Friday, April 30, 2010

Kamuk kahaaniya -"छोटी सी भूल --25

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"छोटी सी भूल --25 लास्ट

गतान्क से आगे..................


“जतिन तुम मुझे हर वक्त गोदी में उठा कर घूमते हो, थक जाओगे” --- ऋतु ने कहा


“नहीं जान जब बात तुम्हारी है तो मैं कभी नही थ्कुगा, मैं तुम्हे मंज़िल तक ले जा कर ही छ्चोड़ूँगा” --- मैने कहा

“बस बस ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगी, चलो मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ चलने के लिए” ----- ऋतु ने कहा

“ठीक है फिर अब ये ब्रा उतारने दो बेवजह परेशान कर रही है” ----- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा

“तुम्हे यकीन है हमें यहाँ कोई नही देखेगा” ---- ऋतु ने पूछा

“हां जान तुम खुद देख लो चारो तरफ उँची दीवार है, और मैं क्या अपनी पत्नी की इज़्ज़त से खेलूँगा” ----- मैने कहा

ऋतु ने चारो तरफ नज़रे घुमा कर देखा और बोली, “यकीन नही होता कि इतनी प्यारी चाँदनी रात में हम तन्हा हैं, जतिन ये खवाब है या हक़ीकत”


“यही तो इस घर की ख़ास बात है, वरना और यहाँ कुछ नही है. मैं तो बचपन से गर्मियों में यहीं उपर छत पर ही सोता आया हूँ” ---- मैने कहा

“मुझे भी चाँदनी रात में लेट-ना अछा लगता है, पर ये रात तो कुछ ख़ास ही है” ---- ऋतु ने कहा

“पता है क्यों ख़ास है ये रात ऋतु” ---- मैने पूछा

“क्यों जतिन” ? ---- ऋतु ने पूछा

“क्योंकि मेरी शुनदर पत्नी मेरी बाहों में है” ---- मैने कहा

“तुम एक दम पागल हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“अब चलें अपने प्यारे सफ़र पर जान” --- मैने पूछा

“मुझे डर लग रहा है जतिन, पता नही मैं ठीक से तुम्हारा साथ दे पाउन्गि या नहीं” ---- ऋतु ने कहा

मुझे ऋतु की बात सुन कर उस पर इतना प्यार आया कि मैने उशके होंटो को चूम लिया और बोला, “डरने की क्या बात है ऋतु, ये तो एक प्यारा सफ़र है, चलो प्यार से चलते है. ये मत सोचो की हमें कहीं पहुँचना है. हम बस चलेंगे और देखेंगे कि ये प्यार का सफ़र कैसा है…ओके… चलो अब थोडा उपर उठो मुझे ये ब्रा उतारने दो”


“तुम कितने बदल गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा

“सब तुम्हारे प्यार का असर है, मेडिटेशन भी मैने तुम्हारे प्यार में डूब कर ही की थी, अब उठो ना ये ब्रा मुझे परेशान कर रही है”


“ठीक है बाबा ये लो” ---- ऋतु ने कहा और कह कर थोड़ा उपर हो गयी

मैने ऋतु की ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी


ऋतु के उभारो को देख कर मेरे मूह से निकल गया, “ओह्ह माइ गॉड, कितने प्यारे लग रहें हैं ये चाँदनी रात में, इनकी शुनदरता के आगे तो चाँद भी शर्मा जाएगा”


“चुप करो, बदमाश कहीं के” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“नहीं ऋतु ये सच है, तुम्हारे उभारो की चमक के आगे चाँद भी फीका पड़ गया है” ----- मैने कहा


मेरे लिए वो पल बहुत ही प्यारा था. मन कर रहा था कि बस ऋतु के उभारो को देखता रहूं.

