मस्त मेनका पार्ट--2
गतान्क से आगे................
जब से राजा साहब ने अपनी कंपनियो.का कॉर्पोरेटिसेशन करना प्लान किया उनके पास पार्ट्नर्स बनाने के लिए कई लोग आने लगे.बस यही जब्बार को उनके किले मे सेंध लगाने का मौका मिल गया.उसने कुच्छ लोगों को बहुत अट्रॅक्टिव ऑफर के साथ राजा साहेब के पास भेजा.बड़ी चालाकी से उसने अपना नाम सामने ना आने दिया पर राजकुल ग्रूप की खुसकिस्मती की उसके भेजे प्यादों मे से 1 के मुँह से नशे मे कहीं उसका नाम निकल गया & राजा साहब सचेत हो गये.
अब तो जर्मन कंपनी. & अमेरिकन कंपनी. से बातें ऑलमोस्ट फाइनल हो गयी थी.
आइए वापस चले दोनो के पास.
"जब्बार तो लगता है सबक सीख कर शांत हो गया सर."
"नही,सेशाद्री साहब दुश्मन को कभी कम नही आँकना चाहिए & खास कर जब वो जब्बार जैसा है.उसकी ये चुप्पी तो हमे तूफान से पहले की खामोशी लग रही है.बहुत सावधान रहना होगा हम सब्को."
यशवीर सिंग ने इससे सही बात शायद कभी कही हो.
रात हो चली है.अब हम राजपुरा की उस बड़ी आलीशान मगर मनहूस लगने वाली कोठी मे चलते हैं.
मलिका बड़े से पलंग पर बिल्कुल नगी होकर अपनी घोड़ी बनी हुई थी & अपनी चौड़ी,मखमली गांद जब्बार की तरफ करके हवा मे घुमा रही थी.उसने गर्दन घुमाई & जब्बार की तरफ देख कर अपनी जीभ अपने गुलाबी होठों पर फिराते हुए 1 हाथ से अपनी बड़ी-2 चूचियो को मसल्ने लगी.जब्बार उसे ऐसे देख रहा था जैसे भेड़िया अपने शिकार को.
वो केवल पाजामे मे था.उसने उसे उतार फेंका & पलंग पर चढ़ कर मालिका के पीछे पोज़िशन ले ली.मलिका अब अपनी गांद उसके लंड से टकराने लगी.जब्बार ने 1 हाथ उसकी कमर पकड़ी & दूसरे से अपना काला मोटा लंड पकड़ कर उसकी गांद के छेद मे अपना सूपड़ा घुसा दिया.
"ऊऊ...ययइईई!",मालिका आगे को हो गयी पर जब्बार ने उसकी कमर पर पकड़ & मज़बूत कर दी और अगले झटके मे पूरे का पूरा लंड अंदर पेल दिया.
"आ....आहह....मार......गा....
जब्बार अब ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा & बीच-2 मे मलिका के गोरे चूतदों पर थप्पड़ लगाने लगा.
"ऊओ....ऊओवववववव!",हर थप्पड़ पर मलिका चीखती थी पर सॉफ ज़ाहिर था कि उसका मज़ा और बढ़ रहा था.वो राक्षस वैसे ही उसकी गांद चोद्ता रहा & 1 हाथ से उसकी चूचिया मसल्ने लगा.फिर थप्पड़ मारना बंद करके उसने उसकी चूत के दाने को दूसरे हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया.
मालिका पागल हो गयी,"हा....अन्णन्न्...और ज़ोर ....से..फ...आ...आद्दद्ड....दे.
सुनते ही जब्बार ने छाती मसलना छ्चोड़ उसके लंबे बालों को घोड़ी की लगाम की तरह पकड़ कर खीच दिया..मालिका का चेहरा उपर को हो गया & उसपे दर्द की रेखाएँ दिखने लगी पर मलिका अब पूरी तरह से गरम हो गयी थी,"चूओत...मे....उन..ग्ली ..कर...नाआ!"
जब्बार ने उसकी चूत मे 3 उंगलिया घुसेड कर बेदर्दी से रगड़ना शुरू कर दिया.वो भी झड़ने के करीब था,धक्कों की स्पीड ओर बढ़ गयी मालिका भी अपनी कमर हिला कर उसकी ताल से ताल मिलने लगी..चूत मे उंगलियों की रगड़ ने भी रफ़्तार पकड़ ली की तभी.."ऊओ....ईईई मा..आआअन्न्ननणणन्!",कहते हुए मलिका झाड़ गयी,उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया & वो निढाल हो कर आगे गिर गयी....जब्बार ने भी 5-6 धक्कों के बाद अपने पानी से उसकी गांद को भर दिया & मलिका की पीठ पर गिर कर हाँफने लगा.
तभी बगल की तिपाई पे रखा उसका मोबाइल जोकि वाइब्रटर मोड पर था, हिलने लगा.जब्बार ने वैसे ही मालिका के उपर पड़े-2 उसे उठा कर नंबर. देखा & फोन काट दिया.उसके बाद झटके से उसने अपना सिकुदा लंड मालिका की गॅंड से निकाला & अपना पाजामा पहन कर भागता हुआ कोठी के पीछे आया & वाहा बने लॉन को पार किया & पीछे बने छ्होटे से दरवाज़े को बस इतना खोला कि बाहर खड़ा काले शॉल मे लिपटा आदमी अंदर आ सके.जैसे ही वो घुसा,जब्बार उसका हाथ पकड़ कर उसे कोठी के अंदर ले आया.कोठी के सारे दरवाज़े बंद & खिड़कियाँ पर्दे से ढाकी हैं,उसने सुनिश्चित किया & उस आदमी को लेकर हॉल मे आकर बैठ गया.
"तुम्हे यहा आते किसी ने देखा तो नही?",जब्बार ने उसकी तरफ पानी की बॉटल बढ़ाई.
"नही",शॉल उतारते हुए & बॉटल खोलते हुए उसने जवाब दिया.
वो 1 6फ्ट से कुछ लंबा गोरा,तगड़ा इंसान था.उसके कंधे तक लंबे बाल & चेहरे पर घनी दाढ़ी थी.जब्बार 1 सोफे पर बैठ गया & वो इंसान उसके सामने वाले सोफे पर.
तभी मालिका हॉल मे आई.उसके बाल वैसे ही अस्त-व्यस्त थे उसने 1 ब्लॅक माइक्रो-मिनी स्कर्ट ओर उपर 1 बहुत टाइट वाइट गॅंजी पहनी थी जिसके नीचे ब्रा नही थी & चुदाई के वक़्त से कड़ी हुई उसकी घुंडिया उस गॅंजी को फाड़ कर बाहर आने को बेताब लग रही थी.गॅंजी बेपरवाही से पहनी गयी थी और उसका पेट & नाभि सॉफ दिख रहे थे.गॅंजी के गले से उसकी बड़ी चूचियो का काफ़ी हिस्सा दिख रहा था & जब वो चलती थी तो बड़े मादक ढंग से हिलता था.उसकी हालत देखकर कोई भी कह देता कि वो 1 रंडी है & अभी चुद कर आ रही है.
वो आकर जब्बार के सोफे के हटते पर बैठ गयी & उस अजनबी को सर से पैर से तक 1 बाज़ारु औरत की तरह देखने लगी.बैठते ही उसकी स्कर्ट पूरी उपर हो गयी & उसकी गांद दिखने लगी बस चूत ही धकि रही.
"ये कल्लन है & ये मेरी रखैल मलिका.",जब्बार ने दोनो का परिचय कराया.जवाब मे कल्लन ने सिर्फ़ सिर हिलाया.मलिका उसे वैसे ही चालू निगाहों से देखती रही.
"इसकी रांड़ छाप हरकतों पर मत जाना.इसका दिमाग़ हुमेशा अलर्ट रहता है.",जब्बार ने कल्लन को कहा.
मलिका ने हँसते हुए अपने दाँतों से जब्बार के कान पे काटने लगी.
"हुउँ!बस,अब काम का टाइम आ गया है.",जब्बार ने उसे रोकते हुए कहा.
फिर जब्बार दोनो को अपना प्लान सुमझने लगा.
उसके चुप होते ही मलिका ने उसकी तरफ तारीफ भरी नज़रों से देखा,"हरामीपन मे तेरा जवाब नही!इस बार तो राजा गया."
"हा,पर 1 बात हम तीनो अच्छी तरह समझ ले.कल्लन,तुम हुमलोगों से कभी नही मिलोगे & इस गाओं मे कभी नज़र आओगे.",जब्बार उठ कर अंदर गया & 2 नये मोबाइल लेकर आया.1 उसने कल्लन को दिया,"इन दोनो मोबाइल्स बस 1 दूसरे का नंबर.सेव्ड है.जब भी ज़रूरत हो हम इसी पर बात करेंगे.प्लान कामयाब करने के लिए हुमारी सावधानी बहुत ज़रूरी है."
"और हां तू भी सुन ले मलिका,मैं जानता हूँ इस को देख कर तेरी चूत लार टपका रही है पर जब तक हम अपने मक़सद मे कामयाब नही हो जाते तुझे इसे कंट्रोल मे रखना होगा",वो उसकी चूत थपथपाते हुए बोला.
कल्लन पे मालिका की जिस्म की नुमाइश का कोई असर नही हुआ या यू कहें कि उसने अपने भाव बड़ी सफाई से च्छूपा लिए थे,'क्या गॅरेंटी है जब्बार कि काम ख़तम होने के बाद तुम मुझे दूध से मक्खी की तरह नही निकाल फेंकोगे?"
"इस गुनाह मे हम तीनो बराबर के भागीदार रहेंगे ,कल्लन.हम तीनो 1 दूसरे के राज़दार हैं & यही हम तीनो की सलामती की गॅरेंटी है."
