Monday, May 3, 2010

उत्तेजक कहानिया -बाली उमर की प्यास पार्ट--19

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बाली उमर की प्यास पार्ट--19

गतान्क से आगे..................

"थॅंक्स! ओके, लेट'स गो.." कहकर इनस्पेक्टर ने एक ऑटो वाले को हाथ दिया..

"यूनिवर्सिटी लाइब्ररी!" इनस्पेक्टर ने कहा और उसके बैठने का इशारा करने पर हूमें अंदर बैठने को कहा... कुच्छ देर बाद हम वहाँ पहुँच गये जहाँ 'वो' हूमें ले जाना चाहता था....

एक बड़ी सी बूलिडिंग के सामने पार्क में बहुत सारे जोड़े बैठे बातें कर रहे थे.. लड़की अकेले लड़कों के साथ थी और लड़के अकेली लड़कियों के साथ.. सब मस्ती में बैठे खिलखिला रहे थे.. उनको यूँ मस्ती से एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले देख कर मेरा मंन विचलित हो गया... मैं मीनू के साथ चलते चलते सोच रही थी कि मैं कब कॉलेज में आउन्गि... गाँव में तो खुल्लम खुल्ला ऐसे सोच भी नही सकते...

"हुम्म.. यहाँ ठीक है.. आओ..!" इनस्पेक्टर ने कहा और पार्क में बाकी लड़के लड़कियों से अलग एक जगह बैठ गया...

"अब बोलो.. क्या बात है?" इनस्पेक्टर ने हमारे बैठते ही मीनू से पूचछा.. हम दोनो उस'से थोड़ी दूर हटकर बैठे थे...

"वो... आप किसी को नही बताएँगे ना?" सहमी हुई सी मीनू ने उसकी नज़रों में झाँकते हुए कहा...

"जो भी मंन में है.. बेझिझक बोल दो.. मैं ऐसा कोई काम नही करूँगा जिसस'से किसी बेकसूर पर हल्की सी भी आँच आए..." इनस्पेक्टर ने भरोसा दिलाने की कोशिश की...

"वो.. हो सकता है कि तरुण को 'एक' सर ने.... " बोलकर मीनू चुप हो गयी....

"क्या? कौन्से सर? जो कुच्छ भी तुम जानती हो.. खुल कर बताओ प्लीज़..." इनस्पेक्टर उत्सुक होकर बोला...

"तू बता दे ना अंजू... तुझे पूरी बात का पता है.." मीनू ने मेरी और देखा...

"म्‍मैइन.. क्क्कौनसी बात? " मैं हड़बड़ा कर बोली...

"वही... स्कूल वाली.. जो तुम्हारे साथ हुई थी... और जो मेडम ने तुम्हे बताया था...!" मीनू ने मेरी और देखा और नज़रें झुका ली.. उसके चेहरे से ही लग रहा था कि वो विचलित सी हो गयी है.....

"नयी.. तुम ही बता दो.... मैं नही.." मैने भी अपने आपको दूर ही रखना चाहा... जुब कुच्छ मिलना ही नही था तो मैं क्यूँ अपनी ज़ुबान को गंदा करती....

"ये क्या मज़ाक बना रहे हो तुम लोग.. बताते क्यूँ नही..." इनस्पेक्टर बेशबरा सा होकर बोला...

"ओके ओके.. बताती हूँ..," मीनू ने कहा और फिर मेरी और देख कर बेचारा सा चेहरा बनाकर बोली," प्लीज़ अंजू.. तुम बता दो ना..."

मैने मीनू की और देख कर अपना गला सा सॉफ किया और फिर इनस्पेक्टर की ओर देखने लगी.....

"अब बोलो भी... कोई तो बोलो...!"

"वववो.. स्कूल में जिस दिन हमारा पहला पेपर था..." मैने इतना ही कहा था कि मीनू वहाँ से उठ गयी," म्‍मैइन.. 2 मिनिट में आती हूँ बस..." उसने कहा और वहाँ से फुर्रर हो गयी...

"हां.. हां.. तुम बोलो... मैं सुन रहा हूँ...!" इनस्पेक्टर ने झल्लाते हुए कहा...

"वो.. एक सर की ड्यूटी हैं वहाँ...............!" यहाँ से शुरू करके मैने इनस्पेक्टर को अगले दिन मेडम के द्वारा कही गयी बात ज्यों की त्यों सुना दी... शायद ही पूरी बात ख़तम होने से पहले तक इनस्पेक्टर ने पलकें भी झपकाइं हों... पर मेरे रुकते ही वो बोला...," ओह शिट! और मैं कहाँ कहाँ दिमाग़ घुमा रहा था....." वह कुच्छ देर रुका और फिर मुझे डाँट'ता हुआ सा बोला," तुम'मे इतनी भी अकल नही थी क्या कि तुम 'उस' मास्टर के मंन की बात भी नही समझ पाई... और पता लगने के बाद भी... खैर छ्चोड़ो.. बुला लो उसको!" इनस्पेक्टर ने मुझसे कहा.....

"कहाँ है वो?" मैने नज़रें घुमा कर देखा.. हमसे दूर जाकर वह अकेली चेहरा दूसरी और किए बैठी थी....," आ जाएगी.. कुच्छ कर रही होगी..?" मैने बेचारी सी सूरत बनाकर इनस्पेक्टर को कहा....

"कुच्छ नही कर रही वो.. मुझे पता है कि 'वो' क्यूँ गयी थी....? जाओ.. जल्दी बुलाकर ले आओ!" इनस्पेक्टर ने कहा और खड़ा हो गया....

"दीदी.. चलो.. 'वो' बुला रहा है..."मैने मीनू के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो उच्छल सी पड़ी...," क्क्या..? क्क्या बोले 'वो'"

"कुच्छ नही.. सिर्फ़ मुझे डांटा था..." मैने कहा तो वो खड़ी होकर नज़रें सी चुराती हुई मेरे साथ उसके पास चली गयी.....

