐसा लगा जैसे यूयेसेस पर एक और पहाड़ टूट पड़ा हो.. वा थरथर कांपति हुई बोली..," मेरा नाम लेकर... पर क्यूँ?"

"पता नही दीदी.. वो कुच्छ नही बोला.. पूच्छ कर वापस चला गया...!" मैने बुरा सा मुँह बना कर कहा...

"हे.. भगवान.. अब क्या होगा..." मीनू में खड़ी रहने तक की हिम्मत नही बची.. मैने उसको संभाला और चारपाई पर लिटा दिया.. अचानक वह निशब्द: सी हो गयी.. पता नही क्या हो गया उसको... मैं घबरा गयी.. मैने चाचा को आवाज़ लगाई," चाचा.. जल्दी आओ..."

मेरी आवाज़ में घबराहट को भाँप कर उपर से चाचा, चाची और पिंकी.. तीनो दौड़े दौड़े नीचे आए,"क्या हुआ?"

"पपता नही... अचानक बेहोश सी हो गयी.." मैने कहा और अलग खड़ी हो गयी...

"मीनू.. मीनू बेटी... पानी लेकर आओ जल्दी..."चाचा ने पिंकी से कहा...

कुच्छ देर बाद मीनू ने आँखें खोल दी.. आँखें खोलते ही वह चाचा से लिपट कर बुरी तरह रोने लगी....

"मान जा बेटी.. तू ऐसा करेगी तो इनका क्या होगा... बस कर.. चुप हो जा..." चाचा उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगे.. कुच्छ देर बाद उसने अपनी आँखें बंद कर ली और धीरे धीरे शांत हो गयी....

थोड़ी देर बाद अचानक दरवाजे पर एक हटटा कॅटा लंबा सा पोलीस वाला प्रकट हुआ.. उसके पिछे वही थुलथुला सा पॉलिसिया खड़ा था... उन्होने अंदर देखा और बिना इजाज़त लिए ही अंदर आ गये.. चाचा, चाची और पिंकी; तीनो उन्न पोलीस वालों को देख कर हड़बड़ा से गये..

"जी कहिए?" चाचा खड़े हो गये...

"हूंम्म्म.." लंबू ने अपना सिर हिलाते हुए आगे कहा," तो........ ये मीनू है!"

"जी.. पर आप क्यूँ पूच्छ रहे हैं..?" चाचा भी उसके मुँह से मीनू का नाम सुनकर घबरा से गये.. पर मीनू आँख बंद किए लेटी रही....

पोलीस वाले ने चाचा की बात का कोई जवाब नही दिया.. चुपचाप खड़ा रहा.. फिर अचानक तेज तर्रार आवाज़ में बोला," क्या हो गया इसको?"

क्रमशः....................................

"Aur main kya karti Pinky?" Tarun ke jate hi Meenu ka chehra murjha gaya.. usne darwaja khol kar bahar jhanka aur fir band karke aa gayi..," Mere paas koyi aur raasta tha hi nahi.. usko apni baaton mein lene ke alawa.. Bus ab dua karo ki wo letter le aaye aur yahan aane tak apna mobile na dekhe...!"

"Kya matlab didi? tum natak kar rahi thi uske sath.." Pinky khush hokar boli...

"Aur nahi toh kya? Jo ladka itni neeche gir sakta hai ki mere sath sath tumhe bhi apni hawas ka shikar banane ke liye blackmail karne ki soche.. kya main uske baare mein aisa sochungi...?" Meenu ne kaha aur raaj ki baat batate huye boli...," Maine uska MMC format kar diya hai.. Tumhari video ke sath sath meri pictures bhi delete ho gayi hongi...!"

"Kya?" Pinky se bhi jyada khushi mere chehre par thi," Ye.. MMC kya hota hai?"

"Multi Media Card.. kal college mein usne mujhe mere snaps dikhaye the.. wo bhi Usi mein the.. aur tumhari recording bhi.. kam se kam tumhara jhanjhat toh khatam ho gaya ab.. agar usne apne computer mein copy nahi ki hogi toh... aainda se bach kar rahna... tum bachchi nahi ho jo kisi ki bhi baaton mein yun aa jao..!" Meenu ne kaha..