तब तक मलिका अंदर से विस्की ले आई थी.उसने 3 पेग बनाए,1 खुद लिया & बाकी 2 दोनो मर्दों को दिया,"चियर्स 2 और सक्सेस."
ग्लास खाली करते ही कल्लन ने शॉल वापस लपेटी और उसी रास्ते वापस लौट गया.
दरवाज़ा बूँद करके जब्बार अंदर आया तो देखा की मलिका सोफे पर फिर से नंगी पड़ी अपनी चूत मे उंगली कर रही है & अपनी चूचिया दबा रही है.
"साली छिनाल,हुमेशा गरम रही है!",जब्बार मन ही मन बड़बड़ाया & अपना पाजामा उतार कर सोफे की तरफ बढ़ गया.
..............
प्लेन के बिज़्नेस क्लास की अपनी सीट को मेनका ने बटन दबा कर फुल्ली रिक्लाइन कर दिया & लेट गयी.एर-होस्टेस्स ने मुस्कुराते हुए उसे कंबल ओढ़ाया & "गुड नाइट" कह कर,लाइट ऑफ की & चली गयी.
मेनका आज स्विट्ज़र्लॅंड से अपना हनिमून मना कर लौट रही थी.पीछे की सीट पर विश्वजीत ऑलरेडी सो चुका थापर मेनका की आँखों से नींद अभी दूर थी.उसने खिड़की का फ्लॅप सरकया & बाहर देखा की चाँद की रोशनी बादलों को नहला रही थी...लग रहा था कि प्लेन बर्फ़ीले पहाड़ों के उपर चल रहा है.पहाड़ों के ध्यान से उसे अपने हनिमून का पहला दिन याद आ गया.
विश्वा & वो ज़ुरी के पास 1 पास अपने शेलेट(कॉटेज मे पहुचे).मेनका ने 1 टॉप & फुल-लेंग्थ फ्लोयिंग स्कर्ट पहना हुआ था.वो शेलेट के अंदर आई जब अपने बेडरूम की खिड़की से परदा हटाया तो कुदरत की खूबसूरती का अद्भुत नज़ारा देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया.सामने ही आल्प्स रेंज के पहाड़ दिख रहे थे जोकि सूरज की रोशनी मे चमक रहे थे & पहाड़ों के नीचे दूर-2 तक फैले हरी मखमली घास के मैदान.
तभी पीछे से उसे विश्वा ने अपनी बाहों मे जाकड़ लिया &उसकी गर्दन पे किस करने लगा.
"छ्चोड़िए ना!देखिए कितनी सुंदर जगह है",मेनका कसमसाते हुए बोली.
"ह्म्म.",जवाब मे विश्वा ने उसकी स्कर्ट उठा दी,उसकी पॅंटी 1 तरफ खिसकाई & अपना पहले से निकाला लंड उसकी चूत मे घुसने लगा.
"प्लीज़,अभी नही,विश्वा",मेनका ने अलग होने की कोशिश करते हुए कहा.
पर विश्वा ने अनसुना करते हुए अपना हाथ उसके टॉप मे घुसा दिया & ब्रा के अंदर हाथ डाल कर उसकी बड़ी-2 चूचिया मसल्ने लगा,उसने अपना लंड पूरा का पूरा मेनका की चूत मे घुसा दिया & तेज़ी से धक्के लगाने लगा.मेनका ने सहारे के लिए आगे झुक कर खिड़की के सिल को पकड़ लिया.उसे इस चुदाई मे कोई मज़ा नही आ रहा था बल्किस्तेमाल किए जाने का एहसास हो रहा था जैसे की वो 1 बाज़ारु औरत हो & विश्वा उसका ग्राहक.
थोड़ी ही देर मे विश्वा उसके अंदर झाड़ गया,उस से अलग हुया & बोला,"तैय्यार हो जाओ.घूमने चलते हैं..."
मेनका ने फिर आँखें बंद करके नींद की बाहों मे जाना चाहा पर फिर उसे वो वाक़या याद आया जिसने उसके दिल मे विश्वा के लिए इज़्ज़त ओर भी ज़्यादा कम कर दी.
वो शेलेट के कार्पेट पे नंगी पड़ी थी.बगल मे फाइयर्प्लेस मे आग जल रही थी पर उसकी बेपर्दा जवानी की भदक्ति चमक के आगे आग भी बेनूर लग रही थी.विश्वा भी नंगा था ओर उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था.मेनका पागल हो रही थी..उसे बहुत अच्छा लगता था जब उसका पति उसकी चूत पे अपने मुँह से मेहरबान होता था.
पर हर बार की तरह मेनका का मन भरने से पहले ही विश्वा ने अपने होठ उसकी चूत से अलग कर दिया.मेनका का सिर 2 कुशान्स पर था,जिसके कारण उसका उपरी बदन थोडा उठा हुआ था.उसने आँखें खोली तो देखा कि विश्वा अपना लंड पकड़ कर हिला रहा है &उसकी तरफ देख रहा है.उसने गहरी साँस ली & उसका इशारा समझते हुए अपनी टांगे ओर फैला दी.
पर वो चौंक गई जब विश्वा अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने के बजाय उसे सीने के दोनो ओर पैर करके बैठ गया ओर अपना लंड उसके मुँह के सामने हिलाने लगा,"इसे लो."
मेनका ने उसके लंड को अपने हान्थो मे पकड़ा ओर हिलाने लगी.विश्वा अक्सर उसे अपना लंड पकड़ने को कहता था पर उस वक़्त वो पीठ के बल लेटा होता था.आज की तरह उसने कभी नही किया था.
"हाथ मे नही मुँह मे लो."
"क्या?!!",मेनका ने पुचछा.
"हाँ,मुँह मे लो",कहकर उसने अपना लंड उसके हाथों से लिया & उसके बंद होठों पर से छुआने लगा.
"नही,मैं ऐसा नही करूँगी",मेनका ने उसे हल्के से धकेला & करवट लेकर उसके नीचे से निकल गयी.
"क्यू?"
"मुझे पसंद नही बस."
"अरे,क्या पसंद नही?"
"मुझे घिन आती है.मैं ऐसे नही करूँगी."
"जब मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ तब तो तुम्हे बड़ा मज़ा आता है &जब मैं वोही तुमसे चाहता हूँ तो तुम्हे घिन आती है!"
"देखिए,मैं आपसे बहस नही करूँगी.आप जो चाहते हैं वो मैं कभी नही कर सकती बस!"
"ठीक है,तो सुन लो आज के बाद मैं भी कभी तुम्हारी चूत नही चाटूँगा."कह कर विश्वा ने उसे लिटाया & उसके उपर आकर अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया& कुच्छ ज़्यादा ही तेज़ धक्के लगाने लगा जैसे उसे जानकार तकलीफ़ पहुँचना चाहता हो.मेनका ने अफ तक नही की ओर उसके झड़ने का इंतेज़ार करने लगी.
अभी भी इंडिया पहुँचने मे बाबाहुत वक़्त था पर मेनका अभी तक नही सो पाई थी.उस दिन के बाद विश्वा ने सच मे उसकी चूत पे अपने होठों को नही लगाया.
मेनका अब आगेके बारे मे सोचने लगी.राजपुरा पहुँचने के बाद 2 दिन वाहा रहना था & फिर उसे मायके जाना था.अपने माता-पिता का ख़याल आते ही उसके चेहरे पे मुस्कान आ गयी& वो उनकेलिए खरीदे गये तॉहफ़ों के बारे मे सोचने लगी & थोड़ी ही देर मे सो गयी.
==============================
शहर के उस घटिया से होटेल के उस रूम मे वो आदमी पलंग पर नंगा पड़ा था.उसके दोनो हाथ बेडपॉस्ट्स से सिल्क स्कार्व्स से बँधे थे और उसके सामने 1 खूबसूरत, सेक्सी लड़की धीरे-2 अपने कपड़े उतार रही थी.थोड़ी ही देर मे वो पूरी नंगी हो गयी &उसकी तरफ बोझिल पलकों से देख कर अपने गुलाबी होठों पे जीभ फेरी & 2 कदम आगे बढ़ कर अपना 1 पैर पलंग पर रख दिया & पैर के अंगूठे के नाख़ून से उस आदमी के तलवे गुदगुदाने लगी,फिर उसने अपनी दाए हाथ की उंगलिया अपने चूत मे डाल दी & बाए हाथ से अपनी भारी छातियो को मसल्ने लगी.
वो आदमी जोश से पागल हो गया & अपने हाथ च्छुदाने की कोशिश करने लगा.उसका लंड पूरा तन चुका था.पर उसकी हालत से बेपरवाह वो लड़की अपने बदन से खेलते रही,"ऊऊहह....आआ...ह..हह.....
"हा..हा..मलिका मेरी जान मेरे हाथ तो खोलो."
"क्यू?बर्दाश्त नही हो रहा?",मलिका वैसे ही अपने जिस्म से खेलती हुई & उसे और तड़पाते हुए बोली.
"नही,,नही!!!!!!!!!!!!प्लीज़ खोलो मलिका."
पर मलिका ने तो उसे और तड़पाना था.वो उसके बदन के दोनो तरफ घुटने रख कर उसके लंड के ठीक उपर अपनी चूत लहराने लगी.बत्रा अपनी गंद उठा कर अपने लंड को उसमे घुसाने की कोशिश करने लगा.पर मलिका हंसते और उपर उठ गयी & अपने हाथ से उसे फिर वापस बिस्तर पर सुला दिया.फिर अपने हाथ उसके सीने पे रखे & यूँ बैठने लगी जैसे उसके लंड को लेने वाली हो.बत्रा मुस्कुराने लगा...मलिका की चूत उसके लंड के सूपदे से सटी..बत्रा को लगा कि अब उसकी मुराद पूरी हुई & ये कसी चूत अब उसके लंड को निगल लेगिपर उसके सपने को तोड़ते हुए मलिका फिर उठ गयी.]
