बाली उमर की प्यास पार्ट--18
गतांक से आगे.......................
हेलो!" मीनू ने इनस्पेक्टर के मोबाइल पर एसटीडी से फोन किया..
उधर से आया जवाब मुझे सुनाई नही दिया... पर मीनू की बातों को मैं बड़े गौर से सुन रही थी....
" जी.. वो.. आपने मुझे शहर आकर फोन करने के लिए बोला था.. इसीलिए...."
"मैं.. मीनू बोल रही हूँ.. परसों आप..."
"ज्जई.. कल मेरी तबीयत खराब थी.. इसीलिए मैं..."
"अभी तो कॉलेज के पास ही हूँ..."
"ठीक है सर.. "
"नही.. मेरे साथ 'वो' अंजलि भी आई हुई है.. उसको कुच्छ शॉपिंग..."
"नही.. उसको कहाँ छोड़ू सररर..? वो शहर में नयी नयी आई है..."
"ठीक है सर.. मैं इंतज़ार कर रही हूँ.. वहीं जाकर..." मीनू ने उदासी भरे चेहरे से फोने रखने के बाद एसटीडी वाले से पूचछा,"कितने पैसे हो गये....?"
"2 रुपए!" एसटीडी वाला मुझे घूर कर देखता हुआ बोला...
मीनू ने पैसे दिए और हम बाहर आ गये... मैने निकलते ही पूचछा..," क्या कह रहा था वो?"
"15 मिनिट में आ रहा है.. मुझे कॉलेज के बाहर गेट पर खड़े होने को बोला है....."मीनू ने चलते चलते जवाब दिया...
"और मैं? .... मैं कहाँ रहूंगी तब तक....?" मैने पूचछा...
"तू मेरे पास ही रहना.. वो बोले तो भी तू दूर मत जाना.. मुझे तो घटिया टाइप का लगता है....!" मीनू मेरी और देख कर बोली....
"क्यूँ दीदी? घटिया क्यूँ...?" मैने हैरानी सी दिखाते हुए उस'से सवाल किया....
"बस.. ऐसी ही बकवास कर रहा था.. बोला ऐसे मज़े नही आएँगे.. अंजू को कहीं अलग भेज दो....!" मीनू ने जवाब दिया और बोली," बस.. यहीं खड़ी होज़ा.. यही है कॉलेज.. गेट पर खड़े अच्छे नही लगेंगे.. वहाँ लड़के खड़े रहते हैं..."
मैं कुच्छ नही बोली.. कुच्छ देर बाद धीरे से मीनू ने ही मुझसे कहा," वो.. तू कुच्छ मत बोलना.. स्कूल वाली बात के बारे में..."
"ठीक है.. पर क्यूँ?" मैने भी उसकी तरह ही धीरे बोलना शुरू कर दिया...
"पहले इसकी बात सुनेंगे.. अगर ढंग से बात की तो मैं बता दूँगी.. वरना.. खम्खा तुम्हे भी तंग करेगा... और क्या पता.. फिर पिंकी को भी बुलाने लगा तो..?" मीनू ने मुझे समझाते हुए कहा...
"ठीक है दीदी... पर क्या पता.. 'सर' ने कुच्छ किया ही ना हो!" मैने कहा...
"हां.. हो सकता है.. पर और कौन करेगा?" मीनू ने आधी सी सहमति जताई...
"नही.. बस मैं तो ऐसे ही बोल रही हूँ..." मैं बोल कर चुप हो गयी.. पर मेरे दिमाग़ मैं रह रह कर मनीषा का ख़याल आ रहा था.. उसने कल मुझे भी तो शोर करने पर जान से मारने की धमकी दी थी... क्या पता तरुण को भी ऐसे ही पकड़ लिया हो.. और वो डर कर शोर मचाने लगा हो...
हमें वहाँ खड़े आधे घंटे से भी उपर हो गया था.. मीनू बेचैन होने लगी थी...
"दीदी!" मैने ख़यालों में खोई हुई मीनू का हाथ पकड़ कर टोका...
"हाँ...."
"ये मनीषा कुच्छ अजीब सी लड़की नही है...?" मैने कहा...
"ये मनीषा का जिकर क्यूँ कर रही हो..?" मीनू ने पलट कर पूचछा...
"बस.. यूँही... मुझे तो पागल लगती है आधी..." मैने कहा...
"क्यूँ?"
"कल में आपके घर से अपने घर जा रही थी तो मैं यूँही उसके पास चली गयी.. तरुण वाली बात पूच्छने के लिए... मुझे नीचे बैठकर उपर भाग गयी.. 5 मिनिट बाद आई.. कपड़े बदल कर.. और मेरे लिए मिठाई लेकर.. मुझे ज़बरदस्ती सारी खिला कर ही वापस आने दिया..." मैं जो बता सकती थी.. उसमें अपनी तरफ से 'ज़बरदस्ती' जोड़ दिया.....
"इसमें पागलपन वाली बात क्या है.. कोई हमारे घर आता है तो हम भी तो ऐसा ही करते हैं.. वो तो बेचारी बहुत शरीफ है.. किसी से ज़्यादा बात ही नही करती.. अपना काम करती रहती है सारा दिन...!" मीनू ने मेरी बात काटी...
"हां.. पर कपड़े बदलने वाली बात मुझे और भी अजीब लगी.. वो तो हमेशा गंदे कपड़े पहने रहती है.. और वैसे भी.. जब मैं गयी तो वो 'गोबर' उठाने वाली थी.. भैंसॉं का... और वो लड़कों की तरह से बोलती है..." मैने कहा...
"हमेशा नही बोलती.. पर एकाध बार उसके मुँह से निकल जाता है.. काम लड़कों के करती है ना! इसीलिए आदत हो गयी होगी... और वैसे भी..." मीनू अपनी बात को पूरा नही कर पाई थी कि पिछे से आ रही दो लड़कियों ने हमें पकड़ लिया....
"कैसी हो मीनू.. यहाँ क्या कर रही हो?.. 3 दिन से कॉलेज में दिख ही नही रही..." एक ने पूचछा...
"श..श्वेता! तुमने तो मुझे डरा ही दिया था.. चलो.. हम थोड़ी देर में आते हैं..." मीनू सकपका सी गयी थी...
"ये.. तुम्हारी बेहन है क्या?" श्वेता ने मेरी और देख कर कहा...
"हाँ.. बेहन ही..." मीनू जवाब दे रही थी.. पर श्वेता ने उसको बीच में ही रुकने पर मजबूर कर दिया...," हाँ.. शकल से लग रही है.. पर है तुमसे भी सुन्दर..." श्वेता ने कह कर मेरी तरफ हाथ बढ़ा दिया,"हेलो डार्लिंग!"
तभी हमें कॉलेज के गेट पर हॉर्न सुनाई दिया.. पोलीस की जीप खड़ी थी.. मीनू सकपका सी गयी..," तुम चलो श्वेता! हम थोड़ी देर बाद आते हैं..."
"ओह्ह क़म'ओन यार.. चल ना.. कॅंटीन में चलकर बैठते यहाँ.. अब यहाँ क्या करोगी...?" श्वेता मेरा हाथ खींचते हुए बोली....
"समझा करो यार.. हमें कुच्छ काम है.. चलो तो..." मीनू बोलते बोलते अचानक चुप हो गयी.... जीप हमारे पास आकर रुकी.. उसमें वोही दोनो पोलीस वाले थे...
"चलो.. बैठो!" इनस्पेक्टर ने सख़्त आवाज़ में कहा....
मीनू हड़बड़ा कर श्वेता की और देखने लगी..," तुम चलो.. हम आते हैं...!"
श्वेता और दूसरी लड़की ज़ीप को देखते हुए आगे बढ़ गये... मीनू रुनवासा सा मुँह बनाकर बोली..," आप यहीं कर लो.. जो बातें करनी हैं...!"
इनस्पेक्टर बत्तीसी निकाल कर अपने मुँह में कुच्छ चबाता हुआ बोला,"यहाँ करने की बातें होती तो घर पर ही ना कर लेता... चलो.. जल्दी बैठो पीछे..."
"आप तो इस तरह हमें पोलीस जीप में बैठने को बोल रहे हो.. जैसे हम मुजरिम हैं... यहाँ कॉलेज के सामने... क्या सोचेंगे सब?" मीनू इधर उधर देखती हुई बोली.. श्वेता और वो लड़की कुच्छ आगे खड़ी होकर हमें ही देख रही थी...