कब मदहोश हो कर मैने ऋतु के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया पता ही नही चला


जैसे ही मैने निपल को होंटो में दबाया, ऋतु के मूह से हल्की सी आवाज़ निकली, आअहह…. ऐसा लगा मानो मैने सितार के तार छेड़ दियें हों और उसमें से प्यार भरा मीठा सा संगीत निकल पड़ा हो


उस वक्त मुझे विश्वास हो गया कि ऋतु मेरे साथ प्यार के सफ़र पर चलने के लिए तैयार है. फिर मैने ठान लिया कि आज अपनी जान को प्यार की उस गहराई में ले जाउन्गा जो उस ने सपने में भी नही सोची होगी. मैं ऋतु को प्यार का स्पेशल गिफ्ट देना चाहता था


मैने ऋतु के दोनो उभारो को हाथो में थाम लिया और उन्हे थोड़ा ज़ोर से मसालने लगा.


ऋतु की साँसे फूलने लगी

“आआहह जतिन, रुक जाओ…….” ऋतु ने हांपते हुवे कहा

“क्या हुवा जान अछा नही लग रहा क्या” ----- मैने पूछा


“नहीं ऐसी बात नही है, इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो” ----- ऋतु ने हल्की से आवाज़ में पूछा


“इन फूलों पर थोड़ा ज़ोर आजमाना ज़रूरी है, वरना ये खिल नहीं पाएँगे, देखो ज़ोर से मसालने पर कैसे तन गये हैं, पहले से भी बड़े नज़र आ रहें हैं” ----- मैने हंसते हुवे कहा


“तुम क्या कामसुत्रा में एक्सपर्ट हो” --- ऋतु ने पूछा

“नहीं, तुम से प्यार करने में एक्सपर्ट हूँ” ---- मैने कहा

ये कह कर मैने ऋतु के उभारो पर अपने होंटो से प्यार बरसाना शुरू कर दिया. मैं बार बार ऋतु के निपल्स को चूस रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि ऋतु के उभारो में प्रेम रस भरा हो और मैं ऋतु के निपल्स से प्रेम रस पी रहा हूँ


“क्या तुमने इन उभारो में मेरे लिए प्यार भर लिया है ऋतु” ---- मैने पूछा


“कैसी बात करते हो जतिन, मुझे शरम आ रही है, प्लीज़ ……. मुझे ऐसे मत छेड़ो” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“नहीं ऋतु छेड़ नही रहा हूँ, बस तुम्हारी झीज़ाक दूर कर रहा हूँ, अब तुम मेरी पत्नी हो और हमारा बहुत प्यारा रिस्ता बन गया है. प्यारी प्यारी बाते तो हम कर ही सकते हैं” ---- मैने कहा

“वो तो ठीक है, पर अभी नहीं, अभी मुझे…..” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा


ऋतु के चेहरे पर शरम के साथ साथ जो प्यारी सी हँसी थी उस से ये सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे प्यार में डूब चुकी है. मैं खुद ऐसा ही चाहता था. बड़ी मुश्किल से पाया था मैने वो पल ऋतु के साथ. मेरा प्यार ऋतु पर असर करने लगा था.



उभारो को मसालते हुवे मैं ऋतु के शरीर को किस करता हुवा उसकी नाभि तक पहुँच गया और उशके चारो और उसे चूमने लगा.


ऋतु मेरे नीचे थीरक्ने लगी, जैसे की वो बर्दास्त नही कर पा रही हो. पर मुझे ऋतु को बे-इंतहा प्यार देना था.

ऋतु की नाभि को किस करते करते मैं और नीचे की तरफ सरकने लगा.

अब मेरे होन्ट ऋतु की सलवार के नाडे के उपर थे

मैने नाडे को चूम लिया और उसे दांतो में दबा कर खींचने लगा

“ओह्ह जतिन आअहह…. रुक जाओ” --- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा

“क्या हुवा ऋतु” --- मैने गर्दन उठा कर पूछा

“थोड़ी देर रुक जाओ जतिन, मेरी साँसे फूल रहीं हैं” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा


“नहीं जान यहाँ रुकना ठीक नही है, प्यार की आग बहुत भड़क चुकी है, यहाँ रुके तो ये आग हमें झुलसा देगी. हमें आयेज बढ़ना होगा” ----- मैने कहा


“थोड़ी देर रूको तो जतिन” ----- ऋतु ने फिर कहा


मैने उपर आ कर ऋतु के होंटो को अपने होंटो में ले लिया और एक बहुत गहरी किस की
ऋतु की सांसो की गर्मी मुझे मेरे होंटो पर महसूष हो रही थी.