बत्रा रुवासा हो गया,"प्लीज़ मलिका और मत तड़पाव..प्लीज़!!!!प्लीज़!!"
मलिका फिर बेदर्दी से हँसी & इस बार उसके लंड पे बैठ गयी,जैसे ही पूरा लंड उसकी चूत के अंदर गया बत्रा नीचे से ज़ोर-2 से गांद हिलाने लगा.मलिका ऩेफीर उसे मज़बूती से अपने बदन से दबा दिया & बहुत ही धीरे-2अपनी गंद हिला कर उसे चोदने लगी.
बत्रा अब बिल्कुल पागल हो गया.जोश के मारे उसका बुरा हाल था & उसने फिर नीचे से अपनी गंद ज़ोर-2 से हिला कर धक्के मारने लगा.मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & थोड़ी ही देर मे बत्रा झाड़ गया.
तब मालिका ने वैसे ही उसके उपर बैठे-2 उसके हाथ खोले.हाथ खुलते ही बत्रा ने उसे पकड़ कर नीचे गिरा दिया &फिर उसके उपर चढ़ गया.उसका सिकुदा लंड अभी भी मालिका की चूत मे ही था.
"साली,तू बहुत तड़पति है...बहुत मज़ा आता है ने तुझे इसमे...ये ले..ये ले!",कह के वो अपने सिकुदे लंड से ही धक्के लगाने लगा.थोड़ी ही देर मे लंड फिर तन गया & बत्रा के धक्कों मे भी ओर तेज़ी आ गयी.
वो बहुत बेदर्दी से धक्के मार रहा था पर मलिका वैसे ही पागलों की तरह हँसती रही.थोड़ी ही देर मे उसके बदन ने झटके खाए & वो झाड़ कर मलिका के उपर ही ढेर हो गया.
"अब थोड़ी काम की बातें हो जाए,बत्रा साहब?.मलिका ने उसके कन मे कहा.
बत्रा राजकुल ग्रूप मे मॅनेजर था.सेशाद्री को उस पर बहुत भरोसा था & बत्रा आदमी था भी भरोसे के लायक पर फिर 1 दिन उसकी मुलाकात मलिका से हुई & उस दिन सेओ राजा साहेब के बिज़्नेस के अंदर जब्बार का भेड़िया बन गया.
बत्रा को जैसे सेक्स करना पसंद था,उसकी बीवी को वो बिल्कुल भी अच्छा नही लगता था.बत्रा रफ सेक्स& सडो-मासकिज़म का शौकीन था.दर्द के साथ सेक्स ही उसे पूरी तरह संतुष्ट कर पाता था.किसी तरह जब्बार को उसकी ये कमज़ोरी पता चल गयी &मलिका के ज़रिए उसने उसे अपना जासूस बना लिया.मज़े की बात ये थी, बत्रा ये समझता था कि वो राजा साहब के बिज़्नेस राइवल पॅंट ग्रूप के लिए काम करती थी.इस तरह से जब कभी पोल खुलती भी तो नुकसान केवल बत्रा का था.जब्बार का नाम भी सामने नही आता & मलिका-मलिका को तो किसी चीज़ की परवाह नही थी सिवाय इसके कि उसके डेबिट & क्रेडिट कार्ड हुमेशा काम करते रहें & उसके जिस्म की आग रोज़ बुझती रहे.
जब्बार टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे अपनी कोठी के किचन मे खड़ा फ्रिड्ज से बॉटल निकाल कर पानी पी रहा था जब मलिका हॉल मे दाखिल हुई.उसने अपना हॅंड बॅग 1 तरफ फेका & जब्बार को हॉल से किचन मे खुलते दरवाज़े से देखते हुए बेडरूम मे घुस गयी.जब्बार बॉटल लेकर हॉल मे आया & बड़े सोफे पर बैठ गया.
"क्या पता चला?"
सुनकर मलिका बेडरूम से हॉल मे खुलने वाले दरवाज़े पे आकर खड़ी हुई,"यही कि बत्रा का लंड तुमसे बड़ा है",हंसकर अपना टॉप उतारते हुए अंदर चली गयी.
"उंगली मत कर."
"क्यू ना करू?सिर्फ़ तू ही कर सकता है.",वो वापस दरवाज़े पे आई & अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने ब्रा के हुक्स खोल कर उसे अपने बदन से अलग कर दिया,उसकी भारी चूचिया थरथरती हुई आज़ाद हो गयी.
"राजा की पोज़िशन दिन पर दिन मज़बूत हो रही है & तू बस यहा जासूसी ही करता रह!पता है राजकुल ग्रूप का 49% शेर 1 जर्मन कंपनी. खरीद रही है.बत्रा कह रहा था कि राजकुल ग्रूप की टोटल वॅल्यू 200 करोड़ है,जर्मन कंपनी.से राजा को 98 करोड़ मिल रहे हैं.अभी ऑडिटिंग वगेरह चल रही है,2-3 महीने मे डील हो जाएगी.",उसने अपनी स्किन-टाइट जीन्स & पॅंटी1 साथ उतरी & अपनी मस्त गांद मटकाते हुए वापस रूम मे चली गयी.
"हा..हा...हा!इसका मतलब है कि राजकुल की असल वॅल्यू है 280 करोड़ रुपये.राजा को 30 करोड़ रुपये और मिले होंगे.",जब्बार हंसा.
"क्या?",मलिका 1 ओवरसाइज़ सफेद ट-शर्ट पहन कर आई,साफ पता चल रहा था कि उसके नीचे उसने कुछ नही पहना था.उसकी चूचियो की गोलाई & निपल्स के उभार & चौड़ी गांद के कटाव कपड़े मे से सॉफ झलक रहे था.उसने जब्बार के हाथ से बॉटल ली & उसकी गोद मे पैर रख कर सोफे पे लेट गयी & पानी पीने लगी.
"मलिका,ये बिज़्नेसमॅन जितना पैसा कमाते हैं,वो असल रकम कभी नही बताते.ये बॅलेन्स शीट,ऑडिटिंग सब होती है पर कुच्छ पैसा ये हमेशा अपने सीक्रेट अकाउंट्स मे रखते हैं.ये 200 करोड़ तो दुनिया के लिए है.डील से जो पैसा ग्रूप को मिलेगा,दिखाया जाएगा कि सारे पैसे एंप्लायीस के बोनस & मिल्स के अपग्रडेशन मे लग गये & 98 करोड़ मे से 4-5 करोड़ राजा को मिले.पर ग्रूप की वॅल्यू जान कर कम दिखाई जाएगी ताकि वो 30 करोड़ राजा को बिना किसी परेशानी के मिले जिन्हे वो कही विदेशी बॅंक मे च्छूपा देगा.और तो और तुझे पता है कि सालाना मुनाफ़ा भी हुमेशा थोड़ा कम दिखाया जाता है & वो च्छुपाई हुई रकम भी राजा के पेट मे जाती है"
"ठीक है पर अपने फ़ायडे की बात तो समझा मुझको.",कहते हुए मलिका ने अपने पैर से जब्बार के शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया & वैसे लेते हुए ही अपने पैरों से उसके लंड को रगड़ने लगी.बॉटल को किनारे रखा,अपनी शर्ट उपर की & अपनी उंगलियों से अपने निपल्स रगड़ने लगी.
"राजपरिवार की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फाय्दा है.तुझे लगता है कि मैं हाथ पे हाथ धरे बैठा हूँ",जब्बार ने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसाते हुए कहा,"ये मेरा प्लान है,साली.मैं ऐसी चाल चलूँगा कि राजा यशवीर & उसका परिवार अपने हाथों अपनी जान लेगा & अपने बिज़्नेस की धज्जियाँ उड़ाएगा.",उसने मलिका के दाने को रगड़ते हुए कहा.
"ऊऊ...हह!पर तुझे तो 1 पैसा भी नही मिलेगा इसमे...एयेए...ययईईए.....बस राजा की बर्बादी होगी."
"कहा ना राजा की बर्बादी ही मेरा सबसे बड़ा फयडा है.तुझे क्या चिंता है मैं जानता हूँ छिनाल!परेशान मत हो तेरी भूख शांत करने लायक पैसे मेरे पास अभी भी हैं & हमेशा रहेंगे.बदले की आग मे खुद को भी राख करू ऐसा चूतिया नही हूँ मैं.,"मालिका की चूत पे चिकोटी काटते हुए उसके मुँह से निकल गया .
"ऊउउउउ...कचह!हा...हा...बदला!तो ये बात है,क्या हुआ था कुत्ते?राजा ने तेरी मा की गांद मार ली थी क्या?!!हा..हा..हा..एयाया.....
"हरमज़ड़ी,रंडी!आज के बाद मुझसे कभी मेरे बदले के बारे मे मत पुच्छना?ओर अगर बाहर किसी से भी कहा तो तुझे ऐसी मौत मारूँगा कि यमराज भी दहल जाएगा."उसने लेटी हुई मलिका के 2-3 झापड़ बी रसीद कर दिए.
"ठीक है दरिंदे.ये ले साले.",जवाब मे मालिका ने उसके आंडो को अपने पैरो तले कुचल दिया,"साला नमर्द मुझ पे हाथ उठाता है!"
"एयेए..हह!",जब्बार करहा,उसने मालिका की टाँगों को अपने आंडो से हटाया & उन्हे चौड़ी करके उसके उपर सवार हो गया & अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा,"मुझसे बदतमीज़ी करती है,रांड़!",कह कर पागलों की तरह वो उसके बदन को नोचने लगा.
"मुझे नमर्द कहती है.ये ले!",थोड़ी देर मे लंड खड़ा हो गया & उसने उसे मलिका की चूत मे पेल दिया & ज़ोरदार धक्के मारने लगा.उसने अपने दाँत उसकी बड़ी,गोल चूची मे गढ़ा दिए.
