Saturday, May 1, 2010

हिंदी कहानियाँ--एक सुहानी याद --1

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एक सुहानी याद



आज मैं आप लोगो को एक असली घटना सुनाने वाला हूँ. ये घटना मेरे जिंदगी की बहुत ही सुखद घटना है. पिछले साल मैं शिमला मे होटेल पॅरडाइस मे रुका हुआ था. ये होटेल एक सुनसान जगह पर बहुत आलीशान तरीके से बनाया हुआ है और इस होटेल के चारो तरफ कही जंगल भी है. उस दिन शाम को थोरी हल्की बूंदा बूँदी हुए थी और इसलिए मौसम सुहाना था. मैं होटेल के स्विम्मिंग पूल मे नहाने के लिए गया हुआ था. मैने इसलिए अपने कपरे उतार करके स्विम्मिंग कोस्टूम पहन कर एक बरा पेग ब्लूड़ी मेरी लेके स्विम्मिंग पूल पर पहुँच गया. मैने स्विम्मिंग पूल पर जा करके पहले अपना ड्रिंक एक टेबल पर रखा और फिर स्विम्मिंग पूल मे डुबकी लगाया और हल्के हल्के स्ट्रोक के साथ तैरने लगा. थोरी देर तैरने के बाद मैने एक बहुत खूबसूरत औरत को, जिसकी उमर अंदाज़न करीब 27-28 रही होगी, स्विम्मिंग पूल के तरफ आते देखा. उस औरत के हाथ मे एक इंग्लीश की किताब थी. थोरी देर तक तैरने के बाद मैं पूल से बाहर निकल कर अपने टेबल पर आके बैठ गया और अपना ड्रिंक मे चुस्की लगाने लगा. वो औरत भी मेरे टेबल के पास बैठी अपनी किताब पढ़ रही थी.

मैं उस औरत की खूबसूरती से बहुत ही प्रभबित हो गया था और आँखे फाड़ फाड़ कर उसको देख रहा था. वो औरत एक जीन्स और टॉप्स पहनी हुई थी. उसके जीन्स और टॉप इतना टाइट था कि उसके हर अंग बाहर झलक रहा था. मैं अपने ड्रिंक से एक लंबा घूँट लिया और फिर से पूल के तरफ बढ़ गया. लेकिन जाने से पहले मैने उस औरत को एक बार फिर से घूर कर देखा. मैं पूल पर जाके छलाँग लगाया और तैरने लगा. तैरते समय मैं बार बार उस औरत को देख रहा था और थोरी देर के देखा वो औरत भी मुझे देख रही है और हल्के हल्के मुस्कुरा रही है. मैं भी तब उसको देख कर मुस्कुरा दिया और पूल से बाहर आकर उसके पास जाकर उसको हल्के से "हेलो" बोला. वो भी जबाब मे "हेलो" बोली और फिर धीरे से बोली, "आप बहुत अच्छा तैरना जानते हैं और आपका बदन भी काफ़ी गातीला है." मैं धीरे से उसको "थॅंक्स" बोला और अपने आप को उससे परिचय कराया. उसने भी तब अपना परिचय दिया और बोली, "मेरा नाम प्रतिभा है और वो अपने पति के साथ शिमला आई हुई है. इस समय उसका पति शिमला से करीब 50 क्म दूर, अपने कारोबार के सिलसिले मे गये हुए हैं. वो अपने कमरे मे अकेले बैठ बैठ कर बहुत बोर हो चुकी है और इसीलिए वो इस समय स्विम्मिंग पूल के किनारे बैठी हुई है." मैने उससे पूछा "आप क्या पीना पसंद करेंगी?" वो पलट कर मुझसे पूछी, "मैं क्या पी रहा हूँ?" मैने बोला, "मैं ब्लूड़ी मेर्री पी रहा हूँ" तो प्रतिभा बोली, "वो भी ब्लूड़ी मेर्री ले लेगी." मैं तब जाकर दो ब्लूड़ी मेर्री का ऑर्डर दे दिया. अचानक एक वेटर कॉर्डलेस फोन लेकैरके हुमलोगों के पास दौरा आया और बोला, "मेडम आपका फोन है." प्रतिभा ने फोन वेटर से लेकैरके फोन पर बातें करने लगी. अचानक उसकी आवाज़ बदल गयी और फोन पर बोल रही थी, "ओह गॉड! ओह गॉड! हां! ओके! नही! मैं बिल्कुल ठीक हूँ! हां! मैं होटेल मे ही रहूंगी!" और फिर उसने फोन काट दिया. प्रतिभा के चहेरे पर परेशनीी मुझे साफ साफ दिखलाई दे रही थी. मैने प्रतिभा से पूछा, "क्या हुआ?" प्रतिभा बोली, "रोड मे एक टॅंकर का आक्सिडेंट हो गया है और इसलिए पोलीस ने रोड ब्लॉक कर दिया है. जब तक रोड ब्लॉक ख़तम ना होगा, कोई गाड़ी आ या जा नही सकेगी और एह रोड ब्लॉक कल सुबह तक ही साफ होगा." फिर कुछ रुक कर प्रतिभा बोली, "अब मेरे पति कल सुबह तक ही आ पाएँगे." यह सुन कर मैं भगवान को लाख लाख शुक्रिया बोला, क्यूंकी एह मेरे लिए एक बहुत सुनहरा अवसर था.

मैं तब प्रतिभा को संतावना देते हुए बोला, "आरे प्रतिभहाजी आप मत घबराईए. आपके पति बिल्कुल ठीक हैं और कल सुबह वो सही सलामत लौट आएँगे." तब प्रतिभा धीरे से बोली, "मुझे अपने पति से ज़्यादा मुझे अपने लिए फिकर है. अब पूरे दिन भर के लिए इस होटेल मे क़ैद हो गयी." तब मैं मुस्कुरा कर बोला, "अब ज़्यादा फिकर मत करिए. मैं आपको वादा करता हूँ की आप बोर नही होंगी." तब प्रतिभा ने हंसते हुए मुझेसे पूछा, "आप कैसे मुझे बोर नही होने देंगे?" तब मैने प्रतिभा से बोला, "मैं आपको अक्च्चे अक्च्चे किससे सुनाउन्गा, जोक सुनाउन्गा, और इसके अलवा आप जो भी कहेंगी मैं वो भी करूँगा." तब तक वेटर हम लोगों के लिए ड्रिंक्स ले आया और मैने प्रतिभा को एक ग्लास ब्लॉडी मेर्री पकरा दिया. प्रतिभा ने बरी अदा से मेरे से ब्लोडी मेरी मेरे हाथों से लिया और फिर मुस्कुरा करके "थॅंक्स" बोली, फिर मैने भी अपना ग्लास उठा लिया और प्रतिभा से बोला, "चियर्स." तब प्रतिभा भी मुझसे बिली, "चियर्स तुम्हारे गथिल बदन के लिए." जब प्रतिभा ने मेरे बदन के लिए कॉमेंट किया तो मैने बोला, "नही प्रतिभा डियर! तुम तो किसी भी फिल्म आक्ट्रेस से बहुत ज़्यादा सुंदर हो. तुम्हारी शरीर भी तो बिल्कुल तराशा हुआ है." मेरे बातों को सुनकर प्रतिभा बहुत झेंप गयी और फिर शर्मा कर बोली, "धुत, तुम बहुत ही शैतान हो." हुमलोगों ने अपना अपना ड्रिंक्स मे चुस्की लगाते रहे और बातें करते रहे. हुमलोग ऐसे बातें कर रहे थे कि जैसे हुमलोगों की जान पहचान बहुत पुरानी है. प्रतिभा मुझसे मेरे पर्सनल लाइफ के बारे मे कुछ सवाल की और अपनी जिंदगी के बहुत सारी बातें मुझसे बोली. प्रतिभा तो अपने पति के बारे मे याहतक़ बोली कि उसकी पति "गुजजु गान्डू!" और सेक्स से ज़यादा लगाब नही रखता. मैं प्रतिभा की बातों को सुनकर बहुत ही हैरान हो गया. प्रतिभा मुझसे मेरे लव लाइफ के बारे मे भी कुछ सवाल किया. मैने प्रतिभा से बोला, "मैं सेक्स और औरतों को बहुत चाहता हूँ हालाँकि मैं मॅरीड हूँ फिर भी सुंदर और सेक्सी औरतों को मैं बहुत पसंद करता हूँ और मैं सेक्स का पुजारी हूँ. मुझे बिस्तर पर औरतों के साथ तरह तरह के एक्सपेरिमेंट करने मे बहुत मज़ा आता है." मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा कुछ देर तक चुप चाप बैठी रही. ऐसा लग रहा था कि वो कुछ गहरी सोच मे हो. हुमलोगों ने एक एक ग्लास और ब्लॉडी मेरी पीया और तभी एका एक जोरों की बारिश शुरू हो गयी. स्विम्मिंग पूल के आसपास कोई सेफ छुपने की जगह नही थी और इसलिए हम दोनो कमरे के तरफ भागे. कमरे तक पहुँचते पहुँचते प्रतिभा बुरी तरफ से भीग गयी और उसकी गोल गोल चूंचियाँ भीगे ब्लाउस पर से साफ साफ दिखने लगी. मैं आँखे फाड़ फाड़ कर देखा की प्रतिभा की गोल गोल और तनी हुए चुचियाँ उसके लाल रंग के ब्रा मे क़ैद है और उसे फाड़ कर बाहर आने को बेचैन है. प्रतिभा ने भी नोटीस किया कि मे देख रहा था. मैं जितना प्रतिभा की चूंचियों को देख रहा था वैसे वैसे मेरा लंड खड़ा हो रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था वो भी बाहर निकल कर प्रतिभा को उसकी सुंदरता को सलाम करना चाह रहा हो. जब प्रतिभा ने मेरे तरफ देखी और मेरे हालत को समझ पे तो वो खिल खिला कर हंस परी.

