Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--15

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बाली उमर की प्यास पार्ट--15

गतांक से आगे.......................
चाचा को काटो तो खून नही.. शायद उन्हे भी किसी पोलीस वाले को ये बताते हुए थोडा अजीब लग रहा था कि मीनू 'तरुण' के बारे में सुनकर सदमे में आ गयी है..," बैठिए ना.. दरोगा साहब; जा पिंकी.. उपर से कुर्सी ला दे.. और कुच्छ चाय दूध ले आ, साहब के लिए!" चाचा ने पिंकी से कहा और उनके पास आकर खड़े हो गये...

वो पोलीस वाला भी शायद फ्री होकर ही वहाँ आया था.. चाचा के कहते ही धम्म से चारपाई पर बैठ गया,"ये ठीक है.. आपने बताया नही.. क्या हो गया इसको?"

दूसरा मोटा पोलीस वाला लट्ठ के सहारे कोहनी टिकाए उसके पास खड़ा रहा...

"ज्जई.. ववो.. तरुण इनको पढ़ाने आता था.. काफ़ी घुल मिल गया था.. हमारे परिवार से.. इसीलिए थोड़ी सी..." चाचा ने हिचकते हुए कहा....

"पर ये तो उसकी उमर की ही लग रही है... इसको पढ़ाने आता था वो?" पोलीस वाले ने मीनू का चेहरा गौर से देखते हुए पूचछा...

"ज्जी हां.. इसकी इंग्लीश थोड़ी कमजोर है.. इसको भी इंग्लीश पढ़ा देता था.. वैसे खास तो इन्न बच्चियों को ही पढ़ने आता था.. इनके एग्ज़ॅम चल रहे हैं.. दूसवी के..." चाची ने जवाब दिया...

"हूंम्म..." उसने मुझे उपर से नीचे तक घूर कर देखा.. मुझे लगा मानो उसकी आँखें पूच्छ रही हों..'ये बच्ची कहाँ से लग रही है?'.. कुच्छ देर तक मुझे यूँही घूरते रहने के बाद बोला," इन्न 'बच्चियों' को शायद इतना दुख नही है.. जितना आपकी बड़ी बेटी को है.." उसने बच्चियों शब्द पर कुच्छ खास ज़ोर दिया...

"नही नही.. दारोगा साहब.. मेरी दोनो बेटियों समेत हम दोनो को भी उस'से बहुत लगाव था.. बस.. ये.. मीनू बातों को थोड़ा ज़्यादा दिल पर लेती है.. इसीलिए.." चाचा बोलते बोलते रुक गये... वो थोड़े शर्मिंदा से लग रहे थे.. पोलीस वाले के बात कहने के ढंग से...

"तीनो बेटियाँ आपकी नही हैं क्या?" पोलीस वाला सवाल पर सवाल किए जा रहा था...

तभी पिंकी आई और दो कुर्सियाँ रख कर वापस चली गयी.. पोलीस वाला उठा और कुर्सी पर बैठ गया... दूसरे पोलीस वाले ने भी अपनी कुर्सी अलग खींची और उस पर बैठ गया.....

"जी.. नही.. ये.. अंजलि मेरे भाई की बेटी है.. ये भी कयि दिन से यहीं पढ़ने के लिए आ रही थी...." चाचा ने मेरी ओर इशारा किया...

"हुम्म.. कितने बजे आता था वो.. पढ़ाने?" उसने अगला सवाल किया.. कम से कम मेरी समझ में नही आ रहा था कि वो बात को कहाँ ले जाना चाहता है....

"यही कोई सात साढ़े सात बजे तक आता था.. कल भी इसी वक़्त आया था.. है ना?" चाचा ने बोल कर मेरी तरफ देखा...

मैने स्वीकृति में सिर हिलाया," हां.." और मेरी आँखों के सामने कल रात वहाँ हुई घटना तैरने लगी.. मैने नज़रें झुका ली....


"जाता कितने बजे था... वापस?" पोलीस वाले ने पूचछा...

"उसका कुच्छ पक्का नही था साहब.. 10..11.. 12 भी बज जाते थे कभी कभी.. पहले इनको पढ़ाता था.. बाद में मीनू को थोड़ी इंग्लीश सीखा देता था... " चाचा उस बात को खा गये कि कभी कभी वो 'यहाँ' भी सो जाता था...," कल 'वो' कयि दिन बाद आया था...!"

"हूंम्म्मम..." पोलीस वाले ने दूसरे पोलीस वाले को देखा.. उसने भी अपना सिर हिला दिया...

"कल कितने बजे गया था वापस..?" पोलीस वाले ने चाचा की ओर ध्यान से देखते हुए कहा...

"वो तो इन्हे पता होगा..?" चाचा ने मेरी और देख कर कहा,"कितने बजे गया था अंजू?"

अचानक मुझसे सवाल होने पर मैं हड़बड़ा सी गयी.. समझ में ही नही आया कि क्या कहूँ.. और क्या नही.. पोलीस वाला भी मेरी और ही देखने लगा था.. इसीलिए मैं और भी ज़्यादा परेशान हो गयी...

तभी पिंकी चाय लेकर आ गयी.. उसने चाय का कप पकड़ा और चुस्की लेकर बोला,"कोई बात नही... आराम से सोच कर बता दो...!"

"ज्जई.. यही कोई 11 बजे के आसपास गया होगा...!" मुझे यही कहना उचित लगा.. मुझे लगा अगर मैने उसके पहले जाने की बात बोल दी तो फिर और सवाल खड़े हो जाएँगे...

पोलीस वाला मेरी ही और देखता रहा...," ठीक ठीक याद है ना?"

मैने 'हां' में सिर हिला दिया,"जी.. ग्यारह या सवा ग्यारह बजे ही गया था..."

"चलो कोई बात नही... 2-4 दिन में पोस्टमोरटूम रिपोर्ट आ जाएगी.. मुझे बाद में आना पड़ेगा...!" उसके खड़ा होते ही दूसरा पोलीस वाला भी झट से चाय अधूरी छ्चोड़ कर खड़ा हो गया...

"जी.. कोई बात नही.. पर.. हमें जो कुच्छ पता था.. हम बता चुके हैं.. आप तरुण की रिपोर्ट के बाद यहाँ क्यूँ आना चाहते हैं.." चाचा ने आशंकित होकर पूचछा...

"ओहो.. ऐसी कोई खास बात नही है मलिक साहब.. बस.. गाँव में किसी ने मुझे बताया कि वो यहाँ पढ़ाने आता था.. फिर मीनू उसके साथ कॉलेज में भी पढ़ती है.. इस'से कुच्छ ना कुच्छ जानकारी मिल ही जाएगी.. उसके दोस्तों के बारे में.. आप बेफिकर रहें... !" पहली बार उस पोलीस वाले ने चाचा से तमीज़ से बात की..," अभी मीनू भी कुच्छ बताने की हालत में नही है.. इसीलिए कहा था की बाद में आउन्गा...!"

तभी मीनू उठ कर बैठ गयी.. अपने हाथों से अपने चेहरे पर सूख चुके आँसुओं को सॉफ करते हुए रूखी सी आवाज़ में बोली," जी.. अभी पूच्छ लीजिए.. मैं ठीक हूँ.."

"ओह्ह.. तो आप भी सब सुन रही थी.." पोलीस वाले ने पलट कर कहा और वापस आकर कुर्सी पर बैठ गया..

"जी क्या पूचछा है आपको? पूच्छ लीजिए.. मैं ठीक हूँ..!" मीनू ने नज़रें झुकाए हुए ही कहा....

पोलीस वाले ने चाचा की और देख कर कहा," मैं मीनू से अकेले में कुच्छ पूच्छना चाहता हूँ... आप थोड़ी देर के लिए उपर चले जाओ...!"

चाचा ने घबराकर चाची की ओर देखा और थोड़े से हड़बड़ाहट में बोले..," पर.. ऐसी क्या बात पूच्छनी हैं साहब.. आप पूच्छ लीजिए जो भी पूच्छना है.. हम कुच्छ नही बोलेंगे...!" और दोनो वहीं खड़े रहे.. मैं चलकर चाची के पास आकर खड़ी हो गयी...

"आप समझने की कोशिश करें.. मुझे कॉलेज की कुच्छ बातें पूच्छनी हैं.. आपके यहाँ रहते ये खुल कर बता नही पाएगी...!" पोलीस वाला लंबू बोला..