"ओह्ह.. माइ मिस्टेक...!" कहकर इनस्पेक्टर जीप से उतरा और एक हाथ से मीनू का हाथ पकड़ कर दूसरा हाथ उसकी कमर पर रख लिया और ज़ोर से बोला," सॉरी डियर.. तुम्हे ज़्यादा इंतजार करना पड़ा..." कहने के बाद उसकी टोन धीमी हो गयी," क्या है कि अभी मेरी शादी नही हुई.. दहेज में बड़ी गाड़ी मिलने की उम्मीद है.. इसीलिए आजकल इसी से काम चला रहा हूँ....!"
उसकी बात सुनकर मीनू सकपका उठी," हाथ क्यूँ पकड़ रहे हो.. यहाँ.. सब क्या सोचेंगे..?"
"ओह्हो.. महारानी जी.. तो कैसे करूँ मैं.." इनस्पेक्टर दोनो हाथ जोड़ कर मीनू की ओर आगे झुक गया," पॉलिसिया अंदाज में बोलता हूँ तो कहती हो कि लोग क्या सोचेंगे... खुद नीचे उतार कर अपनी इज़्ज़त की खिचड़ी करके तुम्हे इज़्ज़त दे रहा हूँ तो कहती हो कि लोग क्या सोचेंगे... मुझे नही पता.. फटाफट गाड़ी में बैठ जाओ...!" उसने तुनक कर कहा और वापस जाकर बैठ गया...
दोनो लड़कियाँ हमारी ही और देख कर हंस रही थी.. उन्हे शायद मानव की ज़ोर से कही बातें सुन ली थी... मीनू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे लेकर जीप में बैठ गयी.......
" चाचा, शहर की किसी झकास जगह पर छ्चोड़ दो हमें...!" इनस्पेक्टर सिकुड कर बैठी हुई मीनू की ओर देख कर मुस्कुराया....
मोटे पोलीस वाले ड्राइवर ने अपनी खीँसे निपोरी..,"जनाब.. इस काम के लिए तो होटेल नटराज बढ़िया रहेगा.. जब में सिटी थाने में था.. तो वहाँ से बहुत चंदा आता था हमारे पास.. हे हे हे...."
"ठीक है.. उस'से थोड़ी पहले रोक देना.. हम पैदल चले जाएँगे....!" इनस्पेक्टर ने ड्राइवर वाली सीट पर हाथ टीका लिया....
"फिर तो उतर जाओ जनाब.. यहाँ से 20-25 कदम की दूरी पर ही है..." पोलीस वाले ने गाड़ी रोक दी,"वो.. आपको लेने आउ कि नही जनाब...?"
"नही.. मैं आ जाउन्गा.. मुझे शायद कहीं और निकलना पड़े..." इनस्पेक्टर ने गाड़ी से उतर कर हमें नीचे आने का इशारा किया... हम दोनो नीचे आकर अपना सिर झुकाकर खड़े हो गये....
"जनाब! वो उस लड़के की कॉल डीटेल भी आ गयी है.. आपको अभी दूं या टेबल में रखवा दूं जाकर...." पोलीस वाले ने चलने से पहले पूचछा....
"ओह हां... लाओ.. मुझे ही दे दो!" इनस्पेक्टर ने उस'से कुच्छ लिया और उसको भेज दिया...
"मेरे पिछे पिछे आ जाओ.. तुम्हे बोलने की कोई ज़रूरत नही है.." इनस्पेक्टर ने कड़क आवाज़ में कहा और हम उसके पिछे चल पड़े....
इधर उधर देख कर चल रहा इनस्पेक्टर अचानक मुड़ा और हमें उंगली से साथ आने का इशारा करके एक होटेल में घुस गया.. हम भी उसके साथ ही अंदर चले गये.. काउंटर पर एक नेपाली सा लड़का बैठा था.. हमें देख कर वो मुस्कुराया और इनस्पेक्टर से कहा,"बोलो!"
इनस्पेक्टर ने सिर झुकाया और अपने माथे पर खुजाते हुए बोला," रूम मिल जाएगा क्या?"
"दोनो के लिए?" लड़के ने पूचछा... इनस्पेक्टर ने मूड कर मेरी तरफ देखा तो मैने कसकर मीनू का हाथ पकड़ लिया.. वो बिना कुच्छ बोले ही घूमा और लड़के से कहा,"हाँ!"
"डबल चार्ज लगेगा दोनो के लिए!" लड़का बार बार हमारी ओर देख रहा था...
"हुम्म... इस'से अच्च्छा तो 2 कमरे ही ले लेता हूँ..." इनस्पेक्टर ने कुच्छ सोच कर जवाब दिया....
"आपकी मर्ज़ी है साहब.. चाहे तीन ले लो! पर सबका ही डबल चार्ज लगेगा..." लड़के ने मुस्कुरकर कहा....
"रेट क्या है?" इनस्पेक्टर ने पूचछा....
"एक कमरे का एक घंटे का 1000!" उसने बताया....
"कमाल है यार... इतना तो पूरी रात का भी नही बनता...." इनस्पेक्टर ने उसको घूर कर देखा.. पर वो आराम से ही बात कर रहा था.. शायद वो बताना नही चाहता होगा कि वो इनस्पेक्टर है.....
"इस काम के लिए तो इतना ही रेट है साहब... अकेले होते तो पूरी रात का 600 ही लेते...!" उसने शराफ़त से कहा....
"ठीक है... कमरा दिखा दो!" इनस्पेक्टर ने कहा....
"आए मुन्ना!" नेपाली ने आवाज़ लगाई और दूसरे लड़के के आने पर बोला," साहब को 7 नंबर. दिखा दे...!"
"तुम यहीं रूको.." इनस्पेक्टर ने हमें कहा और दूसरे लड़के के साथ अंदर चला गया....
इनस्पेक्टर के जाते ही नेपाली ने हमारी ओर देख कर बत्तीसी निकाल दी... और कुच्छ देर बाद बोला," बुरा ना मानो तो.. एक बात कहूँ मेडम?"
मीनू ने तो शायद उसकी और देखा भी नही.. पर मेरी नज़रें उस'से मिल गयी...
"वो क्या है कि... यहाँ आने वाले कस्टमर्स..... नयी लड़कियों की डेमांड करते हैं... अगर.. आपका कोई कॉंटॅक्ट नंबर. हो तो.. सिर्फ़ 10 % पर में उनको आपका नंबर. दे दूँगा.....!" नेपाली ने कहा....
"शट अप यू बस्टर्ड!" मीनू ने घूर कर उसको गाली दी.. मेरी तो तब समझ में भी नही आया था कि ऐसी उस नेपाली ने क्या बात कह दी थी.... पर मीनू का तमतमाया हुआ चेहरा देख कर वो नेपाली सहम सा गया था.....
तभी इनस्पेक्टर आया और हमें अंदर बुलाकर ले गया.....
"हा.. तो बात वहीं से शुरू करते हैं, जहाँ ख़तम हुई थी.." कहकर इनस्पेक्टर ने एक लंबी साँस ली... वह कमरे में जाकर वहाँ रखी हुई दो कुर्सियों में से एक पर बैठ गया.. हूमें उसने अपने सामने बिस्तेर पर बैठने को कह दिया था.. मैं मीनू की बराबर में बैठी मानव के चेहरे की और देख रही थी....
"तुम दोनो ने कहा था कि तरुण उस रात 11 बजे तुम्हारे घर से गया है.. कहा था ना?" इनस्पेक्टर ने मीनू से सवाल किया....
मीनू कुच्छ देर चुपचाप बैठी रही.. फिर चेहरा नीचे किए हुए ही अपना सिर हिला दिया," ज्जी..."
"और ये झूठ है.. है ना?" इनस्पेक्टर ने टिप्पणी की....
हम दोनो सिर झुकाए बैठे रहे... किसी की भी बोलने की हिम्मत ना हुई....
"उस दिन तुम्हारे गाँव की किसी लड़की ने बताया था कि चौपाल में उसने 9:00 बजे के आसपास झगड़े की आवाज़ सुनी थी... पर मैं इस बात को लेकर आसवस्त नही था कि उनमें से एक तरुण ज़रूर होगा... इसीलिए मैं ये सोचकर चुप रहा कि हो सकता है कि तुम सच बोल रही हो और वहाँ झगड़ा करने वाले तरुण के अलावा कोई और हों... पर अब सब कुच्छ शीशे की तरह सॉफ है... तरुण की पोस्टमोरटूम रिपोर्ट ये कहती है कि उसका कत्ल 9:15 और 9:30 के बीच किया गया है....