हुमलोग अपने अपने कमरे तक पहुँच गये. प्रतिभा और मेरा कमरा बिल्कुल अगल बगल था. जब मैं अपने कमरे मे घुस रहा था तो प्रतिभा मुझसे बोली, "कपड़े बदल कर मेरे कमरे मे आ जाना." मैने कहा, "ठीक है, मैं अभी कपड़े बदल कर आता हूँ. लेकिन हो सकता है आपके साथ अकेले कमरे मे होने से मैं अपने आप को रोक नही पाउन्गा." तब प्रतिभा हंस कर बोली, "कोई बात नही. मैं भी तो देखूं की आप मेरे साथ अकेले कमरे मे क्या क्या कर सकते हैं?" फिर मैं हंस कर अपने कमरे मे चला गया और जब कपड़े बदल कर मैं प्रतिभा के कमरे मे गया तो देखा प्रतिभा अपने कपड़े बदल चुकी है और वो अब चाइनीस किमोना टाइप का गाउन पहन कर बिस्तेर पर बैठी हुई है. प्रतिभा ने कुछ बढ़िया सेंट लगा रखी थी और उसकी खुसबू पूरे कमरे मे फैल रही थी. मैं प्रतिभा के कमरे मे जाकर एक लो चेर पर बैठ गया. तब प्रतिभा अपने जगह से उठ कर मेरे पास आई और मेरे घुटनो पर बैठ गयी और अपने हाथों को उठा कर मेरे गले मे डाल दी और मुझसे बोलने लगी, "ओह मेरे प्यारे, एह तो बहुत ही अच्छा हुआ कि आज इस समय तुम मेरे साथ हो और हुंदोनो जो दिल मे आए कर सकते है. इस समय हमे कोई रोकने वाला नही है." इतना कह कर प्रतिभा ने मुझे चूम लिया. मैं तब प्रतिभा को अपने बाहों मे भरते हुए उसको चूम लिया और धीरे से पूछा, "मेरे प्यारी प्रतिभा, हम लोग अभी क्या करने वाले हैं?" प्रतिभा फिर से मुझको चूमते हुए मेरे आँखो मे आँखे डाल कर बोली, "हुमलोग अब कुछ शरारत करने वाले हैं. हुमलोग अभी जो शरारत करेंगे उसमे तुम्हे और मुझे दोनो को बहुत मज़ा आएगा" इतना कहने के प्रतिभा का चहेरा शरम से लाल हो गयी. थोरी देर तक चुप रहने के बाद प्रतिभा फिर बोली, "मुझे आज बहुत शरारत करनी है."

मुझे लग रहा था कि अकेले कमरे मेरे साथ रहना और ऊपेर से मौसन भी रंगीन और इन सबसे प्रतिभा की मिज़ाज़ भी कुछ ज़्यादा ही रंगीन हो गया है. मैं अब इस अबसर को खोना नही चाहता था और मैं चाहा रहा था कि मैं अब प्रतिभा को चुदाई का असली मज़ा क्या होता है समझा दूँ. मैं अब प्रतिभा से बोला, "डार्लिंग प्रतिभा, लगता है कि अब हुमलोगों को ज़्यादा वक़्त बर्बाद नही करना चाहिए. मैं अब तुम को तब तक नही छोड़ूँगा जब तक ना तुम मेरे लव-जूस का आख़िरी कतरा निचोर ना लो. अब तुम्हे शरारती होने का पूरा मौका मिलेगा." प्रतिभा मेरे बातों को सुन कर बेहद खुश हो गयी और मुझको अपने बाहों मे भर कर मुझे तीन-चार चुऊमा मेरे होटो मे दे दिया. फिर प्रतिभा मेरे घुटने पर से उठ कर खरी हो गयी और अपने सिर को नीचा करके, जैसे की वो मुझे एह बताना चाहती हो कि अब वो मेरे हुकुम की गुलाम है और उसके जो भी चाहूं कर सकता हूं, मेरे बगल मे खरी हो गयी. मैं भी तब प्रतिभा के देखा देखी मैं भी अपने सीट पर से उठ कर खड़ा हो गया और उसके सामने अपने बदन से अपना गाउन उतार कर प्रतिभा के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया. अब तक मेरा लंड आधा खरा हो गया था और धीरे धीरे झूल रहा था. प्रतिभा यह देख कर पहले तो शर्मा कर उसका चहेरा लाल हो गया और फिर वो ललचाई आँखो से मेरे खड़े लंड को देखने लगी. अब तक मेरा लंड प्रतिभा की आँखो के सामने धीरे धीरे और खड़ा होकर काफ़ी सख़्त हो गया था. मैने अपना हाथ प्रतिभा की कमर मे डाल दिया और उससे खींच कर कमरे मे रखे हुए ड्रेसिंग टेबल मे सामने ले जाकर प्रतिभा से बोला, "देखो तो सही हुमलोग कैसे लग रहे है. शीशे मे मुझे नंगा और उसमे मेरा खड़ा हुआ लंड और अपने आप को पूरे कपड़े पहना देख कर प्रतिभा पहले बहुत शरमाई फिर हंस कर वो मुझे कस कर अपने बाहों मे भींच कर मुझे चूमने लगी. थोड़ी देर तक मुझे चूमने के बाद प्रतिभा फिर से ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे देखने लगी और मैं अपना हाथ उसकी चूंचियो से खेलने लगा और वो भी अपने हाथों से मेरे लंड को पकर कर सहलाने लगी. तब मैं प्रतिभा को अपने बाहों मे भर कर उसके कान मे बोला, "डार्लिंग अब मुझे तुम्हारे कपड़े उतारने है." फिर उसके बाद मैं प्रतिभा की गाउन की कमर वाली डोरी को हल्के से खींच दिया. प्रतिभा मेरे कम मे सहयोग कर रही थी लेकिन बहुत शर्मा भी रही थी. थोरी देर के बाद प्रतिभा मेरे सामने सिर्फ़ अपने लाल रंग का ब्रा और लाल रंग की पॅंटी पहने खड़ी थी. मैं अपनी आँखो के सामने एक अप्सरा को देख रहा था. मैने धीरे से प्रतिभा को घुमा दिया जिससे की मुझको उसके साइड और आगे और पीछे की रूप दिखा सके. प्रतिभा अपने होठों को अपने दतो से दबा कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और मेरे तरफ बुझी हुई आँखों से देख रही थी. थोरी देर के मैने प्रतिभा के ब्रा को खोलना शुरू कर दिया. पहले मैने ब्रा के क्लिप को खोला और फिर सामने आकर प्रतिभा के ब्रा के अंदर क़ैद दोनो चूंचियो को देखने लगा. फिर मैने प्रतिभा के बाहों से ब्रा के दोनो स्ट्रॅप को धीरे धीरे उतार दिया और ब्रा प्रतिभा के बाहों से फिसल कर ज़मीन मे जा गिरा. अब प्रतिभा मेरे सामने सिर्फ़ एक लाल रंग की पॅंटी पहन कर खरी थी.उसकी चूंचियाँ बिना ब्रा के भी एकद्ूम खड़ी खड़ी थी. निपल थोड़े थोड़े कड़क होने लगे थे. मैं तब प्रतिभा को फिर से पाकर कर ड्रेसिंग टेबल के सामने ले जा करके खड़ा कर दिया और बोला, "देखो अब कैसी लग रही हो." प्रतिभा मेरे तरफ शरमाती हुए हंस करके बोली, "बहुत ही गंदा है."

