मस्त मेनका पार्ट--15
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गतान्क से आगे......................
मेनका महल पहुँची तो देखा की सेशाद्री उसका इंतेज़ार कर रहे हैं,"नमस्ते!अंकल.आइए हॉल मे चलिए."उसने 1 नौकर को चाइ का इंतेज़ाम करने को कहा.
"रानी साहिबा.1 बुरी खबर है."
"और भी कुच्छ बुरा होने को बाकी है अंकल.",उसने चाइ का कप उन्हे बढ़ाया.
"मिल वर्कर्स ने हड़ताल कर दी है."
"पर क्यूँ?"
"उन्हे पता चला कि आप अपना हिस्सा बेच रही हैं तो उनका कहना है कि इसमे उनके हितों का ख़याल नही रखा जाएगा."
"अंकल,हम तो हुमेशा उनका अच्छा सोच कर ही सारे फ़ैसले लेते हैं,फिर अचानक हड़ताल?"
"रानी साहिबा,इन सब के पीछे जब्बार का हाथ है.वो मज़दूरो के नेता को अपनी उंगलियो पे नचाता है.वो ये चाहता है कि खरीदार उसका आदमी हो.ऐसी कोशिश उसने पिच्छली बार भी की थी पर तब उसे मुँह की खानी पड़ी थी."
"ह्म्म्म.....ठीक है,अंकल.आप मज़दूरो को कह दीजिए कि हम बिना उनके सपोर्ट के कोई फ़ैसला नही लेंगे.बस वो कल से काम पे आ जाएँ."
"पर रानी साहिबा,ये तो उनके सामने घुटने टेकना हुआ."
"अंकल,1 इंसान की वजह से कितने मज़दूरो को नुकसान उठना पड़ रहा है.1 बार हम पीछे हट रहे हैं,इसका मतलब ये नही है कि हर बार ऐसा होगा.प्लीज़,आप हुमारी तरफ से मज़दूरो को समझा दीजिए."
"जैसा आप कहें.",सेशाद्री साहब ने चाइ ख़त्म की और चले गये.
उस रात मेनका राजा साहब की मौत के बाद पहली बार अकेली अपने बिस्तर पे लेटी थी.उनकी मौत के बाद से उसकी मा ने अपनी बेटी को 1 पल के लिए भी अकेला नही छ्चोड़ा था.
उसने 1 स्लिप पहनी हुई थी जोकि उसके घुटनो के उपर तक आ रही थी.वो करवाते बदल रही थी पर उसकी आँखो मे नींद आ ही नही रही थी.उसे राजा साहब की याद आ रही थी.काफ़ी देर तक करवाते बदलने के बाद सफ़र की थकान ने असर दिखाया & उसकी पलके भारी हो गयी & थोड़ी ही देर मे वो सो गयी.
रात के 1 बज रहे थे.चारो तरफ सन्नाटा छाया था पर वो क्या है...वो कौन है जो महल के चौकीदारो से छुप्ता लॉन पार कर महल तक आ पहुँचा है.थोड़ी ही देर मे वो साया 1 खिड़की खोल अंदर दाखिल हो चुका था.ये भी हैरत की बात है कि उसने सेक्यूरिटी अलार्म्स को कैसे चकमा दिया.अब वो उपरी मंज़िल की सीढ़िया चढ़ रहा था.पहले उसने राजा साहब का कमरा खोला & अंदर झाँका पर वाहा किसी को ना पाके आगे बढ़ा & मेनका के कमरे का दरवाज़ा खोला.
खिड़की से आती चाँदनी सोती हुई मेनका के उस छ्होटी स्लिप मे क़ैद गोरे बदन को नहला रही थी.वो अजनबी थोड़ी देर तक उसके हुस्न को निहारता रहा & फिर बिस्तर पे चढ़ उसके उपर झुक गया.मेनका को अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस हुई तो उसकी आँख खुली.वो डर के मारे चीखने वाली थी कि उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह पे दबा दिया.
मेनका की ख़ौफ़ & हैरत से फैली आँखो मे अचानक पहचान की झलक आई तो उस अजनबी ने अपना हाथ उसके मुँह से हटा दिया,"...तुम..!"
"हां,मैं.",उस अजनबी ने रानी साहिबा के होंठो पे अपने होठ रख दिए.मेनका भी उसे चूमने लगी & अपनी बाहों मे भर लिया...