"Ye toh kamaal ho gaya..." Pinky uthkar hamare paas aa gayi.. achanak uska khil chuka chehra fir se murjha gaya.....," Par ab agar usne letter nahi diye toh pahle.. wo toh kah raha tha ki wo 'pahle' nahi dega....."

"Main koshish karke dekhoongi.. warna.. baad mein toh mil hi jayenge.. isne mera jeena haram kar diya hai college mein... main aaj sab kuchh khatam kar dena chahti hoon.. chahe wo... chahe wo kisi bhi keemat par ho...!" Meenu lambi saans lete huye boli...

"Ek kaam karein didi..!" Pinky ne Meenu ke gaalon par hath laga uska chehra apni aur ghuma liya...

"Kya?" Meenu ne poochha..

"Main darwaje ke pichhe latth lekar khadi ho jati hoon.. jaise hi wo aayega.. main jor se uske sir mein de maarungi... aur aap dono uss'se letter..." Pinky ka idea mujhe bhi pasand aaya tha.. par main unke iss khel mein shamil hokar Tarun se dushmani mol nahi lena chahti thi.... Main unko kuchh bahana banakar ghar jane ke liye bolne hi wali thi ki Meenu bol padi...

"Tujhe toh aur kuchh aata hi nahi.. pichhle janam mein tu kasayi thi kya? agar tum usko latth marogi toh uski cheekh nahi nikalegi kya? ghar wale neeche aa gaye toh sare kiye karaye par pani fir jayega... aur agar wah bachkar bhag gaya toh fir meri khair nahi! main usko pyar se baaton mein uljha kar hi dekhoongi.. agar baat ban gayi toh... nahi toh" Meenu ne apna sir jhuka liya..," Tu upar chali jana Pinky.. Pls.. tere aage mujhse nahi hoga.. aur main aaj uss'se har halat mein letter lena chahti hoon... chahe mujhe kuchh bhi karna pade...!"

Pinky uske baad kuchh nahi boli.. bus yunhi udaas baithi kuchh sochti rahi.. Achanak mere mann mein hi ek sawaal koundha..," Par didi...?"

"Kya?" Meenu ne meri taraf dekh kar poochha...

"w..wo.. aise toh aap.... aap ke pate mein bachcha aa jayega uska...!" Maine sharmate huye kaha...

Kuchh der toh Meenu chup rahi.. fir aah si bharte huye boli," Dekhte hain.. kya hoga!"

"Fir dekhogi kya? agar aap ne uske sath 'wo' kar liya toh fir kya karogi.. fir toh aap 'maa' ban hi jaogi na...!" Meri baat par jab mujhe nakaratmak pratikriya nahi mili toh maine aur khulkar kaha...

Meenu iss baat par hansne si lagi," Tu bachchi hai abhi.. tujhe kisne bataya..?"

"Wwo.. mmeri ek saheli kah rahi thi..." Maine bahana banakar kaha....

"Tumhare aapas mein yahi sab baatein karti rahti ho kya?" Pinky ne mujhe daant'te huye kaha.. aur fir boli," aisa nahi hota.. jaroori nahi ki ek baar mein hi 'aisa' ho jaye.. aur fir bazar mein itni dawayiyan bhi toh aati hain... agar majboori mein mujhe karna pada toh 'wo' le loongi...."

"Sach!" Main chahkar bhi apne chehre ko khilne se rok na saki... ye baat toh mere tadap rahe shareer ke liye sanjeewani ki tarah thi," Sach mein aati hain aisi dawayi?"

"Tu toh iss tarah khush ho rahi hai jaise museebat mujh par nahi.. tujh par aayi huyi ho.. tum dono toh nischint ho hi jao.. jahan tak mera khayal hai.. tumhari recording copy nahi ki hogi usne.. aaj hi toh li thi.. fir uska computer bhi shahar mein uske dost ke paas hai... par meri baat dhyan rakhna.. ladke kutte hote hain.. kabhi bhi inki baaton mein mat aana...!" Meenu ne hum dono ko samjhate huye kaha...