इसका मतलब तुमने झूठ बोला... और ये बात छिपाने का एक ही कारण हो सकता है... तुम कातिल को बचाना चाहती हो.. और तुम्हे सब कुच्छ पता है... तुम्हारे ही कहने पर खून किया गया है...!" इनस्पेक्टर ने हम दोनो को घूरते हुए कहा...
मीनू उसकी बात सुनकर आँखों में आँसू ले आई और उसकी ओर देख कर बोली," ये.. सच नही है सर... मुझे कुच्छ नही पता.. भगवान की कसम!"
"तो झूठ बोलने की वजह?" इनस्पेक्टर पर उसके आँसुओं का हल्का सा प्रभाव पड़ता दिखाई दिया....
"ववो.. हम डरे हुए थे.... अंजू ने कहा था.. इसीलिए मैने भी वही कह दिया...!" मीनू ने सुबक्ते हुए कहा....
"और.... वो लेटर्स?" इनस्पेक्टर ने पूचछा....
मीनू ने इस बात का कोई जवाब नही दिया... वो सिर झुकाए बैठी रही.....
"इस बात को मामूली बात मत समझो मीनू! तरुण का खून हुआ है.. ये आँसू टपका कर तुम ना तो गिरफ्तारी से बच सकती हो.. और ना ही बेगुनाह शबित हो सकती हो... समझ रही हो ना मेरी बात... तरुण के पेट में एक दो बार नही.. पूरे 13 बार चाकू से वार किया गया है... सॉफ है कि किसी ने गहरी नफ़रत के चलते ऐसा किया है... क्यूंकी आम तौर पर जुनूनी कातिल ही ऐसा करते हैं...
गाँव भर में मैने पता किया.. तरुण उनकी नज़र में एक शरीफ लड़का था... फिर ऐसा जुनूनी तो कोई आशिक ही हो सकता है... और क्यूंकी तरुण का तुम्हारे साथ कुच्छ लेफ्डा था.. इसीलिए तुमने अपने किसी दूसरे आशिक़ से कह कर उसको जान से मरवा दिया... अब तक की कहानी तो यही कहती है.... तुम्हारा क्या कहना है...?" इनस्पेक्टर बोलने के बाद चुप होकर मीनू की ओर देखने लगा....
मीनू बिलख उठी..," मेरा... विश्वास कीजिए सर.. मेरा कोई आश्... मैं तो किसी से बात भी नही करती थी.. तरुण से भी मेरी सिर्फ़ दोस्ती थी.. और कुच्छ नही.. भगवान की कसम..."
"पर.. उन्न लेटर्स की भाषा तो कुच्छ और ही कहती है.. तुमने उसमें तो ये भी लिखा है कि तुम तरुण के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तड़प रही हो.. और एक दूसरे लेटर में सॉफ सॉफ ये कहकर माफी माँगी है कि किसी लड़के के साथ तुमने नाजायज़ संबंध बनाए हैं... आज के बाद किसी दूसरे लड़के के साथ शारीरिक संबंध नही बनाओगी... वग़ैरह वग़ैरह.. और वो भी बहुत बहूदे शब्दों में.. भगवान की कसम खाकर...." इनस्पेक्टर ने बोला....
उसकी बात सुनकर मीनू का रोना और तेज हो गया...," वो सब.. पहले खुद उसने लिखे थे सर.. और मुझसे दूसरे कागज पर कॉपी करवाए थे.. मैने अपने पास से कुच्छ नही लिखा.. मैं मजबूर थी..."
"अच्च्छा! ऐसी क्या मजबूरी थी भला....?" इनस्पेक्टर ने व्यंग्य सा किया....
"आप समझ क्यूँ नही रहे... वो मुझसे नाराज़ होकर बातें करनी छ्चोड़ देता था... दूसरी लड़कियों के साथ घूमने लग जाता था...." मीनू सुबक्ते हुए बोली...
"तो तुम्हे क्या दिक्कत थी...? वो तो सिर्फ़ तुम्हारा दोस्त ही था... है ना!" इनस्पेक्टर बोला....
मीनू इस बात पर कुच्छ नही बोल पाई .. कुच्छ देर बाद इनस्पेक्टर ने ही बोलना शुरू किया...,"तुम जितनी चालाक बन'ने की कोशिश करोगी.. उतनी ही तुम्हे दिक्कत होगी.. तुमने जो कर दिया है, उसको आँसू दिखा कर तुम बच नही सकती.. चुपचाप सीधे रास्ते पर आ जाओ.. वरना मुझे भी टेढ़े रास्ते अख्तियार करने पड़ेंगे..." इनस्पेक्टर ने धमकी सी दी....
मीनू टूट सी गयी.. लग रहा था जैसे उसमें जान ही नही बची है..," हाँ.. मैं उस'से प्यार करती थी.. और ये भी समझती थी कि वो भी मुझसे उतना ही प्यार करता है.. पर मैने उसको कभी खुद को हाथ नही लगाने दिया.. इस बात से वो रोज़ रोज़ मुझसे नाराज़ हो जाता था... पर मैं उस'से बात किए बिना रह नही पाती थी.. और उसको मनाने की कोशिश करती थी... पर वो हमेशा यही शर्त रखता था.. उसके साथ रीलेशन बनाने की.. पर ये मुझे किसी कीमत पर मंजूर नही था.. मैने उसको और कुच्छ भी करवाने को बोला और उसने ये लेटर्स लिखवा लिए... मैने तब भी मना किया था.. पर वो कहने लगा कि इसका मतलब तुम्हे मुझ पर विश्वास ही नही है... बस इसी बात पर मैने उसने जो कुच्छ भी लिख कर मुझे दिया... मैने दूसरे कागज पर उतार कर उसको दे दिया..."
"चलो.. थोड़ी देर के लिए तुम्हारी ये बात ही मान लेता हूँ... उसके बाद क्या हुआ? उसने तुम्हारी ब्लॅकमेलिंग शुरू कर दी.. है ना?" इनस्पेक्टर बोला....
"हां.... उसने 3-4 दिन से ऐसा करना शुरू किया था... पर मैं किसी तरह उसको टालती रही... उस दिन पहली बार मैने लेटर्स के बदले उसकी बात मान लेने को कहा था... इसीलिए वो 'लेटर्स' लेने अपने घर चला गया.. मैं सोच रही थी कि अगर उसने लेटर्स पहले ही वापस कर दिए तो उसकी बात नही मानूँगी... मुझे उस'से नफ़रत हो गयी थी... पर 'वो' लौट कर आया ही नही... 11 बजे की बात अंजू ने इसीलिए आपको कही थी कि कहीं मेरे पापा इस'से ये ना पूच्चें कि वो पढ़ाए बिना क्यूँ चला गया वापस..." कहकर मीनू चुप हो गयी.....
"तुम्हे पता होगा कि वो 'लेटर्स' अब मेरे पास हैं... तुम उन्हे वापस भी लेना चाहती होगी.. है ना?" इनस्पेक्टर का लहज़ा अचानक बदल गया...
मीनू ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया....
"लड़का ईमानदार था.. अपने वादे का पक्का.. तुम्हारी तरह नही कि सौदा करो और बाद में मुकर जाओ.. वो सच में लेटर्स लेकर आया था.. उसकी जेब से मुझे ये लेटर्स मिले.... वो बात अलग है कि उसने इन्न लेटर्स की कॉपी करा रखी हो.... जैसे मैने भी नही कराई है अभी तक.. हा हा हा... क्या समझी....?" इनस्पेक्टर ने कहने के बाद मीनू को देख कर अपने होंटो पर जीभ फेरी...
"सर.. मुझे सच में कुच्छ नही पता.. अब मैने आपको सब कुच्छ सच सह बता दिया है....!" मीनू ने निराशा भरी नज़रों से इनस्पेक्टर को देख कर कहा....
"ठीक है.. मैने मान ली.. अब इन्न लेटर्स का भी मैं क्या करूँगा...? तुम्हे वापस चाहिए ना?" इनस्पेक्टर कहकर मुस्कुराया...
"ज्जी.. सर.. आप इन्हे जला दो.. प्लीज़.. मेरे घर वालों को इनका पता चल गया तो वो जीते जी मर जाएँगे..." मीनू ने प्रार्थना की....
"ऐसे ही... बिना कुच्छ लिए दिए...! कुच्छ तो रहम करो मुझ पर.... मैने भी बड़ी मेहनत की है.. यहाँ 2-4 हज़ार रुपए भी खर्च करूँगा... मेरा भी तो कुच्छ बनता है ना..." इनस्पेक्टर ने कहा....
"ज्जी.. क्या मतलब?" मीनू ने पूचछा....