मलिका पागलों की तरह हँसने लगी & अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी & फिर जब्बार के कंधे पे इतनी ज़ोर से काटा की उसके खून निकल आया.
==============================
मेनका अपने मायके से वापस राजपुरा आ गयी थी.सवेरे उठ कर वो नीचे रसोई मे खानसमे से बात करने पहुचि.
"नमस्कार,कुँवरनी जी."
"नमस्कार,खानसमा साहेब.आज का मेनू डिसाइड कर ले."
"कुँवरनी जी,नाश्ते का हुक्म तो राजा साहेब ने कल रात आपके वापस आने के पहले ही दे दिया था.आप दिन के बाकी खाने का मेनू हमे हुक्म कर दें."
मेनका ने बाकी मेनू डिसाइड कर के जब नाश्ते का मेनू देखा तो उसे प्लेज़ेंट सर्प्राइज़ हुआ.उसके ससुर ने केवल उसकी पसंद की चीज़ें बनाने का हुक्म दिया था.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल आया.
"खानसमा साहब,हमे पिताजी की पसंद-नापसंद के बारे मे तफ़सील से बताएँ & साथ-साथ ये भी कि मेडिकल रीज़न्स की वजह से तो उन्हे कोई परहेज़ तो नही करना पड़ता."
थोड़ी देर बाद मेनू रिवाइज़ किया गया.
नाश्ते के बाद दोनो बाप-बेटे ऑफीस चले गये & मेनका महल का सारा सिस्टम समझने लगी.हर काम के लिए नौकर-नौकरानी थे.उन्हे पता भी था कि उन्हे क्या करना है.शाम तक मेनका ने पूरा सिस्टम समझ लिया & पूरे स्टाफ को कुच्छ न्नई बातें समझा दी.
रात के खाने पे राजा साहब खुशी से उच्छल पड़े.केवल उनके पसंद की चीज़ें थी टेबल पर.
"खानसमा साहब,आज आप हम पर इतने मेहेरबान कैसे हो गये,भाई?"
"महाराज.ये सब हमने कुँवरनी साहिबा के कहने पे बनाया है."
"दुल्हन,आपको हुमारी पसंद के बारे मे कैसे पता चला?"
"जैसे आपको हुमारी पसंद के बारे मे.",मेनका ने जवाब दिया & दोनो हंस पड़े.
शाम के 7 बजे थे,अंधेर गहरा रहा था जब राजपुरा से निकल कर वो ग्रे कलर की लंदक्रुसेर ने 5 मिनट के बाद हाइवे छ्चोड़ दिया ओर 1 पतली सड़क पे चलने लगी & 15 मिनट बाद कुच्छ झोपड़ियों के पास पहुच कर रुक गयी.ड्राइवर साइड का शीशा 4 इंच नीचे हुआ & 1 50 का नोट बाहर निकला जिसे उस आदिवासी ने लपक के पकड़ लिया जो गाड़ी देख कर भागता हुआ आया था.बदले मे उसने 1 छ्होटी बॉटल गाड़ी के अंदर दे दी.
उसके बाद वो ग्रे कलर की, गहरे काले शीशों वाली लंदक्रुसेर वापस लौटने लगी.हाइवे से थोड़ा पहले कार रुक गयी.अंदर बैठे विश्वजीत ने बॉटल खोल ले अपने मुँह से लगा ली.सस्ती शराब जब हलक से नीचे उतरी तो उसे जलन महसूस हुई पर इसी जलन मे उसे सुकून मिलता था.
राजा यशवीर का बेटा,भावी राजा,अकूत दौलत का मलिक जो चाहे थे दुनिया की महँगी से महँगी शराब पी सकता था आदिवासियों द्वारा घर मे बनाई हुई 50 रुपये की शराब मे चैन पाता था.वाकाई इंसान भगवान की सबसे अजीबो-ग़रीब ईजाद है.
विश्वा को वो दिन याद आया जब वो अपने बड़े भाई के साथ घूमते हुए यहा आया था & उन्होने इन आदिवासियों से जुंगली खरगोश पकड़ना सीखा था.अपने गुज़रे हुए भाई की याद आते ही उसकी आँखो मे पानी आ गया.
"क्यू चले गये तुम भाई?क्यू.तुम गये और मैं यहा अकेला रह गया इन झंझटों के बीच मे.तुम जानते थे मुझे ये बिज़्नेस & राजाओं की तरह रहना कितना नापसंद था.फिर भी मुझे छ्चोड़ कर चले गये.",विश्वा बुदबुडाया & 1 घूँट और भरी.
"मर्यादा,शान....डिग्निटी!बस यही रह गया है मेरी लाइफ मे.चलो तो ख्याल रहे कि हम किस ख़ानदान के हैं,बात करो तो ध्यान रहे कि हुमारी मर्यादा क्या है...यहा तक की शादी भी करो तो ....हुन्ह."
विश्वा हुमेशा सोचता था कि यूधवीर राजा बनेगा & वो आराम से जैसे मर्ज़ी विदेश मे रह सकता था.शादी मे तो उसे विश्वास ही नही था.उसका मानना था कि जब तक जी करे साथ रहो & जिस दिन डिफरेन्सस हो अलग हो जाओ.शादी तो बस मर्द-औरत के ऐसे सिंपल रिश्ते को कॉंप्लिकेट करती थी.
उसने बॉटल ख़तम करके बाहर फेंकी की तभी 1 लंबा,गोरा छ्होटे-2 बालों वाला क्लीन शेवन इंसान उसके पास पहुचा,"सलाम,साब."
उस अजनबी को देखते ही विश्वा के हाथ अपने कोट मे रखे पिस्टल पर चले गये.
"सलाम,साब.मेरा नाम विकी है.मुझे लगता है कि मेरे पास आपके काम की चीज़ है."
"दफ़ा हो जाओ.",कहकर विश्वा गाड़ी गियर मे डालने लगा.
"साहब,बस 1 बार मेरा समान देख लीजिए.कसम से मैं आपका दुश्मन नही बस 1 छ्होटा सा व्यापारी हू जिसे लगता है कि उसके माल के असल कदरदन आप ही है."
विश्वा ने बिना कुच्छ बोले गाड़ी रोकी पर बंद नही की & उसका 1 हाथ कोट के अंदर ही रहा.
विकी ने अपनी जेब से 2 छ्होटे पॅकेट्स निकाले जिसमे 1 मे सफेद पाउडर था & दूसरे मे छ्होटे-2 टॅब्लेट्स.
विश्वा समझ गया कि विकी 1 ड्रग डीलर था & ये सिकैने & एकस्टसी थे.
"मैं ये सब नही लेता."
"साहब,ना तो मैं पोलीस का आदमी हू ना तो आपको फँसाने की कोशिश कर रहा हूँ.आपके जैसे मैं भी इन लोगों से महुआ लेने आता हूँ.आज आपको देखा तो मेरे अंदर का बिज़्नेसमॅन कहने लगा कि इतने मालदार आदमी को 50 रुपये की शराब क्यू चाहिए....इसीलिए ना कि वो कोई नया नशा चाहता है."
विश्वा ने विकी की आँखों मे घूर के देखा.सच कह रहा था वो.वो नशे मे सुकून ही तो तलाश रहा था.
"..मैं यही नाथुपुरा का रहनेवाला हूँ.शहर मे मेरी मोबाइल शॉप है.थोड़ी एक्सट्रा इनकम के लिए ये धंधा करता हू.भरोसे का आदमी हू साहब.माल भी असली देता हूँ.1 बार ट्राइ करो साहब."
"कीमत क्या है?"
विकी के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी.
------------------------------
वो मोबाइल जिसमे बस 1 ही नंबर. सेव्ड था अचानक बजने लगा.जब्बार चौंक कर उठा,रात के 12 बाज रहे थे.मालिका एकद्ूम नंगी बेसूध उसके बगल मे सोई पड़ी थी.
"हुऊँ",उसने फोन उठाया.
"चिड़िया ने आज दाना चुग लिया."
"वेरी गुड.उसे जाल मे फँसा कर ही छ्चोड़ना."
"डॉन'ट वरी."
जब्बार ने फोन काट दिया.कल्लन ने पहली सीधी चढ़ ली थी.अब देखना था आगे क्या होता है.
राजा यशवीर ने महसूस किया कि मेनका के आने के बाद उनका शानदार महल फिर से उन्हे घर लगने लगा था वरना तो पिच्छले 2 सालों से बस वो यहा जैसे बस सोने & खाने के लिए आते थे.
पर अब उन्हे घर पहुँचने का इंतेज़ार रहता था.मेनका से बातें करने के लिए.वो भी उनसे हर मुद्दे पर बात कर लेती थी.उन्हे वो काफ़ी समझदार & सुलझी हुई लड़की लगती थी.राजा साहब उसे कंपनी. के बारे मे भी बताते थे & उसके बिज़्नेस के बारे मे ओपीनियन्स सुन कर प्रभावित हुए बिना नही रह सके थे.महल की ज़िम्मेदारी तो उसने बखूबी सम्भहाल ली थी.
मेनका को भी अपने ससुर के साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता था.उनके पास बताने को इतनी इंट्रेस्टिंग बातें थी & वो कितने नालेजबल थे.पर सबसे अच्छा लगता था जैसे वो उसके बारे मे केअर करते थे.
धीरे-2 करके 1 महीना गुज़र गया.जहा राजा साहब & मेनका 1 दूसरे से काफ़ी फ्री हो गये थे.वही मेनका महसूस कर रही थी कि उसका पति उससे दूर होता जा रहा है.वैसे तो अपना मन टटोलने पर वो भी पाती थी कि वाहा विश्वा के लिए प्यार नही है-होता भी कैसे जिस इंसान ने उसे बस अपनी प्यास बुझाने का ज़रिया समझा हो,उसके लिए प्यार कहा से आता.पर था तो वो उसका पति & उसे हो ना हो मेनका को उसकी फ़िक्र ज़रूर थी.
