Saturday, May 1, 2010

हिंदी कहानियाँ--एक सुहानी याद --2

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एक सुहानी याद पार्ट--2




गतान्क से आगे...........................

मैं, प्रतिभा का कहा मान के चुप चाप बिस्तेर पर ही लेटा रहा और आज शाम से जो जो घटना हुई उसके बारे मे सोचने लगा. मैं जितना सोचता उतना ही लगता कि आज की रात कभी ख़तम ना हो और मैं जी भर के प्रतिभा को चोद्ता रहूं. मैं ये भी सोच रहा था कि अब आगे क्या करना चाहिए. मैं यही सब सोच रहा था कि प्रतिभा वापिस आ गयी. प्रतिभा के हाथ मे गर्म पानी और तौलिया था और चहेरे पर एक अनोखा मुस्कान था. प्रतिभा मेरे पास बिस्तेर पर आ कर बैठ गयी और फिर तौलिए को गरम पानी मे भीगा कर पहले मेरे पूरे बदन को पोंचा और फिर मेरे लंड को रगड़ रगड़ कर गरम पानी से भीगा हुआ तौलिए से खूब अच्छी तरफ से साफ किया और फिर पानी और तौलिया रख करके मेरे बगल मे आ कर लेट गयी. सोने के बाद प्रतिभा ने मुझे अपने बाहों से लप्पेट लिया और अपना एक पैर मेरे कमर पर रख दिया. मैं तब प्रतिभा से पूछा, "रानी अब तो तुमने अच्छी तरफ से साफ सुथरा कर दिया, अब क्या इरादा है?" प्रतिभा मुझे और अपने बाहों मे लप्पेट कर हंसते हुए बोली, "राजा, आज तो तुमने मुझे स्वर्ग का पूरा पूरा आनंद दिया." फिर वो शर्मा कर मेरे कानो मे बोली, "राजा तुम्हारे चुदाई से आज मैं पहली बार एक साथ तीन तीन बार लगातार झड़ी. शादी के बाद से ऐसा कभी नही हुआ था. पता है ये तो तुमने या तुम्हारे लंड ने कोई जादू किया." मैं प्रतिभा की बातों को सुन कर हंस परा और फिर उसको चूमते हुए बोला, "मुझे पता है कि यह तुम्हारी पहली किसी मर्द के ऊपेर चढ़ कर चुदाई करना नही था, क्योंकि तुम बहुत ही सधी हुई अपनी चूत से धक्का मेरे लंड पर मार रही थी. और हां अभी तुमने बोली कि शादी बाद तुम लगातार तीन तीन बार नही झारी, इसका मतलब तुमने शादी के पहले एक साथ तीन तीन बार झड़ी हो?" मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा शरम से लाल हो गयी और बोली, "छ्चोड़ो ना ये बात. फिर कभी सुन ना मेरे शादी के पहले वाली बातें’ और इतना बोल प्रतिभा मेरे सीने मे अपना चहेरा छुपा ली. मैं फिर मुस्कुराते हुए प्रतिभा से बोला, "ठीक है, लेकिन अब यह बताओ की तुम्हारे पास अब और कोई शरारत बची है की नही?"