मैं जल्दी ही नीचे पहुँच गया, अब इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था, ऋतु के चेहरे से लग रहा था कि वो अब खुद को थाम नही पा रही. मैं वक्त बर्बाद नही करना चाहता था.


मैने ऋतु के नाडे को खोल कर सलवार नीचे सरका दी और बोला, “वाउ कितनी प्यारी पॅंटी है, काला रंग मुझे बहुत पसंद है”



“ओह्ह जतिन बाते मत करो….” ---- ऋतु ने कहा


मैने धीरे से पॅंटी नीचे सरका दी

चाँदनी रात में ऋतु की योनि इतनी प्यारी लग रही थी कि मुझ से रहा नही गया और मैने उसकी पंखुड़ियों को चूम लिया और चूम कर उन्हे होंटो में ले कर चूसने लगा.


“आआहह………ऊओह….. जतिन” ---- ऋतु आहें भरते हुवे गर्दन दायें बायें घुमा रही थी


“कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा


“आआहह….बर्दास्त नहीं हो रहा जतिन, प्लीज़ थोड़ी देर हट जाओ” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


मैने ऋतु की योनि को फैला कर अपनी जीभ ऋतु की योनि में डाल दी और जितनी हो सके उतनी अंदर सरका दी


“ओह्ह नो….. तुम आज मुझे मार डालोगे” ---- ऋतु ने अपनी टांगे पटकते हुवे कहा

पर मैने रुकना ठीक नही समझा, क्योंकि मुझे ऋतु को प्यार की और ज़्यादा गहराई में ले जाना था. मैं ऋतु की योनि में अपनी जीभ रगड़ता रहा और ऋतु आआहह..ऊहह करके आहें भरती रही.


चाँदनी रात में हम दोनो का प्यार एक अलग ही उँचाई छू रहा था.


मैने अब और इंतेज़ार करना ठीक नही समझा, ऋतु की साँसे बहुत तेज चल रही थी. हमारे मिलन का सही वक्त आ गया था.


मैं सलवार को उतारने लगा तो ऋतु बोली, “जतिन, रूको इसे उतारना ज़रूरी है क्या, हम खुले आसमान के नीचे हैं”

मैं समझ गया था कि ऋतु झीजक रही है. मैने जल्दी से सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और फिर पॅंटी भी धीरे धीरे नीचे सरका कर उतार दी.


मैं खुद इतना बहक चुका था कि एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था.

मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर एक तरफ फैंक दिए और ऋतु के उपर आ गया.

जैसे ही मैं ऋतु के उपर आया मेरा लिंग ऋतु की योनि से टकरा गया.

“आआहह….” ---- ऋतु के मूह से निकला


ऋतु ने अपना चेहरा अपने हाथो में ढक लिया


मैने उसके हाथो को हटाया और उशके होंटो को अपने होंटो में ले लिया.


मैने पूछा, “जान अब हम इस सफ़र के आखरी पड़ाव पर हैं. क्या तुम फाइनल राइड के लिए तैयार हो, मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि में डालने जा रहा हूँ”


“ओह्ह जतिन,……. प्लीज़ मुझ से कुछ मत पूछो, मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है,…… आइ लव यू. ले चलो मुझे जहाँ ले चलना है, मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगी” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे भावुक अंदाज में कहा



“ओके जान फस्तेन यौर सीट बेल्ट आइ आम गोयिंग टू टेक यू टू दा मून” ---- मैने कहा

“ले चलो जतिन जहाँ ले चलना है, मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे गिरने नही दोगे” ---- ऋतु ने प्यार से कहा



मैने अपने लिंग को अपने दायें हाथ में पकड़ा और ऋतु की योनि पर लगा दिया.


एक पल के लिए मेरे लिंग और ऋतु की योनि के बीच बहुत प्यारी किस हुई. मन कर रहा था कि उसी पोज़िशन में रुका रहूं.