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"..ऊओ...ऊउउउछ्ह्ह्ह....!..",
"....एयेए...अहह...क्या फयडा होगा..उस सरदार का नौकर बनके..?..आ...ईइय्य्य...ययईए"
"नौकर कौन बन रहा है,मेरी जान.",उसने उसकी गंद मारते हुए चूत मे दो उंगलिया घुसा दी & अंदर-बाहर करने लगा,"ये तो बस उसको बोतल मे उतारने के लिए मैने कहा है पर कुच्छ ही दीनो मे मैं मालिक बन जाऊँगा & वो सरदार अपना लंड थामे खड़ा रह जाएगा.",उसने दूसरे हाथ से उसके 1 निपल को मसल दिया.
"..हा...अनन्न...और ज़ोर से मार ...फाड़ दे मेरी गा...आंदड़ड़...सा...आले...आआ..
"मुझे लग ही रहा था कि सा...आअला...तू तो पैदाइशी हा...रा...अमि है....उस सरदार की भी ज़रूर लेगा.....एयाया....आअहह...,छ्चो
जब्बार ने अपने दाँत उसकी चूची मे गाड़ा दिए थे & मलिका ने उसके बाल पकड़ उसका सर अपने सीने से अलग कर दिया.
"साली,रांड़ तुझे कितनी बार कहा है कि मेरी पैदाइश या मा के बारे मे कुच्छ मत बोला कर.ये ले..",उसने उसकी चूत के दाने पे चिकोटी काट ली.
"ऊओ.....उऊउककच..!",जवाब ने उसने भी अपने दाँत जब्बार की कलाई पे गाड़ा दिए & दोनो जुंगलियो की तरह अपनी हवस मिटाने लगे.
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मेनका पूरी नंगी अपने बिस्तर पे पड़ी थी & वो अजनबी उसकी खुली टाँगो के बीच उसकी चिकनी चूत को चाट रहा था & उसके हाथ उसकी चूचियो को दबा रहे थे.
"...आ...आह...",मेनका के बदन को इस तरह का मज़ा मिले 1 महीने से भी ज़्यादा हो गया था.उसने उसका सर अपनी भारी जाँघो मे भींच लिया & अपने हाथो से उसके मुँह को चूत पे और दबाने लगी.उसकी आँहे & उस अजनबी की जीभ की लपलपहट की आवाज़े कमरे के सन्नाटे को दूर कर रही थी.
मेनका का बदन उस अजनबी की जीभ की हर्कतो को बर्दाश्त नही कर पाया & वो झाड़ गयी.वो इंसान उसकी चूत से बहते सारे पानी को चाट गया.अब उसकी बारी थी,वो उठा & अपना लंड अपने हाथ मे ले मेनका के सीने के दोनो तरफ अपने घुटनो को बेड पे टीका कर बैठ गया,उसका लंड बिल्कुल मेनका की आँखों के सामने था.उसने 1 और तकिया अपने सर के नीचे लगाया & उस अजनबी के झांतो से घिरे लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी.
उसके हाथ उसके बालो भरे अंदो को हौले-2 दबा रहे थे.उस इंसान की आँखे बंद हो गयी & उसने अपने हाथों से उसका सर पकड़ लिया & उसके मुँह को चोदने लगा.थोड़ी देर तक वो ऐसे ही उसके मुँह का मज़ा लेता रहा पर जैसे ही उसके अंदो मे उबलता हुआ सैलाब बाहर आने को हुआ उसने अपना लंड बाहर खींच लिया.मेनका ने ऐसे देखा जैसे कह रही हो कि ये बात उसे बिल्कुल पसंद नही आई.
वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गया & अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर 1 धक्का मारा,"..आ...हह...हा...अन्न्
फिर उसने मेनका की दाई जाँघ को पकड़ कर उसे उसकी बाई जाँघ पे इस तरह कर दिया कि अब उसका उपरी बदन तो सीधा था पर निचला हिस्सा मानो करवट लिए था & उसका लंड उसकी चूत चोद्ते हुए उसकी भारी गंद से भी टकरा रहा था.वो लंड पूरा बाहर निकलता & फिर जड़ तक अंदर घुसेड देता.