"Par didi.. usne aap ki snaps copy kar rakhi hongi toh?" Pinky chintit hokar boli...

"aah.. dekha jayega.. ab karni ka fal toh bhugatna hi padega.. main hi pagal thi jo uski baaton mein aa gayi..." Meenu ne lambi saans lekar kaha," Chalo.. ab apni apni charpayiyon par baith jao.. tumhare chehre se ye nahi lagna chahiye Pinky ki main natak kar rahi hoon.. tu toh aisa kar.. upar chali ja..!"

Meenu jakar apni charpayi par baith gayi.. Pinky mere pas hi baithi rahi," Nahi didi.. aapko chhod kar main upar nahi jaaungi.. main uske aate hi so jaaungi.. kambal audh kar...."

Hamein Tarun ka intjaar karte karte lagbhag ek ghanta ho gaya tha... Ab Meenu ke dimag mein tarah tarah ki baatein aani shuru ho gayi thi...," Kahin aisa toh nahi ki usne apna mobile dekh liya ho aur wah meri chalaki samajh gaya ho?" Meenu ne chintit si hote huye kaha...

"Fir kya hoga didi?" Pinky ka chehra bhi Meenu jaisa hi ho gaya..

"Pata nahi.. par wo mujh par vishvas nahi karega aaj ke baad.. mobile dekh liya hoga toh shayad wo kal college mein hi baat karega mujhse... 'mujhe aur mouka shayad hi mile ab.. kitne hi dino se uss'se pyar se baat kar kar ke time maangti aa rahi hoon... 'wo' mujhe dhamki deta hai ki agar maine uski baat jald hi nahi maani toh wo mujhe doston ke sath..." Baat adhoori chhod kar Meenu subakne lagi..," Ye maine kya kar diya bhagwan....!"

"Aap ro kyun rahi ho didi..? Pls.. sab theek ho jayega.. main uss'se maafi bhi maang loongi.." Pinky uske paas jakar baith gayi....," Aap jaisa kahogi main waisa hi kar loongi.. aap rowo mat pls..."

Meenu ne apne aansoo pounchh liye.. par tanav uske chehre par saaf jhalak raha tha..," Kal agar wo tumhe apni bike par baithne ko kahe toh baithna mat... bulki tum baat hi mat karna... waise shayad wo mujhse baat karne ke liye college mein jayega.. jaroor!"

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Agle din hum akele nahi gaye.. class ki kayi ladkiyan hamare sath thi... School mein jane ke baad bhi hum unke sath hi rahe.. Paper ka time hone par hum apni apni seat par jakar baith gaye....

"Tum.. kal ghar late pahunchi thi kya?" Sandeep ne mere paas baithte hi poochha...

Achanak aate hi kiye gaye iss sawal se mein sakpaka gayi.," Nahi.. haaan.. wo main Pinky ke sath thi.."Maine aadha sach bolte huye sawaal kiya," Tumhe kaise pata?"

"Tumhari mummy Shikha se poochhne aayi thi... mujhe toh tab ghar pahunche 2 ghante ho gaye the...!" Sandeep ne bataya aur aage poochha," Aaj ki kaisi taiyari hai..?"

Maine koyi jawab nahi diya.. bus muskurakar rah gayi... mujhe sharm aa rahi thi usko 'help' ki kahte huye...

Wo meri halat bhanpte huye bola," Parchi mat karna.. Mere paper se utarti rahna sath sath.. main tedha hokar baith jaaunga..."

Maine kritagya najron se uski aur dekha toh wo muskura diya,"Tum paidal aati ho kya?"

"Haan.." Maine uski aur bina dekhe kaha.. aaj pahli baar mujhe lag raha tha ki wo mujh par kuchh 'jyada' hi lattu hai...