"हूंम्म... थॅंक्स! सच में ही बहुत काम की खबर थी... कल सुबह स्कूल में ही मिलना पड़ेगा उस'से?" इनस्पेक्टर ने चलते चलते कहा....

"पर... पर.. वो तो दो दिन से स्कूल में आ ही नही रहे...." मैने बोला....

"कोई बात नही.. मेडम से उसका कुच्छ पता ठिकाना तो मिल ही जाएगा..."

"पर.. पर आप मेरा नाम तो नही लोगे ना...!" मैने सहम कर पूचछा....

"नही... अब तुम निकलो... मुझे देर हो रही है...!" इनस्पेक्टर ने कहा और मीनू की ओर देखा.. वो नज़रें झुकाए खड़ी थी....

"ठीक है.. मेरा नंबर. याद है ना...?" इनस्पेक्टर ने पूचछा तो मीनू ने हां में सिर हिला दिया...

"गुड... कुच्छ भी खबर लगे तो मुझे फोन ज़रूर कर देना... या इसको बता देना," उसने मेरी और इशारा किया..," तुमसे बड़ी तो ये लगती है.. बात करने में.." कहने के बाद उसने अपने पर्स से कार्ड निकाल कर मुझको भी पकड़ा दिया... मैं उसकी ओर मुस्कुरा दी...

इनस्पेक्टर ने ऑटो रुकवाई और हमारी और मुस्कुरा कर चला गया....

"अब कहा चलें?" मैने मीनू से पूचछा.....

"तूने उसको सब कुच्छ बता दिया क्या?" मीनू ने मेरी बात पर ध्यान ना देकर उल्टा सवाल किया....

"हां... आपने ही तो बोला था...!" मैने उसको जवाब दिया....

"तुझे... तुझे क्या बिल्कुल भी शरम नही आई....!" मीनू मेरी और अचरज से देखती हुई बोली.....

"आ रही थी दीदी.. पर मैं क्या करती....?" मैं कुच्छ और भी बोलने वाली थी की मेरी छातियो में हुई कंपन ने मेरा ध्यान विचलित कर दिया...

"चल... अब सीधे घर ही चलते हैं... आज मूड नही है मेरा.. क्लास अटेंड करने का... अरे हाँ.. तुझे शॉपिंग भी तो करवानी है... आ...." मीनू ने कहा और सड़क पर खड़ी होकर ऑटो का वेट करने लगी........
घर पहुँचते पहुँचते जाने कितनी ही बार फोन आ चुके थे.... मैं परेशान सी हो गयी थी... मैं अपने घर ही रह गयी... ताला खोलकर उपर जाते ही मैने अपनी ब्रा में हाथ देकर फोन निकाला... और मिस्ड कॉल की डीटेल चेक करने लगी.... 10 की 10 कॉल ढोलू के नाम से थी... मैने बिस्तेर के नीचे मोबाइल छिपाया और बाथरूम में घुस गयी....

शहर जाकर आने की वजह से मैं थक सी गयी थी फिर भी जाने क्यूँ मेरा दिल रह रह कर मचल रहा था.. मंन ही मंन मैने शाम तक जी भर कर सोने के बाद मीनू के घर जाते हुए मनीषा के पास जाने का मंन बना लिया था.. बाथरूम से वापस आते ही मैने फोन को किसी अच्च्ची जगह छिपाने के लिए बिस्तेर के नीचे से निकाला ही था कि एक बार फिर कॉल आ गयी.. मैने स्क्रीन पर देखा; कॉल ढोलू की ही थी... मैने दरवाजे के पास खड़े होकर बाहर झाँका और कॉल रिसीव कर ली...

मैं काफ़ी देर दूसरी और से आवाज़ का इंतजार करने के बाद धीरे से बोली,"हेल्लूओ!"

"क्या हेलो यार? तू तो चूतिया बना गयी..." ढोलू की खुरदरी और नाराज़गी भरी आवाज़ मेरे कानो में उतर गयी...

"क्कक्या हुआ?" मैं डर सी गयी थी...

"घंटा होगा यहाँ? तूने सारा दिन फोन नही उठाया.. मैं पूरा दिन घर पर अकेला था.. सोचा था आज तुम्हारी भी च्छुटी है... फोन क्यूँ नही उठाया तूने?" उसने बेसब्री से पूचछा....

"ववो.. पर मैं आज शहर गयी थी.. मीनू के साथ...!" मैने मायूस होकर कहा...

"शहर में है तू?" उसने पूचछा....

"नयी.. अब तो घर पर ही हूँ... अभी आई हूँ बस..." मैने जवाब दिया...

"घर में? तूने सबके सामने ही फोन उठा रखा है क्या?" वो थोड़ा सा विचलित होकर बोला....

"नहिी.. मैं पागल हूँ क्या? मम्मी पापा खेत गये होंगे.. छ्होतू का पता नही...." मैने जवाब दिया....

"दरवाजा खोल के रखना.. मैं बस 2 मिनिट में आ रहा हूँ..." उसने हड़बड़ी सी में कहा.. इस'से पहले मैं कुच्छ बोलती.. वो फोन काट चुका था... मैं डर गयी.. 'घर पर तो ठीक है ही नही.. इस'से अच्च्छा तो मैं उसको रात चौपाल में ही बुला लूँगी...' मैने मंन ही मंन सोचा और उसको फोन लगाया.... पर उसने काट दिया...