मेनका अब तक दो बार झाड़ चुकी थी & उसकी पानी से सराबोर चूत मे लंड फूच-फूच करता अंदर-बाहर हो रहा था.वो अजनबी झुक कर उसके होठ चूमने लगा & उसकी छातिया दबाने लगा.मेनका का जोश दुगुना हो गया था.वो उसके होंठो को छ्चोड़ कर उठा & बिना लंड निकाले उसके बदन को घुमा कर उसे डॉगी पोज़िशन मे ले आया & उसके उपर इस तरह झुक गया कि उसका पेट & सीना मेनका की पीठ & कमर से पूरा चिपक गया.
अब मेनका घुटनो के बल थी & उसका चेहरा तकिये मे च्छूपा था & वो अजनबी पीछे से उस से चिपक उसकी मस्त चूचियो को दबाते हुए & उसके गालों & कानो मे जीभ फिराते हुए उसे चोद रहा था.उसने थोड़ी देर तक उसे ऐसे ही चोदा,फिर 1 हाथ उसकी चूची से अलग किया & उसकी चूत के दाने पे लगा रगड़ने लगा.मेनका अपनी चूत पे इस दोहरे हुमले से पागल हो गयी & आँहे भरते हुए अपनी कमर हिलाने लगी & झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उस इंसान ने भी ज़ोरदार धक्के लगा लगा कर उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ दिया.
झाड़ते ही मेनका बिस्तर पर निढाल हो गिर पड़ी & वो भी वैसे ही उसकी पीठ पे गिर उसकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए अपनी साँसे संभालने लगा.
अगले करीब 2 घंटो तक दोनो ऐसे ही अलग-2 तरीक़ो से 1 दूसरे के बदन से खेलते रहे.आख़िर कौन है ये अजनबी जिस से मेनका इतनी बेताकल्लूफ़ी से चुद रही है?अरे वो क्या,मेनका बिस्तर से उठ गयी है & कही जा रही है...चलिए देखे कहा जा रही है.....
ये तो राजा साहब की स्टडी मे जा रही है..और...और ये क्या ...वो तिजोरी खोल रही है..!सारे इल्लीगल प्रॉपर्टीस वाले पेपर्स निकाल लिए है उसने & अब वापस अपने कमरे मे आ गयी है जहा वो अजनबी कपड़े पहन रहा है.,"ये लो.."
"सारे हैं ना?"
"हां."
क्या कर रही है मेनका?क्या इसके चेहरे के पीछे भी कोई और चेहरा है?क्या वो उतनी शरीफ सच मे है या 1 बहुत गहरा नाटक खेल रही है?अफ!मेरा तो सर चकरा रहा है....पर परेशान ना हो दोस्तो,कहानी के अंत तक ये राज़ भी खुल जाएगा.
उसने पेपर्स लेकर नंगी मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे कुच्छ बहुत धीमी आवाज़ मे समझाने लगा जिसे मेनका पूरे ध्यान से सुनती रही.इसके बाद दोनो करीब 5 मिनिट तक 1 दूसरे को सहलाते हुए चूमते रहे.फिर वो अजनबी जैसे आया था वैसे ही चला गया.
"सेशाद्री अंकल,मुझे जब्बार सिंग से मिलना है?"
"ये आप क्या कह रही है?रानी साहिबा!"
"जी,अंकल.मुझे उस से मिलना ही है."
"आख़िर क्यों?"
"वो मैं आपको बाद मे बताउन्गि.पहले आप उस से मेरी मुलाकात करवाईए."
"ठीक है.जैसा आप कहें."
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"कमाल हो गया!ये आजकल हो क्या रहा है?पहले राजा अपने आप मर जाता है,अब उसकी बहू मुझ से मिलना चाहती है!",जब्बार अपना मोबाइल बंद कर मलिका की चूचिया फिर से मसल्ने लगा.जब सेशाद्री का फोन आया तो वो मलिका को चोद रहा था,वो ज़मीन पे बिछे कालीन पे लेटी थी & जब्बार उस पर चढ़ कर उसकी चूत को अपने मोटे लंड से पेल रहा था.
"...अकेले जाओगे या उस सरदार को भी ले जाओगे?",मलिका ने उसका मुँह अपनी छातियो पे दबाया.
"अभी नही,मेरी जान पहले खुद तो बात कर आओं.",उसने उसके निपल को काट लिया.
"आ...ह..",जब्बार ने उसकी चूची चूस्ते हुए अपने धक्के तेज़ कर दिए.