"हमारी बेटी ऐसी नही है साहब.. सीधी कॉलेज जाती है.. और सीधी आती है.. फालतू बातों पर ये ध्यान नही देती... और कम से कम अपनी मम्मी को तो सब कुच्छ बता ही देती है.. मैं चला जाता हूँ.. इसकी मम्मी यहीं बैठ जाएगी.." चाचा ने नाराज़ सा होते हुए कहा...

"देखिए.. मेरे लिए तो चाहे इसको पंचायत में ले चलो.. मैं तो वहाँ भी पूच्छ लूँगा... मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है.. मैं तो इसके भले के लिए ही आपको जाने के लिए बोल रहा हूँ.. सिर्फ़ इसी बात के कारण मैने आप लोगों को वहाँ नही बुलवाया.. मैं ऐसा भी कर सकता था.. बाकी आपकी मर्ज़ी है... हां मीनू.. मैं तुमसे कुच्छ भी पूछू.. इनके सामने.. तुम्हे कोई ऐतराज तो नही है ना... ?मतलब.. तुम्हारी सारे बातें तुम्हारी मम्मी को सच में पता होती हैं क्या?" इनस्पेक्टर की आँखें घूमाते हुए जाकर मीनू पर जम गयी...

मीनू कुच्छ देर अपना सिर झुकाए बैठी रही.. फिर मम्मी की और देख कर बोली," आप लोग जाओ मम्मी.. अंजू मेरे पास रह जाएगी...!"

चाचा चाची कुच्छ देर उनमाने से वहीं खड़े रहे.. फिर चाचा ने मूड कर कहा," ठीक है.. आ जाओ तुम भी..."

चाचा चाची दोनो उपर चले गये.. मैं और मीनू दोनो असमन्झस से उन्न पोलीस वालों को देखने लगे....

"कौनसे कॉलेज में हो मीनू?" पोलीस वाले ने मीनू को शरारती नज़रों से घूर कर देखा....

मीनू ने भी उन्न आँखों में ललक को पहचान लिया.. उसने तुरंत अपना सिर झुका लिया," जाट कॉलेज में...!"

"अरे वाह! मैं भी तो उसी कॉलेज में पढ़ा हूँ.. 2 साल पहले ही ग्रॅजुयेशन कंप्लीट की है वहाँ से.." पोलीस वाले ने कहा और मीनू के बराबर वाली चारपाई पर जाकर बैठ गया..," तभी पोलीस में सेलेक्षन हो गया था.. बाइ दा वे, आइ'म इनस्पेक्टर मानव!" उसने कहा और मीनू की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया... मिलाने के लिए!

पर मीनू के दोनो हाथ कंबल में ही दुब्के रहे.. उल्टा वह थोड़ी सी खिसक कर पिछे हो गयी...

"वेल..." इनस्पेक्टर ने अपना दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाया और पहले बढ़े हुए हाथ की हथेली खुजलाने लगा.. अपनी खीज मिटाने के लिए...," के.के. मांन सर अब भी वहाँ हैं क्या? बड़ा अच्च्छा पढ़ते थे... वो मेरे फॅवुरेट सर थे...!"

"जी.. अब 'वो' प्रिन्सिपल हैं... पर आप ये बातें मम्मी पापा के सामने भी तो पूच्छ सकते थे... वो पता नही क्या सोच रहे होंगे.." मीनू ने शिकायती लहजे में कहा...और मुझे खड़ी देख कर बोली,"यहाँ आ जाओ अंजू.. मेरे पास बैठ जाओ!"

मैं जाकर उसकी चरपाई पर बैठ गयी....

अचानक 'वो' इनस्पेक्टर सेनजीदा सा होकर पिछे हट गया.. कुच्छ देर सोचता रहा.. फिर बोला..,"तो मैं ये मान लूँ कि अंजलि के सामने तुमसे कुच्छ भी पूच्छ लूँ.. तुम्हे कोई फ़र्क़ नही पड़ेगा...!"

"जी.. पूच्हिए!" मीनू ने आशंकित होकर जवाब दिया....

"तरुण को तुम कितना जानती थी..." इनस्पेक्टर ने पूचछा...

ये सवाल सुनते ही मीनू की आँखों में आँसू आ गये.. पर वो अपने को संयमित रखते हुए बोली," जी.. मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था.. बहुत इंटेलिजेंट था.. हमारे गाँव का था और हूमें पढ़ने आता था... बस!"

"बस?" इनस्पेक्टर ने मीनू के आख़िरी शब्द को दोहराया.. पर उसके 'बस' में प्रशनवचक भाव थे....

"जी... !" मीनू ने अपना सिर झुकाए हुए इतना ही कहा....

"पर.. आपको देख कर तो कोई भी कह सकता है कि आपको उस'से लगाव था.. 'फिल्मी' भाषा में कहूँ तो.. प्यार.. या ... आकर्षण... या... ज़्यादा खुल कर बोलूं तो...शारीरिक आकर्षण! तुम्हारे घर वालों ने पता नही 'इस' आकर्षण को आज तक क्यूँ नही पहचाना.... मैं तो देखते ही समझ गया था..." इनस्पेक्टर ने रुक रुक कर बात पूरी की....

मीनू और मैं.. दोनो उसकी बात सुनकर स्तब्ध हो गयी.. पर मैं कुच्छ ना बोली.. मैं अपना मुँह खोले मीनू की ओर देखने लगी....

"ययए.. आप क्या बात कर रहे हैं..? ऐसा कुच्छ नही था...!" मीनू सकपका कर बोली...

"तो फिर ऐसा होगा कि आप रोज़ यूँही रोती रहती होंगी.. कितने ही लोग मरते हैं रोज.. है ना?" इनस्पेक्टर ने व्यंग्य किया..

मीनू ने कोई जवाब नही दिया...

"बोलती क्यूँ नही..? ऐसा क्या था तुम दोनो के बीच.. जो आपको इस तरह से रोने पर मजबूर कर रहा है.. जैसे कोई अपना चला गया हो..!" इनस्पेक्टर ने सीधे सीधे पूचछा....

मीनू फफक पड़ी..," प्लीज़.. आप ऐसे सवाल ना करें.. हां.. वो हम सबको अच्च्छा लगता था... हमारे घर रोज़ आता था.. अब ऐसे तो घर में रहने वाले 'कुत्ते' के लिए भी दुख होता है.. तो क्या आप उसको भी उसी नज़र...."

इनस्पेक्टर मुस्कुराता हुआ बोला," तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि 'तरुण' तुम्हारे लिए सिर्फ़ एक 'कुत्ता' था.. प्लीज़ डॉन'ट माइंड..!"

"म्‍मैइने तो सिर्फ़ उदाहरण दिया था.. आप...!" मीनू ने उसकी नज़रों में नज़रें डाल कर हताशा से देखा...

"चलो छ्चोड़ो.. कल जब वो आया तो यहाँ पर कौन कौन था...?" इनस्पेक्टर ने बात पलट दी...

"हम तीनो ही थे.. और एक बार पापा आए थे.. नीचे.. दरवाजा खोलने..." मीनू ने ये बात कह कर इनस्पेक्टर को एक और बात पकड़ा दी...

"क्यूँ? तुम में से कोई भी तो दरवाजा खोल सकती थी..?"

"ज्जई.. वो हमें उसकी आवाज़ सुनाई नही दी...!" मीनू ने वही सफाई दे डाली जो रात चाचा को दी थी...

"हूंम्म... फिर क्या हुआ?" इनस्पेक्टर ने इस अंदाज में पूचछा.. जैसे उसको पता हो कि कल रात यहाँ कुच्छ अलग हुआ हो...

मीनू भी उसके अंदाज को देख कर हड़बड़ा गयी...," ज्जई.. क्या मतलब..? बस पढ़ाया और फिर चला गया...!" मीनू की साँसें भारी हो गयी...

"कितने बजे?" इनस्पेक्टर ने पूचछा तो मैं डर गयी.. मुझे लगा कहीं मीनू उसके जल्दी वापस जाने की बात ना कह दे....

"यही.. कोई 11 बजे के आसपास..." मीनू का जवाब सुनकर मेरी जान में जान आई...

"आपने इस बात का जवाब बड़ी जल्दी दे दिया... इसका मतलब आप लेते हुए हमारी सारी बातें सुन रही थी..." इनस्पेक्टर ने अपनी आँखें सिकोड कर उसको घूरा....

"क्क्या मतलब..? मुझे पता था कि वो कितने बजे गया था.. मैने बता दिया.." मीनू इनस्पेक्टर को देखते हुए बोली....

"नही.. बस.. तुम्हारे पापा कह रहे थे कि वो कभी 10 बजे तो कभी 12 बजे जाता था.. इसीलिए मुझे लगा तुम्हे याद करके बोलना चाहिए था... वैसे.. कल क्या पढ़ाया था उसने?" इनस्पेक्टर अब सीरीयस होता जा रहा था...