मैं उसके घर आने की बात सुनकर डर गयी.. सारे गाँव को पता था कि वो कैसा लड़का है.. फिर उसका हमारे घर आना जाना भी नही था.. 'किसी ने देख कर पापा को बोल दिया तो मेरी तो ऐसी तैसी हो जाएगी...' ये सोच कर मैने उसके आने से पहले ही घर से निकल भागना ठीक समझा......

मैने खाना खाने का इरादा छ्चोड़ा और मीनू के घर जाने के लिए सीढ़ियाँ उतरने लगी.. पर मैं जैसे ही नीचे उतरी.. देखा 'वो' दरवाजे के सामने ही खड़ा है... किसी बाहर वाले को उसको मेरी तरफ देख कर दाँत निकालते ना दिख जाउ.. इसीलिए मैं भाग कर दीवार की आड़ में खड़ी हो गयी...

"उपर चल ना!" उसने अंदर आते ही कहा...

"ंमुझे अभी मीनू के पास जाना है.. ज़रूरी काम है.. मैं तुम्हे रात को कहीं बुला लूँगी.. फोन करके..." मैने सहमी हुई निगाहों से उसकी ओर देखा...

"कुच्छ नही होता.. ज़रूरी काम 15 मिनिट के बाद भी हो जाएगा.. फिलहाल इस'से ज़रूरी कुच्छ नही..." उसने अंदर से कुण्डी लगाई और मेरे पास आते ही सीधा मेरी चूचियो में हाथ मारा..," सुबह से चार बार झाड़ चुका हूँ इसको.. तेरी माचिस की डिबिया को याद करके.. अब एक बार घुसा लेने दे उसमें.. बाकी काम बाद में कर लेंगे...." उसने कहते ही अपने हाथ मेरे पिछे ले जाकर मेरे नितंबों को संभाला और मुझे ज़मीन से चार इंच उपर उठा लिया...

"यहाँ नही.. कोई आ जाएगा.. भागने का भी रास्ता नही है घर से.. छ्चोड़ दो..." मैने उसकी छाती पर कोहानिया टीका अपने आपको नीचे उतारने की कोशिश करते हुए कहा....

उसने मुझे छ्चोड़ दिया..," चल फिर.. मेरे घर आजा.. संदीप को मैं बाहर भेज दूँगा.. और कोई ......"

उसकी बात अधूरी ही रह गयी.. घर के बाहर आ चुकी पिंकी ने ज़ोर से आवाज़ लगाई...," आन्जुउउउउउउउउ!"

"ओह्ह्ह...!" मैं बुरी तरह डर गयी...

"तुम याद करके आ जाना.. थोड़ी देर में..." उसने मेरी चूचियो को अपने हाथों में दबोच कर धीरे से कहा...," मैं जाकर संदीप को बाहर भेजता हूँ..."

"नही.. इसके सामने मत निकलना..." मैं फुसफुसाई..," कमरे में छुप जाओ.. एक बार..."

वह तुरंत अंदर कमरे में चला गया.. मैने अपने कपड़े ठीक करके दरवाजा खोला....

"तत्तूम.. नीचे ही थी? इतनी देर क्यूँ लगा दी फिर.....? पिंकी ने अंदर आते ही सवाल दागा...

"व्व..वो...."

"छ्चोड़ो... मीनू दीदी बुला रही हैं... बहुत ज़रूरी काम है....!" पिंकी ने मुझे खुद ही दुविधा से निकाल लिया....

"तू.. चल.. मैं आती हूँ थोड़ी देर मैं..." मैने कहा...

"नही.. अभी मेरे साथ ही चलो... पता है? वो.. सोनू भी उसी दिन से गायब है....!" पिंकी उत्सुकता से बोली

उस वक़्त मेरा ध्यान उसकी बात से ज़्यादा उसको वहाँ से किसी तरह भेजने पर था,"तू चल तो सही.. मैं आती हूँ.. खाना भी नही खाया है अभी....!"

"कोई बात नही.. चल.. तू खा ले पहले.. फिर दोनो साथ ही चलेंगे...!" पिंकी ने कहा...

"ओह्ह.. ये तो मैने सोचा ही नही था..." मेरे मुँह से अचानक निकल गया," आजा! उपर चलते हैं...." मैने उसका हाथ पकड़ा और उपर ले गयी...

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खाना खाने के बाद इस उम्मीद के साथ की ढोलू निकल गया होगा.. मैने बाहर से ताला लगाया और हम दोनो पिंकी के घर जा पहुँचे... "मीनू कहाँ है?" मैने जाते ही पूचछा...

"उपर है... मम्मी पापा दोनो आज भी तरुण के घर गये हैं... मम्मी ने ही बताया की सोनू के घर वालों को भी उसकी चिंता होने लगी है... वो उसी दिन किसी दोस्त की शादी में जाने की बात बोल कर गया था... पर आज तक नही लौटा.. उसका फोन भी नही उठा रहा कोई..." पिंकी ने उपर चढ़ते हुए जवाब दिया....

"क्या हुआ दीदी..? क्यूँ बुला रही थी मुझे..." मैने मीनू से उपर जाते ही पूचछा...

"वो सोनू भी गायब है.. कहीं तरुण के साथ उसका भी...." मीनू ने कहा...

"हां.. वो तो बताया पिंकी ने... पर हम क्या करें? मैं थोड़ी देर में अपने आप आ जाती... जल्दी किस बात की थी..." मुझे अभी तक अपने नितंबों के बीच ढोलू की उंगलियाँ महसूस हो रही थी... मेरा मूड सा खराब हो गया था... 'ना ना' करते हुए भी बदन उसके स्पर्श से ही गरम हो गया था... और शायद में कर लेती...

"वो.. फिर मम्मी पापा आ जाएँगे... हूमें 'मानव' को फोन करके बतानी चाहिए ये बात भी...." मीनू ने कहा....