"ओह.. अब इतनी भी भोली मत बनो.. अंजू को बाहर भेज दो और......" इनस्पेक्टर ने अपना सिर खुज़ाया...," और कपड़े निकाल दो!"
मीनू सुनते ही भय से काँपने सी लगी.. ये डर उसके 2 दिन पहले से ही सता रहा था.. मैने मीनू की आँखों में देखा और इशारों ही इशारों में उस'से पूचछा कि क्या करूँ... उसने अपने काँपते हुए हाथ से मुझे कसकर पकड़ लिया,"ययए क्या कह रहे हो... आप?"
"अब दोबारा बोलना पड़ेगा क्या? जा लड़की.. बाहर घूम ले थोड़ी देर.." इनस्पेक्टर ने गुर्रा कर कहा तो मेरी वहाँ बैठे रहने की हिम्मत नही रही.... मैने बेड से नीचे उतर कर मीनू से अपनी बाँह छुड़ाने लगी...
"नही अंजू!" मीनू ने दूसरे हाथ से भी मुझे पकड़ लिया और रोनी सूरत बना कर बोली," तत्तूम.. कहीं मत जाओ प्लीज़..."
"सुना नही क्या तुमने?" इनस्पेक्टर दोबारा चिल्लाया....
"ययए.. जाने नही दे रही सर.. इसस्सकॉ डर लग रहा है.." मैने भोला सा मुँह बनाकर इनस्पेक्टर की ओर देखा....
"ठीक है फिर.. तुम यहाँ बैठकर तमाशा देखना.. अपना काम तो मुझे हर हाल में करना है.. वरना इसके तीनो लेटर्स केस के साथ लगा कर सस्पेक्टेड की लिस्ट में डाल दूँगा... काट'ती रहेगी कोर्ट के चक्कर...." इनस्पेक्टर एक बार खड़ा हुआ फिर वापस बैठ गया.....
"नही सर.. नही.. प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दो!" मीनू ने मुझे छ्चोड़कर इनस्पेक्टर की तरफ दोनो हाथ जोड़ लिए और गिड़गिदने लगी....
"माफ़ कर दो? तुमने मेरा क्या बिगाड़ा है..? ये तो आपस की सौदेबाज़ी है.. या तो मेरी बात मान लो.. वरना मुझे अपनी ड्यूटी करने दो.. जाओ अगर जाना चाहती हो!" इनस्पेक्टर मुस्कुराता हुआ पैर के उपर पैर चढ़ा कर बैठ गया......
"मैं बर्बाद हो जाउन्गि सर... कुच्छ नही बचेगा मेरे पास.... प्लस्सस्सस्स.. मुझे लेटर दे दो और हमें जाने दो..." मीनू लगातार आँसू बहा रही थी.. मेरी समझ में नही आ रहा था कि 'वो' आख़िर इतने अच्छे मौके को हाथ से क्यूँ जाने दे रही है.... मैने मीनू के आँसू पौंचछते हुए इनस्पेक्टर से कहा," सर.. आप इसको ना रुलाइए.. आपको जो करना है.. मेरे साथ कर लीजिए.. पर प्लीज़.. मेरी दीदी को छ्चोड़ दीजिए.... इसको लेटर दे दीजिए...."
मैने जिस अंदाज में अपनी कसक का इज़हार किया था शायद एक बार तो दिलीप कुमार जी भी होते तो मेरी पीठ थपथपाते... लहज़ा भावुक होने के कारण मेरी आँखों में सचमुच ही आँसू आ गये थे... पर बदले में मुझे तब भी इनस्पेक्टर की डाँट ही खाने को मिली," यहाँ रहना है तो चुप चाप अपना मुँह बंद करके बैठी रह.. वरना भगा दूँगा यहाँ से.. समझ गयी?"
मुझे ना उगलते बना ना निगलते.. मैं मायूस होकर वापस बिस्तेर पर बैठ गयी...
"इधर आ मेरे पास!" इनस्पेक्टर ने हमारी तरफ उंगली से इशारा किया...
"कौन मैं?" मैने अपनी खुशी को च्छूपाते हुए कहा....
"कहा ना तू चुप बैठ जा! अब तूने एक शब्द भी बोला तो कान के नीचे लगाउन्गा एक..." इनस्पेक्टर ने मुझे फिर धमका दिया.. मेरी तो उम्मीद ही ख़तम हो गयी...
उसने एक बार फिर उंगली से ही मीनू की और इशारा करते हुए कहा," सुनाई नही दे रहा क्या? खड़ी होकर इधर आ...!"
मीनू इस बार वहाँ बैठे रहने लायक हिम्मत नही जुटा पाई... मरे हुए कदमों से मेरा हाथ पकड़े हुए खड़ी हुई और फिर रेंगती हुई सी उसके पास जाकर खड़ी हो गयी....
इनस्पेक्टर ने मीनू का हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया," समस्या क्या है तुम्हारी? मेरे साथ एक बार हुमबईस्तेर होकर तुम्हे तुम्हारे लेटर्स मिल जाएँगे और हमेशा के लिए इस झंझट से च्छुतकारा भी.. फिर भी मैं तुम्हारे उपर छ्चोड़ रहा हूँ... अगर जाना चाहती हो तो जाओ.. ऐसे रो क्यूँ रही हो?"
मीनू कुच्छ देर चुपचाप खड़ी सुबक्ती रही.. फिर अपना हाथ च्छुदाने की कोशिश करती हुई बोली," हमें जाने दो सर.. मैं ऐसा नही कर सकती... हमें यहाँ से जाने दो...!"
इनस्पेक्टर ने उसका हाथ नही छ्चोड़ा.. कुच्छ देर उसकी और मुस्कुराता रहा फिर अपनी पिच्छली जेब में हाथ डालकर कुच्छ कागज निकाले और मीनू की हथेली में थमा दिए..," ये लो तुम्हारे लेटर्स! और खुशी खुशी जाओ... मुझे तुम्हारे अंदर का सच जान'ने के लिए इतनी असभ्या भाषा का इस्तेमाल करना पड़ा.. इसके लिए सॉरी..! पर वो ज़रूरी था.. जब तक मैं तुम्हारी तरफ से निसचिंत नही हो जाता.. मेरा दिमाग़ बार बार आकर तुम पर ही अटकता रहता... मेरे दिल में अब तक यही बात थी कि तुम इतनी शरीफ नही हो जितनी शकल से दिखती हो.... पर मैं ग़लत था.. तुम वैसी ही हो जैसी दिखती हो.... ऐसी ही रहना!" इनस्पेक्टर ने उसका हाथ छ्चोड़ दिया...
मैं हैरान थी.. पर मीनू को जाने क्या हुआ.. वो अचानक फफक फफक कर रोने लगी...
"अर्रे अब क्या हुआ? सॉरी बोला ना मैने.. सच में मैं इतना बुरा नही हूँ, जितना तुमने समझ लिया था... लड़की की इज़्ज़त क्या होती है.. मैं अच्छि तरह समझता हूँ.. पर तहकीकात करने का मेरा तरीका थोडा जुदा है.. उसके लिए माफ़ करना.. अगर मुझे बिना सोचे समझे कुच्छ करना होता तो मैं तुम्हे यहाँ नही बुलाता.. तुम्हारे घर वालों के सामने ही गाँव वालों को इकट्ठा करके तुमसे सवाल करता.... और फिर तुम्हे कस्टडी में लेना भी पोलीस के लिए मुश्किल नही था... वहाँ ये सब करना आसान होता ना? पर मैने ये सब तुम्हारी इज़्ज़त को बरकरार रखने के लिए ही करना पड़ा... " इनस्पेक्टर के चेहरे पर ये सब बोलते हुए एक अलग ही नूर चमक रहा था," अभी बाहर तक मेरे साथ ही चलना.. अब तुम्हे और तंग नही करूँगा... हां.. किसी तरह की कोई जानकारी तुम्हारे पास हो तो बेझिझक मुझे बता देना... एक मिनिट.. ये तरुण के फोन की कॉल डीटेल है.. एक बार इस पर नज़र मार लो.. कुच्छ दिमाग़ में आए तो बताना...." कहकर उसने लिस्ट मीनू के हाथों में दे दी....
मीनू मूक सी बनी इनस्पेक्टर की आँखों में ही देखती रही.. लिस्ट को अपने हाथ में पकड़े....
"क्या हुआ अब?" इनस्पेक्टर ने उसकी नाक पकड़ कर खींच ली.. और हँसने लगा...
"थॅंक्स... सर!" मीनू ने इतना ही कहा और अपनी नज़रें झुका ली...