पिच्छले 1 महीने से वो रात मे देर से आता,पुच्छने पर काम का बहाना बना देता.मेनका को शक़ हुआ कि कही कोई दूसरी औरत का चक्कर तो नही पर ऐसा नही था कि विश्वा को उसमे दिलचस्पी नही थी.रोज़ रात वो उसे पहले जैसे ही चोद्ता था,पर अब वो और बेचैन & बेसबरा रहने लगा था.उसकी आँखों मे जैसे कोई नशा हर वक़्त दिखता था.
मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई यही सब सोच रही थी,बगल मे विश्वा उसे चोदकर अभी-2 सोया था.उसका ध्यान अपने ससुर की ओर गया,कितना फ़र्क था बाप-बेटे मे.राजा साहब उसकी कितनी चिंता करते थे.....अगर विश्वा की जगह उसकी शादी राजा साहब से हुई होती तो?ख़याल आते ही मेनका को अपने बच्पने पर हँसी भी आई & थोड़ी शर्म भी.आख़िर वो उसके ससुर थे..उसने करवट लेकर विश्वा की तरफ पीठ की & सोने लगी.
वही राजा साहब विश्वा के बारे मे सोच रहे थे.उन्हे आजकल वो थोड़ा अजीब लगने लगा था.नयी शादी थी पर बहू मे उसे कोई खास दिलचस्पी नही थी.1-2 बार उन्होने उसे बहू को घुमाने के लिए शहर ले जाने कहा था पर उसने काम का बहाना कर बात टाल दी.इतनी अच्छी बीवी पाकर तो लोग निहाल हो जाते हैं.उन्होने सोच लिया था कि विश्वा से खुल कर बात करेंगे.मेनका जैसी लड़की किस्मत वालों को मिलती है.उन्हे भी तो ऐसी ही बीवी चाहिए थी जो सिर्फ़ पत्नी ही नही दोस्त भी हो,उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने का हौसला रखती थी.सरिता देवी 1 बहुत अच्छी स्त्री,अच्छी मा थी पर राजा साहब की मित्र बनने की कोशिश उन्होने कभी नही की.इसीलिए तो वो शहर मे उन रखाइलॉं को रखने लगे थे,"कितनी पुरानी बात है...",उन्होने सोचा.बेटे की मौत के बाद तो सेक्स की तरफ उनका ध्यान भी नही गया.
और फिर उन्हे भी ख़याल आया,"अगर मेनका हुमारी बीवी होती तो?...."& उनके होटो पे मुस्कान आ गयी. "छी छीए!अपनी बहू के बारे मे ऐसे ख़याल....पर गैर होती तो.."सोचते हुए वो भी सो गये.
अगले दिन वो सुबह होनी थी जो दोनो की ज़िंदगी का रुख़ बदलने का आगाज़ करनेवाली थी.
सुबह राजा साहब लॉन मे चाइ पीते हुए अख़बार पढ़ रहे थे.मेनका वही उनसे कुच्छ 24 फीट की दूरी पर मालियों को कुच्छ समझा रही थी.राजा साहब ने अख़बार के कोने से उसे देखा,पीले रंग की सारी मे वो बहुत सुंदर लग रही थी.राजा साहब उसका साइड प्रोफाइल देख रहे थे जिस वजह से उसके बड़ी छातियो & गांद के उभार का पूरा पता चल रहा था.आज पहली बार राजा साहब ने उसके फिगर को ढंग से देखा & रीयलाइज़ की खूबसूरत होने के साथ-2 मेनका बहुत सेक्सी भी है.
तभी मेनका का हाथ अपने माथे पर गया,माली उसके आदेशानुसार लॉन के दूसरे कोने पर चले गये थे.आस-पास कोई नौकर नही था,सभी किसी ना किसी काम मे लगे थे.मेनका को चक्कर आ रहा था,अचानक उसकी आँखों के सामने अंधेरा च्छा गया.
राजा साहब ने उसे गिरते देखा & बिजली की फुर्ती से उसे ज़मीन पर गिरने से पहले ही सामने से अपनी बाहों मे थाम लिया,"क्या हुआ,दुल्हन?"वो उसे इस तरह से पकड़े थे कि दूर से कोई देखता तो समझता कि दोनो गले लग रहे हैं.उन्होने नीचे उसके चेहरे को थपथपाया.मेनका ने आँखें खोली तो देखा कि उसके ससुर ने उसे गिरने से रोक लिया था.कितना आराम लग रहा था उसे इन मज़बूत बाहों मे,हिफ़ाज़त महसूस हो रही थी,उसने सहारे के लिए राजा साहब के कंधों को पकड़ लिया.उसका दिल किया कि बस ऐसे ही उन बाहों के सहारे खड़ी रहे,राजा साहब की शर्ट के उपर के 2 बटन खुले थे & उनके चौड़े,बालों भरे सीने का कुच्छ हिस्सा नज़र आ रहा था.मेनका ने सिर झुकाया & उनके सीने मे अपना मुँह च्छूपा लिया.उनकी मर्दाना खुसबु उसे मदहोश करने लगी.
राजा साहब की नज़र नीचे पड़ी तो पारदर्शी आँचल मे से उन्हे ब्लाउस के गले से झँकता मेनका का मस्त क्लीवेज नज़र आया जो कि उनके सीने से दबने के कारण & उभर गया था.उनके हाथ ब्लाउस के नीचे से उसकी नंगी पीठ & कमर पर थे & उसकी कोमलता महसूस कर रहे थे.राजा साहब का लंड खड़ा हो गया था जिसे सटे होने के कारण मेनका ने भी अपने पेट पे महसूस किया & वो अपने ससुर से थोड़ा और सॅट गयी.दोनो का दिल कर रहा था कि ऐसे ही पूरी उम्र खड़े रहे पर तब तक नौकर-नौकरानी भागते हुए वाहा आने लगे थे.राजा साहब ने 1 हाथ अपनी बहू की कमर से हटा कर उसके चेहरे को उपर उठाया,"होश मे आयो दुल्हन."
नौकरानियों की मदद से मेनका को उन्होने उसके कमरे तक पहुचेया & विश्वा को डॉक्टर बुलाने को कहा.राजा साहब ने अपने मिल स्टाफ की सुविधा के लिए जो हॉस्पिटल बनाया था उसकी देख-रेख की ज़िम्मेदारी डॉक्टर,सिन्हा की थी.उनकी बीवी डॉक्टर.लता भी उसी हॉस्पिटल ज्ञानेकोलोगी डिपार्टमेंट. देखती थी.विश्वा का फोन मिलते ही वो तुरंत महल पहुचि & मेनका का चेक-अप करने लगी.थोड़ी देर बाद वो राजा साहब & विश्वा के पास आई,"बधाई हो राजा साहब,आप दादा बनाने वाले हैं."
"क्या?सच!डॉक्टर.साहिबा आपने तो हुमारा मन खुश कर दिया.दुल्हन बिल्कुल ठीक तो हैं ना?"
"हा,राजा साहब.आपकी इजाज़त हो तो मैं कुंवर-कुँवारानी से ज़रा एक साथ बात कर लूँ?"
"हा,हा.ज़रूर.जाइए कुंवर."
मेनका के बेडरूम मे पहुच कर उन्होने कहा,"कुँवरनी बिल्कुल ठीक हैं,कुंवर.बस आप इनका रेग्युलर चेक-अप करवाते रहिए.बस एक बात का ख़याल रखे.अभी कमसे कम 45 डेज़ तक आप दोनो फिज़िकल रिलेशन्स मत बनाइएगा.ये होने वाली मा के लिए बहुत ज़रूरी है.एक डॉक्टर.होने के नाते मेरा फ़र्ज़ था कि मैं आपको ये बता दूं.होप यू डिड्न'ट माइंड इट."
"नोट अट ऑल,ड्र.आंटी.आपने बचपन से हमे देखा है,आप इतना फॉर्मल होकर हमे शर्मिंदा कर रही हैं."
विश्वा राजा साहब के कहने पर डॉक्टर. को छ्चोड़ने बाहर तक आया.
"कुंवर,आपकी तबीयत तो बिल्कुल ठीक है ना?",विश्वा की आँखें देख कर डॉक्टर.लता को कुच्छ शक़ हुआ था.
"हा,आंटी.ऐसा क्यू लगा आपको?"
"बस ऐसे ही.कोई परेशानी हो तो आप जानते हैं कि आपके डॉक्टर.अंकल & मैं हमेशा मौजूद हैं."
"हा,आंटी.आप फ़िक्र ना करें."
जब से मेनका प्रेग्नेंट हुई थी राजा साहब तो उसका और ख़याल रखने लगे थे.अगर उसे 1 फूल भी उठाकर यहा से वाहा रखते देखते तो नौकरों को डाँटने लगते.उसे अपने हाथों से काम तो पहले भी नही करना पड़ता था & अब तो लगता था कि राजा साहब का बस चलता तो उसे हर वक़्त बिठा कर ही रखते.पर विश्वा वैसे का वैसा था बस अब उसे चोद नही सकता था.पर मेनका को उसकी चिंता होती थी,इधर वो उसे और अजीब लगने लगा था.राजा साहब जर्मन कंपनी. से डील मे बिज़ी थे.अब पेपर & शुगर-दोनो मिल्स मे हिस्सेदारी अकेली वो जर्मन कंपनी. खरीद रही थी.
ऐसे मेनका की प्रेग्नेन्सी को 1 महीना पूरा हो गया.