"कौन मान... ओह्ह.. ऊओ हो.." मैं इतने प्यार से मीनू को मानव का नाम लेते देख गदगद सी हो गयी," ठीक है.. फिर कर लो.."

"नही.. मैं नही... तू ही कर दे...!" मीनू ने कहा....

"क्यूँ?.. आप क्यूँ नही दीदी.. कर लो ना खुद ही....!" मैने हंसते हुए कहा...

"अब ज़्यादा भाव मत खा.. पिंकी ने भी मना कर दिया... कर दे ना एक बार.... प्लीज़.." मीनू के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि उसको सोनू की बात बताने से ज़्यादा मानव के पास फोन मिलाकर उसकी बात पूच्छने में ज़्यादा इंटेरेस्ट है....

"ठीक है.. नंबर. बोलो..!" मैने रिसीवर उठाते हुए कहा.....

"9998970002!" मीनू के नंबर. बताते बताते मैने डाइयल भी कर दिया..," नंबर. तो बड़ा खास है दीदी..." मैने कहा ही था की तभी घंटी जाने लगी और मैं चुप हो गयी...

"हेलो!" मानव की आवाज़ मुझे सॉफ सॉफ समझ में आ गयी...

"नमस्ते सर.." मैने शुरुआत यहीं से की थी...

"कौन?... मीनू?" उधर से जवाब आया...

"नही.. मैं... ये रही मीनू!" और कुच्छ मुझे सूझा ही नही.. पता नही क्यूँ.. मैने रिसीवर मीनू की ओर बढ़ा दिया.....

"नही.. मैं नही..." मीनू ने इस तरह हाथ उठा लिए जैसे मैने उसकी तरफ रिवॉलव तान दी हो... उसके गोरे गालों की रंगत अचानक गुलाबी हो गयी.. जब मैं रिसीवर को लगातार उसकी ओर ताने रही तो हारकर उसने 'वो' हाथ में पकड़ लिया और अपने कान से लगाकर कांपति हुई सी आवाज़ में बोली..," आ...हां.. हेलो.."

"कककुच्छ.. नही.. बस.. ववो.. एक बात बताने के लिए फोन किया था..." मीनू कुच्छ देर बाद और भी शर्मा सी गयी...

"वो.. मैं... हम.. सोनू के बारे में बता रहे थे ना...?"

"वो भी उसी दिन से घर से गायब है.. शादी में जाने की बोल कर गया था.. पर आज तक वापस नही लौटा है...!"

"ववो.. वो तो पता नही... !"

"हां.. लड़का तो घटिया सा ही था... कॉलेज में हमेशा गुंडागर्दी करता रहता था..."

"नही... और कुच्छ नही पता.......... हाँ... नही... ठीक है.. हम फोन कर देंगे...." मीनू ने कहा और अचानक जाने इनस्पेक्टर ने क्या कहा 'वो' शर्मा कर झेंप सी गयी और तुरंत फोन काट दिया....

"क्या हुआ?" मैने उत्सुकता से पूचछा.....

"कुच्छ नही.. बता दिया..." मीनू बोलते हुए हाँफ सी रही थी.. उसके गालों की रंगत अब तक गुलाबी ही थी..... अचानक मेरी छातियो में कंपन शुरू हो गयी... मुझे ढोलू की याद आई... 'वो' बेचारा भी मेरी राह देख रहा होगा....," मैं 'बाथरूम' जाकर आती हूँ...." मैने कहा और उनके उपर वाले बाथरूम में घुस गयी......

'9998970002...!' फोने निकालते निकालते दोबारा आनी शुरू हो गयी कॉल का नंबर. देखते ही मेरे होश उड़ गये..... ये तो मानव का नंबर. है... मुझे याद आया कि आज सुबह भी जब मानव ने फोन किया था तभी इस पर कॉल आई थी... 'इसका मतलब... ये फोने सोनू का...?' सोच कर ही मेरे माथे पर पसीने की बूँदें झलकने लगी.... मैने तुरंत फोन ऑफ किया और बाहर निकल आई....

"दीदी... मैं घर जा रही हूँ... थोड़ी देर में आउन्गि..." मैने बाहर आते ही कहा....

"मैं भी चलूं साथ...." पिंकी ने कहकर मुझे उलझन में डाल दिया... पर मीनू मेरे कुच्छ बोलने से पहले ही बोल पड़ी," नही... तू मेरे पास ही रह जा... मैं तुझे और कुच्छ भी बताउन्गि..."

"ठीक है... तुम जाओ अंजू!" पिंकी मीनू की बात तुरंत मान गयी.....

एक बात तो मेरे मंन में भी आया की आख़िर ऐसी कौनसी बात मीनू पिंकी को बता रही है... पर उस वक़्त मेरे लिए ढोलू के पास जाना और वो मोबाइल वापस पटक कर आना ज़्यादा ज़रूरी था.... मैं नीचे उतरी और ढोलू के घर की तरफ चल दी.....

"शिखा!" मैने नीचे जाकर पड़ोसियों को सुनाने के लिए ज़ोर से एक बार शिखा का नाम लिया और दायें बायें देख कर अंदर घुस गयी..... उपर जाते ही संदीप को वहाँ बैठा देख कर मेरा माथा ठनक गया... 'वो बैठा हुआ पढ़ रहा था....," स्शिखा आ गयी क्या?" मैने हड़बड़ा कर पूचछा....

"नही.. बताया तो था कि एक दो दिन में आएगी... तुम कुच्छ..... और काम से आई हो क्या? " उसने तपाक से सीधे सीधे पूच्छ दिया....

"न्न्न..नही... मुझे याद नही रहा था... इधर से जा रही थी तो सोचा..." संदीप से नज़रें मिलायें बिना ही हड़बड़ा कर यूँही बोला और वापस बाहर आने को मूड गयी....

"सुनो तो?" संदीप ने मुझे आवाज़ दी....