"Chaho toh mere sath chal padna.. papa ki bike laya hoon main aaj!" Sandeep ne seedha hokar kaha.. room mein sir aa gaye the...

"N..nahi.. wo Pinky bhi mere sath jayegi..." Maine sir se najrein bachakar uski baat ka jawaab de hi diya... apne style mein..!

Kuchh der chup baitha rahne ke baad uski aawaj ek baar fir mere kaano tak aayi," Koyi baat nahi.. wo bhi chal padegi agar tum chalna chaho toh.."

"Theek hai.. main baat karke dekh loongi..!" Maine jawaab diya aur answer seat milte hi sab bachche chup ho gaye.. hum dono bhi....

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Exam khatam hone ke baad main bahut khush thi.. Pinky bhi.. uska bhi paper bahut achchha hua tha.. darasal aaj kal ke mukable sakhtayi na ke barabar thi.. aur na hi kal wale sir hi hamein kahin najar aaye... Jaise hi main bahar nikali, Pinky khushi se apna board ghumate huye mujhse aa takrayi," Maje ho gaye aaj toh!"

Sandeep hamse kuchh hi aage aage chal raha tha.. Jaise hi hum office ke saamne se nikle.. Madam ne hamein tok diya," Kaisa paper hua Anju!" Wo darwaje ke paas khadi shayad hamara hi intjaar kar rahi thi....

"Theek ho gaya madam.." Maine sir jhuka kar kaha aur thithak gayi...

"Good.. kisi baat ki chinta mat karna beta.. samajh gayi na dono!" Madam ne muskurakar kaha...

"Ji.." Main aur kuchh bolti.. iss'se pahle hi Pinky ne mera hath kheench liya.. aur thodi aage jakar boli," aaj fir fansne ka irada hai kya?"

"Nahi.. Wo Sun..." Maine uski baat ko taalte huye kaha," Wwo.. Sandeep kah raha tha ki 'wo' aaj bike lekar aaya hai.. hum dono ko sath lekar chalne ki kah raha tha.. bol?"

"Achchha.. par mujhe darr lag raha hai.. kahin.." Pinky apni baat beech mein hi chhod kar chup ho gayi...

"Dekh le.. Main toh bus bata rahi hoon.." Maine baat apne sir se taal di...

"Humm.. chal theek hai.. kahan hai 'wo'?" Pinky ne shayad Sandeep ko hamare aage aage chalte dekha nahi tha...

"Wo raha.. shayad hamara hi wait kar raha hai..!" Maine Sandeep ki aur ishara karte huye kaha...

"Chal...!" Usne kaha aur hum dono uske paas jakar khade ho gaye..

"Kya socha..? chalna hai kya?" Sandeep ne mujhse poochha toh main Pinky ki aur dekhne lagi...

"Chalo! Jaldi pahunch jayenge aur kya?" Pinky ne jawab diya....
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Sandeep Bike bahar nikal laya aur hamare paas lakar rok di.. Main baithne ke liye taiyaar ho hi rahi thi ki Pinky mujhse pahle hi uske pichhe baith gayi.. aur mujhse boli," Aa jao!"

Main man masos kar Pinky ke pichhe ja baithi.. pata nahi kyun.. par mujhe lag raha tha ki mere aur pinky ke beech mein jyada jagah hai.. aur Pinky aur Sandeep ke beech kam... Mera munh sa chadh gaya.. aur hum chal pade!

Apne gaanv ke stand par pahunche hi the ki kisi ne hath dekar Sandeep ko rok liya..," Kaisa paper hua?"

"Achchha ho gaya! chal ghar aa ja.. aaj cricket khelne chalenge.. kal hindi ka paper hai.." Sandeep ne muskurakar kaha...

"Nahi yaar.. aaj nahi.. aise achchha nahi lagega...!" Uss ladke ne Sandeep se kaha...

"Kyun? aaj kya ho gaya..?" Sandeep ne usi bhav mein poochha...