मैं अब प्रतिभा के पीछे खड़ा हुआ था और मेरे हाथों से उसकी पतली कमर को पकर रखा हुआ था. मैं तब प्रतिभा के गर्दन पर और कंधों पर धीरे धीरे चुम्मा दे रहा था. बिल्कुल हल्लके से.. कभी कभी अपनी जीभ से उसके गर्देन से कंधों तक एक लाइन खींच देता था. प्रतिभा मेरे चुम्मो के साथ साथ कांप रही थी. थोरी देर के बाद प्रतिभा मुझसे बोली, "मेरे राजा, मैं इससे ज़्यादा और भी गंदी हो सकती हूँ." मैं प्रतिभा की बातों को सुन कर हंस पड़ा और फिर प्रतिभा के पीछे फर्श पर बैठ कर प्रतिभा के कमर पर चुम्मा देने लगा. थोरी देर के बाद मैं ड्रेसिंग टेबल के शीशे मे देखते हुए एकाएक प्रतिभा की पॅंटी खींच कर उसके पैरों के पास ले गया. प्रतिभा जैसे ही ड्रेसिंग के शीशे मे अपनी नंगी चूतरों को देखी तो झट से अपने हाथों से अपनी चूत को दाख ली और बोली, "ओह! डार्लिंग क्या कर रहे हो? मुझे शरम आ रही है." मैं तब प्रतिभा के नंगे चूतरों पर अपने हाथों को फेरता हुआ प्रतिभा से बोला, "डार्लिंग प्रतिभा, तुम अपने पैरों को धीरे धीरे एक के बाद एक करके ऊपेर उठाओ." प्रतिभा मेरे बातों को मानते हुए अपने पैरों को धीरे धीरे से ऊपेर उठाई और मैने उसकी पॅंटी को पैरों से निकाल कर दूर परी कुर्सी पर फैंक दिया. मैं फिर से अपने जगह पर उठ खरा हो गया और प्रतिभा के कंधो के ऊपेर से देखते हुए मैने प्रतिभा के दोनो कलईओं को पकर कर उसके हाथों को उसके चूत पर से हटाया और उन हाथों को पीछे खींच लिया. अब प्रतिभा की झांतो से भारी चूत शीशे से होते हुए मेरे आँखों के सामने थी. मुझे प्रतिभा की झांतो से भारी चूत बहुत ही पायरी लग रही थी. अब मैने प्रतिभा के कानो के पास अपना मुँह ले जाकर धीरे से बोला, "डार्लिंग अब तुम वाकाई मे गंदी और शरारती लग रही हो." प्रतिभा अपने आप को शीशे मे बिल्कुल नंगी देख कर मारे शरम से लाल हो गयी फिर उसकी आँखे अपने नगञा सौंदरता को देख कर चमक उठी और वो शरमाना छ्चोड़ धीरे धीरे मुस्कुराने लगी. अब मैं प्रतिभा को धीरे धीरे मेरे तरफ घुमा लिया और उसके नरगी के फांको वाली खूबसूरत हॉटो को चूमने लगा. प्रतिभा के होठों को चूमते ही मुझे लगा की मैं शहद पी रहा हूँ. प्रतिभा भी मेरे गले मे अपनी बाहों को रख कर मेरे मुँह मे अपना जीव डाल दी. हम दोनो मे से कोई भी चुम्मा बंद नही करना चाह रहा था और दोनो एक दूसरे को जकरे हुए अपनी पूरी ताक़त से चूम रहे थे. प्रतिभा मुझे इस कदर लिपटी थी की मुझे अपने छाती मे प्रतिभा के निपल के गाढ़ने का एहसास हो रहा था. उसकी चूंचिया भी अब सेक्स की गर्मी से फूल गयी थी. मेरा लंड भी अब बुरी तरह से अकड़ गया था और मुझे लंड के जड़ मे हल्का हल्का सा दर्द होने लगा था. मैं प्रतिभा को चूमते हुए उसकी एक हाथ पाकर कर अपने लंड से लगा दिया. मेरे लंड पर प्रतिभा की हाथ लगाते ही प्रतिभा गॅप से मेरा लंड पकर ली और खुश हो कर मुझसे बोली, "ओह! डियर, तुम्हारा हथियार तो बहुत ही तगड़ा है. मेरे ख़याल से इसकी लूम्बई 8" है और मोटाई करीब 3 या 31/2" है. बहुत ही पायरा है. ओह्ह कितना सख़्त है.. ये तो किसी भी चूत को फाड़ के रख देगा" तब मैं प्रतिभा के गालो को चूमते हुए प्रतिभा से बोला, "प्रतिभा डार्लिंग, मेरा लंड प्यारा है कि नही है मुझे नही मालूम. लेकिन तुम्हारी चिकनी जाँघो के बीच और घने काली झांतो पीछे छुपी तुम्हारी चूत बहुत ही रसीला और प्यारा है. मेरा एह लंड तुम्हारे चूत से मिलने के लिए बहुत ही बेताब है बेचारा. और हां, मेरे लंड की लूम्बई और मोटाई को मत नापो एह आज तुम्हे इतना मज़ा देगा जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नही की होगी." फिर मैं प्रतिभा को धीरे धीरे बिस्तेर के करीब ले आया और मैं खुद बिस्तेर पर पीठ के बल लेट गया और अपने चूतरों के नीचे दो तकिया भी लगा लिया. मेरा मुस्टंड लंड उपर आसमान की तरफ सिर उठा कर फदक रहा था और उसके सुपादे के छेद से प्रेकुं की बूंदे टपक रही थी.