पर किसी अंजान शक्ति ने मुझे आगे ढकैयल दिया और मेरा लिंग लगभज् आधा ऋतु की योनि में समा गया


“आआअहह…… जतिन….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


“ई लव यू टू जान” ------ मैने कहा

और ये कह कर मैने एक झटके में अपने लिंग को ऋतु की योनि में धकैल दिया. सब कुछ प्यार की मदहोशी में हो रहा था

ऋतु ने मुझे बाहों में भर लिया और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गढ़ा दिए. मुझे हल्का सा दर्द हुवा पर वो दर्द इतना प्यारा था कि मैं कह नही सकता. इस से सॉफ पता चल रहा था कि ऋतु उस पल को बहुत ज़्यादा एंजाय कर रही है. ये मेरे प्यार की जीत थी


फिर मैने बिना रुके ऋतु की योनि के अंदर अपने प्यार की हलचल शुरू कर दी. मैने प्यार का वो तूफान खड़ा कर दिया कि ऋतु ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी


“आआहह…….. जतिन थोड़ी देर रूको वरना मैं चाँद तक पहुँचने से पहले ही गिर जाउन्गि” ----- ऋतु ने कहा


“आअहह…..नहीं जान, चाँद का सफ़र बीच में रुक कर पूरा नही किया जा सकता. हाँ जान. मैं तुम्हे हारगीज़ गिरने नही दूँगा. अगर तुम गिर भी गयी तो मैं तुम्हे फिर उठा लूँगा. पर ये गाड़ी अब अपनी मंज़िल पर ही रुकेगी” ------ मैने हांपते हुवे कहा


“ऊओ……तुम बहुत बदमाश हो जतिन” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा


“तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि मैं ये खूबसूरत बदमाशी नही करूँगा” ----- मैने कहा


“आअहह……लगता है, मैने तुमसे शादी करके ग़लती कर ली है, तुम अब मुझे जींदगी भर सताओगे” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा


“आहह…हां सताउन्गा, वो भी पूरे हक़ से, आइ लव यू” ---- मैने कहा


“आइ लव यू टू जतिन, थोड़ी देर रूको ना” ----- ऋतु ने कहा

“क्या तुम्हे दर्द हो रहा है, ऋतु” ------ मैने धक्के मारते हुवे पूछा

“नहीं जतिन दर्द नहीं है, पर बर्दास्त नही हो रहा” ----- ऋतु ने कहा

“चाँद की उँचाई तक पहुँचने के लिए तुम्हे थोड़ी देर और बर्दास्त करना होगा. हम प्यार की ऐसी उँचाई की तरफ बढ़ रहें हैं जहाँ हम खो जाएँगे और परमात्मा में मिल जाएँगे” ----- मैने कहा


“ऊऊहह….तुम्हारी बाते मेरी समझ से बाहर है जातीं, प्लीज़ जल्दी ख़तम करो….आअहह” ---- ऋतु ने कहा

“मुझ पर विश्वास रखो जान, मैं इस मिलन को सेक्स से कहीं आगे ले जा रहा हूँ…..आहह” ---- मैने बिना रुके कहा


“क..क..कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा.


“प्यार के चरम पर, मुझे खुद वहाँ का रास्ता नही पता. सुना है की वहाँ भगवान रहते हैं. शायद ये प्यार हमें वहाँ ले जाए” ---- मैने कहा


मुझे खुद नही पता था कि मैं क्या कह रहा था. अपने आप मेरे दिल से कुछ ना कुछ निकल रहा था.

मैं थोड़ी देर यू ही लगा रहा. ऋतु भी थोड़ी देर कुछ नही बोली. बस पड़ी पड़ी आहें भरती रही


“आअहह……कैसा लग रहा है तुम्हे जान” ----- मैने अपनी स्पीड और बढ़ा कर पूछा


“बहुत अछा…..पर बर्दास्त नही हो रहा, अब रुक भी जाओ” ----- ऋतु ने कहा


मैने अपनी स्पीड और तेज कर दी. हम दोनो की साँसे अपने चरम पर पहुँच गयी


“बस जान…….. हम पहुँचने… ही वाले हैं, हाँ ” ---- मैने कहा और अपनी स्पीड को तूफान की गति दे दी.


और फिर अचानक मेरा प्रेम रस ऋतु के अंदर बह गया और मैं ऋतु के उपर गिर गया.
वक्त मानो ठहर गया.