"क्या?" मैने थोड़ी सी तिर्छि होकर पूचछा....

"इधर तो आओ एक बार...." संदीप ने कहा....

मैं पलटी और सोफे के पास जाकर खड़ी हो गयी....,"क्या?" मैने धीरे से कहा.....

"एक बार बैठ जाओगी तो मैं तुम्हे खा तो नही जाउन्गा ना!" संदीप ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे की ओर खींच लिया... बैठने के अलावा मेरे पास कुच्छ और विकल्प ही नही था..," बोलो!"

"तुम्हे.... ढोलू ने बुलाया था क्या?" संदीप ने अगर मेरा हाथ छ्चोड़ दिया होता तो मैं वहाँ खड़ी नही रह पाती... मेरे मुँह से कुच्छ ना निकला....

"ढोलू आया था अभी... मुझे कहीं बाहर जाने को बोल रहा था.. पर तभी उसका कोई फोन आ गया.. मुझे बोलकर गया था कि अगर तुम आओ तो कह देना की 'रात' वाली बात याद रखना....." संदीप अपने चेहरे को झुका कर हंसता हुआ बोला....

"क्कौनसी बात.... मैं तो.. मैं तो ये फोन वापस करने आई थी..." मैने कहकर उसके सामने ही अपनी छातियो में हाथ डाल कर फोन निकाला और उसके सामने रख दिया....

"बॅटरी डेड हो गयी क्या? " उसने स्क्रीन देख कर पूचछा....

"नही.. मैने ऑफ कर दिया..." मैं कह कर उठने लगी.. तब मुझे अहसास हुआ कि उसने मेरा हाथ अभी तक छ्चोड़ा नही है....,"छ्चोड़ दो ना..." मैने कसमसा कर अपनी कलाई को मोड़ ते हुए कहा......


क्रमशः...............................

gataank se aage..................

"Thanx! OK, Let's go.." Kahkar Inspector ne ek auto wale ko hath diya..

"University Library!" Inspector ne kaha aur uske baithne ka ishara karne par humein andar baithne ko kaha... Kuchh der baad hum wahan pahunch gaye jahan 'wo' humein le jana chahta tha....

Ek badi si buliding ke saamne park mein bahut sare jode baithe baatein kar rahe the.. ladki akele ladkon ke sath thi aur ladke akeli ladkiyon ke sath.. sab masti mein baithe khilkhila rahe the.. unko yun masti se ek dusre ke hathon mein hath daale dekh kar mera mann vichlit ho gaya... main Meenu ke sath chalte chalte soch rahi thi ki main kab college mein aaungi... Gaanv mein toh khullam khulla aise soch bhi nahi sakte...

"Humm.. yahan theek hai.. aao..!" Inspector ne kaha aur park mein baki ladke ladkiyon se alag ek jagah baith gaya...

"Ab bolo.. kya baat hai?" Inspector ne hamare baithte hi Meenu se poochha.. hum dono uss'se thodi door hatkar baithe the...

"Wo... aap kisi ko nahi batayenge na?" Sahmi huyi si Meenu ne uski najron mein jhankte huye kaha...

"Jo bhi mann mein hai.. bejhijhak bol do.. main aisa koyi kaam nahi karoonga jiss'se kisi bekasoor par hulki si bhi aanch aaye..." Inspector ne bharosa dilane ki koshish ki...

"Wo.. ho sakta hai ki Tarun ko 'ek' Sir ne.... " bolkar Meenu chup ho gayi....

"Kya? kounse Sir? jo kuchh bhi tum jaanti ho.. khul kar batao pls..." Inspector utsuk hokar bola...

"Tu bata de na Anju... tujhe poori baat ka pata hai.." Meenu ne meri aur dekha...

"Mmain.. kkkounsi baat? " Main hadbada kar boli...

"Wahi... School wali.. jo tumhare sath huyi thi... aur jo madam ne tumhe bataya tha...!" Meenu ne meri aur dekha aur najrein jhuka li.. uske chehre se hi lag raha tha ki wo vichlit si ho gayi hai.....

"Nayi.. tum hi bata do.... main nahi.." Maine bhi apne aapko door hi rakhna chaha... jub kuchh milna hi nahi tha toh main kyun apni juban ko ganda karti....

"Ye kya majak bana rahe ho tum log.. batate kyun nahi..." Inspector beshabra sa hokar bola...

"OK OK.. batati hoon..," Meenu ne kaha aur fir meri aur dekh kar bechara sa chehra banakar boli," Pls Anju.. tum bata do na..."

Maine Meenu ki aur dekh kar apna gala sa saaf kiya aur fir Inspector ki aur dekhne lagi.....

"Ab bolo bhi... koyi toh bolo...!"

"WWwo.. School mein jis din hamara pahla paper tha..." Maine itna hi kaha tha ki Meenu wahan se uth gayi," Mmain.. 2 minute mein aati hoon bus..." usne kaha aur wahan se furrr ho gayi...

"Haan.. haan.. tum bolo... main sun raha hoon...!" Inspector ne jhallate huye kaha...

"Wo.. ek sir ki duty hain wahan...............!" Yahan se shuru karke maine Inspector ko agle din madam ke dwara kahi gayi baat jyon ki tyon suna di... Shayad hi poori baat khatam hone se pahle tak Inspector ne palkein bhi jhapkaayin hon... par mere rukte hi wo bola...," Oh Shit! aur main kahan kahan dimag ghuma raha tha....." Wah kuchh der ruka aur fir mujhe daant'ta hua sa bola," Tum'me itni bhi akal nahi thi kya ki tum 'uss' master ke mann ki baat bhi nahi samajh payi... aur pata lagne ke baad bhi... khair chhodo.. bula lo usko!" Inspector ne mujhse kaha.....