प्रतिभा तब मेरे सीने मे अपना चहेरा उठाते हुए कुछ हिचकिचाते बोली, "राजा, क्या मैं तुम्हारा इसको धीरे धीरे खरा होना देख सकती हूँ? मुझे इसका धीरे धीरे खरा होना देखने मे बहुत अक्च्छा लगता है." मैं तब प्रतिभा की नंगी पीठ और चूतरों पर फेरते हुए बोला, "ज़रूर मेरे रानी. आज के लिए मेरा लंड तुम्हारी है. तुम इससे जैसे चाहो खेल सकती हो. तुम चाहो तो इसको अपने हाथों से खरा कर सकती हो या फिर इसे अपने मुँह ने लेकर चूस चूस कर खड़ा कर सकती हो." प्रतिभा मेरे बातों को सुन कर अपने आप को कोहोनी के बल उठा कर मुझसे बोली, "हाई मेरे राजा! तुमने अभी अभी जो कुछ भी बोला, मैं वो सब के सब करना चाहती हूँ." फिर थोरी से नीचे झुक कर मेरे लंड को गौर से देखने लगी. थोरी देर देखने के बाद बोली, "मैं अब तुम्हारे लंड को ठीक से देखी. पहले तो मौका ही नही मिला ठीक से देखने के लिए" इतना बोल कर प्रतिभा ज़ोर से हंस परी. फिर मेरे लंड को देखते हुए प्रतिभा मुँझसे बोली, "लगता है कि तुम्हारे लंड मे अभी काफ़ी दम कम है और तुम अभी भी शरारत करने के लिए तायर हो. चलो अब तुम ठीक तरीके से सो जाओ." इतना बोल कर प्रतिभा मुझे हाथ से पकर कर बिस्तेर के ठीक बीचो बीच लेटा दिया. फिर प्रतिभा एक झटके के साथ मेरे ऊपेर आ कर मेरे छाती पर बैठ गयी अब उसका मुँह मेरे पैरों की तरफ था. मेरे ऊपेर बैठ करके प्रतिभा कुछ देर तक मेरे लंड से खेलती रही और फिर वो मेरे ऊपेर लेट गयी. अब प्रतिभा का मुँह मेरे लौदे पर था और मेरे मुँह के पास उसकी चूत थी. मेरे ऊपेर लेटने के प्रतिभा थोरी देर और मेरे लॉड और मेरे अंडों के साथ खेलती रही और फिर मुझसे बोली, "राजा, अब तुम मेरी चूत को और मैं तुम्हारे लंड को अच्छी तरफ से देख लूँगी और उसका स्वाद भी ले लूँगी. ठीक है ना?" मैं प्रतिभा की नंगी चूतरों को सहलाते हुए बोला, "मेरी रानी, तुमने तो मेरे मन की बात बोल दी. मैं सोच ही रहा था कि जो चूत चोदने मे इतना मज़ा आया उसेका रस कितना मीठा होगा. मैं तो कब से तुम्हारी रसीली चूत का रस का स्वाद लेना चाहता हूँ." प्रतिभा मेरे बातों को सुन कर बहुत खुश हो गयी और अपने आप को मेरे ऊपेर ठीक से सेट करने के बाद वो मेरे लंड को अपने हाथों मे ले लिया. थोरी देर तक प्रतिभा मेरे लंड के सूपदे को खोली आंड बंद की. बीच बीच मे वो सूपदे को चूम भी रही थी. थोरी देर के प्रतिभा ने अपना मुँह खोल कर मेरे सुपरे को मुँह के अंदर कर लिया और हल्के हल्के चूसना शुरू कर दिया. थोरी देर के बाद प्रतिभा मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और कभी कभी वो मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल कर अपने जीव से चाटने भी लगी. प्रतिभा कभी कभी मेरे सुपरे को अपने आँखो से लगती या फिर उसे अपने मुँह से निकाल कर अपने गालो पर रगर्ती. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रतिभा को कोई अच्छा सा खिलोना मिल गयी हो. कभी कभी प्रतिभा मेरे झांतो से खेल रही थी.

इधर मैने उसके चूत को देखा झांट के बालो के बावजूद उसकी गुलाबी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी. चूत का लाल छेद अभी मेरे मोरे लंड से चुद्वने के कारण थोड़ा सा खुला हुआ लग रहा था लेकिन चूत बड़ी नशीली थी. मैने पहले उसे चूमा और फिर उसके चूत के दाने को होंटो मे दबा लिया इससे प्रतिभा को मज़ा आने लगा.. फिर मैने अपनी जीभसे उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.. उसकी गांद भी बड़ी प्यारी थी और उसका छेद भी लाली लिए हुए था. मैने वहाँ भी जीभ लगाई फिर मैने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत मे घुसेड दी और गोल गोल घूमने लगा.. उसकी चूत गीली होने लगी और मीठा नमकीन स्वाद मुझे मिलने लगा. बीच बीच मे मैं जीभ से उसकी चूत की चुदाई भी करता जाता था.

थोरी देर के बाद मुझे लगा कि प्रतिभा के सारे बदन मे कांप कंपी लगी हो. मैने पलंग के पैरों के पास शीशे मे देखा तो पाया की प्रतिभा मेरे लंड अपने आँखो के सामने रख कर मंद मंद मुस्कुरा रही है. ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रतिभा के दिमाग़ के अंदर कुछ हुलचल मचा हुआ हो. लेकिन प्रतिभा मेरे लंड को पकर कर मुस्कुराती रही. थोरी देर के बाद फिर से मेरे लॉड को पकर कर अपने मुँह मे घुसेर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. प्रतिभा जैसे जैसे मेरे लंड को चूस रही थी उसके मुँह से घुटि घुटि आवाज़ निकल रही थी. तब मैं अपने हाथों से प्रतिभा की चूत को खोल कर उसकी खुली चूत पर एक लुंबी चुम्मा जड़ दिया. मेरे चुममे के साथ ही प्रतिभा की शरीर एक बार फिर से कांप उठी. मैं तब अपना जीव निकल कर प्रतिभा की चूत को ऊपेर से चाटना शुरू किया और धीरे धीरे अपना जीव को प्रतिभा की चूत के अंदर डालना चालू किया. मेरे जीव जैसे ही प्रतिभा की चूत के छेद के अंदर गया तो प्रतिभा ओह! ओह! आह! आह! कर उठी और वो बोलने लगी, "है मेरे राजा चूसो चूसो मेरी चूत को. आज के पहले किसीने मेरे बुर को ना तो चटा है और नही चूसा है. बहुत अच्छा लग रहा है. तुम वाकई मे कोई भी औरत के कैसे खुश किया जाता है बहुत अच्छी तरह से जानते हो. है मुझे एक नशा सा छा रहा है." इतना बोल कर प्रतिभा फिर से मेरे लौरे को अपने मुँह मे डाल कर चूसने लगी. अब तक चूसा से प्रतिभा की चूत ने मीठा मीठा पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया था और मैं अपने जीव से प्रतिभा की चूत खूब ज़ोर ज़ोर से चॅट रहा था और चूस रहा था. अब मेरा लंड का सुपरा बहुत फूल गया था और उसको प्रतिभा अपने मुँह के अंदर डालने मे कुछ दिक्कत महसूस कर रही थी और इसलिए वो लंड को अपने हाथ से पकर कर चॅट रही थी.