"मानव! मानव बोलॉगी तो ज़्यादा अच्च्छा लगेगा मुझे..." इनस्पेक्टर ने कहा और फिर से मुस्कुरा दिया...
मीनू ने कोई जवाब नही दिया... वो खड़ी खड़ी लिस्ट को देखने लगी.. फिर मानव की तरफ सरक कर उसको लिस्ट दिखाते हुए बोली..," शायद ये सोनू का नंबर. है... इसके अलावा मैं किसी नंबर. को नही जानती...."
"सोनू कौन?" इनस्पेक्टर ने पूचछा....
मीनू ने मुँह पिचका कर कहा..,"उसका दोस्त है.. पर मुझे पहले नही पता था कि वो दोनो इतने गहरे दोस्त हैं...."
"हुम्म... इनस्पेक्टर ने अपना मोबाइल निकाला..," अभी कहाँ होगा ये...?"
"पता नही सर.. गाँव में होगा या फिर कॉलेज आया होगा..." मीनू ने जवाब दिया...
"ओके.. ट्राइ करके देखते हैं..." उसने कहा और नंबर. मिला दिया....
अचानक मेरी छातियो में करेंट सा दौड़ गया... तभी मुझे ध्यान आया.. ढोलू का फोने 'वहीं' है... मैने उसको वहीं छाती में दबा लिया....
"नही.. उठा नही रहा..." इनस्पेक्टर ने कहा और फोन को देखने लगा... एक बार फिर मेरी छातियो में कंपन शुरू हो गयी... मैं कुच्छ सोच कर डर गयी.. पर मैने अपने आवेगो को उस वक़्त काबू में रखना ही ठीक समझा....
"आओ चलें...!" कहकर इनस्पेक्टर ने दरवाजा खोला और बाहर निकल गया....
मीनू ने मेरी और देखा और मुश्कूरकर खुशी के आँसू लुढ़का दिए.. मेरा हाथ पकड़ा और हम भी इनस्पेक्टर के पिछे पिछे हो लिए....
होटेल से बाहर निकलने के बाद मानव ने मुस्कुरकर हमारी और देखा और कहा," जाओ!"
इनस्पेक्टर पलटा ही था कि मीनू ने उसको आवाज़ लगा दी,"हेलो.. सर!"
"हां.. बोलो?" इनस्पेक्टर पलटा और वापस आकर बोला....
"वो.. हमें आपको कुच्छ बताना था... आप कहो तो बाद में फोन पर...." मीनू ने हड़बड़ा कर कहा...
"अगर तुम्हे जल्दी नही है तो अभी बता दो... तरुण से रिलेटेड है क्या?" इनस्पेक्टर ने पूचछा....
"जी... अभी बता देते हैं.... पर.. यहाँ... सर, आप कहीं और नही चल सकते क्या?" मीनू बोली...
"क्यूँ नही? पर मुझे सर कहना बंद करो.. मुझे बुरा लग रहा है.. हमारा कॉलेज एक ही था ना...!" इनस्पेक्टर ने मुस्कुरकर कहा और मीनू की तरफ हाथ बढ़ा दिया...
मीनू ने शर्मकार मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फिर उसकी आँखों से थोड़ा सा नीचे देखते हुए उसका हाथ पकड़ लिया,"ओके, मानव जी.. हे हे हे..."
क्रमशः........................
gataank se aage.....................
Hello!" Meenu ne inspector ke mobile par STD se phone kiya..
udhar se aaya jawaab mujhe sunayi nahi diya... par Meenu ki baaton ko main bade gour se sun rahi thi....
" Ji.. wo.. aapne mujhe shahar aakar fone karne ke liye bola tha.. isiliye...."
"Main.. Meenu bol rahi hun.. parson aap..."
"Jji.. kal meri tabiyat kharaab thi.. isiliye main..."
"Abhi toh college ke paas hi hoon..."
"Theek hai Sir.. "
"Nahi.. mere sath 'wo' Anjali bhi aayi huyi hai.. usko kuchh shopping..."
"Nahi.. usko kahan chhodoon Sirrr..? wo shahar mein nayi nayi aayi hai..."
"Theek hai sir.. main intzaar kar rahi hoon.. wahin jakar..." Meenu ne udaasi bhare chehre se fone rakhne ke baad STD waale se poochha,"Kitne paise ho gaye....?"
"2 rupaiye!" STD wala mujhe ghoor kar dekhta hua bola...
Meenu ne paise diye aur hum bahar aa gaye... Maine nikalte hi poochha..," Kya kah raha tha wo?"
"15 minute mein aa raha hai.. mujhe college ke bahar gate par khade hone ko bola hai....."Meenu ne chalte chalte jawaab diya...
"Aur main? .... main kahan rahoongi tab tak....?" Maine poochha...
"Tu mere paas hi rahna.. woh bole toh bhi tu door mat jana.. mujhe toh ghatiya type ka lagta hai....!" Meenu meri aur dekh kar boli....
"Kyun didi? ghatiya kyun...?" Maine hairani si dikhate huye uss'se sawaal kiya....
"bus.. aisi hi bakwas kar raha tha.. bola aise maje nahi aayenge.. Anju ko kahin alag bhej do....!" Meenu ne jawaab diya aur boli," bus.. yahin khadi hoja.. yahi hai college.. gate par khade achchhe nahi lagenge.. wahan ladke khade rahte hain..."
Main kuchh nahi boli.. kuchh der baad dheere se Meenu ne hi mujhse kaha," Wo.. tu kuchh mat bolna.. School wali baat ke baare mein..."
"Theek hai.. par kyun?" Maine bhi uski tarah hi dheere bolna shuru kar diya...
"Pahle iski baat sunenge.. agar dhang se baat ki toh main bata doongi.. warna.. khamkha tumhe bhi tang karega... aur kya pata.. fir Pinky ko bhi bulane laga toh..?" Meenu ne mujhe samjhaate huye kaha...
"Theek hai didi... par kya pata.. 'sir' ne kuchh kiya hi na ho!" Maine kaha...
"haan.. ho sakta hai.. par aur koun karega?" Meenu ne aadhi si sahmati jatayi...
"Nahi.. bus main toh aise hi bol rahi hoon..." Main bol kar chup ho gayi.. par mere dimag main rah rah kar manisha ka khayaal aa raha tha.. usne kal mujhe bhi toh shor karne par jaan se maarne ki dhamki di thi... kya pata Tarun ko bhi aise hi pakad liya ho.. aur wo darr kar shor machane laga ho...
hamein wahan khade aadhe ghante se bhi upar ho gaya tha.. Meenu bechain hone lagi thi...
"Didi!" Maine khayaalon mein khoyi huyi Meenu ka hath pakad kar toka...
"Haan...."
"Ye Manisha kuchh ajeeb si ladki nahi hai...?" Maine kaha...
"Ye Manisha ka jikar kyun kar rahi ho..?" Meenu ne palat kar poochha...
"Bus.. yunhi... mujhe toh pagal lagti hai aadhi..." Maine kaha...
"Kyun?"
"Kal mein aapke ghar se apne ghar ja rahi thi toh main yunhi uske paas chali gayi.. Tarun wali baat poochhne ke liye... Mujhe neeche baithakar upar bhag gayi.. 5 minute baad aayi.. kapde badal kar.. aur mere liye mithayi lekar.. mujhe jabardasti sari khila kar hi wapas aane diya..." Main jo bata sakti thi.. usmein apni taraf se 'jabardasti' jod diya.....
"Ismein pagalpan wali baat kya hai.. koyi hamare ghar aata hai toh hum bhi toh aisa hi karte hain.. wo toh becharo bahut shareef hai.. kisi se jyada baat hi nahi karti.. apna kaam karti rahti hai sara din...!" Meenu ne meri baat kaati...
"Haan.. par kapde badalne wali baat mujhe aur bhi ajeeb lagi.. wo toh hamesha gande kapde pahne rahti hai.. aur waise bhi.. jab main gayi toh woh 'gobar' uthane wali thi.. bhainson ka... aur wo ladkon ki tarah se bolti hai..." Maine kaha...
"Hamesha nahi bolti.. par ekaadh baar uske munh se nikal jata hai.. kaam ladkon ke karti hai na! isiliye aadat ho gayi hogi... aur waise bhi..." Meenu apni baat ko poora nahi kar payi thi ki pichhe se aa rahi do ladkiyon ne hamein pakad liya....
"Kaisi ho Meenu.. yahan kya kar rahi ho?.. 3 din se college mein dikh hi nahi rahi..." Ek ne poochha...
"Ohh..shwetaaaa! tumne toh mujhe dara hi diya tha.. chalo.. hum thodi der mein aate hain..." Meenu sakpaka si gayi thi...