अचानक मैने महसूष किया कि ऋतु सूबक रही है. मैने सर उठा कर देखा तो वो रो रही थी.


मैने पूछा, “क्या हुवा जान, मैने कुछ ग़लत किया क्या” ?


“मैं आज फिर ये सोच कर रो रहीं हूँ कि अगर भगवान को हमें ये खूबसूरत रिस्ता देना था तो हमें इतने बदसूरत रस्तो पर क्यों घुमाया. क्या हम पहले नही मिल सकते थे” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.


“दुखी मत हो जान, सुकर मनाओ कि हम आख़िर में मिल तो गये. इस जींदगी में हम दोनो बहुत नीचे गिरे थे. तुम्हारी ग़लती कम थी. मैं ही तुम्हे नीचे घसीट कर ले गया था. क्या तुम्हे ये बात पता है कि प्रकृति का एक नियम है, ‘जो बहुत नीचे गिरता है उसी की बहुत उँचा उठने की भी संभावना होती है’. न्यूटन का थर्ड लॉ भी तो यही कहता है, ‘टू एवेरी आक्षन देर ईज़ ऑल्वेज़ आन ईक्वल आंड ऑपोसिट रिक्षन’. शायद भगवान को हमें नीचे गिरा कर बहुत उपर उठाना था. देखो आज हम प्यार की एक खूबसूरत उँचाई पर खड़े हैं. यहाँ से ये दुनिया और ये जींदगी बहुत खूबसूरत नज़र आ रही है. दिल छोटा मत करो और भगवान को हमें इस मोड़ पर लाने के लिए सुक्रिया करो” ------ मैने कहा


“तुम सच में बहुत बदल गये हो जतिन” --- ऋतु ने कहा

“सब तुम्हारे प्यार का असर है जान, सब तुम्हारे कारण है”


“वैसे तुम अब बाहर निकलोगे या फिर मैं धकक्का दे कर बाहर निकालूं” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा


“तुम ही निकाल दो धक्का दे कर. मेरा तुमसे दूर जाने का मन नही है” ----- मैने कहा


“तुम एक दम दीवाने हो गये हो” --- ऋतु ने कहा

“जिसे जींदगी में इतना प्यार मिले वो भला दीवाना क्यों नही होगा” ---- मैने कहा

“जतिन तुमने अपनी डाइयरी में लीखा था कि हम बस चिंटू को रखेंगे, और बच्चो की क्या ज़रूरत है. पर क्या हम इस प्यार का फूल नही खीलाएँगे” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा


“तुम चाहती हो कि इस प्यार का फूल खीले” --- मैने ऋतु की आँखो में झाँक कर पूछा


“हां जतिन” ---- ऋतु ने कहा


“ठीक है फिर मैं दिन रात तुम्हारी ज़मीन की सींचाई कर दूँगा, देखना प्यार का बहुत प्यारा फूल खीलेगा” ---- मैने कहा


“दिन रात की ज़रूरत नही है मिस्टर… तुमने क्या मेरी जान लेने की ठान रखी है” ---- ऋतु ने कहा

“तुम्हारी जान में मेरी जान है ऋतु, आइ लव यू. तुम चिंता मत करो मेरा प्यार तुम्हे परेशान नही करेगा” --- मैने कहा


“मैं तो मज़ाक कर रही थी जतिन, तुम्हारा प्यार मेरी जींदगी है, परेशानी नही. दुबारा ऐसा मत बोलना” ---- ऋतु ने कहा


और फिर हम एक दूसरे की बाहों में खो गये और थोड़ी देर चुपचाप पड़े रहे. मैं अभी भी ऋतु के उपर था.


कब नींद आ गयी पता ही नही चला


पर जब में नींद में था तो मेरे दिल में मीठा मीठा अहसाश हो रहा था. हम दोनो का मिलन मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हो रहा था.

हमारा मिलन, देल्ही में होगा, वो भी चाँदनी रात में, मैने सोचा भी नही था. मानो कोई सपना सच हो गया हो.