"Tumhe nahi pata? Ohh.. tum toh subah hi chale gaye hoge paper dene.. wo kisi ne Tarun ko maar diya.. aaj kareeb 10 baje pata laga... kisi ne usko kal raat mein maar kar choupal mein faink diya....."

"Kyaaa? kounsa Tarun? Apne wala?" Sandeep ke chehre ka rang achanak safed ho gaya... hamari toh ghiggi hi bandh gayi thi.. hum dono dari dari si aankhon se ek dusri ko dekhne lagi...

"Haan yaar.. gaanv mein police aayi huyi hai.. bechara kitna shareef tha... uss'se kisi ne kya dushmani nikali hogi... bechara!"

"Ohh.. ye toh bahut bura hua yaar.. main abhi uske ghar jakar aata hoon.." Sandeep ne kaha aur pichhe dekhne laga....

"Theek hai.. hum chale jayenge..." Pinky ne kaha aur mere sath hi neeche utar gayi...

"Tumhe padhane aata tha na wo?" Sandeep ne poochha....

"Haan.." Pinky ne sir jhuka kar kaha aur bina ek bhi pal gunwaye chal di... main bhi dagmagate huye kadmon se uske pichhe ho li.....

"Ye kaise hua Pinky?" Maine Tarun ka jikar kiya...

"Chup... kuchh mat bol yahan..." Pinky ne kaha aur hum galiyon ke beech se ghar ki aur chalte rahe.....

Hum jaldi jaldi chalte huye Pinky ke ghar pahunch gaye.. Hum seedhe upar chale gaye..Dekha toh Meenu bhi wahin bed par leti huyi thi.. chacha chachi dono khamosh baithe the.. Meenu ka chehra peela pada hua tha...

"Kya hua mummy?" Pinky ne sab jaante huye bhi sawaal kiya...

"Kuchh nahi.. tum neeche jakar padh lo..!" chacha ne kaha...

"Nahi.. wo gaanv mein sab kah rahe hain ki..." Pinky ne bola hi tha ki chacha shuru ho gaye....

"Haan.. kismat ke khel nirale hote hain beti.. kitna shareef tha bechara... mujhe toh ab bhi aisa lag raha hai ki wo neeche se aawaj de raha hai.. aakhiri waqt bhi dhang se baat nahi kar paya main.. bada pachhtawa ho raha hai.. padhne mein kitna tej tha.. uske maa baap ki toh kamar hi toot gayi hogi...." Pinky ke papa bhi bahut dukhi lag rahe the....

"Par.. par ye hua kaise?" Main apne aapko rok nahi payi...

"Koun jane beti? ab uski kisi se dushmani bhi kya hogi? wo toh jyada baat bhi nahi karta tha kisi se... bhagwan hi jaanta hai kya hua hoga...?" Chacha ne apna matha pakad liya...

"Ab chhodiye na Papa.. hona tha jo ho gaya... aap kyun baar baar..." Meenu ki aankhein nam ho gayi...

"Chhodo beti.. chhodo.." chacha ne kaha aur apni aankhein pounchhte huye ghutne par hath rakha aur uth gaye..,"Tu itna chhota mann kyun kar rahi hai.. Pinky aur Anjli ka bhi toh bhai hi tha 'wo'.. jab ye nahi ro rahi toh tu kyun... suabh se... chhod beti.. honi ka likha koyi nahi taal sakta..."

Meenu kambal mein dubak kar sisak'ne lagi... Mujhse wahan aur khada na raha gaya...," Achchha chachi.. main chalti hoon..!"

"Theek hai beti.. ja.. kapde badal le.. subah se kuchh khaya bhi nahi hoga..." Chachi bhi khadi ho gayi aur jakar Meenu ke paas baith gayi...

Main apne ghar jane ko Pinky ke ghar se bahar nikali hi thi ki ek mota sa thulthula policia ghar ke bahar aakar khada ho gaya...," Meenu ka ghar aaspaas hi hai kya?...?"

Main hadbada gayi.. Police wala bhala Meenu ko kyun poochh raha hai..," Ji.. yahi hai!" Maine hadbadahat mein hi jawab diya...