प्रतिभा मुझे फटी फटी आँखो से देख रही थी और कुछ सोच रही थी. मैं प्रतिभा से बोला, "आओ प्रतिभा डार्लिंग मेरे ऊपेर बैठ कर सवारी करो. आओ प्रतिभा मेरे ऊपेर बैठ कर मेरा एह लंड अपनी छूट मे भर लो और चुदाई करो." थोरी देर के बाद प्रतिभा को मेरे बातों का असर हुआ और वो झट से बिस्तेर पर चढ़ कर मेरे कमर के दोनो तरफ अपने पैरों को करके प्रतिभा मेरे ऊपेर बैठ गयी. बैठने के बाद वो थोड़ी सी अपनी चूतरों को उठाया और अपने हाथों से मेरा लंड पकर कर अपने चूत के छेद से लगा दिया और फिर कुछ शर्मा के अपनी कमर चला कर मेरा लंड अपनी चूत मे घुसेड लिया. उसके मुँह से चीख निकल गयी ओह्ह.. नो.. बहुत दर्द हो रहा है संजय.. लंड का अभिसिर्फ़ सूपड़ा ही अंदर गया था.. मैं तब प्रतिभा की चूतरों को पकर कर थोरा ऊपेर उठाया और कहा डार्लिंग मोटे लंड से ही तो मज़ा आएगा.. तुम्हारी चूत भी तो बहुत टाइट है.. कहते हुए मैने उसे हिम्मत दी, वो फिर से एक धक्के के साथ मेरा लंड अपनी चूत मे भर ली. उसकी आँखे फट गयी और ऊ माआ.. मर गाइइ.. संजय इतना मोटा लंड .. उफफफ्फ़.. ये मेरे अंदर उस जगह पहुँच गया जहाँ आज तक कुछ नही गया था.. मैने उसके चूतड़ से हाथ हटा कर उसकी चुचियों को दबाया और सहलाया..थोरी देर के बाद प्रतिभा मेरे ऊपेर झुक गयी और मेरे होठों को चूमते हुए और मेरे सीने से अपनी भारी भारी चूंचियो को दबाते हुए मुझे हल्के हल्के धक्के के साथ चोदने लगी. थोरी देर तक मुझे चोदने के बाद प्रतिभा मेरे ऊपेर लेट गयी. मैं तब नीचे से उसकी नंगी चूतरों पर हाथ फेरते हुए उसकी कान मे फुसफुसते हुए धीरे से बोला, "डार्लिंग, अब तुम्हारी चूत को मज़ा दिलवाना तुम्हारे हाथों मे है. मैं तो बस चुपचाप नीचे लेटा लेता तुम्हारी चूत के धक्के ख़ाता रहूँगा. अब तुम्ही मुझे अपने हिसाब से चोद्ते रहो और अपनी चूत को मेरा लंड खिलाती रहो." इतना कहा कर प्रतिभा की चूनचेओं को अपने हाथों मे लेकर कस कर मसल दिया और अपना कमर नीचे से उचका कर प्रतिभा की चूत मे तीन-चार धक्के मार दिया. मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा की आँख एक बार चमक गयी और मुझे चूमते हुए बोली, "मेरे चोदु राजा, मैं चाहे तुम्हे ऊपेर से चोदू या तुम मेरे ऊपेर चढ़ कर मुझे चोदो दोनो मे कोई फरक नही है. हर हाल मे मेरी चूत ही तुम्हारे लंड से चुदेगी." उसके बाद प्रतिभा मुझे फिर से जाकड़ कर पकरते हुए अपनी पतली कमर उठा उठा कर मुझे चोदने लगी. प्रतिभा मुझे फिरसे अपने बाहों मे भारती हुई मुझे चूम कर बोली, "ओह डार्लिंग! बहुत मज़ा आ रहा है. है क्या लंड है तुम्हारा, मेरी चूत तो अंदर तक भर गयी है. है! मैं तो आज रात बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर ही रखूँगी. तुम्हारा लंड मेरी चूत के लिए ही बनाया गया है." फिर मेरे ऊपेर प्रतिभा तन कर बैठ गयी और मेरे आँखो मे देखते हुए वो अपनी कमर को कस कर मेरे कमर पर दबा करके बैठ गयी और प्रतिभा की झांते और मेरी झांते एक दूसरे से मिल गयी. अब प्रतिभा की साँसे फूलने लगी थी और उसकी आँखे बंद होने लगी थी और उसकी चूंची भी फूल गयी. अब वो मेरे लंड पर जोरों से उठ बैठ रही थी और उसके उठने बैठने के साथ साथ प्रतिभा की दोनो चूंची भी उछल रही थी. मुझे लग रहा था कि प्रतिभा की चूत और ज़्यादा देर तक मुझे चोद नही पाएगी और जल्दी ही अपना पानी छ्चोड़ देगी. अब वो बहुत ज़ोर ज़ोर उछाल रही थी और बोल रही थी, "लो मेरे चोदु राजा, लो मेरी चूत के धक्के खाओ अपने लंड पर. लो अब मैं अपनी चूत की पानी छ्चोड़नेवाली हूँ. लो संभलो अपने लंड को नही तो मेरी चूत के धक्को से तुम्हारा लंड टूट जाएगा. है क्या मज़ा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नही मिले. अब तक मैं तुमको और कितनी बार चोद डालती." इतना कहने के बाद प्रतिभा मुझे कस कर जाकड़ ली और बहुत जोरों के साथ कांप उठी और शांत हो गयी. उसकी छूट के पानी से मेरा लंड, झांते औट जंघे पूरा का पूरा भीग गया. मैं फिर भी प्रतिभा के नीचे चुप चाप लेता रहा और प्रतिभा को पूरी तरह से झड़ने दिया. थोरी देर के बाद प्रतिभा ने अपनी आँखे खोल दी और मुझे देख कर पहले शर्मा गयी और मुस्कुरा दी. तब मैने अपने हाथों को प्रतिभा के पीठ पर ले जाकर पहले उसकी पीठ को सहलाया और उसकी चूतरों को सहलाना शुरू कर दिया. मैं प्रतिभा के चूतरों को सहलाते हुए कभी कभी उसकी गंद के छेद को सहलाता रहा. प्रतिभा धीरे से मेरे कंधों पर से अपना सिर उठाया और मुझे अपनी आधी बंद आँखों से देखते हुए मुझे तीन चार चुम्मा दिया. मैने प्रतिभा की चूतरों को सहलाते हुए धीरे से कहा, "रुकना मत अभी तुम चालू रहो." मेरे बातों को सुनते ही प्रतिभा की आँख चमक उठी और मुझसे बोली, "क्या फिर से करोगे, मतलब क्या फिर से हुमलोग चुदाई करेंगे?" मैं अपना गर्दन हिला कर प्रतिभा से हाँ कहा. "ओह डार्लिंग," कहकर प्रतिभा मुझसे लिपट गई और अपनी चूत से लंड को भींच लिया और फिर से मेरे लंड पर धीरे धीरे अपनी चूत को ऊपेर नीचे करने लगी. अबकी बार मैं प्रतिभा को कोई सहारा नही दिया और प्रतिभा बारे आराम से मेरे लंड को अपनी चूत से कभी धीरे धीरे और कभी ज़ोर ज़ोर से चोदने लगी. मैं अपने हाथों से प्रतिभा की चूंचियो को पकर दबाने लगा और कभी कभी ज़ोर ज़ोर मसल्ने लगा. उसकी दूधिया चूंचियो मसल्ने से लाल होने लगी थी. निपल भी एकद्ूम कड़क हो कर खड़े हो गये थे. जिन्हे मैं चान्स मिलते ही मुँह मे ले कर चुभलता या फिर हल्के से काट लेता था और वो इस्शह.. उउईईईईईई कर देती थी. थोरी देर ऐसे ही चुदाई के बाद प्रतिभा फिर से झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और अब वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड पर उछलते हुए बोली, "हाई रज़ा, क्या मज़ा मिल रहा है, लगता है कि आज मैं पागल हो जाउन्गि. तुमने आज मुझे पूरा का पूरा स्वर्ग का मज़ा दिया है. आज मैं अपनी चूत तुमसे चुदवा कर धन्य हो गयी तुम्हारे लंड मे आज मुझे एक औरत बना दिया.. मेरी चूत पूरी खुल गयी है और अब मुझे एक औरत होने का गर्व हो रही है. ओह! ओह! है मैं झाड़ रही हूऊऊऊऊं. आह! आह! उर जूऊऊओर से मीईरी छुउऊुउऊनचीईई मसलूऊऊऊऊ. ओह! ओह! हाआआआआअ मैईईईईईईईईईईईई गइईईईईई. "