"...जब मिल्स खरीदोगे तो उसमे मुझे भी पार्ट्नरशिप चाहिए....ऊऊ..ऊओवव्व..!",जब्बार अब घुटनो पे बैठ कर उसे चोद रहा था & 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा था.
"ले लेना मेरी जान!जो चाहिए वो ले लेना...",उसने अपने हाथ & कमर की रफ़्तार तेज़ कर दी.मलिका अपनी चूत पे इस दोहरी मार को ज़्यादा देर तक नही झेल पाई & तुरंत झाड़ गयी & उसके थोड़ी देर बाद जब्बार ने अभी अपना लंड उसके अंदर खाली कर दिया.
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राजकुल शुगर मिल के पीछे 1 खाली ज़मीन का टुकड़ा था जहा लोग कम ही आते-जाते थे.दोपहर के 1 बजे मेनका सेशाद्री & अपने ड्राइवर के साथ कार मे बैठी जब्बार का इंतेज़ार कर रही थी.
"काफ़ी देर हो गयी है,पता नही ये कम्बख़्त कब आएगा.",सेशाद्री अपनी घड़ी देखते हुए बोले,"...ये आदमी बिल्कुल भी भरोसे के लायक नही है,रानी साहिबा.आप उस से इस वीरान जगह मिलने को क्यू तैय्यार हो गयी?"
मेनका कुच्छ कहती उस से पहले ही जब्बार की कार आती दिखाई दी.जब्बार कार से उतर कर मेनका के पास आया,"नमस्ते.",वो उसके सीने की तरफ देख रहा था.
"नमस्ते."
"मुझ से क्या काम आन पड़ा आपको?"
"अभी जो मिल मे स्ट्राइक हुई थी उसी के बारे मे बात करनी थी.",मेनका कार से उतर कर खड़ी हो गयी,सेशाद्री भी उसके साथ खड़े थे.
"उस के बारे मे अपने वर्कर्स से बात कीजिए,मुझ से क्या बार करेंगी?मेरा उस स्ट्राइक से कोई वास्ता नही था.",वो मेनका के जिस्म को उपर से नीचे तक घूर रहा था.
"देखिए मिस्टर.जब्बार.मैं घूम-फिरा कर बात करने नही आई हू.सभी जानते है कि स्ट्राइक के पीछे आपका हाथ था.आप यही चाहते हैं ना कि हम मिल्स का अपना शेर आपको या आपके किसी आदमी को बेच दे?"
"खूबसूरत होने के साथ-2 आप समझदार भी हैं.सीधा मुद्दे पे आ गयी.",जब्बार बदतमीज़ी से बोला.
"अपनी ज़बान सम्भालो!",सेशाद्री गुस्से मे बोले.
"1 मिनिट अंकल....हा तो मिस्टर.जब्बार आप ये बताइए कि कैसे ख़रीदेंगे आप हुमारा हिस्सा?आपके लिए हुमारे वर्कर्स बस मोहरे हैं जिन्हे आप अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं,पर हुमारे लिए ये वो नमकहलाल लोग हैं जिनके बिना हुमारी तरक्की नामुमकिन थी.हम अपना तभी बेचेंगे जब हमे ये तसल्ली हो जाएगी की हुमारे वर्कर्स सही हाथों मे जा रहे हैं."
अब जब्बार भी संजीदा होकर उसकी तरफ देखने लगा,"....ये लड़की तो काम की बात कर रही है.",उसने सोचा.
"...हम आपके बारे मे भी अच्छी तरह से जानते हैं.आपकी इतनी औकात है नही कि आप अकेले मिल्स खरीद सके,तो फिर कैसे ख़रीदेंगे ज़रा हमे भी बताइए."
"अकेला नही 1 और शख्स है मेरे साथ.1 एनआरआइ है."
"अच्छा.तो मिलवाए उस से हमे."
"रानी साहिबा,ये आप क्या कर रही हैं!इस इंसान को आप राजकुल की विरासत बेचएंगी!"
"सेशाद्री साहब,चुप रहिए.मालिक की बात तभी काटिए जब कुच्छ बहुत ज़रूरी कहना हो."
सेशाद्री साहब हैरत से उसे देखने लगे.आज तक उन्हे ऐसे तो राजा साहब ने भी बेइज़्ज़त नही किया था.