"दुल्हन,जर्मन डील के लिए हमे 2-3 दिनों के लिए शहर जाना पड़ेगा?पीछे आप अपना ख़याल रखिएगा.और हाँ कोई भी काम बिल्कुल नही करना है,बस हुक्म देना है.सारे नौकरों को भी हमने ताकीद कर दी है."
"आप हुमारी चिंता मत करिए,पिताजी.आप बस डील के टर्म्ज़ ध्यान से फाइनलाइस करिएगा.वो क्लॉज़ ज़रूर डलवायएएगा जिसमे मेन्षंड है कि उनके स्टाफ के ग्रूप मे आने के बाद भी हमारे एग्ज़िस्टिंग एंप्लायीस को 6 मंत्स तक नही हटाया जा सकता,केवल हटाने के लिए शॉर्टलिस्ट किया जा सकता है.और हा,उनकी कॉंपेन्सेशन अमाउंट भी अभी ही फाइनल कर लीजिएगा.",राजा साहब के कार मे बैठते-2 मेनका बोली.
"ओके,दुल्हन.अब अंदर जाकर आराम कीजिए."
"कार मे बैठे-2 राजा साहब सोच रहे थे कि वो कितने किस्मतवाले हैं कि मेनका जैसी बहू मिली.और फिर वोही ख़याल आया उन्हे,"अगर वो उनकी पत्नी होती तो?"
पर उन्होने अपना सर झटका और कुच्छ पेपर्स देखने लगे.
------------------------------
"कैसा चल रहा है?चिड़िया को दाने की आदत लग गयी?"
"हा,अब तो पन्छि एक दिन भी बिना दाने के नही रह पाता.इतने ही दीनो मे ऐसा आदि हो जाएगा मैने तो सोचा ही नही था."
"तो अब उसे थोड़ा तड़पाओ.कुच्छ दीनो के लिए दानो की सप्लाइ रोक दो.थोड़ा तडपेगा तो जो हम कहेंगे वो करेगा."
"ओके."
और जब्बार & कल्लन उर्फ विकी की बात ख़तम हो गयी.
==============================
और फिर वो दिन आया जिसने इन तीनो किरदारों की ज़िंदगी पूरी की पूरी बदल दी.
उस दिन मेनका अकेली ही डॉक्टर.लता से मिलने गयी थी.चेक अप मे सब कुच्छ नॉर्मल था बस उन्होने अभी भी चुदाई से परहेज़ करने को कहा.
रात के 11 बज रहे थे.मेनका ने कपड़े बदल कर नाइटी पहन ली थी.विश्वा का कही पता नही था.वो मोबाइल भी नही उठा रहा था.सारे नौकर महल के नियमानुसार महल से बाहर अपने क्वॉर्टर्स मे चले गये थे.मेनका को अब बहुत चिंता होने लगी.राजा साहब भी आज वापस नही आए थे ना ही उनका फोन आया था.ऐसे तो दिन मे कम से कम 4-5 बार फोन पे उससे उसका हाल लेते थे.मेनका को घबराहट होने लगी.
और विश्वा...वो देखिए वाहा राजपुरा के बाहर हाइवे पे अपनी लंदक्रुसेर दौड़ाता हुआ सेल पे किसी का नंबर.ट्राइ कर रहा है.आइए ज़रा करीब से देखें चलें कार के अंदर....
"डॅम इट!ये हरमज़ड़ा विकी कहा मर गया.अपनी हालत खराब हो रही है & ये साला पता नही कहाँ अपनी मरा रहा है!",& अपनी गाड़ी आदिवासियों के गाओं की ओर मोड़ दी.
"क्या साहब आजकल आप आता नही.",आदिवासी बंद काले शीशे के अंदर विश्वा से बोला.जवाब मे 3 इंच खिड़की नीचे हुई & 200 रुपये बाहर आए.आदिवासी की बाचेँ खिल गयी & उसने 4 बॉटल्स अंदर दे दी.
इंतेज़ार करते-करते कब मेनका की आँख लग गई,उसे पता भी नही चला.जब धड़ाक से कमरे का दरवाज़ा खुला तो वो चौंक कर उठी.
"कहा थे आप?मैं कितना परेशान थी."
विश्वा नशे मे चूर लड़खदाता हुआ अंदर आया.महुआ पूरी तरह उसके दिमाग़ पर हावी थी.उसे मेनका की कोई बात नही सुनाई दे रही थी बस उसका कातिल जिस्म नज़र आ रहा था.वो आगे बढ़ा & उसे खीच कर चूमने लगा,अपने हाथ उसकी छाती पर रख दिए.
"नही डॉक्टर.ने मना किया है."
"चुप.",& उसकी नाइटी उतारने लगा.
"नही.अभी आप होश मे नही हैं. जाइए.आज से पहले तो आप कभी पी कर नही आए.", वो अपने को छुड़ाते हुए बोली.
"चुप,साली",विश्वा पागल हो गया"मैं जो मर्ज़ी करूँगा & अभी तुझे चोदुन्गा.भाड़ मे जाए डॉक्टर."
"नही."मेनका उससे बचने के लिए भागी पर विश्वा ने उसे ज़बरदस्ती पकड़ कर उसकी नाइटी फाड़ दी.
"प्लीज़,अपने बच्चे के बारे मे तो सोचिए."मेनका रोने लगी.
पर विश्वा ने पूरी नाइटी फाड़ कर फेक दी.नाइटी के नीचे कुच्छ नही था.मेनका भागते हुए कुच्छ ढूँदने लगी जिससे अपना ननगपन च्छूपा सके.
पर तभी विश्वा आगे बढ़ा & पीछे से उसे दबोच लिया & पॅंट से अपना लंड निकाल कर वैसे ही घुसाना चाहा पर मेनका उसकी पकड़ से निकल भागी.विश्वा इस हरकत से बौखला गया & लपक कर उसे फिर पकड़ा.इस बार मेनका ने उसके हाथ पे काट लिया.
अब तो वो गुस्से से पगा हो गया.उसने मेनका के बाल पकड़ कर उसे 2 थप्पड़ लगाए & फिर उसे बेड पे धकेल दिया.मेनका पेट के बल पलंग के साइड पे इस तरह गिरी कि उसका पूरा पेट पलंग से ज़ोर से टकराया & उसके बदन मे दर्द की तेज़ लहर दौड़ गयी.
"मा...एयेए!"वो दर्द से चीखी"बचाओ.."वो बस इतना ही कह पाई & फिर दर्द से वो बेहोश होने लगी.उसकी टाँगो के बीच से खून की एक पतली धार उसकी जांघों पर फैलने लगी.ओर सबसे बेपरवाह नशे मे धुत विश्वा पीछे से उसकी चूत मे लंड डालने लगा,"ना..ही..प्लीज़..ईयीज़ी",
"बचाओ",वो चीखी & उसी वक़्त भागते हुए राजा यशवीर कमरे मे दाखिल हुए.उन्होने विश्वा का कॉलर पकड़ कर उसे मेनका से अलग किया & 1 ज़ोरदार थप्पड़ लगाया.विश्वा वही कोने मे बेहोश होकर ढेर हो गया.
"दुल्हन,आँखें खोलो?",मेनका को उठाते हुए बोले.
"आ..प आ गा..ये.",कह कर मेनका उन्हे पकड़ कर बेहोश हो गयी.
क्रमशः........................
दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े ..............................
आपका दोस्त
राज शर्मा
मस्त मेनका पार्ट--1
मस्त मेनका पार्ट--2
मस्त मेनका पार्ट--3
मस्त मेनका पार्ट--4
मस्त मेनका पार्ट--5
मस्त मेनका पार्ट--6
मस्त मेनका पार्ट--7
gataank se aage................
jab se raja sahab ne apni cos.ka corporatisation karna plan kiya unke paas partners banane ke liye kai loga aane lage.bas yahi jabbar ko unke kile me sendh lagane ka mauka mil gaya.usne kuchh logon ko bahut attractive offer ke sath raja saheb ke paas bheja.badi chalaki se usne apna naam saamne na aane diya par rajkul group ki khuskismati ki uske bheje pyaadon me se 1 ke munh se nashe me kahin uska naam nikal gaya & raja sahab sachet ho gaye.
ab to german co. & american co. se baaten almost final ho gayi thia.
aayiye vapas chale dono ke paas.
"jabbar to lagta hai sabak seekh kar shant ho gaya sir."
"nahi,seshadri sahab dushman ko kabhi kam nahi aankna chahiye & khas kar jab vo jabbar jaisa hai.uski ye chuppi to hume toofan se pehle ki khamoshi lag rahi hai.bahut savdhan rehana hoga hum subko."
yashveer singh ne isase sahi baat shayad kabhi kahi ho.
raat ho chali hai.ab hum rajpura ki us badi aalishan magar manhus lagne wali kothi me chalte hain.
malika bade se palang par bilkul nagi hokar apni ghodi bani hui thi & apni chaudi,makhmali gaand jabbar ki taraf karke hawa me ghuma rahi thi.usne gardan ghumayi & jabbar ki taraf dekh kar apni jeebh apne gulabi hothon par firate hue 1 haath se apni badi-2 chhatiyon ko masalne lagi.jabbar use aise dekh raha tha jaise bhediya apne shikar ko.
vo kewal pajame me tha.usne use utar phenka & palang par chadh kar malika ke peechhe position le li.malika ab apni gaand uske lund se takrane lagi.jabbar ne 1 haath uski kamar pakdi & dusre se apna kala mota lund pakad kar uski gaand ke chhed me apna supada ghusa diya.
"oooo...yyyeeeeee!",malika aage ko ho gayi par jabbar ne uski kamar par pakad & mazboot kar di aur agle jhatke me pur ka pura lund andar pel diya.
"aa....aahhhhhhh....mar......
jabbar ab zor-zor se dhakke lagane laga & beech-2 me malika ke gore chutadon par thappad lagane laga.