प्रतिभा मेरे लंड के ऊपेर फिर से बैठ गयी और फिर शांत हो कर मेरे ऊपेर पड़ी रही. थोरी देर के बाद जब प्रतिभा की साँसे वापस शांत हुआ, वो मुझे चूमना शुरू कर दिया और अपने चूत के झड़ने का एहसास अपने अंदर लेने लगी. ऐसे ही थोड़ी देर के बाद प्रतिभा फिर से मेरे लंड को अपनी चूत से ज़ोर दार झटको के साथ चोदना शुरू कर दी. इस बार की चुदाई बहुत ही ज़ोर दार से शुरू किया. प्रतिभा अबकी बार बहुत ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को अपनी चूत मे ले कर उछल रही थी. उसकी दोनो चूंचिया उसके उछलने के साथ झूल रही थी. मैं तब प्रतिभा की दोनो चूंचियो को छ्चोड़ करके उसकी पतली कमर को अपने हाथों से पकर लिया और नीचे से मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर प्रतिभा की चूत के अंदर अपना लंड पेलने लगा. इस समय हम दोनो को दुनिया से कोई मतलब नही था और बस एक दूसरे को कस कर पाकर कर लंड और चूत से एक दूसरे के साथ लड़ाई कर रहे थे. थोरी देर के मैं नीचे से अपना कमर उठा कर प्रतिभा की चूत मे अपना सारा का सारा लंड घुशेद कर प्रतिभा को कस कर पकर लिया और बोला, "ओह! ओह! प्रतिभा डार्लिंग, लो, लो अपनी चूत को अपने हाथों से खोलो. मैं अब तुम्हारी प्यारी चूत को अपने लंड के पानी से पूरा पूरा भरने वाला हूँ. ले, ले चुड़दकर प्रतिभा ले मेरा लंड का पानी अपनी चूत से पी ले." इतना कहने के बाद मैं प्रतिभा की चूत के अंदर झाड़ गया ऊह क्या ज़ोर की पिचकारी थी उसके चूत मे. करीब 7-8 मोटी पीपचकारी से चूत भर दी मैने और प्रतिभा की चूत भी मेरे साथ साथ अपनी पानी छ्चोड़ दी. प्रतिभा की चूत अब तीसरी या चौथी बार झड़ी थी और अबकी बार उसकी चूत से बहुत पानी निकला था और मेरे जांघों से बहता हुआ नीचे बेडशीट को भी गीला कर दिया था. जब प्रतिभा की सांस कुछ ठीक हुई तो वो मेरे लंड के ऊपेर से उठ गयी और मुझसे बोली, "वा मेरे राजा, तुमने तो आज मुझे पूरा का पूरा स्वर्ग का अनानद दिया. अब तुम चुप चाप लेट रहो और मैं अभी आती हूं." इतना बोल कर प्रतिभा कमरे के बाहर चली गयी.
क्रमशः......................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा
एक सुहानी याद पार्ट -1
एक सुहानी याद पार्ट -2
एक सुहानी याद पार्ट -3
एक सुहानी याद पार्ट -4


EK SUHANI YAAD

Aaj mai aap logo ko ek asli ghatna sunane wala hoon. Ye ghatna mere jindagee ki bahut hi sukhad ghatna hai. Pichle saal mai Shimla me Hotel Paradise me ruka hua tha. ye hotel ek sunsan jagah par bahut alishan tarike se banaya hua hai aur is hotel ke charo taraf kahi jungle bhi hai. Us din sham ko thori halki bunda bundee hue thee aur isliye mausam suhana tha. Mai hotel ke swimming pool me nahane ke liye gaya hua tha. Maine isliye apne kapare utar karke swimming costum pahan kar ek bara peg Bloody Mary leke swimming pool par pahunch gaya. Maine swimming pool par ja karke pahale apna drink ek table par rakha aur phir swimming pool me dubkee lagaya aur halke halke stroke ke sath tairne laga. Thori der tairne ke bad maine ek bahut khoobsurat aurat ko, jiskee umar andajan kareeb 27-28 rahi hogi, swimming pool ke taraf aate dekha. Us aurat ke hath me ek English ki kitab thi. Thori der tak tairne ke bad mai pool se bahar nikal kar apne table par aake baith gaya aur apna drink me chuskee lagane laga. Wo aurat bhi mere table ke pas baithee apni kitab padh rahi thee.

Mai us aurat ki khoobsurtee se baut hi prabhabit ho gaya tha aur ankhe phad phad kar usko dekh raha tha. Wo aurat ek jeans aur tops pahanee huee thee. Uske jeans aur top itna tight tha ki uske har ang bahar jhalak raha tha. Mai apne drink se ek lumba ghoont liya aur phir se pool ke taraf badh gaya. Lekin jane se pahale maine us aurat ko ek bar phir se ghoor kar dekha. Mai pool par jake chalang lagaya aur tairne laga. Tairte samay mai bar bar us aurat ko dekh raha tha aur thori der ke dekha wo aurat bhi mijhe dekh rahi hai aur halke halke muskura rahi hai. Mai bhi tab usko dekh kar muskura diya aur pool se bahar aakar uske pas jakar usko halke se "Hello" bola. Wo bhi jabab me "Hello" boli aur phir dhire se boli, "aap bahut achha tairna jante hain aur aapka badan bhi kafee gatheela hai." Mai dhire se usko "Thanks" bola aur apne aap ko usse parichaya karaya. Usme bhi tab apna parichaya diya aur boli, "mera naam Pratibha hai aur wo apne pati ke sath Shimla aayee hui hai. Is samay uskaa pati shimla se kareeb 50 km door, apne karobar ke silsile me gaye hue hain. Wo apne kamare me akele baith baith kar bahut bore ho chuki hai aur isiliye wo is samay swimming pool ke kinare baithee huee hai." Maine usse pucha "aap kya pina pasand karengee?" Wo palat kar mujhse puchee, "mai kya pee raha hoon?" Maine bola, "mai Bloody Merry pee raha hoon" to Pratibha boli, "wo bhi Bloody Merry le legi." Mai tab jakar do Bloody Merry ka order de diya. Achanak ek waiter cordless phone lekarke humlogon ke pas daura aya aur bola, "madam aapka phone hai." Pratibha ne phone waiter se lekarke phone par baten karne lagee. Achanak uskee awaj badal gayee aur phone par bol rahi thee, "Oh God! Oh God! Haan! Ok! Nahee! Mai bilkul theek hoon! Haan! Mai hotel me hi rahungee!" aur phir usne phone kat diya. Pratibha ke chehere par pareshanii mujhe saf saf dikhlai de rahee thee. Maine Pratibha se pucha, "kya hua?" Pratibha boli, "road me ek tanker ka accident ho gaya hai aur isliye police ne road block kar diya hai. Jab tak road block khatam na hoga, koi gadi aa ya jaa nahi sakegee aur eh road block kal subah tak hi saf hoga." Phir kuch ruk kar Pratibha boli, "ab mere pati kal subah tak hi aa payenge." Yeh sun kar mai Bhagawan ko lakh lakh shukriya bola, kyunkee eh mere liye ek bahut sunahara avsar tha.