"Ye.. tumhari behan hai kya?" Shweta ne meri aur dekh kar kaha...
"Haan.. behan hi..." Meenu jawaab de rahi thi.. par Shweta ne usko beech mein hi rukne par majboor kar diya...," haan.. shakal se lag rahi hai.. par hai tumse bhi sunder..." Shweta ne kah kar meri taraf hath badha diya,"Hello darling!"
Tabhi hamein college ke gate par horn sunayi diya.. Police ki jeep khadi thi.. Meenu sakpaka si gayi..," Tum chalo shweta! hum thodi der baad aate hain..."
"Ohh comm'on yaar.. chal na.. canteen mein chalkar baithte yahan.. ab yahan kya karogi...?" Shweta mera hath kheenchte huye boli....
"Samjha karo yaar.. hamein kuchh kaam hai.. chalo toh..." Meenu bolte bolte achanak chup ho gayi.... Jeep hamare paas aakar ruki.. usmein wohi dono police waale the...
"chalo.. baitho!" Inspector ne sakht aawaj mein kaha....
Meenu hadbada kar Shweta ki aur dekhne lagi..," Tum chalo.. hum aate hain...!"
Shweta aur dusri ladki zeep ko dekhte huye aage badh gaye... Meenu runwasa sa munh banakar boli..," aap yahin kar lo.. jo baatein karni hain...!"
Inspector batteesi nikal kar apne munh mein kuchh chabata hua bola,"Yahan karne ki baatein hoti toh ghar par hi na kar leta... chalo.. jaldi baitho peechhe..."
"Aap toh iss tarah hamein police jeep mein baithne ko bol rahe ho.. jaise hum mujrim hain... yahan college ke saamne... kya sochenge sab?" Meenu idhar udhar dekhti huyi boli.. Shweta aur wo ladki kuchh aage khadi hokar hamein hi dekh rahi thi...
"Ohh.. my mistake...!" Kahkar inspector jeep se utra aur ek hath se Meenu ka hath pakad kar dusra hath uski kamar par rakh liya aur zor se bola," Sorry dear.. tumhe jyada intjaar karna pada..." Kahne ke baad uski tone dheemi ho gayi," Kya hai ki abhi meri shadi nahi huyi.. dahej mein badi gadi milne ki ummeed hai.. isiliye aajkal isi se kaam chala raha hoon....!"
Uski baat sunkar Meenu sakpaka uthi," hath kyun pakad rahe ho.. yahan.. sab kya sochenge..?"
"Ohho.. maharani ji.. toh kaise karoon main.." Inspector dono hath jod kar Meenu ki aur aage jhuk gaya," Policiya andaaj mein bolta hoon toh kahti ho ki log kya sochenge... khud neeche utar kar apni ijjat ki khichdi karke tumhe ijjat de raha hoon toh kahti ho ki log kya sochenge... mujhe nahi pata.. fatafat gadi mein baith jao...!" Usne tunak kar kaha aur wapas jakar baith gaya...
dono ladkiyan hamari hi aur dekh kar hans rahi thi.. unhe shayad Manav ki jor se kahi baatein sun li thi... Meenu ne mera hath pakda aur mujhe lekar jeep mein baith gayi.......
" Chacha, shahar ki kisi jhakaas jagah par chhod do hamein...!" Inspector sikud kar baithi huyi Meenu ki aur dekh kar muskuraya....
Motey police wale driver ne apni kheense nipori..,"Janaab.. iss kaam ke liye toh Hotel Natraj badhiya rahega.. jab mein city thane mein tha.. toh wahan se bahut chanda aata tha hamare paas.. he he he...."
"Theek hai.. uss'se thodi pahle rok dena.. hum paidal chale jayenge....!" Inspector ne driver wali seat par hath tika liya....
"Fir toh utar jao janaab.. yahan se 20-25 kadam ki doori par hi hai..." Police wale ne gadi rok di,"Wo.. aapko lene aaun ki nahi janaab...?"
"Nahi.. main aa jaaunga.. mujhe shayad kahin aur nikalna pade..." Inspector ne gadi se utar kar hamein neeche aane ka ishara kiya... hum dono neeche aakar apna sir jhukakar khade ho gaye....
"Janab! wo uss ladke ki call detail bhi aa gayi hai.. aapko abhi doon ya table mein rakhwa doon jakar...." Police wale ne chalne se pahle poochha....
"Oh haan... lao.. mujhe hi de do!" Inspector ne uss'se kuchh liya aur usko bhej diya...
"Mere pichhe pichhe aa jao.. tumhe bolne ki koyi jarurat nahi hai.." Inspector ne kadak aawaj mein kaha aur hum uske pichhe chal pade....
Idhar udhar dekh kar chal raha Inspector achanak muda aur hamein ungali se sath aane ka ishara karke ek hotel mein ghus gaya.. hum bhi uske sath hi andar chale gaye.. counter par ek nepali sa ladka baitha tha.. hamein dekh kar wo muskuraya aur inspector se kaha,"Bolo!"
Inspector ne sir jhukaya aur apne mathe par khujate huye bola," room mil jayega kya?"
"Dono ke liye?" ladke ne poochha... Inspector ne mud kar meri taraf dekha toh maine kaskar Meenu ka hath pakad liya.. wo bina kuchh bole hi ghooma aur ladke se kaha,"Haan!"
"Double charge lagega dono ke liye!" Ladka baar baar hamari aur dekh raha tha...
"Humm... iss'se achchha toh 2 kamre hi le leta hoon..." Inspector ne kuchh soch kar jawab diya....
"Aapki marji hai sahab.. chahe teen le lo! par sabka hi double charge lagega..." Ladke ne muskurakar kaha....
"Rate kya hai?" Inspector ne poochha....
"Ek kamre ka ek ghante ka 1000!" usne bataya....
"kamal hai yaar... itna toh poori raat ka bhi nahi banta...." Inspector ne usko ghoor kar dekha.. par wo aaram se hi baat kar raha tha.. shayad wo batana nahi chahta hoga ki wo inspector hai.....
"Iss kaam ke liye toh itna hi rate hai sahab... akele hote toh poori raat ka 600 hi lete...!" Usne sharafat se kaha....
"Theek hai... kamra dikha do!" inspector ne kaha....
"Aey munna!" Nepali ne aawaj lagayi aur dusre ladke ke aane par bola," sahab ko 7 no. dikha de...!"
"Tum yahin ruko.." Inspector ne hamein kaha aur dusre ladke ke sath andar chala gaya....
Inspector ke jaate hi nepali ne hamari aur dekh kar batteesi nikal di... aur kuchh der baad bola," Bura na mano toh.. ek baat kahoon madam?"
Meenu ne toh shayad uski aur dekha bhi nahi.. par meri najrein uss'se mil gayi...
"Wo kya hai ki... yahan aane wale customers..... nayi ladkiyon ki demaand karte hain... agar.. aapka koyi contact no. ho toh.. sirf 10 % par mein unko aapka no. de doonga.....!" Nepali ne kaha....
"Shut up you bastard!" Meenu ne ghoor kar usko gali di.. meri toh tab samajh mein bhi nahi aaya tha ki aisi uss nepali ne kya baat kah di thi.... par Meenu ka tamtamaya hua chehra dekh kar wo Nepali saham sa gaya tha.....
Tabhi inspector aaya aur hamein andar bulakar le gaya.....
"Haaaaaaan.. toh baat wahin se shuru karte hain, jahan khatam huyi thi.." Kahkar inspector ne ek lambi saans li... wah kamre mein jakar wahan rakhi huyi do kursiyon mein se ek par baith gaya.. humein usne apne saamne bister par baithne ko kah diya tha.. main Meenu ki barabar mein baithi Manav ke chehre ki aur dekh rahi thi....
"Tum dono ne kaha tha ki Tarun uss raat 11 baje tumhare ghar se gaya hai.. kaha tha na?" Inspector ne Meenu se sawaal kiya....
Meenu kuchh der chupchap baithi rahi.. fir chehra neeche kiye huye hi apna sir hila diya," jji..."
"Aur ye jhooth hai.. hai na?" Inspector ne tippani ki....
Hum dono sir jhukaye baithe rahe... kisi ki bhi bolne ki himmat na huyi....
"Uss din tumhare gaanv ki kisi ladki ne bataya tha ki choupal mein usne 9:00 baje ke aaspaas jhagde ki aawaj suni thi... par main iss baat ko lekar aaswast nahi tha ki unmein se ek Tarun jaroor hoga... isiliye main ye sochkar chup raha ki ho sakta hai ki tum sach bol rahi ho aur wahan jhagda karne wale Tarun ke alawa koyi aur hon... par ab sab kuchh sheeshe ki tarah saaf hai... Tarun ki postmortum report ye kahti hai ki uska katl 9:15 aur 9:30 ke beech kiya gaya hai....