मुझसे अब नही रहा गया और मैं प्रतिभा की चूत को अपने होठों से चूमने के बाद उसको धीरे धीरे चाटना शुरू किया. जैसे ही मेरा जीव प्रतिभा की चूत के छेद को छुआ तो प्रतिभा मानी पागला गयी और ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह पर अपनी चूत रगार्ने लगी और बोली, "हाई मेरे चोदु राजा, क्या कर रहे हो. इतना धीरे धीरे क्यों चट रहे हो मेरी चूत को? ज़ोर ज़ोर से चटोना मेरी चूत. देखो उसमे से कितना ढेर सारा रस रिस रिस कर निकल रहा है. मेरी चूत की छेद मे अपना जीव घुसा कर चूसो मेरी चूत को." अब मैं भी गरम ही गया था और प्रतिभासे बोला, "हाई, मेरी चुड़दकर रानी, क्या चूत है तुम्हारी. मन करता है जैसे की इसको कच्चा ही चबा जाऊं. बहुत ही रसीला चूत है तुम्हारी. इतना रस कहाँ छुपा रखती थी अपनी चूत के अंदर? मुझे तुम्हारी चूत देख कर लग रहा है कि अब तक तू ठीक तरीके से चूड़ी नही. तेरे चूत का छेद अभी पूरा का पूरा खुला नही है." मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा अपने मुँह से मेरे लंड को निकालते हुए बोली, "हाई मेरे चोदु, तुमने ठीक ही कहा है. मैं शादी के बाद से अभी तक ठीक से नही चूड़ी हूँ. क्या करूँ मेरे पति का लंड बहुत छोटा है और वो चूत मे घुसने के पहीले ही झाड़ जाता है. आज तुम मेरी चूत को चोद चोद कर उसका भुर्ता बना दो. मेरी चूत को अपने लंड के धक्को से भोसरा बना दो. हाई, क्या मस्त कर दिया है तुमने मुझे. तुम्हारी बीवी तुमसे बहुत खूस रहती होगी और क्यों ना हो उसे रोज रात को इस लंड से उसकी चूत खूब चुद्ती है." इतना बोलने के बाद प्रतिभा ने फिर से मेरा लंड अपने मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया. अब मेरा लंड इतना तन कर अकड़ रहा था कि मेरे लंड मे दर्द सा होने लगा. मैं तब प्रतिभा से बोला, "ओह मेरी रानी, तुम्हारा खेल ख़तम हो गया हो तो अब मैं तुम्हे फिर चोदना चाहता हूँ. अब चलो मेरे बगल मे अपने पैरों को फैला कर लेट जाओ और मैं तुम्हारे ऊपेर चढ़ कर तुम्हे चोद्ता हूँ." "नही अभी नही, मुझे अभी और थोड़ी देर तक तुम्हारा लंड चूसना है. मुझे लंड चूसने मे बहुत मज़ा आ रही है, प्लीज़ थोरी देर और रूको ना?" प्रतिभा मुझसे बोली. मैं तब प्रतिभा से बोला, "आरे मेरी चुदसी रानी, मान जाओ. नही तो मैं तुम्हारे मुँह मे ही झार जौंगा और तुम्हारी चूत प्यासी रहा जाएगी. चलो अब उठो और मुझे तुम्हरे चूत के अंदर अपना लंड डाल कर चोदने दो." तब प्रतिभा मेरे ऊपेर से उठते हुए बोली, "ठीक है, अभी तुम मुझे चोद लो, लेकिन अगली बार मैं तुम्हारे लंड को खूब चुसूंगई और तुम्हारे लंड पीउनगी, समझे मेरे राजा?"