Mai tab Pratibha ko santawna dete hue bola, "aare Pratibhaji aap mat ghabaraiye. Apke pati bilkul theek hain aur kal subah wo sahi salamat laut ayenge." Tab Pratibha dhire se boli, "mujhe apne pati se jyada mujhe apne liye fikar hai. Ab pure din bhar ke liye is hotel me kaid ho gayee." Tab mai muskura kar bola, "ab jyada fikar mat kariye. Mai aapko wada karta hoon ki aap bore nahi honge." Tab Pratibha ne hanste huye mujhese pucha, "aap kaise mujhe bore nahi hone denge?" Tab maine Pratibha se bola, "mai aapko acchhe acchhe kisse sunaunga, joke sunauga, aur iske alwa aap jo bhi kahengee mai wo bhi karunga." Tab tak waiter hum logon ke liye drinks le aaya aur maine Pratibha ko ek glass Bloddy Merry pakra diya. Pratibha ne bari ada se mere se Blody Mery mere hathon se liya aur phir muskura karke "thanks" boli, Phir maine bhi apna glass utha liya aur Pratibha se bola, "cheers." Tab Pratibha bhi mujhse bili, "cheers tumhare gathila badan ke liye." Jab Pratibha ne mere badan ke liye comment kiya to maine bola, "nahi Pratibha dear! Tub to kisi bhi Film Actress se bahut jyada sundar ho. Tumhari shareer bhi to bilkul tarasha hua hai." Mere baton ko sunkar Pratibha bahut jhemp gayee aur phir Sharma kar boli, "dhut, tum bahut hi shaitan ho." Humlogon ne apna apna drinks me chuski lagate rahe aur baten karte rahe. Humlog aise baten kar rahe the ki jaise humlogon ki jan pahachan bahut purani hai. Pratibha mujhse mere personal life ke bare me kuch sawal kee aur apni jindagee ke bahut sari baten mujhse boli. Pratibha to apne pati ke bare me yahatak boli ki uski pati "Gujju Gaandu!" aur sex se jayada lagab nahi rakhta. Mai Pratibha ki baton ko sunkar bahut hi hairan ho gaya. Pratibha mujhse mere love life ke bare me bhi kuch sawal kiya. Maine Pratibha se bola, "mai sex aur auraton ko bahut chahata hoon halanki mai married hoon fir bhi sundar aur sexy auraton ko mai bahut pasand karta hoon aur mai sex ka pujaree hoon. Mujhe bistar par auraton ke sath tarah tarah ke experiment karne me bahut maza aata hai." Mere baton ko sun kar Pratibha kuch der tak chup chap baithee rahee. Aisa lag raha tha ki wo kuch gahari soch me ho. Humlogon ne ek ek glass aur Bloddy Mery pia aur tabhi eka ek joron ki barish shuru ho gayee. Swimming pool ke aspas koyi safe chupane ki jagah nahi thee aur isliye hum dono kamare ke taraf bhage. Kamare tak pahunchte pahunchte Pratibha buree taraf se bheeg gayee aur uski gol gol chunchian bheege blouse par se saf saf dikhne lagi. Mai ankhe phad phad kar dekha ki Pratibha ki gol gol aur tani hue chuchian uske lal rang ke bra me kaid hai aur use phad kar bahar aane ko bechain hai. Pratibha neb hi notice kiya ki me dekh raha tha. Mai jitna Pratibha ki chunchiyon ko dekh raha tha waise waise mera lund khada ho raha tha aur mujhe aisa lag raha tha wo bhi bahar nikal kar Pratibha ko uski sundarta ko salam karna chah raha ho. Jab Pratibha ne mere taraf dekhi aur mere halat ko samajh payee to wo khil khila kar hans pari.

Humlog apne apne kamare tak pahunch gaye. Pratibha aur mera kamra bilkul agal bagal tha. Jab mai apne kamare me ghus raha tha to Pratibha mujhse boli, "kapade badal kar mere kamare me a jana." Maine kaha, "theek hai, mai abhi kapde badal kar aata hoon. Lekin ho sakta hai apke sath akele kamare me hone se mai apne aap ko rok nahi paunga." Tab Pratibha hans kar boli, "koi bat nahi. Mai bhi to dekhun ki aap mere sath akele kamare me kya kya kar sakte hain?" Phir mai hans kar apne kamare me chala gaya aur jab kapade badal kar mai Pratibha ke kamare me gaya to dekha Pratibha apne kapade badal chukee hai aur wo ab Chinese Kimono type ka gown pahan kar bister par baithee huyee hai. Pratibha ne kuch badhiya scent laga rakhee thee aur uski khusboo pure kamare me phail rahi thee. Mai Pratibha ke kamare me jakar ek low chair par baith gaya. Tab Pratibha apne jagah se uth kar mere pas ayee aur mere ghutno par baith gayee aur apne hathon ko utha kar mere gale me dal dee aur mujhse bolne lagee, "Oh mere pyare, eh to bahut hi achha hua ki aaj is samay tum mere sath ho aur humdono jo dil me aaye kar sakte hai. Is samay hume koi rokne wala nahi hai." Itna kah kar Pratibha ne mujhe chum liya. Mai tab Pratibha ko apne bahon me bharte hue usko chum liya aur dhire se pucha, "Mere pyaree Pratibha, hum log abhi kya karne wale hain?" Pratibha phir se mujhko chumte hue mere ankho me ankhe dal kar boli, "humlog ab kuch shararat karne wale hain. Humlog abhi jo shararat karenge usme tumhe aur mujhe dono ko bahut maza ayega" itna kahne ke Pratibha ka chehera sharam se lal ho gayee. Thori der tak chup rahane ke bad Pratibha phir boli, "mujhe aaj bahut shararat karni hai."

Mujhe lag raha tha ki akele kamare mere sath rahana aur ooper se mausan bhi rangeen aur in sabse Pratibha ki mizaz bhi kuch jyada hi rahgeen ho gaya hai. Mai ab is abasar ko khona nahee chahata tha aur mai chaha raha tha ki mai ab Pratibha ko chudai ka asli maza kya hota hai samjha doon. Mai ab Pratibha se bola, "darling Pratibha, lagta hai ki ab humlogon ko jyada waqt barbad nahi karna chahiye. Mai ab tum ko tab tak nahi chorungee jab tak na tum mere love-juice ka akhiri katra nichor na lo. Ab tumhe sharartee hone ka pura mauka milega." Pratibha mere baton ko sun kar behad khush ho gayee aur mujhko apne bahon me bhar kar mujhe teen-char chuuma mere hoton me de diya. Phir Pratibha mere ghutne par se uth kar khari ho gayee aur apne sir ko neecha karke, jaise ki wo hume eh batana chahtee ho ki ab wo mere hukum ki gulam hai aur uske jo bhi chahoon kar sakta hoon, mere bagal me khari ho gayee. Mai bhi tab Pratibha ke dekha dekhi mai bhi apne seat par se uth kar khada ho gaya aur uske samne apne badan se apna gown utar kar Pratibha ke samne bilkul nanga khada ho gaya. Ab tak mera lund adha khara ho gaya tha aur dhire dhire jhool raha tha. Pratibha yeh dekh kar pahale to sharma kar uska chehera lal ho gaya aur phir wo lalchai ankho se mere khade lund ko dekhne lagi. Ab tak mera lund Pratibha ki ankho ke samne dhire dhire aur khada hokar kafi sakht ho gaya tha. Mai apna hath barha kar Pratibha ke kamar me dal diya aur usse kheench kar kamare me rakhe huye dressing table me samne le jakar Pratibha se bola, "dekho to sahi humlog kaise lag rahe hai. Shishe me mujhe nanga aur usme mera khada hua lund aur apne aap ko pure kapde pahana dekh kar Pratibha pahale bahut sharmaee phir hans kar wo mujhe kas kar apne bahon me bheench kar mujhe chumne lagee. Thodi der tak mujhe chumne ke bad Pratibha phir se dressing table ke shishe me dekhne lagi aur mai apna hath badha kar uski chuncheon se khelne laga aur wo bhi apne hathon ko barha kar mere lund ko pakar kar sahalane lagi. Tab mai Pratibha ko apne bahon me bhar kar uske kan me bola, "darling ab mujhe tumhare kapade utarne hai." Phir uske bad mai Pratibha ki gown ki kamar wali dori ko halke se kheench diya. Pratibha mere kam me sahayog kar rahi thee lekin bahut sharma bhi rahi thee. Thori der ke bad Pratibha mere samne sirf apne lal rang ka bra aur lal rang ki panty pahane kahari thee. Mai apni ankho ke samne ek apsara ko dekh raha tha. Maine dhire se Pratibha ko ghuma diya jisse ki mujhko uske side aur aage aur peeche ki roop dikh sake. Pratibha apne hothon ko apne daton se daba kar mand mand muskura rahi thee aur mere taraf bujhee huee ankhon se dekh rahi thee. Thori der ke mai Pratibha ke bra ko kholna shuru kar diya. Pahale mai bra ke clip ko khola aur phir samne akar Pratibha ke bra ke undar kaid dono chuncheeon ko dekhne laga. Phir mai Pratibha ke bahon se bra ke dono strap ko dhire dhire utar diya aur bra Pratibha ke bahon se phisal kar jamin me ja gira. Ab Pratibha mere samne sirf ek lal rang ki panty pahan kar kharee thee.uski chunchiyan bina bra ke bhi ekdum khadi khadi thi. Nipple thode thode kadak hone lage the. Mai tab Pratibha ko phir se pakar kar dressing table ke samne le ja karke khada kar diya aur bola, "dekho ab kaise lag rahee ho." Pratibha mere taraf sharmatee hue hans karke boli, "bahut hi ganda hai."