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सुबह चिड़ियों की आवाज़ ने हमें उठाया. पहले मेरी आँख खुल गयी. ऋतु मेरे बाजू में सिकुड कर लटी हुई थी. हम दोनो के उपर एक पतली सी चदडार थी. कब मैं ऋतु के उपर से हटा, कब वो चदडार हमने ओधी मुझे कुछ याद नही. याद है तो बस इतना की चाँदनी रात में मैने अपनी पत्नी को पा लिया


मुंबई जाने के लिए आज शाम 6 बजे की फ्लाइट है. ऋतु कोई 10 बजे कारोल बाग अपने घर चली गयी थी. मैं उसके घर के लिए निकलने वाला हूँ. वाहा से हम दोनो एरपोर्ट के लिए निकल लेंगे


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डेट : 24-09-09

11:30 पीयेम

बहुत दर्द देखा है ऋतु ने अपनी जींदगी में, वो भी इतने कम वक्त में. बहुत हद तक मैं खुद उशके दुखो के लिए ज़िम्मेदार था.


पर आज वो बहुत खुस है. आँखे बंद करके मेरे पास ही लटी हुई है. उसे देखता हूँ तो उस पर बहुत प्यार आता है. हम अभी अभी प्यार करके हटे हैं. आज उसने प्यार करते वक्त खूब शोर मचाया. मुझे बहुत अछा लगा कि वो अब सब कुछ भुला कर इस प्यार में खो जाती है.



पीछले हफ्ते से मैने घर पर ही ऋतु को मेडिटेशन सीखाना शुरू कर दिया है. वो बड़े प्यार से सीख रही है. मेरा मकसद इस रिस्ते को एक अलग ही उँचाई तक ले जाने का है. मुझे ख़ुसी है कि ऋतु मेरा साथ दे रही है. मेडिटेशन हमारे मन को शुद्ध करके हमारे जीवन को एक नयी दिशा देती है. मेरी यही कोशिश है कि हम हर वक्त अपने मन को शुद्ध रखें और अच्छे पॉज़िटिव विचार लेकर जींदगी में आगे बढ़ें. मैने और ऋतु ने बुरे विचारो के परिणाम अपने जीवन में देखे हैं इश्लीए इस बात को अच्छे से समझते हैं


हम हर सनडे को मंदिर जाते हैं, और भगवान का सुक्रिया करते हैं की उन्होने हमें एक हसीन रिस्ता दिया है.


मेरा और ऋतु का बहुत प्यारा रिस्ता चल रहा है. हमारे रिस्ते में प्यार ही प्यार है. तकरार भी है झूठ नही बोलूँगा पर उसमे भी तो प्यार ही होता है. प्यार और तकरार साथ साथ चलते हैं. ऋतु जब रूठ जाती है तो उसे मनाने में बहुत मज़ा आता है. रूठते मनाते अक्सर हम प्यार में डूब जाते हैं.


अभी हमें एक साथ बहुत सारे चॅलेंजस का सामना करना है. चिंटू जब यहाँ आएगा तो पता नही मुझे अपनाएगा कि नही. पर ऋतु ने कल कहा था कि, “जब मैने तुम्हे प्यार कर लिया तो हमारा बेटा भी करने लगेगा”


मुझे पता है कि ये इतना आसान नही है. पर मुझे उम्मीद है कि सब कुछ ठीक होगा


मुझे अभी जींदगी में बहुत कुछ करना है. मैने एम.कॉम करेस्पॉंडेन्स शुरू कर दी है. सिविल सर्वीसज़ का अटेंप्ट भी लेने जा रहा हूँ. इस डिसेंबर में फॉर्म भर दूँगा. जब में बी.कॉम फर्स्ट एअर में था तो मैने सोचा था कि एक बार सिविल सर्वीसज़ ट्राइ करूँगा. ये चान्स लेने का अब वक्त आ गया है.


मैं और ऋतु दिल में ढेर सारा प्यार ले कर प्यार के सफ़र पर चल पड़े हैं. जो भी मुश्किलें होंगी उनका हम साथ साथ मुकाबला करेंगे.


वैसे आज शाम को हमारे बीच एक बहुत प्यारा पल आया.

हम दोनो ने एक दूसरे को सर्प्राइज़ गिफ्ट दिया और फिर कुछ ऐसा हुवा कि हम खुद को रोक नहीं पाए और भावनाओ में बह कर प्यार कर बैठे.