इस सवाल पर हम दोनो ही बगले झाँकने लगे... फिर कुच्छ देर बाद मीनू बोली..," ऐसी बातें क्यूँ पूच्छ रहे हैं आप....?"

इनस्पेक्टर मुस्कुराता हुआ बोला," कोई बात नही... छ्चोड़ो! ये ही बता दो कि उसको किसने मारा है..?"

मीनू अचानक काँपने सी लगी," याइ..ये क्या.. पूच्छ रहे हैं आप? ंमुझे क्या पता?"

"हा हा हा.. इधर उधर की बात करूँ तो आपको तकलीफ़ होती है.. सीधे मतलब की बात पर आ जाउ तो आपको तकलीफ़ होती है.. ठीक है.. आप ही बता दीजिए कि क्या क्या पूछू.. ताकि मैं कातिल तक पहुँच जाउ? .. आख़िर ये ही तो काम है मेरा!" इनस्पेक्टर ने घाघ लहजे में कहा...

"एमेम..हमें क्या पता.. आप पता लगाइए.. मुझसे क्यूँ पूच्छ रहे हैं आप.. ये सब.."मीनू पूरी तरह से हड़बड़ा गयी थी...

"इसीलिए पूच्छ रहा हूँ.. क्यूंकी 'उसके' मर्डर के तार आपसे जुड़े हुए हैं.. पहले मैने ये सोचा था कि तुम्हारे और तरुण के संबंधों का तुम्हारे घर वालों को पता चल गया होगा.. इसीलिए उन्होने उसको ख़तम करवा दिया... पर अब.. उनसे बात करने के बाद मैं निसचिंत हूँ.. उनको कुच्छ नही पता इस बारे में.. पर 'तुम्हारे' चेहरे से ही लग रहा है कि 'भैंस' यहाँ फँसी खड़ी है... समझ गयी ना?" इनस्पेक्टर की बात सुनकर मीनू का बुरा हाल हो गया..

"मैं सच कह रही हूँ.. मुझे कुच्छ नही पता...!" मीनू सुबक्ते हुए बोली...

"तुम्हे मेरा शुक्रगुज़ार होना चाहिए.. मैने ये बातें तुम्हारे घर वालों के सामने नही कही.. गाँव वालों को किसी को नही पता कि मैं तहकीकात यहाँ से शुरू कर रहा हूँ... सिर्फ़ इसीलिए ताकि आप बेक़ुसूर निकलें तो तुम्हारी इज़्ज़त बची रहे... पर कम से कम अब मैं तो जानता ही हूँ कि तुम्हारे और तरुण के बीच संबंध था.. जो समाज की नज़रों में ग़लत था...

और ये भी कि तुम्हारा 'वो' एक ही यार नही था... और भी थे.. और तुम्हे पता है कि उनमें से किसने उसको मार दिया... और मुझे भी जान'ना है.. अब तुम सीधे तरीके से बताओ या टेढ़े तरीके से.. मर्ज़ी तुम्हारी है...?"

मैं अवाक सी होकर मीनू के चेहरे की और देखने लगी.. मीनू अजीब सी हिचकियाँ सी लेते हुए सिसकने लगी.. पर उस इनस्पेक्टर पर कोई फ़र्क़ नही पड़ा.. वो उसकी और देखता हुआ लगातार मुस्कुरा रहा था.. आख़िरकार मीनू की सिसकियाँ कम हुई और उसने तड़प कर पूचछा," ये सब कैसे कह रह हैं आप..? और क्यूँ?"

"इसीलिए.." इनस्पेक्टर ने कहा और 3 पन्ने उसको दिखा कर मुस्कुराता हुआ बोला..," बड़ी सुन्दर लिखाई है.... ये.. ये तुम्हारी ही लिखाई है ना..?"

हम दोनो की साँसें उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी.. मीनू हकलाते हुए बोली," यएए.. ये आपको कहाँ मिले?"

"देखा! ढूँढने पर हों तो भगवान भी मिल जाता है.. बस श्रद्धा होनी चाहिए... अब क्या कहती हो..?" इनस्पेक्टर अब भी मुस्कुरा रहा था...

"भगवान की कसम.. मुझे नही पता उसको किसने.. और क्यूँ......?" मीनू धीरे से बोली....

"कोई बात नही... वो सब बाद में देख लेंगे...अभी आराम करो.. मैं बार बार यहाँ आउन्गा तो घर वाले परेशन हो जाएँगे... कल कॉलेज आकर 'इस' नंबर. पर फोन कर लो.." इनस्पेक्टर मीनू को एक कागज पर नंबर. लिख कर देता हुआ बोला... मैं तुम्हे कॉलेज से लेने आ जाउन्गा.. बाकी बातें अब कल ही करेंगे..." इनस्पेक्टर ने मुस्कुरकर कहा और उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया.. मिलाने के लिए!

मीनू सुन्न सी होकर इनस्पेक्टर के हाथ की ओर देखती रही.. फिर उसने अपना हाथ कंबल से बाहर निकाला और दूसरे हाथ से अपने आँसू पौंचछते हुए इनस्पेक्टर का हाथ पकड़ लिया....

"ये.. ये मेरे साथ क्या हो गया अंजू?.. अब क्या करूँ मैं? घर वालों को भी मेरे और तरुण के बारे में पता लग गया तो...? कितना विश्वास करते थे मुझपर.. मैं तो जी ही नही पाउन्गि अब!" पोलीस वालों के जाते ही मीनू ने रोना बिलखना शुरू कर दिया....!"

मैने भी भरे मंन से उसको शंतवना देने की कोशिश की,"नही पता लगेगा दीदी.. आप कुच्छ मत बताना उन्हे... उनको बताना होता तो वो आज ही ना बता देते.. आज भी तो उनको उपर भेज दिया था ना.. पहले ही..!"

"कुच्छ नही पता इन्न पोलीस वालों का.. ये सब इनकी चाल होती है.. अगर मुझसे इनको सच्चाई का पता नही लगा तो फिर थोड़े ही मेरे बारे में सोचेंगे... और जब मुझे खुद ही कुच्छ नही पता तो मैं बतौँगी क्या?" मीनू ने रोते हुए ही कहा...

"पर दीदी.. इन्होने आपको शहर में मिलने को क्यूँ बोला.. ?" मैने आशंकित होकर पूचछा....

"अब क्या पता?" मीनू ने अपने गालों पर लगातार लुढ़क रहे आउन्सुओ को पुंचछते हुए सुबकि ली...

"कहीं... उन्न लेटर्स के लिए अब ये तो आपको ब्लॅकमेल नही करेंगे ना..?" मेरे दिमाग़ में जो आया.. मैने बोल दिया...

मेरी बात सुनकर मीनू ने फिर से रोना शुरू कर दिया...

"मैं तो बस ऐसे ही कह रही हूँ दीदी.. पोलीस वाले ऐसा थोड़े ही कर सकते है.. आप चुप हो जाओ.. शायद उपर से कोई आ रहा है...!" मैने सीढ़ियों से आहत सुनकर कहा...

मीनू ने तुरंत अपने आँसू पौंच्छ लिए... तभी उपर से चाची और पिंकी दोनो नीचे आ गये...

"ऐसा क्या पूच्छ रहे थे वो?" चाची ने आते ही मीनू से सवाल किया...

मीनू कोई जवाब नही दे पाई.. अचानक मेरे ही मंन में कुच्छ आ गया जो मैने बोल भी दिया," कुच्छ खास नही चाची... तरुण के दोस्तों के बारे में पूच्छ रहे थे.. कैसे हैं क्या करते हैं.. तरुण पढ़ाई में कैसा है.. इस तरह की बातें..."

"इन्न बातों को पूच्छने के लिए वो हमें उपर क्यूँ भेजते..? ज़रूर कोई दूसरी ही बात होगी.. तुम कुच्छ छिपा रही हो ना?" चाची ने घूर कर मीनू को देखा...

"नयी मम्मी.. वो.. ये भी पूच्छ रहे थे कि तरुण की कोई गर्ल फ्रेंड तो नही थी.. उसका कोई इस तरह का लाफद..... कॉलेज में.. बस इसी तरह की बातें पूच्छ रहे थे.. इसीलिए आपको उपर भेज दिया होगा..!" मीनू ने मेरी बात थोड़ी सी और सुधार दी...

"तो.. तुमने कह दिया होगा ना की वो ऐसा नही था...?" चाची ने पास बैठकर पूचछा...