"ooo....ooowwwwww!",har thappad par malika cheekhti thi par saaf zahir tha ki uska maza aur badh raha tha.vo rakshas vaise hi uski gaand chodta raha & 1 hath se uski chhatiyaan masalne laga.fir thappad marna band karke usne uski choot ke dane ko dusre hath se ragadna shuru kar diya.
malika pagal ho gayi,"ha....annnn...aur zor ....se..ph...aa...aadddd....
sunte hi jabbar ne chhati masalna chhod uske lambe balon ko ghodi ki lagam ki tarah pakad kar kheech diya..malika ka chehra upar ko ho gaya & uspe dard ki rekhayen dikhne lagi par malika ab puri tarah se garam ho gayi thi,"chooot...me....un..glii ..kar...naaaa!"
jabbar ne uski choot me 3 ungliya ghused kar bedardi se ragadna shuru kar diya.vo bhi jhadne ke kareeb tha,dhakkon ki speed or badh gayi malika bhi apni kamar hila kar uski taal se taal milane lagi..choot me ungliyon ki ragad ne bhi raftar pakad li ki tabhi.."ooo....yeeeeeee ma..aaaaannnnnnn!",kehte hue malika jhad gayi,uski chut ne pani chhod diya & vo nidhal ho kar aage gir gayi....jabbar ne bhi 5-6 dhakkon ke baad apne pani se uski gaand ko bhar diya & malika ki peeth par gir kar haanfne laga.
tabhi bagal ki tipayi pe rakha uska mobile joki vibrator mode par tha, hilne laga.jabbar ne vaise hi malika ke upar pade-2 use utha kar no. dekha & phone kaat diya.uske baad jhatke se usne apna sikuda lund malika ki gand se nikala & apna pajama pehan kar bhagta hua kothi ke pechhe aya & vaha bane lawn ko paar kiya & peechhe bane chhote se darwaze ko bas itna khola ki bahar khada kale shawl me lipta aadmi andar aa sake.jaise hi vo ghusa,jabbar uska hatha pakad kar use kothi ke andar le aya.kothi ke sare darwaze band & khidkiyan parde se dhaki hain,usne sunishchit kiya & us aadmi ko lekar hall me aakar baith gaya.
"tumhe yaha aate kisi ne dekha to nahi?",jabbar ne uski taraf pani ki bottle badhayi.
"nahi",shawl utarte hue & bottle kholte hue usne jawab diya.
vo 1 6ft se kuch lamba gora,tagda insan tha.uske kandhe tak lambe baal & chehre par ghani dadhi thi.jabbar 1 sofe par baith gaya & vo insan uske samne vale sofe par.
tabhi malika hall me aayi.uske baal vaise hi ast-vyast the usne 1 black micro-mini skirt or upar 1 bahut tight white ganji pahni thi jiske neeche bra nahi thi & chudai ke waqt se kadi hui uski ghundiyan us ganji ko phaad kar bahar aane ko betab lag rahi thi.ganji beparvahi se pahni gayi thi aur uska pet & nabhi saaf dikh rahe the.ganji ke gale se uski badi chhatiyon ka kafi hissa dikh raha tha & jab vo chalti thi to bade madak dhang se hilta tha.uski halat dekhkar koi bhi kah deta ki vo 1 randi hai & abhi chud kar aa rahi hai.
vo aakar jabbar ke sofe ke hatthe par baith gayi & us ajnabi ko sar se pair se tak 1 bazaru aurat ki tarah dekhne lagi.baithte hi uski skirt puri upar ho gayi & uski gaand dikhne lagi bus choot hi dhaki rahi.
"ye kallan hai & ye meri rakhail malika.",jabbar ne dono ka parichay karaya.jawab me kallan ne sirf sir hilaya.malika use waise hi chalu nigahon se dekhti rahi.
"iski raand chhap harkaton par mat jana.iska dimagh humesha alert rehta hai.",jabbar ne kallan ko kaha.
malika ne hunste hue apne daanton se jabbar ke kaan pe kaatne lagi.
"huun!bus,ab kaam ka time aa gaya hai.",jabbar ne use rokte hue kaha.
phir jabbar dono ko apna plan sumjhane laga.
uske chup hote hi malika ne uski taraf tareef bhari nazron se dekha,"haramipan me tera jawab nahi!is baar to raja gaya."
"haa,par 1 baat hum teeno achhi tarah samajh le.kallan,tum humlogon se kabhi nahi miloge & is gaon me kabhi nazar aaoge.",jabbar uth kar andar gaya & 2 naye mobile lekar aya.1 usne kallan ko diya,"in dono mobiles bus 1 dusre ka no.saved hai.jab bhi zarurat ho hum isi par baat karenge.plan kamyab karne ke liye humari savdhani bahut zaruri hai."
"aur haan tu bhi sun le malika,main janta hun is ko dekh kar teri chut lar tapka rahi hai par jab tak hum apne maqsad me kamyab nahi ho jate tujhe ise control me rakhna hoga",vo uski chut thapthapate hue bola.
kallan pe malika ki jism ki numaish ka koi asar nahi hua ya yu kahen ki usne apne bhav badi safai se chhupa liye the,'kya guarantee hai jabbar ki kaam khatam hone ke baad tum mujhe doodh se makkhi ki tarah nahi nikal phenkoge?"
"is gunah me hum teeno barabar ke bhagidar rahenge ,kallan.hum teeno 1 dusre ke raazdaar hain & yahi hum teeno ki salamati ki guarantee hai."
tab tak malika andar se whiskey le aayi thi.usne 3 peg banaye,1 khud liya & baki 2 dono mardon ko diya,"cheers 2 our success."
glass khali karte hi kallan ne shawl wapas lapeti aur usi raste vapas laut gaya.
darwaza bund karke jabbar andar aya to dekha ki malia sofe par fir se nangi padi apni chut me ungli kar rahi hai & apni chhatiyan daba rahi hai.
"sali chhinal,humesha garam rahi hai!",jabbar man hi man badbadaya & apna pajama utar kar sofe ki taraf badh gaya.
plane ke business class ki apni seat ko menaka ne button daba kar fully recline kar diya & let gayi.air-hostess ne muskurate hue use kambal odhaya & "good night" kah kar,light off ki & chali gayi.
menaka aaj switzerland se apna honeymoon mana kar laut rahi thi.peeche ki seat par vishwajeet already so chuka thapar menaka ki aankhon se neend abhi dur thi.usne khidki ka flap sarkaya & bahar dekha ki chaand ki roshni badalon ko nahla rahi thi...lag raha tha ki plane barfeele pahadon ke upar chal raha hai.pahadon ke dhyan se use apne honeymoon ka pehala din yaad aa gaya.
vishwa & vo Zurich ke paas 1 paas apne chalet(cottage me pahuche).menaka ne 1 top & full-length flowing skirt pehana hua tha.vo chalet ke andar aayi 7 jab apne bedroom ki khidki se pard hataya to kudrat ki khubsurati ka adbhut nazara dekh kar uska munh khula ka khula rah gaya.saamne hi alps range ke pahhad dikh rahe the joki suraj ki roshni me chamak rahe the & pahadon ke neeche dur-2 tak phaile hari makhmali ghaas ke maidan.
tabhi peeche se use vishwa ne apni bahon me jakd liya &uski gardan pe kiss karne laga.
"chhodiye na!dekhiye kitni sundar jagah hai",menaka kasmasate hue boli.
"hmm.",jawab me vishwa ne uski skirt utha di,uski panty 1 taraf khiskayi & apna pehle se nikala lund uski chut me ghusane laga.
"please,abhi nahi,vishwa",menaka ne alag hone ki koshish karte hue kaha.
par vishwa ne ansuna karte hue apna haath uske top me ghusa diya & bra ke andar hath dal kar uski badi-2 chhatiyan masalne laga,usne apna lund pura ka pura menaka ki chut me ghusa diya & tezi se dhakke lagane laga.menaka ne sahare ke liye aage jhuk kar khidki ke sill ko pakad liya.use is chudayi me koi maza nahi aa raha tha balkiistemal kiye jaane ka ehsas ho raha tha jaise ki vo 1 bazaru aurat ho & vishwa uska grahak.
thodi hi der me vishwa uske andar jhad gaya,us se alag huya & bola,"taiyyar ho jao.ghumne chalte hain..."
menaka ne phir aankhen bad karke neend ki bahon me jana chaha par fir use vo vakya yaad aya jisne uske dil me vishwa ke liye izzat or bhi zyada kam kar di.
vo chalet ke carpet pe nangi padi thi.bagal me fireplace me aag jal rahi thi par uski beparda jawani ki bhadakti chamak ke aage aag bhi benur lag rahi thi.vishwa bhi nanga tha or uski chut me apni jeebh dal kar chaat raha tha.menaka pagal ho rahi thi..use bahut achha lagta tha jab uska pati uski choot pe apne munh se meharban hota tha.
par har baar ki tarah menaka ka man bharne se pehle hi vishwa ne apne hoth uski chut se alag kar diya.menaka ka sir 2 cushions par tha,jiske karan uska upri badan thoda utha hua tha.usne aankhen kholi to dekha ki vishwa apna lund pakad kar hila raha hai &uski taraf dekh raha hai.usne gehri saans li & uska ishara samajhte hue apni taange or phaila di.
par vo chaunk gai jab vishwa apna lund uski chut me ghusane ke bajay use seene ke dono or pair karke baith gaya or apna lund uske munh ke saamne hilane laga,"ise lo."
menaka ne uske lund ko apne haanthon me pakda or hilane lagi.vishwa aksar use apna lund pakadne ko kehata tha par us waqt vo pith ke bal leta hota tha.aaj ki tarah usne kabhi nahi kiya tha.
"hath me nahi munh me lo."
"kya?!!",menaka ne puchha.