मुझे ऋतु साडी में बहुत प्यारी लगती है. मैं उसे येल्लो साडी में देखना चाहता था. मैने आज दोपहर को एक येल्लो सारी खरीद ली थी.



घर आते ही मैने ऋतु को साड़ी थमा दी. वो सारी देख कर चोंक गयी.

मैने पूछा, “क्या हुवा जान सारी पसंद नही आई क्या”


“नहीं बहुत प्यारी है जतिन, तुम आँखे बंद करो मुझे भी तुम्हे कुछ देना है” ---- ऋतु ने कहा

मैने आँखे बंद कर ली

ऋतु ने थोड़ी देर में कहा, “आँखे खोलो पति देव”


जैसे ही मैने आँखे खोली ऋतु ने मेरे हाथ में एक शर्ट थमा दी. वो येल्लो शर्ट थी.

“अरे तुम भी येल्लो शर्ट ले आई” --- मैने कहा

“हां इशईलिए तो मैं हैरान थी कि ये मॅचिंग कपड़े कैसे खरीद लिए हमने, वो भी बिना बात किए” ---- ऋतु ने कहा


“यही तो प्यार का चमत्कार है जान, वी आर रेआली मेड फॉर ईच अदर” ---- मैने कहा


उस पल में हम इतने मदहोश हो गये कि हमने एक दूसरे को बाहों में जाकड़ लिया और फिर हमारे बीच वो तूफ़ानी प्यार हुवा कि कह नही सकता.


सी तूफान से चकना चूर हो कर ऋतु मेरे बाजू में सो रही है और मैं इस डाइयरी का आखरी पन्ना भरने में लगा हूँ.


हमारा प्यार चाँद की उँचाई से भी कहीं आगे बढ़ गया है. शायद हम भगवान के नज़दीक पहुँच गये हैं


शायद कह रहा हूँ क्योंकि सचाई मुझे भी नही पता. पता है तो बस इतना की मैं ऋतु के प्यार में खुद को भुला चुका हूँ.

दोस्तो मैं हवश के पहाड़ के सीखर पर खड़ा था. मेरे सामने प्यार के पहाड़ का सीखर था. मुझे एक लंबी छलाँग लगानी थी. गिरने का ख़तरा था. पर मैने एक कोशिश की. और जैसी की मुझे उम्मीद थी, मैं पहुँच गया हूँ. और मुझे ख़ुसी है कि मेरे साथ साथ बहुत लोग इस पार, प्यार के सीखर पर आ गये हैं.


पर मुझे ये दुख है की मेरे कुछ दोस्त पीछे छूट गायें हैं. पर मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही यहा होंगे. उनके लिए मैं स्टोरी को थोड़ा एक्सप्लेन कर रहा हूँ.

सम एक्सप्लनेशन फॉर माइ फ्रेंड्स :-----


मेरे लिए प्यार की इस अनोखी सचाई को दीखाना बहुत मुश्किल था. पर फिर भी मैने जो हो सकता था किया. अपना दिल भी मैने स्टोरी में डाल दिया है.


और मैं समझ सकता हूँ कि कुछ लोगो को ऋतु और जतिन(बिल्लू) का प्यार समझ नही आएगा. यही बात ऋतु जतिन को स्टोरी में कह चुकी है कि , “ये दुनिया इस प्यार को कभी नही समझेगी”.


पर मैने उनका ये प्यार बनाया है इश्लीए कहीं ना कहीं ये ज़िम्मेदारी अब मुझ पर आन पड़ी है कि मैं इस प्यार को थोड़ा सा एक्सप्लेन करूँ. लेकिन ऋतु और जतिन(बिल्लू) की तरह मैं भी उनके प्यार को एक्सप्लेन नही कर सकता. फिर भी एक कोशिश करता हूँ.


ये बात मैने स्टोरी में ही क्लियर कर दी थी कि जींदगी अजीब है और कुछ बातो के कारण हम कभी नही जान सकते. मुझे तो ऋतु और जतिन(बिल्लू) का जन्मो का रिस्ता नज़र आ रहा था. ऋतु और जतिन बार बार इस बारे में बात करते हैं पर समझ नही पाते कि उन्हे प्यार क्यों है.