"Theek hai.. dhanyawad...!" Usne kaha aur wapas hamare ghar ki aur chal diya...

Kuchh soch kar main wapas ho li.. andar seedhiyon par jakar maine Meenu ko aawaj di," Didi....."

"Meenu.. Neeche Anju bol rahi hai shayad...." Upar se chacha ki aawaj mere kaano mein padi....

Kuchh der baad Meenu neeche aa gayi.. mere paas aate hi wah fafak padi..," aankhon mein aansuon ka jharna sa umad pada," yye.. ye kya ho gaya Anju..?"

"Par.. aap ro kyun rahi hain didi.. jo hua sahi hua.. hamein kya matlab hai.. uske karmon ka fal mil gaya usko..." Maine Meenu ke kandhe pakadte huye kaha...

"Pata nahi Anju.. rah rah kar kaleja sa fata ja raha hai... bahut yaad aa rahi hai uski.. Usne dhokha de diya toh kya hua.. maine toh uss'se sachcha pyar kiya tha na.. kal agar usko wapas na bhejti toh shayad wo..." Meenu buri tarah karahte huye rone lagi....

"Na.. didi.. pls.. aisa mat karo.. chup ho jao.. mujhe aapko kuchh batana hai..." Maine uske munh par hath rakh diya... uski aawaj kuchh der baad band ho gayi.. par aansu nahi thamey..,"Kya?"

"Wo... ek police wala bahar aaya tha.. aapka naam lekar ghar poochh raha tha..." Maine uske shant hone ke baad jawaab diya...

Meenu meri baat sunte hi sunn rah gayi.... Mujhe aisa laga jaise uss par ek aur pahad toot pada ho.. wah tharthar kaanpti huyi boli..," Mera naam lekar... par kyun?"

"Pata nahi didi.. wo kuchh nahi bola.. poochh kar wapas chala gaya...!" Maine bura sa munh bana kar kaha...

"Hey.. bhagwan.. ab kya hoga..." Meenu mein khadi rahne tak ki himmat nahi bachi.. maine usko sambhala aur charpayi par lita diya.. Achanak wah nishabd: si ho gayi.. pata nahi kya ho gaya usko... main ghabra gayi.. maine chacha ko aawaj lagayi," chacha.. jaldi aao..."

Meri aawaj mein ghabrahat ko bhanp kar upar se chacha, chachi aur Pinky.. teeno doude doude neeche aaye,"Kya hua?"

"ppata nahi... achanak behosh si ho gayi.." Maine kaha aur alag khadi ho gayi...

"Meenu.. meenu beti... pani lekar aao jaldi..."Chacha ne pinky se kaha...

Kuchh der baad Meenu ne aankhein khol di.. aankhein kholte hi wah chacha se lipat kar buri tarah rone lagi....

"Maan ja beti.. tu aisa karegi toh inka kya hoga... bus kar.. chup ho ja..." Chacha uske sir par pyar se hath ferne lage.. kuchh der baad usne apni aankhein band kar li aur dheere dheere shant ho gayi....

Thodi der baad achanak darwaje par ek hatta katta lamba sa police wala prakat hua.. Uske pichhe wahi thulthula sa policia khada tha... unhone andar dekha aur bina ijajat liye hi andar aa gaye.. Chacha, chachi aur Pinky; teeno unn police walon ko dekh kar hadbada se gaye..

"Ji kahiye?" Chacha khade ho gaye...

"Hummmm.." Lambu ne apna sir hilate huye aage kaha," Toh........ ye Meenu hai!"

"Ji.. par aap kyun poochh rahe hain..?" Chacha bhi uske munh se Meenu ka naam sunkar ghabra se gaye.. par Meenu aankh band kiye leti rahi....

Police wale ne chacha ki baat ka koyi jawab nahi diya.. chupchaap khada raha.. fir achanak tej tarrar aawaj mein bola," Kya ho gaya isko?"

kramshah....................................


आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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