"हाँ..." मीनू ने अपना सिर हिलाते हुए कहा और फिर अपने आँसू पौच्छने लगी....

"कितना नएक्दील था बेचारा.. कीड़े पड़ें उनको जिन्होने इतना घटिया काम किया है... तू रो मत बेटी.. भगवान उनको ज़रूर सज़ा देंगे... बस कर.. अब अपनी पढ़ाई कर ले... इन्न बच्चियों का भी तो कल पेपर है ना... आज तो इन्न दोनो ने खाना भी नही खाया आकर... तू भी यहीं खा लेना अंजू.. मैं खाना बनाने जा रही हूँ.. आजा.. मेरे साथ उपर आ एक बार...!" चाची ने खड़ी होकर मुझे साथ आने को कहा....

"नही चाची.. मैं घर जा रही हूँ.. मम्मी चिंता कर रही होगी..."मैने कहा...

"अरे मैने फोन कर दिया था.. तू आ तो एक बार...!" चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और उपर ले गयी...

"आजा.. किचन में आजा.. अंदर तेरे चाचा होंगे..! चाची ने कहा और मैं उनके साथ किचन में चली गयी....

"देख बेटी.. सच सच बताना.. कुच्छ भी छिपाना मत..." चाची ने कहा...

"क्या चाची..?" मेरा दिल धड़कने लगा...

"पोलीस वालों ने कुच्छ और बात भी पूछि थी क्या?" चाची ने मेरे गाल सहलाते हुए पूचछा...

"नही चाची.. बस उसके कॉलेज के बारे में ही पूच्छ रहे थे.. प्रिन्सिपल कौन है.. ? ऐसी ऐसी बातें..." मैने उनसे नज़रें मिलाए बिना ही जवाब दिया...

"तरुण यहाँ आता था तो तूने कुच्छ ऐसा वैसा तो महसूस नही किया ना?" चाची ने पूचछा..

मैं समझ तो सब गयी थी.. पर अंजान बनते हुए बोली," कैसा चाची...?"

"चल छ्चोड़.. एक बात मान लेगी ना मेरी...!" चाची ने प्यार से कहा...

"क्या?" मैं घबरा सी गयी...

"वो.. घर पर मत बताना की पोलीस वाले यहाँ आए थे.. और मीनू से पूचहताच्छ कर रहे थे.. समझ गयी ना.. बेवजह उन्हे भी चिंता होगी.. और बात कहीं की कहीं निकल जाती है बेटी.. तू तो जानती है कि मीनू कितनी भोली है..!"

"जी चाची... मैं तो वैसे भी किसी को नही बताती.." मैने भोलेपन से जवाब दिया....

"शाबाश.. जा अब.. पढ़ ले अच्छे से.. और मीनू को भी समझाना.. अब परेशान होकर मिलेगा भी क्या? वो बेचारा वापस तो नही आ जाएगा ना... जा.. मैं खाना बना देती हूँ.. तुम्हारे लिए..." चाची ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरा...

"जी अच्च्छा चाची.." मैने कहा और नीचे आ गयी....

"अब क्या होगा दीदी.." पिंकी घबराई हुई मीनू का हाथ पकड़े पूच्छ रही थी....

"इसको.. बता दिया क्या?" मैने जाते ही मीनू से पूचछा...

मीनू ने हां में सिर हिलाया और बोली,"मेरी ये समझ में नही आ रहा कि 'वो' ऐसा क्यूँ कह रहे थे कि तुम्हारे कयि यार हैं.. और उनमें से ही किसी ने..."

"यूँही तुक्का मार रहे होंगे... वो तो ये भी कह रहे थे कि आपको पता है कि किसने मारा है तरुण को..." मैने कहा....

"हां.. हो भी सकता है...!" मीनू ने लंबी साँस लेकर कहा...

"फिर.. तुम कल उनको फोन करोगी क्या.. दीदी?" पिंकी ने पूचछा... मीनू ने कोई जवाब नही दिया.. पिंकी ने फिर कहा," बोलो ना दीदी..?"

"पता नही.. मेरी तो खुद समझ में नही आ रहा कि क्या करूँ...?" मीनू ने कहा....

"अगर करो तो उनके साथ बैठकर कहीं मत जाना दीदी... मैने देखा था.. वो बार बार आपको बुरी नज़र से देख रहे थे.." पिंकी ने भोला सा चेहरा बनाकर कहा...

मीनू ने उसकी इस बात का भी कोई जवाब नही दिया.. 'लड़के तो सभी ऐसे होते हैं.. उनकी तो नज़र ही बुरी होती है.. पर इनस्पेक्टर तो उस'से 4-5 साल ही बड़ा था...' .... मीनू मन ही मन सोचती रही....
अगले दिन हम दोनो तैयार होकर स्कूल जाने के लिए उनके घर से निकाल लिए.. मीनू तो तब तक उठी भी नही थी.. मैं उस'से बात करना चाहती थी.. पर चाची ने मना कर दिया. चाची ने बताया कि वो रात भर सोई नही है.

हम गाँव से निकले ही थे कि संदीप हमें पैदल ही जाता दिखाई दिया.. वो अकेला ही था.. हमें आता देख कर वह रुक गया..

"हेलो!" संदीप ने पहले पिंकी और फिर मुझे देख कर कहा..

"हाई.." जवाब सिर्फ़ मैने दिया.. पिंकी कुच्छ देर चुप रहने के बाद झिझकते हुए बोली..," कुच्छ पता चला.. तरुण के बारे में...?"

संदीप के चेहरे पर उदासी सी छा गयी," पता नही.. पर मनीषा कह रही थी कि उसने रात को लड़ाई सी की आवाज़ें सुनी थी.. चौपाल में!"

"कौन मनीषा? वही क्या जो ट्राक्टेर चलाती है.. और मोटरसाइकल भी?" पिंकी ने संदीप की ओर देख कर पूचछा...

"हां.. और क्या करे बेचारी !.. ना तो उसका कोई भाई है.. और ना ही 'मा' ... बाप शराब पीकर पड़ा रहता है 24 घंटे.. वही तो संभाल रही है घर को.." संदीप ने पिंकी की बात पर प्रतिक्रिया दी...

"पर उसने कैसे सुनी?" मैने पूचछा...

"अरे.. उसका घर चौपाल के साथ लगता हुआ ही तो है...!" संदीप बोला...

"हां.. वो तो मुझे पता है.. पर इतनी रात को.. वो जाग रही थी क्या?" मैने यूँही बात करने के लिए बात को आगे बढ़ा दिया.. संदीप से बात करते हुए मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा था....

"वो तो कह रही है कि उसने 9:00 बजे के आसपास आवाज़ें सुनी थी... 'वो' भैंसॉं को चारा डालने के लिए घर के बाहर बरामदे में आई थी... तभी उसको चौपाल से कुच्छ बहस होने की आवाज़ें आई.. उसने अपनी दीवार से झाँक कर देखने की कोशिश की पर अंधेरे की वजह से कुच्छ दिखाई नही दिया... फिर वो ये सोच कर वापस चली गयी कि 'नशेड़ी' (नशा करने वाले) आकर बैठ गये होंगे...

मैने घबराकर पूचछा," उसने... किसको बताई है ये बात?"

"तरुण के घरवालों को.. और उस 'छ्होकरे' से इनस्पेक्टर को भी... क्यूँ?" संदीप ने बताने के बाद सवाल किया....

"नही.. कुच्छ नही..." मेरा दिल बैठ गया.. इनस्पेक्टर ने ये ' 9:00 बजे वाली बात का जिकर हमारे पास क्यूँ नही किया.. मैने तो उसको ये बताया था कि तरुण 11:00 बजे तक हमारे पास ही था.." मेरे मंन में अंजाना सा डर बैठता चला गया..

"अरे हां.. वो.. शिखा तुम्हे बुला रही थी.. कयि दिन पहले कहा था.. मुझे याद ही नही रहा..." संदीप ने कहा...

"किसको?" मैने पूचछा.. पिंकी कुच्छ बोल ही नही रही थी...

"तुम दोनो ही आ जाना.. क्या दिक्कत है?" वह मुस्कुराते हुए बोला...

"ठीक है.. हम दोनो आ जाएँगे...!" मैने उसको जवाब देकर पिंकी का हाथ पकड़ कर खींचा," क्या हो गया पिंकी?"

"कुच्छ नही.." उसने सिर्फ़ इतना ही कहा.. शायद उसके मंन में भी वही उधेड़बुन चल रही थी.. जो मेरे मंन में थी....
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स्कूल में जाते ही मुझे प्रिन्सिपल मेडम ने एक तरफ बुला कर पूचछा..," तुम्हारे गाँव में किसी लड़के का मर्डर हो गया ना?"