शायद प्यार ऐसा ही होता है. इश्को समझना मुश्किल है.

और क्या प्यार को एक्सप्लेन किया जा सकता है ??


मेरा मान-ना है,…. बिल्कुल नही.

प्यार वो ताक़त है जो बुरे से बुरे इंशान को बदल कर रख देती है फिर बिल्लू तो बचपन से ही स्पिरिचुयल था. वो बस अपनी दीदी की ट्रॅजिडी के कारण भटक गया था. ये बात स्टोरी से बिल्कुल क्लियर हो रही है. इश्लीए मैने इस बारे में और कुछ कहना ठीक नही समझा.


पर जब उसे ऋतु से प्यार हो गया तो वो सही रास्ते पर आ गया. मैने ये सभी बाते कामन सेन्स समझ कर रीडर्स के लिए छ्चोड़ दी थी. क्योंकि प्यार में बदलते हुवे हमने बहुत लोगो को देखा होगा. बिल्लू तो फिर भी एक अछा इंशान था.





और बिल्लू ने साइकल वाले का खून किया तो वो क्रिमिनल क़ानून के लिए ज़रूर बन गया, पर ऋतु के दिल में उसने अपनी एक जगह बना ली.


रही बात सिधार्थ से शादी की. उसने जो ऋतु का रेप करने की कोशिश की और ऋतु को जो बुरा भला कहा, उसे देख कर ऋतु उस से कभी शादी नही कर सकती थी. जब ऋतु जानती है कि सिधार्थ के मन में उशके लिए कैसे विचार हैं तो वो भला क्यों उस से शादी के बारे में सोचेगी, वो भी तब जब उसे सिधार्थ से प्यार ही नही है.


फ्रेंड्स, मैने 2 आछे इंशानो को छोटी सी भूल के कारण पाप में गिरते हुवे दीखाया है. पूरी कहानी गवाह है कि उन दोनो के कॅरक्टर में इस पाप के अलावा हमने और कोई कमी नही पाई.

ऋतु ने भी अपनी ग़लती स्वीकार की है और बिल्लू ने भी अपनी ग़लती स्वीकार की है और वो अपनी भूल मान कर जींदगी में आम इंशान से काफ़ी उपर उठ गये हैं और एक प्यार के बंधन में बँध गये हैं.

उनके प्यार को समझने के लिए हमें भी एक सच्ची कोशिश करनी होगी. उमीद है कि ये कोशिश हम सभी कर पाएँगे.



दोस्तो मैने आपके आगे ये एक अनोखी प्रेम कहानी रखी है. बात प्यार की है और प्यार को समझना सच में बहुत मुश्किल है. मैने फिर भी प्यार को समझाने की पूरी कोशिश की है.


पर मैं आख़िर में यही कहना चाहूँगा कि इस कहानी में हर वो कमी है जो कि एक इंशान में पाई जा सकती है. ये एक छोटा सा जीवन मैने आपके आगे रखा है. ये इमपर्फेक्ट है, और लूपहोल्स से भरा हुवा है. पर क्या हुवा ह्यूमन लाइफ की यही तो सुंदरता है, वरना तो क्या हम सब भगवान नही बन जाते.


पर इतना कुछ होते हुवे भी प्यार हम इंशानो को भगवान के करीब ले जाता है. दट ईज़ वाइ “लव ईज़ गॉड”.

तो दोस्तो इसी अहसास के साथ कहानी का एंड होता है कहानी कैसी लगी लिखना ना भूल

दोस्तो अगली कहानी प्यासी जवानी मे फिर मिलेंगे

दा एंड
समाप्त

पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्टस जरूर पढ़े

"छोटी सी भूल --01
"छोटी सी भूल --02
"छोटी सी भूल --03
"छोटी सी भूल --04
"छोटी सी भूल --05
"छोटी सी भूल --06
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"छोटी सी भूल --18
"छोटी सी भूल --19
"छोटी सी भूल --20
"छोटी सी भूल --२१

"छोटी सी भूल --22
"छोटी सी भूल --23

"छोटी सी भूल --24







आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj










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