अब प्रतिभा मेरे बगल मे अपने पीठ के बल लेट गयी और अपने पैरों को फैला कर अपने हाथों से पकर लिया और बोली, "अब आओ ना, क्यों देर लगा रहे हो? अभी तो बहुत चुदस छारही थी अब क्या हो गया है? देखो मैं अपनी चूत खोल कर लेटे हुई हूँ, अब आओ और मुझे रगड़ कर एक रंडी के तरह चोदो." मैं प्रतिभा की चुदसी को देख कर बहुत गरम हो गया और प्रतिभा से बोला, "रूको मेरी छीनाल रानी, अभी मैं तेरी चूत को मेरे लंड से चोद चोद कर भोसरा बनाता हूँ. आज तुम्हारी चूत की खैर नही. आज तुम्हारी चूत इतनी चूड़ेगी की कल सुबह तुम ठीक से चल नही पाओगी और तब तुम्हे देख कर सारे के सारे लोग समझ जएब्गे की तुम्हारी चूत मे कोई लंबा और मोटा लंड खूब पेला गया है." प्रतिभा मेरे बतो को सुन कर बोली, "आरे यार कल की कल देखी जाएगी, आज तो मुझे जी भर कर अपनी चूत चुद्वने दो. चलो अब ज़्यादा बातें नही आब जो भी बात करनी है मेरे ऊपेर चढ़ कर अपने लंड से मेरी चूत से कहो." इतना सुनने के बाद मैं झट से प्रतिभा के ऊपेर चढ़ गया और अपने दोनो हाथों से उसकी दोनो चूनचेओं को पकड़ कर मसल्ते हुए प्रतिभा से बोला, "आरे मेरे लंड की रानी, ज़रा अपने नज़ूक हाथों से मेरा लंड को अपने चूत के छेद से भीरा दो, प्लीज़." मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा मेरे लंड को अपने हाथों से पकर अपने चूत के छेद से भीरा दिया और बोली, "लो मेरे चूत के राजा, अभी तुम जो भी बोलॉगे मुझे सब मंजूर है, बस जल्दी से मेरे चूत मे अपना मोटा और लंबा लंड पेल कर मुझे रगड़ रगड़ कर चोदो और चोदो और चोदो. जब तक मैं चिल्ला चिल्ला कर रुकने के लिए ना कहूँ तुम मुझे बस चोदो."

अब मैं भी चुप ना रहा और जैसे ही प्रतिभा ने मेरे लंड को अपने चूत से लगाया मैं अपना कमर को एक झटके के साथ हिला कर उसकी चूत मे अपना लंड पूरा जड़ तक पेल दिया. प्रतिभा एकाएक चिल्ला उठी, "हाई! मार डाला तुमने. एह क्या कोई रंडी की चूत है जो एक साथ पूरा का पूरा लंड घुसेड दिया, ज़रा धीरे धीरे चोदो ना, मैं कोई भागी जा रही हूँ क्या?" मैं तब धीरे धीरे धक्का मारते हुए बोला, "माना की एह कोई रंडी की चूत नही है, लेकिन एह एक छीनाल की चूत तो है, जो अपने पति के अलावा दूसरे मर्द से अपनी चूत चुदवा रही है." मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा तिलमिला उठी और मुझ से बोली, " अगर मैं छीनाल हूँ तो तुम क्या हो? तुम भी तो अपनी बीवी की चूत छ्चोड़ कर दूसरे औरत की चूत मे मूँह दिए परे हो? अक्च्छा चलो हम दोनो ही गंदे हैं और हुमलोगों को अपना गंदा काम भी पूरा कर लेना चाहिए." तब मैं भी प्रतिभा के बातों को मान कर उसको अपना कमर चला चला कर चोदने लगा और अपने दोनो हाथों से उसकी चूनचेओंको मसल्ने लगा. मेरी चुदाई से प्रतिभा की चूत और गीली हो गयी और वो ओह! ओह! आह! आह! करने लगी और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे लंड से चुदवाने लगी. थोड़ी देर नीचे लेट कर चूत चुदवाने के बाद प्रतिभा बोली, "हाई मेरे चूत के राजा, बरा मज़ा आ रहा है. ज़रा और थोरा तेज तेज धक्के मारो, नही मेरी चूत की चईटियाँ नही जाएँगी. ओह! ओह! हां! हां! उईईईई आहह ऐसी ही आने दो तुम्हारे लंड मेरी चूत के अंदर तक. जब तक ना लंड अंदर जा कर बcचेदानि पर ठोकर ना मारे तो चूत चुदवाने वाली को पूरा मज़ा नही आती." मैं भी प्रतिभा के बातों को मान अपना थोरा ऊपेर खींच कर अब ज़ोर ज़ोर धक्को के साथ चोदने लगा. थोरी देर ऐसे तेज़ी के साथ चोदने के बाद मैं प्रतिभा से पूछा, "क्यो मेरी जानेमन, अच्छा लगा रहा है मेरे लंड के धक्के. कैसा लग रहा है तुम्हारी चूत को? क्या तुम्हारे पति भी भी तुम्हे ऐसे ही चोद्ता है रोज रात और दिन को?" मेरे बातों को सुन कर प्रतिभा मुस्कुरा दी और बोली, "हाई मेरे चोदु राजा, बहुत मज़ा आ रही है. सच पूछो तो आज मेरी चूत पूरी तरीके से और कयडे से चूडी है. हां तुमने मेरे आदमी के बारे मे पूछा, तो वो साला बिल्कुल गन्दू है. वो तो साला बीवी की चूत छोर कर नौकरों से अपनी गंद मरवाता है या उनकी गंद मे अपना लंड पेलता है. उस साले मदेर्चोद को क्या मालूम चूत क्या होता है और उसकी चुदाई कैसे की जाती है. अच्छा अब बहुत बातें हो गया है, अब ज़रा मन लगा कर मेरी चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेलो. मैं झड़ने वाली हूँ." मैं तब ज़ोर ज़ोर से प्रतिभा की चूत मे अपना लंड पेलने लगा और फिर प्रतिभा को चूम कर मैने उससे पूछा, "मेरी जान, मुझे एक बात समझ मे नही आया और एह की जितना तुम्हारी चूत शानदार है उतना तुम्हारे जवान गंदी है. कहाँ से सीखी इतनी गंदी गंदी गाली?" प्रतिभा तब नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत मे पिलवाते हुए बोली, "आरे छोड़ो भी अब एह सब बातें, बाद मे सुनना अब तो बस थोरी देर मेरे को रगर कर चोदो. बस अभी कोई बात नही, मैं झरने वाली हूँ." "ठीक है, फिर संभलो अपनी चूत को और देखो मैं तुम्हारी चूत का क्या हाल बनाता हूँ" और मैं पिल पड़ा प्रतिभा की चूत मे.
क्रमशः......................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा
एक सुहानी याद पार्ट -1
एक सुहानी याद पार्ट -2
एक सुहानी याद पार्ट -3
एक सुहानी याद पार्ट -4