"जी.. तरुण का! " मैने सिर झुकाए हुए ही जवाब दिया...

"ये.. वही लड़का था ना.. जो.. परसों यहाँ आ गया था..?" मेडम बोलते हुई बीच में एक बार झिझकी....

"जी!" मैने यूँही उदासी भरी 'हामी' भरी....

"ओह माइ गॉड! मुझे भी वही लग रहा था.. आज न्यूसपपेयर में उसकी फोटो आई हुई थी.. ये सब कैसे हुआ?" मेडम ने पूचछा.....

"पता नही मेडम!" मैने नीरास्ता से जवाब दिया...

"हूंम्म... किसी को बताना मत... उस दिन वो लड़के फिर वापस आए थे.. 'सर' के साथ कुच्छ बात करके गये थे अकेले में... शायद इनके बीच 'कॉंप्रमाइज़' हुआ था कुच्छ... दूसरे लड़के से पूच्छना!"

"जी.. उस'से मैं बात नही करती मेडम.. सिर्फ़ शक्ल से ही जानती हूँ..." मैने कहा..

"चलो कोई बात नही... मुझे तो बड़ी दया आ रही है.. बेचारे की.. 'इन्न' सर की भी बहुत पोलिटिकल अप्रोच है.. कितने तो शराब के ठेके चलाते हैं इनके..... कहीं....." वह कुच्छ देर चुप रही,"... पर तुम इस बात का जिकर मत करना कहीं भी.. तुम्हारी बात भी सामने आ जाएगी नही तो! .... समझ गयी ना....?" मेडम ने फुसफुसते हुए मेरे कानो में बात डाल दी....

"जी.. मेडम.." मैने कहा और पिंकी के पास आ गयी...

"क्या कह रही थी मेडम?" पिंकी ने उसके पास जाते ही मुझसे पूचछा....

"छ्चोड़.. बाद में बताउन्गि.. पहले पेपर दे ले...!" मुझे उसको इस वक़्त बेवजह की टेन्षन देना अच्च्छा नही लगा...
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खैर.. हमारा पेपर अच्च्छा हो गया.. अगले दिन छुट्टी थी.. वापस आते हुए भी हम संदीप के साथ ही आए थे... वह पिंकी के घर के करीब तक हमारे साथ आया...

घर जाते ही हमने देखा.. मीनू नीचे अकेली ही बैठी थी...

"क्या हुआ? गयी नही क्या आज भी?" पिंकी ने पूचछा...

"नही...!" मीनू ने मरा हुआ सा जवाब दिया....

"फिर.. वो इनस्पेक्टर यहीं आ गया तो?" मैने भारी मन से कहा.....


क्रमशः.....................................

gataank se aage..........

Chacha ko kato toh khoon nahi.. shayad unhe bhi kisi police wale ko ye batate huye thoda ajeeb lag raha tha ki Meenu 'Tarun' ke baare mein sunkar sadme mein aa gayi hai..," Baithiye na.. daroga sahab; ja Pinky.. upar se kursi la de.. aur kuchh chay doodh le aa, sahab ke liye!" Chacha ne Pinky se kaha aur unke paas aakar khade ho gaye...

Wo Police wala bhi shayad free hokar hi wahan aaya tha.. Chacha ke kahte hi dhamm se charpayi par baith gaya,"Ye theek hai.. aapne bataya nahi.. kya ho gaya isko?"

Dusra mota police wala latth ke sahare kohni tikaye uske paas khada raha...

"Jji.. Wwo.. Tarun inko padhane aata tha.. kafi ghul mil gaya tha.. hamare pariwar se.. isiliye thodi si..." Chacha ne hichakte huye kaha....

"Par ye toh uski umar ki hi lag rahi hai... isko padhane aata tha wo?" Police wale ne Meenu ka chehra gour se dekhte huye poochha...

"Jji haan.. iski English thodi kamjor hai.. isko bhi English padha deta tha.. Waise khas toh inn bachchiyon ko hi padhane aata tha.. inke exam chal rahe hain.. duswi ke..." chachi ne jawab diya...

"hummm..." Usne mujhe upar se neeche tak ghoor kar dekha.. mujhe laga mano uski aankhein poochh rahi hon..'Ye bachchi kahan se lag rahi hai?'.. kuchh der tak mujhe yunhi ghoorte rahne ke baad bola," Inn 'bachchiyon' ko shayad itna dukh nahi hai.. Jitna aapki badi beti ko hai.." Usne bachchiyon shabd par kuchh khas jor diya...

"Nahi nahi.. daroga sahab.. meri dono betiyon samet hum dono ko bhi uss'se bahut lagav tha.. bus.. ye.. Meenu baaton ko thoda jyada dil par leti hai.. isiliye.." Chacha bolte bolte ruk gaye... wo thode sharminda se lag rahe the.. Police wale ke baat kahne ke dhang se...

"Teeno betiyan aapki nahi hain kya?" Police wala sawaal par sawaal kiye ja raha tha...

Tabhi Pinky aayi aur do kursiyan rakh kar wapas chali gayi.. Police wala utha aur kursi par baith gaya... dusre police wale ne bhi apni kursi alag kheenchi aur uss par baith gaya.....

"Ji.. nahi.. ye.. Anjali mere bhai ki beti hai.. ye bhi kayi din se yahin padhne ke liye aa rahi thi...." Chacha ne meri aur ishara kiya...

"Humm.. kitne baje aata tha wo.. padhane?" Usne agla sawaal kiya.. kum se kum meri samajh mein nahi aa raha tha ki wo baat ko kahan le jana chahta hai....

"Yahi koyi saat saadhe saat baje tak aata tha.. kal bhi isi waqt aaya tha.. hai na?" Chacha ne bol kar meri taraf dekha...

Maine swikriti mein sir hilaya," haan.." aur meri aankhon ke saamne kal raat wahan huyi ghatna tairne lagi.. maine najrein jhuka li....


"Jata kitne baje tha... wapas?" Police wale ne poochha...

"Uska kuchh pakka nahi tha sahab.. 10..11.. 12 bhi baj jate the kabhi kabhi.. pahle inko padhata tha.. baad mein Meenu ko thodi English sikha deta tha... " Chacha uss baat ko kha gaye ki kabhi kabhi wo 'yahan' bhi so jata tha...," Kal 'wo' kayi din baad aaya tha...!"

"Hummmmm..." Police wale ne dusre police wale ko dekha.. usne bhi apna sir hila diya...

"Kal kitne baje gaya tha wapas..?" Police wale ne chacha ki aur dhyan se dekhte huye kaha...

"Wo toh inhe pata hoga..?" Chacha ne meri aur dekh kar kaha,"Kitne baje gaya tha Anju?"

Achanak mujhse sawaal hone par main hadbada si gayi.. samajh mein hi nahi aaya ki kya kahoon.. aur kya nahi.. Police wala bhi meri aur hi dekhne laga tha.. isiliye main aur bhi jyada pareshan ho gayi...

Tabhi Pinky chay lekar aa gayi.. usne chay ka cup pakda aur chuski lekar bola,"Koyi baat nahi... aaram se soch kar bata do...!"

"Jji.. yahi koyi 11 baje ke aaspaas gaya hoga...!" Mujhe yahi kahna uchit laga.. mujhe laga agar maine uske pahle jane ki baat bol di toh fir aur sawaal khade ho jayenge...

Police wala meri hi aur dekhta raha...," theek theek yaad hai na?"

Maine 'haan' mein sir hila diya,"Ji.. gyarah ya sawa gyarah baje hi gaya tha..."

"chalo koyi baat nahi... 2-4 din mein postmortum report aa jayegi.. mujhe baad mein aana padega...!" Uske khada hote hi dusra police wala bhi jhat se chay adhoori chhod kar khada ho gaya...

"ji.. koyi baat nahi.. par.. Hamein jo kuchh pata tha.. hum bata chuke hain.. aap Tarun ki report ke baad yahan kyun aana chahte hain.." Chacha ne aashankit hokar poochha...

"Oho.. aisi koyi khas baat nahi hai Malik Sahab.. bus.. gaanv mein kisi ne mujhe bataya ki wo yahan padhaane aata tha.. fir Meenu uske sath college mein bhi padhti hai.. iss'se kuchh na kuchh jankari mil hi jayegi.. uske doston ke baare mein.. aap befikar rahein... !" Pahli baar uss police wale ne chacha se tameej se baat ki..," Abhi Meenu bhi kuchh batane ki halat mein nahi hai.. isiliye kaha tha ki baad mein aaunga...!"