"Kahan hai wo?" Maine najrein ghuma kar dekha.. humse door jakar wah akeli chehra doosri aur kiye baithi thi....," Aa jayegi.. kuchh kar rahi hogi..?" Maine bechari si soorat banakar inspector ko kaha....

"Kuchh nahi kar rahi wo.. mujhe pata hai ki 'wo' kyun gayi thi....? jao.. jaldi bulakar le aao!" Inspector ne kaha aur khada ho gaya....

"Didi.. chalo.. 'wo' bula raha hai..."Maine Meenu ke paas jakar uske kandhe par hath rakha toh wo uchhal si padi...," Kkya..? kkya bole 'wo'"

"Kuchh nahi.. sirf mujhe daanta tha..." Maine kaha toh wo khadi hokar najrein si churati huyi mere sath uske paas chali gayi.....

"Hummm... Thanx! sach mein hi bahut kaam ki khabar thi... kal subah school mein hi milna padega uss'se?" Inspector ne chalte chalte kaha....

"Par... par.. wo toh do din se School mein aa hi nahi rahe...." Maine bola....

"Koyi baat nahi.. Madam se uska kuchh pata thikana toh mil hi jayega..."

"Par.. par aap mera naam toh nahi loge na...!" Maine saham kar poochha....

"Nahi... ab tum niklo... mujhe der ho rahi hai...!" Inspector ne kaha aur Meenu ki aur dekha.. wo najrein jhukaye khadi thi....

"Theek hai.. mera no. yaad hai na...?" Inspector ne poochha toh Meenu ne haan mein sir hila diya...

"Good... kuchh bhi khabar lage toh mujhe fone jaroor kar dena... ya isko bata dena," Usne meri aur ishara kiya..," Tumse badi toh ye lagti hai.. baat karne mein.." Kahne ke baad usne apne purse se card nikal kar mujhko bhi pakda diya... Main uski aur muskura di...

Inspector ne Auto rukwayi aur hamari aur muskura kar chala gaya....

"Ab kaha chalein?" Maine Meenu se poochha.....

"Tune usko sab kuchh bata diya kya?" Meenu ne meri baat par dhyan na dekar ulta sawaal kiya....

"Haan... aapne hi toh bola tha...!" Maine usko jawaab diya....

"Tujhe... tujhe kya bilkul bhi sharam nahi aayi....!" Meenu meri aur achraj se dekhti huyi boli.....

"Aa rahi thi didi.. par main kya karti....?" Main kuchh aur bhi bolne wali thi ki meri chhatiyon mein huyi kampan ne mera dhyan vichlit kar diya...

"Chal... ab seedhe ghar hi chalte hain... aaj mood nahi hai mera.. class attend karne ka... arey haan.. tujhe shopping bhi toh karwani hai... aa...." Meenu ne kaha aur sadak par khadi hokar Auto ka wait karne lagi........
Ghar pahunchte pahunchte jane kitni hi baar fone aa chuke the.... Main pareshan si ho gayi thi... Main apne ghar hi rah gayi... Tala kholkar upar jate hi maine apni bra mein hath dekar fone nikala... aur missed call ki detail check karne lagi.... 10 ki 10 call Dholu ke naam se thi... Maine bister ke neeche mobile chhipaya aur bathroom mein ghus gayi....

Shahar jakar aane ki wajah se main thak si gayi thi fir bhi jane kyun mera dil rah rah kar machal raha tha.. Mann hi mann maine sham tak ji bhar kar sone ke baad Meenu ke ghar jate huye Manisha ke paas jane ka mann bana liya tha.. Bathroom se wapas aate hi maine fone ko kisi achchhi jagah chhipane ke liye bister ke neeche se nikala hi tha ki ek baar fir call aa gayi.. maine screen par dekha; call Dholu ki hi thi... Maine darwaje ke paas khade hokar bahar jhanka aur call receive kar li...

Main kafi der dusri aur se aawaj ka intjaar karne ke baad dheere se boli,"Hellooo!"

"Kya hello yaar? Tu toh chutiya bana gayi..." Dholu ki khurdari aur narajgi bhari aawaj mere kaano mein utar gayi...

"Kkkya hua?" Main darr si gayi thi...

"Ghanta hoga yahan? tune sara din fone nahi uthaya.. main poora din ghar par akela tha.. Socha tha aaj tumhari bhi chhuti hai... fone kyun nahi uthaya tune?" Usne besabri se poochha....

"Wwo.. par main aaj shahar gayi thi.. Meenu ke sath...!" Maine mayoos hokar kaha...

"Shahar mein hai tu?" Usne poochha....

"Nayi.. ab toh ghar par hi hoon... abhi aayi hoon bus..." Maine jawab diya...

"Ghar mein? Tune sabke saamne hi fone utha rakha hai kya?" Wo thoda sa vichlit hokar bola....

"Nahiii.. main pagal hoon kya? Mummy papa khet gaye honge.. chhotu ka pata nahi...." Maine jawab diya....

"Darwaja khol ke rakhna.. main bus 2 minute mein aa raha hoon..." Usne hadbadi si mein kaha.. iss'se pahle main kuchh bolti.. wo fone kaat chuka tha... Main darr gayi.. 'ghar par toh theek hai hi nahi.. iss'se achchha toh main usko raat choupal mein hi bula loongi...' maine mann hi mann socha aur usko fone lagaya.... par usne kaat diya...

Main uske ghar aane ki baat sunkar darr gayi.. Sare gaanv ko pata tha ki wo kaisa ladka hai.. fir uska hamare ghar aana jana bhi nahi tha.. 'kisi ne dekh kar papa ko bol diya toh meri toh aisi taisi ho jayegi...' Ye soch kar maine uske aane se pahle hi ghar se nikal bhagna theek samjha......