EK SUHANI YAAD paart--2

gataank se aage..........................
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Mai, Pratibha ka kaha man ke chup chap bister par hi leta raha aur aaj sham se jo jo ghatnai huee uske bare me sochne laga. Mai jitna sochta utna hi lagta ki aaj ki raat kabhi khatam na ho aur mai ji bhar ke Pratibha ko chodta rahoon. Mai ye bhi soch raha tha ki ab aage kya karna chahiye. Mai yehi sab soch raha tha ki Pratibha wapis aa gayee. Pratibha ke hath me garm pani aur tauliya tha aur chehere par ek anokha muskan tha. Pratibha mere pas bister par aa kar baith gayee aur phir tauliye ko garam pani me bhiga kar pahale mere pure badan ko ponchee aur phir mere lund ko ragad ragad kar garam pani se bhiga hua tauliye se khoob achhee taraf se saf kiya aur phir pani aur tauliya rakh karke mere bagal me aa kar let gayee. Sone ke bad Pratibha ne mujhe apne bahon se lappet liya aur apna ek pair mere kamar par charha diya. Mai tab Pratibha se pucha, "rani ab to tumne achhee taraf se saf suthra kar diya, ab kya irada hai?" Pratibha mujhe aur apne bahon me lappet kar hanste hue boli, "raja, aaj to tumne mujhe swarg ka pura pura anand diya." Phir wo sharma kar mere kano me boli, "raja tumhare chudai se aaj mai pahali bar ek sath teen teen bar lagatar jhadi. Shadi ke bad se aisa kabhi nahi hua tha. Pata hai ye to tumne ya tumhare Lund ne koi jadoo kiya." Mai Pratibha ki baton ko sun kar hans para aur phir usko chumte huye bola, "mujhe pata hai ki yeh tumhari pahali kisi mard ke ooper chad kar chudai karna nahi tha, kyonki tum bahut hi sadhee huee apni choot se dhakka mere lund par mar rahi thee. Aur haan abhi tumne boli ki shadi bad tum lagatar teen teen bar nahi jharee, iska matlab tumne shadi ke pahale ek sath teen teen bar jhadi ho?" Mere baton ko sun kar Pratibha sharam se lal ho gayee aur boli, "chhodo na ye bat. Phir kabhi sun na mere shadi ke pahale wali baten’ aur itna bol Pratibha mere seene me apna chehera chupa lee. Mai phir muskurate hue Pratibha se bola, "Theek hai, lekin ab yeh batao ki tumhare pas ab aur koi shararat bachee hai ki nahi?"