Tabhi Meenu uth kar baith gayi.. apne hathon se apne chehre par sookh chuke aansuon ko saaf karte huye rookhi si aawaj mein boli," Ji.. abhi poochh lijiye.. main theek hoon.."

"Ohh.. Toh aap bhi sab sun rahi thi.." Police wale ne palat kar kaha aur wapas aakar kursi par baith gaya..

"Ji kya poochha hai aapko? poochh lijiye.. main theek hoon..!" Meenu ne najrein jhukaye huye hi kaha....

Police wale ne chacha ki aur dekh kar kaha," Main Meenu se akele mein kuchh poochhna chahta hoon... aap thodi der ke liye upar chale jao...!"

Chacha ne ghabrakar chachi ki aur dekha aur thode se hadbadahat mein bole..," Par.. aisi kya baat poochhni hain Sahab.. aap poochh lijiye jo bhi poochhna hai.. hum kuchh nahi bolenge...!" Aur dono wahin khade rahe.. main chalkar chachi ke paas akar khadi ho gayi...

"Aap samajhne ki koshish karein.. mujhe college ki kuchh baatein poochhni hain.. aapke yahan rahte ye khul kar bata nahi payegi...!" Police wala lambu bola..

"Hamari beti aisi nahi hai sahab.. seedhi college jati hai.. aur seedhi aati hai.. faaltu baaton par ye dhyan nahi deti... aur kam se kam apni mummy ko toh sab kuchh bata hi deti hai.. main chala jata hoon.. iski mummy yahin baith jayegi.." Chacha ne naraj sa hote huye kaha...

"Dekhiye.. mere liye toh chahe isko panchayat mein le chalo.. main toh wahan bhi poochh loonga... mujhe kya farq padta hai.. main toh iske bhale ke liye hi aapko jane ke liye bol raha hoon.. sirf isi baat ke karan maine aap logon ko wahan nahi bulwaya.. main aisa bhi kar sakta tha.. baki aapki marji hai... Haan Meenu.. main tumse kuchh bhi poochhoon.. inke saamne.. tumhe koyi aitraaj toh nahi hai na... ?matlab.. tumhari saare baatein tumhari mummy ko sach mein pata hoti hain kya?" Inspector ki aankhein ghoomte huye jakar Meenu par jam gayi...

Meenu kuchh der apna sir jhukaye baithi rahi.. fir mummy ki aur dekh kar boli," aap log jao mummy.. Anju mere paas rah jayegi...!"

Chacha chachi kuchh der unmane se wahin khade rahe.. fir chacha ne mud kar kaha," theek hai.. aa jao tum bhi..."

Chacha chachi dono upar chale gaye.. Main aur Meenu dono asamanjhas se unn police walon ko dekhne lage....

"Kounse college mein ho Meenu?" Police wale ne Meenu ko shararati najron se ghoor kar dekha....

Meenu ne bhi unn aankhon mein lalak ko pahchan liya.. usne turant apna sir jhuka liya," Jaat college mein...!"

"Arey wah! main bhi toh usi college mein padha hoon.. 2 saal pahle hi graduation complete ki hai wahan se.." Police wale ne kaha aur Meenu ke barabar wali charpayi par jakar baith gaya..," Tabhi Police mein selection ho gaya tha.. by the way, I'm Inspector Manav!" usne kaha aur Meenu ki taraf apna hath badha diya... milane ke liye!

Par Meenu ke dono hath kambal mein hi dubke rahe.. Ulta wah thodi si khisak kar pichhe ho gayi...

"Well..." Inspector ne apna dusra hath bhi aage badhaya aur pahle badhe huye hath ki hatheli khujlane laga.. apni kheej mitane ke liye...," K.K. Mann sir ab bhi wahan hain kya? bada achchha padhate the... wo mere favourite sir the...!"

"Ji.. ab 'wo' Principal hain... par aap ye baatein mummy papa ke saamne bhi toh poochh sakte the... wo pata nahi kya soch rahe honge.." Meenu ne shikayati lahje mein kaha...aur mujhe khadi dekh kar boli,"Yahan aa jao Anju.. mere paas baith jao!"

Main jakar uski chrpayi par baith gayi....

Achanak 'wo' inspector senjeeda sa hokar pichhe hat gaya.. kuchh der sochta raha.. fir bola..,"Toh main ye maan loon ki Anjali ke saamne tumse kuchh bhi poochh loon.. tumhe koyi farq nahi padega...!"

"Ji.. poochhiye!" Meenu ne aashankit hokar jawab diya....

"Tarun ko tum kitna jaanti thi..." Inspector ne poochha...

Ye sawaal sunte hi Meenu ki aankhon mein aansu aa gaye.. par wo apne ko sanyamit rakhte huye boli," Ji.. mere sath college mein padhta tha.. bahut intelligent tha.. hamare gaanv ka tha aur humein padhane aata tha... bus!"

"Bus?" Inspector ne Meenu ke aakhiri shabd ko dohraya.. par uske 'bas' mein prashanvachak bhav the....

"Ji... !" Meenu ne apna sir jhukaye huye itna hi kaha....

"Par.. aapko dekh kar toh koyi bhi kah sakta hai ki aapko uss'se lagaav tha.. 'filmy' bhasha mein kahoon toh.. pyar.. ya ... aakarshan... ya... jyada khul kar bolun toh...sharirik aakarshan! tumhare ghar waalon ne pata nahi 'iss' aakarshan ko aaj taj kyun nahi pahchana.... main toh dekhte hi samajh gaya tha..." Inspector ne ruk ruk kar baat poori ki....

Meenu aur main.. dono uski baat sunkar stabdh ho gayi.. par main kuchh na boli.. main apna munh khole Meenu ki aur dekhne lagi....

"Yye.. aap kya baat kar rahe hain..? Aisa kuchh nahi tha...!" Meenu sakpaka kar boli...

"Toh fir aisa hoga ki aap roz yunhi roti rahti hongi.. kitne hi log marte hain roj.. hai na?" Inspector ne vyangya kiya..

Meenu ne koyi jawab nahi diya...

"Bolti kyun nahi..? Aisa kya tha tum dono ke beech.. jo aapko iss tarah se rone par majboor kar raha hai.. jaise koyi apna chala gaya ho..!" Inspector ne seedhe seedhe poochha....

Meenu fafak padi..," Pls.. aap aise sawaal na karein.. haan.. wo ham sabko achchha lagta tha... hamare ghar roz aata tha.. ab aise toh ghar mein rahne wale 'kutte' ke liye bhi dukh hota hai.. toh kya aap usko bhi usi najar...."

Inspector muskurata hua bola," Toh tumhare kahne ka matlab hai ki 'Tarun' tumhare liye sirf ek 'kutta' tha.. plz don't mind..!"

"Mmaine toh sirf udaharan diya tha.. aap...!" Meenu ne uski najron mein najrein daal kar hatasha se dekha...

"chalo chhodo.. kal jab wo aaya toh yahan par koun koun tha...?" Inspector ne baat palat di...

"Hum teeno hi the.. aur ek baar papa aaye the.. neeche.. darwaja kholne..." Meenu ne ye baat kah kar Inspector ko ek aur baat pakda di...

"Kyun? tum mein se koyi bhi toh darwaja khol sakti thi..?"

"Jji.. wo hamein uski aawaj sunayi nahi di...!" Meenu ne wahi safayi de dali jo raat chacha ko di thi...

"Hummm... fir kya hua?" Inspector ne iss andaaj mein poochha.. jaise usko pata ho ki kal raat yahan kuchh alag hua ho...

Meenu bhi uske andaj ko dekh kar hadbada gayi...," jji.. kya matlab..? bus padhaya aur fir chala gaya...!" Meenu ki saansein bhari ho gayi...

"Kitne baje?" Inspector ne poochha toh main darr gayi.. mujhe laga kahin Meenu uske jaldi wapas jane ki baat na kah de....

"Yahi.. koyi 11 baje ke aaspaas..." Meenu ka jawaab sunkar meri jaan mein jaan aayi...

"Aapne iss baat ka jawab badi jaldi de diya... iska matlab aap lete huye hamari sari baatein sun rahi thi..." Inspector ne apni aankhein sikod kar usko ghoora....

"kkya matlab..? mujhe pata tha ki wo kitne baje gaya tha.. maine bata diya.." Meenu inspector ko dekhte huye boli....

"Nahi.. bus.. tumhare papa kah rahe the ki wo kabhi 10 baje toh kabhi 12 baje jata tha.. isiliye mujhe laga tumhe yaad karke bolna chahiye tha... waise.. kal kya padhaya tha usne?" Inspector ab serious hota ja raha tha...