Maine khana khane ka iraada chhoda aur Meenu ke ghar jane ke liye seedhiyan utarne lagi.. Par main jaise hi neeche utari.. dekha 'wo' darwaje ke saamne hi khada hai... Kisi bahar wale ko usko meri taraf dekh kar daant nikalte na dikh jaaun.. isiliye main bhag kar deewar ki aad mein khadi ho gayi...

"Upar chal na!" usne andar aate hi kaha...

"Mmujhe abhi Meenu ke paas jana hai.. jaroori kaam hai.. main tumhe raat ko kahin bula loongi.. fone karke..." Maine sahmi huyi nigaahon se uski aur dekha...

"Kuchh nahi hota.. jaroori kaam 15 minute ke baad bhi ho jayega.. filhaal iss'se jaroori kuchh nahi..." Usne andar se kundi lagayi aur mere paas aate hi seedha meri chhatiyon mein hath mara..," Subah se char baar jhaad chuka hoon isko.. teri machis ki dibiya ko yaad karke.. ab ek baar ghusa lene de usmein.. baaki kaam baad mein kar lenge...." Usne kahte hi apne hath mere pichhe le jakar mere nitambon ko sambhala aur mujhe jameen se char inch upar utha liya...

"Yahan nahi.. koyi aa jayega.. bhagne ka bhi raasta nahi hai ghar se.. chhod do..." Maine uski chhati par kohaniya tika apne aapko neeche utaarne ki koshish karte huye kaha....

Usne mujhe chhod diya..," chal fir.. mere ghar aaja.. Sandeep ko main bahar bhej doonga.. aur koyi ......"

Uski baat adhoori hi rah gayi.. ghar ke bahar aa chuki Pinky ne jor se aawaj lagayi...," Anjuuuuuuuuu!"

"Ohhh...!" Main buri tarah darr gayi...

"Tum yaad karke aa jana.. thodi der mein..." Usne meri chhatiyon ko apne hathon mein daboch kar dheere se kaha...," Main jakar Sandeep ko bahar bhejta hoon..."

"Nahi.. iske saamne mat nikalna..." Main fusfusayi..," Kamre mein chhup jao.. ek baar..."

Wah turant andar kamre mein chala gaya.. Maine apne kapde theek karke darwaja khola....

"Tttum.. neeche hi thi? itni der kyun laga di fir.....? Pinky ne andar aate hi sawaal daga...

"ww..wo...."

"Chhodo... Meenu didi bula rahi hain... bahut jaroori kaam hai....!" Pinky ne mujhe khud hi duvidha se nikal liya....

"Tu.. chal.. main aati hoon thodi der main..." Maine kaha...

"Nahi.. abhi mere sath hi chalo... pata hai? Wo.. Sonu bhi usi din se gayab hai....!" Pinky utsukta se boli

Uss waqt mera dhyan uski baat se jyada usko wahan se kisi tarah bhejne par tha,"Tu chal toh sahi.. main aati hoon.. khana bhi nahi khaya hai abhi....!"

"Koyi baat nahi.. chal.. tu kha le pahle.. fir dono sath hi chalenge...!" Pinky ne kaha...

"Ohh.. ye toh maine socha hi nahi tha..." Mere munh se achanak nikal gaya," Aaja! upar chalte hain...." Maine usk hath pakda aur upar le gayi...

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Khana khane ke baad iss ummeed ke sath ki Dholu nikal gaya hoga.. Maine bahar se tala lagaya aur hum dono Pinky ke ghar ja pahunche... "Meenu kahan hai?" Maine jate hi poochha...

"Upar hai... Mummy papa dono aaj bhi Tarun ke ghar gaye hain... Mummy ne hi bataya ki Sonu ke ghar waalon ko bhi uski chinta hone lagi hai... wo usi din kisi dost ki shadi mein jane ki baat bol kar gaya tha... par aaj tak nahi louta.. uska fone bhi nahi utha raha koyi..." Pinky ne upar chadhte huye jawaab diya....

"Kya hua didi..? Kyun bula rahi thi mujhe..." Maine Meenu se upar jate hi poochha...

"Wo Sonu bhi gayab hai.. kahin Tarun ke sath uska bhi...." Meenu ne kaha...

"haan.. wo toh bataya Pinky ne... par hum kya karein? main thodi der mein apne aap aa jati... jaldi kis baat ki thi..." Mujhe abhi tak apne nitambon ke beech Dholu ki ungaliyan mahsoos ho rahi thi... Mera mood sa khraab ho gaya tha... 'na na' karte huye bhi badan uske sparsh se hi garam ho gaya tha... aur shayad mein kar leti...

"Wo.. fir mummy papa aa jayenge... humein 'Manav' ko fone karke batani chahiye ye baat bhi...." Meenu ne kaha....

"Koun Man... ohh.. ooo hoo.." Main itne pyar se Meenu ko Manav ka naam lete dekh gadgad si ho gayi," theek hai.. fir kar lo.."

"Nahi.. main nahi... tu hi kar de...!" Meenu ne kaha....

"kyun?.. aap kyun nahi didi.. kar lo na khud hi....!" Maine hanste huye kaha...

"Ab jyada bhav mat kha.. Pinky ne bhi mana kar diya... kar de na ek baar.... plz.." Meenu ke haav bhav se aisa lag raha tha ki usko Sonu ki baat batane se jyada Manav ke paas fone milakar uski baat poochhne mein jyada interest hai....

"Theek hai.. No. bolo..!" Maine receiver uthate huye kaha.....

"9998970002!" Meenu ke no. batate batate maine dial bhi kar diya..," No. toh bada khas hai didi..." Maine kaha hi tha ki tabhi ghanti jane lagi aur main chup ho gayi...

"Hello!" Manav ki aawaj mujhe saaf saaf samajh mein aa gayi...