Pratibha tab mere seene me apna chehera uthate hue kuch hichkichate boli, "raja, kya mai tumhara isko dhire dhire khara hona dekh saktee hoon? Mujhe iska dhire dhire khara hona dekhne me bahut acchha lagta hai." Mai tab Pratibha ki nangee peeth aur chutaron par pherte hue bola, "jaroor mere rani. Aaj ke liye mera Lund tumhari hai. Tum isse jaise chaho khel saktee ho. Tum chaho to isko apne hathon se khara kar saktee ho ya phir ise apne munh ne lekar choos choos kar khada kar saktee ho." Pratibha mere baton ko sun kar apne aap ko kohonee ke bal utha kar mujhse boli, "hai mere raja! Tumne abhi abhi jo kuch bhi bola, mai wo sab ke sab karna chahatee hoon." Phir thori se neeche jhuk kar mere lund ko gaur se dekhne lagi. Thori der dekhne ke bad boli, "mai ab tumhare lund ko theek se dekhee. Pahale to mauka hi nahi mila theek se dekhne ke liye" itna bol kar Pratibha jor se hans pari. Phir mere lund ko dekhte hue Pratibha munjhse boli, "lagta hai ki tumhare lund me abhi kafee dum khum hai aur tum abhi bhi shararat karne ke liye tayar ho. Chalo ab tum theek tareeke se so jao." Itna bol kar Pratibha mujhe hath se pakar kar bister ke theek beecho beech leta diya. Phir Pratibha ek jhatke ke sath mere ooper aa kar mere chatee par baith gayee ab uska munh mere pairon ki taraf tha. Mere ooper baith karke Pratibha kuch der tak mere Lund se kheltee rahi aur phir wo mere ooper let gayee. Ab Pratibha ka munh mere laude par tha aur mere munh ke pas uski choot thee. Mere ooper letne ke Pratibha thori der aur mere laude aur mere andon ke sath kheltee rahi aur phir mujhse boli, "raja, ab tum meri choot ko aur mai tumhare lund ko achhee taraf se dekh lungee aur uska swad bhi le loongee. Theek hai na?" Mai Pratibha ki nangee chutaron ko sahalate hue bola, "meri rani, tumne to mere man ki bat bol dee. Mai soch hi raha tha ki jo choot chodne me itna maza aaya useka ras kitna meetha hoga. Mai to kab se tumharee rasili choot ka ras ka swad lena chahata hoon." Pratibha mere baton ko sun kar bahut khush ho gayee aur apne aap ko mere ooper theek se set karne ke bad wo mere lund ko apne hathon me le liya. Thori der tak Pratibha mere Lund ke supade ko kholi and band kee. Beech beech me wo supade ko chum bhi rahi thee. Thori der ke Pratibha ne apna munh khol kar mere supare ko munh ke andar kar liya aur halke halke chusna shuru kar diya. Thori der ke bad Pratibha mere Lund ko jor jor se chusne lagi aur kabhi kabhi wo mere lund ko apne mung se nikal kar apne jeev se chatne bhi lagi. Pratibha kabhi kabhi mere supare ko apne ankho se lagati ya phir use apne munh se nikal kar apne galo par ragartee. Mujhe aisa lag raha tha ki jaise Pratibha ko koi achha sa khilona mil gayee ho. Kabhi kabhi Pratibha mere jhanto se khel rahi thee.

Idhar maine uske choot ko dekha jhant ke baalo ke bawjood uski gulabi choot badi pyaari lag rahi thi. Choot ka laal ched abhi mere more Lund se chudwane ke karan thoda sa khula hua lag raha tha lekin choot badi nasheeli thi. Maine pehale use chooma aur fir uske choot ke daane ko honto me daba liya isase pratibha ko maja ane laga.. fir maine apni jeebhse uski choot ko chatna shuru kar diya.. uski gaand bhi badi pyari thi aur uska ched bhi lali liye huye tha. Maine wahan bhi jeebh lagayi fir maine apani jeebh kadi karke uski choot me ghused di aur gol gol ghumane laga.. uski choot gili hone lagi aur meetha namkeen swaad mujhe milne laga. Beech beech me mai jeebh se uski choot ki chudayi bhi karta jata tha.

Thori der ke bad mujhe laga ki Pratibha ke sare badan me kamp kampee lagi ho. Maine palang ke pairon ke pas shishe me dekha to paya ki Pratibha mere Lund apne ankho ke samne rakh kar mand mand muskura rahi hai. Aisa lag raha tha ki jaise Pratibha ke dimag ke andar kuch hulchal macah hua ho. Lekin Pratibha mere lund ko pakar kar muskuratee rahi. Thori der ke bad phir se mere laude ko pakar kar apne munh me ghuser liya aur jor jor se chusne lagi. Pratibha jaise jaise mere Lund ko chus rahi thee uske munh se ghuti ghuti awaj nikal rahi thee. Tab mai apne hathon se Pratibha ki choot ko khol kar uski khuli choot par ek lumbi chumma jad diya. Mere chumme ke sath hi Pratibha ki sharir ek bar phir se kamp uthee. Mai tab apna jeev nikal kar Pratibha ki choot ko ooper se chatna shuru kia aur dhire dhire apna jeev ko Pratibha ki choot ke andar dalna chalu kia. Mere jeev jaise hi Pratibha ki choot ke ched ke andar gaya to Pratibha Oh! Oh! Ah! Ah! Kar uthee aur wo bolne lagi, "hai mere raja chuso chuso meri choot ko. Aaj ke pahale kisine mere bur ko na to chata hai aur nahi chusa hai. Bahut achcha kag raha hai. Tum wakai me koi bhi aurat ke kaise khush kiya jata hai bahut achhee tarah se jante ho. Hai mujhe ek nasha sa cha raha hai." Itna bol kar Pratibha phir se mere laure ko apne munh me dal kar chusne lagi. Ab tak chusai se Pratibha ki choot ne meetha meetha pani chhodna shuru kar diya tha aur mai apne jeev se Pratibha ki choot khoob jor jor se chat raha tha aur choos raha tha. Ab mera Lund ka supara bahut phool gaya tha aur usko Pratibha apne munh ke andar dalne me kuch dikkat mahasoos kar rahi thee aur isliye wo lund ko apne hath se pakar kar chat rahi thee.