"ठीक है,मैं उस इंसान से आपको कल ही मिलवाता हू."
"ठीक है.हम भी चाहते हैं कि दुस्शहरे के त्योहार तक ये काम पूरा हो जाए."
"ओके,तो मैं चलता हू.कल इसी वक़्त आपको उस से मिलवाऊंगा.",जब्बार कार मे बैठा & चला गया.
"हमे माफ़ कर दीजिए,अंकल.हमने बहुत बदतमीज़ी की आपके साथ."
सेशाद्री साहब को अब और ज़्यादा हैरत हो गयी.,"..पर ये सब हमने जब्बार को बेवकूफ़ बनाने के लिए किया."
"अंकल,ये इंसान हमे सपरू साहब के साथ डील करने नही देगा & शराफ़त की भाषा ये समझता नही.तो हमने सोचा की इसको इसी की भाषा मे जवाब दें.सपरू साहब ही हुमारे हिस्से को ख़रीदेंगे & ये डील हुमलोग अगले 4 दिनो मे ही कर लेंगे.मैने उनसे भी कहा है कि वो इस बात को अपने तक ही रखें."
दोनो कार मे बैठ कर वापस ऑफीस जा रहे थे,"..इस डील के बारे मे हुमारे जर्मन पार्ट्नर्स,सपरू साहब & उनका लड़का & हम & आप जानते हैं.डील तो अगले 4-5 दीनो मे हो जाएगी पर इसकी अनाउन्स्मेंट दुस्सेहरे के अगले दिन होगी."
"पर इस जब्बार के साथ क्या करेंगी?"
"इसे हम तब तक बातों मे उलझाए रखेंगे.1 बार हुमारी डील हो जाए,फिर सपरू साहब ने कहा है कि वो इस से निपट लेंगे."
"मान गये,रानी साहिबा आपकी सोच को."
"थॅंक यू,अंकल."
क्रमशः...................
mast menaka paart--15
gataank se aage......................
Menaka mahal pahunchi to dekha ki seshadri uska intezar kar rahe hain,"namaste!uncle.aaiye hall me chaliye."usne 1 naukar ko chai ka intezam karne ko kaha.
"rani sahiba.1 buri khabar hai."
"aur bhi kuchh bura hone ko baki hai uncle.",usne chai ka cup unhe badhaya.
"mill workers ne hadtal kar di hai."
"par kyun?"
"unhe pata chala ki aap apna hissa bech rahi hain to unka kehna hai ki isme unke hiton ka khayal nahi rakha jayega."
"uncle,hum to humesha unka achha soch kar hi sare faisle lete hain,fir achanak hadtal?"
"rani sahiba,in sab ke peechhe jabbar ka hath hai.vo mazdooro ke neta ko apni ungliyo pe nachata hai.vo ye chahta hai ki kharidar uska aadmi ho.aisi koshish usne pichhli bar bhi ki thi par tab use munh ki khani padi thi."
"hmmm.....thik hai,uncle.aap mazdooro ko keh dijiye ki hum bina unke support ke koi faisla nahi lenge.bas vo kal se kaam pe aa jayen."
"par rani sahiba,ye to unke samne ghutne tekna hua."
"uncle,1 insan ki wajah se kitne mazdooro ko nuksan uthana pad raha hai.1 baar hum peechhe hat rahe hain,iska matlab ye nahi hai ki har baar aisa hoga.please,aap humari taraf se mazdooro ko samjha dijiye."
"jaisa aap kahen.",seshadri sahab ne chai khatm ki aur chale gaye.
us raat menaka raja sahab ki maut ke baad pehli baar akeli apne bistar pe leti thi.unki maut ke baad se uski maa ne apni beti ko 1 pal ke liye bhi akela nahi chhoda tha.
usne 1 slip pehni hui thi joki uske ghutno ke upar tak aa rahi thi.vo karwate badal rahi thi par uski aankho me neend aa hi nahi rahi thi.use raja sahab ki yaad aa rahi thi.kafi der tak karwate badalne ke baad safar ki thakan ne asar dikhaya & uski palke bhari ho gayi & thodi hi der me vo so gayi.