Mai ab Pratibha ke peeche khada hua tha aur mere hathon se uski patli kamar ko pakar rakha hua tha. Mai tab Pratibha ke gardan par aur kandhon par dhire dhire chumma de raha tha. Bilkul hallke se.. kabhi kabhi apni jeebh se uske garden se kandhon take k line khinch deta tha. Pratibha mere chummo ke sath sath kamp rahi thee. Thori der ke bad Pratibha mujhse boli, "mere raja, mai isse jyada aur bhi gandee ho saktee hoon." Mai Pratibha ki baton ko sun kar hans pada aur phir Pratibha ke peeche farsh par baith kar Pratibha ke kamar par chumma dene laga. Thori der ke bad mai dressing table ke shishe me dekhte hue ekaek Pratibha ki panty kheench kar uske pairon ke pas le gaya. Pratibha jaise hi dressing ke shishe me apni nangee chutaron ko dekhi to jhat se apne hathon se apne choot ko dakh lee aur boli, "Oh! Darling kya kar rahe ho? Mujhe sharam aa rahi hai." Mai tab Pratibha ke nange chutaron par apne hathon ko pherta hua Pratibha se bola, "darling Pratibha, tum apne pairon ko dhire dhire ek ke bad ek karke ooper uthao." Pratibha mere baton ko mante hue apne pairon ko dhire dhire se ooper uthayee aur maine uski panty ko pairon se nikal kar dur paree kursee par phaink dia. Mai phir se apne jagah par uth khara ho gaya aur Pratibha ke kandho ke ooper se dekhte hue maine Pratibha ke dono kalaion ko pakar kar uske hathon ko uske choot par se hataya aur un hathon ko peeche kheench liya. Ab Pratibha ki jhanto se bhari choot shishe se hote hue mere ankhon ke samne thee. Mujhe Pratibha ki jhanto se bhari choot bahut hi payari lag rahi thi. Ab maine Pratibha ke kano ke pas apna munh le jakar dhire se bola, "darling ab tum wakayee me gandee aur sharartee lag rahi ho." Pratibha apne aap ko shishe me bilkul nangee dekh kar mare sharam se lal ho gayee phir uski ankhe apne nagna soundarta ko dekh kar chamak uthee aur wo sharmana chhod dhire dhire muskurane lagi. Ab mai Pratibha ko dhire dhire mere taraf ghuma liya aur uske naragee ke phanko wali khoobsurat hotohn ko chumne laga. Pratibha ke hothon ko chumte hi mujhe laga ki mai shahad pee raha hoon. Pratibha bhi mere gale me apni bahon ko rakh kar mere munh me apna jeev dal dee. Hum dono me se koi bhi chumma band nahi karna chah raha tha aur dono ek dusre ko jakre hue apni puri takat se chum rahe the. Pratibha mujhe is kadar lipti thee ki mujhe apne chati me Pratibha ke nipple ke gadhne ka ehsas ho raha tha. Uski chuncheyan bhi ab sex ki garmi se phool gayee thee. Mera Lund bhi ab buri tarah se akar gaya tha aur mujhe lund ke jar me halka halka sa dard hone laga tha. Mai Pratibha ko chumte hue uski ek hath pakar kar apne lund se laga diya. Mere Lund par Pratibha ki hath lagaate hi Pratibha gap se mera Lund pakar lee aur khush ho kar mujhse boli, "Oh! Dear, tumhara hathiyar to bahut hi tagra hai. Mere khayal se iski lumbai 8" hai aur motai kareeb 3 ya 31/2" hai. Bahut hi payara hai. Ohh kitna sakht hai.. ye to kisi bhi choot ko faad ke rakh dega" Tab mai Pratibha ke galo ko chumte hue Pratibha se bola, "Pratibha darling, mera lund pyara hai ki nahi hai mujhe nahi malum. Lekin tumhari chikni jangho ke beech aur ghane kali jhanto peeche chupee tumharee choot bahut hi rasila aur pyara hai. Mera eh Lund tumhare choot se milne ke liye bahut hi betab hai bechara. Aur haan, mere Lund ki lumbai aur motai ko mat napo eh aaj tumhe itna maza dega jiski tumne kabhi kalpana bhi nahi kee hogi." Phir mai Pratibha ko dhire dhire bister ke kareeb le aya aur mai khud bister par peeth ke bal let gaya aur apne chutaron ke neeche do takia bhi laga liya. Mera mustand Lund upar aasmaan ki taraf sir utha kar fadak raha tha aur uske supaade ke cheed se precum ki boonde tapak rahi thi.