Mujhse ab nahi raha gaya aur mai Pratibha ki choot ko apne hothon se chumne ke bad usko dhire dhire chatna shuru kiya. Jaise hi mera jeev Pratibha ki choot ke ched ko cua to Pratibha mani pagla gayee aur jor jor se mere munh par apni choot ragarne lagi aur boli, "hai mere chodu raja, kya kar rahe ho. Itna dhire dhire kyon chat rahe ho meri choot ko? Jor jor se chatona meri choot. Dekho usme se kitna dher sara ras ris ris kar nikal raha hai. Meri choot ki ched me apna jeev ghusa kar chuso meri choot ko." Ab mai bhi garam hi gaya tha aur Pratibha bola, "hai, meri chuddakar rani, kya choot hai tumhari. Man karta hai jaise ki isko kaccha hi chaba jaoon. Bahut hi rasila choot hai tumhari. Itna ras kahan chupa rakhtee thi apni choot ke andar? Mujhe tumhari choot dekh kar lag raha hai ki ab tak tu theek tarike se chudi nahi. Tere choot ka ched abhi pura ka pura khula nahi hai." Mere baton ko sun kar Pratibha apne munh se mere lund ko nikalte hue boli, "hai mere chodu, tumne theek hi kaha hai. Mai shadi ke bad se abhi tak theek se nahi chudi hoon. Kya karoon mere pati ka Lund bahut chota hai aur wo choot me ghusne ke pahile hi jhad jata hai. Aaj tum meri choot ko chod chod kar uska bhurta bana da. Meri choot ko apne lund ke dhakko se bhosra bana do. Hai, kya mast kar diya hai tumne mujhe. Tumhari biwi tumse bahut khoos rahati hogi aur kyon na ho use roj rat ko is lund se uski choot khoob chudtee hai." Itna bolne ke bad Pratibha ne phir se mera Lund apne munh me bhar kar choosna shuru kar diya. Ab mera Lund itna tan kar akar raha tha ki mere lund me dard sa hone laga. Mai tab Pratibha se bola, "Oh meri rani, tumhara khel khatam ho gaya ho to ab mai tumhe phir chodna chahata hoon. Ab chalo mere bagal me apne pairon ko faila kar let jao aur mai tumhare ooper chad kar tumhe chodta hoon." "Nahi abhi nahi, mujhe abhi aur thodi der tak tumhara lund chusna hai. Mujhe lund chusne me bahut maza aa rahi hai, please thori der aur ruko na?" Pratibha mujhse boli. Mai tab Pratibha se bola, "aare meri chudasi rani, man jao. Nahi to mai tumhare munh me hi jhar jaunga aur tumharee choot pyasee raha jayegee. Chalo ab utho aur mujhe tumhre choot ke andar apna lund dal kar chodne do." Tab Pratibha mere ooper se uthte hue boli, "theek hai, abhi tum mujhe chod lo, lekin agali bar mai tumhare Lund ko khoob chusungee aur tumhare lund piungee, samajhe mere raja?"