raat ke 1 baj rahe the.charo taraf sannata chhaya tha par vo kya hai...vo kaun hai jo mahal ke chaukidaro se chhupta lawn par kar mahal tak aa pahuncha hai.thodi hi der me vo saya 1 khidki khol andar dakhil ho chuka tha.ye bhi hairat ki baat hai ki usne security alarms ko kaise chakma diya.ab vo upari manzil ki seedhiya chadh raha tha.pehle usne raja sahab ka kamra khola & andar jhanka par vaha kisi ko na paake aage badha & menaka ke kamre ka darwaza khola.
khidki se aati chandni soti hui menaka ke us chhoti slip me qaid gore badan ko nehla rahi thi.vo ajnabi thodi der tak uske husn ko niharta raha & fir bistar pe chadh uske upar jhuk gaya.menaka ko apne chehre pe uski garam saanse mehsus hui to uski aankh khuli.vo dar ke maare cheekhne wali thi ki us ajnabi ne apna hath uske munh pe daba diya.
menaka ki khauf & hairat se faili aankho me achanak pehchan ki jhalak aayi to us ajnabi ne apna hath uske munh se hata diya,"...tum..!"
"haan,main.",us ajnabi ne rani sahiba ke hotho pe apne hoth rakh diye.menaka bhi use chumne lagi & apni baahon me bhar liya...
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"..ooo...oouuuchhhhh....!..",
"....aaa...ahhhhh...kya fayda hoga..us sardar ka naukar banke..?..aa...iiiyyy...
"naukar kaun ban raha hai,meri jaan.",usne uski gand maarte hue chut me do ungliya ghusa di & andar-bahar karne laga,"ye to bas usko botal me utarne ke liye maine kaha hai par kuchh hi dino me main malik ban jaoonga & vo sardar apna lund thame khada rah jayega.",usne dusre hath se uske 1 nipple ko masal diya.
"..ha...annn...aur zor se maar ...phad de meri ga...aanddd...sa...aale...
"mujhe lag hi raha tha ki sa...aaala...tu to paidaishi ha...ra...ami hai....us sardar ki bhi zaroor lega.....AAAAA....AAAHHHHHH...
jabbar ne apne dant uski choochi me gada diye the & mailka ne uske baal pakad uska sar apne seene se alag kar diya.
"sali,raand tujhe kitni baar kaha hai ki meri paidaish ya maa ke bare me kuchh mat bola kar.ye le..",usne uski chut ke dane pe chikoti kaat li.
"OOO.....UUUCCCHHH..!",jawab ne usne bhi apne dant jabbar ki kalai pe gada diye & dono jungliyo ki tarah apni hawas mitane lage.
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menaka puri nangi apne bistar pe padi thi & vo ajnabi uski khuli taango ke beech uski chikni chut ko chat raha tha & uske haath uski chhatiyon ko daba rahe the.
"...aa...ahhh...",menaka ke badan ko is tarah ka maza mile 1 mahine se bhi zyada ho gaya tha.usne uska sar apni bhari jaangho me bheench liya & apne haatho se uske munh ko chut pe aur dabane lagi.uski aanhe & us ajnabi ki jibh ki laplapahat ki aavaze kamre ke sannate ko dur kar rahi thi.
menaka ka badan us ajnabi ki jibh ki harkato ko bardasht nahi kar paya & vo jhad gayi.vo insan uski chut se behte sare pani ko chat gaya.ab uski bari thi,vo utha & apna lund apne hath me le malika ke seene ke dono taraf apne ghutno ko bed pe tika kar baith gaya,uska lund bilkul malika ki aankhon ke samne tha.usne 1 aur takiya apne sar ke neeche lagaya & us ajnabi ke jhaanto se ghire lund ko apne munh me lekar chusne lagi.
uske hath uske balo bhare ando ko haule-2 daba rahe the.us insan ki aankhe band ho gayi & usne apne hathon se uska sar pakad liya & uske munh ko chodne laga.thodi der tak vo aise hi uske munh ka maza leta raha par jaise hi uske ando me ubalta hua sailab bahar aane ko hua usne apna lund bahar khinch liya.menaka ne aise dekha jaise keh rahi ho ki ye baat use bilkul pasand nahi aayi.
vo uski taango ke beech baith gaya & apna lund uski chut pe laga kar 1 dhakka mara,"..aa...hhh...haa...
fir usne menaka ki daayi jangh ko pakad kar use uski baayi jangh pe is tarah kar diya ki ab uska upari badan to seedha tha par nichla hissa mano karwat liye tha & uska lund uski chut chodte hue uski bhari gand se bhi takra raha tha.vo lund pura bahar nikalta & fir jad tak andar ghused deta.