Iska matlab tumne jhooth bola... aur ye baat chhipane ka ek hi karan ho sakta hai... Tum katil ko bachana chahti ho.. aur tumhe sab kuchh pata hai... tumhare hi kahne par khoon kiya gaya hai...!" Inspector ne hum dono ko ghoorte huye kaha...
Meenu uski baat sunkar aankhon mein aansu le aayi aur uski aur dekh kar boli," Ye.. sach nahi hai Sir... Mujhe kuchh nahi pata.. bhagwan ki kasam!"
"Toh jhooth bolne ki wajah?" Inspector par uske aansuon ka hulka sa prabhav padta dikhayi diya....
"Wwo.. hum darey huye the.... Anju ne kaha tha.. isiliye maine bhi wahi kah diya...!" Meenu ne subakte huye kaha....
"Aur.... wo letters?" Inspector ne poochha....
Meenu ne iss baat ka koyi jawab nahi diya... wo sir jhukaye baithi rahi.....
"Iss baat ko maamuli baat mat samjho Meenu! Tarun ka khoon hua hai.. ye aansoo tapka kar tum na toh giragtaari se bach sakti ho.. aur na hi begunah shabit ho sakti ho... samajh rahi ho na meri baat... Tarun ke pate mein ek do baar nahi.. poore 13 baar chaku se vaar kiya gaya hai... saaf hai ki kisi ne gahri nafrat ke chalte aisa kiya hai... kyunki aam tour par junooni katil hi aisa karte hain...
Gaanv bhar mein maine pata kiya.. Tarun unki nazar mein ek shareef ladka tha... Fir aisa junooni toh koyi aashik hi ho sakta hai... aur kyunki Tarun ka tumhare sath kuchh lafda tha.. isiliye tumne apne kisi dusre aashiq se kah kar usko jaan se marwa diya... ab tak ki kahani toh yahi kahti hai.... tumhara kya kahna hai...?" Inspector bolne ke baad chup hokar Meenu ki aur dekhne laga....
Meenu bilakh uthi..," mera... vishvas kijiye sir.. mera koyi aash... main toh kisi se baat bhi nahi karti thi.. Tarun se bhi meri sirf dosti thi.. aur kuchh nahi.. bhagwan ki kasam..."
"Par.. unn letters ki bhasha toh kuchh aur hi kahti hai.. tumne usmein toh ye bhi likha hai ki tum Tarun ke sath sharirik sambandh banane ko tadap rahi ho.. aur ek dusre letter mein saaf saaf ye kahkar maafi maangi hai ki kisi ladke ke sath tumne najayaj sambandh banaye hain... aaj ke baad kisi dusre ladke ke sath sharirik sambandh nahi banaogi... wagairah wagairah.. aur wo bhi bahut behude shabdon mein.. bhagwan ki kasam khakar...." Inspector ne bola....
Uski baat sunkar Meenu ka rona aur tej ho gaya...," Wo sab.. pahle khud usne likhe the sir.. aur mujhse dusre kagaj par copy karwaye the.. maine apne paas se kuchh nahi likha.. main majboor thi..."
"Achchha! aisi kya majboori thi bhala....?" Inspector ne vyangya sa kiya....
"Aap samajh kyun nahi rahe... wo mujhse naraj hokar baatein karni chhod deta tha... dusri ladkiyon ke sath ghoomne lag jata tha...." Meenu subakte huye boli...
"Toh tumhe kya dikkat thi...? wo toh sirf tumhara dost hi tha... hai na!" Inspector bola....
Meenu iss baat par kuchh nahi bol payi .. kuchh der baad inspector ne hi bolna shuru kiya...,"Tum jitni chalak ban'ne ki koshish karogi.. utni hi tumhe dikkat hogi.. tumne jo kar diya hai, usko aansu dikha kar tum bach nahi sakti.. chupchap seedhe raaste par aa jao.. warna mujhe bhi tedhe raaste akhtiyaar karne padenge..." Inspector ne dhamki si di....
Meenu toot si gayi.. lag raha tha jaise usmein jaan hi nahi bachi hai..," Haan.. main uss'se pyar karti thi.. aur ye bhi samajhti thi ki wo bhi mujhse utna hi pyar karta hai.. par maine usko kabhi khud ko hath nahi lagane diya.. iss baat se wo roz roz mujhse naraj ho jata tha... par main uss'se baat kiye bina rah nahi pati thi.. aur usko manane ki koshish karti thi... par wo hamesha yahi shart rakhta tha.. uske sath relation banane ki.. par ye mujhe kisi keemat par manjoor nahi tha.. maine usko aur kuchh bhi karwane ko bola aur usne ye letters likhwa liye... maine tab bhi mana kiya tha.. par wo kahne laga ki iska matlab tumhe mujh par vishvas hi nahi hai... bus isi baat par maine usne jo kuchh bhi likh kar mujhe diya... maine dusre kagaj par utaar kar usko de diya..."
"chalo.. thodi der ke liye tumhari ye baat hi maan leta hoon... uske baad kya hua? usne tumhari blackmailing shuru kar di.. hai na?" Inspector bola....
"Haan.... usne 3-4 din se aisa karna shuru kiya tha... par main kisi tarah usko taalti rahi... uss din pahli baar maine letters ke badle uski baat maan lene ko kaha tha... isiliye wo 'letters' lene apne ghar chala gaya.. main soch rahi thi ki agar usne letters pahle hi wapas kar diye toh uski baat nahi maanoongi... mujhe uss'se nafrat ho gayi thi... par 'wo' lout kar aaya hi nahi... 11 baje ki baat Anju ne isiliye aapko kahi thi ki kahin mere papa iss'se ye na poochhein ki wo padhaye bina kyun chala gaya wapas..." kahkar Meenu chup ho gayi.....
"Tumhe pata hoga ki wo 'letters' ab mere paas hain... tum unhe wapas bhi lena chahti hogi.. hai na?" Inspector ka lahja achanak badal gaya...
Meenu ne uski baat ka koyi jawaab nahi diya....
"Ladka imaandaar tha.. apne waade ka pakka.. tumhari tarah nahi ki souda karo aur baad mein mukar jao.. wo sach mein letters lekar aaya tha.. uski jeb se mujhe ye letters mile.... wo baat alag hai ki usne inn letters ki copy kara rakhi ho.... jaise maine bhi nahi karayi hai abhi tak.. ha ha ha... kya samjhi....?" Inspector ne kahne ke baad Meenu ko dekh kar apne honton par jeebh feri...
"Sir.. mujhe sach mein kuchh nahi pata.. ab maine aapko sab kuchh sach sah bata diya hai....!" Meenu ne nirasha bhari najron se inspector ko dekh kar kaha....
"Theek hai.. maine maan li.. ab inn letters ka bhi main kya karoonga...? tumhe wapas chahiye na?" Inspector kahkar muskuraya...
"Jji.. sir.. aap inhe jala do.. pls.. mere ghar waalon ko inka pata chal gaya toh wo jeete ji mar jayenge..." Meenu ne prarthna ki....
"Aise hi... bina kuchh liye diye...! kuchh toh raham karo mujh par.... maine bhi badi mehnat ki hai.. yahan 2-4 hazar rupaiye bhi kharch karoonga... mera bhi toh kuchh banta hai na..." Inspector ne kaha....
"Jji.. kya matlab?" Meenu ne poochha....
"Oh.. ab itni bhi bholi mat bano.. Anju ko bahar bhej do aur......" Inspector ne apna sir khujaya...," aur kapde nikal do!"
Meenu sunte hi bhay se kaanpne si lagi.. ye darr uske 2 din pahle se hi sata raha tha.. Maine Meenu ki aankhon mein dekha aur isharon hi isharon mein uss'se poochha ki kya karoon... usne apne kaanpte huye hath se mujhe kaskar pakad liya,"yye kya kah rahe ho... aap?"
"Ab dobara bolna padega kya? Ja ladki.. bahar ghoom le thodi der.." Inspector ne gurra kar kaha toh meri wahan baithe rahne ki himmat nahi rahi.... maine bed se neeche utar kar Meenu se apni baanh chhudane lagi...
"Nahi Anju!" Meenu ne dusre hath se bhi mujhe pakad liya aur roni soorat bana kar boli," Tttum.. kahin mat jao pls..."