Iss sawaal par hum dono hi bagle jhankne lage... fir kuchh der baad Meenu boli..," aisi baatein kyun poochh rahe hain aap....?"

Inspector muskurata hua bola," Koyi baat nahi... chhodo! ye hi bata do ki usko kisne maara hai..?"

Meenu achanak kaampne si lagi," yy..ye kya.. poochh rahe hain aap? mmujhe kya pata?"

"Ha ha ha.. idhar udhar ki baat karoon toh aapko takleef hoti hai.. seedhe matlab ki baat par aa jaaun toh aapko takleef hoti hai.. theek hai.. aap hi bata dijiye ki kya kya poochhoon.. taki main katil tak pahunch jaaun? .. aakhir ye hi toh kaam hai mera!" Inspector ne ghagh lahje mein kaha...

"Mm..hamein kya pata.. aap pata lagayiye.. mujhse kyun poochh rahe hain aap.. ye sab.."Meenu poori tarah se hadbada gayi thi...

"Isiliye poochh raha hoon.. kyunki 'uske' murder ke taar aapse jude huye hain.. pahle maine ye socha tha ki tumhare aur Tarun ke sambandhon ka tumhare ghar waalon ko pata chal gaya hoga.. isiliye unhone usko khatam karwa diya... par ab.. unse baat karne ke baad main nischint hoon.. unko kuchh nahi pata iss baare mein.. par 'tumhare' chehre se hi lag raha hai ki 'bhains' yahan fansi khadi hai... samajh gayi na?" Inspector ki baat sunkar Meenu ka bura haal ho gaya..

"Main sach kah rahi hoon.. mujhe kuchh nahi pata...!" Meenu subakte huye boli...

"Tumhe mera shukragujar hona chahiye.. maine ye baatein tumhare ghar waalon ke saamne nahi kahi.. gaanv walon ko kisi ko nahi pata ki main tahkeekat yahan se shuru kar raha hoon... sirf isiliye taki aap bekusoor niklein toh tumhari ijjat bachi rahe... par kum se kum ab main toh jaanta hi hoon ki tumhare aur tarun ke beech sambandh tha.. jo samaj ki najron mein galat tha...

aur ye bhi ki tumhara 'wo' ek hi yaar nahi tha... aur bhi the.. aur tumhe pata hai ki unmein se kisne usko maar diya... aur mujhe bhi jaan'na hai.. ab tum seedhe tareeke se batao ya tedhe tareeke se.. marzi tumhari hai...?"

Main awaak si hokar Meenu ke chehre ki aur dekhne lagi.. Meenu ajeeb si hichkiyan si lete huye sisakne lagi.. par uss inspector par koyi farq nahi pada.. wo uski aur dekhta hua lagataar muskura raha tha.. aakhirkaar Meenu ki siskiyan kum huyi aur usne tadap kar poochha," ye sab kaise kah rah hain aap..? aur kyun?"

"Isiliye.." Inspector ne kaha aur 3 panne usko dikha kar muskurata hua bola..," badi sunder likhayi hai.... ye.. ye tumhari hi likhayi hai na..?"

Hum dono ki saansein upar ki upar aur neeche ki neeche rah gayi.. Meenu haklate huye boli," yyeye.. ye aapko kahan mile?"

"Dekha! dhoondhne par hon toh bhagwan bhi mil jata hai.. bus shradha honi chahiye... ab kya kahti ho..?" inspector ab bhi muskura raha tha...

"Bhagwan ki kasam.. mujhe nahi pata usko kisne.. aur kyun......?" Meenu dheere se boli....

"koyi baat nahi... wo sab baad mein dekh lenge...abhi aaram karo.. main baar baar yahan aaunga toh ghar wale pareshan ho jayenge... kal college aakar 'iss' no. par fone kar lo.." Inspector Meenu ko ek kagaj par no. likh kar deta hua bola... main tumhe college se lene aa jaaunga.. baki baatein ab kal hi karenge..." Inspector ne muskurakar kaha aur uski aur hath badha diya.. milane ke liye!

Meenu sunn si hokar inspector ke hath ki aur dekhti rahi.. fir usne apna hath kambal se bahar nikala aur dusre hath se apne aansu pounchhte huye inspector ka hath pakad liya....

"Ye.. ye mere sath kya ho gaya Anju?.. Ab kya karoon main? Ghar waalon ko bhi mere aur Tarun ke baare mein pata lag gaya toh...? Kitna vishvas karte the mujhpar.. main toh ji hi nahi paaungi ab!" Police walon ke jaate hi Meenu ne rona bilakhna shuru kar diya....!"

Maine bhi bhare mann se usko shantwana dene ki koshish ki,"Nahi pata lagega didi.. aap kuchh mat batana unhe... Unko batana hota toh wo aaj hi na bata dete.. aaj bhi toh unko upar bhej diya tha na.. pahle hi..!"

"Kuchh nahi pata inn police waalon ka.. ye sab inki chal hoti hai.. agar mujhse inko sachchayi ka pata nahi laga toh fir thode hi mere baare mein sochenge... aur jab mujhe khud hi kuchh nahi pata toh main bataungi kya?" Meenu ne rote huye hi kaha...

"Par didi.. inhone aapko shahar mein milne ko kyun bola.. ?" Maine aashankit hokar poochha....

"Ab kya pata?" Meenu ne apne gaalon par lagataar ludhak rahe aaunsuon ko punchhte huye subaki li...

"Kahin... unn letters ke liye ab ye toh aapko blackmail nahi karenge na..?" Mere dimag mein jo aaya.. maine bol diya...

Meri baat sunkar Meenu ne fir se rona shuru kar diya...

"Main toh bus aise hi kah rahi hoon didi.. police wale aisa thode hi kar sakte hai.. aap chup ho jao.. shayad upar se koyi aa raha hai...!" Maine seedhiyon se ahat sunkar kaha...

Meenu ne turant apne aansu pounchh liye... tabhi upar se chachi aur Pinky dono neeche aa gaye...

"Aisa kya poochh rahe the wo?" Chachi ne aate hi Meenu se sawaal kiya...

Meenu koyi jawab nahi de payi.. Achanak mere hi mann mein kuchh aa gaya jo maine bol bhi diya," Kuchh khas nahi chachi... Tarun ke doston ke baare mein poochh rahe the.. kaise hain kya karte hain.. Tarun padhayi mein kaisa hai.. iss tarah ki baatein..."

"Inn baaton ko poochhne ke liye wo hamein upar kyun bhejte..? jaroor koyi doosri hi baat hogi.. tum kuchh chhipa rahi ho na?" Chachi ne ghoor kar Meenu ko dekha...

"Nayi mummy.. wo.. ye bhi poochh rahe the ki Tarun ki koyi girl friend toh nahi thi.. uska koyi iss tarah ka lafda..... college mein.. bus isi tarah ki baatein poochh rahe the.. isiliye aapko upar bhej diya hoga..!" Meenu ne meri baat thodi si aur sudhar di...

"Toh.. tumne kah diya hoga na ki wo aisa nahi tha...?" Chachi ne paas baithkar poochha...

"Haan..." Meenu ne apna sir hilate huye kaha aur fir apne aansu pouchhne lagi....

"Kitna nekdil tha bechara.. keede padein unko jinhone itna ghatiya kaam kiya hai... tu ro mat beti.. bhagwan unko jaroor saza denge... bus kar.. ab apni padhayi kar le... inn bachchiyon ka bhi toh kal paper hai na... aaj toh inn dono ne khana bhi nahi khaya aakar... tu bhi yahin kha lena Anju.. main khana banane ja rahi hoon.. aaja.. mere sath upar aa ek baar...!" Chachi ne khadi hokar mujhe sath aane ko kaha....

"Nahi chachi.. main ghar ja rahi hoon.. mummy chinta kar rahi hogi..."Maine kaha...

"Arey maine fone kar diya tha.. tu aa toh ek baar...!" Chachi ne mera hath pakda aur upar le gayi...

"Aaja.. kitchen mein aaja.. andar tere chacha honge..! chachi ne kaha aur main unke sath kitchen mein chali gayi....

"Dekh beti.. sach sach batana.. kuchh bhi chhipana mat..." Chachi ne kaha...

"Kya chachi..?" Mera dil dhadakne laga...

"Police walon ne kuchh aur baat bhi poochhi thi kya?" chachi ne mere gaal sahlate huye poochha...

"Nahi chachi.. bus uske college ke baare mein hi poochh rahe the.. principal koun hai.. ? aisi aisi baatein..." Maine unse najrein milaye bina hi jawab diya...