menaka ab tak do baar jhad chuki thi & uski pani se sarabor chut me lund phuch-phuch karta andar-bahar ho raha tha.vo ajnabi jhuk kar uske hoth chumne laga & uski chhatiya dabane laga.menaka ka josh duguna ho gaya tha.vo uske hotho ko chhod kar utha & bina lund nikale uske badan ko ghuma kar use doggie position me le aaya & uske upar is tarah jhuk gaya ki uska pet & seena menaka ki pith & kamar se pura chipak gaya.
ab menaka ghutno ke bal thi & uska chehra takiye me chhupa tha & vo ajnabi peechhe se us se chipak uski mast choochiyo ko dabate hue & uske gaalon & kaano me jibh firate hue use chod raha tha.usne thodi der tak use aise hi choda,fir 1 hath uski chhati se alag kiya & uski chut ke dane pe laga ragadne laga.menaka apni chut pe is dohre humle se pagal ho gayi & aanhe bharte hue apni kamar hilane lagi & jhad gayi.uske jhadte hi us insan ne bhi zordar dhakke laga lar uski chut me apna pani chhod diya.
jhadte hi menaka bistar par nidhal ho gir padi & vo bhi vaise hi uski pith pe gir uski gardan me munh chhupaye apni saanse sambhalne laga.
agle kareeb 2 ghanto tak dono aise hi alag-2 tariko se 1 dusre ke badan se khelte rahe.aakhir kaun hai ye ajnabi jis se menaka itni betakallufi se chud rahi hai?are vo kya,menaka bistar se uth gayi hai & kahi ja rahi hai...chaliye dekhe kaha ja rahi hai.....
ye to raja sahab ki study me ja rahi hai..aur...aur ye kya ...vo tijori khol rahi hai..!sare illegal properties vale papers nikal liye hai usne & ab vapas apne kamre me aa gayi hai jaha vo ajnabi kapde pahan raha hai.,"ye lo.."
"sare hain na?"
"haan."
kya kar rahi hai menaka?kya iske chehre ke peechhe bhi koi aur chehra hai?kya vo utni sharif sach me hai ya 1 bahut gehra natak khel rahi hai?uff!mera to sar chakra raha hai....par pareshan na ho dosto,kahani ke ant tak ye raaz bhi khul jayega.
usne papers lekar nangi menaka ko baahon me bhar liya & use kuchh bahut dheemi aavaz me samjhane laga jise menaka pure dhyan se sunti rahi.iske baad dono kareeb 5 minute tak 1 dusre ko sehlate hue chumte rahe.fir vo ajnabi jaise aaya tha vaise hi chala gaya.
"Seshadri uncle,mujhe jabbar singh se milna hai?"
"ye aap kya keh rahi hai?rani sahiba!"
"ji,uncle.mujhe us se milna hi hai."
"aakhir kyon?"
"vo main aapko baad me bataungi.pehle aap us se meri mulakat karwaiye."
"thik hai.jaisa aap kahen."
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"kamaal ho gaya!ye aajkal ho kya raha hai?pehle raja apne aap mar jata hai,ab uski bahu mujh se milna chahti hai!",jabbar apna mobile band kar malika ki chhatiyan fir se masalne laga.jab seshadri ka phone aaya to vo malika ko chod raha tha,vo zamin pe bichhe kaleen pe leti thi & jabbar us par chadh kar uski chut ko apne mote lund se pel raha tha.
"...akele jaoge ya us sardar ko bhi le jaoge?",malika ne uska munh apni chhatiyo pe dabaya.
"abhi nahi,meri jaan pehle khud to baat kar aaon.",usne uske nipple ko kaat liya.
"aa...ahhhh..",jabbar ne uski choochi chuste hue apne dhakke tez kar diye.
"...jab mills kharidoge to usme mujhe bhi partnership chahiye....OOOO..OOOWWW..!",
"le lena meri jaan!jo chahiye vo le lena...",usne apne haath & kamar ki raftar tez kar di.malika apni chut pe is dohri maar ko zyada der tak nahi jhel payi & turant jhad gayi & uske thodi der baad jabbar ne abhi apna lund uske andar khali kar diya.