Pratibha mujhe phatee phatee ankho se dekh rahi thee aur kuch soch rahi thee. Mai Pratibha se bola, "aao Pratibha darling mere ooper baith kar sawari karo. Aao Pratibha mere ooper baith kar mera eh Lund apni choot me bhar lo aur chudai karo." Thori der ke bad Pratibha ko mere baton ka asar hua aur wo jhat se bister par chadh kar mere kamar ke dono taraf apne pairon ko karke Pratibha mere ooper baith gayee. Baithne ke bad wo thodi si apni chutaron ko uthaya aur apne hathon se mera lund pakar kar apne chhot se laga diya aur phir kuch sharma ke apni kamar chala kar mera lund apni choot me ghused liya. Uske munh se cheekh nikal gayi ohh.. no.. bahut dard ho raha hai Sanjay.. lund ka abhisirf supada hi andar gaya tha.. Mai tab Pratibha ki chutaron ko pakar kar thora ooper uthaya aur kaha darling mote lund se hi to maza ayega.. tumhari choot bhi to bahut tight hai.. kehate huye maine use himmat di, wo phir se ek dhakke ke sath mera lund apni choot me bhar lee. Uski aankhe fat gayi aur ooh maaa.. mar gayii.. Sanjay itna mota lund .. uffff.. ye mere andar us jagah pahunch gaya jahan aaj tak kuch nahi gaya tha.. maine uske chootad se hath hata kar uski chuchiyon ko dabaya aur sehlaya..Thori der ke bad Pratibha mere ooper jhuk gayee aur mere hothon ko chumte hue aur mere seene se apni bhari bhari chuncheon ko dabate hue mujhe halke halke dhakke ke sath chodne lagi. Thori der tak mujhe chodne ke bad Pratibha mere ooper let gayee. Mai tab neeche se uski nangee chutaron par hath pherte hue uski kan me fusfusate huye dhire se bola, "darling, ab tumhari choot ko maza dilwana tumhare hathon me hai. Mai to bas chupchap neeche leta leta tumhari choot ke dhakke khata rahunga. Ab tumhee mujhe apne hisab se chodte raho aur apni choot ko mera lund khilatee raho." Itna kaha kar apne hathon ko barha kar Pratibha ki chuncheon ko apne hathon me lekar kas kar masal diya aur apna kamar neeche se uchka kar Pratibha ki choot me teen-char dhakke mar diya. Mere baton ko sun kar Pratibha ki ankh ek bar chamak gayee aur mujhe chumte hue boli, "mere chodu raja, Mai chahe tumhe ooper se codu ya tum mere ooper chadh kar mujhe chodo dono me koi farak nahee hai. Har hal me meri choot hi tumhare Lund se chudegee." Uske bad Pratibha mujhe phir se jakar kar pakarte hue apni patli kamar utha utha kar mujhe chodne lagi. Pratibha mujhe phirse apne bahon me bhartee huee mujhe chum kar boli, "Oh Darling! Bahut maza aa raha hai. Hai kya Lund hai tumhara, meri choot to andar tak bhar gayee hai. Hai! Mai to aaj rat bahr tumhara Lund apni choot ke andar hi rakhungee. Tumhara Lund meri choot ke liye hi banaya gaya hai." Phir mere ooper Pratibha tan kar baith gayee aur mere ankho me dekhte hue wo apni kamar ko kas kar mere kamar par daba karke baith gayee aur Pratibha ki jhante aur meri jhante ek dusre se mil gayee. Ab Pratibha ki sanse phoolne lagi thee aur uski ankhe band hone lagi thee aur uski chunchee bhi phool gayee. Ab wo mere lund par joron se uth baith rahi thee aur uske uthne baithne ke sath sath Pratibha ki dono chunchee bhi uchal rahi thee. Mujhe lag raha tha ki Pratibha ki choot aur jyada der tak mujhe chod nahi payegee aur jaldee hi apna Pani Chhod degee. Ab wo bahut jor jor uchal rahi thee aur bol rahi thee, "lo mere chodu raja, lo meri choot ke dhakke khao apne lund par. Lo ab mai apni choot ki Pani Chhodnewali hoon. Lo sambhalo apne Lund ko nahi to meri choot ke dhakko se tumhara lund toot jayega. Hai kya maza aa raha hai. Tum mujhe pahale kyon nahi mile. Ab tak mai tumko aur kitnee bar chod dalti." Itna kahane ke bad Pratibha mujhe kas kar jakad lee aur bahut joron ke sath kamp uthee aur shant ho gayee. Uski choot ke Pani Se mera Lund, jhante aut janghe pura ka pura bhig gaya. Mai phir bhi Pratibha ke neeche chup chap leta raha aur Pratibha ko puri tarah se jhadne diya. Thori der ke bad Pratibha ne apni ankhe khol dee aur mujhe dekh kar pahale sharma gayee aur muskura dee. Tab mai apne hathon ko Pratibha ke peeth par le jakar pahale uski peeth ko sahalaya aur uski chutaron ko sahlana shuru kar diya. Mai Pratibha ke chutaron ko sahalate hue kabhi kabhi uski gand ke ched ko sahalata raha. Pratibha dhire se mere kandhon par se apna sir uthaya aur mujhe apni adhi band ankhon se dekhte hue mujhe teen char chumma diya. Mai Pratibha ki chutaron ko sahalate hue dhire se kaha, "Rukna mat abhi tum chalu raho." Mere baton ko sunte hi Pratibha ki ankh chamak uthee aur mujhse boli, "kya phir say karoge, matalab kya phir se humlog chudai karenge?" Mai apna gardan hila kar Pratibha se haan kaha. "Oh darling," kahakar Pratibha mujhse lipat pari aur apni choot se Lund ko bheench liya aur phir se mere lund par dhire dhire apni choot ko ooper neeche karne lagi. Abki bar mai Pratibha ko koi sahara nahi diya aur Pratibha bare aram se mere lund ko apni choot se kabhi dhire dhire aur kabhi jor jor se chodne lagi. Mai apne hathon se Pratibha ki chunceon ko pakar dabane laga aur kabhi kabhi jor jor masalne laga. Uski dudhiya chunchi an masalne se laal hone lagi thi. Nipple bhi ekdum kadak ho kar khade ho gaye the. Jinhe mai chance milte hi munh me le kar chubhlata ya fir halke se kaat leta tha aur wo isshhh.. uuiiiiiiiii kar deti thi. Thori der aise hi chudai ke bad Pratibha phir se jhadne ke kagar par pahunch gayee aur ab wo jor jor se mere lund pr uchalte hue boli, "hai raza, kya maza mil raha hai, lagta hai ki aaj mai pagal ho jaungee. Tumne aaj mujhe pura ka pura swarg ka maza diya hai. Aaj mai apni choot tumse chudwa kar dhanya ho gayee tumhare Lund me aaj mujhe ek aurat bana diya.. meri choot puri khul gayi hai aur ab mujhe ek aurat hone ka garv ho rahi hai. Oh! Oh! Hai mai jhad rahi hoooooooooon. Ah! Ah! Ur jooooooor se meeeeeri chuuuuuuncheeeeee masaloooooooooo. Oh! Oh! Haaaaaaaaaaa maiiiiiiiiiiiii gayeeeeeeeeeeee. "

Pratibha mere Lund ke ooper phir se baith gayee aur phir shant ho kar mere ooper padi rahi. Thori der ke bad jab Pratibha ki sanse wapas shant hua, wo mujhe chumna shuru kar diya aur apne choot ke jhadne ka ehsas apne andar lene lagi. Aise hi thodi der ke bad Pratibha phir se mere Lund ko apni choot se jor dar jhatko ke sath chodna shuru kar dee. Is bar ki chudai bahut hi jor dar se shuru kiya. Pratibha abki bar bahut jor jor se mere Lund ko apni choot me le kakr uchal rahi thee. Uski dono chunchean uske uchalne ke sath jhul rahi thee. Mai tab Pratibha ki dono chuncheon ko chhod karke uski patli kamar ko apne hathon se pakar liya aur neeche se mai bhi apni kamar utha utha kar Pratibha ki choot ke andar apna lund pelne laga. Is samay hum dono ko duniya se koi matlab nahi tha aur bas ek dusre ko kas kar pakar kar lund aur choot se ek dusre ke sath laraee kar rahe the. Thori der ke mai neeche se apna kamar utha kar Pratibha ki choot me apna sara ka sara lund gushed kar Pratibha ko kas kar pakar liya aur bola, "Oh! Oh! Pratibha darling, lo, lo apni choot ko apne hathon se kholo. Mai ab tumharee pyaree choot ko apne lund ke pani se pura pura bharne wala hoon. Le, Le chuddakar Pratibha le mera lund ka Pani Apni choot se pee le." Itna kahne ke bad mai Pratibha ki choot ke andar jhad gaya ooh kya jor ki pichkari thi uske choot me. Kareeb 7-8 moti pipchkari se choot bhar di maine aur Pratibha ki choot bhi mere sath sath apni pani chhod dee. Pratibha ki choot ab tisree ya chauthee bar jhadee thee aur abki baar uski choot se bahut pani nikla tha aur mere janghon se behata hua neeche bedsheet ko bhi gila kar diya tha. Jab Pratibha ki sans kuch theek hyee to wo mere lund ke ooper se uth gayee aur mujhse boli, "wah mere raja, tumne to aaj mujhe pura ka pura swarg ka ananad diya. Ab tum chup chap lete raho aur mai abhi aatee hoon." Itna bol kar Pratibha kamare ke bahar chalee gayee.











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj





















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