"haan,munh me lo",kahkar usne apna lund uske hathon se liya & uske band hothon par se chhuane laga.
"nahi,main aisa nahi karungi",menaka ne use halke se dhakela & karwat lekar uske neeche se nikal gayi.
"kyu?"
"mujhe pasand nahi bas."
"are,kya pasand nahi?"
"mujhe ghin aati hai.main aise nahi karungi."
"jab main tumhari chut chatata hun tab to tumhe bada maza aata hai &jab main vohi tumse chahta hun to tumhe ghin aati hai!"
"dekhiye,main aapse bahas nahi karungi.aap jo chahte hain vo main kabhi nahi kar sakti bas!"
"theek hai,to sun lo aaj ke baad main bhi kabhi tumhari choot nahi chatunga."kah kar vishwa ne use letaya & uske upar akar apna lund uski chut me pel diya& kuchh zyada hi tez dhakke lagane laga jaise use jaankar takleef pahunchana chata ho.menaka ne uff tak nahi ki or uske jhadne ka intezar karne lagi.
abhi bhi India pahunchne me babahut waqt tha par menaka abhi tak nahi so payi thi.us din ke baad vishwa ne sach me uski choot pe apne hothon ko nahi lagaya.
menaka ab aageke bare me sochne lagi.rajpura pahunchne ke baad 2 din waha rahna tha & fir use maayke jana tha.apne mata-pita ka khayal aate hi uske chehre pe muskan aa gayi& vo unkeliye kharide gaye tohfon ke bare me sochne lagi & thodi hi der me so gayi.
==============================
shehar ke us ghatiya se hotel ke us room me vo aadmi palang par nanga pada tha.uske dono hath bedposts se silk scarves se bandhe the aur uske saamne 1 khubsurat, sexy ladki dheere-2 apne kapad utar rahi thi.thodi hi der me vo puri nangi ho gayi &uski taraf bojhil palkon se dekh kar apne gulabi hothon pe jeebh pheri & 2 kadam aage badh kar apna 1 pair palang par rakh diya & pair ke anguthe ke nakhun se us aadmi ke talwe gudgudane lagi,phir usne apni daaye hath ki ungliya apne chut me dal di & baye hath se apni bhari chhatiyon ko masalne lagi.
vo aadmi josh se pagal ho gaya & apne hath chhudane ki koshish karne laga.uska lund pur tan chuka tha.par uski halat se beparwah vo ladki apne badan se khelte rahi,"oooohhhhhh....aaaa...h..
"ha..ha..malika meri jaan mere hath to kholo."
"kyu?bardasht nahi ho raha?",malika vaise hi apne jism se khelti hui & use aur tadpate hue boli.
"nahi,,nahi!!!!!!!!!!!!please kholo malika."
par malika ne to use aur tadpana tha.vo uske badan ke dono taraf ghutne rakh kar uske lund ke theek upar apni chut lahrane lagi.batra apni gand utha kar apne lund ko usme ghusane ki koshish karne laga.par malika hanste aur upar uth gayi & apne hath se use phir vapas bistar par sula diya.phir apne hath uske seene pe rakhe & yun baithne lagi jaise uske lund ko lene wali ho.batra muskurane laga...malika ki chut uske lund ke supade se sati..batra ko laga ki ab uski murad puri hui & ye kasi chut ab uske lund ko nigal legipar uske sapne ko todte hue malika fir uth gayi.]
batra ruwasa ho gaya,"please malika aur mat tadpao..please!!!!please!!"
malika fir bedardi se hansi & is bar uske lund pe baith gayi,jaise hi pura lund uski chut ke andar gaya batra neeche se zor-2 se gaand hilane laga.malika nefir use mazbuti se apne badan se daba diya & bahut hi dheere-2apni gand hila kar use chodne lagi.
batra ab bilkul pagal ho gaya.josh ke mare uska bura hal tha & usne phir neeche se apni gand zor-2 se hila kar dhakke marne laga.malika paglon ki tarah hansne lagi & thodi hi der me batra jhad gaya.
tab malika ne vaise hi uske upar baithe-2 uske hath khole.hath khulte hi batra ne use pakad kar neeche gira diya &fir uske upar chadh gaya.uska sikuda lund abhi bhi malika ki chut me hi tha.
"sali,tu bahut tadpati hai...bahut maza aata hai ne tujhe isme...ye le..ye le!",kah ke vo apne sikude lund se hi dhakke lagane laga.thodi hi der me lund fir tan gaya & batra ke dhakkon me bhi or tezi aa gayi.
vo bahut bedardi se dhakke mar raha tha par malika vaise hi paglon ki tarah hansti rahi.thodi hi der me uske badan ne jhatke khaye & vo jhad kar malika ke upar hi dher ho gaya.
"ab thodi kaam ki baaten ho jaye,batra sahab?.malika ne uske kan me kaha.
batra rajkul group me manager tha.seshadri ko us par bahut bharosa tha & batra aadmi tha bhi bharose ke layak par fir 1 din uski mulakat malika se hui & us din sevo raja saheb ke business ke andar jabbar ka bhediya ban gaya.
batra ko jaise sex karna pasand tha,uski biwi ko wo bilkul bhi achha nahi lagta tha.batra rough sex& sado-masochism ka shaukeen tha.dard ke sath sex hi use puri tarah santusht kar pata tha.kisi tarah jabbar ko uski ye kamzori pata chal gayi &malika ke zariye usne use apna jasus bana liya.maze ki baat ye thi, batra ye samajhta tha ki vo raja sahab ke business rival pant group ke liye kaam karti thi.is tarah se jab kabhi pol khulti bhi to nuksan kewal batra ka tha.jabbar ka naam bhi samne nahi aata & malika-malika ko to kisi cheez ki parwah nahi thi siway iske ki uske debit & credit card humesha kaam karte rahen & uske jism ki aag roz bujhti rahe.
jabbar t-shirt & shorts me apni kothi ke kitchen me khada fridge se bottle nikal kar pani pee raha tha jab menaka hall me dakhil hui.usne apna hand bag 1 taraf feka & jabbar ko hall se kitchen me khulte darwaze se dekhte hue bedroom me ghus gayi.jabbar bottle lekar hall me aya & bade sofe par baith gaya.
"kya pata chala?"
sunkar malika bedroom se hall me khulne wale darwaze pe aakar khadi hui,"yehi ki batra ka lund tumse bada hai",hanskar apana top utarte hue andar chali gayi.
"ungli mat kar."
"kyu na karu?sirf tu hi kar sakta hai.",vo vapas darwaze pe aayi & apne hath peechhe le ja kar apne bra ke hooks khol kar use apne badan se alag kar diya,uski bhari chhatiyaan thartharati hui azad ho gayi.
"raja ki position din par din mazbut ho rahi hai & tu bas yaha jasusi hi karta rah!pata hai rajkul group ka 49% share 1 german co. kharid rahi hai.batra keh raha tha ki rajkul group ki total value Rs 200 cr hai,german co.se raja ko 98 cr mil rahe hain.abhi auditing vagerah chal rahi hai,2-3 mahine me deal ho jayegi.",usne apni skin-tight jeans & panty1 saath utari & apni mast gaand matkate hue wapas room me chali gayi.
"ha..ha...ha!iska matlab hai ki rajkul ki asal value hai 280 cr rupaye.raja ko 30 cr rupaye aur mile honge.",jabbar hansa.
"kya?",malika 1 oversize safed t-shirt pahan kar aayi,saaf pata chal raha tha ki uske neeche usne kuch nahi pehna tha.uski chhatiyon ki golayi & nipples ke ubhar & chaudi gaand ke katav lapde me se saaf jhalak rahe tha.usne jabbar ke hath se bottle li & uski god me pair rakh kar sofe pe let gayi & pani peene lagi.
"malika,ye businessman jitna paisa kamate hain,vo asal rakam kabhi nahi batate.ye balance sheet,auditing sab hoti hai par kuchh paisa ye hamesha apne secret accounts me rakhte hain.ye 200 cr to duniya ke liye hai.deal se jo paisa group ko milega,dikhaya jayega ki sare paise employees ke bonus & mills ke upgradation me lag gaye & 98 cr me se 4-5 crore raja ko mile.par group ki value jaan kar kam dikhayi jayegi taki vo 30 cr raja ko bina kisi pareshani ke mile jinhe vo kahi videshi bank me chhupa dega.aur to aur tujhe pata hai ki salana munafa bhi humesha thoda kam dikhaya jata hai & vo chhupayi hui rakam bhi raja ke pet me jati hai"
"thik hai par apne faayde ki baat to samjha mujhko.",kehte hue malika ne apne pair se jabbar ke shorts ko neeche sarka diya & vaise lete hue hi apne pairon se uske lund ko ragadne lagi.bottle ko kinare rakha,apni shirt upar ki & apni ungliyon se apne nipples ragadne lagi.
"rajparivar ki barbadi hi mera sabse bada fayda hai.tujhe lagta hai ki mai hath pe hath dhare baitha hun",jabbar ne apni ungliyan uski chut me ghuedte hue kaha,"ye mera plan hai,sali.main aisi chaal chalunga ki raja yashveer & uska parivar apne haathon apni jaan lega & apne business ki dhajjiyan udayega.",usne malika ke dane ko ragadte hue kaha.
"oooo...hhhhhh!par tujhe to 1 paisa bhi nahi milega isme...aaa...yyyeeeee.....bas raja ki barbadi hogi."
"kaha na raja ki barbadi hi mera sabse bada fayda hai.tujhe kya chinta hai mai janta hun chhinal!pareshan mat ho teri bhookh shant karne layak paise mere paas abhi bhi hain & hamesha rahenge.badle ki aag me khud ko bhi rakh karu aisa chutiya nahi hun main.,"malika ki chut pe chikoti kaatate hue uske munh se nikal gaya .
Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
No comments:
Post a Comment