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Rajkul sugar mill ke peechhe 1 khali zameen ka tukda tha jaha log kam hi aate-jate the.dopahar ke 1 baje menaka seshadri & apne driver ke sath car me baithi jabbar ka intezar kar rahi thi.
"kaafi der ho gayi hai,pata nahi ye kambakht kab aayega.",seshadri apni ghadi dekhte hue bole,"...ye aadmi bilkul bhi bharose ke layak nahi hai,rani sahiba.aap us se is veeran jagah milne ko kyu taiyyar ho gayi?"
menaka kuchh kahti us se pehle hi jabbar ki car aati dikhayi di.jabbar car se utar kar menaka ke paas aaya,"namaste.",vo uske seene ki taraf dekh raha tha.
"namaste."
"mujh se kya kaam aan pada aapko?"
"abhi jo mill me strike hui thi usi ke bare me baat karni thi.",menaka car se utar kar khadi ho gayi,seshadri bhi uske sath khade the.
"us ke bare me apne workers se baat kijiye,mujh se kya baar karengi?mera us stirke se koi vasta nahi tha.",vo menaka ke jism ko upar se neeche tak ghur raha tha.
"dekhiye mr.jabbar.main ghum-fira kar baat karne nahi aayi hu.sabhi jante hai ki strike ke peechhe aapka hath tha.aap yehi chahte hain na ki hum mills ka apna share aapko ya aapke kisi aadmi ko bech de?"
"khubsurat hone ke sath-2 aap samajhdar bhi hain.seedha mudde pe aa gayi.",jabbar badtamizi se bola.
"apni zaban sambhalo!",seshadri gusse me bole.
"1 minute uncle....haa to mr.jabbar aap ye bataiye ki kaise kharidenge aap humara hissa?aapke liye humare workers bas mohre hain jinhe aap apna ullu seedha karne ke liye istemal kar rahe hain,par humare liye ye vo namakhalal log hain jinke bina humari tarakki namumkin thi.hum apna tabhi bechenge jab hume ye tasalli ho jayegi ki humare workers sahi haathon me jaa rahe hain."
ab jabbar bhi sanjeeda hokar uski taraf dekhne laga,"....ye ladki to kaam ki baat kar rahi hai.",usne socha.
"...hum aapke bare me bhi achhi tarah se jante hain.aapki itni aukat hai nahi ki aap akele mills kharid sake,to fir kaise kharidenge zara hume bhi bataiye."
"akela nahi 1 aur shakhs hai mere sath.1 NRI hai."
"achha.to milwaiye us se hume."
"rani sahiba,ye aap kya kar rahi hain!is insan ko aap rajkul ki virasat bechengi!"
"seshadri sahab,chup rahiye.maalik ki baat tabhi kaatiye jab kuchh bahut zaruri kehna ho."
seshadri sahab hairat se use dekhne lage.aaj tak unhe aise to raja sahab ne bhi beizzat nahi kiya tha.
"thik hai,main us insan se aapko kal hi milwata hu."
"thik hai.hum bhi chahte hain ki dusshehre ke tyohar tak ye kaam pura ho jaye."
"ok,to main chalta hu.kal isi waqt aapko us se milwaoonga.",jabbar car me baitha & chala gaya.
"hume maaf kar dijiye,uncle.humne bahut badtamizi ki aapke sath."
seshadri sahab ko ab aur zyada hairat ho gayi.,"..par ye sab humne jabbar ko bevkuf banane ke liye kiya."
"uncle,ye insan hume sapru sahab ke sath deal karne nahi dega & sharafat ki bhasha ye samajhta nahi.to humne socha ki isko isi ki bhasha me jawab den.sapru sahab hi humare hisse ko kharidenge & ye deal humlog agle 4 dino me hi kar lenge.maine unse bhi kaha hai ki vo is baat ko apne tak hi rakhen."
dono car me baith kar vapas office ja rahe the,"..is deal ke bare me humare german partners,sapru sahab & unka ladka & hum & aap jante hain.deal to agle 4-5 dino me ho jayegi par iski announcement dussehre ke agle din hogi."
"par is jabbar ke sath kya karengi?"
"ise hum tab tak baaton me uljhaye rakhenge.1 baar humari deal ho jaye,fir sapru sahab ne kaha hai ki vo is se nipat lenge."
"maan gaye,rani sahiba aapki soch ko."
"thank you,uncle."
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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