"Suna nahi kya tumne?" Inspector dobara chillaya....
"Yye.. jane nahi de rahi Sir.. isssko darr lag raha hai.." Maine bhola sa munh banakar inspector ki aur dekha....
"Theek hai fir.. tum yahan baithkar tamasha dekhna.. apna kaam toh mujhe har haal mein karna hai.. warna iske teeno letters case ke sath laga kar suspected ki list mein daal doonga... kaat'ti rahegi court ke chakkar...." Inspector ek baar khada hua fir wapas baith gaya.....
"Nahi sir.. nahi.. pls.. mujhe maaf kar do!" Meenu ne mujhe chhodkar inspector ki taraf dono hath jod liye aur gidgidane lagi....
"Maaf kar do? tumne mera kya bigada hai..? ye toh aapas ki soudebazi hai.. ya toh meri baat maan lo.. warna mujhe apni duty karne do.. jao agar jana chahti ho!" Inspector muskurata hua pair ke upar pair chadha kar baith gaya......
"Main barbaad ho jaaungi Sir... kuchh nahi bachega mere paas.... plssssss.. mujhe letter de do aur hamein jane do..." Meenu lagataar aansu baha rahi thi.. meri samajh mein nahi aa raha tha ki 'wo' aakhir itne achchhe mouke ko hath se kyun jane de rahi hai.... Maine meenu ke aansu pounchhte huye inspector se kaha," Sir.. aap isko na rulayiye.. aapko jo karna hai.. mere sath kar lijiye.. par pls.. meri didi ko chhod dijiye.... isko letter de dijiye...."
Maine jis andaaj mein apni kasak ka ijhaar kiya tha shayad ek baar toh Dilip kumar ji bhi hote toh meri peeth thapthapate... lahja bhawuk hone ke karan meri aankhon mein sachmuch hi aansu aa gaye the... par badle mein mujhe tab bhi inspector ki daant hi khane ko mili," yahan rahna hai toh chup chap apna munh band karke baithi rah.. warna bhaga doonga yahan se.. samajh gayi?"
Mujhe na ugalte bana na nigalte.. main mayoos hokar wapas bister par baith gayi...
"Idhar aa mere paas!" Inspector ne hamari taraf ungali se ishara kiya...
"Koun main?" Maine apni khushi ko chhupate huye kaha....
"Kaha na tu chup baith ja! ab tune ek shabd bhi bola toh kaan ke neeche lagaaunga ek..." Inspector ne mujhe fir dhamka diya.. meri toh ummeed hi khatam ho gayi...
Usne ek baar fir ungali se hi Meenu ki aur ishara karte huye kaha," Sunayi nahi de raha kya? khadi hokar idhar aa...!"
Meenu iss baar wahan baithe rahne layak himmat nahi juta payi... mare huye kadmon se mera hath pakde huye khadi huyi aur fir rengti huyi si uske paas jakar khadi ho gayi....
Inspector ne Meenu ka hath pakad kar apni aur kheench liya," Samasya kya hai tumhari? mere sath ek baar humbister hokar tumhe tumhare letters mil jayenge aur hamesha ke liye iss jhanjhat se chhutkara bhi.. fir bhi main tumhare upar chhod raha hoon... agar jana chahti ho toh jao.. aise ro kyun rahi ho?"
Meenu kuchh der chupchap khadi subakti rahi.. fir apna hath chhudane ki koshish karti huyi boli," Hamein jane do Sir.. main aisa nahi kar sakti... hamein yahan se jane do...!"
Inspector ne uska hath nahi chhoda.. kuchh der uski aur muskurata raha fir apni pichhli jeb mein hath daalkar kuchh kagaj nikale aur Meenu ki hatheli mein thama diye..," Ye lo tumhare letters! aur khushi khushi jao... mujhe tumhare andar ka sach jaan'ne ke liye itni asabhya bhasha ka istemaal karna pada.. iske liye sorry..! par wo jaroori tha.. jab tak main tumhari taraf se nischint nahi ho jata.. mera dimag baar baar aakar tum par hi atakta rahta... mere dil mein ab tak yahi baat thi ki tum itni shareef nahi ho jitni shakal se dikhti ho.... par main galat tha.. tum waisi hi ho jaisi dikhti ho.... aisi hi rahna!" Inspector ne uska hath chhod diya...
Main hairan thi.. par Meenu ko jaane kya hua.. wo achanak fafak fafak kar rone lagi...
"Arrey ab kya hua? Sorry bola na maine.. sach mein main itna bura nahi hoon, jitna tumne samajh liya tha... ladki ki ijjat kya hoti hai.. main achchhi tarah samajhta hoon.. par tahkikaat karne ka mera tareeka thoda juda hai.. uske liye maaf karna.. agar mujhe bina soche samjhe kuchh karna hota toh main tumhe yahan nahi bulata.. tumhare ghar waalon ke saamne hi gaanv walon ko ikattha karke tumse sawaal karta.... aur fir tumhe custody mein lena bhi police ke liye mushkil nahi tha... wahan ye sab karna aasan hota na? Par maine ye sab tumhari ijjat ko barkaraar rakhne ke liye hi karna pada... " Inspector ke chehre par ye sab bolte huye ek alag hi noor chamak raha tha," Abhi bahar tak mere sath hi chalna.. ab tumhe aur tang nahi karoonga... haan.. kisi tarah ki koyi jaankari tumhare paas ho toh bejhijhak mujhe bata dena... ek minute.. ye Tarun ke fone ki call detail hai.. ek baar iss par najar maar lo.. kuchh dimag mein aaye toh batana...." Kahkar usne list Meenu ke hathon mein de di....
Meenu mook si bani inspector ki aankhon mein hi dekhti rahi.. list ko apne hath mein pakde....
"Kya hua ab?" Inspector ne uski naak pakad kar kheench li.. aur hansne laga...
"Thanx... sir!" Meenu ne itna hi kaha aur apni najrein jhuka li...
"Manav! Manav bologi toh jyada achchha lagega mujhe..." Inspector ne kaha aur fir se muskura diya...
Meenu ne koyi jawaab nahi diya... wo khadi khadi list ko dekhne lagi.. fir Manav ki taraf sarak kar usko list dikhate huye boli..," Shayad ye Sonu ka no. hai... iske alawa main kisi no. ko nahi jaanti...."
"Sonu koun?" Inspector ne poochha....
Meenu ne munh pichka kar kaha..,"Uska dost hai.. par mujhe pahle nahi pata tha ki wo dono itne gahre dost hain...."
"Humm... Inspector ne apna mobile nikala..," abhi kahan hoga ye...?"
"Pata nahi Sir.. Gaanv mein hoga ya fir college aaya hoga..." Meenu ne jawab diya...
"Ok.. try karke dekhte hain..." Usne kaha aur no. mila diya....
Achanak meri chhatiyon mein current sa doud gaya... tabhi mujhe dhyan aaya.. Dholu ka fone 'wahin' hai... Maine usko wahin chhati mein daba liya....
"nahi.. utha nahi raha..." Inspector ne kaha aur fone ko dekhne laga... ek baar fir meri chhatiyon mein kampan shuru ho gayi... main kuchh soch kar darr gayi.. par maine apne aawegon ko uss waqt kaabu mein rakhna hi theek samjha....
"aao chalein...!" kahkar Inspector ne darwaja khola aur bahar nikal gaya....
Meenu ne meri aur dekha aur mushkurakar khushi ke aansu ludhka diye.. mera hath pakda aur hum bhi inspector ke pichhe pichhe ho liye....
Hotel se bahar nikalne ke baad Manav ne muskurakar hamari aur dekha aur kaha," Jao!"
Inspector palta hi tha ki Meenu ne usko aawaj laga di,"Hello.. Sir!"
"Haan.. bolo?" Inspector palta aur wapas aakar bola....
"Wo.. hamein aapko kuchh batana tha... aap kaho toh baad mein fone par...." Meenu ne hadbada kar kaha...
"Agar tumhe jaldi nahi hai toh abhi bata do... Tarun se related hai kya?" Inspector ne poochha....
"Ji... abhi bata dete hain.... par.. yahan... sir, aap kahin aur nahi chal sakte kya?" Meenu boli...
"Kyun nahi? par mujhe sir kahna band karo.. mujhe bura lag raha hai.. hamara college ek hi tha na...!" Inspector ne muskurakar kaha aur meenu ki taraf hath badha diya...
Meenu ne sharmakar muskurate huye meri aur dekha aur fir uski aankhon se thoda sa neeche dekhte huye uska hath pakad liya,"OK, Manav ji.. he he he..."
kramshah......................
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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