"Tarun yahan aata tha toh tune kuchh aisa waisa toh mahsoos nahi kiya na?" chachi ne poochha..

Main samajh toh sab gayi thi.. par anjaan bante huye boli," kaisa chachi...?"

"Chal chhod.. ek baat maan legi na meri...!" Chachi ne pyar se kaha...

"Kya?" Main ghabra si gayi...

"Wo.. ghar par mat batana ki police wale yahan aaye the.. aur meenu se poochhtachh kar rahe the.. samajh gayi na.. bewajah unhe bhi chinta hogi.. aur baat kahin ki kahin nikal jati hai beti.. tu toh jaanti hai ki Meenu kitni bholi hai..!"

"Ji chachi... main toh waise bhi kisi ko nahi batati.." Maine bholepan se jawab diya....

"Shabash.. ja ab.. padh le achchhe se.. aur Meenu ko bhi samjhana.. ab pareshan hokar milega bhi kya? wo bechara wapas toh nahi aa jayega na... ja.. main khana bana deti hoon.. tumhare liye..." Chachi ne pyar se mere sir par hath fera...

"Ji achchha chachi.." Maine kaha aur neeche aa gayi....

"Ab kya hoga didi.." Pinky ghabrayi huyi Meenu ka hath pakde poochh rahi thi....

"Isko.. bata diya kya?" Maine jate hi Meenu se poochha...

Meenu ne haan mein sir hilaya aur boli,"Meri ye samajh mein nahi aa raha ki 'wo' aisa kyun kah rahe the ki tumhare kayi yaar hain.. aur unmein se hi kisi ne..."

"Yunhi tukka maar rahe honge... wo toh ye bhi kah rahe the ki aapko pata hai ki kisne maara hai Tarun ko..." Maine kaha....

"haan.. ho bhi sakta hai...!" Meenu ne lambi saans lekar kaha...

"Fir.. tum kal unko fone karogi kya.. didi?" Pinky ne poochha... Meenu ne koyi jawab nahi diya.. Pinky ne fir kaha," bolo na didi..?"

"Pata nahi.. meri toh khud samajh mein nahi aa raha ki kya karoon...?" Meenu ne kaha....

"Agar karo toh unke sath baithkar kahin mat jana didi... maine dekha tha.. wo baar baar aapko buri najar se dekh rahe the.." Pinky ne bhola sa chehra banakar kaha...

Meenu ne uski iss baat ka bhi koyi jawab nahi diya.. 'ladke toh sabhi aise hote hain.. unki toh najar hi buri hoti hai.. for Inspector toh uss'se 4-5 saal hi bada tha...' .... Meenu man hi man sochti rahi....
Agle din hum dono taiyaar hokar school jane ke liye unke ghar se nikal liye.. Meenu toh tab tak uthi bhi nahi thi.. Main uss'se baat karna chahti thi.. par chachi ne mana kar diya. Chachi ne bataya ki wo raat bhar soyi nahi hai.

Hum gaanv se nikle hi the ki Sandeep hamein paidal hi jata dikhayi diya.. wo akela hi tha.. hamein aata dekh kar wah ruk gaya..

"Hello!" Sandeep ne pahle Pinky aur fir mujhe dekh kar kaha..

"Hi.." Jawab sirf maine diya.. Pinky kuchh der chup rahne ke baad jhijhakte huye boli..," Kuchh pata chala.. Tarun ke baare mein...?"

Sandeep ke chehre par udaasi si chha gayi," Pata nahi.. Par Manisha kah rahi thi ki usne raat ko ladayi si ki aawajein suni thi.. choupal mein!"

"Koun Manisha? wahi kya jo tracter chalati hai.. aur motorcycle bhi?" Pinky ne Sandeep ki aur dekh kar poochha...

"Haan.. aur kya kare bechari !.. na toh uska koyi bhai hai.. aur na hi 'maa' ... baap sharaab peekar pada rahta hai 24 ghante.. wahi toh sambhal rahi hai ghar ko.." Sandeep ne Pinky ki baat par pratikriya di...

"Par usne kaise suni?" Maine poochha...

"Arey.. uska ghar choupal ke sath lagta hua hi toh hai...!" Sandeep bola...

"Haan.. wo toh mujhe pata hai.. par itni raat ko.. wo jaag rahi thi kya?" Maine yunhi baat karne ke liye baat ko aage badha diya.. Sandeep se baat karte huye mujhe bahut achchha lag raha tha....

"Wo toh kah rahi hai ki usne 9:00 baje ke aaspaas aawajein suni thi... 'wo' bhainson ko chara daalne ke liye ghar ke bahar baramade mein aayi thi... Tabhi usko choupal se kuchh bahas hone ki aawajein aayi.. Usne apni deewar se jhank kar dekhne ki koshish ki par andhere ki wajah se kuchh dikhayi nahi diya... Fir wo ye soch kar wapas chali gayi ki 'nashedi' (nasha karne wale) aakar baith gaye honge...

Maine ghabrakar poochha," Usne... kisko batayi hai ye baat?"

"Tarun ke gharwaalon ko.. aur uss 'chhokre' se inspector ko bhi... kyun?" Sandeep ne batane ke baad sawaal kiya....

"Nahi.. kuchh nahi..." Mera dil baith gaya.. Inspector ne ye ' 9:00 baje wali baat ka jikar hamare paas kyun nahi kiya.. maine toh usko ye bataya tha ki Tarun 11:00 baje tak hamare paas hi tha.." Mere mann mein anjana sa darr baithta chala gaya..

"Arey haan.. wo.. Shikha tumhe bula rahi thi.. kayi din pahle kaha tha.. mujhe yaad hi nahi raha..." Sandeep ne kaha...

"Kisko?" Maine poochha.. Pinky kuchh bol hi nahi rahi thi...

"Tum dono hi aa jana.. kya dikkat hai?" wah muskurate huye bola...

"Theek hai.. hum dono aa jayenge...!" Maine usko jawab dekar Pinky ka hath pakad kar kheencha," Kya ho gaya Pinky?"

"Kuchh nahi.." Usne sirf itna hi kaha.. shayad uske mann mein bhi wahi udhedbun chal rahi thi.. jo mere mann mein thi....
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School mein jate hi mujhe Principal madam ne ek taraf bula kar poochha..," Tumhare gaanv mein kisi ladke ka murder ho gaya na?"

"Ji.. Tarun ka! " Maine sir jhukaye huye hi jawab diya...

"Ye.. wahi ladka tha na.. jo.. parson yahan aa gaya tha..?" Madam bolte huyi beech mein ek baar jhijhki....

"Ji!" Maine yunhi udasi bhari 'hami' bhari....

"Oh my God! Mujhe bhi wahi lag raha tha.. aaj newspapaer mein uski photo aayi huyi thi.. ye sab kaise hua?" Madam ne poochha.....

"Pata nahi madam!" Maine neerasta se jawaab diya...

"Hummm... kisi ko batana mat... uss din wo ladke fir wapas aaye the.. 'Sir' ke sath kuchh baat karke gaye the akele mein... shayad inke beech 'compromise' hua tha kuchh... dusre ladke se poochhna!"

"Ji.. uss'se main baat nahi karti madam.. sirf shakl se hi jaanti hoon..." Maine kaha..

"Chalo koyi baat nahi... mujhe toh badi daya aa rahi hai.. bechare ki.. 'inn' Sir ki bhi bahut political approach hai.. kitne toh sharaab ke theke chalte hain inke..... Kahin....." wah kuchh der chup rahi,"... par tum iss baat ka jikar mat karna kahin bhi.. tumhari baat bhi saamne aa jayegi nahi toh! .... samajh gayi na....?" Madam ne fusfusate huye mere kaano mein baat daal di....

"ji.. madam.." Maine kaha aur Pinky ke paas aa gayi...

"Kya kah rahi thi madam?" Pinky ne uske paas jate hi mujhse poochha....

"Chhod.. baad mein bataaungi.. pahle paper de le...!" Mujhe usko iss waqt bewajah ki tention dena achchha nahi laga...
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Khair.. hamara paper achchha ho gaya.. agle din chhutti thi.. wapas aate huye bhi hum Sandeep ke sath hi aaye the... Wah Pinky ke ghar ke kareeb tak hamare sath aaya...

Ghar jate hi humne dekha.. Meenu neeche akeli hi baithi thi...

"Kya hua? Gayi nahi kya aaj bhi?" Pinky ne poochha...

"Nahi...!" Meenu ne mara hua sa jawab diya....

"Fir.. wo inspector yahin aa gaya toh?" Maine bhari man se kaha.....


kramshah.....................................











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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