"Namastey Sir.." Maine Shuruaat yahin se ki thi...

"Koun?... Meenu?" Udhar se jawaab aaya...

"Nahi.. main... ye rahi Meenu!" Aur kuchh mujhe soojha hi nahi.. pata nahi kyun.. maine receiver Meenu ki aur badha diya.....

"Nahi.. main nahi..." Meenu ne iss tarah hath utha liye jaise maine uski taraf revolver taan di ho... Uske gore gaalon ki rangat achanak gulabi ho gayi.. jab main receiver ko lagataar uski aur taane rahi toh haarkar usne 'wo' hath mein pakad liya aur apne kaan se lagakar kaanpti huyi si aawaj mein boli..," aa...haan.. hello.."

"kkkuchh.. nahi.. bus.. wwo.. ek baat batane ke liye fone kiya tha..." Meenu kuchh der baad aur bhi sharma si gayi...

"Wo.. Main... hum.. Sonu ke baare mein bata rahe the na...?"

"Wo bhi usi din se ghar se gayab hai.. shadi mein jane ki bol kar gaya tha.. par aaj tak wapas nahi louta hai...!"

"Wwo.. wo toh pata nahi... !"

"haan.. ladka toh ghatiya sa hi tha... College mein hamesha gundagardi karta rahtra tha..."

"Nahi... aur kuchh nahi pata.......... haan... nahi... theek hai.. hum fone kar denge...." Meenu ne kaha aur achanak jane inspector ne kya kaha 'wo' sharma kar jhenp si gayi aur turant fone kaat diya....

"Kya hua?" Maine utsukta se poochha.....

"Kuchh nahi.. bata diya..." Meenu bolte huye haanf si rahi thi.. uske gaalon ki rangat ab tak gulabi hi thi..... Achanak meri chhatiyon mein kampan shuru ho gayi... Mujhe Dholu ki yaad aayi... 'wo' bechara bhi meri raah dekh raha hoga....," Main 'bathroom' jakar aati hoon...." Maine kaha aur unke upar waale bathroom mein ghus gayi......

'9998970002...!' fone nikalte nikalte dobara aani shuru ho gayi call ka no. dekhte hi mere hosh udd gaye..... ye toh Manav ka no. hai... Mujhe yaad aaya ki aaj subah bhi jab Manav ne fone kiya tha tabhi iss par call aayi thi... 'iska matlab... ye fone Sonu ka...?' Soch kar hi mere maathe par pasine ki boondein jhalakne lagi.... Maine turant fone off kiya aur bahar nikal aayi....

"didi... main ghar ja rahi hoon... thodi der mein aaungi..." Maine bahar aate hi kaha....

"Main bhi chaloon sath...." Pinky ne kahkar mujhe uljhan mein daal diya... Par Meenu mere kuchh bolne se pahle hi bol padi," Nahi... tu mere paas hi rah ja... main tujhe aur kuchh bhi bataaungi..."

"Theek hai... tum jao Anju!" Pinky Meenu ki baat turant maan gayi.....

Ek baat toh mere mann mein bhi aaya ki aakhir aisi kounsi baat Meenu Pinky ko bata rahi hai... par uss waqt mere liye Dholu ke paas jana aur wo mobile wapas patak kar aana jyada jaroori tha.... Main neeche utari aur Dholu ke ghar ki taraf chal di.....

"Shikhaaaaa!" Maine neeche jakar padosiyon ko sunane ke liye jor se ek baar Shikha ka naam liya aur daayein baayein dekh kar andar ghus gayi..... Upar jate hi Sandeep ko wahan baitha dekh kar mera matha thanak gaya... 'wo baitha hua padh raha tha....," Sshikha aa gayi kya?" Maine hadbada kar poochha....

"Nahi.. bataya toh tha ki ek do din mein aayegi... Tum kuchh..... aur kaam se aayi ho kya? " Usne tapak se seedhe seedhe poochh diya....

"nnn..nahi... mujhe yaad nahi raha tha... idhar se ja rahi thi toh socha..." Sandeep se najrein milayein bina hi hadbada kar yunhi bola aur wapas bahar aane ko mud gayi....

"Suno toh?" Sandeep ne mujhe aawaj di....

"kya?" Maine thodi si tirchhi hokar poochha....

"Idhar toh aao ek baar...." Sandeep ne kaha....

Main palti aur sofe ke paas jakar khadi ho gayi....,"kya?" Maine dheere se kaha.....

"Ek baar baith jaogi toh main tumhe kha toh nahi jaaunga na!" Sandeep ne mera hath pakad kar neeche ki aur kheench liya... baithne ke alawa mere paas kuchh aur vikalp hi nahi tha..," Bolo!"

"Tumhe.... Dholu ne bulaya tha kya?" Sandeep ne agar mera hath chhod diya hota toh main wahan khadi nahi rah pati... Mere munh se kuchh na nikla....

"Dholu aaya tha abhi... mujhe kahin bahar jane ko bol raha tha.. par tabhi uska koyi fone aa gaya.. mujhe bolkar gaya tha ki agar tum aao toh kah dena ki 'raat' wali baat yaad rakhna....." Sandeep apne chehre ko jhuka kar hansta hua bola....

"kkounsi baat.... main toh.. main toh ye fone wapas karne aayi thi..." Maine kahkar uske saamne hi apni chhatiyon mein hath daal kar fone nikala aur uske saamne rakh diya....

"Battery dead ho gayi kya? " Usne screen dekh kar poochha....

"Nahi.. maine off kar diya..." Main kah kar uthne lagi.. tab mujhe ahsaas hua ki usne mera hath abhi tak chhoda nahi hai....,"chhod do na..." Maine kasmasa kar apni kalayi ko modte huye kaha......


kramshah...............................







आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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`·.¸.·´ -- raj

















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