Ab Pratibha mere bagal me apne peeth ke bal let gayee aur apne pairon ko faila kar apne hathon se pakar liya aur boli, "ab aao na, kyon der laga rahe ho? Abhi to bahut chudas charhee thee ab kya ho gaya hai? Dekho mai apni choot khol kar letee huyee hoon, ab aao aur mujhe ragad kar ek randee ke tarah chodo." Mai Pratibha ki chudasi ko dekh kar bahut garam ho gaya aur Pratibha se bola, "ruko meri chinal rani, abhi mai teri choot ko mere lund se chod chod kar bhosra banata hoon. Aaj tumhari choot ki khair nahi. Aaj tumharee choot itani chudegee ki kal subah tum theek se chal nahi paogee aur tab tumhe dekh kar sare ke sare log samajh jayebge ki tumharee choot me koi lamba aur mota lund khoob pela gaya hai." Pratibha mere bato ko sun kar boli, "aare yaar kal ki kal dekhee jayegee, aaj to mujhe jee bhar kar apni choot chudwane do. Chalo ab jyada baten nahi aab jo bhi bat karnee hai mere ooper char kar apne lund se meri choot se kaho." Itna sunne ke bad mai jhat se Pratibha ke ooper char gaya aur apne dono hathon se uski dono chuncheon ko pakar kar masalte hue Pratibha se bola, "aare mere lund ki rani, jara apne nazook hathon se mera lund ko apne choot ke ched se bhira do, please." Mere baton ko sun kar Pratibha mere lund ko apne hathon se pakar apne chhot ke ched se bhira diya aur boli, "lo mere choot ke raja, abhi tum jo bhi bologe mujhe sab manjoor hai, bas jaldee se mere choot me pana mota aur lamba lund pel kar mujhe ragad ragad kar chodo aur chodo aur chodo. Jab tak mai chilla chilla kar rukne ke liye na kahoon tum mujhe bas chodo."

Ab mai bhi chup na raha aur jaise hi Pratibja ne mere lund ko apne choot se lagaya mai apna kamar ko ek jhatke ke sath hila kar uski choot me apna lund pura jad tak pel diya. Pratibha ekaek chilla uthee, "hai! Mar dala tumne. Eh kya koi randee ki choot hai jo ek sath pura ka pura lund ghused diya, Jara dhire dhire chodo na, mai koi bhagee ja rahi hoon kya?" Mai tab dhire dhire dhakka marte hue bola, "mana ki eh koi randee ki choot nahi hai, lekin eh ek chinal ki choot to hai, jo apne pati ke alawa dusre mard se apni choot chudwa rahi hai." Mere baton ko sun kar Pratibha tilmila uthee aur mujh se boli, " agar mai chinal hoon to tum kya ho? Tum bhi to apni biwi ki choot chhod kar dusre aurat ki choot me moonh diye pare ho? Acchha chalo hum dono hi gande hain aur humlogon ko apna ganda kam bhi pura kar lena chahiye." Tab mai bhi Pratibha ke baton ko man kar usko apna kamar chala chala kar chodne laga aur apne dono hathon se uski chuncheonko masalne laga. Meri chudai se Pratibha ki choot aur gili ho gayee aur wo Oh! Oh! Ah! Ah! Karne lagi aur neeche se apni kamar utha utha kar apni choot ko mere lund se chudwane lagi. thodi der neeche let kar choot chudwane ke bad Pratibha boli, "hai mere choot ke raja, bara maza aa raha hai. Jara aur thora tej tej dhakke maro, nahi meri choot ki chitiyan nahi jayengee. Oh! Oh! Haan! Haan! Ueeeeeeeeeee aahhhhhhhhhhh aisee hi ane do tumhare Lund meri choot ke andar tak. Jab tak na lund andar ja kar bacchedani par thokar na mare to choot chudwane wali ko pura maza nahi aatee." Mai bhi Pratibha ke baton ko man apna thora ooper kheench kar ab jor jor dhakko ke sath chodne laga. Thori der aise tejee ke sath chodne ke bad mai Pratibha se picha, "kyo meri janeman, achcha laga raha hai mere lund ke dhakke. Kaisa lag raha hai tumharee choot ko? Kya tumhare pati bhi bhi tumhe aise hi chodta hai roj rat aur din ko?" Mere baton ko sun kar Pratibha muskura dee aur boli, "hai mere chodu raja, bahut maza aa rahi hai. Such pucho to aaj meri choot puri tarike se aur kayde se chudi hai. Haan tumne mere admi ke bare me pucha, to wo sala bilkul gandu hai. Wo to sala biwi ki choot chor kar naukaron se apni gand marwata hai ya unkee gand me apna lund pelta hai. Us sale maderchod ko kya malum choot kya hota hai aur uskee chudai kaise kee jatee hai. Achcha ab bahut baten ho gaya hai, ab jara man laga kar meri choot me apna lund jor jor se pelo. Mai jhadne wali hoon." Mai tab jor jor se Pratibha ki choot me apna lund pelne laga aur phir Pratibha ko chum kar maine usse pucha, "meri jan, mujhe ek bat samajh me nahi aya aur eh ki jitna tumharee choot shandar hai utna tumhare jawan gandee hai. Kahan se sikhee itnee gandee gandee gali?" Pratibha tab neeche se apni kamar utha utha kar mere Lund ko apni choot me pilwate hue boli, "aare choro bhi ab eh sab baten, bad me sunna ab to bas thori der mere ko ragar kar chodo. Bas abhi koi bat nahee, mai jharne wali hoon." "Theek hai, phir sambhalo apni choot ko aur dekho mai tumharee choot ka kya hal banat hoon" aur mai pil para Pratibha ki choot me.











आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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`·.¸.·´ -- raj













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